Raj sharma stories चूतो का मेला - Page 19 - SexBaba
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Raj sharma stories चूतो का मेला

घर आके मैंने सबको पूरा वाकया सुनाया सब को एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ की ऐसे किस्मत से खजाना मिल सकता है पर मेरे देश में ना जाने ऐसे कितने खजाने दबे पड़े है सदियों से ,सब लोग अपने अपने ख्यालो में डूब से गए थे कहानी थोड़ी फ़िल्मी टाइप हो चली थी पर सच तो ये ही था की उनको खजाना मिला था या फिर उन्होंने माता के खजाने को चुराया था खैर मैंने अगले दिन उस मंदिर को देखने का निर्णय लिया थोड़ी उत्सुकता सी हो चली थी साथ ही वो चबूतरा भी फिर से बनवाना था 


बस इंतज़ार था उस रात के बीतने का जब हम उस जगह को देखंगे जहा पर खजाना था पिताजी के व्यक्तित्व का एक अलग ही पहलु देखने को मिला था आज पर वो लालची नहीं थ अगर लालच होता तो अपनों में बंटवारा नहीं करते उस सोने का , पर फिर उस सोने से नफरत सी होने लगी क्योंकि उसकी वजह से आज मेरा परिवार मेरे साथ नहीं था क्या होता जो हमारे पास इतना धन नहीं होता कम से कम माँ की गोद तो होती जब प्यार से वो मेरे सर को चूमती तो मेरी हर परेशानी पल में दूर हो जाती , मेरे सर पर मेरे पिता के प्यार की छत होती जब कभी मैं कमजोर पड़ता तो वो मुझे हौंसला देते
अगले दिन कुछ मजदूरो को लेके हम लोग चल पड़े पहुचे वहा पर उनको चबूतरा बाकायदा इज्जत के साथ बनाने को कहा आखिर मेरा भाई सो रहा था वहा पर मन थोडा भावुक था पर अब कुछ चीजों पर कहा किसका जोर चलता है , उसके बाद हम आगे तो चल पड़े नीनू को ही पता था रस्ते का घनी झाड़ियो पेड़ो से होते हुए करीब दो कोस बाद हम उस मंदिर तक पहुचे पहली नजर में ही पता चलता था की वो शायद अपने अंतिम समय में है मैंने माता को प्रणाम किया बस एक कमरा सा ही था 


कमरा क्या एक कोटडा सा था तो मैंने ये अनुमान लगाया की शायद ये खजाना किसी ज़माने में लूटा गया होगा 
और फिर यहाँ छुपाया गया होगा लूटने वाले लोग किसी कारण से यहाँ से ना निकाल पाए और ये धरती में दबा रह गया मंदिर को खूब देखा बस साधारण ही था सब वहा पर उसके बाद जैसे रतिया काका ने बताया था पास मेही वो कुआ भी मिल गया हमे अब उसमे मिटटी ही थी बस 



मैं- देखो यहाँ था वो सब सोना 



उसके बाद हमने आस पास खुदाई की छान बीन की कुछ नहीं मिला सिवाय कुछ सोने के टुकडो के जो शायद निकालते समय इधर ही रह गया होगा कुछ भी हो पर थोडा रोमांच हो रहा था उसके बाद हम लोग वापिस आ गए मैंने मजदूरो से पुछा तो पता चला की दो दिन तो लग ही जायेंगे उसके बाद उनको वही छोड़ के हम वापिस हुए 



पिस्ता को शहर जाना था किसी काम से तो वो चली गयी नीनू और माधुरी घर रह गयी मुझे आज ममता से मिलना था उसने कहा था की दोपहर को वो खेत पर मिलेगी तो मैं वहा चल दिया दोपहर का समय था खेतो में दूर तक कोई नहीं दिख रहा था करीब आधे घंटे बाद मैं रतिया काका के खेतो की तरफ पहुच गया ये खेत हमारी तरफ ना होकर गाँव की परली तरफ थे ममता मुझे कुवे पर ही मिल गयी उसने मुझे इशारा किया तो मैं उसके पीछे कमरे में पहुच गया 




मैं- यहाँ क्यों बुलाया 



वो- बैठिये तो सही जेठ जी 



मैं बैठ गया 



ममता- जेठ जी मुझे ना बात घुमा फिरा के कहने की आदत नहीं है मैं जान गयी हु की आपके और आपके परिवार के साथ क्या हुआ और आपको आपके गुनेह्गारो की तलास्श है और इस काम में मैं आपकी मदद कर सकती हु 



मैं- और इसमें तुम्हारा क्या फायदा है 



वो- अब कुछ तो मेरा भी भला होगा ही 



मैं- मुद्दे की बात करो 



मेरा ऐसे कहते ही ममता मेरे पास आके बैठ गयी और बोली- जेठजी अब आपके किस्से तो पुरे गाँव में मशहूर है और आपको तो पता ही होगा की मेरे पति और ननद का रिश्ता भाई बहन से बढ़ कर कुछ और ही है 



ओह तो इसको राहुल और मंजू के बारे में पता था , 



ममता- जेठजी, कुछ दिन पहले मैंने उन दोनों को हमबिस्तर देखा जाहिर है खून तो मेरा बहुत खौला मेरा पति अपनी ही बहन के साथ वो सब कर रहा था जो उसे मेरे साथ करना चाहिए था उसके बाद वो आपकी बाती करने लगे मंजू कह रही थी की वो आपसे सेक्स करेगी क्योंकि उसको आपके साथ बहुत मजा आता है और उसने राहुल को बताया की ..........की 



मैं- की क्या 



वो- की आपका हथियार भी बहुत लम्बा और मोटा है 



मैं- ममता देखो तुम्हे ऐसा नहीं बोलना चाहिए तुम्हारा और मेरा नाता ऐसा नहीं है 



वो- जेठ जी, आप के मुह से ऐसी बाते सुनके लगता है कोई आतंकवादी शांति की बात करने लगा हो 



रिस्ते नातो की बात आप मत करो , और फिर आपका भी तो फायदा होगा आपको एक और जिस्म चखने को मिलेगा जेठ जी मैं सच में आपके बहुत काम आ सकती हु 



मैं- देखो ममता जब तुम इतना खुल ही रही हो तो मैं आपको बता दू की चूत और दारू मैं अपनी मर्ज़ी से यूज़ करता हु वैसे मुझे तुम्हारा बिंदास अंदाज पसंद आया पर पहले तुम मुझे बताओ की तुम्हे इस मामले में क्या पता है 



ममता- जेठ जी, मैं आपको सलाह दूंगी की ये जो आपके अपने बने फिरते हैं ना इनसे थोडा दूर रहना ये कब छुरा मार देंगे पता नहीं चलेगा 



मैं- तुम्हे ऐसा क्यों लगता है 



वो- आपको कुछ बातो का पता नहीं है जेठ जी, मेरे ससुर बहुत ही तेज खोपड़ी है जितना उन्होंने शराफत का नकाब ओढ़ रखा है अन्दर से वो उतने ही नीच है , गाँव की कई औरतो से उनके तालुकात है अब सोचो जो इंसान बुढ़ापे में भी अपनी बहु और बेटी को रगड़ सकता है तो वो जवानी में कैसा रहा होगा 



मैं- तो क्या तुम्हे भी 



वो- हां जेठ जी , ब्याह के कुछ दिनों बाद ही उसने मेरे साथ, खैर अब तो आदत सी हो गयी है , मैं जानती हु उन्होंने आपको खजाने की बात बता दी है पर इसलिए नहीं की क्योंकि आधा हिस्सा आपके पिता का था बल्कि इसलिए की आपके जरिये वो उस खोये हुए आधे हिस्से को पाना चाहते है 



मैं- तुम्हे खजाने की बात की पता और साथ ही ये की उन्होंने वो बात मुझे बता दी है 



वो- कल रात मैं दूध लेके उनके कमरे में गयी थी वो फ़ोन पर किसी को बता रह थे तो मेरे कानो में पड़ी मुझे देख कर वो चुप हो गए पर मैंने दरवाजे पर कान लगा दिए ऐसा लग रहा था की वो किसी बहुत ही खास इंसान से बात कर रहे थे पर वो जो भी था ससुर जी का खास था 



मैं- वो खास कौन है क्या तुम पता कर सकोगी 



वो- मैं पूरी कोशिश करुँगी 



मैं- ममता, बात खाली ये नहीं है की जिस तरह से तुम मेरी मदद करना चाहती हो बात ये भी नहीं है की तुम अपना जिस्म परोसना चाहती हो बात ये है की ये कोई ट्रैप भी तो हो सकता है कोई साजिश क्योंकि एक बार पहले भी मुझे एक हुस्न्वाली ने मारने की कोशिस की थी हो सकता है की जो बात तुमने मुझे बताई हो वो सच हो , और काका एक रंगीन आदमी है ये भी मुझे पता चल चूका है 




ममता- जेठ जी मैं जानती हु की आप ऐसे ही मेरा विश्वास नहीं कर लोगे आप पर जो हमला हुआ वो ससुर जी ने ही करवाया था और एक खास बात आपके चाचा और मेरे ससुर मिले हुए है वो काफी समय से खजाने को ढूंढ रहे है 



मैं- तो क्या हुआ हमारे घरलू सम्बन्ध है दोनों व्यापारी है साथ है तो क्या गुनाह हुआ 



ममता- तो फिर जाके अपनी भाभी से पूछो की क्यों चाचा ने उसको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका क्यों उस औरत का साथ छोड़ दिया जिसके लिए पुरे परिवार से नाराजगी हो गयी थी आखिर ऐसा क्यों हुआ की बिमला और वो अलग हो गए
 
मैं- चाचा ने बताया था की बिमला ने विधायक का साथ कर लिया था वो उस बात से खुश नहीं थे तो इसलिए वो अलग हो गए 

ममता- जेठ, जी ज़माने को देखे तो आप बहुत भोले रह गए आप आज भी पिछले ज़माने में जी रहे है कभी बिमला से पूछ लेना शायद वो बता दे आपको 

मैं- मेरा उस से कोई लेना देना नहीं है 

वो- चलो मैं बताती हु की मेरे ससुर और चाचा की घनिष्टता बढ़ने लगी थी दोनों साथ रंडीबाजी करते कुछ और उलटे सीधे काम करते और फिर एक दिन ससुर जी ने बिमला को भोगने की अपनी मंशा चाचा को बताई, पर चाचा ने बदले में मेरी सास मांगी तो बात तय हो गयी पर बिमला को जब पता चला तो वो काफी आग बबूला हुई और उसका और चाचा का झगडा हो गया उसके कुछ दिनों के बाद कंवर सिंह बड़े जेठ जी आ गए तो उनको अब पता चल गया तह इधर बिमला और चाचा का उनसे काफी झगडा हुआ उस बात को लेके और फिर वो यहाँ से चले गए 


चाचा चाहता था की बिमला मेरे ससुर से सम्बन्ध बनाये पर बिमला को वो बात चुभ गयी थी इसलिए वो दोनों अलग हो गए और तबसे अलग ही है 

मैंने एक गहरी साँस ली थी साला हरामखोर चाचा जी तो चाह रहा था की उसकी गांड पे लात दू 

मैं- ममता एक बात कहू 

वो- क्या 

मैं- हरिया काका की मौत के बारे में क्या जानती हो 

वो- कुछ नहीं , हमारा उनसे कुछ लेना देना नहीं ससुर जी का गीता से पंगा है किसी बात को लेकर तो आना जाना है है बस इतना पता है की गीता ने बिमला पर उसकी मौत का इल्जाम लगाया था 

मैं- वैसे पंगा क्या है 

वो- पता नहीं पर शायद कोई उसी समय की बात है जब ये सब शुरू हुआ था मतलब आपके परिवार की मुसीबते 
ये कहकर वो खड़ी हुई और बाहर दरवाजे की तरफ चली मेरी नजर उसकी मध्यम साइज़ की गांड पर अटक गयी वो दरवाजे पर इस तरह से खड़ी थी की मेरी नजर उसकी गांड पर पड़े ही पड़े ममता कोई पच्चीस की पटाखा औरत थी उसकी पतली कमर रूप रंग भी मस्त था मैं खड़ा हुआ और उसको पीछे से अपनी बाहों में जकड लिया उसने बिलकुल भी प्रतिकार नहीं किया करती भी कैसे वो तो खुद चुदना चाहती थी मैंने आने हाथो को उसकी छाती पर ले आया उर उसकी गोल मटोल चूचियो को दबाने लगा 


“आह!जेठ जी धीरे ओह जेठ जी ”

“धीरे नहीं ममता , अब तो जोर आजमाइश होगी पर मेरी भी शर्त है ”

“क्या जेठजी ”

“तुझे दिखाना होगा की की तू कितनी गरम है जितना तेरी बातो में नखरा है उतना नखरा तेरे जिस्म में भी है ”
मैंने उसके ब्लाउज को खोलना चालू किया वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी उसके बदन से आती भीनी भीनी खुशबु मुझे उत्तेजित करने लगी और अगले ही पल उसका ब्लाउज उतर गया था मैंने ब्रा भी उतार दिया उसकी नंगी पीठ पर चूमा मैंने 

“आह ”वो सिसक उठी उसका हाथ मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर पहुच गया वो सहलाने लगी मैंने उसकी पीठ और नंगे कंधो को चूमने लगा कुछ देर उसके उभारो से खेलता रहा वो मेरी बाँहों में पिघलने लगी थी और फिर अब मैंने उसको अणि तरफ घुमाया और उसके होंठो को अपने मुह में भर लिया हमारे होंठ आपस में टकराए मुझे ऐसा लगा की जैसे गुलाब की पंखुड़िया चख रहा हु मैं ममता ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपनी जीभ को मेरे मुह में डाल दिया मी हाथ उसकी गांड तक पहुच चुके थे 

करीब दस मिनट तक बस हम एक दुसरे को चूमते रहे फिर ममता ने मेरी पेंट खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और जैसे ही वो उसकी आँखों के सामने आया बोली- सच कहती थी दीदी, 

अगले ही पल वो अपने घुटनों पे बैठ गयी और बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया उसकी गीली जीभ जैसे ही मेरे सुपाडे से टकराई बदन में चिनगारिया सी उडी उसकी और मेरी नजर एक बार मिली और फिर वो तेजी से उसे चुसने लगी उसके मुह का थूक उसकी चूचियो पर गिरने लगा मस्ती में चूर ममता पुरे उन्माद से भरी मेरे लंड को चूस रही थी उसके सुपाडे को चूम रही थी कुछ देर में उसने मेरे लंड को अपने मुह से निकाल दिया 


उसने अपनी साडी और पेटीकोट उतार दिया गुलाबी कच्छी ही शेष थी उसके बदन पर जो उसकी उन्नत योनी का भार संभाल नहीं पा रही थी मैंने भी अपने कपडे उतार दिये और ममता जो अपनी गोदी में बिठा लिया और एक बार फिर से उसकी चूचियो से खेलने लगा वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी वो अपने चहरे को मेरे चेहरे पर पटकने लगी और फिर उसने अपनी गांड को थोडा सा ऊपर किया और अपनी कच्छी को उतार दिया मेरा लंड उसकी गांड की दरार में फंस गया वो आहे भरने लगी 

“क्यों तडपा रहे हो जेठ जी रौंद क्यों नहीं देते मुझे , बादल बन कर मुझ धरती पर बरस क्यों नहीं जाते ” 

मैं- अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ तुम तड़पने लगी 

वो खड़ी हुई मैंने देखा उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो गयी थी यहाँ तक की जन्घो का कुछ हिस्सा भी उसके रस से सन गया था मैंने उसे खाट पर लिटाया औरउसके ऊपर लेट गया उसके बदन को चूमने लगा मेरा लंड उसकी चूत को छूने लगा ममता मेरी बाहों में तड़प रही थी उसकी तेज साँसे बता रही थी की उसका हाल क्या है बारी से मैं उसकी चूचियो को चूसने लगा वो आहे भरते हुए तड़पने लगी थी 

“जेठ जी, क्या कर रहे हो ये मुझे क्या हो रहा है ahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh ओह जेठ जी आउच ”


मैंने उसके बोबो को निचोड़ना चालू किया वो जल बिन मछली की तरह तदपने लगी अपने पैरो को पटकने लगी और अबकी बार मैंने जैसे ही ममता की चूची को मुह में लिया वो झड़ने लगी उसका बदन अकाद गया और आह भरते हुए उसकी चूत से कामरस टपकने लगा , और जैसे ही वो झड़ी मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और उसके कामरस को अपनी जीभ से चाटने लगा ममता झर झर झड़ने लगी उसकी टाँगे ऊपर को उठने लगी

मैंने ऊसका पूरा कामरस चाट लिया वो दो पल को शांत हुई और मैंने उसकी चूत को अपने मुह में भर लिया किसी गोलगप्पे की तरह बिना बालो की उसकी हलकी फूली हुई चूत फिर से गरम होने लगी और दो मिनट में ही वो फिर से गर्म आहे भरने लगी 


“जेठ ही बस भी कीजिये क्या ऐसे ही मार डालने का इरादा है ऊफ्फ्फ आह काटो मत प्लीज ”

“ऐसे ही नहीं मरूँगा ममता रानी, अभी तो मजा बाकी है ”

ममता की टाँगे विपरीत दिशाओ में फैइ हुई थी वो अपने हाथो से मेरे मुह को अपने योनी द्वार पर दबा रही थी उसकी चूत का गीलापन फिर से बढ़ने लगा था उत्तेजना का सागर अपनी लहरों पर उसको सवार करके घुमाने लगा था कभी वो अपने पैर पटके कभी अपने बाल नोचे तो कभी अपनी गांड उठा के पूरी चूत मेरे मुह में धकेले मस्ती में चूर वो अपने जेठ को अपनी चूत का रसपान करवा रही थी 

पांच सात मिनट और बीते उसका पूरा शरीर पसीने से सं चूका था पर मैं उसकी योनी को चुसे ही जा रहा था फलसवरूप वो एक बार और झड गयी थी बिना चोदे ही मैंने उसको दो बाद ढीली कर दिया था 
 
अब मैंने तकिये को उसकी गांड के निचे रख दिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो पर चढ़ाया ममता ममता ने अपनी आँखों को हल्का सा खोला मैंने अपने लंड को उसकी चूत की दरार पर रगडा 

“जेठ जी क्यों तडपा रहे हो बर्दाश्त करनी की भी हद होती है मुझे अपना बना क्यों नहीं लेते आप ”

उसके ऐसा कहते ही मैंने जोर लगाया और अपना लंड चूत में डालने लगा और ममता का बदन अकड़ने लगा 

“आह!सच में बहुत मोटा है आराम से ”

मैं- बस एक मिनट की बात है फिर तुम ही चाहोगी की मैं इसको अन्दर ही रखु 

अगले कुछ धक्को के बाद मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में पंहुचा दिया और हलके हलके धक्के लगाने लगा ममता ने मेरी पीठ पर अपनी बाहे कस दी 

“आह, आह उफफ्फ्फ्फ़ आई सीईईइ ”

उसके होंठो से गर्म आहे निकलने लगी ममता के पसीने की मादक गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिस से मैं अब तेज तेज धक्के लगाने लगा था वो मेरी बाहों में पिघल रही थी 

मैं- थोडा दम दिखा रानी बड़ा उछल रही थी अब जेठ को ठंडा नहीं करोगी 

वो- क्या दम दिखाऊ दो बार तो पहले ही निचोड़ दी 

मैं- मेरी रानी, तेरी चूत आज ऐसे मरूँगा की रात को बिस्तर पर करवातो में ही रात गुजरेगी 

वो- चोद डालो, जेठ जी मुझे इस तरह रौंद डालो की इस निगोड़ी की सारी खाज मिट जाये अपनी बाहों में पीस डालो मुझे आह शाबाश और तेज और तेज तेज करो चोदो मुझे 

मैंने ममता को चूमना चालू कर दिया होंठो से होंठ जुड़ गए थे उसके बाकि के शब्द मुह में ही घुल गए जल्दी ही वो अपनी गांड उठा उठा के मेरी ताल से ताल मिलाने लगी उसके सच में ही काफी स्टैमिना था कामुकता की चाशनी में डूबा हुआ उसका हुस्न मेरे आगोश में पल पल वो पिस रही थी उसकी छतिया किसी धोंकनी की तरह ऊपर निचे हो रही थी पर मेरी रफ़्तार बढती जा रही थी सांसे मुह में ही घुल गयी थी जीभ आपस में तलवार की तरह टकरा रही थी 

मेरा लंड उसकी चूत के गाढे पानी से सना हुआ था चिकना हुआ द्रुत गति से दौड़ते हुए उसकी चूत के छल्ले को चौड़ा किये हुए था ममता का बदन अकड़ने लगा था वो मुझे कसने लगी अपनी बाहों ने सांसे फूल गयी थी उसका जिस्म ऐंठ और फिर एक बार से वो झड़ने लगी थी अब हुई वो पस्त और खाट पर किसी बेजान लाश की तरह पड़ गयी मैंने धक्के रोक दिए , कुछ देर बाद उसने अपनी सांसो को संयंत किया और मैंने उसे घोड़ी बना दी उसने मेरी और देखा पर मेरा हुआ नहीं था तो मैं क्या करता 


उसने अपने अगले हिस्से को पूरी तरह से झुका दिया और पिछले हिस्से को ऊपर उठा लिया मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और अपने लंड को चूत से भिड़ा चूत पूरी तरह से लाल हो रखी थी एक जोर का शॉट लगाया और फिर से उसको चोदने लगा ममता की हालात बुरी हुई पड़ी थी बस वो हाय हाय कर रही थी धीरे धीरे वो भी गरम होने लगी चूत का गीला पण बढ़ते ही मेरा हथियार और खूंखार होने लगा अपना पूरा जोर लगते हुए मैं उसकी चूत मार रहा था 


“आह!जेठ जी सुसु आ रहा है बहुत तेज ”

“यही कर दो ”

“दो पल छोड़ो मुझे आः मैं रोक नहीं पाऊँगी ”

मैंने जैसे ही उसको ढील दी वो खाट से निचे उतरी और मूतने बैठ गयी सुर्र्र्रर सुर्र्र करके उसकी चूत से पेशाब की धर धरती पर गिरने लगी जैसे ही उसका मूत बंद हुआ मैंने उसको बिस्तर भी खीच लिया और फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी ममता की सुध बुध खो चुकी थी बस वो मेरे धक्को को झेल रही थी करीब दस मिनट और मैंने उसकी ली फिर मैंने उसकी चूत में अपना गरमा गर्म वीर्य छोड़ दिया 

एक के बाद एक वीर्य की पिचकारिया निकल कर उसकी चूत में गिरती रही और साथ ही वो भी झड़ गयी आज से पहले मेरा इतना पानी कभी नहीं निकला था ऐसा लग रहा था की जैसे किसी ने मेरी सारी शक्ति निचोड़ ली हो मैं उसकी बगल में ही पड़ गया 
थोड़ी देर हम लोग लेटे रहे फिर ममता लड़खड़ाते कदमो से उठी और अपने कपड़ो को पहनने लगी 

मैं- क्या हुआ और नहीं करना 

वो- मुझसे गलती हो गयी जेठ जी मुझे माफ़ कीजिये 

मैं- क्या हुआ मजा नहीं आया क्या 

वो- मजा तो आया पर आपने तो मुझे निचोड़ दिया सर घूम रहा है पता नहीं घर तक पहुच भी पाऊँगी या नही 
मैंने भी अपने कपडे पहने उसके बाद मैंने उस से वादा लिया की वो मेरा पूरा साथ देगी और कुछ भी पता चलते ही मुझे बताएगी उसने वादा किया की मैं उसको ऐसे ही पेलूँगा तो वो मेरी बन के रहेगी उसके बाद हमने अपना अपना रास्ता ले लिया

अब समस्या ये थी की हर एक के तार दुसरे से जुड़े थे और सारे ही ही मेरे अपने होने का दम भर रहे थे एक तरफ चाचा और बिमला थे जिन्होंने सब रिश्ते नाते ताक पर रख दिए थे अपने चोदुप्न के कारण, दूसरी तरफ प्यारी मामी थी जिसने चूत देके मेरी गांड मार ली थी मार ही डाला था मुझे और तीसरी तरफ रतिया काका था ममता के अनुसार उसने हमला करवाया था और लोचा भी उसका ही था अब साला जाये तो कहा जाये दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था 


दुनिया के केस सुलझाये थे पर खुद की गांड में पड़ा बम्बू नहीं निकल रहा था सब दरवाजे पीट लिए पर कुछ हासिल ना हो रहा था जी कर रहा था की उसी दिन मर जाते तो ठीक रहता ना हम रहते न ये सवाल होता ऊपर से ममता ने बुरी तरह थका दिया था तो मैं जाते ही सो गया फिर जब आँख खुली तो चारो तरफ अँधेरा था शायद बिजली चली गयी थी मैं उठ के अन्दर गया मोमबत्ती जलाई भूख सी लग आई थी अब इस समय किसी को जगाना ठीक नहीं था तो रसोई में गया कुछ खाया पिया नींद अब आनी थी नहीं मैंने देखा नीनू बैठक ने सोयी हुई है मैं उसके पास ही लेट गया 

उस से चिपक गया उसको अपने से लगा लिया वो कसमसाई और मेरी बाहों में ढीली हो गयी मैंने एक हाथ उसकी कमर पर लपेट लिया 

नीनू- सोने दो ना क्यों तंग करते हो 

मैं- मैं कब जगा रहा हु अब क्या तुम्हे थोडा सा प्यार भी नहीं कर सकता मैं 

वो- टाइम तो देखो 

मैं- प्यार करने वाले टाइम नहीं देखते 

वो- सोने दो ना बहुत नींद आ रही है 

मैं- ठीक है , पर मैं इधर ही सो रहा हु 

वो हां, वो मुझसे चिपक गयी और हम सो गए 

सुबह जरा देर से आँखे खुली बदन जैसे टूट सा रहा था मैंने फ़ोन देखा तो मंजू की कई मिस काल आई हुई थी मैंने फ़ोन मिलाया डॉट इन घंटी के बाद उसने फ़ोन उठाया 

मंजू-कब से फ़ोन कर रही हु तू है कहा 

मैं- अभी उठा हु बस 

वो- देव, मिलना है तुझसे 

मैं- घर आजा 

वो- नही उधर नहीं बात कुछ अर्जेंट है 

मैं- ठीक है तू हमारे कुवे पर आजा मैं आधे घंटे में वहा मिलता हु 

मैं करीब आधे घंटे में वहा पंहुचा तो मंजू वही बैठी थी 

मैं- क्यों बुलाया 

वो- देव, तूने सच कहा था तेरे साथ हुए हादसे में मेरे परिवार का कुछ तो लेना देना है 

मैं- तुझे कैसे पता 

वो- देव,मेरे बापू कल भाभी को चोद रहे थे मैंने देख लिया वो आपस में कुछ बात कर रहे थे तुम्हारे बारे में 

मैं- क्या बात कर रहे थे 

वो- देव, बात खजाने को लेकर थी 

खजाना , तो जान का जंजाल बन गया था 

मैं-बता जरा 

वो- बापू भाभी से बोल रहे थे की उनको पूरा विश्वास है की देव बाकि का सोना ढूंढ ही लेगा तो भाभी बोली हां पर अगर वो ढूंढ लेगा तो हमे क्या मिलेगा फिर बापू बोला एक बार सोना मिलने तो दे उसके बाद देखेंगे उस सोने के लिए बड़े पापड़ बेले है 

मैं- आगे 

वो- बस इतना ही सुना 

मैं- मंजू, अगर तेरे बापू ने गद्दारी की होगी तो तू किसका साथ देगी 

वो- देव, मैं तेरा साथ दूंगी क्योंकि जब अपने ही दुश्मन हो जाये तो आदमी क्या कर सकता है देव तेरा मेरा बचपन से साथ रहा है मेरे बापू ने जो कलंक लगाया है उसे धोने के लिए मैं कुछ भी करुँगी 

मैं- मुझे तेरा विश्वास है मंजू पर ये बात बता तूने अपने बापू से भी गांड मरवा ली 

वो- देव, तुझे किसने 

मैं- बस पता चला गया 

वो- देव, एक दिन बापू ने मुझे और भाई को करते हुए पकड़ लिया था अब मैं क्या करती मज़बूरी हो गयी थी मेरी 

मैं- जाने दे , तू मेरी बात सुन तू तेरे बापू से जाके चुदा और उस टाइम उस से इस बारे में पूछना और ये बोलना की देव को बाकि का खजाना मिल गया है मैंने तुझे बताया है 

वो- समझ गयी आज ही तेरा ये काम कर दूंगी 
 
उसके बाद मैंने उसे एक काम और करने को कहा फिर हमने अपना रास्ता पकड़ा अब कहानी ये थी की रतिया काका को चाह थी उस बाकि हिस्से की जो ना जाने कहा था और ममता को वो शायद ये कहना चाह रहे थे की सोना मिलने के बाद देव को रस्ते से हटा देंगे घर आके मैंने एक मैप बनाया ज्सिमे सबको लिखा, चाचा, बिमला, रतियाकाका, मामी, चारो ही मेरे लिए बहुत खास थे मेरे अपने थे पर चारो ही शक के घेरे में थे अब इनमे से तीन एक साथ थे और बिमला अलग थी सोना दो लोगो को मिला था 


पिताजी के मन में कोई लालच नहीं था उन्होंने सबको हिस्सा दिया था चाहे वो नगद हो या सोना अगर ऐसा था तो उन्होंने मेरे लिए भी मेरा हिस्सा छोड़ा होगा ये बात पक्की थी क्योंकि जब वो उन नालायको पर दया कर सकते थे तो मैं तो उनका बेटा था इसका मतलब उन्होंने चाची को भी दिया होगा हां, पक्का पर आज चाची जिंदा थी नहीं तो कैसे मालूमात करू 

मैंने अतीत के पन्ने खंगालने शुरू किये और मेरे दिमाग में एक बात आई चाची ने उन दिनों एक नया बैंक अकाउंट खुलवाया था तो शायद उन्होंने अपना सोना बैंक मे रखा हो मुझे याद था उन्होंने उस अकाउंट के बारे में चाचा को बताने से मना किया है मैंने तलाश किया तो उस अकाउंट की डिटेल्स मिल गयी मैंने पिस्ता को साथ लिया और बैंक पंहुचा 

मेनेजर को अपनी और चाची की डिटेल्स बताई और आनी का मकसद भी अब वारिस तो मैं ही था तो करीब घंटे भर की कागजी कार्यवाई के बाद चाची के खाते में जितना भी कैश था वो और उनके लाकर की चाबी मेरे हाथ में थी जैसे ही मैंने लाकर खोला मेरी आँखे फट गयी वो पूरा सोने के गहनों से भरा था वो ही गहने जो और लोगो के पास थे पिस्ता ने वो सब बैग में भर लिया करीब पांच किलो क आस पास वजन था वो
आके हम गाड़ी में बैठे 

पिस्ता- देव, एक बात तो है पिताजी ने तुम्हारे लिए भी कुछ तो छोड़ा है 

मैं- हां, पर कहा वो नहीं पता 

वो- शायद उन्हें पता हो की तुम उस तक पहुच जाओगे 

मैं- काश वो साथ होते 

वो- वो हमेशा तुम्हारे साथ है वो अपने आशीर्वाद के रूप में हमारी मदद कर रहे है देव जल्दी ही हम इस उलझन को सुलझा के तुम्हारे गुनेहगार को पकड लेंगे 

मेरे दिमाग को इन नए समीकरणों ने उलझा दिया था किसी पर भी भरोसा करना मेरे लिए वापिस मौत के दरवाजे खोल सकता था मैंने एक चाल तो चली थी पर देखो उसका क्या असर होना था मंजू पर मुझे भरोसा था क्योंकि मैं जानता था वो मेरी मदद करेगी बिमला की बाकि सब से पट रही थी नहीं तो क्या दुश्मन का दुश्मन दोस्त हो सकता है क्या वो मेरी मदद कर सकती है जबकि गुजरे ज़माने में उसने मुझे बर्बाद करने की ठान ली थी असल में देखा जाये तो इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार था अगर मैं अपनी हवस में अपनी भाभी को फंसाता तो क्या पता आज मेरे सब अपने मेरे साथ होते 

आखिर कुछ सोच कर मैंने गाड़ी बिमला की कोठी की तरफ मोड़ दी , पिस्ता- देव हम यहाँ क्यों आये है 

मैं- मुझे लगता है बिमला को बता देना चाहिए कंवर के बारे में 

पिस्ता-देव, वो टूट जाएगी 

मैं- जो औरत अपनी जिद में सबको खा गयी उसको अब क्या फरक पड़ना है 

पिस्ता- देव,मेरी बात मानो, कुछ बातो को छुपा लेना ही बेहतर है तुम समझ रहे हो ना 
मैं- ठीक है पिस्ता पर कुछ और बाते तो कर सकते है है 
वो- हाँ 
हम लोग अन्दर गए कुछ इंतजार के बाद बिमला आई , हमारी बात शुरू हुई 

मैं- देखो मैं उम्मीद करता हु की तुम सब सच बताओगी 

वो- क्या जानना चाहते हो तुम 

मैं- सोने के बारे में किस किस को पता है 

वो- सबको जिन को होना चाहिये 

मैं- मतलब 

वो- मुझे , तुम्हे, तुम्हारे चाचा और रतिया काका को 

मैं- तो तुम्हारा क्या पंगा है रतिया काका से और चाचा से 

वो- चाचा ने साथ कर लिया था रतिया का दोनों कुछ खुराफात कर रहे थे मैंने कई बार कहा भी था की वो उस से दूर रही पर एक दिन चाह्चा ने मुझे कहा की मुझे सोना होगा रतिया के साथ तो मेरा दिमाग घूम गया उस दिन हमारा कलेश हुआ कुछ दिन बाद हम अलग हो गए रतिया ने जो फर्म बनायीं है वो हमारी जमीन है आज के हिसाब से उसकी करोडो में कीमत है वो कहता है की चाचा जी ने उसको वो जमीन दी है पर मैं नहीं मानती 

मैं-ऐसा क्यों 

वो- क्योंकि वो जमीन अपनी पुश्तैनी नहीं है जब घर का बंटवारा हुआ उसके बाद चाचाजी ने वो जमीन तुम्हारे लिए खरीदी थी 

ये साला एक और बम फूट गया था 

मैं- एक बात तो सा है ये सारा खेल खजाने के लिए हुआ है और इसके पीछे जो भी है मैं उसको माफ़ नहीं करूँगा 

वो- मैं खुद इतने दिन से इसी काम में जुटी हु पर जो भी है वो बहुत शातिर है कोई सबूत नहीं कुछ सुराग नहीं मिल पाया है 

मैं- गीता ताई से तुम्हारा क्या झगडा है 

वो- जाने दो देव, तुम इस मामले में नहीं पडो कुछ बाते दबी ही रहे तो ठीक रहता है 

मैं- बताओ ना 

वो कहा न नहीं 

मैं- उसने बताया की तुमने उसके पति को मरवाया 

वो- पागल है साली, मैंने उसे कितनी बार कहा की रतिया का काम है पर वो साली मानती ही नहीं खामखा दुश्मनी पाल राखी है उसने 

मैं- पर रतिया काका ने उसको क्यों मरवाया 

वो- वो तो मुझे नहीं पता बस उडती उडती खबर आई थी और वैसे भी गीता और रतिया के सम्बन्ध ठीक नहीं है सबको पता है 

मैं- तुम मुझे पूरी बात क्यों नहीं बताती हो 

वो-क्योंकि सच बहुत कडवा है देव और मैं नहीं चाहती की तुम टूट कर बिखरो 

“ये दुनिया वैसे नहीं होती जैसा हम समझते है यहाँ पर कोई किसी का अपना नहीं होता सब रिश्ते नाते मोह माया है सब आँखों का फरेब है यहाँ कोई किसी का सगा नहीं कोई किसी का पराया नहीं अगर कुछ सच है तो ये भूख, जिस्मो की भूख लालच की भूख इसके आलावा कुछ नहीं , मैं जानती हु की तुम सच को आज नै तो कल तलाश कर ही लोगे पर देव कम से कम मैं तुम्हे कुछ बाते नहीं बता सकती “

और हां, तुम्हे वो गाँव में मंदिर में कुछ देने की जरुरत नहीं तुम्हारे नाम से मैंने पैसे दे दिए है ”
मैं कुछ कहने ही वाला था की पिस्ता ने मेरा हाथ पकड लिया और चलने का इशारा किया हम वापिस आ गए बिमला से मदद मांगने गए थे ढेर सारी और उलझाने ले आये थे सब लोग अपना सब कुछ मुझे देने को तैयार थे सबका प्यार उमड़ आया था मुझ पर और इस प्यार के निचे था क्या सिर्फ नफरत और सिर्फ लालच 

घर आके मैंने चाय नाश्ता किया सब लोग साथ ही बैठे थे मैं- एक बात ये भी है की बाकि का आधा खजाना जो था वो चोरी नहीं हुआ 

नीनू- कैसे 

मैं- क्योंकि गाँव में इन लोगो के आलावा कोई भी इतना अमीर नहीं हुआ है और बाहर का कोई खजाना ले जा सकता नहीं क्योंकि पिताजी ने वो जमीन खरीदते ही तार बंदी करवा दी थी और उस ज़माने में कोई ऐसे भी किसी की जमीन में नहीं जाया करता था वैसे भी वो उजाड़ जंगली इलाका है उस राज़ को बस दो आदमी ही जानते थे या तो रतिया काका या पिताजी रतिया काका उस समय हॉस्पिटल में थे तो पिताजी ने इतनी नजर तो राखी ही होगी की खजाने की सलामती रहे 
 
माधुरी- भाई मेरा ये अनुमान है की की जो बाकि का आधा खजाना था वो ही आपका हिस्सा है बस जरुरत है उसको खोजने की 
माधुरी ने जैसे विस्फोट किया था ऐसा हो सकता था की शायद पिताजी को डर हो की कही कोई उस खजाने को चुरा न ले तो उन्होंने उसे किसी दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया होगा और इस से पहले की वो रतिया काका को बता पाते उनकी मौत हो गयी 

मैं- होभी सकता है 

पिस्ता- तो फिर कोई तो सुराग, कोई रास्ता जुरूर छोड़ा होगा 

मैं- वो ही रास्ता तो नहीं है मेरे पास 

नीनू ने एक गहरी नजर मेरे बनाये मैप पर डाली और बोली- हम लगता है की हमे इनमे से एक को उठाना होगा और अपने तरीके से पूछना होगा वैसे भी जो गुंडे उस मुठभेड़ में बच गये थे मैंने उनके बयां ले लिए है पर ताज्जुब ये की उनको किसी औरत ने भेजा था ना की रतिया काका ने तो बात उलझ गयी है अब औरत दो है या तो बिमला या फिर मामी 
बिमला बाहुबली है उसके लिए गुंडे भेजना मुश्किल नहीं जबकि मामी भी ये काम करवा सकती है पैसो के दम पे
 
मैं- तो बात घूम फिर के जहा से चली है वहा पर आ जाती है देखो घूमफिर कर हम लोग हर बार इसी पॉइंट पर आ जाते है मतलब की हम लोग गलत तरीके से सोच रहे है कई बार ऐसा भी होता है की कोई और फायदा ले जाता है जबकि शक किसी और पर होता है 

नेनू- पर तुम्हारे मामले में ये थ्योरी गलत है क्योंकि गाँव में तुम्हारे परिवार की किसी से दुश्मनी थी नहीं ये सब जब हुआ जब तुमने चुनाव में बिमला से धोखा किया ये जो भी पंगा है ये फॅमिली का है अब दुश्मनी वाला एंगल ले भी तो कैसे जब किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी और वैसे भी अपने ही सबसे बड़े दुश्मन होते है अगर वो ठान ले तो 

मैं- तो क्या करू 

पिस्ता- हमे मामी को उठना चाहिए जब मैं सेवा करुँगी उसकी तो बताएगी वो 

मैं- नहीं रे पगली, सीधा सीधा उठा लेंगे तो कही काम बिगड़ ना जायेगा 

नीनू- क्यों न हम उस पूरी जमीन की खुदाई करवाए 

मैं- पागल हुई हो क्या कितनी जमीन है वो और सीधी बात है अगर पिताजी ने भी वहा से सोना निकाल लिया था तो वो उसे वही जमीन में बिलकुल नहीं छुपायेंगे 

माधुरी –भाई आप इन सब चीज़ के बीच ये क्यों भूल रहे है की कंवर को किसने मारा अगर उस एंगल से सोचेंगे तो शायद कोई बात बने 

वाह रे छुटकी, क्या बात पकड़ी थी जबसे इस खजाने की बात आई थी ये बात सूझी ही नहीं थी अब उस रात गाँव में किसी ने तो कंवर को देखा होगा अब जुगाड़ करके किसी न किसी से तो कुछ उगलवाना था पर मेरे दिमाग में उसके आलावा हरिया काका की भी मौत का कारण था हो ना हो दोनों की मौत तकरीबन उसी टाइम पीरियड में हुई थी मतलब साफ़ था की कुछ तो गड़बड़ है मतलब ऐसा भी हो सकता था की कंवर को भी सोने वाली बात पता चल गयी हो ,


ये फिर चाचा ने उसका पत्ता काट दिया ताकि वो उसके और बिमला के बीच ना सके या फिर इसलिए की कोई नहीं चाहता था की घर का वारिस आये आज मेरा दिमाग पूरी तरह से घुमा हुआ था तो मैंने ठेके पे जाने का सोचा हल्का हल्का अँधेरा हो रहा था करीब आधे घंटे में मैं वहा पर पंहुचा अपना ऑर्डर लिया और वही बैठ गया गाँव के कई लोग वहा पर बैठे थे एक बुद्धे को मैं पहचान गया उसे राम राम की तो वो मेरे पास आ गया 


मैं- ताऊ, लोगे 

वो- नहीं बेटा, मेरा कोटा हो गया है 

मैं- कोई ना ताऊ एक तो ले लो मैंने आवाज मारके ताऊ के लिए गिलास मंगाया वो बैठ गया 

मैं- ताऊ, और बताओ गाँव के क्या हाल चाल है 

वो- बस बेटा जी रहे है ज्यादा गुजर गयी अब तो थोड़ी बची 

मैं- वो तो है ताऊ 

मैंने पेग बना के उसको दिया 

हमारी बाते होने लगी 

मैं- ताऊ क्या करते हो 

वो- बेटा शहर में pwd में माली हु तुम्हारे चाचा की मेहर है उन्होंने ही जुगाड़ करवा दिया 

मैं- ताऊ उधर तो वो हरिया काका भी लगा हुआ था न 

वो- अरे बेटा , उसको मरे कई साल हुए पर आदमी बढ़िया था 

मैंने एक पेग और सरकाया 

मैं- ताऊ वो आपका दोस्त था ना 

वो- दोस्त ही कह लो उम्र में तो काफी छोटा था पर दोनों साथ काम करते थे तो दोस्ती सी ही थी 

मैं- दारू का रसिया था वो भी 

वो- ना रे बेटा, उसने छोड़ दी थी बस अपने काम में ही मस्त, कहता था बहुत पी ली अब खोयी इज्जत कमानी है अब एक ही लड़की थी ब्याह दी थी उसकी औरत भी बहुत ही नेक थी कई बार मैं जाता था उसके घर दारू छोड़ने से फिर से रोनक हो गयी थी उसके घर 

मैं- पर वो मारा कैसे ताऊ 

वो- बेटा बुरा मत मानना सब समझते है की उसको तुम्हारी भाभी ने मरवाया है पर मुझे ऐसा नहीं लगता 

मैं- क्यों ताऊ , ये बोलके मैंने उसे एक पेग और दिया 

वो- बेटा, उसकी मौत से कुछ दिन पहले वो बहुत बुझा बुझा सा था तो मैंने पूछ लिया उसने बताया की उसे वो बानिया है ना रतिया 

मैं- हां 

वो- वो उसे परेशान कर रहा था अब बात क्या थी ये तो उसने नहीं बताई पर वो बहुत मुसीबत में लगता था उसके बाद वो दो तीन दिन काम पे भी नहीं आया फिर उसकी लाश ही मिली थी 

मैं- ताऊ, कहा मिली लाश 

वो- बेटा वो जो परली पार खेत है ना तुम्हारे चाचा के उधर ही मरा मिला था वो 

ओह! तो उसके बाद ही चाचा ने खेतो की तरफ जाना छोड़ दिया था अब सबूत तो कुछ मिलना था नहीं वहा पर पर एक नजर देखना तो बनता था 

मैं- ताऊ, घनी हो गई चले अब 

वो- हा, बेटा 

मैं- बैठ ले गाडी में 

उसके बाद रस्ते भर मैंने ताऊ से बात की पर कुछ खास ना पता चला बात घूम फिर कर वही आ गयी थी अब ये पता करना था की रतिया काका से उसका क्या पंगा हुआ था जहाँ मैं रतिया काका को बेहद शरीफ समझता था वहा उसका नया चेहरा ही समझ आ रहा था झोल पे झोल हुए जा रहा था हर तरफ बस शक ही शक कोई राह नहीं बस भटकते रहो अँधेरे में 


अब इन हत्याओ को हो भी तो बहुत समय गया था सबूत कहा से ढूंढ कर लाऊ चारो तरफ भुस सवाल थे और जवाब दने वाला कोई नहीं था कौन करे मेरी मदद खैर, घर आया बैठक में सब घर वालो की तस्वीर लगी थी आखिर ये लोग मुझे क्यों छोड़ कर चले गए मैं बहुत देर वहा बडबडाता रहा फिर मैं पिताजी के कमरे में चला गया मैं समझ रहा था की पिताजी ने जरुर कोई सुराग छोड़ा होगा सब कुछ किस्मत के हवाले तो नहीं कर सकता था मैं मैंने पिताजी की हर चीज़ की बारीकी से तलाशी ली पर कुछ नहीं मिला फिर नींद कब आई कुछ पता नहीं

अगले दिन मैं और नीनू निकल गए घूमने मंदिर की तरफ चले गए दर्शन किये बाबा के नए मंदिर का काम चल रहा थोडा देखा कुछ बाते पुजारी जी से हुई हम चलने को ही थे की बिमला आ गयी अब सरपंच होने के नाते वो मंदिर का निर्माण देखने आती रहती थी तो हमसे भी बात हो गयी हम लोग एक पेड़ के निचे बैठ गए ऐसे भी नार्मल बात हो रही थी मेरे मन में एक दो बात थी पर मैंने टाल दी फिर बिमला चली गयी हम बैठे रहे 
 
नीनू-क्या लगता है 



मैं- किस बारे में 



वो – हम अभी तक सोने के बारे में ही सोच रहे है इतना कैश निकला है उसका क्या वो कैश ही है सोनी को बेच कर नहीं कमाया गया है वैसे भी करोडो के सोने को बेचना कोई आसान तो है नहीं 



मैं- क्या कहना चाहती हो 



वो –यही की नगद रकम का मामला अलग है 



मैं- भाड़ में जाए , सोना हो या रकम मुझे कोई वास्ता नहीं मुझे मेरा चैन सुकून वापिस मिल जाये और कुछ नहीं चाहिए मुझे दो पल जिंदगी आराम से जी लू वही बहुत है 



वो- उसी जिंदगी के लिए तो हम सब कर रहे है ना 



मैं- वो दिन भी क्या दिन थे ना कोई चिंता थी ना कोई फ़िक्र 



वो- तुम तब भी आवारा थे आज भी हो , याद है मैं तुम्हरे ही गाँव में तो पढने आती थी वो साइकिल चलाना कई बार रस्ते में गीत गुनगुना अब तो मोबाइल हो गए वो इशारो वाले ज़माने गए 



मैं- सही कहती हो अपने टाइम की बात ही अलग थी 



कई बार मैं जा रहा होता था तुम साइड से घंटी बजा के निकल जाया करती थी अब वो बात कहा काश कोई लौटा दे मेरे बीते दिन , वो जब तुम टिफिन में मेरे लिए आधा खाना छोड़ दिया करती थी आचार कितना अच्छा बनाती थी तुम 



वो- हां, माँ आचार सबसे बढ़िया बनाती थी मैं उंगलिया चाटने लग जाती थी पर अब कहा वो स्वाद, अब तो बात ही गयी 



मैं- बात कैसे गयी और हाँ वैसे भी इन सब टेंशन के बीच हम तुम्हरे घर जाना तो भूल ही गए एक काम करो हम भी तुम्हारे गाँव चल रहे है 



नीनू- नहीं देव, अब जो पीछे छूट गया उसका क्या फायदा उस घर के दरवाजे बरसो पहले मेरे लिए बंद हो चुके है वहाँ जाके कुछ हासिल नहीं होना सिवाय दर्द के 



मैं- नीनू, दर्द पर मरहम भी लगता है हम बस चल रहे है अभी इसी वक़्त 



वैसे भी कौन सा दूर था मेरे गाँव से अगला गाँव तो था ही करीब पन्द्रह मिनट बाद हम लोग नीनू के घर के लिए जो मोड़ जाता तह वहा थे तर्रक्की को गयी थी पक्की सड़के बन गयी थी पहले इधर बस नीनू का ही घर था पर अब तो अच्छा खासा मोहल्ला बन गया था 



नीनू- देव, गाडी वापिस मोड़ लो वहा काफी रोना पीटना होगा शायद तुम्हे भी कुछ बोल दे और वो बेइज्जती मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी 



मैं- रे पगली, तेरे घरवाले मेरे भी घरवाले है कुछ बोल देंगे तो क्या आफत आ जानी है हम किसी गैर के घर नहीं आये है हम अपनों के घर आये है 



मैंने गाडी आगे बढाई नीनू थोड़ी नर्वस होने लगी थी पर अब जाना तो जाना ही था पांच मिनट बाद मैंने गाड़ी नीनू के आँगन में रोक दी उसके पिता वही बैठे थे हुक्का पी रहे थे हम गाड़ी से उतरे नीनू को देख कर एक पल उनकी चेहरे के भाव बदले पर वो उठे नहीं बस बैठे ही रहे हम लोग वहा गए मैंने उनके चरण स्पर्श किये तो वो कुछ नहीं बोले 
तभी नीनू की माँ भी आ गयी वो हमारी तरफ आने लगी पर फिर देहलीज पर ही रुक गयी 



मैं- नीनू बात करो 



नीनू- पापा बोली वो भराए गले से 



पापा- जब तुम चली ही गयी थी तो क्या लेने आई हो अब 



मैं- पापा, हमारी बात सुनो एक पल 



वो- तुम कौन हो 



मैं- इसका पति 



वो- अच्छा तो तू है जिसने मेरी बेटी की जिन्दगी बर्बाद कर दी 



मैं- आप हमारी बात सुनिए बेटी बरसो बाद घर आई है कम से कम झूठा ही सही मुस्कुरा तो दीजिये 



मैंने मांजी की तरफ देखा और बोला- ये तो आना नही चाहती थी पर वो क्या है ना मैंने सुना की मांजी आचार बहुत अच्छा बनाती है तो मैं खुद को रोक ना सका और दौड़ा आया 



मांजी ये सुनते ही मुस्कुरा पड़ी मैं समझ गया काम बन जायेगा 





पापा- बात तो बहुत मीठी करता है तभी मेरी बेटी को फांस लिया 



मैं- पापा आपके मन में जी इतने दिनों से नीनू की प्रति गलतफहमी है वो दूर करने आया हु ये ना तब गलत थी ना अब गलत है पर पहले थोडा पानी वानी तो पिला दो 



पापा उठे और हमे अन्दर आने का कहा नीनू की धडकनों को महसूस कर लिया मैंने , बरसो बाद वो अपने कदम रखने जा रही थी अपने घर में पानी पिया उसके बाद मैंने सारी बात बता दी उनको और साथ ही ये भी की मैं किस गाँव का हु और किस परिवार का हु 



पिताजी का नाम सुनते ही नीनू के पिताजी की आँखे चमक उठी बोले- बस बेटे और कुछ कहने की जरुरत नहीं तुम्हारे परिवार से तो बरसो से उठना बैठना था हमारा अरे तुम्हारे ताऊ और मैं फौज में साथ ही नौकरी करते थे वो थोडा पहले रिटायर हो गया था मैं थोडा बाद में पर फिर पता लगा की पूरा परिवार ही ख़तम हो गया तो बड़ा दुःख हुआ 



और ये भी पगली, इसने अगर साफ़ साफ़ बता दिया होता तो मैं खुद आगे चल कर तुम दोनों का ब्याह करवा देता इसको बता देना चाहिए था इतने दिन से चिंता थी की बेटी कैसी है किस हाल में होगी पर अब चिंता दूर , शायद इसे ही कहते है विधि का विधान अब मैं लोगो को गर्व से बताऊंगा की मेरी बेटी भाग के नहीं गयी थी बल्कि किस खानदान की बहु है 



पापा की आँखों से आंसू निकलने लगी नीनू अपने पिता के गले लग गयी फिर मा के थोडा भावुक सा माहौल हो गया था उसके घरवाले सज्जन लोग थे पल में ही सब गिले शिकवे ख़तम हो गए थे अपने को और क्या चाहिए था घरवाली खुश हो गयी थी तो अपन भी खुश थे बातो बातो में शाम हो गयी थी अब चलने का समय हो गया था पर नीनू के पापा की जिद थी की रात का खाना खाकर ही जाए तो फिर और देर हो गयी उसकी मा चाहती थी की नीनू कुछ दिन और रहे तो मैंने कहा जल्दी ही वो आ जाएगी 



उसके बाद हम अपने घर के लिए चले गाँव से बाहर आते ही नीनु ने मेरे हाथ को कस के पकड लिया मैंने गाड़ी रोक दी साइड में उसकी आँखों में आंसू थे दो पल उसने मेरी तरफ देखा और फिर अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए
बहुत देर तक वो मुझे चूमती रहे दीवानों की तरह जब तक की सांसे जिस्म से बगावत ना करने लगी बस उसने बिना कहे ही सब कुछ कह दिया था उसने मेरे कंधे पर सर रख दिया मैं गाडी धीरे धीरे चलाने लगा बस जीना चाहता था उन लम्हों को दिल दिल से बाते कर रहा था हवा अचानक से खुशगवार लगने लगी थी घर कब आ गया पता ही नहीं चला बेशक उसने लफ्जों में कुछ नहीं कहा था पर फिर भी मैंने समझ लिया था की उसके दिल में क्या है घर आने के बाद वो अपने कमरे में चली गयी 



मैं बाहर ही चारपाई पर लेट गया मैं सोच रहा था अपने बारे में नीनू के बारे में हम सब के बारे में पहले सब कितना सही था पर अब हर पल पल पल जिंदगी में बस दुःख ही था अजीब सी लाइफ हो गयी थी सोने का पता दो लोगो को था फिर लोग जुड़ते गए आधा निकाला गया बाकि कोई और ले गया अब रतिया काका का चरित्र जिस तरह से निकला था उस से ये भी अंदेसा था की वो मुझसे झूठ बोल रहे हो ऐसा भी हो सकता था की उन्होंने पिताजी से पहले ही वो खजाना वहा से साफ़ कर दिया हो 



और फिर अपना वो ही शराफत का नकाब ओढ़ लिया हो ऐसा हो भी सकता था पर उनका वो एक्सीडेंट बहुत ही मुस्किल से बचे थे वो तो फिर वो ऐसा जानलेवा रिस्क नहीं लेंगे, बात यहाँ पर आके अटक गयी थी और फिर कंवर को किसने मारा वो भी तो बात उलझी हुई थी अब उसके बारे में दो बात थी या तो उसको बिमला या चाचा ने मार दिया या फिर उसकी जान भी खजाने के चक्कर में गयी दूसरी बात की सम्भावना ज्यादा थी क्यंकि उसकी लाश भी तो उसी जमीन में मिली थी दूसरी तरफ हरिया काका उसकी मौत भी शायद इसलिए हुई थी की उसको भी कुछ मालूम था पर क्या ?


बस इसी सवाल का जवाब नहीं था मेरे पास माधुरी ने सही कहा था एक बार कंवर की मौत कैसे हुई इस कड़ी को भी देखना चाहिय था पर पंगा ये था की टाइम बहुत बीत गया था तो हर कड़ी जैसे खो सी गयी थी उसकी मौत के बारे में हमे या फिर कातिल को ही पता था बिमला चाहे लाख नीच थी पर मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी की उसको बता सकू की वो जो सिन्दूर अपनी मांग में लगाती है पोंछ दे उसे तोड़ दे उन चूडियो को जो उसकी कलाई में सजी है 



पर जो भी था इनसब के पीछे वो बहुत ही शातिर खेल खेल रहा था बिलकुल चुप था मैंने मंजू के रस्ते खजाने वाला दांव खेला तो था पर क्या होना था ये देखने वाली बात थी पैसे में बहुत शक्ति होती है और तभी मुझे याद आया की उन नकद रुपयों का क्या लेना देना है काका के अनुसार बस सोना ही था पर पिताजी के पास नकदी थी तो वो कहा से आई इस छोटे शहर में करोडो का सोना बेचना मुमकिन ही नहीं था शायद ये ऐसी ही बात थी की पिताजी ही जानते थे पर कैसे कोई तो सुराग कोई को बात होगी जिस से मुझे कुछ तो पता चले 



कंवर बिमला की कोठी से निकला पर यहाँ नहीं पंहुचा उसकी लाश मिलती है अलग जगह पर , ओह तभी मुझे ध्यान आया वो रास्ता ममता जिस से भागी थी उस चोराहे से दो रस्ते जाते थे एक बिमला की तरफ और एक रतिया काका की फर्म पर तो शायद हुआ ऐसा होगा की बिमला से झगडे के बाद कंवर घर से निकला और रास्ते में उसके साथ कुछ हुआ पर वो सीधा गाँव के रस्ते को छोड़ कर उस रस्ते क्यों गया शायद वो कातिल को जानता था पर ऐसा क्या हुआ होगा की इंसान अपना सीधा रास्ता छोड़ कर उजाड़ का रास्ता लेगा सोचने वाली बात थी 
 
बात ये भी थी की कातिल ने उसकी लाश को वही पर क्यों गाड़ा वो पूरा इलाका ही सुनसान है कही भी ये काम कर सकता था इसका मतलब ये था कंवर की मौत उसी जमीन पर हुई थी , और अगर ऐसा था तो इस बात की भी पूरी सम्भावना थी की उसको खजाने की जानकारी थी पर ये सिर्फ अनुमान भी हो सकता था पर तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया जिस से की बात बन सकती थी दांव तो मैं खेल ही चूका था बस एक चाल और चलने थी बस अब इंतजार था तो कल का ही अगले दिन मैं हमेशा की तरह लेट ही उठा था नीनू किसी काम से शहर गयी थी माधुरी भी उसके साथ ही थी मैं और पिस्ता ही थे 



मैंने उसे पूरी बात बता दी ही थी बस देखना था की खजाने की बात से रतिया काका का रिएक्शन क्या होता है दिन गुजरने लगा पर ना मंजू आई ना रतिया काका का फ़ोन या फिर वो खुद जबकि इस बात से फरक तो पडता था उनको शाम होने को आई इधर मुझे चैन पड़े ना खजाना मिलना कोई छोटी बात तो थी नहीं हालाँकि झूठ था पर सामने वाले को थोड़ी ना पता था अब हुई रात , करीब नो बजे रतिया काका आये मैंने सोचा चलो आया तो सही 



काका- बेटा तुमसे कुछ बात करनी थी 



मैं- कहो काका 



वो- थोडा अकेले में 



हम चलते हुए थोडा आगे को आ गए 



काका- वो मंजू कह रही थी की तुमने वो बाकि का खोया हुआ सोना ढूंढ लिया है 





मैं- हाँ काका किस्मत थी मिल गया 



काका की आँखे चमक उठी बोले- बेटा मैं उसी सिलसिले में बात करने आया हु देखो इतना सोना घर में रखना सेफ नहीं है तुम ऐसा करो उसे मेरे पास रख दो जब जरुरत हो ले लेना , 



मैं- काका वो सेफ है आप चिंता ना करे


वो- देव, तुम समझ नहीं रहे हो बेटे उसकी हिफाजत जरुरी है मैं नहीं चाहता की जिसके लिए इतना इंतजार किया वो चीज़ फिर से चोरी हो जाये और फिर उसमे 



मैं- उसमे क्या ,, 



वो- कुछ ,,,,,कुछ नहीं बेटे 



मैं- आप शायद ये कहना चाहते थे की उसमे आपका भी हिस्सा है 



काका चुप रहे 



मै- काका मैंने कंवर भाई सा से बात करी थी वो तो कह रहे थे की काका अपना हिस्सा पहले ही ले चुके थे अब जो बचा है उसपे बस मेरा और भाई साहब का हक़ है काका 



काका- कंवर से बात हुई तुम्हारी कब 



मैं- कल रात को 



वो- पर ऐसा कैसे ह.........




मैं- क्या काका 



पर वो बात टाल गया था शतिर जो था फिर बोला- अच्छा बेटा कंवर ने ऐसा कहा तो ठीक ही है पर मैं तो इसलिए बोल रहा था की हिफाजत रहेगी सोने की बाकि तुम समझदार हो 



मैं- काका आप बेफिक्र रहे मैं अपने सामान को खूब संभाल सकता हु 



काका- बेटा मैं तो कह ही सकता था बाकि तुम्हारी मर्ज़ी है चलो चलता हु 



काका कंवर की बात सुनकर चौंका तो था पर फिर संभल गया था कुछ शो नहीं किया था बल्कि फिर उसने अपने आधे हिस्से की बात भी नहीं दोहराई थी
पर मैं इतना अवश्य जानता था की कुछ तो खुराफात जरुर करेगा ये और मैं ये भी जानता था की कंवर की मौत का इसका भी पता है जरुर और अब ये ही हमे बताएगा लालच इन्सान से सब करवा देता है मैंने उसी टाइम एक प्लान बनाया और घर में जितना भी कैश और सोना था इकठ्ठा किया बस जरुरत का ही रखा अब हमारी बारी थी खेल खेलने की मैंने नीनू को वो सारा पैसा और सोना उसके घर रखने को कहा क्योंकि वो सेफ जगह थी अगले दिन मैं काका के घर गया और बोला की – घर का थोडा ध्यान रखना काका माल पड़ा है हमे एक काम से जरुरी जाना है आने में थोडा समय लग जायेगा 


प्लान बहुत ही चुतिया टाइप का था पर लालच हमे बस ये देखना था की काका की असली औकात क्या है हालाँकि इसमें कोई भी समझदारी नहीं थी कोई भी समझ सकता था की ये एक ट्रैप है पर लालच खजाने का लालच और जब लालच की पट्टी इंसान की आँखों में पड़ी हो तो कुछ भी होसकता है अब अगर उसको लालच है तो घर खाली पड़ा है कोई तो आएगा ही आएगा बस इंतजार था सही मौके का जब हम उसको रंगे हाथ पकड सके 


आज अमावस की रात ही दूर दूर तक अगर कुछ था तो बस फैला हुआ अँधेरा घर पूरी तरह से अँधेरे में डूबा हुआ था एक बल्ब भी नहीं जल रहा था इंतजार करते करते बारह से ऊपर को हो गया पर कोई नहीं आया था मैं नीनू और पिस्ता पूरी तरह से मुस्तैद थे पर अब निराशा होने लगी थी और तभी जैसी की मैंने पायल की झंकार सूनी कोई तेज कदमो से घर की तरफ आ रहा था हम चोकन्ने हुए जल्दी ही पता चल गया वो कोई औरत थी दबे पाँव वो घर में दाखिल हुई 


मैं उसे पूरा मौका देना चाहता था तलाशी का पर ख्याल जब बदला जब मैंने एक् साये को और अन्दर घुसते देखा एक औरत एक मर्द अब मामला रोचक हुआ रतिया काका के साथ औरत कौन मामला पेचीदा और कमाल की बात की बत्ती नहीं जलाई उन्होंने ना कोई टोर्च ही हम भी दबे पाँव ख़ामोशी से अंदर हुए , पर वो आदमी था वो ऐसा लग रहा था की घर के चप्पे चप्पे से वाकिफ था अब अँधेरा इतना गहरा था की कुछ समझ नहीं आ रहा था और फिर हमारे कानो में कुछ आवाज आई 

औरत- तुम ना सब्र नहीं होता तुमसे कभी मरवाओगे मुझे बोली वो फुसफुसाते हुए 

आदमी- चल अब ज्यादा बात मत कर और आजा बहुत दिन हुए तेरा दीदार नहीं किया 

अब ये साले कौन है अबे अफवाह उड़ाई थी खजाने की यहाँ तो चोदम चोदी का कार्यकर्म हो रहा था पिस्ता ने धीरे से पुछा की लाइट जला दू मैंने मना किया दरअसल मैं जानना चाहता था की इस कार्यवाही के बाद ये लोग कुछ बात चित भी करे है या नहीं 

करीब आधे घंटे के इंतज़ार के बाद वो औरत बोली- देखो इस तरह से मत बुलाया करो जब हम बिना रोकटोक के मिल सकते है तो ऐसे चोरी क्यों 

आदमी- बस ऐसे ही कभी कभी चोरी भी करनी चाहिए चलो इसी बहाने घर भी आना हुआ 

घर मतलब , मतलब ये चाचा था पर ये औरत कौन थी पहले इनकी बाते सुनना जरुरी थी 

औरत- देखो, देव को वो बाकि का सोना मिल गया है पिताजी चाहते थे की वो आधा हिस्सा उनको दे दे पर देव ने मना कर दिया 
ओह! पिताजी, मतलब ये मंजू थी पर इसका चाचा के साथ क्या लेना देना 

चाचा- क्या बात कर रही हो , देव ने कैसे पता लगा लिया , पर चलो अच्छा ही है उसके काम आ जायेगा वैसे भी बहुत दुःख झेला है उसने अब वो भी आराम से जिए 

औरत- तुम्हे नहीं लगता की उस सोने में अपना भी हिस्सा होना चाहिए देव थोडा कम ले लेगा तो कोई आफत नहीं आ जानी 

चाचा- और हम ना ले तो भी कोई आफत नहीं आनी देखो देव हमारा वारिस है खून है हमारा पहले ही सब बिखर चूका है मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूँगा बल्कि जो उसका फैसला है वो ही मेरा है मुझे बस मेरे बच्चे की सलामती की फ़िक्र है और तुमसे भी कहता हु की ऐसा कुछ मत करना जिससे उसको तकलीफ हो बेशक वो मुझे अपना नहीं मानता पर शायद इसी बहाने मेरे गुनाहों का प्रयाश्चित भी हो जाए अपने बच्चे की हिफाजत के लिए मैं हथियार उठाने से भी नहीं चुकूँगा 

वो- मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी आखिर कब तक मैं उस घर में घुटन भरी जिन्दगी जिउंगी 

चाचा- मौज में तो हो तुम फिर या लालच क्यों करती हो 

वो- तुम्हे क्या लगता है देव न कैसे ढूँढा होगा उस खजाने को बल्कि मैं तो ये मानती हु की आपके बड़े भाई ने ही उसको वहा से निकाल के कही छुपाया होगा मतलब आपने पिताजी को चुतिया बना दिया 

चाचा- देखो, मुझे सच में कुछ नहीं पता और तुम्हे क्या लगता है रतिया ने उस जगह की खूब तलाशी नहीं ली होगी वो घाग है पूरा मेरी चिंता यही है की कही सोने के लिए देव और उसके बीच कोई टेंशन ना हो जाये 

और तभी मैंने लाइट जला दी पर जो मैंने देखा मेरे होश ही उड़ गए वो मंजू नहीं ममता थी दोनों नंगे सकपका गए जल्दी से कपडे लपेटे अपने बदन पर 

मैं- ममता तुम चाचा के साथ और चाचा बेटी की उम्र की है तुम्हारी खैर आपसे तो उम्मीद करनी ही बेकार है पर ये चल क्या रहा है बताओ जरा 

चाचा- देव, बस ये एक घिनोना दलदल है जिसमे हम धंसे हुए है इसके आलावा कुछ नहीं जहा रिश्ते नाते कुछ नहीं बचे बस कुछ है तो भूख जिस्मो के भूख जोकुछ तुमने देखा वो बस उसी भूख की कहानी है 

मैं- तो ममता रानी , देखो मेरा ना दिमाग घुमा हुआ है इस से पहले की मैं शुरू करू तोते की तरह शुरू हो जाओ और सो भी चल रहा है जो भी प्लानिंग फटाफट बता दो सालो चुतिया समझ के रखा है 

ममता-जेठ जी मुझे कुछ नहीं पता मैं तो वो ही कर रही थी जो पिताजी ने कहा था 

मैं- पिताजी की तो गांड तोड़ दूंगा मैं पर तेरी पहले टूटेगी 

इस से पहले की मेरी बात ख़तम होती नीनू ने उसको बालो से पकड़ा और पटक मारा फर्श पर ममता दर्द से कराही और नीनु ने दो चार लात जमा दी 

नीनू- देख, अब बकना शुरू कर वरना मैं तो फिर भी दया कर दूंगी पर पिस्ता को तो जानती होगी उसना होगा उसके बारे में वो फिर नहीं रुकेगी 

ममता-जेठानी जी, मुझे पिताजी ने कहा था जेठ जी को अपने जाल में फंसाने के लिए ताकि सही समय पर वो खजाने का बाकि हिस्सा हडप सके कायदे से तो पिताजी का आधा हिस्सा था पर जेठ जी ने मना कर दिया तो हमारा यही प्लान था पर चाचा से भी सम्बन्ध है इसने यहाँ बुलाया था और हम पकडे गए 

पिस्ता- चुतिया मत बना साली कुतिया सब बोल शुरू से आखिरी तक ये तो हमे भी पता है की काका सोना लेना चाहता है और क्या कह रही थी तू की देव का कुछ करना होगा साली ये खड़ा तेरे सामने दिखा क्या करके दिखाएगी
ममता- मुझे तो पिताजी ने बस इतना ही कहा था की तू किसी तरह से देव को फंसा ले और उससे खजाने की बात उगलवा ले बस मेरा इतना ही है बाकि चाचा और पिताजी एक नंबर के रंडी बाज़ है पिताजी ने मुझे चाचा के आगे परोसा और इसने मामी को पिताजी के आगे बस तब से ऐसा ही चला रहा है 



नीनू- देव्, मैं तो तुम्हे ही समझती थी बाकि पूरा कुनबा ही रंगीला है 



ममता रही थी झीख रही थी पर पिसता उसका अच्छे से इलाज कर रही थी 



मैं- चाचा कंवर की मौत के बारे में आप क्या जानते है 




वो- मौत, कंवर की पर वो तो दुबई है ना 



मैं- मेरा दिमाग और ख़राब मत करो किसी को भी नहीं पता चलेगा दो लोग कहा गायब हो गए आपको नहीं पता कंवर को मरे करीब तीन साढ़े तीन साल हुए 



वो- मेरे बच्चे मुझे तुम्हारी कसम मुझ को कुछ नहीं पता इस मामले में 



मैं- तो हरिया काका का तो पता होगा या उसका भी नहीं है 



चाचा अब चुप


मैं- मुझे सच जानना है हर कीमत पर की कैसे क्या हुआ और टाइम नहीं है मेरे पास 



चाचा- उसको रतिया ने मारा , 
 
एक पल के लिए कमरे में ख़ामोशी छा गयी थी चाचा ने अपना गला खंखारा और बताना शुरू किया तुम्हे याद तो होगा की रतिया का एक्सीडेंट हुआ था जिसमे वो बुरी तरह से घायल था बस बच गया था किस्मत से , उसको ठीक होते होते थोडा टाइम लग गया इधर हरिया को मैंने माली लगवा ही दिया था उसका काम सही चल रहा था वोटो में भी उसने अपने लिए खूब मेहनत की थी पर रतिया ने ठीक होने पर जासूसी करवाई तो पता चला की जिस ट्रक से उसका एक्सीडेंट हुआ था उस पर हरिया काम करता था तो रतिया के दिमाग में ये बात बैठ गयी थी की जरुर हरिया ने ही उसको मारना चाहा था 



इस बाबत मैंने भी हरिया से पुछा था तो उसने साफ़ बता दिया था की वो ट्रक चलाता था जरुर पर जब ड्राईवर छुट्टी पे होता था बाकि समय तो उस सेठ की चोकिदारी ही करता था और वैसे भी हादसे से कुछ दिन पहले उसने वहा से काम छोड़ दिया था हरिया की बात एक दम सही थी सोलह आने खरी मैंने खुद पड़ताल की थी उस सेठ का ट्रक चोरी हो गया था कुछ दिन पहले ही एक्सीडेंट के जिसकी पुलिस में भी शिकायत दर्ज हुई थी पर रतिया के दिमाग में हरिया खटक रहा था किसी नासूर की तरह वो उसेही दोषी मान रहा था 



हरिया ने मुझसे कई बार बात भी की थी की रतिया उसे बेवजह तंग कर रहा था मैंने रतिया को खूब समझाया भी था पर फिर कुछ ऐसा हुआ की जिसकी वजह से बात हद से ज्यादा बिगड़ गयी 



मैं- क्या हुआ था 



चाचा- बताता हु, एक दिन हरिया सुनार के पास गया कुछ बेचने पर सुनार को हरिया की औकात का अच्छे पता था की उसके पास सोने का बिस्कुट कहा से आया होगा तो उसने उस से ओने पोने दाम में वो खरीद लिया अब हुआ यु की सुनार का लें दें था रतिया से तो उसने बातो बातो में जिक्र कर दिया की हरिया सोने का बिस्कुट बेच कर गया है अब सोना का तो पंगा था ही हरिया के पास सोना , रतिया को लगा की जरुर हरिया ने वो सोना पार कर दिया वहा से बस उसी दिन से उनकी दुश्मनी सी हो गयी थी 



मैं- तो आपने बीच बचाव नहीं किया 



वो- मैंने हरिया से बात की थी तो उसने बताया की तुम्हारे पिताजी ने उसको दो बिस्कुट दिए थे की बुरे समय में इनको बेच देना धन का जुगाड़ हो जायेगा उसने एक बेचा और दूसरा मुझे वापिस कर दिया था तो वो सच्चा था मैंने रतिया को खूब समझाया पर शायद उसको तो लगन लग गयी थी सोने की और एक दिन ऐसे ही खेतो में दोनों का तगड़ा पंगा हुआ अब हरिया क पास सोना था ही नहीं तो वो कहा से देता थोड़ी पिलमा-झिलमी हो गयी और उसी बीच रतिया के हाथ से गोली चल गयी 



अब घबरा तो रतिया भी गया था उसने मुझे बुलाया जैसे तैसे करके बात को दबाई 



मैं- बात को दबा दिया वाह बहुत बढ़िया शाबाशी मिली अरे सोचा नहीं ताई पर क्या गुजरी होगी वो अकेली जी रही है क्या उसको साथी की जरुरत नहीं क्या उसको ताऊ की याद नहीं आती होगी वाह रे कलियुगी इंसानों कल को तो रतिया काका इस सोने के लिए मुझे भी मार सकते है ऐसा भी क्या लालच वो तो शुक्र है मेहर हो गयी इनपर जो सोना मिल गया मुझे तो शक होने लगा है की कही परिवार को भी तो रतिया काका ने नहीं ख़त्म करवा दिया हो 



चाचा- ऐसा नही है देव


मैं- तो कैसा है किस पर विश्वास करू मैं मेरी भाभी जो सारे आम मुझे बरबा करने की धमकी देती है, मेरी मामी को मेरे सीने को छलनी कर देती है मेरा चाचा जिसे अयाशी से फुर्सत नहीं जो भागीदार है एक निर्दोष इंसान के कतल का एक तरफ मुझे मेरे भाई की लाश मिलती है जिसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं वाह रे कलियुग के रिश्तेदारों जब अपने तुम्हारे जैसे है तो दुश्मनों की क्या जरुरत कंवर के कातिल का तो मैं पता लगा ही लूँगा और याद रखना की अगर उसमे तुम्हारा या बिमला का हाथ हुआ तो फैसला कानून नहीं मैं करूँगा 



मैं-नीनू अभी पुलिस बुलाओ और काका को गिरफ्तार करवाओ 



नीनू- पंद्रह बीस मिनट में आ रहे है 



मैं- बढ़िया ,ममता तू घर जा और आगे से चाचा से कोई वास्ता नहीं अपनी जिंदगी अपने पती के साथ जी अब तुझे इस दलदल में कोई नहीं धकेलेगा और इस काबिल बनना की कोई तुमपे विश्वास कर सके 



चाचा, वैसे तो तुम भी गुनेहगार हो पर मामी जुडी है तुमसे तो ये मत समझना की तुम बच गए काका के खिलाफ गवाही देनी होगी तुम्हे और ताई की मदद भी ताकि उसकी आनेवाली जिंदगी थोडा सुख से गुजरे 



मेरी बात ख़तम ही हुई थी की तभी मुझे एक फ़ोन आया , फ़ोन वो भी रात के तीन बजे मैंने अपने कान से लगया और जो मैंने सुना मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी
 
पिस्ता- क्या हुआ देव 
मैं- रतिया काका की लाश मिली है खेतो में राहुल का फ़ोन था 


सबने अपना माथा पीट लिया था अब काका को किसने पेल दिया जो एक कड़ी थी वो भी हाथ से गयी सारा खेल ही उल्टा हो गया था पर अब जो भी था जाना था तो सब लोग हम थोड़ी देर में वहा पहुचे लोहे के तार से गले को घोंटा गया था ऐसा लगता था की थोडा बहुत संघर्ष किया होगा जान बचाने को आँखे जैसे बाहर को आ गयी थी मैंने बॉडी चेक की कुछ नहीं था सिवाय कुछ कागजों के हां पर शायद उन्होंने शराब पि राखी थी खैर, जिसको पकड़ना था वो तो निकल लिया था घर में रोना पीटना मच गया था अब मौत हुई थी तो ये सब होना ही था पर मेरे को दुःख नहीं था खैर बॉडी को पोस्त्मर्तम के लिए भेजा गया कुछ कर्यवाही करनी थी तो हम हॉस्पिटल चले गए अब गए तो इर बॉडी वापिस लेकर ही आनी थी चिता को अग्नि मिलते मिलते शाम हो चली थी 


अब मर्डर था तो नीनू को ऑफिसियल भी देखना था मेटर को पर बात बनी नहीं कोई सुराग नहीं मिला खेत में पैरो के निशान भी बस थोड़ी ही दूर तक थे कुत्ते की मदद भी ली पर एक सिमित दूरी के बाद वो भी कुछ नहीं कर पाया मतलब किसी को ये तो अंदाजा था की रतिया काका को हम पकड़ने वाले है या फिर किसी ने पर्सनल रंजिश में पेल दिया था उनको पर किसने अब ये कौन बताये 


कुछ दिन ऐसे ही गुजर गये थे हरिया काका की तो गुत्थी सुलझ गयी थी उनको रतिया काका ने मारा था पर कंवर को किसने मारा हो ना हो जिसने पुरे परिवार को ख़तम किया उसने ही कंवर को भी मारा , कंवर यहाँ रहता तो बिमला और चाचा के लिए पंगा था पर वो तो अलग हो गए तो फिर क्या बात हो सकती थी ऐसे ही मैं सोच रहा था अब दिन चल रहे थे तो रतिया काका के घर भी जाना होता था उस दिन अवंतिका आई हुई थी तो मैंने पूछ लिया की बड़ी बिजी रेहती हो कितने दिन हुए ऐसी भी क्या नाराजगी 


वो- तुम्हे तो पता ही है की मेरे पति का इलाज चल रहा है तो बस यहाँ से जयपुर वहा से यहाँ इसमें ही बिजी हु वर्ना कब का आती तुमसे मिलने 


मैं- अब कब तक हो 


वो- दो तीन दिन इधर ही हु

मैं- तो आज मिले , 


वो- शाम को 



मैं- रात को 


वो- मुश्किल होगा 


मैं- कहती क्यों नही की अब तुम बस बच रही हो 


वो- बचकर कहा जाना कर्जदार हु तुम्हारी 


मैं- सो तो है , पर बात को बदलो मत 


वो- ठीक है रात दस बजे मेरे घर के बाहर इंतजार करुँगी 


मैं- पक्का फिर मिलते है रात को 



उसने एक गहरी मुस्कान से मेरी तरफ देखा और आगे बढ़ गयी मैं बस उसे जाते हुए देखता रहा मैं सीढियों पे बैठा था मंजू मेरे पास आई एक कप चाय का मुझे दिया और खुद मेरे बाजु में बैठ गयी , मैंने एक दो घूँट भरे फिर वो बोली- क्या लगता है किसने मारा होगा बापू को 



मैं- अभी कह नहीं सकते पर इतना वादा है कातिल बच नहीं पायेगा 



वो- पर बापू को क्यों मारा 



मै- अभी टाइम सही नहीं है इन बातो का घरवालो को संभाल पहले 



वो- देव, कही तूने तो ........ देख तुझे खजाना भी मिल गया था तो क्या 



मैं- तुझे क्या लगता है 



वो- मेरा दिल तो ना कह रहा है पर 



मैं- मंजू कुछ चीजों को राज़ ही रहने देना चाहिए पर तू मानने वाली तो है नहीं तो ऊपर आ मैं तुझे सच बता देता हु कई बार सच वैसा नहीं होता जैसा हम लोग सोचते है मैं नहीं जानता की सच सुनने पर तुझपे क्या बीतेगी पर अगर तू सोचती है की तुझे जानना जरुरी है तो ठीक है थोड़ी देर में मुझे छत पर मिलना मैं बता देता हु 



हालाँकि ये समय इन सब बातो के लिए नहीं था पर मंजू मुझ पर शक कर रही थी तो मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था मंजू छत पर आई और मैंने उसे रतिया काका का वो अंजाना सच बता दिया की उसका बापू कैसे कर्जे के सूद के रूप में जिस्मो से खेलता था कैसे उसने सिर्फ शक के आधार हरिया ताऊ को मार दिया था उसका बाप लालच की किस हद तक गिरा हुआ था और साथ ही ये भी बता दिया की अगर वो जिन्दा होता तो आज हवालात में होता 



मंजू तो उसकी बेटी थी जो अपनी बेटी को चोद सकता है उस से इंसानियत की उम्मीद भी क्या लगाई जा सकती है अपने बापू की असलियत सुन कर मंजू फफक फफक कर रो पड़ी पर मैंने उसको चुप करवाने की कोशिश भी नहीं की वो रोती रही मैं निचे आ गया और कुछ देर बाद मैं अपने घर आ गया , तो मैंने देखा की पिस्ता बाहर चबूतरे पर ही बैठी थी किसी गहरी सोच में खोयी हुई 



मैं- क्या हुआ मेमसाब बड़ी गुमसुम सी है 



वो- देव, तुम्हे क्या लगता है पिताजी ने वो सोना कहा छुपाया होगा और ऐसा भी तो हो सकता है की किसी और ने ही हाथ साफ कर दिया हो 



मैं- होने को तो कुछ भी हो सकता है अगर पिताजी ने कही छपा भी है तो मुझे नहीं चाहिए गुजारे लायक तो है अपने पास और वैसे भी अगर अपनी कमाई में पार न पड़ी तो फिर कभी नहीं पड़ेगी 



वो- बात सही है पर सोचो इतना खजाना ना जाने कहा है 



मैं- देखो, वो जिसको भी मिला वो उसके हक़दार नहीं थे जबसे वो सोना आया सब ख़त्म हो गया कुछ नहीं बचा तो छोड़ो उसको और अपनी बात करो 



वो- अपनी बात से याद आया आज मेरा मूड हो रहा है 



मै- आज नहीं कल डार्लिंग आज मुझे कुछ जरुरी काम निपटाना है 



वो- क्या 



मैं- दरअसल आज किसी से मिलना है कुछ काम के सिलसिले में , अब जबकि मैं यहाँ नहीं रहूँगा तो सबकी हिफाज़त की जिम्मेदारी तुम्हारी है थोडा सतर्क रहना रात को 



वो- तुम सच में बहुत चिंता करते हो 



मै- सबको तो खो ही चूका हु अब कही तुम लोगो के साथ कुछ हो गया तो थोडा डर लगा रहता है 



वो- तुम आराम से अपना काम करो सब ठीक रहेगा

पर आज चुक जाना था , लोग कहते थे की हमारी और उनमे दुश्मनी सी है पर मुझे ऐसा कभी नहीं लगा आज से पहले मैं बस एक बार उसके घर गया था और आज जा रहा था मेरे मन में अजीब सी फीलिंग आ रही थी , काश की मेरे पास शब्द होते तो मैं उस फीलिंग को यहाँ लिख पाता पर जाने दो ठीक दस बजे मैं उसके घर के सामने था हल्का सा अँधेरा था गली में मैंने उसे फ़ोन किया और तुरंत ही वो बाहर आई हम अन्दर पहुचे 
 
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