hotaks444
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कुछ देर के बाद फिर से दरवाजा खुला और वही औरत जो पहले अंदर आई थी अपने हाथ में एक प्लेट लिए अंदर आई। उसने मेजर राज के सामने आकर बड़ी हिकारत से उसके सामने थाली रखी और बोली चल अब खा ले। यह कह कर वह स्त्री चुपचाप वापसी के लिए मुड़ गई। मेजर राज फिर चिल्लाया कि तुम कौन हो ?? और मैं कहाँ हूँ?
औरत मुड़ी और बोली मैं कौन हूँ तुझे इससे मतलब चुप कर रोटी खा फिर तुझे इधर से शिफ्ट करना है।
मेजर राज ने फिर पूछा इतना तो बता दो मैं कब से हूं इधर ??
इस पर महिला बोली कल रात तुझे मालिक बेहोश हालत में लाया था और आज तुझे होश आया है। यह कह कर वह स्त्री वापस चली गई और दरवाजा फिर से बंद हो गया।
मेजर राज ने पहले तो हिकारत से खाने को देखा जैसे कि कहना चाह रहा हो कि वह दुश्मन का दिया हुआ खाना नहीं खाएगा। मगर फिर खाने पर नज़र पड़ते ही उसको भयंकर भूख महसूस होने लगी और वह चुपचाप थाली की तरफ हाथ बढ़ाने लगा। थाली में पतली दाल और साथ मे कुछ रोटियाँ पड़ी थीं। मेजर राज के दोनों हाथ आपस में मजबूती से बंधे थे। उसने बहुत मुश्किल से रोटी खाई। आश्चर्यजनक रूप से मेजर राज सारा खाना खा गया और प्लेट ऐसी साफ कर दी जैसे धूलि हुई हो। उसको बहुत भूख लगी थी। खाना खाने के बाद मेजर राज ने फिर से कमरे में नज़रें दौड़ाई तो पूरा कमरा खाली था। अंदर अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था। फिर मेजर राज चिल्लाया और पानी मांगने लगा। मगर शायद उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था।
काफी समय के बाद मेजर राज को फिर से दरवाजे के पास कुछ कदमों की आवाज आई तो उसने फिर से पानी के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद दरवाजा खुला और वही स्त्री हाथ में पानी का जग ले आई। और मेजर राज के सामने रख कर खाने वाली प्लेट उठा कर बाहर चली गई। मेजर राज ने इस बार कुछ नहीं पूछा क्योंकि वह समझ गया था कि इससे कोई जवाब नहीं मिलेगा। इसलिए वह चुपचाप पानी पीने में लग गया। इतना तो उसे यकीन था कि वह कर्नल इरफ़ान की कैद में है। मगर अंदर आने वाला पुरुष कर्नल इरफ़ान हरगिज़ नहीं था। और यह महिला कौन थी मेजर राज उसको भी नहीं जानता था। वह यह भी नहीं जानता था कि वह कब से इस कमरे में कैद है।
मेजर राज अब आने वाले हालात के बारे में सोचने लगा। वह जानता था कि ये लोग मुझे मारेंगे तो नहीं। क्योंकि दुश्मन हमेशा अपने दुश्मन को जिंदा रखने की ही कोशिश करता है ताकि अधिक से अधिक रहस्य मालूम कर सके। अब मेजर राज ने अनुमान लगाया कि आखिर कर्नल इरफ़ान कौनसी जानकारी लेकर भारत से भागा था ?? और अब वह मेजर राज के साथ क्या करेगा मगर इनमें से किसी भी बात का जवाब नहीं था मेजर के पास। मेजर इन्हीं विचारों में गुम था कि फिर से दरवाजा खुला और एक लंबा चौड़ा आदमी अंदर प्रवेश किया। उसके पीछे 2 आदमी और भी थे जो हाथ में बंदूक लिए खड़े थे। ये तीनों लोग भेषभूषा से ही एक बदमाश गिरोह के गुंडे लग रहे थे। आगे आने वाले व्यक्ति ने मेजर राज के पास खड़े होकर उसको सिर के बालों से पकड़ा और खड़ा होने को कहा। मेजर राज लड़खड़ाते हुए खड़ा हो गया और इस आदमी की आंखों में आंखें डालकर बोला कि तुम कौन हो और मैं यहाँ क्यों हूँ ??
मेजर की आंखों में भय का नामोनिशान तक न था। इस व्यक्ति ने मेजर राज के मुंह पर एक जोरदार थप्पड़ मारा जिससे मेजर का मुंह एक पल के लिए सही साइड पर मुड़ गया मगर मेजर ने तुरंत ही वापस उसकी आँखों में आँखें डाली और बोला बताओ मुझे तुम कौन हो और क्या चाहते हो? ?
अब की बार भी मेजर की आंखों में भय नहीं था। मेजर सीधा खड़ा था उसके पैर भी बंधे थे और हाथ भी। मेजर की बात का जवाब देने के बजाय उस व्यक्ति ने कहा यहाँ मैं तेरी बातों का जवाब देने नहीं आया, जो मैं पूछूँ केवल तू इसका उत्तर दे। वरना यह पीछे जो लोग खड़े हैं यह अपनी बंदूक की सारी गोलियां तेरे शरीर में उतार देंगे ......... अभी उस व्यक्ति की बात पूरी नहीं हुई थी कि मेजर राज ने अपना सिर बहुत जोरदार ढंग से सामने खड़े व्यक्ति की नाक पर दे मारा जिससे वह बलबलाता हुआ पीछे की ओर लड़खड़ाते हुए 4, 5 कदम पीछे हो गया। राज की इस हरकत से पीछे दो खड़े लोगों ने अपनी अपनी बंदूकों के रुख राज के सिर पर किए मगर उनके बॉस ने तुरंत ही हाथ के इशारे से उन्हें मना कर दिया कि गोली नहीं चलाना .
अब वह गुस्से में राज की ओर देखने लगा तो मेजर राज बोला तेरे इन किराए के कुत्तों से मैं तो क्या मेरे देश का बच्चा भी नहीं डरेगा हिम्मत है तो उन्हें कहो मेरे ऊपर गोली चलाने को वास्तव में राज जो रॉ का लायक एजेंट था वह अच्छी तरह जानता था कि कोई भी सेना कभी भी दूसरी सेना के कैदी को इतनी आसानी से नहीं मारते। क्योंकि उनका उद्देश्य कैदी से ज़्यादा से ज्यादा जानकारी लेना होता है। इसलिए उन्हे कभी गवारा नहीं होता कि हाथ आए कैदी को कुछ जानकारी लिए बिना मार दिया जाय यही कारण था कि मेजर राज बिल्कुल निडर खड़ा था।
अब की बार अंदर आने वाले व्यक्ति ने पूछा बताओ तुम लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला का पीछा क्यों कर रहे थे? और हमारे जहाज पर क्या करने आए थे ??? उसकी यह बात सुनकर मेजर राज ने एक ठहाका लगाया और बोला ये धोखा किसी और को देना, कर्नल इरफ़ान जैसे कुत्ते को किसी भी रूप में पहचान सकता हूँ। वह लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला नहीं बल्कि कर्नल इरफ़ान था जिसका में पीछा कर रहा था। मेजर की यह बात सुनकर वह व्यक्ति मुस्कुराया और बोला अच्छा तो तुम जानते हो कि वो कर्नल इरफ़ान था। चलो यह तो अच्छी बात है। अब यह भी बता दो कि तुम उनका पीछा क्यों कर रहे थे ??? उसकी यह बात सुनकर राज बोला कि मैं तब तक तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा जब तक तुम मेरे कुछ सवालों के जवाब नहीं दे देते। दूसरे व्यक्ति ने पूछा कौन से सवाल ?? तो मेजर राज बोला कि मैं इस समय कहाँ हूँ ?? और तुम लोग कौन हो? राज की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला तुम इस समय जामनगर में हो और हम कौन हैं यह जानने की तुम्हें कोई जरूरत नहीं।
यह जवाब सुनकर राज ने अनुमान लगा लिया कि यह पाकिस्तान का तटीय शहर है, अब मेजर राज को विश्वास हो गया था कि वह पाकिस्तान का कैदी बन गया है। मगर उसने बिना परेशान हुए अगला सवाल किया कि मैं कितनी देर बेहोश रहा ?? इस पर वह व्यक्ति बोला हमें 3 दिन पहले बता दिया गया था कि एक भारतीयकुत्ता पकड़ा गया है और कल तुम्हें यहां पहुंचा दिया गया था। तब से तुम इधर ही हो। यह सुनकर मेजर राज हैरान रह गया। 3 दिन पहले उस व्यक्ति को पता लगा था कि मेजर राज कर्नल इरफ़ान के कब्जे में है, उसका मतलब है कि मेजर राज कम से कम 3 दिन से बेहोश पड़ा था। अबकी बार वह व्यक्ति दहाडा कि अब बताओ तुम कर्नल इरफ़ान का पीछा क्यों कर रहे थे ???
उसकी बात सुनकर मेजर राज ने बोला जब वह सड़क पर यातायात नियमो का उल्लंघन करते हुए 90 के बजाय 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से गाड़ी चलाएगा तो मैं उसका पीछा करूंगा ही ना। मेरी तो ड्यूटी है यह।
मेजर राज का यह जवाब सुन कर दूसरा व्यक्ति दहाडा क्या मतलब है तुम्हारा?
मेजर राज ने मुस्कुराते हुए बोला अरे यार में यातायात पुलिस में हूँ मुम्बई में। रात 3 बजे एक होंडा जिसमें तुम्हारा कर्नल इरफ़ान कहीं जा रहा था मैने उसकी कार का पीछा किया क्योंकि वो यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पूरे 130 किमी। । । । । । । । इससे पहले कि मेजर राज की बात पूरी होती एक झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर मुँह पर पड़ा जिसने मेजर राज के चारों चिराग रोशन कर दिए थे।
मेजर राज को फिर से उसी व्यक्ति की गुर्राती हुई आवाज़ आई अबे दुष्ट आदमी एक यातायात पुलिस वाले को कैसे पता हो सकता है कि लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला के भेष में कर्नल इरफ़ान जा रहा है ... तू निश्चित रूप से रॉ का कुत्ता है। सच सच बोल नहीं तो तेरी जीभ खींच कर बाहर कर दूँगा में ....
उस व्यक्ति की यह बात सुनकर मेजर राज ने अपनी जीभ बाहर निकाल दी .... वह व्यक्ति हैरान होकर मेजर को देखने लगा तो मेजर बोला लो ज़ुबान खींच लो जो कुछ उगलवाना है। यह कह कर मेजर राज हंसने लगा और फिर बोला यार कार के शीशे काले थे मुझे तो नहीं पता था अंदर कौन है। मैंने तो पीछा करना शुरू कर दिया था। फिर बंदरगाह के पास मैंने कर्नल इरफ़ान को कुछ हथियार बंद लोगों के साथ बातें करते सुना, वे उसको कर्नल इरफ़ान कह कर ही संबोधित कर रहे थे तो मैं समझ गया कि ये आदमी जो कानून का उल्लंघन कर रहा है यह कर्नल इरफ़ान है।
मेजर की यह बात खत्म हुई तो वह व्यक्ति मुस्कराने लगा और बोला चूतिया समझ रखा है क्या तूने हमें ?? कुछ भी बोलेगा और हम मान लेंगे ???
मेजर राज ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा अच्छा यार न मानो। जो सच है मैंने तुम्हें बता दिया।
वह व्यक्ति फिर बोला सच सच बता रॉ ने किस मकसद से तुझे भेजा था कर्नल के पीछे ???
मेजर राज ने अंजान बनते हुए कहा कौन रॉ ??? फिर खुद ही बोल पड़ा अच्छा अच्छा भारत की खुफिया एजेंसी ... अरे यार वे इतने पागल थोड़ी ही है जो एक यातायात पुलिस के कांस्टेबल को कर्नल के पीछे भेज दें, मैंने बताया ना कि वह ओवर स्पीड । । । । एक और झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर राज के चेहरे पर लगा और उसकी बात बीच में ही रह गई।
अब की बार मेजर राज ने गुस्से से उस व्यक्ति को देखा और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए बोला कि थप्पड़ का बदला तो तुमसे ज़रूर लूँगा। एक बार मेरे हाथ तो खोल फिर देख तुझे तेरे भाइयों के सामने कुत्ते की मौत मारूँगा।
औरत मुड़ी और बोली मैं कौन हूँ तुझे इससे मतलब चुप कर रोटी खा फिर तुझे इधर से शिफ्ट करना है।
मेजर राज ने फिर पूछा इतना तो बता दो मैं कब से हूं इधर ??
इस पर महिला बोली कल रात तुझे मालिक बेहोश हालत में लाया था और आज तुझे होश आया है। यह कह कर वह स्त्री वापस चली गई और दरवाजा फिर से बंद हो गया।
मेजर राज ने पहले तो हिकारत से खाने को देखा जैसे कि कहना चाह रहा हो कि वह दुश्मन का दिया हुआ खाना नहीं खाएगा। मगर फिर खाने पर नज़र पड़ते ही उसको भयंकर भूख महसूस होने लगी और वह चुपचाप थाली की तरफ हाथ बढ़ाने लगा। थाली में पतली दाल और साथ मे कुछ रोटियाँ पड़ी थीं। मेजर राज के दोनों हाथ आपस में मजबूती से बंधे थे। उसने बहुत मुश्किल से रोटी खाई। आश्चर्यजनक रूप से मेजर राज सारा खाना खा गया और प्लेट ऐसी साफ कर दी जैसे धूलि हुई हो। उसको बहुत भूख लगी थी। खाना खाने के बाद मेजर राज ने फिर से कमरे में नज़रें दौड़ाई तो पूरा कमरा खाली था। अंदर अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था। फिर मेजर राज चिल्लाया और पानी मांगने लगा। मगर शायद उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था।
काफी समय के बाद मेजर राज को फिर से दरवाजे के पास कुछ कदमों की आवाज आई तो उसने फिर से पानी के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद दरवाजा खुला और वही स्त्री हाथ में पानी का जग ले आई। और मेजर राज के सामने रख कर खाने वाली प्लेट उठा कर बाहर चली गई। मेजर राज ने इस बार कुछ नहीं पूछा क्योंकि वह समझ गया था कि इससे कोई जवाब नहीं मिलेगा। इसलिए वह चुपचाप पानी पीने में लग गया। इतना तो उसे यकीन था कि वह कर्नल इरफ़ान की कैद में है। मगर अंदर आने वाला पुरुष कर्नल इरफ़ान हरगिज़ नहीं था। और यह महिला कौन थी मेजर राज उसको भी नहीं जानता था। वह यह भी नहीं जानता था कि वह कब से इस कमरे में कैद है।
मेजर राज अब आने वाले हालात के बारे में सोचने लगा। वह जानता था कि ये लोग मुझे मारेंगे तो नहीं। क्योंकि दुश्मन हमेशा अपने दुश्मन को जिंदा रखने की ही कोशिश करता है ताकि अधिक से अधिक रहस्य मालूम कर सके। अब मेजर राज ने अनुमान लगाया कि आखिर कर्नल इरफ़ान कौनसी जानकारी लेकर भारत से भागा था ?? और अब वह मेजर राज के साथ क्या करेगा मगर इनमें से किसी भी बात का जवाब नहीं था मेजर के पास। मेजर इन्हीं विचारों में गुम था कि फिर से दरवाजा खुला और एक लंबा चौड़ा आदमी अंदर प्रवेश किया। उसके पीछे 2 आदमी और भी थे जो हाथ में बंदूक लिए खड़े थे। ये तीनों लोग भेषभूषा से ही एक बदमाश गिरोह के गुंडे लग रहे थे। आगे आने वाले व्यक्ति ने मेजर राज के पास खड़े होकर उसको सिर के बालों से पकड़ा और खड़ा होने को कहा। मेजर राज लड़खड़ाते हुए खड़ा हो गया और इस आदमी की आंखों में आंखें डालकर बोला कि तुम कौन हो और मैं यहाँ क्यों हूँ ??
मेजर की आंखों में भय का नामोनिशान तक न था। इस व्यक्ति ने मेजर राज के मुंह पर एक जोरदार थप्पड़ मारा जिससे मेजर का मुंह एक पल के लिए सही साइड पर मुड़ गया मगर मेजर ने तुरंत ही वापस उसकी आँखों में आँखें डाली और बोला बताओ मुझे तुम कौन हो और क्या चाहते हो? ?
अब की बार भी मेजर की आंखों में भय नहीं था। मेजर सीधा खड़ा था उसके पैर भी बंधे थे और हाथ भी। मेजर की बात का जवाब देने के बजाय उस व्यक्ति ने कहा यहाँ मैं तेरी बातों का जवाब देने नहीं आया, जो मैं पूछूँ केवल तू इसका उत्तर दे। वरना यह पीछे जो लोग खड़े हैं यह अपनी बंदूक की सारी गोलियां तेरे शरीर में उतार देंगे ......... अभी उस व्यक्ति की बात पूरी नहीं हुई थी कि मेजर राज ने अपना सिर बहुत जोरदार ढंग से सामने खड़े व्यक्ति की नाक पर दे मारा जिससे वह बलबलाता हुआ पीछे की ओर लड़खड़ाते हुए 4, 5 कदम पीछे हो गया। राज की इस हरकत से पीछे दो खड़े लोगों ने अपनी अपनी बंदूकों के रुख राज के सिर पर किए मगर उनके बॉस ने तुरंत ही हाथ के इशारे से उन्हें मना कर दिया कि गोली नहीं चलाना .
अब वह गुस्से में राज की ओर देखने लगा तो मेजर राज बोला तेरे इन किराए के कुत्तों से मैं तो क्या मेरे देश का बच्चा भी नहीं डरेगा हिम्मत है तो उन्हें कहो मेरे ऊपर गोली चलाने को वास्तव में राज जो रॉ का लायक एजेंट था वह अच्छी तरह जानता था कि कोई भी सेना कभी भी दूसरी सेना के कैदी को इतनी आसानी से नहीं मारते। क्योंकि उनका उद्देश्य कैदी से ज़्यादा से ज्यादा जानकारी लेना होता है। इसलिए उन्हे कभी गवारा नहीं होता कि हाथ आए कैदी को कुछ जानकारी लिए बिना मार दिया जाय यही कारण था कि मेजर राज बिल्कुल निडर खड़ा था।
अब की बार अंदर आने वाले व्यक्ति ने पूछा बताओ तुम लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला का पीछा क्यों कर रहे थे? और हमारे जहाज पर क्या करने आए थे ??? उसकी यह बात सुनकर मेजर राज ने एक ठहाका लगाया और बोला ये धोखा किसी और को देना, कर्नल इरफ़ान जैसे कुत्ते को किसी भी रूप में पहचान सकता हूँ। वह लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला नहीं बल्कि कर्नल इरफ़ान था जिसका में पीछा कर रहा था। मेजर की यह बात सुनकर वह व्यक्ति मुस्कुराया और बोला अच्छा तो तुम जानते हो कि वो कर्नल इरफ़ान था। चलो यह तो अच्छी बात है। अब यह भी बता दो कि तुम उनका पीछा क्यों कर रहे थे ??? उसकी यह बात सुनकर राज बोला कि मैं तब तक तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं दूंगा जब तक तुम मेरे कुछ सवालों के जवाब नहीं दे देते। दूसरे व्यक्ति ने पूछा कौन से सवाल ?? तो मेजर राज बोला कि मैं इस समय कहाँ हूँ ?? और तुम लोग कौन हो? राज की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला तुम इस समय जामनगर में हो और हम कौन हैं यह जानने की तुम्हें कोई जरूरत नहीं।
यह जवाब सुनकर राज ने अनुमान लगा लिया कि यह पाकिस्तान का तटीय शहर है, अब मेजर राज को विश्वास हो गया था कि वह पाकिस्तान का कैदी बन गया है। मगर उसने बिना परेशान हुए अगला सवाल किया कि मैं कितनी देर बेहोश रहा ?? इस पर वह व्यक्ति बोला हमें 3 दिन पहले बता दिया गया था कि एक भारतीयकुत्ता पकड़ा गया है और कल तुम्हें यहां पहुंचा दिया गया था। तब से तुम इधर ही हो। यह सुनकर मेजर राज हैरान रह गया। 3 दिन पहले उस व्यक्ति को पता लगा था कि मेजर राज कर्नल इरफ़ान के कब्जे में है, उसका मतलब है कि मेजर राज कम से कम 3 दिन से बेहोश पड़ा था। अबकी बार वह व्यक्ति दहाडा कि अब बताओ तुम कर्नल इरफ़ान का पीछा क्यों कर रहे थे ???
उसकी बात सुनकर मेजर राज ने बोला जब वह सड़क पर यातायात नियमो का उल्लंघन करते हुए 90 के बजाय 130 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से गाड़ी चलाएगा तो मैं उसका पीछा करूंगा ही ना। मेरी तो ड्यूटी है यह।
मेजर राज का यह जवाब सुन कर दूसरा व्यक्ति दहाडा क्या मतलब है तुम्हारा?
मेजर राज ने मुस्कुराते हुए बोला अरे यार में यातायात पुलिस में हूँ मुम्बई में। रात 3 बजे एक होंडा जिसमें तुम्हारा कर्नल इरफ़ान कहीं जा रहा था मैने उसकी कार का पीछा किया क्योंकि वो यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए पूरे 130 किमी। । । । । । । । इससे पहले कि मेजर राज की बात पूरी होती एक झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर मुँह पर पड़ा जिसने मेजर राज के चारों चिराग रोशन कर दिए थे।
मेजर राज को फिर से उसी व्यक्ति की गुर्राती हुई आवाज़ आई अबे दुष्ट आदमी एक यातायात पुलिस वाले को कैसे पता हो सकता है कि लेफ्टिनेंट कर्नल रंगीला के भेष में कर्नल इरफ़ान जा रहा है ... तू निश्चित रूप से रॉ का कुत्ता है। सच सच बोल नहीं तो तेरी जीभ खींच कर बाहर कर दूँगा में ....
उस व्यक्ति की यह बात सुनकर मेजर राज ने अपनी जीभ बाहर निकाल दी .... वह व्यक्ति हैरान होकर मेजर को देखने लगा तो मेजर बोला लो ज़ुबान खींच लो जो कुछ उगलवाना है। यह कह कर मेजर राज हंसने लगा और फिर बोला यार कार के शीशे काले थे मुझे तो नहीं पता था अंदर कौन है। मैंने तो पीछा करना शुरू कर दिया था। फिर बंदरगाह के पास मैंने कर्नल इरफ़ान को कुछ हथियार बंद लोगों के साथ बातें करते सुना, वे उसको कर्नल इरफ़ान कह कर ही संबोधित कर रहे थे तो मैं समझ गया कि ये आदमी जो कानून का उल्लंघन कर रहा है यह कर्नल इरफ़ान है।
मेजर की यह बात खत्म हुई तो वह व्यक्ति मुस्कराने लगा और बोला चूतिया समझ रखा है क्या तूने हमें ?? कुछ भी बोलेगा और हम मान लेंगे ???
मेजर राज ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा अच्छा यार न मानो। जो सच है मैंने तुम्हें बता दिया।
वह व्यक्ति फिर बोला सच सच बता रॉ ने किस मकसद से तुझे भेजा था कर्नल के पीछे ???
मेजर राज ने अंजान बनते हुए कहा कौन रॉ ??? फिर खुद ही बोल पड़ा अच्छा अच्छा भारत की खुफिया एजेंसी ... अरे यार वे इतने पागल थोड़ी ही है जो एक यातायात पुलिस के कांस्टेबल को कर्नल के पीछे भेज दें, मैंने बताया ना कि वह ओवर स्पीड । । । । एक और झन्नाटे दार थप्पड़ मेजर राज के चेहरे पर लगा और उसकी बात बीच में ही रह गई।
अब की बार मेजर राज ने गुस्से से उस व्यक्ति को देखा और उसकी आँखों में आँखें डालते हुए बोला कि थप्पड़ का बदला तो तुमसे ज़रूर लूँगा। एक बार मेरे हाथ तो खोल फिर देख तुझे तेरे भाइयों के सामने कुत्ते की मौत मारूँगा।