hotaks444
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छवि और सोनाली की चुदाई
छवि और सोनाली दोनों चुपचाप मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई, दोनों बारी बारी से मुझको किस और आलिंगन करने में लगी रही, छवि ने मेरे लंड पर कब्ज़ा जमाया हुआ था और सोनू मुझको चूमने में लगी थी।
फिर कम्मो ने उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खींचा और कहा- लड़कियो ज़रा रुको तो सही। आपके लिए सारी रात पड़ी है, ज़रा मेरी तरफ ध्यान दो।
यह कह कर कम्मो उन दोनों को कमरे की एक तरफ ले गई।
थोड़ी देर उनमें कानाफूसी हुई और फिर कम्मो मेरे पास आई और बोली- सब ठीक है। दोनों खुली हुई हैं, आपको मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
छवि और सोनू दोनों अपने चोगे उतारने लगी और मैं भी अपना पजामा कुरता उतारने लगा।
जब कपड़े उतार दिए गए तो हम तीनों एक दूसरे को बड़े ध्यान से देखने लगे। छवि, जैसा मेरा अंदाजा था, कुछ मोटापा लिए हुए थी और सोनू स्लिम थी।
दोनों का रंग साफ़ था और दोनों एक दूसरे की पक्की सहेलियाँ थी। छवि के मम्मे उसके जिस्म की शान थे वो बहुत ही सॉलिड और मोटे थे, निप्पल भी अभी एकदम अकड़े हुए थे।
उसके चूतड़ भी गोल और मोटे थे, पेट एकदम अंदर था जो अक्सर मोटी लड़कियों के साथ नहीं होता, उसकी चूत काले बालों से भरी हुई थी।
सोनू छवि से पूर्णतया भिन्न थी, वो स्लिम थी लेकिन उसके उरोज छोटे और गोल थे और चूतड़ भी गोल पर छोटे थे, चूत पर भी पर्याप्त बाल थे।
दिखने में दोनों ही सुन्दर थी लेकिन सोनू ज़्यादा सुन्दर थी और छवि ज़्यादा सेक्सी थी।
मेरा खड़ा लंड दोनों को सलामी दे रहा था।
सोनू जल्दी से नीचे झुकी और उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया। इससे पहले मैं कुछ बोलूं, छवि ने भी मेरे छाती के निप्पल को चूसना शुरू कर दिया।
मैं हैरान होकर कम्मो को देख रहा था और वो भी हैरान थी यह सब देख कर! तब सोनू मुझको धकेलती हुई पलंग की तरफ ले गई और मुझको वहाँ लिटा दिया।
जल्दी से सोनू मेरे ऊपर आकर बैठ गई और छवि भी जल्दी से मेरी दूसरी साइड में आ कर जम गई। मैं उन दोनों की फुर्ती देख कर दंग रह गया।
सोनू ने जल्दी से अपनी गीली चूत में मेरा लंड डाला और वो जल्दी से ऊपर नीचे होने लगी। उसकी आँखें बंद थी और वो बड़ी तन्मयता से मुझको चोद रही थी। मैंने उसके हिलते हुए मम्मों को चूसना शुरू किया क्योंकि वो दोनों ही मेरे मुंह के ऊपर थे।
उधर छवि भी एक हाथ से चूत में ऊँगली चला रही थी और दूसरे से मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी। उसने अपने मोटे और सॉलिड मम्मों को मेरी साइड में जोड़ रखा था।
मैंने कम्मो की तरफ देखा और उसने आँखों से ही कहा कि मैं पासा पलट दूँ।
मैं इंतज़ार करता रहा, जैसे ही सोनू कुछ धीमी पड़ी, मैंने उसको किस करने के बहाने उसका मुंह अपने मुंह के साथ जोड़ा, तभी मैंने उसको उल्टा दिया और उसको अपने नीचे ले लिया।
यह सारा काम मैंने लंड को बाहर निकाले बगैर कर दिया और अब मैं उसके ऊपर चढ़ा बैठा था, उसकी जांघों को चौड़ा कर के लंड पूरा का पूरा अंदर डाल दिया और फिर जो मैंने धक्काशाही शुरू की और ज़ोर से लंड को डालना और निकालना शुरू किया तो सोनू को सांस लेना भी मुश्किल हो गया।
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ थी कि छवि, जिसने अपना हाथ मेरे चूतड़ों पर रखा हुआ था, वो लंड की तेज़ी बर्दाश्त नहीं कर सकी और अपना हाथ फ़ौरन हटा लिया।
कम्मो भी मेरी स्पीड देख कर हैरान थी लेकिन वो मुझको और भी उकसा रही थी। मेरा और कम्मो का मकसद था कि सोनू को बुरी तरह हराना।
अब सोनू ने अपनी जांघों का बंद करना शुरू कर दिया लेकिन मैंने अपनी टांगों को और भी फैला दी ताकि सोनू अपनी टांगों को बंद न कर सके।
थोड़ी देर में सोनू ने चिल्लाना शुरू कर दिया- बस करो… बस करो!
मैंने बदस्तूर धक्के जारी रखते हुए कहा- अपनी हार मानो, तभी बंद होगी तुम्हारी चूत की धुनाई।
सोनू ने हाथ जोड़ दिए और कहा- मैं हारी तुम जीते।
तब मैंने एक फाइनल धक्का मारा और सोनू के ऊपर से उतर गया।
सोनू हांफ़ती हुई लेटी रही।
मैंने अपने लंड को देखा, उस पर एक मोटी झाग की परत जमी हुई थी।
!
कम्मो ने फ़ौरन आकर तौलिये से मेरा मुंह जो पसीने से तर बतर हो गया था, पौंछा और सोनू का भी मुंह साफ़ किया।
छवि यह सारा नज़ारा देख रही थी, बोली- वाह सोमू, तुमने तो सोनू को पूरी तरह से हरा दिया। उसकी चूत का सारा पानी निकाल दिया। अब वो कम से कम 10 दिन तक चुदवाने का नाम नहीं लेगी।
कम्मो मुस्करा रही थी और छवि मेरे लौड़े को विस्मय से देख रही थी।
तब कम्मो ने चादर की ओर इशारा करके कहा- देखो तो सही, सोनू का कितना पानी छूटा है यारो, वो कम से कम 5 बार छूटी होगी।
तभी सोनू ने आँखें खोली- मेरा 7 बार छूटा है।
कम्मो और और छवि के मुंह आश्चर्य से खुले के खुले ही रह गए।
छवि ने फिर मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और उसको ध्यान से देखा।
तब तक मैंने आगे बढ़ कर छवि के मोटे मम्मों को दोनों हाथों में ले लिया, बड़े ही सॉलिड थे। वो उठी और अपना एक मम्मा मेरे मुंह पर रख दिया और मैं एक छोटे बच्चे के समान उसके काले मोटे निप्पल को चूसने लगा।एक को चूसने के बाद छवि ने अपना दूसरा मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया।
अब मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो पूरी तरह से गीली हो रही थी। मैंने उसके होटों पर एक गर्म चुम्बन किया और उसको घोड़ी बनने का इशारा किया।
वो झट से घोड़ी बन कर मेरे सामने आ गई और मैंने अपना साफ़ किया हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया, धीरे धीरे उसको इंच दर इंच अंदर डाल दिया।
उसकी गांड और चूतड़ बड़े ही सेक्सी थे, मैं उनको हल्के हल्के थपकी मारते हुए छवि को चोदने लगा।
छवि भी हर धक्के का जवाब दे रही थी और क्योंकि वो सोनू की ज़ोरदार चुदाई देख चुकी थी तो वो बहुत ही गर्म हो रही थी।
मुश्किल से दस धक्कों में वो झड़ गई।
उसकी चूत में से निकलते गर्म पानी को मैंने महसूस किया।
अब मैंने पोजीशन फिर चेंज की, पलंग के किनारे बैठ गया और छवि को अपनी गोद में बैठा लिया और अपने हाथ उसकी मोटी गांड के नीचे रख दिए और उसको चूतड़ों से पकड़ कर आगे पीछे करने लगा।
छवि को इस स्टाइल से बड़ा मज़ा आ रहा था, वो लगातार मुझको होटों पर चूम रही थी, उसके सॉलिड मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे और उसकी बाहें मेरी गर्दन से लिपटी हुई थी।
9-10 गहरे धक्के मारने के बाद छवि फिर कांपते हुए जिस्म के साथ मुझसे चिपक गई थी और अपने होटों को मुझ से चिपका दिया।
बड़ी देर वो मुझ से यूँ ही चिपकी रही और फिर एक हॉट किस करके बिस्तर में लेट गई। उसने हाथ से अपनी चूत को छुआ यह देखने के लिए कि मेरा वीर्य छूटा या नहीं।
जब उसको चूत में सिवाए अपनी चूत के पानी के अलावा कुछ नहीं दिखा तो वो फिर हैरान हो गई।
उधर सोनू ने आँखें खोली और छवि से पूछा- तेरा हो गया क्या?
छवि ने हाँ में सर हिला दिया।
तब दोनों उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। कम्मो ने शरारत के तौर से पूछा- क्यों सोनाली और छवि, आप दोनों का काम हो गया क्या?
जब दोनों ने हाँ में सर हिला दिया तो कम्मो ने उनको मेरा खड़ा लंड दिखा दिया और कहा- छोटे मालिक में अभी 5-6 बार और चोदने की ताकत है, अगर चाहो तो चुदवा लो अभी और अगर इच्छा है तो!
दोनों ने कहा- नहीं कम्मो आंटी, हम दोनों में चुदाई की अब और ताकत नहीं है।
कम्मो बोली- ठीक है, मैं तुम दोनों को आपके कमरे में छोड़ आती हूँ।
दोनों ने जाने से पहले मुझको एक एक गहरी किस की होटों पर और मैंने भी उनके मम्मों और चूतड़ों पर खूब हाथ फेरा।
जाने से पहले कम्मो बोली- छोटे मालिक, इन दोनों में से कौन चुदाई की माहिर लगी आपको?
मैंने कुछ सोचने के बाद कहा- छवि नंबर एक पर और सोनाली नंबर दो पर लेकिन दोनों चुदाई में बहुत ही एक्सपर्ट हैं। लगता है कि दोनों को चुदाई का काफी ज्ञान है।
छवि बहुत खुश हुई और वो बोली- सोमू धन्यवाद, आगे कब चुदाई का प्रोग्राम बना सकती हैं हम?
मैं बोला- कम्मो आंटी मेरी निजी सेक्रेटरी है, तुम जब चाहो कम्मो आंटी से फ़ोन पर बात कर के प्रोग्राम बना सकती हो।
फिर दोनों ने मुझको विदाई किस की और अपने कमरे में चली गई।
जब कम्मो उनको छोड़ कर वापस आई तो मैंने उसको बाँहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसके होटों को चूमना चुरू कर दिया।
वो बोली- क्या हुआ छोटे मालिक, आज मुझ पर बड़ा प्यार आ रहा है, क्या कारण है जी?
मैं भाव विभोर होकर बोला- कम्मो तुम न होती तो मुझको ये कुंवारी और नई लड़कियां कहाँ से मिलती? आओ अब तुमको खुश करने की बारी है।
कम्मो बोली- सच छोटे मालिक? मैं तो सोच बैठी थी कि आप इन नई छोकरियों के सामने मुझ बूढ़ी को कहाँ पसंद करोगे?
मैं बोला- कम्मो डार्लिंग, यह कैसे हो सकता है, तुम तो मेरी आँख का तारा हो, मेरी काम शक्ति हो, मेरी काम विद्या की गुरु हो। चलो आओ, एक एक हाथ हम दोनों का भी हो जाए?
कम्मो शर्माती हुई आई मेरे पास।
मैं तो नंगा खड़ा ही था, उसने भी झट से पेटीकोट ब्लाउज उतार दिया और वो फ़ौरन घोड़ी बन गई और मैंने उसकी गीली चूत में अपना खड़ा लंड डाला।
क्योंकि उसके सामने ही सोनू और छवि की हॉट चुदाई हुई थी तो वो भी ज़रूरत से ज़्यादा गरम हो चुकी थी, तो कुछ धक्कों के बाद उसने पानी छोड़ दिया।
मैं नीचे लेट गया और उसको बोला कि वो मुझको ऊपर से चोद ले जब तक उस का जी चाहे और जब तक वो चोद सकती है लेकिन मेरा ज़रूर छूटा दे।
कम्मो कॅाफ़ी देर चोदती रही मुझको और जब उसका मन भर गया तो उसने मुझको कुछ इस तरीके से चोदा कि मेरा फव्वारा छूट गया।
फिर हम एक दूसरे के बाहों में ही सो गए।
[size=large]कम्मो और पारो की गांड मारी
[/size]
कम्मो काफ़ी देर चोदती रही मुझको… और जब उस का मन भर गया तो उसने मुझको कुछ इस तरीके से चोदा कि मेरा फव्वारा छूट गया।
फिर हम एक दूसरे के बाहों में ही सो गए।
अगले दिन सोनू, छवि और उनकी सहेलियाँ अपने घर चली गई। कॉलेज से वापस आने पर कम्मो ने बताया कि गाँव से फ़ोन पर निर्मल से बात हुई थी, वो कह रही है कि फुलवा के घर में भी लड़का हुआ है। बधाई हो आपको बहुत सी, फिर पिता बन गए आप!
यह कहते हुए वो मुझको चिड़ा रही थी।
मैं बोला- चलो अच्छा हुआ, उसको भी बच्चे की आवश्यकता थी।
अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुंचा तो मेरे एक खास मित्र ने सूचना दी कि कालेज की ड्रामा क्लब अपने मेंबर्स को 3 दिन के ट्रिप पर ले जा रही है, यह ट्रिप नैनीताल इत्यादि सुन्दर स्थलों की सैर करवाएगा, प्रत्येक छात्र और छात्रा को 100 रूपए देने होंगे।
सारे छात्र कालेज द्वारा एक बस में ले जाए जाएंगे, खाने-पीने और रहने का बंदोबस्त भी कालेज ही करेगा, जो जाना चाहेंगे उनको नाम जल्दी लिखवाना पड़ेगा और पैसे भी शीघ्र ही देने होंगे।
शाम को घर आकर मैंने गाँव फ़ोन किया और पूछा तो मम्मी बोली- ज़रूर जाओ और पैसे की ज़रूरत हो तो फ़ोन कर देना, मैं बैंक में डलवा दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
अगले दिन मैंने अपना नाम लिखवा दिया और पैसे भी दे दिए, कम्मो ने मेरे जाने की तैयारी भी शुरू कर दी।
उस रात मैंने कम्मो और पारो को खूब चोदा। पारो बेचारी कुछ कम चुदी थी तो उसकी चुदाई पर ख़ास ध्यान दिया।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, क्या आपका दिल कभी गांड चोदने का नहीं करता?
मैं बोला- गांड चोदने के बारे में कभी सोचा नहीं। क्यों तुम्हारा दिल है गांड मरवाने का?
कम्मो बोली- मैंने भी कभी गांड मरवाई नहीं न, तो कभी कभी इच्छा करती है कि गांड चुदाई का भी मज़ा लेना चाहये न! क्यों पारो, तुम्हारा दिल नहीं करता क्या?
पारो बोली- करता तो है लेकिन फिर मन में भय आ जाता है कि कहीं दर्द न हो बहुत?
कम्मो बोली- देखो पारो, जब तक करके नहीं देखते, तब तक कुछ भी डर नहीं, चलो छोटे मालिक।
मैं भी तयार हो गया।
कम्मो उठी और नंगी ही रसोई में चली गई और देसी घी थोड़ा सा कटोरी में ले आई। फिर उसने अपनी और पारो की गांड के ऊपर और अंदर देसी घी काफी सारा लगा दिया और कुछ देसी घी उसने मेरे लौड़े पर भी लगा दिया।
अब हम तीनों का बदन देसी घी से महक रहा था।
पहले बिस्तर पर कम्मो घोड़ी बनी और पारो मेरे और कम्मो के बीच में मदद करने के लिए बैठ गई।
मैं जैसे ही अपने खड़े लंड का निशाना साधने लगा, पारो ने घी से चुपड़ी कम्मो की गांड पर मेरा लौड़ा रख दिया, फिर वो बोली- धीरे से लंड का मुंह अंदर जाने दो।
मैंने भी हल्का सा धक्का मारा और लंड का थोड़ा सा हिस्सा गांड के अंदर चल गया।
कम्मो थोड़ी से बिदकी लेकिन फिर संयत होकर शांत होकर घोड़ी बनी रही।
!
पारो ने मुझको और धक्का मारने का सिगनल दिया और मैंने ज़रा और लंड अंदर धकेल दिया। मुझको ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड एक बड़ी टाइट पाइप के अंदर जा रहा था।
इस तरह धीरे धीरे कम्मो की गांड में मेरा सारा लौड़ा समा गया। लंड की जो हालत थी वो ब्यान नहीं की जा सकती क्योंकि गांड की बहुत ज्यादा पकड़ होती है और लंड बेचारा यह महसूस कर रहा था जैसे उसको एक बहुत ही तंग जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया।
फिर भी मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये।
पारो लगातार कम्मो को देख रही थी और जब उसने देखा कि कम्मो को मज़ा आने लगा है तो उसने मुझको इशारा किया और मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी।
अब मैंने महसूस किया कि मेरे लंड को कम्मो की गांड, जैसे गाय का दूध दोहते है, वैसे खुल और बंद हो रही थी, इस कारण मुझको बहुत ही आनन्द आ रहा था और मैं थोड़े समय में ही एक ज़ोरदार धक्के के बाद छूट गया।
लेकिन मैंने लंड को निकाला नहीं और उसको वैसे ही सख्त हालत में गांड के अंदर ही पड़ा रहने दिया।
इधर पारो कम्मो की चूत को और उसके भग को मसल रहे थी जिससे कम्मो का मज़ा बहुत अधिक बढ़ गया था, वो अब गांड को खुद ही आगे पीछे करने लगी और मैंने अपने धक्के रोक दिए और कम्मो की गांड चुदाई का आनन्द लेने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि कम्मो की गांड एक बार फिर खुल बंद हो रही है।
मैंने उससे पूछा- क्यों कम्मो, एक बार और छूटा तेरा?
उसने हाँ में सर हिला दिया।
तब मैंने कहा- और चोदूँ या फिर बस?
कम्मो बोली- बस छोटे मालिक, बहुत हो गया।
मैं फ़ौरन घोड़ी से नीचे उतर गया।
तब पारो कम्मो की तौलिये से सफाई करने लगी। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैंने पारो को इशारा किया कि आ जाओ मैदान में!
वो कुछ हिचकचा रही थी। यह देख कर मैंने कहा- पारो, अगर नहीं इच्छा, तो रहने दो, फिर कभी सही!
पारो बोली- नहीं छोटे मालिक, ऐसी बात नहीं है। मैं सोच रही थी कि आप थोड़ा आराम कर लेते तो ठीक होता न!
मैं बोला- नहीं नहीं, मैं बिल्कुल नहीं थका हूँ। अगर गांड मरवाने की इच्छा है तो आ जाओ। नहीं तो मैं तुम्हारी चूत ही ले लेता हूँ। बोलो जल्दी?
पारो बोली- आ जाओ छोटे मालिक, आज गांड मरवाई का भी मज़ा ले लेती हूँ।
कम्मो उठी और उसने फिर से देसी घी मेरे लंड पर लगा दिया और कॅाफ़ी सारा पारो की गांड में डाल दिया।
पारो बिस्तर में घोड़ी बन गई तो मैं उसके पीछे खड़ा हुआ और कम्मो ने मेरा लंड पारो की गांड पर रख दिया और बोली- मारो धक्का हल्का सा!
मैंने भी हल्का सा धक्का मारा और लंड बहुत सा अंदर चला गया, पारो ज़रा भी नहीं हिली और जल्दी ही पूरा लंड अंदर ले गई।
पारो की गांड मुझको कुछ कम टाइट लगी।
फिर मैंने लंड की स्पीड धीरे धीरे तेज़ कर दी।
थोड़ी देर बाद मुझको लगा कि पारो को गांड में बड़ा मज़ा आ रहा है, वो बाकायदा लंड का जवाब हर बार गांड को को मेरे लंड की जड़ तक लाकर देती थी।
अब मैंने तेज़ी से उसकी गांड में अपना लंड पेलना शुरू कर दिया और मुझको लगा कि उसकी चूत से भी पानी टपकना शुरू हो रहा है।
हाथ लगाया तो वाकयी उसकी चूत से बड़ा ही गाढ़ा रस निकल रहा था।
मैंने उसकी भग को रगड़ना शुरू कर दिया और ऊपर से गांड में धक्के भी तेज़ कर दिए थे।
कोई 10-12 धक्के इसी तरह ज़ोर से मारे तो पारो का शरीर काम्पने लगा और उसकी गांड अंदर से बंद और खुलना शुरू हो गई।
पारो हल्के से बोली- बस करो छोटे मालिक, मेरा पानी दो बार छूट चुका है गांड मरवाते हुए… उफ़्फ़, बड़ी ही मज़ेदार चुदाई है गांड की भी, मज़ा आ गया कम्मो।
मैं फिर दोनों के बीच में लेटा था।
[size=large]और इस तरह हम तीनों नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।
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छवि और सोनाली दोनों चुपचाप मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई, दोनों बारी बारी से मुझको किस और आलिंगन करने में लगी रही, छवि ने मेरे लंड पर कब्ज़ा जमाया हुआ था और सोनू मुझको चूमने में लगी थी।
फिर कम्मो ने उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खींचा और कहा- लड़कियो ज़रा रुको तो सही। आपके लिए सारी रात पड़ी है, ज़रा मेरी तरफ ध्यान दो।
यह कह कर कम्मो उन दोनों को कमरे की एक तरफ ले गई।
थोड़ी देर उनमें कानाफूसी हुई और फिर कम्मो मेरे पास आई और बोली- सब ठीक है। दोनों खुली हुई हैं, आपको मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
छवि और सोनू दोनों अपने चोगे उतारने लगी और मैं भी अपना पजामा कुरता उतारने लगा।
जब कपड़े उतार दिए गए तो हम तीनों एक दूसरे को बड़े ध्यान से देखने लगे। छवि, जैसा मेरा अंदाजा था, कुछ मोटापा लिए हुए थी और सोनू स्लिम थी।
दोनों का रंग साफ़ था और दोनों एक दूसरे की पक्की सहेलियाँ थी। छवि के मम्मे उसके जिस्म की शान थे वो बहुत ही सॉलिड और मोटे थे, निप्पल भी अभी एकदम अकड़े हुए थे।
उसके चूतड़ भी गोल और मोटे थे, पेट एकदम अंदर था जो अक्सर मोटी लड़कियों के साथ नहीं होता, उसकी चूत काले बालों से भरी हुई थी।
सोनू छवि से पूर्णतया भिन्न थी, वो स्लिम थी लेकिन उसके उरोज छोटे और गोल थे और चूतड़ भी गोल पर छोटे थे, चूत पर भी पर्याप्त बाल थे।
दिखने में दोनों ही सुन्दर थी लेकिन सोनू ज़्यादा सुन्दर थी और छवि ज़्यादा सेक्सी थी।
मेरा खड़ा लंड दोनों को सलामी दे रहा था।
सोनू जल्दी से नीचे झुकी और उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया। इससे पहले मैं कुछ बोलूं, छवि ने भी मेरे छाती के निप्पल को चूसना शुरू कर दिया।
मैं हैरान होकर कम्मो को देख रहा था और वो भी हैरान थी यह सब देख कर! तब सोनू मुझको धकेलती हुई पलंग की तरफ ले गई और मुझको वहाँ लिटा दिया।
जल्दी से सोनू मेरे ऊपर आकर बैठ गई और छवि भी जल्दी से मेरी दूसरी साइड में आ कर जम गई। मैं उन दोनों की फुर्ती देख कर दंग रह गया।
सोनू ने जल्दी से अपनी गीली चूत में मेरा लंड डाला और वो जल्दी से ऊपर नीचे होने लगी। उसकी आँखें बंद थी और वो बड़ी तन्मयता से मुझको चोद रही थी। मैंने उसके हिलते हुए मम्मों को चूसना शुरू किया क्योंकि वो दोनों ही मेरे मुंह के ऊपर थे।
उधर छवि भी एक हाथ से चूत में ऊँगली चला रही थी और दूसरे से मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी। उसने अपने मोटे और सॉलिड मम्मों को मेरी साइड में जोड़ रखा था।
मैंने कम्मो की तरफ देखा और उसने आँखों से ही कहा कि मैं पासा पलट दूँ।
मैं इंतज़ार करता रहा, जैसे ही सोनू कुछ धीमी पड़ी, मैंने उसको किस करने के बहाने उसका मुंह अपने मुंह के साथ जोड़ा, तभी मैंने उसको उल्टा दिया और उसको अपने नीचे ले लिया।
यह सारा काम मैंने लंड को बाहर निकाले बगैर कर दिया और अब मैं उसके ऊपर चढ़ा बैठा था, उसकी जांघों को चौड़ा कर के लंड पूरा का पूरा अंदर डाल दिया और फिर जो मैंने धक्काशाही शुरू की और ज़ोर से लंड को डालना और निकालना शुरू किया तो सोनू को सांस लेना भी मुश्किल हो गया।
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ थी कि छवि, जिसने अपना हाथ मेरे चूतड़ों पर रखा हुआ था, वो लंड की तेज़ी बर्दाश्त नहीं कर सकी और अपना हाथ फ़ौरन हटा लिया।
कम्मो भी मेरी स्पीड देख कर हैरान थी लेकिन वो मुझको और भी उकसा रही थी। मेरा और कम्मो का मकसद था कि सोनू को बुरी तरह हराना।
अब सोनू ने अपनी जांघों का बंद करना शुरू कर दिया लेकिन मैंने अपनी टांगों को और भी फैला दी ताकि सोनू अपनी टांगों को बंद न कर सके।
थोड़ी देर में सोनू ने चिल्लाना शुरू कर दिया- बस करो… बस करो!
मैंने बदस्तूर धक्के जारी रखते हुए कहा- अपनी हार मानो, तभी बंद होगी तुम्हारी चूत की धुनाई।
सोनू ने हाथ जोड़ दिए और कहा- मैं हारी तुम जीते।
तब मैंने एक फाइनल धक्का मारा और सोनू के ऊपर से उतर गया।
सोनू हांफ़ती हुई लेटी रही।
मैंने अपने लंड को देखा, उस पर एक मोटी झाग की परत जमी हुई थी।
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कम्मो ने फ़ौरन आकर तौलिये से मेरा मुंह जो पसीने से तर बतर हो गया था, पौंछा और सोनू का भी मुंह साफ़ किया।
छवि यह सारा नज़ारा देख रही थी, बोली- वाह सोमू, तुमने तो सोनू को पूरी तरह से हरा दिया। उसकी चूत का सारा पानी निकाल दिया। अब वो कम से कम 10 दिन तक चुदवाने का नाम नहीं लेगी।
कम्मो मुस्करा रही थी और छवि मेरे लौड़े को विस्मय से देख रही थी।
तब कम्मो ने चादर की ओर इशारा करके कहा- देखो तो सही, सोनू का कितना पानी छूटा है यारो, वो कम से कम 5 बार छूटी होगी।
तभी सोनू ने आँखें खोली- मेरा 7 बार छूटा है।
कम्मो और और छवि के मुंह आश्चर्य से खुले के खुले ही रह गए।
छवि ने फिर मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और उसको ध्यान से देखा।
तब तक मैंने आगे बढ़ कर छवि के मोटे मम्मों को दोनों हाथों में ले लिया, बड़े ही सॉलिड थे। वो उठी और अपना एक मम्मा मेरे मुंह पर रख दिया और मैं एक छोटे बच्चे के समान उसके काले मोटे निप्पल को चूसने लगा।एक को चूसने के बाद छवि ने अपना दूसरा मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया।
अब मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो पूरी तरह से गीली हो रही थी। मैंने उसके होटों पर एक गर्म चुम्बन किया और उसको घोड़ी बनने का इशारा किया।
वो झट से घोड़ी बन कर मेरे सामने आ गई और मैंने अपना साफ़ किया हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया, धीरे धीरे उसको इंच दर इंच अंदर डाल दिया।
उसकी गांड और चूतड़ बड़े ही सेक्सी थे, मैं उनको हल्के हल्के थपकी मारते हुए छवि को चोदने लगा।
छवि भी हर धक्के का जवाब दे रही थी और क्योंकि वो सोनू की ज़ोरदार चुदाई देख चुकी थी तो वो बहुत ही गर्म हो रही थी।
मुश्किल से दस धक्कों में वो झड़ गई।
उसकी चूत में से निकलते गर्म पानी को मैंने महसूस किया।
अब मैंने पोजीशन फिर चेंज की, पलंग के किनारे बैठ गया और छवि को अपनी गोद में बैठा लिया और अपने हाथ उसकी मोटी गांड के नीचे रख दिए और उसको चूतड़ों से पकड़ कर आगे पीछे करने लगा।
छवि को इस स्टाइल से बड़ा मज़ा आ रहा था, वो लगातार मुझको होटों पर चूम रही थी, उसके सॉलिड मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे और उसकी बाहें मेरी गर्दन से लिपटी हुई थी।
9-10 गहरे धक्के मारने के बाद छवि फिर कांपते हुए जिस्म के साथ मुझसे चिपक गई थी और अपने होटों को मुझ से चिपका दिया।
बड़ी देर वो मुझ से यूँ ही चिपकी रही और फिर एक हॉट किस करके बिस्तर में लेट गई। उसने हाथ से अपनी चूत को छुआ यह देखने के लिए कि मेरा वीर्य छूटा या नहीं।
जब उसको चूत में सिवाए अपनी चूत के पानी के अलावा कुछ नहीं दिखा तो वो फिर हैरान हो गई।
उधर सोनू ने आँखें खोली और छवि से पूछा- तेरा हो गया क्या?
छवि ने हाँ में सर हिला दिया।
तब दोनों उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। कम्मो ने शरारत के तौर से पूछा- क्यों सोनाली और छवि, आप दोनों का काम हो गया क्या?
जब दोनों ने हाँ में सर हिला दिया तो कम्मो ने उनको मेरा खड़ा लंड दिखा दिया और कहा- छोटे मालिक में अभी 5-6 बार और चोदने की ताकत है, अगर चाहो तो चुदवा लो अभी और अगर इच्छा है तो!
दोनों ने कहा- नहीं कम्मो आंटी, हम दोनों में चुदाई की अब और ताकत नहीं है।
कम्मो बोली- ठीक है, मैं तुम दोनों को आपके कमरे में छोड़ आती हूँ।
दोनों ने जाने से पहले मुझको एक एक गहरी किस की होटों पर और मैंने भी उनके मम्मों और चूतड़ों पर खूब हाथ फेरा।
जाने से पहले कम्मो बोली- छोटे मालिक, इन दोनों में से कौन चुदाई की माहिर लगी आपको?
मैंने कुछ सोचने के बाद कहा- छवि नंबर एक पर और सोनाली नंबर दो पर लेकिन दोनों चुदाई में बहुत ही एक्सपर्ट हैं। लगता है कि दोनों को चुदाई का काफी ज्ञान है।
छवि बहुत खुश हुई और वो बोली- सोमू धन्यवाद, आगे कब चुदाई का प्रोग्राम बना सकती हैं हम?
मैं बोला- कम्मो आंटी मेरी निजी सेक्रेटरी है, तुम जब चाहो कम्मो आंटी से फ़ोन पर बात कर के प्रोग्राम बना सकती हो।
फिर दोनों ने मुझको विदाई किस की और अपने कमरे में चली गई।
जब कम्मो उनको छोड़ कर वापस आई तो मैंने उसको बाँहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसके होटों को चूमना चुरू कर दिया।
वो बोली- क्या हुआ छोटे मालिक, आज मुझ पर बड़ा प्यार आ रहा है, क्या कारण है जी?
मैं भाव विभोर होकर बोला- कम्मो तुम न होती तो मुझको ये कुंवारी और नई लड़कियां कहाँ से मिलती? आओ अब तुमको खुश करने की बारी है।
कम्मो बोली- सच छोटे मालिक? मैं तो सोच बैठी थी कि आप इन नई छोकरियों के सामने मुझ बूढ़ी को कहाँ पसंद करोगे?
मैं बोला- कम्मो डार्लिंग, यह कैसे हो सकता है, तुम तो मेरी आँख का तारा हो, मेरी काम शक्ति हो, मेरी काम विद्या की गुरु हो। चलो आओ, एक एक हाथ हम दोनों का भी हो जाए?
कम्मो शर्माती हुई आई मेरे पास।
मैं तो नंगा खड़ा ही था, उसने भी झट से पेटीकोट ब्लाउज उतार दिया और वो फ़ौरन घोड़ी बन गई और मैंने उसकी गीली चूत में अपना खड़ा लंड डाला।
क्योंकि उसके सामने ही सोनू और छवि की हॉट चुदाई हुई थी तो वो भी ज़रूरत से ज़्यादा गरम हो चुकी थी, तो कुछ धक्कों के बाद उसने पानी छोड़ दिया।
मैं नीचे लेट गया और उसको बोला कि वो मुझको ऊपर से चोद ले जब तक उस का जी चाहे और जब तक वो चोद सकती है लेकिन मेरा ज़रूर छूटा दे।
कम्मो कॅाफ़ी देर चोदती रही मुझको और जब उसका मन भर गया तो उसने मुझको कुछ इस तरीके से चोदा कि मेरा फव्वारा छूट गया।
फिर हम एक दूसरे के बाहों में ही सो गए।
[size=large]कम्मो और पारो की गांड मारी
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कम्मो काफ़ी देर चोदती रही मुझको… और जब उस का मन भर गया तो उसने मुझको कुछ इस तरीके से चोदा कि मेरा फव्वारा छूट गया।
फिर हम एक दूसरे के बाहों में ही सो गए।
अगले दिन सोनू, छवि और उनकी सहेलियाँ अपने घर चली गई। कॉलेज से वापस आने पर कम्मो ने बताया कि गाँव से फ़ोन पर निर्मल से बात हुई थी, वो कह रही है कि फुलवा के घर में भी लड़का हुआ है। बधाई हो आपको बहुत सी, फिर पिता बन गए आप!
यह कहते हुए वो मुझको चिड़ा रही थी।
मैं बोला- चलो अच्छा हुआ, उसको भी बच्चे की आवश्यकता थी।
अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुंचा तो मेरे एक खास मित्र ने सूचना दी कि कालेज की ड्रामा क्लब अपने मेंबर्स को 3 दिन के ट्रिप पर ले जा रही है, यह ट्रिप नैनीताल इत्यादि सुन्दर स्थलों की सैर करवाएगा, प्रत्येक छात्र और छात्रा को 100 रूपए देने होंगे।
सारे छात्र कालेज द्वारा एक बस में ले जाए जाएंगे, खाने-पीने और रहने का बंदोबस्त भी कालेज ही करेगा, जो जाना चाहेंगे उनको नाम जल्दी लिखवाना पड़ेगा और पैसे भी शीघ्र ही देने होंगे।
शाम को घर आकर मैंने गाँव फ़ोन किया और पूछा तो मम्मी बोली- ज़रूर जाओ और पैसे की ज़रूरत हो तो फ़ोन कर देना, मैं बैंक में डलवा दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
अगले दिन मैंने अपना नाम लिखवा दिया और पैसे भी दे दिए, कम्मो ने मेरे जाने की तैयारी भी शुरू कर दी।
उस रात मैंने कम्मो और पारो को खूब चोदा। पारो बेचारी कुछ कम चुदी थी तो उसकी चुदाई पर ख़ास ध्यान दिया।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, क्या आपका दिल कभी गांड चोदने का नहीं करता?
मैं बोला- गांड चोदने के बारे में कभी सोचा नहीं। क्यों तुम्हारा दिल है गांड मरवाने का?
कम्मो बोली- मैंने भी कभी गांड मरवाई नहीं न, तो कभी कभी इच्छा करती है कि गांड चुदाई का भी मज़ा लेना चाहये न! क्यों पारो, तुम्हारा दिल नहीं करता क्या?
पारो बोली- करता तो है लेकिन फिर मन में भय आ जाता है कि कहीं दर्द न हो बहुत?
कम्मो बोली- देखो पारो, जब तक करके नहीं देखते, तब तक कुछ भी डर नहीं, चलो छोटे मालिक।
मैं भी तयार हो गया।
कम्मो उठी और नंगी ही रसोई में चली गई और देसी घी थोड़ा सा कटोरी में ले आई। फिर उसने अपनी और पारो की गांड के ऊपर और अंदर देसी घी काफी सारा लगा दिया और कुछ देसी घी उसने मेरे लौड़े पर भी लगा दिया।
अब हम तीनों का बदन देसी घी से महक रहा था।
पहले बिस्तर पर कम्मो घोड़ी बनी और पारो मेरे और कम्मो के बीच में मदद करने के लिए बैठ गई।
मैं जैसे ही अपने खड़े लंड का निशाना साधने लगा, पारो ने घी से चुपड़ी कम्मो की गांड पर मेरा लौड़ा रख दिया, फिर वो बोली- धीरे से लंड का मुंह अंदर जाने दो।
मैंने भी हल्का सा धक्का मारा और लंड का थोड़ा सा हिस्सा गांड के अंदर चल गया।
कम्मो थोड़ी से बिदकी लेकिन फिर संयत होकर शांत होकर घोड़ी बनी रही।
!
पारो ने मुझको और धक्का मारने का सिगनल दिया और मैंने ज़रा और लंड अंदर धकेल दिया। मुझको ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड एक बड़ी टाइट पाइप के अंदर जा रहा था।
इस तरह धीरे धीरे कम्मो की गांड में मेरा सारा लौड़ा समा गया। लंड की जो हालत थी वो ब्यान नहीं की जा सकती क्योंकि गांड की बहुत ज्यादा पकड़ होती है और लंड बेचारा यह महसूस कर रहा था जैसे उसको एक बहुत ही तंग जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया।
फिर भी मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये।
पारो लगातार कम्मो को देख रही थी और जब उसने देखा कि कम्मो को मज़ा आने लगा है तो उसने मुझको इशारा किया और मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी।
अब मैंने महसूस किया कि मेरे लंड को कम्मो की गांड, जैसे गाय का दूध दोहते है, वैसे खुल और बंद हो रही थी, इस कारण मुझको बहुत ही आनन्द आ रहा था और मैं थोड़े समय में ही एक ज़ोरदार धक्के के बाद छूट गया।
लेकिन मैंने लंड को निकाला नहीं और उसको वैसे ही सख्त हालत में गांड के अंदर ही पड़ा रहने दिया।
इधर पारो कम्मो की चूत को और उसके भग को मसल रहे थी जिससे कम्मो का मज़ा बहुत अधिक बढ़ गया था, वो अब गांड को खुद ही आगे पीछे करने लगी और मैंने अपने धक्के रोक दिए और कम्मो की गांड चुदाई का आनन्द लेने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि कम्मो की गांड एक बार फिर खुल बंद हो रही है।
मैंने उससे पूछा- क्यों कम्मो, एक बार और छूटा तेरा?
उसने हाँ में सर हिला दिया।
तब मैंने कहा- और चोदूँ या फिर बस?
कम्मो बोली- बस छोटे मालिक, बहुत हो गया।
मैं फ़ौरन घोड़ी से नीचे उतर गया।
तब पारो कम्मो की तौलिये से सफाई करने लगी। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैंने पारो को इशारा किया कि आ जाओ मैदान में!
वो कुछ हिचकचा रही थी। यह देख कर मैंने कहा- पारो, अगर नहीं इच्छा, तो रहने दो, फिर कभी सही!
पारो बोली- नहीं छोटे मालिक, ऐसी बात नहीं है। मैं सोच रही थी कि आप थोड़ा आराम कर लेते तो ठीक होता न!
मैं बोला- नहीं नहीं, मैं बिल्कुल नहीं थका हूँ। अगर गांड मरवाने की इच्छा है तो आ जाओ। नहीं तो मैं तुम्हारी चूत ही ले लेता हूँ। बोलो जल्दी?
पारो बोली- आ जाओ छोटे मालिक, आज गांड मरवाई का भी मज़ा ले लेती हूँ।
कम्मो उठी और उसने फिर से देसी घी मेरे लंड पर लगा दिया और कॅाफ़ी सारा पारो की गांड में डाल दिया।
पारो बिस्तर में घोड़ी बन गई तो मैं उसके पीछे खड़ा हुआ और कम्मो ने मेरा लंड पारो की गांड पर रख दिया और बोली- मारो धक्का हल्का सा!
मैंने भी हल्का सा धक्का मारा और लंड बहुत सा अंदर चला गया, पारो ज़रा भी नहीं हिली और जल्दी ही पूरा लंड अंदर ले गई।
पारो की गांड मुझको कुछ कम टाइट लगी।
फिर मैंने लंड की स्पीड धीरे धीरे तेज़ कर दी।
थोड़ी देर बाद मुझको लगा कि पारो को गांड में बड़ा मज़ा आ रहा है, वो बाकायदा लंड का जवाब हर बार गांड को को मेरे लंड की जड़ तक लाकर देती थी।
अब मैंने तेज़ी से उसकी गांड में अपना लंड पेलना शुरू कर दिया और मुझको लगा कि उसकी चूत से भी पानी टपकना शुरू हो रहा है।
हाथ लगाया तो वाकयी उसकी चूत से बड़ा ही गाढ़ा रस निकल रहा था।
मैंने उसकी भग को रगड़ना शुरू कर दिया और ऊपर से गांड में धक्के भी तेज़ कर दिए थे।
कोई 10-12 धक्के इसी तरह ज़ोर से मारे तो पारो का शरीर काम्पने लगा और उसकी गांड अंदर से बंद और खुलना शुरू हो गई।
पारो हल्के से बोली- बस करो छोटे मालिक, मेरा पानी दो बार छूट चुका है गांड मरवाते हुए… उफ़्फ़, बड़ी ही मज़ेदार चुदाई है गांड की भी, मज़ा आ गया कम्मो।
मैं फिर दोनों के बीच में लेटा था।
[size=large]और इस तरह हम तीनों नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।
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