Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास - Page 6 - SexBaba
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Rishton Mai Chudai गन्ने की मिठास

गन्ने की मिठास--27

गतान्क से आगे......................

मैने अपनी उंगली पर थूक लगा कर सुधिया की गंद मे दबा दी और मेरी उंगली सुधिया की मुलायम कसी हुई गंद

मे समा गई, मैं सुधिया की गुदा मे उंगली अंदर बाहर करने लगा और सुधिया आह आह करती हुई सीसीयाने लगी,

सुधिया की चूत को हरिया बराबर नीचे से चोदे जा रहा था और उसके मोटे मोटे दूध को खूब चूसे जा रहा

था,

मैं लगातार सुधिया की गुदाज मोटी गंद को दबाते हुए उसकी गुदा मे उंगली डाल रहा था, जब मैने देखा कि

अब सुधिया खूब कूदने लगी है और खूब सीसियाते हुए हरिया को ज़ोर ज़ोर से चोदने को कहने लगी है तब मैने

अपने मोटे लंड पर खूब सारा थूक लगा कर उसे सुधिया की गुदाज गंद मे लगा कर एक कस कर धक्का उसकी गुदा

मे मार दिया और मेरे लंड का मोटा सूपड़ा सुधिया की गुदा खोल कर उसमे फिट बैठ गया,

सुधिया- ओह बाबाजी मार डाला रे आह सीईइ सीईईईईईईईईई आह ओह

हरिया- उसके मोटे मोटे दूध दबाते हुए, क्या हुआ भौजी बाबाजी ने तुम्हारी गंद मे लंड फसा दिया क्या,

सुधिया- हाँ रे हरिया बाबाजी का बहुत मोटा है पूरी गंद फाडे डाल रहा है,

हरिया- तो क्या हुआ भौजी तुम्हारी गंद है भी तो कस कर मोटे लंड से चोदने लायक, मैं तो कब से तुम्हारी इस

मोटी गंद को खूब कस कस कर चोदना चाहता हू,

सुधिया- आह आ हरामी मैं तो पहले से जानती थी जब तू मुझे जाते हुए मेरे चूतादो को खूब घूरा करता था

हरिया- बाबाजी कैसी है हमारी रामू की मा की मोटी गंद

राज- मैने हरिया की बात सुनी और एक दूसरा धक्का कचकचा कर सुधिया की मोटी गंद मे मार दिया और फिर क्या

था मैं तो समझो मस्त हो गया मेरा पूरा लंड सुधिया की गंद ऐसे जकड़े हुए थी जैसे निचोड़ के रख देगी

सुधिया- आआआआआआ ओह बाबाजी मैं मर जाउन्गि बाबाजी निकाल लो बहुत मोटा लंड है तुम्हारा,

सुधिया की बात सुन कर हरिया समझ गया कि मैने उसकी गंद मे लंड फसा दिया है और हरिया उस घोड़ी को अपने

लंड पर बैठाए उसके दूध के निप्पल को चूस्ता हुआ दबाने लगा, इधर मैं रुका नही और धीरे धीरे अपने लंड

को थोडा बाहर लाता और फिर गच्छ से सुधिया की गुदा मे घुसा देता,

सुधिया कुच्छ ऊह आह सीई ओह बाबाजी आह आह सीयी की आवाज़ निकल रही थी, तभी मैने थोड़ा लंड बाहर खींचा और

कस कर सुधिया की गंद मे मार दिया और सुधिया सीधे हरिया के सीने पर अपनी मोटी मोटी चूचियाँ रख कर

लुढ़क गई, हरिया ने सुधिया की पीठ के आसपास अपने हाथ लेजकर उस गुदाज औरत को अपनी छाती से खूब कस के

जाकड़ लिया और अपनी कमर उठा उठा कर सुधिया की चूत मे लंड पेलने लगा,

अब मुझे ज़्यादा मज़ा आ रहा था, मैं उकड़ू बैठा सुधिया की गंद चोद रहा था और वह रंडी हरिया के उपर

लेटी हुई अपनी चूत और गंद हम दोनो से मरवा रही थी, उसकी सिसकारियो से ऐसा लग रहा था कि उसे बहुत मज़ा आ

रहा है,

तभी मैं भी सुधिया की मोटी गंद मे लंड फसाए उसके उपर लेट गया और उसकी चिकनी पीठ से चिपक

कर खूब गहराई तक सुधिया की गंद मे अपने लंड की घुसाने लगा,

मैं उपर से सुधिया की गंद मे खूब तबीयत से लंड पेल रहा था, मेरे पूरे बदन का वजन सुधिया के जिस्म

पर था और नीचे से हरिया अपनी पूरी ताक़त से सुधिया की चूत मे लंड पेल रहा था, हरिया और मैं दोनो पूरी

ताक़त से नीचे से और उपर से सुधिया की गंद और छूट को उसके नंगे बदन को खूब दबा दबा कर ठोक रहे

थे और सुधिया, ओह ओह आ आ सीईसीई स स आ आ हरिया दूध दबा ना, आ आ ओह बाबा जी बहुत मज़ा आ रहा

है और ठोकिए बाबाजी और चोदिये पूरी गंद फाड़ दीजिए मेरी,

सुधिया की बाते मेरा और हरिया का जोश और बढ़ा रही थी और हम दोनो उपर से और नीचे से उसकी गंद और चूत

को खूब ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे,
 
हरिया जहाँ उसकी चूत मे लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था वही मैं पूरी

आज़ादी के साथ सुधिया की गंद चोद रहा था, अब मेरा लंड बड़ी आसानी से सुधिया की गंद मे जा रहा था और

उसकी चूत खूब पानी छ्चोड़ रही थी, हरिया ने सुधिया के होंठो को चूसना शुरू कर दिया तब सुधिया थोड़ा

उपर अपने सीने को उठाने लगी तभी मैने उसके दूध को नीचे हाथ लेजाकार पकड़ लिया और कस कस कर तीन चार

धक्के सुधिया की गंद मे मार दिए और सुधिया धदाम से हरिया की छाती से चिपक गई और हरिया ने नीचे

से कस कस कर तीन चार धक्के मारे और उसको खूब कस कर दबोचते हुए मुझसे कहने लगा

हरिया- बाबाजी लगता है भौजी मूतने वाली है,

राज- हरिया अपनी भौजी से पुंछ लो अगर मूतने वाली हो तो हम तीनो एक साथ मुतेन्गे और आज तुम्हारी भौजी की

गंद और चूत को अपने रस से भर देंगे,

हरिया- सुधिया के मूह को उठा कर चूमते हुए, बोलो भौजी तुम मूतने वाली हो ना

सुधिया- सीयी आहह आहह हाँ रे हाँ रे हरिया खूब चोद मैं अब मूतने वाली हू जल्दी चोद कमिने नही तो तेरे मूह

मे मूत दूँगी,

हरिया- मूत दे ना भौजी मैं तो कब से तेरी चूत से मूत पीने को तरस रहा हू, एक बार मैने तुझे छुप कर

मुतते हुए देखा था बस तब से तेरी मोटी धार का मैं दीवाना हो गया हू,

राज- हरिया अब एक साथ मैं और तुम सुधिया बेटी की चूत और गंद को चोद्ते हुए अपना पानी निकालेंगे और फिर

मैने उसकी गंद मे सतसट धक्के मारना शुरू कर दिया और नीचे से हरिया खूब खचा खच लंड पेलने

लगा और सुधिया अपनी जाँघो को और भी खोल कर बुरी तरह गंद हिलाने लगी वह कभी अपनी गंद उपर मारने की

कोशिश करती और कभी नीचे मारने की कोशिश करती, फिर सुधिया के मूह से एक गहरी कराह निकल गई और वह बुरी

तरह हरिया से चिपक गई, मैने भी सुधिया को पूरी तरह जाकड़ लिया और उसकी गंद मे अपने लंड को खूब

गहराई तक ठोक कर अपने पानी को छ्चोड़ना शुरू कर दिया, उधर हरिया ने भी सुधिया की चूत मे अपने लंड को

खूब अंदर तक पेल कर अपना पानी निकाल दिया और फिर मैं और हरिया सुधिया को उपर और नीचे से नंगी अपने

बीच मे दबाए हाफ्ते हुए पड़े रहे,

कुच्छ देर बाद मैं उठा और जब मैने सुधिया के भारी चूतादो को देखा तो वह पूरे लाल हो चुके थे,

मेरे उठने के बाद भी सुधिया हरिया के उपर पड़ी हाफ़ती रही, फिर मैने जल्दी से अपनी धोती पहनी और फिर सुधिया

भी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी, हरिया ने अपनी धोती पहन कर कहा बाबाजी हम चंदा के पास जा रहे है

आप हमे भी आशीर्वाद देते हुए जाना,

हरिया वहाँ से उठ कर चला जाता है और फिर मैं सुधिया को हाथ पकड़ कर उठा लेता हू और

राज- बेटी तुम ठीक तो हो ना

सुधिया- मुस्कुराते हुए अपनी नज़रे झुका कर, हाँ बाबाजी

राज- बेटी हमने अपना वादा पूरा कर दिया अब हमे भी यहा से प्रस्थान करना होगा क्यो कि हम सिर्फ़ तुम्हारी

खातिर रुके थे अब हमे किसी और का भला करने के लिए जाना होगा,

सुधिया- बाबाजी फिर कब पधारेंगे आप

राज- बेटी हमने तेरे सुख के लिए ही हरिया के दिमाग़ को घुमा कर तेरा दीवाना बना दिया है, अब रामू के अलावा

जब भी तेरा दिल करे तू हरिया से अपनी इच्छा पूरी करवा लेना और शरमाना मत, तू शरमाती बहुत है,

सुधिया- बाबाजी मुझे तो आपकी याद हमेशा आएगी, अब आप कब आओगे

राज- बेटी तू फिकर मत कर हम तो इतनी शक्ति लेकर घूमते है कि कभी भी किसी भी रूप मे आकर हम तुझे अपने

मोटे लंड से भरपूर आनंद पहुचाएगे, अभी तू हमे जानती नही है, तू कहे तो हम किसी जवान लोंडे के रूप

मे आकर भी तुझे चोद सकते है,
 
सुधिया- क्या आप सच कह रहे है बाबा जी

राज- तूने देखा ना हमने अपनी शक्ति से हरिया को यहा बुलाया और उसके दिमाग़ को कैसे घुमा दिया है कि उसने

एक बार भी तुझसे कोई सवाल किया या और किसी को बताने के बारे मे सोचा है,

सुधिया- आप सच कहते है बाबाजी नही तो हरिया जैसा कमीना मुझे नंगी देख कर ना जाने क्या क्या कहता आज

आपने मुझे धन्य कर दिया बाबाजी और फिर सुधिया मेरे पेरो मे गिर गई,

मैने उसकी गोरी बाँहो को पकड़ कर उसे उठाया और उसके भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी अब तुम यहाँ

से जाओ हम भी यहाँ से अब निकलते है,

सुधिया- बाबाजी जब भी आप आओ मेरे घर ज़रूर आना,

सुधिया की चुदाई तो बड़े मस्त तरीके से हमने की लेकिन वह अब भी यही समझ रही थी कि मैं बहुत पहुचा

हुआ आदमी हू और वह मुझसे बहुत प्रभावित थी, उसके जाने के बाद मैं हरिया के पास पहुचा जहाँ मुझे

हरिया ने पानी पिलाया उसके बाद मैने हरिया के साथ एक चिलम और लगाई,

हरिया- वाह बाबू जी मान गये आपको, लेकिन अभी भी हमारा मन सुधिया को और चोदने का कर रहा है बाबूजी

राज- हरिया - हमने उसके सर पर ऐसा हाथ फेरा है कि अब जब भी तुम्हे मोका मिले तुम सुधिया को चोद लेना

वह खुद तुमसे आगे रह कर चुदवायेगि,

हरिया- सच बाबूजी, यह आपने हम पर बड़ा उपकर किया है, अब देखना बाबूजी मैं कैसे दिन रात सुधिया को

खेतो मे नंगी करके चोद्ता हू,

राज- लेकिन रामू का क्या करोगे,

हरिया- कुच्छ नही बाबूजी रामू को चंदा के साथ अपने घर भेज दिया करूँगा वह भी चंदा और रुक्मणी के

साथ मस्ती मार लेगा आख़िर मेरा परिवार का खून ही तो है,

राज- मुस्कुराते हुए वाकई हरिया भाई तुम बहुत बदमाश आदमी हो

हरिया- हस्ते हुए लेकिन बाबूजी आपसे ज़रा सा कम,

मैने हरिया की बात सुन कर उसकी पीठ ठोकते हुए कहा ठीक है हरिया अब मैं ज़रा अपनी साइट पर जा रहा हू और

शाम को घर निकलूंगा, वहाँ मम्मी और संगीता परेशान होगी,

हरिया- बाबूजी काम के चक्कर मे इधर आना मत भूलिएगा और कैसा भी काम हो बस एक बार कहिएगा हरिया

आपके लिए जान भी लगा देगा,

राज- अरे हरिया तुमने इतना कह दिया यही बहुत है, फिर भी कभी ज़रूरत पड़ी तो तुमसे ही कहूँगा, अच्छा अब

मैं चलता हू और फिर मैं तालाब के पास आ गया, मजदूर आ चुके थे और मैने उन्हे काम पर लगा दिया,

दोपहर को जैसे तैसे समय गुजरा और शाम के 4 बजते ही मैं घर की ओर भाग गया,

जब मैं घर पहुचा और मैने दरवाजा अंदर ढकाया तो वह खुल गया और मैं सीधे अंदर चला गया, मैं

वैसे तो जाते ही संगीता को आवाज़ देने लगता था लेकिन आज मैं चुपचाप जब अंदर पहुचा तो मुझे हॉल मे कोई

नही दिखा और जब मैं मम्मी के रूम की ओर बढ़ा और मैने जैसे ही मम्मी के रूम के पर्दे को थोड़ा सा

हटा कर अंदर देखा तो........

अंदर मम्मी मिरर के सामने केवल एक पिंक कलर की ब्रा और पॅंटी पहने अपने गुदाज चिकने बदन को देख रही

थी,

मैं तो मम्मी को ब्रा पॅंटी मे देख कर एक दम से पागल हो गया, मेरा लंड पूरी तरह तन कर खड़ा हो

गया और मेरी मम्मी अपने सुडोल भारी भरकम चूतादो को कभी इधर कभी उधर करके मटका रही थी,

सुधिया को नंगी देख कर मुझे भारी भरकम शरीर वाली औरते अच्छी लगने लगी थी लेकिन मम्मी का शरीर तो

सुधिया से भी जबरदस्त था, मम्मी की मोटी-मोटी गोरी जाँघो ने मुझे पागल कर दिया उनका उठा हुआ पेट और

मोटे-मोटे दूध बहुत सुडोल और गोरे लग रहे थे, कुच्छ देर तक अपने जिस्म को शीशे मे निहारने के बाद

मम्मी ने पास मे पड़े पेटिकोट को उठा कर पहन लिया और फिर ब्लौज और उसके बाद अपनी साडी लपेटने लगी तभी

मैने आवाज़ लगा दी,

राज- मम्मी क्या कर रही हो

रति- अरे राज आ गया तू, क्या बेटा बिना बताए गोल हो जाता है हम मा बेटी को कितनी फिकर हो रही थी,

मैं मम्मी के पीछे से उन्हे अपनी बाँहो मे भर कर उनके गालो को चूमते हुए सॉरी कहने लगा,

मम्मी ने

अपनी साडी बाँधते हुए मेरे गालो को जब चूमा तो उसके रसीले होंठो और उसके बदन से उठने वाली मादक

गंध ने मेरे लंड को पूरी तरह कड़ा कर दिया था, मुझे बार बार मम्मी केवल पॅंटी मे अपनी मोटी गंद

मतकते हुए नज़र आ रही थी, दिल तो ऐसा कर रहा था कि मम्मी की फूली हुई चूत को पॅंटी के उपर से पकड़ कर

मसल दू लेकिन मैं कंट्रोल किए हुए मम्मी से पुच्छने लगा, मम्मी संगीता कहाँ है,

रति- बेटे वह अपनी सहेली के यहाँ गई है तू हाथ मूह धो ले मैं चाइ बना कर लाती हू, मैने मम्मी को गौर से

देखा,

बड़ा मस्त माल लग रही थी, उसके भरे हुए मदमस्त जिस्म के आयेज सुधिया की गदराई जवानी भी फैल थी

और सबसे ज़्यादा जानलेवा तो मम्मी के मोटे मोटे चूतड़ थे जिन्हे अभी भी वह इधर उधर घूमते हुए मटका

कर चल रही थी,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--28

गतान्क से आगे......................

मम्मी को जब मैने पॅंटी मे देखा तो मैं उसके चूतादो को देख कर मस्त हो गया उसके गोल

मटोल चूतादो मे गजब का माँस भरा हुआ था साली के मस्त चूतादो को दबोचने मे मज़ा आ जाता होगा,

मैने लूँगी पहन ली लेकिन मेरा लंड पूरी लूँगी को उपर तक टाने हुए था, मैं सोफे पर बैठा हुआ था और वहाँ

से तिर्छि नज़र से किचन की ओर देख रहा था जहाँ पर मम्मी खड़ी चाइ बना रही थी,

मैने देखा मम्मी

बीच बीच मे अपनी चूत को साडी के उपर से कभी दबाती और कभी खुजलाने लगती थी, ऐसा एक बार नही कई बार

वह कर रही थी और जब वह अपनी चूत को खुजलाने लगती तब मैं उसके चेहरे के भाव देख कर पागल होने लगता

था,

मम्मी अपनी चूत को खुजलाते हुए ऐसा मस्ती भरा चेहरा बना लेती कि मेरा दिल करता कि अभी जाकर अपनी

मम्मी रति के रसीले होंठो को खूब कस कर चूस लू, तभी मम्मी एक दम से किचन से मेरे पास आई और अपना

मूह थोड़ा खोले हुए कहने लगी राज ज़रा मेरे मूह मे देख मेरी जीभ पर बाल लगा हुआ है क्या और मम्मी

जैसे ही मेरे सामने झुकी उसके मोटे मोटे खूब कसे हुए दूध मेरी आँखो के सामने झूलने लगे,

मैरा लंड

पूरी तरह लूँगी मे तन कर एक बड़ा सा तंबू बनाए हुए था, मम्मी ने अपने खूबसूरत चेहरे को मेरे

सामने झुका कर अपनी जीभ जब बाहर निकाल कर दिखाई तो मैं मस्त हो गया, अपनी मम्मी की रसीली गुलाबी जीभ

देख कर मेरा दिल करने लगा कि अभी उसकी जीभ को अपने मूह मे भर कर चूस लू,

मैने मम्मी के गुलाबी गालो को छु कर उसके होंठो पर उंगलिया फेरते हुए उसकी जीभ मे लगे बाल को धीरे

से पकड़ कर निकाल दिया, बाल निकालने के बाद मम्मी मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए अंदर चली गई जब वह

जाने लगी तो फिर से मेरी नज़र मम्मी की मोटी लचकति गंद पर चली गई और मैं अपने लंड को लूँगी के उपर से

सहलाते हुए मम्मी की उफान लेती जवानी को देख रहा था,

मेरा लंड आज बहुत मस्त खड़ा हुआ था और मैं सोच

रहा था कि मेरी खुद की मम्मी इतनी सेक्सी और मस्तानी है और मेरी नज़र कभी उस पर पड़ी क्यो नही, अब मैं

मम्मी का नंगा पेट जो उसकी साडी से काफ़ी बाहर था और उसकी गुदाज गहरी नाभि साफ नज़र आ रही थी को देख कर

मस्त हो रहा था,

तभी अचानक बाहर का दरवाजा खुला और संगीता अंदर आ गई और मुझे देखते ही दौड़ कर मेरे पास आकर

मेरी जाँघो पर अपने हाथ को रख कर कहने लगी क्या भैया कहाँ गायब हो गये थे,

आपके बिना तो अच्छा ही

नही लग रहा था, मैने संगीता को उपर से नीचे तक देखा तो मेरा लंड और झटके मारने लगा, संगीता ने रेड

कलर की चुस्त टीशर्ट पहनी हुई थी और उसके अंदर ब्रा नही थी उसके मोटे मोटे पके हुए ठोस आम साफ नज़र आ

रहे थे और उन्हे देख कर किसी का भी मन उसके रसीले आमो को खूब दबा दबा कर चूसने का करने लगे,

नीचे संगीता ने एक स्कर्ट जो कि ब्लॅक कलर का था पहन रखा था जो कि उसके घुटनो तक आता था, मैने अपने

हाथ को संगीता की पीठ पर फेरते हुए उसे सहलाते हुए कहा, मेरी गुड़िया रानी को लगता है अपने भैया की

बहुत याद आती है,

तभी मम्मी उधर से आ गई और मम्मी ने जो कहा उसको सुन कर किसी भी भाई का लंड अपनी बहन के लिए खड़ा

हो जाए,

रति- राज क्यो नही याद करेगी संगीता तुझे, आख़िर तेरी एक ही तो बहन है, उसे खूब लड़ प्यार से रखा कर और

उसे खूब प्यार किया कर, मम्मी की बात सुन कर मेरा लंड झटके लेने लगा और मैने संगीता की कमर मे हाथ

डाल कर उसे खींच कर अपनी गोद मे चढ़ा लिया और उसके मोटे मोटे दूध को अपने दोनो हाथो को आगे लेजाकार

अपने हाथो की गिरफ़्त मे लेकर संगीता के गालो को चूमते हुए मम्मी के सामने ही मैं कहने लगा
 
राज- मम्मी जहाँ मेरी ड्यूटी है वहाँ खूब मोटे मोटे गन्ने के खेत है,

रति- बेटे किसी दिन अच्छे मोटे मोटे गन्ने ले कर आ जा हम दोनो मा बेटियाँ यही बैठ कर चूस लेगी

राज- नही मम्मी ऐसे मज़ा नही आता है जब ताजे ताजे गन्ने वही तोड़ तोड़ कर चूसो तब ज़्यादा मज़ा आता है,

संगीता तू कहे तो कल तुझे गाँव घुमा देता हू

रति- पर बेटा वहाँ तू काम करेगा कि संगीता को लिए लिए फ़िरेगा

राज- नही मम्मी गाँव वाले मेरी खूब इज़्ज़त करते है और वहाँ तो गाँव के खेतो मे खूब मज़ा आता है देखना

संगीता एक बार वह गई तो बार बार जाने को कहेगी,

संगीता- खुशी से उछलते हुए प्लीस भैया मुझे ले चलो ना मैने कभी भी गन्ने के खेत भी नही देखे

है,

प्लीज़ मम्मी भैया से कहो ना कल मुझे भी घुमा लाए,

रति- ठीक है राज कल संगीता को चुस्वा देना गन्ने मैं फिर कभी चलूंगी,

राज- ठीक है मम्मी और फिर मम्मी वहाँ से चली जाती है और संगीता मेरी गोद मे

बैठी रहती है मैने देखा

कि अब संगीता जानबूझ कर मेरे लंड पर इधर उधर मचल रही थी,

संगीता- भैया क्या खूब मीठे मीठे गन्ने है वहाँ,

राज- मैने धीरे से संगीता के गुदाज पेट और उसकी कमर को सहलाते हुए कहा, हाँ मेरी रानी बहना एक बार तू

चुसेगी ना तो बार बार मुझसे कहेगी कि भैया एक बार मुझे और चूसा दो

संगीता- फिर तो भैया मैं खूब चुसुन्गि,

राज- लेकिन मेरा मन गन्ने चूसने का नही करता है

संगीता- मेरी ओर देख कर पुच्छने लगी, तो फिर भैया आपका क्या चूसने का मन करता है

राज- मैने संगीता के मोटे-मोटे दूध को देखते हुए कहा मेरी बहना मेरा मन तो मोटे-मोटे आम को

चूसने का करता है, मेरी नज़रो को संगीता समझ गई और अपनी नज़रे नीचे झुका कर इधर उधर देखने लगी

मैने धीरे से संगीता के दोनो मोटे मोटे दूध को उसकी टीशर्ट के उपर से हल्के से पकड़ लिए तो संगीता की

साँसे तेज चलने लगी, वह मेरी गोद से उठने की कोशिश करने लगी उसका चेहरा पूरी तरह तमतमाया हुआ था और

उसके रसीले होंठ कांप रहे थे,

मैं चाह रहा था कि संगीता के दूध को खूब कस कर मसल दू लेकिन हिम्मत इसके आगे हो नही रही थी,

राज- मैने धीरे से संगीता के कानो मे कहा, संगीता अपने भैया की गोद मे . बहुत अच्छा लगता है ना

संगीता अपना सर झुकाए बैठी थी और मेरी बात सुन कर मेरे लंड के उपर से उठने लगी, मैने उसका हाथ पकड़

लिया तब उसने पलट कर मुझे अपनी कातिल निगाहो से देखा और मेरी और मुस्कुरा कर कहने लगी भैया मैं अभी

आती हू,

मैने उसे प्यार से देखते हुए छ्चोड़ दिया और वह अपने रूम मे चली गई, मैं . बैठे अपने लंड को सहला

रहा था और मुझे ना जाने क्यो ऐसा लग रहा था जैसे संगीता मुझसे जल्दी ही अपनी चूत मरवा लेगी, उसके हाव

भाव और उसका बार बार मेरे पास आना, यह सब देख कर मुझे लग रहा था कि संगीता जितनी नज़र आ रही है उतनी

है नही,

मेरे ख्याल मे वह मेरा लंड अपनी चूत मे लेने के लिए मचल रही थी, उपर से मम्मी भी किचन

मे कई बार अपनी चूत खूब सहलाते और खुजलाते हुए ऐसी लग रही थी जैसे खूब चुदासी हो और खूब तगड़ा लंड

अपनी चूत मे लेना चाहती हो,

कुच्छ देर बाद मैं अपने रूम मे आ गया और सोचने लगा चलो थोड़ी देर आराम

करते है,

शाम को 6 बजे मैं घूमने निकल गया और फिर अगले दिन वापस साइट पर पहुच गया, आज पानी जैसा थोड़ा

मौसम हो रहा था और बड़ी मस्त ठंडी हवाए चल रही थी, मैने सोचा चलो थोड़ी देर हरिया के पास टाइम

पास किया जाए और मैं उसके खेतो की ओर चल दिया जब मैं गन्नो के पिछे पहुचा तब मुझे किसी के बात करने

की आवाज़ आने लगी मैने गन्नो के पिछे से छुप कर देखा तो सामने हरिया खड़ा अपनी धोती मे से अपने

मोटे लंड को बाहर निकाले हुए सामने खड़ी सुधिया से बाते कर रहा था,

हरिया- देख भौजी कैसा डंडे की तरह तेरी मस्तानी चूत मे घुसने के लिए मरा जा रहा है,

सुधिया- बेशरम कही के अपनी भाभी को अपना मूसल दिखा रहा है चल जा यहाँ से और मुझे काम करने दे

आज वैसे भी सारा दिन मुझे अकेले ही काम करना है वहाँ रामू अलग बीमार पड़ गया है,

हरिया- भौजी मैं तेरा सारा काम कर दूँगा बस एक बार मुझे अपनी रसीली चूत चटा दे,

सुधिया- का चेहरा एक दम लाल हो रहा था और वह अपने घाघरे को समेट कर चारा काटने मे लग गई, हरिया

अपना लंड खोले उसके सामने बैठा हुआ था और उसके घाघरे मे से उसकी चूत को देखने की नाकाम कोशिश कर

रहा था,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--29

गतान्क से आगे......................

सुधिया- मंद-मंद मुस्कुराते हुए, हरिया क्यो मेरे पीछे पड़ा है चल जा यहाँ से मुझे बहुत ज़रूरी काम

है

हरिया- क्या काम है पहले बताओ तभी जाउन्गा,

सुधिया- थोड़ा शरमाते हुए अपने चेहरे को नीचे करके तू जा यहाँ से मुझे बहुत जोरो की पेशाब लगी है

हरिया- एक दम से उछल कर खुश होता हुआ, वाह भौजी क्या बात कही है अब तो मैं तुम्हे बिना मुतते देखे बिना

यहा से कही नही जाउन्गा,

सुधिया खड़ी होकर अपनी चूत को घाघरे के उपर से हरिया की ओर देख कर मसल्ति हुई आह हरिया कमिने जा

यहाँ से नही तो मैं तेरे मूह मे ही मूत दूँगी,

हरिया- खुस होते हुए हाय भौजी मैं तो कब से तेरी बुर से मूत चाटने के लिए तड़प रहा हू,

अब देर ना कर और

जल्दी से मेरे मूह मे अपनी मस्त फूली हुई चूत धर कर बैठ जा,

उन दोनो की हरकते देख कर मेरा लंड खड़ा हो चुका था लेकिन आज मैं बाबाजी के भेष मे नही था और सिवाय

उन दोनो को देखने के कुच्छ नही कर सकता था,

उधर मुझे हरिया से ज़्यादा सुधिया चुदासी लग रही थी और बार बार हरिया के मोटे लंड को देख कर अपनी चूत

को घाघरे के उपर से मसल्ते हुए हरिया से कह रही थी, देख हरिया यहाँ से चला जा मुझसे अब नही सहा जा

रहा है मुझे पेशाब कर लेने दे,

हरिया- अरे भौजी तो क्या मैने तुम्हे या तुम्हारी चूत को पकड़ रखा है जो तुम मूत नही रही हो, चलो अब

जल्दी से घाघरा उठा कर अपनी बुर फैला कर खूब मोटी धार निकाल कर मुतना शुरू कर दो,

सुधिया उसी पत्थर पर एक पेर रख कर खड़ी थी जहा एक बार निम्मो मूतने बैठी थी, हरिया सुधिया की मोटी

जाँघो के पास अपने मूह को लगा कर चूमते हुए ओह भौजी कितनी गुदाज और भरी हुई जंघे है तुम्हारी अब

जल्दी से मूत भी दो,

सुधिया- कमिने तू नही मानेगा ले पी ले अपनी भौजी का मूत और सुधिया उसी पत्थर पर अपनी मोटी जाँघो को

फैला कर जैसे ही बैठती है हरिया अपना मूह आगे कर देता है, और सुधिया की फूली हुई चूत को नीचे झुक कर

देखने लगता है,

सुधिया अपना भोसड़ा फैलाए हरिया के सामने मंद मंद मुस्कुराते हुए बैठी रहती है,

तभी हरिया उसकी चूत को सहला कर कहता है भौजी मूत ना, उसके इतना कहते ही सुधिया अपनी चूत उठा कर हरिया

के मूह मे एक मोटी धार मारने लगती है और हरिया एक दम से सुधिया की बुर से निकलती पेशाब को देख कर अपना

मूह खूब कस कर सुधिया की चूत से लगा कर उसकी चूत के भज्नाशे को अपने मूह मे भर लेता है,

सुधिया का

पेशाब एक दम से रुक जाता है और हरिया जैसे ही उसकी चूत के मोटे दाने को अपनी जीभ मे दबा कर चूस्ता है

सुधिया की चूत से फिर से पेशाब निकल जाता है और हरिया उसकी चूत को किसी कुत्ते की भाँति चूसने लगता है,

सुधिया का पेशाब फिर से रुक जाता है और हरिया उसकी चिकनी मूत से भीगी चूत को किसी पागल कुत्ते की तरह सूंघ

सूंघ कर चाटने लगता है,

सुधिया- आह कुत्ते मूतने तो दे फिर बाद मे चाट लेना

हरिया- भौजी और मुतो बहुत मज़ा आ रहा है तेरी चूत से मूत पीने मे और फिर हरिया लंबी लंबी जीभ निकाल

कर सुधिया की बुर को खूब कस कर दबोचते हुए चाटने लगता है, सुधिया की चूत एक दम मस्त हो जाती है और

सुधिया थोड़ा और ज़ोर लगा कर छुल से एक धार सीधे मारती है और हरिया अपना मूह खोल कर उसकी पेशाब को पीते

हुए सुधिया की चूत को खूब ज़ोर से अपने मूह मे दबा कर चूसने लगता है,

हरिया- भौजी और मूत थोड़ा ज़ोर से मूत बहुत मज़ा आ रहा है, सुधिया आ कुत्ते चाट ले खूब ज़ोर से चाट ले

अपनी भौजी की चूत, और सुधिया अपनी जाँघो को और फैला देती, और हरिया उसकी चूत को अपने होंठो मे दबाए

हुए कहता है और मूत भौजी और मूत,
 
सुधिया- अरे कमिने पहले मेरी चूत का दाना तो छ्चोड़ तब तो मैं मुतुँगी

हरिया- नही पहले मूत नही तो जब तक तेरी चूत से पेशाब नही पिलाएगी मैं तेरी चूत नही छ्चोड़ूँगा

सुधिया- अच्छा पिलाती हू पहले थोड़ा सा तो मेरी चूत को छ्चोड़ दे, हरिया उसकी बुर को मूह मे दबाए हुए नही

नही कहता है और सुधिया से जब रहा नही जाता है तो वह पूरी ताक़त लगा कर और पेशाब करने की कोशिश करती

है और उसकी चूत से जैसे ही थोड़ा सा पेशाब फिर निकलता है हरिया खूब ज़ोर से सुधिया की चूत को अपने मूह मे

भर कर पागलो की तरह उसकी चूत को चूसने लगता है और सुधिया उसके सर को पकड़ कर खूब ज़ोर से अपनी चूत से

दबा लेती है,

हरिया किसी पागल कुत्ते की तरह सुधिया की पूरी भोसड़ी खोल खोल कर उसका रस चाटने और चूसने लगता है और

सुधिया अपनी चूत खूब कस कस कर हरिया के मूह पर दबा दबा कर रगड़ने लगती है,

उन दोनो की हरकते देख

कर मैं मस्त हो गया था और उन दोनो को देख कर मुझे भी एक नया अनुभव हुआ और मैं जिस तरह हरिया

सुधिया की चूत से पेशाब पी रहा था उसी तरह मेरा दिल करने लगा कि मैं अपनी मम्मी रति को इसी तरह नंगी

करके उसकी चूत से खूब पेशाब पिउ और खूब अपनी मम्मी की चूत चतु, सामने सुधिया बैठी अपनी चूत चटवा

रही थी लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी मम्मी अपनी चूत खोल कर मुझे कह रही हो कि ले बेटा अपनी

मम्मी की चूत से पेशाब पी ले और खूब ज़ोर ज़ोर से अपनी मम्मी की बुर चाट ले,

सुधिया- आह सीईईईई कितना ज़ोर से काट रहा है कुत्ते, ज़रा आराम से चाट आह आहह आह आ सीईईईईईईईई ओह हरिया खा जा

मेरी चूत को पी जा सारा मूत,

हरिया- भौजी और मूत ना

सुधिया- सीईईईईईईईईईईईईईईई आहा हह अरे कुत्ते कहाँ से मुतु सारा पेशाब तो तू चूस चूस कर चाट गया अब मुझसे

नही मुता जा रहा है,

हरिया- बस भौजी एक बार और मूत दे कितना मस्त भोसड़ा है तेरा बस एक बार मुझे अपना मूत और पीला दे, हरिया

सुधिया की चूत को इतनी बेरहमी से चाट रहा था की उसकी चूत पूरी लाल हो गई थी अब वह मूत नही बल्कि चूत का रस

छ्चोड़ने लगी थी और हरिया उसकी चूत को अपने मूह मे भर भर कर खूब दबोच दबोच कर चाट रहा था,

जब सुधिया अपने हाथ पिछे टिका कर अपनी चूत उठा उठा कर हरिया के मूह मे मारने लगी तब हरिया ने लंबी

सी जीभ निकाल कर सुधिया की चूत के दाने से लेकर उसकी गंद के भूरे कसे हुए छेद तक चटाई शुरू कर दी

और सुधिया आह आह ओह हरिया चाट और चाट खूब चूस पी जा अपनी भौजी का मूत और चाट खूब ज़ोर से चुस्स्स्सस्स

आहह अह्ह्ह्ह आहह सीईीस ईईईईईईईईईईईई ओह हरिया अब नही रहा जाता रे हाय हाय अब चोद दे कुत्ते,

अब चोद दे मुझे,
 
हरिया- अरे मेरी रंडी भौजी तू फिकर मत कर आज दिन भर तुझे इन खेतो और गन्नो के बीच पूरी नंगी ही

रखूँगा और खूब तेरी चूत मारूँगा, हरिया की बात सुन कर सुधिया एक दम से उठी और हरिया के मोटे लंड को

झुक कर अपने मूह मे भर कर चाटने लगी, हरिया ने भी अपने लंड को उसके मूह मे अच्छे से दे दिया और

सुधिया उसके आंड्को को खूब कस कस कर दबोचते हुए उसके लंड के सूपदे को चूसने लगी,

हरिया उसके मोटे

मोटे दूध को खूब कस कस कर मसल रहा था और एक हाथ से सुधिया का घाघरा उसकी गंद के उपर तक उठा

कर सुधिया की गुदा को अपनी उंगली से कुरेदने लगा,

सुधिया की गंद एक दम मेरे मूह की तरफ थी और उसकी फैली हुई गोरी गुदाज गंद और उसका बड़ा सा भूरा छेद

देख कर मेरा लंड झटके देने लगा, सुधिया की मोटी गंद देख कर मुझे अपनी मम्मी की पॅंटी मे कसी हुई

गुदाज मोटी गंद याद आ गई और मैं अपने लंड को सहलाते हुए उनका तमाशा देखने लगा,

हरिया ने सुधिया का ब्लौज खोल कर उसके मोटे मोटे दूध को कभी दबाते हुए चूसना और कभी चूस्ते हुए

दबाना शुरू कर दिया सुधिया अपने हाथो मे हरिया के गोटे पकड़ पकड़ कर दबा रही थी और उनसे खेल रही

थी,

तभी हरिया ने सुधिया को वही ज़मीन पर लेटा दिया और उसका घाघरा उठा कर उसकी मोटी जाँघो को फैला कर

चूम लिया उसके बाद हरिया ने जैसे ही सुधिया की चूत को फिर से चाटना शुरू किया सुधिया एक दम से तड़प उठी

और उठ कर हरिया के मोटे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद से भिड़ा दिया,

हरिया ने बिना कुच्छ कहे एक

कस कर धक्का मारा और उसका लंड सटाक से सुधिया की पूरी चूत को खोल कर अंदर जड़ तक समा गया और

सुधिया ने हरिया को अपनी बाँहो मे दबोच कर उसके लंड की ओर अपनी छूट को खूब ज़ोर से उठा दिया, सुधिया की

इस हरकत से हरिया का लंड पूरी तरह सुधिया की चूत मे फिट हो गया और हरिया सुधिया के मोटे मोटे बोबे

दबाते हुए उसकी चूत को कस कस कर ठोकने लगा,

सुधिया खूब गंद उठा उठा कर लंड ले रही थी और हरिया खूब हुमच हुमच कर सुधिया को चोद रहा था

सुधिया का भारी भरकम बदन पूरी मस्ती मे हरिया के बदन से चिपका हुआ था और जब हरिया सतसट

सुधिया की चूत ठोकता तो ठप ठप की आवाज़ सुधिया की जाँघो से आने लगती थी हरिया पूरी ताक़त से उसकी चूत

चोद रहा था और सुधिया आह आह करती हुई खूब कस कस कर चूत मरवा रही थी,

हरिया ने लगभग एक घंटे तक सुधिया की चूत को कभी सीधा करके कभी उसकी गंद की तरफ से खूब कस कस

कर ठोका और उसके बाद सुधिया का पानी निकल गया, जब सुधिया और हरिया अलग अलग हुए तो मैने सोचा अब

थोड़ी देर रुकने के बाद हरिया के पास जाउन्गा लेकिन हरिया की दूसरी हरकत देख कर मे समझ गया कि अभी उसका

पेट उसकी भौजी से भरा नही है, हरिया ने सुधिया के खड़े हो जाने के बाद उसकी गंद के पिछे से घाघरा

उठा कर उसके मोटे मोटे चूतादो के पाटो को फैला कर उसकी गंद के छेद को चाटना शुरू कर दिया,

सुधिया एक दम से उसके मूह से अपनी गंद को हटाते हुए, कमिने अब क्या मेरी गंद भी चतेगा,

हरिया- भौजी तुम्हारी गंद देख कर तो कोई भी इसे चाटना चाहेगा ,

सुधिया- नही मैं गंद नही मर्वौन्गि, वैसे भी कल बाबाजी ने मेरी गंद मे इतना मोटा लंड डाल कर मुझे

चोदा है कि मेरी गंद अभी भी दर्द कर रही है,

हरिया- लेकिन भौजी मुझसे यह सब बाबाजी ने ही कहा था

सुधिया- हरिया को देख कर क्या कहा था बाबाजी ने

हरिया- यही कि चाहे कुच्छ भी हो सुधिया की गंद तुम रोज अपने लंड से चोदना,

मैं हरिया की बात सुन कर मंद मंद मुस्कुराने लगा और सोचने लगा साला बड़ा बदमाश आदमी है यह मेरे

बहुत काम आने वाला है,

सुधिया- क्या बाबाजी ने ऐसा कहा था

हरिया- हाँ क्या तुमसे उन्होने कुच्छ नही कहा

सुधिया- नही पर यह ज़रूर कहा था कि तू मुझे चोदने के लिए मरा जा रहा है

हरिया- हम मज़ाक नही कर रहे है भौजी, उन्होने यह कहा था कि सुधिया बेटी की गंद को हमने चोदा है अब

उस पर सिर्फ़ उसके बेटे रामू और मेरा हक रहेगा, और उन्होने कहा था कि सुधिया जितना ज़्यादा अपनी गंद

मरवाएगी उतना ज़्यादा ही उसकी जवानी और भी निखार आएगी,

सुधिया- लेकिन हरिया गंद मरवाने मे बड़ा दर्द होता है,

हरिया- अरे भौजी वह तो कल जल्दी बाजी मे तुम्हे दर्द हुआ था आज तो मैं ऐसे तरीके से तेरी गंद मारूँगा कि तू

देखना फिर रोज मुझसे अपनी गंद मरवाए बिना नही रह पाएगी, तुम जानती नही हो पहले गंद मे लंड जब

घुसता है तो थोड़ा दर्द होता है उसके बाद जब औरतो की गंद का साइज़ फैल कर लंड के बराबर हो जाता है तब

औरतो को खूब मज़ा आता है और उनका दिल करता है कि उनकी गंद को खूब रगड़ रगड़ कर चोदा जाए,

सुधिया- मुस्कुराते हुए तो तू अब क्या करने वाला है

हरिया जल्दी से झोपड़ी मे जाकर तेल ले आया और उसने तेल सुधिया के हाथो पर डाल कर उसके हाथ मे अपना मोटा

लंड थमा दिया और सुधिया उसके लंड पर तेल लगाने लगी, सुधिया जैसे जैसे हरिया के लंड पर तेल लगा लगा

कर मसल रही थी वैसे वैसे हरिया का लंड और भी मोटा और काला नज़र आने लगा था,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--30

गतान्क से आगे......................

फिर हरिया ने सुधिया को

घोड़ी की तरह खड़ी होने को कहा और सुधिया जब अपनी मोटी गंद झुका कर खड़ी हुई तब हरिया ने उसकी कोमल

गुदा को सहलाते हुए उसमे उंगली से तेल भरने लगा, हरिया सुधिया की गुदा को खूब फैला फैला कर उसमे तेल

डाल रहा था फिर हरिया ने दो उंगलिया तेल मे डुबो कर सुधिया की कसी हुई गंद मे उतारना शुरू कर दिया और

सुधिया आह सीईईईईईईईईईई इईसीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ओह हरिया,

हरिया- उसकी गंद मे दोनो उंगलियो को अंदर बाहर करता हुआ कहने लगा क्यो भौजी अच्छा लग रहा है ना

सुधिया- आ सीईईईईईईईईई आह अचहचहा तो लग रहा है लेकिन तू मेरी चूत को भी सहलाता जा, देख मेरी चूत से फिर से

पानी बहने लगा है तू जितना मेरी गंद मे उंगली गहराई तक पेलता है मेरी चूत से उतना ही पानी आने लगता है यह

उपर वाला भी क्या है होंठो का कनेक्षन चूत से बोबो का कनेक्षन चूत से गंद के छेद का कनेक्षन

चूत से,

आह हर चीज़ का कनेक्षन ले देके चूत से कर दिया है,

हरिया- अरे भौजी औरत के हर अंग का कनेक्षन चूत से होता है तभी तो औरत के बदन के किसी भी हिस्से को

सहलाओ औरत की चूत से पानी आ जाता है,

सुधिया- अब कितनी देर तक मेरी गंद चिकनाएगा अब चल जल्दी से पेल दे अपना गन्ने जैसा मोटा लंड

उसकी बात सुन कर हरिया ने अच्छे से अपने लंड के टोपे को सुधिया की गुदा से सेट किया और फिर उसकी गुदाज मोटी

गंद को सहलाते हुए अपना एक हाथ झुकी हुई सुधिया के पेट की ओर लेजाकार उसका गुदाज उठा हुआ पेट दबोचते

हुए सुधिया की चूत को अपनी मुट्ठी मे भींच कर एक कस कर अपने लंड को सुधिया की गुदा मे जैसे ही दबाया

लंड का सूपड़ा फिसल कर सुधिया की चूत मे एक दम से उतार गया और सुधिया आह मार गई रे कुत्ते कहाँ

डालने का कहता है और कहा लंड डाल रहा है,

हरिया का लंड सात से सुधिया की चूत मे जड़ तक समा गया और

उसने अपने लंड को वापस बाहर निकाल लिया उसका लंड सुधिया की चूत के पानी से पूरा गीला हो गया था उसने दूसरी

बार फिर से सुधिया की गुदा को थोड़ा अपने हाथो से फैला कर उसकी गुदा मे अपने लंड के सूपदे को लगा कर इस

बार पहले धीरे से दबाया और जैसे ही उसके सूपदे ने सुधिया की गुदा को थोड़ा फैलाया,

हरिया ने अपने हाथ को

नीचे लेजाकार सुधिया की चूत को कस कर अपने हाथो मे दबोचते हुए एक कस कर धक्का उसकी गुदा मे मार

दिया और उसका आधे से ज़्यादा लंड सुधिया की गंद मे किसी डंडे की भाँति फस गया और सुधिया के मूह से हाय

मर गई रे आआआआहह ओह हरिया मातेरचोड़ फाड़ दी मेरी गंद आ ओह सीईईईई सी आह आह

हरिया बिना उसकी बातो मे ध्यान दिए हुए सुधिया की गंद को पकड़ कर एक दूसरा धक्का मार देता है और उसका

मोटा लंड सुधिया की गंद मे जड़ तक समा जाता है और सुधिया का बदन अकड़ जाता है, और वह ज़ोर से हाय मा

मर गई रे आह अहः आह आह सीई सिई ओह हरिया मार डाला रे तूने मुझे,

हरिया ने कहा बस भौजी अब तो पूरा घुस गया अब तो बस तुम्हे अपनी गंद मरवाने का मज़ा ही मज़ा मिलेगा और

फिर हरिया ने अपनी दो उंगली सुधिया की चूत मे डाल कर उसकी गंद मे अपने लंड को ठोकना शुरू कर दिया,
 
हरिया खूब तबीयत से सुधिया की गंद मार रहा था और सुधिया खूब ज़ोर ज़ोर से सीसीया रही थी और उसके मूह से खूब सिसीकिया छूट रही थी, हरिया उसकी गुदाज गंद को खूब ज़ोर ज़ोर से ठोक रहा था और उसकी बुर की फांको को खूब सहला रहा था, उनकी चुदाई देख कर मैं समझ गया कि आज हरिया पूरा दिन खेत मे मस्ती मारने वाला है और उसे देख कर लग रहा था कि वह आज सुधिया को दिन भर चोदेगा,

मैने टाइम देखा और फिर मैने सोचा क्यो कबाब मे हड्डी बनू और मैं वापस तालाब के इधर आ गया और साइट पर मजदूरो को इन्स्ट्रक्षन देने लगा,

उस दिन हरिया से मुलाकात भी नही हुई और शाम को मैं घर चला गया,

जब घर पहुचा तो मुझे याद आया कल शनिवार है और मैने मम्मी को कह दिया कि हम लोग गाड़ी करके शिर्डी चलते है,

मम्मी और संगीता खुस हो गई और अगले दिन मैं यह कह कर साइट पर चला गया कि मैं शाम को 5 बजे तक आ जाउन्गा और फिर हम लोग 7 बजे तक यहाँ से चल देंगे तो सुबह सुबह वहाँ पहुच जाएगे,

मैं साइट पर पहुच गया और काम लगाना शुरू कर दिया तभी मुझे सामने से हरिया आता हुआ नज़र आया

राज- आओ हरिया क्या बात है एक दो दिन से नज़र नही आ रहे हो

हरिया- बाबूजी हम तो दिन रात आपको याद करते है और आपके एहसान तले दबे जा रहे है, बाबू जी अगर आप हमारी जिंदगी मे ना आते तो शायद हम सुधिया भौजी को कभी चोद ही नही पाते और ऐसे ही मर जाते

राज- अरे मरे तुम्हारे दुश्मन यह कोई एहसान नही था आख़िर तुम मेरे दोस्त हो और दोस्ती के लिए यह सब तो करना ही पड़ता है,

हरिया- बाबूजी कभी हमारी कही ज़रूरत हो तो बताओ हम भी अपनी दोस्ती निभायगे,

राज- मुस्कुराते हुए अरे हरिया जिस दिन तुम्हारी ज़रूरत हुई तुम्हे याद करूँगा और मुझे लगता है जल्दी ही तुम्हारी ज़रूरत पड़ेगी,

हरिया- क्या कुच्छ नई प्लानिंग है बाबू जी

राज- हाँ प्लॅनिंग तो है पर पहले घी सीधी उंगली से निकालेंगे और अगर नही निकला तो टेडी करेगे,

हरिया- साफ साफ बताइए बाबू जी क्या बात है

राज- हरिया अब तुमसे क्या छुपाऊ पर कल से मेरा मन अपनी बहन संगीता और मम्मी रति को चोदने का बहुत कर रहा है

हरिया- तो बाबू जी आपने क्या सोचा है

राज- हरिया अभी मैं एक दो दिन के लिए बाहर जा रहा हू उसके बाद मैं संगीता को लेकर यहा खेतो मे घुमाने लाउन्गा और मैं चाहता हू कि मैं संगीता को यही छ्चोड़ कर घूमने का बहाना करके चला जाउ और तुम संगीता के सामने जिसे भी चोद सको सुधिया को या चंदा को,

बस इतना करना है कि संगीता तुम्हे चोद्ते हुए देख ले उसके बाद मैं संगीता को यही गन्नो के बीच पूरी नंगी करके चोदना चाहता हू,

हरिया- बाबू जी आप बस इशारा कर देना बाकी मैं सब संभाल लूँगा,

राज- ठीक है और सूनाओ कल क्या किया तुमने दिन भर

हरिया- कल तो बाबूजी हमने जी भर कर सुधिया की चूत और गंद चोदि है कल तो रंडी को पूरी मस्त करके अपने साथ ही घर ले गये थे और तो और जब जाते वक़्त उसने हमसे कहा कि उसे फिर से पेशाब लगी है तो आप मनोगे नही बाबूजी हम रास्ते पर ही लेट गये और सुधिया को अपने मूह पर बैठा कर उससे खूब अपने मूह मे मुतवाया है खूब चूस चूस कर उसका मूत पिया है हमने बड़ा मज़ा आया बाबूजी,

राज- क्या बात है मतलब तुमने सुधिया को दिनभर चोद चोद कर उसका मूत पिया है

हरिया- अरे बाबूजी उसकी गंद भी हमने इस कदर चोदि है कि रंडी रात भर मेरे लंड के झटके अपनी गंद और चूत मे महसूस करती रही होगी इसलिए आज ना वह आई और ना ही रामू आया, दरअसल रामू की तबीयत खराब है पर कल शायद वह भी खेतो मे आए,

मैं हरिया से विदा लेकर घर चला गया और फिर एक स्कार्पीओ किराए से लेकर हम लोग शिर्डी की और रवाना हो गये, ड्राइवर गाड़ी चला रहा था और मैं और संगीता और मम्मी तीनो पिछे की सीट पर बैठे थे, संगीता मेरे और मम्मी के बीच बैठी थी और गाड़ी अपनी रफ़्तार से चली जा रही थी,

रत को 11 बजने को आ चुके थे और मम्मी सामने रोड पर देख रही थी और संगीता को मैं गौर से देख रहा था जो शायद नींद की वजह से झपकीया लेने लगी थी,

गाड़ी मे मधुर संगीत बज रहा था और मैने हमारी सीट के उपर की लाइट ऑफ कर दी और मम्मी ने भी अपने सर को सीट से टीका कर आँखे बंद कर ली, अब गाड़ी मे अंधेरा लगने लगा था और संगीता अपने सर को मेरे कंधे से टिकाए हुए सोने लगी थी,
 
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