desiaks
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"यह हुई ना बात. अब मज़ा आएगा." यह कह के मेने मा को अपनी बाँहों में जाकड़ लिया और उसके गाल को चूस्टे हुए पप्पी लेली.
मा: "लो हामी भरने की देर थी और तुम शुरू हो गये. में तो बस उस रेखा जैसी ही तुम्हारी गर्ल फ्रेंड बनूँगी."
में: "पर मा सोचो कहाँ उसका अशोक कुमार जैसा 70 साल का बुद्धा बॉय फ्रेंड और कहाँ तुम्हारा 28 साल का गबरू जवान मस्त बॉय फ्रेंड. उसके निर्मल आनंद लेने में और मेरे निर्मल आनंद लेने में कुच्छ तो फ़र्क़ होगा ना? पर असली बात है निर्मल आनंद लेना. ऐसा स्वच्छ और निसंकोच आनंद जो दोनो को बराबर मिले." मेरी बात सुन मा मंद मंद मुस्करा रही थी और में माके मुस्कराते होंठों पर अंगुल फेरने लगा.
मा: "पिक्चर की यह निर्मल आनंद वाली बात तूने अच्छी पकड़ी. तो अब मा को अपनी गर्ल फ्रेंड बना के तू उससे निर्मल आनंद लेगा. पर ध्यान रखना में पिक्चर जैसे निर्मल आनंद की बात कर रही हूँ."
"अब तो तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बन गई हो तो कल चलें उस पार्क की शायर करने जहाँ लोग अपनी गर्ल फ्र्िएंडों के साथ निर्मल आनंद लेते हैं." मेने मा की आँखों में देखते शरारत भरे अंदाज़ में कहा.
मा: "ना बाबा नहीं लेना मुझे ऐसा निर्मल आनंद. बेशरम लोग कहीं के. छिपचिपी ही करनी है तो घर में जा कर करे, वहाँ पार्क में सब के सामने. तुम मुझे मॉडर्न बनाने के चक्कर में धीरे धीरे पिच्चे ला रहे हो. पहले तो विधवा से मुझे वापस सुहागन साबित कर दिया. अब सुहागन से गर्ल यानी की कंवारी लड़की बना दिया. आयेज जहाँ से आई वहीं वापस मत भेज देना."
"अरे मा नहीं. तुम चाहोगी तो अब हम यहाँ से वापस आगे की ओर बढ़ने लगेंगे. विधवा से वापस सुहागन बनने में सोच नेगेटिव रहती है जबकि कुँवारी लड़की जब सुहागन बनती है तो उसकी सोच पॉज़िटिव होती है." मेने मा को इशारों इशारों में संकेत दे दिया की में तुम्हें अपनी सुहागन बनाना चाहता हूँ.
मा: "तो इसका मतलब की अब गर्ल फ्रेंड का किस्सा ख़तम और वापस सुहागन मा चाहिए तुम्हें."
मा: "लो हामी भरने की देर थी और तुम शुरू हो गये. में तो बस उस रेखा जैसी ही तुम्हारी गर्ल फ्रेंड बनूँगी."
में: "पर मा सोचो कहाँ उसका अशोक कुमार जैसा 70 साल का बुद्धा बॉय फ्रेंड और कहाँ तुम्हारा 28 साल का गबरू जवान मस्त बॉय फ्रेंड. उसके निर्मल आनंद लेने में और मेरे निर्मल आनंद लेने में कुच्छ तो फ़र्क़ होगा ना? पर असली बात है निर्मल आनंद लेना. ऐसा स्वच्छ और निसंकोच आनंद जो दोनो को बराबर मिले." मेरी बात सुन मा मंद मंद मुस्करा रही थी और में माके मुस्कराते होंठों पर अंगुल फेरने लगा.
मा: "पिक्चर की यह निर्मल आनंद वाली बात तूने अच्छी पकड़ी. तो अब मा को अपनी गर्ल फ्रेंड बना के तू उससे निर्मल आनंद लेगा. पर ध्यान रखना में पिक्चर जैसे निर्मल आनंद की बात कर रही हूँ."
"अब तो तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बन गई हो तो कल चलें उस पार्क की शायर करने जहाँ लोग अपनी गर्ल फ्र्िएंडों के साथ निर्मल आनंद लेते हैं." मेने मा की आँखों में देखते शरारत भरे अंदाज़ में कहा.
मा: "ना बाबा नहीं लेना मुझे ऐसा निर्मल आनंद. बेशरम लोग कहीं के. छिपचिपी ही करनी है तो घर में जा कर करे, वहाँ पार्क में सब के सामने. तुम मुझे मॉडर्न बनाने के चक्कर में धीरे धीरे पिच्चे ला रहे हो. पहले तो विधवा से मुझे वापस सुहागन साबित कर दिया. अब सुहागन से गर्ल यानी की कंवारी लड़की बना दिया. आयेज जहाँ से आई वहीं वापस मत भेज देना."
"अरे मा नहीं. तुम चाहोगी तो अब हम यहाँ से वापस आगे की ओर बढ़ने लगेंगे. विधवा से वापस सुहागन बनने में सोच नेगेटिव रहती है जबकि कुँवारी लड़की जब सुहागन बनती है तो उसकी सोच पॉज़िटिव होती है." मेने मा को इशारों इशारों में संकेत दे दिया की में तुम्हें अपनी सुहागन बनाना चाहता हूँ.
मा: "तो इसका मतलब की अब गर्ल फ्रेंड का किस्सा ख़तम और वापस सुहागन मा चाहिए तुम्हें."