Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी - Page 3 - SexBaba
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Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी

देगा। 
जब मैंने उसकी पैंट की ज़िप को खोलना शुरू किया तो मेरे हाथ काँपने लगे। उसका लंड इतना टाईट था कि उसकी पैंट की ज़िप तो पहले से ही आधी नीचे आ गयी थी। मैंने उसकी बाकी की ज़िप नीचे उतार दी और फटाक से उसका तन्नाया हुआ काला लंड मेरे सामने साँप की तरह फुफ्कारने लगा। उसका लंड वाकय में काफ़ी बड़ा था..।तकरीबन नौ-साड़े नौ इन्च का होगा। उसका लंड काफ़ी मोटा भी था..।शायद तीन इन्च होगा, और एकदम काला जैसे किग्रैफाइट से बना हुआ हो। किसी आम मर्द का तो शायद ऐसा नहीं होगा, कम से कम मैंने तो हकीकत में तब तक इतना लंबा और मोटा लंड नहीं देखा था । 
तुम अब इस लंड से प्यार करना सीखोगी मेरी राँड..।सीखोगी ना?” उसने मुझसे पूछा। 
मैं घबरा गयी थी उसके लंड की लंबाई और मोटाई देख कर लेकिन फिर भी उसके लंड की कशीश मुझे अपनी ओर खींच रही थी। ज़ोरों की बारिश की वजह से मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गये थे और मेरे मम्मों का शेप एकदम साफ़ नज़र आ रहा थ। ब्रा भी मेरी टाईट हुए निप्पलों को नहीं ढक पा रही थी। मैं बारिश की बूँदों को उसके लंड के ऊपर गिरते हुए देख रही थी। इतना ठंडा पानी गिरने पर भी उसका लंड एक मजबूत खंबे की तरह तना हुआ था। मुझे एसा लगा कि वक्त मानो ठहर गया हो और मेरे आजू-बाजू सब कुछ स्लो-मोशन में हो रहा हो। उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरे चेहरे से सिर्फ़ तीन इन्च की दूरी पर था। 
उसके लंड को अपने आप झटके खाते देखने की वजह से मैं तो जैसे बेखुद सी हो गयी थी। मेरी जीभ अचानक ही मेरे मुँह से बाहर आ गयी और मेरे नीचे वाले होंठ पे फिरने लगी। मैं काफी घबराई हुई और कनफ़्यूज़्ड थी। मेरा दिल कह रहा था कि मैं उसके मोटे लंड को चूस लूँ पर दिमाग कह रहा था कि मैं अपने इस हाल पे रोना शुरू करूँ। 
अपने लंड को हाथ में हिलाते हुए वो बोला “ए राँड चल जल्दी मेरा लंड चूस..।देख अगर तूने अच्छी तरह चूस के मुझे खुश कर दिया तो मैं तुझे तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डाले बिना ही छोड़ दूँगा। अगर तू यह चाहती है कि मेरा यह लंड तेरी कसी हुई चूत को फाड़ के भोंसड़ा ना बनाये तो अच्छी तरह से मेरा लंड चूस..। वरना भगवान कसम मैं तेरी चूत को चोद-चोद के उसका ऐसा भोंसड़ा बना दूँगा कि तू एक महीने तक ठीक तरह से चल भी नहीं पायेगी”
मैं तो उसके एक-एक अल्फाज़ को सुन कर सन्न रह गयी। उसका लंड बेहद बड़ा और खतरनाक नज़र आ रहा था। मुझे तो यह भी पता नहीं था कि मैं उसके लंड का सुपाड़ा भी अपने मुँह में ले पाऊँगी भी कि नहीं। उसके लंड को देखते हुए मैं सोचने लगीकि मैं क्या करूँ या ना करूँ। एक दो पल के लिए उसने जो कहा मैं उसके बारे में सोचने के लिए ठहरी कि अचानक उसने थाड़ से मेरे गाल पे अपने पथरीले हाथ से फटकारा। मुझे तो जैसे दिन में तारे दिख गये हों, ऐसी हालत हो गयी। 
चूसना शुरू कर...। रंडी.। साली मादरचोद मेरे पास पूरी रात नहीं है!”
उसका लंड मेरी कसी हुई चूत को फाड़ रहा है..।वही सीन सोच के मैं डर गयी और साथ-साथ उत्तेजित भी हो गयी। पर आखिर में जीत डर की ही हुई। 
मैंने फ़ैसला कर लिया कि कुछ भी हो, मैं अपने जिस्म को और मुश्किल में नहीं डालुँगी और उसका लंड चूस दूँगी। मैंने जल्दी से उसके लंड को निचले सीरे से पकड़ा। वो बारिश की वजह से एकदम गीला हो चुका था लेकिन जैसा मैंने पहले बताया कि बारिश के ठंडे पानी का उसके लंड पर कोई असर नहीं था। वो चट्टान की तरह तना हुआ और फौलाद की तरह गरम था। मैंने धीरे-धीरे अपनी जीभ बाहर निकाल के उसके लंड के सुपाड़े के ऊपर फ़िराना शुरू किया। 
मम्म्म्म्म..।वाह वाह मेरी राँड वाह..।डाल ले इसे अपने मुँह में..।डाल साली राँड डाल”
मैंने जितना हो सके अपना मुँह उतना फ़ैला के उसके लंड के सुपाड़े को अपने मुँह में डाल दिया और धीरे-धीरे स्ट्रोक करना शुरू कर दिया। उसके लंड के सुपाड़े ने मेरा पूरा मुँह भर दिया था। उसने अपना सर थोड़ा पीछे की तरफ़ झुकाया और मेरे गीले बालों में अपनी उँगलियाँ फिराने लगा। 
वाह...वाह मेरी रंडी...।बहुत खूब..।चूस इसे..।चूस मेरा लंड आहहहह..।तू तो बहुत चुदासी लगती है..।आहहह..।बहुतों के लंड लिए लगते हैं तूने..।उम्म्म्म”वो गुर्राया। 
उसकी हवस अब मेरे जिस्म में उतर कर दौड़ने लगी थी। उसका लंड चूसने की चाहत ने मेरी हवस को छेड़ दिया था। मेरे जिस्म में उसकी ताक़त सैलाब बन के दौड़ने लगी। इस मोड़ पे मुझे उसका लंड चूसने की बेहद आरज़ू होने लगी थी और मैं उसका लंड बहुत बेसब्री से चूसना चाहती थी। पता नहीं कि मैं जल्दी निपटा के उससे छुटकारा पाना चाहती थी या यह मेरी हवस थी जो मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी। मैं फिर से कनफ़्यूज़ हो गयी और खुद की नज़रों में फिर से गिर गयी। 
धीरे से मैंने उसके लंड को अपने मुँह में और अंदर घुसेड़ लिया और उसके कुल्हों को अपनी तरफ़ खींचा। अभी भी एक मुठ्ठी जितना लंड मेरे हाथों में था और तब मुझे महसूस हुआ कि उसके लंड का सुपाड़ा मेरे गले तक आ गया है। थोड़ा सहारा लेने के लिए मैं कार तक पीछे हटी। उसने अब मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब वो अपना बड़ा सा लंड मेरे मुँह के अंदर-बाहर करके मेरे मुँह को चोदने लगा। अब वो अपने हर एक धक्के के साथ अपना पूरा लंड मेरे हलक के नीचे तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था। उसके दोनों हाथों ने मेरे चेहरे को कस के पकड़ रखा था।
 
आहहह..।आहहहह रंडी..। ले और ले..। और ले..। पूरा ले ले मेरा लंड मुँह में..। खोल थोड़ा और खोल अपना मुँह साली राँड!”
वो अब जोर-जोर से मेरे मुँह को चोद रहा था। उसके झटकों में तूफ़ानी तेजी थी। हर एक दफा वो अपना लंड मेरे हलक तक ले जाता था और रूक जाता था और मैं बौखला जाती थी। कईं बार साँस लेना भी मुश्किल हो जाता था। फिर वो धीरे से अपना लंड वापस खींचता और घुसेड़ देता। मैंने उसके लंड को जो कि मानो ऑक्सीज़न कि नली हो, उस तरह से पकड़ के रखा था ताकि उससे मुझे ज्यादा घुटन ना हो। मैंने उसके लंड को अपनी ज़ुबान और होठों से उक्सा दिया था और अपने होठों और ज़ुबान को एक लंड चूसने में माहिर औरत की तरह से इस्तमाल किया । अचानक उसने मेरे दोनों हाथ कस के पकड़ के उन्हें हवा में उठा लिया और एक जोर का झटका अपने लंड को दिया। मेरा सर कार के दरवाज़े से टकराया और उसका लंड सड़ाक से मेरे हलक में जा टकराया। 
आआआघघहहहह।आआहहह रंडीडीडीडी आज तुझे पता चलेगा कि काले लंड क्या होते हैं!”
मेरा पूरा जिस्म एकदम टाईट हो गया। मेरी नाक उसकी झाँटों में घुस चुकी थी जिसकी खुशबू से मैं मदहोश होती चली जा रही थी और उसके टट्टे मेरी चिन के साथ टकरा रहे थे। उसका पूरा लंड मानो मेरे मुँह के अंदर था और उसका दो-तिहाई लंड मेरे हलक में आ अटका था। मैं ख्वाब में भी नहीं सोच सकती थी कि कोई इन्सान इतनी बड़ी चीज़ अपने हलक में उतार सकता है। अब वो एक भूखे शेर की तरह अपना लंड मेरे मुँह के अंदर-बाहर कर रहा था और जितना हो सके उतना ज्यादा अपना लंड मेरे हलक तक डालने की कोशिश कर रहा था। जब-जब वो अपना लंड मेरे गले में घुसेड़ता था तब-तब मेरा सर मेरी कार के दरवाजे से टकराता था। 
मैं जानती थी आगे क्या आनेवाला था और इसके लिए मैं खुद ही जिम्मेवार थी। उसके लंड को मेरे गले तक जाने से कोई नहीं रोक सकता था। तेज़ बारिश में मुझे सिर्फ़ दो ही आवाज़ें सुनाई दे रही थीं - एक तो मेरे सर के कार के दरवाज़े से टकराने की और दूसरी मेरे हलक से आनेवाली आवाज़ की..। जब उसका लंड मेरे हलक तक पूरा चला जाता था तब की। फिर उसने मेरे हाथ छोड़ दिये और मैंने मौका गँवाय बगैर उसके लंड को पकड़ लिय। उसने अब अपना लंड मेरे हलक तक डालने के बजाय मेरे मुँह में ही रखा और मुझे तेज़ी से अपना लंड चूसने को कहा। बारिश अभी भी तेज़ हो रही थी लेकिन मैं अब ठंडी नहीं थी। मैं भी गरम हो चुकी थी। मेरी दो उँगलियाँ अपने आप मेरी चौड़ी हुई चूत से अंदर बाहर हो रही थीं।
मेरा बर्ताव बिल्कुल एक राँड के जैसा था। मुझे मालूम नहीं था मैं ऐसा क्यों कर रही थी। मैं कैसे किसी अजनबी का लंड चूसते हुए अपनी चूत को सहला सकती हूँ? लेकिन मैं अपनी चूत को सहलाये बगैर और अपनी उँगलियाँ उसके अंदर बाहर करने से नहीं रोक पा रही थी। मेरे जहन में यह भी सवाल उठा कि मैं क्यों अपनी चूत को सहला रही हूँ जब यह आदमी मेरा रेप कर रहा है..।और जब वो अपना लंड मेरे हलक में डाल चुका है। उसने अब अपने कुल्हों को झटके देना बँद कर दिया था लेकिन उसका पूरा चार्ज मैंने ले लिया और उसका लंड तेज़ी से चूसने लगी और जितना हो सके उतना लंड अपने मुँह में लेने लगी। मैंने उसकी गीली पैंट को जाँघों से पकड़ा और जितना हो सके उतना उसके लंड को अपने हलक तक लेने लगी..।उतना नहीं जितना वो डालता था लेकिन जितना मैं ले सकती थी उतना..।मानो मैंने किसी का लंड पहले लिया ही ना हो...उस तरह जैसे कि एक रंडी करती है, उस तरह। 
फिर उसने कहा, “आहहघघ आहहहघघहह रंडी मैं झड़ने वाला हूँ।”
मैंने पहले भी कईं लंड चूसे हैं लेकिन मुझे अपने मुँह में किसी का झड़ना खास पसंद नहीं था और मैं नहीं चाहती थी कि यह आदमी मेरे मुँह में झड़े। वो मेरे मुँह में झड़नेवाला है, उस खयाल से मैं बेहद घबरा गयी। मैंने अपने मुँह से उसके काले लंड को निकालने की बेहद कोशिश की लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि वो और जोश में आ गया। उसने फिर अपने कुल्हों को झटका और मुझे मेरी कार के दरवाज़े से सटा दिया और पूरे जोर से अपना काला मोटा और लंबा लंड मेरे हलक में सटा दिया और झड़ गया। 
आघघहह आघघहह..।आआहहह..। लेले मेरा रस ले राँड ले मेरा रस ..।” और उसका पहला माल सीधा मेरी हलक से नीचे उतर गया। 
मैंने काफी कोशिश की कि उसका लंड मेरे मुँह से बाहर निकल जाये लेकिन उसकी बे-इंतहा ताकत के सामने मैं नाकामयाब रही और वो झटके देता गया और उसका रस मेरे हलक से नीचे उतर गया। उसने अपना पूरा रस झड़ने तक अपना लंड मेरे हलक में घुसेड़े रखा ताकि उसका जरा भी रस बाहर ना गिरे। खुद मुतमाइन होके उसने थोड़ा ढील छोड़ा और अपना लंड मेरे हलक से बाहर निकाला। उसके बाद जाके मैं कुछ साँस ले पायी। 
ले साली पी..। पी साली मेरा रस..।पी राँड मुझे पता है तुम साली सभी औरतों को बहुत मज़ा आता है लंड चूसने में..।ले मेरा लंड चूस के उसका रस पी..। पी साली मादरचोद!” उसका रस अभी भी उसके लंड से बाहर निकल रहा था। धीरे से उसने अपना ढीला हुआ लंड मेरे मुँह से निकाला। अल्लाह कसम, उसका ढीला हुआ लंड भी मेरे शौहर के तने हुए लंड से बड़ा था।
जब उसने अपना लंड निकाला तब मैंने चैन की साँस ली। उसके रस ने मेरे सारे चेहरे को ढक दिया था और ठंडा पानी मेरे चेहरे से उस रस को धो रहा था। मैं थक के सिकुड़ कर जमीन पे बैठ गयी। 
क्या बात है तुझे मेरा लंड चूसना अच्छा नहीं लगा?”
 
मैं उसे गुस्सा नहीं करना चाहती थी। इसलिए मैंने सिर्फ़ उसकी और देख के अपना सर हिलाया। मैंने क्यों उसे “हाँ” कहा? मुझे नहीं पता कि यह सच था कि नहीं? मेरे हलक में बहुत दर्द हो रहा था और उसके रस का ज़ायका अब भी मेरी ज़ुबान पे था। बारिश अभी भी उसी तेज़ी से बरस रही थी। बारिश की बूँदें अब काफी बड़ी हो गयी थी। मैंने उसकी और देखा तो वो मुस्कुरा रहा था। मुझे उसके सफ़ेद दाँतों के सिवा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। मैं तो जैसे कोई हॉरर-मूवी देख रही हूँ ऐसा हाल था। 
प्लीज़..।क्या मैं अब जा सकती हूँ...” मैंने काँपते हुए कहा, “प्लीज़ मुझे जाने दो। तुमने जो कहा मैंने वो कर दिया है..। प्लीज़ अब मुझे जाने दो...!”
वो मेरे सामने देख कर हँस पड़ा। मैं खुद को काफी बे-इज्जत महसूसकरने लगी। मुझे ज्यादा शरमिंदगी तो इस बात से हुई कि मेरे जिस्म ने उसके हर एक मूव को रिसपॉन्ड किया था। ऐसा क्यों हुआ? मेरी चूत अभी भी सातवें आसमान के समँदर में झोले खा रही थी और मेरे मम्मे अभी तक टाईट थे और निप्पल तो जैसे नोकिले काँटों की जैसे थे। 
क्या नाम है तेरा...?” उसने पूछा। 
मैंने सहमी हुई आवाज़ में कहा “शालू !”
फिर वो बोला शालू..।बड़ा प्यारा नाम है..और तू तो उससे भी ज्यादा प्यारी है तुझे लगता है मैं तुझे यूँ ही छोड़ दूँगा?” 
लेकिन तुमने कहा था अगर मैं तुम्हारा लंड चूस दूँगी तो तुम मुझे जाने दोगे!” मैं जल्दी-जल्दी बोल गयी। 
मैंने उसके चेहरे के सामने फिर देखा और मेरी नज़र उसके लंड की तरफ दौड़ गयी। मैं तो एकदम भौंचक्की रह गयी..। उसका लंड तो गुब्बारे की तरह तन कर फूल रहा था और एक दो सेकंड के अंदर तो लोहे के बड़े डँडे की तरह टाईट हो गया। 
यह अभी खतम नहीं हुआ… भागो शालू” मैंने अपने दिल में कहा। अपनी सारी ताकत और हिम्मत समेटे हुए मैं खड़ी हुई और मैंने भागने के लिये कदम बढ़ाया। अचानक उसने मेरे सर के बालों को पकड़ के मुझे अपनी ओर खींचा। 
कहाँ जा रही है कुत्तिया शालू… अब तो तू मेरी राँड है..। मेरे कहने से पहले तू यहाँ से नहीं जा सकती!” वो गुस्से से दहाड़ा।
अब उसने मेरी एकदम टाईट चूंचियों को मसलना शुरू कर दिया और देखते-देखते मेरा ब्लाऊज़ फाड़ दिया और मेरे जिस्म से खींच निकला। अब मैं सिर्फ़ ब्रा में थी जो मुश्किल से मेरी चूंचियों को अपने अंदर समाये हुई थी। मेरी चूचियों को महसूस करते ही वो तो पागल-सा हो गया और ऐसे मसलने लगा कि जैसे ज़िंदगी में ऐसी चूचियाँ देखी ही ना हों। वो पागलों की तरह मेरी चूचियों को मसल रहा था और बीच-बीच में वो मेरी निप्पलों को ज़ोर-ज़ोर से पिंच करता था और मेरे गले के इर्द-गिर्द दाँतों से काटता था। मेरे जिस्म पे अब सिर्फ़ एक साड़ी और पेटीकोट था वो भी कमर के नीचे। ऊपर तो सिर्फ़ ब्रा थी और साड़ी भी कैसी..।पैंटी तो पहले ही उस कमीने ने फाड़ के निकाल फेंक दी थी। बारिश के ठंडे पानी में इतनी देर रहने के कारण मेरे सैंडलों के स्ट्रैप मेरे पैरों में काट रहे थे। 
कहाँ जा रही थी रंडी..।तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था...शालू रानी..। मैं तुझसे कितनी अच्छी तरह से पेश आ रहा था..। इस तरह से किसी का शुक्रिया अदा किया जाता है..।अब तेरी इस हरकत ने देख मुझे पागल बना दिया है!”
फिर उसने मेरे चेहरे को पकड़ के कार के हूड से पटका। 
आआआआआहहहहह” मैं दर्द से मर गयी और मेरी सारी ताकत हवा हो गयी। फिर उसने मुझे दबोचे हुए ही मेरी टाँगों के बीच में एक लात मार के मेरी टाँगों को फैला दिया और मेरी साड़ी खींच कर निकाल दी और पेटीकोट कि नाड़ा पकड़ के खींचा और पेटीकोट नीचे गिर गया। अब तो मैं सिर्फ़ ब्रा और हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी उस बरसात में वहाँ खड़ी थी। अभी भी वो मेरी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलता जा रहा था और ब्रा के कप नीचे खिसका कर उसने चूचियों को आज़ाद कर दिया था। मेरी चूचियाँ एकदम लाल हो के टाईट हो गयी थी...जैसे की वो भी अपने मसले जाने का लुत्फ उठा रही हों। सारी ज़िंदगी में मेरी चूचियाँ किसी ने ऐसे जोर से नहीं मसली थीं। बारिश का ठंडा पानी अब मेरी खुली हुई गाँड पे गिर रहा था और मेरी गाँड का छेद शायद उसे साफ़ नज़र आ रहा था।
 
एकदम टाईट गाँड है तेरी...शालू राँड! लगता है किसी ने आज तक तेरी गाँड ली नहीं… तुझे पता है ना सबा..। इसी लिये तू साली ऐसी टाईट साड़ी और यह उँची एड़ी के सैंडल पहनती है?”
नहीं नहीं!!! यह सब गलत है..।मुझे प्लीज़ जाने दो!” मैं काफी छटपटाई उसकी पकड़ से बाहर निकलने को लेकिन वो बहुत ताकतवर था। उसने मेरे मम्मों को दबाते हुए मुझे फिर अपनी और खींचा। इस बार मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड अब मेरी कमर पे रेंग रहा था और उसके आँड मेरी गाँड को छू रहे थे। 
तेरे मर्द के पास ऐसा लंड ही नहीं है कि तेरी चूत को शाँत कर सके.।.है ना सबा?” उसकी गरम साँसों ने जो कि मेरे गले को छू रही थीं, मुझे भी अंदर से काफ़ी गरम कर दिया था..। जो कि एक सीधा पैगाम मेरी चूत को दे रहा था कि “ले ले सबा ले ले!”
लेकिन मेरा दिमाग उसके लंबे और मोटे लंड को देख कर सहम गया था। एक बार फिर से मैंने उसकी गिरफ़्त से भागने की नाकाम कोशिश की और साथ ही मैंने अपनी टाँग चला कर अपने हाई हील सैंडल से उसके लंड पे वार करने की कोशिश की पर वो पहले ही संभल गया और मेरे सैंडल के हील की चोट सिर्फ़ उसकी जाँघ पे पड़ी। अपनी जाँघ पे मेरी हील से पड़ी खरोंच को देख कर वो बहुत गुस्से में आ गया और उसने मेरे सर को फिर से कार के हुड पे पटका और बोला, “सबा..।अगर तूने हिलना बँद नहीं किया तो ऊपर वाले की कसम अबकी बार मैं अपना लंड तेरी इस कच्ची कुँवारी टाईट गाँड में घुसेड़ के उसका कचुम्बर बना दूँगा। अगर तू यह समझती है कि मैं झूठ बोलता हूँ तो अपने आप ही तस्सली कर ले!”
मैं बर्फ़ की तरह उस जगह पे ही जम गयी। “कहाँ चाहिये तुझे..।चूत में या गाँड में?” उसका लंड मेरी गाँड के छेद को दस्तक दे रहा था। 
नहीं नहीं। प्लीज़ मेरी गाँड में मत डालो...!” मैं चिल्लाई। 
कहाँ चाहिए बोल ना रंडी चूत में या गाँड में?”
नही…!” मैं रो पड़ी। मेरे आँसू मेरे गालों पे बहने लगे। 
मेरी चूत में..।चूत में प्लीज़..। मेरी चूत में… मेरी चूत में डालके उसे चोद लो” मैं गिड़गिड़ाई। मेरे होंठ काँप गये उसे यह कहते हुए कि तुम मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। वो अपना लंड मेरी गाँड से चूत के छेद तक नीचे-ऊपर ऊपर-नीचे कर रहा था। मैं घबरा गयी थी। 
उसने फिर से मेरा सर कस के पकड़ के कार के हुड से दबाके रखा था। एक बार फिर उसने अपने लंड के सुपाड़े को मेरी गाँड के छेद से दबाया। 
मैं फिर चिल्लाई, “प्लीज़..। मेरी गाँड नहीं… मेरी चूत में डालो!!!”
इस दौरान उसने मेरी चूचियों को कभी नहीं छोड़ा था और वो लगातर उन्हें दबाये जा रहा था। एक सेकँड रुकने के बाद उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पे सटा दिया और एक झटके के साथ उसके अंदर डाल दिया। उसके कुल्हों के झटके ने मेरे नीचे वाले हिस्से को कार के ऊपर उठा लिया था। 
मैं जोर से चिल्ला उठी। उसने धीरे से फिर अपना लंड मेरी चूत से निकाला और फिर झटके से डाल दिया। उसने अब मेरे बाल छोड़ दिये थे और अपना हाथ मेरे कुल्हों पे रख दिया था। अब वो एक पागल हैवान की तरह मेरी चूत के अंदर बाहर अपना लंड पेल रहा था और मैं उसके हाथों में एक खिलौने की तरह खेली जा रही थी। उसकी आवाज़ें मुझे सुनाई दे रही थी। वो एक जंगली जानवर की तरह कराहा रहा था। वो ऐसे मेरी चूत का पूरा लुत्फ़ उठाये जा रहा था जैसे कि ज़िंदगी में पहले चूत चोदी ही ना हो। 
आआघहह आहहहघहह कुत्तिया देख मेरा लंड कैसे जा रहा है तेरी चूत में… देख वो कैसे फाड़ रहा है तेरी इस चूत को..।देख रंडी देख।”
मैंने बहुत कोशिश की कि उसको अपनी चुदाई में साथ ना दूँ पर मैंने ज़िंदगी में कभी खुद को इस कदर मुकम्मल महसूस नहीं किया था। मेरी चूत ने उसका तमाम लंड खा लिया था और फिर मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत ने मुझे धोखा देना शुरू कर दिया है और उसके लंड के आसपास एक दम सिकुड़ गयी है जैसे कि वो उसे पूरा चूस लेना चाहती हो। चुदाई की मस्ती का पूरा समँदर मेरे अंदर उमड़ पड़ा था। पता नहीं मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा था। अब उसने मुझे कार के बोनेट पे झुका के पूरी लिटा दिया और मेरी रसभरी चौड़ी चूत को तेजी से चोदने लगा। जब भी वो मेरे अंदर घुसता था तब मेरी चूत उसके लंड को गिरफ़्त में लेने की कोशिश करती थी और उसके आसपास टाईट हो जाती थी। हमारे भीगे जिस्मों के आपस में से टकराने ने मुझे बेहद चुदासी कर दिया था। उसकी आवाज़ अब एक घायल हुए भेड़िये जैसी हो गयी थी, जैसे उसे दर्द हो रहा हो।
 
मममम....।आआआहहह....।बहुत मज़ा आ रहा है तुझे चोदने में...आहहह शालू कितनी ही पढ़ी-लिखी आधुनिक दिखने वाली औरतों को चोदा है..।आहहह पर तेरे जैसी कोई नहींईंईंईं !!!”
वो बड़ी तेज़ रफ़्तार से अपना मोटा काला लंड मेरी चूत की गहराईयों में पेल रहा था। जब-जब वो अंदर पेलता था मेरा जिस्म कार के हुड पे ऊपर खिसक जाता था। उसके लंड का भार मेरी क्लिट को मसल रहा था। मेरी सूजी हुई क्लिट में अजीब सी चुभन और सेनसेशन थी। 
ओहहह नहींईंईंईं आहहहहह..।ओहह..।ओहहहह अल्लाहहहह...!” मैं झड़ने लगी थी और मेरी चूत थरथराने लगी थी। “आह हा हाह हाह हाहाह...!” 
उसे पता चल गया था कि मैं झड़ चुकी हूँ और वो हँसने लगा। 
मुझे मालूम है तुझ जैसी चुदासी औरतों को बड़े और मोटे लंड बहुत पसँद होते हैं...! हर शहरी आधुनिक औरत को लंड अपनी चूत में लेके अपनी चूत का भोंसड़ा बनाना पसँद होता है.।तू उनसे कोई अलग नहीं है। तू भी सब मॉडर्न औरतों की तरह चुदासी है। साली अगर तुम औरतों को मेरे जैसे देहातियों के तँदुरुस्त लंड मिल जावें तो तुम हमारी राँडें बन के रहो। तुझे तो अपने आप पे शर्म आनी चाहिये रंडी कि मेरे इस लंड के सैलाब में तेरी चूत जो झड़ गयी”
मुझे खुद से घिन्न आने लगी और दिल ही दिल उसपे बहुत गुस्सा आया कि उसने मेरी चूत चोद के उसे झड़ने पे मजबूर कर दिया। उसने अपना लंड मेरी चूत में से निकाल के मेरी गाँड पे रख दिया। मैं तो जैसे नींद से जाग उठी और फिर काँप गयी जब मेरी गाँड के छेद पे धक्क लगा। 
यही तो सवाल था मेरी राँड..। तुझे मेरा लंड अपनी चूत में पसँद है या फिर मैं उसका नमूना तेरी इस कसी हुई गाँड को भी दिखाऊँ..।बोल कुत्तिया बोल!” 
नहींईंईंईंईंईं..।प्लीईईईईज़ नहीं मेरी गाँड नहीं...!” चिल्लायी। 
क्यों साली। टाईट साड़ी और ऊँची हील की सैंडल पहन के बहुत गाँड मटका-मटका के चलती है..।ले ना एक बार मेरा मूसल अपनी गाँड में..।तेरी गाँड को भी पता चले कि ऐसा मस्त लंड क्या होता है! ”उसने गुर्रा के कहा। 
मैं उसके सामने काफी गिड़गिड़ायी। वो बेशर्मी से हँसते हुए मेरे मम्मों को मसलता रहा। मेरी चूंचियाँ जैसे हिमालय की चोटियों की तरह तन गयी थी। उसने चूचियाँ गरम कर के ऐसी कठोर बना दी थीं कि अगर ब्लाऊज़ पहना होता तो शायद उसके सारे हुक टूट गये होते। 
प्लीईईई...ज़ज़ मेरी चूत में डालो अपना काला मोटा लंड… प्लीज़ उसे ही फाड़ लो… बना दो उसे भोंसड़ा प्लीज़..। लेकिन मेरी गाँड मत मारो। मैं तुम्हारी राँड बनके रहुँगी। तुम कहोगे तो तुम्हारे दोस्तों से भी चुदवाऊँगी लेकिन मेरी गाँड को बख़्श दो..। प्लीज़ मेरी चूत को ही चोदो। मुझे तुम्हारा लंड बहुत पसँद आया है, मेरी चूत में जाके उसका भोंसड़ा बना दे..। प्लीज़ मुझे अपने लंड से चोदो..। मेरी चूत को चोदो...! 
”मुझे पता नहीं एक औरत कैसे यह सब कह सकती है किसी अजनबी मर्द को कि वो अपने लंड से उसकी चूत का भोंसड़ा बन दे। पता नहीं मेरे मुँह से ये अल्फाज़ कैसे निकल आये..। क्या यह मेरा डर था या फिर मेरी चूत ही अपील कर रही थी। 
बढ़िया मेरी राँड। मैं यही सुनना चाहता था!” और उसने एक ही झटके में अपने काले मोटे लंड को मेरी फुदकती हुई चूत में घुसा दिया। उसके ज़ोरदार झटके ने मेरी सारी हवा निकाल दी थी। ऐसा लगा कि उसका लंड सीधा मेरे गर्भाशय को छू रहा हो। वो अब ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। उसके लंड ने मेरी चूत को एकदम चौड़ा कर दिया था और मेरी चूत उसके इर्द-गिर्द मियान के जैसे चिपक गयी। उसकी जोरदार चुदाई ने मेरी चूत को फलक पे पहुँचा दिया था। “पुच्च.।पुच.।पुच्च...” जैसी आवाज़ें आ रही थीं जब उसका लंड मेरी चूत से अंदर-बाहर हो रहा था।
आहहहह आहहहह आहहह शालू मैं अब तेरी चूत को अपने लंड के गाढ़े रस से भरने वाला हूँ!” वो गुर्राया। 
प्लीईईईईईईज़ ऐसा मत करनाआआआआ मैं तुम्हारा सारा रस पी लूँगी प्लीज़ मेरी चूत में अपना रस मत डालना… मैं प्रेगनेंट होना नहीं चाहती हूँ!”
उसका लंड अब बिजली कि तरह मेरे अंदर-बाहर हो रहा था और जोर-जोर से अवाज़े निकालता था। मेरी चूत अपने चूत-रस से एक दम गीली हो गयी थी और क्लिट तो मानो सूज के लाल-लाल हो गयी थी। मेरा चूत-रस चू कर मेरी जाँघों पे बह रहा था और बारिश के पानी में मिल रहा था। अब उसने मुझे मेरे बालों से खींच के कार के हुड से नीचे उतारा और अपने सामने खड़ा कर दिया। मैं अपने आप ही उसके कुल्हों को अपनी और खींच रही थी और उसे झटके दे रही थी। 
आहहहह..।आहहह और तेज..।और तेज शालू..।और तेज चोद मुझे..।और तेज!”
 
मैं जैसा वो कह रहा था वैसा करने लगी और एक राँड की तरह झटके देने लगी। मुझे खुद पे बेहद शर्म आने लगी थी। मैं एक राँड बन गयी थी..। उसकी राँड… मैं क्यों नहीं रूकी… मैं रुकना नहीं चाहती थी। 
मैं अब झड़ने वाला हूँउँउँ छिनाल मैं तेरी चूत में झड़ने वाला हूँ मेरे साथ तू भी झड़ जाआआआ...!” उसने कस के अपना एक हाथ मेरी कमर में डाल के एक जोर का झटका दिया और उसका लंड जैसे कि मेरे गर्भाशय तक पहुँच गया। 
आआआहह..।आआआहहह...!” वो चिल्लाया और मुझे थोड़ा सा पीछे ठेल के मेरी गाँड कार के बोनेट पे टिका दी। 
जब उसने अपने रस की पहली धार मेरी चूत की गहराई में छोड़ दी तो उसकी पहली धार के साथ ही मैं भी झड़ गयी। “आआआहहहह...।आआआघहह..ओहहह..।नहींईंईंईं...!” मेरी चूत उसके लंड के आसपास एकदम सिकुड़ गयी। उसके लंड-रस की दूसरी धार भी मुझे मेरे चूत के अंदर महसूस हुई। 
जब उसका लंड अपने रस से मेरी भूखी चूत को भर रहा था, तब वो जोर-जोर से दहाड़ रहा था और चिल्ला रहा था। वो लगातार अपना रस मेरी चूत में डाल रहा था। मेरी टाँगों में ज़रा भी ताकत नहीं बची थी उसका मोटा काला लंड मेरी चूत में अपना रस भर रहा था। वो आखिरी बार दहाड़ा और मेरे ऊपर हाँफते हुए गिर गया। वो वहाँ बोनेट पे मेरे ऊपर उसी हालत में कुछ पल पड़ा रहा और उसका लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में से अपने आप बाहर आने लगा। उसका गरम-गरम लंड-रस मेरी चूत में से बह कर बाहर टपक रहा था। 
सचमुच तू सबसे चुदास निकली..।कई औरतों को चोदा है लेकिन तेरे जितना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया...!” वो हँसते हुए अपनी पैंट पहन के मुझे नंगी हालत में छोड़ के चल दिया। 
मैंने तब अपने कपड़ों की खोज की। ब्लाऊज़ और पैंटी के तो उसने पहनने लायक ही नहीं छोड़ा था, फट कर चिथड़े ही हो गये थे। मैं अपना बरसात में भीग हुआ पेटीकोट पहना और फिर किसी तरह गीली साड़ी लपेटी। चूत तो अंदर नंगी ही रह गयी थी पैंटी के बिना। फिर अपना पल्ला सीने पे ले आयी। में फिर कार मे बैठ के चल पड़ी। अच्छी बात यह थी कि उस दिन घर में कोई नहीं था। किसी ने मुझे उस हालत मे नहीं देखा और किसी को मेरे रेप के बारे में कुछ पता भी ना चला। अनिल को रंगे हाथ पकड़ने का मेरा सपना, सपना ही रह गया।
 
अब राज की ज़ुबानी…



अब तो में समझ गया था की प्रीति को ठीक तरह से टेकल किया जाये तो अभी फिलहाल चुदाई नही तो मुठ तो निकला ही जा सकता हे, एक दिन में प्रीति के साथ वापस आ रहा था, आते समय मेरे दिमाग में ख्याल आया की आज की शाम का प्रीति आनंद लिया जा सकता हे। 
मैं प्रीति के पास खड़ा था बस में पूरा अँधेरा था। हमारा स्टॉप आने मैं अभी 20 मिनिट थे मेरा लंड बिलकुल टाइट खड़ा था। मैंने पहले धीरे से अपना लंड प्रीति के साइड के हाथ पे कोहनी से ऊपर की तरफ लगाया फिर मैंने धीरे अपना खड़ा लंड प्रीति के हाथ पे बार 2 टच करवाया प्रीति का कोई रिएक्शन नहीं था। फिर मैं थोडा सा आगे बड़ा और प्रीति के पास आया और धीरे से अपनी 1 ऊँगली प्रीति के बोबे पे साइड से लगाई। मैंने अपने 4 उंगलिया जेब में डाल रखी थी और 1 ऊँगली प्रीति के साइड के बोबे पे लगा रहा था मैं इस बात का पूरा धयान रख रहा था की किसी को कुछ दिखे ना पीछे वाले लडको को भी नहीं फिर मैंने धीरे 2 अपना लंडप्रीति के उंगलियों पे टच कराया जिस से प्रीति ने सीट पकड़ रखी थी। मैंने आज पहली बार अपना लंड प्रीति के हाथ पे टच करवाया था। मुझे बहुत मजा आ रहा था फिर मैंने अपना हाथ अपनी जेब से निकाला और अपने हाथ से प्रीति के बोबे को साइड से टच किया धीरे से प्रीति ने कुछ नहीं कहा।
मुझे समझ मे नहीं आ रहा था की प्रीति कुछ रिएक्शन क्यों नहीं दे रही है। वो चाहती तो वो हाथ हटा सकती थी। हाथ झटक सकती थी। घूर सकती थी लेकिन बस वो तो सामने ही देखे जा रही थी। शायद उन्हें भी डर लग रहा था, की क्या करे क्या नहीं स्कूल की बच्चियों में इतनी अकल कहाँ होती है अब मैंने सोचा की देखते है की प्रीति रियेक्ट कब करती है? मैंने वापस अपना लंड प्रीति की उंगलियों पे लगाया और लगा रहने दिए वहां से हटाया नहीं फिर धीरे से अपना हाथप्रीति की बोबे की तरफ लेके गया और उनका बोबा दबा दिया प्रीति ने कुछ रियेक्ट नहीं किया अब मै अपना हाथप्रीति की चुन्नी के नीचे लेके गया औरप्रीति के बोबे को दबाने लगा अब मुझे पता चल चूका था की प्रीति रियेक्ट नहीं करेंगी मैंने अच्छी तरह से प्रीति के दोनों बोबो को दबाया उन्हें सहलाया। मुझे बहुत मजा आ रहा था तभी मेरे दिमाग में 1 आईडिया आया मैंने अपनी जीन्स की चैन खोली और अपना लंड बाहर निकाल लिया। अब मेरा खड़ा लंड बाहर था और नंगा था।

मैंने प्रीति की चुन्नी के नीचे से उनके बोबे को दबाते दबाते अपना नंगा लंड प्रीति के हाथ पे टच कर दिया। प्रीति को शायद थोडा सा करंट लगा इसलिए वो थोड़ी सी हिली फिर वापस चुपचाप बैठ गयी। अब मेरा नंगा लंड प्रीति की उँगलियों पर था और मेरा हाथ मेरी प्यारी प्रीति की चुन्नी के नीचे से उनके कुरते के ऊपर से उनके दोनों बोबो को दबा रहा था, उन्हें सहला रहा था। अब मैंने अपने हाथ से प्रीति का हाथ पकड़ा और अपना लंड उनके हाथ में पकड़वाया। ऊपर से उनके हाथ पे अपना हाथ रखा और आगे पीछे करने लगा। मैं तो हवा में था आज पहली बार मेरी प्यारी प्रीति अपने हाथ से मेरा मूट मार रही थी। मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। जो काम आज घर के बंद कमरे में नहीं हुआ था, वो इस भरी हुई बस मे हो रहा था। मैंने अपना हाथ हटा लिया मेरा हाथ हटते ही प्रीति ने मेरा लंड छोड दिया मैंने वापस प्रीति का हाथ पकड़ा उसमे अपना लंड पकडवाया और ऊपर नीचे करने लगा प्रीति अब शायद समझ गयी थी की उन्हें क्या करना है? वो अपने हाथ से मेरा लंड आगे पीछे करने लगी और मैं अपना हाथ वापस प्रीति के बोबे की तरफ लेके गया और उन्हें दबाने लगा। वो भी क्या पल था एसा कभी हकीकत में होगा मैंने नहीं सोचा था मेरी प्यारी प्रीति मेरा लंड हिला रही थी मेरी मुट मार रही थी और मैं अपनीप्रीति के बोबे दबा रहा था और आज तो प्रीति को सब पता था की क्या हो रहा है। आज वो नींद मे भी नहीं थी इससे मुझे और मजा आ रहा था।
मैंने अपना हाथप्रीति के हाथ पे रखा और लंड हिलाने की स्पीड बड़ाई प्रीति समझ गयी की उनको स्पीड बढ़ानी है वो जल्दी जल्दी मेरा लंड हिलाने लगी और मैं इतना ज्यादा excited हो गया की मैंनेप्रीति के कुर्ते के गले में से अपना हाथ अंदर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से उनके बोबे दबाने लगा। प्रीति जल्दी जल्दी मेरा लंड हिला रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने प्रीति की ब्रा के अंदर हाथ डाल दिया और उनके बोबे दबाने लगा उन्हें मसलने लगा। प्रीति के निप्पलो को गोल गोल घुमाने लगा मैंने नोटिस किया कीप्रीति के निप्पल खड़े थे शायद इतनी टचिंग सेप्रीति भी गरम हो गई थी। प्रीति भी जल्दी जल्दी मेरा लंड हिला रह थी और मैं उनके दोनों बोबे दबा रहा था उनके निप्पल को अपने नाखून से रगड़ रहा था इतने मैं मेरा सारा मुटप्रीति के हाथ पे और उनकी सलवार पे गिर गया। मैं तो दूसरी दुनिया में था मैंने प्रीति को देखा प्रीति अभी भी सामने ही देख रही थी। प्रीति ने सामने देखते हुए ही अपना हाथ अपने नेपकिन से साफ़ किया सलवार पे लगा हुआ मुट भी साफ़ किया मैंने जल्दी से अपना लंड अंदर डाला और थोडा सा पीछे हो गया। हमारा स्टॉप आ गया था। प्रीति खड़ी हुई मैं भी प्रीति के पीछे आ गया।
 
अपने स्टाप पर हम बस से उतरे, प्रीति जल्दी उतरी और घर की तरफ चलने लगी, मेने देखा की प्रीति की सलवार आगे से गीली हो रही हे, मुझे लगा की कहीं ये प्रीति की चूत का डिस्चार्ज तो नहीं क्या प्रीति बस में गरम थी। घर पहुंचते ही प्रीति ने मुझसे कहा "हट मुझे कपडे चेंज करने दे " मैं हट गया। प्रीति जाने लगी और मम्मी से बोला "मम्मी में नहा के कपडे चेंज करके आती हु आप सब्जी बना लो रोटी मैं सेक दूँगी, नहाने से कम से कम मूड तो फ्रेश हो जायेगा " मम्मी ने कहा " ठीक है नहा ले " और फिरप्रीति अपने रूम में गयी अपने घर के कपडे निकाले टॉवल लिया और नहाने चली गयी मैंने पापा मम्मी से नजरे बचा के प्रीति के रूम में गया और प्रीति के बाथरूम के दरवाजे में जो छेद मैंने किया था उसमे से पेपर का टुकड़ा निकाला और बाथरूम के अंदर देखने लगा वेसे मुझे प्रीति को वापस नंगी देखने की इच्छा नहीं थी क्योंकि अभी अभी मेरा मुट प्रीति ने निकाला था मैं तो बस अपने 1 सवाल का जवाब ढूँढने के लिए बाथरूम में देख रहा था और वो सवाल था “क्या बस मेंप्रीति गरम थी ? ' जो भी मैंने प्रीति के साथ किया उस सेप्रीति को केसा लगा मैं बस ये जानना चाहता था
मैंने देखा बाथरूम में प्रीति ने पहले अपने बालो का जूडा बनाया फिर अपने कुर्ते पे से अपने कन्धों पे से चुन्नी पे लगी दोनों पिने हटाई फिर अपनी चुन्नी उतार के रखी फिरप्रीति ने अपना कुरता उतारा अब प्रीति मेरे सामने अपनी ब्रा में आगयी थीप्रीति ने वाइट कलर की ब्रा पेहेन रखी थी मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगाप्रीति की ब्रा और उसके स्ट्रैप्स पूरी तरह से टेड़े मेढे और मुड़े हुए थेप्रीति की ब्रा की ऐसी हालत देख के मुझे बस का पूरा सीन याद आ गया की मैंने किस तरह से प्रीति के कुर्ते में हाथ डाल के प्रीति के बोबो को मसला था ये मुड़ी हुई ब्रा उसी की गवाही दे रही थी फिरप्रीति ने अपनी सलवार उतारी अब मेरी प्रीति मेरे सामने ब्रा पेंटी में खड़ी थी प्रीति ने नेवी ब्लू कलर की पेंटी पेहेन रखी थी मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था अब प्रीति अपने दोनों हाथ पीछे लेके गयी और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया और अपनी ब्रा भी उतार दी प्रीति के गोरे गोरे मुलायम मुलायम बोबे नंगे होगये थे कितनी सेक्सी लग रही थी मेरी प्रीति आधी नंगी अपनी पेंटी में मेरे सामने खड़ी हुई प्रीति के मोटे मोटे बोबे जिन पे बहुत छोटे छोटे ब्राउन कलर के निप्पल थे मेरे सामने थे मैंने देखा की प्रीति के बोबे थोड़े लाल हो गए थे शायद मैंने बहुत ही ज्यादा मसल दिए थे फिर प्रीति अपनी पेंटी उतारने लगी अब मुझे मेरे सवाल का जवाब मिलने वाला था की क्या प्रीति गरम थी ?

प्रीति ने अपनी पेंटी उतारी और उसे उलटी करके देखने लगी मुझे समझ में आगया था की प्रीति अपनी पेंटी पे लगे अपनी चूत के डिस्चार्ज को देख रही है प्रीति की चूत बिलकुल चिकनी थी और प्रीति की पेंटी में इतना डिस्चार्ज था की वो उनकी पूरी चूत पे लग गया था। प्रीति की चूत गीली होने के कारण चमक भी रही थी अब मुझे समझ में आ गया था की प्रीति भी गरम थी बस में मैं जो भी कर रहा था उसमे उन्हें भी मजा आ रहा था। मुझे मेरे सवाल का जवाब मिलते ही बहुत अच्छा सा लगने लगा प्रीति ने अपनी ब्रा तो अपने सूट के नीचे डाल दी लेकिन पेंटी को उसी समय धोने लगी। प्रीति ने अपनी पेंटी धोके रखी फिर नहाने लगी प्रीति ने धीरे धीरे नहाना चालू किया और मैंने धीरे धीरे वापस अपना लंड हिलाना चालू किया फिर प्रीति ने मग्गे मैं पानी भरा और 2 - 3 बाद अपनी चूत के अंदर मारा और हाथ डाल के भी अपनी चूत को अंदर से साफ़ किया मैं प्रीति को ऐसे ही नहाते हुए देखता रहा और अपना लंड हिलाने लगा थोड़ी ही देर में मेरा मुट निकल गया । मैंने अपना लंड अंदर किया और वापस छेद में से प्रीति को नहाते हुए देखने लगा।
जैसे ही प्रीति बाथरूम से निकली मैं बाथरूम में घुस गया। मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े खोलने शुरू किए। मुझे जोरो की पेशाब लगी थी। पेशाब करने के बाद मैं अपने लंड से खेलने लगा।
एकाएक मेरी नज़र बाथरूम के किनारे प्रीति के उतरे हुए कपड़ों पर पड़ी। वहाँ पर प्रीति अपनी नाइटगाऊन उतार कर छोड़ गई थी। जैसे ही मैंने प्रीति का नाइटगाऊन उठाया तो देखा कि नाइटगाऊन के नीचे प्रीति की ब्रा पड़ी थी।
जैसे ही मैंने प्रीति की काले रंग की ब्रा उठाई तो मेरा लंड अपने आप खड़ा होने लगा। मैंने प्रीति का नाइटगाऊन उठाया तो उसमें सेप्रीति के नीले रंग का पैंटी भी नीचे गिर गई। मैंने पैंटी भी उठा ली। अब मेरे एक हाथ मेंप्रीति की पैंटी थी और दूसरे हाथ में प्रीति की ब्रा थी।
ओह भगवान ! प्रीति के अन्दर वाले कपड़े चूमने से ही कितना मज़ा आ रहा है यह वही ब्रा है जिसमें कुछ देर पहले प्रीति की चूचियाँ जकड़ी हुई और यह वही पैंटी हैं जो कुछ देर पहले तक प्रीति की चूत से लिपटी थी। यह सोच सोच करके मैं हैरान हो रहा था और अंदर ही अंदर गरमा रहा था। मैं सोच नहीं पा रहा था कि मैं प्रीति की ब्रा और पैंटी को लेकर क्या करूँ।
 
मैंनेप्रीति की ब्रा और पैँटी को लेकर हर तरफ़ से छुआ, सूंघा, चाटा और पता नहीं क्या क्या किया। मैंने उन कपड़ों को अपने लंड पर मला, ब्रा को अपने छाती पर रखा। मैं अपने खड़े लंड के ऊपर दीदीप्रीति की पैंटी को पहना और वो लंड के ऊपर तना हुआ था। फिर बाद में मैंप्रीति की नाइटगाऊन को बाथरूम के दीवार के पास एक हैंगर पर टांग दिया। फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर ब्रा को नाइटगाऊन के ऊपरी भाग में फँसा दिया और पैँटी को नाइटगाऊन के कमर के पास फँसा दिया।
अब ऐसा लग रहा था की प्रीति बाथरूम में दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैँटी दिखा रही हैं। मैं झट जाकर प्रीति के नाइटगाऊन से चिपक गया और उनकी ब्रा को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि मैं प्रीति की चुची चूस रहा हूँ। मैं अपना लंड को प्रीति की पैँटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा कि मैं प्रीति को चोद रहा हूँ।
मैं इतना गरम हो गया था कि मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनटना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मैं झड़ गया। मेरे लंड ने अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से प्रीति की पैंटी और नाइटगाऊन भीग गया था। मुझे पता नहीं कि मेरे लंड ने कितना वीरज़ निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो मेरे प्रीति के नाम पर निकला था।
मेरा पहले पहले बार झड़ना इतना तेज़ था कि मेरे पैर जवाब दे गए, मैं पैरों पर ख़ड़ा नहीं हो पा रहा था और मैं चुपचाप बाथरूम के फ़र्श पर बैठ गया। थोड़ी देर के बाद मुझे होश आया तो मैं उठ कर नहाने लगा। शोवर के नीचे नहा कर मुझे कुछ ताज़गी महसूस हुई और मैं फ़्रेश हो गया। नहाने बाद मैं दीवार से प्रीति की नाइटगाऊन, ब्रा और पैंटी उतारा और उसमें से अपना वीरज़ धोकर साफ़ किया और नीचे रख दिया।
उस दिन के बाद से मेरा यह मुठ मारने का तरीक़ा मेरा सबसे फ़ेवरेट हो गया। हाँ, मुझे इस तरह से मैं मारने का मौक़ा सिर्फ़ इतवार को ही मिलता था क्योंकि इतवार के दिन ही मैंप्रीति के नहाने के बाद नहाता था। इतवार के दिन चुपचाप अपने बिस्तर पर पड़ा देखा करता था कि कब प्रीति बाथरूम में घुसे और प्रीति के बाथरूम में घुसते ही मैं उठ जाया करता था और जब प्रीति बाथरूम से निकलती तो मैं बाथरूम में घुस जाया करता था।
इतवार को छोड़ कर मैं जब भी मुठ मारता तो तब यही सोचता कि मैं अपना लंड प्रीति की रस भरी चूत में पेल रहा हूँ। शुरू शुरू में मैं यह सोचता था किप्रीति जब नंगी होंगी तो कैसा दिखेंगी? फिर मैं यह सोचने लगा कि प्रीति की चूत चोदने में कैसा लगेगा। 
मैं कभी कभी सपने ने प्रीति को नंगी करके चोदता था और जब मेरी आँख खुलती तो मेरा शॉर्ट भीगा हुआ होता था।
मैंने कभी भी अपना सोच और अपना सपने के बारे में किसी को भी नहीं बताया था और न ही प्रीति को भी इसके बारे में जानने दिया.
मैं बार बार यह कोशिश करता था मेरा दिमाग़ प्रीति पर से हट जाए, लेकिन मेरा दिमाग़ घूम फिर कर प्रीति पर ही आ जाता। मैं हमेशा 24 घंटेप्रीति के बारे में और उसको चोदने के बारे में ही सोचता रहता।
*****
 
प्रीति की जुबानी जफ़र अंकल से रिश्ते की कहानी 
कल तक जफ़र अंकल से जो मज़े मैंने आँख मूँद कर लिए थे, अब दिन में भी वो मेरी आँखों के सामने आते रहे, शाम होते होते जब मेरा मन मेरे काबू में नही रहा तो में जफ़र अंकल के रूम की और चल दी और जाते ही उनसे लिपट गयी ! धीरे धीरे उन्होंने मुझे अपने बाँहों में पूरी तरह से ले लिया ! हम बैठे थे दिवार के सहारे पलंग पर ! मैं जैसे जफ़र अंकल की गोदी में ही थी , वो मुझे चुम रहे थे ,और मैं भी बीच बीच में चुम कर जवाब देती थी ! कभी कभी तो हमारे चुम्बन की आवाज़ पूरे कमरे में फ़ैल जाती थी ! उनका एक हाथ मेरी दोनों चूचियों को बारी बारी से दबा रहा था ! मेरे टॉप में इंतनी सलवटे पड़ गई थी , की लगता था अभी धो के निचोड़ा है ! जफ़र अंकल बोले , कपड़े ख़राब हो जायेंगे , उत्तर लो ! मैंने कहा जब आपका मन हो, उतार दीजियेगा , आज से ये आपका काम है !वो मेरी बात सुनकर और भी जोश में आकर चूमने लगे ! बोले ' रात को तो गालियाँ दे रही थी , और अब इतना प्यार' ! जफ़र अंकल जो आपको गालियाँ दे रही थी , वो एक कुवारी लड़की थी , और अब ये वही लड़की अपने दोस्त से कह रही हे !जफ़र अंकल बोल पड़े , सच में अगर तुम मुझसे शादी करती तो मैं मन नहीं करता , तुम दिल से भी बहुत खूबसूरत हो ! अब तो मैंने मन ही मन आपको भी पति मान लिया है , आखिर पति का असली सुख तो आपसे ही मिल रहा है !जफ़र अंकल बहुत भावुक हो गए , उन्होंने मुझे चूम चूम कर निहाल कर दिया ! अब जफ़र अंकल मेरा टॉप खोल रहे थे ! टॉप खोलने के बाद ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगे ! फैंसी चिकनी ब्रा जफ़र अंकल को बहुत अच्छी लगी !उन्होंने स्कर्ट ऊपर कर के पैन्टी भी देखी , मैचिंग थी ! तुहारी ब्रा पैन्टी बहुत सेक्सी होती है , कपडे का तुम्हारे पसंद का जवाब नहीं ! तुम कई गुना सुन्दर लगने लगती हो ! पैन्टी को सहलाते हुएजफ़र अंकल बोले, तुम तो तैयार बैठी हो , गीली है तुम्हारी पैन्टी ! जो घडी आने वाली है , उसको सोचते ही , मैं गीली हो जाती हूँ ! जफ़र अंकल ने पैन्टी उतार दी , हाथ में लेकर सूँघा और चूम लिया, मैं शर्मा गयी ! टॉप को उतार दिया और मुझे लिटा कर खुद मेरे बगल में लेट गए ! मेरे ब्रा के चारों तरफ चूमते रहे , जीभ से चाटते रहे, और धीरे धीरे उतारते रहे ! ऐसा ब्रा उतारना मुझे बहुत अच्छा लगा ! स्कर्ट उतार कर बिस्तर पर अलग रख दिया ! अब सिर्फ पेंटी रह गयी थी , जिसे जफ़र अंकल ने घुटनो तक खिसका दिया और मेरे चूत को चूमने लगे ! चूत उन्होंने कल भी चूसा था पर मेरी ऑंखें बंद थी ! मैंने जफ़र अंकल का सर हिलाया, बोली मैं देखना चाहती हूँ ! उन्होंने तकिये के सहारे मुझे थोड़ा उठा दिया ! जफ़र अंकल जीभ से मेरी चूत को चाट रहे थे और मेरा रोमांच बढ़ता जा रहा था ! 
अचानक जफ़र अंकल ने मेरी खास जगह मसल दी, चूत से फौवारा छूट गया, मैं रोक न सकी और पीछे तकिये पर लेट गयी ! थोड़ा होश आने पर दुबारा देखा , जफ़र अंकल के पूरे मुंह पर पानी के छींटे थे , जैसे अभी भीग के आ रहे हों बरसात में ! मुझे बहुत शर्म आई , और जफ़र अंकल से नज़र मिलते ही शर्मा गयी !जफ़र अंकल फिर से जीभ मेरी चूत में घुसा कर इधर उधर ऐसे घुमा रहे थे , जैसे कुछ ढूंढ रहें हों ! चपड़ चपड़ की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था ! मैं तो जैसे सातवें आसमान पर थी ! फिर जफ़र अंकल मेरी चूचियो का जायजा लेने लगे ! चूस चूस कर लाल कर दिया , दबा दबा कर उसे मुलायम कर रहे थे ! घुंडी तो बिलकुल कड़क हो गयी थी ! सच में मैंने कभी अपने बदन को इतना कीमती नहीं समझा था ! जफ़र अंकल ने समझा दिया था की असली खज़ाना यही है ! जफ़र अंकल मेरे ऊपर लेट गए थे , मेरे दोनों हाथों में अपना हाथ फंसा लिया था , और मुझे गर्दन , कान , कान के पीछे चूमने चाटने लगे ! मैंने कहा की जफ़र अंकल आपका हाथ मुझे जांघ पर चुभ रहा है , उन्होंने कहा , हाथ तो दोनों तुम्हारे हाथ में है ! अचानक मेरे दिमाग में जैसे बिस्फोट हो गया , मुंह से निकला "बाप रे" ! वो हाथ जैसी चीज़ जफ़र अंकल का लण्ड था !
मेरे तो होश उड़ गए, इतना बड़ा, मैं कैसे ले सकूँगी अपने अंदर ! जफ़र अंकल शायद समझ गए, बोले 'पगली घबराती क्यों है' सब कुछ आराम से हो जायेगा , तुम बस मेरा कहा करती जाओ ! जफ़र अंकल ने अपना कुरता पजामा उतारा , और अंडरवियर उतार दी ! काला, मोटा और डंडे सा लम्बा लण्ड हवा में लहरा रहा था ! मैं तो बेहोश हो जाती लण्ड देखते ही, पर जफ़र अंकल बोले , घबराओ मत , मैं पहले तुम्हें इसके लिए तैयार करूँगा , फिर थोड़ा थोड़ा कर के पूरा अंदर करूँगा ! देखो आज जितना ले सकती हो, ले लो, फिर अगले बार थोड़ा और ले लेना !
जफ़र अंकल ने मुझे लिटा कर , अपना लण्ड मेरे चूत पर सहलाना शुरू कर दिया , लण्ड से धागे की तरह लसलसा पानी चू रहा था !जफ़र अंकल ने अपना लण्ड मेरे चूत के छेद पर रखा ! मेरी चूत काफी ढीली होकर फड़फड़ा रही थी !जफ़र अंकल ने जगह बनाते हुए अपने आप को मेरे ऊपर कर लिया , मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद किया और हाथों को अपने हाथों से जकड लिया ! हल्का सा एक धक्का और जफ़र अंकल का सुपाड़ा अंदर लगा जैसे कोई दीवार गिरी थी चूत के अंदर , मेरी जान भी बाहर होने को थी ! मेरी चीख जफ़र अंकल के मुंह में रह गयी ! थोड़ा सा और अंदर गया लण्ड ,फिसलन की वज़ह से जो जफ़र अंकल ने चूस चूस कर बनाया था ! मुझे लगा किसी ने दो टुकड़े कर दिए मेरे ! जांघ के बीचों बीच कील ठोक दिया था जफ़र अंकल ने ! 
दो मिनट तक सब कुछ शांत रहा , मैं कुछ नार्मल हुई , और जफ़र अंकल ने आगे पीछे करना शुरू किया ! लग रहा था की चूत की दीवार ता चला गया है जफ़र अंकल का लण्ड ! एक बार उठकर देखना चाहा , जफ़र अंकल ने थोड़ा ऊपर उठकर दिखाया , अभी आधा लण्ड बाहर ही था ! अंदर बहुत जलन हो रही थी , लगता था चूत फैट गयी है और खून बह रहा है ! मैंने कहा , जफ़र अंकल आज इतना ही ! जफ़र अंकल समझ गए , उन्होंने उतने तक ही अपना लण्ड आगे पीछे करना जारी रखा ! हवा भी अंदर नहीं जा सकती थी, इतने टाइट होकर लण्ड अंदर बाहर हो रहा था ! मुझे मज़ा आने लगा था , अब जफ़र अंकल भी पूरी मस्ती में आ गए थे ! मैं बार बार पानी छोड़ रही थी चूत में, जिससे बहुत फिसलन हो गयी थी ! जफ़र अंकल ने स्पीड बढ़ा दी , मेरा अब तक का सबसे बड़ा झरना अब बह निकला ,तभी जैसे चूत में गरम पानी का नलका खोल दिया हो, पिचकारी छोड़ दी ! कमरा वीर्य के खुसबू से भर गया ! जफ़र अंकल झड़ते रहे, लण्ड सिकुड़ने लगा और जफ़र अंकल ने दवाब बना कर पूरा लण्ड अंदर ठोक दिया ! लण्ड में ढीलापन आ रहा था , लेकिन असली मर्द ने अपना जादू एक लड़की को दिखा कर उसे अपना गुलाम बना लिया था ! 
एक दोस्त ने ने अपने दोस्त की बेटी के साथ मस्त सुहागरात मना ली थी ! हम लस्त पस्त लेटे थे , की जफ़र अंकल के फ़ोन की लाइट जल पड़ी , शायद फ़ोन साइलेंट पर था !....
शालू की जुबानी
मेरे रैप ने मुझे हिला कर रख दिया था ,पर मेरी समझ ये नही आ रहा था की में अनिल को कैसे रंगे हाथ पकङु और उन्हें सुधारु। मेने सोचा अगर में जफ़र को विश्वास में ले लू तो हो सकता हे की अनिल राज मुझे पता चल जाये हालाँकि में जफ़र को बहुत नापसंद करती थी लेकिन अब में उसको अपना मोहरा बनाना चाहती थी।
एक दिन जब अनिल घर से बहार गए हुए थे मेने जफ़र को बुलाया और कहा ,तुमने मेरे साथ जो किया उसे में अब भूलना चाहती हु पर एक शर्त पर की तुम अनिल को सुधारने में सहायता करो ,उसकी आँखे चमक गयी वो बोला ,में तो कब से आपका साथ देना चाहता था लेकिन आपने मौका ही नही दिया ,में आपकी मदद करूँगा लेकिन उसके लिए एक बार आपको मेरे रूम पर आना पड़ेगा।
में उसकी हिम्मत देख कर दंग रह गयी ,लेकिन मुझे अनिल का पर्दाफाश करना था ,में राजी हो गयी।
मेने कहा की में रात को आती हु लेकिन तुमने कोई बदतमीजी करने की कोशिश की तो में तुम्हे ज़िंदा नही छोडूंगी ,उसकी आँखों में चमक आ गयी और चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान।
रात को जब में उसके रूम में गयी तो वो लुंगी में इस अंदाज में बैठा था की उसका लंड मुझे साफ़ दिख जाये ,में थरथरा गयी ,मुझे पुरानी दास्ताँ याद आ गयी उसने मेराहाथ पकड़ा और अपने उप्पर खीच लिया ,मेरा मुह बिलकुल उसके लंड के करीब जाकर गिरा वो बोला
कुत्ते की मूत मादरचोद .....तेरी माँ का भोस्ड़ा में ये बम्बू फंसा दूंगा ...!"मेने कहा , तुमसे कहा था न की अगर तुमने कोई बदतमीजी की तो तुम्हे ज़िंदा नही छोडूंगी ,वो बोला तू क्या समझती हे मदरचोदनी की में बरसो से तेरे पति की गुलामी ऎसे ,ही कर रहा हु में तो केवल तेरे इंतजार में यहाँ हु
!उसने कुछ देर होंट चुसे ,गाल चूमे फिर दोनों को कच कचा कर काट खाए !
" बोल रंडी ..तू मेरी रखेल हे ..."उसने अपना लोडा मेरे खुले मुह में आधा ठूंस दिया !

" बहुत दिनों से इसमें से पेशाब की बदबू आ रही हे ...चाट कर साफ़ कर साली रांड" चल नंगी हो कुतिया ,"में समझ गयी की में दुबारा जफ़र के चंगुल में फंस चुकी हु मुझे आज पता चला की उसके योवन में किसी नर के व्यक्तित्व को किस सीमा
हा
तक बदलने की क्षमता हे !

ये सोच करमेरे चुचक कड़े हो गए मांसल चूचियां पूरी तरह से तन गई और चूत में बह रहे पानी

का गाढ़ा पन और बढ़ गया !

कामुकता की ज्वाला मेरी योनि के भीतर दहकने लगी !

में इस जफ़र के मोटे काले विशाल लंड का आक्रमण अपनी चिपकी योनि के छोटे से छेद

पर झेलने के लिए उत्तेजित थी !
वो मेरी बड़ी बड़ी कठोर चुचियों को नोचते हुए सा बोला :-"ये तो रंडीयों वाली चूचियां हे साली .....कितने हरामियों

को दूध पिलाई हे ...अपने इन थनों से .....कुतिया ....?"

"चट्ट ...."
कठोर हाथों ने जब उसकी चूचियां मसलना नोचना शुरू किया तो मुझे पता चला की प्यार से

मसली गई चूचियां और हवस में नोची गई चुचियों में कितना बड़ा अंतर होता हे !

प्यार से जब चूची मसली जाती हे तो सिर्फ सनसनाहट होती हे , पर जब हवस में चूची दबोची जाती हे तो

दुखती हे .कल्लाती , टीस उठती हे और चुचियों में दर्द कई दिनों तक बना रहता हे !

किसी पके फोड़े की तरह चुचिया दुखती और टपकती हे कई दिनों तक !

और जितने दिन तक चूचियां टपकती हे स्त्री अपनी चूत को अपनी अंगुली से कुचल कर शांत करती हे !
 
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