hotaks444
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देगा।
जब मैंने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड मेरे सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था..।तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था..।शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे किग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम मैंने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।
तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड..।सीखोगी ना? उसने मुझसे पूछा।
मैं घबरा गयी थी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर लेकिन फिर भी उसके लंड की कशीश मुझे अपनी ओर खींच रही थी। ज़ोरों की बारिश की वजह से मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गये थे और मेरे मम्मों का शेप एकदम साफ़ नज़र आ रहा थ। ब्रा भी मेरी टाईट हुए निप्पलों को नहीं ढक पा रही थी। मैं बारिश की बूँदों को उसके लंड के ऊपर गिरते हुए देख रही थी। इतना ठंडा पानी गिरने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह तना हुआ था। मुझे एसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और मेरे आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो। उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे चेहरे से सिर्फ़ तीन इन्च की दूरी पर था।
उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से मैं तो जैसे बेखुद सी हो गयी थी। मेरी जीभ अचानक ही मेरे मुँह से बाहर आ गयी और मेरे नीचे वाले होंठ पे फिरने लगी। मैं काफी घबराई हुई और कनफ़्यूज़्ड थी। मेरा दिल कह रहा था कि मैं उसके मोटे लंड को चूस लूँ पर दिमाग कह रहा था कि मैं अपने इस हाल पे रोना शुरू करूँ।
अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए वो बोला ए राँड चल जल्दी मेरा लंड चूस..।देख अगर तूने अच्छी तरह चूस के मुझे खुश कर दिया तो मैं तुझे तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डाले बिना ही छोड़ दूँगा। अगर तू यह चाहती है कि मेरा यह लंड तेरी कसी हुई चूत को फाड़ के भोंसड़ा ना बनाये तो अच्छी तरह से मेरा लंड चूस..। वरना भगवान कसम मैं तेरी चूत को चोद-चोद के उसका ऐसा भोंसड़ा बना दूँगा कि तू एक महीने तक ठीक तरह से चल भी नहीं पायेगी
मैं तो उसके एक-एक अल्फाज़ को सुन कर सन्न रह गयी। उसका लंड बेहद बड़ा और खतरनाक नज़र आ रहा था। मुझे तो यह भी पता नहीं था कि मैं उसके लंड का सुपाड़ा भी अपने मुँह में ले पाऊँगी भी कि नहीं। उसके लंड को देखते हुए मैं सोचने लगीकि मैं क्या करूँ या ना करूँ। एक दो पल के लिए उसने जो कहा मैं उसके बारे में सोचने के लिए ठहरी कि अचानक उसने थाड़ से मेरे गाल पे अपने पथरीले हाथ से फटकारा। मुझे तो जैसे दिन में तारे दिख गये हों, ऐसी हालत हो गयी।
चूसना शुरू कर...। रंडी.। साली मादरचोद मेरे पास पूरी रात नहीं है!
उसका लंड मेरी कसी हुई चूत को फाड़ रहा है..।वही सीन सोच के मैं डर गयी और साथ-साथ उत्तेजित भी हो गयी। पर आखिर में जीत डर की ही हुई।
मैंने फ़ैसला कर लिया कि कुछ भी हो, मैं अपने जिस्म को और मुश्किल में नहीं डालुँगी और उसका लंड चूस दूँगी। मैंने जल्दी से उसके लंड को निचले सीरे से पकड़ा। वो बारिश की वजह से एकदम गीला हो चुका था लेकिन जैसा मैंने पहले बताया कि बारिश के ठंडे पानी का उसके लंड पर कोई असर नहीं था। वो चट्टान की तरह तना हुआ और फौलाद की तरह गरम था। मैंने धीरे-धीरे अपनी जीभ बाहर निकाल के उसके लंड के सुपाड़े के ऊपर फ़िराना शुरू किया।
मम्म्म्म्म..।वाह वाह मेरी राँड वाह..।डाल ले इसे अपने मुँह में..।डाल साली राँड डाल
मैंने जितना हो सके अपना मुँह उतना फ़ैला के उसके लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में डाल दिया और धीरे-धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया। उसके लंड के सुपाड़े ने मेरा पूरा मुँह भर दिया था। उसने अपना सर थोड़ा पीछे की तरफ़ झुकाया और मेरे गीले बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा।
वाह...वाह मेरी रंडी...।बहुत खूब..।चूस इसे..।चूस मेरा लंड आहहहह..।तू तो बहुत चुदासी लगती है..।आहहह..।बहुतों के लंड लिए लगते हैं तूने..।उम्म्म्मवो गुर्राया।
उसकी हवस अब मेरे जिस्म में उतर कर दौड़ने लगी थी। उसका लंड चूसने की चाहत ने मेरी हवस को छेड़ दिया था। मेरे जिस्म में उसकी ताक़त सैलाब बन के दौड़ने लगी। इस मोड़ पे मुझे उसका लंड चूसने की बेहद आरज़ू होने लगी थी और मैं उसका लंड बहुत बेसब्री से चूसना चाहती थी। पता नहीं कि मैं जल्दी निपटा के उससे छुटकारा पाना चाहती थी या यह मेरी हवस थी जो मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी। मैं फिर से कनफ़्यूज़ हो गयी और खुद की नज़रों में फिर से गिर गयी।
धीरे से मैंने उसके लंड को अपने मुँह में और अंदर घुसेड़ लिया और उसके कुल्हों को अपनी तरफ़ खींचा। अभी भी एक मुठ्ठी जितना लंड मेरे हाथों में था और तब मुझे महसूस हुआ कि उसके लंड का सुपाड़ा मेरे गले तक आ गया है। थोड़ा सहारा लेने के लिए मैं कार तक पीछे हटी। उसने अब मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब वो अपना बड़ा सा लंड मेरे मुँह के अंदर-बाहर करके मेरे मुँह को चोदने लगा। अब वो अपने हर एक धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरे हलक के नीचे तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था। उसके दोनों हाथों ने मेरे चेहरे को कस के पकड़ रखा था।
जब मैंने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड मेरे सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था..।तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था..।शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे किग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम मैंने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था ।
तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड..।सीखोगी ना? उसने मुझसे पूछा।
मैं घबरा गयी थी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर लेकिन फिर भी उसके लंड की कशीश मुझे अपनी ओर खींच रही थी। ज़ोरों की बारिश की वजह से मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गये थे और मेरे मम्मों का शेप एकदम साफ़ नज़र आ रहा थ। ब्रा भी मेरी टाईट हुए निप्पलों को नहीं ढक पा रही थी। मैं बारिश की बूँदों को उसके लंड के ऊपर गिरते हुए देख रही थी। इतना ठंडा पानी गिरने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह तना हुआ था। मुझे एसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और मेरे आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो। उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे चेहरे से सिर्फ़ तीन इन्च की दूरी पर था।
उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से मैं तो जैसे बेखुद सी हो गयी थी। मेरी जीभ अचानक ही मेरे मुँह से बाहर आ गयी और मेरे नीचे वाले होंठ पे फिरने लगी। मैं काफी घबराई हुई और कनफ़्यूज़्ड थी। मेरा दिल कह रहा था कि मैं उसके मोटे लंड को चूस लूँ पर दिमाग कह रहा था कि मैं अपने इस हाल पे रोना शुरू करूँ।
अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए वो बोला ए राँड चल जल्दी मेरा लंड चूस..।देख अगर तूने अच्छी तरह चूस के मुझे खुश कर दिया तो मैं तुझे तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डाले बिना ही छोड़ दूँगा। अगर तू यह चाहती है कि मेरा यह लंड तेरी कसी हुई चूत को फाड़ के भोंसड़ा ना बनाये तो अच्छी तरह से मेरा लंड चूस..। वरना भगवान कसम मैं तेरी चूत को चोद-चोद के उसका ऐसा भोंसड़ा बना दूँगा कि तू एक महीने तक ठीक तरह से चल भी नहीं पायेगी
मैं तो उसके एक-एक अल्फाज़ को सुन कर सन्न रह गयी। उसका लंड बेहद बड़ा और खतरनाक नज़र आ रहा था। मुझे तो यह भी पता नहीं था कि मैं उसके लंड का सुपाड़ा भी अपने मुँह में ले पाऊँगी भी कि नहीं। उसके लंड को देखते हुए मैं सोचने लगीकि मैं क्या करूँ या ना करूँ। एक दो पल के लिए उसने जो कहा मैं उसके बारे में सोचने के लिए ठहरी कि अचानक उसने थाड़ से मेरे गाल पे अपने पथरीले हाथ से फटकारा। मुझे तो जैसे दिन में तारे दिख गये हों, ऐसी हालत हो गयी।
चूसना शुरू कर...। रंडी.। साली मादरचोद मेरे पास पूरी रात नहीं है!
उसका लंड मेरी कसी हुई चूत को फाड़ रहा है..।वही सीन सोच के मैं डर गयी और साथ-साथ उत्तेजित भी हो गयी। पर आखिर में जीत डर की ही हुई।
मैंने फ़ैसला कर लिया कि कुछ भी हो, मैं अपने जिस्म को और मुश्किल में नहीं डालुँगी और उसका लंड चूस दूँगी। मैंने जल्दी से उसके लंड को निचले सीरे से पकड़ा। वो बारिश की वजह से एकदम गीला हो चुका था लेकिन जैसा मैंने पहले बताया कि बारिश के ठंडे पानी का उसके लंड पर कोई असर नहीं था। वो चट्टान की तरह तना हुआ और फौलाद की तरह गरम था। मैंने धीरे-धीरे अपनी जीभ बाहर निकाल के उसके लंड के सुपाड़े के ऊपर फ़िराना शुरू किया।
मम्म्म्म्म..।वाह वाह मेरी राँड वाह..।डाल ले इसे अपने मुँह में..।डाल साली राँड डाल
मैंने जितना हो सके अपना मुँह उतना फ़ैला के उसके लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में डाल दिया और धीरे-धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया। उसके लंड के सुपाड़े ने मेरा पूरा मुँह भर दिया था। उसने अपना सर थोड़ा पीछे की तरफ़ झुकाया और मेरे गीले बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा।
वाह...वाह मेरी रंडी...।बहुत खूब..।चूस इसे..।चूस मेरा लंड आहहहह..।तू तो बहुत चुदासी लगती है..।आहहह..।बहुतों के लंड लिए लगते हैं तूने..।उम्म्म्मवो गुर्राया।
उसकी हवस अब मेरे जिस्म में उतर कर दौड़ने लगी थी। उसका लंड चूसने की चाहत ने मेरी हवस को छेड़ दिया था। मेरे जिस्म में उसकी ताक़त सैलाब बन के दौड़ने लगी। इस मोड़ पे मुझे उसका लंड चूसने की बेहद आरज़ू होने लगी थी और मैं उसका लंड बहुत बेसब्री से चूसना चाहती थी। पता नहीं कि मैं जल्दी निपटा के उससे छुटकारा पाना चाहती थी या यह मेरी हवस थी जो मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी। मैं फिर से कनफ़्यूज़ हो गयी और खुद की नज़रों में फिर से गिर गयी।
धीरे से मैंने उसके लंड को अपने मुँह में और अंदर घुसेड़ लिया और उसके कुल्हों को अपनी तरफ़ खींचा। अभी भी एक मुठ्ठी जितना लंड मेरे हाथों में था और तब मुझे महसूस हुआ कि उसके लंड का सुपाड़ा मेरे गले तक आ गया है। थोड़ा सहारा लेने के लिए मैं कार तक पीछे हटी। उसने अब मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब वो अपना बड़ा सा लंड मेरे मुँह के अंदर-बाहर करके मेरे मुँह को चोदने लगा। अब वो अपने हर एक धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरे हलक के नीचे तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था। उसके दोनों हाथों ने मेरे चेहरे को कस के पकड़ रखा था।