Porn Sex Kahani पापी परिवार - Page 23 - SexBaba
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Porn Sex Kahani पापी परिवार

" मज़ाक छोड़ और सुन .. हां तो जब तूने मुझे बताया, तू रोज़ अपने बेटे विक्की का लंड चूस्ति है और अब तेरा मंन उससे चुदने का होने लगा है .. सुनकर मैं हैरान तो हुई लेकिन साथ ही साथ एक रोमांच की लहर भी मेरे तंन बदन में दौड़ने लगी थी और मैं कितनी भी कोशिश करने के बावजूद तेरी उस बात को अपने मन से बाहर नही निकाल पा रही थी "

...... कम्मो बोलती रही और नीमा हौले हौले अपने हाथों में कदकपन्‍न लाती गयी .... हालात इतने बुरे हो चले थे कि कम्मो से उस नयी सारी को पहने बैठा नही जा रहा था.

" कैसा रोमांच कम्मो ? " ..... नीमा ने अपने हाथ से उसका पल्लू नीचे सरकाते हुए पूछा लेकिन इस बार भी कम्मो ने कोई आपत्ति ज़ाहिर नही की.

" अरे यार !!! जिस बेटे को उसकी मा ने अपनी चूत से बाहर निकाल कर बड़े नाज़ो से पाला हो, अपनी आँखों से उसे बड़ा होते हुए देखा हो और इसके बाद वही मा अपने उसी जवान बेटे के विकसित लंड को अपने मूँह में लेकर चूसे और उससे चुदने की लालसा रखे .. क्या यह रोमांच का विषय नही ? " ...... कम्मो ने होश खोते हुए कहा .... वह धीरे धीरे बेशरम बनने की कोशिश करने लगी थी और उसके इस प्रयास में उसका साथ देने के लिए नीमा उसके काँपते बदन के साथ बे रोक टोक खिलवाड़ किए जा रही थी.

" हां ये बात तो तेरी ठीक है कम्मो .. जब पहली बार मैने विक्की के खड़े लंड को अपने मूँह में ले कर चूसा था .. तू यकीन नही मानेगी, उस दौरान बिना किसी छेड़ छाड़ के मेरी चूत तीन बार झड़ी थी .. खेर तू आगे बोल " ...... नीमा ने उसकी बात की पुष्टि की और इसके बाद उसके हाथ की उंगलियाँ कम्मो के ब्लाउस के हुक खोलने में जुट गयी.

कम्मो ने कुछ देर तक सोचा और फिर कहना शुरू किया ....... " तुझे तो पता ही है रघु को लेने मैं और निकुंज गये थे और जब हम पुणे में एंटर हुए रात के 11 बज चुके थे .. नाइट स्टे के लिए हम ने होटेल में सिंगल सिंगल रूम्स की डिमॅंड की लेकिन हमे नही मिला तो थक हार कर हम ने एक डबल रूम बुक कर लिया " ...... कम्मो कहानी को थोड़ा घुमा फिरा कर सुना रही थी.

" फिर हम ने रूम में डिन्नर ऑर्डर किया .. सब कुछ नॉर्मल चल रहा था कि अचानक चेर से उठते वक़्त निकुंज टेबल के नुकीले आंगल से टकरा गया .. टक्कर इतनी तेज़ थी कि पूरी टेबल ज़ोरों से हिल गयी और इसके फॉरन बाद निकुंज चीखते हुए अपने लंड वाली जगह को अपने हाथो से सहलाने लगा .. मैं भी हड़बड़ा गयी थी और जैसे ही हमारी नज़रें मिली .. निकुंज दौड़ कर बाथरूम में चला गया " ..... इतना कहने के बाद कम्मो रुक गयी और उसने नीमा की मदद करते हुए अपने ब्लाउस को उतार कर दूर फेंक दिया.

" तो क्या टेबल का कोने की चोट निकुंज के लंड पर लगी थी, वैसे कम्मो !!! लंड जैसी नाज़ुक जगह पर इतनी बड़ी चोट लगना बहुत घातक होती है " ..... नीमा ने अपनी संवेदना प्रकट करते हुए कहा और अब उसके हाथ कम्मो की ब्रा का हुक खोलने के लिए उसकी पीठ पर रेंग रहे थे.

" हां नीमा !!! मैं बहुत घबरा गयी थी .. निकुंज काफ़ी देर से बाथरूम में था और मैं चाह कर भी उसे आवाज़ नही दे पा रही थी .. आख़िर चोट का मामला मेरे बेटे के लंड से जुड़ा हुआ था तो मैं कैसे उससे इस टॉपिक पर बात करती .. फिर लगभग आधे घंटे बाद वह बाथरूम से बाहर निकला .. उसने लाख अपने चेहरे पर आते दर्द को सम्हाला हो लेकिन मैं उसकी पीड़ा को महसूस कर रही थी " ..... कम्मो ने ब्लाउस की तरह, अपनी ब्रा को भी उतार कर दूर उच्छाल दिया और अपने हाथो से अब वा नीमा के ग्रीन टॉप को उतारने लगी.

" रात भर मुझे नींद नही आई लेकिन निकुंज सफ़र की थकान से सो चुका था और जब सुबह के 5 बजे मैने उसे बाथरूम की तरह जाते देखा, मैने सोने का नाटक करते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और उसके बाथरूम के अंदर जाने के फॉरन बाद मैं भी दबे पाँव उसी दिशा में बढ़ गयी .. अंदर वह किसी से बात कर रहा था, मैने क्लियर सुना निकुंज कह रहा था ... ' उसके लंड में तनाव नही आ पा रहा ' ... नीमा !!! अपने आप ही मेरे घुटने मुड़ते चले गये और मैने अपनी आँखें दरवाज़े के के होल से चिपका दी .. उस वक़्त निकुंज मास्टरबेट कर रहा था और काफ़ी देर तक वह अपने लंड को हिलता रहा लेकिन उसके लंड में ज़रा भी कड़कपन नही आया " ...... नीमा का टॉप उतारने के बाद कम्मो की मदहोश आँखें अपनी दोस्त की खूबसूरत चूचियों को निहारने लगी थी और उसके होंठ कपकापाने लगे, जैसे वा उसके खड़े निपल्स चूसना चाहती हो.

" कम्मो !!! अपनी सारी उतार दे और आगे क्या हुआ यह बता " ..... नीमा के कहे अनुसार कम्मो बेड पर खड़ी होकर अपनी सारी उतारने लगी और इसके बाद उसने अपने पेटिकोट का नाडा खोल कर उसे भी नीचे गिरा दिया.

अब कम्मो के छर्हरे अध नंगे बदन पर एक मात्र पैंटी बची थी और उस 1980 मोडल के कपड़े को देख कर नीमा ने अनुमान लगा लिया .... ' कम्मो आज कल के फैशन से बिल्कुल अंजान है ' .... लेकिन नीमा ने इस विषय पर कोई टिप्पणी नही की और झटके से उस काली पैंटी को उसकी कमर से खीच कर, उसके तलवो तक ले आई.

" हाए नीमा !!! तूने तो मुझे नंगा कर दिया " ...... कम्मो ने होश में आते ही उससे शिकायत की और शरम्वश अपने चेहरे पर अपने दोनो हाथ रख लिए .... ज़ाहिर था वह अपने पति के अलावा आज पहली बार किसी और शॅक्स के सामने इस हालत में खड़ी थी ... फिर चाहे वा शख्स कोई औरत क्यों ना थी.

" मेरी जान !!! बूढ़ी हो गयी लेकिन अब भी आग का गोला है .. थोड़ी शरम बचा कर रख कम्मो !!! जब निकुंज इसी तरह तेरी कछि उतारेगा तब ज़रूर नखरे दिखाना उसे " ..... नीमा के इस अश्लील संवाद को सुनते ही कम्मो के कानो में रस घुल गया .... उसे लगा जैसे नीमा की जगह उसके बेटे निकुंज ने ही उसकी पैंटी को नीचे खीचा है, सोचने मात्र से उसकी टाँगों में कंपन होने लगा और उनकी जड़ में छुपि .... उसकी घनी झान्टो से धकि चूत किसी नल की टोंटी की तरह पानी बहाने लगी.

नीमा के लिए भी यह किसी करेंट से कम नही था .. कम्मो की झान्टे उसके अनुमान से कहीं ज़्यादा बड़ी थी ....... " हे हे हे हे, मेरी जान !!! क्या इन बालो की रस्सी बनाएगी और उससे अपने बेटे को बाँध कर रखेगी ? " ..... नीमा ने उसकी झांतो पर अपना हाथ घुमाते हुए पूछा और फॉरन कम्मो लड़खड़ा कर धम्म से बेड पर गिर पड़ी.
 
" आहह नीमा !!! खबरदार अगर वहाँ हाथ लगाया तो .. जाने मैं तेरी बातों में कैसे आ गयी .. बेशरम " ...... कम्मो मस्ती से सराबोर होकर बोली और नीमा ने झटके से उसे अपने नंगे सीने से चिपका लिया ...... " कम्मो !!! इतनी बेशरम बन जा कि निकुंज तेरे डर के मारे भागता फिरे " ..... कह कर नीमा हँसने लगी.

" बनूँगी और खूब तर्साउन्गि भी .. नीमा !!! बहुत रुलाया उसने मुझे .. खेर तू आगे सुन " ..... कम्मो ने उसके सीने से खुद को छुड़ाते हुए कहा .... नीमा से भी रहा नही गया और उसने अपनी येल्लो पैंटी का वही हाल किया जो अब तक होता आ रहा था .... अब दोनो मम्मियाँ पूरी तरह से उत्तेजित और नंगी हो चुकी थी.

" नीमा !!! निकुंज अपना लंड हिलाते - हिलाते थक गया था लेकिन लंड ज़रा भी कड़क नही हुआ .. झूट नही बोलूँगी उस वक़्त मेरी आँखें सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके विशाल लंड से टिकी हुई थी .. जानते हुए भी कि वह मेरा सगा बेटा है, मेरे अपना खून लेकिन जाने क्यों मेरा मंन विचलित होने लगा था .. मेरी चूत इतनी ज़्यादा रिस रही थी कि मेरी पैंटी उस बाढ़ को रोक पाने में अपनी हार स्वीकार कर चुकी थी और तभी निकुंज के मूँह से कुछ शब्द फूटने लगे, वह फोन पर कह रहा था उसकी जान पहचान में ऐसी कोई लड़की नही जो उसका लंड चूस सके और जिससे वह अपने ढीले लंड की मालिश करवा सके .. नीमा !!! मेरे बेटे के वे लफ्ज़ मेरी नस नस में समा गये और इसके बाद मैने तुझे फोन किया लेकिन तू मज़े से विक्की के साथ चुदाई कर रही थी और शर्म्वश मैं भी तुझसे ज़्यादा कुछ नही कह पाई " ...... कम्मो ने बात को रोकते हुए कहा .... दोनो की चूतो का सेम वही हाल था जिसका वर्णन अभी कम्मो बेशर्मी से कर रही थी.

" ओह !!! तो अब बता दे .. उस वक़्त क्या नही कह पाई थी ? " ..... नीमा ने अपनी दो उंगलियों को अपनी चूत की फांकों के अंदर ठेल्ते हुए कहा .... उसके घुटने मुड़े हुए थे और टांगे ज़रूरत से ज़्यादा फैल चुकी थी .... वह सिसकियाँ लेकर अपनी उंगलियों से अपनी चूत की चुदाई करने थी.

कम्मो मत्रमुग्ध होकर अपनी दोस्त की चिकनी बालो रहित चूत में खो सी गयी उसके चेहरे पर अब जलन के भाव भी धीरे धीरे उमड़ते जा रहे थे .... छोटी होने के बावजूद नीमा उससे 10 कदम आगे थी, अपने बेटे के साथ मज़े से चुदवा रही थी और लीना का साथ भी उसे बखूबी मिल रहा था .... वहीं कम्मो की ना तो अपनी बेटियों से इतनी पटरी खाती थी और ना ही उसका बदन इतना मखमली था .... जहाँ तहाँ अनचाहे बाल और अब उसे समझ आ रहा था, दीप और निकुंज उसमें इंटेरेस्ट क्यों नही लेते .... माना वह नीमा से ज़्यादा सुंदर थी, उसका जिस्म भी उससे कहीं ज़्यादा गदराया हुआ था मगर फैशन के नाम पर वह कुछ नही जानती थी.

" नीमा !!! क्या .. क्या मेरी चूत भी तेरी तरह हो जाएगी ? " ...... कम्मो ने एक जीझक के साथ कहा .. औरतों में बहुत कॉंप्लेक्स होता है और नीमा ने कम्मो की बात सुनकर अपनी चूत से खेलना बंद कर दिया.

" हां हां !!! क्यों नही कम्मो .. मैं खुद तुझे यही सलाह देने वाली थी " ...... नीमा ने नॉर्मल टोन में जवाब दिया और उसकी टाँगो को चीरते हुए अपना चेहरे उसकी चूत पर झुकाने लगी .... वहीं उसे ऐसा करते देख कम्मो की तो मानो साँसे थम गयी ....... " यह .. यह क्या .. औचह !!! " ..... कम्मो ढंग से चीख भी नही पाई और नीमा उसकी झान्टो से भरी चूत को बड़े प्यार से चूमने लगी.

" कम्मो !!! मैं इसी हालत में अपनी दोस्त की चूत को प्यार करूँगी .. तू फिकर मत कर, नीमा वह सब करेगी जिसके लिए तू यहाँ आई है .. बस तू आगे बता, क्या हुआ ? " ...... नीमा के इन शब्दो ने कम्मो को अपनी दोस्त के आगे नतमस्तक कर दिया और आपसी जलन के जो भी भाव उसके चेहरे पर उभरे थे, सब का अंत वहीं हो गया .... उसने अपने हाथो का टेक लगाकर खुद को पीछे गिरने से रोका और इसके बाद आगे की कथा सुनाने लगी.

" मैने तुझे फोन इसलिए किया था ताकि जान सकूँ, किस तरह लंड चूसा जाता है .. नीमा !!! मैने अपनी लाइफ में कभी लंड नही चूसा था, मेरे पति ने लाख मिन्नते की होंगी लेकिन मैं हर बार टाल देती थी .. मुझे तो यह बात सोच कर भी घिंन आती थी और यह भी सच है, तू ही वह पहली शख्स है जिसके होंठ मेरी चूत तक पहुचे हैं " ..... इतना कह कर कम्मो चुप हो गयी .... नीमा ने अपना चेहरा ऊपर उठा कर कम्मो को देखा, एक तड़प .. एक लालसा से भरा मासूम चेहरा उसे दिखाई दिया.
 
" शुक्रिया कम्मो !!! तूने मेरे होंठो के लिए इतना इंतज़ार किया .. लंड चूसने या चूत चाटने में जो मज़ा है .. उसके लिए तो यह आज की जेनरेशन पूरी तरह से पागल है, खुद मेरा बेटा विक्की मरा जाता है इसके लिए .. पहले मैं उसका लंड चूसने के लिए तड़पति थी लेकिन आज वह अपनी मम्मी की चूत चाटने को तड़प्ता है .. अरे चूत की तो बात छोड़ !!! कल दोपहर में स्कूल से लौटने के बाद उसने मेरी गान्ड के छेद को चाटा था और पता है शैतान ने क्या कहा ... ' मम्मी तुम्हारी चूत से तुम्हारी गान्ड का छेद ज़्यादा यम्मी है .. मैं अब से इसे ही चाटा करूँगा " ... कम्मो !!! उसकी जीभ तो मेरे गुदा द्वार से रगड़ खा ही रही थी लेकिन जब उसने मेरे उस छेद को अपने होंठो से, बेरहमी से चूसा .. मैं तुझे बता नही सकती, कितनी बार झड़ी होउंगी " ...... नीमा ने इतनी बात कह कर अपना चेहरा वापस कम्मो की चूत से चिपका दिया और बेतहाशा अपनी जीभ उसकी चूत की सूजी फांकों पर घिसने लगी.

" अहह .......... ऊओह नीमा !!! मत कर .. मैं सह नही पाउन्गि " ...... कम्मो के हाथ जो अब तक उसके जिस्म को गिरने से रोके हुए थे, अपने आप सुन्न हो गये और वा बिस्तर पर गिरती चली गयी.

पहली बार कम्मो किसी से अपनी चूत चुस्वा रही थी और नीमा ने भी इसमें कोई कसर बाकी नही रखी .... उसे पता था यह उन एहसासो में से एक है जिसे पाने के बाद स्त्री की काम इक्षा में बहुत हद्द तक बढ़ोतरी होती है .... उसे खुल कर ऑर्गॅज़म की प्राप्ति होती है और कहीं ना कहीं इससे औरत के चेहरे पर निखार भी आता है .... कामसुरता किसी ने ऐसे ही चुतियापे में नही लिख दिया जो आज - कल हर इंसान, चाहे मर्द हो या औरत .... उसे पढ़ कर निरंतर अपने काम सुखों में वृद्धि का अनुभव करते हैं.

नीमा जल्द ही अपनी लंबी लप्लपाति जीभ कम्मो की चूत के अंदर और अंदर ठेलती गयी और ज्यों ही उसने अपने हाथ के अंगूठे और पहली उंगली से उसकी चूत के तखतो ताज, आती संवेदनशील भांगूर को मसला .... कम्मो किसी बाल खाई नागिन की तरह बिस्तर पर लोट लगाने लगी.

" ह्म्‍म्म्म नीमा !!! प्यार कर मुझे .. और .. और अंदर तक चाट ... आहह ....... मैं अपनी चूत निकुंज से ज़रूर चटवाउंगी और अपनी गान्ड का छेद भी ....... कम्मो को खुद पता नही, वह क्या क्या चिल्लाए जा रही थी और नीमा ने उसकी बातो पर ध्यान ना देते हुए .... अपनी तीन उंगलियाँ उसकी चूत के अंदर प्रवेश करवा दी और चूत की संकुचित परतों को और ज़्यादा चौड़ा करने लगी .... उसने अपने होंठो में भज्नासे को जाकड़ कर कठोरता से चूसा तो कम्मो की आत्मा उसके शरीर का साथ छोड़ने पर उतारू होने लगी.

" हाए मर गयी .. नीमा तू मुझे पागल कर देगी .. ओह " ....... कम्मो ने उसका सर अपनी टाँगो की जड़ पर ज़ोर से दबा दिया और खुद अपनी कमर को तेज़ी से ऊपर नीचे हिलाती हुई अपनी चूत से अपनी दोस्त का मूँह चोदने लगी .. इसके प्रबाह से जल्द ही कम्मो को अपनी चूत के अन्द्रूनि भाग में रस उमड़ता महसूस होने लगा.

" ह्म्‍म्म्मममम ...... म .. मैं झड़ने वाली हूँ नीमा .. मेरे दाने को चूस .. आहह " ..... चेतावनी देती हुई कम्मो चीखी और अगले ही पल उसके निपल और गान्ड के छेद में सिहरन की लहर दौड़ने लगी .... स्खलन के पूर्व का एहसास कम्मो के जिस्म को रोमाच से भर गया और अपनी ऐंठन से लिप्त टांगे .... नीमा की गर्दन पर लपेटती हुई वह अनियंत्रित ढंग से झड़ने लगी.

" चूस निकुंज !!! अपनी मम्मी की चूत को चाट बेटा .. मैं झाड़ रही हूँ .. चूस इसको .. मैं झाड़ रही हूँ .. आहह नीमा "

...... कम्मो की तड़पति चूत आज कयि दिनो बाद खुल कर झड़ी थी .... उसकी संकुचित फांकों से रस की लंबी लंबी फुराहें बाहर निकल कर सीधे नीमा के मूँह के अंदर प्रवेश करती जा रही थी .... नीमा को अपनी दोस्त का गाढ़ा योवन बेहद टेस्टी लगा और शायद यह उसकी लाइफ का भी पहला मौका था ... जो वह किसी औरत की चूत से अपने होंठ चिपकाए उसका रस्पान कर रही थी.

लगभग एक मिनिट तक कम्मो चीखती रही, स्खलित होती रही और सारा ऑर्गॅज़म अपनी दोस्त को पिलाने के बाद, निढाल होकर बिस्तर पर ढेर हो गयी .... उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव सॉफ थे और नीमा उसके चेहरे को देख कर मुस्कुरा रही थी .... दोनो की साँसें हौले हौले काबू में आने लगी और इसके बाद कम्मो ने अपनी दोस्त को अपनी नंगी छाति से चिपका लिया.

" नीमा !!! मैं तेरा धन्यवाद कैसे करूँ, मुझे समझ नही आ रहा .. तूने मुझे सच में जन्नत दिखा दी .. तू नही जानती झड़ना मेरे लिए कितना ज़रूरी था, कयि दिनो से मैं परेशान थी .. रोती थी .. विनती करती थी की मैं झाड़ जाउ .. मेरी सूजी चूत का दर्द मुझसे सहेन नही होता था .. रुक मैं भी तुझे झाड़वाउंगी .. लेट जा नीमा !!! मैं भी तेरी चूत चाटूँगी " ...... कम्मो ने एहसान चुकाने वाली बात कही और नीमा को बिस्तर पर लिटाने लगी.
 
" नही कम्मो !!! मैने कोई एहसान नही किया और ना ही मैं तुझे इसे चुकाने को कह रही हूँ .. हमारे पास वक़्त अभी कम है और तुझे घर भी जाना होगा .. तू जब तक आगे की बात बता, मैं तेरी चूत के बाल सॉफ कर दूँगी और मेरी चूत कहीं भागी थोड़ी जा रही है .. जब मर्ज़ी चाट लेना .. मैं खुद तुझे फोन कर के बुलाउन्गि और खूब चुस्वाउन्गि " ...... नीमा की बात कम्मो को ठीक लगी क्यों कि वाकाई उसके पास वक़्त बहुत कम था .... नीमा वॉर्डरोब से शेविंग राज़ेर निकालने चली गयी और कम्मो आगे क्या बोलना है उस पर सोच विचार करने लगी.

नीमा और कम्मो :- संस्कारों के परिवेश में विचरण करने वाली दो ऐसी माताएँ जिन्होने अपना बीता सारा जीवन अपने परिवार और उसकी ज़िम्मेदारियों को अर्पण किया था, आज कामुकता के ज्वर में घोर कलयुगी बनती जा रही हैं. कहाँ वो माँ, जो कभी अपने आँचल को एक पल के लिए भी खुद से जुदा नही होने देती थी आज स्वतः ही नग्नता को धारण करने पर तुली है. पुत्र के साथ पापी संसर्ग स्थापित करने में नीमा तो सफल हो चुकी परंतु कम्मो के तंन और मन की ये अभिलाषा अभी जाने और कितने मोड़ लेगी, ये बहुत ही गंभीर वा जटिल विषय बनता रहा है.

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"हां अब बता तूने मेरे भोले-भले भतीजे के साथ पुणे में ऐसे क्या गुल खिलाए कि तू अब उससे चुदने के लिए मचल उठी है." नीमा वॉर्डरोब से बेड पर चढ़ते हुए बोली, उसके हाथ में शेविंग का पूरा किट था.

"कामिनी !! फिर तूने मुझे छेड़ा, जा नही बताती." कम्मो जो अभी सपनो में खोई हुई थी अचानक से नीमा द्वारा पुच्छे गये अश्लील प्रश्न से तन्ग आ कर बोली.

"बता ना कम्मो, चल माफी मांगती हूँ और फिर आज तो मैं अपनी प्यारी सहेली की चूत को इतना सुंदर बना देना चाहती हू कि निकुंज उसे चूमने पर आम्दा हो उठेगा." नीमा ने मुस्कुरा कर कहा तो कम्मो के चेहरे पर भी मुस्कान उभर आई.

"अगर मैं भी तेरी तरह बेशरम बन गयी तो ना जाने निकुंज मेरे बारे में क्या सोचेगा." कम्मो के ऐसा कहते ही नीमा ने उसकी टाँगो की जड़ को फैला कर काफ़ी मादक द्रश्य उत्पन्न कर दिया और शेविंग गेल को उसकी घनी झान्टो पर हौले-हौले मलने लगी.

"बेशरम बनने में ही तो असली मज़ा है जान. सेक्स के वक़्त गाली-गलोच करना, अश्लील से अश्लील शब्दो का प्रयोग करना और सबसे बड़ी बात तू मा है निकुंज की. अरे मैं तो विक्की को उत्तेजित करने के लिए इतना नीचे गिर जाती हूँ कि वो मुझे किसी बाज़ारू रंडी की तरह चोदने लगता है और मैं पूरी तरह संतुष्ट हो जाती हूँ." नीमा अपने हाथ के घर्षण को चूत की घाटी में प्रवेश कराते हुए बोली.

"आहह नीमा !! तेरे हाथो और बातों के इस्तेमाल से शायद में पागल हो जाउन्गि." कम्मो कराही और खुद ब खुद उसके चूतड़ हवा में थरथराने लगे, नीमा उसके कोमल गुदा द्वार पर अपने अंगूठे को गोलाकार आक्रति में घुमा रही थी.

"हां तो अब बता और ज़रा भी छुपाना मत, वरना मैं तेरी मदद नही कर पाउन्गि." नीमा ने उसे उकसाया और वहीं जेल ने भी अपना काम शुरू कर दिया था, जो कम्मो की घनी झाटो को मुलायम बना रहा था.

"बाथरूम से बाहर आने के बाद निकुंज तैयार होने लगा क्यों कि हमे रघु से मिलने हॉस्पिटल जाना था, वह मुझे ज़रा भी एहसाह नही होने दे रहा था कि वह उस वक़्त किन हलातो से गुज़र रहा है. मैं भी तैयार हुई और दोनो हॉस्पिटल रवाना हो गये पर वहाँ पहुचने पर पता चला कि हम रघु से किसी कारण-वश नही मिल सकते." कम्मो ने साँस ली, नीमा रेज़र में ब्लेड फसा रही थी.

कम्मो :- "हम दुखी मन से होटेल लौट आए, रात का खाना बाहर ही खाया बस सोने की तैयारी चल रही थी. निकुंज तो लेट-ते ही सो गया लेकिन मेरी आँखों में नींद कहाँ थी, उनमें तो रह-रह कर बेटे का विशाल झूलता लंड दिखाई पड़ रहा था और तभी मैने ठान लिया कि मैं उस लंड को खड़ा करने की कोशिश करूँगी परंतु यह कैसे संभव होगा, मैं नही जानती थी."

"फिर तूने क्या किया ?" नीमा ने रेज़र कम्मो की चूत पर घुमाते हुए पुछा, वो सॉफ महसूस कर रही थी कि एक बार झड़ने के बाद वापस उसकी दोस्त की चूत बहने लगी थी.
 
"मैने उठ कर कमरे की लाइट ऑन की और सीधे निकुंज के पैरो के पास बैठ गयी. यह सोच कर कि मैं बेटे का शॉर्ट्स उतार रही हूँ मेरे हाथ काँप रहे थे, गला सूख चुका था, दिल की धड़कने काबू से बाहर थी और तभी मैने इस नीच कर्म में जीत हासिल कर ली. हां नीमा निकुंज का लंड शॉर्ट्स से बाहर आने पर मैने अनुमान लगाया कि वो ज़रूरत से कहीं ज़्यादा गोरा और विशाल है, मैं झाड़ते-झाड़ते बची थी." कम्मो ने फिर विराम लिया, नीमा अब उसके चूतडो की दरार सॉफ कर रही थी.

"कितना बड़ा है निकुंज का ?" हलाकी नीमा को यह प्रश्न नही करना चाहिए था लेकिन वह निकुंज के लंड की तुलना अपने बेटे विक्की के लंड से करना चाहती थी.

"काफ़ी बड़ा नीमा, मेरा अनुमान है उससे बड़ा तो किसी का होना संभव ही नही." कम्मो ने झूठ बोला, वो रघु के लंड का व्रतांत यहाँ नही कर सकती थी.

"अच्छा !! किस्मत अपनी-अपनी और तेरी किस्मत पर मुझे नाज़ है कम्मो, फिर आगे तो बता." नीमा फुसफुसाई, लंड निकुंज का बड़ा था और वह कम्मो से ज़्यादा चतुर थी शायद ही भोली-भाली कम्मो अपनी दोस्त की इस मनो-स्थिति को भाँप पाई होगी.

कम्मो :- "बिल्कुल चिकना लंड था. मैने उसे हल्के हाथो से पकड़ा और तू यकीन नही करेगी नीमा, पूर्ण रूप से खड़ा वह लंड तेरी मुट्ठी में भी नही आ पाएगा, खेर छोड़ !! मैं ढीली अवस्था में उसे पंप करने लगी, हिलाने लगी और तभी निकुंज की नींद टूट गयी और वह हड़बड़ा कर बिस्तर पर बैठ गया"

"फिर ?" नीमा के हाथ ने अचानक ऐसे रिक्ट किया जैसे कम्मो की जगह निकुंज का खड़ा लंड उसके हाथ में हो और वह चाह कर भी अपनी मुट्ठी बंद नही कर पा रही हो.
 
"मैं घबरा गयी, जानती तो थी निकुंज की नींद टूट जाएगी लेकिन मंन बना चुकी थी की आज कुच्छ भी करना पड़े पर मैं कामयाब ज़रूर होउंगी और इसीलिए मैने उसे ज़ाहिर नही होने दिया कि मैं कितना निकृष्ट कार्य कर रही हूँ. मैने लंड को हिलाना ज़ारी रखा और अपनी आँखें निकुंज की आँखों से जोड़ दी. वह हैरान परेशन, मेरी गिरफ़्त से छूटने की कोशिश करने लगा परंतु मैने उसे कोई ढील नही दी और बातों का एक बड़ा सा सिलसिला भी शुरू कर दिया. नीमा उसने लाख विनती की पर मैने उसका लंड मुठियाना नही छोड़ा और जब मेरे हाथ दुखने लगे तो मैं मजबूर हो गयी उस पापी कर्म को करने के लिए जिसके कारण शायद मेरा बेटा मुझसे नफ़रत करने लगा है." कम्मो की आँखें उसकी चूत की तरह ही आँसू बहा रही थी, फ़र्क बस इतना था कि चूत के आँसू चाह कर भी उसकी प्यास भुजाने में असमर्थ थे
 
"रो क्यों रही है कम्मो, मैं हूँ ना. तू बस मुझे पूरी घटना बता, वादा करती हूँ निकुंज खुद तेरे आगे घुटने टेकेगा" नीमा ने आश्वासन दिया, वो चूत सफाई आंदोलन के अंतिम पड़ाव पर थी.
"मैने अपनी आँखें बंद की, चेहरा उसके शिथिल लंड की दिशा में झुकाया और मेरे बेटे का लंड वह पहला लंड बना जो मेरे मूँह के अंदर परवेश कर गया. नीमा एक ऐसा झोका मेरी सांसो में समा गया, लगा मुझे उल्टी हो जाएगी लेकिन निकुंज की खातिर मैने लंड मूँह से बाहर नही जाने दिया और हौले-हौले बिना किसी ग्यान के मैं उसे चूसने लगी. ढीली अवस्था में भी लंड बेहद मोटा था, लंबा था. मैं उसके सुपाडे पर अपनी जीभ लहराने लगी और फिर अचानक मेरे उत्साह में वृद्धि हो गयी. लंड फूलने लगा, मैं उसे ज़रूरत से ज़्यादा अपने गले में उतार चुकी थी जो विशाल होते ही मेरे गले में चोट करने लगा



. निकुंज की आँखों में झाँका तो जाना उसकी पलकें नम हैं और वहीं से मुझे लंड चुसाई का आनंद मिलने लगा." कम्मो ने अपना गला खखारा और नीमा की तरफ देखा, वह बड़े ध्यान से उसे ही देख रही थी
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"नीमा !! लंड चूसने से हमेशा कतराने वाली मैं कम्मो, उस वक़्त किसी रंडी में परिवर्तित हो चुकी थी. लंड खड़ा था लेकिन उसे ज़बरदस्ती चूसे जा रही थी, उसमें से फूटने वाले रस को पीने को आतुर हो गयी थी. निकुंज की आँखों में मुझे असीम सुख दिखाई दे रहा था और तभी मैने लंड अपने मूँह से निकाल कर उसे अचंभित कर दिया. ना चाहते हुए भी उसके गले से चन्द लफ्ज़ निकले !! मोम चूस्ति रहो, रुकना मत और मैने दोबारा लंड को अपने मूँह के अंदर कर लिया. मेरे हाथो की गति बढ़ी और कुच्छ ही लम्हे बाद लंड से वीर्य की बौछार होने लगी मानो कोई बाढ़ आ गयी हो. 


झूट नही कहूँगी नीमा !! वह वीर्य नही मेरे लिए आज तक का सबसे पेय पदार्थ साबित हुआ. उस गाढ़े रस से मेरा गला तर हो चुका था, पेट भर चुका था लेकिन मंन के हाथो विवश मेरी इक्षा का मर्दन ना हो सका और मैने उस फव्वारे के शांत होने के बावजूद लंड अपने मूँह से बाहर ना निकाला, लगातार उसे चूस्ति रही. मैं पागल हो गयी थी मगर मन का क्या है, निकुंज का इलाज हो चुका था और मुझे स्वीकार करना पड़ा कि अब रुक जाना ही मेरे लिए बेहतर होगा." कम्मो ने कथा का अंत करते हुए कहा और बेडरूम में जैसे कोई सन्नाटा पसर गया


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"ह्म्म !! होता है कम्मो, मेरी हालत भी बिल्कुल तेरी जैसी थी. तू फिकर ना कर अब तेरे दिन बदलने वाले हैं, ज़रा देख अपनी चूत को !! ऐसा ना हो कि मैं फिर से इस पर टूट पडू." नीमा की बात सुन कर कम्मो ने अपनी चूत पर नज़र डाली, विश्वास से परे वह बेहद गुलाबी, टाइट और खूबसूरत लग रही थी. कम्मो की उंगलियाँ तो जैसे उसे छुने को मचल उठी थी
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"यकीन नही होता नीमा !! थॅंक्स यार, तूने तो इसकी रंगत ही बदल दी." कम्मो के बोल फूटे.
"आज नही तो कल निकुंज को भी यकीन होगा कि उसकी मम्मी की चूत दुनिया की सबसे सुंदर चूत है." नीमा ने अपने दाँत फाडे


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नीमा :- "अभी 4:30 हो रहे हैं, तू फटाफट नहा और हमे अभी निकलना होगा.
"
कम्मो :- "कहाँ जाना है ?
"
"निकुंज को पटाने का पहला पाठ पढ़ने, हम उससे मिलने माल जा रहे हैं और सुन कम्मो !! तू बस इतना ख़याल रखना कि उससे मिलने के दौरान सिर्फ़ मुस्कुराती रहना, मेरी हां में हां मिलना. बाकी मैं देख लूँगी क्या करना है." नीमा ने बॉम्ब ब्लास्ट कर दिया


"लेकिन." कम्मो कुच्छ कह पाती इससे पहले नीमा फिर बोल पड़ी.

"लेकिन-वेकीन कुच्छ नही कम्मो !! मुझ पर विश्वास रख, मैं वहाँ कुच्छ भी ऐसी-वैसी बात नही कहूँगी जिससे निकुंज तुझसे और दूर जाए. वादा तो नही करती पर यकीन मान, अब निकुंज तेरे आगे पिछे ना डोला तो मेरा नाम भी नीमा नही." इतना कह कर नीमा बेड से नीचे उतर गयी.

"नीमा कहीं बात बिगड़ ना जाए." कम्मो अभी भी दुविधा में फसि थी.

"तू नहाने जा और बाकी सब मुझ पर छोड़ दे." नीमा मुस्कुराइ और कमरे से बाहर निकल गयी. बेचारी कम्मो के कदम भी खुद ब खुद बाथरूम की दिशा में आगे बढ़ गये.
 
बाथरूम में शवर के नीचे खड़ी कम्मो किसी गहेन सोच में डूबी थी, रह-रह कर उसे डर सता रहा था कि कहीं नीमा का ये पहला पाठ, आख़िरी ना बन जाए.

उसकी सोच, समझ में निकुंज का उससे इस कदर रूठ जाना मात्र उसकी अश्लीलता थी, जो उसने बंद कमरे में अपने पुत्र को दर्शाई थी और अब नीमा का ये नया नाटक कम्मो को किसी अंजाने भय का पूर्व-संकेत दे रहा था.

"उफफफ्फ़ !! ना जाने में कहाँ फॅस गयी, एक तरफ कुवा है तो दूसरी तरफ खाई" इन्ही लम्हो के बीच उसका नहाना संपन्न हुआ और टवल अपने नग्न शरीर पर लपेट कर वह बेडरूम में आ गयी.

"वाह !! चमक रही है, आज तो निकुंज की खेर नही" कमरे में आते ही नीमा ने उसे ताना मारा, वो खुद पूरी तरह से तैयार कम्मो का ही इंतज़ार कर रही थी.




"ये .. ये क्या पहना है तूने, क्या ऐसे जाएगी मेरे बेटे के सामने ?" नीमा द्वारा पहने गये कपड़ो को देख कर जैसे कम्मो को चक्कर आने लगे.

"क्यो !! क्या खराबी है इनमे. मेरी जान यही तो वो टॉपिक है जिसका असली भावार्थ आज हमे निकुंज को समझाना है. ताकि कल को वह तुझे भी ऐसे हॉट रूप में देखने को मचल उठे" नीमा मुस्कुराइ.

अभी उसने अपने बदन पर एक खुले गले का येल्लो टॉप और नीचे टाइट ब्लॅक लेगी डाल रखी थी. साथ ही उसकी ब्रा स्ट्रिप्स और हाफ फ्रंट, टॉप के डीप नेक से काफ़ी हद तक विज़िबल था. लेगी में उसकी मोटी जंघें और मखमली चूतडो का भी खुल कर प्रदर्शन हो रहा था.

"मैं तो कभी ना पहनु ऐसे कपड़े !! हुह" कम्मो ने अपना मूँह टेडा किया तो नीमा ने उसके बदन पर लिपटी टवल खीच ली


. "तो नंगी चल, माल में ही निकुंज से अपनी चूत ठंडी करवा लेना. अरे बुद्धू कब अक़ल आएगी तुझे, अगर बन ठन कर नही रहेगी तो बेटे का ध्यान अपनी तरफ कैसे खीचेगी" नीमा बोली, उसकी बात में दम था.

"हां मगर" कम्मो की बात पूरी होने से पहले नीमा ने अपनी आँख दिखा कर उसे चुप करवा दिया.

"रेडी हो जा, बाकी मैं कार में समझा दूँगी" नीमा की बात कम्मो को मान-नी पड़ी और जल्द ही दोनो माएँ मल्टी की पार्किंग में खड़ी कार में बैठ चुकी थी.

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"नीमा !! मैने पैंटी नही पहनी, वो कुच्छ ज़्यादा ही गंदी हो गयी थी" कार के रोड पर आते ही कम्मो बोली.

"तो अच्छा ही है ना जान !! वैसे भी कुच्छ दिन बाद तो तुझे नंगी ही रहना है तो क्यों ना अभी से इसकी आदत डाल जाए" नीमा चहकी


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"मारूँगी कामिनी !! खेर हम जा कहाँ रहे हैं ?" कम्मो उसकी अश्लीलता से जैसे पिघलती जा रही थी.

"हम लोटस माल जा रहे हैं, वहाँ पहुच कर तू निकुंज को कॉल करेगी और वो तुझे पिक करने आएगा. बाकी काम तू मुझ पर छोड़ दे" नीमा ने कहा, उसकी नज़र कम्मो के हाव-भाव पर पूरी तरह से सेट थी और अभी उसे कम्मो को थोड़ा और खोलना था.

"अच्छा एक बात बता !! जब निकुंज का लंड इतना बड़ा है कि खड़ा होने पर मुट्ठी में भी नही समा पाता फिर तूने पहली बार में उसे चूस कैसे लिया. आइ मीन तक़लीफ़ नही हुई तुझे ?" नीमा ने पुछा.

"नीमा !! हां तेरी बात सच है, मुझे काफ़ी तक़लीफ़ हुई थी लेकिन मैं क्या करती. एक तरफ बेटे की हालत मेरा दिल पसीज्वा रही थी और दूसरी तरफ उसका विशाल लंड देख मेरी चूत उबाल रही थी" कम्मो फिर गरम होते हुए बोली और शायद नीमा भी यही चाहती थी



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"अच्छा फिर रात बीतने के बाद तूने कैसे फेस किया निकुंज को ?" नीमा हर हक़ीक़त से वाकिफ़ होना चाहती थी.

"देख उस रात झड़ने के बाद निकुंज से कोई ख़ास बात नही हुई, हम दोनो ही एक दूसरे से नज़र चुरा रहे थे लेकिन ..." कम्मो कहते-कहते रुक गयी, असमंजस में थी कि नीमा को उस अगले दिन का व्रतांत बताए या नही.

"लेकिन क्या कम्मो ?" नीमा को तो ऐसे मौको की तलाश थी, उसने फॉरन पुछा.

"यार नीमा !! अगले दिन जब मैं सो कर उठी तो देखा निकुंज तो बीती रात की तरह ही पूरा नंगा मेरे बगल में सो रहा है और उसका लंड कड़क, एक दम सर उठाए फनफना रहा था. दिन के उजाले में तो और भी ज़्यादा विशाल, सुंदर दिखाई दे रहा था" कम्मो ने फिर पॉज़ लिया जिससे अबकी बार नीमा झुंझला गयी. शायद इसका मैं कारण विक्की और निकुंज के गुप्तांगो में काफ़ी अंतर होना था
 
"मुझे तो लगता है तू मुझसे बहुत सी बातें छुपा रही है, या बताना ही नही चाहती" एमोशनल ब्लॅकमेलिंग नीमा का हथियार बना और कम्मो ने हार मान ली.

"नीमा !! लंड के इतने करीब होने से मैं खुद को रोक ना पाई और हां मैने इस बार अपनी मर्जी से निकुंज का लंड चूसा लेकिन वह नींद में कसमसाने लगा तो ज़्यादा देर चूस ना सकी और पकड़े जाने के भय से मुझे बाथरूम के अंदर भागना पड़ा. बस इसके आगे कुच्छ ना हुआ !! तेरी कसम" कम्मो ने उसे विश्वास दिलाया.

"ये सारे दर्द मैने भी झेले हैं कम्मो" नीमा ने उसकी जाँघ पर थपकी देते हुए कहा "चल अब लगा निकुंज को कॉल और बोल लोटस माल आ जाए"

कम्मो ने कॉल किया और 30 मिनिट से आने की बात कह दी




. "नीमा !! जाने तेरा यह एहसान मैं कैसे चुकाउन्गि, जो तू बिना किसी स्वार्थ के मेरी मदद कर रही है. बस एक बार निकुंज मेरा हो जाए, तू जो माँगेगी मैं देने को तैयार रहूगि" कम्मो भावुक हो उठी, वह यक़ीनन बेवकूफ़ थी या नादान और नीमा को तो जैसे कोई मंन की मुराद ही मिल गयी.

"दोस्ती में नो एहसान, चल माल आ गया" दोनो माल में एंटर हो गयी.



नीमा आगे-आगे और कम्मो पिछे-पिछे, दोनो ने पहले तो माल में घूमना शुरू किया और फिर जैसे ही नीमा की नज़र एक फीमेल गारमेंट स्टोर पर पड़ी तो उसके दिमाग़ में सैकड़ो आइडिया'स आने लगे.

"क्यों ना आज निकुंज को एरॉटिक शॉपिंग का मज़ा दिलाया जाए और साथ ही तू भी कुछ हॉट सा स्टफ खरीद लेना ताकि उसका ध्यान तेरी तरफ केंद्रित हो" नीमा के लफ्ज़ सुनते ही कम्मो का गला सूखने लगा.

"अरे फिकर क्यों करती है, मैं हू ना और वैसे भी तुझे सिर्फ़ मुस्कुराना है और मेरी हां में हां मिलाना है" नीमा ने उसका साहस बढ़ाया और तभी इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हुई. निकुंज उसी रो में चला आ रहा था जिसमें वे दोनो खड़ी थी.

जहाँ कम्मो की नज़र उस पर पढ़ते ही वह थर-थर काँपने लगी वही नीमा की तो जैसे साँसे थम गयी, निकुंज उसे पहली नज़र में भा गया था.

"हे निकुंज !! कैसे हो बाबू ?" नीमा ने अपनी सुरीली तान छेड़ी लेकिन निकुंज उसे पहचान नही पाया और नज़रे अपनी मा की आँखों से जोड़ दी



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"ना ना कम्मो !! लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ" नीमा ने निकुंज का हाथ थाम लिया, जो उसकी मर्दानगी की तरह ही काफ़ी स्ट्रॉंग था "मैं नीमा आंटी !! स्नेहा और विक्की की मम्मी"

कुच्छ बीती यादें निकुंज के मंन में तेज़ी से ताज़ा हुई और वह पहचान गया नीमा कॉन है मगर उसके रूप-रंग, पहनावे में इस तरह का बदलाव कैसे, वह ये नही जान पाया.

"हां हां आंटी !! नमस्ते" संस्कारी पुत्र होने का परिचय देते हुए वह नीमा के पैर छुने को झुकने लगा लेकिन नीमा ने उसे ऐसा करने से फॉरन रोक लिया.

"अरे मेरे बच्चे !! तू गले लग, कितना बड़ा हो गया है. एक दम गबरू जवान !! है ना कम्मो ?" नीमा ज़बरदस्ती निकुंज को अपनी बाहों में समेटने लगी




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निकुंज नीमा के इस परिवर्तन और हाव-भाव से बेहद प्रभावित हुआ, ख़ास कर जिस तरह से नीमा ने खुद को उसके सामने प्रस्तुत किया, वह खुद ब खुद उसकी बाहों में समा गया.

कम्मो तो सिर्फ़ मुस्कुराए जा रही थी, जो उसका वहाँ एक लौता काम था.

नीमा की पूर्ण विकसित चूचियों का निकुंज की कठोर छाती से टकराना, उन दोनो को अंदर तक विचलित कर गया. खास कर निकुंज क्यों कि नीमा तो इस गेम की कॅप्टन थी.

निकुंज जो कयि दिनो से सिर्फ़ और सिर्फ़ गरम ही हो रहा था. कभी अपनी मा की वजह से तो कभी निक्की की, ज़्यादा देर ना लगी और पॅंट के अंदर छुपे उसके विशाल हथियार ने नीमा के पेट पर आधा दर्ज़न ठुमकीयाँ मार दी
 
"अब तो लगता है तेरी शादी के लड्डू जल्द ही खाने को मिलेंगे" नीमा ने एहसास कर लिया कि कम्मो का कहना ग़लत नही, जब पॅंट के अंदर उसके बेटे का लंड इतना गदर ढा सकता है तो खुले में तो भूचाल ही ला देगा.

निकुंज की हालत बेहद खराब थी, वो तो कम्मो की मौजूदगी में नीमा ने उसको अपनी बाहों से जल्द आज़ाद कर दिया वरना अब तक तो निकुंज के हाथो की हथेलियाँ नीमा के गदराए चूतड़ मसल रही होती.

"ज़रूर नीमा !! आख़िर घर की पहली शादी होगी तो तुझे ही सब सम्हालना होगा" नादान कम्मो अब तक नीमा का मंन नही पढ़ पाई थी.

"अच्छा निकुंज !! जॉब वगेरा कैसी चल रही है ? तू तो बिल्कुल बदल गया ऑस्ट्रेलिया जा कर" नीमा बोली.

"जॉब बढ़िया चल रही है आंटी" छोटे से जवाब में निकुंज ने काम चलाया, उसे तो डर था कि कहीं उसकी मा उसके पॅंट में बने तंबू को देख ना ले. हालाकी वह जान गया था कि नीमा ने अपने पेट पर उसके लंड का बढ़ता आकार महसूस कर लिया है लेकिन वह अंजान बना रहा



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"चल कम्मो कुछ शॉपिंग हो जाए वैसे भी मुझे थोड़ी देर बाद घर निकलना होगा" नीमा अचानक से गारमेंट शॉप की तरफ मूडी और साथ में कम्मो को भी अपने कदम आगे बढाने पड़े.

"निकुंज !! आजा बाबू, तू अकेला यहाँ बाहर खड़ा क्या करेगा. बस 10 मिनिट की तो बात है" नीमा का आदेश सुन कर निकुंज भी उन दोनो के साथ हो लिया.

वैसे तो माल में फीमेल गारमेंट की बहुत सी दुकाने थी मगर ये शॉप सबसे ज़्यादा फेमस और इसकी वजह तीनो को शॉप में एंटर करते ही पता चल गयी.

जहाँ-जहाँ नज़र डालो सिर्फ़ और सिर्फ़ अश्लील कपड़े, जैसे वे किसी विदेशी शॉप के अंदर आ गये हों.

मिनी को मॅट करती स्कर्ट्स, ट्रॅन्स्परेंट पॅटर्न के अंडरगार्मेंट्स, शॉर्ट टॉप्स, हिप्सटर बरमूडस और भी कयि ऐसी ड्रेसस जो शायद ही किसी सभ्य घर की लड़की या औरत ओपन में पहेन सके



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जहाँ निकुंज पहले से सकते में था वहीं कम्मो की तो जैसे जान ही निकल गयी लेकिन ना वो निकुंज पर कुच्छ ज़ाहिर कर पाई और ना ही नीमा पर.

"वाउ !! मुझे तो वो नाइटी पसंद आ रही है" नीमा ने विस्फोट किया और तेज़ कदमो से उस डमी की तरफ बढ़ गयी जिसे वह ड्रेस ऐज शोपीस पहनाई गयी थी.

"कम्मो !! इसका फॅब्रिक तो देख, अवेसम यार और कलर भी स्किन है" नीमा ने कम्मो को आवाज़ दी और वो भी इस तरह, जिसे सुनकर निकुंज के कानो से धुंवा निकल गया.

नाइटी के अंदर डमी को एक सेम कलर टाइनी पैंटी पहनाई गयी थी और बूब एरिया पर पॅडेड ब्रा अटॅच थी.

"पागल हो गयी है क्या, इसका तो पहेन-ना ना पहेन-ना बराबर है. देख निकुंज भी शर्माकर पलट गया, अब बस कर नीमा



" कम्मो ने बेहद लो वाय्स में कहा और तभी एक करारा झटका देते हुए नीमा गरजी ....

"बेटा निकुंज !! ज़रा यहाँ तो आना और बता क्या ये नाइटी इतनी खराब है जो तेरी मम्मी मुझे इस क़दर डाँट रही है ?"
 
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