hotaks444
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मेरा घाव कच्चा था तो उसमे से खून सा निकलने लगा चाची ने मुझे अपनी गोद में लिटा लिया और मेरे जख्म को देखने लगी उनकी आँखों से आंसू टपक कर मेरे चेहरे पर गिरने लगे, बहुत डर तक हम दोनों रोते रहे दर्द हो रहा था वो अलग , पता नहीं वो बेहोशी थी या फिर मार का असर जब मुझे होश आया तो मैं चाची के कमरे में ही लेटा हुआ था चाची मेरे पास ही बैठी हुई थी सर से पल्लू गिरा हुआ था आँखे सूजी सी हुई थी गालो पर सूखे हुए आंसू के निशान उसके दर्द को बयाँ कर रहे थे
मैं- पानी ईईईईईईई
उन्होंने थोडा सा पानी दिया और बोली- तुझे ऊपर नहीं आना चाहिए था हमारा आपस का मामला है और अब तो ये रोज की ही बात है कौन सा आज पहली बार हाथ उठाया है मुझ पर
- तो क्यों सहती हो
वो- ब्याह के आई हूँ ख़राब टाइम है बेत ही जायेगा दुःख के बाद सुख भी आएगा कभी
- चाची आप भी ना
वो- लेटा रह
मैं- पर झगडा हुआ क्यों
वो – हम बात कर रहे थे की पता नहीं किस का फ़ोन आया तो बात करने के बाद इनको बहुत गुस्सा चढ़ गया था मैंने पुछा तो बस झगडा शुरू कर दिया और फिर मारने लगे
मैं- चाची पानी सरसे ऊपर चला गया गया है आपको ऐसे पिटता नहीं देखूंगा
वो- हम अपने मसले सुलझा लेंगे
मैं- अब नहीं सुलझ पाएंगे
वो- तुम आराम करो मैं तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ
वो चलने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला- चाची, आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो आपके साथ ऐसा अत्याचार मैं नहीं सहूंगा आप अभी मम्मी को फ़ोन करके बुलालो
पर उन्होंने मना कर दिया
मैं-तो ठीक है अब जिगर मजबूत कर लेना आप
वो- साफ़ साफ़ कहना
मैं- बस रात तक रुको
मैं उठा हालाँकि दर्द बहुत हो रहा था पर फिर भी मैं उसको सहते हुए बिमला के घर गया और जाते ही उसको दो तीन थप्पड़ मारे और बोला- साली वो फ़ोन तूने ही किया था ना चाचा को
बिमला ये सुन कर सन्न रह गयी और जैसे बुत बन गयी हो मैंने अपनी बेल्ट निकाली और उसको मारने ही जा रहा था की मेरा हाथ रुक गया
मैं- जा साली , कभी तुझे चाहा था जा और कह दिए जो कहना चाहे चाचा से छुट है तेरी
बिमला चुपचाप रही मैं वहा से आ ही रहा था की मैंने देखा चाची बिमला के मेन गेट तक आ गयी तो मेरे पीछे पीछे
मैं- चलो यहाँ से
वो- तू यहाँ क्या करने आया था
मैं- चलो तो सही
वो- बता मुझे
मैं गुस्से से चलो यहाँ से अभी
तो वो सहम गयी और मेरे साथ घर आ गयी दोपहर से शाम हो गयी बस बैठे बैठे चाची का हाथ मैंने अपने हाथ में ले रखा था चाचा अभी तक वापिस आया नहीं था कुछ समझ आ रहा था नहीं की किया क्या जाए, मुझे इतना तो पता था की बिमला मोका मिलते ही चाचा से बात जरुर करेगी अब बस देखना ये था की चाचा करता क्या है , सांझ भी ढलने लगी थी अँधेरा होने लगा था हल्का हल्का सा चाची ने उठ कर हाथ मुह धोये और घर के कामो में लग गयी , मैं एक गहरी सोच में डूबा था की तभी चाचा घर में आया
चाचा- बात करनी है तुझसे
मैं- पर मुझे कोई बात नहीं करनी
उन्होंने जेब से एक गड्डी निकाली सौ सौ के नोटों की मुझे बोले- रख ले
मैं- ना चाहिए
वो- देख तुझे जो चाहिए मैं दूंगा रूपये, नया बैट घर में भी कोई तेरे साथ कोई रोक टोक नहीं करेगा पर तू अपना मुह बंद रखना
मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था की चाचा ऐसे सीधे सीधे ही मुद्दे पर आ जायेगा
मैं—पर आपको ये सब शोभा नहीं देता
वो- तू अपना काम कर मुझे सब बता दिया है बिमला ने की कैसे तूने भी उसके साथ गुल्ल्छार्रे उडाये है बहुत भोला मत मेरे आगे
मैं- मुझे कोई बात नहीं करनी है
वो- अच्छा, अब बात नहीं करनी है थोडा मजा हमने कर लिया तो बुरा लग गया खुद करो वो सही है
मैं- मुझमे और आप में फरक है
वो- कुछ फरक नहीं देख अगर मुझ पर मुसीबत आई या बिमला को किसी भी घरवाले ने कुछ कहा तो तेरा भी हाल तू सोच लेना
मैं उठा और बोला- चाचा बात ऐसी है की अपनी धमकी को रख लो अपनी जेब में वो तो मेरी हालात ठीक नहीं है वर्ना आप तो क्या मार लेते , बाकि रही बात बिमला की तो उस से अपना पर्सनल पंगा है , उसके तो उलटे लग गए है उसका तो वो हाल होगा की बस .........
चाचा ने मेरा कालर पकड़ लिया और बोले- तेरी गांड में दम है ना उतना जोर लगा ले, बिमला मेरी और मैं उसका ऐसी कोई दिवार नहीं जो हमारे बीच आ सके ,
मैं- और चाची का क्या उसके दिल पे क्या गुजरेगी
चाचा- माँ चुदाये साली, उसमे अब बचा ही क्या है उसको रहना है तो रहे वर्ना निकल जाए मेरे घर से
मैं समझ गया था की इनके सर पर भूत सवार है पर मैं ना जाने किस बात से डरता था , भाड़ में जाए ये और वो अपने को क्या पर फिर दिल साला चाची को लेकर इमोशनल हो ही जाता था , पर उस शाम मैंने सोच ही लिया था की आज कुछ भी हो जाये मैं चाची को वो सब दिखा ही दूंगा फिर जो होगा देखा जायेगा चाची जाने और चाचा जाने बिमला की गांड तो मैं मार ही लूँगा .
उस रात हमारे घर में खाना नहीं बना था चाची बिलकुल खामोश बैठी थी मैं भी गुमसुम था चाचा का कुछ अता-पता नहीं था, मुझे मन ही मन ये आभास हो रहा था की ये ख़ामोशी आज ऐसा तूफ़ान लाने वाली है जिसमे इस घर की नींव हिल जाएगी अपनी मजबूरियों पर मुझे बहुत रोना आ रहा था जिंदगी में इतना बेबस खुद को कभी महसूस नहीं किया था मैंने
मैं चाची के पास गया और बोला-कब तक ऐसे ही बैठे रहोगे
वो- तुझे कुछ ऐसा पता है ना जो तू मुझे नहीं बताना चाह रहा
मैं नहीं , ऐसी हो कोई बात है नहीं
वो- मैं आप जो सोच रहे हो वो बात नहीं है दरअसल मेरा और बिमला का कुछ पंगा सा हो गया है तो मैं बस उसे बताने गया था की घरवालो को ना बताये
वो- तो फिर तुम्हारे चाचा क्या कर रहे थे उसके साथ
मैं- कब
वो- मैं आज खेत में गयी थी घास लेने तो बिमला और उनको मैंने देखा वहा पर
मैं- तो क्या हुआ , बिमला नहीं जा सकती क्या खेत पर
वो- जा सकती है पर मुझे ऐसा लगता है की कोई बात है जो तुम, बिमला और तुम्हारे चाचा जानते है पर मैं नहीं जानती और शायद उसी बात का असर मुझ पर पड़ रहा है
मैं- चाची आप फ़ालतू बातो को बहुत सोचने लगे हो
चाची मेरे पास आई और मेरे हाथ को अपने सर पर रखते हुए बोली- खा, कसम मेरी और बता की कोई खिचड़ी नहीं पक रही है
अब मैं तो फास गया , मैंने हाथ हटा लिया और अपना मुह परे को कर लिया
आज की रात क़यामत की रात होने वाली थी आज अपने हाथो से अपनी प्यारी चाची के घरेलु जीवन में आग जो लगाने वाला था मैं
चाची- क्या हुआ , क्यों नहीं पकड़ी कसम मतलब तुझे पता है
मैं- रात बहुत हो गयी है सो जाओ
वो- देख अगर तूने मुझे आज सब सच सच नहीं बताया की क्या हो रहा है तो तू मेरा मरा मुह देखेगा
मैंने उनके मुह पर हाथ रखा और बोला- आप ऐसा ना कहो
- तो फिर बताते क्यों नहीं मेरे सर की नस फटने लगी है अब
- चाची सब ख़तम हो जायेगा
—बता जरा
- पहले कसम खाओ की चाहे कुछ भी हो जाय आप मुझसे, हम सब से दूर नहीं जाएगी
वो- बता मुझे
मैं चाची बात ऐसी है की आपके पति
वो- क्या मेरे पति क्या
मैं- थारे पति जो है न वो एक नुम्बर के रंडी बाज़ है ,
ये सुनते ही चाची ने ४-5 थप्पड़ जड़ दिए मुझे और गुस्से से बोली- माना की हमारा रिश्ता सही नहीं चल्ररहा अहि पर वो इतना कच्चा भी नहीं है की कोई भी दो झूठी बातो से उसको तोड़ दे
मैं- अब यही सच है चाची बिमला और थारे पति का चक्कर चल रहा है
चाची- चुप हो जा हरामखोर तू मुझसे बदला लेने को ये सब बोल रहा है
मैं- एक काम करो थारे पति तो इस समय कुएँ पे होते है तो जाओ मिल आओ वाही पर उनसे और सच क्या है पूछ लेना
वो – हा जाउंगी , सब पुचुंगी
मैं- पानी ईईईईईईई
उन्होंने थोडा सा पानी दिया और बोली- तुझे ऊपर नहीं आना चाहिए था हमारा आपस का मामला है और अब तो ये रोज की ही बात है कौन सा आज पहली बार हाथ उठाया है मुझ पर
- तो क्यों सहती हो
वो- ब्याह के आई हूँ ख़राब टाइम है बेत ही जायेगा दुःख के बाद सुख भी आएगा कभी
- चाची आप भी ना
वो- लेटा रह
मैं- पर झगडा हुआ क्यों
वो – हम बात कर रहे थे की पता नहीं किस का फ़ोन आया तो बात करने के बाद इनको बहुत गुस्सा चढ़ गया था मैंने पुछा तो बस झगडा शुरू कर दिया और फिर मारने लगे
मैं- चाची पानी सरसे ऊपर चला गया गया है आपको ऐसे पिटता नहीं देखूंगा
वो- हम अपने मसले सुलझा लेंगे
मैं- अब नहीं सुलझ पाएंगे
वो- तुम आराम करो मैं तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ
वो चलने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला- चाची, आप मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो आपके साथ ऐसा अत्याचार मैं नहीं सहूंगा आप अभी मम्मी को फ़ोन करके बुलालो
पर उन्होंने मना कर दिया
मैं-तो ठीक है अब जिगर मजबूत कर लेना आप
वो- साफ़ साफ़ कहना
मैं- बस रात तक रुको
मैं उठा हालाँकि दर्द बहुत हो रहा था पर फिर भी मैं उसको सहते हुए बिमला के घर गया और जाते ही उसको दो तीन थप्पड़ मारे और बोला- साली वो फ़ोन तूने ही किया था ना चाचा को
बिमला ये सुन कर सन्न रह गयी और जैसे बुत बन गयी हो मैंने अपनी बेल्ट निकाली और उसको मारने ही जा रहा था की मेरा हाथ रुक गया
मैं- जा साली , कभी तुझे चाहा था जा और कह दिए जो कहना चाहे चाचा से छुट है तेरी
बिमला चुपचाप रही मैं वहा से आ ही रहा था की मैंने देखा चाची बिमला के मेन गेट तक आ गयी तो मेरे पीछे पीछे
मैं- चलो यहाँ से
वो- तू यहाँ क्या करने आया था
मैं- चलो तो सही
वो- बता मुझे
मैं गुस्से से चलो यहाँ से अभी
तो वो सहम गयी और मेरे साथ घर आ गयी दोपहर से शाम हो गयी बस बैठे बैठे चाची का हाथ मैंने अपने हाथ में ले रखा था चाचा अभी तक वापिस आया नहीं था कुछ समझ आ रहा था नहीं की किया क्या जाए, मुझे इतना तो पता था की बिमला मोका मिलते ही चाचा से बात जरुर करेगी अब बस देखना ये था की चाचा करता क्या है , सांझ भी ढलने लगी थी अँधेरा होने लगा था हल्का हल्का सा चाची ने उठ कर हाथ मुह धोये और घर के कामो में लग गयी , मैं एक गहरी सोच में डूबा था की तभी चाचा घर में आया
चाचा- बात करनी है तुझसे
मैं- पर मुझे कोई बात नहीं करनी
उन्होंने जेब से एक गड्डी निकाली सौ सौ के नोटों की मुझे बोले- रख ले
मैं- ना चाहिए
वो- देख तुझे जो चाहिए मैं दूंगा रूपये, नया बैट घर में भी कोई तेरे साथ कोई रोक टोक नहीं करेगा पर तू अपना मुह बंद रखना
मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था की चाचा ऐसे सीधे सीधे ही मुद्दे पर आ जायेगा
मैं—पर आपको ये सब शोभा नहीं देता
वो- तू अपना काम कर मुझे सब बता दिया है बिमला ने की कैसे तूने भी उसके साथ गुल्ल्छार्रे उडाये है बहुत भोला मत मेरे आगे
मैं- मुझे कोई बात नहीं करनी है
वो- अच्छा, अब बात नहीं करनी है थोडा मजा हमने कर लिया तो बुरा लग गया खुद करो वो सही है
मैं- मुझमे और आप में फरक है
वो- कुछ फरक नहीं देख अगर मुझ पर मुसीबत आई या बिमला को किसी भी घरवाले ने कुछ कहा तो तेरा भी हाल तू सोच लेना
मैं उठा और बोला- चाचा बात ऐसी है की अपनी धमकी को रख लो अपनी जेब में वो तो मेरी हालात ठीक नहीं है वर्ना आप तो क्या मार लेते , बाकि रही बात बिमला की तो उस से अपना पर्सनल पंगा है , उसके तो उलटे लग गए है उसका तो वो हाल होगा की बस .........
चाचा ने मेरा कालर पकड़ लिया और बोले- तेरी गांड में दम है ना उतना जोर लगा ले, बिमला मेरी और मैं उसका ऐसी कोई दिवार नहीं जो हमारे बीच आ सके ,
मैं- और चाची का क्या उसके दिल पे क्या गुजरेगी
चाचा- माँ चुदाये साली, उसमे अब बचा ही क्या है उसको रहना है तो रहे वर्ना निकल जाए मेरे घर से
मैं समझ गया था की इनके सर पर भूत सवार है पर मैं ना जाने किस बात से डरता था , भाड़ में जाए ये और वो अपने को क्या पर फिर दिल साला चाची को लेकर इमोशनल हो ही जाता था , पर उस शाम मैंने सोच ही लिया था की आज कुछ भी हो जाये मैं चाची को वो सब दिखा ही दूंगा फिर जो होगा देखा जायेगा चाची जाने और चाचा जाने बिमला की गांड तो मैं मार ही लूँगा .
उस रात हमारे घर में खाना नहीं बना था चाची बिलकुल खामोश बैठी थी मैं भी गुमसुम था चाचा का कुछ अता-पता नहीं था, मुझे मन ही मन ये आभास हो रहा था की ये ख़ामोशी आज ऐसा तूफ़ान लाने वाली है जिसमे इस घर की नींव हिल जाएगी अपनी मजबूरियों पर मुझे बहुत रोना आ रहा था जिंदगी में इतना बेबस खुद को कभी महसूस नहीं किया था मैंने
मैं चाची के पास गया और बोला-कब तक ऐसे ही बैठे रहोगे
वो- तुझे कुछ ऐसा पता है ना जो तू मुझे नहीं बताना चाह रहा
मैं नहीं , ऐसी हो कोई बात है नहीं
वो- मैं आप जो सोच रहे हो वो बात नहीं है दरअसल मेरा और बिमला का कुछ पंगा सा हो गया है तो मैं बस उसे बताने गया था की घरवालो को ना बताये
वो- तो फिर तुम्हारे चाचा क्या कर रहे थे उसके साथ
मैं- कब
वो- मैं आज खेत में गयी थी घास लेने तो बिमला और उनको मैंने देखा वहा पर
मैं- तो क्या हुआ , बिमला नहीं जा सकती क्या खेत पर
वो- जा सकती है पर मुझे ऐसा लगता है की कोई बात है जो तुम, बिमला और तुम्हारे चाचा जानते है पर मैं नहीं जानती और शायद उसी बात का असर मुझ पर पड़ रहा है
मैं- चाची आप फ़ालतू बातो को बहुत सोचने लगे हो
चाची मेरे पास आई और मेरे हाथ को अपने सर पर रखते हुए बोली- खा, कसम मेरी और बता की कोई खिचड़ी नहीं पक रही है
अब मैं तो फास गया , मैंने हाथ हटा लिया और अपना मुह परे को कर लिया
आज की रात क़यामत की रात होने वाली थी आज अपने हाथो से अपनी प्यारी चाची के घरेलु जीवन में आग जो लगाने वाला था मैं
चाची- क्या हुआ , क्यों नहीं पकड़ी कसम मतलब तुझे पता है
मैं- रात बहुत हो गयी है सो जाओ
वो- देख अगर तूने मुझे आज सब सच सच नहीं बताया की क्या हो रहा है तो तू मेरा मरा मुह देखेगा
मैंने उनके मुह पर हाथ रखा और बोला- आप ऐसा ना कहो
- तो फिर बताते क्यों नहीं मेरे सर की नस फटने लगी है अब
- चाची सब ख़तम हो जायेगा
—बता जरा
- पहले कसम खाओ की चाहे कुछ भी हो जाय आप मुझसे, हम सब से दूर नहीं जाएगी
वो- बता मुझे
मैं चाची बात ऐसी है की आपके पति
वो- क्या मेरे पति क्या
मैं- थारे पति जो है न वो एक नुम्बर के रंडी बाज़ है ,
ये सुनते ही चाची ने ४-5 थप्पड़ जड़ दिए मुझे और गुस्से से बोली- माना की हमारा रिश्ता सही नहीं चल्ररहा अहि पर वो इतना कच्चा भी नहीं है की कोई भी दो झूठी बातो से उसको तोड़ दे
मैं- अब यही सच है चाची बिमला और थारे पति का चक्कर चल रहा है
चाची- चुप हो जा हरामखोर तू मुझसे बदला लेने को ये सब बोल रहा है
मैं- एक काम करो थारे पति तो इस समय कुएँ पे होते है तो जाओ मिल आओ वाही पर उनसे और सच क्या है पूछ लेना
वो – हा जाउंगी , सब पुचुंगी