Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास - Page 3 - SexBaba
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Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास

मुझे उनकी बातो से बड़ा मज़ा आया मेरी रूचि उनके प्रति बढ़ गई और मैने उनसे पूंच्छा,

मे- यार रामू ये चिलम पीने मे क्या मज़ा आता होगा इसके बजाय तो एक दो क्वाटर मार लिया करो,

हरिया अपने लंड को सहलाते हुए कहता है, बाबू जी एक बार पी कर देखो आपको हम मस्त ना कर दे तो कहना,

मैने कहा अच्छा ऐसी बात है मैने उनके हाथ से चिलम ले कर पीना शुरू कर दिया

वाकई मे उसका नशा मदहोश कर देने वाला था, मैं अपनी मस्ती मे मस्त था और वह दोनो भी नशे मे

मस्त हो रहे थे,

मैने पूंच्छा रामू इस गाँव मे औरते नज़र नही आती यहाँ कम औरते है क्या,

रामू- अरे नही साहेब बहुत औरते है गाँव मे तो,

हरिया- अरे साहेब दो औरते तो रामू के यहाँ ही है,

मैने हस्ते हुए पुंच्छा क्यो रामू कौन-कौन है तुम्हारे घर मे,

रामू- साहेब घर मे तो मा है दो बहन है

हरिया- बड़ी वाली अभी ब्याह कर ससुराल गई है पर छ्होटी है यहाँ,

मैं उनकी बातो से अंदर ही अंदर मस्त हो रहा था, 25 साल की उमर हो चुकी थी और अभी कुँवारा था इस लिए भी

जोश मे जल्दी ही आ जाता था,

वो दोनो आपस मे बाते कर रहे थे उन्हे शायद ऐसा लगा जैसे ये साहेब कोई अपने ही हो और वह बे धड़क

अपने घर के लोगो की बाते बड़े ओपन तरीके से करने लगे थे,

रामू- साहेब-साहेब ये हरिया काका के यहाँ भी दो औरते है

मैने कहा अच्छा हरिया काका के यहाँ कौन-कौन है

रामू- अरे इनकी बीबी, इनकी दो बेटियाँ,

मैने कहा अच्छा आप ही लोग खेतो मे काम करते हो या घर की औरते भी करती है,

हरिया- अब साहेब बिना औरतो के तो काम हो नही सकता ना,

उस दिन हरिया और रामू से मिलने के बाद मुझे बड़ा ही अच्छा लगा और अगले दिन मैं सुबह ही आ गया मैने काम

शुरू करवाने के बाद उसी पेड़ की ओर चल दिया जहा हमेशा बैठता था, तभी मुझे सामने से रामू आता हुआ

दिखाई दिया, मैं मन ही मन खुस हो गया,

मैने रामू के पास आते ही उससे कहा, आओ रामू क्या हाल है तुम्हारे,

रामू- बैठते हुए बस साहेब आज कोई काम नही था खेत मे तो सोचा आपके पास चल कर बैठता हू,

मैने कहा अच्छा किया रामू जो तुम आ गये, मैं भी पूरा दिन अकेला बोर हो जाता हू,

तभी रामू ने मेरे बगल मे रखी राज शर्मा की किताब उठा कर देखी और कहने लगा साहेब यह तो चुदाई की

कहानियो वाली किताब है ना,

मैने कहा हाँ लेकिन क्या तुम ऐसी किताबे पहले पढ़ चुके हो,

रामू- हाँ साहेब मैं पहले एक दो बार पढ़ा हू, बहुत मज़ा आता है साहेब,

मैं समझ गया कि रामू रोमांटिक बातो से जल्दी औकात मे आ जाता है,

फिर मैने कहा रामू यह किताब जो भी लिखता है वह परिवारिक रिश्तो पर ही क्यो लिखता है जब कि यह सब तो झूठ

लगता है,

रामू- अरे नही साहेब कुछ झूठ नही रहता है, आप ही बताओ जब कही आग लगेगी तो ही धुआ उठेगा ना

मे- वो तो ठीक है रामू पर मैने तो ऐसे किस्से बस किताबो मे ही पढ़े है,

रामू- मुस्कुराते हुए आप फिकर ना करो बाबू जी अब आप हमारे गाँव मे आ गये हो ना अब आप ऐसे किस्से रोज

सुनोगे,

मे- क्यो क्या तुम्हारे गाँव मे ऐसे किस्से सुनने को मिलते रहते है

रामू- मुस्कुराते हुए अरे साहेब एक दो घूँट मारने पर बात करने का मज़ा नही आता है किसी दिन एक पाव केवल

हमे ही पिलवा दो तब हम दोनो की महफ़िल जमेगी, फिर मैं आपको विस्तार से बताउन्गा कि कैसे हम लोग मज़े मारते

है,

उस दिन मुझे लगा यह रामू और हरिया जितना नज़र आते है वह बहुत थोड़ा है और अगर उसे सब कुछ जानना है

और मस्ती मारना है तो रामू के संग बैठक जमानी ही पड़ेगी.....

अगले दिन मैं रामू के साथ बैठ कर बाते करने लगा और

मैने मोका देखते हुए पुंच्छा रामू अभी तक तुमने किस-किस को चोद लिया है,

रामू- मुस्कुराते हुए मेरे क्वाटर को देख कर साहेब हमारे लिए नही है क्या, मैने हस्ते हुए रामू को उठा

कर दे दी और फिर मैने कहा हाँ तो रामू तुम क्या बता रहे थे,

रामू- यही साहेब कि हमने तो बहुत चूत ठोकी है, हम तो ठोंक-ठोंक के मस्त हो जाते है,

मैने उसकी बातो को सुन कर अपनी बोतल उसको थमा दी, उसने फिर एक घूँट मारा और फिर खुद ही कहने लगा

साहेब मैने सबसे ज़्यादा तो अपनी बहन रमिया को चोदा है, मैं रामू के मूह से ये बात सुनते ही मस्त हो गया

और फिर दो पॅलो बाद ही मेरे लंड को ऐसा झटका लगा कि क्या बताऊ पानी छूटते हुए बचा,

पहली बात तो यह जान

कर हैरानी हुई कि रामू अपनी बहन को चोद्ता है और दूसरी बात फिर मुझे एक दम से मेरी अपनी बहन संगीता

याद आ गई, संगीता मुझसे दो साल छ्होटी है वह 23 की और मैं 25 का हू,

मैने पुंच्छा रामू तुम क्या अपनी बहन को रोज चोद्ते हो,

रामू- हाँ साहेब वह तो दिन भर हमारे साथ खेत पर ही रहती है ना, दिन भर उसको नंगी करके पकड़े रहते है

अपनी झुपदिया मे बहुत मज़ा आता है साहेब, बहुत प्यार से चुदवाती है हमसे, उसकी बात सुन कर मेरा लंड

पूरा तन चुका था, मैने पुंच्छा कितने साल की है तुम्हारी बहन तो बोला 17 साल की,

रामू- क्या बताऊ साहेब गाँव मे तो ऐसे ही मज़े रहते है,

मे- रामू रमिया के अलावा और किसको चोदा है तुमने

रामू- साहेब उसके बाद तो हमने सबसे ज़्यादा अपनी बहन निम्मो को चोदा है बहुत मस्त माल है साहेब,

मे- तुमसे बड़ी है ना निम्मो

रामू- हाँ साहेब अब तो उसकी शादी हो गई अभी ससुराल मे है पर आएगी कुच्छ दिनो मे,

मे- क्या बहुत मस्त दिखती है निम्मो

रामू- हाँ साहेब बहुत जोरदार दिखती है मस्त चुदाई की थी उसकी हमने इन्ही खेतो के बीच,

रामू- अच्छा साहेब आपके घर मे कौन-कौन है, मैने उसे बताया कि मेरी एक 45 साल की तंदुरुस्त मा है और

एक 23 साल की गदराई हुई बहन है और मैं हू हम तीन लोग,

रामू- तो साहेब आपकी मा की हालत भी मेरी मा की तरह ही है,

मैने कहा हाँ रामू पर क्या करे,

रामू- साहेब आपने कभी किसी को चोदा है,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--18

गतान्क से आगे......................

मे- नही रामू मैं तो अभी तक कुँवारा हू,

रामू हस्ते हुए क्यो साहेब आपकी बहन अच्छी नही लगती क्या आपको, मैने कहा अभी-अभी तुम्हारी बात सुन कर

अच्छी लगने लगी है रामू, और फिर हम दोनो हस्ने लगे, उस दिन रामू ने मुझे शुरू से लेकर आखरी तक एक-एक

बात बता दी और मैं हरिया और रामू की बाते सुन कर दंग रह गया मुझे लगा जैसे रामू मुझे राज शर्मा की कोई

कहानी पढ़ कर सुना रहा हो,

मेरा लंड उसकी बाते सुन कर पूरी तरह तन चुका था,

रामू- हस्ते हुए साहेब ऐसे लंड मसल्ने से कुछ नही होगा किसी दिन अपनी बहन को भी हमारे खेतो के गन्ने

चुस्वा दो बड़े मीठे गन्ने है,

मे- हस्ते हुए अच्छा जैसे तुमने अपनी बहनो को चुस्वाए है,

उस दिन रामू की बातो से ऐसा लगा जैसे मस्तराम कुछ ग़लत नही कहता है, मेरे ख्यालो मे बस मेरी बहन

संगीता ही आने लगी मैं जैसे ही घर पहुचा संगीता और मा मेरा इंतजार ही कर रही थी,

संगीता- लो मम्मी नाम लिया और शैतान मेरा मतलब है भैया हाजिर हो गये

मे- संगीता की बाँहे पकड़ कर मोदते हुए, क्या कहा तूने

संगीता- आह ओह भैया सॉरी-सॉरी अब नही कहुगी प्लीज़ छ्चोड़ दो ना, मम्मी देखो ना भैया को मेरा हाथ

टूट जाएगा,

मे- पहले बोल अब बोलेगी

संगीता- नही भैया कसम से

मे- अच्छा ठीक है और फिर जैसे ही मैने उसे छ्चोड़ा वह धीरे से खड़ी हुई और मैं जैसे ही सोफे पर बैठा वह

मुझे अपनी जीभ निकाल कर चिड़ाते हुए शैतान कही के कहने लगी मैं जैसे ही उसे पकड़ने के लिए लपका वह

खिलखिला कर हस पड़ी और बाहर की ओर भाग गई,

मैं वापस बैठ गया और मम्मी हम दोनो को देख कर मुस्कुरा रही थी, तभी संगीता एक बार फिर से हमारे

सामने से जल्दी से निकल कर अंदर के रूम मे चली जाती है और मैं उसे देख कर मम्मी की ओर देखता हू और

कहता हू मम्मी बहुत शैतान हो गई है संगीता,

रति- शैतान भी हो गई है और साथ ही साथ जवान भी हो गई है अब तू जल्दी से कोई लड़की देख कर शादी कर ले तो

इसकी भी शादी के बारे मे सोचा जाए, मेरी मम्मी ने सामने बालकनी मे खड़ी संगीता की ओर देख कर कहा,

मैने जब संगीता की ओर देखा तो मेरा लंड खड़ा हो गया क्यो कि वह जीन्स पहने हुए अपनी मोटी गंद उठाए

बालकनी का सहारा लेकर बाहर का नज़ारा देख रही थी, मैं मम्मी का इशारा समझ गया था क्योकि मम्मी उसकी

गुदाज और भारी गंद और मोटे-मोटे दूध को देख कर ही मुझे उसकी जवानी का एहसास करा रही थी,

वाकई मे संगीता की मोटी-मोटी जंघे और बड़े-बड़े उठे हुए चूतादो को देख कर मुझे मजबूरन अपने लंड

को एक बार मम्मी की नज़रे बचा कर सहलाना पड़ा,
 
रति- चल बेटे हाथ मूह धो ले मैं तेरे लिए चाइ बना कर लाती हू, कुछ देर बाद मम्मी चाइ बना कर ले आई और

मेरे सामने खड़ी हो गई, मैं रामू के बारे मे सोचता हुआ खोया हुआ था तभी मेरे सामने मासल उठा हुआ

गोरा पेट और खूब गहरी नाभि आ गई तब मुझे ध्यान आया कि सामने मम्मी चाइ लेकर खड़ी है,

मैं एक टक

मम्मी का चिकना उठा हुआ पेट देख रहा था और मुझे ध्यान नही था कि मेरा दूसरा हाथ अपने लंड पर रखा

हुआ था, मैने हड़बड़ा कर चाइ ली और मम्मी को देख कर मुस्कुरा दिया, मम्मी मेरे सामने ही बैठ गई और

मैं ना चाहते हुए भी मम्मी के मस्ताने जिस्म पर एक नज़र मार कर चाइ पीने लगा,

रति यानी मेरी मा 42 की थी लेकिन बहुत

मस्त माल थी मम्मी का पूरा बदन कसा हुआ था और उनका भरा हुआ गोरा बदन मोटी गंद और भारी चूतादो

को देख कर किसी का लंड पहली नज़र मे ही खड़ा हो जाए,

मैने चाइ ख़तम की और फिर छत पर जाकर सिगरेट पीने लगा तभी पिछे से संगीता आ गई, संगीता बहुत

चुलबुली और नटखट थी वह हमेशा शरारत के मूड मे ही रहती थी, मैने जब कश खींच कर धुआ छ्चोड़ा

तो संगीता मेरे मूह के पास आ गई और बोलने लगी,

संगीता- लाओ सांभा एक कश हमे भी पिला दो और मुस्कुराते हुए मेरे चेहरे की ओर देखने लगी, मुझे नही

पता उस समय क्या हुआ मैं बहुत बैचैन था और जब संगीता का खूबसूरत चेहरा एक दम से मेरे सामने आया

तो मैने बिना कुछ सोचे समझे उसका मूह पकड़ कर उसके होंठो को एक दम से चूम लिया,

संगीता शायद मेरी इस हरकत के लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी और वह मेरी इस हरकत से सकते मे आ गई और

मुझे थोड़ा सा धक्का देते हुए वहाँ से भाग कर नीचे चली गई,

मैं थोड़ा डर गया और सोचने लगा कही संगीता मम्मी से कह देगी तो मम्मी पता नही क्या सोचेगी ऑफ हो

मैने यह क्या हरकत कर दी, अब मैं क्या करू, मैं नीचे जाने मे भी घबरा रहा था,

मुझे खड़े-खड़े

काफ़ी देर हो गई लेकिन मैं नीचे जाने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था, तभी मेरे कानो मे आवाज़ सुनाई दी

संगीता- भैया चलो खाना खा लो मम्मी बुला रही है इतना कह कर संगीता पलट कर जाने लगी

राज- संगीता सुन तो लेकिन वह नही रुकी और सीधे नीचे चली गई, मैं धीरे से नीचे गया और जैसे ही मैं खाने की

टेबल के पास गया अचानक मम्मी ने कहा

रति- राज यह क्या हरकत है

मम्मी के मूह से इतना सुनना था कि मैं पसीने से भीग गया और जैसे ही मैने मम्मी की ओर देखा

मम्मी ने कहा

राज हम कब से तुम्हारा वेट कर रहे है और तुम हो कि छत पर टाइम पास कर रहे हो,

मम्मी की बात सुन कर मुझे थोड़ी राहत मिली और मैने जब संगीता की ओर देखा तो वह मेरी तरफ गुस्से से देखती हुई खाना खाने लगी, उस समय संगीता बहुत खूबसूरत लग रही थी और मेरा दिल कर रहा था कि उसका मूह पकड़ कर चूम लू, मैं चुपचाप खाना खाने लगा और बीच-बीच मे नज़रे उठा कर संगीता और मम्मी को देख लेता था,

खाना खा कर मैं वापस छत पर जाकर सिगरेट पीने लगा और यह सोच कर और भी खुस हो रहा था कि मैने संगीता के होंठ चूम लिए लेकिन उसने मम्मी से कुच्छ नही कहा, उस रात मैं रात भर अपनी कल्पनाओ मे अपनी बहन की मस्त जवानी से खेलता रहा, और अपनी बहन को पूरी नंगी देखने के लिए मेरा मन तड़पने लगा,
 
अगले दिन मैं फिर से साइट पर पहुच गया और काम शुरू कर दिया, उस दिन शाम को 4 बज गये लेकिन हरिया या रामू कोई भी मुझे नज़र नही आया, मैने सोचा चलो मैं ही रामू के गन्ने के खेतो की ओर चलता हू और फिर मैं जैसे ही रामू के गन्ने के खेत के पास पहुचा तब मैने देखा रामू आराम से खाट पर लेटा था और रमिया उसके पास बैठी उसका लंड सहला रही थी,

अचानक रमिया की नज़र मुझ पर पड़ी और वह रामू के लंड पर लूँगी डाल कर एक दम से खड़ी हो गई उसे खड़ी होते देख रामू का ध्यान मेरी ओर गया और वह भी एक दम से उठ कर बैठ गया,

रामू- अरे बाबू जी आप आओ, आओ बाबू जी यहाँ इस खाट पर बैठो

राज- और रामू कैसे हो, आज तुम दिन भर से नज़र नही आए तो मैने सोचा मैं ही रामू से मिल आता हू

रामू- बहुत अच्छा किया साहेब जी, अरे रमिया जा बाबू जी के लिए पानी लेकर आ

रामू की बात सुन कर मेरे आश्चर्या का ठिकाना नही रहा, और मैने रामू से पुछा

राज- रामू क्या यही तुम्हारी बहन रमिया है

रामू- हाँ बाबू जी

राज- पर रामू यह तो बहुत छ्होटी है, मेरा अनुमान अपनी संगीता के हिसाब से रामू की बहन के बारे मे था लेकिन मेरी बहन तो एक दम पटाखा थी अगर उसे साडी ब्लौज पहनकर मम्मी के साथ खड़ी कर दो तो मम्मी की छ्होटी बहन नज़र आती,

मैने जब रामू से कहा रामू यह तो बहुत छ्होटी है यह तुम्हारा लंड कैसे लेती होगी

रामू- मुस्कुराते हुए बाबू जी कोई छ्होटी नही है उसका बस नही चले नही तो वह आपको भी पूरा अपनी चूत मे घुसेड ले, बड़े मस्त तरीके से अपनी चूत मरवाती है और आपका लंड तो खड़े-खड़े अपनी चूत मे भर लेगी,

तभी रमिया पानी लेकर आ गई मैने उसे फिर एक बार उपर से नीचे तक घूर कर देखा वह बड़ी मस्त नज़र आ रही थी मुझे लगा इसे तो अपने लंड पर बैठा कर खड़े-खड़े चोदने मे मज़ा आ जाता होगा, रमिया के जाने के बाद मैने अपनी जेब से एक बोतल शराब निकाल कर रामू को देते हुए लो रामू आज रात को तुम्हारी पार्टी का इंतज़ाम मैने कर दिया है,

रामू- बोतल देख कर खुस होते हुए वाह साहेब आज तो रात को मज़ा आ जाएगा.

राज- रामू आज मेरा मूड चिलम पीने का हो रहा है पिलाओगे नही

रामू- क्यो नही साहेब आप यही बैठिए मैं हरिया काका से ले कर आता हू तब तक आप हमारी बहन रमिया से बाते कीजिए,

राज- तुम्हारी बहन मुझसे बाते करने मे घबराएगी तो नही

रामू- साहेब गाँव की लोंड़िया है देख लो कोशिश करके नही तो फिर मैं आ ही रहा हू थोड़ी देर मे

मैने इशारे से रमिया को अपने पास बुलाया तो उसने मुस्कुराते हुए मुझे अपनी जीभ निकाल कर मूह चिढ़ाया और हरिया के खेत की ओर भाग गई मैं बस उसे पुकारता ही रहा कि अरे रमिया सुन तो ज़रा लेकिन तब तक वह खेत पार कर चुकी थी, मैं मन ही मन मुस्कुरा दिया और वही चारपाई पर लेट गया, कुछ देर बाद मुझे रामू और

हरिया दोनो आते हुए नज़र आए और मैं उठ कर बैठ गया,

हरिया- का हाल है बाबूजी आज इधर का रास्ता कैसे भूल गये

राज- अरे हरिया तुम्हारी चिलम की याद मुझे यहा तक खेंच लाई है,

हरिया- अरे रामू हम माचिस तो खाट पर ही भूल आए जाओ ज़रा दौड़ कर लेते आओ

रामू वापस हरिया के खेत की ओर चल दिया और हरिया वही ज़मीन पर बैठ कर मुझसे बाते करने लगा,

राज- अरे हरिया रामू तो कहता है उसने रमिया को खूब ठोंका है पर रमिया तो बहुत छ्होटी है

हरिया- मैं समझ गया साहेब आपको बड़े-बड़े चूतादो और बोबे वाली भारी माल पसंद आते है, अगर माल ही देखना है साहेब तो सबसे तगड़ा माल तो इस गाँव मे एक ही है,

राज- वह कौन

हरिया- अरे साहेब और कौन अपने रामू की मा सुधिया ही तो है जो हमेशा मेरे लंड को तरसती रहती है,

राज- क्या बात कर रहे हो हरिया रामू ने तो कभी बताया नही

हरिया- अरे साहेब वह क्यो बताने लगा उसकी तो मौज है दिन भर यहाँ छ्होटी बहन रमिया को चोद्ता है और रात को अपनी मा सुधिया पर चढ़ कर उसे चोद्ता है,

हरिया की बात सुन कर मेरे तो होश उड़ गये,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--19

गतान्क से आगे......................

राज- क्या कह रहे हो हरिया, रामू अपनी मा को भी चोद्ता है,

हरिया- अरे साहेब उसकी मा है ही इतना मस्त माल कि अगर उसकी मा के जैसी गदराई जवान घोड़ी आपकी खुद की मम्मी भी होती तो आप अपनी मम्मी को पूरी नंगी करके खूब कस-कस कर चोद्ते, हरिया की बात सुन कर मेरे ख्यालो मे मेरी मम्मी रति मुझे पूरी नंगी नज़र आने लगी और मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया,

राज- क्या बहुत मस्त नज़र आती है रामू की मा

हरिया- अरे साहेब मैं तो उसकी मा की मोटी गंद देख कर मस्त हो जाता हू सच साहेब मैं जब भी अपनी बीबी को चोद्ता हू मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं सुधिया को ही चोद रहा हू,

राज- मतलब तुम रामू की मा को चोदना चाहते हो

हरिया- चाहता तो हू साहेब पर रामू ने कभी मेरे दिल के हालत को समझा ही नही

राज- अगर मैं तुम्हारा काम करवा दू तो मुझे क्या मिलेगा

हरिया- साहेब जी सुधिया जैसी रंडी को चोदने के लिए हम कुच्छ भी कर सकते है आप चाहो तो हमारी औरत रुक्मणी को चोद लो या फिर आप चाहो तो मेरी बेटी चंदा को चोद लो, चंदा तो रमिया से भी छ्होटी है खूब मस्त मज़ा देगी आपको,

राज- ठीक है हरिया यह बात हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए अब मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर मैने हरिया को कुच्छ समझाया इतने मे सामने से रामू आता हुआ नज़र आया

रामू के आने के बाद हमने चिलम खींची और फिर हरिया वहाँ से चला गया और मैं और रामू मस्ती मे आकर बाते करने लगे,

राज- रामू यह बताओ तुमने कभी अपने घर के अलावा भी किसी को चोदा है,

रामू- चोदा तो है बाबूजी लेकिन कुछ दिनो से हमारी एक इच्छा बड़ी प्रबल हो रही है कि हम हरिया काका की जोरू और बेटी चंदा को एक साथ खूब हुमच-हुमच कर चोदे लेकिन हम जानते है यह इच्छा पूरी होने वाली नही है भला दोनो मा बेटियाँ एक साथ हमसे अपनी चूत कैसे मरवाएगी,

राज- मुस्कुराते हुए अरे दोस्त यह तो संभव सी बात है तुम इसे असंभव क्यो मान रहे हो,

रामू- कैसे संभव होगी बाबू जी

राज- अगर मैं तुम्हारी मदद करू तो मुझे क्या मिलेगा

रामू- साहेब अगर दोनो मा बेटी को एक साथ हमसे चुदवा दो तो कसम से आप जो कहोगे हम वो करेगे, आप जिसको कहोगे हम उसे आपसे चुदवा सकते है, चाहो तो हमारी बहन रमिया को ही ठोंक लो बहुत मस्त चुदवाती है आप मस्त हो जाओगे,

राज- तो ठीक है बात पक्की

रामू- मेरा मूह देखता हुआ क्या बात पक्की साहेब बताओ तो कैसे चुदवा दोगे जबकि तुमने तो कभी हरिया की बीबी और बेटी को देखा ही नही और बात पक्की, क्या साहेब आप भी लगता है आपको चिलम का नशा हो गया है,

राज- अरे नही रामू, तुम्हे यकीन नही है तो ठीक है हम दोनो मिलकर रमिया को इसी खेत मे चोदेगे लेकिन तुम्हारी ख्वाइश पूरी होने के बाद, अब तो ठीक है

रामू- लेकिन साहेब कब

राज- कल

रामू- वो कैसे

राज- तो मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर मैने रामू को सारी बाते समझा दी और वह मेरी और मुस्कुराकर देखते हुए साहेब आप तो बहुत दिमाग़ वाले लगते है, क्या प्लान बनाया है किसी को कानो कान खबर भी नही होगी और काम भी हो जाएगा, लेकिन हरिया काका का क्या करना है

राज- तुम हरिया काका से इस बारे मे कोई बात नही करोगे,

मैने वहाँ बैठे-बैठे ही हरिया और रामू का सारा मामला समझ लिया था और एक बेहतरीन प्लॅनिंग का प्लॉट मेरे दिमाग़ मे आउटलाइन बनचुका था मुझे बस उसमे रंगो के कॉंबिनेशन के बारे मे ही सोचना था की कौन से हिस्से मे कौन सा रंग डालु,
 
शाम को 5 बजे ही मैं शहर की ओर चल दिया और अपने एक दोस्त राजन जो कि नाटक मंडली मे काम करता था के पास गया,

राजन- अरे राज आज इधर का रास्ता कैसे भूल गया, सब खेरियत तो है

राज- यार राजन मुझे एक दो दिन के लिए तेरे कुच्छ नाटक वाली ड्रेस और दाढ़ी मुच्छे चाहिए

राजन- क्या भाई तुम्हे इन सब की क्या ज़रूरत पड़ गई कही कुच्छ जालसाजी करने का इरादा तो नही है,

राज- अरे नही यार बस थोड़ा फन और मस्ती के लिए मुझे एक दो दिन के लिए ज़रूरत थी

राजन- अच्छा बोल क्या-क्या दू

राज- आबे जो-जो पहन कर तू साधु बाबओ की आक्टिंग करता है बस वही कपड़े दे दे

राजन ने मुझे कपड़े दिए और मैं उन्हे लेकर सीधे घर आ गया रात को मैने सब समान एक बॅग मे रख कर सुबह 10 बजे रामू के खेत मे पहुच गया वहाँ जाकर मैने अपना बॅग खोला और रामू की झोपड़ी मे अपना समान रख कर मैने रामू से कहा मैं हरिया के पास जा रहा हू और वहाँ से हरिया के घर जाउन्गा और तुम्हारा काम जमा देता हू, तुम यही खेत मे रहना मोका मिलने पर हरिया खुद तुम्हे अपने घर भेजेगा और तुम सबसे बचते हुए सीधे हरिया के घर आ जाना लेकिन ध्यान रहे साथ मे चंदा को लेकर भी आना और रमिया को भी, ताकि तुम अपना काम जब तक करोगे तब तक मैं रमिया को चोद लूँगा,

रामू- मुस्कुराते हुए क्या बात है साहेब सचमुच आप इस मेकप मे पहचान मे नही आ रहे है,

राज- पर एक बात और मैं तुमसे कहना भूल गया मैं दिखावे के लिए हरिया के साथ गाँव मे जाउन्गा और तुम्हारे घर होते हुए हरिया के यहाँ जाउन्गा ताकि बाद मे जब तुम्हारी मा को पता चलेगा कि गाँव मे बाबा आया था तो सवाल खड़े हो सकते है इसलिए यह सभी को पता होना चाहिए कि कोई पहुचा हुआ साधु यहाँ आया है,

रामू मेरी बात सुन कर वाह साहब क्या पलनिंग की है आपने अब आप आराम से हरिया काका के पास जाओ मैं यही इंतजार करता हू उसके बाद मे वहाँ से हरिया के खेत की ओर चल दिया,

मुझे भी थोड़ी घबराहट हो रही थी लेकिन हरिया और रामू मेरे राजदार थे इसलिए पॉल खुलने का भी मुझे कोई खास डर नही था, तभी मैं हरिया के सामने गया और एक कड़क आवाज़ मे बोला, अलख निरंजन

मेरी आवाज़ सुनते ही हरिया ने पलट कर देखा और एक दम से झुक कर मेरी ओर हाथ जोड़ लिए और कहने लगा

हरिया- अरे महराज आप कौन है और कहाँ से आपका पधरणा हुआ है,

राज- बच्चा हम बहुत दूर से आए है और प्यासे है और अपनी प्यास बुझाना चाहते है क्या तुम इस बाबा की प्यास बुझाने मे मदद करोगे,

हरिया- हाथ जोड़ कर क्यो नही महराज आप इस खटिया पर विराजिए मैं अभी जल का बंदोबस्त करता हू और हरिया जैसे ही पिछे जाने को मुड़ा मैने कहा बच्चा ज़रा चिलम का बंदोबस्त भी कर लेना,

मेरे मूह से यह बात सुनते ही हरिया का माथा ठनका और उसे एक दम से होश आया और वह मुझे बड़े ध्यान से घूर कर देखता हुआ ज़ोर से चिल्लाकर हस्ता हुआ

हरिया- अरे मेरे मालिक गई भैंस पानी मे मा कसम साहेब हम तो अभी तक यही समझ रहे थे कि सचमुच कोई सन्यासी हमारी कुटिया मे भिक्षा माँगने आया है पर मान गये साहेब आपको आपने तो हमे ही चूतिया बना दिया दूसरे लोग क्या खाक पहचानेंगे आपको वा साहेब बैठिए हम अभी चिलम बनाते है और फिर हरिया ने मुझे मस्त चिलम बना कर पिलाई और मैं मस्ती मे मस्त हो गया,

तभी झोपड़ी के अंदर से चंदा निकल कर बाहर आ गई और मैं हरिया की 16 साल की चिकनी लोंड़िया को देख कर एक दम से मस्त हो गया उसके बदन को देख कर लग रहा था जैसे हरिया उसे रोज चोद्ता हो,

दोपहर के 12 बजने को आ चुके थे और मैने हरिया को कहा हरिया अब हमे यहा से सीधे रामू के घर चलना है और फिर मैं हरिया के साथ रामू के घर पहुच गया दोपहर का वक़्त था गाँव के लोग आधे से ज़्यादा खेतो मे होते थे और बचे-कुचे तालाबो और यहाँ वहाँ काम पर लगे होते थे इसलिए गाँव भी सुनसान पड़ा हुआ था, रामू के घर के सामने पहुचने के बाद मैने हरिया से कहा

राज- हरिया तुम अब 10-15 मिनिट बाद मेरा उस सामने वाले पेड़ के नीचे इंतजार करना मैं तब तक रामू की मा से मिलकर आता हू, तुम अगर साथ रहोगे तो उसे शक भी हो सकता है, हरिया मेरी बात सुनते ही मुझे बता गया कि वह 10 मिनिट के लिए इधर उधर घूम कर आता है और फिर वह वहाँ से चला गया,
 
मैं रामू के दरवाजे के पास खड़ा हो गया और ज़ोर से चिल्लाया - अलख निरंजन, अलख निरंजन

तभी एक दम से दरवाजा खुला और सामने रामू की मा मुझे देखते ही हाथ जोड़ कर कहने लगी प्रणाम महराज वह शायद अंदर कपड़े धो रही थी उसके गोरे-गोरे भरे हुए गाल मोटे-मोटे दूध लाल कलर के ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आ रहे थे दो बटन खुले होने से उसके गोरे-गोरे मोटे दूध पूरी तरह छल्के जा रहे थे बलौज के नीचे ब्रा का तो कोई नाम ही नही था

और फिर उसका गुदाज मखमली पेट और गहरी नाभि देख कर सचमुच उसकी मोटी गंद और उसकी मोटी-मोटी गदराई जाँघो का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता था मेरा तो उसे देखते ही लंड खड़ा हो गया, बहुत मस्त माल था लेकिन ना जाने क्यो मेरी मस्तानी मम्मी रति के आगे थोड़ी फीकी थी फिर भी अभी मैने उसे पूरी नंगी देखा कहा था खेर नंगी तो मैने कभी अपनी मम्मी को भी नही देखा था लेकिन फिगुर और उसके कटाव की बात करे तो मेरी मा रति का कोई तोड़ नही था खेर,

सुधिया- बाबा आप कौन है और कहाँ से पधारे है

राज- बेटी हम अपना परिचय नही बल्कि लोगो के दुखो के निवारण का उपाय बताते है, पर शायद घर की चौखट मे खड़े रख कर तुम हमारा अपमान करना चाहती हो,

सुधिया- माफ़ करो बाबा जी और भीतर पधारने का कष्ट करे, और फिर सुधिया ने मुझे एक आसन बैठने के लिए दे दिया, और मैं उस पर बैठ गया,

राज- सुधिया बेटी ला ज़रा जल ग्रहण करवा दे

सुधिया मेरे मूह की ओर चकित होकर देखते हुए, बाबा आप मेरा नाम कैसे जानते है

राज- बेटी हम तो आंतेरयामी है और हम तेरे गाँव के पास से गुजर रहे थे तभी हमे कोई काली छाया तेरे घर के उपर मंडराती नज़र आ गई इसलिए हम यहाँ चले आए तेरे घर पर संकट के बदल मंडरा रहे है बेटी,

सुधिया एक दम से घबरा कर मेरे पेरो को पकड़ कर बैठ गई और कहने लगी बाबा हम तो रोज पूजा पाठ करते है हमारे घर मे संकट कैसे आ सकता है,

राज- बेटी तेरे कुल तीन बच्चे है ना और तुझे मालिक ने एक ही बेटा दिया है बस उसी बेटे पर संकट आ सकता है और तुझे बहुत कष्ट देकर जाएगा,

सुधिया- बाबा दया करो कोई उपाय तो होगा इस संकट को टालने के लिए आप तो आंतेरयामी है आप तो सब जानते है,

राज- हाँ उपाय है बेटी तभी तो मैं तेरे पास आया हू पर उपाय ज़रा कठिन है शायद तू ना कर पाए

सुधिया- मैं हर उपाय करने को तैयार हू बाबा आप बताइए तो सही

राज- ठीक है तो ध्यान से सुन कल सुबह 5 बजे प्रातः उठ कर तुझे अपने गाँव के किसी भी तालाब या नदी पर जाकर पूरी नंगी होकर स्नान करना होगा उसके बाद वहाँ से 21 कदम नंगी चल कर जाना होगा 21 कदम चलने के बाद तुझे जो सबसे पहला आदमी अपने हाथ मे जल लेकर जाता हुआ नज़र आएगा तुझे उसी आदमी के साथ संभोग करना होगा,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--20

गतान्क से आगे......................

सुधिया- यह आप क्या कह रहे है बाबा यह मैं कैसे कर सकती हू

राज- सोच लो बेटी इसके अलावा कोई उपाय नही है और यह संकट भी इसलिए तुझ पर आया है क्यो कि तूने अपने बेटे के साथ अपनी काम वासना पूरी की है और फिर मैं ज़ोर से चिल्लाया, बता कि है कि नही अपने बेटे के साथ अपनी वासना की तृप्ति,

सुधिया सीधे मेरे पेरो मे गिर गई और रोने लगी,

सुधिया- बाबा मुझे माफ़ कर दीजिए मुझसे ग़लती हो गई

राज- नही बेटी तुझे पछटाने की ज़रूरत नही है बस मैने जो उपाय बताया है वह कर लेना तेरा बेटा लंबी उम्र प्राप्त कर लेगा,

सुधिया- पर बाबा अगर मुझे सुबह वहाँ कोई नही मिला तो

राज- रामू की मा के सवाल ने वाकई मेरी गंद फाड़ दी मैं सोचने लगा क्या जवाब दू फिर मैने उससे कहा यह तुमने बड़ा ही बुद्धिमानी का सवाल किया है जाओ हमारे लिए जल लेकर आओ हम अभी ध्यान लगा कर कुछ सोचते है और जैसे ही सुधिया उठ कर जाने लगी उसकी घाघरे मे मटकते गुदाज चूतादो की हर्कतो ने मेरे लोदे को तान कर रख दिया,

मैने मन मे सोचा इसकी गुदाज मोटी गंद मारने मे तो मज़ा आ जाएगा बस फिर जैसे ही सुधिया पानी लेकर लोटी मैने जल लेकर उसे वही अपने सामने बैठने को कहा जब वह बैठ गई तो उसके मोटे-मोटे दूध पूरी तरह मुझे नज़र आने लगे मेरा तो दिल उसके मोटे-मोटे दूध को देख कर मस्त हो गया मैने उसके उपर जल च्चिड़क कर अपनी आँखे बंद कर ली और अपने होंठो से बुदबुदाने लगा उसके बाद कुछ देर मे मैने अपनी आँखे खोली और कहा

राज- बेटी सच बताओ तुमने कई बार अपने बेटे से संभोग किया है ना

सुधिया- मेरी बात सुन कर थोड़ा शर्मा गई और हाँ मे अपनी गर्दन हिला दी

राज- बेटी कल तुम्हे एक साथ दो आदमियो के साथ संभोग करना होगा

सुधिया- आश्चर्या से मेरे मूह की ओर देखने लगी

मैं उसके अंदर के हालत समझ गया और मैने कहा क्या तुमने कभी एक साथ दो लोगो के साथ संभोग नही किया है ना

सुधिया- शायद मेरी बातो से गरम हो रही थी और अपने गले का थूक गटकते हुए कहने लगी नही बाबा जी मैने दो लोगो के साथ कभी नही किया,

राज- बेटी कल तुझे जो भी पहला आदमी जल लेकर आता हुआ नज़र आए उससे तुझे संभोग करना है जब वह तुझे नंगी देख कर तुझे अपनी बाँहो मे भर ले तब तू थोड़ा ना नुकुर करके उससे संभोग करेगी जब वह तुझे भोग रहा होगा तब तुझे इधर उधर ध्यान रख कर देखना होगा और जब तुझे कोई दूसरा आदमी नज़र आने तक पहले वाले आदमी को भेज कर उस दूसरे वाले आदमी को भी अपने पास बुलवाना होगा और फिर उस आदमी से भी तुझे संभोग करना होगा

लेकिन ध्यान रहे दोनो आदमी एक साथ तेरे दोनो अंगो मे अपना लिंग प्रवेश कराएगे तभी तू दोष मुक्त होगी, और यह भी ध्यान रखना दूसरे आदमी के हाथ मे भी जल का लोटा होना चाहिए,
 
सुधिया- मेरी बातो बड़े ध्यान से सुन रही थी फिर मैने उसके गोरे गालो पर हाथ फेरते हुए कहा जा बेटी मेरा आशीर्वाद तेरे साथ है अब मुझे इजाज़त दे मेरा काम पूरा हुआ अब अपने घर को बचाने की जवाबदारी तेरी है उसके बाद सुधिया ने मेरे पेर च्छुए और मैं उसके घर से बाहर आ गया,

जब मैं बाहर आया तो आसपास देखने के बाद मैं उस ओर चल दिया जहाँ हरिया से मिलना था उसके बाद हरिया मुझे साथ लेकर अपने घर की ओर चल पड़ा,

हरिया- उत्सुकतावश मुझसे पुच्छने लगा क्या हुआ बाबूजी बात बन गई क्या

राज- पहले मुझे एक मस्त चिलम बना कर पिलाओ फिर मैं बताता हू क्या हुआ उसके बाद मैं और हरिया पेड़ की छाया मे बैठ गये और हम दोनो दम मारने लगे,

हरिया- अब बताओ भी बाबू जी क्या बात हुई सुधिया भाभी से

राज- मुस्कुराते हुए तुम्हारा काम हो गया है हरिया लेकिन मुझे भी तुम्हारे साथ सुधिया को चोदना होगा,

हरिया- लेकिन वह कैसे

राज- फिर मैने हरिया को सारी बात बता दी और उसे समझा दिया कि सुबह 5 बजे हम दोनो को पास वाले तालाब पर चलना होगा,

हरिया मेरी बात सुन कर खुशी से पागल हो गया और बोला बाबू जी आज से आप हमारे गुरु हुए जो आप कहेगे हम मानेगे,

राज- अरे हमे गुरु ना बनाओ और अब हमे अपने घर ले चलो और ज़रा अपनी बीबी के हाथ की चाइ ही पिलवा दो

हरिया- क्यो नही बाबू जी आपने तो हमे धन्य कर दिया बस एक बार हम सुधिया भौजी को चोद ले फिर देखना जब मन होगा उसकी मोटी गंद मार लिया करेगे,

हम दोनो बाते करते हुए हरिया के घर पहुच गये, रुक्मणी ने दरवाजा खोला और हरिया ने घर मे घुसते हुए मुझसे कहा आओ बाबू जी

उसने मुझसे अपनी बीबी के सामने बाबूजी कहा तो मैने हरिया को घूर कर देखा तो कहने लगा मेरा मतलब है बाबा जी आइए अंदर बैठिए

हरिया- अरे सुनती हो जाओ बाबा जी के लिए पानी की व्यवस्था करो तुम नही जानती यह बहुत पहुचे हुए महात्मा है,

मैने हरिया को इशारे से बुलाया और उससे कहा

राज - हरिया तुम अब यहाँ से सीधे खेतो मे चले जाओ और वहाँ जाकर रामू रमिया और चंदा तीनो को यहाँ भेज दो और अपनी पत्नी को समझा दो कि आज तुम खेतो मे ही सो जाओगे,

हरिया- लेकिन रामू को यहाँ क्यो बुला रहे हो

राज- अरे तुम समझ नही रहे हो मैने तुम्हारा काम तो कर दिया अब मैं भी तो थोड़ा रमिया के साथ मस्ती मार लू, मैं किसी भी तरह रामू और तुम्हारी बीबी और चंदा को बातो मे लगा कर अंदर ले जाकर रमिया को चोद लूँगा और उसके बाद शाम को रामू उसे लेकर अपने घर चला जाएगा और मैं तुम्हारे घर पर रात गुज़ार लूँगा,

हरिया- लेकिन बाबूजी मेरा मतलब है बाबाजी मैं खेतो मे रात भर तो बोर हो जाउन्गा कोई और आइडिया बताओ ना जिससे मैं भी रात को मस्त रहू और आप भी मज़ा ले लो, मैं कुछ सोचते हुए अच्छा एक काम करो रात को खाने के समय तुम घर आ जाना और फिर चंदा को लेकर खेतो मे चले जाना इस तरह तुम रात भर चंदा को चोदना और फिर सुबह-सुबह तो तुम्हे सुधिया चोदने को मिल ही जाएगी,
 
हरिया- यह बात एक दम फिट है बाबू जी मैं जाता हू और फिर हरिया ने रुक्मणी को समझा दिया की बाबाजी बहुत पहुचे हुए है इनका शाम तक ख्याल रखना मैं खाने पर आउन्गा और रात को बाबा जी के लिए बढ़िया सा खाना तैयार कर लेना, हरिया के जाने के बाद रुक्मणी मेरे लिए पानी लेकर आई तब मैने उसके बदन पर नज़र डाली, रुक्मणी भी भरे बदन की औरत थी और उसकी भी गंद और चुचिया खूब बड़ी नज़र आ रही थी हालाकी रामू की मा से वह कम उमर की लग रही थी और पहनावा भी उसका साडी और ब्लौज था कुल मिला कर मस्त चोदने लायक माल था,

राज- रुक्मणी बेटी तुम्हारे जल मे मिठास है लेकिन तुम्हारे मन मे एक बहुत ही बड़ा भंवर है जिसमे कई बाते समाई हुई है और तुम्हारा मन बहुत चंचल है, तुम्हारी बड़ी कोशिशो से तुम्हारी बड़ी बेटी का घर वापस बस सका है लेकिन एक चीज़ है जो तुम्हारे घर मे परेशानी बन कर कष्ट देने वाली है

रुक्मणी - वह क्या बाबा जी

राज- तुम ने पराए मर्दो के साथ संभोग किया है इसलिए तुम्हारी बड़ी बेटी के जीवन मे समस्या आई लेकिन अब तुम लगातार पराए मर्द से संभोग करती रहती हो जिसके चलते तुम्हारी बेटी चंदा पर भी संकट आने की संभावना बढ़ गई है,

मेरी बाते सुन कर रुक्मणी के माथे पर पसीना आ गया और वह अपनी नज़रे नीचे करके मेरे सामने बैठ गई और कहने लगी नही -नही बाबा जी मैने कभी किसी के साथ ऐसा कुछ नही किया है

राज- चिल्लाते हुए, चुप रहो लड़की वरना अभी श्राप दे दूँगा, मेरे सामने झूठ कतई नही टिक सकता, अगर तुमने तुरंत सच स्वीकार नही किया तो हम रुष्ठ हो जाएगे और यदि हम नाराज़ हुए तो तुम जानती हो क्या हो सकता है,

रुक्मणी- मेरे पेरो को पकड़ कर, मुझे माफ़ कर दो बाबा जी मैने आपसे झूठ कहा आप बिल्कुल सच कह रहे है मैने यह अपराध किया है, मुझे माफ़ कर दीजिए,

राज- बेटी माफी नही इस समश्या का निवारण लेकर हम तेरे दर पे आए है लेकिन उसके लिए तुझे हमारे बताए अनुसार कर्म करना पड़ेगा तभी तेरी बेटी दोष मुक्त हो पाएगी,

रुक्मणी- मैं सब कुछ करने को तैयार हू बाबा जी आप बताइए मुझे क्या करना होगा

राज- बेटी अभी तुझे अपनी बेटी चंदा को लेकर उसी पुरुष के साथ बैठना होगा लेकिन ध्यान रहे तुम तीनो पूरी तरह नंगे होने चाहिए और फिर वही आदमी जिसके साथ तुम संभोग करती हो उसके साथ मिलकर अपनी बेटी चंदा को उत्तेजित करना होगा और फिर अपने हाथो से उस पराए मर्द के लिंग को अपनी बेटी के अंदर प्रवेश करवाना होगा, और फिर तुम तीनो को सामूहिक संभोग करना होगा,

रुक्मणी- लेकिन बाबा यह कैसे होगा आप जिस मर्द की बात कर रहे है वह तो कही दूर खेतो मे काम कर रहा होगा और मेरी बेटी चंदा भी यहाँ नही है, फिर आप कह रहे हो कि यह सब अभी करना होगा,

राज- बेटी हम हवा मे बाते नही करते है हम अभी अपने मन्त्र की शक्ति से उन दोनो आत्माओ को यहाँ जल्दी ही बुला लेते है और फिर मैं ऐसे ही उसे दिखाने के लिए मन्त्र पढ़ने लगा और करीब 10 मिनिट के बाद रामू रमिया और चंदा एक दम से घर के अंदर घुस आए जिन्हे देखते ही रुक्मणी की आँखे फटी की फटी ही रह गई,

रामू ने मुझे देखते ही मुस्कुरकर प्रणाम किया और मैने उसे आशीर्वाद दिया,

राज- क्यो रुक्मणी बेटी अब तो समझ गई होगी तुम कि बाबा क्यो पधारे है तुम्हारे यहाँ और तुम्हारे घर पर दोष है कि नही

रुक्मणी- मेरे पेरो मे गिर कर आप धन्य है बाबा जी वाकई आप बहुत पहुचे हुए महात्मा है,

रामू मुस्कुरकर मेरी ओर देखने लगा और मैने प्यार से मेरे पेरो मे झुकी हुई रुक्मणी की ब्लौज मे से झँकती नंगी पीठ को सहलाते हुए कहा बेटी आज हम तेरे सारे कष्ट दूर कर देंगे और मेरी आक्टिंग देख कर रामू मुस्कुराकर मुझे सलाम करने लगा,
 
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