hotaks444
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उसने अपने बीते सेक्षुयल जीवन में दर्ज़नो कुँवारी लड़कियों को कली से फूल बनाया था और उस दौरान लड़कियों की इस मार्मिक दुर्गति से भी वह भली - भाँति परिचित था .... निम्मी कोई अनोखी नही, जो उसके मोटे सुपाडे की पहली चोट पर बेहोश हो गयी .... अक्सर रोज़ चुदने वाली रंडियाँ भी उसकी हैवानियत से बुरी तरह काँप जाया करती थीं .... वह तो उसकी चोदन क्षमता और लंड की विकरालता का प्रभाव है .... जो आज भी उसके नीचे से गुज़र चुकी लौंडीयाँ उसे याद कर, हमेशा अपनी चूत में बढ़ती खुजाल का अनुभव करती होंगी.
लेकिन यहाँ बात अब उन रंडियों से संबंधित नही रही थी .... निम्मी उसकी सग़ी छोटी बेटी है और दीप इस बात को अब तक नही भूला था, हलाकी उसे लग रहा था अपनी बेटी की इस बेहोशी के फ़ायडे में वह इक - दो करारे स्ट्रोक अपनी तरफ से मार दे ताकि बात उसके सुपाडे से आगे बढ़ कर आधे लंड तक पहुच जाए और बाद में तो निम्मी को होश में आना ही है.
वह अपने कंधे पर टिका अपनी बेटी का निष्प्राण चेहरा हाथो से थाम कर अपने चेहरे के ठीक सामने ले आया .... निम्मी की साँसे ज़ारी थी परंतु आँखें पूरी तरह से बंद और उसका चेहरा उसके दर्द को सॉफ बयान कर रहा था .... दीप से रहा नही गया और उसने अपनी बेटी के निच्छले होंठ को अपने होंठो के दरमियाँ फसा लिया .... अब वह उसके लोवर लिप को चूसने लगा, एक अजीब सी गंगनाहट से उसका स्वयं का जिस्म काँपने लगा .... इन्सेस्ट रिलेशन्स में आप भले ही संसर्ग स्थापित करने में कामयाब हो जाओ परंतु होंठो का चुंबन एक ऐसी कामुक अवस्था होती है जो हर शारीरिक सुख से परे जान पड़ती है.
यही इस वक़्त दीप के साथ हुआ .... कितने सॉफ्ट होंठ हैं उसकी बेटी के, चॉक्लेट ग्लॉस का हल्का - हल्का फल्वौर भी वह स्वाद के रूप में महसूस कर पा रहा था .... अब तक जो हुआ उसमें निम्मी सचेत थी लेकिन अब दीप अपनी मर्ज़ी से उसके लिप्स चूसने लगा .... वह इस अधभूत कल्पना में खो सा गया था और अपने हाथ से उसने बेटी के मुलायम गालो पर दबाव दिया .... उसका मूँह खुलते ही दीप ने उसकी गुलाबी जिह्वा को अपने होंठो के बीच फसा लिया और अब उसे खुद होश नही रहा कि कितनी देर तक उसने निम्मी के मुख का रस्पान किया होगा.
हौले - हौले उसकी बेटी भी अपने होंठो को हिलाने लगी .... उसके अचेत जिस्म में हलचल होने लगी और ज्यों ही दीप ने यह जाना .... उसने अपने हाथो को उसकी आर्म्पाइट्स के नीचे करते हुए ताक़त से उसे ऊपर खीचा और उसे अपनी नंगी छाती से चिपका लिया .... एक सोडा की बॉटल का ढक्कन खुलने पर जिस तरह की आवाज़ करता है .... ठीक वैसा ही साउंड दीप ने भी सुना क्यों कि उसका सुपाड़ा उसकी बेटी की टाइट चूत से बाहर निकल आया था.
" म्म्म्ममममममम डॅडी !!! " ........ निम्मी एक बार फिर दर्द से तड़प उठी .... दीप उसे सेम पोज़िशन में पकड़े हुए सोफे से उठ कर बेड की तरफ बढ़ने लगा ........ " बस अब सब ठीक है .. तू कोई फिकर मत कर .. मैं हूँ ना तेरे पास " ........ इतना कहते हुए उसने अपनी बेटी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी लंबी टाँगो को विपरीत दिशा में फैला कर खुद उनके दरमियाँ पसरने लगा.
चूत से ब्लड निकलना तो कब का बंद हो चुका था लेकिन वह बहुत ज़ख़्मी थी .... उसके होंठ भी अब काफ़ी खुले हुए नज़र आ रहे थे .... दीप एक बार फिर हरक़त में आया और उसने फॉरन निम्मी के सूजे भंगूर को चूसना शुरू कर दिया .... अपने वाइल्ड नेचर का बखूबी परिचय देते हुए उसे ज़रा भी घिन महसूस नही हुई कि वह एक खून से लिप्त चूत चाट रहा है .... उसके मश्तिश्क में तो बस कैसे भी कर अपनी बेटी को वापस होश में लाना घूम रहा था और साथ ही वह चाहता था .... बीते छनो में जो भी सूखापन निम्मी की चूत के अंदर आया था वह उससे जल्द ही मुक्त हो जाए.
" आआहह डॅड !!! पेन होता है " ........ निम्मी ने उसके बालो पर अपना हाथ रखते हुए कहा परंतु उसकी आवाज़ में लेशमात्रा भी पीड़ा भाव नही था .... या शायद अपने भज्नासे को अपने पारंगत पिता के अनुभवी होंठो द्वारा चूसा जाना उसे दोबारा मदहोशी से भरने लगा था.
" पागल लड़की !!! जब कुछ पता नही था तो इतनी जल्दबाज़ी की क्या ज़रूरत थी ? " ........ जब दीप जान गया उसकी बेटी अब पूर्ण रूप से अपना खोया होश सम्हाल चुकी है, वह उसकी टाँगो की जड़ से अपना मूँह ऊपर उठाते हुए बोला .... जाने निम्मी को उस वक़्त क्या महसूस हुआ और खुद - ब - खुद उसके चूतड़ अपने पिता के चेहरे के साथ ही ऊपर खींचे चले जाए .... जैसे दीप के होंठो में कोई मॅगनेट लगा हुआ हो .... या शायद वह चाहती थी कुछ देर और दीप उसकी ज़ख़्मी चूत चाटे जिसमें से अब वापस रति - रस का अनियंतित बहाव बहना शुरू हो चुका था.
" तू अब कुँवारी लड़की नही रही .. पता है ना तुझे ? " ......... दीप ने एक आख़िरी बार अपनी बेटी की अति नाज़ुक व रस भीगी चूत का गहरा चुंबन लेते हुए उससे पूछा और इसके बाद वह उसके समानांतर अपनी पीठ के बल लेट गया .... ज्यों ही उसने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ा .... वह उसे मुस्कुराती दिखाई पड़ी .... दीप यह देखते ही असीम आनंद में पहुच गया, अब उसकी बेटी के खूबसूरत तंन के साथ उसके अविकसित मन पर भी उसका पूरा नियंत्रण हो चला था.
" देख कितना रोई थी तू !!! चल छोड़ अब घर चलते हैं .. इससे आगे जाना ठीक नही " ........ वह अपने लंड के सुपाडे की तरफ इशारा करते हुए बोला जिस पर अपनी ही सग़ी बेटी का कुँवारापन नष्ट करने का साक्ष्य लगा हुआ था .... लेकिन निम्मी उसकी इस बात पर स्तंभ रह गयी .... उसकी चूत तो अब भी अपने पिता का विशाल लॉडा खाने को मचल रही थी और उसकी हसरत भरी निगाहें बड़ी लालसा लिए दीप के खड़े लंड पर टिकी हुई थी.
दीप ने जब देखा निम्मी उदास होने लगी है .... वह बिस्तर से फॉरन उठ कर अपनी बेटी के नंगे जिस्म के ऊपर लेट गया ....... " चल नाराज़ मत हो लेकिन यह बात हमारे बीच राज़ रहेगी .. वादा कर मुझसे " ....... अपने पापी पिता के इस कथन पर निम्मी की आँखें खुशी डॅब्डबॉ गयी और दीप ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.
" डॅड !!! मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ .. प्लज़्ज़्ज़ मुझे अपना बना लो " ......... निम्मी के यह कॉन्फिडेन्स भरे शब्द सुन कर दीप को कामसुरता के आख़िरी पड़ाव को पार करने की पूर्ण मंज़ूरी मिल गयी ........ " मैं भी बेटा " ......... और यह कहते हुए उसने अपना रक्त रंजित सुपाड़ा अपनी बेटी के ज़ख़्मी चूत मुख पर सटा दिया .... जिसके पश्चात ही निम्मी ने अपने जबड़े ताक़त से भींच लिए.
" कुछ दुखन तो नही है ना ? ......... दीप ने अपनी कमर को हल्का सा झटका देते हुए पूछा.
" उफफफफफ्फ़ ..... म्म्म्ममममममम !!! न .. न .. नही है " ........ अपने दर्द को पिता पर ज़ाहिर ना करते हुए निम्मी सिसकी परंतु वह अंजान भी नही थी .... वह अच्छे से जानती थी उसके पिता ने यह बात पास्ट में कयि लड़कियों से पूछि होगी लेकिन यह तो अपवाद था जो वे इस तरह आमने सामने आए थे.
चूत के ल्यूब्रिकेशन से अपने सुपाडे को भिगाने के बाद दीप ने देर नही की और उसने निम्मी की जाँघो को ऊपर उठाते हुए उसकी गोल मोटी चूचियों से जोड़ दिया .... चूत उसके विकराल लंड का पहला झटका खाने के बाद अब काफ़ी खुल चुकी थी और दीप ने अपने सुपाडे को उसके ऊपर टारगेट करते हुए बड़े आराम से उसे अंदर धकेला.
लेकिन यहाँ बात अब उन रंडियों से संबंधित नही रही थी .... निम्मी उसकी सग़ी छोटी बेटी है और दीप इस बात को अब तक नही भूला था, हलाकी उसे लग रहा था अपनी बेटी की इस बेहोशी के फ़ायडे में वह इक - दो करारे स्ट्रोक अपनी तरफ से मार दे ताकि बात उसके सुपाडे से आगे बढ़ कर आधे लंड तक पहुच जाए और बाद में तो निम्मी को होश में आना ही है.
वह अपने कंधे पर टिका अपनी बेटी का निष्प्राण चेहरा हाथो से थाम कर अपने चेहरे के ठीक सामने ले आया .... निम्मी की साँसे ज़ारी थी परंतु आँखें पूरी तरह से बंद और उसका चेहरा उसके दर्द को सॉफ बयान कर रहा था .... दीप से रहा नही गया और उसने अपनी बेटी के निच्छले होंठ को अपने होंठो के दरमियाँ फसा लिया .... अब वह उसके लोवर लिप को चूसने लगा, एक अजीब सी गंगनाहट से उसका स्वयं का जिस्म काँपने लगा .... इन्सेस्ट रिलेशन्स में आप भले ही संसर्ग स्थापित करने में कामयाब हो जाओ परंतु होंठो का चुंबन एक ऐसी कामुक अवस्था होती है जो हर शारीरिक सुख से परे जान पड़ती है.
यही इस वक़्त दीप के साथ हुआ .... कितने सॉफ्ट होंठ हैं उसकी बेटी के, चॉक्लेट ग्लॉस का हल्का - हल्का फल्वौर भी वह स्वाद के रूप में महसूस कर पा रहा था .... अब तक जो हुआ उसमें निम्मी सचेत थी लेकिन अब दीप अपनी मर्ज़ी से उसके लिप्स चूसने लगा .... वह इस अधभूत कल्पना में खो सा गया था और अपने हाथ से उसने बेटी के मुलायम गालो पर दबाव दिया .... उसका मूँह खुलते ही दीप ने उसकी गुलाबी जिह्वा को अपने होंठो के बीच फसा लिया और अब उसे खुद होश नही रहा कि कितनी देर तक उसने निम्मी के मुख का रस्पान किया होगा.
हौले - हौले उसकी बेटी भी अपने होंठो को हिलाने लगी .... उसके अचेत जिस्म में हलचल होने लगी और ज्यों ही दीप ने यह जाना .... उसने अपने हाथो को उसकी आर्म्पाइट्स के नीचे करते हुए ताक़त से उसे ऊपर खीचा और उसे अपनी नंगी छाती से चिपका लिया .... एक सोडा की बॉटल का ढक्कन खुलने पर जिस तरह की आवाज़ करता है .... ठीक वैसा ही साउंड दीप ने भी सुना क्यों कि उसका सुपाड़ा उसकी बेटी की टाइट चूत से बाहर निकल आया था.
" म्म्म्ममममममम डॅडी !!! " ........ निम्मी एक बार फिर दर्द से तड़प उठी .... दीप उसे सेम पोज़िशन में पकड़े हुए सोफे से उठ कर बेड की तरफ बढ़ने लगा ........ " बस अब सब ठीक है .. तू कोई फिकर मत कर .. मैं हूँ ना तेरे पास " ........ इतना कहते हुए उसने अपनी बेटी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी लंबी टाँगो को विपरीत दिशा में फैला कर खुद उनके दरमियाँ पसरने लगा.
चूत से ब्लड निकलना तो कब का बंद हो चुका था लेकिन वह बहुत ज़ख़्मी थी .... उसके होंठ भी अब काफ़ी खुले हुए नज़र आ रहे थे .... दीप एक बार फिर हरक़त में आया और उसने फॉरन निम्मी के सूजे भंगूर को चूसना शुरू कर दिया .... अपने वाइल्ड नेचर का बखूबी परिचय देते हुए उसे ज़रा भी घिन महसूस नही हुई कि वह एक खून से लिप्त चूत चाट रहा है .... उसके मश्तिश्क में तो बस कैसे भी कर अपनी बेटी को वापस होश में लाना घूम रहा था और साथ ही वह चाहता था .... बीते छनो में जो भी सूखापन निम्मी की चूत के अंदर आया था वह उससे जल्द ही मुक्त हो जाए.
" आआहह डॅड !!! पेन होता है " ........ निम्मी ने उसके बालो पर अपना हाथ रखते हुए कहा परंतु उसकी आवाज़ में लेशमात्रा भी पीड़ा भाव नही था .... या शायद अपने भज्नासे को अपने पारंगत पिता के अनुभवी होंठो द्वारा चूसा जाना उसे दोबारा मदहोशी से भरने लगा था.
" पागल लड़की !!! जब कुछ पता नही था तो इतनी जल्दबाज़ी की क्या ज़रूरत थी ? " ........ जब दीप जान गया उसकी बेटी अब पूर्ण रूप से अपना खोया होश सम्हाल चुकी है, वह उसकी टाँगो की जड़ से अपना मूँह ऊपर उठाते हुए बोला .... जाने निम्मी को उस वक़्त क्या महसूस हुआ और खुद - ब - खुद उसके चूतड़ अपने पिता के चेहरे के साथ ही ऊपर खींचे चले जाए .... जैसे दीप के होंठो में कोई मॅगनेट लगा हुआ हो .... या शायद वह चाहती थी कुछ देर और दीप उसकी ज़ख़्मी चूत चाटे जिसमें से अब वापस रति - रस का अनियंतित बहाव बहना शुरू हो चुका था.
" तू अब कुँवारी लड़की नही रही .. पता है ना तुझे ? " ......... दीप ने एक आख़िरी बार अपनी बेटी की अति नाज़ुक व रस भीगी चूत का गहरा चुंबन लेते हुए उससे पूछा और इसके बाद वह उसके समानांतर अपनी पीठ के बल लेट गया .... ज्यों ही उसने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ा .... वह उसे मुस्कुराती दिखाई पड़ी .... दीप यह देखते ही असीम आनंद में पहुच गया, अब उसकी बेटी के खूबसूरत तंन के साथ उसके अविकसित मन पर भी उसका पूरा नियंत्रण हो चला था.
" देख कितना रोई थी तू !!! चल छोड़ अब घर चलते हैं .. इससे आगे जाना ठीक नही " ........ वह अपने लंड के सुपाडे की तरफ इशारा करते हुए बोला जिस पर अपनी ही सग़ी बेटी का कुँवारापन नष्ट करने का साक्ष्य लगा हुआ था .... लेकिन निम्मी उसकी इस बात पर स्तंभ रह गयी .... उसकी चूत तो अब भी अपने पिता का विशाल लॉडा खाने को मचल रही थी और उसकी हसरत भरी निगाहें बड़ी लालसा लिए दीप के खड़े लंड पर टिकी हुई थी.
दीप ने जब देखा निम्मी उदास होने लगी है .... वह बिस्तर से फॉरन उठ कर अपनी बेटी के नंगे जिस्म के ऊपर लेट गया ....... " चल नाराज़ मत हो लेकिन यह बात हमारे बीच राज़ रहेगी .. वादा कर मुझसे " ....... अपने पापी पिता के इस कथन पर निम्मी की आँखें खुशी डॅब्डबॉ गयी और दीप ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.
" डॅड !!! मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ .. प्लज़्ज़्ज़ मुझे अपना बना लो " ......... निम्मी के यह कॉन्फिडेन्स भरे शब्द सुन कर दीप को कामसुरता के आख़िरी पड़ाव को पार करने की पूर्ण मंज़ूरी मिल गयी ........ " मैं भी बेटा " ......... और यह कहते हुए उसने अपना रक्त रंजित सुपाड़ा अपनी बेटी के ज़ख़्मी चूत मुख पर सटा दिया .... जिसके पश्चात ही निम्मी ने अपने जबड़े ताक़त से भींच लिए.
" कुछ दुखन तो नही है ना ? ......... दीप ने अपनी कमर को हल्का सा झटका देते हुए पूछा.
" उफफफफफ्फ़ ..... म्म्म्ममममममम !!! न .. न .. नही है " ........ अपने दर्द को पिता पर ज़ाहिर ना करते हुए निम्मी सिसकी परंतु वह अंजान भी नही थी .... वह अच्छे से जानती थी उसके पिता ने यह बात पास्ट में कयि लड़कियों से पूछि होगी लेकिन यह तो अपवाद था जो वे इस तरह आमने सामने आए थे.
चूत के ल्यूब्रिकेशन से अपने सुपाडे को भिगाने के बाद दीप ने देर नही की और उसने निम्मी की जाँघो को ऊपर उठाते हुए उसकी गोल मोटी चूचियों से जोड़ दिया .... चूत उसके विकराल लंड का पहला झटका खाने के बाद अब काफ़ी खुल चुकी थी और दीप ने अपने सुपाडे को उसके ऊपर टारगेट करते हुए बड़े आराम से उसे अंदर धकेला.