desiaks
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- Aug 28, 2015
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“अरे नहीं सुनो तो आपको अच्छा लगेगा”|
“ओके-ओके सुनाओ वैसे भी अब मेरे पास सुनाने के लिए कुछ नहीं बचा है,”
राधिका जी अर्ज किया है…
ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-क्या हम इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
जान से ज्यादा तुमको यार
हर पल किया है मैंने प्यार
मासूम से मेरे उस दिल के
टुकड़े तूने किये हजार जिस दिल में.. तुमको हम … मेरी जान लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
हंस के आँख सी मार गयी
लूट के चैन - करार गयी
क़त्ल कर गयी रे जालिम
कर बिन चाकू-तलवार गयी
अजी हम तो .. सब अपना... हरे राम किए बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
बदले एक बदले लिए हजार
गजब थी वो सौदागर यार
मुफ्त में लूट लिया सब कुछ
ऐसा किया उसने व्यापार
ऊपर से... हम दिल ये .. ईनाम दिए बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
तु कर ले लाख सितम हमपे
जो चाहे कर ले जुल्म हमपे
चाहे दे सारी उम्र का गम
इल्जाम न कोई होगा तुमपे
अजी हम तो… इनका भी… एहसान लिए बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
क्या पाना है क्या खोना है
सब मिट्टी है सब सोना है
जो चाहे जिसका हो जाये
हमको तो बस तेरा होना है
अजी हम तो… जीवन ही… तेरे नाम किए बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
क्या घबराना क्यूं है छुपाना
बोलकर लेकिन क्यूं है बताना
खुद ही देखो खुद ही समझो
क्या होता है जब हो दीवाना
अजी हम तो… जख्मों को… सरेआम लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
ना घर है ना है घरवाली
ना बाहर कोइ बाहरवाली
सुनसान पड़ा घर-बार मेरा
यहां तक के दिल भी खाली
देखो फिर भी… बेवफा का… इल्जाम लिए बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
समझ के दिलबर अपने को
सच कर दे मेरे सपने को
ली मन से मनको की माला
तेरे नाम की जपने को
अजी हम तो... .तुमको ही... भगवान किये बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
तेरी-मेरी एक फोटू को
लाईक मिले बड़े हॉटू को
कहा तुझे है क्यूट बड़ी
और मुझे बताया मोटू स
राधे-कृष्ण.. कहे कोई... कोई सिया-राम कहे बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
ना मिली वो तो भी क्या होगा
जी सकूँ मै खा के भी धोखा
फ़िक्र मुझे तो बस इतनी
ना जाने उसका क्या होगा
वो भी तो .. भई दिल में... सलमान लिये बैठे हैं
ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-क्या हम इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
ना पुछे… कोइ हमसे…
ना पुछे… कोइ हमसे…
ना पुछे… कोइ हमसे
“राधिका जी सच-सच बताना कैसा लगा| ”
“बहुत जोर से लगा… ” राधिका ने चिड़ाते हुए जवाब दिया|
“अच्छा जी तो फिर आप ही सुना दो कुछ अच्छा सा”
“ठीक है बताओ किस बारे में सुनना पसंद करोगे आप”
“कुछ भी ऐसा जो मुझे लगे मेरे हाल जैसा है"
“किशन जी भला मुझे क्या मालूम आपका हाल कैसा है| उसके लिए तो पहले आपको ही बताना होगा, कि आपका हाल कैसा है,” राधिका के चेहरे पर शरारती हंसी थी|मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आता, न जाने मेरी हालत कैसी है,
कभी लगता है सब ठीक है, कभी लगता है कुछ भी ठीक नहीं|
“जब आपको ही नहीं पता तो मुझे भी क्या पता जनाब”
“राधिका जी मैं तो आपके सामने हूँ … कुछ अंदाजा लगाइये न”
एक नजर भरकर उसने किशन को देखा और एक शरारती हंसी के साथ उसने कहा “हम्म्म्म्म्… मुझे नहीं पता आप किसी दूजे से पूछ लिजिये”
“अजी कितनो से पूछूं
जो भी देखता है मुझे‚ रूककर कुछ सोचने लगता है,
मगर वो बोलता कुछ नहीं‚ न जाने मेरा हाल कैसा है|
“ठीक है... ठीक है अब बस कीजिये मैं सुनाती हूं”
“ये हुइ न कुछ बात… इरशाद”
क्या कहूं, कैसा नशा है मुझे उनकी दोस्ती का,
एक उसके सिवा, मुझे कोइ अपना नहीं लगता|
वाह… राधिका जी कसम से आपकी शायरी में एक कशिश है मेरी मानें तो आप लिखना शुरू कर दीजिये|
“ओके-ओके सुनाओ वैसे भी अब मेरे पास सुनाने के लिए कुछ नहीं बचा है,”
राधिका जी अर्ज किया है…
ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-क्या हम इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
जान से ज्यादा तुमको यार
हर पल किया है मैंने प्यार
मासूम से मेरे उस दिल के
टुकड़े तूने किये हजार जिस दिल में.. तुमको हम … मेरी जान लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
हंस के आँख सी मार गयी
लूट के चैन - करार गयी
क़त्ल कर गयी रे जालिम
कर बिन चाकू-तलवार गयी
अजी हम तो .. सब अपना... हरे राम किए बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
बदले एक बदले लिए हजार
गजब थी वो सौदागर यार
मुफ्त में लूट लिया सब कुछ
ऐसा किया उसने व्यापार
ऊपर से... हम दिल ये .. ईनाम दिए बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
तु कर ले लाख सितम हमपे
जो चाहे कर ले जुल्म हमपे
चाहे दे सारी उम्र का गम
इल्जाम न कोई होगा तुमपे
अजी हम तो… इनका भी… एहसान लिए बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
क्या पाना है क्या खोना है
सब मिट्टी है सब सोना है
जो चाहे जिसका हो जाये
हमको तो बस तेरा होना है
अजी हम तो… जीवन ही… तेरे नाम किए बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
क्या घबराना क्यूं है छुपाना
बोलकर लेकिन क्यूं है बताना
खुद ही देखो खुद ही समझो
क्या होता है जब हो दीवाना
अजी हम तो… जख्मों को… सरेआम लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
ना घर है ना है घरवाली
ना बाहर कोइ बाहरवाली
सुनसान पड़ा घर-बार मेरा
यहां तक के दिल भी खाली
देखो फिर भी… बेवफा का… इल्जाम लिए बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
समझ के दिलबर अपने को
सच कर दे मेरे सपने को
ली मन से मनको की माला
तेरे नाम की जपने को
अजी हम तो... .तुमको ही... भगवान किये बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
तेरी-मेरी एक फोटू को
लाईक मिले बड़े हॉटू को
कहा तुझे है क्यूट बड़ी
और मुझे बताया मोटू स
राधे-कृष्ण.. कहे कोई... कोई सिया-राम कहे बैठे हैं
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
ना मिली वो तो भी क्या होगा
जी सकूँ मै खा के भी धोखा
फ़िक्र मुझे तो बस इतनी
ना जाने उसका क्या होगा
वो भी तो .. भई दिल में... सलमान लिये बैठे हैं
ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-क्या हम इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|
इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||
ना पुछे… कोइ हमसे…
ना पुछे… कोइ हमसे…
ना पुछे… कोइ हमसे
“राधिका जी सच-सच बताना कैसा लगा| ”
“बहुत जोर से लगा… ” राधिका ने चिड़ाते हुए जवाब दिया|
“अच्छा जी तो फिर आप ही सुना दो कुछ अच्छा सा”
“ठीक है बताओ किस बारे में सुनना पसंद करोगे आप”
“कुछ भी ऐसा जो मुझे लगे मेरे हाल जैसा है"
“किशन जी भला मुझे क्या मालूम आपका हाल कैसा है| उसके लिए तो पहले आपको ही बताना होगा, कि आपका हाल कैसा है,” राधिका के चेहरे पर शरारती हंसी थी|मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आता, न जाने मेरी हालत कैसी है,
कभी लगता है सब ठीक है, कभी लगता है कुछ भी ठीक नहीं|
“जब आपको ही नहीं पता तो मुझे भी क्या पता जनाब”
“राधिका जी मैं तो आपके सामने हूँ … कुछ अंदाजा लगाइये न”
एक नजर भरकर उसने किशन को देखा और एक शरारती हंसी के साथ उसने कहा “हम्म्म्म्म्… मुझे नहीं पता आप किसी दूजे से पूछ लिजिये”
“अजी कितनो से पूछूं
जो भी देखता है मुझे‚ रूककर कुछ सोचने लगता है,
मगर वो बोलता कुछ नहीं‚ न जाने मेरा हाल कैसा है|
“ठीक है... ठीक है अब बस कीजिये मैं सुनाती हूं”
“ये हुइ न कुछ बात… इरशाद”
क्या कहूं, कैसा नशा है मुझे उनकी दोस्ती का,
एक उसके सिवा, मुझे कोइ अपना नहीं लगता|
वाह… राधिका जी कसम से आपकी शायरी में एक कशिश है मेरी मानें तो आप लिखना शुरू कर दीजिये|