hotaks444
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गोवा में सबने काफ़ी मस्तियाँ की सिर्फ़ रश्मि को छोड़कर क्योंकि राज के बगैर रश्मि को सब फीका और बेकार लगता था कभी वो सोचती कि उसे जय आदि के साथ आना ही नही चाहिए था . दो दिन गोआ में बिताकर जय ने कश्मीर जाने का प्लान बनाया सही मायने में ये सब करने के डॉली ने ही जय पर दवाब डाला था खैर जो भी हो अगले दिन प्लेन से वो जम्बू पहुँचे और फिर वहाँ से कश्मीर आ गये . और सफ़र में इतना थक चुके थे पूरी रात घोड़े बेच कर सोए .
सुबह सबसे पहले डॉली जगी और उसने सब उठाया और कहा कि जल्दी से तैयार हो जाएँ नाश्ते के बाद घूमने चलना है
रश्मि ने उनके साथ जाने से फिर इनकार कर दिया और कहा कि आप लोग घूम आइए मैं यही रहूंगी . जय ने भी रश्मि की हालत को महसूस करके ज़्यादा ज़िद नही की . और कुछ देर बाद तीनों सैर के लिए निकल चुके थे जबकि रश्मि अपने हट में ही मौजूद रही। कुछ देर खाली बैठे बैठे जब वो बोर हो गई तो उठ कर बाहर निकल आई और हट की एक साइड पर मौजूद पेड़ों के बीच चलती हट से एक दूर निकल आई। यहाँ पहाड़ की हल्की सी ढलान थी और एक उपयुक्त जगह देख कर कर रश्मि बैठ गई। यहाँ से बहुत सुंदर दृश्य देखने को मिल रहा था। रश्मि इस नज़ारे को एंजाय करने लगी, हल्की हल्की ठंड के कारण रश्मि ने एक शाल भी ओढ़ रखी थी।
जबकि दूसरी ओर डॉली और जय चेयर लिफ्ट पर बैठे एंजाय कर रहे थे और उनसे पिछली चेयर पर पिंकी अकेली बैठी थी। पिंकी ने ब्लू कलर की जींस पहन रखी थी उसके साथ एक टाइट टी शर्ट थी और ऊपर से एक ब्राउन कलर का मोटा और गर्म ऊपरी पहन रखा था। बालों को गठबंधन करके एक टट्टू डाली हुई और लांग बूट पहने पिंकी बहुत सुंदर लग रही थी। गोरा चेहरा और पिंक पिंक गालों वाली पिंकी को अब तक कई लड़के देखकर देखते ही रह गए थे, जो भी देखता वो अपनी नज़रें हटाना भूल जाता। चेयर लिफ्ट से उतरते हुए जय ने पिंकी को सहारा दिया और फिर तीनों केबल कार पर बैठकर गुल मर्ग पहुंचे और वहां बर्फ से खेलने लगे। वहाँ कुछ और परिवार भी आए हुए थे और कुछ कॉलेज के समूह भी थे।
डॉली जय के साथ अकेले इस जगह पर एंजाय करना चाहती थी मगर पिंकी की वजह से वह कुछ उखड़ी-उखड़ी थी। लेकिन फिर अचानक ही एक लड़की ने पिंकी को देखकर चीख मारी और भागती हुई हाथ फैलाकर पिंकी की ओर आई पिंकी ने उसे देखा तो वह भी खुशी से निहाल हो गई और आने वाली लड़की से गले मिलने लगी। पिंकी ने गले मिलते ही लड़की से पूछा कि तुम यहाँ कैसे ??? तो उसने बताया तुम भूल गई, तुम्हें बताया तो था कि हम लोग भी कश्मीर आएंगे। मम्मा पापा और भाई के साथ कल रात ही यहां पहुंची हूं।
ये पिंकी की विश्वविद्यालय के समय की दोस्त मिनी थी। इन दोनों की बहुत अच्छी दोस्ती थी और इस दोस्ती का असली कारण मिनी का भाई रोहित था जिसे सब प्यार से आरके कह कर बुलाते थे। आरके पिंकी को पसंद करता था और दोनों की बहुत अच्छी दोस्ती थी। पिंकी भी आरके पसंद करती थी और उससे शादी करना चाहती थी मगर अब तक आरके ने पिंकी की माँ से कोई बात नहीं की थी इस बारे में। मिनी और पिंकी अब बातें करने में व्यस्त थे कि आरके भी वहां पहुंच गया और पिंकी को देखकर बहुत खुश हुआ, उसने भी पिंकी से हाथ मिलाया और बोला तुम तो आज बड़ी प्यारी लग रही हो ... पिंकी ने इठलाते हुए कहा यह कौन सी नई बात है, मैं तो हमेशा ही प्यारी लगती हूँ। यह सुनकर मिनी भी हंसने लगी। फिर पिंकी ने दोनों का परिचय जय और डॉली से करवाया।
मिनी ने जय से अनुमति ली कि वह पिंकी को अपने साथ लेजाए तो जय ने मना करना चाहा मगर डॉली ने उसे अनुमति दे दी। वह तो पहले ही पिंकी की मौजूदगी से परेशान थी क्योंकि हनीमून यात्रा पर भला बहन का क्या काम भाई के साथ। भाभी से अनुमति मिलते ही पिंकी मिनी के साथ चल पड़ी और जय को कह दिया कि वह भाभी के साथ ही वापस चले जाएं वो उन्हीं लोगों के साथ वापस पहुंच जाएगी डॉली ने भी जय का हाथ पकड़ा और दूसरी साइड पर चल दी जहां भीड़ थोड़ी कम थी वह एकांत में जय के साथ बैठकर इस रोमांटिक मौसम को एंजाय करना चाहती थी। वैसे भी मुम्बई वालों के लिए यह ठंडा मौसम भी बहुत अच्छा था।
पिंकी अब मिनी और आरके के साथ सैर करने लगी। पिंकी के दाईं ओर मिनी जबकि बाईं ओर आरके था जो रह रहकर पिंकी को छेड़ रहा था मगर पिंकी उसकी इन हरकतों का बुरा नहीं मान रही थी। क्योंकि वह भी आरके को पसंद करती थी। पिंकी ने दोपहर होने पर आरके और मिनी के मम्मी-डैडी के साथ ही खाना खाया और फिर वापस कश्मीर आ गए। शाम 5 बजे कश्मीर में ठंड का इज़ाफ़ा होगया था मगर पिंकी इस मौसम को एंजाय चाहता थी. आरके के मम्मी-डैडी जीपीओ चौक पर मौजूद होटल में अपने कमरे में चले गए जबकि पिंकी मिनी और आरके मॉल में मौसम को एंजाय और विंडो खरीदारी के लिए चले गए। अब पिंकी और आरके एक दूसरे का हाथ पकड़े मॉल में फिर रहे थे। आने जाने वाले भोंडे प्रकार के लड़के हसरत भरी निगाहों से आरके को देखते और उसकी किस्मत पर ईर्ष्या करते जो इतनी सुंदर लड़की के साथ फिर रहा था।
तीनों काफी देर तक मॉल में फिरते रहे और तीनों ने मिलकर आयस्क्रीम भी खाई फिर आरके मिनी और पिंकी को लेकर प्रस्ताव राईड की ओर ले गया। मिनी ने तो मोशन राईड पर बैठने से साफ इनकार कर दिया जबकि पिंकी के चेहरे पर भी थोड़े डर के आसार थे मगर आरके के कहने पर वह अंदर चली गई और चेयर पर बैठकर सीट बेल्ट बांध ली। पिंकी ने चेयर पर हत्थे को मजबूती से पकड़ रखा था। पिक्चर शुरू हुई और चेयर में भी हरकत शुरू हो गई। शुरुआत में तो पिंकी पकड़ करके बैठी रही मगर जैसे ही सामने चलने वाली मूवी में ट्रेन पटरी से नीचे गिरी तो पिंकी को लगा कि जैसे उसकी अपनी चेयर भी हवा में उड़ने लगी है और वह अब नीचे गिर जाएगी, वह तुरंत ही चेयर के हत्थे को छोड़ के साथ वाली चेयर पर बैठे आरके कंधों पर हाथ रख लिए और उसे कसकर पकड़ लिया,
पिंकी की यह हालत देखकर आरके हंसने लगा जबकि पिंकी की चीखें ही खत्म नहीं हो रही थीं, वह तो अब सामने लगी स्क्रीन पर देख ही नहीं रही थी जबकि उसकी चेयर अभी भी कभी उसको हवा में उड़ाती तो कभी पीछे से गिराती मगर उसने आरके को नहीं छोड़ा और मजबूती से उसे पकड़ कर बैठी रही। आरके ने भी एक हाथ पिंकी की कमर के चारों ओर लपेट लिया। और उसे कसकर पकड़ कर हौसला देने लगा। कुछ ही देर में मूवी खत्म हो गई और आरके ने सीट बेल्ट खोल दी। मगर पिंकी अब तक डरी हुई थी और वह आरके के साथ लिपटी हुई थी, आरके ने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी सीट बेल्ट खोली और उसे नीचे उतरने में मदद की। पिंकी काँपते पैरों के साथ नीचे उतरी और आरके के सीने पर थप्पड़ मारते हुए बोली मैंने कहा था न मुझे नहीं बैठना इसमें मगर आप ने मेरी सुनी ही नहीं। आरके ने यह सुनकर एक ठहाका लगाया और बोला अरे मुझे क्या मालूम था कि मेरी पिंकी इतनी डरपोक है। यह कह कर उसने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रख कर उसे अपने से करीब कर लिया।
अब रात के 9 बजने वाले थे। इस दौरान जय ने 2 बार पिंकी को कॉल करके खैरियत मालूम की और पिंकी ने जय को संतुष्ट किया कि आप चिंता न करें मैं बिल्कुल ठीक हूँ। अब मिनी आरके और पिंकी वापस अपने होटल में आ चुके थे जहां उसके मम्मी डैडी आराम करने के बाद सैर करने निकल गए थे। अपने कमरे में आते ही मिनी बेड पर ढह गई। एक दिन की यात्रा और आज सारे दिन की सैर ने उसको थका दिया था। जबकि पिंकी की थकान आरके के साथ ने खत्म कर दी थी। अब पिंकी और आरके दोनों एक दूसरे के साथ सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे। जबकि मिनी बेड पर आंखें बंद किए लेटी थी। शायद उसकी आंख लग गई थी।
आरके ने पिंकी का हाथ पकड़ा और उसे अपने दोनों हाथ में लेकर उसे प्यार करने लगा जबकि पिंकी भी आरके के साथ बैठी और ज़्यादा पिंक हो गई थी। शर्म से उसके हल्के गुलाबी गाल अब पहले से अधिक गुलाबी हो चुके थे। आरके ने पिंकी का हाथ अपने हाथ में लिया और ऊपर उठा कर अपने होंठों के करीब लाकर उसके नरम नरम हाथ पर अपने होंठ रख दिए। और अपना एक हाथ पिंकी के कंधे पर रख कर उसे अपने पास कर लिया। पिंकी ने भी अपना सिर आरके के कंधे पर रख दिया। बहुत समय बाद उसे अपने प्रेमी के इतने करीब होने का मौका मिला था। जिससे पिंकी बहुत खुश थी।
पिंकी के हाथ पर प्यार करते हुए आरके ने हल्की आवाज में पिंकी के कान में फुसफुसाते करते हुए आई लव यू जान कहा, जिस पर पिंकी थोड़ा कसमसाई और जवाब में आई लव यू टू आरके को कहा। आरके ने पिंकी के चेहरे के नीचे अपना हाथ रख कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी तरफ प्यार से देखने लगा। आरके को अपनी ओर यों देखते हुए पाकर पिंकी शर्म से लाल हो गई और अपनी नज़रें झुका लीं। जबकि आरके पिंकी की सुंदरता पर मरा जा रहा था। वह अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था। योंही पिंकी को देखते हुए वह थोड़ा आगे झुका और पिंकी के नरम गुलाबी होठों पर अपने होंठ रख दिए। अपने होठों पर आरके के होठों का स्पर्श पाते ही पिंकी को एक झटका लगा और वह वह पीछे हट गई और आरके को मना किया आरके प्लीज़ अभी यह सब ठीक नहीं।
इस पर आरके बोला कि जान तुम इतनी सुंदर लग रही हो कि मुझसे रहा ही नही गया, तुम्हारे यह नरम गुलाबी होंठ मुझे अपनी ओर खींच रहे हैं और तुम्हारे इस सुंदर चेहरे को देख कर चाँद भी शर्मा रहा है ... अपनी तारीफ सुन कर पिंकी के चेहरे पर खुशी और शर्म के मिश्रित भाव थे जिन्होने 21 वर्षीय पिंकी की सुंदरता में और वृद्धि कर दी थी। कहते हैं महिला की शर्म और हया ही उसका असली हुश्न होता है। और विनय हया जब पिंकी जैसी सुंदर लड़की के चेहरे पर हो तो उसके हुस्न को चार चांद लग जाते हैं। यही वजह थी कि आरके बार बार पिंकी को अपने पास कर रहा था। उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं था मगर आज आरके का बस नहीं चल रहा था कि वह पिंकी को अपने सीने से लगाकर बहुत सारा प्यार करे।
आरके ने एक बार फिर पिंकी के होंठों पर होंठ रख दिए, इस बार पिंकी ने भी आरके के होंठों पर अपने होंठ गोलाई में घुमाते हुए हल्के से चूम लिया जिस पर आरके बहुत खुश हुआ लेकिन फिर पिंकी तुरंत ही सोफे से खड़ी हो गई और आरके से कहने लगी कि वह उसे भाई के पास में छोड़ आए वहां उसकी भाभी अकेली होंगी। आरके अपनी जगह से खड़ा होकर पिंकी के सामने आकर खड़ा हो गया और सिर से पाँव तक पिंकी को देखने लगा, उसने जैसे ही पिंकी की बात सुनी ही नहीं थी। पिंकी कमरे में आकर अपना गर्म कोट उतार चुकी थी अब वह टाइट टी शर्ट और जींस पहने आरके के सामने खड़ी थी। जिससे पिंकी के शरीर के उभार बहुत स्पष्ट हो रहे थे।
पिंकी के 34 आकार के मम्मे टी शर्ट में फंसे थे और उसकी 32 की गाण्ड जींस में बहुत स्पष्ट दिख रही थी। पिंकी न केवल सुंदर चेहरे की मालिक थी बल्कि उसका नसवानी हुश्न भी देखने लायक था। आरके फिर पिंकी के पास आया और अपना हाथ उसकी कमर के चारों ओर लपेट कर उसको अपने पास कर लिया। पिंकी ने भी बिना कोई प्रतिरोध किए उसके पास आ गई मगर उसकी आँखें झुकी हुई थी, पिंकी के 34 आकार के गोल मम्मे आरके के सीने को छू रहे थे, आरके ने पिंकी के चहरे ऊपर उठाया और फिर से अपने होंठ पिंकी के होंठों पर रख दिए। इस बार पिंकी ने आरके का साथ देना शुरू किया तो आरके का हौसला बढ़ा और उसने पिंकी और भी अधिक मज़बूती के साथ अपने साथ लगा लिया और पिंकी के सुंदर गुलाब की पत्ती जैसे होठों को चूसने लगा। पिंकी ने भी अपना एक हाथ आरके की गर्दन पर रखा और उसके होंठों को चूसने लगी। दोनों एक दूसरे के होंठों से रस पी रहे थे। पिंकी के लिए यह सब कुछ नया था इसलिए उसे अपने होठों पर एक आदमी के होठों का स्पर्श बहुत प्यारा लग रहा था।
कुछ देर होंठ चूसने के बाद अब आरके के होंठ पिंकी की सुराही दार गर्दन को चूम रहे थे और पिंकी अपना चेहरा ऊपर किए अपनी गर्दन पर आरके के होंठों के गर्म स्पर्श को महसूस कर के अपने होश गंवा रही थी। आरके का हाथ पिंकी की कमर से नीचे सरकता हुआ उसके चूतड़ों पर आकर रुका था। और अब हल्के हल्के उसके चूतड़ों को दबा रहा था। पिंकी ने अपने एक हाथ से आरके का हाथ अपने चूतड़ों हटाना चाहा मगर आरके ने पहले से अधिक मजबूती से उसके एक साइड के चूतड़ को पकड़ कर दबा दिया जिससे पिंकी के मुँह से एक सिसकी निकली। अब आरके पिंकी की गर्दन से होता हुआ उसके सीने तक आ गया था और अपने होंठों से पिंकी की सुंदर मलाई जैसी सफेद छाती पर प्यार कर रहा था। जबकि उसका दूसरा हाथ अब तक पिंकी के चूतड़ों पर था। पिंकी ने अपने एक हाथ से उसके बालों में प्यार करना शुरू कर दिया था जबकि आरके ने अपना दूसरा हाथ पिंकी के कूल्हे पर रख दिया और धीरे धीरे उसका हाथ ऊपर की ओर सरकता हुआ उसके पेट पर आ गया। पेट से होता हुआ उसका हाथ बूब्स के पास आया तो पिंकी ने तुरंत ही आरके को मना किया और उसका हाथ पकड़ कर ज़्यादा ऊपर जाने से रोक लिया।
आरके भी ज्यादा ज़िद नहीं की और अपना हाथ पिंकी के मम्मों से कुछ नीचे रोक लिया मगर अब उसने अपने होंठ फिर से पिंकी के होंठों पर रख दिए थे और पिंकी अब पहले से अधिक तीव्रता से आरके के होंठों को चूस रही थी। यहां तक कि अब आरके की ज़ुबान पिंकी के मुँह के अंदर पिंकी की ज़ुबान को छू रही थी और पिंकी बीच-बीच में अपना मुंह बंद करके आरके की ज़ुबान को चूसने लगी। दोनों इस बात से अनजान थे कि मिनी सोई नहीं थी, बल्कि थकान की वजह से आंखें बंद किए लेटी थी, होंठ चूसने की आवाज को सुनकर मिनी ने आँखें खोलकर देखा तो उसका भाई उसकी बेस्ट फ्रेंड के होंठ चूसने में व्यस्त था और उसकी प्रेमिका भी उसके भाई के होठों का फुल मज़ा ले रही थी, यह देखकर मिनी हौले से मुस्कुराई और फिर आँखें बंद करके लेट गई। आरके ने एक बार फिर से कोशिश की और अपना हाथ पिंकी की शर्ट के ऊपर से ही उसके गोल और बाहर निकले हुए मम्मे पर रख दिया। इस बार वह अपना हाथ पिंकी के मम्मों पर रखने में सफल तो हो गया और हौले से उसके बाएं मम्मे को दबा भी दिया मगर फिर पिंकी ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर उसके हाथ को अपने मम्मों से हटा दिया मगर उसके होठों को चुस्ती रही । आरके ने उसके कसे हुए टाइट बूब्स का स्पर्श महसूस कर लिया था जिसकी वजह से उसकी पेंट के अंदर उसके लंड ने सिर उठाकर पिंकी की चूत को सलाम किया था। पिंकी को भी अपनी चूत पर अब आरके के लंड का उभार महसूस होने लगा।
आरके के चुंबन में तीव्रता आ रही थी कि अचानक पिंकी ने अपने होंठों को आरके के होंठों से अलग कर लिया और उससे दूर होकर खड़ी हो गई। वह गहरी गहरी साँस ले रही थी, उसके चेहरे पर शर्म और चुंबन से मिलने वाले आनंद के मिश्रित भाव थे। आरके ने प्यार से पिंकी को एक बार फिर अपने पास किया और बोला- क्या हुआ जान अच्छा नहीं लगा क्या ??? पिंकी कुछ न बोली मात्र शरमाती रही और फिर पिंकी के मोबाइल की घंटी बजने लगी। पिंकी ने जल्दी से अपने बैग से फोन निकाला तो जय की कॉल थी। वो खाने पर पिंकी का इंतजार कर रहा था। पिंकी ने आरके को कहा कि अब प्लीज़ वह उसे उसके भाई के पास छोड़ आए वहां उसके भाई और भाभी उसका इंतजार कर रहे हैं। यह सुनकर आरके ने मिनी को उठाया और उसे साथ लेकर पिंकी को छोड़ने निकल गया। पिंकी के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी और वह प्यार भरी नज़रों से आरके को देख रही थी, आरके भी खुश था कि आज उसने पिंकी के सुंदर होठों से रस पी लिया था जबकि मिनी पिछली सीट पर बैठी दोनों के चेहरों पर मौजूद भाव को देख कर अंदर ही अंदर खुश हो रही थी।
सुबह सबसे पहले डॉली जगी और उसने सब उठाया और कहा कि जल्दी से तैयार हो जाएँ नाश्ते के बाद घूमने चलना है
रश्मि ने उनके साथ जाने से फिर इनकार कर दिया और कहा कि आप लोग घूम आइए मैं यही रहूंगी . जय ने भी रश्मि की हालत को महसूस करके ज़्यादा ज़िद नही की . और कुछ देर बाद तीनों सैर के लिए निकल चुके थे जबकि रश्मि अपने हट में ही मौजूद रही। कुछ देर खाली बैठे बैठे जब वो बोर हो गई तो उठ कर बाहर निकल आई और हट की एक साइड पर मौजूद पेड़ों के बीच चलती हट से एक दूर निकल आई। यहाँ पहाड़ की हल्की सी ढलान थी और एक उपयुक्त जगह देख कर कर रश्मि बैठ गई। यहाँ से बहुत सुंदर दृश्य देखने को मिल रहा था। रश्मि इस नज़ारे को एंजाय करने लगी, हल्की हल्की ठंड के कारण रश्मि ने एक शाल भी ओढ़ रखी थी।
जबकि दूसरी ओर डॉली और जय चेयर लिफ्ट पर बैठे एंजाय कर रहे थे और उनसे पिछली चेयर पर पिंकी अकेली बैठी थी। पिंकी ने ब्लू कलर की जींस पहन रखी थी उसके साथ एक टाइट टी शर्ट थी और ऊपर से एक ब्राउन कलर का मोटा और गर्म ऊपरी पहन रखा था। बालों को गठबंधन करके एक टट्टू डाली हुई और लांग बूट पहने पिंकी बहुत सुंदर लग रही थी। गोरा चेहरा और पिंक पिंक गालों वाली पिंकी को अब तक कई लड़के देखकर देखते ही रह गए थे, जो भी देखता वो अपनी नज़रें हटाना भूल जाता। चेयर लिफ्ट से उतरते हुए जय ने पिंकी को सहारा दिया और फिर तीनों केबल कार पर बैठकर गुल मर्ग पहुंचे और वहां बर्फ से खेलने लगे। वहाँ कुछ और परिवार भी आए हुए थे और कुछ कॉलेज के समूह भी थे।
डॉली जय के साथ अकेले इस जगह पर एंजाय करना चाहती थी मगर पिंकी की वजह से वह कुछ उखड़ी-उखड़ी थी। लेकिन फिर अचानक ही एक लड़की ने पिंकी को देखकर चीख मारी और भागती हुई हाथ फैलाकर पिंकी की ओर आई पिंकी ने उसे देखा तो वह भी खुशी से निहाल हो गई और आने वाली लड़की से गले मिलने लगी। पिंकी ने गले मिलते ही लड़की से पूछा कि तुम यहाँ कैसे ??? तो उसने बताया तुम भूल गई, तुम्हें बताया तो था कि हम लोग भी कश्मीर आएंगे। मम्मा पापा और भाई के साथ कल रात ही यहां पहुंची हूं।
ये पिंकी की विश्वविद्यालय के समय की दोस्त मिनी थी। इन दोनों की बहुत अच्छी दोस्ती थी और इस दोस्ती का असली कारण मिनी का भाई रोहित था जिसे सब प्यार से आरके कह कर बुलाते थे। आरके पिंकी को पसंद करता था और दोनों की बहुत अच्छी दोस्ती थी। पिंकी भी आरके पसंद करती थी और उससे शादी करना चाहती थी मगर अब तक आरके ने पिंकी की माँ से कोई बात नहीं की थी इस बारे में। मिनी और पिंकी अब बातें करने में व्यस्त थे कि आरके भी वहां पहुंच गया और पिंकी को देखकर बहुत खुश हुआ, उसने भी पिंकी से हाथ मिलाया और बोला तुम तो आज बड़ी प्यारी लग रही हो ... पिंकी ने इठलाते हुए कहा यह कौन सी नई बात है, मैं तो हमेशा ही प्यारी लगती हूँ। यह सुनकर मिनी भी हंसने लगी। फिर पिंकी ने दोनों का परिचय जय और डॉली से करवाया।
मिनी ने जय से अनुमति ली कि वह पिंकी को अपने साथ लेजाए तो जय ने मना करना चाहा मगर डॉली ने उसे अनुमति दे दी। वह तो पहले ही पिंकी की मौजूदगी से परेशान थी क्योंकि हनीमून यात्रा पर भला बहन का क्या काम भाई के साथ। भाभी से अनुमति मिलते ही पिंकी मिनी के साथ चल पड़ी और जय को कह दिया कि वह भाभी के साथ ही वापस चले जाएं वो उन्हीं लोगों के साथ वापस पहुंच जाएगी डॉली ने भी जय का हाथ पकड़ा और दूसरी साइड पर चल दी जहां भीड़ थोड़ी कम थी वह एकांत में जय के साथ बैठकर इस रोमांटिक मौसम को एंजाय करना चाहती थी। वैसे भी मुम्बई वालों के लिए यह ठंडा मौसम भी बहुत अच्छा था।
पिंकी अब मिनी और आरके के साथ सैर करने लगी। पिंकी के दाईं ओर मिनी जबकि बाईं ओर आरके था जो रह रहकर पिंकी को छेड़ रहा था मगर पिंकी उसकी इन हरकतों का बुरा नहीं मान रही थी। क्योंकि वह भी आरके को पसंद करती थी। पिंकी ने दोपहर होने पर आरके और मिनी के मम्मी-डैडी के साथ ही खाना खाया और फिर वापस कश्मीर आ गए। शाम 5 बजे कश्मीर में ठंड का इज़ाफ़ा होगया था मगर पिंकी इस मौसम को एंजाय चाहता थी. आरके के मम्मी-डैडी जीपीओ चौक पर मौजूद होटल में अपने कमरे में चले गए जबकि पिंकी मिनी और आरके मॉल में मौसम को एंजाय और विंडो खरीदारी के लिए चले गए। अब पिंकी और आरके एक दूसरे का हाथ पकड़े मॉल में फिर रहे थे। आने जाने वाले भोंडे प्रकार के लड़के हसरत भरी निगाहों से आरके को देखते और उसकी किस्मत पर ईर्ष्या करते जो इतनी सुंदर लड़की के साथ फिर रहा था।
तीनों काफी देर तक मॉल में फिरते रहे और तीनों ने मिलकर आयस्क्रीम भी खाई फिर आरके मिनी और पिंकी को लेकर प्रस्ताव राईड की ओर ले गया। मिनी ने तो मोशन राईड पर बैठने से साफ इनकार कर दिया जबकि पिंकी के चेहरे पर भी थोड़े डर के आसार थे मगर आरके के कहने पर वह अंदर चली गई और चेयर पर बैठकर सीट बेल्ट बांध ली। पिंकी ने चेयर पर हत्थे को मजबूती से पकड़ रखा था। पिक्चर शुरू हुई और चेयर में भी हरकत शुरू हो गई। शुरुआत में तो पिंकी पकड़ करके बैठी रही मगर जैसे ही सामने चलने वाली मूवी में ट्रेन पटरी से नीचे गिरी तो पिंकी को लगा कि जैसे उसकी अपनी चेयर भी हवा में उड़ने लगी है और वह अब नीचे गिर जाएगी, वह तुरंत ही चेयर के हत्थे को छोड़ के साथ वाली चेयर पर बैठे आरके कंधों पर हाथ रख लिए और उसे कसकर पकड़ लिया,
पिंकी की यह हालत देखकर आरके हंसने लगा जबकि पिंकी की चीखें ही खत्म नहीं हो रही थीं, वह तो अब सामने लगी स्क्रीन पर देख ही नहीं रही थी जबकि उसकी चेयर अभी भी कभी उसको हवा में उड़ाती तो कभी पीछे से गिराती मगर उसने आरके को नहीं छोड़ा और मजबूती से उसे पकड़ कर बैठी रही। आरके ने भी एक हाथ पिंकी की कमर के चारों ओर लपेट लिया। और उसे कसकर पकड़ कर हौसला देने लगा। कुछ ही देर में मूवी खत्म हो गई और आरके ने सीट बेल्ट खोल दी। मगर पिंकी अब तक डरी हुई थी और वह आरके के साथ लिपटी हुई थी, आरके ने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी सीट बेल्ट खोली और उसे नीचे उतरने में मदद की। पिंकी काँपते पैरों के साथ नीचे उतरी और आरके के सीने पर थप्पड़ मारते हुए बोली मैंने कहा था न मुझे नहीं बैठना इसमें मगर आप ने मेरी सुनी ही नहीं। आरके ने यह सुनकर एक ठहाका लगाया और बोला अरे मुझे क्या मालूम था कि मेरी पिंकी इतनी डरपोक है। यह कह कर उसने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रख कर उसे अपने से करीब कर लिया।
अब रात के 9 बजने वाले थे। इस दौरान जय ने 2 बार पिंकी को कॉल करके खैरियत मालूम की और पिंकी ने जय को संतुष्ट किया कि आप चिंता न करें मैं बिल्कुल ठीक हूँ। अब मिनी आरके और पिंकी वापस अपने होटल में आ चुके थे जहां उसके मम्मी डैडी आराम करने के बाद सैर करने निकल गए थे। अपने कमरे में आते ही मिनी बेड पर ढह गई। एक दिन की यात्रा और आज सारे दिन की सैर ने उसको थका दिया था। जबकि पिंकी की थकान आरके के साथ ने खत्म कर दी थी। अब पिंकी और आरके दोनों एक दूसरे के साथ सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे। जबकि मिनी बेड पर आंखें बंद किए लेटी थी। शायद उसकी आंख लग गई थी।
आरके ने पिंकी का हाथ पकड़ा और उसे अपने दोनों हाथ में लेकर उसे प्यार करने लगा जबकि पिंकी भी आरके के साथ बैठी और ज़्यादा पिंक हो गई थी। शर्म से उसके हल्के गुलाबी गाल अब पहले से अधिक गुलाबी हो चुके थे। आरके ने पिंकी का हाथ अपने हाथ में लिया और ऊपर उठा कर अपने होंठों के करीब लाकर उसके नरम नरम हाथ पर अपने होंठ रख दिए। और अपना एक हाथ पिंकी के कंधे पर रख कर उसे अपने पास कर लिया। पिंकी ने भी अपना सिर आरके के कंधे पर रख दिया। बहुत समय बाद उसे अपने प्रेमी के इतने करीब होने का मौका मिला था। जिससे पिंकी बहुत खुश थी।
पिंकी के हाथ पर प्यार करते हुए आरके ने हल्की आवाज में पिंकी के कान में फुसफुसाते करते हुए आई लव यू जान कहा, जिस पर पिंकी थोड़ा कसमसाई और जवाब में आई लव यू टू आरके को कहा। आरके ने पिंकी के चेहरे के नीचे अपना हाथ रख कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसकी तरफ प्यार से देखने लगा। आरके को अपनी ओर यों देखते हुए पाकर पिंकी शर्म से लाल हो गई और अपनी नज़रें झुका लीं। जबकि आरके पिंकी की सुंदरता पर मरा जा रहा था। वह अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था। योंही पिंकी को देखते हुए वह थोड़ा आगे झुका और पिंकी के नरम गुलाबी होठों पर अपने होंठ रख दिए। अपने होठों पर आरके के होठों का स्पर्श पाते ही पिंकी को एक झटका लगा और वह वह पीछे हट गई और आरके को मना किया आरके प्लीज़ अभी यह सब ठीक नहीं।
इस पर आरके बोला कि जान तुम इतनी सुंदर लग रही हो कि मुझसे रहा ही नही गया, तुम्हारे यह नरम गुलाबी होंठ मुझे अपनी ओर खींच रहे हैं और तुम्हारे इस सुंदर चेहरे को देख कर चाँद भी शर्मा रहा है ... अपनी तारीफ सुन कर पिंकी के चेहरे पर खुशी और शर्म के मिश्रित भाव थे जिन्होने 21 वर्षीय पिंकी की सुंदरता में और वृद्धि कर दी थी। कहते हैं महिला की शर्म और हया ही उसका असली हुश्न होता है। और विनय हया जब पिंकी जैसी सुंदर लड़की के चेहरे पर हो तो उसके हुस्न को चार चांद लग जाते हैं। यही वजह थी कि आरके बार बार पिंकी को अपने पास कर रहा था। उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं था मगर आज आरके का बस नहीं चल रहा था कि वह पिंकी को अपने सीने से लगाकर बहुत सारा प्यार करे।
आरके ने एक बार फिर पिंकी के होंठों पर होंठ रख दिए, इस बार पिंकी ने भी आरके के होंठों पर अपने होंठ गोलाई में घुमाते हुए हल्के से चूम लिया जिस पर आरके बहुत खुश हुआ लेकिन फिर पिंकी तुरंत ही सोफे से खड़ी हो गई और आरके से कहने लगी कि वह उसे भाई के पास में छोड़ आए वहां उसकी भाभी अकेली होंगी। आरके अपनी जगह से खड़ा होकर पिंकी के सामने आकर खड़ा हो गया और सिर से पाँव तक पिंकी को देखने लगा, उसने जैसे ही पिंकी की बात सुनी ही नहीं थी। पिंकी कमरे में आकर अपना गर्म कोट उतार चुकी थी अब वह टाइट टी शर्ट और जींस पहने आरके के सामने खड़ी थी। जिससे पिंकी के शरीर के उभार बहुत स्पष्ट हो रहे थे।
पिंकी के 34 आकार के मम्मे टी शर्ट में फंसे थे और उसकी 32 की गाण्ड जींस में बहुत स्पष्ट दिख रही थी। पिंकी न केवल सुंदर चेहरे की मालिक थी बल्कि उसका नसवानी हुश्न भी देखने लायक था। आरके फिर पिंकी के पास आया और अपना हाथ उसकी कमर के चारों ओर लपेट कर उसको अपने पास कर लिया। पिंकी ने भी बिना कोई प्रतिरोध किए उसके पास आ गई मगर उसकी आँखें झुकी हुई थी, पिंकी के 34 आकार के गोल मम्मे आरके के सीने को छू रहे थे, आरके ने पिंकी के चहरे ऊपर उठाया और फिर से अपने होंठ पिंकी के होंठों पर रख दिए। इस बार पिंकी ने आरके का साथ देना शुरू किया तो आरके का हौसला बढ़ा और उसने पिंकी और भी अधिक मज़बूती के साथ अपने साथ लगा लिया और पिंकी के सुंदर गुलाब की पत्ती जैसे होठों को चूसने लगा। पिंकी ने भी अपना एक हाथ आरके की गर्दन पर रखा और उसके होंठों को चूसने लगी। दोनों एक दूसरे के होंठों से रस पी रहे थे। पिंकी के लिए यह सब कुछ नया था इसलिए उसे अपने होठों पर एक आदमी के होठों का स्पर्श बहुत प्यारा लग रहा था।
कुछ देर होंठ चूसने के बाद अब आरके के होंठ पिंकी की सुराही दार गर्दन को चूम रहे थे और पिंकी अपना चेहरा ऊपर किए अपनी गर्दन पर आरके के होंठों के गर्म स्पर्श को महसूस कर के अपने होश गंवा रही थी। आरके का हाथ पिंकी की कमर से नीचे सरकता हुआ उसके चूतड़ों पर आकर रुका था। और अब हल्के हल्के उसके चूतड़ों को दबा रहा था। पिंकी ने अपने एक हाथ से आरके का हाथ अपने चूतड़ों हटाना चाहा मगर आरके ने पहले से अधिक मजबूती से उसके एक साइड के चूतड़ को पकड़ कर दबा दिया जिससे पिंकी के मुँह से एक सिसकी निकली। अब आरके पिंकी की गर्दन से होता हुआ उसके सीने तक आ गया था और अपने होंठों से पिंकी की सुंदर मलाई जैसी सफेद छाती पर प्यार कर रहा था। जबकि उसका दूसरा हाथ अब तक पिंकी के चूतड़ों पर था। पिंकी ने अपने एक हाथ से उसके बालों में प्यार करना शुरू कर दिया था जबकि आरके ने अपना दूसरा हाथ पिंकी के कूल्हे पर रख दिया और धीरे धीरे उसका हाथ ऊपर की ओर सरकता हुआ उसके पेट पर आ गया। पेट से होता हुआ उसका हाथ बूब्स के पास आया तो पिंकी ने तुरंत ही आरके को मना किया और उसका हाथ पकड़ कर ज़्यादा ऊपर जाने से रोक लिया।
आरके भी ज्यादा ज़िद नहीं की और अपना हाथ पिंकी के मम्मों से कुछ नीचे रोक लिया मगर अब उसने अपने होंठ फिर से पिंकी के होंठों पर रख दिए थे और पिंकी अब पहले से अधिक तीव्रता से आरके के होंठों को चूस रही थी। यहां तक कि अब आरके की ज़ुबान पिंकी के मुँह के अंदर पिंकी की ज़ुबान को छू रही थी और पिंकी बीच-बीच में अपना मुंह बंद करके आरके की ज़ुबान को चूसने लगी। दोनों इस बात से अनजान थे कि मिनी सोई नहीं थी, बल्कि थकान की वजह से आंखें बंद किए लेटी थी, होंठ चूसने की आवाज को सुनकर मिनी ने आँखें खोलकर देखा तो उसका भाई उसकी बेस्ट फ्रेंड के होंठ चूसने में व्यस्त था और उसकी प्रेमिका भी उसके भाई के होठों का फुल मज़ा ले रही थी, यह देखकर मिनी हौले से मुस्कुराई और फिर आँखें बंद करके लेट गई। आरके ने एक बार फिर से कोशिश की और अपना हाथ पिंकी की शर्ट के ऊपर से ही उसके गोल और बाहर निकले हुए मम्मे पर रख दिया। इस बार वह अपना हाथ पिंकी के मम्मों पर रखने में सफल तो हो गया और हौले से उसके बाएं मम्मे को दबा भी दिया मगर फिर पिंकी ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख कर उसके हाथ को अपने मम्मों से हटा दिया मगर उसके होठों को चुस्ती रही । आरके ने उसके कसे हुए टाइट बूब्स का स्पर्श महसूस कर लिया था जिसकी वजह से उसकी पेंट के अंदर उसके लंड ने सिर उठाकर पिंकी की चूत को सलाम किया था। पिंकी को भी अपनी चूत पर अब आरके के लंड का उभार महसूस होने लगा।
आरके के चुंबन में तीव्रता आ रही थी कि अचानक पिंकी ने अपने होंठों को आरके के होंठों से अलग कर लिया और उससे दूर होकर खड़ी हो गई। वह गहरी गहरी साँस ले रही थी, उसके चेहरे पर शर्म और चुंबन से मिलने वाले आनंद के मिश्रित भाव थे। आरके ने प्यार से पिंकी को एक बार फिर अपने पास किया और बोला- क्या हुआ जान अच्छा नहीं लगा क्या ??? पिंकी कुछ न बोली मात्र शरमाती रही और फिर पिंकी के मोबाइल की घंटी बजने लगी। पिंकी ने जल्दी से अपने बैग से फोन निकाला तो जय की कॉल थी। वो खाने पर पिंकी का इंतजार कर रहा था। पिंकी ने आरके को कहा कि अब प्लीज़ वह उसे उसके भाई के पास छोड़ आए वहां उसके भाई और भाभी उसका इंतजार कर रहे हैं। यह सुनकर आरके ने मिनी को उठाया और उसे साथ लेकर पिंकी को छोड़ने निकल गया। पिंकी के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी और वह प्यार भरी नज़रों से आरके को देख रही थी, आरके भी खुश था कि आज उसने पिंकी के सुंदर होठों से रस पी लिया था जबकि मिनी पिछली सीट पर बैठी दोनों के चेहरों पर मौजूद भाव को देख कर अंदर ही अंदर खुश हो रही थी।