desiaks
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(रमन गेम खेलने लगता है, रिंकी पढ़ाई करती है, तभी कामना कमरे में आती है और रिंकी और रमन को कोल्ड्रिंक देती है, कामना रिंकी के छोटे कपडे देखती है, रिंकी की गुलाबी ब्रा की स्ट्रिप उसके टॉप से साफ दिखाई दे रही थी और, पेंटी भी दिखाई दे रही थी, कामना रिंकी को डाँटते हुए पूछती है)
कामना- ये क्या है रिंकी, कैसे कपडे पहने है, आजकल के बच्चों को पता नहीं क्या हो गया, कौन लाया ये तेरे लिए, इतने छोटे कपडे हमारी संस्कृति में नहीं पहनते.
रिंकी- माँ… आप भी ना पुराने जमाने की औरत हो, मैं अपनी दोस्त सुरभि के साथ बाजार से लायी ये सब, उसने भी अपने लिए खरीदे ऐसे कपडे, आजकल सब यही पहनते हैं.
कामना- सूट सलवार पहना कर, ये सब अच्छा नहीं है, कल से ऐसे नहीं दिखनी चाहिए तू, समझी??
रमन- अरे माँ, जाने दो, जमाना बदल गया है, आजकल सभी ऐसे ही कपडे पहनते हैं, मेरे कॉलेज में भी सब लड़कियां छोटे छोटे कपडे पहनती है.
कामना- तू चुप कर, क्या खेल रहा है तू कंप्यूटर में, कभी अपनी माँ को भी कंप्यूटर चलाना सीखा दे.
रमन- आज सीख लो, आ जाओ.
(वहां केवल 1 ही कुर्सी थी तो रमन उठने लगा)
कामना- अरे बैठे रह तू, तेरी गोद में बैठ जाऊंगी, ट्रेन में भी तो ऐसे ही बैठी थी.
रिंकी- हा हा हा, माँ आप क्या भैया की गोद में बैठकर आई, भैया तो पिचक गए होंगे.
कामना- तू पढ़ाई में ध्यान लगा, ज्यादा शैतानी मत कर.
(कामना रमन की गोद में बैठ जाती है, कामना ने नाईटी के अंदर कुछ नहीं पहना था, उसका पूरा नंगा बदन वैसे ही नाईटी के बाहर से दिख रहा था, और अब वो रमन की गोद में बैठ गयी थी..
रमन ने पैजामा पहना हुआ था, जिसके अंदर उसने कच्छा नहीं पहना था, ऊपर केवल बनियान डाली हुयी थी, जिसमे उसके छाती के बड़े बड़े बाल दिखाई दे रहे थे, रमन का लण्ड अपनी माँ की गांड के स्पर्श से खड़ा हो गया और कामना की गांड में झटके मारने लगा जिसका अहसास कामना को हो रहा था)
कामना- सीधे बैठे रह, ऐसे हिल मत.
रमन- माँ मैं कहाँ हिल रहा हूँ.
कामना- तो कौन हिल रहा है फिर?
रमन- छोड़ो अब, मैं आपको एक गेम खिलाता हूँ.
(रमन कामना को गेम लगा कर देता है, कामना को गेम खेलना नहीं आता, तो रमन खुद ही गेम खेलता है, उसकी गोद में उसकी माँ बैठी थी, अपनी माँ के बगल से हाथ बाहर निकालकर, अपनी छाती माँ की पीठ से सटाकर रमन गेम खेलता है और लण्ड से कामना की गांड में झटके भी देता है, कामना भी उछल रही थी और रमन का साथ दे रही थी, रिंकी ये सब देखे जा रही थी)
रिंकी- माँ-भैया आप ऐसे उछल क्यों रहे हो.
कामना- ये रमन उछल रहा है गेम खेलकर और मुझे भी उछाल रहा है.
रमन- गेम ही इतना खतरनाक है माँ, कहीं आउट न हो जाऊं इसलिए उछल रहा हूँ.
(और ऐसे ही उछलते उछलते झटके मारते मारते रमन गेम में तो आउट हो ही जाता है लेकिन असली गेम में भी आउट हो जाता है और उसका सफेद वीर्य पैजामे में निकल जाता है जिसका साफ साफ गीलापन दिखाई दे रहा था और बदबू भी आ रही थी, कुछ वीर्य का गीलापन कामना की नाईटी में भी लग जाता है)
रमन- अह्ह्ह्ह…. ओह माँ… आउट हो गया मैं तो… अह्ह्ह्ह्ह..
कामना- इतनी जल्दी आउट हो गया, क्या होगा तेरा.
(और कामना हँसते हुए रमन की गोद से खड़ी हो जाती है और रमन के पैजामे में लण्ड की तरफ देखकर मुस्कान देती है और कमरे से बाहर चली जाती है, कामना और रमन दोनों एक दूसरे के इरादों को भांप लेते हैं लेकिन अभी भी कहीं न कहीं दोनों के बीच में माँ-बेटे के रिश्ते की शर्म थी इसलिए दोनों खुल नहीं पा रहे थे लेकिन अनऔपचारिक रूप से दोनों मजे ले रहे थे..
कामना के बाहर जाते ही रिंकी सीधे दौड़ी दौड़ी गेम खेलने के लिए रमन की गोद में बैठ जाती है, रमन का लण्ड अभी भी कड़क था और पूरा गीला था जो सीधा रिंकी के नेकर में गांड में घुसता है और रिंकी को झटका लगता है)
रिंकी- उईई माँ, आऊच…. ये क्या है भैया, आपने तो सुसु कर दिया पैजामे में, गीला हो रखा है.
रमन- सुसु नही है बहना, ये तो पसीना है, जब ज्यादा गर्मी लगती है तो अपनेआप निकल आता है, तू बैठ जा आजा, भैया की गोद में बैठ जा.
रिंकी- और ये खड़ी कैसे हुयी है आपकी नुन्नू?
रमन- बहना, तू कितनी भोली है, तुझे सब समझाना पड़ता है, ये नुन्नू जब किसी सुन्दर लड़की को देखती है तो ऐसे ही खड़ी हो जाती है.
रिंकी- अच्छा ऐसा होता है, जैसे मैं सुन्दर हूँ, ये नुन्नू मुझे देखकर खड़ी हो गयी? स्कूल में तो फिर मुझे देखकर सब की नुन्नू खड़ी हो जाती होगी.
रमन- हाँ बहना तुझे देखकर खड़ी तो हो गयी लेकिन तुझ से पहले इस कमरे में एक और सुन्दर औरत थी, ये नुन्नू उसी ने खड़ी करी है.
रिंकी- माँ ने ?
रमन- हाँ बहना, माँ अभी मेरी गोद में बैठी थी ना, तब में उछल रहा था तो ये खड़ी हो गयी, आजा अब तू भैया की गोद में बैठकर गेम खेल, तेरे बैठने से कुछ देर बाद ये खुद ब खुद बैठ जायेगी.
रिंकी- ठीक है भैया, मैं बैठ जाती हूँ आपकी गोद में.
कामना- ये क्या है रिंकी, कैसे कपडे पहने है, आजकल के बच्चों को पता नहीं क्या हो गया, कौन लाया ये तेरे लिए, इतने छोटे कपडे हमारी संस्कृति में नहीं पहनते.
रिंकी- माँ… आप भी ना पुराने जमाने की औरत हो, मैं अपनी दोस्त सुरभि के साथ बाजार से लायी ये सब, उसने भी अपने लिए खरीदे ऐसे कपडे, आजकल सब यही पहनते हैं.
कामना- सूट सलवार पहना कर, ये सब अच्छा नहीं है, कल से ऐसे नहीं दिखनी चाहिए तू, समझी??
रमन- अरे माँ, जाने दो, जमाना बदल गया है, आजकल सभी ऐसे ही कपडे पहनते हैं, मेरे कॉलेज में भी सब लड़कियां छोटे छोटे कपडे पहनती है.
कामना- तू चुप कर, क्या खेल रहा है तू कंप्यूटर में, कभी अपनी माँ को भी कंप्यूटर चलाना सीखा दे.
रमन- आज सीख लो, आ जाओ.
(वहां केवल 1 ही कुर्सी थी तो रमन उठने लगा)
कामना- अरे बैठे रह तू, तेरी गोद में बैठ जाऊंगी, ट्रेन में भी तो ऐसे ही बैठी थी.
रिंकी- हा हा हा, माँ आप क्या भैया की गोद में बैठकर आई, भैया तो पिचक गए होंगे.
कामना- तू पढ़ाई में ध्यान लगा, ज्यादा शैतानी मत कर.
(कामना रमन की गोद में बैठ जाती है, कामना ने नाईटी के अंदर कुछ नहीं पहना था, उसका पूरा नंगा बदन वैसे ही नाईटी के बाहर से दिख रहा था, और अब वो रमन की गोद में बैठ गयी थी..
रमन ने पैजामा पहना हुआ था, जिसके अंदर उसने कच्छा नहीं पहना था, ऊपर केवल बनियान डाली हुयी थी, जिसमे उसके छाती के बड़े बड़े बाल दिखाई दे रहे थे, रमन का लण्ड अपनी माँ की गांड के स्पर्श से खड़ा हो गया और कामना की गांड में झटके मारने लगा जिसका अहसास कामना को हो रहा था)
कामना- सीधे बैठे रह, ऐसे हिल मत.
रमन- माँ मैं कहाँ हिल रहा हूँ.
कामना- तो कौन हिल रहा है फिर?
रमन- छोड़ो अब, मैं आपको एक गेम खिलाता हूँ.
(रमन कामना को गेम लगा कर देता है, कामना को गेम खेलना नहीं आता, तो रमन खुद ही गेम खेलता है, उसकी गोद में उसकी माँ बैठी थी, अपनी माँ के बगल से हाथ बाहर निकालकर, अपनी छाती माँ की पीठ से सटाकर रमन गेम खेलता है और लण्ड से कामना की गांड में झटके भी देता है, कामना भी उछल रही थी और रमन का साथ दे रही थी, रिंकी ये सब देखे जा रही थी)
रिंकी- माँ-भैया आप ऐसे उछल क्यों रहे हो.
कामना- ये रमन उछल रहा है गेम खेलकर और मुझे भी उछाल रहा है.
रमन- गेम ही इतना खतरनाक है माँ, कहीं आउट न हो जाऊं इसलिए उछल रहा हूँ.
(और ऐसे ही उछलते उछलते झटके मारते मारते रमन गेम में तो आउट हो ही जाता है लेकिन असली गेम में भी आउट हो जाता है और उसका सफेद वीर्य पैजामे में निकल जाता है जिसका साफ साफ गीलापन दिखाई दे रहा था और बदबू भी आ रही थी, कुछ वीर्य का गीलापन कामना की नाईटी में भी लग जाता है)
रमन- अह्ह्ह्ह…. ओह माँ… आउट हो गया मैं तो… अह्ह्ह्ह्ह..
कामना- इतनी जल्दी आउट हो गया, क्या होगा तेरा.
(और कामना हँसते हुए रमन की गोद से खड़ी हो जाती है और रमन के पैजामे में लण्ड की तरफ देखकर मुस्कान देती है और कमरे से बाहर चली जाती है, कामना और रमन दोनों एक दूसरे के इरादों को भांप लेते हैं लेकिन अभी भी कहीं न कहीं दोनों के बीच में माँ-बेटे के रिश्ते की शर्म थी इसलिए दोनों खुल नहीं पा रहे थे लेकिन अनऔपचारिक रूप से दोनों मजे ले रहे थे..
कामना के बाहर जाते ही रिंकी सीधे दौड़ी दौड़ी गेम खेलने के लिए रमन की गोद में बैठ जाती है, रमन का लण्ड अभी भी कड़क था और पूरा गीला था जो सीधा रिंकी के नेकर में गांड में घुसता है और रिंकी को झटका लगता है)
रिंकी- उईई माँ, आऊच…. ये क्या है भैया, आपने तो सुसु कर दिया पैजामे में, गीला हो रखा है.
रमन- सुसु नही है बहना, ये तो पसीना है, जब ज्यादा गर्मी लगती है तो अपनेआप निकल आता है, तू बैठ जा आजा, भैया की गोद में बैठ जा.
रिंकी- और ये खड़ी कैसे हुयी है आपकी नुन्नू?
रमन- बहना, तू कितनी भोली है, तुझे सब समझाना पड़ता है, ये नुन्नू जब किसी सुन्दर लड़की को देखती है तो ऐसे ही खड़ी हो जाती है.
रिंकी- अच्छा ऐसा होता है, जैसे मैं सुन्दर हूँ, ये नुन्नू मुझे देखकर खड़ी हो गयी? स्कूल में तो फिर मुझे देखकर सब की नुन्नू खड़ी हो जाती होगी.
रमन- हाँ बहना तुझे देखकर खड़ी तो हो गयी लेकिन तुझ से पहले इस कमरे में एक और सुन्दर औरत थी, ये नुन्नू उसी ने खड़ी करी है.
रिंकी- माँ ने ?
रमन- हाँ बहना, माँ अभी मेरी गोद में बैठी थी ना, तब में उछल रहा था तो ये खड़ी हो गयी, आजा अब तू भैया की गोद में बैठकर गेम खेल, तेरे बैठने से कुछ देर बाद ये खुद ब खुद बैठ जायेगी.
रिंकी- ठीक है भैया, मैं बैठ जाती हूँ आपकी गोद में.