hotaks444
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[font=Arial, Helvetica, sans-serif]चन्डीमल हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेखक- तुषार[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोस्तो आपके लिए एक और कहानी हिन्दी फ़ॉन्ट मे ले कर आया हूँ उम्मीद करता हूँ आपको ये कहानी पसंद आएगी
ये 1910 के दौर की बात है, जब हमारे देश पर अंग्रजों का राज था।
उ.प्र. के एक छोटे से कस्बे में अंग्रेज सरकार की छावनी हुआ करती थी और उसी कस्बे में हलवाई चन्डीमल की दुकान थी।
चन्डीमल का घर पास के ही गाँव में था और दुकान काफ़ी अच्छी चलती थी।
दुकान पर उसने दो काम करने वाले लड़के भी रख हुए थे।
लगभग 45 साल के चन्डीमल के सपने इस उम्र में भी बहुत रंगीन थे।
चन्डीमल के अब तक तीन शादियाँ हो चुकी थीं। पहली पत्नी की मौत हो गई थी, जिससे एक लड़की भी थी।
लड़की के जन्म के 3 साल बाद ही उसकी पहली पत्नी चल बसी। चन्डीमल काफ़ी टूट गया, पर समय के साथ-साथ चन्डीमल सब भूल गया।
उस समय चन्डीमल की माँ जिंदा थी। उसके कहने पर चन्डीमल ने दूसरी शादी कर ली।
चन्डीमल छावनी के कमान्डर का ख़ास आदमी बन चुका था। क्योंकि चन्डीमल की दुकान पर जो भी मिठाई बनती थी, वो वहाँ के कमान्डर के पास सबसे पहले पहुँचती थी।
पैसा और रुतबा इतना हो गया था
कि चन्डीमल के सामने सब सर झुकाते थे।
जब दूसरी पत्नी से कोई संतान नहीं हुई तो, बेटे की चाहत में चन्डीमल ने तीसरी शादी कर ली।
आज 15 जनवरी 1910 के दिन ट्रेन में चन्डीमल अपनी तीसरी बीवी से शादी करके लखनऊ से अपने गाँव वापिस आ रहा है।
लखनऊ में चन्डीमल का छोटा भाई रहता था। जिसके कहने पर चन्डीमल उसके नौकर के बेटे को जो 18 साल का है.. उसे भी अपने साथ लेकर अपने घर आ रहा है, साथ में दूसरी बीवी और पहली बीवी से जो बेटी थी, वो भी साथ में थी।
चन्डीमल- उम्र 45 साल, अधेड़ उम्र का ठरकी।
रजनी- चन्डीमल की दूसरी पत्नी, उम्र 33 साल। एकदम जवान और गदराया हुआ बदन, काले लंबे बाल, हल्का सांवला रंग, तीखे नैन-नक्श, हल्का सा भरा हुआ बदन।
सीमा- चन्डीमल की तीसरी और नई ब्याही हुई पत्नी, उम्र 23 साल, एकदम गोरा रंग, कद 5’4” इंच, लंबे बाल, गुलाबी होंठ और साँप सी बलखाती कमर।
दीपा- चन्डीमल की बेटी, उम्र 18 साल अभी जवानी ने दस्तक देनी शुरू की है।
सोनू- उम्र 18 साल चन्डीमल के भाई के नौकर का बेटा, जिसे चन्डीमल अपने घर के काम-काज के लिए ले जा रहा है।[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]लेखक- तुषार[/font]
[font=Arial, Helvetica, sans-serif]दोस्तो आपके लिए एक और कहानी हिन्दी फ़ॉन्ट मे ले कर आया हूँ उम्मीद करता हूँ आपको ये कहानी पसंद आएगी
ये 1910 के दौर की बात है, जब हमारे देश पर अंग्रजों का राज था।
उ.प्र. के एक छोटे से कस्बे में अंग्रेज सरकार की छावनी हुआ करती थी और उसी कस्बे में हलवाई चन्डीमल की दुकान थी।
चन्डीमल का घर पास के ही गाँव में था और दुकान काफ़ी अच्छी चलती थी।
दुकान पर उसने दो काम करने वाले लड़के भी रख हुए थे।

लगभग 45 साल के चन्डीमल के सपने इस उम्र में भी बहुत रंगीन थे।
चन्डीमल के अब तक तीन शादियाँ हो चुकी थीं। पहली पत्नी की मौत हो गई थी, जिससे एक लड़की भी थी।
लड़की के जन्म के 3 साल बाद ही उसकी पहली पत्नी चल बसी। चन्डीमल काफ़ी टूट गया, पर समय के साथ-साथ चन्डीमल सब भूल गया।
उस समय चन्डीमल की माँ जिंदा थी। उसके कहने पर चन्डीमल ने दूसरी शादी कर ली।
चन्डीमल छावनी के कमान्डर का ख़ास आदमी बन चुका था। क्योंकि चन्डीमल की दुकान पर जो भी मिठाई बनती थी, वो वहाँ के कमान्डर के पास सबसे पहले पहुँचती थी।
पैसा और रुतबा इतना हो गया था

जब दूसरी पत्नी से कोई संतान नहीं हुई तो, बेटे की चाहत में चन्डीमल ने तीसरी शादी कर ली।
आज 15 जनवरी 1910 के दिन ट्रेन में चन्डीमल अपनी तीसरी बीवी से शादी करके लखनऊ से अपने गाँव वापिस आ रहा है।
लखनऊ में चन्डीमल का छोटा भाई रहता था। जिसके कहने पर चन्डीमल उसके नौकर के बेटे को जो 18 साल का है.. उसे भी अपने साथ लेकर अपने घर आ रहा है, साथ में दूसरी बीवी और पहली बीवी से जो बेटी थी, वो भी साथ में थी।
चन्डीमल- उम्र 45 साल, अधेड़ उम्र का ठरकी।

रजनी- चन्डीमल की दूसरी पत्नी, उम्र 33 साल। एकदम जवान और गदराया हुआ बदन, काले लंबे बाल, हल्का सांवला रंग, तीखे नैन-नक्श, हल्का सा भरा हुआ बदन।
सीमा- चन्डीमल की तीसरी और नई ब्याही हुई पत्नी, उम्र 23 साल, एकदम गोरा रंग, कद 5’4” इंच, लंबे बाल, गुलाबी होंठ और साँप सी बलखाती कमर।
दीपा- चन्डीमल की बेटी, उम्र 18 साल अभी जवानी ने दस्तक देनी शुरू की है।
सोनू- उम्र 18 साल चन्डीमल के भाई के नौकर का बेटा, जिसे चन्डीमल अपने घर के काम-काज के लिए ले जा रहा है।[/font]