Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला - Page 13 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला

मेरी नज़र शोभा दीदी से हट ही नही रही थी. पर आंटी की बात मैं टालना नही चाहती थी......आख़िर कार एक नई चूत का रस पीने को मिल रहा था. आंटी की चूत काफ़ी खुली हुई थी और उसके होंठ भी काफ़ी काले थे. गोरी जांघों के बीच काली चूत काफ़ी अलग से दिख रही थी. आंटी की चूत पे हल्के बाल थे और चूत रस से चमक रही थी. बाबूजी का लंड छोड़ के मैने अपनी जीभ उनकी चूत की फांकों पे फेरनी शुरू कर दी. आंटी ने टांगे खोलते हुए साइड में झुक के बाबूजी का सुपाडा मूह में भर लिया. मेरी नज़रें शोभा दीदी पे थी और जीभ चूत में. बाबूजी मेरे और आंटी के चूचे मसल्ते हुए आराम से लंड चुस्वाते हुए विस्की पी रहे थे.

शोभा दीदी कुतिया बनी हुई तीनो भाईओं को रिझा रही थी. तीनो एक तरफ खड़े थे और लंड मसल रहे थे. दीदी एक एक करके सबके लोड्‍े चूस रही थी और बीच बीच में अपने घुटनो पे खड़े होके अपने मम्मे दबवा रही थी. एक भाई उनके मम्मे दबाता तो दूसरे का लंड उनके मम्मो की दरार में घुस जाता जिसपे वो अपनी लार टपका देती. शोभा दीदी के मम्मे पूरे थूक से भरे हुए थे. फिर सुजीत भैया ने उनके कान में कुच्छ कहा और दीदी ज़ोर से हँसी और फिर उन्होने हां में सिर हिलाया. उनके हां कहते ही भैया उनके पिछे गए और उनकी गान्ड का सूराख खोल के उसको देखने लगे. फिर आगे बढ़ के दीदी के कान में कुच्छ कहा तो दीदी ने मुस्कुरा के सिर हिलाया. भैया लॅडीस के कमरे की तरफ बड़े और एक क्रीम की ट्यूब लेके वापिस आए और फिर मेरे देखते हुए उन्होने ट्यूब का आगे का हिस्सा दीदी की गान्ड में घुसा के ट्यूब को दबाया. पॅच की आवाज़ के साथ ढेर सारी क्रीम दीदी के छेद में घुस गई.

फिर भैया ने थोड़ी क्रीम अपने लंड पे लगाई और अच्छे से मल के उसे चिकना किया. धीरे धीरे उन्होने दीदी की गान्ड में अपना मोटा लंड पेलना शुरू किया. मेरे साथ साथ सरला आंटी भी उन्हे गौर से देख रही थी. सुजीत भैया का लंड आंटी ने बहुत बार गान्ड में लिया था और अब दीदी को लेटा देख के वो बहुत बुरी तरह से गरमा गई और कम्मो की ज़ुबान को चूत में घुस्वा के उसपे झाड़ गई. कम्मो उनके रस से वंचित रही थी तो उसकी लप्लपाति जीभको जैसे अमृत मिल गया. कम्मो ने भी अपनी चूत में उंगलियाँ घुसाइ हुई थी और वो भी झरने की कगार पे थी. तभी बाबूजी की नज़र उसपे पड़ी और उन्होने इशारे से उसे पास बुलाया. लड़खड़ाती हुई कम्मो हम लोगों के नज़दीक पहुँची तो बाबूजी ने झट से उसकी चूत पे आंटी का मूह लगवा दिया और उसकी गान्ड में अपनी जुड़ी हुई उंगली को थूक से गीला करके घुमाना शुरू कर दिया. मैने भी आंटी की चूत छोड़ी और कम्मो की चूत की तरफ अपना मूह बढ़ा दिया.

आंटी शायद पहली बार चूत चूस रही थी इसलिए नौसिखिए खिलाड़ी की तरह वो होठों और दांतो और जीभ का इस्तेमाल कर रही थी पर मेरी जीभ ने अपना कमाल दिखाया और कम्मो बाबूजी पे ढेर होती हुई झरने लगी. उसकी थिरकति हुई गान्ड में बाबूजी की उंगलियाँ ज़ोर से चलती रही और कम्मो सिसकियाँ लेती हुई झर रही थी. मैने मौका देखा और आंटी के सिर को धक्का मार के उसकी चूत से चिपका दिया. जबरदस्त सीन बन गया. आंटी का मूह लबालब भर गया और उनका चेहरा चमक उठा. मैं उनके मूह के आस पास चाटने लगी. कम्मो बाबूजी के लंड को पकड़ के सहारा लिए खड़ी खड़ी काँपती रही. बाबूजी उसकी गान्ड में उंगली डाल के मेरे और आंटी को देखते रहे. करीब 20 - 25 सेकेंड के बाद बाबूजी ने खड़े होके कम्मो के चुम्मे लिए और फिर उसे वापिस सरला आंटी की तरफ भेज दिया. अब तक मैं और कविता आंटी घास में लेटे हुए एक दूसरे से घुत्थम गुथ्हा हो चुके थे. मैं आंटी के ऊपेर के हिस्से को बेतहाशा चूम रही थी और उनकी चूत को उंगली से रगड रही थी. आंटी भी ऑलमोस्ट रेडी थी और मेरी उँगलिओ के ज़ोर से उनकी चूत भी झरने लगी. मुझे 2 मिनट में ही दो चूतो का रस पीने को मिल गया. कम्मो का स्वाद लेने के बाद आंटी का स्वाद काफ़ी अलग लगा. 

अच्छे से चाट लेने के बाद मैने मूह में रोका हुआ रस आंटी के साथ आदान प्रदान किया. आंटी मेरे होंठ और ज़ुबान को चूस्ते हुए मेरे मम्मे दबा रही थी. बाबूजी शायद जानते थे कि मैं भी रेडी हूँ. उन्होने मेरी चूत में पिछे से लंड पेला और थोड़े से घस्से मारे. साथ ही उन्होने मेरे दाने को छेड़ा. मैं भी सिसक पड़ी और झड़ने लगी. आंटी ने अपनी पोज़िशन बदली और थोड़ी जगह बना के मेरी चूत के आस पास अपना मूह लगा लिया. काफ़ी सारा रस मेरी जांघों पे लगा और वो उसे भी चाट्ती रही. मैं मज़े लेके हटी ही थी कि बाबूजी ने लंड बाहर खींच लिया. मैने घास में बैठ के अपनी पोज़िशन बनाई और गान्ड हवा में उठा के टांगे खोलते हुए आंटी को चाटने को दे दी. आंटी को भी तीसरी चूत का रस पीने को मिला और वो बीच बीच में मेरी चूत कुरेद रही थी.

बाबूजी वापिस कुर्सी पे जाके बैठ गए और आराम से लंड को हिचकोले देते हुए विस्की पीने लगे. मैं तो अच्छे से झर के वहीं लेट गई पर शायद आंटी की चूत में खुजली ज़्यादा थी. और बात भी सही थी.....उनका तो पहला सामूहिक चोदन था तो ऐसा तो होना ही था. आंटी इठलाती हुई बाबूजी के पास पहुँची और फिर उनकी गोद में बैठ के उनके ग्लास से विस्की पीने लगी. बाल झटकते हुए उन्होने खिलखिलाते हुए बाबूजी के लंड को छेड़ा और पुछा कि क्या उन्हे झरने का मन नही कर रहा. बाबूजी ने कहा कि थोड़ी देर में वो उन्हे चोदेन्गे और झरेंगे पर तब तक क्या आंटी को कुच्छ और चाहिए. 

कविता आंटी - हां भाई साब देखिए ना सब कितना चिहुनक चिहुनक के चुदाई में मगन हैं ....देखिए ना कैसे सखी सिसकियाँ मार रही है और मुझे लगता है कि राज भी जल्दी ही झरेगा. ऐसा करते हैं जब तक हम चुदाई नही करते तब तक हम लोग सबके बीच बारी बारी घूम के मज़ा ले लें और दे दें. मुझे ना इनको छोड़ के बाकी सभी के लंड चूसने का मन कर रहा है. क्या कहते हो आप. तो दोस्तो इस तरह पारवारिक संभोग चलता रहा किसने किसको चोदा किसने किसका लंड लिया किसने किसकी चूत ली ये बताना ज़रा मुश्किल है हां पर एक बात है सबने सबकी चुदाई की और मज़ा लिया . बाबूजी ने अपनी तीनो बहुओ से किया वादा पूरा किया दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा .
 
Back
Top