Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex - Page 2 - SexBaba
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Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex

मैं बोला- अरे यहाँ पर तो नाल भी जा सकती है.. दिखा.. मैं वहाँ पर मालिश कर देता हूँ.. तेरा दर्द कम हो जाएगा। 
मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और मालिश के बहाने से उसकी कमर और पेट पर हाथ फिराने लगा। धीरे-धीरे दोनों दवाइयों ने भी काम करना शुरू कर दिया था। 
दर्द कम होने लगा और व चुदास की खुमारी बढ़ने लगी, मेरे हाथों का स्पर्श उसे पागल कर रहा था।
उसकी कल रात की देखी ब्लू-फिल्म.. अभी की मर्डर फिल्म के सीन.. मेरे हाथों का स्पर्श और दवाई.. इन सबका असर उसे एक साथ होने लगा था।
उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने कहा- मीनू कैसा लग रहा है.. अब तुम्हारा दर्द कैसा है?
उसने कहा- भइया, दर्द तो कम है, बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करते रहिए बस..
मैंने उसे और सहलाना शुरू किया। मेरे हाथ धीरे-धीरे ऊपर की ओर सरक रहे थे, मेरी उंगलियां उसके चीकुओं पर बार-बार छू रही थी.. जिससे वो कड़क होकर संतरे जैसे हो गए थे।
उसकी सांसें फूलने लगी।
मैं बोला- मीनू तुम्हें मजा आ रहा है ना?
वो बोलीं- हाँ.. भइया करते रहो बस। 
वो अब गरम हो चुकी थी। मैंने उसके मम्मों को सहलाना शुरू कर दिया और सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा।
अब वो मना करने के हालत में थी ही नहीं.. उसने अपने पैर फैला दिए फिर एकदम से मुझे कस कर पकड़ लिया। 
मैंने झटपट उसके सारे कपड़े उतार दिए। मैं पहली बार किसी कुँवारी लड़की को नंगी देख रहा था। उसके जिस्म से एक अलग ही खुशबू आ रही थी। 
उसकी चूत पर हल्के सुनहरे बाल थे। चूत की फांकें बिल्कुल गुलाबी थीं.. जो आपस में चिपकी हुई थीं।
मैंने अपनी उंगली हल्के से बुर के अन्दर डाली तो वो कराहने लगी। मेरा भी बुरा हाल था.. खुद नंगा होकर उसकी चूत चाटने लगा। 
वो बिन पानी की मछली की तरह फड़फड़ाने लगी। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैंने उसके हाथ पर अपना लण्ड पकड़ा दिया।
इतने दिन ब्लू-फिल्में देखने के बाद वो सब जान चुकी थी, उसने उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
हम दोनों बहुत गर्म हो चुके थे। अब देरी करना सही नहीं था।
मैंने कहा- मीनू.. मजा आ रहा है कि नहीं और मजा लेना चाहती हो।
वो बोली- बहुत मजा आ रहा है.. और पूरा मजा लेना चाहती हूँ भइया।
मैंने कहा- देख मजा तो बहुत आएगा पर पहले थोड़ा सा दर्द होगा.. तुम्हें सहन करना होगा.. फिर तो मजे ही मजे हैं।
वो बोली- ठीक है.. मैं सहन कर लूँगी.. पर अब मुझसे नहीं रहा जाता.. मुझे कुछ हो रहा है। आपको जो भी करना है जल्दी से करो.. नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी।
मैंने उसकी चूत व अपने लण्ड पर खूब तेल लगाया और उसकी टाँगें फैलाकर कमर के नीचे एक तौलिया रखा फिर उसके ऊपर लेट गया। उसके होंठों से अपने होंठों को चिपका कर लण्ड का दबाव चूत पर बढ़ाना शुरू किया। 
उसकी चूत बहुत टाइट थी.. इसलिए लण्ड बार-बार फिसल रहा था। उसने ही मेरा लण्ड चूत के मुँह पर लगाया और अन्दर डालने को बोला। 
मैंने एक जोर का धक्का लगाया तो आधा लण्ड चूत में फंस गया।
वो दर्द से चिल्लाने लगी और मुझे अपने ऊपर से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
वो बोली- आहहह.. मर गई.. बहुत दर्द हो रहा है.. मुझे नहीं लेने है मजे.. बाहर निकालो इसे.. तुमने तो मुझे मार ही डाला.. मेरी चूत फट गई है.. सहन नहीं हो रहा है मुझसे.. आहहह.. आहहह..
मैंने कहा- बेबी.. बस हो गया.. अब दर्द नहीं होगा.. बस थोड़ा सा और सहन कर लो.. फिर बहुत मजा आएगा।
दर्द से उसकी आखों में आंसू आ गए। मैंने उसे कस कर पकड़ लिया, मैंने उसकी चूचियां मसलनी शुरू कर दीं और उसे किस करता रहा।
[size=large]जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो एक तेज धक्का मार कर मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में ठोक दिया। 
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वो बेहोश सी हो गई.. एक बार तो मैं डर सा गया। मैंने लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसकी चूत से खून की लकीर सी बहने लगी थी। उसकी सील टूट चुकी थी। मेरा लण्ड भी उसके खून में सना हुआ था। मैंने उसे पानी पिलाया और उसके होंठ व चूचियों से खेलने लगा। 
ये दवाई का ही असर था कि इतने दर्द के बावजूद वह चुदवाने को तैयार हो गई। एक बार फिर मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला और हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। 
चूत बहुत टाइट थी.. इसलिए उसे अब भी दर्द हो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई तो वो फिर कराहने लगी।
‘आहह.. आहहहह.. नहीं भइया.. नहीं दर्द हो रहा है.. ओहहह.. ओहहह.. सीईई.. आइइइइ!’ 
मैं अनसुना करते हुए लगातार लौड़े की ठोकरें चूत में मारता रहा.. धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी। 
चूत वास्तव में बहुत ही ज्यादा टाइट थी इसलिए मजा भी दुगना आ रहा था, पहली बार किसी कुँवारी चूत चोद रहा था इससे और जोश बढ़ गया।
‘आहहह.. आहह.. तेज भईया.. औरर तेज.. चोदद दो मुझे.. ओह औररर तेज.. बहुत मजा आ रहा है.. आह.. आह..’
अब नजारा बदल चुका था।
मैंने रफ्तार पकड़ ली और कमरे में उसकी आवाजें गूजने लगीं, मैं कुँवारी चूत चोदने लगा।
थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। 
कुछ देर उसके ऊपर ही चढ़े रहने के बाद जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो मेरे वीर्य के साथ खून भी उसकी चूत से बाहर आ रहा था। 
तौलिया खून से लाल हो गया और उसकी गुलाबी चूत फूल गई थी। मैंने आज उसे कली से फूल बना दिया था। 
मैंने उसे उठाया.. उसकी हालत खराब थी। उससे उठा भी नहीं जा रहा था। हम दोनों नंगे ही बाथरूम गए। मैंने उसकी चूत खूब साफ कर धोई और फिर साथ में नहाए और उसके बाद फिर उसकी दो बार और चुदाई की.. उसकी चूत को वीर्य से भर दिया। 
गोली के असर के कारण वो चुद तो गई.. पर उसकी हालत बहुत खराब थी। मैंने उसे दर्द की गोली और गर्भ निरोधक गोली दी और आराम करने को कहा। 
मैंने कहा- मीनू.. कहो कैसी रही मेरे साथ तुम्हारी चुदाई.. मजा आया ना तुम्हें? 
वो बोली- तुमने तो मेरी हालत खराब कर दी.. मेरी चूत की क्या सूरत बना दी है तुमने.. ये फूल गई है.. पहले तो दर्द बहुत हुआ.. पर बाद में मजा बहुत आया। 
मैं बोला- जानेमन.. वो कुछ देर में ठीक हो जाएगी। अब तुम्हारी सील खुल चुकी है.. आगे से तुम्हें दर्द नहीं होगा.. बस चूत चुदवाने में मजा ही मजा मिलेगा। 
वो बोली- भइया अगर आज का पापा को पता चल गया तो वो मुझे मार ही डालेंगे। मुझ से तो चला भी नहीं जा रहा है।
[size=large]मैं बोला- तुम पापा को बताना कि सुबह तुम सीढ़ियों से फिसल गई थीं और तुम्हारी पैर में मोच आ गई थी। इसलिए चला नहीं जा रहा है.. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। 
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शाम को उसके घर वाले आ गए.. जिन्हें मैंने व उसने वही बताया.. जिसे वो मान गए। दो दिन बाद वो नार्मल हो गई और अब तो हम रोज ही कमरा बंद करके जल्दीबाजी वाला राउण्ड खेलने लगे। उसे मैं बहुत बार अपने दोस्त के कमरे में भी ले गया.. जहाँ मैंने उसकी दबा कर चुदाई की.. बहुत बार उसकी गाण्ड भी मारी। 
कुछ महीने बाद वो अपने मम्मी-पापा के साथ नए मकान में चले गए और मैं फिर अकेला पड़ गया। पर इस बात की खुशी है कि वह जब भी मेरे कमरे में आती है.. तो मेरे से चुदती जरूर है और मैंने ही उसकी पहली बार कुँवारी चूत की सील खोली थी और उसे कली से फूल बनाया था। 
मेरी मकान मालकिन जो बैंक में नौकरी करती थी। वह 40 साल की होगी.. पर लगती 30 की ही थी। बैंक में नौकरी होने के कारण उसने अपना फिगर मेन्टेन कर रखा था।
मैं तो उसे भाभी ही कहता था और अपने मकान मालिक को भाई साहब कहता था। 
उसे भी भाभी सुनना अच्छा लगता था। उसके चूतड़ बहुत बड़े थे.. जब वो अपने चूतड़ों को मटका कर चलती थी.. तो उस स्थिति में किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता था। 
वो कभी-कभी ही दिल्ली आती थी। जब भी आती.. मेरी उसे चोदने की इच्छा होती। वो भी मेरे से खुल कर बात करती थी। यहाँ वह दो दिन अपने पति के साथ आती और पूरा दिन शॉपिंग करती रहती थी.. और इसी वजह से वो घर पर कम ही रहती थी। 
एक दिन मैंने देखा कि गलती से उसकी ब्रा और पैन्टी बाहर ही पड़े रह गए हैं। मैंने पहली बार उसकी ब्रा और पैन्टी से मुठ्ठ मारी व थोड़ा माल उसकी ब्रा और पैन्टी के सेन्टर पर लगा दिया। 
घर आने के बाद उसने देखा तो वो समझ गईं कि यह मेरी हरकत है इस तरह उसकी जानकारी में मेरी चोरी पकड़ी गई थी.. पर तब भी उसने कुछ नहीं कहा और ब्रा-पैन्टी धोकर सुखा ली।
मेरी हिम्मत बढ़ गई।
अगले दिल भी मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी खराब की और सारा माल उसी में भर दिया।
फिर भी उसने कुछ नहीं कहा.. तो मैं समझ गया कि बहुत जल्दी ही ये भी मेरे लण्ड के नीचे होगी।
उस बार वो वापस चली गई।
अगली बार जब वो वापस आई तो उसने अपनी गीली ब्रा और पैन्टी बाथरूम में ही छोड़ दी। मैंने उसके जाने के बाद उस पर ही मुठ्ठ मारी और दोनों में मूत कर आ गया।
इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा। 
[size=large]अगले दिन मैं भी अपना अण्डरवियर बाथरूम में छोड़ कर चला गया। जब वापस आकर देखा तो उसमें भी कुछ लगा था। 
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अब तो साफ था कि वो मुझसे चुदना चाहती है.. पर बोल नहीं पा रही है। 
मैं ही आगे बढ़ा.. मैंने उससे जाते वक्त कहा- आप बड़ी जल्दी चली जाती हो। कभी ज्यादा दिन के लिए भी आया करो। आपसे बातें भी ढंग से नहीं हो पाती हैं। कभी किराएदार के बारे में भी मिलकर जान लेना चाहिए कि वो कैसा है। बस शॉपिंग और चले गए.. ये भी कोई बात होती है?
भाभी हँस कर बोली- चलो ठीक है, अगली बार देखती हूँ।
अगले महीने छुट्टियों में वो अपने बेटे को लेकर आ गई। 
बोली- राज मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं है, इसे आयुर्वेदिक दवाई दिलवानी है।
मैंने कहा- भाभी आयुर्वेदिक दवा इलाज के समय मांगती है.. आपको रुक कर तीमारदारी करनी होगी।
बोली- इस बार मैं 15 दिन तक दिल्ली में ही रहूँगी। 
मेरी तो लाटरी खुल गई इस बार वो अपने पति के बिना पूरे चुदने के मूड में ही आई थी, बस अब मेरे आगे बढ़ने की बारी थी।
रात को खाना खाने के बाद मैंने चाय बनाई और उसके बेटे की चाय में नींद की गोली व उसके व अपनी चाय में कामोत्तेजक दवा मिला दी, जिसका दोनों को पता नहीं चला।
चाय पीने के थोड़ी देर बाद में अपने कमरे में आ गया। 
वो मैक्सी पहन कर सोने की तैयारी करने लगी। जब मैं बाथरूम गया तो देखा उसकी ब्रा-पैन्टी तो खूँटी पर टंगी हैं। मतलब उसने मैक्सी के अन्दर कुछ नहीं पहना था।
अब मैं उसके सोने का इन्तजार करने लगा।
थोड़ी देर में उसका बेटा सो गया।
मैं चुपके से उसके पास गया और बगल में लेट गया। मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा.. उसकी तरफ से कोई विरोध ना होने पर मैं उसके मम्मों को हल्के-हल्के से दबाने लगा। 
वो मेरे से और चिपक गई जिससे मेरा खड़ा लण्ड उसकी गाण्ड की दरार में फंस गया।
[size=large]मैंने हल्के से उसकी मैक्सी ऊपर की और चूत सहलाना शुरू की। चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी.. शायद गोली का असर था। 
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मैंने चूत में उंगली करनी शुरू की वो मस्त हो गई। मैंने पीछे से ही अपने लण्ड का दबाव उसकी चूत पर देना चाहा।
भाभी- राज.. यहाँ नहीं.. तुम्हारे कमरे में चलते हैं.. यहाँ मेरा बेटा जाग जाएगा। 
उसे क्या पता था कि उसके बेटे के ना उठने और उसे चोदने का पूरा इन्तजाम मैंने पहले से ही कर रखा है। मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया और उसे पूरी मस्ती से खुल कर चूमने-चाटने लगा।
भाभी बोली- ओह्ह.. राज तुमने तो मुझे पागल कर दिया है। जब से तुम्हें देखा तुम्हारे जवान लण्ड से चुदना चाह रही थी।
मैंने कहा- भाभी मैं भी आपको चोदना चाहता था.. इसीलिए बार-बार तुम्हारी ब्रा पैन्टी से मुठ्ठ मार रहा था।
भाभी- वो तो मैं पहले दिन से ही समझ गई थी.. इसीलिए अगले बार से बाथरूम में ही छोड़कर जाती थी। पर तुमने हिम्मत बहुत देर में दिखाई।
मैंने कहा- अब तो दिखा दी ना। आज मैं तुम्हें अपने लण्ड पर झूला झुलाऊँगा। 
उसने लपक कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। वह खेली-खाई औरत थी इसलिए उसके लण्ड चूसने का अलग ही तरीका था। मुझे लण्ड चुसाने में बड़ा मजा आ रहा था।
भाभी- राज आज बहुत दिनों बाद किसी जवान मर्द का लण्ड मिला है। मैं इसका पूरा रस पीऊँगी।
मैंने उसके सर को पकड़ा और अपने लण्ड को उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा। वो पूरा अन्दर तक लण्ड को ले रही थी। मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और वीर्य की धार उसके मुँह में छोड़ दी जिसे वह गटक गई। 
फिर उसने मेरे लण्ड को अच्छे से चाट कर साफ भी कर दिया। भाभी माल के चटखारे लेते हुए बोली- राज इतना ज्यादा गरम ताजा अमृत तो बहुत सालों बाद चखने को मिला.. सही में मजा आ गया। 
मैंने कहा- भाभी आप चाहो तो ये आपको हमेशा मिल सकता है, बस मेरा खयाल रखते रहना।
भाभी- जब तक मैं यहाँ हूँ.. इस पर मेरा ही अधिकार है.. बर्बाद मत कर देना। चल अब मेरी चूत चाट दे.. बड़ी मचल रही है।
मैंने उसे लिटा कर उसकी चूत पर जीभ चलानी शुरू की.. जो जल्दी ही पानी छोड़ने लगी।
भाभी- राज बस अब और मत तड़फा.. चोद डालो मुझे.. पेल दो मेरी चूत में अपना लण्ड.. इसकी सारी अकड़ निकाल दो आज.. कल से मेरी ये चूत बस तुम्हारे लण्ड की ही फरियाद करे ऐसी चुदाई करो मेरी.. फाड़ डालो मेरी चूत.. आह..
मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी.. लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। वो कराह उठी। उसने कस कर मुझे भींच लिया।
वो बोली- आह्ह.. राज जरा भी रहम मत करना.. बस मुझे चोदते जाना.. आह्ह..
मैं धक्के लगाने लगा।
उसके बेटे की उठने की उम्मीद नहीं थी.. इसलिए हम पूरे जोर और शोर के साथ चुदाई करने लगे। पूरा कमरा उसकी सिसकारियों की आवाज से गूंजने लगा- राज.. आहहह.. आहह.. उफ्फ.. जोर से और जोर से.. फाड़ डालो.. राज आह.. आह.. ओहह आहहहह.. और चोदो औररर.. औरर.. तेज और तेज.. आह्ह.. राज..
वो भी लगातार चूत उछाल-उछाल कर मजे लेने लगी। दोनों को कामोत्तेजक गोली का असर था.. कोई भी थकने का नाम नहीं ले रहा था। 
आधे घंटे की कमर-तोड़ चुदाई के बाद वो ढीली पड़ने लगी, उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर धीरे-धीरे चूत रगड़ने के बाद वो फिर गरम हो गई और मेरा साथ देने लगी। 
इस बार हम दोनों का एक साथ काम हुआ और मैंने जल्दी से लण्ड को चूत में से निकाल कर उसके मुँह में पेल दिया और वहीं सारा वीर्य उढ़ेल दिया जिसे वह चटकारे लेकर पी गई।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी.. आपको अपना किरायेदार पसंद आया कि नहीं.. चूत की खुजली मिटी.. मजा आया या नहीं..
भाभी- बहुत मजा आया.. मुझे किराएदार भी और किराएदार का हथियार भी.. दोनों बहुत पसंद आए।
उस रात मैंने उसे अलग-अलग तरीके से 4 बार चोदा।
उसके बाद तो 15 दिन तक चुदाई का सिलसिला ही चल निकला। वो तो मेरे लण्ड की दीवानी हो गई थी। अब जो वह जब भी दिल्ली आती.. मुझसे चुदवाए बिना नहीं रहती थी। उन्होंने मेरा किराया भी माफ कर दिया था। वो एक बार मेरे से बोली कि उसकी एक सहेली का पति उससे अलग रहता है। वो भी लण्ड की बहुत प्यासी है.. उसको भी मुझसे चुदवाएगी। 
[size=large]दोस्तो यहाँ से ये कहानी मेरे बचपन की तरफ चलेगी 
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शुरू के दिन
यह कहानी नहीं अपनी आपबीती है।
मेरी उम्र इस वक्त काफी हो गई है लेकिन फिर भी वे पुरानी यादें अभी भी वैसे ही ताज़ा हैं और मेरे ज़हन में वैसे ही हैं जैसे कि कल की बात हो।
यह ऑटोबायोग्राफी लिखने से पहले मैं आपको अपना थोड़ा सा परिचय दे दूँ।
मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में एक बड़े जमींदार के घर में पैदा हुआ था, मैं अपने माता-पिता की एकलौती औलाद हूँ और बड़े ही नाज़ों से पाला गया हूँ।
ढेर सारे मिले लाड़ प्यार के कारण मैं एक बहुत ही ज़िद्दी और झगड़ालू किस्म के लड़के के रूप में जाना जाता था।
एक बहुत बड़ी हवेली में हमारा घर होता था। मुझ आज भी याद है कि हमारे घर में दर्जनों नौकर नौकरानियाँ हुआ करते थे जिनमें से 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी। यह सब हमारे खेतों पर काम करने वालों मज़दूरों की बेटियाँ होती थी। इनको भर पेट भोजन और अच्छे कपड़े मिल जाते थे तो वे उसी में खुश रहती थीं।
यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था। मेरी आया बताया करती थी कि मैं हमेशा ही औरतों के स्तनों के साथ खेलने का शौक़ीन था। जो भी औरत मुझको गोद में उठाती थी उसका यही कहना होता था कि मैं उनके स्तनों के साथ बहुत खेलता था।
और यही कारण रहा होगा जो आगे चल कर मैं सिर्फ औरतों का दास बन गया, मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया।
मेरा जीवन का मुख्य ध्येय शायद स्त्रियों के साथ काम-क्रीड़ा करना ही था, यह मुझको अब बिल्कुल साफ़ दिख रहा है क्योंकि मैंने जीवन में और कुछ किया ही नहीं… सिर्फ स्त्रियों के साथ काम क्रीड़ा के सिवाये!
जैसा कि आप आगे मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था और उसका प्रमुख कारण मेरे पास धन की कोई कमी न होना था और मेरे माँ बाप अतुल धन और सम्पत्ति छोड़ गए थे कि मुझ को जीवन-यापन के लिए कुछ भी करने की कोई ज़रुरत नहीं थी।
ऐसा लगता है कि विधि के विधान के अनुसार मेरा जीवन लक्ष्य केवल स्त्रियाँ ही थी और इस दिशा में मेरी समय समय पर देखभाल करने वाली नौकरानियों को बहुत बड़ा हाथ रहा था। जवान होने तक मेरे सारे काम मेरी नौकरानियाँ ही किया करती थी, यहाँ तक कि मुझे नहलाना आदि भी…
मुझे आज भी याद है कि जब मुझको मेरी आया नहलाती थी तो मेरे लंड के साथ ज़रूर खेलती थी। वह कभी उसको हाथों में लेकर खड़ा करने की कोशिश करती थीं।
उस खेल में मुझ को बड़ा ही मज़ा आता था। वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही मुझको नहलाती थीं और नहाते हुई छेड़छाड़ में कई बार मेरे हाथ उनके पेटीकोट के अंदर भी चले जाते थे और उनकी चूत पर उगे हुए घने बाल मेरे हाथों में आ जाते थे।
एकभी कभार मेरा हाथ उनकी चूत के होटों को भी छू लेता था जो कई बार पानी से भरी हुई होती थी, एक अजीब चिपचापा रस मेरी उँगलियों पर लग जाता था जो कई बार मैंने सूंघा था। बड़ी ही अजीब मादक गंध मुझ को अपने उन हाथों से आती थी जो उन लड़कियों की चूत को छू कर आते थे। उनकी गीली चूतों का रहस्य मुझे आज समझ आता है। 
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उन्हीं दिनों एक बहुत ही शौख और तेज़ तरार लड़की मेरे काम के लिए रखी गई थी, वह होगी 18-19 साल की और उसका जिस्म भरा हुआ था, रंग भी काफी साफ़ और खिलता हुआ था।
वैसे रात को मेरी मम्मी मेरे साथ नहीं सोती थी और कोई भी बड़ी उम्र की काम वाली को मेरे साथ सोना होता था। वह मेरे कमरे में नीचे ज़मीन पर चटाई बिछा कर सोती थीं।
जब से वह नई लड़की मेरा काम देखने लगी तो मेरा मन उस के साथ सोने को करता था। उस लड़की का नाम सुंदरी था और वह अपने नाम के अनूरूप ही थी।
इस लिए मैं नहाते हुए उससे काफी छेड़ छाड़ करने लगा। अब मैं उसकी चूत को कभी कभी चोरी से छू लेता था और उसकी चूत के बालों में उँगलियाँ फेर देता लेकिन वह भी काफी चतुर थी। वह अब अपना पेटीकोट कस कर चूत के ऊपर रख लेती थी ताकि मेरी उंगली या हाथ उसके पेटीकोट के अंदर न जा सके लेकिन मैं भी छीना झपटी में उसके उरोजों के साथ खेल लिया करता था।
अक्सर उस के निप्पल उसके पतले से ब्लाउज में खड़े हो जाते थे और मैं उनको उंगली से छूने की भरसक कोशिश करता था।
यह सब कैसे हो रहा था, यह आज तक मैं समझ नहीं पाया। जबकि मेरे दोस्त खूब खेल कूद में मस्त रहते थे, मैं चुपके से नौकरानियों की बातें सुनता रहता या फिर उनसे छेड़ छाड़ में लगा रहता।
यह बात मेरी माँ और पिता से छुपी न रह सकी और वे मुझको हॉस्टल में डालने के चक्कर में पड़ गये क्योंकि उनको लगा कि मैं नौकरानियों के बीच रह कर उनकी तरह की बुद्धि वाला बन जाऊँगा।
लेकिन मैं भी झूठ मूठ की बेहोशी आने का बहाना करने लगा। मैं अक्सर रात को डर कर चिल्लाने लगता और यह देख कर मेरे माँ बाप ने मुझको हॉस्टल में डालने का विचार रद्द कर दिया।
जो सुन्दर लड़की मेरे काम के लिए रखी गयी थी वह काफी होशियार थी और वह मेरी उच्छशृंख्ल प्रकृति को समझ गई थी।
एक दिन वो कहने लगी- कितना अच्छा होता अगर मैं आपके कमरे में ही सो पाती।
मैंने उससे पूछा कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली- तुमको रात में बड़ा डर लगता है ना?
मैंने कहा- हाँ!
तो वह बोली- मम्मी से कहो कि सुंदरी ही तुम्हारे कमरे में सोयेगी।
बस उस रात मैंने काफी डर कर शोर मचाया और मम्मी को मेरे साथ सोना पड़ा लेकिन अगले दिन ही उन्होंने एक बहुत बुड्ढी सी नौकरानी को मेरे कमरे में सुला दिया।
हमारी योजना फ़ेल हो गई लेकिन सुंदरी काफी चतुर थी, उसने बुड्ढी को तंग करने का उपाय मुझ को सुझाया और उसी ही रात बुड्ढी काम छोड़ कर चली गई।
हुआ यूं कि रात को एक मेंढक को लेकर मैंने बुड्ढी के घागरे में डाल दिया जब वह गहरी नींद में सोयी थी। जब मेंढक उसके घगरे में हलचल मचाने लगा तो वह चीखती चिल्लाती बाहर भाग गई और उस दिन के बाद वापस नहीं आई।
तब मैंने मम्मी को कहा कि सुंदरी को मेरे कमरे में सुला दिया करो और मम्मी थोड़ी न नकुर के बाद मान गई।
दिन भर मैं स्कूल में रहता था और दोपहर को लौटता था। मेरे साथ के लड़के बड़े भद्दे मज़ाक करते थे जिनमें चूत और लंड का नाम बार बार आता था लेकिन मैं उन सबसे अलग रहता था।
मेरे मन में औरतों को देखने की पूरी जिज्ञासा थी लेकिन कभी मौका ही नहीं मिलता था।
जब से सुंदरी आई थी, मेरी औरतों के बारे में जानकारी लेने की इच्छा बड़ी प्रबल हो उठी थी। यहाँ तक कि मैं मौके ढूंढता रहता था ताकि में औरतों को नग्न देख सकूँ।
इसीलिए साइकिल लिए मैं कई बार गाँव के तालाब और पोखरे जाता रहता था लेकिन कभी कुछ दिखाई नहीं दिया।
एक दिन मैं साइकिल पर यों ही घूम रहा था कि मुझको कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो एक झाड़ी के पीछे से आ रही थी।
मैंने सोचा कि देखना चाहिये कि क्या हो रहा है।
थोड़ी दूर जाकर मैंने साइकिल को एक किनारे छुपा दिया और खुद धीरे से उसी झड़ी की तरफ बढ़ गया।
झाड़ी के एक किनारे से कुछ दिख रहा था। ऐसा लगा कि कोई आदमी और औरत है उसके पीछे, झाड़ी को ज़रा हटा कर देखा तो ऐसा लगा एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं।
मुझको कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। फिर भी लगा कि कोई काम छिपा कर करने वाला हो रहा है यहाँ।
मैं अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा रहा और देखता रहा।
थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था।
तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई। मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया।
[size=large]और यहाँ से शुरू होती है मेरी और सुंदरी की कहानी।
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सुन्दरी के साथ
यह कहानी नहीं अपनी आपबीती है।
एक दिन एक झाड़ी के पीछे मैंने सोचा देखा कि एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं।
थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था।
तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई। मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया।
और यहाँ से शुरू होती है मेरी और सुन्दरी की कहानी।
सुन्दरी न सिर्फ सुन्दर थी बल्कि काफी चालाक भी थी। यह मैं आज महसूस कर रहा हूँ कि कैसे उसने मेरी मासूमियत का पूरा फायदा उठाया। अपने शरीर को मोहरा बना कर उसने सारे वह काम करने की कोशिश की जो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी।
उसने रोज़ मेरे साथ सोने का पूरा फायदा उठाया, वह रोज़ रात को मुझ से ऐसे काम करवाती थी जो उस समय मैं कभी सोच भी नहीं सकता था.
शुरू में तो मुझको वह रोज़ रात को मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसती थी जिससे मुझको बहुत मज़ा आता था। उसने तभी मुझको उसकी चूत में ऊँगली डालना सिखाया और जब वह मेरा लंड चूसती तभी मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करता।
यह काम मुझ को बहुत अछा लगता था।
लेकिन सबसे पहले उसने अपने स्तन को चूसना सिखाया था मुझे कि कैसे निप्पल को होंटों के बीच रख कर चूसना चाहिए जिसके करने से उसको मज़ा तो बहुत आता था लेकिन मुझ को भी कुछ कम नहीं आता था। उसके छोटे लेकिन ठोस उरोजों को चूसने का एक अपना ही आनन्द था।
यह काम कुछ दिन तो खूब चला लेकिन एक दिन मम्मी को शक हो गया और उन्होंने मेरी एक भी न सुनी और सुन्दरी को मुझसे दूर कर दिया। वह अब सिर्फ घर की गाय भैंस से दूध निकालने का काम करने लगी।
उसकी जगह जो आई, वह ज्यादा मस्त नहीं थी लेकिन शारीरिक तौर से काफी भरी हुई थी, उसके चूतड़ काफी मोटे थे।
अब उसके साथ नहाने का मज़ा ही नहीं था क्यूंकि वह मुझ को अंडरवियर पहने हुए ही नहलाती थी। एक दो बार उसके मम्मों को छूने की कोशिश की लेकिन उसने हाथ झटक दिया।
रात को वह चटाई पर सोती थी और बड़ी गहरी नींद सोती थी।
एक रात वह जब सो रही थी तो मैंने उसकी धोती उठा कर उसकी चूत को देखा ही नहीं, उसके काले घने बालों के बीच में ऊँगली डाल कर देखा।
उसकी चूत तो सूखी थी और बहुत ही बदबूदार थी लेकिन कोई रुकावट नहीं मिली जिसका मतलब तब तो नहीं मालूम था लेकिन अब मैं अच्छी तरह समझता हूँ, यानि वह कुंवारी नहीं थी।
फिर एक रात मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि मोटी नौकरानी की धोती ऊपर उठी हुई थी और उसकी ऊँगली काफी तेज़ी से हिल रही थी चूत पर।
तब तो मैं नहीं समझ पाया लेकिन अब जानता हूँ कि वह अपना पानी ऊँगली से छुठा रही थी। जैसे ही उसकी उंगली और तेज़ी से चली तो उसके मुख से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगी। ऊँगली की तेज़ी बढ़ने के साथ ही उसके चूतड़ भी ऊपर उठने लगे और आखिर में एक जोर से ‘आआहा’ की आवाज़ के बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया।
मैं भी अपन आधे खड़े लंड के साथ खेलता रहा।
लेकिन मैं भी सुन्दरी को नहीं भूला था, एक दिन जब वह दूध लेकर रसोई में जा रही थी तो मैंने उसको रोक लिया और इधर उधर देख कर जब कोई नहीं था तो मैंने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और झट से उसके गाल पर चुम्मा कर दिया।
वह गुस्सा हो गई लेकिन मैंने भी हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया और उसकी चूत के काले बालों के बीच चूत के होठों पर रख दिया। उसके एक हाथ में दूध की बाल्टी थी और दूसरे में लोटा, वह बस हिल कर मेरा हाथ हटाने की कोशिश करती रही।
यह ज़रूर बोलती रही- सोमू न करो, कोई देख लेगा।
मैंने भी झट उसकी चूत के अंदर ऊँगली दे डाली और उसके चूत के बालों को हल्का सा झटका दे कर हाथ निकाल लिया और बोला- अभी मेरे कमरे में आओ, ज़रूरी काम है।
उसने हाँ में सर हिला दिया और रसोई में चली गई।
जब वो आई तो मैंने उसे बताया कि मैं उसको कितना मिस कर रहा हूँ।
तो वह बोली- सोमू, तुम कुछ देते तो हो नहीं और मुफ्त में छेड़ छाड़ करते रहते हो?
मैं बोला- अच्छा, क्या चाहिए तुमको?
तो उसने कहा- पैसे नहीं हैं मेरी माँ के पास।
मैंने झट जेब से एक रूपया निकाल कर उसको दे दिया और कहा कि अगर वह रोज़ दोपहर को मेरे पास आयेगी तो मैं उसको रोज़ एक रूपया दूंगा।
यह उन दिनों की बात है जब एक रूपए की बड़ी कीमत होती थी।
यहाँ यह बता दूँ मैं कि हमारी हवेली का कैसा नक्शा था।
हवेली सही मायनों में बहुत बड़ी थी और उसमें कम से कम 10 कमरे थे। एक बड़ा हाल कमरा और 7 कमरे नीचे थे, जिसमें मम्मी और पापा के पास तीन कमरे थे और बाकी गेस्ट रूम थे।
क्यूंकि मैं अकेला ही बच्चा घर में था तो मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था, किसी भी नौकर को मेरी मर्ज़ी के बिना अंदर आने की इजाज़त नहीं थी। लड़कियाँ जो नौकरानियाँ थी, वे सब ऊपर तीसरी मंज़िल पर रहती थीं।
गर्मियों में हम सब दोपहर को थोड़ा सो जाते थे। घर में सिर्फ 5-6 पंखे लगे थे। मेरे कमरे का पंखा बहुत बड़ा था और बहुत ठंडी हवा देता था और सब काम वाली लड़कियाँ कोशिश करके मेरे कमरे में सोने को उत्सुक रहती थी।
सुन्दरी दोपहर में मेरे पास आ गई और गर्मी से परेशान हो कर उसने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उन्नत उरोज खुल गए। गरीबी के कारण गाँव की लड़कियाँ ब्रा नहीं पहनती थी।
आज मेरा मन था कि सुन्दरी को पूरी नग्न देखूँ, मेरे कहने पर पहले तो वह नहीं मानी फिर एक रूपये के लालच से मान गई।
दरवाज़ा पक्का बंद करवाने के बाद उसने पहले धोती उतार दी और फिर उसने ब्लाउज भी उतार दिया। सफ़ेद पेटीकोट में वह काफी सेक्सी लग रही थी लेकिन उस वक्त मुझको सेक्सी के मतलब नहीं मालूम थे, मैं उसके उरोजों के साथ खेलने लगा, दिल भर कर उनको चूमा और चूसा और उसकी चूत में भी खूब ऊँगली डाली।
फ़िर न जाने सुन्दरी ने या फिर मैंने खुद ही उसकी चूत पर स्थित भगनासा ढून्ढ लिया।
जब मैंने उसको रगड़ा उँगलियों के बीच तो सुन्दरी धीरे धीरे चूतड़ हिलाने लगी।
मैंने पूछा भी कि मज़ा आ रहा है क्या?
तो वह बोली तो कुछ नहीं लेकिन मेरे हाथ को ज़ोर से अपनी जाँघों में दबाने-खोलने लगी और मैंने फिर महसूस किया उसका सारा जिस्म कांप रहा है और मेरे हाथ को उसकी गोल जांघों ने जकड़ रखा है।
थोड़ी देर यही स्थिति रही फिर धीरे से मेरा हाथ जांघों से निकल आया लेकिन हाथ में एकदम सफ़ेद चिपचापा सा कुछ लगा था।
[size=large]मैंने पूछा भी यह क्या है तो वह कुछ बोली नहीं, आँखें बंद किये लेटी रही।
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मैंने भी अपने हाथ के चिपचिपे पदार्थ को सूंघा तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।
वह था पहला अवसर जब मैंने किसी औरत को छूटते हुए देखा और महसूस भी किया। मुझे नहीं मालूम था कि जीवन में ऐसे कई मौके आने वाले हैं जब मैं ऐसे दृश्य देखूँगा।
मैंने सुन्दरी से पूछा- यह पानी कैसा है?
तो वह बोली- यह हर औरत की चूत से निकलता है जब वह खूब मस्त होती है।
तब उसने मुझको खूब चूमा और मेरे लबों को चूसा।
मैंने उससे पूछा- क्या यह ही औरतों में बच्चे पैदा करता है?
वह ज़ोर से हंसी और बोली- नहीं रे सोमू… जब तक आदमी का लंड हमारे इस छेद में नहीं जाता, कोई बच्चा नहीं पैदा हो सकता।
उस रात जब मोटी नौकरानी मेरे कमरे में सोई तो मैंने फैसला किया कि मैं भी उसको नंगी देखूंगा लेकिन यह कब और कैसे संभव होगा यह मैं तय नहीं कर पा रहा था। 
जब वह खूब गहरी नींद में थी तो मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उसके ब्रा लेस स्तनों को देखने लगा, फिर धीरे से मैंने उसके निप्पल को ऊँगली से गोल गोल दबाना शुरू किया और धीरे धीरे वो खड़े होने लगे और फिर मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी।
हल्के हल्के सिसकारी भरते हुए उसकी चूत ने गीला होना शुरू कर दिया और उसके चूतड़ ऊपर उठने लगे। मैंने उसका चूत वाला बटन मसलना शुरू कर दिया और वह भी तेज़ी से अपनी चूत मेरे हाथ पर रगड़ने लगी और फिर एकदम उसका सारा शरीर अकड़ गया और उसकी चूत में से पानी छूट पड़ा।
मैंने जल्दी से हाथ चूत से निकाला और अपने बिस्तर में लेट गया और तब देखा कि उसने आँख खोली और इधर उधर देखा, खासतौर पर मेरे बेड को और जल्दी से अपना पेटीकोट नीचे कर दिया और फिर खर्राटे भरने लगी। 
मेरा एक और तजुर्बा सफल हुआ।





सुन्दरी के साथ सम्भोग
सुन्दरी के साथ बड़े ही गर्मी भरे दिन बीत रहे थे, भरी दोपहर में वह छुपते हुए मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाते थे।
आते ही वह मुझ को लबों पर एक चुम्मी करती और मेरे होटों को चूसती। मैं भी उसकी नक़ल में वैसा ही करता। दोनों के मुंह का रस एक दूसरे के अंदर जाता और खूब आनन्द आता। फिर वह अपना ब्लाउज खोल देती और मुझ से अपने निप्पल चुसवाती और साथ ही मेरा हाथ अपनी धोती के अंदर पतले पेटीकोट में अपनी चूत पर रख देती।
फिर उसने चूत में ऊँगली से कामवासना जगाना सिखाया मुझे।
अब जब वह मेरे लंड पर हाथ रखती तो लंड खड़ा होना शुरू हो जाता और मेरे सख्त लंड को सुन्दरी मुंह में लेकर चूसने लगती और फिर एक दिन उस ने पूरी नंगी होकर लंड को अपने अंदर डालने की कोशिश की, सबसे पहले उसने मेरे लंड को चूत के मुंह पर रगड़ा एक मिनट तक और जब लंड का सर चूत के अंदर 1 इंच चला गया तो वह रुक गई और उसने मेरे होटों को ज़ोर से चूमा और अपनी जीभ भी मुंह में डाल दी, उसको गोल गोल घुमाने लगी।
मैं भी ऊपर से हल्का धक्का मारने लगा जिसके कारण मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड आग की भट्टी में चला गया है। तभी सुन्दरी ने नीचे से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड पूरा अंदर चूत में चला गया।
!
कामवासना की यह पहली अनुभूति बड़ी ही इत्तेजक और आनन्द दायक लगी। फिर सुन्दरी के कहने पर मैंने ऊपर से धक्के मारने शुरु कर दिए और सुन्दरी भी नीचे से खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी।
फिर मुझको लगा कि सुन्दरी की चूत मेरे लंड को पकड़ रही है और जैसे ‘बन्द और खुल’ रही है। फिर सुन्दरी ने मुझको कस कर भींच लिया और उसका जिस्म कांपने लगा और फिर थोड़ी देर में वह एकदम ढीली पढ़ गई और मेरा लंड सफ़ेद झाग जैसे पदार्थ से लिप्त हुआ बाहर निकल आया।
लंड अभी भी खड़ा था लेकिन उसमें से कोई पदार्थ नहीं निकला।
इस तरह हमने कई दफा सेक्स का खेल खेला और हम दोनों को काफी आनन्द भी आया। मैं अब काफी कुछ सेक्स के बारे में समझने लगा था।
अब सुन्दरी के बाद मैंने रात वाली मोटी के साथ भी यही खेल खेलने की सोची। उसी रात को जब वह आई तो मैंने उसको पकड़ लिया, एक चुम्मी उसके गालों पर जड़ दी, वह एकदम छिटक कर परे हो गई और मुझ को घूरने लगी।
मैंने कहा- घबराओ नहीं, मैं तुमको कुछ नहीं कहूँगा।
और फिर मैंने उसको पास बुलाया और कहा कि तुम सोती हो, बिस्तर पर सोया करो ना!
‘नहीं न… मालकिन देखेंगी तो घर से निकाल देंगी।’
मैंने कहा- तुम ऐसे ही घबराती हो और फिर मैं तुमको पैसे दूंगा।
वह बोली- कितने पैसे दोगे छोटे मालिक?
मैंने कहा- कितने चाहिये तुमको?
वह बोली- तुम बताओ कितने पैसे दोगे?मैंने कहा- 2 रुपये दूंगा चूमक़ चाटी का!
और वह राज़ी हो गई। उस ज़माने में 1-2 रुपये बड़ी रकम होती थी गाँव वालों के लिये।
और सबसे बड़ा आकर्षण था मखमली बेड पर सोने का मज़ा!
[size=large]उस रात मैं ने उसको नहीं छेड़ा और खूब सोया।
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अगली रात वह फिर आ गई और नीचे सोने लगी, मैंने इशारे से उसको पास बुलाया और बिस्तर पर सोने को कहा।
वह हिचकिचाती हुई मेरे साथ लेट गई, मैंने उसके मोटे होटों पर एक हल्की किस की और अपना एक हाथ उसके स्तनों पर रख दिया। उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया।
मैंने फिर उसको चूमा और अब हाथ उसके पेट पर रख दिया और वह चुप रही। फिर वही हाथ मैंने उसकी धोती में लिपटी उसकी जाँघों पर रख दिया और धीरे धीरे उसको ऊपर नीचे करने लगा और साथ ही उसको चूमता रहा, फिर धीरे से दूसरे हाथ को उसके स्तनों पर फेरने लगा।
मैंने उसको कहा- तुम्हारे स्तन तो एकदम मोटे और सॉलिड हैं।
शायद वह समझी नहीं, मैंने फिर कहा- ये बड़े मोटे और सख्त हैं, क्या करती हो इनके साथ?
वह बोली- सारा दिन फर्श पर कपड़ा मारना पड़ता है हवेली में तो काफी मेहनत हो जाती है।
फिर धीरे से मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों।
मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था।
फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?
मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है।
और उसने धोती ऊपर उठाने दी।
पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और सुन्दरी की चूत में क्या फर्क है।





मोटी का हस्तमैथुन
मैंने मोटी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों।
मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था।
फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?
मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है।
और उसने धोती ऊपर उठाने दी।
पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और सुन्दरी की चूत में क्या फर्क है।
मोटी की चूत बड़ी उभरी हुई थी और काफी बड़ी लग रही थी जबकि सुन्दरी की चूत काफ़ी डेलिकेट लगती थी। मैंने मोटी की चूत में ऊँगली डाली तो बहुत तंग थी जबकि सुन्दरी की थोड़ी खुली थी।
मैंने मोटी से पूछा कि उसने कितने आदमियों से करवाया है, तो पहले तो वह बहुत शरमाई लेकिन फिर जब मैंने पैसे का लालच दिया तो बोल पड़ी, उसने बताया कि हवेली में काम करने वाला एक माली उसका दोस्त है और वह अक्सर दिन में उसके पास जाती है और वह उसको चोदता है लेकिन बड़ी जल्दी झड़ जाता है, तसल्ली नहीं होती उससे तो आकर कुछ करना पड़ता है।
मैंने पूछा- क्या करती हो वहाँ से आकर?
तो उसने मुंह फेर लिया।
मैं बोला- मैं जानता हूँ, क्या करती हो तुम!
वह बोली- छोटे मालिक आप कैसे जानते हो?
तब मैंने उसको बताया कि जब उसने ऊँगली डाली थी चूत में तो मैं जाग रहा था और उसकी ऊँगली का कमाल देखा था।
मोटी उदास होकर बोली- क्या करूँ छोटे मालिक… और कोई मिलता ही नहीं?
मैंने कहा- एक रूपया दूंगा अगर तू मेरे सामने ऊँगली डाल कर अपना छुटायेगी।
और वह तैयार हो गई। उस दिन उसकी ऊँगली का कमाल छुप कर देखा था लेकिन आज तो सब सामने होने वाला था, मैं बड़ा प्रसन्न हुआ और ध्यान से देखने लगा कि मोटी क्या करती है और उसने सब वही किया जो उसने उस रात में किया। लेकिन आज उसका जब छूटा तो वह काफी ज़ोर से चूतड़ हिलाने लगी, जब उसका छूट गया तो मैंने उसकी चूत से में ऊँगली डाल कर उसके छूटते पानी को सूंघा तो वह काफी महक भरा था।
दोस्तो, यह सब जो मैं आज लिख रहा हूँ वह मेरे साथ वाकिया हुआ और मैंने भी जम कर उन औरतों का मज़ा लूटा। यह सब मेरे परिवार से छुपा रहा क्यूंकि मैं सब औरतों या लड़कियों को काफी धन से मदद करता था और मैं समझता हूँ यही कारण रहा होगा कि किसी ने मेरी शिकायत मेरे परिवार वालों से नहीं की।
मैं स्कूल में भी लड़कों को काफी कुछ सेक्स के बारे में बताया करता था लेकिन मेरा ज्ञान यौन के विषय में अभी काफी अधूरा था जैसे जैसे मैं यौन में आगे बढ़ता गया, मेरा ज्ञान और गहरा होता गया।
मैं धीरे धीरे यह महसूस करने लगा कि मेरा सारा जीवन शायद यौन ज्ञान हासिल करने में लग जायेगा। यही कारण था कि मेरा सारा वक्त औरतों के बारे में सोचने में ही गुज़र जाता।
थोड़ा समय बीतने के बाद मेरे यौन जीवन में फिर बदलाव आया जिसका मुख्य कारण था सुन्दरी का विवाह और मोटी का माली के बेटे के साथ भाग जाना।
दोनों ने मेरे यौन जीवन में काफी बड़ा रोल अदा किया था, उन दोनों के कारण ही मैं औरतों के बारे में काफी कुछ जान सका।
उनके जाने के बाद मम्मी को लगा कि मेरे कमरे में किसी और को सोने की ज़रूरत नहीं थी क्यूंकि मेरी लम्बाई अब बड़ी तेज़ी से बढ़ने लगी और साथ ही मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भी अब तेज़ी से बड़ा होने लगा। क्यूंकि मैंने किसी पुरुष का लंड नहीं देखा था लेकिन लड़के अक्सर बताते कि पुरुष का लंड 4-5 इंच का होता है लेकिन मेरा लंड खड़ा होता तो मैं उसको नापता था और वह भी 4-5 इंच का होता था। मुझ को विश्वास नहीं होता था कि मेरा लंड भी पुरुष की तरह बड़ा हो गया है।
[size=large]कम्मो का आगमन
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खैर यह दुविधा तो चलती रही लेकिन तभी मेरा सम्पर्क एक लम्बी औरत से हो गया। वह हमारी नई नौकरानी बन कर आई थी और मेरा भी सारा काम देखना उसकी ड्यूटी थी।
उसका नाम कम्मो था और वह 5 फ़ीट 6 इंच लम्बी थी, उसका रंग सांवला था लेकिन स्तन काफी बड़े थे और उसके चूतड़ भी काफी मोटे थे, वह कोई 22-23 की थी लेकिन विधवा थी इसीलिए शायद वह बहुत सादे कपड़े पहनती थी लेकिन जब वह काम करते हुए झुकती तो मोटे स्तन एकदम सामने आ जाते थे जैसे उसके तंग ब्लाउज से अभी उछलने वाले हों।
मैं ने भी आहिस्ता से उसको पटाना शुरू कर दिया। जब वह मेरे कमरे में आती थी न तो मैं उसको छूने की पूरी कोशिश करता, कभी जान बूझ कर जाते हुए उसके चूतड़ पर हाथ फेर देता।
वह भी बुरा मनाने की बजाये हल्के से मुस्कुरा देती और धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती गई और उसके आने के ठीक तीन दिन बाद मैंने उसको चूम लिया।
और वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के… कोई देख न ले।
मैंने भी उसके हाथ में दो रूपए रख दिए और वह खुश हो गई।
मैंने उसको दोपहर में मेरे कमरे में आने के लिया राज़ी कर लिया। और इस तरह से मेरा खेल कम्मो के साथ शुरू हो गया।
वह सांवली ज़रूर थी पर उसके नयन नक्श काफी तीखे थे।
सबसे पहले मैंने अपना लंड खड़ा करके उससे पूछा- यह कैसा है?
वह बोली- अभी थोड़ा छोटा है और पतला भी है।
तब मैंने पूछा कि उसके पति का लंड कैसा था? तो उसका सर शर्म से झुक गया।
मैंने जोर देकर कहा- बता ना कैसा था?
तो वह रोते हुए बोली- उसका काफी बड़ा और मोटा था और काफी देर तक चोदता था। वह 2-3 बार छूट जाती थी।
जब वह यह बता रही तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूचियों के साथ खेल रही थीं जो मेरा हाथ लगते ही एकदम सख्त हो गई थी। मैं उनको मुंह में लेकर चूसने लगा और कम्मो के मुंह से अपने आप ही ‘आह आह ओह्ह हो…’ निकलने लगा।
यह सुन कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया और मैंने अपना हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया।
सबसे पहले मेरा हाथ उसकी बालों से भरी हुईं चूत पर जा लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बेहद गीली हो गई थी। मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और अपना पायजामा उतार कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा। मेरा 5 इंच का लंड शायद उसकी चूत पर उगे घने बालों के जंगल में खो जाता लेकिन उसने अपने हाथ से उसको चूत के अंदर डाल दिया और मैंने गरम और गीली चूत को पूरी तरह से महसूस किया। इससे पहले सुन्दरी की चूत ज्यादा गीली नहीं होती थी।
कम्मो इतनी गरम हो चुकी थी कि मुश्किल से 7-8 धक्के लगने पर ही उसने अपनी टांगों से मुझको ज़ोर से दबा दिया और उसका शरीर ज़ोर से कांपने लगा लेकिन मेरा लंड अभी भी धक्के मार रहा था।
यह देख कर कम्मो भी नीचे से थाप देने लगी और फिर 5 मिनट में उसकी चूत फिर से पानी पानी हो गई लेकिन मैं अभी काफी तेज़ धक्के मार रहा था क्यूंकि कम्मो की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी इस कारण उसमें से फिच फिच की आवाज़ आ रही थी।
कम्मो 5-6 बार छूट चुकी थी और उसका जिस्म भी ढीला पढ़ गया था और वह कहने लगी- बस करो छोटे मालिक, अब मैं थक गई हूँ।
मैं उसके ऊपर से हट कर नीचे बिस्तर पर लेट गया। लेकिन मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा था और उसमें से अभी तक कुछ भी नहीं निकला था।
यह देख कर कम्मो हैरान थी।
फिर वह मेरे लंड के साथ खेलने लगी।
दस मिन्ट ऐसे लेट रहने के बाद भी मेरा लंड वैसा ही सख्त खड़ा था। अब कम्मो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत में मेरा लंड डाल लिया और ऊपर से धक्के मारने लगी।
चूत की गर्मी और उस में भरे रस से मेरा लंड खूब मस्ती में आया हुआ था और मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और करीब दस मिनट बाद कम्मो फिर झड़ गई और अपना लम्बा शरीर मेरे ऊपर डाल कर थक कर लेट गई।
फिर वह उठी और बड़ी हैरानी से मेरे लंड को देखने लगी जो अभी भी वैसे ही खड़ा था और हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आपका लंड तो कमाल का है, अभी भी नहीं थका और क्या मस्त खड़ा है। जिससे आप की शादी होगी वह लड़की तो खूब ऐश करेगी।
यह कह कर कम्मो बाहर जाने लगी तो मैंने उसको कहा- रात को फिर आ जाना।
तो वह बोली- मालकिन को पता चल गया न, तो मुझ को नौकरी से निकाल देगी।
और यह कह कर वह चली गई और फिर मैं भी सो गया।
शाम को घूमने के लिए निकला तो गाँव की तरफ चला गया और वहाँ तालाब के किनारे बैठ गया। मैंने देखा कि गाँव की औरतें जिनमें जवान और अधेड़ शामिल थी, तालाब से पानी भरने के लिए आई और पानी भरने के बाद वह अपनी धोती ऊंची करके टांगों और पैरों को धोने लगी।
[size=large]यह देख कर मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था… कुछ जवान औरतों के स्तन ब्लाउज में से झाँक रहे थे जब वे पानी भरती थी। तभी मैंने फैसला किया कि तालाब सुबह या शाम को आया करूंगा और ये गरम नज़ारे देखा करूंगा।
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कम्मो ही कम्मो
कम्मो के साथ मेरा जीवन कुछ महीने ठीक चला, वो बहुत ही कामातुर थी और अक्सर ही चुदाई के बारे में सोचती रहती थी. क्यूंकि वो सेक्स की भूखी थी और चूत चुदाई के बारे में उसका ज्ञान बहुत अधिक था तो उससे मैंने बहुत कुछ सीखना था, वो एक किस्म से मेरी इंस्ट्रक्टर बन गई थी।
मैं अक्सर सोचता था कि कैसे मैं कम्मो को रात भर अपने कमरे में सुलाऊँ? कोई तरीका समझ नहीं आ रहा था!
उन्हीं दिनों दूर के रिश्ते में मेरे चाचे की लड़की की शादी का न्योता आया, मम्मी और पापा को तो जाना ही था लेकिन मुझको भी साथ जाने के लिए कहने लगे। मैंने स्कूल में परीक्षा का बहाना बनाया और कहा कि मैं नहीं जा सकूँगा। पापा मेरी पढ़ने की लगन देख कर बहुत खुश हुए।
यह फैसला हुआ कि एक हफ्ते के लिये वो दोनों जायेंगे और मैं यहाँ ही रहूँगा। मेरे साथ मेरे कमरे में कौन रहेगा, इसका फैसला नहीं हो रहा था।
बहुत सोचने के बाद मम्मी ने ही यह फैसला किया कि कम्मो को ही मेरे कमरे में सोना पड़ेगा क्यूंकि वही ही सब नौकरानियों में सुलझी हुई और शांत स्वभाव की थी।
यह जान कर मेरा दिल खुश तो हुआ लेकिन मैंने यह जताया कि यह मुझ पर ज़बरदस्ती है क्यूंकि मैं अब काफी बड़ा हो गया था और अपनी देखभाल खुद कर सकता था।
मम्मी के सामने मेरी एक भी नहीं चली और आखिर हार कर मैंने भी हाँ कर दी।
मम्मी और पापा दिन को चले गए थे और कम्मो सबकी हैड बन कर काम खत्म करवा रही थी। वह कुछ समय के लिए मेरे पास आई थी और रात को मज़ा करने की बात करके चली गई थी।
रात को काम खत्म करवा कर कम्मो ने सब नौकरों को हवेली के बाहर कर दिया सिर्फ खाना बनाने वाली एक बूढ़ी हवेली में रह गई। चौकीदार सब नीचे गेट के बाहर रहते थे तो कोई रुकावट नहीं थी।
रात कोई 10 बजे कम्मो आई, हम दोनों ने खूब जोरदार चूमा चाटी और आलिंगन किया। फिर मैंने कम्मो को सारे कपड़े उतारने के लिए कहा।
उसने पहली धोती उतारी और फिर ब्लाउज को उतारा और सबसे आखिर में उसने पतला सफ़ेद पेटीकोट उतार दिया।
मैंने भी सब कपड़े उतार दिए, कम्मो ने देखा कि मेरा लंड तो एकदम खड़ा है, उसने उसको हाथ में लिया और आगे की चमड़ी को आगे पीछे करने लगी।
मेरा लंड अब पूरी तरह से तैयार था, कम्मो ने मुझको रोका और बोली- ज़रा मज़ा तो ले लेने दो ना!
और फिर उसने मेरा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू किया।
मुझको लगा कि लंड और भी बड़ा हो गया है, मुझको बेहद मज़ा आने लगा, तब उसने मेरा हाथ चूत पर रख दिया जो अब तक कॅाफ़ी गीली हो चुकी थी और मेरी उंगली को चूत पर के छोटे से दाने को हल्के से रगड़ने के लिए कहा।
मैंने वैसे ही किया और तभी कम्मो के चूतड़ आगे पीछे होने लगे, कम्मो बोली- लड़कियों को इस दाने पर हाथ से रगड़ने पर बहुत मज़ा आता है।
थोड़ी देर ऐसा करने के बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और कम्मो की फैली हुई टांगों के बीच में लंड का निशाना बनाने लगा लेकिन मेरी बार बार कोशिश करने पर लंड अंदर नहीं जा रहा था, वो बाहर ही इधर उधर फिसल रहा था।
कम्मो ने तब हँसते हुए अपने हाथ से लंड को चूत के मुंह पर रखा और मैं जोर से एक धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अंदर चला गया।
मैं जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा लेकिन कम्मो ने रोक दिया और कहा कि धीरे धीरे धक्के लगाऊं।
मैंने अब धीरे से लंड को अंदर पूरा का पूरा डाल दिया फिर धीरे से पूरा निकाल कर फिर पूरा धीरे से अंदर डाल दिया। धीरे धीरे मैंने लंड की स्पीड पर कंट्रोल करना सीख लिया और मैं बड़े ध्यान से कम्मो को देख रहा था, जैसे ही वह कमर से ठुमका लगाती, मेरी स्पीड तेज़ हो जाती या धीरे हो जाती।
इस तरह हम रात भर यौन क्रीड़ा में व्यस्त रहे। कम्मो कम से कम 10 बार झड़ी होगी और मेरा एक बार भी वीर्य नहीं निकला और सुबह होने के समय आखरी जंग तक मेरा लंड खड़ा रहा।
यह देख कर कम्मो बड़ी हैरान थी कि ऐसा हो नहीं सकता लेकिन फिर वह कहने लगी कि शायद मैं अभी पूरी तरह जवान नहीं हुआ, इसी कारण मेरा वीर्य पतन नहीं हुआ।
यह सोच कर वह बहुत खुश हुई कि चलो चुदाई के बाद कोई बच्चे होने का खतरा नहीं होगा।कम्मो ने कहा कि वह गाँव से एक ख़ास तेल लाएगी जिसको लगाने के बाद मेरा लंड बड़ा होना शुरू हो जाएगा।
मैंने भी उससे पक्का वायदा लिया और उसको दस रूपए इनाम दिया।
अगले दिन वायदे के मुताबिक़ वह एक बहुत ही बदबूदार तेल लेकर आई और बोली कि आज नहाते हुए मुझ को लगाना पड़ेगा।
मैंने कहा- मुझको लगाना नहीं आता तुम ही आ कर लगा देना।
उसने कहा कि वह काम खत्म करके आएगी और तेल लगा देगी।
और वह 12 बजे के करीब आई और मुझको गुसलखाने में ले गई, वहाँ मैंने सारे कपड़े उतार दिये और कम्मो को देख कर फिर मेरा लंड खड़ा हो गया।
वह खड़े लंड पर तेल लगाती रही और मैं उसके मम्मों के साथ खेलता रहा।
तेल लगा बैठी तो बोली- अब आप नहा लीजिए!
लेकिन मैं अड़ा रहा कि वो खुद मुझ को नहलाये।
और फिर उस ने मुझ को नहलाना शुरू किया पर मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए और वह मुझको नंगी होकर नहलाने लगी। बाथरूम में हम दोनों नंगे थे, वो मुझ को नहला रही थी और मैं उसको… बड़ा आनन्द आ रहा था।
मैंने उसको कहा कि वो मुझको रोज़ तेल मलेगी और इसी तरह नहलाएगी और बदले में मैं उसको दस रूपया इनाम दिया करूंगा।
वह मान गई।
यह सिलसिला चलता रहा और उस रात मैंने कम्मो को जम कर चोदा।
कम्मो कहने लगी- छोटे मालिक, आपका लंड तो थोड़ा और मोटा और लम्बा हो गया लगता है, अगर यह तेल 7 दिन लगाऊं तो यह ज़रूर 5-6 इंच का हो जायेगा।
वह बोली कि उसका पति भी यह तेल लगाता था और उसका लंड भी काफी मोटा और लम्बा हो गया था।
फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या?
मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था।
 
कम्मो की कहानी
फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?
वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या?
मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था।
वो बोली- यहाँ से दो फर्लांग दूर एक छोटी नदी बहती है, वहीं सारी जवान औरतें और लड़कियाँ जाती हैं और बाकी की सारी तालाब में नहाती हैं।
मैं यह सुन कर चुप रहा।
कम्मो बोली- आपकी इच्छा है तो बताओ, मैं ज़रा बुरा नहीं मनाऊँगी। वैसे गाँव की औरतें 11-12 बजे दोपहर में नहाने जाती हैं लेकिन उस समय आपका तो स्कूल होगा ना?
मैंने कहा- कल छुट्टी ले लूंगा और तुम्हारे साथ नदी चलते हैं, अगर तुम राज़ी हो तो?
मैं बोला- मेरे मन में औरतों के शरीर को देखने की बहुत इच्छा है लेकिन मुझ को नदी के किनारे देख का कुछ गलत समझ लेंगी जो ठीक नहीं होगा।
कम्मो बोली कि उसको कुछ खास जगह मालूम हैं जहाँ से औरतें नहीं देख पाएँगी और मैं बड़े आराम से औरतों को नहाते हुए देख सकूंगा।
मैंने भी हामी भर दी।
उस रात मैंने कम्मो को जी भर के चोदा और कई बार तो मेरा लंड चूत के अंदर ही रहा और हम शांत हो कर लेट गए।
और फिर जब कम्मो की काम इच्छा जागती तो वह मेरे ऊपर चढ़ जाती और 10-15 मिनट में फिर छूट जाती पर मेरा लंड वैसे ही खड़ा रहता।
थोड़ी देर बाद मेरी नींद लग गई और मैं गहरी नींद सो गया और जब उठा तो सुबह के 7 बजे थे और कम्मो जा चुकी थी। बिस्तर को ध्यान से देखा तो कम्मो की चूत से निकले पानी के निशान नज़र आ रहे थे, जब कम्मो आई तो मैंने उसको निशान दिखाये तो वह शर्मा गई और झट चादर बदल दी और खुद ही धोने बैठ गई।
दोपहर को नदी किनारे जाने का वायदा कर के वह अपने कामों में लग गई।
11 बजे के करीब कम्मो आई, बोली- मैं चलती हूँ, तुम पीछे आओ।
वो अपना तौलिए और कपड़े ले कर चलने लगी और मैं थोड़ी दूरी पर पीछे चलने लगा।
जल्दी ही छोटी सी नदी के किनारे पहुँच गए, वह बहुत ही कम गहरी दिख रही थी। कम्मो मुझको एक झाड़ी के बीच ले गई और आहिस्ता से कान में बोली कि मैं वहीं इंतज़ार करूँ और जैसे ही औरतें आएँगी वह मुझ को इशारा कर देगी।
मैं अपना तौलिए पर बैठ गया और अपने छुपने वाली जगह को ध्यान से देखा।
बड़ी ही सही जगह थी पीछे से भी काफी ढकी हुई थी और आगे से भी सारा नज़ारा देख सकते थे।
5-10 मिन्ट इंतज़ार के बाद औरतें कपड़े उठाये हुए आने लगी और जहाँ मैं छुपा था वहाँ से सिर्फ 10-15 फ़ीट दूर नहाने का घाट था।
कुछ तो कपड़े धोने लगी और कुछ नहाने लगी। उनमें से एक बहुत ही सुडौल वाली नई शादीशुदा औरत भी थी, मेरी नज़र तो उस पर ही थी।
गंदमी रंग और गोल मुंह वाली बहुत सेक्सी दिख रही थी।
सबसे पहले उस ने धोती खोल दी और फिर धीरे धीरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी लेकिन ऐसा करते हुए वो चौकन्नी हो कर चारों तरफ देख भी लेती थी कि कोई देख तो नहीं रहा और जब उसका ब्लाउज उतरा तो उसके मोटे और शानदार स्तन उछल कर बाहर आ गए। तब वो पानी में चली गई और खूब मल मल कर नहाने लगी।
उसने पेटीकोट का नाड़ा भी ढीला कर दिया था और अंदर हाथ डाल कर चूत की भी सफाई करने लगी।
5-6 मिन्ट इस तरह नहाने के बाद वो गीले पेटीकोट के साथ नदी के बाहर निकली और सीधी मेरी वाली झाड़ी की तरफ आने लगी और यह देख कर मैं डर के मारे कांपने लगा।
मुझ को पक्का यकीन था कि मैं पकड़ा जाऊँगा लेकिन कम्मो बड़ी होशियार थी, वो झट वहाँ आ गई और दोनों बातों में लग गई।
जब उस लड़की ने जिस्म पौंछ लिया तो कम्मो बोली- मैं देख रही हूँ, तू झाड़ी की तरफ मुंह करके पेटीकोट बदल ले।
और तब उसने झट से अपने पेटीकोट उतार दिया। मैंने उसकी चूत देखी जिस पर काले घने बाल छाए हुए थे और उसकी मोटी जांघों के बीच उसकी चूत काफी सेक्सी लग रही थी।
झट से उसने धुला पेटीकोट पहन लिया और फिर ब्लाउज भी पहन कर वो फिर नदी के किनारे आ गई। तब मैंने दूसरी औरतों को देखा तो सब ही ब्लाउज उतार चुकी थी और खूब मल मल कर नहा रही थी।
यह नज़ारा देख कर मेरा लंड तो खड़ा हो गया और बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। तब मैंने देखा कि कई औरतें अपना पेटीकोट उतार कर धो रही थी, सभी की चूत दिख रही थी सब ही बालों से भरी हुई थी।
यह नज़ारा मेरे जीवन में अद्भुत था… इतनी सारी औरतों को नंगी देखना फिर शायद सम्भव नहीं होगा, ऐसा सोच कर मैं बार बार बड़ा खुश हो रहा था।
तभी कम्मो आ गई और मुझको इशारे से बाहर बुलाया और बोली- छोटे मालिक, अब हम वापस घर चलते हैं क्यूंकि आपने सब कुछ तो देख ही लिया है और कहीं हम को कोई देख न ले जिससे बहुत बदनामी होगी।
मैं भी वापस चल पड़ा कम्मो के साथ!
रास्ते में वो बोली- कोई पसंद आई इन में से?
मैं शरमा गया और कुछ नहीं बोला।
तब कम्मो कहने लगी- छोटे मालिक, आप हुकुम करो, अगर कोई पसंद आ गई है तो उसको आपसे मिलवा दूंगी।
मैं फिर चुप रहा।
कम्मो हल्के से मुस्कराई और बोली- आप बता दो ना, क्या आपको वो मोटे चूचों वाली पसंद है क्या?
मैं अंजान बनते हुए बोला- कौन सी?
‘छोटे मालिक, मुझसे क्यों छिपा रहे हो? मैं जानती हूँ तुम को वो बहुत भा गई है!’
‘नहीं री, तुम से भला क्या छिपाऊँगा। तुम से ज्यादा सुन्दर औरत कहाँ मिलेगी। तुम तो मेरी गुरु हो और मेरी टीचर हो!’
‘तो जल्दी बताओ कौन सी बहुत पसंद आई उन में से?’
मेरा मुख शर्म से एकदम लाल हो गया और मैं झिझकते हुए बोला- वही जो मेरे सामने पेटीकोट बदल रही थी और जिसको कपड़े पहनने में तुम मदद कर रही थी और जो सब औरतों में से सुन्दर है।
‘क्या उसको पसंद कर लिया है?’
‘नहीं री, जो तुमने पूछा, वही मैंने बताया। पसंद तो मैंने सिर्फ तुमको किया है और तुम्ही हो मेरी।’
मैंने महसूस किया की कम्मो बेहद खुश हुई, यह सुन कर बोली- कभी मौका लगा तो उसको पेश कर दूंगी। उसका नाम चंपा है और वो शादीशुदा है लेकिन उसका पति विदेश गया है बेचारी लंड की बहुत भूखी है। कई लड़के उसको पाने के लिए उसके चारों तरफ घूमते हैं। ‘देखेंगे जब समय आयेगा! अब तो जल्दी चलो, घर मैंने तुम को चोदना है सारी दोपहर!’ मैं बोला।
और घर पहुँच कर मैंने उसके कपड़े उतार दिए और खुद भी पूरा नंगा हो गया और खूब मस्त चुदाई शुरू हो गई। मेरा लंड अब पहले से थोड़ा बड़ा हो गया था और मेरे ज़ोर ज़ोर के धक्कों से कम्मो 3-4 मिन्ट में झड़ गई और आज वो छूटते हुए कुछ ज्यादा ही काम्पने लगी और मुझको जो उसने कस के अपनी बाहों में जकड़ा कि मेरी हड्डियाँ ही दुखने लगी थी।
अब वह एकदम निढाल हो कर पड़ गई लेकिन मैं अभी भी हल्के धक्के मार रहा था और उसकी चूत से निकल रहे पानी में बड़ी ही सेक्सी फिच फिच की आवाज़ आ रही थी और चूत से बहे पानी का जैसे तालाब चादर पर बन गया था।
कम्मो की नज़र पड़ते ही झट उसने वो चादर बदल दी। 
अगले दिन ही मम्मी पापा भी वापस आ गये और मेरा चुदाई का प्रोग्राम रात वाला बंद करना पड़ा लेकिन दोपहर का प्रोग्राम चालू रहा। अक्सर हम चुदाई खत्म करने के बाद बातें करते थे।
मैंने कम्मो से उसके पति के बारे में पूछना शुरू किया, जैसे कि उसका पति उसको कैसे चोदता था और रात में कितनी बार वह झड़ती थी।
कम्मो ने बताना शुरू किया कि उसके पति ने सुहागरात को ही उसको बता दिया था कि शादी से पहले एक स्त्री के साथ उसके सम्बन्ध थे और वो उससे उम्र में 10 साल बड़ी थी लेकिन बहुत ही कामातुर औरत थी। उसका पति खस्सी बकरा था और किसी भी औरत से वो यौन सम्बन्ध के लायक नहीं थ, उस औरत ने मेरे पति को पूरी तरह से चुदाई में माहिर कर दिया था, लेकिन उनके सम्बन्ध के कारण वो गर्भवती हो गई थी और उसने बड़ी होशियारी से इस बच्चे का पिता अपने पति को बना दिया था। उस औरत का पति बड़ा ही खुश था कि इतने सालों बाद उसके संतान हो रही थी।
इधर कम्मो का जीवन अपने पति के साथ बड़ा ही अच्छा चल रहा था, उसका पति शुरू शुरू में उसको हर रात 5-6 बार ज़रूर चोदता था। फिर शादी को कुछ समय हो जाने बाद वह हर रात 1-2 बार की चुदाई पर आ गए थे, हर बार कम्मो का ज़रूर छूटता था।
कुछ साल उसके बड़े ही अच्छे बीते लेकिन फिर एक दिन उसका खेत में गया और वापस ही नहीं आया, उसको एक सांप ने खेत में डस लिया था और जब तक अस्पताल जाते वह समाप्त हो गया था।
कम्मो का जीवन एकदम वीरान हो गया क्यूंकि उसका पति अभी बच्चे नहीं चाहता था तो उसने बच्चा भी नहीं होने दिया।
कम्मो की जीवन कहानी बड़ी ही दर्दभरी थी लेकिन वो यही कहती थी कि विधि के विधान के आगे हम सब मजबूर हैं।
उसने यह भी बताया कि उसके पति के जाने के बाद मैं ही उसका पहला मर्द था जो उसकी चूत में लंड डाल सका था।
मेरे पूछने पर कि ‘वो क्या करती थी जब उसको काम वेग सताता था?’ उसने हंस कर बात टाल दी और कहा फिर कभी बताऊँगी।
[size=large]कम्मो के सबक
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मेरा कम्मो से मिलना जारी रहा।
लेकिन अब मैं महसूस कर रहा था कि मेरा लंड भी अब बहुत अकड़ता रहता था, ज़रा सा भी चूत का ख्याल आते ही वह एकदम तन जाता था और तब उसका बैठना बहुत मुश्किल होता था जब तक वो चोद न ले या फिर मुठी न मार ले… कई बार तो कम्मो ने बताया था कि लंड पर ठंडा पानी डाल देने से वो बैठ जाता था।
और अब मैं रोज़ उसका नाप फीते से लेता था। अब मेरा लण्ड करीब 6 इंच का हो गया था और मोटा भी हो गया था। कम्मो अब रोज़ लंड की मालिश नहीं कर पाती थी लेकिन मैंने मालिश जारी रखी। कम्मो मेरे लंड से अब बेहद खुश थी और भरी दोपहरी में चुदवाने ज़रूर आती थी। अब उसने मुझ को तरह तरह चोदने के तरीके बता दिए थे।
उसको घोड़ी बन कर चुदवाना बहुत अच्छा लगता था और मैं भी उसके बताये हुए चुदाई के तरीकों में माहिर हो रहा था।हर बार चुदाई के दौरान वह 2-3 बार झड़ जाती थी जिसके कारण उसके चेहरे का निखार और भी बढ़ रहा था। मेरी मम्मी ने 1-2 बार उसको जताया भी कि वह अब बहुत सुन्दर लग रही है और उसको दोबारा शादी कर लेनी चाहये लेकिन कम्मो को मेरे लंड की आदत पड़ गई थी, उसने मम्मी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया।
दोपहर को जब कम्मो आई तो मैं उस पर रोज़ की तरह चढ़ गया लेकिन 10-12 धक्के के बाद ही मेरे लंड से जैसे एक बहुत ही तेज़ फव्वारा छूटा और कम्मो की चूत को एकदम पानी से भर दिया। लेकिन मेरे लंड की सख्ती में कोई कमी नहीं आई और मैं उसी जोश के साथ धक्के मारता रहा और रोज़ाना की तरह जब कम्मो 3-4 बार छूट गई तो मुझको उतरने के लिए कहने लगी और जब मैं उतरा तो चूत में ऊँगली डाल कर कुछ देखने की कोशिश करने लगी तब मैंने देखा कि उसके हाथ में कुछ सफ़ेद चिपचिपा पानी लगा हुआ है।
वह एकदम चौंक कर बोली- छोटे मालिक, आज आपके लंड से कुछ पानी छूटा था?
और मैं बोला- हाँ, मुझको ऐसा लगा कि मेरे लंड से कोई गरम लावा सा पदार्थ निकला था और मुझ को बहुत आनन्द आया था।
कम्मो बोली- बधाई हो छोटे मालिक… आप तो पूरे जवान बन गए हो।
और यह कह कर जल्दी से गुसलखाने की तरफ भागी। मैं भी उसके पीछे गया तो वह बैठ कर चूत को पानी से धो रही थी और मुझ को इशारे से बहार जाने के लिए कहने लगी।
थोड़ी देर के बाद वो निकली तो बोली- अब मैं आपसे चुदाई नहीं करवाऊँगी। अब आप पूरे मर्द हो गए हैं इसी लिए अब चोदना नहीं होगा।
मैं हैरान था कि ऐसा क्या हुआ है आज चुदाई के दौरान कि कम्मो चुदाई से भाग रही है।
तब मैंने उसको ज़ोर देकर पूछा कि चुदाई न करवाने की क्या वजह है?
पहले तो वह चुप रही और फिर बोली- छोटे मालिक, आपके अंदर से छूटने वाले पानी से मैं गर्भवती हो जाऊँगी।
मैं एकदम हैरान हो गया और बोला- क्या यह सच कह रही हो या फिर तुम्हारा मुझ से दिल भर गया है?
वो उदास हो कर बोली- नहीं छोटे मालिक, अब चुदाई रोकनी होगी, नहीं तो किसी दिन भी मैं फंस जाऊँगी।
मैंने पूछा कि कुछ उपाय तो होगा जिससे तुम ठीक रहो?
कम्मो बोली एक ही तरीका है और वो है कि तुम जब छूटने लगो तो तुम अपना लंड बाहर निकाल लिया करो और चूत के बाहर ही अपना पानी छूटा दिया करो? ऐसा कर सकोगे क्या?
मैंने कहा- कोशिश करने दो अगर अभ्यास करूंगा तो शायद यह कर सकूं।
और फिर मैंने लंड कम्मो की चूत में डाल दिया और तेज़ धक्के मारने लगा।
कम्मो ने मुझ को रोक दिया और बोली- छोटे मालिक, धक्के धीरे मारो ताकि जब तुम छूटने लगो तो तुमको पता चल जायेगा कि तुम्हारा पानी छूटने वाला है और उसके बाद तुम बाहर छूटा देना।
मैंने ऐसा ही किया लेकिन अबकी बार मैं धक्के काफी देर तक मारता रहा और मैंने महसूस किया कम्मो का पानी 3-4 बार छूट गया और वह थक कर अपनी टांगें सीधी करने लगी और बोली- छोटे मालिक, अब बस करो, मैं थक चुकी हूँ।
यह कह कर उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और जल्दी से बाथरूम में घुस गई और जब मैंने देखा तो वह चूत को पानी से धो रही थी। उस दिन के बाद वो दोपहर को आती तो थी लेकिन उसकी गरम जोशी अब कम हो रही थी, मेरे से चुदवाती तो थी लेकिन अब उसमें वो जोश नहीं था। क्यूंकि वो रात अपने घर चली जाती थी तो मैं नहीं जानता वो वहाँ क्या करती थी।
फिर एक दिन मैंने उससे पूछा कि उसके घर में कौन कौन लोग हैं?
तो बोली- बूढ़ी माँ है और छोटी बहन है।
उसने बताया कि उसकी झोंपड़ी में दो कमरे हैं, एक में उसकी माँ और बहन सोती हैं और दूसरे में वो सोती है।
मैं बोला- अगर मैं रात में तुम्हारी झोंपड़ी में आऊं तो तुमको कोई मुश्किल तो नहीं होगी?
वो एकदम चौंक कर बोली- कभी ऐसा मत करना, सारा गाँव जान जायेगा हमारी कहानी। तुम वहाँ क्यों आना चाहते हो?
मैंने कहा- तुम आजकल मुझसे पहले की तरह गर्मागर्म चुदवा नहीं रहो हो, कहीं कोई और आदमी तो नहीं आ गया तुम्हारे जीवन में?
वो हंस दी और बोली- छोटे मालिक, तुम मुझको बुरी तरह से थका देते हो और घर जाकर मैं बस सो जाती हूँ। यही कारण है कि तुम को लगता है कि मेरे जीवन में कोई और आ गया है। अच्छा तुम कहो तो मैं बड़ी मालकिन से कह कर तुम्हारी दूसरी नौकरानी रखवा देती हूँ।
मैं बोला- कभी नहीं।
वो बोली- मालकिन कह रही थी कि कोई और कामवाली लड़की चाहये उनको, और मैं सोचती हूँ कि क्यों न चम्पा को रखवा दें तुम्हारे साथ? मैं भी रहूंगी और वो भी। बोलो मंज़ूर है?
मैं बोला- कभी नहीं, जब तक तुम हो, और कोई नहीं आएगी।
कम्मो बोली- अरे चम्पा भी रहेगी और मैं भी… दोनों ही तुम्हारा काम करेंगी। मान जाओ छोटे मालिक?
मैंने कहा- ठीक है लेकिन दोपहर में सिर्फ तुम ही आया करोगी… ठीक है?
वो बोली- मंज़ूर है।
कुछ दिन वैसे ही चलता रहा जैसा पहले था, अब कम्मो की सिखाई के बाद अब मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। चुदाई के समय मैं अब पूरा ध्यान रखता था कि किसी तरह भी मेरा वीर्य समय से पहले न छूटे और अगर छूटे भी तो वह चूत के बाहर छूटे।
धीरे धीरे कम्मो को मुझ पर विश्वास बढ़ता गया और हमारा चुदाई जीवन फिर पहले की तरह हो गया, दोपहर में चुदाई जारी रहने लगी। उस दिन के बाद कम्मो ने चम्पा की कोई बात की, न वो हमारी हवेली में आई। कम्मो और मेरी कहानी तकरीबन एक साल चली जिस के दौरान मैं पूरा जवान हो गया, मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी।
मैं शारीरिक तौर भी अब बहुत बड़ा बड़ा लगने लगा था और तब एक दिन मम्मी और पापा बोले कि सोमू तो जल्दी से बड़ा हो रहा है, यह बहुत ही अच्छी बात है।
लेकिन वो दोनों अपनी जमींदारी के काम में इतने उलझे और व्यस्त रहते थे कि उनके पास मेरे लिए समय निकालना मुश्किल था। एक तरह से यह मेरे लिए अच्छा था क्यूंकि मेरी कामातुर वासना को कम्मो रोज़ बढ़ा देती और फिर शांत भी कर देती थी।
[size=large]उन्ही दिनों मैं रोज़ शाम को नदी किनारे भी जाता था लेकिन नहाती हुई औरतों को देखने की कोशिश नहीं करता था।
[/size]
 
कम्मो के सबक
एक दिन ऐसे ही घूमते हुए मैं अपने घोड़ों के अस्तबल की ओर निकल गया जहाँ का मुखिया राम सिंह था। तब वो घोड़ों को घुमा रहा था, मुझ देखते ही बोला- आओ छोटे मालिक, आज इधर कैसे आना हुआ?
मैं बोला- बहुत दिनों से घोड़ों को देखने नहीं आया था तो सोचा कि देखूं क्या हाल है सबका, कैसे चल रहे सब हैं? अब कितने घोड़े और कितनी घोड़ियाँ हैं?
रामू बोला- छोटे मालिक, अभी 6 घोड़े हैं और 10 घोड़ियाँ हैं, हर रोज़ लगभग 6-7 घोड़ियाँ दूसरी ज़मीनदारों से आती हैं हमारे यहाँ क्यूंकि हमारे 6 घोड़े बहुत बढ़िया नसल के हैं और उनके द्वारा पैदा किये हुए बच्चे बड़े ही उम्दा घोड़े या घोड़ियाँ बनते हैं। इससे काफी अच्छी आमदनी हो जाती है।
यह कह कर उसने मुझ को पूरा अस्तबल दिखाया और कहा- कल अगर दोपहर को आएँ तो घोड़ी को कैसे हरा किया जाता है, देख सकते हैं आप!
मैंने कहा- देखो कल आ सकता हूँ या नहीं!
फिर मैं वहाँ से चला आया। मैंने बात कम्मो को बताई तो वह बोली- ज़रूर जाना छोटे मालिक, वहाँ बड़ा गरम नज़ारा देखने को मिलेगा। कैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है देखने को मिलेगा। बाप रे बाप… घोड़े का कितना लम्बा और मोटा लंड होता है, तौबा रे… हम औरतें वहाँ नहीं जा सकती क्यूंकि औरतों का वहाँ जाना मना है, लेकिन छोटे मालिक आप ज़रूर जाना कल… बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा आप को!
यह कह कर उसने मुझको आँख मारी और मैंने फैसला कर लिया कि कल ज़रूर जाऊँगा अस्तबल।
जैसा कि मैंने सोचा था, स्कूल से वापस आने के बाद मैं अस्तबल की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँचा तो राम सिंह एक घोड़े को एक घोड़ी के चारों और घुमा रहा था।
घोड़ा रुक रुक कर घोड़ी की चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था। ऐसा कुछ 4-5 मिनट हुआ और फिर वो घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा।
देखते देखते ही उसका लंड एकदम बाहर निकल आया और बहुत लम्बा होता गया, वो काफी मोटा भी था और फिर घोड़ा एकदम ज़ोर से हिनहिनाया और झट घोड़ी के ऊपर चढ़ गया और उसका 2 फ़ीट का लंड एकदम घोड़ी की चूत में घुस गया और घोड़ा ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और फिर 2-3 मिनट में घोड़े का पानी छूट गया और वो नीचे उतर आया।
यह देखते हुए मेरा भी लंड तन गया और मैं भी जल्दी से घर की ओर चल पड़ा। मेरा दिल यह चाह रहा था कि मैं भी किसी लड़की के ऊपर चढ़ जाऊँ।
मैं थोड़ी दूर ही गया था कि मुझ को शी शी की आवाज़ सुनाई दी।
जिधर से आवाज़ आई थी, उधर देखा तो कम्मो हाथ से इशारा कर रही थी और अपने पीछे आने को कह रही थी।
मैं काम के वश में था तो बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे चल पड़ा। वो जल्दी चलती हुए एक छोटी सी कुटिया में घुस गई और मैं भी उसके पीछे घुस गया, देखा कि एक साफ़ सुथरी कुटिया थी जिसमें एक चारपाई बिछी थी और साफ़ सुथरी सफ़ेद चादर उस पर पड़ी थी।
!
मैंने घुसते ही कम्मो को दबोच लिया, ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा और झट से अपनी पैंट को उतार फ़ेंक दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर के अपना तना हुआ लंड चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
कम्मो की चूत भी पूरी गीली हो रही थी तो ‘फिच फिच’ की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से ‘आह आह ओह ओह…’ की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया और फिर ज़ोर से उस के चूतड़ ऊपर को उठे और मेरे लंड को पूरा अंदर लेकर अपनी जांघों में बाँध लिया और फिर मैं कोशिश करने के बावजूद भी झड़ गया।
मैंने जल्दी से उसको सॉरी बोला लेकिन वो आँखें बंद करके पड़ी रही, कुछ न बोली और न उसने मुझको अपनी बाहों से आज़ाद किया। कोई 5 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है और मैंने धीरे से धक्के मारने शुरु कर दिए और तब उसने आँखें खोली, हैरानी से मुझको देखने लगी, हँसते हुए बोली- फिर खड़ा हो गया क्या?
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और फिर हम दोनों की चूत और लंड की लड़ाई चालू हो गई। कोई 10 मिनट बाद कम्मो फिर से झड़ गई लेकिन मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और हमारी जंग जारी रही। अब जब कम्मो ने पानी छोड़ा तो उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और एकदम थक कर लेट गई, थोड़ी देर बाद बोली- छोटे मालिक, आज आपने फिर अंदर छूटा दिया? 
‘सॉरी कम्मो, मैं इतनी मस्ती में था कि अपने को रोक नहीं सका! अब क्या होगा?’
वह हंस कर बोली- कोई बात नहीं। आजकल में मेरी मासिक शुरू होने वाली है तो कोई डर वाली बात नहीं है। पर आज तुमने तो कमाल कर दिया छूटने के बाद भी तुम्हारा नहीं बैठा?
और यह कह कर वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी और मेरा लंड झट से फिर खड़ा हो गया, फिर से उसके ऊपर चढ़ने की मैंने कोशिश की लेकिन कम्मो ने मना कर दिया और बोली- आज घोड़े का तमाशा देखा क्या?
मैं बोला- हाँ, बड़ी ही मस्त है उनकी चुदाई भी… देख कर जिस्म में आग लग गई थी जो तुमने वक्त पर आकर बुझा दी।
कम्मो बोली- मैंने भी देखा सारा तमाशा!
‘कैसे? कहाँ से देखा?’
‘है एक गुप्त जगह जो हम गाँव वाली लड़कियों को मालूम है सिर्फ। कभी कभी मन करता है तो आ जाती हैं दो या तीन और बाद में बहुत मस्ती करती हैं हम यहाँ इसी झोंपड़ी में…’
‘क्या मस्ती करती हो तुम लड़कियाँ?’
‘कभी किसी दिन बता दूंगी और दिखा भी दूंगी।’
फिर हम वहाँ से चल दिए पहले कम्मो निकली और बोल गई- आप कुछ देर बाद आना!
मैं भी 10 मिनट बाद वहाँ से चल दिया।
 
कम्मो गई और चम्पा आई 
मेरा जीवन कम्मो के साथ बड़े आनन्द के साथ चल रहा था, वह रोज़ मुझको काम क्रीड़ा के बारे में कुछ न कुछ नई बात बताती थी जिसको मैं पूरे ध्यान से सुनता था और भरसक कोशिश करता था कि उसके सिखाये हुए तरीके इस्तमाल करूँ और जिस तरह वह मेरे साथ चुदाई के बाद मुझको चूमती चाटती थी, यह साबित करता था कि मैं उसके बताये हुए तरीकों का सही इस्तेमाल कर रहा हूँ।
और धीरे धीरे मुझको लगा कि कम्मो को मुझसे चुदवाने की आदत सी बनती जा रही थी और मैं भी उसे चोदे बिना नहीं रह पाता था। हर महीने वो चार दिन मेरे पास नहीं आती थी और बहुत पूछने पर भी कारण नहीं बताती थी।
बहुत पूछने की कोशिश की लेकिन वो इस बारे में कोई बात कर के राज़ी ही न थी। हाँ इतना ज़रूर कहती जब मैं शादी करूंगा तो समझ जाऊंगा।
वो महीने के चार दिन मेरे बड़ी मुश्कल से गुज़रते थे, 5-6 दिन बाद वो खुद ही मेरे कमरे में दोपहर में आ जाती थी और हमारा चुदाई का दौर फिर ज़ोरों से शुरू हो जाता था।
उसने कई बार मेरे छूटने के बाद मुझ को लंड चूत के बाहर नहीं निकालने दिया था और कुछ मिन्ट में मेरा लंड फिर चूत में ही खड़ा हो जाता था और मैं फिर से चुदाई शुरू कर देता था। कई बार उसने आज़मा के देख लिया था कि मेरा लंड चूत के अंदर ही दुबारा खड़ा हो जाता था और मैं छूटने के बाद भी चुदाई जारी रख सकता था।
वो कहती थी कि मुझमें चोदने की अपार शक्ति है और शायद भगवान ने मुझको इसी काम के लिए ही बनाया है। उसने यह भी बताया कि मेरे अंदर से बहुत ज़यादा वीर्य निकलता है जो 3-4 औरतों को एक साथ गर्भवती कर सकने की ताकत रखता है।
अब मेरे लंड की लम्बाई तकरीबन 7 इंच की हो गई थी और खासा मोटा भी हो गया था। कम्मो हर हफ्ते उसका नाप लेती थी और कॉपी में लिखती जाती थी। उसका कहना था कि वो जो तेल की मालिश करती थी शायद उससे यह लम्बा और अच्छा मोटा हो गया है।
!
लेकिन वो अभी भी हैरान हो जाती थी जब उसके हाथ लगाते ही मेरा लंड लोहे की माफिक सख्त हो जाता था। अब वो चुदाई के दौरान 2-3 बार छूट जाती थी क्योंकि मैंने महसूस किया था कि जब वो छूटने वाली होती थी वो कस के मुझको अपनी बाहों में जकड़ लेती थी और अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को कस के दबा लेती थी और ज़ोर से कांपती थी और फिर एकदम ढीली पड़ जाती थी।
हालाँकि वो बताती नहीं थी लेकिन मैं अब उसकी आदतों से पूरा वाकिफ़ हो गया था और बड़ा आनन्द लेता था जब उसका छूटना शुरू होता था।
फिर उसने मुझको सिखाया कि कैसे औरतों के छूटने के बाद लंड को बिना हिलाये अंदर ही पड़ा रहने दो तो उनको बहुत आनन्द आता है और जल्दी दुबारा चुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
उसके सिखाये हुए सबक मेरे जीवन में मुझको बहुत काम आये और शायद यही कारण है कि जो भी स्त्री मेरे संपर्क में आती वह जल्दी मेरा साथ नहीं छोड़ती थी और मेरे साथ ही सम्भोग करने की सदा इच्छुक रहती थी।
और एक दिन कम्मो नहीं आई और पता किया गया तो पता चला कि वो गाँव छोड़ कर किसी के संग भाग गई थी। किसी ने देखा तो नहीं लेकिन ऐसा अंदाजा है कि वो अपने गाँव से बाहर वाले आदमी के साथ ही भागी है।
पर कैसे यकीन किया जाए कि कम्मो के साथ कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई?
मैंने मम्मी और पापा पर ज़ोर डाला कि पता करना चाहिये आखिर क्या हुआ उसको?
लेकिन बहुत दौड़ धूप के बाद भी कुछ पता नहीं चला।
मैं बेहद निराश था क्योंकि मेरा मौज मस्ती भरा जीवन एकदम बिखर गया। मम्मी ने कोशिश करके एक और औरत को मेरे लिए काम पर रख लिया।
उसका नाम था चम्पा।
कम्मो के जाने के कुछ दिनों बाद ही वो काम पर आ गई थी, उसको देखते ही मुझको लगा कि इस लड़की को मैंने पहले कहीं देखा है। बहुत ज़ोर डाला तो याद आया कि इसको तो नदी के किनारे नहाते हुए देखा था और इसने मेरी छुपने वाली जगह के सामने ही कपड़े बदले थे।
वो नज़ारा याद आते ही मेरा लंड पूरे ज़ोर से खड़ा हो गया क्यूंकि इसके स्तन बड़े ही गोल और गठे हुए दिखे थे और चुचूक भी काफी मोटे थे बाहर निकले हुए ! चूत पर काली झांटों का राज्य था, कमर और पेट एकदम उर्वशी की तरह एकदम गोल और गठा हुआ था, उसके नितम्ब एकदम गोल और काफी उभरे हुए थे।
थोड़ी देर बाद मम्मी चम्पा को लेकर मेरे कमरे में आई और उसको मुझ से मिलवाया।
वह मुझ को देख कर धीरे से मुस्करा दी और बोली- नमस्ते छोटे मालिक!
मैंने भी अपना सर हिला दिया।
मम्मी के सामने मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं और ऐसा बैठा रहा जैसे कि मुझको चम्पा से कुछ लेना देना नहीं।
मम्मी उसको समझाने लगी- सुनो चम्पा, सोमू भैया को सुबह बिस्तर में चाय पीने की आदत है, तुम रोज़ सुबह सोमू के लिए चाय लाओगी और चाय पिला कर उसका कप वापस रसोई में ले जाओगी और फिर आकर सोमू की स्कूल ड्रेस जो अलमारी में हैंगर पर लटकी है, वह बाहर लाकर उसके बेड पर रख दोगी और फिर उसके स्कूल वाले बूट पोलिश करके, उसका रुमाल वगैरा मेज पर रख देना। इसी तरह जब सोमू स्कूल से आये तो तुम इस कमरे में आ जाना और उसका खाना इत्यादि उसको परोस देना। और उसके कपड़े भी धो देना। समझ गई न?
यह कह कर मम्मी चली गई।
अब मैंने चम्पा को गौर से दखना शुरू किया।
वो मुझको घूरते देख पहले तो शरमाई और फिर सर झुका कर खड़ी रही।
मैंने देखा कि वो एक सादी सी धोती और लाल ब्लाउज पहने थी, उसने अपने वक्ष अच्छी तरह से ढके हुए थे। उस सादी पोशाक में भी उसकी जवानी छलक रही थी।
उसने झिझकते हुए पूछा- सोमु भैया, मैं रुकूँ या जाऊँ बाहर?
मैं बोला- चम्पा, तुम मेरे लिए एक गरमागरम चाय ले आओ।
‘जी अच्छा… लाई!’ कह कर वो चली गई और थोड़ी देर में चाय ले कर आगई।
तब मैंने उससे पूछा- क्या तुम कम्मो को जानती हो?
वो बोली- हाँ सोमू भैया। वो मेरे साथ वाली झोंपड़ी में ही तो रहती थी।
‘तो फिर तुम ज़रूर जानती होगी कि वो कहाँ गई?’
‘नहीं भैया जी, गाँव में कोई नहीं जानता वो कहाँ गई और क्यों गई? बेचारी की बूढ़ी माँ है, पीछे उसको अब खाने के लाले पड़ गए हैं। कहाँ से खाएगी वो बेचारी? अभी तक तो गाँव वाले उसको थोड़ा बहुत खाना दे आते हैं लेकिन कब तक?
मैं कुछ देर सोचता रहा फिर बोला- क्या तुम उसकी माँ को यहाँ से खाना भिजवा दिया करोगी? मैं मम्मी से बात कर लूंगा।
वो बोली- ठीक है भैया जी!
और मम्मी से बात की तो वो मान गई और उसी वक्त चम्पा को हुक्म दिया कि दोनों वक्त का खाना कम्मो की माँ को चम्पा पहुँचा दिया करेगी।
[size=large]कम्मो गई और चम्पा आई 
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अब मैं चम्पा को पटाने की तरकीब सोचने लगा, कुछ सूझ नहीं रहा था और इसी बारे में सोचते हुए मैं सो गया।
सुबह जब आँख खुली तो चम्पा चाय का कप लिए खड़ी थी। मैंने जल्दी से चादर उतारी और कप लेने के लिए हाथ आगे किया तो देखा की चम्पा मेरे पायजामे को देख रही थी।
जब मैंने उस तरफ देखा तो मेरा लंड एकदम अकड़ा खड़ा था, एक तम्बू सा बन गया था खड़े लंड के कारण और चम्पा की नज़रें उसी पर टिकी थी।
मैंने भी चुपचाप चाय ले ली और धीरे से गर्म चाय पीने लगा। मेरा लंड अब और भी तन गया था और थोड़ा थोड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। चम्पा इस नाटक को बड़े ही ध्यान से देख रही थी। जब तक चम्पा खड़ी रही लंड भी अकड़ा रहा।
जब वो कप लेकर वापस गई तो तब ही वो बैठा अब मुझको चम्पा को पटाने का तरीका दिखने लगा।
अगले दिन मैं चम्पा के आने से पहले ही जाग गया, हाथ से लंड खड़ा कर लिया, उसको पायजामे से बाहर कर दिया और ऊपर फिर से चादर डाल दी और आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा।
जब चम्पा ने आकर बोला- चाय ले लीजये।
मैंने झट से आँखें खोली और अपने ऊपर से चादर हटा दी और मेरा अकड़ा लंड एकदम बाहर आ गया।
मैंने ऐसा व्यवहार किया जैसे मुझ को कुछ मालूम ही नहीं और उधर चम्पा की नज़र एकदम लंड पर टिक गई थी।
मैं चाय लेकर चुस्की लेने लगा और चम्पा को भी देखता रहा। उसका हाथ अपने आप अब धोती के ऊपर ठीक अपनी चूत पर रखा था और उसकी आँखें फटी रह गई थी।
चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी।
अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है।
उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही चम्पा आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो।
और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी।
[size=large]मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया।
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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]चम्पा की पहली चूत चुदाई
चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी।
अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है।
उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही चम्पा आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो।
और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी।
मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया।
उसने मुड़ के देखा और मुझ को देख कर हल्के से मुस्करा दी।
मैंने झट उसको बाँहों में भर लिया, वो थोड़ा कसमसाई और धीरे से बोली- कोई आ जाएगा, मत करो अभी!
मैंने उसको सीधा करके उसके होंटों को चूम लिया और पीछे हट गया।
यह अच्छा ही हुआ क्यूंकि मैंने मम्मी के आने की आवाज़ सुनी जो मेरे ही कमरे की तरफ ही आ रही थी।
मैं झट से बेड पर लेट गया।
मम्मी ने आते ही कहा- गुड मॉर्निंग सोमू बेटा, उठ गए क्या?
‘गुड मॉर्निंग मम्मी, मैं अभी ही उठा था… चाय पी ली है और चम्पा आंटी मेरे स्कूल के कपड़े निकाल रही है!’
मम्मी बोली- मैं यह बताने आई थी, मैं आज दिन और रात के लिए पड़ोस वाले गाँव जा रही हूँ। तुम अकेले घबराओगे तो नहीं? वैसे चम्पा तुम्हारे कमरे में ही सोयेगी, जैसे कम्मो सोती थी… ठीक है बेटा? और चम्पा, तुम अम्मा से बिस्तर ले लेना और अब दिन और रात को सोमू के कमरे में ही सोया करना! ठीक है?
चम्पा ने हाँ में सर हिलाया।
यह कह कर मम्मी तेज़ी से बाहर निकल गई।
और इससे पहले की चम्पा बाहर जाती, मैंने फिर उसको बाँहों में भर लिया और जल्दी से उसके होटों को चूम लिया। चम्पा अपने को छुड़ा कर जल्दी से बाहर भाग गई।
मैं बड़ा ही खुश हुआ कि काम इतनी जल्दी सेट हो जायेगा मुझको उम्मीद नहीं थी। मुझको मालूम था कि खड़े लंड का अपना अलग जादू होता है।
मैंने आगे चल कर जीवन में खड़े लौड़े की करामात कई बार देखी। जहाँ भी कोई स्त्री मेरे प्यार के जाल में नहीं फंसती थी, वहीं मैं हमेशा खड़े लौड़े वाली ट्रिक इस्तेमाल करता था और वो स्त्री या लड़की तुरंत मेरी ओर आकर्षित हो जाती थी।
स्कूल से आया तो कमरे में आकर सिर्फ बनियान और कच्छे में बिस्तर पर लेट गया।
चम्पा आई और मेरा खाना परोसने लगी।
मैंने पूछा- मम्मी चली गई क्या?
चम्पा मुस्कराई और बोली- हाँ सोमू भैया!
‘देखो चम्पा। तुम मुझको भैया न बुलाया करो, सिर्फ सोमू कहो ना… अच्छा यह बताओ आज मैंने सुबह तुमको चूमा, कुछ बुरा तो नहीं लगा?’
चम्पा बोली- नहीं सोमू भइया लेकिन वक्त देख कर यह करो तो ठीक रहेगा क्यूंकि किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी।
‘ठीक है, जाओ ये खाने के बर्तन रख आओ और खाना खाकर वापस आ जाओ, मैं तुम्हारी राह देख रहा हूँ!’
वो आधे घंटे में खाना खाकर वापस आ गई, जैसे ही वो कमरे में आई, मैंने झपट कर उसको बाँहों में दबोच लिया, कस कर प्यार की झप्पी दी जिसमें उसके उन्नत उरोज मेरी छाती में धंस गए। मेरा कद अब लगभग 5’7″ फ़ीट हो गया था और वो सिर्फ 5’3″ की थी।
उसको चूमते हुए मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और देखा कि उसके पतले ब्लाउज में उसकी चूचियों में एकदम अकड़न आ गई थी।
मैं उसको जल्दी से अपने बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और झट अपना कच्छा उतार दिया और उसका हाथ अपने खड़े लौड़े पर धर दिया।
वो भी मेरे लौड़े से खेलने लगी। 
मैंने उसकी धोती उतारे बगैर उसको ऊपर कर दिया और काले बालों से घिरी उसकी चूत पर हाथ फेरा तो वो एकदम गीली हो चुकी थी और उसका पानी बाहर बहने वाला हो रहा था। मैंने झट उसकी टांगों में बैठा और अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख दिया और चम्पा की तरफ देखा।
उसने आँखें बंद कर रखी थी और उसके होंट खुले थे!
एक धक्के में ही पूरा का पूरा लौड़ा उसकी कसी चूत में घप्प करके घुस गया और उसके मुख से हल्की सिसकारी निकल गई। मैं कुछ क्षण बिना हिले उसके ऊपर लेटा रहा और तभी मैंने महसूस किया कि चम्पा के चूतड़ हल्के से नीचे से थाप दे रहे हैं।
और मेरे लौड़े को पहली बार इतनी रसीली चूत मिली, वो तो चिकने पानी से लबालब भरी हुई थी।
मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा लंड चूत के मुंह तक बाहर लाकर फिर ज़ोर से अंदर डाल देता था। कोई 10-15 धक्कों के बाद मैंने महसूस किया चम्पा कि चूत अंदर से खुल रही और बंद हो रही थी और जल्दी ही चम्पा ने मुझको ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और अपनी जाँघों से मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।
इससे पहले कि उसके मुख से कोई आवाज़ निकले, मैंने अपने होंट उसके होंटों पर रख दिए और कुछ देर तक उसका शरीर ज़ोर ज़ोर से कांपता रहा और फिर वो झड़ जाने के बाद एकदम ढीली पड़ गई।
लेकिन मैंने अब उसको फिर धीरे से चोदना शुरू किया। धीरे धीरे उसको फिर स्खलन की ओर ले गया और उसका दूसरी बार भी बहुत तीव्र स्खलन हो गया।
अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया।
कुछ समय बाद मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया, उसके उन्नत उरोजों और चुचूक चूसने लगा, एक ऊँगली उसकी चूत में डाल उसकी भगनासा को हल्के से मसलने लगा।
ऐसा करते ही चम्पा फिर से तैयार हो गई और अब उसने मुझ को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और नीचे से चूत को लंड के साथ चिपकाने की कोशिश करने लगी।
मैंने फिर ऊपर से लंड से धक्के मारने शुरू कर दिए और इस बार मैं इतनी ज़ोर से धक्के मारने लगा कि चम्पा हांफ़ने लगी और करीब 10 मिन्ट के ज़ोरदार धक्कों से चम्पा फिर छूट गई और वह निढाल होकर टांगों को सीधा करने लगी लेकिन मैंने अपनी जांघों से उसको रोक दिया और धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि कुछ ही मिनटों में ही मेरा फव्वारा लंड से छूट गया और चम्पा की चूत की गहराइयों में पहुँच गया।
अब मैं चम्पा के ऊपर से उतर कर बिस्तर पर आ गया, मैंने चम्पा का हाथ अपने लंड पर रख दिया और वो एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सोमू, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?
मैं बोला- चम्पा रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा।
‘ऐसा है क्या?’ वो बोली।
‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा।
‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी।’
यह कह कर चम्पा चली गई।
उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया।

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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]
चम्पा के साथ पहली रात
चम्पा एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सोमू, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?
मैं बोला- चम्पा रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा।
‘ऐसा है क्या?’ वो बोली।
‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा।
‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी।’
यह कह कर चम्पा चली गई।
उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया।
चम्पा के साथ गुज़ारी पहली रात ज़िन्दगी भर याद रहेगी, दिन भर मैं चम्पा पर छाया था, रात में चम्पा छा गई, चम्पा ने अपने गुज़रे जीवन के ख़ास क्षण उस रात मुझको बताये।
चम्पा को अपने पति के साथ बिताये दिन याद आने लगे। कैसे सुहागरात वाले समय उसके पति ने उसको बड़ी बेरहमी से चोदा था, उसके दिल में संजोय सारे अरमानों को रौंदता हुआ उसका ज़ालिम लंड उसकी चूत को बर्बाद कर गया था।
साले ने एक बार भी उसको उस रात चूमा या प्यार से नहीं देखा। उसका ध्यान सिर्फ चूत पर लगा था और मोटे लम्बे लंड से वह चूत को फाड़ता हुआ अपनी जीत के झंडे गाड़ता हुआ मूंछों को ताव देता रहा।
चम्पा बेचारी मासूम और कमसिन अपने पति का यह यौन अत्याचार सहती रही। उस समय वो किशोरावस्था में थी और काम क्रीड़ा के बारे में कुछ नहीं जानती थी।
ये सब बताते हुए उसकी आँखें भर आई। आगे उसने बताया कि पति के साथ बिताये शादीशुदा जीवन में वो एक बार भी यौन सुख को अनुभव नहीं कर सकी, उसका पति केवल एक सांड के माफिक था जो सिर्फ गाय को हरा करना जानता था, उसको काम सुख देना नहीं आता था।
यह कह कर वो चुप हो गई।
मैंने पूछा- फिर तुम कैसे अपने को कामसुख देती थी?
वो शर्मा गई और मुंह फेर लिया।
मैंने भी कोई ज़ोर नहीं डाला, उसको काम क्रीड़ा के लिए मूड में लाने के लिए मैं ने उसको चूमना शुरु किया, पहले उसके गालों को चूमा और फिर उसके कानों के पास थोड़ा होंटों से गर्मी दी और फिर एक बहुत ही गहरी चुम्मी उसके पतले होंटों पर दी। चूमते हुए मैंने उसके कपड़े भी उतारने शुरू कर दिए, पहले ब्लाउज उतारा और फिर उसकी धोती उतार दी और फिर उसके पतले पेटीकोट को उतार दिया।
बल्ब की रोशनी में उसका शरीर एकदम सोने के माफिक चमक रहा था, सिर्फ चुचूकों का काला रंग और चूत के बालों की काली घटा के सिवाए उसका बदन काफी चमक रहा था, गंदमी रंग बहुत सेक्सी लग रहा था।
मैं पलंग पर उसके साथ बैठ गया और उसके शरीर के एक एक हिस्से को बड़े ध्यान से देखने लगा। उसके सख्त उरोज जिनको अब मैंने चूमना शुरू कर दिया, चुचूकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाना बड़ा अच्छा लगा।
और तभी मैंने देखा कि चम्पा भी मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर ध्यान से देख रही थी। लंड के आगे वाले भाग से उस पर छाई हुई चमड़ी को आगे पीछे करने लगी, कभी वो मेरे टाइट अंडकोष से खेलती और कभी पूरे लंड को मुट्ठी में लेकर ऊपर नीचे करती थी।
मेरी भी एक ऊँगली उसकी भगनासा को धीरे से सहला रही थी। कम्मो ने बताया था कि स्त्री का सबसे गरम शारीरिक हिस्सा केवल क्लिट या भगनासा ही होता है, दो तीन बार ऐसा करने पर चम्पा के चूतड़ अपने आप ऊपर को उठ रहे थे।
अब चम्पा की चूत बिलकुल पनिया गई थी और उसने मेरे लंड को खींच कर इशारा दिया कि वो चूत की जंग के लिए तैयार है।
मैं भी झट उसकी टांगों के बीच आ गया और अपना लंड को निशाने पर रख कर एक हल्का धक्का दिया और लंड एकदम पूरा चूत के अंदर हो गया। लंड को अंदर डाल कर ऐसा लगा कि वो किसी तपती हुई भट्टी में चला गया हो।
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए और चम्पा भी अपने चूतड़ उठा कर बराबर का साथ दे रही थी, मेरा मुंह चम्पा के मोटे स्तनों के चुचूकों को चूस रहा था।
एक को छोड़ा दूसरे को चूसा, धक्के और चुसाई साथ साथ चल रही थी और चम्पा के मुंह से दबी हुई सिसकारी निकल रही थी, उसके दोनों हाथ मेरी गर्दन में थे।
और तब मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रख दिए जिससे उसको लंड चूत की पूरी गहराई तक महसूस हुआ और तभी उसका शरीर एकदम अकड़ गया, थोड़ा कम्पकम्पाया और उसने ज़ोर से मुझ को भींच लिया और उसके मुंह से केवल हाय शब्द निकला और वो ढीली पड़ गई।
मैंने चुदाई जारी रखी लेकिन धक्के रोक दिए ताकि उसकी सांस में सांस आये और उसको फिर से आनन्द आने लगे।
चम्पा एकटक मुझ को देख रही थी और फिर कहने लगी- सोमू, तुम तो बहुत अच्छी चुदाई करते हो जी, कहाँ से सीखा यह सब?
मैं हंस दिया और बिना जवाब दिए चुदाई में फिर से जुट गया।
जब चम्पा का तीसरी बार छूटा तो उसने हाथ खड़े कर दिए और कहने लगी- अब और नहीं।
तब मैंने बिना छुटाये ही लंड चूत से निकाल लिया और चम्पा के साथ लेट गया। चम्पा तो ऐसे लेटी थी जैसे मीलों दौड़ कर आई हो।
मैंने उसका हाथ उठा कर अपने लंड पर रख दिया, मेरा लौड़ा अभी भी सर उठाये खड़ा था और फन फन फुफकार रहा था।
मेरा हाथ चम्पा के गदराये पेट पर था और वहीं से खिसकता हुआ वो उसकी चूत के ऊपर बैठ गया। उसकी चूत से अभी भी रसदार पानी निकल रहा था और वो ऐसे निढाल पड़ी थी जैसे बहुत ही मेहनत कर के आई हो।
उसके चेहरे पर एक पूर्ण तृप्ति की मुस्कान थी।
मैं बोला- लगता है बहुत थक गई हो?
वो मुस्कराई और फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली- सोमू, तुम तो कमाल के चोदू हो, इतनी उम्र में तुम तो बहुत बड़े खिलाड़ी निकले। किसने सिखाया है यह सब?
मैं भी हँसते हुए बोला- अंदाजा लगाओ तुम कौन हो सकता है यह सिखाने वाला?
‘कम्मो है क्या? मुझको पक्का यकीन है कि यह काम कम्मो के अलावा दूसरा कोई और हो ही नहीं सकता!’
‘तुम इतने यकीन से कैसे कह सकती हो?’
‘वही तो थी तुम्हारे काम को देखने वाली… वही आती जाती थी तुम्हारे पास!’
बातें करते हुए उसका हाथ मेरी लंड से खेल रहा था जो अब भी बराबर एकदम अकड़ा था। मेरा भी हाथ उसकी चूत के घने बालों के साथ खेल रहा था, मैंने चूत में ऊँगली डाली तो वो फिर से गीली होना शुरू हो गई थी।
मैंने हल्के हल्के उसके भगनासा को रगड़ना शुरू किया। मेरा ऐसा करने पर वो तुरंत अपना चूतड़ उठा कर ऊँगली का ज़ोर बढ़ा देती थी और अब मैं तेज़ी से ऊँगली करने लगा।
उसकी आँखें मुंदी हुई थी और मुंह अधखुला था। फिर उसने हाथ से मेरे लंड को ऊपर आने की दावत दी और मैं झट उसकी खुली टांगों के बीच आ गया और निशाना साध कर अपना अकड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धीरे धक्के से शुरू कर बहुत तेज़ धक्कों पर पहुँच गया।
मैंने देखा चम्पा का मुख एकदम खुला हुआ था और उसकी साँसें तेज़ी से चल रहीं थी, उसका एक हाथ उसकी छाती के चुचूकों को रगड़ रहा था और दूसरा मेरे गले में था।
इस बार चुदाई का अंत मैं अपना छूटने के बाद तक करना चाहता था इसलिए सर फ़ेंक कर अपने काम में जुट गया, कभी बहुत तेज़ धक्के और कभी सिर्फ चूत के ज़रा अंदर तक जाकर वापसी वाले धक्के मारने लगा।
चम्पा के मुंह से हल्की सिसकारी निकल रही थी और वो आँखें बंद कर चुदाई का आनन्द ले रही थी। इस बीच उसका पानी 3 बार छूटा ऐसा मैं ने मसहूस किया और अंतिम पड़ाव पर पहुँच कर मैंने इतनी स्पीड से धक्के मारे कि मैं खुद हैरान था कि मैं ऐसा कर सकता हूँ।
और फिर ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड चम्पा की चूत में डाल कर मेरा वीर्य छूट गया और ज़ोरदार पिचकारियाँ उसकी चूत को हरा करने लगी।
चम्पा ने भी अपने चूतड़ उठा कर मेरे ही लंड के साथ चिपका दिए और छूट रहे वीर्य को पूरा अंदर ले लिया।
मैं हैरान था कि इस को शायद गर्भवती होने का डर नहीं लग रहा था, मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया- चम्पा मैंने तेरे अंदर छुटाया, तुझे गर्भ ठहरने का डर नहीं लग रहा?
वो हैरानी से मेरा मुंह देखने लगी और फिर बोली- अच्छा सोमू भैया को यह भी पता है कि गर्भ कैसे ठहरता है?
वो शरारत से मुस्कराई।
मैं बोला- यही सुन रखा है कि आदमी का अंदर छूटने पर ही गर्भ होता है! क्या ऐसा नहीं है?
चम्पा मुस्कराई और बोली- मेरे घर वाले ने 2 साल बुरी तरह से मुझ को चोदा था फिर भी कुछ नहीं हुआ मुझको, शायद मेरे अंदर ही कोई खराबी है।
‘चलो छोड़ो, आज मैंने तुमको 3 गोल से हराया!’
‘वह कैसे?’
‘तुम्हारा कम से कम 4 बार छूटा और मेरा सिर्फ एक बार, इस तरह तुम 3 गोल से हारी हो।’
‘नहीं तो, मैं तो 7 बार छूटी थी और तुम्हारा एक बार… तो हुई न 6 गोल से तुम्हारी जीत!’
‘अच्छा, मुझको तो 4 बार छूटना महसूस हुआ था?’
‘इतने सालों के बाद मुझको किसी लंड ने ऐसे अच्छी तरह चोदा है, मेरा तो जीवन सफल हो गया, अब मैं तुमको नहीं छोडूंगी जीवन भर, रोज़ रात मुझ को इसी तरह चोदना होगा!’
‘ठीक है मेरी रानी, चोदूंगा जितना चुदवाओगी तुम!’
और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।
आधी रात को मेरी नींद खुली तो नंगी चम्पा को देख कर मेरा दिल फिर मचल गया और मैंने उसको चूत पर हाथ फेर कर सोये हुए ही तैयार कर लिया और फिर मैंने उसको फिर हल्के हल्के चोदा कहीं उसकी नींद न खुल जाए।
वो तब भी एक बार छूट गई और मैं बिन छूटे ही सो गया और लंड तब भी खड़ा था। 
फिर सुबह होने से पहले ही मेरी नींद खुली तो देखा कि चम्पा की चूत पनिया रही है और मैं फिर उस पर चढ़ गया और तकरीबन सुबह होने तक उसको चोदता रहा।
जब उसकी आँख खुली तो मैं उसको बड़े प्यार से धीरे धीरे चोद रहा था। एक हॉट चुम्मी उसके होटों पर की और आखिरी धक्का मारा और मेरा फव्वारा छूट गया और चम्पा की चूत पूरी तरह से मेरे वीर्य से लबालब भर गई और तभी उसने झट मुझ को कस कर अपने 
बाँहों में समेटे लिया और कहा- जियो मेरा राजा, रोज़ ऐसे ही चोदना मेरी जान!
यह कह कर वो अपने कपड़े पहनने लगी और फिर जल्दी से कमरे से बाहर चली गई।
और मैं फिर से सो गया गहरी नींद में!
तभी चम्पा मेरी चाय लाई और चाय पीने के बाद में एकदम फ्रेश हो गया और जल्दी से स्कूल की तैयारी शुरू कर दी।
स्कूल में ज्यादा दिल नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी पूरा समय बिताना पड़ा। स्कूल के बाद मैं जल्दी ही घर वापस आ गया चम्पा मेरी रहा देख रही थी, वो मेरा खाना ले आई और मैं खाना खाने के बाद सो गया।
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