Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर - Page 11 - SexBaba
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Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर

दीपा अब अपने आप पर काबू रख नहीं पा रही थी। उसके हाथ अब सोनू के कन्धों पर आ चुके थे उसके गाल और कान दोनों लाल सुर्ख होकर दहकने लगे। सोनू ने अपनी बाँहों को दीपा के कमर के इर्द-गिर्द कस कर उसे अपने से चिपका लिया। दीपा के एड़ियाँ ऊपर को उठ गईं, जो कि दीपा की एक और बड़ी ग़लती थी। भले ही दीपा पर वासना हावी होने लगी थी.. पर उसके मन का एक कोना अब भी उससे ये सब करने के लिए रोक रहा था, पर अगले ही पल नीचे सोनू का तना हुआ लण्ड सीधा दीपा की चूत पर सलवार के ऊपर से जा लगा। दीपा का पूरा बदन ऐसे काँप गया, जैसे उसने बिजली के नंगे तारों को छू लिया हो…।

उसने सोनू के कंधों को पीछे की ओर धकेला और अपने होंठों को सोनू के होंठों से अलग कर दिया।

दीपा की साँसें उखड़ी हुई थीं और वो बहुत मुश्किल से अपने आँखों को खोल कर सोनू की तरफ देख रही थी.. जैसे आँखों से कह रही हो कि उसे छोड़ दो। पर सोनू का तना हुआ लण्ड जैसे अपने इरादे से पीछे हटने वाला नहीं था। उसे तो उस पतली सी सलवार के नीचे कुँवारी की चूत की सुगंध आ गई थी।

सोनू का लण्ड बुरी तरह फुंफकारते हुए झटके खा रहा था.. जैसे ही सोनू का लण्ड फनफनाते हुए झटका खा कर दीपा की चूत की ऊपर रगड़ ख़ाता.. दीपा बिन जल मछली के तरह तड़प उठती। सोनू जानता था कि अब दीपा उसे नहीं रोक पाएगी। सोनू ने झट से अपने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर अपने पजामे को खोल कर जाँघों तक सरका दिया।

दीपा शरम के मारे नीचे नहीं देख पा रही थी, पर अब उसकी हालत हर पल और खराब होती जा रही थी। सोनू ने अब फिर से अपने लण्ड को पकड़ कर दीपा की चूत की फांकों पर सलवार के ऊपर से टिका दिया।

“आह सोनूऊऊ..”

दीपा अपनी चूत पर सोनू के मोटे सुपारे की गरमी को महसूस करते हुए.. सिसक उठी।
 
जैसे ही दीपा को सोनू के लंड के सुपाडे की गरमी अपनी चूत के छेद पर महसूस हुई, दीपा की जांघे अपने आप खुलने लगी....दीपा को यूँ मदहोश होता देख कर सोनू धीरे-2 से अपनी कमर को झटका दिया... सोनू का लंड दीपा की चूत के छेद पर सलवार के ऊपेर से रगड़ खा गया..."अह्ह्ह्ह सोनुऊऊ" दीपा एक दम से सिसक उठी...

और उसने सोनू की बाँहों को और कसके पकड़ लिया। दीपा के होंठ काँप रहे थे.. जिसे देख कर एक बार फिर से सोनू के मुँह में पानी आ गया और उसने दीपा के होंठों को अपने होंठों में लेकर फिर से चूसना शुरू कर दिया।

उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर दीपा की सलवार के नाड़े को पकड़ कर खींचना शुरू कर दिया। सोनू की इस हरकत से दीपा एकदम से चौंक गई और उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर सोनू के हाथों को पकड़ कर रोकना शुरू कर दिया… पर सोनू के आगे दीपा की एक नहीं चल रही थी। सोनू ने दीपा के सलवार के नाड़े को खींच कर खोल दिया। दीपा को जैसे ही अपनी सलवार के नाड़े की पकड़, अपनी कमर पर ढीली होती महसूस हुई.. उसका दिल जोरों से धड़कनें लगा.. साँसें उखड़ने लगीं. और अगले ही पल उसकी साँसें मानो जैसे थम गई हों।

सोनू ने अपना एक हाथ दीपा की सलवार के अन्दर डाल कर उसकी चूत की फांकों के बीच अपनी उँगलियों को चलाना शुरू कर दिया।

दीपा किसी बिन जल मछली के तरफ फड़फड़ाने लगी।

“उम्मह ओह्ह सोनू नहीं ओह आह्ह.. से..इईईईईई सोनूउऊउ छोड़ दो.. ये ठीक नहीं है कुछ हो जाएगा…ओह सोनू..।”

पर दीपा की बातों और दलीलों का सोनू पर कोई असर नहीं हो रहा था.. वो बुरी तरह से उसकी चूत को मसलते हुए.. अपनी उँगलियों को उसकी चूत की फांकों में घुमा रहा था। दीपा ने अब अपना बदन पूरा ढीला छोड़ दिया था।

जब सोनू अपनी उँगलियों से दीपा की चूत के दाने को मसजया तो दीपा का पूरा बदन खड़े-खड़े झटके खाना लगता।

उसकी चूत से कामरस बह कर सोनू की उँगलियों में सनने लगा…। दीपा की मदहोशी भरी ‘आहें’ सोनू को और पागल बना रही थीं। तभी अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई.. तो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए और जल्दी से अलग हो गए। दीपा जल्दी से बिस्तर पर करवट के बल लेट गई… और उसने अपनी पीठ दरवाजे की और कर ली…।

सोनू ने अपने कपड़े दुरुस्त किए और एक बार दीपा को देखा.. और फिर दरवाजा खोला.. तो सामने सीमा खड़ी थी।

“वो सोनू ज़रा काम था मेरे साथ चलना.. ”

सोनू ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया.. और सीमा के साथ बाहर चला गया।
 
सोनू सीमा के साथ कमरे से बाहर चला गया। वो मन ही मन सीमा को कोस रहा था, पर नौकर था.. कर भी क्या सकता था। सीमा का बताया हुआ काम निपटाने के बाद सोनू फिर से कमरे की ओर चला गया। सोनू का मन कह रहा था कि अब दीपा उसे कुछ नहीं करने देगी।

जैसे ही सोनू कमरे में दाखिल हुआ.. तो उसने देखा कि दीपा अभी भी वैसे ही करवट के बल लेती हुई थी। सोनू के क़दमों की आहट सुन कर दीपा ने वैसे ही लेटे-लेटे.. अपने चेहरे को घुमा कर दरवाजे की तरफ देखा और उसकी नज़रें सोनू की नज़रों से जा टकराईं।
दीपा उससे आँख नहीं मिला पाई और उसने फिर से अपना चेहरा आगे की तरफ घुमा लिया। सोनू के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई… उसने दरवाजे को अन्दर से बन्द किया और बिस्तर पर करवट के बल आकर लेट गया। वो धीरे खिसक कर दीपा के साथ एकदम से सट गया। सोनू के बदन को अपने पीठ पर महसूस करते ही.. दीपा की साँसें एक बार फिर से तेज हो गईं।

सोनू का तना हुआ लण्ड दीपा के चूतड़ों की गोलाइयों पर रगड़ खा रहा था.. जिसे महसूस करते ही दीपा के पूरे बदन में बिजली सी कौंध गई। उसने अपने हाथों से चादर को दबोच लिया… और उसके मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकल गई।

सोनू ने अपना एक हाथ आगे ले जाकर दीपा के पेट पर रख कर धीरे-धीरे घुमाना शुरू कर दिया। सोनू के हाथ की ताल पर दीपा का पूरा बदन थरथराने लगा और सोनू उसके पेट को अपने हाथों से सहलाते हुए.. धीरे-धीरे फिर से सलवार के नाड़े की तरफ बढ़ने लगा… और साथ ही उसने अपने दहकते हुए होंठों को दीपा की गर्दन पर लगा दिए।
“आह्ह.. सोनू सी”

दीपा एकदम से सिसक उठी.. जैसे ही सोनू का हाथ दीपा की सलवार के इजारबन्द तक पहुँचा.. तो सोनू एकदम से दंग रह गया। दीपा की सलवार का नाड़ा अभी भी खुला था और उसकी सलवार उसकी कमर पर एकदम से ढीली थी। ये महसूस करते ही.. सोनू का लण्ड एकदम से फुंफकार उठा।

सोनू ने दीपा की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ घुमाते हुए.. पीठ के बल लिटा दिया। अब उसकी आँखों के सामने दीपा आँखें बंद किए हुए तेजी से साँसें लें रही थी। वासना के कारण उसका पूरा चेहरा लाल होकर दहक रहा था.. उसकी गुंदाज चूचियां उसके साँस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थीं।
ये सब देख कर सोनू मानो जैसे पागल हो गया। उसने दीपा की कमीज़ को नीचे से पकड़ क़र एक झटके से ऊपर उठा दिया।

दीपा की 32 साइज़ की चूचियाँ उछल कर बाहर आ गईं। दीपा अपनी साँसें थामे.. आने वाले पलों का इंतजार कर रही थी। उसने अपने दोनों हाथों से अपने सर के नीचे रखे तकिए को दबोच रखा था..।
 
उसके गुलाबी रंग के चूचुक जो एकदम तने हुए थे। उन्हें देखते ही सोनू का लण्ड पजामे में झटके खाते हुए बाहर को आने को उतावला होने लगा। सोनू ने अपने पजामे के नाड़े को खोल कर पजामे को निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया और खुद दीपा के ऊपर झुक कर उसकी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा। अपने चूचुकों पर सोनू की जीभ को महसूस करते ही.. दीपा एकदम से सिहर उठी।

उसने अपने होंठों को दाँतों में भींचते हुए मादक आवाज़ें निकालना शुरू कर दिया और अपने सर के नीचे रखे तकिए को और ज़ोर से अपने हाथों में लेकर दाबना शुरू कर दिया।

“ओह्ह सी.. इईईई सोनू आह्ह.. मुझे मुझे कुछ हो रहा है.. ओह बसस्स्स्सस्स करूँऊ.. आह्ह.. सोनूऊ..”

सोनू ने अपने मुँह को उसके चूचुक से हटाया और दीपा के चेहरे की ओर देखते हुए बोला। “क्या हो रहा है.. दीपा जी.. अच्छा नहीं लग रहा क्या.. बोलो मज़ा आ रहा है ना..?”

एक बार फिर से सोनू ने दीपा के चूचुक को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया। दीपा का बदन एक बार फिर से तरतरा उठा। पूरे बदन में मस्ती और वासना की लहरें दौड़ गई ..।

दीपा- सी.. सोनूऊऊ बसस्स.. नहीं ओह.. सोनूऊ बहुत अच्छा लग रहा हैई.. ओह मुझे क्या हो रहा है ओह अह..इईईईई ओह्ह..।
दीपा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी.. नीचे सोनू का तना हुआ लण्ड अब उसकी चूत के ऊपर और नाभि के नीचे पेट पर रगड़ खा रहा था। सोनू ने दीपा के चूचुकों को चूसते हुए.. अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाकर दीपा की सलवार को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे सरकाना शुरू कर दिया।

दीपा की सलवार उसके चूतड़ों से अटकती हुई, नीचे सरक गई और जैसे ही उसकी सलवार उसकी जाँघों तक आई.. सोनू घुटनों के बल सीधा बैठ गया और उसकी सलवार को उसके पैरों से निकाल कर बिस्तर की तरफ रख दिया। अब दीपा के बदन पर सिर्फ़ कमीज़ ही थी… जो उसकी चूचियों के ऊपर तक चढ़ी हुई थी।

जैसे ही दीपा के बदन से उसकी सलवार अलग हुई.. दीपा ने शर्मा कर अपनी जाँघों को भींच लिया। उसके दोनों टाँगें घुटनों से मुड़ी हुई थीं और टाँगों के आपस में सटे होने के कारण दीपा की चूत की फांकों की पतली सी लकीर नीचे से साफ़ नज़र आ रही थी।

सोनू ने दीपा के टाँगों को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया.. जिससे दीपा की गोल गाण्ड बिस्तर से थोड़ा सा ऊपर उठ गई और अब दीपा की चूत की फांकों की लकीर सोनू के सामने बहुत ही कामुक नज़ारा पेश कर रही थी।
सोनू को अपने लण्ड के नसों में खून का बहाव और तेज होता महसूस हो रहा था। उसने दीपा की जाँघों के नीचे वाले हिस्सों को चूमते हुए। अपनी एक ऊँगली को दीपा की चूत की फांकों में आहिस्ता से घुमा दिया।

“आह.. सोनूउऊउउ मुझे अब सहन नहीं हो रहा है..।” दीपा एकदम से सिसक उठी।

अब सोनू एक पल के लिए भी देर नहीं करना चाहता था.. उसने धीरे-धीरे उसकी टाँगों को अपने कंधे से नीचे उतारा और उसके आपस में सटी हुई जाँघों को धीरे-धीरे खोलना शुरू कर दिया।

दीपा अपनी चूत को सोनू से छुपाए रखने के लिए अपनी जाँघों को भींचने में ज़ोर लगा रही थी.. पर अब बहुत देर हो चुकी थी..।

अब तो उसकी चूत की फाँकें भी सोनू के लण्ड की गरमी का अहसास पाने के लिए फुदक रही थीं और सोनू ने धीरे-धीरे दीपा की जाँघों को पूरा खोल दिया।
उफ्फ क्या नज़ारा था सामने.. एकदम कसी हुई कोरी चूत.. दोनों फाँकें आपस में सटी हुईं.. जो मुश्किल से थोड़ा सा खुल पा रही थीं। जो शायद दीपा की चूत में हो रहे संकुचन के कारण हो रहा था और उसकी चूत से काम-रस बह कर नीचे उसकी गाण्ड के छेद की तरफ जा रहा था।
 
दीपा इतनी मस्त हो चुकी थी…कि उसकी गाण्ड अपने आप ऊपर की ओर उठने लगी.. जिससे उसकी चूत सोनू के लण्ड के मोटे के सुपारे पर दबाने लगी और सोनू के लण्ड का सुपारा दीपा की चूत की फांकों को फ़ैलाता हुआ अन्दर की ओर घुसने लगा और जैसे ही सोनू के गरम सुपारे ने दीपा की चूत की गुलाबी छेद को छुआ.. तो वो एकदम सिसक उठी।

दीपा- आह.. उइईईईई.. सोनू ओह्ह.. बहुत मजा आ रहा है.. और करो ना.. आह.. आह सोनू..।

सोनू ने दीपा के होंठों से अपने होंठों को अलग करते हुए कहा- क्या करूँ दीपा जी..?

सोनू की बात सुन कर दीपा एकदम शर्मा गई और एक हलकी से मुस्कराहट उसके होंठों पर फ़ैल गई।
उसने कहा- आह.. अब और बर्दास्त.. नहीं हो रहा है..।

सोनू ने दीपा की दोनों चूचियों को मसलते हुए कहा- आह.. बोलो ना क्या करूँ..?

दीपा- आह्ह.. चोदो मुझे…

उधर नीचे सोनू के लण्ड का दहकता हुआ सुपारा दीपा की चूत के छेद पर रगड़ खा रहा था और दीपा वासना के सागर में डूबती जा रही थी। अब वो और मस्त होकर सिसिया रही थी।

सोनू ने अपने लण्ड को ठीक दीपा की चूत पर सैट किया और दीपा के कानों के पास अपने होंठों को ले जाकर कहा।

सोनू- दीपा जी.. पहली बार चुदवा रही हो.. थोड़ा दर्द होगा..।

दीपा- आह.. मुझसे अब्ब्ब्ब और इंतजार नहीं हो रहा..आ..।

सोनू ने घुटनों के बल बैठते हुए दीपा की टाँगों को खोल कर घुटनों से मोड़ कर ऊपर उठा दिया और एक जोरदार धक्का मारा…।
सोनू का लण्ड दीपा की चूत के कसे छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर घुसते हुए.. उसके कुंवारेपन की सील को तोड़ कर आधे से ज्यादा अन्दर जा घुसा।

दीपा- आह्ह.. माआआआआअ …

दीपा के बदन में एकदम से दर्द की तेज लहर दौड़ गई.. उसे अपनी चूत का छेद एकदम फैला हुआ महसूस होने लगा था और उसे लग रहा था जैसे इस दर्द से उसकी जान ही निकल जाएगी। पर किसी तरह से दीपा ने अपनी आवाज़ को दबा लिया था.. जिससे उसकी दर्द भरी आवाज़ उस कमरे में ही घुट कर रह गई।

दीपा- ऊ..ओह्ह माआआअ.. बहुत दर्द हो रहा है.. सोनू बाहर निकालो इसे…।

सोनू- सीईई..चुप करो.. कुछ नहीं होगा.. थोड़ी देर सबर करो… फिर सब ठीक हो जाएगा।

दीपा ने रुआंसी सी आवाज़ में कहा- आह.. नहीं मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.. इसे बाहर निकाल लो.. बहुत दर्द हो रहा है.. मेरी फटी जा रही है।

सोनू ने दीपा के आवाज़ को दबाने के लिए उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और उसके दोनों चूचुकों को अपने हाथों की उँगलियों में धीरे-धीरे मसलने लगा।
हर पल दीपा का दर्द कम होता जा रहा था और उसे सोनू के लण्ड की गरमी अपनी चूत में बहुत आनन्द-दायक लग रही थी।

जब सोनू ने दीपा के होंठों से अपने होंठों को अलग किया.. तो उसने दीपा के चेहरे की तरफ देखा।

दीपा की आँखें बंद थीं और उसके चेहरे पर अब दर्द के भाव थे।

सोनू- अभी भी बहुत दर्द हो रहा है क्या ?

दीपा- हाँ.. पर अब कम है।

ये सुन कर सोनू के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई और उसने झुक कर दीपा की एक चूची को मुँह में भर लिया और उसके चूचुक के चारों और जीभ घुमाते हुए.. उसकी चूची को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। दीपा के पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई.. उसका पूरा बदन एक बार फिर से मस्ती में कांपने लगा।

दीपा- ओह सोनूउऊउ.. उइईईई आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. ओह अब्ब्ब्ब्ब्बबब दर्द नहीं हो रहा.. ओह सोनूउऊुउउ..।
दीपा की बातें और सिसकियाँ इस बात का इशारा था.. कि अब वो चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उसकी चूत की दीवारें सोनू के लण्ड को अन्दर ही अन्दर मसल रही थीं और दीपा अपनी चूत की दीवारों पर सोनू के लण्ड को महसूस करके सिकोड़ और फ़ैला रही थी।

 
सोनू के लण्ड का अहसास दीपा को अपनी चूत के अन्दर स्वर्ग का अहसास करा रहा था.. उसकी गाण्ड अपने आप ही ऊपर-नीचे होने लगी। जैसे सोनू को इस बात कर अहसास हुआ.. उसने धीरे-धीरे अपने आधे से ज्यादा लण्ड को दीपा की चूत से बाहर निकाल लिया। सोनू के लण्ड का सुपारा दीपा की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ बाहर आने लगा।

सोनू के लण्ड के सुपारे की रगड़ को अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके, दीपा के पूरे बदन में मानो जैसे बिजली कौंध गई हो, उसने अपनी बाँहों को सोनू की पीठ पर कस लिया और अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उठा कर सोनू के लण्ड को एक बार फिर से अपनी चूत में लेने के लिए मचल उठी।

सोनू दीपा के इस उतावले पर को देख कर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था.. उसने भी दीपा को अपनी बाँहों में भर कर एक बार फिर से अपने लण्ड को धीरे-धीरे चूत के अन्दर सरकाना शुरू कर दिया।

सोनू के लण्ड के सुपारे की रगड़ को एक बार फिर से महसूस करके.. दीपा मस्ती में सिसक उठी।

“आह्ह.. सोनू बहुत अच्छा लग रहा है.. करो.. ना..”

दीपा पागलों की तरह सिसयाते हुए.. अपने होंठों को सोनू के कंधों और छाती पर रगड़ने लगी। जिससे सोनू भी और जोश में आ गया और अपने लण्ड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।

सोनू के हर धक्के के साथ दीपा के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ जाती और वो मस्त हो कर अपनी दोनों जाँघों को फैला कर अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उठा कर सोनू के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में लेने के लिए तड़फ उठती।

सोनू ने दीपा की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करते हुए कहा- आह दीपा जी.. आपकी चूत बहुत कसी हुई है.. क्या गरम फुद्दी है आपकी.. आह्ह.. ।

दीपा सोनू की ऐसी गंदी बातें सुन कर बुरी तरह झेंप गई.. उसके दिल की धड़कनें और तेज चलने लगीं। सोनू ने दीपा के होंठों को एक बार फिर से अपने होंठों में भर लिया और उसके होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसते हुए.. दीपा की चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करते हुए धक्के लगाने लगा।

सोनू के हर धक्के के साथ दीपा और मस्त और गरम होती जा रही थी। उसकी कमर अपने आप ही लगातार हिल रही थी, जैसे सोनू के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में समा लेना चाहती हो, दीपा के हाथ सोनू के पीठ को सहला रहे थे। जिससे सोनू का जोश हर पल बढ़ता जा रहा था और वो और तेज़ी से अपने लण्ड को चूत की अन्दर-बाहर करने लगा। दीपा की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी और सोनू का लण्ड दीपा की चूत से निकल रहे काम-रस से भीग कर आसानी से चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था और जब सोनू के लण्ड का सुपारा दीपा की चूत गहराईयों में उतार कर उसकी बच्चेदानी पर लगता.. तो दीपा एकदम से मचल उठती और उसके पीठ पर अपने नाख़ून को गड़ा देती।

दीपा ने सोनू के होंठों से अपने होंठों को अलग करते हुए कहा- अह सोनू.. छोड़ो मुझे.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है.. उईइ आह्ह.. आह्ह.. स उम्मह बहुत मजाअ आ रहा हैईइ ओह.. धीरेए आह्ह.. आ ओह्ह सोनू मैं तुममस्ीई बहुत प्यार करती हूँ..

सोनू- आहाहाँ.. मेरी..ए.. रानी तुम्हें तो अब्ब्ब मैं दिन रात चोदूँगा आह.. आह्ह.. आईसे..इई चूतततत मज़ा आ गयाआ..।

दीपा अब झड़ने के बिल्कुल करीब पहुँच चुकी थी, अब वो भी पागलों की तरह सोनू के यहाँ-वहाँ अपने होंठों को रगड़ रही थी और सोनू लण्ड अब पूरी रफ़्तार से दीपा की चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था। एकाएक दीपा का पूरा बदन अकड़ने लगा.. उसने अपनी टाँगों को सोनू की कमर पर कस लिया।
“आह्ह.. सोनूऊऊ धीरे.. ओह.. मुझे मेरा पेशाब निकलने वाला है..अईइ.. ओह्ह.. मैं पागल हो जाऊँगीइइ सोनू ओह..।”

जैसे ही सोनू को पता चला कि दीपा अब झड़ने वाली है.. उसने अपने धक्कों की रफ़्तार को और बढ़ा दिया और दीपा की चूत से लावे की नदी बह निकली। उसका पूरा बदन ज़ोर-ज़ोर से काँपने लगा और कमर तेज़ी से झटके खाने लगी.. दीपा बुरी तरह झड़ी थी। अपने पूरे जीवन उसे ऐसे सुख की अनुभूति नहीं हुई थी।
उसने सोनू के सर को अपने बाँहों में कस लिया और पागलों की तरह सोनू के होंठों को चूसते हुए.. झड़ने लगी।

सोनू ने अपने धक्कों को जारी रखा और कुछ पलों बाद उसके लण्ड ने भी दीपा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया। सोनू के गरम वीर्य की बौछार को दीपा अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करके.. एकदम मस्त हो गई। उसे अपना पूरा बदन एकदम हल्का महसूस हो रहा था। झड़ने के बाद सोनू दीपा के ऊपर ही लुढ़क गया।
 
आज दीपा पहली बार झड़ी थी और उससे इस चरम आनन्द की अनुभूति आज अपनी जन्दगी में पहली बार हुई थी। उसकी आँखें अभी भी बंद थीं। सोनू जो कि अपने सर को दीपा की चूची के ऊपर रखे हुए लेटा हुआ था.. उसने अपने सर को उठा कर दीपा की तरफ देखते हुए पूछा। “दीपा जी आपको अच्छा तो लगा ना ?”

सोनू के इस सवाल से दीपा बुरी तरह झेंप गई। अब जब वासना का भूत दीपा के सर से उतर चुका था.. तो उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि अपनी आँखें खोल कर सोनू की तरफ देखे। सोनू के सवाल के जबाव में उसने सिर्फ सहमति जताते हुए अपने चेहरे को एक तरफ घुमा कर मुस्कुरा दिया.. जिसे देख कर सोनू के होंठों पर भी मुस्कान फ़ैल गई।

सोनू धीरे से दीपा के ऊपर से उठा और बिस्तर के नीचे उतर गया।

दीपा अभी भी आँखें बंद किए हुए बिस्तर पर लेटी हुई थी.. उसे अपना पूरा बदन फूल सा हल्का महसूस हो रहा था।
उसे बिस्तर के पास से कुछ सरसराहट सी आ रही थी.. पता नहीं सोनू क्या कर रहा था और वो अपने आँखें खोल कर देखना नहीं चाहती थी। थोड़ी देर बाद दीपा को फिर से अहसास हुआ कि सोनू बिस्तर पर चढ़ गया है।

सोनू ने बिस्तर पर आते ही दीपा की टाँगों को खोल कर फैला दिया.. जिससे दीपा एकदम शर्मसार हो गई… उसने झट से अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाकर अपनी चूत के ऊपर रख लिया.. और काँपती हुई आवाज़ में बोली।

दीपा- नहीं सोनू…

सोनू- पर दीपा.. वो मैं तो बस.. साफ़ करने लगा था।

सोनू की बात सुन कर दीपा ने अपनी आँखों को हिम्मत करके खोला और सोनू की तरफ देखा।

सोनू अपने हाथ मैं एक कपड़ा लिए हुए उसकी टाँगों के बीच में. चुदाई के काम-रस और उसकी चूत की सील टूटने से निकले खून को साफ़ करने के लिए बैठा था।
अगले ही पल उसकी नज़र सोनू के टाँगों के बीच में झूल रहे लण्ड पर जा टिकी.. जो अब ढीला पड़ चुका था। सोनू के लण्ड को देखते ही उसके चेहरे पर लाली छा गई और उसने फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं।

सोनू ने अपने एक हाथ से दीपा के हाथों को पकड़ कर उसकी चूत की ऊपर से हटाना शुरू कर दिया.. दीपा भले ही शरम से गढ़ी जा रही थी.. पर उसने सोनू का विरोध नहीं किया।

सोनू ने दीपा के हाथों को चूत से हटा कर धीरे-धीरे उसकी चूत को उस कपड़े से साफ़ करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद सोनू बिस्तर से नीचे से उतर गया। दीपा ने फिर से अपनी आँखों को खोल कर सोनू की तरफ़ देखा। सोनू अपने कपड़े पहन रहा था। सोनू ने नज़र घुमा कर बिस्तर पर लेटी दीपा की तरफ देखा.. जो उसे लेटे हुए देख रही थी।

सोनू मुस्कुरा कर दीपा से बोला।

सोनू- कपड़े पहन लीजिए दीपा जी.. मैं इस कपड़े को बाहर फेंकने जा रहा हूँ।
सोनू उस कपड़े की बात कर रहा था.. जिससे उसने दीपा की चूत को साफ़ किया था। वो किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता था। सोनू की बात सुन कर दीपा बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और अपने कपड़े पहनने लगी। जब सोनू ने देखा कि दीपा कपड़े पहन चुकी है.. तो उसने धीरे से कमरे का दरवाजा खोला और कमरे से बाहर चला गया। सोनू के जाने के बाद दीपा बिस्तर पर लेट गई और पता नहीं कब उसे नींद आ गई। सुबह के 4 बजे दीपा की आँख प्यास की वजह से खुली.. तो उसने कमरे में अंधेरा पाया…।

वो किसी तरह से उठी और लालटेन जला कर मेज पर रख दी।

सोनू नीचे ज़मीन पर पड़े बिस्तर पर लेटा हुआ था। सोनू को देखते ही कुछ घंटे पहले हुई उसकी पहली चुदाई का मंज़र उसकी आँखों के सामने घूम गया। उसे अपने जाँघों के बीच में अभी भी काफ़ी गीलापन महसूस हो रहा था। उसने जल्दी से पानी पिया और अपनी सलवार के नाड़े को खोल कर थोड़ा सा नीचे सरका कर अपने एक हाथ अन्दर डाल कर अपनी चूत को छूकर देखने लगी। चूत पर अपना हाथ लगाते ही.. दीपा का पूरा बदन झनझना उठा।
उफ्फ.. ऐसी खुमारी उसने आज तक नहीं महसूस की थी…।

उसके हाथ की ऊँगलियाँ खुद ब खुद ही उसकी चूत की फांकों पर धीरे-धीरे चलने लगीं… उसकी आँखों में एक बार फिर से वासना का सागर उमड़ता हुआ नज़र आने लगा और वो अपनी वासना से भरी आँखों से नीचे लेटे हुए सोनू को देखते हुए.. अपनी चूत को धीरे-धीरे सहलाने लगी।
 
दीपा अपनी चूत को सहलाते हुए बिस्तर पर बैठी हुई.. सोनू की तरफ वासना से भरी नज़रों से देख रही थी।

अभी सुबह के 3 बज रहे थे और कुछ ही देर में भोर होने वाली थी।

दीपा का पूरा बदन काँप रहा था.. उसके मन में अजीब से हलचल मची हुई थी।

उसने सोनू की तरफ एक बार फिर से देखा.. जो अभी भी घोड़े बेच कर सो रहा था। उसकी चूत एक बार फिर से सोनू के लण्ड के लिए फड़फड़ाने लगी.. पर वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।

आख़िर कुछ घंटों पहले ही तो उसने चुदाई का पहला स्वाद चखा था.. जवान और गरम खून होने के कारण उसका दिल एक बार फिर से बहकने लगा था। पर जब काफ़ी देर तक सोनू की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो उसने लालटेन बंद कर दी और बिस्तर पर लेट गई.. पर अब ना तो उसकी आँखों में नींद थी.. और ना ही वो सोना चाहती थी। चुदाई का वो दिलकश मंज़र बार-बार उसकी आँखों के सामने आ रहा था।

अगली सुबह बेला के घर पर..

रघु और बिंदिया घर जाने के तैयारी कर रहे थे। इस बात से बेला उदास थी। सोनू तो पहले से नहीं था और अब रघु भी जा रहा था.. पर वो चाह कर भी अब कुछ नहीं कर सकती थी। आख़िर बेटी और दामाद को कब तक घर में रोक कर रख सकती थी। रघु और बिंदिया दोनों तैयार होकर अपने घर के लिए निकल पड़े। बिंदिया सारे रास्ते अपने आने वालों दिनों के बारे में सोच रही थी.. उसे अपना पूरा जीवन अंधेरे में डूबता हुआ महसूस हो रहा था।

दोपहर तक दोनों घर पहुँच गए। घर वालों ने रघु और अपनी बहू का खूब स्वागत किया.. दिन भर के सफ़र की थकान के कारण बिंदिया अपने कमरे में जाते ही खाट पर लेट गई और सो गई।

शाम को उसकी सास ने बिंदिया और रघु दोनों को उठाया और खाना खाने के लिए कहा।

बिंदिया ने देखा उसकी सास और ससुर दोनों कहीं जाने के लिए तैयारी कर रहे थे.. जब बिंदिया रसोईघर में पहुँची.. तो उसे पता चला कि उसकी सास और ससुर दोनों पास के ही गाँव में अपने किसी रिश्तेदार के घर पर जा रहे थे और कल सुबह ही घर वापिस आएँगे।

जैसे ही ये बात रघु की काकी नीलम को पता चली, उसका चेहरा एकदम से खिल गया और उसने बाहर आँगन में बैठे रघु की तरफ देखते हुए एक कामुक मुस्कान फेंकी.. बदले में रघु के होंठों पर भी वासना से भरी मुस्कान फ़ैल गई। बिंदिया दोनों की हरकतों को देख रही थी.. वो जानती थी कि दोनों के मन में क्या चल रहा है और अगले ही पल उसके दिल की धड़कनें एक बार फिर से बढ़ने लगीं।

थोड़ी देर बाद रघु के माँ-बाप अपने रिश्तेदार के घर जाने के लिए निकल पड़े। खाना खाने के बाद रघु टहलने के लिए बाहर निकल गया और बिंदिया अपने कमरे में आकर चारपाई पर लेट गई।

अब अंधेरा ढलने लगा था और बिंदिया अपने कमरे में अकेली बैठी थी.. उसे पास वाले कमरे से नीलम की आवाज़ आ रही थी.. वो अपने बच्चों को सुला रही थी।

बिंदिया को लग रहा था, जैसे वो अपनी चूत को चुदवाने के तैयारी कर रही हो।

“रांड हरामजादी..” बिंदिया बुदबुदाई और इससे ज्यादा वो कर भी क्या सकती थी।

रात काफ़ी ढल चुकी थी। बिंदिया चारपाई पर लेटी हुई थी.. वो जानती थी कि आज रघु इस कमरे में नहीं आएगा और वो सोने की कोशिश करने लगी।
 
रघु घर वापिस आया और दरवाजा बंद करके वो सीधा अपनी काकी नीलम के कमरे में चला गया।

आज रघु दारू पीकर आया था.. नीलम रघु को देखते ही समझ गई कि.. रघु दारू पीकर आया है और जब रघु दारू पीकर आता है.. तो उसकी चूत को खूब चोदता है।

ये देखते ही, उसकी चूत की फाँकें फड़फड़ाने लगीं.. वो पलंग पर से उठी और रघु को अपनी बाँहों में भरते हुए.. अपने होंठों को रघु के होंठों से बिंधा दिया।





रघु ने थोड़ी देर नीलम के होंठों को चूसे और फिर नीलम को पीछे कर दिया।

“क्या हुआ रघु..?” नीलम ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा।

“कुछ नहीं.. तू चल मेरे साथ..” ये कहते हुए, उसने नीलम काकी का हाथ पकड़ा और उसे कमरे से बाहर ले गया और फिर अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगा।

नीलम- ये.. ये.. क्या कर रहा है.. कहाँ ले जा रहा है..?
नीलम ने परेशान होते हुए कहा।

रघु- अपने कमरे मैं लेजा रहा हूँ.. आज देखना उस साली रांड के सामने मैं तुझे कितने प्यार से चोदता हूँ.. तुम्हें डर लग रहा है क्या..?

नीलम- अरे क्या कह रहा है.. तेरा दिमाग़ तो सही है ?

रघु- हाँ बिल्कुल सही है.. काकी तू बोल.. तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती.. तू चल मेरे साथ..।
ये कहते हुए.. रघु नीलम का हाथ पकड़ कर खींचते हुए.. अपने कमरे में ले गया।

फिर जैसे ही दरवाजा खुला.. तो चारपाई पर लेटी.. बिंदिया एकदम से हड़बड़ा गई और उठ कर बैठते हुए रघु की तरफ देखने लगी।
रघु नीलम काकी का हाथ पकड़े हुए.. दरवाजे पर खड़ा था।

“अए ऐसे क्या घूर कर देख रही है.. चल उठ.. और नीचे ज़मीन पर बिस्तर बिछा। ”

बिंदिया को समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर अब रघु क्या चाहता है.. वो जस की तस चारपाई पर बैठी रही.. रघु ने नीलम का हाथ छोड़ा और कमरे का दरवाजा बंद करने लगा और जैसे ही कमरे का दरवाजा बंद करने के बाद मुड़ा तो इस बार लगभग चिल्लाते हुए बोला- ओए सुना नहीं क्या ? मैं क्या कह रहा हूँ.. चल नीचे बिस्तर बिछा..।

नीलम अपने हाथों को आपस में मसलते हुए नीचे नजरें करे खड़ी थी। बिंदिया ने एक बार परेशान से खड़ी अपनी काकी सास के तरफ देखा और फिर चारपाई से नीचे उतर कर नीचे ज़मीन पर बिस्तर बिछाने लगी।
 
रघु- ओए जल्दी-जल्दी हाथ चला.. बहुत ऐश कर ली तूने.. अपनी माँ के घर पर..

रघु की कड़क आवाज़ सुन कर बिंदिया डर से काँप गई और वो जल्दी से बिस्तर बिछाने लगी। बिस्तर बिछाने के बाद बिंदिया चारपाई के पास खड़ी हो गई और परेशान सी रघु की तरफ देखने लगी। रघु ने एक बार बिंदिया की तरफ देखा और फिर पास खड़ी नीलम की तरफ घूमते हुए उसको.. उसके कंधों से पकड़ कर.. अपने होंठों को नीलम के होंठों पर सटा दिया।

बिंदिया का कलेजा मुँह को आ गया.. दिल की धड़कनें मानो जैसे बंद हो गई हों.. और अगले ही पल उसका सर नीचे झुकता चला गया।

नीलम रघु की बाँहों में कसमसा कर रह गई। वो जानती थी कि अब रघु उसकी एक नहीं सुनने वाला।

उसका दिल मारे डर और रोमांच के मारे तेज़ी से धड़क रहा था और ये सोच कर कि रघु अब खुल कर बिंदिया के सामने उसको चोदने वाला है और कैसे वो अपना मूसल लण्ड बिंदिया के सामने उसकी चूत में डालेगा।

ये सोचते हुए.. नीलम की चूत में सरसराहट बढ़ने लगी.. ये सोचने से उसको इतना मजा आ रहा था.. जितना उसे रघु से पहली बार चुदवाते हुए भी नहीं आया था। कामवासना में जलती नीलम ने भी अपनी बाँहें रघु की कमर से कस लीं और अपने होंठों को हिलाते हुए रघु का साथ देने लगी।

जब दोनों के होंठ आपस मैं उलझते तो .. ‘ओह्ह.. पुच्छ’ की आवाज़ होती.. जिसे सुन कर बिंदिया की हालत और भी खराब होने लगती। वो चाह कर भी अपने नजरें उठा कर नहीं देख पा रही थी.. फिर मानो जैसे बिंदिया का कलेजा मुँह को आ गया हो।

रघु ने नीलम के कपड़े खोलने शुरू कर दिए। साड़ी नीलम के बदन से अलग होकर नीचे बिछे बिस्तर पर आ गिरी.. ठीक नीचे देख रही बिंदिया के आँखों के सामने।

फिर ब्लाउज साड़ी के ऊपर आ गिरा।

इसका मतलब अब नीलम ऊपर से पूरी नंगी हो चुकी थी और अगले ही पल मानो जैसे बिंदिया के कानों में कोई खौफनाक आवाज़ गूँज उठी हो..

दरअसल वो कोई खौफनाक आवाज़ नहीं थी। वो तो नीलम की मस्ती से भरी सिसकारी थी.. जो अपने चूचकों पर रघु के होंठों को महसूस करते हुए.. उसके मुँह से निकली थी।

“अह रघु…”

और फिर क्या था.. नीलम की मदमस्त वासना से भरी ‘आहों’ से पूरा कमरा गूँज उठा.. बिंदिया को लग रहा था.. जैसे उसके पैर अभी जवाब दे देंगे और वो वहीं ज़मीन गिर पड़ेगी। उसके हाथ-पैर ऐसे काँप रहे थे.. मानो जैसे वो बर्फ की सिल्ली पर खड़ी हो।

नीलम- आह्ह.. रघुऊऊउ ओह.. चूस्स्स.. बेटा मेरे..ए.. चूचियों को.. आह.. और ज़ोर से चूस्स्स.. आह मेरे..ए..ए चूतततत्त कब से.. इईए तरस रही थी तेरे लण्ड के लिए आह्ह.. ओह्ह.. ।

बिंदिया ऐसी बातें और कामुक ‘आहें’ सुनकर एकदम से पागल हुई जा रही थी और अगले ही पल रघु ने नीलम के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया।

पेटीकोट अगले ही पल नीलम के पैरों के बीच में पड़ा था।

“चल लेट जा… ”

रघु ने अपनी काकी नीलम को कहा और जैसे ही नीलम नीचे बिस्तर पर लेटी.. तो उसकी नजरें बिंदिया से जा टकराईं.. जो नीचे की तरफ सर झुकाए खड़ी थी।

नीलम ने बड़ी ही कामुक मुस्कान से बिंदिया की तरफ देखा और अपनी पैरों को घुटनों से मोड़ कर अपनी दोनों जाँघें फैला दीं। नीलम ने अपनी चूत के बाल एकदम साफ़ किए हुए थे.. जिससे उसकी चूत का गुलाबी छेद खुल कर बिंदिया की आँखों के सामने आ गया। बिंदिया की साँसें अब इतनी तेज चलने लगीं.. जैसे वो मीलों दौड़ कर आई हो और अगले ही पल उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया।

अब रघु भी पूरा नंगा हो चुका था.. वो अपने एक हाथ से अपने लण्ड को हिलाते हुए बिस्तर पर आया और पास खड़ी.. बिंदिया का हाथ पकड़ खींचते हुए नीलम की टाँगों के बीच में बैठ गया।

बिंदिया लड़खड़ाते हुए.. रघु के पास लगभग गिरते हुए.. नीचे बैठ गई।

“ओए चल इधर.. देख.. आज मैं तुझे दिखाता हूँ कि चुदाई किसे कहते हैं।”

रघु ने बिंदिया का हाथ छोड़ कर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए.. बिंदिया को अपने साथ चिपका लिया.. बिंदिया शरम के मारे मरी जा रही थी। वो अभी भी सर झुकाए हुए बैठी थी।

“देख.. अब चूत.. मेरे लण्ड को कैसे लेती है.. और जब लण्ड चूत में जाता है.. तो एक औरत को कितना मज़ा आता है।”

ये कहते हुए, रघु ने नीलम की तरफ देखा और नीलम ने अपने दोनों हाथ चूत की ऊपर ले जाते हुए.. चूत की फांकों को खोल कर फैला दिया.. जिससे नीलम की चूत का गुलाबी छेद खुल कर उन दोनों के आँखों के सामने आ गया।

नीलम की चूत का छेद कामरस से भीगा हुआ था.. जिसे देख कर बिंदिया की साँसें और तेज चलने लगीं।

“देख साली की चूत कैसे पनिया रही है.. और तू साली चिल्लाने लगती है..।”

ये कहते हुए रघु ने अपने लण्ड के सुपारे को नीलम की चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा.. रघु का आधे से ज्यादा लण्ड नीलम की चूत में समा गया.. नीलम एकदम से सिसक उठी।

“आह्ह.. रघु.. चोद रेई मुझे.. रुक क्यों गया.. हरामी।”

बिंदिया हैरान से रघु के मोटे और लम्बे लण्ड को नीलम की चूत के छेद में फँसा हुआ देख रही थी। उसने हिम्मत करके.. एक बार नज़र थोड़ा सा उठा कर नीलम के चेहरे की तरफ देखा.. नीलम की आँखें अधखुली हुई थीं और वो अपने होंठों को अपने दाँतों से काटते हुए.. बड़ी मादक अदा के साथ अपने हाथों से अपनी चूचियों को मसल रही थी।

नीलम- ओह्ह रघुऊऊउ तेरेई लण्ड के बिना मेरी चूत का बुरा हाल था.. आग लगी हुई थी मेरी चूत में..ओह्ह.. रघुऊऊउउ.. आहह हाँ.. चोद मुझे.. ठंडा कर दे मेरा भोसड़ा..।”

तभी रघु बिंदिया के गालों पर अपने होंठों को रगड़ देता है.. जिससे बिंदिया का पूरा बदन झनझना जाता है।

रघु ने कहा- देखा.. कैसे लौड़े के लिए भीख माँग रही है।
“ले रांड मेरा लण्ड..”

रघु ने बिंदिया को घूरते हुए एक और जोरदार धक्का मारा और अपना पूरा लण्ड नीलम की चूत की गहराईयों में उतार दिया।

जैसे ही रघु के लण्ड का सुपारा नीलम की चूत की गहराईयों में उतर कर उसकी बच्चेदानी से टकराया। नीलम का बदन आनन्द से ऐंठ गया।
 
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