hotaks444
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गुरुजी – काजल बेटी अब हम साथ साथ हवन करेंगे. हवन हमारे शरीर के अंदर के दोषों को दूर करने की प्रक्रिया है. अगर तुमने इसे ठीक से पूरा कर लिया तो तुम अपनी पढ़ाई में आने वाली बाधाओं को सफलतापूर्वक पार कर सकोगी.
काजल ने सर हिलाकर हामी भरी और अग्निकुण्ड के पास खड़ी हो गयी. मैं थोड़ा साइड में खड़ी थी. अब गुरुजी ने घी का बर्तन उठाया.
गुरुजी – काजल बेटी, इसे पकड़ो.
काजल ने घी का बर्तन पकड़ लिया. अब गुरुजी काजल के पीछे खड़े हो गये और काजल की बाँहों के अंदर से अपनी बाँहें घुसाकर घी का बर्तन पकड़ लिया. अब गुरुजी की बाँहें काजल की बाँहों और उसके बदन के बीच दबी हुई थीं और दोनों ने उस घी के बर्तन को पकड़ा हुआ था. गुरुजी की बाँहों से काजल की ब्रा से ढकी हुई चूचियाँ साइड्स से दब रही थीं. लेकिन जिस तरह से काजल के नितंबों पर गुरुजी ने अपने श्रोणि भाग को एडजस्ट किया उससे मुझे झटका लगा और उनके इरादों पर शक हुआ.
अब गुरुजी मंत्रोच्चार करने लगे और धीरे धीरे घी के बर्तन से अग्नि में घी की आहुति देने लगे. मैं उन दोनों के साइड में खड़ी थी इसलिए मुझे सब दिख रहा था. अब गुरुजी जानबूझकर काजल की चूचियों पर अपनी बाँहें रगड़ने लगे . मुलायम चूचियों को छूने से गुरुजी की कामोत्तेजना बढ़ने लगी क्यूंकी अब उन्होने काजल की पैंटी से ढकी हुई गांड पर अपने श्रोणि भाग को रगड़ना शुरू कर दिया. काजल भी जरूर गर्मी महसूस कर रही होगी, सामने अग्निकुण्ड की गर्मी थी और पीछे से एक मर्द उसके बदन को छू रहा था. गुरुजी की बाँहों में सिर्फ सफेद ब्रा पैंटी में काजल किसी अप्सरा की तरह लग रही थी.
गुरुजी – काजल बेटी, अब मैं तुम्हारे आगे आऊँगा और तुम मेरे दोनों तरफ बाँहें डाल कर अग्नि में घी की आहुति देना.
काजल – जी गुरुजी.
अब गुरुजी काजल के सामने आ गये. काजल ने गुरुजी की बाँहों के अंदर से अपनी बाँहें डाली और यज्ञ में घी की आहुति देने लगी. गुरुजी सिर्फ धोती पहने हुए थे और उनका ऊपरी बदन नंगा था. मैंने ख्याल किया की गुरुजी ने अपने को ऐसे एडजस्ट किया की काजल की नुकीली चूचियाँ उनकी बालों से भरी छाती को छूने लगीं. स्वाभाविक रूप से किसी भी औरत की तरह काजल को भी असहज महसूस हुआ होगा की उसकी चूचियाँ एक मर्द की छाती को छू रही हैं. वो अपनी जगह से थोड़ा हिली लेकिन गुरुजी ने उसको अपनी तरफ खींचकर फिर से उसी स्थिति में ला दिया. काजल गुरुजी से नजरें नहीं मिला रही थी और ज़्यादातर आँखें बंद ही रख रही थी और गुरुजी जो मंत्र बोल रहे थे काजल उन्हें दुहरा रही थी. शायद काजल के आँखें बंद करने से गुरुजी को ज़्यादा अच्छे से मौका मिल गया. अब गुरुजी अपनी अंगुलियों को काजल के पेट में ऊपर नीचे फिराने लगे और उसकी पैंटी के ऊपर से नितंबों पर भी. काजल हल्के से कुलबुला रही थी. मैं समझ गयी की एक मर्द के छूने से उस पर जो प्रभाव हो रहा है , काजल उसको छुपाना चाह रही है. कुछ पलों तक ऐसे होता रहा फिर अचानक गुरुजी ने मंत्रोच्चार बंद कर दिया और काजल से अलग हो गये.
गुरुजी – काजल बेटी, ये क्या है ? मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी की सिर्फ मंत्र और पूजा में ध्यान लगाना. लेकिन ऐसा लगता है की तुमने कोई सबक नहीं सीखा.
काजल का मुँह फक पड़ गया और उससे कुछ जवाब देते नहीं बना. उसकी ब्रा में तने हुए निपल्स की शेप साफ दिख रही थी जिससे ये साबित हो रहा था की गुरुजी के छूने से वो उत्तेजित हो रही थी.
गुरुजी – तुम अपनी पढ़ाई में सफल नहीं हो पा रही हो क्यूंकी तुम्हारा ध्यान और चीज़ों में ज़्यादा रहता है. जब तक तुम कुँवारी हो उन चीज़ों से तुम्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिए. मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ.
गुरुजी क्षुब्ध नजर आ रहे थे, कमरे में बिल्कुल चुप्पी छा गयी.
काजल – गुरुजी प्लीज मुझे क्षमा कर दीजिए.
गुरुजी – क्षमा करने की बात नहीं है. पूरे यज्ञ के दौरान तुमने पूजा की बजाय अपने शारीरिक सुख पर ध्यान लगा रखा है. मुझे तुम्हारे माता पिता को ये बात बतानी पड़ेगी.
ये सुनकर काजल इतना घबरा गयी की उसने और भी ज़्यादा गड़बड़ कर दी . उसने तुरंत गुरुजी के पैर पकड़ लिए और रोने लगी. लेकिन उसे नहीं मालूम था की इस मुद्रा में वो इतनी लुभावनी लग रही थी की मुझे नजरें फेर लेनी पड़ीं. ब्रा के स्ट्रैप को छोड़कर उसकी पूरी गोरी पीठ नंगी थी और जब वो फर्श में झुकी तो उसके मांसल नितंबों पर पैंटी खींच गयी और उसकी गांड की दरार का ऊपरी हिस्सा दिखने लगा. वो दृश्य देखकर किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो जाता. उसने पैंटी के ऊपर भगवा वस्त्र लपेटा हुआ था पर ऐसे झुकने से वो भी नीचे को खिसक गया था और गांड की दरार का ऊपरी हिस्सा दिख गया.
गुरुजी – बेटी उठो और ये रोना धोना बंद करो.
अब मुझे आगे आना पड़ा और मैंने काजल को उठाने की कोशिश की. काफ़ी समझाने के बाद वो खड़ी हुई . लेकिन जब वो झुकी हुई स्थिति से खड़ी होने लगी तो उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा और उनके बीच की घाटी गहराई तक दिख गयी , जिसे देखकर किसी भी उमर के मर्द की उत्तेजना बढ़ जाती.
गुरुजी – अब इस यज्ञ को पूरा करने का एक ही तरीका है और वो है ‘दोष निवारण’. तुम इसके लिए तैयार हो ?
काजल – गुरुजी, आप जो कहेंगे मैं वही करूँगी.
वो अभी भी सुबक रही थी. और उसको अधनंगी देखकर ऐसा लग रहा था की जैसे वो अपने कपड़ों के लिए रो रही हो. गुरुजी दूसरी तरफ चले गये और वहाँ बैठकर चंदन की थाली में लेप बनाने लगे.
“गुरुजी, आप कहें तो मैं बना दूँ ?”
गुरुजी – नहीं रश्मि, मैं बना लूँगा. तुम इसका ध्यान रखो और इससे चुप होने के लिए कहो. ये कोई बच्ची नहीं है.
काजल शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से असहाय लग रही थी. मैंने उसके सर पे हाथ फेरा और उससे चुप होने को कहा. मैंने अपनी साड़ी के पल्लू से उसके गालों से आँसू पोंछ दिए और वो अब शांत हो गयी.
गुरुजी – रश्मि, अब ठीक है काजल ?
“जी गुरुजी.”
गुरुजी – ठीक है. अब फर्श में वो सफेद साड़ी फैला दो जो नंदिनी ने तुम्हें दी थी.
मैंने वैसा ही किया. काजल चुपचाप खड़ी थी. गुरुजी ने एक बड़े कटोरे में चंदन का लेप बना दिया था और मैं सोच रही थी की इतने ज़्यादा चंदन से वो क्या करेंगे ? अब गुरुजी खड़े हो गये और अचानक हमारे सामने ही अपनी धोती खोल दी. अब वो सिर्फ एक कच्छे में थे और छोटे से कच्छे में उनके बड़े लंड की शेप देखकर मेरे मुँह से “ओह्ह …” निकल गया. गुरुजी लंबे चौड़े शरीर वाले थे और उन्हें ऐसे सिर्फ एक छोटे से कच्छे में देखकर कोई भी औरत डर जाती. मैंने देखा उनका मोटा लंड उस कच्छे के कपड़े को भद्दे ढंग से ताने हुए है और हम दोनों लड़कियों की नजरें उसी पर जमी हुई थीं.
गुरुजी – काजल बेटी, घबराओ नहीं. ये ’दोष निवारण’ का रिवाज है. जब तुम लिंगा महाराज के सामने खुद को समर्पित करते हो, तो तुम्हें अपने विशुद्ध रूप में होना चाहिए.
ऐसा कहते हुए गुरुजी अग्नि के सम्मुख एक पैर में खड़े हो गये और आँखें बंद करके अपने हाथ सर के ऊपर उठाकर जोड़ लिए और ज़ोर ज़ोर से मंत्रोच्चार करने लगे. अग्निकुण्ड से उठती लपटों के सामने वो बड़े भयंकर लग रहे थे. मैंने काजल की ओर देखा और वो अभी भी गुरुजी के कच्छे से ढके हुए लंड को देख रही थी. उसकी देखादेखी मेरी नजरें भी फिर वहीं टिक गयीं, जो किसी भी औरत का मनपसंद अंग होता है. मैं सोचने लगी , आज तक थोड़े बहुत जितने भी लंड मैंने देखे हैं , उनमें सबसे बड़ा और मोटा यही है भले ही अभी कच्छे के अंदर है. फिर गुरुजी ने मंत्रोच्चार बंद कर दिया और आँखें खोल दी.
गुरुजी – काजल बेटी, अब तुम बच्ची नहीं रही. तुमने 18 साल पूरे कर लिए. इसलिए अब तक जो काम तुम अपने माता पिता से छुप छुपाकर करती हो और इस तरह से अपनी पढ़ाई का नुकसान कर रही हो, वो अब तुम्हें खुलकर जान लेना चाहिए.
गुरुजी अभी भी अग्नि के सामने उसी स्थिति में एक पैर के ऊपर खड़े थे. वो देखकर काजल ने पूजा की मुद्रा में हाथ जोड़ लिए और गुरुजी की आँखों में देखा.
गुरुजी – काजल बेटी , तुम्हारी आँखों में स्वाभाविक विस्मय का भाव मुझे साफ दिख रहा है जो मैं तुम्हारी रश्मि आंटी की आँखों में नहीं देख रहा हूँ. जानती हो क्यूँ ? ऐसा इसलिए है क्यूंकी वो शादीशुदा है और उसने मर्द के ‘यौन अंग’ को देखा भी है और महसूस भी किया है, जबकि तुमने अभी ऐसा नहीं किया है.
गुरुजी के मुँह से ये सुनकर मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया और मैं उनकी तरफ आँखें नहीं उठा पायी जबकि अभी वो काजल से बोल रहे थे.
गुरुजी – काजल बेटी, हर लड़की को मर्द के शरीर के बारे में , उनके छूने से होने वाली कामोत्तेजना के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है. इस उमर में ये स्वाभाविक है. पर इस वजह से अपने लक्ष्य से ध्यान भटकाना ग़लत है और तुम्हें अपने व्यवहार को नियंत्रित करना होगा. इस ‘दोष निवारण’ प्रक्रिया से तुम्हें इसमें मदद मिलेगी.
वो थोड़ा रुके फिर ….
गुरुजी – बेटी , जो जिज्ञासायें तुम्हारे मन में हैं, वो मेरे मन में भी थीं जब मैं तुम्हारी उमर का था. हम मर्द भी इसी तरह से औरतों के बदन, उनके छूने से होने वाली कामोत्तेजना के प्रति उत्सुक रहते हैं. यही जीवन है .
गुरुजी के इस तरह चीज़ों को खुलकर समझाने से माहौल हल्का हो गया. काजल भी अब खुलकर अपने मन की बात बताने लगी.
काजल – गुरुजी , आप ठीक कह रहे हैं. मैं ध्यान नहीं लगा पाती हूँ और हर समय ……
गुरुजी – मैं समझ रहा हूँ बेटी. लेकिन जब तुम्हें लगता है की इससे तुम्हारी पढ़ाई में असर पड़ रहा है तो तुम्हें नंदिनी से बात करनी चाहिए. है की नहीं ? लेकिन तुम्हारी सोच तुम्हें ऐसा नहीं करने देती, क्यूंकी तुम्हें लगता है की अगर तुम ऐसी बातें अपने माता पिता को बताओगी तो वो डंडा लेकर तुम्हारे पीछे दौड़ेंगे.
काजल – गुरुजी , आप बिल्कुल सच कह रहे हैं.
गुरुजी – मेरे पास आओ बेटी.
काजल गुरुजी के पास चली गयी और हाथ जोड़कर अग्निकुण्ड के पास खड़ी हो गयी. उसका करीब करीब नंगा बदन अग्नि की लपटों से लाल लग रहा था.
गुरुजी – लिंगा महाराज के सामने कुछ भी मत छिपाओ. माध्यम के रूप में मैं भी उसका ही एक भाग हूँ. मुझे बताओ क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है ?
काजल ने सर हिलाकर हामी भरी और अग्निकुण्ड के पास खड़ी हो गयी. मैं थोड़ा साइड में खड़ी थी. अब गुरुजी ने घी का बर्तन उठाया.
गुरुजी – काजल बेटी, इसे पकड़ो.
काजल ने घी का बर्तन पकड़ लिया. अब गुरुजी काजल के पीछे खड़े हो गये और काजल की बाँहों के अंदर से अपनी बाँहें घुसाकर घी का बर्तन पकड़ लिया. अब गुरुजी की बाँहें काजल की बाँहों और उसके बदन के बीच दबी हुई थीं और दोनों ने उस घी के बर्तन को पकड़ा हुआ था. गुरुजी की बाँहों से काजल की ब्रा से ढकी हुई चूचियाँ साइड्स से दब रही थीं. लेकिन जिस तरह से काजल के नितंबों पर गुरुजी ने अपने श्रोणि भाग को एडजस्ट किया उससे मुझे झटका लगा और उनके इरादों पर शक हुआ.
अब गुरुजी मंत्रोच्चार करने लगे और धीरे धीरे घी के बर्तन से अग्नि में घी की आहुति देने लगे. मैं उन दोनों के साइड में खड़ी थी इसलिए मुझे सब दिख रहा था. अब गुरुजी जानबूझकर काजल की चूचियों पर अपनी बाँहें रगड़ने लगे . मुलायम चूचियों को छूने से गुरुजी की कामोत्तेजना बढ़ने लगी क्यूंकी अब उन्होने काजल की पैंटी से ढकी हुई गांड पर अपने श्रोणि भाग को रगड़ना शुरू कर दिया. काजल भी जरूर गर्मी महसूस कर रही होगी, सामने अग्निकुण्ड की गर्मी थी और पीछे से एक मर्द उसके बदन को छू रहा था. गुरुजी की बाँहों में सिर्फ सफेद ब्रा पैंटी में काजल किसी अप्सरा की तरह लग रही थी.
गुरुजी – काजल बेटी, अब मैं तुम्हारे आगे आऊँगा और तुम मेरे दोनों तरफ बाँहें डाल कर अग्नि में घी की आहुति देना.
काजल – जी गुरुजी.
अब गुरुजी काजल के सामने आ गये. काजल ने गुरुजी की बाँहों के अंदर से अपनी बाँहें डाली और यज्ञ में घी की आहुति देने लगी. गुरुजी सिर्फ धोती पहने हुए थे और उनका ऊपरी बदन नंगा था. मैंने ख्याल किया की गुरुजी ने अपने को ऐसे एडजस्ट किया की काजल की नुकीली चूचियाँ उनकी बालों से भरी छाती को छूने लगीं. स्वाभाविक रूप से किसी भी औरत की तरह काजल को भी असहज महसूस हुआ होगा की उसकी चूचियाँ एक मर्द की छाती को छू रही हैं. वो अपनी जगह से थोड़ा हिली लेकिन गुरुजी ने उसको अपनी तरफ खींचकर फिर से उसी स्थिति में ला दिया. काजल गुरुजी से नजरें नहीं मिला रही थी और ज़्यादातर आँखें बंद ही रख रही थी और गुरुजी जो मंत्र बोल रहे थे काजल उन्हें दुहरा रही थी. शायद काजल के आँखें बंद करने से गुरुजी को ज़्यादा अच्छे से मौका मिल गया. अब गुरुजी अपनी अंगुलियों को काजल के पेट में ऊपर नीचे फिराने लगे और उसकी पैंटी के ऊपर से नितंबों पर भी. काजल हल्के से कुलबुला रही थी. मैं समझ गयी की एक मर्द के छूने से उस पर जो प्रभाव हो रहा है , काजल उसको छुपाना चाह रही है. कुछ पलों तक ऐसे होता रहा फिर अचानक गुरुजी ने मंत्रोच्चार बंद कर दिया और काजल से अलग हो गये.
गुरुजी – काजल बेटी, ये क्या है ? मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी की सिर्फ मंत्र और पूजा में ध्यान लगाना. लेकिन ऐसा लगता है की तुमने कोई सबक नहीं सीखा.
काजल का मुँह फक पड़ गया और उससे कुछ जवाब देते नहीं बना. उसकी ब्रा में तने हुए निपल्स की शेप साफ दिख रही थी जिससे ये साबित हो रहा था की गुरुजी के छूने से वो उत्तेजित हो रही थी.
गुरुजी – तुम अपनी पढ़ाई में सफल नहीं हो पा रही हो क्यूंकी तुम्हारा ध्यान और चीज़ों में ज़्यादा रहता है. जब तक तुम कुँवारी हो उन चीज़ों से तुम्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिए. मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ.
गुरुजी क्षुब्ध नजर आ रहे थे, कमरे में बिल्कुल चुप्पी छा गयी.
काजल – गुरुजी प्लीज मुझे क्षमा कर दीजिए.
गुरुजी – क्षमा करने की बात नहीं है. पूरे यज्ञ के दौरान तुमने पूजा की बजाय अपने शारीरिक सुख पर ध्यान लगा रखा है. मुझे तुम्हारे माता पिता को ये बात बतानी पड़ेगी.
ये सुनकर काजल इतना घबरा गयी की उसने और भी ज़्यादा गड़बड़ कर दी . उसने तुरंत गुरुजी के पैर पकड़ लिए और रोने लगी. लेकिन उसे नहीं मालूम था की इस मुद्रा में वो इतनी लुभावनी लग रही थी की मुझे नजरें फेर लेनी पड़ीं. ब्रा के स्ट्रैप को छोड़कर उसकी पूरी गोरी पीठ नंगी थी और जब वो फर्श में झुकी तो उसके मांसल नितंबों पर पैंटी खींच गयी और उसकी गांड की दरार का ऊपरी हिस्सा दिखने लगा. वो दृश्य देखकर किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो जाता. उसने पैंटी के ऊपर भगवा वस्त्र लपेटा हुआ था पर ऐसे झुकने से वो भी नीचे को खिसक गया था और गांड की दरार का ऊपरी हिस्सा दिख गया.
गुरुजी – बेटी उठो और ये रोना धोना बंद करो.
अब मुझे आगे आना पड़ा और मैंने काजल को उठाने की कोशिश की. काफ़ी समझाने के बाद वो खड़ी हुई . लेकिन जब वो झुकी हुई स्थिति से खड़ी होने लगी तो उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा और उनके बीच की घाटी गहराई तक दिख गयी , जिसे देखकर किसी भी उमर के मर्द की उत्तेजना बढ़ जाती.
गुरुजी – अब इस यज्ञ को पूरा करने का एक ही तरीका है और वो है ‘दोष निवारण’. तुम इसके लिए तैयार हो ?
काजल – गुरुजी, आप जो कहेंगे मैं वही करूँगी.
वो अभी भी सुबक रही थी. और उसको अधनंगी देखकर ऐसा लग रहा था की जैसे वो अपने कपड़ों के लिए रो रही हो. गुरुजी दूसरी तरफ चले गये और वहाँ बैठकर चंदन की थाली में लेप बनाने लगे.
“गुरुजी, आप कहें तो मैं बना दूँ ?”
गुरुजी – नहीं रश्मि, मैं बना लूँगा. तुम इसका ध्यान रखो और इससे चुप होने के लिए कहो. ये कोई बच्ची नहीं है.
काजल शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से असहाय लग रही थी. मैंने उसके सर पे हाथ फेरा और उससे चुप होने को कहा. मैंने अपनी साड़ी के पल्लू से उसके गालों से आँसू पोंछ दिए और वो अब शांत हो गयी.
गुरुजी – रश्मि, अब ठीक है काजल ?
“जी गुरुजी.”
गुरुजी – ठीक है. अब फर्श में वो सफेद साड़ी फैला दो जो नंदिनी ने तुम्हें दी थी.
मैंने वैसा ही किया. काजल चुपचाप खड़ी थी. गुरुजी ने एक बड़े कटोरे में चंदन का लेप बना दिया था और मैं सोच रही थी की इतने ज़्यादा चंदन से वो क्या करेंगे ? अब गुरुजी खड़े हो गये और अचानक हमारे सामने ही अपनी धोती खोल दी. अब वो सिर्फ एक कच्छे में थे और छोटे से कच्छे में उनके बड़े लंड की शेप देखकर मेरे मुँह से “ओह्ह …” निकल गया. गुरुजी लंबे चौड़े शरीर वाले थे और उन्हें ऐसे सिर्फ एक छोटे से कच्छे में देखकर कोई भी औरत डर जाती. मैंने देखा उनका मोटा लंड उस कच्छे के कपड़े को भद्दे ढंग से ताने हुए है और हम दोनों लड़कियों की नजरें उसी पर जमी हुई थीं.
गुरुजी – काजल बेटी, घबराओ नहीं. ये ’दोष निवारण’ का रिवाज है. जब तुम लिंगा महाराज के सामने खुद को समर्पित करते हो, तो तुम्हें अपने विशुद्ध रूप में होना चाहिए.
ऐसा कहते हुए गुरुजी अग्नि के सम्मुख एक पैर में खड़े हो गये और आँखें बंद करके अपने हाथ सर के ऊपर उठाकर जोड़ लिए और ज़ोर ज़ोर से मंत्रोच्चार करने लगे. अग्निकुण्ड से उठती लपटों के सामने वो बड़े भयंकर लग रहे थे. मैंने काजल की ओर देखा और वो अभी भी गुरुजी के कच्छे से ढके हुए लंड को देख रही थी. उसकी देखादेखी मेरी नजरें भी फिर वहीं टिक गयीं, जो किसी भी औरत का मनपसंद अंग होता है. मैं सोचने लगी , आज तक थोड़े बहुत जितने भी लंड मैंने देखे हैं , उनमें सबसे बड़ा और मोटा यही है भले ही अभी कच्छे के अंदर है. फिर गुरुजी ने मंत्रोच्चार बंद कर दिया और आँखें खोल दी.
गुरुजी – काजल बेटी, अब तुम बच्ची नहीं रही. तुमने 18 साल पूरे कर लिए. इसलिए अब तक जो काम तुम अपने माता पिता से छुप छुपाकर करती हो और इस तरह से अपनी पढ़ाई का नुकसान कर रही हो, वो अब तुम्हें खुलकर जान लेना चाहिए.
गुरुजी अभी भी अग्नि के सामने उसी स्थिति में एक पैर के ऊपर खड़े थे. वो देखकर काजल ने पूजा की मुद्रा में हाथ जोड़ लिए और गुरुजी की आँखों में देखा.
गुरुजी – काजल बेटी , तुम्हारी आँखों में स्वाभाविक विस्मय का भाव मुझे साफ दिख रहा है जो मैं तुम्हारी रश्मि आंटी की आँखों में नहीं देख रहा हूँ. जानती हो क्यूँ ? ऐसा इसलिए है क्यूंकी वो शादीशुदा है और उसने मर्द के ‘यौन अंग’ को देखा भी है और महसूस भी किया है, जबकि तुमने अभी ऐसा नहीं किया है.
गुरुजी के मुँह से ये सुनकर मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया और मैं उनकी तरफ आँखें नहीं उठा पायी जबकि अभी वो काजल से बोल रहे थे.
गुरुजी – काजल बेटी, हर लड़की को मर्द के शरीर के बारे में , उनके छूने से होने वाली कामोत्तेजना के बारे में जानने की उत्सुकता रहती है. इस उमर में ये स्वाभाविक है. पर इस वजह से अपने लक्ष्य से ध्यान भटकाना ग़लत है और तुम्हें अपने व्यवहार को नियंत्रित करना होगा. इस ‘दोष निवारण’ प्रक्रिया से तुम्हें इसमें मदद मिलेगी.
वो थोड़ा रुके फिर ….
गुरुजी – बेटी , जो जिज्ञासायें तुम्हारे मन में हैं, वो मेरे मन में भी थीं जब मैं तुम्हारी उमर का था. हम मर्द भी इसी तरह से औरतों के बदन, उनके छूने से होने वाली कामोत्तेजना के प्रति उत्सुक रहते हैं. यही जीवन है .
गुरुजी के इस तरह चीज़ों को खुलकर समझाने से माहौल हल्का हो गया. काजल भी अब खुलकर अपने मन की बात बताने लगी.
काजल – गुरुजी , आप ठीक कह रहे हैं. मैं ध्यान नहीं लगा पाती हूँ और हर समय ……
गुरुजी – मैं समझ रहा हूँ बेटी. लेकिन जब तुम्हें लगता है की इससे तुम्हारी पढ़ाई में असर पड़ रहा है तो तुम्हें नंदिनी से बात करनी चाहिए. है की नहीं ? लेकिन तुम्हारी सोच तुम्हें ऐसा नहीं करने देती, क्यूंकी तुम्हें लगता है की अगर तुम ऐसी बातें अपने माता पिता को बताओगी तो वो डंडा लेकर तुम्हारे पीछे दौड़ेंगे.
काजल – गुरुजी , आप बिल्कुल सच कह रहे हैं.
गुरुजी – मेरे पास आओ बेटी.
काजल गुरुजी के पास चली गयी और हाथ जोड़कर अग्निकुण्ड के पास खड़ी हो गयी. उसका करीब करीब नंगा बदन अग्नि की लपटों से लाल लग रहा था.
गुरुजी – लिंगा महाराज के सामने कुछ भी मत छिपाओ. माध्यम के रूप में मैं भी उसका ही एक भाग हूँ. मुझे बताओ क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है ?