hotaks444
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घर आके मैंने सबको पूरा वाकया सुनाया सब को एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ की ऐसे किस्मत से खजाना मिल सकता है पर मेरे देश में ना जाने ऐसे कितने खजाने दबे पड़े है सदियों से ,सब लोग अपने अपने ख्यालो में डूब से गए थे कहानी थोड़ी फ़िल्मी टाइप हो चली थी पर सच तो ये ही था की उनको खजाना मिला था या फिर उन्होंने माता के खजाने को चुराया था खैर मैंने अगले दिन उस मंदिर को देखने का निर्णय लिया थोड़ी उत्सुकता सी हो चली थी साथ ही वो चबूतरा भी फिर से बनवाना था
बस इंतज़ार था उस रात के बीतने का जब हम उस जगह को देखंगे जहा पर खजाना था पिताजी के व्यक्तित्व का एक अलग ही पहलु देखने को मिला था आज पर वो लालची नहीं थ अगर लालच होता तो अपनों में बंटवारा नहीं करते उस सोने का , पर फिर उस सोने से नफरत सी होने लगी क्योंकि उसकी वजह से आज मेरा परिवार मेरे साथ नहीं था क्या होता जो हमारे पास इतना धन नहीं होता कम से कम माँ की गोद तो होती जब प्यार से वो मेरे सर को चूमती तो मेरी हर परेशानी पल में दूर हो जाती , मेरे सर पर मेरे पिता के प्यार की छत होती जब कभी मैं कमजोर पड़ता तो वो मुझे हौंसला देते
अगले दिन कुछ मजदूरो को लेके हम लोग चल पड़े पहुचे वहा पर उनको चबूतरा बाकायदा इज्जत के साथ बनाने को कहा आखिर मेरा भाई सो रहा था वहा पर मन थोडा भावुक था पर अब कुछ चीजों पर कहा किसका जोर चलता है , उसके बाद हम आगे तो चल पड़े नीनू को ही पता था रस्ते का घनी झाड़ियो पेड़ो से होते हुए करीब दो कोस बाद हम उस मंदिर तक पहुचे पहली नजर में ही पता चलता था की वो शायद अपने अंतिम समय में है मैंने माता को प्रणाम किया बस एक कमरा सा ही था
कमरा क्या एक कोटडा सा था तो मैंने ये अनुमान लगाया की शायद ये खजाना किसी ज़माने में लूटा गया होगा
और फिर यहाँ छुपाया गया होगा लूटने वाले लोग किसी कारण से यहाँ से ना निकाल पाए और ये धरती में दबा रह गया मंदिर को खूब देखा बस साधारण ही था सब वहा पर उसके बाद जैसे रतिया काका ने बताया था पास मेही वो कुआ भी मिल गया हमे अब उसमे मिटटी ही थी बस
मैं- देखो यहाँ था वो सब सोना
उसके बाद हमने आस पास खुदाई की छान बीन की कुछ नहीं मिला सिवाय कुछ सोने के टुकडो के जो शायद निकालते समय इधर ही रह गया होगा कुछ भी हो पर थोडा रोमांच हो रहा था उसके बाद हम लोग वापिस आ गए मैंने मजदूरो से पुछा तो पता चला की दो दिन तो लग ही जायेंगे उसके बाद उनको वही छोड़ के हम वापिस हुए
पिस्ता को शहर जाना था किसी काम से तो वो चली गयी नीनू और माधुरी घर रह गयी मुझे आज ममता से मिलना था उसने कहा था की दोपहर को वो खेत पर मिलेगी तो मैं वहा चल दिया दोपहर का समय था खेतो में दूर तक कोई नहीं दिख रहा था करीब आधे घंटे बाद मैं रतिया काका के खेतो की तरफ पहुच गया ये खेत हमारी तरफ ना होकर गाँव की परली तरफ थे ममता मुझे कुवे पर ही मिल गयी उसने मुझे इशारा किया तो मैं उसके पीछे कमरे में पहुच गया
मैं- यहाँ क्यों बुलाया
वो- बैठिये तो सही जेठ जी
मैं बैठ गया
ममता- जेठ जी मुझे ना बात घुमा फिरा के कहने की आदत नहीं है मैं जान गयी हु की आपके और आपके परिवार के साथ क्या हुआ और आपको आपके गुनेह्गारो की तलास्श है और इस काम में मैं आपकी मदद कर सकती हु
मैं- और इसमें तुम्हारा क्या फायदा है
वो- अब कुछ तो मेरा भी भला होगा ही
मैं- मुद्दे की बात करो
मेरा ऐसे कहते ही ममता मेरे पास आके बैठ गयी और बोली- जेठजी अब आपके किस्से तो पुरे गाँव में मशहूर है और आपको तो पता ही होगा की मेरे पति और ननद का रिश्ता भाई बहन से बढ़ कर कुछ और ही है
ओह तो इसको राहुल और मंजू के बारे में पता था ,
ममता- जेठजी, कुछ दिन पहले मैंने उन दोनों को हमबिस्तर देखा जाहिर है खून तो मेरा बहुत खौला मेरा पति अपनी ही बहन के साथ वो सब कर रहा था जो उसे मेरे साथ करना चाहिए था उसके बाद वो आपकी बाती करने लगे मंजू कह रही थी की वो आपसे सेक्स करेगी क्योंकि उसको आपके साथ बहुत मजा आता है और उसने राहुल को बताया की ..........की
मैं- की क्या
वो- की आपका हथियार भी बहुत लम्बा और मोटा है
मैं- ममता देखो तुम्हे ऐसा नहीं बोलना चाहिए तुम्हारा और मेरा नाता ऐसा नहीं है
वो- जेठ जी, आप के मुह से ऐसी बाते सुनके लगता है कोई आतंकवादी शांति की बात करने लगा हो
रिस्ते नातो की बात आप मत करो , और फिर आपका भी तो फायदा होगा आपको एक और जिस्म चखने को मिलेगा जेठ जी मैं सच में आपके बहुत काम आ सकती हु
मैं- देखो ममता जब तुम इतना खुल ही रही हो तो मैं आपको बता दू की चूत और दारू मैं अपनी मर्ज़ी से यूज़ करता हु वैसे मुझे तुम्हारा बिंदास अंदाज पसंद आया पर पहले तुम मुझे बताओ की तुम्हे इस मामले में क्या पता है
ममता- जेठ जी, मैं आपको सलाह दूंगी की ये जो आपके अपने बने फिरते हैं ना इनसे थोडा दूर रहना ये कब छुरा मार देंगे पता नहीं चलेगा
मैं- तुम्हे ऐसा क्यों लगता है
वो- आपको कुछ बातो का पता नहीं है जेठ जी, मेरे ससुर बहुत ही तेज खोपड़ी है जितना उन्होंने शराफत का नकाब ओढ़ रखा है अन्दर से वो उतने ही नीच है , गाँव की कई औरतो से उनके तालुकात है अब सोचो जो इंसान बुढ़ापे में भी अपनी बहु और बेटी को रगड़ सकता है तो वो जवानी में कैसा रहा होगा
मैं- तो क्या तुम्हे भी
वो- हां जेठ जी , ब्याह के कुछ दिनों बाद ही उसने मेरे साथ, खैर अब तो आदत सी हो गयी है , मैं जानती हु उन्होंने आपको खजाने की बात बता दी है पर इसलिए नहीं की क्योंकि आधा हिस्सा आपके पिता का था बल्कि इसलिए की आपके जरिये वो उस खोये हुए आधे हिस्से को पाना चाहते है
मैं- तुम्हे खजाने की बात की पता और साथ ही ये की उन्होंने वो बात मुझे बता दी है
वो- कल रात मैं दूध लेके उनके कमरे में गयी थी वो फ़ोन पर किसी को बता रह थे तो मेरे कानो में पड़ी मुझे देख कर वो चुप हो गए पर मैंने दरवाजे पर कान लगा दिए ऐसा लग रहा था की वो किसी बहुत ही खास इंसान से बात कर रहे थे पर वो जो भी था ससुर जी का खास था
मैं- वो खास कौन है क्या तुम पता कर सकोगी
वो- मैं पूरी कोशिश करुँगी
मैं- ममता, बात खाली ये नहीं है की जिस तरह से तुम मेरी मदद करना चाहती हो बात ये भी नहीं है की तुम अपना जिस्म परोसना चाहती हो बात ये है की ये कोई ट्रैप भी तो हो सकता है कोई साजिश क्योंकि एक बार पहले भी मुझे एक हुस्न्वाली ने मारने की कोशिस की थी हो सकता है की जो बात तुमने मुझे बताई हो वो सच हो , और काका एक रंगीन आदमी है ये भी मुझे पता चल चूका है
ममता- जेठ जी मैं जानती हु की आप ऐसे ही मेरा विश्वास नहीं कर लोगे आप पर जो हमला हुआ वो ससुर जी ने ही करवाया था और एक खास बात आपके चाचा और मेरे ससुर मिले हुए है वो काफी समय से खजाने को ढूंढ रहे है
मैं- तो क्या हुआ हमारे घरलू सम्बन्ध है दोनों व्यापारी है साथ है तो क्या गुनाह हुआ
ममता- तो फिर जाके अपनी भाभी से पूछो की क्यों चाचा ने उसको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका क्यों उस औरत का साथ छोड़ दिया जिसके लिए पुरे परिवार से नाराजगी हो गयी थी आखिर ऐसा क्यों हुआ की बिमला और वो अलग हो गए
बस इंतज़ार था उस रात के बीतने का जब हम उस जगह को देखंगे जहा पर खजाना था पिताजी के व्यक्तित्व का एक अलग ही पहलु देखने को मिला था आज पर वो लालची नहीं थ अगर लालच होता तो अपनों में बंटवारा नहीं करते उस सोने का , पर फिर उस सोने से नफरत सी होने लगी क्योंकि उसकी वजह से आज मेरा परिवार मेरे साथ नहीं था क्या होता जो हमारे पास इतना धन नहीं होता कम से कम माँ की गोद तो होती जब प्यार से वो मेरे सर को चूमती तो मेरी हर परेशानी पल में दूर हो जाती , मेरे सर पर मेरे पिता के प्यार की छत होती जब कभी मैं कमजोर पड़ता तो वो मुझे हौंसला देते
अगले दिन कुछ मजदूरो को लेके हम लोग चल पड़े पहुचे वहा पर उनको चबूतरा बाकायदा इज्जत के साथ बनाने को कहा आखिर मेरा भाई सो रहा था वहा पर मन थोडा भावुक था पर अब कुछ चीजों पर कहा किसका जोर चलता है , उसके बाद हम आगे तो चल पड़े नीनू को ही पता था रस्ते का घनी झाड़ियो पेड़ो से होते हुए करीब दो कोस बाद हम उस मंदिर तक पहुचे पहली नजर में ही पता चलता था की वो शायद अपने अंतिम समय में है मैंने माता को प्रणाम किया बस एक कमरा सा ही था
कमरा क्या एक कोटडा सा था तो मैंने ये अनुमान लगाया की शायद ये खजाना किसी ज़माने में लूटा गया होगा
और फिर यहाँ छुपाया गया होगा लूटने वाले लोग किसी कारण से यहाँ से ना निकाल पाए और ये धरती में दबा रह गया मंदिर को खूब देखा बस साधारण ही था सब वहा पर उसके बाद जैसे रतिया काका ने बताया था पास मेही वो कुआ भी मिल गया हमे अब उसमे मिटटी ही थी बस
मैं- देखो यहाँ था वो सब सोना
उसके बाद हमने आस पास खुदाई की छान बीन की कुछ नहीं मिला सिवाय कुछ सोने के टुकडो के जो शायद निकालते समय इधर ही रह गया होगा कुछ भी हो पर थोडा रोमांच हो रहा था उसके बाद हम लोग वापिस आ गए मैंने मजदूरो से पुछा तो पता चला की दो दिन तो लग ही जायेंगे उसके बाद उनको वही छोड़ के हम वापिस हुए
पिस्ता को शहर जाना था किसी काम से तो वो चली गयी नीनू और माधुरी घर रह गयी मुझे आज ममता से मिलना था उसने कहा था की दोपहर को वो खेत पर मिलेगी तो मैं वहा चल दिया दोपहर का समय था खेतो में दूर तक कोई नहीं दिख रहा था करीब आधे घंटे बाद मैं रतिया काका के खेतो की तरफ पहुच गया ये खेत हमारी तरफ ना होकर गाँव की परली तरफ थे ममता मुझे कुवे पर ही मिल गयी उसने मुझे इशारा किया तो मैं उसके पीछे कमरे में पहुच गया
मैं- यहाँ क्यों बुलाया
वो- बैठिये तो सही जेठ जी
मैं बैठ गया
ममता- जेठ जी मुझे ना बात घुमा फिरा के कहने की आदत नहीं है मैं जान गयी हु की आपके और आपके परिवार के साथ क्या हुआ और आपको आपके गुनेह्गारो की तलास्श है और इस काम में मैं आपकी मदद कर सकती हु
मैं- और इसमें तुम्हारा क्या फायदा है
वो- अब कुछ तो मेरा भी भला होगा ही
मैं- मुद्दे की बात करो
मेरा ऐसे कहते ही ममता मेरे पास आके बैठ गयी और बोली- जेठजी अब आपके किस्से तो पुरे गाँव में मशहूर है और आपको तो पता ही होगा की मेरे पति और ननद का रिश्ता भाई बहन से बढ़ कर कुछ और ही है
ओह तो इसको राहुल और मंजू के बारे में पता था ,
ममता- जेठजी, कुछ दिन पहले मैंने उन दोनों को हमबिस्तर देखा जाहिर है खून तो मेरा बहुत खौला मेरा पति अपनी ही बहन के साथ वो सब कर रहा था जो उसे मेरे साथ करना चाहिए था उसके बाद वो आपकी बाती करने लगे मंजू कह रही थी की वो आपसे सेक्स करेगी क्योंकि उसको आपके साथ बहुत मजा आता है और उसने राहुल को बताया की ..........की
मैं- की क्या
वो- की आपका हथियार भी बहुत लम्बा और मोटा है
मैं- ममता देखो तुम्हे ऐसा नहीं बोलना चाहिए तुम्हारा और मेरा नाता ऐसा नहीं है
वो- जेठ जी, आप के मुह से ऐसी बाते सुनके लगता है कोई आतंकवादी शांति की बात करने लगा हो
रिस्ते नातो की बात आप मत करो , और फिर आपका भी तो फायदा होगा आपको एक और जिस्म चखने को मिलेगा जेठ जी मैं सच में आपके बहुत काम आ सकती हु
मैं- देखो ममता जब तुम इतना खुल ही रही हो तो मैं आपको बता दू की चूत और दारू मैं अपनी मर्ज़ी से यूज़ करता हु वैसे मुझे तुम्हारा बिंदास अंदाज पसंद आया पर पहले तुम मुझे बताओ की तुम्हे इस मामले में क्या पता है
ममता- जेठ जी, मैं आपको सलाह दूंगी की ये जो आपके अपने बने फिरते हैं ना इनसे थोडा दूर रहना ये कब छुरा मार देंगे पता नहीं चलेगा
मैं- तुम्हे ऐसा क्यों लगता है
वो- आपको कुछ बातो का पता नहीं है जेठ जी, मेरे ससुर बहुत ही तेज खोपड़ी है जितना उन्होंने शराफत का नकाब ओढ़ रखा है अन्दर से वो उतने ही नीच है , गाँव की कई औरतो से उनके तालुकात है अब सोचो जो इंसान बुढ़ापे में भी अपनी बहु और बेटी को रगड़ सकता है तो वो जवानी में कैसा रहा होगा
मैं- तो क्या तुम्हे भी
वो- हां जेठ जी , ब्याह के कुछ दिनों बाद ही उसने मेरे साथ, खैर अब तो आदत सी हो गयी है , मैं जानती हु उन्होंने आपको खजाने की बात बता दी है पर इसलिए नहीं की क्योंकि आधा हिस्सा आपके पिता का था बल्कि इसलिए की आपके जरिये वो उस खोये हुए आधे हिस्से को पाना चाहते है
मैं- तुम्हे खजाने की बात की पता और साथ ही ये की उन्होंने वो बात मुझे बता दी है
वो- कल रात मैं दूध लेके उनके कमरे में गयी थी वो फ़ोन पर किसी को बता रह थे तो मेरे कानो में पड़ी मुझे देख कर वो चुप हो गए पर मैंने दरवाजे पर कान लगा दिए ऐसा लग रहा था की वो किसी बहुत ही खास इंसान से बात कर रहे थे पर वो जो भी था ससुर जी का खास था
मैं- वो खास कौन है क्या तुम पता कर सकोगी
वो- मैं पूरी कोशिश करुँगी
मैं- ममता, बात खाली ये नहीं है की जिस तरह से तुम मेरी मदद करना चाहती हो बात ये भी नहीं है की तुम अपना जिस्म परोसना चाहती हो बात ये है की ये कोई ट्रैप भी तो हो सकता है कोई साजिश क्योंकि एक बार पहले भी मुझे एक हुस्न्वाली ने मारने की कोशिस की थी हो सकता है की जो बात तुमने मुझे बताई हो वो सच हो , और काका एक रंगीन आदमी है ये भी मुझे पता चल चूका है
ममता- जेठ जी मैं जानती हु की आप ऐसे ही मेरा विश्वास नहीं कर लोगे आप पर जो हमला हुआ वो ससुर जी ने ही करवाया था और एक खास बात आपके चाचा और मेरे ससुर मिले हुए है वो काफी समय से खजाने को ढूंढ रहे है
मैं- तो क्या हुआ हमारे घरलू सम्बन्ध है दोनों व्यापारी है साथ है तो क्या गुनाह हुआ
ममता- तो फिर जाके अपनी भाभी से पूछो की क्यों चाचा ने उसको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका क्यों उस औरत का साथ छोड़ दिया जिसके लिए पुरे परिवार से नाराजगी हो गयी थी आखिर ऐसा क्यों हुआ की बिमला और वो अलग हो गए