hotaks444
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मैंने उसके गोल और गोरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में पकड़ रखा था और आहिस्ता आहिस्ता लंड वाला पिस्टन उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
रोज़ी को अब बहुत आनन्द आना शुरू हो गया और वो बिदकी घोड़ी की तरह अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी।
हम दोनों ने धक्के मारने की लय को एक समान कर लिया और फिर कभी तेज़ और कभी धीरे धक्के मारने का सिलसिला जारी हो गया।
मैंने पूरा लौड़ा अंदर डाल कर फिर उसको धीरे से बाहर निकाल कर फिर पूरा अंदर धकेलने का चक्कर चालू कर दिया और उसकी स्पीड भी एकदम से तेज़ करते हुए मैं उसके चूतड़ों पर एक हाथ से थापी भी मारने लगा।
रोज़ी ने अपना सर नीचे की तरफ करके अपने गोल चूतड़ों को मेरे लंड से बार बार जोड़ते हुए यह इशारा दे दिया कि वो झड़ने के करीब है और मैंने अब अपनी अंधाधुन्ध स्पीड को चालू करते हुए शीघ्र ही रोज़ी को उसकी मंजिल पर पहुँचा दिया।
रोज़ी का जब छूटा तो वो अपने सर को इधर उधर करने लगी और उसकी चूत का सिकुड़ना भी जारी हो गया, उसकी चूत की पकड़ मेरे लंड पर तीव्र हो गई।
वो बिस्तर पर लेट चुकी थी और मैं भी उसके ऊपर ही पसरा हुआ था।
जैसे ही रोज़ी की चूत की पकड़ कुछ ढीली हुई और मेरा लंड चूत के बाहर आया तो मैं उठा और कम्मो जो साथ ही नंगी ही लेटी हुई थी उसकी की टांगों के बीच में बैठ कर अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
कम्मो ने मुझको कस कर अपने शरीर से चिपका लिया और मेरे धक्कों का जवाब देने लगी।
रोज़ी के साथ लेस्बो सेक्स करके वो इस वक्त काफी गर्म हो चुकी थी तो ज़्यादा देर टिक ना सकी और जल्दी ही धराशायी हो गई और मुझको गहरे चुम्बन के बाद उसने छोड़ दिया।
मैं उठा और अपने गीले लौड़े को हाथ में लेकर उसको हवा में लहलहाते हुए सारे कमरे में घूमने लगा।
आबिदा यह सारा दृश्य देख रही थी और उसकी आँखें हैरानी से खुली की खुली रह गई।
आबिदा ने कम्मो से पूछा- अरे सोमू का लंड तो अभी भी खड़ा है… यह कैसे हो सकता है? सोमू क्या तुम अफीम खाते हो?
कम्मो बोली- छोटे मालिक कुछ भी नशे की चीज़ नहीं खाते या पीते हैं और यह जो तुम लंड का नज़ारा देख रही हो वो तो जारी रह सकता है जब तक छोटे मालिक चाहें। यह इनको कुदरती वरदान है लेकिन यह इसका दुरूपयोग कभी नहीं करते।
अब मैं उठा, कम्मो को एक जफ्फी मारी और अपने कपड़े पहनने लगा और तब तक कम्मो भी पानी साड़ी और ब्लाउज पहन चुकी थी।
रोज़ी और आबिदा दोनों ही नंगी उठी और मुझको एक बड़ी भाव भीनी चुम्मी और जफ्फी दी दोनों ने और बोली- सोमू यार, तुम तो कमाल की चीज़ हो, अगर हमारा बस चले तो हम तुमको अपने साथ ही ले जाएँ।
कम्मो बोली- ऐसा कभी न करना, क्यूंकि दुनिया में बहुत सी प्यासी औरतें हैं जिनको सोमू जैसे लंड की ज़रूरत अक्सर पड़ती रहती है।
फिर हम दोनों बाइक पर बैठ कर घर आ गए और वहाँ पर्बती ने हवेली का दरवाज़ा खोला और हम दोनों अंदर आकर अपने कमरे में चले गए।
कम्मो रसोई में गई और मेरे लिए ख़ास मसालेदार दूध ले कर आई जिसको पीने के बाद मुझ में शक्ति की एक लहर सी दौड़ गई।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, अब कुछ दिन तो आपको यह दूध तो पीना पड़ेगा। खासतौर से जब तक यह फ़िल्मी पार्टी यहाँ है। अच्छा अब मैं चलती हूँ।
यह कह कर वो जाने लगी तो मैंने उसको पकड़ लिया और एक बड़ी कामुक जफ्फी और लबों पर एक चुम्बन दे दिया।
मैं बिस्तर पर आज सिर्फ अपने अंडरवियर में ही लेट गया क्यूंकि मैं काफी थक गया था और मुझको काफी सख्त नींद आई हुई थी।
ना जाने कब मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि कोई हाथ मेरे शरीर पर रेंग रहा है लेकिन मैं दम साधे लेटा रहा यह देखने के लिए कि यह किसका हाथ है।
थोड़ी देर इसी तरह मेरे शरीर पर रेंगने के बाद उस हाथ ने मेरे लंड को छेड़ना शुरू किया और जल्दी ही मेरा लंड एकदम से अकड़ गया लेकिन मैं बिल्कुल कुछ भी हरकत किये बगैर दम साधे लेटा रहा।
फिर एक मुंह मेरे लंड को लेकर उसको धीरे धीरे चूसने लगा और जैसे जैसे वो मुंह मेरे लंड को चूसता जा रहा था, लंड और भी अकड़ता जा रहा था।
अब जैसे ही लंड को छोड़ कर मुंह हटने लगा, मैंने झट से उसको अपने हाथों में पकड़ लिया और उसके अभी भी गीले होटों पर अपने होंट रख दिए।
घने अँधेरे में मुंह का मालिक एकदम अकचका गया और अपने मुंह को छुड़ाने की कोशिश करने लगा।
मैंने अब अपने हाथ उस एकदम नंगे शरीर के मालिक के चूतड़ों पर रख दिए और उनको हल्के हल्के सहलाने लगा।
मैंने यह महसूस किया कि शरीर किसी हसीना का ही हो सकता है।
मुंह की मालकिन ने अब मुंह छुड़ाने की कोशिश छोड़ दी थी और वो अब मेरे द्वारा की गई छेड़छाड़ का आनंद ले रही थी।
अब मैं अपने हाथ उसके नितम्बों से हटा कर उसके मुम्मों पर फेरने लगा और उसके चूचुकों को छेड़ने लगा जो अब एकदम से सख्त हो चुके थे।
कमरे में उस रात्रि बहुत ही घना अन्धकार था, शायद वो अमावस्या की रात थी इसी कारण हम एक दूसरे के अंग भी नहीं देख पा रहे थे।
अब उस अनजान औरत ने मुझको आलिंगनबद्ध किया और मेरे शरीर को चूमते हुए उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंचा दिया। अगले ही कुछ क्षणों में वो औरत मेरे दोनों तरफ पैर रख कर मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसने अपनी गीली चूत के मुंह पर रख कर ऊपर से ज़ोर का धक्का दिया और फिर उसने बड़े ही प्रेम से मेरी चुदाई शुरू कर दी और मैं उसके गोल गोल मुम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा।
वो कभी कभी झुक कर मेरे होटों को भी चूस रही थी और मैं भी उसके मम्मों को कभी कभी चूस लेता था।
यह सिलसिला कितने समय चला, यह मुझको मालूम नहीं लेकिन ऊपर नीचे होते हुए वो एकदम रुक गई और फिर उसका शरीर ज़ोर से अकड़ा, फिर वो एकदम ढीली पड़ गई और जल्दी ही मेरे ऊपर ही पसर गई।
तब मैंने उसको अपने ऊपर से हटा कर बिस्तर पर लिटा दिया और फिर मैंने स्वयं उसकी टांगों को चौड़ा करके खुद उसको चोदने लगा और इतनी तेज़ और ज़ोरदार चुदाई की उस अनजान औरत की कि मुझको यकीन है कि वो ज़रूर एक दो बार ज़रूर झड़ गई होगी।
फिर मैं उसके ऊपर से हट कर बिस्तर पर लेट गया और बड़ी शीघ्र ही मुझको नींद ने आन घेरा।
सवेरे जब मैं उठा तो वो औरत जा चुकी थी, मैं बहुत हैरान हुआ कि यह कौन हो सकती है? क्या यह रूबी थी या फिर मधु मैडम थी? इस राज़ को मैं आज तक नहीं जान सका।
सुबह जब कम्मो चाय देने आई तो मैंने रात वाले किस्से का ज़िक्र उससे भी किया लेकिन वो भी इस पहेली को नहीं सुलझा सकी।
फिर हम दोनों ने मिल कर कमरे और बिस्तर को पूरी तरह से छान मारा लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
अगले दिन सारा दिन नदी किनारे डांस होता रहा और थोड़ी शूटिंग भी की कैमरा ऑपरेटर्स ने!
उस दिन मुझको महसूस हुआ कि कितना कठिन होता है फिल्म का निर्माण करना।
एक एक शॉट को पूरा करने में कई घंटे लग जाते थे और कितनी बार एक ही तरह के डांस स्टेप्स को दोहराना पड़ता था। आज सब डांसर्स ने अपनी पूरी डांस वाली ड्रेस पहनी हुई थी और मुझको भी गाँव के जवान लड़के की पोशाक पहना रखी थी।
लंच ब्रेक में मैं नदी किनारे अपने गुप्त स्थान की तरफ चला गया जो वहाँ से थोड़ी दूर था। सोचा था कि वहाँ जाकर थोड़ी देर सो लूंगा लेकिन जैसे ही मैं उस जगह घुसा तो मेरे पीछे सैंडी नाम की डांसर भी घुस आई। मैं चौंक गया कि यह कैसे यहाँ पहुँच गई?
पूछने पर सैंडी ने बताया कि वो तो मेरे पीछे आते हुए यहाँ तक पहुँच गई थी।
मैं बोला- कहो, कैसे आना हुआ यहाँ?
सैंडी बोली- मैं तुमको फक करना चाहती हूँ अभी यहाँ पर!
मैं बोला- यहाँ तो खतरा है सैंडी, कोई भी आ सकता है यहाँ।
सैंडी बोली- कोई बात नहीं, प्लीज फक करो मुझको!
और सैंडी मुझको पकड़ कर होटों पर चूमने लगी और गाँव वालों के स्टाइल की छोटी सी धोती में से मेरे लंड को ढूंढने लगी।
फिर उसने मेरी धोती ढीली कर दी और मेरे लंड को अंडरवियर से निकाल लिया और उसको अकड़ा हुआ देख कर खुश हो गई। उसने भी गाऊँ वाली औरतों की तरह छोटा सा लहंगा पहन रथा था जो उसके घुटनों तक आ रहा था और उसके नीचे भी एक छोटी सी टाइट पजामी पहन रखी थी।
उसने खुद ही अपनी पजामी को नीचे कर दिया और मेरे हाथ को अपनी चूत के ऊपर रख दिया।
उसकी सफाचट मुलायम चूत पर हाथ फेरते हुए मैंने उसको एक बहुत ही कामुक चुम्बन दे दिया।
उसके मम्मों पर हाथ लगाया तो वो काफी कठोर महसूस हुए और उसके चूतड़ भी गोल और उभरे हुए लगे।
अब मैं पूरे जोश में आ चुका था तो मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी चूत के मुँह के ऊपर अपना लौड़ा टिका कर ज़ोरदार धक्का मारा और वो पूरा का पूरा अंदर चूत में समा गया।
मैंने उसको धीरे धीरे चोदना शुरू किया क्यूंकि उसकी चूत अभी पूरी गीली नहीं हुई थी। थोड़ी देर हल्के धक्कों के बाद ज़ोरदार धक्कों को शुरू कर दिया क्यूंकि किसी वकत भी कोई आ सकता था।
मैंने धक्कों की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और सैंडी जल्दी ही तिलमिलाती हुई झड़ गई लेकिन मैंने अपनी चुदाई जारी रखी और सैंडी को भी अब बेहद मज़ा आने लगा था, वो बार बार अपनी गांड को आगे पीछे कर रही थी और मेरे धक्कों का पूरा जवाब दे रही थी।
सैंडी को कभी हल्की स्पीड और कभी तेज़ स्पीड से चोदते हुए मैं उसको फिर छूटने की कगार पर ले आया और आखरी कुछ धक्के इतनी स्पीड से मारे कि सैंडी का मुख खुला का खुला रह गया।
अब सैंडी अस्फुट आवाज़ में बोल रही थी- मार डालो… और मारो… ओह्ह्ह मी गई ली रे!
यह कहते हुए सैंडी ज़मीन पर लेट गई।
जब वो उठी तो जल्दी से उसने अपने कपड़े ठीक किये और कहने लगी कि वो बम्बई के मछुआरे परिवार से है और वहाँ फक करने की खुली छूट है।
मैंने कहा- कॉटेज में तुम्हारे कमरे का नंबर क्या है?
सैंडी बोली- मेरा और जूली का कमरा नंबर 2 है और तुमसे चुदने की हमारी बारी है आज रात!
मैं बोला- तुम और जूली तो मेरे से चुद चुकी हो न… फिर दुबारा क्यों नंबर लगा रही हो?
सैंडी हंस कर बोली- आज रात हम तीनों नंगे होकर चोदेंगे ना, तो उस चूत चुदाई का मज़ा ही कुछ और है।
फिर मैं सैंडी को लेकर एक घुमावदार रास्ते से वापस लौटा जहाँ अभी सब आराम फ़रमा रहे थे। मुझको यकीन था कि सैंडी अगर चाहे भी तो वो दोबारा वो नदी किनारे वाली छुपने की जगह नहीं ढूंढ पाएगी।
आज रात में कमरा नंबर 2 की डांसर लड़कियों की चुदाई तो अभी बाकी थी तो मैं जाकर उन्हीं के कमरे में थोड़ा लेट गया और ना जाने कब मेरी नींद लग गई और मैं बहुत ही गहरी नींद में सो गया।
और जब मैं उठा तो देखा कम्मो मुझको झंझोड़ कर उठा रही थी।
मैं अकचका कर उठ बैठा और हैरानी से कम्मो से पूछा- क्या मैं बहुत देर सोया?
कम्मो हँसते हुए बोली- नहीं जी, कुछ ज़्यादा देर नहीं यही कोई एक घंटा सोये होंगे आप!
मैं बोला- अच्छा, आज दिन को नहीं सोया ना, शायद इसी लिए नींद आ गई थी।
कम्मो बोली- चलिए खाना तैयार है, चल कर खा लो, बाकी सब लड़कियाँ आपका इंतज़ार कर रही हैं।
मैं जल्दी से उठा और बाथरूम में अपना मुंह धोया और कम्मो का हाथ पकड़ कर मैं बैठक में आ गया।
सब लड़कियाँ मुझ को देख कर शोर मचाने लगी- आइये जनाब, आपका स्वागत है… इधर आ जाइए, हम सब आपकी राह में आँखें बिछाये बैठे हैं।
मैं भी मज़ाकिया लहजे में बोला- मैंने सोचा आप शायद मेरी राह में अपना बिस्तर बिछाये बैठे हैं!
उसी लड़की ने जवाब दिया- जी हाँ जनाब, आपके लिए पलकों के बिस्तर बिछाये बैठे हैं।
मैं बोला- क्या दिलकशी है ऐ मेरे दोस्त, हम भी तो आप पर अपना सब कुछ लुटाए बैठे हैं।
सब लड़कियाँ बोल उठी- वाह वाह, क्या बात है अब जवाब दे ज़ूबी।
ज़ूबी बोली- ज़हे किस्मत जो आप जैसे सब कुछ लुटाने बैठे हैं।
मैं बोला- लूट लो जो लूट सको ऐ मेरे सनम, जान तो क्या अपनी ईमान तक लुटाए बैठे हैं।
रोज़ी को अब बहुत आनन्द आना शुरू हो गया और वो बिदकी घोड़ी की तरह अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी।
हम दोनों ने धक्के मारने की लय को एक समान कर लिया और फिर कभी तेज़ और कभी धीरे धक्के मारने का सिलसिला जारी हो गया।
मैंने पूरा लौड़ा अंदर डाल कर फिर उसको धीरे से बाहर निकाल कर फिर पूरा अंदर धकेलने का चक्कर चालू कर दिया और उसकी स्पीड भी एकदम से तेज़ करते हुए मैं उसके चूतड़ों पर एक हाथ से थापी भी मारने लगा।
रोज़ी ने अपना सर नीचे की तरफ करके अपने गोल चूतड़ों को मेरे लंड से बार बार जोड़ते हुए यह इशारा दे दिया कि वो झड़ने के करीब है और मैंने अब अपनी अंधाधुन्ध स्पीड को चालू करते हुए शीघ्र ही रोज़ी को उसकी मंजिल पर पहुँचा दिया।
रोज़ी का जब छूटा तो वो अपने सर को इधर उधर करने लगी और उसकी चूत का सिकुड़ना भी जारी हो गया, उसकी चूत की पकड़ मेरे लंड पर तीव्र हो गई।
वो बिस्तर पर लेट चुकी थी और मैं भी उसके ऊपर ही पसरा हुआ था।
जैसे ही रोज़ी की चूत की पकड़ कुछ ढीली हुई और मेरा लंड चूत के बाहर आया तो मैं उठा और कम्मो जो साथ ही नंगी ही लेटी हुई थी उसकी की टांगों के बीच में बैठ कर अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।
कम्मो ने मुझको कस कर अपने शरीर से चिपका लिया और मेरे धक्कों का जवाब देने लगी।
रोज़ी के साथ लेस्बो सेक्स करके वो इस वक्त काफी गर्म हो चुकी थी तो ज़्यादा देर टिक ना सकी और जल्दी ही धराशायी हो गई और मुझको गहरे चुम्बन के बाद उसने छोड़ दिया।
मैं उठा और अपने गीले लौड़े को हाथ में लेकर उसको हवा में लहलहाते हुए सारे कमरे में घूमने लगा।
आबिदा यह सारा दृश्य देख रही थी और उसकी आँखें हैरानी से खुली की खुली रह गई।
आबिदा ने कम्मो से पूछा- अरे सोमू का लंड तो अभी भी खड़ा है… यह कैसे हो सकता है? सोमू क्या तुम अफीम खाते हो?
कम्मो बोली- छोटे मालिक कुछ भी नशे की चीज़ नहीं खाते या पीते हैं और यह जो तुम लंड का नज़ारा देख रही हो वो तो जारी रह सकता है जब तक छोटे मालिक चाहें। यह इनको कुदरती वरदान है लेकिन यह इसका दुरूपयोग कभी नहीं करते।
अब मैं उठा, कम्मो को एक जफ्फी मारी और अपने कपड़े पहनने लगा और तब तक कम्मो भी पानी साड़ी और ब्लाउज पहन चुकी थी।
रोज़ी और आबिदा दोनों ही नंगी उठी और मुझको एक बड़ी भाव भीनी चुम्मी और जफ्फी दी दोनों ने और बोली- सोमू यार, तुम तो कमाल की चीज़ हो, अगर हमारा बस चले तो हम तुमको अपने साथ ही ले जाएँ।
कम्मो बोली- ऐसा कभी न करना, क्यूंकि दुनिया में बहुत सी प्यासी औरतें हैं जिनको सोमू जैसे लंड की ज़रूरत अक्सर पड़ती रहती है।
फिर हम दोनों बाइक पर बैठ कर घर आ गए और वहाँ पर्बती ने हवेली का दरवाज़ा खोला और हम दोनों अंदर आकर अपने कमरे में चले गए।
कम्मो रसोई में गई और मेरे लिए ख़ास मसालेदार दूध ले कर आई जिसको पीने के बाद मुझ में शक्ति की एक लहर सी दौड़ गई।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, अब कुछ दिन तो आपको यह दूध तो पीना पड़ेगा। खासतौर से जब तक यह फ़िल्मी पार्टी यहाँ है। अच्छा अब मैं चलती हूँ।
यह कह कर वो जाने लगी तो मैंने उसको पकड़ लिया और एक बड़ी कामुक जफ्फी और लबों पर एक चुम्बन दे दिया।
मैं बिस्तर पर आज सिर्फ अपने अंडरवियर में ही लेट गया क्यूंकि मैं काफी थक गया था और मुझको काफी सख्त नींद आई हुई थी।
ना जाने कब मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि कोई हाथ मेरे शरीर पर रेंग रहा है लेकिन मैं दम साधे लेटा रहा यह देखने के लिए कि यह किसका हाथ है।
थोड़ी देर इसी तरह मेरे शरीर पर रेंगने के बाद उस हाथ ने मेरे लंड को छेड़ना शुरू किया और जल्दी ही मेरा लंड एकदम से अकड़ गया लेकिन मैं बिल्कुल कुछ भी हरकत किये बगैर दम साधे लेटा रहा।
फिर एक मुंह मेरे लंड को लेकर उसको धीरे धीरे चूसने लगा और जैसे जैसे वो मुंह मेरे लंड को चूसता जा रहा था, लंड और भी अकड़ता जा रहा था।
अब जैसे ही लंड को छोड़ कर मुंह हटने लगा, मैंने झट से उसको अपने हाथों में पकड़ लिया और उसके अभी भी गीले होटों पर अपने होंट रख दिए।
घने अँधेरे में मुंह का मालिक एकदम अकचका गया और अपने मुंह को छुड़ाने की कोशिश करने लगा।
मैंने अब अपने हाथ उस एकदम नंगे शरीर के मालिक के चूतड़ों पर रख दिए और उनको हल्के हल्के सहलाने लगा।
मैंने यह महसूस किया कि शरीर किसी हसीना का ही हो सकता है।
मुंह की मालकिन ने अब मुंह छुड़ाने की कोशिश छोड़ दी थी और वो अब मेरे द्वारा की गई छेड़छाड़ का आनंद ले रही थी।
अब मैं अपने हाथ उसके नितम्बों से हटा कर उसके मुम्मों पर फेरने लगा और उसके चूचुकों को छेड़ने लगा जो अब एकदम से सख्त हो चुके थे।
कमरे में उस रात्रि बहुत ही घना अन्धकार था, शायद वो अमावस्या की रात थी इसी कारण हम एक दूसरे के अंग भी नहीं देख पा रहे थे।
अब उस अनजान औरत ने मुझको आलिंगनबद्ध किया और मेरे शरीर को चूमते हुए उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंचा दिया। अगले ही कुछ क्षणों में वो औरत मेरे दोनों तरफ पैर रख कर मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे लौड़े को हाथ से पकड़ कर उसने अपनी गीली चूत के मुंह पर रख कर ऊपर से ज़ोर का धक्का दिया और फिर उसने बड़े ही प्रेम से मेरी चुदाई शुरू कर दी और मैं उसके गोल गोल मुम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा।
वो कभी कभी झुक कर मेरे होटों को भी चूस रही थी और मैं भी उसके मम्मों को कभी कभी चूस लेता था।
यह सिलसिला कितने समय चला, यह मुझको मालूम नहीं लेकिन ऊपर नीचे होते हुए वो एकदम रुक गई और फिर उसका शरीर ज़ोर से अकड़ा, फिर वो एकदम ढीली पड़ गई और जल्दी ही मेरे ऊपर ही पसर गई।
तब मैंने उसको अपने ऊपर से हटा कर बिस्तर पर लिटा दिया और फिर मैंने स्वयं उसकी टांगों को चौड़ा करके खुद उसको चोदने लगा और इतनी तेज़ और ज़ोरदार चुदाई की उस अनजान औरत की कि मुझको यकीन है कि वो ज़रूर एक दो बार ज़रूर झड़ गई होगी।
फिर मैं उसके ऊपर से हट कर बिस्तर पर लेट गया और बड़ी शीघ्र ही मुझको नींद ने आन घेरा।
सवेरे जब मैं उठा तो वो औरत जा चुकी थी, मैं बहुत हैरान हुआ कि यह कौन हो सकती है? क्या यह रूबी थी या फिर मधु मैडम थी? इस राज़ को मैं आज तक नहीं जान सका।
सुबह जब कम्मो चाय देने आई तो मैंने रात वाले किस्से का ज़िक्र उससे भी किया लेकिन वो भी इस पहेली को नहीं सुलझा सकी।
फिर हम दोनों ने मिल कर कमरे और बिस्तर को पूरी तरह से छान मारा लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
अगले दिन सारा दिन नदी किनारे डांस होता रहा और थोड़ी शूटिंग भी की कैमरा ऑपरेटर्स ने!
उस दिन मुझको महसूस हुआ कि कितना कठिन होता है फिल्म का निर्माण करना।
एक एक शॉट को पूरा करने में कई घंटे लग जाते थे और कितनी बार एक ही तरह के डांस स्टेप्स को दोहराना पड़ता था। आज सब डांसर्स ने अपनी पूरी डांस वाली ड्रेस पहनी हुई थी और मुझको भी गाँव के जवान लड़के की पोशाक पहना रखी थी।
लंच ब्रेक में मैं नदी किनारे अपने गुप्त स्थान की तरफ चला गया जो वहाँ से थोड़ी दूर था। सोचा था कि वहाँ जाकर थोड़ी देर सो लूंगा लेकिन जैसे ही मैं उस जगह घुसा तो मेरे पीछे सैंडी नाम की डांसर भी घुस आई। मैं चौंक गया कि यह कैसे यहाँ पहुँच गई?
पूछने पर सैंडी ने बताया कि वो तो मेरे पीछे आते हुए यहाँ तक पहुँच गई थी।
मैं बोला- कहो, कैसे आना हुआ यहाँ?
सैंडी बोली- मैं तुमको फक करना चाहती हूँ अभी यहाँ पर!
मैं बोला- यहाँ तो खतरा है सैंडी, कोई भी आ सकता है यहाँ।
सैंडी बोली- कोई बात नहीं, प्लीज फक करो मुझको!
और सैंडी मुझको पकड़ कर होटों पर चूमने लगी और गाँव वालों के स्टाइल की छोटी सी धोती में से मेरे लंड को ढूंढने लगी।
फिर उसने मेरी धोती ढीली कर दी और मेरे लंड को अंडरवियर से निकाल लिया और उसको अकड़ा हुआ देख कर खुश हो गई। उसने भी गाऊँ वाली औरतों की तरह छोटा सा लहंगा पहन रथा था जो उसके घुटनों तक आ रहा था और उसके नीचे भी एक छोटी सी टाइट पजामी पहन रखी थी।
उसने खुद ही अपनी पजामी को नीचे कर दिया और मेरे हाथ को अपनी चूत के ऊपर रख दिया।
उसकी सफाचट मुलायम चूत पर हाथ फेरते हुए मैंने उसको एक बहुत ही कामुक चुम्बन दे दिया।
उसके मम्मों पर हाथ लगाया तो वो काफी कठोर महसूस हुए और उसके चूतड़ भी गोल और उभरे हुए लगे।
अब मैं पूरे जोश में आ चुका था तो मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी चूत के मुँह के ऊपर अपना लौड़ा टिका कर ज़ोरदार धक्का मारा और वो पूरा का पूरा अंदर चूत में समा गया।
मैंने उसको धीरे धीरे चोदना शुरू किया क्यूंकि उसकी चूत अभी पूरी गीली नहीं हुई थी। थोड़ी देर हल्के धक्कों के बाद ज़ोरदार धक्कों को शुरू कर दिया क्यूंकि किसी वकत भी कोई आ सकता था।
मैंने धक्कों की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और सैंडी जल्दी ही तिलमिलाती हुई झड़ गई लेकिन मैंने अपनी चुदाई जारी रखी और सैंडी को भी अब बेहद मज़ा आने लगा था, वो बार बार अपनी गांड को आगे पीछे कर रही थी और मेरे धक्कों का पूरा जवाब दे रही थी।
सैंडी को कभी हल्की स्पीड और कभी तेज़ स्पीड से चोदते हुए मैं उसको फिर छूटने की कगार पर ले आया और आखरी कुछ धक्के इतनी स्पीड से मारे कि सैंडी का मुख खुला का खुला रह गया।
अब सैंडी अस्फुट आवाज़ में बोल रही थी- मार डालो… और मारो… ओह्ह्ह मी गई ली रे!
यह कहते हुए सैंडी ज़मीन पर लेट गई।
जब वो उठी तो जल्दी से उसने अपने कपड़े ठीक किये और कहने लगी कि वो बम्बई के मछुआरे परिवार से है और वहाँ फक करने की खुली छूट है।
मैंने कहा- कॉटेज में तुम्हारे कमरे का नंबर क्या है?
सैंडी बोली- मेरा और जूली का कमरा नंबर 2 है और तुमसे चुदने की हमारी बारी है आज रात!
मैं बोला- तुम और जूली तो मेरे से चुद चुकी हो न… फिर दुबारा क्यों नंबर लगा रही हो?
सैंडी हंस कर बोली- आज रात हम तीनों नंगे होकर चोदेंगे ना, तो उस चूत चुदाई का मज़ा ही कुछ और है।
फिर मैं सैंडी को लेकर एक घुमावदार रास्ते से वापस लौटा जहाँ अभी सब आराम फ़रमा रहे थे। मुझको यकीन था कि सैंडी अगर चाहे भी तो वो दोबारा वो नदी किनारे वाली छुपने की जगह नहीं ढूंढ पाएगी।
आज रात में कमरा नंबर 2 की डांसर लड़कियों की चुदाई तो अभी बाकी थी तो मैं जाकर उन्हीं के कमरे में थोड़ा लेट गया और ना जाने कब मेरी नींद लग गई और मैं बहुत ही गहरी नींद में सो गया।
और जब मैं उठा तो देखा कम्मो मुझको झंझोड़ कर उठा रही थी।
मैं अकचका कर उठ बैठा और हैरानी से कम्मो से पूछा- क्या मैं बहुत देर सोया?
कम्मो हँसते हुए बोली- नहीं जी, कुछ ज़्यादा देर नहीं यही कोई एक घंटा सोये होंगे आप!
मैं बोला- अच्छा, आज दिन को नहीं सोया ना, शायद इसी लिए नींद आ गई थी।
कम्मो बोली- चलिए खाना तैयार है, चल कर खा लो, बाकी सब लड़कियाँ आपका इंतज़ार कर रही हैं।
मैं जल्दी से उठा और बाथरूम में अपना मुंह धोया और कम्मो का हाथ पकड़ कर मैं बैठक में आ गया।
सब लड़कियाँ मुझ को देख कर शोर मचाने लगी- आइये जनाब, आपका स्वागत है… इधर आ जाइए, हम सब आपकी राह में आँखें बिछाये बैठे हैं।
मैं भी मज़ाकिया लहजे में बोला- मैंने सोचा आप शायद मेरी राह में अपना बिस्तर बिछाये बैठे हैं!
उसी लड़की ने जवाब दिया- जी हाँ जनाब, आपके लिए पलकों के बिस्तर बिछाये बैठे हैं।
मैं बोला- क्या दिलकशी है ऐ मेरे दोस्त, हम भी तो आप पर अपना सब कुछ लुटाए बैठे हैं।
सब लड़कियाँ बोल उठी- वाह वाह, क्या बात है अब जवाब दे ज़ूबी।
ज़ूबी बोली- ज़हे किस्मत जो आप जैसे सब कुछ लुटाने बैठे हैं।
मैं बोला- लूट लो जो लूट सको ऐ मेरे सनम, जान तो क्या अपनी ईमान तक लुटाए बैठे हैं।