hotaks444
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बातो बातो में गाँव कब आ गया पता ही नहीं चला उसने मुझे उतारा और अपने रस्ते बढ़ गयी मैं घर की तरफ चल पड़ा पिस्ता ने चारदीवारी का काम शुरू करवा दिया था वो घर के बाहर ही कुर्सी डाले बैठी थी किसी सोच में डूबी थी मुझे आता देख वो अन्दर गयी पानी ले आई मैंने सामान उसको पकडाया वो एक कुर्सी और ले आई
वो- शाम ही करदी आते आते
मैं- हां देर हो गयी एक गाड़ी खरीदी है तो उसकी चक्कर में ही देर वो गयी
वो-काम बना , मैं हां पटवारी दो दिन में पूरी डिटेल दे देगा तुम बताओ
वो- मैंने पता किया गाँव में देवलोपमेंट तो हुआ है पर लोगो ने अपनी जमीने फक्ट्रियो को बेचीं है उसकी वजह से
मैं- मतलब लोगो ने खरीदी कम की है
वो- देखो जिनमे जमीन खरीदी है उनमे बिमला, रतिया काका और अवंतिका ही मेन है बाकि जिन लोगो ने ५-७ एकड़ जमीं खरीदी है उनको मैंने लिस्ट से आउट कर दिया है
मैं- इन तीनो को भी आउट कर दे
वो- मेरी बात सुन तो सही
मैं-तेरा शक गलत है , ये तीनो ही मजबूत पोजीशन वाले है
वो- सुन तो ले मैं क्या कह रही हु
मैं-बता
वो- जिस जमीं पर रतिया काका ने अपनी फर्म का गोदाम बनाया है वो जमींन और उसके साथ की करीब अस्सी बीघा जमीन पर बिमला का और रतिया काका का पंगा चल रहा है
मैं- पर क्यों
वो- मुझे नहीं पता चला लोग कम ही बात करते है इनके बारे में
मैं- ठीक है कल रतिया काका से ही पूछ लुंगा
वो – उनसे पूछने की जगह पहले तुम खुद पड़ताल क्यों नहीं करते
मैं- मतलब
वो- तुम गाँव में ये अफवाह फैला दो की तुम बस अपनी सारी जायदाद बेचने आये वो इस तरीके से उनसे बात करो फिर देखो वो कैसे रियेक्ट करते है
मैं- ओके
वो- एक बात का और पता चला है की बिमला सिर्फ उसी जमीन पर खेती या फिर अपने काम करती है जो बंटवारे में उनको मिली थी उसके अलावा जब गीता ताई ने तुम्हारी जमीन पर खेती की तो उसने पुछा था पर जब पता चला तो उसने गीता को खेती करने दिया क्योंकि तुमने गीता को वो जमीन इस्तेमाल करने दी पर उसका रतिया काका से पंगा चल रहा है इसका मतलब ये की रतिया काका ने वो जमीन कुछ तिकड़म करके हथियाई है , अगर उसे लालच होता तो वो गीता से भी जमीन छीन लेती आखिर फसल से भी मोटी कमाई होती है और पैसा किसे बुरा लगता है
मैं- बात में दम तो है और गीता ने भी यही कहा की बस एक बार ही वो आई थी उसके बाद भूले से भी नही देखा इधर
वो- तो कहानी घूम फिर कर वही आ जाती है की असली बात क्या है
मैं- हो न हो इस जमीन का कुछ तो पंगा है एक बार पटवारी से सारा डाटा मिल जाये फिर कोई बात बने
वो- तुम्हे क्या लगता है मतलब देखो रतिया काका साहूकार आदमी है पैसो की कोई कमी ना आज है न पहले थी बल्कि जब बिमला चुनावो के खड़ी थी तो भी उन्होंने पैसा लगाया था ये बात और थी की एक्सीडेंट के बाद वो बिस्तर पर पड़ गए थे
मैं- बात तो सही है तुम्हारी पर मामी वाले एंगल को नजरो से दूर मत करो देखो वो चाचा के साथ है अब उसने जो कहानी सुनाई है वो झूठ भी हो सकती है हो सकता है की चाचा के साथ उसने प्लान बनाया हो और मेरे बाद मामा नाना नानी को उसी ने मार दिया हो और अब मुझे यु देख कर अबला बन रही है
पिस्ता- मुझे शक है पर तुम्हारी वजह से चुप हु वर्ना कभी का धर लेती उसको बल्कि मैं तो कहती हु उठा लाते है उसको और मैं अपने तरीके से पूछती हु
मैं- देखो, उसको मैंने जानके छोड़ा है अगर वो झूठ बोल रही थी तो जल्दी ही वो कुछ वैसा ही करने की कोशिश करेगी
वो- और तुम इंतजार कर रहे हो वैसा ही कुछ होने का बिलकुल पागल हो गए हो तुम
मैं- मुझे किसकी फिकर, मेरी ढाल जो तुम हो
पिस्ता मुस्कुरा पड़ी रात बहुत बीत गयी थी तो फिर बाते करते करते हम सो गए सुबह जब जागा तो पिस्ता बिस्तर पर नहीं थी घर में भी नहीं थी मैंने इधर उधर तलाश किया उसको कुछ देर बाद देखा वो पानी का मटका लिए आ रही थी
मैं- कहा चली गयी थी
वो- सोचा, की मंदिर से घड़ा भर लाऊ, पुरानी याद ताज़ा हो जाएगी
मैं- ऐसे अकेले ना जाया करो
वो- मुझे किसका डर
मैं- भूख लग आई है
वो- चूरमा खाओगे
मैं- दाल के साथ
वो- तो फिर इंतजार करो
मैं भी उसके पीछे पीछे रसोई में चला गया और बस उसको देखता रहा खाना खाने के बाद मैं रतिया काका के घर गया तो पता चला की वो फर्म गए है तो मैं वही चला गया कारोबार को काफी विस्तार दे दिया था उन्होंने हमारी कुछ बाते हुई और बातो बातो में मैंने मैंने जिक्र कर दिया की मैं गाँव का घर और सारी जमीन बेच कर जाना चाहता हु
काका- बेटे, पर हमने तो सोचा था की तुम अब साथ ही रहोगे हमे बड़ी खुशी होती अगर तुम गाँव में ही रहते पर चलो तुम्हारी जो इच्छा
मैं- अब ये आपकी जिमीदारी है इस घर और जमीन को बिकवाने की
काका- देखता हु बेटा क्या हो सकता है
काका के हाव भाव से कुछ गलत लगा नहीं था पर मैंने पिस्ता के कहे अनुसार अपना दांव खेल दिया था अब बस इंतजार था की कब पटवारी से सारी जानकारी मिले सवाल कई थे मेरे मन में और जवाब देने वाला कोई नहीं था मेरा दिमाग बुरी तरह से हिला हुआ था की ये माजरा क्या है मामी से भी कोई सुराख़ नहीं मिला था और एक बात और भी थी की जब चाचा और बिमला पुरे परिवार से लड़ गए थे तो फिर वो अलग क्यों हुए तभी मेरे दिमाग में वो आया जो शायद बहुत पहले आ जाना चाहिए था बिमला के पति का खयाल मेरे भाई का ध्यान मुझे आज तक क्यों नहीं आया
मैं वही से सीधे गीता ताई के घर गया और उनसे कवर के बारे में पुछा
ताई- हां, वो एक बार आया तो था तो उसको यहाँ की बात पता चली वो गुस्से में था की इतनी बड़ी बात हो गयी पर उसको बताया नहीं उसके बाद उसे बिमला की कारस्तानियो के बारे में पता चल गया था तो फिर चाचा का और उसका झगडा हुआ पर फिर सुनने में आया की वो वापिस दुबई चला गया था और उसके बाद फिर कभी लौट के ना आया पर मुझे ये बाद कुछ हजम नहीं हुई कुछ और बातो के बाद मैं वापीस घर आ गया
कुछ सोच के हमने फिर से घर की तलाशी लेनी शुरू की हर एक कागज़-पत्री की बड़ी बारीकी से जांच करनी थी पता नहीं क्यों मुझे लग रहा था की अगर मामला पैसो का है तो घर में जरुर कुछ न कुछ मिलेगा रात बहुत बीत गयी थी पर हम लोग अभी भी तलाश कर रहे थे और फिर मुझे कुछ ऐसा मिला जिसको शायद यहाँ नहीं होना चाहिए था ये एक फाइल थी हालत काफी खस्ता हो चुकी थी कुछ कागज़ बस नाम के ही बचे थे पर उसका कवर उर्दू में था
बस यही बात अजीब थी हमारे घर में उर्दू का क्या काम और तभी जैसे मेरे दिमाग में सब समझ आ गया उर्दू का सम्बन्ध था कंवर से क्योंकि वो दुबई गया था कमाने और
अगर वो दुबई था तो उसके कागज़ यहाँ क्या कर रहे थे मैंने फाइल खोली और उसकी चेन में मुझे कंवर का पासपोर्ट मिला , और मैं सारी कहानी समझ गया आँखों से कुछ आंसू निकल आये
पिस्ता- क्या हुआ
मैं- कंवर हमारे बीच नहीं रहा पिस्ता
वो- कैसे
मैं- देखो अगर वो दुबई गया होता तो उसका पासपोर्ट यहाँ नहीं होता
पिस्ता- दिल छोटा मत करो ये भी तो हो सकता है की उसको कैद करके रखा गया हो
मैं- हो सकता है हां, शायद यही हुआ होगा
पर मेरा दिल नहीं मान रहा था क्योंकि जब मुझे जानसे मारने की साज़िश हो सकती है तो फिर कंवर को क्यों नहीं मारा जा सकता मैं तो उन लोगो के नजर में मर गया था या लापता जो भी था और कंवर के बाद पूरी आज़ादी थी लोगो को पर समयसा ये थी की एक कड़ी भी दूसरी से जुड़ नहीं रही थी लाख कोशिश के बाद भी
पिस्ता- देव, क्या पता की कुछ कारणों से कंवर ने पासपोर्ट बदलवाया हो जैसे की डुप्लीकेट
मैं- हो सकता है कुछ परिस्थियों में होता है एक काम करता हु इस पासपोर्ट का स्टेटस पता करता हु अगर डुप्लीकेट होगा तो पता चल जायेगा
वो- शाम ही करदी आते आते
मैं- हां देर हो गयी एक गाड़ी खरीदी है तो उसकी चक्कर में ही देर वो गयी
वो-काम बना , मैं हां पटवारी दो दिन में पूरी डिटेल दे देगा तुम बताओ
वो- मैंने पता किया गाँव में देवलोपमेंट तो हुआ है पर लोगो ने अपनी जमीने फक्ट्रियो को बेचीं है उसकी वजह से
मैं- मतलब लोगो ने खरीदी कम की है
वो- देखो जिनमे जमीन खरीदी है उनमे बिमला, रतिया काका और अवंतिका ही मेन है बाकि जिन लोगो ने ५-७ एकड़ जमीं खरीदी है उनको मैंने लिस्ट से आउट कर दिया है
मैं- इन तीनो को भी आउट कर दे
वो- मेरी बात सुन तो सही
मैं-तेरा शक गलत है , ये तीनो ही मजबूत पोजीशन वाले है
वो- सुन तो ले मैं क्या कह रही हु
मैं-बता
वो- जिस जमीं पर रतिया काका ने अपनी फर्म का गोदाम बनाया है वो जमींन और उसके साथ की करीब अस्सी बीघा जमीन पर बिमला का और रतिया काका का पंगा चल रहा है
मैं- पर क्यों
वो- मुझे नहीं पता चला लोग कम ही बात करते है इनके बारे में
मैं- ठीक है कल रतिया काका से ही पूछ लुंगा
वो – उनसे पूछने की जगह पहले तुम खुद पड़ताल क्यों नहीं करते
मैं- मतलब
वो- तुम गाँव में ये अफवाह फैला दो की तुम बस अपनी सारी जायदाद बेचने आये वो इस तरीके से उनसे बात करो फिर देखो वो कैसे रियेक्ट करते है
मैं- ओके
वो- एक बात का और पता चला है की बिमला सिर्फ उसी जमीन पर खेती या फिर अपने काम करती है जो बंटवारे में उनको मिली थी उसके अलावा जब गीता ताई ने तुम्हारी जमीन पर खेती की तो उसने पुछा था पर जब पता चला तो उसने गीता को खेती करने दिया क्योंकि तुमने गीता को वो जमीन इस्तेमाल करने दी पर उसका रतिया काका से पंगा चल रहा है इसका मतलब ये की रतिया काका ने वो जमीन कुछ तिकड़म करके हथियाई है , अगर उसे लालच होता तो वो गीता से भी जमीन छीन लेती आखिर फसल से भी मोटी कमाई होती है और पैसा किसे बुरा लगता है
मैं- बात में दम तो है और गीता ने भी यही कहा की बस एक बार ही वो आई थी उसके बाद भूले से भी नही देखा इधर
वो- तो कहानी घूम फिर कर वही आ जाती है की असली बात क्या है
मैं- हो न हो इस जमीन का कुछ तो पंगा है एक बार पटवारी से सारा डाटा मिल जाये फिर कोई बात बने
वो- तुम्हे क्या लगता है मतलब देखो रतिया काका साहूकार आदमी है पैसो की कोई कमी ना आज है न पहले थी बल्कि जब बिमला चुनावो के खड़ी थी तो भी उन्होंने पैसा लगाया था ये बात और थी की एक्सीडेंट के बाद वो बिस्तर पर पड़ गए थे
मैं- बात तो सही है तुम्हारी पर मामी वाले एंगल को नजरो से दूर मत करो देखो वो चाचा के साथ है अब उसने जो कहानी सुनाई है वो झूठ भी हो सकती है हो सकता है की चाचा के साथ उसने प्लान बनाया हो और मेरे बाद मामा नाना नानी को उसी ने मार दिया हो और अब मुझे यु देख कर अबला बन रही है
पिस्ता- मुझे शक है पर तुम्हारी वजह से चुप हु वर्ना कभी का धर लेती उसको बल्कि मैं तो कहती हु उठा लाते है उसको और मैं अपने तरीके से पूछती हु
मैं- देखो, उसको मैंने जानके छोड़ा है अगर वो झूठ बोल रही थी तो जल्दी ही वो कुछ वैसा ही करने की कोशिश करेगी
वो- और तुम इंतजार कर रहे हो वैसा ही कुछ होने का बिलकुल पागल हो गए हो तुम
मैं- मुझे किसकी फिकर, मेरी ढाल जो तुम हो
पिस्ता मुस्कुरा पड़ी रात बहुत बीत गयी थी तो फिर बाते करते करते हम सो गए सुबह जब जागा तो पिस्ता बिस्तर पर नहीं थी घर में भी नहीं थी मैंने इधर उधर तलाश किया उसको कुछ देर बाद देखा वो पानी का मटका लिए आ रही थी
मैं- कहा चली गयी थी
वो- सोचा, की मंदिर से घड़ा भर लाऊ, पुरानी याद ताज़ा हो जाएगी
मैं- ऐसे अकेले ना जाया करो
वो- मुझे किसका डर
मैं- भूख लग आई है
वो- चूरमा खाओगे
मैं- दाल के साथ
वो- तो फिर इंतजार करो
मैं भी उसके पीछे पीछे रसोई में चला गया और बस उसको देखता रहा खाना खाने के बाद मैं रतिया काका के घर गया तो पता चला की वो फर्म गए है तो मैं वही चला गया कारोबार को काफी विस्तार दे दिया था उन्होंने हमारी कुछ बाते हुई और बातो बातो में मैंने मैंने जिक्र कर दिया की मैं गाँव का घर और सारी जमीन बेच कर जाना चाहता हु
काका- बेटे, पर हमने तो सोचा था की तुम अब साथ ही रहोगे हमे बड़ी खुशी होती अगर तुम गाँव में ही रहते पर चलो तुम्हारी जो इच्छा
मैं- अब ये आपकी जिमीदारी है इस घर और जमीन को बिकवाने की
काका- देखता हु बेटा क्या हो सकता है
काका के हाव भाव से कुछ गलत लगा नहीं था पर मैंने पिस्ता के कहे अनुसार अपना दांव खेल दिया था अब बस इंतजार था की कब पटवारी से सारी जानकारी मिले सवाल कई थे मेरे मन में और जवाब देने वाला कोई नहीं था मेरा दिमाग बुरी तरह से हिला हुआ था की ये माजरा क्या है मामी से भी कोई सुराख़ नहीं मिला था और एक बात और भी थी की जब चाचा और बिमला पुरे परिवार से लड़ गए थे तो फिर वो अलग क्यों हुए तभी मेरे दिमाग में वो आया जो शायद बहुत पहले आ जाना चाहिए था बिमला के पति का खयाल मेरे भाई का ध्यान मुझे आज तक क्यों नहीं आया
मैं वही से सीधे गीता ताई के घर गया और उनसे कवर के बारे में पुछा
ताई- हां, वो एक बार आया तो था तो उसको यहाँ की बात पता चली वो गुस्से में था की इतनी बड़ी बात हो गयी पर उसको बताया नहीं उसके बाद उसे बिमला की कारस्तानियो के बारे में पता चल गया था तो फिर चाचा का और उसका झगडा हुआ पर फिर सुनने में आया की वो वापिस दुबई चला गया था और उसके बाद फिर कभी लौट के ना आया पर मुझे ये बाद कुछ हजम नहीं हुई कुछ और बातो के बाद मैं वापीस घर आ गया
कुछ सोच के हमने फिर से घर की तलाशी लेनी शुरू की हर एक कागज़-पत्री की बड़ी बारीकी से जांच करनी थी पता नहीं क्यों मुझे लग रहा था की अगर मामला पैसो का है तो घर में जरुर कुछ न कुछ मिलेगा रात बहुत बीत गयी थी पर हम लोग अभी भी तलाश कर रहे थे और फिर मुझे कुछ ऐसा मिला जिसको शायद यहाँ नहीं होना चाहिए था ये एक फाइल थी हालत काफी खस्ता हो चुकी थी कुछ कागज़ बस नाम के ही बचे थे पर उसका कवर उर्दू में था
बस यही बात अजीब थी हमारे घर में उर्दू का क्या काम और तभी जैसे मेरे दिमाग में सब समझ आ गया उर्दू का सम्बन्ध था कंवर से क्योंकि वो दुबई गया था कमाने और
अगर वो दुबई था तो उसके कागज़ यहाँ क्या कर रहे थे मैंने फाइल खोली और उसकी चेन में मुझे कंवर का पासपोर्ट मिला , और मैं सारी कहानी समझ गया आँखों से कुछ आंसू निकल आये
पिस्ता- क्या हुआ
मैं- कंवर हमारे बीच नहीं रहा पिस्ता
वो- कैसे
मैं- देखो अगर वो दुबई गया होता तो उसका पासपोर्ट यहाँ नहीं होता
पिस्ता- दिल छोटा मत करो ये भी तो हो सकता है की उसको कैद करके रखा गया हो
मैं- हो सकता है हां, शायद यही हुआ होगा
पर मेरा दिल नहीं मान रहा था क्योंकि जब मुझे जानसे मारने की साज़िश हो सकती है तो फिर कंवर को क्यों नहीं मारा जा सकता मैं तो उन लोगो के नजर में मर गया था या लापता जो भी था और कंवर के बाद पूरी आज़ादी थी लोगो को पर समयसा ये थी की एक कड़ी भी दूसरी से जुड़ नहीं रही थी लाख कोशिश के बाद भी
पिस्ता- देव, क्या पता की कुछ कारणों से कंवर ने पासपोर्ट बदलवाया हो जैसे की डुप्लीकेट
मैं- हो सकता है कुछ परिस्थियों में होता है एक काम करता हु इस पासपोर्ट का स्टेटस पता करता हु अगर डुप्लीकेट होगा तो पता चल जायेगा