raj sharma story कामलीला - Page 5 - SexBaba
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raj sharma story कामलीला

सोनू ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और दोनों बहनों पर एक नज़र डालता हुआ कमरे से निकल गया।
उसके पीछे भुट्टू भी और उन्होंने बाहर दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ सुनी।
फिर उसने वापस कमरे में आकर कमरे का भी दरवाज़ा बंद कर लिया।
‘साला यह पता होता कि ऐसी नौबत आ जाएगी तो दारु बचा लेते… और मज़ा आता।’
‘तो क्या हुआ भाई, अभी तरंग कम कहाँ हुई है। आज ऐसे ही काम चला लेते हैं। आगे से ध्यान रखेंगे कि मैडम लोगों की सेवा में दारू चकना भी लेके चलें।’ बाबर ने उसे उकसाया।
वे दोनों बिस्तर पे आ गये।
‘यह तो पहले से तैयार है— चल तू भी कपड़े उतार और तैयार हो जा।’ चंदू ने रानो से कहा।
बात कितनी भी काबिले ऐतराज़ क्यों न हो मगर जब आप फँस जाते हैं और हालात ऐसे बन जाते हैं जब किसी और विकल्प की गुंजाईश न बचे तो इंसान खुद को हालात के हवाले कर ही देता है।
जैसे उन दोनों बहनों ने उन हालात में किया।
अपने तने हुए स्नायुओं को ढीला छोड़ दिया और खुद को मन से इस बात के लिए तैयार कर लिया कि जो हो रहा है वे उसे बदल नहीं सकते तो क्यों न होने दें।
शायद शारीरिक कष्ट से ही बचत हो और क्या पता जो ऐसे नागवार हालात में उन्हें हासिल हो रहा है वह भी आगे न हासिल हो पाये। सामान्य जीवन से तो वह वैसे भी नाउम्मीद ही थीं।
रानो ने कपड़े उतार दिये।
हाँ, उसे यह अहसास था कि जिन लोगों ने हमेशा उसके तन को ढके देखा था और कल्पनाएं ही की होंगी, अब वह उसे बिना कपड़ों के देख रहे थे।
जो कहीं न कहीं उसे थोड़ी सी शर्म का अहसास करा रहा था।
ऐन यही मानसिक स्थिति शीला की भी थी, उसे अपने नग्न बदन को उनकी निगाहों के सामने खोलते उसी किस्म की झिझक महसूस हो रही थी।
लेकिन दोनों को ही यह पता था कि यह कैफियत बहुत देर नहीं रहने वाली थी।
‘भाई, मुझे तो दुबली-पतली लौंडियाएं पसंद हैं। पीछे से डालने में बड़ा मज़ा आता है।’ बाबर भद्दी सी हंसी हंसते हुए बोला।
‘मुझे भी।’ भुट्टू ने भी उसका समर्थन किया।
‘पर मुझे गुदहरी लौंडिया पसंद है इसलिये तुम दोनों बहनचोद इस कमसिन कली को चोदो और गुठली तू मेरे कने आ।’
वह तीनों अपने शरीर के कपड़े उतार के बिस्तर के सरहाने से टिक कर अधलेटे से बैठ गये।
भुट्टू और बाबर तो दरमियाने कद के और साधारण कदकाठी के लड़के थे लेकिन चंदू अच्छी लंबाई चौड़ाई वाला और कसरती बदन का स्वामी था।
उसके करम बुरे थे, उसका आचरण बुरा था लेकिन देखा जाये तो सूरत और शरीर से वह काफी अच्छा था।
और ऐसा था कि सेक्स की ख्वाहिश रखने वाली किसी भी औरत के लिये एकदम योग्य मर्द था, सहवास के लिये एक आदर्श शरीर!
पहले कभी शीला ने उसे इस तरह देखा ही नहीं था। बचपन से ही उसकी हरकतों के चलते उससे नफरत करती आई थी।
और आज तक या शायद थोड़ा पहले तक उसे चंदू से नफरत ही रही थी लेकिन जैसे जैसे वक़्त सरक रहा था उसकी नफरत क्षीण पड़ रही थी।
उसने नग्न हुए तीनों बंदों को गौर से देखा था, उनके जननांगों को देखा था। जहाँ भुट्टू का लिंग बस पांच इंच तक और पतला सा था वहीं बाबर का उससे थोड़ा बड़ा और मोटा।
जबकि चंदू का लिंग उसकी काया के ही अनुकूल था… सोनू का लिंग लंबाई और मोटाई दोनों में चंदू से कम रहा होगा, बल्कि अब उसे ऐसा लग रहा था जैसे चंदू का लिंग परिपक्व हो और सोनू का अपरिपक्व।
हालांकि चंदू का लिंग आकर में बड़ा और मोटा होने के बावजूद भी चाचा के लिंग से बराबरी नहीं कर सकता था पर था आकर्षक।
लिंग का आकर्षण तो उसके गंदे, भद्दे और भयानक दिखने में ही होता है।
‘चलो… मुंह में लेकर ऐसे चूसो जैसे बचपन में लॉलीपॉप चूसती थी।’ चंदू उसके चेहरे को थाम कर उसकी आँखों में देखता हुआ बोला।
वह उसके पैरों के पास अधलेटी अवस्था में झुक गई थी, उसके नितंबों को चंदू ने अपनी तरफ खींच कर सहलाना शुरू कर दिया था।
और वह उसके लिंग को पकड़ कर बड़े नज़दीक से देखने लगी थी जो अभी मुरझाया हुआ था। ऐसे रोशनी में उसने कभी सोनू के लिंग को भी नहीं देखा था।
चाचा के लिंग को देखा था मगर उसे देखते, छूते वक़्त उसमे एक ग्लानि का भाव रहता था और यही भाव तब भी होता था जब वह सोनू का लिंग चूषण करती थी जबकि यहाँ ऐसा कोई भाव नहीं था।
उसने जड़ की तरफ मुट्ठी सख्त की जिससे खून और अंदर की मांसपेशियां सिमट कर ऊपर की तरफ आ गईं और यूँ आधा लिंग थोड़ा तन कर फूल गया शिश्नमुंड समेत।
वह टमाटर जैसे लाल और नरम सुपाड़े को होंठों में ले कर दबाने लगी। फिर होंठों को और नीचे सरका कर मुंह के अंदर जीभ से शिश्नमुंड को लपेट-लपेट कर भींचने लगी।
फिर मुंह से निकाल कर मुट्ठी का दबाव ढीला किया तो एकदम ढीला होकर चूहे जैसा हो गया। अब उसने हाथ नीचे सरका कर फिर उसे मुंह में लिया और होंठ जड़ तक पहुंचा दिये।
इस तरह लूज़ पड़ा लिंग सिमट कर पूरा ही उसके मुंह में समां गया मगर उसे भी ऐसा लग रहा था जैसे उसका पूरा मुंह भर गया हो।
वो गालो को भींच-भींच कर ज़ुबान पूरे लिंग पर रगड़ने लगी।
ऐसा करते उसने आँखें तिरछी करके रानो की तरफ देखा। इस वक़्त वह बाबर के लिंग को मुंह और हाथ से सहला और चूस रही थी और बाबर उसके छोटे-छोटे वक्षों को बेदर्दी से मसल रहा था।
और भुट्टू रानो के निचले धड़ को सीधा किये उसकी योनि पे झुका उसकी क्लिट्स चुभला रहा था और अपनी उंगली उसके छेद में अंदर बाहर कर रहा था।
शीला चंदू के बाईं साइड में इस तरह मुड़ी हुई लिंग चूषण कर रही थी की उसकी पीठ चंदू के चेहरे की तरफ थी। वह उलटे हाथ से उसके नितम्ब सहला रहा था और सीधे हाथ से उसके वक्ष।
उसके पत्थर जैसे खुरदरे हाथ उसके वक्षों पर सख्ती से फिर रहे थे। वह उसके निप्पल्स भी चुटकियों में मसल देता था जिससे वह चिहुंक सी जाती थी।
उसके मुंह में समाये चंदू के लिंग में जान पड़ने लगी थी और खून का दौरान बढ़ने से वह तनने लगा था और अब उसके मुंह से बाहर आने लगा था।
उसकी आँखें चंदू से मिलीं, उनमें प्रशंसा का भाव था।
वह उसके अंडकोषों को सहलाने के साथ अब लिंग को बाहर करके लॉलीपॉप के अंदाज़ में चूसने लगी थी, जिससे उसमें अब तनाव आता साफ़ पता चल रहा था।
जबकि चंदू ने अब उसके निचले धड़ को अपनी तरफ और खींच के नज़दीक कर लिया था और अपनी बिचली उंगली उसकी योनि में घुसा दी थी।
इस उंगली भेदन से उसकी सीत्कार छूट गई थी और वह और ज्यादा उत्तेजक ढंग से लिंग चूषण करने लगी थी।
जबकि थोड़ी देर उसकी योनि में उंगली घुमाने के बाद चंदू ने उंगली बाहर निकाल कर उसके गुदा के छेद में घुसा दी थी और जैसे उसे खोदने लगा था।
यौनानन्द बढ़ाने के लिये सोनू भी अक्सर ऐसा करता था इसलिये अब ऐसा प्रयास उसे वर्जित या असहज नहीं लगता था बल्कि वह इसे भी एक सहज स्वाभाविक सेक्स क्रिया के रूप में स्वीकारने लगी थी।
हालांकि उंगली योनि में हो तो ज्यादा मज़ा देती थी मगर उससे जल्दी स्खलित होने का चांस बढ़ जाता था जबकि अभी लिंग से योनि भेदन बाकी हो, ऐसे में उंगली गुदाद्वार में ही भली थी।
बीच-बीच में वह उसके वक्षों और चुचुकों को भी मसल देता था।
जबकि उधर बाबर का लिंग पूरी तरह जागृत हो कर तन गया था तो उसने रानो को हटा दिया था और अब उसकी जगह भुट्टू था और खुद वह भुट्टू की जगह उसका योनि चूषण कर रहा था।
चंदू का लिंग उसकी लार से पूरी तरह भीगा, कड़क होकर तन गया था और उसका अग्रभाग फूलने पिचकने लगा था।
चंदू ने उसे हाथ के दबाव से अपने ऊपर इस तरह खींच लिया कि वह अपने पैर चंदू के सीने के दोनों तरफ किये उसके पेट पर बैठ गई, जिससे उसकी लसलसाती योनि चंदू के पेट से रगड़ने लगी।
चंदू ने उसे अपनी तरफ इस तरह झुकाया कि उसके वक्ष चंदू के सीने से रगड़ने लगे और दोनों के चेहरे एक दूसरे के समानांतर आ गये।
उसके मुंह से छूटती शराब की महक जो शायद सामान्य स्थिति में शीला को परेशान करती, इस हालत में… जब वह कामज्वर से तप रही थी, उसे भली ही लग रही थी।
जिस चेहरे ने उसमें हमेशा डर और घृणा उत्पन्न की थी, आज पहली बार उसे इतने करीब से देखने पर वह उसे अच्छा लग रहा था।
आज चंदू उसमे कैसा भी प्रतिरोध नहीं पैदा कर रहा था बल्कि आज उसे वह ऐसी नियामत लग रहा था कि वह खुद से उसके सामने बिछने के लिये बेकरार हुई जा रही थी।
उसके अंतर का समर्पण उसकी चेहरे और आँखों से ज़ाहिर हो रहा था जिसे चंदू जैसे घाघ के लिये समझना मुश्किल नहीं था।
उसने एक हाथ से उसके नितम्ब को दबोचते हुए दूसरे हाथ से शीला के सर के पीछे दबाव बना के उसे अपने बिलकुल पास कर लिया।
इतने पास कि दोनों की सांसें एक दूसरे के नथुनों से टकराने लगीं।
और तभी शीला ने लपक कर चंदू के होंठों को पकड़ लिया और खुद से उन्हें चूसने लगी।
उसका समर्पण देख चंदू ने भी उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
इस प्रगाढ़ चुम्बन की अवस्था में वे आसपास से बेखबर हो गये थे।
 
जहाँ अब रानो को चित लिटा कर भुट्टू अब उसका योनिभेदन करने लगा था और बाबर अभी उसके मुख को भोग रहा था।
होंठ चूसते चूसते दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ घुसाने लगे।
उसे इसी अवस्था में रखे हुए चंदू ने दोनों हाथ नीचे ले जा कर अपने लिंग को उसकी योनि पर इस तरह सेट किया कि शीला ने ज़रा सा योनि को नीचे दबाया तो वो प्रवेशद्वार में फँस गया।
अब ज़ाहिर है कि यह उस लिंग से मोटा था जिसे लेने की वह आदी थी तो मांसपेशियों पर खिंचाव तो पड़ना ही था लेकिन इतनी देर की गर्माहट अच्छा खासा लुब्रीकेंट बना चुकी थी तो वह योनि की कसी हुई दीवारों पर ज़ोर डालता अंदर सरकने लगा।
चंदू इस बीच एक हाथ से उसके नितम्ब को दबाते दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली से फिर उसके गुदा के छेद को खोदने लगा था।
ऐसा नहीं था कि इस लिंग प्रवेश पर उसे दर्द की अनुभूति नहीं हो रही थी मगर जो रोमांच उसे मिल रहा था वह उस दर्द पर हावी था। वह और आक्रामक अंदाज़ में चंदू के होंठ चूसने लगी थी।
और धीरे-धीरे चंदू का पूरा लिंग उसकी योनि में जा समाया।
इसके बाद वह स्थिर हो गई… उसने अपना चेहरा चंदू के चेहरे से हटा लिया और अपनी एक चूची पकड़ कर उसे चंदू के मुंह पर रगड़ने लगी।
चंदू ने होंठ खोले तो उसने चूचुक उसके होंठों में दे दिया और वह ज़ोर से उसे चूसने, खींचने लगा।
बीच बीच में दांत से कुतर लेता था और वह एक ‘आह’ के साथ लहरा जाती थी।
उसे फीड कराते वह अपनी कमर को एक लयबद्ध लहर तो दे रही थी लेकिन इस लहर को धक्कों में नहीं गिना जा सकता था।
जबकि चंदू ने अपने हाथों को नहीं रोका था और जो कर रहा था वही करने में अब भी लगा हुआ था और शीला एक हाथ से उसके सर को संभाले दूसरे हाथ से उसे चूची चुसा रही थी।
थोड़ी देर एक को अच्छी तरह से पीने के बाद चंदू ने मुंह हटाया तो शीला ने दूसरा स्तन उसके मुंह से लगा दिया और अब अपनी कमर को इस अंदाज़ में ऊपर नीचे करने लगी जैसे धक्के लगा रही हो।
अब चंदू ने दोनों हाथों को उसके नितंबों के निचले सिरे पर एडजस्ट कर लिया था और उसे ऊपर नीचे होने में सपोर्ट करने लगा था।
इधर उसके दोनों चेलों ने अपनी पोज़ीशन बदल ली थी और अब बाबर योनिभेदन कर रहा था जबकि भुट्टू मुख मैथुन और दोनों ही बेदर्दी से रानो के चूचों को मसल रहे थे।
इधर चंदू जब अच्छे से उसका दूसरा दूध भी पी चुका तो उसने एक पलटनी लेते हुए शीला को अपने नीचे कर लिया और खुद उस पर इस तरह लद गया कि उसका वज़न उसकी कुहनियों और घुटनों पर रहे।
बावजूद इसके मर्द का काफी वज़न इस अवस्था में औरत भी महसूस करती है जैसे शीला को लग रहा था कि वो चंदू के नीचे पिसी जा रही है, उसके बोझ से दबी जा रही है।
लेकिन इस दबने में उसका दम नहीं घुट रहा था बल्कि यह दबाव चंदू के हर धक्के के साथ इस वज़न में और बढ़ोत्तरी करके उसे और ज्यादा आनन्द दे रहा था।
चंदू इस अवस्था में अपनी लंबाई के कारण उसके सर से पार चला जाता अगर उसने खुद को सिकोड़ा न होता, अपनी पीठ को थोड़ा मोड़े हुए वह उसके होंठों को भी चूसने लग गया था।
इस तरह के तूफानी धक्कों से न सिर्फ पूरा बेड हिलने लगा था बल्कि कमरे में वो संगीतमय आवाज़ भी गूंजने लगी थी जो उसे और रोमांचित कर देती थी।
तभी जैसे भुट्टू ने उसके आनन्द में व्यधान डाला- भाई… मज़ा नहीं आ रहा। बहुत ढीली है… एकदम भककोल है। आप इधर आओ न! आप को तो फिर चल जायेगा।
उसके शब्द चाबुक से चले शीला के दिमाग पर… वह किसी भी हालत में इस वक़्त चंदू को नहीं छोड़ना चाहती थी।
पर चलनी तो चंदू ही की थी… उसने उन दोनों की मिस्कीन सूरत देखी और खुद शीला के ऊपर से हट गया।
‘चल आ जा बेटा… तू भी क्या याद करेगा।’
शीला को सख्त नागवार गुज़रा मगर कर भी क्या सकती थी।
यह और बात थी कि उसकी उत्तेजना एकदम ठंडी पड़ गई थी।
इस वक़्त रानो चौपाये की पोजीशन में झुकी हुई थी और दोनों उसके आगे पीछे लगे थे। चंदू का आदेश होते ही उन्होंने रानो को छोड़ा और शीला के पास आ गये।
और चंदू ने उसी पोजीशन में रानो को दबोच लिया।
वह उसे बिस्तर के किनारे करते खुद नीचे उतर कर खड़ा हो गया और रानो की कमर को दबाते हुए उसके नितंबों को पीछे से इस तरह खोल लिया कि उसकी योनि पूरे आकर में उभर आई।
वह उसकी योनि पर ढेर सा थूक उगलता हुआ बोला- है तो वाकई भककोल… पर उस लौंडे का सामान तो इतना बड़ा नहीं था, होता तो गुठली की भी इतनी ढीली होती। तेरी कैसे हो गई?
रानो कुछ न बोल सकी।
उसने ज्यादा ज़ोर भी न दिया और अपना लिंग पकड़ कर अंदर ठूंस दिया।
चाचा के लिंग से उसकी योनि की यह हालत हुई थी मगर चंदू का लिंग भी कम नहीं था।
इसलिये चंदू को उतना ढीलापन न महसूस हुआ जिसकी शिकायत दोनों चेले कर रहे थे और वह रानो की कमर को मुट्ठियों में भींच कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा।
भुट्टू शीला के साइड में बैठ कर उसके मुंह में लिंग घुसाये उसके वक्ष को मसलने लगा था और बाबर नीचे उसके पैरों के बीच बैठ कर अपना लिंग अंदर घुसाने लगा था।
उसे कोई तकलीफ न हुई और आराम से अंदर चला गया। बाबर भी उसके ऊपर लद गया लेकिन उसकी लंबाई कम थी जिससे वह स्तंभन करते हुए उसके वक्षों को चूस चुभला सकता था।
अब फिर दोनों तरफ आघात होने लगे और कमरे में सहवास की मधुर ध्वनि गूंजने लगी।
यह और बात थी कि शीला अब उस यौन आनन्द को नहीं महसूस कर पा रही जो उसे चंदू से मिल रहा था।
मगर वह दोनों फिर भी थोड़े थोड़े धक्कों में जगह बदल बदल कर लगे हुए थे।
 
फिर दोनों की ही पोजीशन चेंज हो गई… जहाँ चंदू ने रानो को पलट कर चित लिटा लिया था और सामने से धक्के लगा रहा था वहीं शीला को अब चौपाया बना लिया गया था।
और एक पीछे से लिंग घुसाये नितंबों को मसलता सम्भोग कर रहा था तो दूसरा उसके सामने मौजूद उसके मुंह में लिंग घुसाये उसके मुंह को ही भोग रहा था।
नये-नये जिस्म थे इसलिये स्खलन भी जल्दी ही हो गया।
पहले चंदू ही रानो के ऊपर पसर गया था और बाद में ये दोनों!
बाबर तो शीला की योनि में ही स्खलित हुआ मगर भुट्टू ने उसके मुंह में वीर्य उगल दिया था।
अंतिम क्षणों में उसने मुंह हटाना चाहा था लेकिन भुट्टू ने उसका सर ऐसे पकड़ लिया था कि वह मुंह हिला भी न सकी थी और मुंह में ही वीर्य भर गया था।
यह उसके लिये पहली बार था और उसे अजीब सा सड़े आटे जैसा स्वाद लगा था।
जैसे ही उसके मुंह से लिंग निकला था उसने मुंह में भरा वीर्य बिस्तर के किनारे उगल दिया था।
उसे बड़े ज़ोर की उबकाई आई थी और वह तड़प के दोनों की पकड़ से निकल गई थी और उठ कर नंगी ही कमरे से बाहर निकल कर गलियारे की नाली में उलटी करने लगी थी।
जो पेट में था वह सब निकल गया था और पीछे से उसने चंदू को सुना था जो अपने चेले पर बरस रहा था कि उसने मुंह में ही क्यों निकाल दिया, वह कोई अंग्रेज़ थोड़े थी।
बहरहाल पेट खाली करके वह अंदर घुसी और कमरे में रखे पानी से गला तर कर के अपनी तबियत को संभाला।
इतनी देर में कमरे में मौजूद चारों लोग अपनी सफाई कर चुके थे और अब उसे देख रहे थे.. तीनो मर्द स्खलित हो गये थे, रानो का पता नहीं मगर वह नहीं हुई थी।
हो गई होती तो शायद उसे खुद को सँभालने में वक़्त लगता मगर नहीं हुई थी तो जल्दी ही संभल गई और उम्मीद भरी नज़रों से चंदू को देखने लगी।
कोई और वक़्त होता तो यूँ एक बार स्खलन काफी था लेकिन आज उनके सामने नये जिस्म थे। वह थोड़ी देर तो सुस्त पड़े रहे मगर फिर उनमें जान पड़ने लगी।
‘अबे कमीनो, सालो, मैंने पहले ही कहा मुझे ये झल्ली जैसी लौंडिया नहीं पसंद… जो पसंद है उसे तो खुद चोद लिये और मुझे यह पकड़ा दी। सालों, खबरदार जो इस बार डिस्टर्ब किया। मुझे गुठली को चोदने दो और तुम लोग इसे ही पेलो। आगे ढीली लगती है तो गांड मारो। समझ में आया कि नही।’
रानो अचकचा कर उन्हें देखने लगी।
हालांकि ऐसा नहीं था कि वह पहले इस अनुभव से न गुज़री हो… साल भर में शायद तीन बार ऐसा मौका आया था जब सोनू ने एक नये प्रयोग के तौर पर उसके साथ गुदामैथुन किया था।
सोनू का तो पता नहीं मगर उसे खास मज़ा नहीं आया था और दर्द अलग से झेलनी पड़ी थी।
इतना तो था कि उसपे कोई क़यामत तो न टूटती मगर उसे पसंद नहीं था।
यह और बात थी कि यहाँ उसकी पसंद नापसंद की परवाह कौन करने वाला था। वो खुद को मानसिक रूप से गुदामैथुन के लिये तैयार करने लगी।
दोनों जमूरे फिर आकर उससे लिपट गये और उसे जहाँ-तहँ से मसलने, रगड़ने और उंगली करते फिर से लिंग चुसाने लगे जबकि चंदू शीला के पास गया।
‘एक इल्तेजा करूँ, मानोगे?’ शीला ने चंदू की आँखों में झांकते हुए कहा।
‘बोल… लेकिन यह मत कहना कि चला जाऊँ, अब जाना तो सुबह ही होगा।’ चंदू उसे पीठ की तरफ से अपने सीने से लगाते, अपनी गोद में बिठाता हुआ बोला।
‘नहीं… यह नहीं कहूंगी, मगर इन दोनों को तो भेज सकते हो। इनके होते मैं सहज नहीं हो सकती।’
‘ऐसा क्या… मेरे मर्डर का प्लान तो नहीं है। चल तू कहती है तो दफा कर देता हूँ। अबे ओये… चल जल्दी से गांड मारते माल निकालो और फूटो यहाँ से।’
दोनों चेले इशारा पाते ही रानो पर टूट से पड़े।
भुट्टू का लिंग पूरी तरह तैयार हो चुका था तो उसने रानो को तिरछा लिटाते हुए उसके पैर मोड़ कर इस तरह कर दिये कि रानो के नितम्ब उसके सामने आ गये।
उसने पहले थूक से गीली करके एक उंगली उसके गुदा के छेद में घुसाई और अंदर बाहर करने लगा। जबकि उधर बाबर अभी भी रानो के मुंह में लिंग घुसाये उसे चुसा रहा था।
जब एक उंगली सुगमता से अंदर बाहर होने लगी तो उसने दो उंगलियां करनी शुरू कीं… और थोड़ी देर में जब दो उंगलियां भी ठीक से चलने लगीं तो उसने थूक से गीला करके लिंग घुसा दिया।
हल्के दर्द का अहसास तो ज़रूर हुआ उसे मगर उसने बर्दाश्त कर लिया और पूरा अंदर तक धंसा कर भुट्टू धक्के लगाने लगा।
बेड की पुश्त से पीठ टिकाये अधलेटा सा बैठा चंदू शीला को अपनी गोद में किये उसके वक्ष सहला रहा था और बीच-बीच में उसके होंठ भी चूसने लगता था जबकि शीला एक हाथ पीछे किये उसके मुरझाये लिंग को सहला रही थी।
दोनों अपने सामने उपलब्ध नज़ारे के रूप में रानो के साथ होता गुदामैथुन को देख रहे थे, जो उनमे भी उत्तेजना का संचार कर रहा था।
‘अबे निकलने वाला है, कहाँ निकालूं?’ थोड़ी देर बाद भुट्टू बोला।
‘अंदर ही निकाल ताकि चिकनाई हो जाये वर्ना मेरा और टाइट चलेगा तो मज़ा भी नहीं आएगा।’ बाबर रानो के मुंह से लिंग निकालते हुए बोला।
फिर ‘आह-आह’ करते भुट्टू उसके अंदर ही स्खलित होने लगा।
अंतिम झटका लेके जब वह हटा तो उन्हें उसका थोड़ा खुल गया छेद और उसमे से बाहर आता भुट्टू का वीर्य दिखा।
वह किनारे पड़ कर हाँफने लगा और बाबर ने उसकी जगह ले ली। उसने रानो की पोजीशन चेंज कर ली थी। अब उसे तिरछा लिटाने के बजाय डॉगी स्टाइल में ले आया था।
और उसके नितंबों को गुदाद्वार के हिसाब से नीचे दबाते एडजस्ट कर लिया था और एकदम गीले और थोड़े ढीले पड़ गए छेद में अपना लिंग जड़ तक ठूंस दिया।
अब वह उसी पोजीशन में उसपे आघात लगाने लगा जैसे पहले चंदू कर रहा था। फर्क यह था कि चंदू आगे घुसाये था जबकि बाबर पीछे।
और वह दोनों उन्हें देखते एक दूसरे के अंग सहलाते उत्तेजित हो रहे थे। जहाँ अब चंदू का लिंग तनने लगा था वहीं शीला की योनि भी फिर से गीली हो गई थी।
भुट्टू के मुकाबले बाबर काफी देर चला और जब धक्के खाते रानो की हालत ख़राब होने लगी तब जा के वह स्खलित हुआ।
स्खलित होने के बाद वह दोनों पड़ कर हाँफने लगे।
‘चलते हैं भाई। कल मिलते हैं अड्डे पे।’ थोड़ी देर बाद बाबर ने उठते हुए कहा और अपने कपड़े पहनने लगा।
भुट्टू ने पहले ही कपड़े पहन लिये थे।
उन्हें देख रानो ने भी कपड़े पहन लिये।
वे दोनों दरवाज़ा खोल के बाहर निकले तो वह भी यह कहते निकल गई कि वह चाचा के कमरे में सो जायेगी।
उन्होंने बाहर का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ सुनी और फिर सन्नाटा छा गया। रानो भी शायद चाचा के कमरे में चली गई होगी।
शीला ने उठ कर न सिर्फ कमरे का दरवाज़ा ही बंद किया बल्कि लाइट भी बुझा दी और बिस्तर पर आ कर चंदू के ऊपर चढ़ गई।
‘क्यों, वैसे तो बड़ी नफरत थी मुझसे? अब क्या हुआ?’ चंदू जैसे उसे चिढ़ाता हुआ बोला।
‘हाँ थी। नहीं है अब… पता नहीं क्यों?’
वह भद्दे ढंग से हंसने लगा और शीला ने उसके मुंह में अपना एक चुचुक ठूंस दिया और उसके पेट पर बैठ कर अपनी गीली योनि से उसके अर्ध उत्तेजित लिंग को मसलने लगी।
‘तेरे करम ही ऐसे हैं। कौन नहीं नफरत करता मोहल्ले में तुझसे? मैं करती थी तो कौन सा गलत था। यह तो मेरी मज़बूरी है… क्या करूँ और? कोई रास्ता है हमारे पास जो हम यह सुख हासिल कर सकें?’
‘जो रास्ता नैतिक है, नियमानुसार है, उससे तो कुछ मिलना नहीं और जिन रास्तों से सुख मिलना है वह सब अनैतिक ही हैं, फिर क्या सोनू क्या चंदू… सब एक बराबर!’
‘मुझे उस लौंडे के साथ मत तौल… उसके साथ चुदाती पकड़ी गई तो दुनिया थूकेगी! मेरे साथ सब जान भी जायेंगे, तो भी किसी माई के लाल में इतनी हिम्मत नहीं कि कुछ बोल सके।’
‘यही सोच कर समर्पण कर दिया वर्ना बेजान लाश की तरह पड़ जाती। कर लेते अपने मन की… अच्छा एक बात बता… यह सुनयना वाला क्या किस्सा था?’
वह जवाब देने के बजाय हंसने लगा- छिनाल है साली। एक लौंडे के साथ पकड़ा था तो घर जा के बोल दिया कि मैंने उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की और उसका बाप पांडे चला गया पुलिस के पास!
पुलिस अपुन का क्या बिगड़ेगी भला पर उन बहन के लौड़ों को सबक सीखना ज़रूरी था इसलिये उसके घर घुस के उसकी लौंडिया चोदी थी।
और लौंडिया भी कैसी— जब खींच के कमरे में ले जा रहा था तो गिड़गिड़ा के छोड़ देने को बोल रही थी और जब अंदर जाके नंगी किया तो आ गई औकात पे… खुल के चुदवाई… और जब जाने लगा तो ऐसे रोने धोने लगी जैसे मैंने बलात्कार किया हो।
साली नौटंकी… पता है, उसके बाद खुद बुरका पहन के आती थी चुदने।
यहाँ तक कि प्रेग्नेंट भी हो गई थी तो पांडे ने पैसे के दम पे कहीं गाँव में शादी करा दी उसकी।
जो बच्चा ले के आती है न, वह उसके खसम का नहीं मेरा है। अब भी आ जाती है चुदने।’
‘शायद उसकी गलती नहीं, तू है ही ऐसा। गुंडा, बदमाश, करम ऐसे कि सिर्फ नफरत ही की जा सके मगर एक वासना की भूखी, प्यासी औरत के लिये… कमाल है… तेरा जिस्म, तेरा यह, सब जादू है… एक बार तेरे साथ लेट के कोई औरत तुझसे नफरत नहीं कर सकती। बाकी दुनिया चाहे कुछ भी सोचे।’
वह हंसने लगा और शीला फिर नीचे हो कर उसके लिंग को मुंह में लेकर अच्छी तरह चूसने लगी।
जब अच्छे से उसके लिंग में तनाव आ गया तो उसने शीला को उठा के लिटा लिया और उसके पैरों को पीछे करके उसके हाथों में उसकी जांघें फंसा दीं।
 
अब वह सामने बैठ कर उसकी योनि के भगोष्ठ और भगांकुर को मसलने सहलाने लगा। उत्तेजना से उसकी योनि की मांसपेशियां फैलने सिकुड़ने लगीं।
थोड़ी देर की ऊपरी छेड़छाड़ के बाद उसने दो उंगलियां योनि में गहरे तक उतार दीं और पहले धीरे-धीरे, बाद में तेज़-तेज़ अंदर बाहर करने लगा।
शीला की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं, जल्दी ही वह चरम की तरफ पहुंचने लगी।
‘डालो।’ सीत्कारों के बीच उसके मुंह से निकला।
और वह उसकी जाँघों के बीच में बैठ गया।
शिश्नमुंड को थूक से गीला किया और छेद पर रख कर दबाव डाला तो मांसपेशियों को खिसकाता वह अंदर धंस गया।
मस्ती और मादकता से भरी एक ज़ोर की ‘आह’ उसके मुख से निकली।
चंदू ने उसकी जांघों के निचले हिस्से पर पकड़ बनाईं और उकड़ूं बैठे बैठे लिंग को अंदर बाहर करने लगा। शीला को ऐसा लगा जैसे उसके दिल दिमाग में एक अजीब किस्म का नशा छा रहा हो।
जैसे वो आसमान में उड़ने लगी हो।
थोड़ी देर बाद वह ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। बेड हिलने लगा और कमरे में ‘फच-फच’ की कर्णप्रिय ध्वनि गूंजने लगी।
वह ‘आह-आह’ के रूप में सीत्कारें भरती माहौल को और उत्तेजक कर रही थी।
फिर वह इस मुद्रा में थक गया तो पहले की तरह उसके ऊपर लद गया और उसके होंठ चूसते तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा।
उसके भारी वज़न के नीचे दब के यूँ ज़बरदस्त ढंग से आघातों को सहने में उसे अकूत आनन्द आ रहा था। वह जल्दी ही चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई।
और चरमानन्द की प्राप्ति के समय उसकी नसों में एकदम खिंचाव आ गया, उसने चंदू की पीठ में नाखून तक गड़ा दिये और उसे पूरी ताक़त से भींच लिया।
उसे स्खलित होते महसूस करके चंदू रुक तो गया था लेकिन वह अभी स्खलित नहीं हुआ था और जैसे ही शीला थोड़ी शिथिल पड़ी उसने फिर धक्के लगाने शुरू कर दिये।
योनि की दीवारों से जारी हुआ रस और संकुचन फिर जल्दी ही चंदू को भी चरम पर ले आया और वह भी कुछ अंतिम ज़ोरदार धक्कों के साथ स्खलित हो गया।
स्खलन के उपरान्त वह उससे अलग होकर हाँफने लगा।
फिर उसी अवस्था में दोनों बेसुध हो गये।
सुबह आस पास के पूजा घरों की आवाज से शीला की आँख खुली थी और उसने चंदू को उठा के रुखसत किया था।
फिर यह लगभग रोज़ का ही सिलसिला हो गया।
देर रात वह आ धमकता था, अक्सर उसके साथ कोई न कोई होता था जो रानो के साथ लग जाता था। जबकि खुद को उसने शीला के लिये जैसे रिज़र्व कर लिया था।
सोनू ने आना बंद कर दिया था। चंदू ने ही बताया था कि उसने जो पैसे कहे थे वह दे दिये थे और रानो से उसे पता चला था कि अब वह अपने घर पे भी रानो को नहीं छूता था।
शायद चंदू ने इस विषय में भी धमकाया हो या उसने कोई और जुगाड़ ढूंढ लिया हो और अब उन बहनों में उसकी दिलचस्पी इसलिये भी न रही हो कि अब चंदू उनके साथ जुड़ चुका था।
यूँ रात के अँधेरे में रोज़ रोज़ इस तरह के लोगों का उनके घर पे आना भला राज़ कब तक रहता, धीरे-धीरे सब को पता चल ही गया था।
और अघोषित रूप से उन्हें वेश्या जैसा मान लिया गया था।
बदनामी तो मिलनी ही थी, सोनू के बारे में पता चलता तो भी यही होता। चंदू था तो किसी में हिम्मत नहीं थी कि कोई कुछ कहे।
किसी ने नहीं देखा कि बड़ी उम्र तक कुंवारी बैठी रहने वाली उन बहनों की मज़बूरी क्या थी… देखा तो बस यही कि उन्होंने वर्जनाओं को तोड़ा था, मर्यादाओं का उल्लंघन किया था।
और मर्दाने समाज के ठेकेदार पाते तो उन्हें कब का मोहल्ले से रुखसत कर चुके होते लेकिन चंदू नाम की दहशत से मजबूर थे।
इस सिलसिले का पता जब पूरे मोहल्ले को हो गया तो भला आकृति और बबलू को क्यों न होता।
रानो ने जैसे तैसे आकृति को तो समझा लिया था।
मगर बबलू के लिये समझना आसान नहीं था… यह बदनामी उसे इतना ज्यादा शर्मिंदा कर रही थी कि वह डिप्रेशन में रहने लगा था।
चंदू गुंडा था और वहीं रहने वाला था, वह लोगों को डरा सकता था लेकिन न किसी का दिल जीत सकता था और न समझा सकता था।
फिर घर में उसका आना जाना दिन में भी किसी वक़्त हो जाता था तो आकृति से भी उसका सामना हो जाता था और वह उसे भी मसलने से चूकता नहीं था।
आकृति शीला की तरह तगड़ी नहीं थी और रानो की तरह दुबली पतली भी नहीं थी।
चंदू के लिये भले वह ऐन उसके टाइप की नहीं थी मगर फिर भी उसके लिये आकृति में आकर्षण तो था ही।
और एक दिन वह भी आया जब रात चंदू नशे में बुरी तरह टुन्न अपने दो चेलों के साथ उनके घर आया तो इत्तेफ़ाक़ से आकृति नीचे आई थी और उसके हत्थे चढ़ गई।
अब नशे में उसे कहाँ होश रहता, उसने पहली बार आकृति को पकड़ कर उसके साथ कुछ करने की कोशिश की।
पहले तो दोनों बहनों ने उसे रोका, मगर जब चंदू पर कोई असर पड़ते न पाया तो शीला की सोच एकदम बदल गई।
चंदू की इस हरकत पर शीला की आत्मा तक तड़प उठी थी, आकृति को उसने बड़ी बहन के रूप में ही नहीं माँ के रूप में पाला था। उसकी पूरी ज़िम्मेदारी शीला पर ही थी।
उसे इस बात की ग्लानि भी हो रही थी कि जो सब हो रहा था वह उसी की वजह से शुरू हुआ था।
उसके दिमाग में आग सी भरने लगी थी।
तगड़ी तो थी ही, ताक़त भी थी… उसने इतने ज़ोर से झटका दिया कि उसे पकड़ने वाले को सम्भलने का मौका न मिला और वह दरवाज़े से जा टकराया।
वह लपक कर कमरे से निकल गई।
वह सीधी किचन में पहुंची और वहां मौजूद सबसे बड़े साइज़ का छुरा निकाल लिया।
उसे पकड़ने वाला संभल के उसके पीछे दौड़ा था मगर अब शीला चंडी के रूप में उसके आगे छुरा लिये खड़ी थी।
शीला ने उसकी तरफ छुरा लहराया और वह उसकी भंगिमाएं देख कर सहम कर दीवार से सट गया।
शीला लपकते हुए कमरे में पहुंची तो रानो को पकड़ने वाला उसकी तरफ लपका।
मगर शीला के चलाये छुरे से बचने की वजह से संभलने के चक्कर में वहीं गिर पड़ा, जबकि शीला चंदू के सर पर पहुंच कर छुरा तान कर खड़ी हो गई थी।
‘छोड़ उसे चंदू… वरना मार दूंगी… छोड़ उसे।’
चंदू एकदम नये बने हालात में हड़बड़ा कर सीधा हो गया था और उसकी पकड़ से छूटते ही आकृति बिस्तर से उतर कर शीला के पास आ गई थी।
‘पागल हो गई है क्या… जान से मार दूंगा।’
‘मर तो पहले ही चुकी हूँ मैं… आत्मा से, शरीर से भी मर जाऊँगी तो क्या फर्क पड़ेगा मगर मरने से पहले मैं भी तुझे मार डालूंगी।’
उसके शब्द सच्चे थे।
और उसकी दृढ़ता को चंदू भी महसूस कर सकता था। उसका नशा टूट चुका था और अब वह कसमसाता हुआ आग्नेय नेत्रों से शीला को ही घूर रहा था।
‘रानो, तू आकृति को कमरे में ले जा और अगर कोई ऊपर आये तो इसी वक़्त पुलिस को फोन कर के बुला लेना, जा यहाँ से।’
रानो ने देर नहीं की और उसने आकृति की सलवार उठाते हुए आकृति को सम्भाला और कमरे से बाहर निकल गई।
‘तूने ठीक नहीं किया गुठली!’ चंदू गुर्राता हुआ बोला।
‘सही गलत तुझे नहीं दिखेगा चंदू… क्योंकि तेरी नज़र में औरत न बेटी है न बहन, बस चोदने लायक माल है। तुझे हम दो बहनें मिली तो हुई हैं, जो करना है कर, मगर उसे बख्श दे। अपने साथ मैं कोई भी अत्याचार सह लूंगी पर आकृति के साथ नहीं।’
चंदू ने उठ कर उसके हाथ से छुरा छीन लिया। उसका काम हो चुका था, इसलिये उसने भी विरोध नहीं किया, उसका लक्ष्य आकृति को बचाना भर था।
चंदू ने उसे इतने ज़ोर का थप्पड़ मारा कि वह फर्श पर फैल गई।
थप्पड़ की चोट उसके शरीर पर ही लगी थी मगर वह खुश थी कि आज उसकी आत्मा पर चोट लगने से बच गई थी।
‘आज तुझे सजा तो दूंगा मैं!’ चंदू एक-एक शब्द चबाता हुआ बोला- दिमाग ठीक हो जायेगा तेरा!
‘ध्यान रखना चंदू, बीवी नहीं हूँ जो सबकुछ सह जाऊं। उसी हद तक सह सकती हूँ जहां तक मेरा ज़मीर गवारा करे।’
यह उसकी तरफ से धमकी थी जिससे चंदू तिलमिला कर रह गया। उसने शीला के नितंबों पर एक ठोकर जड़ दी।
‘चलो बे… इसकी गांड मारो। आज अपन पूरी रात इसकी पीछे से बजायेंगे। यही इसकी सजा है।’
उसे पता था कि जो सिलसिला चल रहा था उसमे कभी न कभी यह नौबत तो आनी ही थी इसलिये उसने खुद को मानसिक रूप से तैयार रखा हुआ था।
इतनी सजा तो वह बर्दाश्त कर ही सकती थी।
उसे उठा कर बिस्तर पर पटक दिया गया और कपड़े फाड़ कर उसके जिस्म से अलग कर दिये गये।
चंदू और उसके साथियों ने भी अपने कपड़े उतार फेंके। एक के बाद एक तीनों ने उसके मुंह में लिंग डाल के चुसाया ताकि वे उत्तेजित अवस्था में आ सकें।
फिर उसे इस पोजीशन में लाया गया कि उसके गुदा के छेद को सामने लाया जा सके। तीनो में जिसका लिंग सबसे कम साइज़ का था उसे पहला मौका मिला।
उन्होंने कोई लुब्रीकेंट नहीं इस्तेमाल किया सिवा थूक लार के और इस वजह से उसे तेज़ दर्द का अहसास हुआ।
जितनी देर में लिंग ने उसके गुदाद्वार में अपना रास्ता बनाया वह दर्द से तड़पती रही और जब थोड़ा आराम से अंदर बाहर होने लगा तो उसे थोड़ी राहत मिली।
उसे लगा था जब एक स्खलित हो जायेगा तो दूसरा डालेगा जिससे वीर्य के रूप में स्वाभाविक लुब्रिकेंट मिल जायेगा और उसे कम तकलीफ होगी।
लेकिन ऐसा हुआ नहीं और उन्होंने स्खलित होने से पहले ही उसके साथ मैथुन किया और इसी तरह कम लुब्रिकेंट के बावजूद जबरन लिंग घुसाया जिससे उसे दर्द दिया जा सके।
बहरहाल वह रात उसके लिये क़यामत की तरह गुज़री और सुबह हुई तो उसे न सिर्फ शौच में बुरी तरह तकलीफ हुई बल्कि चलने में भी परेशानी हुई।
 

काम पर जाने के बजाय वह घर ही पड़ी रही। रानो ने उसे दर्द की दवा ला दी थी जिससे उसे थोड़ी राहत हुई थी।
उस दिन पहली बार उन चारों बहन भाई ने एकसाथ बैठ कर इस समस्या पर बात की और पहली बार बबलू उनकी मनःस्थिति और उनकी विवशता समझने को राज़ी हुआ।
शीला की शादी के लिये जो पैसा जुटा कर रखा गया था वह बबलू की पढ़ाई पर लग रहा था… आगे का यह तय हुआ कि आकृति की पढ़ाई के लिये भी जो पैसा खर्च होगा वह रानो के लिये सुरक्षित पैसों से होगा।
जो माहौल बन चुका है उसे वे बदल नहीं सकते और ऐसे माहौल में उनका यहाँ रहना ठीक नहीं, बेहतर है कि वे होस्टल में रहें।
दोनों बहने खुद ही आ कर उनसे मिल लिया करेंगी, बाकी फोन पर तो बातें होती रहेंगी।
उनके लिये बेहतर भविष्य की उम्मीद सिर्फ इसी में है कि वे दोनों पढ़ लिख कर कुछ बन सकें।
फिर इसके बाद यही हुआ था।
उन दोनों भाई बहन को वहाँ से हटा दिया गया था और चंदू ने जैसे मुस्तक़िल ठिकाना उनके यहाँ ही बना लिया था। अब या तो वह अपने ‘काम’ पर होता था या जेल में या उनके यहाँ!
उसने दोनों बहनों को भी पीने की लत लगा दी थी और एक अच्छी बात ये भी की थी कि घर खर्च के लिये पैसे वही देता था जिससे उनकी गुज़र आराम से हो जाती थी।
आकृति फिर कभी उनके बीच झगड़े का मुद्दा न बनी।
‘फिर अब, भविष्य के लिये क्या सोचा है?’ उसका सबकुछ जान लेने के बाद मैंने उससे जानना चाहा था।
‘बड़ा सा पुश्तैनी घर है… कई बिल्डर खरीदने को भी तैयार हैं। दोनों भाई बहन किसी मुकाम पर पहुंच जायें तो मौका देख कर चुपके से बेच कर लखनऊ ही छोड़ दें। किसी और शहर में जा बसें।
नई ज़िन्दगी शुरू करें जहां कोई हमारा अतीत जान्ने वाला न हो। मुझे पता है कि उनके सम्मान के लिये हमे भी गरिमापूर्ण जीवन जीना होगा।
जिसके लिये हमे अपनी शारीरिक इच्छाओं की पहले की ही तरह बलि देनी होगी और हमने इसके लिये खुद को तैयार भी कर रखा है। शायद इसीलिये हम चंदू के साथ खुश हैं।
क्योंकि हमे पता है कि कैसे भी मिल रहा है पर उसके साथ हमे वह सुख तो मिल रहा है जो आगे शायद हमें कभी न मिले।’
‘और चाचा?’
‘दो साल में अब और कमज़ोर हो गया है। मैंने कभी उसके साथ सहवास नहीं किया, रानो ही करती है जब ज़रूरत महसूस होती है लेकिन उसके लिये भी हमारे पास कुछ अलग नहीं। जहां हम सब होंगे वहीं वह भी होगा। उसका हमारे सिवा है ही कौन।’
‘क्या मैं तुम्हारे किसी काम आ सकता हूँ।’
‘कैसे, तुम चंदू से हमारा पीछा छुड़ा सकते हो? शायद नहीं… और छुड़ा भी दो तो उससे क्या हमारी समस्या ख़त्म हो जायेगी।
हमारे शरीर में पैदा होने वाली वासनात्मक ऊर्जा को कोई जायज़ निकासी मिलेगी क्या?
चंदू गुंडा है, बदमाश है, एक सभ्य समाज के लिये कोढ़ है मगर हमारे लिये तो अपरिहार्य है। तुम्हें पता है हमारे पीछे पूरा मोहल्ला हमें रंडियां ही कहता है।
हमें दुनिया चंदू की रखैल के रूप में ही जानती है। किसी को हमारी मज़बूरी से कोई मतलब नहीं। कोई नहीं देखेगा कि हम क्यों उसके आगे समर्पण कर बैठी।
दुनिया बस यह देखेगी कि हमने वर्जनायें तोड़ी हैं, हमने सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया है। हमने बड़े बूढ़ों के बनाये नियमों को ठोकर मारी है और एक स्त्री के सम्मान को चोट पहुंचाई है।
फिर किसे मतलब कि हमारे जैसी अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर औरतों के लिये जब समाज ने सिवा सब्र करने के कोई नियम बनाया ही नहीं तो हम और क्या करें?
सम्भोग की इच्छा शरीर में पैदा होने वाली अतिरिक्त ऊर्जा है जो इंसानों को ही नहीं जानवरों तक को नहीं छोड़ती। कैसे हम उन स्त्री सुलभ मानवीय इच्छाओं का दमन कर लें।
मर्द को भूख सताती है तो कहीं भी चढ़ दौड़ता है। उसका चरित्र वर्जना तोड़ने को लेकर कभी कटघरे में खड़ा नहीं किया जाता लेकिन पुरुष वर्चस्व वादी समाज में औरत के लिये ही सारे नियम हैं।
लोगों को तकलीफ यह कम होती है कि हमने या हमारे जैसी औरतें मर्यादा वर्जना तोड़ती हैं बल्कि इससे ज्यादा यह होती है कि दूसरों को भोगने को मिल रहा है हमे क्यों नहीं।
आजकल चंदू जेल में है तो लोगों की ज़ुबाने खुलने लगी हैं। जो सामने निगाहें भी नहीं मिलाते थे अब ताने मारने लगे हैं। पड़ोस के शर्मा अंकल, जिन्हें हम हमेशा चाचा जी कहते थे।
कल आये थे हमे आइना दिखाने, हमे बताने कि हमारी वजह से मोहल्ले की बहु बेटियों पर बुरा असर पड़ रहा है और वे बिगड़ी जा रही हैं।
गालियां दीं, हमे वेश्या कहा और ढेरों लोगों को हमारे दरवाज़े पर इकठ्ठा करके हमे मोहल्ले से निकालने पर तुल गये। बड़ी मुश्किल से हमारी जान छूटी।
जानते हो एक रात नशे में यह हमारे दरवाज़े पर आये थे, हम पर अहसान जताने कि हम उनके सपोर्ट की वजह से ही यहां रह पा रहे हैं। इसकी कीमत चाहते थे कि हम उन्हें अपने ऊपर चढ़ाएं।
हमने मना कर दिया था और उन्हें भगा दिया था… यही थी इनकी सामाजिक ठेकेदारी। इसी नाकामी का दाग धोने आये थे हमें रुस्वा करके।
सुबह मैंने चंदू से बात की, उसके पास इतनी पावर है कि जेल से भी बात कर सकता है। फिर उसका मेसेज लेके शर्मा जी के यहां गई।
कि चंदू ने कहलाया है कि उसे आने दो वह शर्मा जी की इच्छा ज़रूर पूरी करेगा और हमे वहाँ से हटा देगा। तो लग गये माफियाँ मांगने।’
‘हम्म…’ मैं थोड़ी सोच में पड़ गया- तो मेरे लिये तुम्हारे पास इसलिये वक़्त निकल पाया कि चंदू जेल में है आजकल!
‘हाँ!’ वह खामोश हो कर मुझे देखने लगी।
‘और जब बाहर आ जायेगा तब?’
‘तब भी… तुम चाहोगे तो हम दोस्त बने रहेंगे। पता है इस बदनामी के बाद लोग हमसे कन्नी काटने लगे। हमारे पास बात करने वाला भी कोई नहीं, कोई सहेली नहीं, कोई दोस्त नहीं।
रानो जिन चाचा जी के यहाँ पढ़ाती थी, उन्होंने रानो का अपने घर आना बंद करा दिया और लोगों ने अपने बच्चे हमारे घर भेजने गवारा न किये।
उसकी इनकम बंद हो गई तो उसने भी मोहल्ले से दूर एक छोटी सी नौकरी कर ली। पच्चीस सौ पगार मिलती है… पांच सौ किराये में खर्च हो जाते हैं और सिर्फ दो हज़ार बचते हैं।
मैं भी आने जाने के किराये के सिवा बस तीन हज़ार पाती हूँ। सोचो, इस महंगाई के दौर में पांच हज़ार में होता क्या है। अगर चंदू हमारा खर्च न उठाये तो हमे मुसीबत हो जाये।
तुम ऐसे देखोगे तो तुम्हे लगेगा मेरे साथ बुरा हुआ… जैसे मैं किसी ज़ुल्म का शिकार हुई हूँ, जैसे मैं पीड़ित हूँ लेकिन इसी में मेरी मेरी भलाई भी है। इसी में मेरी गति भी है।
हमें अपनी वासना को तृप्त करने का कोई जायज़ स्रोत नहीं मिलने वाला तो हमारी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिये इसके सिवा और कौन सा मार्ग हो सकता है?
चंदू लाख बुरा सही मगर उससे न सिर्फ हमे आर्थिक सुरक्षा हासिल है बल्कि हम इस नैतिकता के ठेकेदार समाज में बिना किसी अहित की आशंका के जी भी तो रहे हैं।
हाँ, मुझे तुममें दिलचस्पी थी, मैं तुमसे बात करना चाहती थी क्योंकि मैं चाहती थी कि कोई मुझे जाने, कोई मुझे समझे।
जैसी हमें ज़माना समझता है हम वैसी नहीं हैं। हम वेश्या नहीं हैं, हम बदचलन नहीं हैं। हमारी भी मजबूरियां हैं।
हम समाज की वह अभिशप्त नारियां हैं जो बड़ी उम्र तक कुवारी बैठी रहती हैं और जिन्हें एक दिन हार कर अपनी शारीरिक इच्छाओं के आगे समर्पण करना पड़ता है।
हम यह रास्ता इसलिये चुनते हैं क्योंकि समाज ने हमारे लिये विकल्प नहीं छोड़े। सब्र करना इसका इलाज नहीं है।
ये ढाई अक्षर किसी नारी को गहरी यौन कुंठा के गर्त में धकेल देते हैं जहाँ पल पल की घुटन के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं हासिल होता।
पर इसका मतलब यह नहीं कि वर्जनाओं को तोड़ कर अपने हिस्से का प्राकृतिक सुख हासिल कर लेने वाली नारी वेश्या हो जाती है।
हम रंडियां नहीं हैं।’
कहते कहते उसकी आँखें भीग गईं और आवाज़ रूंध गई तो मैं उसे अपने कंधे से लगा कर थपकने लगा।
फिर थोड़ी देर हमारे बीच ख़ामोशी पसरी रही और थोड़ी देर बाद मैं उसका चेहरा उठा कर उसकी आँखों में झांकता हुआ बोला- नहीं… तुम वेश्या नहीं बल्कि मेरी नज़र में वैसी ही गरिमापूर्ण नारी हो जिसने बगावत की और वह हासिल किया जिसे उसके हिस्से में नहीं लिखा गया था।
समाज का लगभग हर मर्द ऐसा ही करता है। अगर सिर्फ अधिकृत पार्टनर से ही सेक्स जायज़ है तो इस समाज का लगभग हर मर्द भी तुम्हारे साथ अपराधी के रूप में ही खड़ा है।
और अगर इस समाज की ज़ुबाने उन मर्दों को दोषी ठहराने में थरथराती हैं तो उन्हें तुम्हे भी दोषी कहने का अधिकार नही।’
फिर थोड़ी देर हमने और वहाँ गुज़ारी और फिर हम वापसी के लिये वहां से चल पड़े।
जिस घड़ी मैंने उसे उसके मोहल्ले के पास छोड़ा तो रुखसती के वक़्त उसकी आँखों में आभार था… कृतज्ञता थी।
और उसके शब्द थे ‘थैंक्स… आज मैं हल्की हो गई। मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता कि तुमने मुझे कितना समझा, कितना नहीं। मुझे इस बात की तसल्ली है कि तुमने मेरी हर बात गौर से सुनी, मुझे समझने की कोशिश की।
मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरे अंतर में समाया, मुझे दिन रात ग्लानि का अहसास कराने वाला कोई बोझ मुझ पर से हट गया और मैं आज़ाद हो गई।
मुझे सुकून है कि दुनिया में कोई तो है जिसने मेरी बेगुनाही को जाना। जो मेरे न रहने पर भी किसी पूछने वाले को बता सकेगा कि मेरी क्या मजबूरियां थीं। थैंक्स।’
और वह चली गई— उसके शब्द मेरे ज़हन में बजते रहे और उस रात बड़ी देर तक मैं सो भी न सका। उसके ग़म से बेचैन होता रहा।
 
मकान मालिक की साली बेटी और बहु की चुदाई
मित्रो ये बात उस समय कि है जब में सर्विस करने के लिए एक नए सहर में गया जहा पर एक कम्पनी में इलेक्ट्रिकल इंजीनिएर कि जाब लग गई पर कही रहने के लिए रूम नहीं मिल रहा था कंपनी के गेस्ट रूम में १५ दिन से रुका हुआ था ,कंपनी के नोटिश बोर्ड में रोज देखता कि सायद कोई अच्छा सा रूम मिल जाए पर अभी तक निराशा ही हाथ लगी कई रूम देखने भी गया पर रूम अच्छे नहीं थे एक दिन फिर से नोटिश बोर्ड में सुचना लगी दिखाई दिया तो मैं उस ब्यक्ति से संपर्क किया जो कि हमारे कंपनी में ही वर्कर था उससे मिला तो उसने हां कहा तब मैं उसके साथ उसके घर गया काफी बड़ा दो मंजिला मकान था कई किरायेदार थे मुझे भी उसके माकान का रूम पसंद आ गया किराया भी ज्यादा नहीं था सुबिधा भी बहुत अच्छी थी बाइक रखने कि जगह थी पानी के लिए बोरिंग थी बढ़िया सा लेट्रीन बाथरूम था रूम पसंद आने पर मकान मालिक को एक माह का किराया अडवांस दे दिया अडवांस लेने के पहले माकन मालिक ने पूछा कि कौन सी जाती के तो बता दिया कि ब्राह्मण हु तो मकान मालिक खुस हो गए और बोले कि टीक है मैं नीची जाती के लोगो को कमरा नहीं देता अगले दिन मैं अपना कुछ सामान लेकर रहने पहुच गया सायद १९ ओक्टुबर १९९८ था मेरे पास उस समय सोने के लिए एक बेड़ और एक ब्रीफकेस में कुछ कपडे सोने केलिए जमीन में बिस्तर बस इत्तो सा सामन था मेरा | मेरी उम्र २६ साल कि थी उस समय पर खूबसूरत गोर रंग का मजबूत सरीर और करीब ५ फिट ८ इंच लंबा हु | अनमैरिड था उस समय कंपनी में माकन मालिक के दोस्तों से पता लगाया तो मालूम पड़ा कि ये राजस्थानी राजपूत है नाम राजवीर है ,इनकी पत्नी १९ साल पहले गुजर गई थी तीन बेटिया और एक बेटा -बहु है बेटे को लकवा मार दिया तो बहु को बेटे कि जगह सरकारी नौकरी लग गई है दो बेटियो का और बेटे का विबाह कर दिया है बस सबसे छोटी लड़की है विवाह करने को पर माकन मालिक छोटी लड़की से बहुत नफरत करते है क्योकि इसके पैदा होते ही माँ को खा गई एक वर्कर ने बताया कि इनकी बहु बहुत खूबसूरत है और कई बाते बताया ,मैं मकान मालिक के यहाँ रहने लगा पर मैं सिर्फ अपने काम से मतलब रखता किसी से भी कोई बात नहीं करता और ना ही किसी कि तरफ देखता और न ही कोई दोस्त मेरे कमरे में कभी आये क्योकि मैं बहुत कम लोगो से दोस्ती करता हु मेरे इस ब्यवहार से माकन मालिक बहुत खुस रहते इस तरह से करीब १० माह निकल गए मैं मकान मालिक के परिवार में किसी से कोई बात नहीं किया और उनकी बेटी और बहु ने भी कभी बाते करने कि कोसिस नहीं किया , पर मैं छिप छिप कर दरबाजे के गैप में से बहु और बेटी को जरुर देखता ,बेटी का नाम मन्नू और बहु का नाम रीमाहै बेटी हलकी से काली और गदराई हुई सरीर कि है ११ वी में है पर लगता है जैसे कालेज में पढ़ती हो बड़े बड़े बूब्स जब स्कूल जाती है ड्रेस पहन कर तो बहुत ही सेक्सी लगती है ,बहु तो बहुत ही सुन्दर है जब ओ बाथरूम से नहा कर बाल झटके हुए निकलती तो बहुत ही सेक्सी लगती ये सब मैं छिप छिप कर देखता और आहे भरता बहु को एक लड़का है ४ साल का जिसे मैं कभी कभी गोद में उठाकर कर खिला लेता था माकन मालिक के हाथ से लेकर | मकान मालिक का लड़का दूसरी मंजिल में सिर्फ मैं किरायेदार था बाकी सभी कमरे में माकन मालिक का परिवार रहता था नीचे एक कमरे में माकन मालिक का बेटा जिसे लकवा मार दिया है ओ रहता है क्योकि ओ सीढी नहीं चढ़ पाता कभी कभी बड़ी मुस्किल से उसे ऊपर लाते थे नहीं तो खाना भी वही नीचे खाता सुबह सुबह घूमने जाता बाए हाथ से एक डंडा पकड़ कर थोड़ा बहुत घूमता क्योकि दाया हाथ तो बिलकुल भी काम नहीं करता था पाँव भी बड़ी मुस्किल से उठा कर चलता था बाकी समय दिन भर कमरे में पड़े पड़े टीवी देखता | बेटे कि जगह पर बहु को सरकारी नौकरी लग गई है एग्रीकल्चर बिभाग में ओ कलर्क है जो रोज सुबह १० बजे ऑफिस जाती और साम को ६ बजे तक वापस आती है | आगे के दो कमरो और किचेन में माकन मालिक और उनकी बेटी रहती और सबसे पीछे उनकी बहु का कमरा था बाथरूम के पास और बीच में किचेन के बगल में एक छोटा सा १० बाई ९ फिट का मेरा कमरा था मेरे कमरे के अंदर से कुण्डी में ताले लगे रहते थे बहु के कमरे में रखा हुआ बेड़ मेरे कमरे केदरबाजे के टीक सामने रखा हुआ है दरवाजे के गैप से बहु के कमरे के अंददेखनेकि कोशिस किया तो देखा कि दरबाजे में पर्दे लगे हुए है | मकान कि ऊपर कि मंजिल में सिर्फ आगे कि तऱफ कुछ हिस्सा ओपन है बाकी पीछे के कमरे और कमरे के सामने कि जगह बाहर से बिलकुल भी दिखाई नहीं देता| मैं सुबह ८ बजे कंपनी निकल जाता तो साम को ६ बजे तक वापस आता नहा धो कर लाइब्रेरी चला जाता वह पर पेपर पढता और होटल्स साम को खाना खा कर वापस आता फिर फिर सो जाता सुबह उठता और फिर वही कंपनी चला जाता यही दिनचर्या थी बस सन्डे के दिन जरुर समय रहता तो कपडे धो कर उन्हें सुखाने चला जाता छत पर सन्डे को छत पर धुप लेता यदि उस समय पर माकन मालिक कि बेटी य बहु आ जाती तो मैं चुपचाप नीचे आ जाता क्योकि मैं शर्मीले स्वभाव का हु |

सायद सितम्बर १९९९ था मकान मालिक ने अपनी पत्नी कि श्राद्ध किया और मुझे भी ब्राह्मण होने के कारण खाने पर बुलाया पर मैं दिन कि डूटी होने कारन कंपनी चला गया उस समय पर माकन मालिक कि सेकण्ड पाली में डूटी थी ४ बजे से रात के १२ बजे तक माकन मालिक ने दिन में सभी को बुलाकर खाना खिला दिया और मुझे कंपनी में बोले कि तुम आज साम को मेरे यहाँ खाना खा लेना मैंने बोला टीक है काका साहब ,मेरे काका साहब कहते ही ओ मेरे ऊपर खुस होकर बोले कि इतना रिस्ता नहीं बनाओ पंडित जी तो मैं कुछ नहीं बोला और मैं कंपनी से घर आ गया ,नहा धो कर तैयार हो रहा था कि मन्नू आई और बोली कि पापा ने आपको खाना खाने के लिए बोला है आप कब तक खायेगे तो मैं हस्ते हुए बोला कि अभी तो भूख नहींलगी है साम को खा लुगा तो मन्नू बोली कि टीक है जब खाना होगा तो आ जाना साम के समय मैं हां के रूपमे सिर्फ सिर हिला दिया और मन्नू चली गई ,मैं घूमने चला गया और साम को ९ बजे आया ,जैसे ही मैं आया मन्नू फिर आ गई और बोली कि चलिए भाभी सा ने बुलाया है तो मैं बोला कि टीक है कपडे चेंज करके आता हु और मैं घर के कपडे पहन कर माकन मालिक के आगे के कमरे के सामने खड़ा हुआ तो अंदर से रीमा भाभी निकली और हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली कि आ जाइये और मैं जाकर आगे के कमरे में बैठ गया कुछ देर में मन्नू खाना लाइ और बड़े प्यार से दोनों ननद भाभी ने जबर जस्ती कर कर के खाना खिलाया और ढेर सारी बाते किया मन्नू ने मैंने मन्नू से पूछा कि कौन सी क्लास में पढ़ती हो तो मन्नु ने बताया कि १२ वी में हु इस साल ,रीमा भाभी ने भी बड़े प्यार से बाते किया जब मैं खाना खा कर निकलने लगा तो रीमा भाभी ने बोला कि बैठिये इतनी जल्दी भी क्या है मैं बैठ गया तो मन्नु एक गणित का सवाल पूछने लगी जिसे मैं तुरंत ही बता दिया तो मन्नु खुस हो गई और रीमा कि तरफ देख कर बोलती है कि इन्हे तो मेरी गणित आती है मन्नू सवाल पूछते समय नीचे बैठी थी और मैं सोफे पर बैठा था जिस कारण मन्नू की चुचिया थोड़ी थोड़ी दिख रही थी क्योकि सर्ट कि ऊपर कि बटन खुली थी बार बार मेरी नज़ारे मन्नू कि चुचियो कि तरह चली जाती ,उस दिन मैं रात के ११ बजे तक दोनों के पास बैठा बाते करता रहा टीवी देखते हुए ,रीमा भाभी उस समय एक गाउन पहन रखा था उस गाउन में भाभी के अंग कि बनावट साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी ,मैंने रीमा भाभी की उम्र पूछा लिया तो पहले तो ओ सपकाई फिर कहती है कि किसी ओरत से उसकी उम्र नहीं पूछते और हसने लगी और बोली कि अभी ३० साल पूरी हुई हु तब मैंने उनकी तारीफ किया और कह दिया कि अभी तो आप २५ कि लगती है जब मन्नू किचेन कि तरफ गई तो मैंने धीरे से कहा कि भाभी जी आप बहुत सुन्दर है तो ओ खुस होकर बोली कि सुक्रिया जी फिर मैं अपने कमरे में आ गया अगले दिन उठा और फिर से डूटी चला गया जब साम को वापस आया तो माकन मालिक ने बुलाया [माकन मालिक कि उस दिन छुट्टी थी] और बोला कि पंडित जी आप मन्नू को पढ़ा दिया करो जो किसी दूसरे को दुगा ओ आपको दे दुगा आप घर के लड़को कि तरह बिस्वासपत्र हो गए अब तब मैं बोला टीक है मैं साम को ८ से ९ बजे पढ़ा दिया करुगा पर मैं फीस नहीं लुगा इस पर मकान मालिक राजी हो गए | और अगले दिन से मन्नू को अपने ही रूम में बुलाकर पढ़ाने लगा | मैं एक साल तक होटल का खाना खा खा कर बोर हो गया तो एक दिन किचेन का सारा सामान लाया और कमरे में ही खाना बनाने लगा | मन्नू जब पढ़कर चली जाती तो फिर खाना बनाता खाता और सो जाता सुबह डूटी जाने के पहले बर्तन धो लेता तो एक दिन मन्नू ने कहा कि मैं आपके बरतन धो दिया करुँगी मैंने मना नही किया , अब रोज रोज मन्नू मेरे पास एक घंटे पढने बैठने लगी तो ज्यादा घुल मिल गई मैं डुटी जाते समय रूम कि चाबी दे जाता जब साम को आता तो पूरा कमरा साफ़ सुथरा और ब्यवस्थित रहता यहाँ तक के मेरे गंदे कपडे भी धूल कर स्त्री हो जाते अक्टूबर-नवम्बर 1999 का महीना था नवरात्री में माता जी के बड़े बड़े पंडाल लगते जो है जिसे देखना चाहती थी मन्नू और रीमा एक दिन रीमा भाभी ने कहा कि हम दोनों को आज साम को माता जी के दर्शन करा दीजिये तब मैंने मना कर दिया और बोला कि पहले काका साहब [माकन मालिक] से पूछ लो तो काका सा ने बोला ले जाओ घुमा दो इन दोनों को ओ [लड़का] तो है नहीं इस लायक कि घुमा सके मेरे साथ कब तक घुंघट निकाल कर घूमेगी तो मैं तैयार हो गया और बोला टीक है चलिए तो मन्नू और रीमा दोनों तैयार हो गई और पैदल ही चलने लगा तो मन्नू बोली कि पैदल कब तक घूमेंगे थक जायेगे ,गाडी से चलिए ना तो मैंने बोला कि गाडी में तीन तीन बड़ी मुस्किल से आयेगे तो मैंने काका सा से पूछा कि ये दोनों गाडी से जाना चाहती है तो काका सा ने कहा कि ले जाओ कह रही है तो तब मन्नू और रीमा दोनों को बिठा लिया मन्नू सलवार सूट में थी और भाभी साड़ी में इस कारण मन्नू बीच में दोनों तरफ टाँगे फैला कर बैठ गई और उसके पीछे रीमा भाभी बैठ गई पूरे रास्ते में मन्नू कि चूचियाँ मेरे पीठ से टकराती रही जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मेरा पहला अनुभव था किसी जवान लड़की जिस्म छू जाने का क्योकि मेरे शर्मीले स्वभाव केकारण मैं किसी लड़की को नहीं पटा पाया था ,रात के करीब ११ बजे तक मैं उन दोनों को मेरी बाइक पर घुमाता रहा मन्नू घुल मिल गई थी कि मेरे कंधे में हाथ रखकर बाइक में बैठ जाती मैंने दोनों को एक होटल में नास्ता भी कराया और फिर वापस आ गए , हम जैसे ही वापस आये तो माकन मालिक डूटी चले गए उन्हें ओवर टाइम में एक घंटे पहले जाना था कंपनी ,रात में खाना बनाया और हम तीनो ने एक साथ मिलकर खाना खाये और १ बजे तक अपने अपने कमरे में सो गए मैं सुबह उठा और डूटी पर चला गया |

अगले दिन कंपनी में मेरे डूटी का समय बदल दिया अब १५ दिन तक मुझे साम को ४ से रात के १२ कि डूटी में जाना होगा माकन मालिक कि डूटी सुबह ७.३० से साम को ४ बजे तक कि हो गई इस कारण मीना को सुबह ८ से ९ बजे तक पढ़ातां था सुबह सुबह जब मैं रहने लगा रूम में तो मैं रोज रीमा भाभी को कमरो के सामने गैलरी में झाड़ू लगाते देखता उस समय रीमा भाभी जब झुक कर झाड़ू लगाती तो उनके बूब्स के बीच कि घाटियाँ देखाई देती जब पल्लू नीचे गिर जाता ,एक दिन मैं भाभी की तरह देख रहा था तो मीना ने बोला कि क्या देख रहे हो महेंद्र सर तो मैं सर्मा गया तब मीना ने कहा कि मेरी भाभी बहुत सुन्दर है न तो मैं सर हिला दिया तो मीना कुछ नहीं बोली बस सास लिया तो मीना कि चुचिया ऊपर को उठी और मीना कुछ उदास हो गई तब मैंने मीना कि झूठी कि तारीफ किया और बोला कि तुम भी बहुत सुन्दर हो बस रंग दबा है तो क्या हुआ तुम दिल से बहुत सुन्दर हो तब मीना गदगद हो कर खुस हो गई फिर आया ३१ दिसंबर नए साल कि अगवानी पर खूब मस्ती किया मीना और रीमा भाभी ने साम के समय ,[माकन मालिक डूटी पर थे] टेप में बढ़िया बढ़िया गाने लगाकर खूब डांस किया रीमा भाभी और मीना ने मुझे भी जबरजस्ती डांस करवाया मैंने रीमा भाभी के हाथ पकड़ कर खूब डांस किया कई बार डांस करते समय रीमा भाभी कि चुचियो पर मेरा हाथ भी लगा पर रीमा भाभी ने बुरा नहीं माना , मीना तो डांस करते करते कई बार लिपट गई मेरे से कमरे के अंदर , तो रीमा भाभी ने मीना को हलकी सी डॉट भी लगाया जब मीना नाराज पड़ गई तो रीमा भाभी ने उसे बड़े प्यार से गले लगाकर समझाया भी ,मैं समझ गया कि ननद और भाभी में प्यार बहुत है रीमा और मीना बहुत घुल मिल गई मेरे साथ इस एक साल में |
 

सन २००० का ९ फरबरी बुधवार का दिन था मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था ११ बजे उस दिन मीना पढने नहीं आई मेरे पास | रीमा के कमरे से किसी के कराहने कि आवाज आई पर मैंने ध्यान नहीं दिया तब किसी ने आवाज लगाया तो मैं गया रीमा के कमरे में तो देखा कि मीना एक रजाई ओढ़े लेटी हुई थी मैं दरवाजे के पास से ही बोला कि मीना ने कहा कि मुझे बुखार है दवाई ला दीजिये तो मैं मीना के पास गया और मीना का हाथ पकड़ कर देखा कि मीना बुखार से तप रही थी तो मैं डाकटर को लाया और मीना को दिखाया डाक्टर ने दवाई दिया एक इंजेक्सन लगाया और मुझे बोला कि इनके माथे पर पानी कि पट्टी लगाये तो बुखार जल्दी उतर जायेगी फिर मैं मन डाक्टर को नीचे तक छोड़ कर आया और आते समय सीढ़ियों पर लगा चैनल गेट पर ताला लगा दिया क्योकि ज्यादा समय चैनल गेट पर टाला लगा ही रहता है और इस ताले कि चाभी सभी के पास रहती है टला लगाकर मीना के पास आया और मीना के सर पर पट्टी रखने लगा करीब २० मिनट तक लगातार मीना के पास बैठा रहा और पानी बदल बदल कर पट्टी लगाता रहा मीना ने रजाई ओढ़ रखा था इस कारण खूब पसीना आया मीना के सरीर से तो मीना ने बोला कि पसीना पोछ दो तो मैं हल्का सा पानी गर्म किया और मीना के पास रख दिया और बोला कि पोछ लो अपने से तो मीना ने बोला कि आप पोछ दोगे तो थक नहीं जाओगे तो मैं मीना के सरीर का पसीना पोछने लगा ,मीना उस समय स्कूल कि ड्रेस पहन रखा था [सर्ट और स्कर्ट ] मैं मीना के गर्दन के आसपास पोछ दिया पसीना तो मीना घूम गई और बोली कि पीठ का भी पोछ दो तो मैं मीना के पीठ और कमर के आसपास का पसीना पोछने लगा सर्ट के नीचे हाथ डालकर तो मीना पेट के बल लेट गई और प्यूरी सर्ट को ऊपर गर्दन तक उठा लिया मीना कि ब्रा दिखाई देने लगी मैंने मीना का पूरा पसीना पोछ दिया पीठ का तो मीना ने कहा कि जांघो में भी पसीना है उसे भी पोछ दो तो मैं मीना कि एस्कार्ट के नीचे हाथ डालकर पसीना पोछने लगा तो मीना ने अपनी स्कर्ट को कमर तक उठा लिया अब मीना कि मोटी मोटी सुन्दर जांघे दिखाई देने लगी मैंने जांघो का पसीना पोछ दिया पर मेरी नियत खराब होने लगी मीना कि जांघो को देखकर मेरे लण्ड में अकड़न आ गई और लण्ड खड़ा हो गया लुंगी के नीचे पर अपने को कंट्रोल किया ,मीना पीठ के बल लेट गई और बोली कि यहाँ [चुचियो के नीचे इसारा किया] भी पसीना है तो मैं सर्ट के नीचे हाथ डालकर पसीना पोछने लगा पर बटनो के कारन टीक से नहीं पोछ पा रहा था तब मीना ने अपने सर्ट कि सभी बटन को खोल दिया और सर्ट के दोनों भागो को अलग अलग कर दिया अब मीना कि बड़े बड़े बूब्स ब्रा के अंदर झाकने लगे फिर भी मैं अपने आप को रोके रखा और मीना का पसीना पोछता रहा पर बूब्स को हाथ नहीं लगाया तब मीना ने हाथ को पकड़ कर बूब्स के ऊपर रखी और बोली कि यहाँ पर भी है पसीना [अब परोशी हुई थाली को नहीं छोड़ना चाहता था] तब मैं मीना कि चुचियो का पसीना पोछने लगा मीना कि चुचियो कि निप्प्ल कड़क पड़ गई थी चेहरा लाल हो गया था ,आँखों में हलकी हलकी लालिमा आ गया था मैं ब्रा के अंदर हाथ डाल -डाल कर पसीना पोछने लगा तो मीना ने एक हाथ से ब्रा के हुक को खोल दिया और बोली कि टीक से पोछो सरमा क्यों रहे हो तब मैं मीना के स्तनो को दबा दबा कर पसीना पोछने लगा कि मीना ने अचानक मेरे को पकड़ कर किस कर लिया तो मैं भी मीना कि होठो को जोर से किस कर लिया और हाथ में पकड़ा हुआ कपडे को एक किनारे रख दिया और मीना के बूब्स को हलके हलके दबाने लगा तो मीना ने मुझे अपनी और खीच लिया और मेरे होठो को हलके हलके से किस करने लगी किस करते करते होठो को ,गालो को चूसने लगी मैं भी मीना कि सुन्दर सुन्दर जांघो को सहलाने लगा और मीना जी जीभ को मुह में ले लिया और हलके हलके जेएच को चूसने लगा जीभ को मुह के अंदर के तरफ गालो में घुमाने लगा तो मीना ने ओर भीच कर सीने से चिपका लिया तो मैं मीना कि पेंटी को उतार दिया और स्कर्ट को उतारने लगा तो मना कर दिया तब मैं स्कर्ट को कमर तक खिसका दिया और चूत पर हाथ फेरने लगा चूत में हलके हलके बाल थे ऐसा लगता है जैसे एक महीने पहले बाल कि सफाई किया हो ,हाथ फेरते फेरते चूत के अंदर उगली डाला तो पता चला कि चूत गीली है मैं समझ गया मीना चुदाने को पूरी तरह से तैयार है अब मैंने अपनी लुंगी और चढ्ढी को उतार दिया और मीना चूत में लण्ड घुसाने लगा ,मीना कि चूत बहुत टाइट थी पहली बार लण्ड का स्वाद लेने वाली थी मीना धीरे धीरे लण्ड ८ इंची और मोटा सा लण्ड मीना कि चूत में घुसेड़ दिया करीब ४ इंच तक तो मीना बोली कि दर्द कर रहा है तब मैं मीना को किस करने लगा और बड़े प्यार से मीना के गाल ,चूची ,बाल ,जांघो पर हाथ घुमाने लगा और थोडा थोड़ा लण्ड को आगे पीछे करने लगा मीना ने कास कर पकड़ लिए पीठ पर हाथ रख कर मन धीरे धीरे झटके मारने लगा मीना के मुह से उ उ उ उ ऊ अ अ अ अ अ आ आह आह आह आह सी सी सी कि हलकी हलकी आवाज निकलने लगी [२४१ लाइन ] मीना ने कस कर पकड़ रखा था मुझे और मेरी जीभ को बड़े मजे से लाली पाप कि तरह चूसे जा जा रही थी मैं अब झटके मारने कि गति बढ़ा दिया और एक जोर का झटका मारा और पूरा लण्ड मीना क चूत में घुस गया तो मीना के मुह से एक चीत्कार से निकली तो मैं मीना के मुह में हाथ रख दिया तो मीना दर्द के मारे आह आह करने लगी तब मीना के गालो में प्यार से हाथ घुमाया तो मीना सांत हुई , मुझे ऐसा लगा जैसे लण्ड में कुछ गर्म गर्म सा लगा हो तो मैं लण्ड को बाहर निकाला तो देखा कि चूत से खून बहने लगा मैंने मीना से पूछा कि महीना आने वाला है क्या तो मीना बोली कि अभी तो एक सप्ताह का टाइम है ,तब मैं समझ गया मीना कि कौमार्य झिल्ली फट गई मतलब मीना ने पहली बार किसी के साथ सम्भोग कर रही है ,मैं मीना को कुछ नहीं बताया और फिर से लण्ड को पेल दिया मीना कि चूत में और झटके मारने लगा मीना उ उ उ उ उ अ अ अ अ अ अ अ आअह आहा हा हा हा हसे सी स्स्सीईए सीईईईईए उउउउउउउउउउउ आ आ करती रही मैं झाटके मारते रहा तो कुछ देर में मीना ढीली पड़ गई मैं १५ -२० झटके मारा और बहुत सा वीर्य मीना कि चूत के डाळ दिया मीना से जोर से चिपक गया और मीना के ऊपर लेट गया और फिर मीना के ऊपर से उठा कपडे पहना और मीना को बोला कि तुम भी कपडे पहन लो तो मीना बिस्तर से उठी और कराहने लगी बोली कि दर्द हो रहा है मैं बोला कि उठो थोड़ी देर बाद दर्द जायेगा तो मीना उठी और टांग फैला कर नंगी ही चलने लगी तो देखा कि मीना कि चूत से खून बह रहा है मीना खून देख कर घबरा गई और बोली कि ये क्यों निकल रहा है तो मैं मीना को बताया कि जब पहली बार कोई लड़की केला खाती है तो ऐसा ही होता है और हसने लगा और उठकर मीना के बॉब्स दबा कर किस किया और समझाया कि डरो नहीं ये कुछ देर में बंद हो जायेगा तुम्हारी चूत फट गई है इस कारण दर्द हो रहा है पर ये जल्दी ही टीक हो जायेगा फिर मीना बाथरूम में जाकर पेसाब किया और वापस आकर कपडे पहन लिया और बोली कि ये क्या कर डाला तुमने तब मैंने बोला कि चुप रहो किसी को नहीं बताना नहीं तो तुम्हारी जाती वाले मार डालेगे मुझे तब मीना कुछ नहीं बोली मेरी तरफ देखने लगी फिर मैं मीना को समझाया कि भाभी को क्या क्या बताना है तुम्हारी बीमारी पर और उसके बाद मैं अपने रूम में आ गया घडी में देखा तो उस समय १ बज गए थे ,मैं सो गया और फिर ३ बजे उठा तैयार हुआ और ४ बजे के आस पास डूटी चला गया | अगले दिन सुबह उठा और ब्रश कर रहा था बाहर तो रीमा भाभी ने बुलाया और बोली कि जब डाक्टर ने कहा था कि मीना के माथे पर पानी कि पट्टी रखना बुखार जल्दी उतर जायेगी तो आपने पानी कि पट्टी नहीं रखा मीना सर पर इसके दिमाग में बुखार चढ़ जाती तो जानते है क्या होता ,आप इस तरह के निष्टुर है मैं नहीं जानती थी तब मैंने बोला कि ‘भाभी जी उस समय सिर्फ मीना कमरे में अकेली थी इस कारण मैं मीना के पास नहीं बैठना चाहता था कही आप लोगोको बुरा नहीं लगे’ तब रीमा भाभी ने कहा कि आप पर पूरा विश्वास है पंडित जी अब कभी ऐसी कोई बात आये तो आप संकोच नहीं करना ‘ तब मैंने बोला टीक है भाभी जी | मैं समझ गया कि मीना को जो बोला था टीक उसी तरह से मीना ने भी बताया रीमा से | मीना कि १२ वी कि परिक्षा का ताम टेबल आ गया ३ मार्च से मीना के पेपर थे मीना पढने में बहुत अच्छी तो नहीं थी इस लिए डर रही थी कि १२ वी फेल नहीं हो जाउ मैं मीना को समझाया कि तुम्हे फेल नहीं होने दुगा तुम्हे मेहनत करनी होगी मीना को रोज ४घंटे तक दिन में पढ़ाता और जब रात में १२.३० बजे डूटी से आता तो मीना के कमरे ली लाइट जलती रहती [मीना पढ़ाई के कारण अब रीमा भाभी के साथ नहीं सोती नहीं तो हमेसा ही रीमा भाभी के साथ सोती है मीना लाइट जलने के कारण प्रेटी भाभी को नीद नहीं आती इस लिए मीना मेरे कमरे सेलगा हुआ किचेन के बागान के कमरे में सोती है ]

एक दिन मैं डूटी से आया और कपडे उतार कर फ्रेस हो रहा था इतने में मीना ने किचेन के बीच वाला दरवाजा धीरे से खटखटाया और दरबाजे के नीचे से एक चाबी खिसकाया मैं समझ गया कि मेरे तरफ लगे दरबाजे कि चाबी है ये मैंने तुरंत ही ताला खोल कर दरबाजा को खोलते हुए मीना के कमरे में पहुच गया तो मीना ने कहा कि ये सवाल बता दो ना तो मैं मीना को सवाल बताने लगा मीना सवाल को समझ कर करने लगी तो मैं मीना की तरफ देखने लगा तो उसी समय मीना ने मेरी तरफ देखी और बोली कि क्या देख रहे हो तो मीना को बोला कि तुम कितनी सुन्दर हो तो मीना ने कहा कि आपसे कम हु तब मैं मीना के गाल में एक किस कर लिया तो मीना ने भी किस कर लिया तब मैं मीना के बूब्स को दबा दिया तो मीना बोलती है कि कही भाभी न जाग जाए आप जाओ तो मैं बोला कि आता हु भाभी को देखकर सो रही है जाग रही है और मैं जाकर खिड़की से देखा तो भाभी के कमरे में अन्धेरा था और भाभी के खर्राटे कि आवाज आ रही थी तब मैं कंडोम लेकर वापस आया और मीना को बताया कि सो रही है ,तो मीना तुरंत ही मेरे से लिपट गई और बोली कि थक गई हु पढ़ा पढ़ कर चलो थकान मिटा दो मेरी और इतना कहने के बाद मीना बिस्तर पर लेट गई मैं भी मीना के पास लेट गया और कियो कार्पिन तेल कि सीसी लेकर बैठ गया और मीना को बोला कि उतारो कपडे तो मीना ने कहा कि लाइट तो बंद कर दो सरम आ रही है तो टुबलाइट बंद करके एक जीरो वाट का लाल रंग का बल्ब जला दिया और मीना को किस करने लगा मीना ने एक एक करके सभी कपडे उतार दिया और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गई तो मई मीना के पुरे वदन में तेल लगा लगा कर मालिस करने लगा मालिस करते करते मीना कि चुचियो पर कियो कार्पिन तेल को ढेर सारा उड़ेल दिया और हलके हलके हाथ से चुचियो का मर्दन करने लगा मीना को बहुत अच्छा लग रहा था अब मीना मेरी लुंगी के नीचे हाथ दाल कर लण्ड को टटोलने लगी और पकड़ कर खिलाने लगी लण्ड को और लुंगी को उतारने लगी तब मैं लुंगी ,बनियान ,चढ्ढी को उतार कर नंगा हो कर मीना कि टांगो को ऊपर कि तरफ उठाया और चूत को चाटने लगा जीभ डाल कर मीना ऊ उ उ उ उ ऊ उ उ उ आए आ अ अ अ अ अ अ अ सी सी सी करने लगी और बोली कि अब मत तड़पाओ नहीं तो जान निकला जायेगी तब मैं लण्ड को पेल दिया मीना कि चूत में और झटके मारने लगा मीना कि चूत मेंमीना बड़े प्यार से झटके खाने लगी ,कुछ देर बाद मीना को घोड़ी बना दिया और चोदने लगा मीना को मीना भी अपने चूतड़ो को आगे पीछे करने लगी ५ मिनट तक झटके मारने के बाद मीना को उठा लिया दोनों हाथ से और हवा में लहरा लहरा कर चोदने लगा मीना को ४ मिनट बाद मीना को पीठ के बल लिटा दिया और फिर जोर जोर से झटके मारने लगा मीना कि आवाज कमरे के गुज रही थी मीना धीरे धीरे उउउउउउउ आआआ सीईईईईईई आह आह आह आह अह आह उई माँ उई माँ उई माँ सी सी सी स सी ईईईईए इइइइइईईईई ईईईईई ईईई ईईई अह आह आह आह करती रही और मेरी जीभ कोचुस्ती रही लगातार ७ मिनट तक झटके खाने के बाद मीना झर गई तब मैं भी जल्दीजल्दी झटके मार कर ढेर सारा वीर्य मीना कि चूत में उड़ेल दिया और लण्ड को अंदर कये हुए ३ मिनट तक मीना के ऊपर लेटा रहा फिर मीना मुझे धक्का देकर उठा दिया और खुद भी उठ गई कपडे पहना और बोली कि जाओ अब तो मैं मेरे कमरे में जाने लगा तो बोली कि कल ये चाबी ले जाना और इसकी डुप्लीकेट चाबी बनवा लेना मैं मैं बोला टीक है | और इस तरह से रोज रात में मीना को चोदता दुति से आने के बाद पर अब रोज कंडोम लगा लेता कि कही मीना को गर्भ ना रह जाए मीना ने एक्साम दिया सभी पेपर बहुत अच्छे गए मीना बहुत खुस रहती थी मार्च का महीना निकला गया | अप्रैल में एक दिन मैं सुबह कि डूटी करके आया तो देखा कि एक ओरत आई है , ४५ साल के आसपास उम्र होगी उस ओरत कि पर ओ आज भी खूब जवान लगती है , रीमा भाभी से पूछा तो पता चला कि मीना कि छोटी मौसी है जो निम्बाहेडा राजस्थान से आई हुई है ये बिधवा है साल में एकात बार आती है और १५-२० दिन रहती है | मैं भी उन्हें मौसी कहने लगा ओ भी मेरे ऊपर बहुत खुस रहती थी ,माकन मालिक इस समय बहुत खुस रहते है और मकान मालिक मौसी के साथ बाजार भी कई बार जा चुके है | मित्रो पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए और लड़के जिनके पास कोई चूत नही है वो मुठ मरते रहे और लडकिया जिनके पास चुदाई करने के लिए कोई लौड़ा नही है वो फिंगरिंग कर मस्तराम डॉट नेट पर कहानी पढेगी तो और भी मज़ा आएगा |

मीना अब फिर से रीमा के कमरे में सोने लगी मौसी और मकान मालिक अलग अलग कमरे में सोते पर दोनों के बीच का दरबाजा खुला रहता एक दिन रात में किचेन के बगल वाले कमरे से कुछ आवाज आ रही थी मैं कान लगाकर सूना तो पता चला कि मकान मालिक अपनी साली कि चुदाई कर रहे है तब मैं चुपचाप खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया और अंदर के नज़ारे देखने लगा मकान मालिक और मौसी एक दम से नंगे होकर चुदाई में ब्यस्त थे और यह नज़ारे देखने को कई दिन मिला वैसे काका सा जवान साली कि प्यास बुझाने में कामयाब नहीं होते थे , अप्रैल के आखिरी सप्ताह में मौसी चली गई साथ में उनके मीना भी चली गई ,मीना कि इच्छा नहीं थी जाने कि पर मौसी के आग्रह के कारण चली गई |
 
अब घर में मैं ,रीमा भाभी ,मकान मालिक और और रीमा भाभी के पति [इन्हे आगे भइआ कहुगा] रीमा भाभी के अकेला होने के कारण मकान मालिक ने भैया को ऊपर के कमरे में एक दिन ले आये ,मैं कभी कभी भैया के पास भी नीचे के कमरे में बैठता था उनसे बाते करता था ओ भी मुझे पसंद करते थे क्योकि मैं उनकी हां में हां मिलाता था कारण ये था कि उनकी पुरी बाते समझ नहीं आती थी ओ जब बोलते थे तो उनकी जुबान लड़खड़ाती थी इस कारण प्यूरी बात समझ नहीं आती थी भैया को खुस रखने के लिए मैं हां में हां मिला देता था | मई का महीना था गर्मी बहुत जोरो से पड़ रही थी मैं छत पर सोता था रात में मकान मालिक भी छत में ही सोते थे रीमा भाभी का लड़का मेरे से खूब घुल मिल गया था इस कारण रीमा भाभी कभी कभी उसे भी मेरे पास सुला देती थीजब ओ ज्यादा परेसान करता तो ,रीमा का लड़के को मैं रोज टॉफी ,चाकलेट आदि खिलाता रहता इस कारण ओ मेरे साथ बहुत घुला मिला था | मेरी इस समय पर सेकण्ड डूटी थी ४ बजे से रात के बारह बजे तक और मकान मालिक रात में १२ बजे से सुबह ८ बजे तक कि डूटी में थे मैं एक दिन रात को कंपनी से आया फ्रेस हुआ और छत पर सोने चला गया पर रात में १ बजकर ३० मिनट पर प्यास लगी तो मैंने आया तो देखा कि रीमा के कमरे कि लाइट जल रही थी तो मैं दरवाजे के गैप से झाकने लगा अंदर का नजारा देखा तो खुस हो गया भाभी और भैया चुदाई कि तैयारी में ब्यस्त थे मैं चुपचाप देखने लगा भैया बेड पर नंगे पड़े हुए थे भाभी भी निर्वस्त्र बैठी थी और भैया को किस कर रही थी भइआ भी लार बहाते हुए भाभी को जीभ से चाट रहे थे चाट कम रहे थे लार ज्यादा बहा रहे थे और बाए हाथ से भाभी के सेक्सी जिस्म पर हाथ घुमा रहे थे स्तन भी पर भाभी के बूब्स दिखाई नहीं दे रहे थे ,भाभी का पिछवाड़ा दिखाई दे रहा था , रीमा भैया के लण्ड को पकड़ कर खिला रही थी तो भैया का लण्ड तनकर खड़ा हो गया तो रीमा भाभी ने लैंड को घुसड लिया और अपने चूतड़ो को ऊपर नीचे करने लगी भाभी ने १० -१२ बार चूतड़ो को ऊपर नीचे किया होगा इसके बाद भाभी चकरी कि तरह लण्ड के ऊपर घुमाने लगी अपने चूतड़ो को पर इतने में भैया का लण्ड सुसुक कर बाहर निकल आया चूत से तो भाभी लूस लण्ड को फिर से घुसाने कि कोशिस करने लगी पर लण्ड तो सिथिल होकर लूज पड़ गया और नहीं घुसा तो भाभी चुपचाप खड़ी हो गई और नफ़रत से भैया कि तरफ हुए उनका कपड़ा फेक दिया और भाभी कपड़ा पहनने लगी तो भैया ने लड़खड़ाती जुबान से बोला कि क्यों तेरा नशा [नशा से मतलब सायद संभोग संतुष्टी से होगा ] उतर गया क्या तो भाभी ने कुछ नहीं कहा और बोली कि आप तो कपडे पहन लो इसके बाद भैया बाए हाथ कासहारा लेते हुए बड़ी मुस्किल से उठे बिस्तर से और कपडे पहनने लगे भाभी ने कपडे पहनने में मदद किया जब कमरे ली लाइट बंद हो गई चुपचाप अपने कमरे के दरबाजे को लगाया और ऊपर छत पर सोने चला आया अगले दिन सुबह ६ बजे भाभी छत पर आई और अपने लड़के को मेरे पास से उठा कर ले गई जाते जाते मेरे को कंधे पकड़ कर हिलाया और जगा दिया और बोली कि उठो सुबह हो गई |

सुबह ६ बजाकर ३० मिनट पर मैं नीचे आया और ब्रश करने लगा तो भाभी ने कहा कि भैया को नीचे उतार दो महेंद्र , तो मैं भैया को बड़े मुस्किल से नीचे उतार कर उनके कमरे तक छोड़ दिया , ऊपर आने के बाद भाभी से पूछा कि क्यों भैया नीचे क्यों चले गए वापस तो भाभी ने कहा कि सुबह घूमने नहीं जा पाते है रोज रोज सुबह सुबह कौन उतारे उन्हें नीचे तो मैंने कहा कि मुझे बोल दिया करे मैं उतार दू तो, भाभी ने कहा कि आप रात में १ बजे सोते ही हो सुबह सुबह ५ बजे आपको क्यो डिस्टर्ब करू , तो मैंने कहा कि नहीं भाभी जी आप तो उठा दिया करे मैं बाद में भी सो सकता हु , इतना सुनते ही भाभी मेरे ऊपर खुस हो कर बोली कि कितने अच्छे हो आप और मुस्कुरा कर चली गई | माकन मालिक मण्डी में सब्जी लेने गए हुए थे उस समय पर , ९ बजे के आसपास मैं मेरे बिस्तर पर बैठ कर पेपर पढ़ रहा था कि भाभी नहा कर गीले वदन एक पतली सी साड़ी में लिपटी हुई बाहर निकली और गैलरी में बधी हुई रस्सी पर कपडे डालने लगी भाभी एक एक अंग कि बनावट ,कसावट साफ़ दिखाई दे रही थी बड़ी बड़ी मदमस्त जवानो कि तूफ़ान समेटे हुए सुन्दर से बूब्स कसी हुई जांघे , एक सब मैं चुप चाप देखता रहा भाभी बड़े आराम से घूम घूम कर कपडे डाल रही थी मैं जानबूझकर बाहर निकला तो मुझे देखकर शर्माते हुए कमरे के अंदर चली गई फिर कुछ देर बाद गाउन पहन कर निकली तो मैंने सॉरी भाभी कहा तो बोली किस बात कि सॉरी तो मैंने बताया कि आप इस हालत में थी और मैं बाहर आ गया तो मुस्कुरा कर बोली कि तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा चलता है इतना तो और हसने लगी मैं थैंकू बोला | भाभी १० बजे अपने लड़के के साथ निकली [लड़के को एक झूला घर में छोड़ कर जाती है और साम को वापस आते समय लेती आती है ] आज बहुत बन ठन कर भाभी निकली ,बहुत सेक्सी लग रही थी आज तो मैं तारीफ़ के लिए कह दिया भाभी जी आज बहुत सुन्दर लग रही है आप तो ओ खुस होकर बोली सुक्रिया और मेरी तरफ तिरछी नजर से देखते हुए हलकी से मुस्कान बिखेर कर चली गई | मैं जब रात में डूटी से आया तो देखा कि मेरे पलंग पर गद्दा और मच्छरदानी नहीं है मैं सोच में पड़ गया कि कहा गई , भाभी के कमरे में झांक कर देखा तो भाभी कि खुर्राटों कि आवाज आ रही थी तब मैं फ्रेस होकर छत पर जाकर देखा तो मेरा गद्दा तकिया मच्छरदानी के साथ लगा हुआ था और बिस्तर अस्त ब्यस्त था जैसे कोई सोया हुआ हो ,मैं बिस्तर पर लेट गया और सोने का लगा पर आँखों के आगे भाभी का सेक्सी जिस्म नाच रहा था ,भाभी कि तिरछी चितवन ,हलकी हलकी मुस्कान मुझे भाभी कि तरफ आकर्षित कर रही थी ,मैं ये सब सोच ही रहा था कि किसी के पर के पायल कि झुन झुन सुनाई दिया देखा तो भाभी लड़के को गोद में उठाये हुए आ रही थी मैं सोने का नाटक करते हुए आँखे बंद कर लिया भाभी ने मच्छरदानी को उठाया और लड़के को मेरे पास सुलाकर चली गई | मेरी आँखों से नीद कोसो दूर थी मैं पानी पीने के बहाने नीचे गया धीरे से दरवाजा खोला और भाभी के कमरे कि तरफ देखा तो लाइट जल रही थी तो मैं दरवाजे के गैप से झाकने लगा तो देखा कि भाभी एक दम से बिस्तर पर् नंगी तकिये में टेका लगाए हुए बैठी थी और हाथ में एक मोटी सी लम्बी सी मूली थी जिस पर कंडोम चढ़ा रखा था और मूली को धीरे धीरे चूत में डालकर आगे पीछे कर रही थी और एक हाथ से अपने स्तनो को बार बार दबा रही थी भाभी लगातार ५ मिनट तक मूली से खुद को चोदती रही और मैं देखता रहा मेरा भी लौड़ा खड़ा हो गया तो भाभी की चुदाई देख देख कर मुठ मारने लगा उधर भाभी जोर जोर से मूली को अंदर बाहर कर रही है और इधर मैं उन्हें देख देख कर मुठ मार रहा था उधर भाभी जी हलकी हुई और इधर मैं हल्का हुआ भाभी ने कपडे पहने और सो गई और मैं छत में आकर सो गया | और सुबह जल्दी उठा क्योकि कंपनी में आज के दिन सुबह जाना था डूटी पर कोई मसीन खराब हो गई है जिसे कोई इंजीनिएर सुधार नहीं पा रहा था इस कारण कंपनी ने सुबह सुबह ही फोन करके बुला लिया, मैं को ६ बजे कंपनी से निकला तो सीधे बाजार से सब्जी लेने चला गया तो वहा भाभी मिली सब्जी लेते हुए तो मैंने पूछ लिया कि काका सा तो सुबह सब्जी लाये थे ना तो भाभी बोली कि लाये थे पर मूली टमाटर भूल गए थे तो मैंने हस दिया और धीरे से बोला कि आपको मूली बहुत पसंद है ना तो मेरे तरफ अजीब नजर से देखने लगी और फिर नजरे नीची कर लिया सरमाते हुए चलने लगी तो मैंने बोला कि भाभी आइये छोड़ देता हु आपको ,मैं भी घर चल रहा हु ,तो भाभी मेरे साथ बाइक में बैठ गई सब्जी मंदी में बहुत भीड़ थी बार ब्रेक मारता तो भाभी कि चुचिया बार बार मेरे पीठ से टकराती तो अजीब से सनसनाहट लगता सरीर में और मजे भी आ रहे थे मैं जान बूझकर भी बार बार ब्रेक मारता तो भाभी भी बड़े आराम से चुचिया घिस देती भीड़ से बाहर निकला तो रस्ते में भाभी ने कहा कि आपको कैसे पता कि मुझे मूली पसंद है ,तो मैं बोला कि भाभी सा एक साल से ज्यादा हो गए आपके माकान में रहते बहुत कुछ जान चुका हु अब तो फिर से इठलाते हुए भाभी बोली कि बताओ जानते हो तो मैं बिना संकोच किये बोल दिया कि आप तो रात में भी मूली खाती है और दिन में भी तो भाभी ने मेरे कंधे पर एक हलकी से चपत मारी और बोली कि तुम भी तो खाते हो साम को मूली ,तब मैं पलट कर बोला कि भाभी सा आप तो रात में खाती हो मूली और हँसने लगा | घर कि रोड पास आ गई इस कारन मैंने भाभी को बोला कि आप उतर जाओ यही, नहीं तो मोहल्ले वाले तरह तरह कि बाते करेगे तो भाभी बोली बहुत समझदार हो पंडित जी और फिर उतर गई बाइक से मैं चला आया घर,कुछ देर बाद भाभी भी घर आ गई और मुस्कुराते हुए अंदर कि तरफ चली गई |

९ मई को सुबह -सुबह पेपर पढ़ रहा था मकान मालिक अभी तक नहीं आये हुए थे मैंने पेपर में देखा कि मीना का १२ वी का रिजल्ट आया मीना फ़ास्ट क्लास में पास हो गई ये बात भाभी को बताया तो ओ खुस होकर लिपट गई मेरे से और मेरे गाल को चूम लिया और बोली कि यह मीना के जीवन का अच्छा रिजल्ट है इसके पहले मीना कभी भी फर्स्ट क्लास नहीं आई भाभी इतनी खुस थी कि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये अपनी ननद के रिजल्ट से इतनी खुस हो सकती है ,भाभी ने मीना को फोन करके बताया तो मीना ने बात किया बहुत खुस लग रही थी मीना और बोल रही थी कि आपकी बहुत याद आती है ,भाभी ने फोन लिया और खुस होकर बोली कि आज से आप हमारे साथ ही खाना खायेगे ये मेरा वादा रहा और एक बात बोली भाभी ने जो चाहो माँग लो पंडित जी आपको दुगी मेरे पास हुआ तो तो मैं कुछ नहीं बोला सिर्फ इतना ही कहा कि ‘भाभी जी ये तो मेरा फ़र्ज़ था ‘ इसमें मागने जैसी कोई बात नहीं है ,तो भाभी बोली कि ये तो आपका बड़प्पन है पंडित जी | कुछ देर बाद काका साहब आये तो भाभी ने उनसे बताया [रीमा काका साहब से दूर से ही घुघट में रह कर बहुत ही धीमी आवाज में बात किया करती थी ] काका सा भी बहुत खुस हुए और बोले कि बेटा आज से हमारे घर में खाना खाया करना [काका साहब ने पहली बार बेटा कहा है इसके पहले पंडित जी ही कहते थे ]

अकेले परेसान होते हो मैं कुछ नहीं बोला मैंने सोचा कि अभी ये भावनाओ में बह रहे है ज्यादा नजदीकिया अच्छी नहीं होगी ये सोचा कर मैं मन ही मन फैसला कर लिया कि खाना इनके य़हां नहीं खाउगा ज्यादा मिठास में कीड़े पड़ जाते है ,उस दिन तो मैंने खाना खा लिया पर अगले दिन मैंने खाना खाने से मना कर दिया सभी बाते कहते हुए तो माकन मालिक और बहभी दोनों बहुत खुस हुए और बोले कि बहुत समझदार लड़के हो आप |

मई कि ही बात थी मैं रात में १२ बजकर २५ मिनट पर छत में सोने के लिए गया तो देखा कि बगल के बिस्तर पर [ काका सा रात के ११.३० तक छत में बाद में बिस्तर को छोड़कर डूटी चले जाते है ] भाभी अपने लड़के के साथ सोई हुई थी बगल में मेरा भी बिस्तर लगा हुआ था जो भाभी ही लगा देती है साम को मैं भी जाकर सो गया रात में १ बजे लड़का रोने लगा तो भाभी उठी और मच्छरदानी के अंदर घुसे हुए मच्छरो को मारने लगी [मच्छरदानी में छेड़ होने के कारण मच्छर घुस जाते है ] और कुछ बड़बड़ाने लगी तो मैंने पूछ लिया कि क्या हुआ भाभी तो बोली कि मच्छर काट रहे है तो मैं बोला कि इसे [लड़के ] मेरे पास सुला दीजिये तो भाभी ने लड़के को सुला दिया पर भाभी को भी मच्छर काट रहे थे तो मैं बोला कि भाभी आप इस बिस्तर में आ जाइये मैं उसमे सो जाता हु तो भाभी ने कहा कि नहीं रहने दो तो मैं भाभी से आग्रह करके बोला कि आप जाइये इस बिस्तर में और मैं उठकर बाहर निकला गया भाभी मेरे बिस्तर में सो गई बच्चे के साथ और मैं कुछ देर बाद नीचे चला आया और दरवाजा खोल कर एक दरी जमीन में बिछाया और सोने का प्रयास करने लगा पर नीद नहीं आ रही थी गर्मी के कारण , रात के २ बजे होगे रीमा भाभी नीचे आई और बोलि की आप नीचे क्यों आ गए तो मैं कुछ नहीं बोला चुप रहा तो भाभी ने कंधे को पकड़ कर हिलाया और फिर से बोली कि नीचे क्यों आ गए चलो ऊपर ही सो जाओ [अब मेरा धैर्य जबाब दे दिया] तब मैं भाभी के हाथ को पकड़ कर खीच लिया और बिस्तर में गिरा कर किस कर लिया गालो का और बूब्स को दबा दिया तो भाभी ने कहा कि ये क्या कर रहे हो ,कोई देख लेगा तो ,तब मैं कुछ नहीं कहा और फिर से किस कर लिया और कान में धीरे से बोला कि इतनी रात में कोई नहीं देख रहा है भाभी ,मत तड़पाओ अब और मैं भाभी के बूब्स को दबाने लगा तो भाभी ने कोई बिरोध नहीं किया और बैठ गई मेरे बिस्तर पर तो मैं भाभी को लिटा लिया बिस्तर में तब भाभी ने कहा कि दरवाजा तो लगा लो, मैं जल्दी से उठा और दरबाजा लगाने लगा तो बोली कि यहाँ नहीं और उठकर अपने कमरे में चली गई मैं भी पीछे पीछ चला गया ,अंदर जाते ही मैंने दरवाजा लगा दिया और भाभी से लिपट गया और लगा बूब्स दबाने लगा तो भाभी भी लिपट गई मेरे से मैं भाभी के ब्लाउज के हुक खोल दिया और साड़ी को खीच कर जिस्म से अलग कर दिया ,ब्लाउज को भी उतार दिया अब भाभी सर्फ ब्रा और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थी मैं भाभी को जोर जोर से किस करने लगा भाभी भी मेरे पीठ पर हाथ घुमाने लगी तब मैं धीरे से ब्रा के हुक खोल दिया तो भाभी के बड़े बड़े बूब्स ब्रा के बंधन से आजाद हो गए और समुद्र में भरे पानी कि तरह सुन्दर सुन्दर बूब्स हिलोरे लेने लगी मैं बूब्स को हलके हलके चूसना सुरु कर दिया बूब्स के निप्पल को जीभ से सहलाने लगा तो भाभी भी गर्म पड़ने लगी तो मैंने भाभी का पेटीकोट का नाडा खोल दिया तो पेटीकोट सरक कर नीचे गिर गया और भाभी अब पेंटी में रह गई मैं भाभी कि सुन्दर सुन्दर जांघो को सहलाने लगा और भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और मैं भाभी के बूब्स को खिलाने लगा और जीभ को चूसने लगा और एक हाथ से भाभी कि जांघो को सहलाने लगा फिर धीरे से पेंटी के नीचे हाथ दाल कर चूत को सहलाने लगा बिलकुल चिकनी चूत थी लगता है आज ही सेविंग किया है भाभी अब बार बार अपनी जांघो को इधर उधर घुमाने लगी कभी मेरा हाथ पकड़ती तो कभी सर पर हाथ घुमाती , मैं भाभी कि पेंटी को भी उतार दिया अब भाभी एक दम से नंगी मेरे सामने पडी हुई है मैं भी सभी कपडे उतार कर नंगा हो गया और भाभी के पास लेट गया और भाभी को फिर से किस करने लगा और बूब्स को दबाने लगा भाभी भी मेरी पीठ पर हाथ घुमाती कभी सर के बाल सहलाती अब मैं उठा और भाभी कि चूत को चाटने लगा जीभ को चूत के अंदर घुसा देता और हिलाता अब भाभी के मुह से उ उ उ उ अ अ अ अ अ आ सीईए सी से सी सी आह आह आह कि आवाज निकलने लगी और बिस्तर में बिन पानी कि मछली कि तरफ तड़पने लगी मेरा लण्ड तन कर खड़ा था घोड़े कि तरह सरपट दौड़ने के लिए घोड़े को अच्छा मैदान चाहिए और ओ मैदान आज मिल गया भाभी ने अब मेरे लण्ड को पकड़ लिया और टल्ले मारने लगी लण्ड पर मैं चूत को चूसता रहा अब भाभी से नहीं रहा गया ओ बहुत दर्म हो गई सम्भोग के लिए पर मैं उन्हें और गर्म करना चाहता था पर भाभी नहीं मानी और उठकर बैठ गई और लण्ड को पकड़ कर चूत में घुसाने लगी मैं चूत के पास लण्ड ले गया और हल्का से छुआया चूत में ओह क्या मख्खन कि तरह चूत हो गई थी इतने में भाभी ने अपने चूतड़ो को खिस काया और लण्ड को चुत में घुसा लिया और चूतड़ो को हिलाने लगी मैं भी धीरे धीरे धक्के देने लगा कुछ देर बाद मैंने मेरी जांघो को फैला दिया तो भाभी मेरी जांघो पर चढ़ गई पूरा लण्ड अंदर घुस गया भाभी मेरे सीने से चिपक गई तो मैं भाभी कि चुचियो को चूसता जाता और और धक्के देते जाता भाभी अपने घुटनो के बल खड़ी होकर ऊपर नीचे करने लगी और मैं भाभी कि चुचिया चूसता रहा ४ मिनट तक भाभी ऊपर नीचे करती रही फिर भाभी थक गई उनकी चुदाई कि रफ़्तार कम हो गई मैं समझ गया कि ये थक गई तब मैं भाभी को पीठ के बल कुछ से तरह से लिटा दिया और झटके मारने लगा रीमा बड़े प्यार से झटके खाने लगी प रीमा ने अपने दोनों हाथो को मेरे कमर के ऊपर डाल कर पकड़ लिया और मेरे जीभ को प्रेम से चुस्ती रही और मैं झटके मारते रहा लगातार भाभी के मुह से उ उ उ उ आ अह अह अह अह अह अह अह अह ऎसी सी सी सी उ उ उई म उई उई आ आह आहा सी कि आवाज निकलती रही मैं जोर से जोर से झटके मारने लगा कमरे में फट फट कि आवाज गुजने लगी लगातार ७ मिनट तक झटके खाने के बाद भाभी कि चूत ने पानी छोड़ दिया और भाभी सिथिल पड़ गई मैं समझ गया भाभी निपट गई तब मैं जल्दी जल्दी झटके मारा और ढेर सारा वीर्य भाभी कि चूत में उड़ेल दिया और कुछ देर तक लण्ड को घुसेड़े हुए भाभी के ऊपर लेटा रहा तब भाभी गालो को चूमते हुए बोली कि अब उठोगे भी या यू ही पड़े रहोगे तो मैं उठा और भाभी भी उठी ,जैसे ही उठी तो उनकी चूत से वीर्य बहने लगा और जांघो से होते हुए नीचे गिरने लगा तो भाभी बोली कि कितना भर रखा है अंदर उड़ेल दिया पूरा का पूरा तो मेंहसने लगा और भाभी की बूब्स को दबा दिया और गालो में किस कर लिया ,भाभी नंगी ही बाथरूम में चली गई मैं भी उनके पीछे पीछे बाथरूम में घुस गया दोनों ने साथ साथ पेसाब किया ,अभी भी मेरा लण्ड तना हुआ खड़ा है ,भाभी ने देखा तो हाथ से पकड़ कर बोली चल अब बैठ जा बहुत थका लिया फिर हम दोनों कमरे में आये घड़ी देखा तो रात के ३ बजकर २० मिनट हो रहे थे हम दोनों छत पर चले गए और एक साथ एक ही मच्छरदानी में सो गए तो सुबह ६.३० बजे नीद खुली हलकी हलकी धुप निकल आई थी भाभी उठी और झुककर [जिससे कोई देख नहीं ले कि ये छत पर सोती है] नीचे चली आई | मैं भी ७ बजे तक नीचे आ गया कुछ देर भाभी अपने लड़के को गोद में उठाकर ले आई जो अभी तक सो रहा है |

तीन दिन बाद सन्डे आया काका साहब दोस्तों के साथ पास के ही शहर में अपने दोस्तों के साथ करीब ३० किलोमीटर दूर शंकर जी का प्रसिद्ध मंदिर है वहा दर्शन करने चले गए साथ में अपने पोते [मकान मालिक पोते को जान से भी ज्यादा चाहते है] को भी ले गए क्योकि मोहल्ले कि कई महिलाये भी जा रही थी मोहल्ले कि ओरतो ने भाभी को बोला तो भाभी ने कहा दिया कि मैं जाने लायक नहीं हु मंदिर इस कारन नहीं जाऊगी ये सभी सुबह ९ बजे ही निकला लिए | अब घर में सिर्फ मैं और भाभी थे भैया है तो ओ ऊपर आ ही नहीं सकते है ,भाभी ९.३० बजे बाथरूम मे नहाने घुसी तो उस समय मैं देख रहा था भाभी ने पूरा दरवाजा नहीं लगाया बाथरूम का थोड़ा सा खुला था दरवाजा मैं समझ गया कि भाभी को आज बाथरूम में चोद सकता हु ,मैं सावधानी रखते हुए चैनल गेट का ताला बदल कर दुसरा लगा दिया जिससे मकान मालिक आ भी जाए तो ऊपर नहीं आने पाये बाथरूम से नाहने के आवाज आने लगे तब मैं बाथरूम का दरवाजा धीरे से खोला तो भाभी चौक गई और बोली कि क्या कर रहे है बंद करो दरवाजा कोई देख लेगा तो गजब हो जायेगा तब मैंने मुह में उगली रखा और धीरे से बोला कि चुप रहिये भाभी मैंने ताला बदल दिया है गेट का कोई नहीं आयेगा तो भाभी बोली कि बहुत नटखट हो चलो हटो नहा लेने दो मुझे तब मैं मुस्कुराते हुए बोला कि भाभी आपके कन्धे में मैल जमी है साफ कर दू क्या तो भाभी ने बोला नहीं रहने दो जाओ मैं नहा लू लेट हो रही हु ,और मुस्कुरा दिया तब मैं बाथरूम में घुस गया और साबुन लेकर भाभी के कंधे और पीठ में लगाकर घिसना सुरु कर दिया और धीरे से भाभी के स्तनो पर भी साबुन लगा दिया और स्तनो को भी सहलाने लगा हलके हलके हाथ से जब स्तनो में साबुन लग गया तो स्तन इतने चीकने हो गए कि हाथ से पको तो बार बार फिसल रहे थे ओह इतना मस्त लग रहा था उस समय जब स्तनो कि मालिश करने लगा जैसे जन्नत की सैर कर रहा हु कुछ ही देर में स्तन एक दम से कठोर हो गए भाभी को भी मजा आने लगा तो बैठे बैठे ही मेरे लण्ड को टटोलने लगी तब मैं लुंगी उतार कर टांग दिया तब भाभी ने मेरी चढ्ढी भी खीच कर उतार दया तो मैं झुक कर भाभी को किस करने लगा तब भाभी उठकर खड़ी हो गई और अपने हाथ में साबुन लगाकर मेरे लड में लगाने लगी अब मैं भाभी कि बूब्स में साबुन लगा लगा कर स्तनो कि मालिस करने करने लगा और भाभी मेरे लण्ड पर साबुन लगा लगा कर लण्ड को खिलाने लगी ,मैं भाभी के पुरे बदन को साबुन लगाकर चीकना कर दिया और भाभी को अपनी बाहो में लेने लगातो भाभी किसी मछली कि तरह बार बार फिसल रही थी तब मैं भाभी को पीछे कि तारफ से पकड़ लिया और इसी फिसलन के बीच में भाभी

को हलका सा झुका दिया और साबुन लगा लण्ड को भाभी कि चूत में हल्का सा पूस किया तो पूरा का पूरा लण्ड सप से घुस गया भाभी ने बाथरूम में लगी फर्सी [संगमरमर के पत्थर का टुकड़ा जो लेट्रीन सीट और बाथरूम को लग करताहै] को पकड़ कर झुक गई और मैं पीछे से धक्के मार मार कर चोदने लगा और भाभी बड़े मजे ले ले कर झटके खाने लगी मस्त मस्त चिकनी चुचियो को मसलते रहा और जोर जोर से झटके मारते रहा ५ मिनट तक लगातार झटके खाने के बाद भाभी ने बोला कि घुटने दर्द करने लगे क्योकि बाथरूम कि फर्स चुभ रही थी तब मैं भाभीको खड़ा कर दिया और सावर चला कर पुरे वदन का साबुन धो दिया और फिर भाभी को पकड़ कर उठा लिया भाभी ने अपने दोनों जांघो को को मेरे कमर मेंफसा लिया और अपने सुन्दर सुन्दर नाजुक हाथो को मेरे गले में डाळ कर जोर से पकड़ लिया तब मैं भाभी की कमर और चूतड़ो कोपकड़ कर हवा में लहरा लहरा कर चोदने लगा और लगातार ४ मिनट तक हवा में उछाल उछाल कर भाभी को चोदता रहा भाभी मेरे से ऐसे लिपटी थी जैसे नाग नागिन सम्भोग के समय लिपट जाते है ,मैं भाभी को नंगी ही बाथरूम से उठाकर बैडरूम में ले आया और बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और फिर घुटनो को मोड़ कर खड़ा कर दिया भाभी घुटनो को सहारा बना कर मुझे चोदने लगी भाभी अब जोर जोर से आ अ अ अ अ अ अ आहा अह आगाह आहा ह सी सी सी उई उई उई उई उई उउउउउउउउउउउ आआआआआआ आआआआआआ उई माँ उई माँ करती रही प्यूरी ताकत लगाकर मेरे पेट में अपने चूतड़ो को फट फट पटक पटक कर छोड़ने लगी भाभी थके नहीं ली लिए मैं पीछे से भाभी के चूतड़ो को पकड़ कर ऊपर नीचे करने में मदद करने लगा इस तरह से भाभी करीब ४ मिनट बाद सुस्त पड़ कर रुक गई मैं समझ गया भाभी झर चुकी है भाभी मेरे ऊपर से उठकर बेड पर बैठ गई ,मेरे तने हुए लड को देखा और बोली कि ये तो अभी तक गुस्साया हुआ है और हाथ से पकड़ कर खिलाने लगी तब मैं बोला कि चलो पीछे घूम जाओ आज दुसरी जगह पर घुसेड़ता हु तो भाभी तुरंत ही तैयार हो गई और घोड़ी कि तरह टाँगे करके चूतड़ो को ऊपर कि तरफ उठा दिया और भाभी कि गाड़ में [चूत में नहीं] लण्ड डालने लगा तो बोली कि ये क्या कर रहे हो नहीं जायेगा तुमहरा इतना मोटा तो मैं बोला कि रुको तो सही थोड़ दर्द होगा पर एक बार चला जायेगा तो बहुत मजा आयेगा ,तब मई थूक लगाकर लण्ड को धीरे धीरे घुसाने लगा पर घुस नहीं रहा था तो मैं तेल कि सीसी निकाला और भाभी कि गाड़ में तेल डालकर चिकनीकर लिया और लण्ड में भी तेल लगा लिया और धीरे से झटका दिया तो लण्ड घुस गया पर भाभी ने जल्दी से लण्ड को बाहर निकाल दिया और कराहने लगी और बोली कि बहुत जालिम हो,फाड़ोगे क्या और गुस्सा होकर लेट गई बेड पर तब मैं हाथ जोड़ कर माफी मागा इतने में ध्यान बट जाने के कारण मेरा लण्ड शांत पड़ गया तो भभ फिर से खिलाने लगी और बोली कि लो कर लो जल्दी से फि फिर जाउ नहाने तो मैं बोला कि आप नहा लो फिर कभी कर लेगे कहा भाग रही हो आप तो हसने लगी और उठकर चली गई बाथरूम में नहाने लगी मैं भी मेरे काम से लग गया कुछ देर में भाभी बाथरूम से नहा कर निकली एक टावेल लपेट कर और अपने बेड रूम में घुस गई तो मैं भी पीछे से कमरे में घुस गया और भाभी को पकड़ लिया पीछे से किस करने लगा ,बूब्स को दबाने और फिर टावेल को खीच कर बिस्तर पर रख दिया और भाभी को किस करने लगा तो भाभी ने कहा कि ‘ क्या कर रहे हो ‘ तो मैं कुछ नहीं बोला और किस करता रहा तो भाभी बोली कि चलो फटाफट निपट लो तुम मेरी तो अभी इच्छा नहीं है अभी अभी तो तुमने किया है, तुम ‘ हलके नहीं हुए इस कारण फिर से आ गए और इतना कहते हुए विस्तर लेटने लगी तो मैं रोका और बोला आप इसी तरह खड़े रहिये आपको फिर से इच्छा पड़ जायेगी तो भाभी बोली कि क्यों खड़े खड़े ही करोगे क्या तो मैं बोला कि आप तो बस खड़े रहो और देखो क्या क्या कैसे कैसे करता हु तो ओ हँसने लगी तो मैं घुटनो के बल खड़ा हो कर भाभी कि साफ़ ,सुन्दर ,चिकनी चूत को चाटने लगा भाभी मेरे सर पर हाथ घुमाने लगी मैं भाभी कि चूत को जीभ लगा लगा कर अंदर तक चाटने लगा २ मिनट बाद भाभी अपनी जांघो को आपस में सटाने लगी तब मैं समझ गया कि भाभी को इच्छा पड़ गई है बस अब इन्हे गर्म करना है मैं फिर से चूत को चाटने लगा बीच बीच में अगुठा घुसेड़ कर भाभी को गरम करने लगा मेरी कोशिस रंग लाइ भाभी ने ली जोर कि अगड़ाई और बेड पर बैठ गई तो मैं रस पीने लगा पूरी पूरी जीभ भाभी कि चूत के अंदर डाल देता और फिर चूत के न्द्र ही जीभ को घूमाने लगता भाभी अब जोर जोर से मेरे सर पर हाथ घुमाने लगी और आह आह आह आह आह आ अ अ अ अ आए आ आ उ उ उ उ उ उ उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ फु आह आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ फु आह आहा सी सी सी करने लगी और बोली कि अब नहीं तड़पाओ ‘ मैं समझ गया की भाभी अब मस्त तैयार पड़ गई चुदाने के लिए तब मैं लण्ड के ऊपर कंडोम चढ़ाया सुपाड़े के चमड़ी पीछे किया बिना [मैं समझ गया था भाभी इस बार ज्यादा समय लेगी स्खलित होने में इस कारण लण्ड कि चमड़ी नहीं खिसकाया जिससे ज्यादा देर तक भाभी को चोद सकू] और लण्ड को घुसेड़ दिया ‘ भाभी तकिया का सहारा लेकर बैठ और मैं खड़े खड़े चोदने लगा भाभी कि दोनों टांगो को पकड़ लिया दोनों हाथो से और झटके मारने लगा भाभी बडप्यार से झटके खाने लगी भाभी बार बार अपने स्तनो को अपने ही हाथो से मसलने लगी ओ उस समय भाभी के मुह से आह आह आह आह आह आ अ अ अ अ आए आ आ उ उ उ उ उ उ उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ फु आह आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ फु आह आहा सी सी सी अ अ अ अ अ आए अ अ आ आ आआआआआअ उउउउउउऊऊऊऊऊ सीईईईईई ओग ऑफ़ ऑफ़ ऑफ़ कि आवाजे निकालने लगी ७ मिनट तक लगातार झटके मारने के बाद भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और भाभी कि एक टांग को पकड़ कर हाथ से ऊपर उठा लिया और जोर जोर से झटके मारने लगा भाभी बड़े मादक अंदाज में मेरी तरफ देखती और किस करती बार कभी कभी जीभ को ओठो को चूसने लगी भाभी बार बार उठकर चिपक जाती मेरे से तब मैं भाभी कि चुचियो को खूब चूसता भाभी बड़े मस्त अंदाज में छुड़ा रही थी और बार बार मेरे सर पर हाथ घुमाती और उफ़ फु आह आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ फु आह आहा सी सी सी अ अ अ अ अ आए अ अ आ आ आआआआआअ उउउउउउऊऊऊऊऊ सीईईईईई कि आवाजे निकलती कुछ देर बाद भाभी कि दोनों टांगो को ऊपर उठा दिया

.. और जोर जोर से झटके मारने लगा और ८ मिनट तक लगातार झटके मारते मारते भाभी जोर जोर से उफ़ फु आह आह आह आह उफ़ उफ़ उफ़ उफ़ फु आह आहा सी सी सी अ अ अ अ अ आए अ अ आ आ आआआआआअ उउउउउउऊऊऊऊऊ सीईईईईईकि आवाज करते करते स्खलित हो गई साथ ही मै भी स्खलित हो गया और लैंड घुसेड़े हुए भाभी के ऊपर लेट गया कुछ मिनट बाद उठा ,हैम दोनों पसीना पसीन हो गए पसीना सुखाने के बाद दोनों ही बाथरूम में नगे घुस गए एक दूसरे को नहलाया और फिर बाहर आ गए कमरे में जाकर देखा तो उस समय १० बजकर २० मिनट हो गए थे भाभी एक सेक्सी गाउन पहन कर निकली और कमरे के अंदर आई और जोर से एक किस लिया और बोली ‘ अब पता चला कैसे होती है चुदाई ‘ और मुस्कुराते हुए किचेन में चली गई खाना बनाया और हम दोनों ने एक साथ खाना खाये और अपने अपने कमरे में जाकर सो गए चैनल गेट में पुराना वाला ताला वापस लगा दिया | नीद ऐसी लगी कि ५ बजे नीद खुली मकान मालिक कब आये पता ही नहीं चला |

अब भाभी को जब भी मोका मिलता चोद देता ‘भाभी खुद बहुत उतावली रहती चुदाने के लिए जब भी मोका मिलता आ जाती पास में यहाँ तक कि रात में छत में भी चोद देता पूरा मई ,जून मस्त चुदाई किया भाभी कि जुलाई में मन्नू आ गई उसका एक कालेज में B.com में एडमिसन करा दिया मकान मालिक ने मीना कि कालेज सुबह ८ बजे से रहती और १२ -१ बजे तक कालेज से आ जाती जब मीना और माकन मालिक नहीं रहते तो भाभी को चोदता और जब भाभी और मकान मालिक नहीं रहते तो मन्नु को चोदता इस तरह से दोनों को चुदाई का मजा देता मन्नू पहले से ज्यादा चुदवाने लगी कहती कि जब तक नहीं चुदाऊ नीद नहीं आती |
 
ओक्टुबर का महीना था एक दिन मन्नू कि मौसी आ गई ‘ इस बार मौसी के रंग ढंग एक दम से बदले हुए थे मौसी राजस्थानी ड्रेस कि जगह पर सलवार सूट ,और साडी पहनती तब मौसी कि उम्र और कम लगती मौसी कि सेक्स अपील बढ़ गई मौसी के बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज में मस्त लगते ओक्टुबर का महीना था एक दिन मन्नू कि मौसी आ गई ‘ इस बार मौसी के रंग ढंग एक दम से बदल गए १५ दिन में ‘ मौसी राजस्थानी ड्रेस कि जगह पर सलवार सूट ,और साडी पहनती तब मौसी कि उम्र और कम लगती मौसी कि सेक्स अपील बढ़ गई मौसी के बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज में झाकते हुए मस्त लगते मौसी के आ जाने के कारण अब मीना और रीमा भाभी को चोदने का मोका ही नहीं मिलता मौसी दिन भर घर में ही रहती कभी बाजार जाती भी तो साम के समय माकन मालिक के साथ उस समय मीना और भाभी दोनों साथ साथ रहती ‘ पर मौसी खूब घुल मिल गई ज्यादा से ज्यादा बाते करती जब घर में कोई नहीं रहता ‘ मौसी नहाते समय ब्लाउज और पेटीकोट में ही बाहर झाड़ू लगाने आ जाती उस समय मौसी के बड़े बड़े बूब्स को ललचाई निगाहो से देखता मीना और रीमा भाभी के बूब्स इतने बड़े और सेक्सी नहीं लगते जितना कि मौसी कि बूब्स है मन करता कि दबा दू दोनों हाथो से मौसी पतले ट्रांसप्लेंट कपडे का ब्लाउज पहनती दूर से उनकी ब्रा दिखाई देती इसी तरह से सलवार सूट में भी मौसी का जिस्म सेक्सी लगता क्योकि ऊपर का सूट एक दम से जिस्म में कसा रहता ‘ सलवार सूट में मौसी का पेट नहीं दिखाई देता जबकि साडी में हल्का सा निकला हुआ पेट दिखाई देता है इसी कारन मौसी  (7)सलवार सूट जादा पहनती है | नवम्बर का महीना था एक दिन सुबह ११ बजे मौसी ने आवाज दिया तो मैं गया और बोला ‘जी मौसी सा ‘ तो मौसी कहती है कि ओये तू मौसी नहीं कहा कर भाभी बोला कर मुझे तेरे उम्र के मेरे चचेरे देवर है तो मैं बोला टीक है मौसी सा तो फिर से टोकी और बोली चल भाभी बोल तो मैं हस्ते हुए बोला हां भाभी सा बोलिये तो बोली जा एक क्रीम ला दे तो मैं बोला कौन से क्रीम नाम तो बताइये तो शर्माते हुए बोली कि यहाँ कि [कॉख कि तरफ इसारा किया] सफाई करनी है और १०० का नोट पकड़ा दिया तो मैं जाकर ‘इंफ्रच हेयर रिमूवर क्रीम ‘ लाकर दे दिया तो मौसी ने दरवाजा लगा कर अंदर घुस गई और ३० मिनट बाद बाहर निकली तो टू पीस वाला गाउन पहन रखा था जिसमे से गाउन के ऊपर का हिस्सा नहीं था मौसी इस गाउन में बहुत सेक्सी लग रही थी उनकी पूरी पीठ और बड़े बड़े बूब्स लाल रंग कि ब्रा और पेंटी दिखाई दे रही थी कंधे पर सिर्फ ब्रा कि तरह एक पतली सी रस्सी थी गाउन इतनी पतली थी कि अंदर कि लाळ रंग कि पेंटी साफ़ झलक रही थी ये सब देख कर मैं भी बाहर निकला सोचा कि मौसी सरमा जायेगी पर मौसी नहीं सरमाई बल्कि मेरे पास बाते करने लगी पर मेरी आँखे बार बार मौसी कि सेक्सी बूब्स कि तरफ चले जाते तब मौसी मुस्कुरा कर कहती कि क्या देख रहा है मेरी तरफ देख कर बात कर ना तो मैं झेप कर सरमा गया तो मौसी ने मेरे गाल में एक हल्की से चपत मारा और तिरछी नजर से देखते हुए मुस्कुरा कर चली गई जब मौसी अपने कमरे केपास पहुची तो एक बार फिर में मेरी तरफ पलट कर देखी मैं उस समय मौसी को ही देखे जा रहा था फिर मौसी अंदर घुस गई अब रोज मैं मौसी के सेक्सी जिस्म को किसी न किसी बहाने देखता एक दिन मैं रात को मकान मालिक और मौसी कि चुदाई देखा जिसमे मौसी अतृप्त थी मकान मालिक तो फुर्सत हो गए पर मौसी अभी भी जोर से टांगे दबाये हुए लेती थी बिस्तर पर | दिसंबर का महीना था एक दिन घर के सामने ही रोड पर एक ठेले से मौसी बड़े बड़े मोटे मोटे केले लेकर आई और मुझे आवाज दिया जब मैं गया तो बोली ले केले खायेगा बहुत अच्छे है तो मैं एक केला उठाकर खाने लगा और बोला कि बहुत अच्छे केले है मौसी तो बोली कि तूने फिर से मौसी कहा अब नहीं कहना फिर से टीक है ना बही तो पिटाई कर दुगी तो मैं कान पकड़ते हुए एक उठक बैठक लगाया और बोला सॉरी भाभी तो हसने लगी और बोली ले और खा ना फिर बेसर्मी से कहने लगी कि मोटे केले कि बात ही अलग है एक केला खा लो पेट भर जाता है तब मैं बोला कि केला तो केला है मोटा हो या पतला लंबा हो या छोटा तो मौसी बोली कि नहीं रे मोटे और लम्बे केले कि बात ही अलग होती है बहुत मजा आता है मोटा केला खाने में यह तो नसीब वाले को मिलता है तब मैंने बोला कि भाभी इसमें नसीब वाली बात कहा है जब मन पड़े खा लो बाजार से लाकर तो बोली कि बाजार में मिल जाते है पर जो केला मुझे चाहिए ओ नहीं मिलता तो मैं बोला कि आपको कौन सा केला चाहिए आप तो खूब खाती है केले रात में भी खाती है केले तो मौसी शरमाकर बोली तुझे कैसे पता कि मैं रात में खाती हु तो मैंने बताया कि मैंने देखा है आपको रात में केले खाते तो उदास हो कर बोली कि उस केले में अब मजा नहीं रहा अब ओ केला कमजोर पड़ गया तो मैं हसने लगा और बोला कि केला तो है पर आप उसे देख नहीं रही है और हसने लगा तो मौसी भी हसने लेगी ‘ एक दिन मौसी अपने रूम में साडी पहन रही थी तब मैं अचानक पहुच गया और मौसी को पीछे से देखने लगा मौसी ड्रेसिंग टेबल में कॉंच के सामने साडी पहन रही थी मैं मौसी को पीछे से बहुत देर तक देखता रहा मौसी पीछे से बहुत ही सेक्सी लग रही थी मौसी ने मुझे कांच में देख लिया पर जान बूझकर नहीं घूमी मैंने मौसी को भर पेट देखा कुछ देर में मौसी पलटी और मेरे तरफ देख कर बोली क्या देख रहा है तो मैं सर्मा गया कुछ नहीं बोला नीचे कि तरफ देखने लगा इतने में मौसी मेरे पास आई और गाल में एक चपत मारा और बोली तुझे मैं अच्छी लगती हु तब भी मैं कुछ नहीं बोला तो मौसी बोलती है ले इधर भी देख ले मन को सन्ति मिल जायेगी तुझे तब मैं मौसी कि तरफ देखने लगा मौसी ने साडी का पल्लू नहीं लिया था और ब्लाउज का एक हुक भी नहीं लगा था मौसी के बड़े बड़े आधे बूब्स दिखाई दे रहे थे मैंने मौसी कि तारीफ किया बोला कि भाभी आप बहुत सुन्दर है और इस तरह से मेरे और मौसी के बीच में अब बड़ी बेसर्मी से बाते होने लगी मौसी चुदाने के लिए मन ही मन तैयार हो गई बस मोके की तलास है और बह मोका एक दिन मिल गया |

३ जनवरी कि बात है आज भाभी और मीना कही जा रही है तैयार होकर पूछा तो पता चला कि भाभी के मायके में सादी है किसी कि इस कारण जा रही है ‘ मैं तो मन ही मन खुस हो गया कि अब मौसी को चोदने का मोका मिल जायेगा ‘ एक दिन क्या हुआ कि मकान मालिक के मकान में रात में चोरी हो गई चोरो ने घर वालो को मारा भी खूब इस कारण मौसी खूब डरी हुई थी उसी समय पर माकन मालिक कि रात में १२ बजे से डूटी हो गया और मेरी डूटी ४ बजे हो गई माकन मालिक जाते और मैं रात को १२.३० तक आ जाता मौसी एकात दिन तो सो गई अकेले पर ५ जनवरी कि रात को मैं जैसे ही आया चैनल गेट का ताला खोला तो ताला खोलते ही मौसी आ गई और बोली कि अभी कुछ देर पहले कोई ताला तोड़ने की कोशिस कर रहा था मैं बोला मुझे तो कोई नहीं दिखाई दिया ईतना कह कर ताला लगाया और वापस आ गया अपने कमरे मेंचेंज कारने लगा कपड़ा और बिस्तर पर लेट गया तो किचेन कि तरफ से मौसी ने दरवाजा ठोका और धीरे से बोली कि महेंद्र मेरे कमरे में आकर सो जा मैं डर रही हु अकेली तो मैं बोला कि बीच का दरबाजा खोलो भाभी आ जाउगा तो मौसी ने कहा कि चाबी नहीं है मेरे पास [जबकि मेरे पास चाबी थी मैं जान बूझकर नहीं दिया मौसी को] तो मैं बोला कि आगे कि तरफ से आउगा तो कोई देख लेगा तो मौसी ने कहा कि रात में कोई नहीं देखेगा तू तो आ जा तब मैं चुपचाप मौसी के कमरे में जाकर लेट गया दूसरे बेड पर उस समय पर बहुत भयंकर ठंडी पड़ रही थी पर मौसी का कमरा गर्म था क्योकि मौसी ने दरवाजे लगाकर रूम हीटर ऑन कर रखा था ,मुझे नीद तो नहीं आ रही थी पर आगे होकर मौसी कि तरफ बढ़ने कि हिम्मत भी नहीं पड़ रही थी जबकि मौसी पके हुए फल कि तरह टपकने को तैयार है पर मौसी मेरी जीभ को चूसने लगी कुछ इस तरह से मैं चुपचाप एक कम्बल ओढ़कर लेटा रहा रात में करीब २ बजे तक हलकी ठण्ड लगी तो तो रजाई खीचकर ओढ़ने लगा तो देखा कि हीटर बंद है फिर मैं रजाई ओढ़कर लेट गया रात में २.३० बजे भाभी ने आवाज दिया और बोली कि मुझे ठंडी लग रही है तू मेरे पास आजा ना ,मैं तो इस पल का कबसे इन्तजार कर रहा था मैं जल्दी से उठा और मौसी के बेड पर पहुच गया ,पहुचते ही मौसी ने अपनी रजाई में दुबका लिया मुझे ,मैं जाते ही मैं मौसी से चिपक गया और किस करने लगा पर मैं ये देख कर हैरान रह गया कि मौसी इतनी ठंडी में भी सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही लेटी हुई थी बेड पर ‘ मौसी के ब्रा का हुक खोल दिया और मैं भी मौसी के बूब्स मसलने लगा ‘ मौसी के बूब्स बड़े बड़े थे दू हाथ से पकड़ने पर भी हाथ में नहीं समा रहे थे ,बूब्स कड़क थे इस उम्र में भी मौसी के बूब्स ज़रा सा भी नहीं लटके हुए थे मैं मौसी के बूब्स को चूसने लगा मौसी मेरे सर पर जांघो पर हाथ घुमाने लगी ‘ मेरे जीभ को चूसने लगी मैं मौसी कि जांघो में हाथ घुमाने लगा मौसी जोर जोर से मेरे को किस करने लगी और मेरे सभी कपडे उतारने लगी और एक एक करके सभी कपडे उतार कर नंगा कर लिया मुझे और लण्ड को पकड़ लिया और हाथसे सहलाने लगी और धीरे से उलटा लेटते हुए मेरे लण्ड को मुह में डाल लिया और लण्ड को चूसने लगी मैं भी उलटा होकर मौसी चूत को चाटने लगा मौसी गर्म पड़ने लगी तो मौसी को पीठ के बल लिटा दिया और मौसी के ऊपर चढ़ गया मौसी दोनों टांगो को फैला दिया और में बूब्स को चूसने लगा मौसी लण्ड को खिलाते खिलाते अपनी चूत में डालने लगी तो मैं एक हल्का से झटका दिया और लण्ड मौसी कि चूत में घुस गया मौसी कि उम्र के हिसाब से चूत ढीली नहीं थी बल्कि चूत हलकी सी टाइट थी ,मौसी ने दोनों हाथो को मेरे कमर डाल कर पकड़ लिया झटके मारने लगा मौसी उ उ उ उ उ अ अ अ अ आ अ अ हा अह अह अह आहाह आह अह सी सी सी कि आवाज निकलने लगी मौसी ने अपनी चूत को टाइट कर लिया और बड़े मजे के साथ चुदवाया |

मै मौसी को तब तक चोदता रहा जब तक मौसी सांत नहीं हो गई मौसी ने सभी आसनो में चुदवाया और मौसी को लगातार २० दिनों तक चोदता रहा फिर मन्नू और भाभी गई और मौसी कि चुदाई का सिलसिला बंद हो गया ,फिर मोका देख देख कर बारी बारी से मीना और भाभो को ३ साल तक चोदा ,मीना कि सादी हो गई २००२ में मेरी भी सादी हो गई पर रीमा भाभी को बीच बीच में बाहर होटलो में ले जाकर चोदता रहा आज भी कभी कभी रीमा भाभी को बाहर होटल में लेजाकर चोदता हु |

तो मित्रो ये कहाँ यही पर समाप्त कर रहा हु आप लोगो को मेरी कहानी जैसी भी लगी प्लीज कमेंट जरुर कीजियेगा |


समाप्त
 
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