hotaks444
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जाल पार्ट--31
गतान्क से आगे.
उसके नखुनो की चुभन से आहत हो उसने उसके हसीन चेहरे पे हाथ फिराते हुए उसके मुँह मे अपनी ज़ुबान घुसा दी जिसे रंभा ने शिद्दत से चूसा.विजयंत ने कुच्छ देर बाद होंठ अलग किए & वैसे ही लंड उसकी चूत पे घुमाया तो रंभा ने आह भरी.विजयंत के हाथ उसकी चूचियो से लगे तो रंभा ने कंधे दीवार से लगा सीना & आगे कर दिया.विजयंत ने उन्हे दबाया & फिर सीधा खड़ा हो गया.ससुर के जिस्म के नशे मे चूर रंभा दीवार से हटी & उसे बाहो मे भर चूम लिया & फिर उसके होंठो को छ्चोड़ नीचे उसके सीने पे आ गयी & धीरे-2 काटने लगी.
विजयंत ने आँखे बंद कर सर पीछे फेंका & आह भरी & फिर तुरंत रीता को गर्दन घुमा के देखा.बिस्तर उन दोनो से काफ़ी दूर था & शायद यही वजह थी कि वो बीवी की मौजूदगी मे बहू का लुत्फ़ उठाने मे कामयाब हो रहा था.रंभा उसके निपल्स को दांतो से छेड़ने के बाद धीमे-2 काटते हुए नीचे आई & उसकी बालो से ढँकी नाभि मे जीभ फिराई.उस वक़्त विजयंत ने बड़ी मुश्किल से अपने लंड को पिचकारी छ्चोड़ने से रोका.
रंभा नीचे आई & अपने गालो पे उसके प्रेकुं से गीले तगड़े लंड को रगड़ा & फिर अपने मुँह मे भर लिया.विजयंत आँखे बंद कर दीवार पे बाया हाथ टीका के आगे झुकता हुआ खड़ा हो गया & डाए हाथ से रंभा की चिकनी पीठ सहलाने लगा.रंभा की ज़ुबान उसके लंड को पागल किए जा रही थी.काफ़ी देर तक वो लंड & उसके नीचे लटक रहे आंडो को जिनपे से विजयंत ने बाल साफ कर रखे थे,चाटती रही & फिर जब उसने मुँह हटा के हाथ उपर ले जा उसकी छाती के बालो मे फिराए तो विजयंत ने उन्हे पकड़ उसे उपर उठाया & बाहो मे भर चूम लिया.
दीवार से सटी उसकी गर्दन को थामे रंभा ने उसके मुँह को अपनी चूचियो से चिपका लिया तो विजयंत नीचे झुका & उसकी जाँघो को हाथो मे थामते हुए लंड को उसकी चूत मे धकेला.
"आईई..!",रंभा के चेहरे पे दर्द की लकीरें खींची लेकिन वो ससुर से बिल्कुल चिपक गयी.उसके घुटनो के पास से उसकी जाँघो को थाम उसे गोद मे उठा विजयंत उसकी चुदाई करने लगा.रंभा को अब कुच्छ होश नही था.ससुर का तगड़ा लंड उसे वही बेजोड़ जिस्मानी मज़ा दे रहा था जिसकी उसे हमेशा ख्वाहिश रहती थी.विजयंत ने दाया हाथ जाँघ से हटाया & उसकी गंद की बाई फाँक को दबोच लिया & उच्छल-2 के उसे चोदने लगा.रंभा ऐसे कभी नही चुदी थी.उसने शादी के पहले ही जिस्मानी रिश्ते कायम किए थे 1 मर्द के साथ.उसके बाद और मर्द आए,1 साथ 2 मर्दो से भी चुदी लेकिन इस तरह से 1 ही मर्द के साथ उसकी सोती बीवी की मौजूदगी मे उसकी गोद मे खड़े होके चुदाई करना!..इसने तो उसे रोमांच से भर दिया था.
विजयंत का दिल उसके सीने की लुभावनी गोलाईयो को चूमने का हुआ & वॉसर नीचे झुकने लगा लेकिन रंभा को थामे रहने के लिए उसे आगे की ओर झुकना पड़ा.रंभा पीछे झुक गयी थी & विजयंत उसकी चूचियाँ चूस्ते हुए,उसे थामे चोद रहा था.विजयंत को कोई तकलीफ़ होती नही दिख रही थी.रंभा तो उसकी मर्दानगी की मुरीद हो गयी!समीर की गुमशुदगी मे उसका हाथ हो या ना हो लेकिन वो जिस्मो के खेल का कमाल का खिलाड़ी था!
उसे उसी तरह झूलते हुए उसने तब तक चोदा जब तक उसकी चूत ने उसके लंड को जाकड़,सिकुड़ते-फैलते हुए उसके झड़ने का एलन ना कर दिया.विजयंत उसे गोद मे उठाए घुमा & अपने बिस्तर के पास चला गया.विजयंत ने जिस्मो का खेल ना जाने कितनी औरतों के साथ,कितने तरीके से खेला था लेकिन इस तरह से बीवी की मौजूदगी मे किसी और को-वो भी अपनी बहू को चोदना,उसके लिए भी बिल्कुल अनूठा तजुर्बा था!
"उधर कहा जा रहे हैं,डॅडी?",रंभा ससुर से चिपटि उसके गले बाहे कसे,उसके बाए कान मे फुसफुसाई.विजयंत ने कुच्छ जवाब नही दिया & पलंग के उस तरफ आ गया जिधर रीता सो रही थी.रीता करवट पे थी & उसकी नंगी पीठ उनकी तरफ थी.विजयंत ने वही पलंग के बगल मे फर्श पे बिछे गाळीचे पे अपनी बहू को बिना उसकी चूत से लंड निकाले लिटाया & घुटनो पे बैठ उसकी कमर को थाम उसकी गंद को गाळीचे से उठा धक्के लगाने लगा.रंभा कालीन के धागो को नोचती सर दाए-बाए झटकते हुए मस्ती मे झूमने लगी.उसकी निगाह जब उपर पलंग पे सो रही अपनी सास पे पड़ती तो वो & रोमांच से भर उठती.
विजयंत उसके पेट को दबाते हुए & उसकी चूचियो को मसल्ते तब तक उसे चोद्ता रहा जब तक उसने कमर उचकानी नही शुरू कर दी.रंभा ने पीछे सर के उपर गाळीचे पे हाथ टीका के ज़ोरोसे कमर उचकानी शुरू कर दी थी & उसका चेहरा मस्ती की शिद्दत से बिल्कुल सख़्त सा दिख रहा था.विजयंत ने फ़ौरन टाँगे फैलाते हुए उसकी चूत को नीचे गाळीचे पे दबाया & हाथ आगे गाळीचे पे टिका उसके उपर झुक के धक्के लगाने लगा.रंभा की चूत ने फिर से उसके लंड पे अपनी जानी-पहचानी हरकत शुरू कर दी थी.विजयंत उसके उपर लेट गया तो रंभा ने अपनी टाँगे उसकी जाँघो के पिच्छले हिस्सो पे फँसा दी.
विजयंत ज़ोरदार धक्के लगा रहा था & रंभा की कोख पे चोट पे चोट किए जा रहा था.रंभा के लिए अब आहें रोकना नामुमकिन था.जिस्म मे ऐसा मज़ा पैदा हो & उसका इज़हार ना कर पाए,अब हर रोज़ तो ये करना उसके लिए मुश्किल था.विजयंत ने फ़ौरन बिस्तर के किनारे से 1 कुशन खींचा & उसके मुँह पे रख दिया.दोनो अभी भी बीच-2 मे रीता को देख रहे थे जोकि सो रही थी.
रंभा ने कुशन को मुँह पे दबा लिया & आहो का शोर उसमे दफ़्न करने लगी.विजयंत उसके उपर लेट गया था & उसका बालो भरा सीना उसकी चूचियो को पीस रहा था.कुच्छ धक्को के बाद जब उसने महसूस किया कि अब रंभा बहुत शिद्दत के साथ कमर हिला रही है & आहें कुशन के बाब्जूद बाहर आ सकती हैं तो उसने कुच्छ तेज़ धक्के & लगाए & उसकी चूत की कसक को शांत किया.रंभा झड़ी & कुशन मुँह से हटा के फेंका & उचकते हुए अपने ससुर की गर्दन पकड़ के उसके दाए कंधे मे मुँह घुसा के अपना दाँत गढ़ा दिए.विजयंत को उसकी इस हरकत से दर्द हुआ पर साथ ही मज़ा भी आया & उसने उसकी चूत मे अपना रस छ्चोड़ दिया.दोनो 1 दूसरे से लिपटे साथ झाड़ते रहे.
कुच्छ देर बाद जब तूफान पूरी तरह से थम गया तो विजयंत ने अपनी बहू को गोद मे उठाया & उसके कमरे मे ले गया & उसके बिस्तर पे बाहो मे भरके तब तक लेटा रहा,जब तक की वो नींद के आगोश मे नही चली गयी.
विजयंत मेहरा ने रंभा के साथ समीर की तलाश शुरू कर दी थी.डेवाले मे 1 रात बिता दोनो अगली सुबह पंचमहल पहुँचे.जब तक रंभा ने अपना समान पॅक किया विजयंत ने समीर के दफ़तर का जायज़ा लिया.मीडीया वालो के लिए इस खबर मे अब वो मज़ा नही रहा था क्यूकी पहले दिन से लेके अभी तक मे कुच्छ मसालेदार नही घटा था लेकिन फिर भी आख़िर बात इतने बड़े आदमी के बेटे के लापता होने की थी.वो रंभा या विजयंत से बात करने की फिराक़ मे लगे ही रहते थे.
रंभा ने अपना समान पॅक किया & अपनी कार मे डलवाया & सीधा होटेल वाय्लेट पहुँची.विजयंत अपनी प्राडो मे पहले से ही उसका इंतेज़ार कर रहा था.रंभा उसकी कार मे बैठी & दोनो निकल पड़े.
पोलीस अपना काम मुस्तैदी से कर रही थी.1 हाइ-प्रोफाइल केस मे कुच्छ गड़बड़ी ना हो जाए इसलिए वो पूरी सावधानी बरत रहे थे.विजयंत ने 1 बार भी पंचमहल पोलीस महकमे पे अपने रसुख का इस्तेमाल कर कोई दबाव नही डाला था.उसकी पहुँच कितनी उपर तक थी ये सभी जानते थे & इस बात को जताने की उसे कोई ज़रूरत नही थी.उसने पंचमहल के पोलीस कमिशनर से बस 1 बार मुलाकात की थी.उपर से राज्य का होम मिनिस्टर,सीएम यहा तक की सेंट्रल गवर्नमेंट के मंत्रियो,जिनमे से किसी से विजयंत ने 1 बार भी इस सिलिसिले मे बात नही की थी,खुद ही पोलीस से लगभग हर रोज़ केस के बारे मे पुच्छ रहे थे.
विजयंत बेटे के लिए कोई शोर नही मचा रहा था इसका मतलब ये नही था कि वो कुच्छ सोच नही रहा था.उसने इरादा पक्का कर लिया था कि अगर उसके बेटे को कोई तकलीफ़ पहुँचा रहा है तो वो उसे अपने हाथो से सज़ा देगा.
रंभा ने कार चलाते अपने ससुर को देखा.उसने आसमानी रंग की चेक की कमीज़ & काली जीन्स पहनी थी & इस वक़्त अपनी उम्र से बहुत ही ज़्यादा कम दिख रहा था.रंभा ने सफेद शर्ट & गहरी नीली जीन्स पहनी थी & उसके जिस्म के सारे कटाव बड़े क़ातिलाना अंदाज़ मे उभर रहे थे.रंभा ने अपने काले चश्मे के पार अपने ससुर को देखा & दाए हाथ को उसकी दाढ़ी पे फिराया & मुस्कुराइ.विजयंत मुस्कुराया & उसका हाथ चूम लिया.वो जानबूझ के रंभा को अपने साथ इस सफ़र पे लाया था ताकि वो हर पल उसपे नज़र रख सके.2 रातो की ज़बरदस्त चुदाई का मतलब ये नही था कि उसकी बहू उसके शक़ के दायरे से बाहर चली गयी थी.
कार पंचमहल से 50किमी की दूरी पे बने पहले मेहरा फार्म के गेट मे दाखिल हुई.विजयंत ने अपने आने की खबर नही दी थी & वाहा का स्टाफ उसे देख चौंक गया & वाहा अफ़रा-तफ़री मच गयी.विजयंत रंभा के साथ मॅनेजर के कॅबिन मे बैठ गया,"सर,समीर सर के बारे मे सुन हम सब भी बहुत परेशान हैं."
"जी,मिस्टर.नाथ.आप बुरा ना माने तो मैं ज़रा पिच्छले 6 महीने के अकाउंट्स & रेकॉर्ड्स देखना चाहूँगा."
"ज़रूर सर.आप यहा मेरी चेर पे बैठिए,कंप्यूटर ऑपरेट करने मे आसानी होगी.",
"ठीक है लेकिन मैं हार्ड कॉपीस भी देखना चाहूँगा.",विजयंत उसकी कुर्सी पे आके बैठ गया & कंप्यूटर खुलने पे फाइल्स देखने लगा.
"ओके,सर.मैं अभी सारी फाइल्स मँगवाता हू.",मॅनेजर कॅबिन से बाहर गया तो उसके पीछे रंभा भी बाहर आ गयी.उसे देखने से ऐसा लग रहा था कि वो ऊब रही है लेकिन हक़ीक़त ये थी कि वो मॅनेजर & बाकी स्टाफ की 1-1 हरकत देख रही थी.
विजयंत का मानना था कि समीर की गुमशुदगी मे अगर ब्रिज कोठारी का हाथ नही था तो हो सकता है अग्री बिज़्नेस की किसी गड़बड़ी का पता चलना समीर की गुमशुदगी का सबब बना हो.वो किसी भी सिरे को बिना जाँचे छ्चोड़ना नही चाहता था.2 घंटे तक सर खपाने के बावजूद उसे वाहा के काम-काज कोई ऐसी गड़बड़ी नज़र नही आई.
रंभा फार्म घूम वाहा के लोगो से बातचीत के दौरान ये पता लगती रही की वाहा के पुराने मॅनेजर को हटाने की वजह क्या थी लेकिन उसे भी कोई ऐसी बात नही पता चली जिस से की किसी पे कोई शक़ जाता.दोनो ने दोपहर का खाना फार्म के मॅनेजर के साथ ही खाया & उसके बाद वाहा की कॉटेज मे आराम करने चले गये.कॉटेज मे 3 कमरे थे & मॅनेजर ने 2 कमरे सॉफ करवा दिए.उस बेचारे को क्या पता था कि उसने दूसरा कमरा बेकार मे ही ठीक करवाया था!
"यहा तो कुच्छ ऐसा पता नही चला.",ससुर के पहलू मे उसके सीने पे सर रखे रंभा ने उसकी शर्ट के उपर के खुले बटन के अंदर हाथ घुसा के उसके सीने को सहलाया.
"हूँ..अकाउंट्स सब ठीक थे.उस मॅनेजर को समीर ने क्यू हटाया था?",वो रंभा के बालो से खेल रहा था.
"वो चाहता था कि उसका तबादला क्लेवर्त कर दिया जाए.वो वही का रहने वाला था..",रंभा उसके सीने पे दोनो हाथ जमा के उनपे ठुड्डी टीका के ससुर को देखने लगी,"..लेकिन वाहा का फार्म हमारे बाकी फार्म्स से अलग हैं."
"हाँ,वाहा हम ठंडी जगहो मे होने वाली सब्ज़ियाँ & फल & फूल उगते हैं.क्लेवर्त 1 हिल स्टेशन है & वाहा बहुत से बोरडिंग स्चोल्स भी हैं..",विजयंत दाए हाथ कि 1 उंगली से उसका बाया गाल सहला रहा था,"..वही हमारी लगभग 90% पैदावार खप जाती है.उस आदमी को तजुर्बा होगा नही इसीलिए समीर ने उसे वाहा भेजा नही होगा."
"वो यहा के काम मे कोताही बरतने लगा था & समीर की चेतावनियो के बावजूद सुधर नही रहा था इसीलिए समीर ने उसे निकाल दिया.यहा के लोगो की बातो से भी ऐसा नही लगता कि उन्हे समीर का फ़ैसला ग़लत लगा हो.मगर क्या इतनी सी बात के लिए वो समीर को नुकसान पहुँचा सकता है?"
"मैं उपरवाले से मनाता तो हू कि ऐसा नही हुआ हो लेकिन..",वो उठ बैठा,"..सच्चाई ये है रंभा,की लोगो को इस से भी मुख्तसर बातो पे अपनी जान गॅवानी पड़ी है.",रंभा के चेहरे का रंग उड़ गया.दिल के किसी कोने मे 1 डर था की समीर शायद अब इस दुनिया मे हो ही ना लेकिन इस तरह से अपने ससुर के मुँह से इस बात को सुनने का असर ही दूसरा था.समीर से उसे प्यार नही था लेकिन वो उस से नफ़रत भी नही करती थी.वो ससुर की चहेती भी बन गयी थी लेकिन वो जानती थी की मेहरा खानदान मे उसकी इज़्ज़त & पुछ तभी होगी जब समीर ज़िंदा रहेगा.नही तो,उसकी सास & ननद के दबाव मे विजयंत जैसे मज़बूत आदमी को भी उसे पैसे देके घर से अलग करना पड़ सकता था & ये उसे मंज़ूर नही था.उसने तय कर लिया था कि चाहे जो भी हो,अब मेहरा खानदान को उसे भी अपना हिस्सा मानना पड़ेगा & उसे भी वही इज़्ज़त देनी पड़ेगी लेकिन समीर के बिना ये मुमकिन होना मुश्किल ही था.
"चलो,चलें.",विजयंत जूते पहन रहा था.रंभा उठी & शीशे मे देख अपने कपड़े ठीक करने लगी.
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क्रमशः.......
गतान्क से आगे.
उसके नखुनो की चुभन से आहत हो उसने उसके हसीन चेहरे पे हाथ फिराते हुए उसके मुँह मे अपनी ज़ुबान घुसा दी जिसे रंभा ने शिद्दत से चूसा.विजयंत ने कुच्छ देर बाद होंठ अलग किए & वैसे ही लंड उसकी चूत पे घुमाया तो रंभा ने आह भरी.विजयंत के हाथ उसकी चूचियो से लगे तो रंभा ने कंधे दीवार से लगा सीना & आगे कर दिया.विजयंत ने उन्हे दबाया & फिर सीधा खड़ा हो गया.ससुर के जिस्म के नशे मे चूर रंभा दीवार से हटी & उसे बाहो मे भर चूम लिया & फिर उसके होंठो को छ्चोड़ नीचे उसके सीने पे आ गयी & धीरे-2 काटने लगी.
विजयंत ने आँखे बंद कर सर पीछे फेंका & आह भरी & फिर तुरंत रीता को गर्दन घुमा के देखा.बिस्तर उन दोनो से काफ़ी दूर था & शायद यही वजह थी कि वो बीवी की मौजूदगी मे बहू का लुत्फ़ उठाने मे कामयाब हो रहा था.रंभा उसके निपल्स को दांतो से छेड़ने के बाद धीमे-2 काटते हुए नीचे आई & उसकी बालो से ढँकी नाभि मे जीभ फिराई.उस वक़्त विजयंत ने बड़ी मुश्किल से अपने लंड को पिचकारी छ्चोड़ने से रोका.
रंभा नीचे आई & अपने गालो पे उसके प्रेकुं से गीले तगड़े लंड को रगड़ा & फिर अपने मुँह मे भर लिया.विजयंत आँखे बंद कर दीवार पे बाया हाथ टीका के आगे झुकता हुआ खड़ा हो गया & डाए हाथ से रंभा की चिकनी पीठ सहलाने लगा.रंभा की ज़ुबान उसके लंड को पागल किए जा रही थी.काफ़ी देर तक वो लंड & उसके नीचे लटक रहे आंडो को जिनपे से विजयंत ने बाल साफ कर रखे थे,चाटती रही & फिर जब उसने मुँह हटा के हाथ उपर ले जा उसकी छाती के बालो मे फिराए तो विजयंत ने उन्हे पकड़ उसे उपर उठाया & बाहो मे भर चूम लिया.
दीवार से सटी उसकी गर्दन को थामे रंभा ने उसके मुँह को अपनी चूचियो से चिपका लिया तो विजयंत नीचे झुका & उसकी जाँघो को हाथो मे थामते हुए लंड को उसकी चूत मे धकेला.
"आईई..!",रंभा के चेहरे पे दर्द की लकीरें खींची लेकिन वो ससुर से बिल्कुल चिपक गयी.उसके घुटनो के पास से उसकी जाँघो को थाम उसे गोद मे उठा विजयंत उसकी चुदाई करने लगा.रंभा को अब कुच्छ होश नही था.ससुर का तगड़ा लंड उसे वही बेजोड़ जिस्मानी मज़ा दे रहा था जिसकी उसे हमेशा ख्वाहिश रहती थी.विजयंत ने दाया हाथ जाँघ से हटाया & उसकी गंद की बाई फाँक को दबोच लिया & उच्छल-2 के उसे चोदने लगा.रंभा ऐसे कभी नही चुदी थी.उसने शादी के पहले ही जिस्मानी रिश्ते कायम किए थे 1 मर्द के साथ.उसके बाद और मर्द आए,1 साथ 2 मर्दो से भी चुदी लेकिन इस तरह से 1 ही मर्द के साथ उसकी सोती बीवी की मौजूदगी मे उसकी गोद मे खड़े होके चुदाई करना!..इसने तो उसे रोमांच से भर दिया था.
विजयंत का दिल उसके सीने की लुभावनी गोलाईयो को चूमने का हुआ & वॉसर नीचे झुकने लगा लेकिन रंभा को थामे रहने के लिए उसे आगे की ओर झुकना पड़ा.रंभा पीछे झुक गयी थी & विजयंत उसकी चूचियाँ चूस्ते हुए,उसे थामे चोद रहा था.विजयंत को कोई तकलीफ़ होती नही दिख रही थी.रंभा तो उसकी मर्दानगी की मुरीद हो गयी!समीर की गुमशुदगी मे उसका हाथ हो या ना हो लेकिन वो जिस्मो के खेल का कमाल का खिलाड़ी था!
उसे उसी तरह झूलते हुए उसने तब तक चोदा जब तक उसकी चूत ने उसके लंड को जाकड़,सिकुड़ते-फैलते हुए उसके झड़ने का एलन ना कर दिया.विजयंत उसे गोद मे उठाए घुमा & अपने बिस्तर के पास चला गया.विजयंत ने जिस्मो का खेल ना जाने कितनी औरतों के साथ,कितने तरीके से खेला था लेकिन इस तरह से बीवी की मौजूदगी मे किसी और को-वो भी अपनी बहू को चोदना,उसके लिए भी बिल्कुल अनूठा तजुर्बा था!
"उधर कहा जा रहे हैं,डॅडी?",रंभा ससुर से चिपटि उसके गले बाहे कसे,उसके बाए कान मे फुसफुसाई.विजयंत ने कुच्छ जवाब नही दिया & पलंग के उस तरफ आ गया जिधर रीता सो रही थी.रीता करवट पे थी & उसकी नंगी पीठ उनकी तरफ थी.विजयंत ने वही पलंग के बगल मे फर्श पे बिछे गाळीचे पे अपनी बहू को बिना उसकी चूत से लंड निकाले लिटाया & घुटनो पे बैठ उसकी कमर को थाम उसकी गंद को गाळीचे से उठा धक्के लगाने लगा.रंभा कालीन के धागो को नोचती सर दाए-बाए झटकते हुए मस्ती मे झूमने लगी.उसकी निगाह जब उपर पलंग पे सो रही अपनी सास पे पड़ती तो वो & रोमांच से भर उठती.
विजयंत उसके पेट को दबाते हुए & उसकी चूचियो को मसल्ते तब तक उसे चोद्ता रहा जब तक उसने कमर उचकानी नही शुरू कर दी.रंभा ने पीछे सर के उपर गाळीचे पे हाथ टीका के ज़ोरोसे कमर उचकानी शुरू कर दी थी & उसका चेहरा मस्ती की शिद्दत से बिल्कुल सख़्त सा दिख रहा था.विजयंत ने फ़ौरन टाँगे फैलाते हुए उसकी चूत को नीचे गाळीचे पे दबाया & हाथ आगे गाळीचे पे टिका उसके उपर झुक के धक्के लगाने लगा.रंभा की चूत ने फिर से उसके लंड पे अपनी जानी-पहचानी हरकत शुरू कर दी थी.विजयंत उसके उपर लेट गया तो रंभा ने अपनी टाँगे उसकी जाँघो के पिच्छले हिस्सो पे फँसा दी.
विजयंत ज़ोरदार धक्के लगा रहा था & रंभा की कोख पे चोट पे चोट किए जा रहा था.रंभा के लिए अब आहें रोकना नामुमकिन था.जिस्म मे ऐसा मज़ा पैदा हो & उसका इज़हार ना कर पाए,अब हर रोज़ तो ये करना उसके लिए मुश्किल था.विजयंत ने फ़ौरन बिस्तर के किनारे से 1 कुशन खींचा & उसके मुँह पे रख दिया.दोनो अभी भी बीच-2 मे रीता को देख रहे थे जोकि सो रही थी.
रंभा ने कुशन को मुँह पे दबा लिया & आहो का शोर उसमे दफ़्न करने लगी.विजयंत उसके उपर लेट गया था & उसका बालो भरा सीना उसकी चूचियो को पीस रहा था.कुच्छ धक्को के बाद जब उसने महसूस किया कि अब रंभा बहुत शिद्दत के साथ कमर हिला रही है & आहें कुशन के बाब्जूद बाहर आ सकती हैं तो उसने कुच्छ तेज़ धक्के & लगाए & उसकी चूत की कसक को शांत किया.रंभा झड़ी & कुशन मुँह से हटा के फेंका & उचकते हुए अपने ससुर की गर्दन पकड़ के उसके दाए कंधे मे मुँह घुसा के अपना दाँत गढ़ा दिए.विजयंत को उसकी इस हरकत से दर्द हुआ पर साथ ही मज़ा भी आया & उसने उसकी चूत मे अपना रस छ्चोड़ दिया.दोनो 1 दूसरे से लिपटे साथ झाड़ते रहे.
कुच्छ देर बाद जब तूफान पूरी तरह से थम गया तो विजयंत ने अपनी बहू को गोद मे उठाया & उसके कमरे मे ले गया & उसके बिस्तर पे बाहो मे भरके तब तक लेटा रहा,जब तक की वो नींद के आगोश मे नही चली गयी.
विजयंत मेहरा ने रंभा के साथ समीर की तलाश शुरू कर दी थी.डेवाले मे 1 रात बिता दोनो अगली सुबह पंचमहल पहुँचे.जब तक रंभा ने अपना समान पॅक किया विजयंत ने समीर के दफ़तर का जायज़ा लिया.मीडीया वालो के लिए इस खबर मे अब वो मज़ा नही रहा था क्यूकी पहले दिन से लेके अभी तक मे कुच्छ मसालेदार नही घटा था लेकिन फिर भी आख़िर बात इतने बड़े आदमी के बेटे के लापता होने की थी.वो रंभा या विजयंत से बात करने की फिराक़ मे लगे ही रहते थे.
रंभा ने अपना समान पॅक किया & अपनी कार मे डलवाया & सीधा होटेल वाय्लेट पहुँची.विजयंत अपनी प्राडो मे पहले से ही उसका इंतेज़ार कर रहा था.रंभा उसकी कार मे बैठी & दोनो निकल पड़े.
पोलीस अपना काम मुस्तैदी से कर रही थी.1 हाइ-प्रोफाइल केस मे कुच्छ गड़बड़ी ना हो जाए इसलिए वो पूरी सावधानी बरत रहे थे.विजयंत ने 1 बार भी पंचमहल पोलीस महकमे पे अपने रसुख का इस्तेमाल कर कोई दबाव नही डाला था.उसकी पहुँच कितनी उपर तक थी ये सभी जानते थे & इस बात को जताने की उसे कोई ज़रूरत नही थी.उसने पंचमहल के पोलीस कमिशनर से बस 1 बार मुलाकात की थी.उपर से राज्य का होम मिनिस्टर,सीएम यहा तक की सेंट्रल गवर्नमेंट के मंत्रियो,जिनमे से किसी से विजयंत ने 1 बार भी इस सिलिसिले मे बात नही की थी,खुद ही पोलीस से लगभग हर रोज़ केस के बारे मे पुच्छ रहे थे.
विजयंत बेटे के लिए कोई शोर नही मचा रहा था इसका मतलब ये नही था कि वो कुच्छ सोच नही रहा था.उसने इरादा पक्का कर लिया था कि अगर उसके बेटे को कोई तकलीफ़ पहुँचा रहा है तो वो उसे अपने हाथो से सज़ा देगा.
रंभा ने कार चलाते अपने ससुर को देखा.उसने आसमानी रंग की चेक की कमीज़ & काली जीन्स पहनी थी & इस वक़्त अपनी उम्र से बहुत ही ज़्यादा कम दिख रहा था.रंभा ने सफेद शर्ट & गहरी नीली जीन्स पहनी थी & उसके जिस्म के सारे कटाव बड़े क़ातिलाना अंदाज़ मे उभर रहे थे.रंभा ने अपने काले चश्मे के पार अपने ससुर को देखा & दाए हाथ को उसकी दाढ़ी पे फिराया & मुस्कुराइ.विजयंत मुस्कुराया & उसका हाथ चूम लिया.वो जानबूझ के रंभा को अपने साथ इस सफ़र पे लाया था ताकि वो हर पल उसपे नज़र रख सके.2 रातो की ज़बरदस्त चुदाई का मतलब ये नही था कि उसकी बहू उसके शक़ के दायरे से बाहर चली गयी थी.
कार पंचमहल से 50किमी की दूरी पे बने पहले मेहरा फार्म के गेट मे दाखिल हुई.विजयंत ने अपने आने की खबर नही दी थी & वाहा का स्टाफ उसे देख चौंक गया & वाहा अफ़रा-तफ़री मच गयी.विजयंत रंभा के साथ मॅनेजर के कॅबिन मे बैठ गया,"सर,समीर सर के बारे मे सुन हम सब भी बहुत परेशान हैं."
"जी,मिस्टर.नाथ.आप बुरा ना माने तो मैं ज़रा पिच्छले 6 महीने के अकाउंट्स & रेकॉर्ड्स देखना चाहूँगा."
"ज़रूर सर.आप यहा मेरी चेर पे बैठिए,कंप्यूटर ऑपरेट करने मे आसानी होगी.",
"ठीक है लेकिन मैं हार्ड कॉपीस भी देखना चाहूँगा.",विजयंत उसकी कुर्सी पे आके बैठ गया & कंप्यूटर खुलने पे फाइल्स देखने लगा.
"ओके,सर.मैं अभी सारी फाइल्स मँगवाता हू.",मॅनेजर कॅबिन से बाहर गया तो उसके पीछे रंभा भी बाहर आ गयी.उसे देखने से ऐसा लग रहा था कि वो ऊब रही है लेकिन हक़ीक़त ये थी कि वो मॅनेजर & बाकी स्टाफ की 1-1 हरकत देख रही थी.
विजयंत का मानना था कि समीर की गुमशुदगी मे अगर ब्रिज कोठारी का हाथ नही था तो हो सकता है अग्री बिज़्नेस की किसी गड़बड़ी का पता चलना समीर की गुमशुदगी का सबब बना हो.वो किसी भी सिरे को बिना जाँचे छ्चोड़ना नही चाहता था.2 घंटे तक सर खपाने के बावजूद उसे वाहा के काम-काज कोई ऐसी गड़बड़ी नज़र नही आई.
रंभा फार्म घूम वाहा के लोगो से बातचीत के दौरान ये पता लगती रही की वाहा के पुराने मॅनेजर को हटाने की वजह क्या थी लेकिन उसे भी कोई ऐसी बात नही पता चली जिस से की किसी पे कोई शक़ जाता.दोनो ने दोपहर का खाना फार्म के मॅनेजर के साथ ही खाया & उसके बाद वाहा की कॉटेज मे आराम करने चले गये.कॉटेज मे 3 कमरे थे & मॅनेजर ने 2 कमरे सॉफ करवा दिए.उस बेचारे को क्या पता था कि उसने दूसरा कमरा बेकार मे ही ठीक करवाया था!
"यहा तो कुच्छ ऐसा पता नही चला.",ससुर के पहलू मे उसके सीने पे सर रखे रंभा ने उसकी शर्ट के उपर के खुले बटन के अंदर हाथ घुसा के उसके सीने को सहलाया.
"हूँ..अकाउंट्स सब ठीक थे.उस मॅनेजर को समीर ने क्यू हटाया था?",वो रंभा के बालो से खेल रहा था.
"वो चाहता था कि उसका तबादला क्लेवर्त कर दिया जाए.वो वही का रहने वाला था..",रंभा उसके सीने पे दोनो हाथ जमा के उनपे ठुड्डी टीका के ससुर को देखने लगी,"..लेकिन वाहा का फार्म हमारे बाकी फार्म्स से अलग हैं."
"हाँ,वाहा हम ठंडी जगहो मे होने वाली सब्ज़ियाँ & फल & फूल उगते हैं.क्लेवर्त 1 हिल स्टेशन है & वाहा बहुत से बोरडिंग स्चोल्स भी हैं..",विजयंत दाए हाथ कि 1 उंगली से उसका बाया गाल सहला रहा था,"..वही हमारी लगभग 90% पैदावार खप जाती है.उस आदमी को तजुर्बा होगा नही इसीलिए समीर ने उसे वाहा भेजा नही होगा."
"वो यहा के काम मे कोताही बरतने लगा था & समीर की चेतावनियो के बावजूद सुधर नही रहा था इसीलिए समीर ने उसे निकाल दिया.यहा के लोगो की बातो से भी ऐसा नही लगता कि उन्हे समीर का फ़ैसला ग़लत लगा हो.मगर क्या इतनी सी बात के लिए वो समीर को नुकसान पहुँचा सकता है?"
"मैं उपरवाले से मनाता तो हू कि ऐसा नही हुआ हो लेकिन..",वो उठ बैठा,"..सच्चाई ये है रंभा,की लोगो को इस से भी मुख्तसर बातो पे अपनी जान गॅवानी पड़ी है.",रंभा के चेहरे का रंग उड़ गया.दिल के किसी कोने मे 1 डर था की समीर शायद अब इस दुनिया मे हो ही ना लेकिन इस तरह से अपने ससुर के मुँह से इस बात को सुनने का असर ही दूसरा था.समीर से उसे प्यार नही था लेकिन वो उस से नफ़रत भी नही करती थी.वो ससुर की चहेती भी बन गयी थी लेकिन वो जानती थी की मेहरा खानदान मे उसकी इज़्ज़त & पुछ तभी होगी जब समीर ज़िंदा रहेगा.नही तो,उसकी सास & ननद के दबाव मे विजयंत जैसे मज़बूत आदमी को भी उसे पैसे देके घर से अलग करना पड़ सकता था & ये उसे मंज़ूर नही था.उसने तय कर लिया था कि चाहे जो भी हो,अब मेहरा खानदान को उसे भी अपना हिस्सा मानना पड़ेगा & उसे भी वही इज़्ज़त देनी पड़ेगी लेकिन समीर के बिना ये मुमकिन होना मुश्किल ही था.
"चलो,चलें.",विजयंत जूते पहन रहा था.रंभा उठी & शीशे मे देख अपने कपड़े ठीक करने लगी.
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क्रमशः.......