hotaks444
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रजनी शॉल ओढ़े हुए काँप रहे कदमो के साथ सोनू के रूम की तरफ गयी, और धीरे से उसका डोर नॉक किया……..पर अंदर से कोई जवाब नही आया……..रजनी एक पल के लिए रुकी, और फिर मूड कर वापिस जाने लगी…शायद उसकी भी हिम्मत नही हो रही थी..अभी वो कुछ ही कदम आगे बढ़ी थी, कि उसके कदम डोर खुलने के आवाज़ से सुन कर रुक गये……रजनी का दिल जोरों से धड़कने लगा………उसने उखड़ती हुई साँसों के साथ पीछे घूम कर देखा……पीछे दरवाजे पर सोनू खड़ा था….उसके हाथ में लालटेन थी…………
जब सोनू ने लालटेन की रोशनी रजनी की तरफ की, तो सोनू हैरान रह गया…..रजनी होंटो पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाए हुए खड़ी थी…….उसका फेस लालटेन के रोशनी में ऐसे चमक रहा था…मानो जैसे हीरे के ऊपेर रोशनी पड़ने से हीरा चमकता है……..वो रेड कलर की सारी पहने खड़ी थी…. जैसे अभी अभी स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे उतर आई हो.
“मालकिन आप इस समाए..कोई काम था” सोनू ने घबराते हुए रजनी से पूछा.”
रजनी: (लड़खड़ाती हुई आवाज़ में) नही वो हां दरअसल मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है…..क्या तुम अभी मेरे पैरो को दबा सकते हो……
सोनू को कुछ समझ नही आ रहा था……पर नौकर मालिक का हुकम कैसे टाल सकता है. “जी दबा देता हूँ”
रजनी बिना कुछ बोले मूडी, और घर के अंदर की तरफ जाने लगी……सोनू ने कमरे मे लालटेन रखी, और दरवाजा बंद करके, रजनी के पीछे आ गया……..रजनी के पीछे सोनू उसके रूम के अंदर आ गया……..रजनी ने अपने रूम का डोर अंदर से बंद कर लिया..सोनू की हालत पतली हो गये….उससे कुछ समझ मैं नही आ रहा था……डोर लॉक करने के बाद रजनी ने अपनी शॉल को उतार कर टाँग दया….और अपनी सारी खोलने लगी………
सोनू की तो जैसे बोलती ही बंद हो गये थी, और बोजया भी क्या… सामने अप्सरा सी सुंदर औरत खड़ी, अपनी सारी उतार रही थी..और वो पीछे खड़ा, धड़कते दिल के साथ देख रहा था……..रजनी ने अपनी सारी उतार कर अलमारी में रख दी, और बेड पर जाकर बैठ गयी.. “अब देख क्या रहे हो. आओ मेरे पैर दबा दो….सुबह से बहुत दुख रहे हैं……….रजनी बेड के रेस्ट सीट से अपनी पीठ टिका कर बैठ गयी…..और उसने अपनी टाँगों को घुटनो से मोड़ लिया……
सोनू काँपते हुए कदमो के साथ रजनी के पास गया, और नीचे बैठ गया……नीचे फर्श बहुत ठंडा था……सोनू के चूतड़ तो जैसे सुन्न होने लगी……….
रजनी ने देखा कि, सोनू को नीचे बैठने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही है. “ऊपेर ही बैठ जाओ….नीचे बहुत ठंड है” रजनी ने सोनू की आँखों मैं झाँकते हुए कहा……..
सोनू: नही मालकिन मैं भला ऊपेर आपके बराबर कैसे बैठ सकता हूँ…..मैं तो मामूली सा नौकर हूँ….मैं यहीं ठीक हूँ………..
रजनी: (मुस्कुराते हुए) कोई बात नही, वैसे भी नीचे बैठ कर तू ठीक से दबा भी नही पाएगा. पलंग बहुत उँचा है…ऊपेर ही बैठ जा…और हां सुन वो लालटेन यहाँ पलंग पर लाकर रख दे…
सोनू: (सर झुकाए हुए) जी मालकिन……….
सोनू ने लालटेन उठाई, और बेड पर रख दी….वो रजनी की जाँघो के पास बेड पर नीचे पैरों को लटका कर बैठ गया……और रजनी के टाँगों की पिंडलयों को दबाने लगा………रजनी ने अपनी आँखें बंद कर ली…….जैसे उसे सच में दर्द से राहत मिल रही हो………रेड कलर का पेटिकॉट लालटेन की रोशनी में ऐसे लग रहा था………जैसे पेटिकॉट के अंदर आग जल रही हो……बाहर से रजनी की मस्त जाँघो की छाया दिखाई दे रही थी……..
जब सोनू ने लालटेन की रोशनी रजनी की तरफ की, तो सोनू हैरान रह गया…..रजनी होंटो पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाए हुए खड़ी थी…….उसका फेस लालटेन के रोशनी में ऐसे चमक रहा था…मानो जैसे हीरे के ऊपेर रोशनी पड़ने से हीरा चमकता है……..वो रेड कलर की सारी पहने खड़ी थी…. जैसे अभी अभी स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे उतर आई हो.
“मालकिन आप इस समाए..कोई काम था” सोनू ने घबराते हुए रजनी से पूछा.”
रजनी: (लड़खड़ाती हुई आवाज़ में) नही वो हां दरअसल मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है…..क्या तुम अभी मेरे पैरो को दबा सकते हो……
सोनू को कुछ समझ नही आ रहा था……पर नौकर मालिक का हुकम कैसे टाल सकता है. “जी दबा देता हूँ”
रजनी बिना कुछ बोले मूडी, और घर के अंदर की तरफ जाने लगी……सोनू ने कमरे मे लालटेन रखी, और दरवाजा बंद करके, रजनी के पीछे आ गया……..रजनी के पीछे सोनू उसके रूम के अंदर आ गया……..रजनी ने अपने रूम का डोर अंदर से बंद कर लिया..सोनू की हालत पतली हो गये….उससे कुछ समझ मैं नही आ रहा था……डोर लॉक करने के बाद रजनी ने अपनी शॉल को उतार कर टाँग दया….और अपनी सारी खोलने लगी………
सोनू की तो जैसे बोलती ही बंद हो गये थी, और बोजया भी क्या… सामने अप्सरा सी सुंदर औरत खड़ी, अपनी सारी उतार रही थी..और वो पीछे खड़ा, धड़कते दिल के साथ देख रहा था……..रजनी ने अपनी सारी उतार कर अलमारी में रख दी, और बेड पर जाकर बैठ गयी.. “अब देख क्या रहे हो. आओ मेरे पैर दबा दो….सुबह से बहुत दुख रहे हैं……….रजनी बेड के रेस्ट सीट से अपनी पीठ टिका कर बैठ गयी…..और उसने अपनी टाँगों को घुटनो से मोड़ लिया……
सोनू काँपते हुए कदमो के साथ रजनी के पास गया, और नीचे बैठ गया……नीचे फर्श बहुत ठंडा था……सोनू के चूतड़ तो जैसे सुन्न होने लगी……….
रजनी ने देखा कि, सोनू को नीचे बैठने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही है. “ऊपेर ही बैठ जाओ….नीचे बहुत ठंड है” रजनी ने सोनू की आँखों मैं झाँकते हुए कहा……..
सोनू: नही मालकिन मैं भला ऊपेर आपके बराबर कैसे बैठ सकता हूँ…..मैं तो मामूली सा नौकर हूँ….मैं यहीं ठीक हूँ………..
रजनी: (मुस्कुराते हुए) कोई बात नही, वैसे भी नीचे बैठ कर तू ठीक से दबा भी नही पाएगा. पलंग बहुत उँचा है…ऊपेर ही बैठ जा…और हां सुन वो लालटेन यहाँ पलंग पर लाकर रख दे…
सोनू: (सर झुकाए हुए) जी मालकिन……….
सोनू ने लालटेन उठाई, और बेड पर रख दी….वो रजनी की जाँघो के पास बेड पर नीचे पैरों को लटका कर बैठ गया……और रजनी के टाँगों की पिंडलयों को दबाने लगा………रजनी ने अपनी आँखें बंद कर ली…….जैसे उसे सच में दर्द से राहत मिल रही हो………रेड कलर का पेटिकॉट लालटेन की रोशनी में ऐसे लग रहा था………जैसे पेटिकॉट के अंदर आग जल रही हो……बाहर से रजनी की मस्त जाँघो की छाया दिखाई दे रही थी……..