Porn Sex Kahani पापी परिवार - Page 13 - SexBaba
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Porn Sex Kahani पापी परिवार

कम्मो कुछ देर के लिए रुक गयी ..निकुंज एक दम शांत बैठा था ..लेकिन मा के मूँह से निकले शब्द सुन कर वो थोड़ा उत्तेजित भी था ..निक्की के बदन की गर्मी, उसका पागल पन ..बहेन-भाई के रिश्ते को तोड़ने की लालसा ..यहाँ तक की कल उसकी बहेन ने अपनी चूत मे उसके नाम की ही उंगली की थी और बाद मे कितने सरल शब्दो मे अपने पापी प्यार का इज़हार भी कर दिया था

निकुंज के मन मे हलचल सी मच गयी .. ' चोर मोम के दिल मे नही मेरे दिल मे है '

वहीं कम्मो ने उसे एक और झटका देने का फ़ैसला कर लिया ..अब उसे ये जान ना था कि उसके बेटे के शॉर्ट्स मे बहेन की पैंटी कैसे आई ..निकुंज का चेहरा कैसा होगा जब उसे कम्मो की अगली बात समझ आएगी

" निम्मी मुझसे खुली हुई है और मैं हर तरह की बात उससे शेर कर लेती हूँ ..लेकिन निक्की का नेचर ना तो मैं आज तक जान पाई ना कभी जान पाउन्गि ..कल रात जब मैं उसके कमरे मे गयी उस वक़्त तू घर पर मौजूद नही था ..घुटने की चोट पर हाथ रखते ही निक्की ने अपनी टांगे फैला ली, और उस वक़्त फ्रोक के नीचे उसने पैंटी नही पहनी थी .. ( पॉज़ ) .. ( निकुंज के बदन मे लगे झटके को कम्मो ने फॉरन महसूस कर लिया / लेकिन डाइरेक्ट्ली पॉच पाना, अब भी संभव नही था ) ..पहले तो मुझे काफ़ी गुस्सा आया, क्यों कि तेरा उसके कमरे मे आना जाना सबसे ज़्यादा है ( पॉज़ ) ..( उसने निकुंज का घबराया चेहरा देखा ) ..लेकिन फिर ज़्यादा ना सोचते हुए मैं बाथ-रूम मे एंटर हो गयी ..ज़मीन पर पड़े गंदे कपड़ो मे मुझे उसकी यूज़्ड पैंटी दिखाई दी .. लेकिन उस पर वो दाग थे जिसने मेरी रूह कपा दी ..बस मैं समझ गयी आगे कुछ ग़लत हो सकता है और मैं बिना पैंटी लिए कमरे मे लौट आई ..मैने एक पल नही गवाया और अपने होंठ उसकी योनि पर रख दिए ..लेकिन जीभ बाहर निकालते ही तू दरवाज़े पर खड़ा दिखाई दे गया ..मैं उस वक़्त भी नही रुकती, क्यों मैं ग़लत नही थी ..अरे लड़की की बात छोड़, तेरी नीमा आंटी ने तो वो झेला है ..जिसकी तू कल्पना तक नही कर सकता "

इस टॉपिक का एंड करते हुए कम्मो ने अपने पैरो को मोड़ कर सीट पर रख लिया और कार के गेट से अपनी पीठ टिका कर, निकुंज की तरफ टर्न हो गयी ..अब उसके बेटे की हर हरक़त से वो फॉरन रूबरू हो सकती थी

" निकुंज मैं तुझ पर कोई आरोप नही लगा रही ..लेकिन निक्की से थोड़ा दूरियाँ बनाना तेरे लिए सही रहेगा ..कल को अगर नींद मे उसने तेरे सामने अपनी टांगे फैलाई होती ...... "

कम्मो ने पूरी बात नही कही, इस अधूरी बात से उसने हिंट किया कि भाई-बहेन अब बच्चे नही रहे ..एक गॅप होना ज़रूरी है ..माना दोनो मे बहुत प्यार है ..लेकिन उमर का क्या, कोई भी पिघल सकता है

अगले ही पल घबराहट मे जहाँ निकुंज ने अपनी गान्ड ऊपर उठा कर सीट को बॅलेन्स किया वहीं कम्मो को उसके जीन्स मे बने तंबू का दीदार हो गया ..और इसके साथ ही उसकी चूत मे भी सरसराहट मचने लगी ..लगा जैसे उसके बंदन मे किसी तरह के ज्वर का उठना शुरू हो गया हो

निकुंज को भी एहसास था उसकी मा किस बात की तरफ हिंट कर रही है, और वो खुद भी तो यही चाहता है, निक्की से दूरियाँ बढ़ा ले ..लेकिन जाने किस तरह का अट्रॅक्षन है भाई-बहेन के बीच, जो उसे निक्की से दूर कभी नही जाने देता

निकुंज को अपनी हालत का पूरा अनुमान था कि उसका लंड जीन्स मे की कदर तंन कर खड़ा हो गया है, लेकिन चाह कर भी उसका हाथ स्टियरिंग-व्हील से हट कर लंड को अड्जस्ट करने के लिए नीचे नही आ पा रहा था ..इस वक़्त उसे अपनी बेवकूफी पर पछ्तावा हुआ कि जब कम्मो ने लाइट बंद करने को कहा था, तब उसने अपनी मोम की बात क्यों नही मानी ..और बातचीत का सिलसिला इतना आगे बढ़ चुका है, जिसे ना तो अब कम्मो रोक सकती थी ना ही निकुंज

बस अब तो उसने ऊपरवाले से यही प्रार्थना की .. ' मोम को मेरे खड़े लंड के बारे मे पता नही चले ' ..लेकिन ज्यों - ज्यों उसकी सोच लंड की सिचुयेशन पर गौर करती, वो और भी ज़्यादा तंन कर दर्द का एहसास करवाने लगता
 
" नीमा की बात इस टॉपिक से हट कर तो है ..लेकिन जहाँ मैं अपनी बेटियों के खातिर मजबूर हुई ..वही उसे अपने बेटे विक्रम के हाथो मजबूर होना पड़ा ..ये इस बात का सबूत है कि एक मा के लिए अपने बच्चे कभी पराए नही होते ..बस कभी - कभी हालात ऐसे बन जाते हैं ..जब मा को झुकना पड़ता है ..जान कर कि ये कार्य कितना घिनोना है, उसे करना पड़ता है "

[ अब जो बात कम्मो ने शुरू की वो 100 % सत्य थी, और सारे फ़सादो की जड़ भी ..नीमा उसकी एक मात्र फ्रेंड, जिसके साथ उठना बैठना कम्मो बरसो से करती आई है, दोनो बेहद घनिष्ट हैं ..जिस दिन निम्मी के साथ कम्मो का उसके घर जाना हुआ, उसी दिन निकुंज अपनी बहेन निक्की को माल ले कर गया था .. ( पिच्छले अपडेट्स मे आप पढ़ सकते है ) ..नीमा के घर से लौटने के बाद कम्मो के रूम का ए/सी शॉर्ट-सर्क्यूट करने लगा, और इससे डर कर उसने निकुंज को आवाज़ दी, जो उस वक़्त निक्की के कमरे मे मौजूद था ..सारे शक़ों की शुरूवात की यहीं से हुई ..निकुंज ध्यान नही दे पाया कि उसका लंड शॉर्ट्स मे तना सॉफ दिखाई दे रहा है और जल्दबाज़ी मे वो कम्मो के रूम मे पहुच गया ..ए/सी सुधारने के लिए उसे चेर पर चढ़ना पड़ा और नीचे कम्मो उसके पैरों को थामे खड़ी थी, ताकि वो गिर ना जाए ..इसी जद्दो-जेहद मे उसके गाल पर निकुंज के खड़े लंड ने ठोकर मार दी ..और इसके बाद के सारे हालात आप सब पढ़ ही चुके हैं ]

शक़ करना कम्मो ने उसी हादसे के बाद शुरू किया ..और जिसका अंत अब तक नही हो पाया था

" मैं जो बताने जा रही हूँ, वादा चाहूँगी हमारे बीच मे रहेगा "

कम्मो ने कहा ..और निकुंज ने अपना सर हां मे हिला कर, अपनी अनुमति प्रदान कर दी

" उस दिन मैं निम्मी के प्रॉजेक्ट को रेडी करवाने के लिए नीमा के घर गयी ..तेरी जानकारी के लिए बता दूं उसकी बेटी भी अपनी निम्मी के ही इन्स्टिट्यूट मे पढ़ती है ..आक्चुयल बात ये है, केयी दिनो से नीमा मुझसे मिलना चाह रही थी, बट मुझे घर के कामो से फ़ुर्सत नही तो वक़्त निकाल पाना बेहद मुश्क़िल था ..निम्मी का उसके घर जाना हुआ तो मैं भी साथ चली गयी ..जब दोनो लड़कियाँ स्टडी रूम मे एंटर हो गयी तब नीमा ने मुझे अपने बेड रूम मे बुलाया "

......................फ्लेश बैक ............................

मैं :- " क्या बात है, तू बहुत परेशान दिख रही है ? "

मैने उसके चेहरे पर तनाव साफ देखा ..मेरे पूछ्ते ही उसने रोना शुरू कर दिया और मजबूरन मुझे उसे सहारा देने के लिए, अपने गले से लगा पड़ा

नीमा :- " कम्मो मैं मर जाना चाहती हूँ "

उसके इतना कहते ही मैने उसके मूँह पर अपना हाथ रख दिया

मैं :- " कैसी बात करती है ..मुझे बता आख़िर बात क्या है "

कुछ देर तो उसने कुछ नही कहा ..लेकिन फिर उसके सबर का बाँध टूटने लगा और उसने जो बातें मुझे बताईं ..निकुंज मैं सच कहती हूँ, उस औरत मे बहुत शक्ति है, बहुत सेहेन्शीलता है ..उसकी जगह अगर मैं होती, तो शायद हड़बड़ाहट मे खुद को नष्ट कर लेती या पागल हो जाती

पूरी बात-चीत के दौरान पहली बार निकुंज ने अपनी मोम को इतना सीरीयस देखा, या यूँ कहें बीती ज़िंदगी मे पहली बार ..उसके लंड मे आया कॅडॅक्पन अब कम होने लगा और उसने राहत की साँस ली ..कम्मो ने फिर से बोलना शुरू किया

नीमा :- " कम्मो मैं विक्रम ( विक्की ) की वजह से बहुत दुखी हूँ .. ( विक्की उसका छोटा बेटा है ..जिसकी उमर ** है ) ..तुझे तो पता है मेरे हज़्बेंड पिच्छले 10 सालो से सिंगपुर मे पोस्टेड हैं ..साल मे एक बार घर आते भी हैं, तो सिर्फ़ 20-25 दिनो के लिए ..उनके जॉब ने उन्हे कभी फ्री नही छोड़ा ..अब मैं मुद्दे पर आती हूँ

मैं पढ़ी-लिखी हूँ तो टीचर जॉब जाय्न कर लिया, क्यों कि बच्चो के स्कूल जाने के बाद अक्सर बोरियत महसूस होने लगी थी, फिर कुछ एक्सट्रा इनकम घर मे आना बुरा भी तो नही ..एक दिन रात मे मेरी नींद खुली, हॉल मे टीवी का साउंड ज़्यादा था तो बच्चो को डाँटने की गर्ज से मैं हॉल मे चली आई ..पर जो नज़ारा मैं उस वक़्त देखा मेरी रूह काँप उठी ..विक्की सोफे की आड मे लेटा मास्टरबेट कर रहा था, टीवी पर कोई इंग्लीश मूवी देखते हुए ..हलाकी सोफे की आड़ मे वो मुझे नही दिख पाया, लेकिन उसके हाथ की पोज़िशन ऐसी थी जिससे क्लियर हो गया, वो क्या कर रहा है

मुझे गुस्सा आ गया और मैं उसे डाटने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाने लगी ..लेकिन तभी उसके मूँह से मोनिंग साउंड्स निकलने लगे और मेरे कदम फॉरन पीछे हट गये ..मैं समझ गयी वो स्खलित हो गया है

जाने क्यों मैं अपने कमरे मे वापस लौट आई, मन तो किया विक्की को अभी जा कर थप्पड़ लगाऊ ..लेकिन अगर शोर होता तो मेरी बेटी उठ जाती ..फिर मैं उसे क्या जवाब देती, मैं क्यों मार रही हूँ उसके भाई को ..मेरी बेटी जवान हो चुकी है, बेटा अब जवान हो रहा है ..लेकिन उस रात के बाद से, मैं आज तक चैन की एक नींद नही सो पाई

अगले दिन बच्चो को स्कूल भेजने के बाद मैं भी अपने जॉब पर चली गयी ..लेकिन रह - रह कर मेरे दिमाग़ मे विक्की का हाथ, टीवी पर चलती इंग्लीश मूवी और उस वक़्त मेरे बेटे के मूँह से निकली आवाज़ें, मुझे परेशान करने लगी ..मेरा सर दर्द से फटने लगा ..और फाइनली मैने अपने हज़्बेंड को कॉल करने का सोचा

मैं कॉल कर ही रही थी तभी मुझे वो दिन याद आ गया, जब मेरे हज़्बेंड ने सिंगपुर जाने से पहले बच्चो की केर करने की ज़िम्मेदारी मुझे सौंपी थी ..हलाकी बात तो मेरी उनसे वीक्ली होती है, लेकिन चाह कर भी मैं उन्हे कॉल नही कर पाई, क्यों कि मैं अपनी ज़िम्मेदारियों पर खरा नही उतर पाई थी

अगले काई दिन तक मैने विक्की की दिनचर्या पर गौर किया तो पता चला, उसने खुद को बर्बाद करने की ठान रखी है ..दिन मे एक बार नही, दो बार नही ..जब जी मे आया मास्टरबेट शुरू कर देता ..केयी - कयि दफ़ा तो मैने दिन भर मे 7-8 बार उसे ऐसा करते देखा ..लेकिन अब तक उसे ये पता नही चलने दिया कि उसकी मा को उस पर किसी भी प्रकार का कोई शक़ है "

निकुंज की आँखें तो सड़क देख रही थी लेकिन कान बिल्कुल कम्मो के होंठो से सटे थे ..इस तरह की बातें मा- बेटे मे कभी नही हो पाती ..अगर कल रात उसने कम्मो को अपनी बहेन के कमरे मे नही देखा होता ..उसका दिल तो चीख-चीख कर कह रहा था .. ' मोम बस करो ' ..लेकिन सोच गहरी और जिग्यासा इतनी बढ़ गयी .. ' नीमा की जगह उसने कम्मो को इमॅजिन करना शुरू कर दिया और विक्की की जगह खुद को ' ..बस अब देखना यह था यहाँ जीत किस की होती .. एक बेटे की या एक मर्द की, खेर उसका पुरुषांग तो यही बता रहा था, कि वो विजय मनाने को बेहद उत्सुक है
 
वहीं कम्मो के हाल का वर्णन करना कठिन है ..वो जान कर अपने पैर मोड बैठी थी, ताकि जब पानी सर से पार निकलने लगे, तो अपनी बिगड़ी हालत को काबू करना उसके लिए मुश्क़िल ना हो ..लेकिन इस वक़्त उसकी पैंटी का अग्र भाग इतना ज़्यादा भीग चुका था, कि उस छोटे से कपड़े की सोखन-क्षमता मानो अंत को प्राप्त चुकी थी, निकुंज के बैठने की पोज़िशन स्ट्रेट होने से कयि बार कम्मो अपनी चोर नज़र का इस्तेमाल, उसके जीन्स के फुलाव को देखने के लिए कर लेती ..ये कोई ताज्जुब करने वाली बात नही, आग इस वक़्त दो तरफ़ा है ..दोनो झड़ने के बेहद करीब थे, लेकिन चाह कर भी झाड़ नही पा रहे

कम्मो ने बात आगे बढ़ाने से पहले कुछ चिंतन करना चाहा

" जिस तरह नीमा ने विक्की को सही राह दिखाई, अगर मैने पूरा व्रतांत ज्यों का त्यों निकुंज को बताया, तो पक्का मैं स्खलित हो जाउन्गि ..एक मा हो कर भी नीमा को अपने बेटे का पूर्ण विकसित लिंग देखना पड़ा, केवल समझाइश से विक्की की आदत मे परिवर्तन लाना संभव नही, ये जान कर उस मा ने कयि बार अपने हाथो से उसके लिंग को चरम पर पहुचाया, लेकिन हालात और बदतर होते गये, दैनिक हस्तमैथुन घटने की बजाए बढ़ने लगा, नीमा समझने लगी सिर्फ़ हाथो से उसके बेटे की कामग्नी शांत नही हो पाएगी, यदि मस्ट्रबेट की टाइमिंग मे गॅप लाना है, तो उसे कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे उसके बेटे का लिंग ज़्यादा समय तक रिलॅक्स महसूस कर सके ..और एक दिन नीमा ने कंट्रोल खोते हुए लिंग को अपने मूँह मे ले लिया, शुरूवात मे तो ये उसके लिए बेहद शरम्नाक था, पर जैसे - जैसे विक्की की मनोदशा सुधरने लगी, वो इस कार्य मे बेटे की भलाई को मिश्रित करती गयी ..आज वर्तमान हालात ये हैं, नीमा रोज़ाना नियम से बेटे का लिंग दो बार चूस्ति है ..लेकिन इन सब से परे, उसके अंदर की औरत ने एक मा को मार डाला था और जनम हुआ मर्यादाओ की सीमा टूटने का ..एक मा अब अपने बेटे से संसर्ग स्थापित करने को तैयार हो चुकी थी ..जान कर उनके बीच ये अनाचारी संबंध होगा, पाप होगा "
 
पापी परिवार--38

चिंतन पूरा होते ही कम्मो ने अपने सूखे गले को तर करने के लिए थूक का इस्तेमाल किया, और एक ऐसी खखार ..जिससे ख़ास वो अपनी सिसकी का मर्दन कर सके, च्छूपा सके ..लेकिन व्याकुल निकुंज को उस खखार के अंदर सिमटी कामुकता का ग्यान हो गया ..और उसने अपना चेहरा कम्मो की तरफ घुमाया

एक मूक प्रश्नचिनन्ह निगाह डालते निकुंज ने अपने मन मे उससे पूछा

" रुक क्यों गयी मोम, मुझसे सबर करना बेहद मुश्क़िल है ..बताइए ना, एक मा के प्रेम की सीमा उसके बेटे के प्रति कहाँ तक संभव है ..क्या जो मेरी सोच है वो सच है, क्या नीमा आंटी और उनके बेटे के बीच.... "

इसके आगे निकुंज और ज़्यादा नही सोच पाया और उसका मोबाइल बजने लगा ..चौंकते हुए दोनो ने अपनी आँखों का कॉंटॅक्ट तोड़ लिया, जैसे फोन करने वाले शक्स को उनकी मदहोश हालत का पता चल जाता ..और दोनो बदनाम हो जाते

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" अच्छा ..ओके कोई बात नही ..जी मैं कह दूँगा ..हां - हां "

कुछ इस तरह के हल्के-फुल्के संवाद कर निकुंज ने कॉल कट कर दिया ..उसे तो जल्दी थी आगे का व्रतांत सुनने की, जिसे ताड़ कर कम्मो ..हैरान परेशान हो उठी, समझ गयी उसका बेटा इस पापी कथा को आगे सुनने के लिए कितना बेचैन है, लालायित है ..उसे तनिक भी लज्जा नही कि उसके सामने कोई पराई स्त्री नही, उसकी सग़ी मा बैठी है

[ जब आप किसी ग़लती मे शामिल हों, तब भी आप जान कर अंजान बने रहना चाहते हैं, मन को कयि प्रकार की दलीलें देते हैं .. ' मैं ग़लत नही हूँ ' ..लेकिन सारी दलीलें सिर्फ़ और सिर्फ़ मन को फुसलाने के बहाने होती हैं ]

दोनो का पवित्र प्रेम अब धीरे धीरे मैला होने लगा था, मन तो नंगा हुआ ही, तंन पर भी अब सिर्फ़ दिखावे मात्र को कपड़े शेष थे ..कम्मो बीच मजधार मे फसि थी, डूब जाए या हमेशा के लिए पार हो जाए ..एक ऐसा किनारा, जहाँ काफ़ी संघर्षो के बाद पहुचने पर भी ..उसकी हार निश्चित थी

.

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इसी बीच कम्मो का सेल बजा और उनकी बातों पर थोड़ी देर का विराम और लगा गया, निकुंज के चेहरे पर जहाँ नाराज़गी आई वहीं कम्मो के होंठ फैल गये

कॉल घर से था

" हां कम्मो निकुंज से ठीक से बात नही हो पाई, शायद कार ड्राइव करने मे उसे दिक्कत हो रही होगी "

दीप ने कहा

" हां, रास्ता काफ़ी खराब था बीच मे ..खेर अभी तो सब सब ठीक है ..पर पता नही आगे फिर से खराब ना होने लगे "

कम्मो ने दुअर्थि बात करते हुए कहा ..बात कहते वक़्त उसकी निगाह बेटे के लंड से चिपकी थी ..जो कुछ देर पहले खड़ा था, फिर कुछ देर के लिए बैठा ..और अब तो शायद जीन्स फाड़ कर बाहर आने को तैयार है ..मस्ती से सराबोर वो किसी भी वक़्त बहेक सकती थी

निकुंज ने कानो के साथ अब उसकी पुतलियों का भी फोकस अपनी मा पर जम गया था, वो फॉरन जान गया कम्मो ने ये ताना उसके लंड की हालत पर मारा है ..लेकिन कहीं ना कहीं उसकी मा भी इसकी ज़िम्मेदार है, ये सोच कर वो ड्राइव करता रहा

" ह्म्‍म्म ...चलो ठीक ..मैने उसे बता दिया है कि तुम अपना बेग हॉल मे छोड़ आई हो "

दीप ने रिटर्न रिप्लाइ किया

" क्या ? "

हलाकी कम्मो चौक पड़ी, और यक़ीनन उसके मूँह से चीख भी निकल जाती ..पर दीप ने जैसे बताया निकुंज इस बात को जानता है, तो कम्मो ने उसे नॉर्माली आन्सर दिया

" कोई बात नही, उसने मुझे बता दिया है, आप टेन्षन मत लो ..मैं पुणे पहुच कर कोई ना कोई इंतज़ाम कर लूँगी "

कम्मो के झूठ बोलते ही निकुंज ने उसके चेहरे को देखा, मा-बेटे की आँखें टकराईं और उनमे धधकते काम के शोलो का मिलन हो गया ..स्माइल करते हुए कम्मो ने निकुंज को रिलॅक्स रहने का इशारा किया और बेटा वापस ड्राइव करने लगा

दीप :- " रात मे वहाँ कोई होटेल बुक कर लेना, ताकि नींद पूरी हो सके ..निकुंज भी जब तक काफ़ी थक चुका होगा "

" हां रूम बुक तो करना ही पड़ेगा ..कल का पूरा दिन हॉस्पिटल मे बिताने से पहले थकान का उतरना ज़रूरी है, फ्रेश माइंड मे डॉक्टर का कहा समझने भी दिक्कत नही होगी "

कम्मो ने रिप्लाइ किया, लेकिन यहाँ तो वो अपने साथ बेटे की भी थकन को बढती ही जा रही थी

दीप :- " अच्छा मैने दोनो बहनो को साथ सोने को कह दिया है ..अब मैं भी सोऊंगा ..पर तुम्हारी कमी आज पहली बार महसूस हो रही है, लग रहा है जैसे अकेले सोने मे डर लग रहा हो "

कम्मो :- " हां ये ठीक किया आप ने ..निक्की के साथ सोने से निम्मी रात बेरात तक जागेगी भी नही, और किसी नयी शैतानी की शुरूवात होने से भी रुक जाएगी "

" तुम्हे तो सिर्फ़ अपने बच्चो की फिकर रहती है ..मेरा हाल पूछो जान, लगता है आज रात अपने हाथ से काम चलाना पड़ेगा ..अहह !!!!! "

इसके साथ ही कम्मो हड़बड़ा गयी ..काफ़ी देर से एक ही पोज़िशन मे पैर मोड बैठे होने से उनमे ऐठ्न आना शुरू हुई और अपने आप उसके पैर सामने को पसरते चले गये ..हलाकी ऐसा करने मे उसकी कोई ग़लती नही, लेकिन अगले ही पल इस हरकत से निकुंज काँप उठा ..उसकी मा की साड़ी गियर मे फस कर उसके घुटनो तक ऊपर उठ गयी, और गोरी नंगी पिंदलियों की रगड़ खा कर निकुंज के मुँह से भी दीप जैसी आह निकल पड़ी

" मैं रखती हूँ, पहुच कर कॉल कर दूँगी "

इतना कह कर कम्मो ने जल्दी से कॉल कट कर दिया ..और अपने पैर वापस पीछे खीचने लगी ..लेकिन ठीक इसी वक़्त रोड पर एक गहरा गड्ढा आया और कार के उसमे उतरते ही, झटके के साथ उसके तलवे ने खड़े लंड को हाइ प्रेशर से दबा दिया

" मोममम्ममममममममम !!!! "

निकुंज चीखा, और कार के ब्रेक लगाते हुए, उसने उसे लेफ्ट साइड मे रोक दिया ..गड्ढे मे गाड़ी गिरने से कम्मो भी सकते मे आ गयी, लेकिन बेटे की चीख सुन कर अपनी अस्तव्यस्त हालत की परवाह किए बगैर, तेज़ी से सीधी हो कर बैठ गयी

[ आक्चुयल मे जब कम्मो अपने घुटनो को वापस मोड़ रही थी तभी कार अनबॅलेन्स हो गयी , वो सीट से नीचे गिरने लगी / और बचने की गर्ज से उसने अपनी बॉडी का पूरा भार तलवो पर दे दिया / जो निकुंज के चीखने का कारण बना ]

" निकुंज बेटा क्या हुआ ? "

उसने अंजान बनते हुए पूचछा .. निकुंज की आँखें बंद, चेहरे पर पसीना और वो बुरी तरह हाँफ रहा था ..ज़ाहिर है खड़े लंड पर कोई वेटेड चीज़ अपना दबाव दे दे , तो जान निकलना स्वाभाविक है ..वहीं निकुंज को लग रहा था जैसे उसके पंख-पखेरू उड़ते जा रहे हों ..ऐसे वक़्त मे भी उसके हाथ लंड को थाम नही पाए, कम्मो उसकी मा है और वो तय नही कर पा रहा था, लंड को हाथ लगाए या नही

" क्या हुआ कुछ बोल तो सही, आँखें खोल बेटा "

घबराई कम्मो के हाथो ने उसके गालो को पकड़ लिया, और थपथपा कर उसने अपने बेटे को चेतना देने की कोशिश की ..भारी औरत से ये तात्पर्य कतयि नही, उसका वजन मीट्रिक टन मे हो ..कम्मो सुडोल थी, गदराए बदन की मालकिन

" तू कुछ बोलता क्यों नही "

कम्मो ने उसके चेहरे पर फूक मारी, जिसके फॉरन बाद निकुंज ने अपनी पलकों को खोला, पनियाई आँखों मे छुपे दर्द को समझते ही कम्मो के हाथ बेटे के गालो से हट कर नीच्चे की तरफ जाने लगे ..वो एक अजीब पशोपेश मे आ गयी, चोट बेटे को मा की वजह से लगी ..वो भी उसके पुरुषांग मे

अंतर्मन :- " देख क्या रही है कम्मो ..बेटा तड़प रहा है, मदद कर उसकी ..कुछ देर पहले तो बहुत लेक्चर दे रही थी, मा का कर्तव्य, हक़, वगेरा वगेरा ..हिम्मत ला खुद के अंदर पगली, वो पुरुष है तो क्या हुआ ..है तो तेरा लाड़ला ही, आख़िर उसे वापस पाने के लिए ही तो तूने इतना सब कुछ किया ..अब जो करना है जल्दी कर "

कपकापाते हाथ को उसकी जाँघ पर रखते हुए कम्मो ने हल्के से थोड़ा सहलाया, और इसके फॉरन बाद उसने अपनी मर्ज़ी से बेटे की जीन्स के बटन को खोलना शुरू कर दिया ..जानती थी जब तक निकुंज होश मे नही उसका काम आसान है, लेकिन एक बार उसकी चेतना लौटी ..दर्द होने के बावजूद भी वो उसे कुछ नही करने देगा

कम्मो का सोचना सही साबित हुआ ..बटन अनलॉक होते ही निकुंज के होश उड़ गये ..ये उसकी मा क्या कर रही है, ऐसा सोचते ही उसने कम्मो के हाथो को रोकना चाहा

" आहह !!!! मोम मैं ठीक हूँ ..म ..मैं बिल्कुल ठीक हूँ "

हक़लाते स्वर मे निकुंज ने कहा परंतु उसमे इतनी शक्ति नही थी कि अपनी मा के हाथ को पकड़ सके ..शायद शरम्वश वो विस्वास था

" रुक जा ..सीट पीछे कर ले "

कम्मो ने उसे एक डाट लगाते हुए कहा ..वो अब पीछे नही हटने वाली ऐसा सोच कर निकुंज बचने का कोई बहाना ढूँढने लगा ..पर सही मायनो मे उसका लंड इस वक़्त शून्य हो चला था

" मोम मुझे टाय्लेट जाना है ..ज़ोर से..... "

निकुंज ने पुरज़ोर ताक़त खुद के अंदर समेटी और इससे पहले कम्मो अपना हाथ उसकी अंडरवेर मे डाल पाती ..उसने कार का गेट ओपन कर दिया, तेज़ी दिखाते हुए वो नीचे उतरा और लंगड़ा कर दूर बनी झाड़ियों के करीब जाने लगा
 
कम्मो हताश हो कर रह गयी, बेटे के कष्ट को उसने उसकी लड़खड़ाती चाल मे महसूस कर लिया

" अंजाने मे मुझसे ये क्या हो गया ...मैने जान कर नही किया "

खुद को कोसने के लिए उसके स्वर बाहर निकल आए, आँसू भी आ सकते थे ..परंतु इस पल उसने धैर्य से काम लेना उचित समझा ..जानती थी निकुंज उसके आँसूओ मे पिघल जाएगा, और अपनी ही ग़लती मान कर उससे और दूर जाने की कोशिश भी कर सकता है

वहीं झाड़ियों मे निकुंज ने एक बार पीछे मूड कर देखा ..कहीं उसकी मा घबराहट मे उसके साथ ही कार से बाहर नही उतर गयी हो ..रात का अंधकार कयि गुना ज़्यादा फैल चुका था और बीच सुनसान हाइवे पर किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना घट सकती थी

जाने क्यों उसका मन अब पेशाब करने को नही हुआ, ' भयवश ' की उसकी मा कार मे अकेली है ..पेशाब बाहर आता भी तो कैसे, उसने पेन की परवाह ना करते हुए खुद की हालत को सही बनाने की कोशिश की और इस बार लौट-ते वक़्त बिना कोई दर्द भरा एक्सप्रेशन दिए ड्राइविंग सीट पर बैठ गया

" उफफफफ्फ़ !!!! बहुत तेज़ लगी थी "

एक छोटी सी झूठी स्माइल पास कर उसने कार स्टार्ट कर ली और सफ़ारी वापस रोड पर दौड़ने लगी ..खुद की हालत सही बनी रहे इसके लिए निकुंज ने अपना ध्यान सिर्फ़ सड़क को देखने मे व्यस्त कर लिया, परंतु जो चोट उसके लंड पर लगी थी शायद फ्यूचर मे उसे सिर्फ़ हानि ही पहुचाती ..उसे लगने लगा जैसे लंड नाम की कोई चीज़ उसकी बॉडी से जुड़ी ही ना हो .. सब कुछ इतना अचनाक हो गया था कि एक नज़र लंड की सही हालत देखने के लिए भी उसके पास वक़्त नही रहा

" टाय्लेट कर लिया ना निकुंज ? "

एक प्रश्नवाचक भाव देते हुए कम्मो ने पूछा, बेटे का इतनी जल्दी वापस लौट आना और अब दर्द का नामो-निशान तक मिट जाना, उसके मन को शंकित करने लगा

" ह ..हां मोम ..कर लिया "

निकुंज ने जवाब दिया पर उसकी आवाज़ मे ज़रा भी दम नही था, कम्मो रिलॅक्स होने के बजाए और ज़्यादा सकते मे आ गयी

" ये मुझसे झूट बोल रहा है ..पर क्या जानता नही, मैं इसकी मा हूँ "

कम्मो शांत हो गयी ..चाहती तो थी अभी सारी बात पूच्छ ले ..अपनी शंका कर निवारण कर ले ..परंतु इस वक़्त वो सफ़र मे हैं, शायद निकुंज को उसके सवाल-जवाब से हिचकिचाहट हो ..पुणे आने मे अभी वक़्त था ..हो सकता है वो ठीक से कार ड्राइव भी नही कर पाए

कम्मो शांत बैठ गयी ..बस अपना दिमाग़ शांत नही कर पाई, बेटे को चोट लगी वो भी ऐसी जगह जिससे उसका फ्यूचर जुड़ा हुआ है ..कल को अगर ज़्यादा दिक्कत हुई, वो तनवी को क्या मूँह दिखाएगी ..क्यों हुई उसके बेटे की ऐसी हालत ..कौन ज़िम्मेदार है इसका

निकुंज लगातार ड्राइव करता रहा ..एक पल को भी उसने अपनी मा को या नीचे जीन्स की तरफ नही देखा ..ऐसा शो करने लगा जैसे थोड़ी देर पहले कुछ हुआ ही नही हो ..और इन्ही सोचो के साथ वो पुणे सिटी मे एंटर हो गये

पिच्छले 2-4 घंटो मे उनके बीच नाम मात्र का वार्तालाप नही हुआ था ..कम्मो आँख मून्दे ज़रूर बैठी रही परंतु हक़ीक़त मे उसका मन ज़ोरों से रो रहा था, चीख रहा था, चिल्ला रहा था ..बेटे की इस हालत की ज़िम्मेदार मा खुद को कोसने मे इतनी मगन थी कि उसे पता ही नही चला कब निकुंज ने सफ़ारी को एक बढ़िया से होटेल की पार्किंग मे खड़ा कर दिया

" मोम हम पुणे पहुच गये हैं "

निकुंज ने कहा और साथ ही ड्राइविंग सीट का गेट ओपन करने लगा ..अचानक से वो पलटा और कम्मो की तरफ नज़र डाली, वो सो रही है ऐसा सोच कर उसने अपना हाथ, उसके कंधे को छुने के लिए आगे बढ़ाया

" मोम को आज बहुत दुखी कर दिया मैने ..मैं कभी उनसे नज़रें नही मिला पाउन्गा, लेकिन खुद से दूर भी तो नही होने दे सकता "

उसने कम्मो के कंधे को स्पर्श किया

" मोम !!!! "

दो रस भरे बोल उसके होंठो से फुट पड़े और बेटे के मूँह से संबोधन पाकर कम्मो ने अपनी आँखें खोल दी ..वो सोई नही थी ..ज़िंदा लाश बनी लेटी थी

" होटेल मे सो जाना, चलें "

बड़े प्यार से उसने कम्मो की आँखों मे झाँका, जो प्रेम वो पिच्छले 2 दिनो मे भूल चुका था, नफ़रत मे परिवर्तित कर चुका था ..इस वक़्त कम्मो की आँखों मे देख कर जताने लगा .. ' मुझे माफ़ कर दो ..अब से आप का दिल कभी नही दुखाउन्गा "

" मैं समान उतारता हूँ "

इसके आगे या तो कम्मो रो देती या वो खुद ..फॉरन उसने कार से बाहर जाने का निर्णए लिया ..कार की बॅक सीट से लगेज उतारते ही होटेल का करम्चारि सफ़ारी के पास दौड़ा चला आया

" वेलकम सर ..आप चलिए लगेज मैं ले आउन्गा "

देरी से आने की माफी माँगते हुए बंदे ने निकुंज के हाथ से बेग ले लिया ..कम्मो भी अपना हॅंडबग लिए कार से बाहर आ गयी

काउंटर पर पहुच कर निकुंज ने डबल बेड रूम की डिमॅंड की

" बेटा सिंगल - सिंगल ले ले, तुझे प्राब्लम होगी "

कम्मो नही चाहती थी निकुंज को उसके साथ कमरा शेअर करना पड़े ..वजह थी बेटे की चोट ..कम्मो के साथ एक रूम मे वो खुद को अनकंफर्टबल महसूस नही करता और शायद उसकी परेशानियाँ घटने की बजाए और ज़्यादा बढ़ जाती

" मुझे क्या प्राब्लम होगी मोम ..यदि आप को हो तो बताओ ..सिंगल ले लेंगे "

निकुंज ने रास्ते मे ही फ़ैसला कर लिया था, कम्मो को अकेले नही छोड़ेगा ..कम से कम आज की रात तो बिल्कुल नही ..क्या पता उसकी मा खुद को कोई नुकसान पहुचा ले ..कम्मो के सॉफ दिल को वो बचपन से देखता आया था, खुद की ग़लती आज तक उसकी मा ने किसी और पर नही थोपी थी

" जैसी तेरी मर्ज़ी "

बस इतना कह कर कम्मो ने डबल रूम बुक करने की स्वीकृति दे दी ..जल्द ही दोनो रूम मे पहुच गये और कुछ देर बाद डिन्नर भी अपनी मा की पसंद का मंगवा कर, निकुंज सोफे पर लेटने के लिए चल पड़ा ( डिन्नर के वक़्त उनके दरमियाँ सिर्फ़ हल्की फुल्की आइ कॉनटॅकटिंग हुई थी, जिसे आप सब खुद इमॅजिन कर सकते हैं )

" बेवकूफ़ समझता है ..अभी इतना भी बड़ा नही हुआ कि मा के साथ सो ना सके ..चल आ इधर "

कम्मो ने उसे डाट लगाते हुए कहा ..उसे गिल्ट फील हुआ कि आज उसके बेटे को अपनी मा के साथ सोने मे शरम आ रही है, अगर ये हादसे पैदा नही हुए होते तो क्या तब भी निकुंज उससे अलग सोता .. ' कभी नही '

" मोम आप सो जाओ मैं ठीक हूँ "

निकुंज नही माना और सोफे पर लेट गया

" अब तू थप्पड़ खाने वाला है ..चल आ इधर "

कम्मो ने ज़ोर जबर दस्ती करते हुए आख़िर-कार उसे मना ही लिया ..लेकिन बेड पर आने के बाद भी उनके बीच की दूरी, दोनो मे से कोई कम नही कर सका

" सुबह पास के किसी स्टोर से शॉपिंग कर लेना ..गुड नाइट मोम "

इतना कह कर निकुंज ने उसे विश किया और लॅंप ऑफ कर के, करवट ले कर सो गया ..कम्मो की आँखें तब तक रोती रही, जब तक वो नींद मे नही जा पाई और जब नींद आई ..बाहर हल्का - हल्का उजाला निकल आया था

.

.

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सुबह के 5:30 बजे कम्मो को अपने बदन मे ठंडक का एहसास हुआ और उसकी नींद खुल गयी ..इस हिसाब से वो सिर्फ़ 30 मिनट ही सो पाई थी

आँखें खुलने के बाद उसने निकुंज की तरफ करवट लिया जो बेड पर मौजूद नही था ..घबराहट मे ही सही उसे डर लगा और वो बेड पर उठ कर बैठ गयी

" कहाँ जा सकता है ? "

तभी उसके कानो मे बाथरूम के अंदर चलते शवर की आवाज़ सुनाई पड़ी

" ये इतनी सुबह कैसे नहाने लग गया ? "

आश्चर्य से उसने बाथ-रूम के बंद गेट को देखा और उसके बाहर आने का इंतज़ार करने लगी ..खुद उसे भी अब पेशाब करने की तीव्र इक्षा होने लगी थी
 
टाइम तेज़ी से बीत-ता गया, पर निकुंज अब तक बाहर नही निकला ..शंकित मन से कम्मो ने उसे आवाज़ देना चाही, लेकिन ना जाने क्यों उसे लगा जैसे बाथ-रूम के अंदर कोई तो गड़बड़ चल रही है

" दरवाज़ा बंद है, शवर भी शालु है ..फिर पिच्छले 45 मिनट से अंदर क्या कर रहा होगा ? "

कम्मो बेड से नीचे उतर गयी, दबे पाव गेट पर पहुचने मे उसे ज़्यादा वक़्त नही लगा और जैसे ही उसने अपने कान गेट पर लगाए, अंदर उसका बेटा किसी से फोन पर बातें करता जान पड़ा

.

.

निकुंज वाय्स :- " यार पिच्छले 1 घंटे से लगा हूँ ..खड़ा ही नही हो रहा "

आवाज़ बेहद दबी थी पर फिर भी कम्मो को सुनाई दे गयी ..हैरानी मे उसने अपने मूँह पर हाथ रख लिया ये जान कर .. ' अंदर उसका बेटा मास्टरबेट कर रहा है '

.

( सिर्फ़ निकुंज के आवाज़ें ही उसे सुनाई दे रही थी ..फोन की अगली साइड कौन था, या क्या कह रहा था ..उसे पता नही चल पाया )

.

निकुंज वाय्स :- " यार कल रात टेबल के कोने से टकराकर लंड पर गहरी चोट आ गयी थी ..अब उस टाइम कौन सा क्लिनिक खुला मिलता ..तभी सोचा मूठ मार कर देख लू ..शायद कोई हल निकल जाए ..पर ऐसा लगता है, अब मेरी लाइफ ख़तम ..साला पता ही नही चल रहा लंड बॉडी से अटॅच है भी या नही "

बाहर कम्मो अत्यंत गंभीरता से बेटे की बातों को सुनने लगी ..उसके मश्तिश्क मे भूचाल आ गया ये सुन कर .. ' लंड खड़ा क्यों नही हो रहा ..उसमे जान क्यों नही आ रही ? '

.

निकुंज वाय्स :- " यार मज़ाक छोड़ मेरी फ्यूचर लाइफ का सवाल है "

.

निकुंज वाय्स :- " अबे कोई गर्लफ्रेंड नही मेरी, तेरी भाभी भी अब तक नही आई ..क्या करूँ बता ना साले "

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निकुंज वाय्स :- " हां नसें बेजान हो गयी हैं ..आयिल मसाज तू ठीक कह रहा है "

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निकुंज वाय्स :- " यार रंडी के पास नही जाता, तुझे पता तो है ..अब किससे चुस्वाउ ..हां समझ रहा हूँ तेरी बात, करेंट नही मिल रहा होगा ..पर ये टेंपोररी झटका कहीं मेरी पूरी ज़िंदगी खराब ना कर दे "

.

निकुंज वाय्स :- " आह्ह्ह्ह !!!! हां बॉल्स मे तो पेन हो रहा है, लाइव हैं "

.

निकुंज वाय्स :- " नही यार किसी रंडी से नही चुस्वा सकता ..अच्छा क्या इससे जान आ जाएगी ? "

.

निकुंज वाय्स :- " मालिश के साथ ब्लोवजोब ..फिर वही बात, नही हो पाएगा ..चल अब मेरा दिमाग़ मत खा मैं रख रहा हूँ ..आगे जो भी होगा आख़िर भुगतना तो मुझे ही है ..बाइ "

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निकुंज ने यहाँ कॉल कट किया और कम्मो उसी तरह दबे पाव बेड पर जा कर लेट गयी ..उसकी पेशाब घबराहट मे ख़तम सी हो गयी थी ..इससे पहले वो कुछ और सोच पाती ..बाथ-रूम का गेट खोल कर निकुंज बाहर निकल आया ..फॉरन कम्मो ने अपनी आँखें बंद की और गहरी नींद मे होने का नाटक करने लगी

कुछ देर बाद निकुंज ने साथ लाया ट्रॅक पहेन लिया और दैनिक रन्निंग के लिए निकल पड़ा ..लेकिन उसके मन मे तो यही आ रहा था, वापस होटेल लौटे ही नही ..ट्रेन के नीचे कट कर मर जाए

.वो रूम से बाहर निकल गया ..मेन गेट बंद होते ही कम्मो ने वापस अपनी आँखें खोल ली, जिनमे से अब ढेरो आँसू बह रहे थे

फॉरन उसने अपनी दोस्त नीमा का नंबर. डाइयल किया

" हेलो नीमा ..मुझे ये बता किस आयिल की मसाज पेनिस के लिए ठीक रहती है, और हां ( पॉज़ ) ..प ..पर्फेक्ट ब्लोवजोब कैसे दिया जाता है ..बकवास मत करना, सीधे मेरे सवालो के जवाब दे ..अच्छा ठीक है मैं 30 मिनट से रिटर्न कॉल करती हूँ ..बाइ "

इतनी बात होने के बात कॉल कट हो गया और कम्मो अचेत हो कर वापस बेड पर गिर पड़ी ....
 
पापी परिवार--39

इन मुंबई :-

मार्केट मे तीनो बास्किन &;; रॉबिन्स स्टोर पर पहुचे ( आइस-क्रीम )

" चलो जिसे जो ऑर्डर करना हो कर दे "

दीप ने अपनी दोनो बेटियों के चेहरे पर सरसरी निगाह डालते हुए कहा ..निम्मी का उतावला पन और निक्की का शांत, उदास मन उसकी आँखों से नही छुप सका

" नही - नही !!!! आज मटका कुलफी खाना है ..लेकिन उसके पहले ढेर सारी पानी - पूरी "

इससे पहले तीनो मे से कोई भी कार से बाहर उतरता ..निम्मी ने एक और डिमॅंड पेश कर दी

" निम्मी अब मटका कुलफी कहाँ मिलेगी, मुझे नही पता ..हां पानी - पूरी ज़रूर खा लेना "

ड्राइविंग सीट के बगल मे बैठी निम्मी से दीप ने कहा

" चाहिए माने चाहिए, कहीं भी ढूंढीए "

निम्मी अपना मूँह फुलाते हुए बोली और इसके साथ ही निक्की के चेहरे पर खोई मुस्कुराहट वापस लौट आई ..बहेन की ज़िद से ना वो अंजान थी ना दीप

" हां डॅड !!!! मटका कुलफी खाए तो बरसो बीत गये, थोड़ा सर्च कर लेते हैं ..कहीं ना कहीं मिल ही जाएगी "

निक्की ने पिच्छली सीट से थोडा आगे को झुक कर निम्मी के गले मे अपनी बाहें डाल दी ..और बड़े प्यार से उसके मुलायम गालो को मसल्ने लगी ..प्यार तो उसे निम्मी से बेहेद था, पर जता नही पाती थी

[ कुछ भी कहा जाए ' चावला ' फॅमिली का मैं अट्रॅक्षन रघु के बाद, अब सिर्फ़ निम्मी थी ..उसकी अठखेलियाँ, नादानी, पल मे नाराज़गी, पल मे प्यार ..जो जी मे आया बिना सोचे कह देना, पसंद आए तो ठीक .. ' माफी की उम्मीद :- माइ फुट '

पूरे परिवार मे निम्मी अकेली शॅक्स थी, जो जब चाहे किसी के भी रूम मे बिना बताए चली जाती, गले लग जाती, गोद मे बैठ जाती ..फिर चाहे वो गोद उसके डॅड की हो या भाई निकुंज की

सबसे बड़ी बात जो निम्मी के अंदर देखी जा सकती है ..लिहाज और शरम से उसका रिश्ता कोसो दूर था ..कैसे भी कपड़ो मे वो पूरे घर मे घूम लेती, फिर चाहे घर के मर्द उत्तेजित क्यों ना होते रहें ..परिवार का हर सदस्य, चाहे मेल हो या फीमेल ..सभी उसकी प्यारी, छोटी, चंचल, कुँवारी चूत का दीदार अक्सर कर लेते ..पैंटी तो नाम मात्र के लिए पहनी होगी उसने अपने जीवन मे..लेकिन चाह कर भी कोई ज़्यादा दिन तक उस द्रश्य को अपने मश्तिश्क मे क़ैद नही रख पाता ..शायद यही वजह थी जो निम्मी को बिगड़ने का बल मिला और आज बात यहाँ तक पहुच गयी कि उसका सगा पिता, उसके नाम से थर-थर कांपता है / कब विस्फोट हो जाए पता नही ]

" वाउ !!!! वो रहा पानी - पूरी का ठेला "

कार थोड़ी आगे बढ़ी और निम्मी ने चिल्ला कर अपने हाथ से रोड की दूसरी साइड खड़े ठेले की तरफ इशारा किया ..दीप ने फॉरन कार को लेफ्ट मूव किया लेकिन इससे पहले ही उस शैतान ने हॅंड-ब्रेक खीच दिया और गिरने की परवाह किए बागेर ही डोर खोल कर रोड को पार करने लगी

" बेवकूफ़ कहीं की ..निम्मी रुक "

दीप भी चीखा, कार एक झटके के साथ बंद हो गयी और रोड के रश ट्रॅफिक को ध्यान मे ना लाते हुए, वो भी निम्मी के पीछे दौड़ पड़ा

सामने से आती बेहद स्पीड कार की टक्कर निम्मी को ज़रूर लगती अगर दीप ने ज़बरदस्ती उसका हाथ ना पकड़ा होता

घबराहट मे निम्मी की आँखें बंद हो गयी और जब खुली तो उसने खुद को दीप की मज़बूत बाहों मे क़ैद पाया

" पागल है क्या ..बेवकूफ़ "

इसके साथ ही दीप बरस पड़ा ..निक्की भी कार से बाहर उतर आई ..लेकिन अपने डॅड के हाथों का इशारा पा कर वहीं खड़ी उनके लौट आपने का इंतज़ार करने लगी ..अंजाने भय ने उसके बदन को शून्य मे बदल दिया था

" डॅड बस करो ..नही खाना कोई मटका कुलफी "

डाट अगर पहले कभी सही होती, तो आज भी सह लेती ..जान कर की थोड़ी देर पहले उसके मरने के चान्सस 100% थे ..निम्मी के चेहरे पर भी गुस्सा छा गया

" तुझे समझ पाना नामुमकिन है निम्मी ..तू कुछ भी कर मुझे क़ुबूल होगा ..पर अपना ये बच्पना छोड़ दे "

बेटी की रग - रग से वाकिफ़ दीप ने टॉपिक का यहीं एंड कर दिया और दोनो कार के पास पहुच गये

" दी मैं और कुछ नही सुनूँगी ..मुझे घर जाना है "

निक्की उसे कुछ बोल पाती पर इससे पहले ही निम्मी ने उसके मूँह पर भी लगाम कस दी

तीनो घर की तरफ लौटने लगे ..जहाँ दीप निम्मी के बिहेवियर से तंग चुका था वहीं निक्की के मन मे कम्मो की कही बात याद आ गयी .. ' दोनो बहनो को साथ रहना चाहिए, निक्की !!!! बड़ी बहेन होने का फ़र्ज़ निभाना सीख '

घर की गली मे पहुचते ही निक्की का चेहरा खिल उठा

" डॅड एक मिनट. कार रोको "

दीप ने उसका कहा मान कर कार को रोक दिया

" जा शैतान कर ले अपने मन की ..वो सामने खड़ा है तेरी मटका कुलफी का ठेला "

निक्की ने अपने हाथ का इशारा करते हुए कहा

" मुझे नही खाना ..घर चलो "

मूँह फुलाए बैठी निम्मी ताड़ गयी कि अब दोनो बाप-बेटी उसे मनाने मे जुट जाएँगे

" अब नाटक मत कर ..कोई नाराज़ नही है तुझसे ..डॅड 1000/- का नोट ढीला करो फटाफट और मेरी पॉकेट मनी मे जोड़ देना "
 
निक्की ने उसे मक्खन लगाते हुए कहा और अगले ही पल निम्मी के हाथो मे 1000/- का करारा नोट आ गया

" मैं रिटर्न नही करने वाली, तू बाद मे चैंटना मत मुझसे "

कमीनी निम्मी ने अपने दाँत बाहर निकाल दिए और निक्की ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए हां का इशारा कर दिया

" डॅड ई'म सॉरी ..मैं इससे बड़ी हूँ, लेकिन इसे सुधार नही पाई ..ट्रस्ट मी !!!! आगे से इसे हमेशा अपने साथ रखूँगी "

निम्मी के थोड़ा दूर जाते ही निक्की ने दीप से कहा ..दीप उसकी बात पर मुस्कुराया लेकिन शंकित भाव से ..वो जानता था .. ' जब मा-बाप का कंट्रोल उसकी छोटी बेटी को नही सुधार पाया तो आगे कोई नही सुधार पाएगा '

थोड़ी देर मे निम्मी 3 कुलफियाँ हाथ मे लिए लौट आई ..1 निक्की के हवाले कर उसने दीप पर नज़र डाली और फॉरन अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसे चिढ़ा दिया

" दोनो मेरी हैं ..मेरे ख़याल से अब हमे घर चलना चाहिए "

अगले ही पल निक्की और दीप ज़ोरो से हँसने लगे ..शायद निम्मी का यही बच्पना था जो चाह कर भी कोई उससे ज़्यादा देर तक नाराज़ नही रह पाता था ..बक्की बातों मे उसकी बहुत जादू था, मर्द हो या औरत, अपने कंट्रोल मे कैसे लिया जाए ..निम्मी इसमे मास्टर थी

घर आते ही निक्की अपने रूम मे चली गयी और निम्मी अपने डॅड के साथ हॉल के सोफे पर पसर गयी ..हलाकी उनके बीच अब सिर्फ़ आइ कॉनटॅकटिंग ही शेष थी ..लेकिन इसमे भी निम्मी दीप पर कहेर धाने लगी

केयी तरह की सेडक्टिव आवाज़ें निकालते हुए निम्मी कुलफी को चूँसना स्टार्ट कर देती है, कभी पहली और कभी दूसरी ..मेल्ट कुलफी का लिक्विड उसकी उंगलयों से बह कर हाथो की कोहनियो तक पहुच गया था

" ह्म्‍म्म्म !!!! "

दीप ने पूरा मन बना रखा था, एक नज़र भी निम्मी की तरफ नही देखेगा ..लेकिन दोनो बेहद सॅट कर बैठे हुए थे, वो चाह कर भी सोफे से नही उठ पाया ..उसके कानो मे गूँजती मादक आवाज़ें ..कान के पर्दो को फाड़ने लगी ..थोड़ी देर बाद हालात ऐसे हो गये, दीप के लंड ने पॅंट मे सर उठाना शुरू कर दिया

निम्मी ने अपना काम ज़ारी रखा ..दोनो कुलफ़ियों के टॉप पर अपने दाँत गढ़ाते हुए उसने लंड के सुपाडे जैसा शेप बना लिया और मूँह मे गोल गोल घुमाते हुए पिघले रस को स्क्वर्ट करने लगी

" स्लप्र्रर्र्र्ररर !!!! "

इस मन्मोहक साउंड ने जैसे दीप का सारा कंट्रोल तोड़ दिया और उसने अपना चेहरा जो अब तक ऑपोसिट डाइरेक्षन मे मुड़ा हुआ था, निम्मी के फेस की तरफ घूमा लिया

निम्मी के फेस को देखते ही दीप की गान्ड फट गयी ..उसकी बेटी अपने रसीले होंठो पर कुलफी का टॉप ( सुपाड़ा ) रगड़ती हुई, उसके खड़े लंड को घूर रही थी ..निम्मी की आँखों मे उसने एक तरफ का उतावला पन महसूस किया, जैसे वो अपने डॅड के लंड को उस कुलफी से कंपेर कर रही हो

दीप को समझते देर नही लगी कि जो कुलफी चुसाई का ड्रामा इतनी देर से चल रहा है, वो असलियत मे उसके लंड को इमॅजिन करते हुए हो रहा है ..वो जितना निम्मी की आँखों मे देखता जाता, आँखें उतनी मादक आकार लेती जाती ..कुछ देर बाद उसकी बेटी जैसे किसी बाहरी दुनिया मे पहुँच गयी थी, उसकी पलकों ने जैसे झपकना ही छोड़ दिया

" आईईईई !!!! "

दीप सोफे पर उच्छल पड़ा, वजह थी सपनो मे खोई उसकी बेटी ने कुलफी की टिप को, ज़ोर से अपने दांतो मे भींच कर काट लिया ..अंजाने भय मे आ कर दीप ने फॉरन अपनी आँखें बंद कर ली ..और दुआ मनाने लगा कहीं फ्यूचर मे ये सब सच ना हो जाए ..निम्मी के मन को पढ़ना शायद किसी के बस मे नही था ..एक पल मे नाराज़ हो कर अगले चन्द ज़ेक्स. मे जो मुस्कुरा दे ..ऐसी थी उसकी छोटी बेटी

कुछ देर बाद सोफे पर हलचल हुई ..दीप चाह कर भी अपनी आँखें नही खोल सका, बस शूकर मनाता रहा ..उसकी बेटी उसके खड़े लंड को छु ना ले, यहाँ तक कि उसकी सोच इतनी आगे पहुच गयी जैसे निम्मी ने अपना चेहरा नीचे झुकाना शुरू कर दिया हो, दीप की साँसें रफ़्तार से फूलने लगी ..धीरे-धीरे उसकी बेटी इतने नीचे झुक गयी कि लंड और उसके चेहरे के बीच, ज़रा सा भी फासला नही बचा ..और इसके तुरंत बाद ही खड़ा लंड मुट्ठी मे कसा जा चुका था

" निम्मी !!!! "

दीप पूरी ताक़त से चीखा, लगा जैसे घर मे भूचाल आ गया हो ..फॉरन अपनी आँखें खोल कर उसने सोफे से उठना चाहा ..लेकिन ये क्या उसका लंड तो खुद, उसके हाथ मे था, निम्मी तो हॉल से जा चुकी थी

पसीने से लथपथ दीप को सम्हलने का मौका मिल पाता तब तक उसकी दोनो बेटियाँ हॉल मे दौड़ कर आ गयी

जहाँ निक्की के चेहरे पर घबराहट और सवाल था वहीं निम्मी उसे बेहद शांत खड़ी दिखाई दी, उसका राइट हॅंड जिससे थोड़ी देर पहले उसने कुलफी को पकड़ा हुआ था, एक के बाद एक उंगली उसके मूँह के अंदर जाती ..थोड़ी देर उसमे लगे मीठे रस का स्वाद चूसने के बाद, अगली उंगली का नंबर आ जाता

" वो ..वो डिन्नर का क्या करना है ? "
 
भयवश कहीं निक्की की नज़र उसके पॅंट के फुलाव पर ना पड़ जाए, दीप ने फॉरन पास रखी टेबल से अख़बार उठा लिया ..और सोफे पर वापस बैठते हुए अपनी टाँगो के ऊपर रख दिया

" ज़ोरों की भूक लगी है "

झूठी स्माइल देते हुए दीप ने अपनी घबराहट पर काबू पाना चाहा, जो घटने की बजाए और बढ़ने लगी, निम्मी उसके सोफे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी थी

" मोम बना कर गयी हैं, बस पाँच मिनट "

इतना कह कर निक्की किचन की तरफ मूड गयी, निम्मी का आगे को बढ़ता हर कदम दीप के रोंगटे खड़े करने को काफ़ी था ..मन मे ऊपर-वाले का नाम जप्ते हुए वो लगातार अपनी चोर नज़रों से उसके चेहरे को देखने की कोशिश मे लगा रहा ..वहीं उसकी बेटी का फेस एक्सप्रेशन इस वक़्त इतना नॉर्मल था जैसे कुछ देर पहले, कुछ हुआ ही ना हो ..आश्चर्य मे भर का दीप का हलक सूखने लगा, जिसे ना तो उसकी थूक तर कर पाती ना ही ए/सी की ठंडक

" निम्मी सामान को टेबल पर रखने मे हेल्प कर "

कानो मे अपनी बड़ी बहेन की आवाज़ सुनाई देते ही निम्मी के कदम पलट कर किचन की तरफ मूड गयी और दीप की जान मे जान लौट आई

" मेरे ही घर मे मेरा बलात्कार हुआ जा रहा है "

दीप ने माथे पर आए पसीने को पोन्छ्ते हुए कहा और साथ ही रिमोट से ए/सी के टेम. को 4 पॉइंट डाउन पर उतार कर, अख़बार से खुद को हवा लगाने लगा

.

.

अगले 30 मिनट. तक चले डिन्नर के दौरान ..निम्मी बिल्कुल चुप रही, शायद ही कोई शब्द उसने अपनी ज़ुबान से बाहर निकाला हो, सिर्फ़ अपनी प्लेट मे मूँह डाले खाती रही

दीप तो हैरान, परेशान था ही, कहीं ना कहीं निक्की को भी उसके चुप रहने से घुटन सी होने लगी ..कुछ भी हो निम्मी के बच्पने का आदि पूरा घर हो चुका था, और सभी उसे हमेशा इसी बच्पने मे देखना चाहते थे

दो रोटी खा कर निम्मी चेर से उठ गयी

" दी मैं सोने जा रही हूँ, आप कमरे मे आ जाना ..गुड नाइट "

रूखी सी आवाज़ मे अपनी छोटी सी बात कह कर निम्मी बहेन के कमरे की तरफ चल दी ..निक्की ने उसे कम खाने को ले कर टोका भी लेकिन वो बिना पीछे मुड़े रूम मे एंटर हो गयी

" बेटा मैं भी सोने जा रहा हूँ ..और हां तेरी मोम को कॉल कर दूँगा, उसका बेग यहीं छूट गया है "

दीप भारी मन से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए अपने कमरे मे पहुच गया ..निक्की को तो पता ही नही चला आख़िर बात क्या है, बस अनुमान स्वरूप ..उसकी मोम और भाई के दूर जाने का गम मान कर, वो भी उदास मन के साथ अपने कमरे की तरफ चल दी

बेड पर निम्मी उसे सोती दिखाई दी, प्रेमवश उसके माथे को चूमते हुए निक्की भी जल्द नींद के आगोश मे चली गयी

ओं 1स्ट फ्लोर ..दीप बेड पर सिर्फ़ शॉर्ट्स पहने लेटा, निम्मी के बारे मे सोच रहा था ..अचानक से उसकी बेटी इतनी शांत कैसे हो गयी, दीप को अचंभा हुआ ..दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर डालने की वजह से बीता पूरा सीन उसकी आँखों मे उतर आया और शॉर्ट्स के अंदर हाथ डाले कब वो मास्टरबेट करने लगा, उसे पता ही नही चला

इसी बीच उसने कम्मो को कॉल लगाया ..और लंड हिलाते हुए पूरा वीर्य अपने शॉर्ट्स मे निकाल दिया

.

.

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सुबह 6:30 बजे नीचे हॉल मे रखा लंड लाइन बजने लगा ..दीप की नींद एक पल मे हवा हो गयी, सारी रात सिर्फ़ निम्मी के बारे मे सोच कर वो ज़रा भी नही सो पाया था ..बेड से नीचे उतर कर उसने पोलो टी-शर्ट डाल ली और हॉल मे आ कर कॉल अटेंड किया

" हां बेटा ..ओके ओके ..चल रखता हूँ "

कॉल पर निकुंज ने उसे पुणे पहुचने की जानकारी दी और कुछ हल्की - फुल्की कॉन्वर्सेशन होने के बाद कॉल कट कर, दीप वहीं सोफे पर बैठ गया

.
 
ठीक 10 मिनट बाद उसे निम्मी सीढ़ियों से नीचे उतरती हुई दिखाई दी ..जाने कब वो निक्की के कमरे से अपने कमरे मे पहुचि

" गुड मॉर्निंग डॅड "

बड़ी कातिल स्माइल देते हुए उसने दीप के दोनो गालो को किस किया और पास रखे झाड़ू को उठाने चल दी

इस वक़्त निम्मी ने बेहद ढीली पर्पल लोंग टी-शर्ट और उसके नीचे कॉटन कपड़े का वाइट हाफ पॅंट पहेन रखा था ..एक तरह से उसका हाफ पॅंट तभी नज़र आता जब वो हल्का फूलका झुकती ..बाकी दूर से कोई नही कहता निम्मी ने टी-शर्ट के नीचे कुछ पहेन भी रखा है या नही

" झाड़ू !!!! "

दीप ने हैरत भरी निगाह अपनी बेटी पर डाली, यकीन से परे था निम्मी कभी सॉफ-सफाई के काम भी कर सकती है

.

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थोड़े अंतराल के बाद ही निम्मी ने अपना मॅजिक फिर से दिखाना शुरू कर दिया ..बड़े सेडक्टिव अंदाज़ मे वो आगे को झुकती और छोटे से पॅंट के अंदर छुपे उसके बड़े-बड़े गोल चूतड़ो का दीदार कर, दीप पर रात का बचा आधा नशा वापस हावी होने लगा

जब वो उसके काफ़ी नज़दीक से झाड़ू मारने लगी तब दीप को क्लियर पता चल गया, निम्मी ने हाफ पॅंट के अंदर पैंटी नही पहनी है, पॅंट टाइट होने से उसकी चूत का उभार काफ़ी उभार कर दिखाई दे रहा था ..और दोनो फांको की सेंटर लाइन पर नज़र जाते ही दीप का लंड शॉर्ट्स से बाहर आने की ज़िद पकड़ने लगा

" डॅड थोड़ा पैर ऊपर कीजिए, सोफे के नीचे सॉफ करना है "

दीप ने उसका कहा मान कर अपने दोनो पैर मोड़ कर सोफे पर रख लिए ..लेकिन यहाँ तो निम्मी जैसे उसे झाड़वा ही देती, दीप नेक टी-शर्ट से बाहर को उच्छाल खाती चुचियों को देखते ही दीप ने अपनी आँखें बंद कर ली और जब खोली तब निम्मी वहीं अपने घुटनो के बल बैठी उसके लंड को घूरती दिखाई पड़ी

.

.

" डॅड ..ये ग़लत है "

निम्मी ने उसके चेहरे को देख कर कहा, जो हाल ही फीका पड़ा गया

" डॅड मैं पूच्छ रही हूँ ....ये क्या है ? "

इस बार निम्मी की आवाज़ थोड़ी ज़्यादा तेज़ थी ..दीप ने घबरा कर अपनी बड़ी बेटी के कमरे के दरवाज़े को देखा, जो ओपन था

" क ..क ..क्या है ? "

हकलाते हुए दीप ने जवाब दिया ..वो सोफे से अब उठ नही पाता ..क्यों कि निम्मी उसके ठीक सामने अपने घुटने मोड बैठी थी ..साथ ही उसने अपने दोनो हाथो से सोफे के जायंट्स पकड़ रखे थे

" एनफ ईज़ एनफ डॅड ..एक बार नही, मैं तीन बार पकड़ चुकी हूँ ..आप जब-जब मुझे देखते हो ..आपका ..ये बड़ा क्यों हो जाता है ? "

दीप की तो जैसे सिट्टी - पिटी गुम हो गयी ..घबरा कर उसने अपने हाथ से खड़े लंड को छुपाना चाहा तभी निम्मी वापस गरज पड़ी

" हाथ हटाओ डॅड ..नही तो मैं दी को बुलाती हूँ ..अब वही आप से सवाल जवाब करेगी "

निम्मी ने अपना चेहरा निक्की के कमरे की तरफ घुमाया ही था कि दीप ने फॉरन अपना हाथ लंड से हटा कर निम्मी के मूँह पर रख दिया

" पागल पन मत कर निम्मी ..आइ'म सॉरी ..चल अब मुझे जाने दे "

दीप ने उसके मूँह को दबाते हुए बोला और तभी निम्मी ने अपने दोनो हाथो का क़ब्ज़ा सीधे उसके खड़े लंड पर कर दिया ..एक साथ जैसे दोनो के बदन झुलस कर रह गये ..जहाँ मस्ती मे भर का दीप के मूँह से करारी आह निकली, वहीं निम्मी की चूत से रस का बाहर आना शुरू हो गया

अपने आप दीप के हाथो की पकड़ उसके मूँह पर से ढीली हो गयी ..लेकिन निम्मी ने ज़रा भी संकोच नही दिखाया और केयी दफ़ा अपनी मुट्ठी को पंप करते हुए दीप को टीस करने लगी ..लंड इस वक़्त बेहद कड़क खड़ा था, जिसके हाथ मे आने के बाद निम्मी का जिस्म बुरी तरह से काँपने लगा ..पर किसी तरह की घबराहट का कोई एक्सप्रेशन दिए बगैर, वो गुस्से से भरी रही

" निम्मी माफ़ कर दे ..मैं तेरा डॅड हूँ बेटा ..छोड़ दे उसे "

दीप को लगा जैसे अभी हाल धरती फटे और वो सोफा समेत उसके अंदर समा जाए ..या उसके घर पर कोई बॉम्ब गिर पड़े ..या तूफान उसे उड़ा कर ले जाए ..लेकिन उस डिफयूज़र का क्या करे जो इस वक़्त अपने हाथो ने उसका हथियार पकड़े बैठी थी ..लंड मे उबाल आना दोगुना हो गया और दीप की साँसे मानो रुक सी गयी, उसे लगा कहीं अगले ही पल वो झाड़ ना जाए

" अच्छा जी !!!! आज मैने आप का नुनु पकड़ लिया तो बड़ी बातें आ रही हैं ..याद है उस दिन कैसे मेरी पुसी चाट रहे थे, और आस होल भी ..तब मैं आप को बेटी नज़र नही आई "

निम्मी ने अपनी नसीली आँखों से दीप को घायल कर दिया ..इस वक़्त उसका चेहरा मानो सिंदूर मे डूबा हुआ लाल दिखाई दे रहा था ..वहीं आगे को झुके होने से उसके बूब्स, डार्क ब्राउन निपल साहित दीप के लिए क्लियर विज़िबल थे

" वो ..वो उस वक़्त ...मैं तेरा इलाज कर रहा था "
 
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