Romance एक एहसास - SexBaba
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Romance एक एहसास

desiaks

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Aug 28, 2015
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“अरे नहीं सुनो तो आपको अच्छा लगेगा”|

“ओके-ओके सुनाओ वैसे भी अब मेरे पास सुनाने के लिए कुछ नहीं बचा है,”

राधिका जी अर्ज किया है…

ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-क्या हम इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

जान से ज्यादा तुमको यार

हर पल किया है मैंने प्यार

मासूम से मेरे उस दिल के

टुकड़े तूने किये हजार जिस दिल में.. तुमको हम … मेरी जान लिये बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

हंस के आँख सी मार गयी

लूट के चैन - करार गयी

क़त्ल कर गयी रे जालिम

कर बिन चाकू-तलवार गयी

अजी हम तो .. सब अपना... हरे राम किए बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

बदले एक बदले लिए हजार

गजब थी वो सौदागर यार

मुफ्त में लूट लिया सब कुछ

ऐसा किया उसने व्यापार

ऊपर से... हम दिल ये .. ईनाम दिए बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

तु कर ले लाख सितम हमपे

जो चाहे कर ले जुल्म हमपे

चाहे दे सारी उम्र का गम

इल्जाम न कोई होगा तुमपे

अजी हम तो… इनका भी… एहसान लिए बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

क्या पाना है क्या खोना है

सब मिट्टी है सब सोना है

जो चाहे जिसका हो जाये

हमको तो बस तेरा होना है

अजी हम तो… जीवन ही… तेरे नाम किए बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

क्या घबराना क्यूं है छुपाना

बोलकर लेकिन क्यूं है बताना

खुद ही देखो खुद ही समझो

क्या होता है जब हो दीवाना

अजी हम तो… जख्मों को… सरेआम लिये बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

ना घर है ना है घरवाली

ना बाहर कोइ बाहरवाली

सुनसान पड़ा घर-बार मेरा

यहां तक के दिल भी खाली

देखो फिर भी… बेवफा का… इल्जाम लिए बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

समझ के दिलबर अपने को

सच कर दे मेरे सपने को

ली मन से मनको की माला

तेरे नाम की जपने को

अजी हम तो... .तुमको ही... भगवान किये बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

तेरी-मेरी एक फोटू को

लाईक मिले बड़े हॉटू को

कहा तुझे है क्यूट बड़ी

और मुझे बताया मोटू स

राधे-कृष्ण.. कहे कोई... कोई सिया-राम कहे बैठे हैं

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

ना मिली वो तो भी क्या होगा

जी सकूँ मै खा के भी धोखा

फ़िक्र मुझे तो बस इतनी

ना जाने उसका क्या होगा

वो भी तो .. भई दिल में... सलमान लिये बैठे हैं

ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-क्या हम इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|

इश्क का तो कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

ना पुछे… कोइ हमसे…

ना पुछे… कोइ हमसे…

ना पुछे… कोइ हमसे

“राधिका जी सच­-सच बताना कैसा लगा| ”

“बहुत जोर से लगा… ” राधिका ने चिड़ाते हुए जवाब दिया|

“अच्छा जी तो फिर आप ही सुना दो कुछ अच्छा सा”

“ठीक है बताओ किस बारे में सुनना पसंद करोगे आप”

“कुछ भी ऐसा जो मुझे लगे मेरे हाल जैसा है"

“किशन जी भला मुझे क्या मालूम आपका हाल कैसा है| उसके लिए तो पहले आपको ही बताना होगा, कि आपका हाल कैसा है,” राधिका के चेहरे पर शरारती हंसी थी|मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आता, न जाने मेरी हालत कैसी है,

कभी लगता है सब ठीक है, कभी लगता है कुछ भी ठीक नहीं|

“जब आपको ही नहीं पता तो मुझे भी क्या पता जनाब”

“राधिका जी मैं तो आपके सामने हूँ … कुछ अंदाजा लगाइये न”

एक नजर भरकर उसने किशन को देखा और एक शरारती हंसी के साथ उसने कहा “हम्म्म्म्म्… मुझे नहीं पता आप किसी दूजे से पूछ लिजिये”

“अजी कितनो से पूछूं

जो भी देखता है मुझे‚ रूककर कुछ सोचने लगता है,

मगर वो बोलता कुछ नहीं‚ न जाने मेरा हाल कैसा है|

“ठीक है... ठीक है अब बस कीजिये मैं सुनाती हूं”

“ये हुइ न कुछ बात… इरशाद”

क्या कहूं, कैसा नशा है मुझे उनकी दोस्ती का,

एक उसके सिवा, मुझे कोइ अपना नहीं लगता|

वाह… राधिका जी कसम से आपकी शायरी में एक कशिश है मेरी मानें तो आप लिखना शुरू कर दीजिये|
 
“बस-बस रहने दीजिये… मैं जानती हूँ मैं लिख सकती हूँ या नहीं‚ आप लिखते रहिये हम तो आपकी कहानियां पढकर ही खुश होंगें…” राधिका ने पलटवार करते हुए कहा|

यूं न मजाक बना ऐ दोस्त मेरा,

सब जानते हैं सच क्या होगा,

जिसे पढ़ना नहीं आता ठीक से,वो लिखता भी क्या घन्टा होगा|

“राधिका जी आप बुरा न मानें तो मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं ”

“मगर ऐसा क्या … पूछिये” थोड़ा रूककर राधिका ने कहा

“क्या आप किसी से प्यार करते हैं,”

“बस इतनी सी बात थी… अरे इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है हर कोइ किसी न किसी से प्यार करता हैं, मैं भी करती हूँ ”|

“किससे…” किशन ने जल्दी से पूछा

“मम्मी से दीदी से ड़ैड़ी से और… सैंड़ी से”|

किशन का दिल जोर से धड़क उठा… कहीं ऐसा तो नहीं जहां वह अपना नाम सुनना चाहता था राधिका की जिंदगी में वहां सैंड़ी का नाम आता हो| वह बैचैन हो उठा और पूछे बिना न रह सका “ये सैंड़ी कौन है| ”

“सैंड़ी… हमारे कुत्ते का नाम है,” |

किशन ने राहत की सांस ली| राधिका जी अपने परिवार के सदस्यों से तो सभी प्यार करते हैं मगर मेरा मतलब आपके जीवन साथी से था|

“उस प्यार का मतलब तो मैं आपको नहीं बता सकती मगर जहां तक बात मेरे जीवन साथी की है तो मैं बस ये सोचतीउसके सिवा न कभी कोइ मेरा होगा,

ओर मेरे सिवा न कभी वो हो किसी का|

“अब आप बताइये… आपके जीवन साथी के बारे मे या फिर कुछ अपने प्यार के बारे मे‚ क्या आपने जीवन मे किसी से प्यार किया है ” राधिका ने पूछा

“राधिका जी अगर कोइ ऐसा है जिसे किसी से प्यार नहीं है तो वह बस पत्थर हो सकता है… मेरी नजर में ­-

प्यार पागलपन है, प्यार जवानी है,

प्यार आग है, प्यार शीतल पानी है,

प्यार धरती है, प्यार ही आकाश है,

प्यार भरोसा है, प्यार एक विश्वास है|

“अजी आपकी परिभाषा ने तो पूरी सॄष्टि को ही प्यार में समेट दिया है मगर किशन जी हकीकत इससे बहुत अलग होती है,”

“राधिका जी प्यार के बारे मे मेरा जो नजरिया था‚ मैने बता दिया… मै जानता हूँ हर किसी का नजरिया एक जैसा नहीं होता‚ जैसे कि सेक्सपीयर साहब ने कहा है­ प्यार अंधा होता है जिसमे प्रेमीजन उन महान मूर्खताओं को ही नहीं देख पाते जिन्हे वे स्वयं करते हैं|

“हां… देखा सेक्सपीयर साहब ने प्रेमीजनो को मूर्ख कहा है,”राधिका ने चटकारा लेते हुए कहा|

“राधिका जी किसी भी बात को सही या गलत बनाने मे इन्सान के सोचने का नजरिया बहुत हद तक जिम्मेदार होता है‚ अब देखिये न आपने ध्यान दिया कि सेक्सपीयर साहब ने प्रेमीजनो को मूर्ख कहा‚ मगर मुझे इस बात ने ज्यादा प्रभावित किया कि उन्होने प्रेमीजनो की मूर्खताओं को भी महान बताया| वैसे भी किसी की खुशी में खुश और दु:ख में दुखी रहना ही प्यार है, अब इसे कोइ मूर्खता समझे तब भी प्यार एक पवित्र एहसास है|

“ओहो… लव गुरू रूको जरा प्यार की एक परिभाषा ये हैं कि प्यार एक धोखा है… क्योंकि हम जिसे जितना प्यार करते है वो हमे उतना ही दु:ख देता है ओर अपनो को दु:ख देना धोखा ही तो है और इसकी दूसरी परिभाषा ये है कि सच्चा प्यार हमेशा बर्बाद करता है|

“अरे… रे… आप तो गुस्सा हो गये… राधिका जी मैं आपसे पुरी तरह सहमत हूँ मैं भी मानता हूँ प्यार एक धोखा है… मगर बडा ही प्यारा सा … अजी प्यार तो जल की तरह शीतल है| जिस तरह किसी गर्म वस्तु को पानी में ड़ालने पर भले ही पानी कुछ देर के लिए गर्म हो जायेगा मगर आखिर में पानी उस गरम वस्तु को ठंड़ा कर देगा, ठीक उसी तरह सच्चा प्यार करने वाले धोखा देने वालो को भी दुआ ही देते हैं‚ और एक दिन उनका भी दिल जीत लेते हैं|

“अच्छा गुरू जी आप जीते मैं हारी‚ अब चुप हो जाओ— हे भगवान इनको कोइ कैसे सहेगी|

“अजी जिसे मुझसे प्यार होगा वो सहेगी और हँसकर सहेगी… क्योंकिकिसी की खुशी की खातिर मजबुर हो जाना भी प्यार है,”|

“तुम बिल्कुल पागल हो तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता… मैं तो जा रही हंंू ”|

“अरे राधिका जी किसी की खुशी की खातिर दूर हो जाना भी प्यार ही होता है,”

“Will u please shut up & please stop your Horse laugh|”

राधिका को परेशान देखकर किशन बहुत खुश था| इतना खुश कि वह राधिका के गुस्से को भी न देख सका| राधिका का चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था| वह उठकर बाहर जाने लगी| किशन अब भी उसके गुस्से से अनजान हस रहा था| इससे राधिका का गुस्सा ओर ज्यादा भड़क गया| वह दरवाजे से बाहर चली गई| एकाएक वह दरवाजे पर आयी और एक कंकर किशन को दे मारी| दरवाजे में खड़ी-खड़ी वह उसे घूर रही थी| किशन अब भी हँस रहा था ओर मसकरी करने के मूढ़ में हाथ से कुछ फेंकने का इशारा करते हुए बोकुछ यूं झटका उसने हाथ को,

और कुछ यूं लगा मुझे,

जैसे मुझे कुछ लगा हो|

“राधिका को इतना गुस्सा आया कि उसने एक बार फिर किशन को मारना चाहा मगर उसने अपना हाथ बीच में ही रोक लिया‚ क्योंकि मारने के लिए उसके हाथ में कुछ भी नहीं था|
 
“राधिका जी आपके हाथ को जिसने रोका वह भी प्यार ही है,” ठहाका लगाकर हंसते हुए किशन ने कहा|

इतना सुनते ही राधिका ने अपनी सैंड़िल निकालकर जोर से किशन को दे मारी|

किशन को थोड़ी चोट लगी मगर फिर भी वह हँसकर बोला “राधिका जी किसी को सैंड़िल मारना भी प्यार हो सकता है,” |

गुस्से में राधिका अपनी सैंड़िल लेने अन्दर आई तथा सपाट शब्दो में बोली “मेरी सैंड़िल दो अब मुझे आपसे कोइ बात नहीं करनी… न ही आज के बाद मैं कभी आपसे मिलूंगी”|

अब किशन को उसके गुस्से का अंदाजा हुआ साथ ही उसे एहसास हुआ कि उसकी बकवास कुछ ज्यादा हो गई और अगर अभी उसने राधिका को नहीं मनाया तो फिर शायद वह कभी भी उससे नहीं मिलेगी|

“पहले आप मुस्कुराइये तब मैं आपकी सैंड़िल दूंगा राधिका जी मैं तो मजाक कर रहा था मुझे क्या पता था… प्लीज मुझे माफ कर दीजिये|”

“मै कब से… मुझे किसी का एक ही बात को बार­-बार रटते रहना बिलकुल पसंद नहीं … मैने आपसे क्या पूछा था और आप बात को कहां ले गये|

“आप इस बार माफ कर दो… मै वादा करता हू अब कभी ऐसा नहीं करूंगा… अब मैं आपके सवाल का सीधा जवाब देता हंू… राधिकअगर न सोचे इन्सान सुख में जीने की,

तो खुश रह सकता है हाल में कैसे भी|

“आप कुछ सोचो या न सोचो… बस मेरी सैंड़िल दे दो मुझे देर हो रही है,”

“मगर आप मुझसे नाराज तो नहीं हैं न”

“नहीं… बस… अब मुझे मेरी सैंड़िल दे दो”

“मगर राधिका जी आपकी सैंड़िल मेरे पास कैसे आई “हल्की मुस्कान के साथ किशन ने कहा|

राधिका बिना कुछ कहे नजरे झुकाकर खड़ी थी|

किशन ने सैंड़िल नीचे रख दी|

सैंड़िल पहनकर राधिका चुपचाप बाहर जाने लगी तो वह बोला—राधिका जी जाने से पहले एक शेर सुनते जाइये”|

वह रूजो दोस्त हँसकर माफ कर दे हमारी गलती को,

जान के बदले भी मिले ऐसा दोस्त, तो भी सस्ता है|

“ओके बाए…” राधिका ने मुस्कुराकर कहा “आप भी मुझे माफ कर देना वो मैने गुस्से में …”

अजी ­-

जब बात जन्मो के साथ की हो,

तब छोटी­-2 बातों पे नाराज न हों|

“जी… क्या मतलब| ”

“जी मतलब ये कि छोटी-छोटी बातों पर क्या नाराज होना”| राधिका मुस्कुराकर चली गई|

हंस के आँख वो मार गया

दिल का चैन - करार गया

जिसने लूटा मेरा सब कुछ

एक के बदले ले हजार गया

उसको ही.. दिल हम ये... ईनाम दिए बैठे हैं

इश्क का कतरा भी ना संभले… फिर हम तो… तूफान लिये बैठे हैं||

ना पुछे… कोइ हमसे… क्या-2 इस दिल में… अरमान लिये बैठे हैं|

ना पुछे… कोइ हमसे…

गुनगुनाते हुए राधिका अन्दर आई किशन अब भी सो रहा था|

“किशन जी आप भी कमाल करते हो जब देखो सोते रहते हो,”

“हूँ ... ऊं… राधिका जी आप… अब आप से क्या छिपाना यार जबसे प्यार हुआ है मेरी तो रातों की नींद ही उड़ गइ है,” किशन ने आँख मलते हुए कहा|

“अच्छा जी तो आप कहना चाहते हैं पहले आप को रात में नींद आती थी”

“जी हाँ बहुत अच्छी नींद आती थी मगर अब… देर रात तक तो नींद नहीं आती और सुबह में जल्दी आँख नहीं खुलती”

मगर राधिका के सवाल से उसकी सारी सुस्ती गायब हो गई “क्या आप कुदरत को झूठा साबित करना चाहते हैं,”|

“कुदरत को… क्या मतलब” किशन ने हैरानी से पूछा|

“जी मतलब ये कि सारी दुनिया जानती है उल्लू को रात में नहीं बल्कि दिन में नींद आती है और आपकी चोरी पकड़ी गई तो प्यार का बहाना बनाकर अपनी असलियत छिपाना चाहते हैं,”|

राधिका की हंसी थी कि रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी|

राधिका को टोकते हुए उसने कहा राधिका जी … आज कुछ ज्यादा हो रहा है|

“जी नहीं ज्यादा नहीं… हिसाब बराबर हुआ है परसों आपने मुझे परेशान किया था आज मैने आपको … बस हिसाब बराबर|

“तो आप हिसाब बराबर करना चाहती है… तब जरा याद करो आपने परसों क्या किया था| राधिका नजरें झुकाकर बैठ गई |

किशन जानता था राधिका को क्या याद आया है जो वह नजरें झुकाकर बैठ गई …“कैसे करू तारीफ उनकी खूबसूरती की, मेरे पास शब्द बहुत कम हैं,

वो खूबसूरत हैं बहुत ज्यादा, और मुझे लिखने का तजुर्बा बहुत कम है|

राधिका बड़ी गंभीर निगाहो से किशन को देखने लगी|

कुछ देर की खामोशी के पश्चात् वह बोली किशन जी परसों हमारी बातें अधूरी रह गई थी— अगर आप हमे इस लायक समझते हो कि आप हमे अपने उस दोस्त के बारे में कुछ बता सकें, तो बताइये आपकी वो दोस्त कौन है वो देखने में कैसी है|

किशन राधिका के इस सवाल से हक्का–बक्का रह गया|

राधिका ने हल्की सी मुस्कान के बाद अपनी नजरें झुका ली|

राधिका के अंदाज में ही किशन ने भी जलेबी की तरह का बिल्कुल सीधा जवाब दिया—वो लबों की लाली, वो गालों की सुर्खी,

वो आखों की चमक, वो दिलकश अदाएं,

राधिका जी बस यूं समझिये—

वो दिखते भी हैं जालिम, ओर हैं भी जालिम|

आप किसी बात का जवाब सीधा-सीधा नहीं दे सकते क्या| चलिए आपकी मर्जी हमे मत बताइये मगर आपने उनको तो बता ही दिया होगा या उनको भी नहीं|

“जी अभी तक तो नहीं”

”मगर क्यों नहीं बताया”
 
“अजी क्या बताऊं…

अजब सी हालत हो जाती है उनके सामने आते ही,

बहुत कुछ कहना चाहता हूँ मगर कहता कुछ नहीं|

“वैसे तो आप बहुत बोलते हो फिर एक लड़की के सामने क्यो नहीं बोल पाते”

“राधिका जी ऐसी बात नहीं है कि मैं उनके सामने कुछ नहीं बोल पाता… जिस दिन मैं उनकी आँखों में इकरार की झलक देख लूंगा‚ उस मैं सारी दुनिया के सामने इजहार कर दूंगा|

ओहो… तो आप नजरों की बातें भी समझते है|

“जी हां बिल्कुल…किसी की झलक को तरसते हैं, तो किसी का दिखना कहर होता है,

हर नजर की बात अलग होती है, अलग हर नजर का असर होता है|

“कभी-कभी आप बहुत अच्छी बातें करते हैं अगर आप जैसा कोइ खिलौना होता हो तो मुझे बताना मुझे अपने घर के लिए चाहिए” राधिका ने हंसते हुए कहा|

“राधिका जी … आप मुझे ही ले जाइये न…

कोइ हँसकर देखे तो खुशी से लुट जाता हू ये आदत मेरी है,

एक प्यार भरी नजर और दो मीठे बोल बस ये कीमत मेरी है|

राधिका शरमाकर नजरें झुकाकर बैठ गई|

ओर किशन उसकी तारिफ करता रहा—

एक तो तुम्हारी, स्माईल प्यारी,

उस पर ये आखें, हाये कजरारी|

अब दूर न जा,

दिल में समा जा,

बन जाओ राधा,

मै गिरिवरधारी,

एक तो तुम्हारी, स्माइल प्यारी,

उस पर ये आखें, हाये कजरारी|

जानेमन ए जाने जां,

कहूं क्या तेरे बिना,

जीना तो है जीना,

मरना भी भारी,

एक तो तुम्हारी, स्माइल प्यारी,

उस पर ये आखें, हाये कजरारी,

हाये दो धारी …|

“तो जनाब उनकी खूबसूरती से घायल हो गए… खैर अब हो भी क्या सकता है| आपको पहले ही अपने मन को काबू में रखना चाहिये था या फिर उसे मन की गहराई में उतरने ही न देते|

“राधिका जी बोलना तो आसान है, जरा सोचिये—

“भला क्या कहें उनको, जिनके बिना जी भी न सकें,

कैसे रोकें उस कातिल को, जो जान से भी प्यारा लगे|

“किशन जी प्लीज बताओ न वो कौन है,”

किशन ने सोचा तो था कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाने के पश्चात् इजहार करेगा मगर अब ज्यादा देर करना भी उसने उचित न समझा…

“दिल है मेरा मगर इसमे अरमान हैं तेरे,

आप ही कातिल, आप ही भगवान हो मेरे|

ये शब्द सुनकर तो मानो राधिका की खुशी का कोइ ठिकाना न रहा| वह मुस्कुराते हुए उठकर बाहर जाने लगी| किशन ने उसे पकड़ने की कोशिश की मगर जब उसे बिस्तर से उठने में तकलीफ हुई तो वह वापस लेट गया| राधिका उसे अंगूठा दिखाकर बाहर चली गई|

इस दौरान राधिका की कुछ पासपोर्ट साइज तस्वीरें नीचे गिर गई‚ जो किसी फार्म पर चिपकाने के लिए वह अपने साथ लाई थी|

तस्वीरें उठाने के लिये किशन को थोड़ा दर्द सहना पड़ा| उसने एक तस्वीर अपने तकिये के नीचे रख ली और बाकी तस्वीरें तकिये के पास रख दी|

राधिका आई ओर दरवाजे के पास से ही धीरे से बोली—“अच्छा तो हम चलते हैं…”

“अजी फिर कब मिलेंगें…” उसे अन्दर आने का इशारा करते हुए किशन ने कहा|
 
एक बार फिर राधिका उसे अंगूठा दिखाकर चली गउफ्फ ये जिद्द तेरी‚ एक हां के लिए 100 बार ना‚ क्या गुजरती है दिल पे तुझे क्या बताऊं

इतना करम करना रे जालिम‚ कभी हां न कहना‚ तु हां कहे तो कहीं मैं पागल न हो जाऊं

किशन जानता था जब राधिका को तस्वीरों की जरूरत होगी तब वह उन्हे लेने लौटकर उसके पास जरूर आएगी| इसलिए वह निशचिंत होकर आखें बंद करके लेटा रहा| उसने सोच लिया था‚ जब राधिका फोटो लेने आएगी तब वह उसे अंगूठा दिखाने के बदले में थोड़ा सबक तो जरूर सिखाएगा|

कुछ देर बाद राधिका वापस आई शायद उसे रास्ते में ही पता चल गया होगा तस्वीरें उसके पास नहीं हैं| वह दबे पांव किशन के कमरे में दाखिल हुई| वह नहीं चाहती थी कि किशन को उसके अन्दर आने का पता चले या फिर वह नहीं चाहती थी कि किशन की नींद टूटे|

मगर किशन तो पहले से ही जाग रहा था| फोटो ढ़ूंढ़ते हुए जैसे ही राधिका की पीठ किशन की ओर हुई उसने राधिका की तस्वीर हाथ में ली ओर वह बोअरे “बांगरू”क्यों करता है हर वक्त खुशामद इसकी,

वो खुद बात नहीं करते, तो उनकी तस्वीर क्या बोलेगी|

राधिका ने मुडकर देखा तो किशन ने उसका स्वागत एक शरारती मुस्कान के साथ किया|

राधिका के चहरे पर बड़ी हैरानी के भाव थे -जैसे उसने मन ही मन सोचा हो हे भगवान इस पागल के पास मेरी तस्वीरें कैसे पहुच गई|

“आपके पास ये तस्वीरें कैसे आई” राधिका ने बड़ी नजाकत के साथ पूछा

“लो कर लो बात अजी आप ही तो मुझे अपनी तस्वीर निशानी के तौर पर दी थी” राधिका को सताने के लिए उसकी तस्वीर सीने से लगाते हुए किशन ने कहा|

“आ हा हा… मैने दी थी…”

“राधिका जी शायद आपको याद नहीं है आपने मुझे ये तस्वीरें देते हुए कहा था कि मैं इनका ख्याल रखूं| अब आप चाहें तो पूछ लिजिये मैने एक पल के लिए भी इनको अपने सिने से अलग नहीं किया‚ तब से लेकर अब तक मैने प्यारी-प्यारी बातें करके इनका मन बहलाया है|

“अच्छा जी… मगर जब तक ये तस्वीरें मेरे पास थी तब तक तो ये बातें नहीं करती थी|

“अजी ये बड़ी जालिम शख्श की तस्वीर हबाते… बड़ी प्यारी … ये तुम्हारी… तस्वीर करती है,बंध जाती हैं नजरें… ये बंधन… इश्क की जंजीर करती है|

छाया एक खुमार सा है,

दिल ये बेकरार सा है,

सुध न अपनी, जबसे ये तस्वीर देखी है,

न जाने… जादू कैसा… ये तस्वीर करती है,

बाते… बड़ी प्यारी … ये तुम्हारी… तस्वीर करती है,बंध जाती हैं नजरें… ये बंधन… इश्क की जंजीर करती है|

“अच्छा­-अच्छा अब आपकी बातें खत्म हो गइ हों तो लाओ मेरी तस्वीरें वापिस दो” राधिका ने अकड़ते हुए कहा

“मगर फिर मेरा वक्त कैसे कटेगा”

“प्लीज- आप ये तस्वीरें मुझे दे दीजिये… मै आपको कोइ दूसरी तस्वीर दे दूंगी” राधिका ने इतने प्यार से तस्वीरें मांगी थी कि वह किशन को दूसरी तस्वीर देने का वादा न भी करती तब भी वह उसे मना नहीं कर पाता|

“ठीक है जी ये रखी हैं आपकी तस्वीरें आप उठाकर ले जाइये” किशन ने तस्वीरें अपने सिरहाने रखते हुए कहा|
 
राधिका आगे बढ़ी| अब तस्वीरे उसके हाथों की पहुंच में थी मगर जैसे ही उसने तस्वीरें उठाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया किशन ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने पास बिठा लि“चूमकर उनके माथे को, लगा लूंगा उनको गले से,

भा गइ ये खता, तो शायद कर लें गुनाह मर्जी से|

राधिका की धड़कने तेज हो गई थी| उसकी आंखांे का रंग बदल गया था| होंठ कुछ नशीले से हो गये थे| वह बड़े ही नशीले अदांज से किशन की आंखो में झाकने लगी|

राधिका के शरीर के स्पर्श से किशन भी बहक गया| उसने एक पल के लिए राधिका की नशीली आखों में देखते हुए उसे बाहो में भर लियाचढ़ेगा जब मेरी चाहत का रंग‚ मेरी बाहों में आकर बिखरोगे आप, यूं खूबसूरत हो आप बहुत‚ मिलकर मुझसे ओर भी निखरोगे आप|

अपने जीवन में किसी लड़की के इतने अधिक निकट उसने अपने आपको कभी नहींं पाया था| उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि उसकी किशोरावस्था यहा समाप्त हो गई, और एक नई अवस्था का श्री गणेश हो रहा है| उसका दिल जोरों से उछलने लगा था| धड़कने तेज़ हो चली थी| उसके भीतर का भाव तीव्रता पा चुका था| भीतर की ऊष्णता उसकी आखों तक आ गई थी| समुद्र के ज्वार भाटे की तरह कोइ चीज उसमें ऊधम मचा रही थी|

कंपन और गर्म धड़कनों के साथ उसने राधिका को अपनी बाहों में बांध लिया| वह भी निर्जीव सी बंध गई|

किशन ने राधिका को अंगूठा दिखाने का सबक सिखाया|

राधिका आखें बंद करके बैठी थी| वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रही थी|

एक बार फिर राधिका की प्लीज- के सामने किशन को झुकना पड़ा|

हाथ छोड़ते हुए किशन ने कहा­ मैं भी बोलता हूँ प्लीज- कुछ तो इलाज करो मेरे मन का|

“इसका तो अब एक ही इलाज है,”

“ओर वो इलाज है क्या| “

“भूल जाओ…” किशन को तस्वीरें दिखाकर हँसते हुए वह दरवाजे की ओर बढ गई|

किशन को भनक भी न पड़ी थी कि कब राधिका ने वे तस्वीरें उठा ली|

“मोहतरमा आपके लिए एक शेर अर्ज करता हू जरा गौर फरम“आखिर यूं पर्दा करने से भी क्या होगा,

हो सके तो हमे अपने दिल से निकाल दो,

अगर आप चाहते हो मैं भूल जाऊ आपको,

तो एक पर्दा अपनी तस्वीर पर भी ड़ाल दो|

“तस्वीर ही ले चले है जनाब” राधिका ने उसे तस्वीरें दिखाते हुए कहा|

इस पर किशन ने तकिये के नीचे रखी हुइ तस्वीर निकाली ओर बोला—शायद वो नहीं चाहते कभी भूल पाऊं मैं उनको,

नहीं तो क्यों दे रहे हैं वो अपनी तस्वीर मुझको|

राधिका पलटी| किशन के हाथ में अपनी तस्वीर देखकर वह बनावटी गुस्से में बोली—“यार ये क्या मजाक है मुझे मेरी तस्वीरें वापिस चाहिए”

“राधिका जी आपके पास 20 फोटो हैं इसलिए मैने एक अपने लिए रख ली …

“लेकिन जब मैं सही सलामत आपके साथ हूँ तो फिर आपको मेरी तस्वीर क्यों चाहिए”

“राधिका जी आपके होने मे ओर आपकी तस्वीर के होने में बहुत अन्तर है…”

“वो कैसे”

“तुमको हैं बन्दिशे हजार, तुम पर निगाहें है जमाने की,

मजबुरी तेरी लाखों हैं, आते ही बात करते हो जाने की|”

हर लड़की की तरह राधिका भी अपनी तारीफ सुनकर खुश थी| मगर दिखावे की अक्कड़ के साथ वह बोली “ओर भी कुछ बचा हो तो वो भी बता दो”

“ओरहमे अब आपसे ज्यादा लगाव है आपकी तस्वीर से,

दोस्तों का ख्याल रखना सीखा है आपकी तस्वीर से|

राधिका की तस्वीर को चुमकर सीने पर रखते हुए किशन बोला “इसकी सबसे बड़ी खूबी ये है राधिका जी इसे कितना भी प्यार करो या मजाक करो ये कभी बुरा नहीं मानती|­ अच्छा राधिका जी मेरा अब मेरी जान के साथ सोने का वक्त हो गया है,”

राधिका गुस्से में बाहर चली गई|

किशन बहुत खुश था|

राधिका के जाने के बाद कुछ देर तक वह दिवानों की तरह उस तस्वीर को निहारता रहा| अचानक उसे किसी के कदमों की आहट सुनाइ दी|

“शायद राधिका अपनी तस्वीर वापस लेने आई होगी” यह सोचकर किशन तस्वीर को सीने से लगाकर सोने का नाटक करने लगा| उसने महसूस किया किसी का हाथ उसके सीने पर उसके हाथों के नीचे से तस्वीर निकालने की कोशिश कर रहा है| अब तो किशन को यकीन हो गया था हो न हो यह राधिका ही है| किशन ने उस हाथ को प्यार से सहलाते हुए कहा… “हकीकत भले न हो मेरा ख्यालों में आपसे मिलना,

मगर कम्बख्त मुझे ये कोइ ख्वाब भी तो नहीं लगता|

किशन ने आखें खोली तो उसकी आखें खुली की खुली रह गई| जैसे उसे 440 V के करंट का झटका लगा हो| जिस हाथ को वह बड़े प्यार से सहला रहा था| वह श्रीहरिनारायण यानी उसके बाबू जी का हाथ था|

“बाबू जी आप कब आए| ” किशन ने हड़बड़ाते हुए पूछा|

“बेटा जब तुम सो रहे थे… किशन दर्द अब भी ज्यादा है क्या|

“किशन को अब दर्द का ख्याल ही कहां था…जी न्न्न्नही…है…अब मुझे बिल्कुल दर्द नहीं है|

“अच्छा बेटा अब तुम आराम करो… मैं कुछ काम से बाहर जा रहा हू” बोलने के बाद श्रीहरिनारायण बाहर चले गए|

किशन ने अपने सीने पर देखा तो वह अपनी मुर्खता पर तिलमिला उठा|

उसका मन किया कि वह खुद को गोली मार ले क्योकि राधिका की तस्वीर उसके सीने पर सीधी पड़ी थी|

अगले दिन राधिका फिर उससे मिलने आई| राधिका को देखते ही किशन को एहसास हुआ‚ उसे वह तस्वीर अपने पास नहीं रखनी चाहिए थी ओर इससे पहले कुछ ओर भी ऐसा हो उसे वह तस्वीर वापिस कर देनी चाहिए| मगर क्या सब कुछ जानने के बाद राधिका उससे दोबारा कभी मिलेगी| उसके मन का जवाब था “शायद नहीं” इसलिए एक बार उसने सोचा कि वह राधिका से इस बारे में कोइ बात नहीं करेगा| लेकिन उसे रोहन की एक बात याद आइ किदोस्ती की शुरूवात तो झूठ से भी हो सकती है मगर जिस रिश्ते को कायम रखने के लिए लगातार झूठ का सहारा लेना पडे, वह रिश्ता दोस्ती का नहीं हो सकता|

“राधिका जी ये लिजिए आपकी तस्वीर” किशन ने तस्वीर राधिका की तरफ बढ़ाते हुए कहा

“ये कौन सी नई शरारत है… आप ही रखो … मुझे नहीं चाहिए अब ये तस्वीर”

“राधिका जी ये शरारत नहीं है… आपने ठीक कहा था मुझे ये तस्वीर नहीं रखनी चाहिए थी|

“मै कुछ समझी नहीं… क्या हुआ| ”

किशन ने उसे सारा वॄतांत सुनाना शुरू किया| अभी वह उसे आधी बात ही बता पाया था कि बिना कुछ सोचे समझे ही राधिका हंसने लगी… आपने अपने बाबू जी का हाथ मेरा हाथ समझा ओर शेर भी सुनाया… that’s very good yaar… यार…

“आगे भी तो सुनो” किशन ने उसे बीच में टोकते हुए कहा

“अच्छा जी… अभी बाकी है क्या… सुनाओ­-सुनाओ…” बोलते हुए राधिका फिर से ठहाका लगाकर हंसने लगी|

जैसे ही किशन ने बताया उसके बाबू जी ने उसके सीने पर पडी राधिका की तस्वीर भी देख ली थी तो जैसे राधिका को कोइ गहरा सदमा लगा|

वह अपना सिर पकड़कर वहीं बैठ गइ|

“हे भगवान…” वह बस इतना ही बोलकर चुप हो गइ| वह किशन को ऐसे घूरने लगी|

जैसे वह कह रही हांें कमीने मैने तुझे पहले ही कहा था मेरी तस्वीर दे दे मगर तूने मेरी एक न सुनी| लेकिन हकीकत में वह कुछ भी न बोल सकी और चुपचाप बाहर चली गई|
 
कइ महीने गुजर गये|

एक दिन सीमा किशन से मिलने आई वह कुछ परेशान थी

“क्या बात है सीमा… क्या संजय ने फिर परेशान करना शुरू कर दिया”

सीमा का जवाब सुनकर तो किशन के होश ही उड़ गये|

“भैया संजय तो अब इस दुनिया में ही नहीं है,”|

“मगर… कब … ये सब कैसे हुआ…“ कांपती हुई आवाज में किशन ने पूछा|

“भैया उसने तो ढ़ाई-तीन महीने पहले जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी”|

“आत्महत्या… ओह नो… मगर यह सब तुम्हे कैसे पता| ”

“स्कूल की मेरी एक सहेली ने बताया था”|

किशन का चेहरा उतर गया वह बोला—सीमा हमारे लिए संजय चाहे जैसा भी रहा हो आज मुझे उसके बारे में जानकर दु:ख हो रहा है… न जाने संजय के माता-पिता के दिल पर क्या गुजरेगी| … चलो जो होना था सो हो गया‚ भूल जाओ सब कुछ… अरे सीमा तुम्हारी वो एक सहेली थी न, जो उस दिन तुम्हारे साथ अस्पताल…”

“हां जी भैया... राधिका” बीच में ही सीमा ने जवाब दिया|

“हां वही … वो कभी मिलें तो उनको याद दिलाना कुछ दिन पहले मैने उनसे कुछ नोटस मांगे थे, उर्दू शायरी के बारे मे|

“जी भैया जरूर बोल दूंगी” बोलकर सीमा चली गई|

शाम के समय बिजली गुल हो जाने के पश्चात् किशन व उसके सभी दोस्त धर्मवीर सोनु नवनीत सुनील और उसका छोटा भाई सागर स्कूल ग्राऊंड़ में पहुच गये| सबके इक्कठे होते ही सुनील ने सबके सामने किशन का मजाक बनाते हुए कहा—“मित्रो क्या आपको पता है हमारे जो भाई साहब कुछ महीने पहले टूटी­-फूटी हालत में बिस्तर में पड़ें थे| उनके मन से पिटाई का डर कुछ इस कदर निकल गया है‚ कि उन्होने दोबारा पिटने का बन्दोबस्त कर लिया है| लेकिन एक बात की दाद देनी पड़ेगी… सुना है इस कमीने ने बहाना बड़ा खूबसूरत ढूंंढ़ा है|

“क्या मतलब… यार सुनील सीधे शब्दों मे बताओ बात क्या है| ” नवनाीत ने पूछा|

“मतलब ये है दोस्तांे कि इस महान आत्मा ने एक सुन्दर कन्या को अपने झांसे में ले लिया है,”

नवनीत ने भी सुनील का साथ देते बचपन में शरारतें और जवानी में छेड़छाड़बुढ़ापे में सही रे बांगरू‚ कोइ अच्छा काम भी करना|

“भाई बुढ़ापे तक तो कोइ न कोइ अच्छा काम अनजाने में भी हो जाएगा… वैसे अगर आप चाहो तो एक अच्छा काम अभी कर सकते हो… हमे उसका नाम बताकर” सोनु ने कहा

“नाम तो मैं आपको जरूर बता देता…मगर भाई मेरे सबके सामने मत पूछ, मुझसे नाम उसका,

उसे बदनाम करने की सोची, तो तेरे वाली का नाम ले दूंगा

“बताओ यार… मेरे वाली का ही नाम बताओ… इसको भी तो पता चले मेरी भी गर्लफ्रेंड है,” सोनु ने सागर की ओर इशारा करते हुए कहा|

“यार किशन हम सब तुझे बुद्दु समझते थे मगर यार तुम तो बहुत होशियार निकले… तुमने उस समय में प्यार किया जब तुम्हारे पास बिस्तर में पड़े रहने के अलावा कोइ काम न था” नवनीत ने हंसते हुए कहा

“किशन भाई हमे भी बताओ ये प्यार होता कैसा है| मेरा मतलब किसी को पता कैसे चले प्यार हो गया” धर्मबीर ने बड़े भोलेपन से पूछा|

इससे पहले किशन कुछ बोलता सागर बोल पड़ा “ये कौन सी मुश्किल बात है प्यार की पहचान तो मैं भी बता सकता हूअगर आपके भी दिल में होती है कभी चुभन सी,

तो समझ लेना प्यारे प्यार होने वाला है तुझे भी|

“तू अपनी बकवास बंद कर ओर ध्यान से सुन ले आगे चल कर ये बातें अपने बहुत काम आयेंगी” ड़ांटने के से अंदाज में दीपक बोला

“क्या खाक काम आयेगी अगर हमे अपना भविष्य बनाना है तो हमे मन लगाकर पढ़ाई करनी चाहिए| ये गर्लफ्रेंड वगैरा तो बस टाइम पास के लिए होती है,” सागर ने अपनी उम्र से ज्यादा समझदारी की बात की|

मगर बिजली न होने का फायदा उठाते हुए धर्मबीर ने जवाब दिया “बिजली के बिना कोइ रात में पढ़ाइ कैसे करेगा और वैसे भी Girlfriends are not only for time pass but we can learn so many things from them.”|

“अच्छा यार… बहस बंद करो मैं बताता हू” दोनों को टोकते हुए किशन ने कहा —जब से हुआ मेरा अख्तियार उस दिल की कायनात पर,

तब से मै भी समझता हूँ खुद को “एक छोटा सा राजा”|

“क्या बात है जनाब आप तो शायरी के अलावा बात ही नहीं करते… क्या प्यार से किसी में इस कदर का बदलाव आ सकता है,” नवनीत ने कहा

नवनीत भाई बात दरअसल ये है कि राधिका को शायरी बहुत पंसद है‚ इसलिए मैं कोशिश कर रहा हूँ कि मेरी भाषा शैली ही ऐसी हो जाये, और रही बात बदलाव की तो हां —

“इश्क से जिन्दगी में थोेड़ा बदलाव तो जरूर आता है,कोइ बहुत बोलने वाला है तो वो चुप हो जाता है,

कोइ कम बोलने वाला है वो ज्यादा बातें करता है,

किसी की रंगत खो जाती है तो किसी में निखार आता है|
 
“हाए मेरी जान अब तो तुम बड़ी प्यारी बातें करने लगे हो” किशन के पास बैठते हुए सागर ने कहा|“उनकी अदाओं का हो गया असर मुझपे,

वरना मैं कब करता था इतनी प्यारी बातें|

“देखना कहीं उनकी अदाओं का असर ज्यादा न हो जाए‚ कहीं फिर शिकायत करते फिरो के लोग तुम्हे घूरते हैं,” नवनीत के इतना बोलते ही सब हँस पड़े|

मगर सुनील ने बड़े गंभीर लहजे में कहा “किशन मेरी एक बात हमेशा याद रखना किसी से भी इतना प्यार मत करना कि कभी धोखा मिले ओर बस जिन्दगी से मन भर जाये|

“भाई साहब हमारी छोड़ो… आप कुछ अपनी सुनाओ बहुत गहरी चोट खाये लगते हो… ऐसी क्या बात है उसमे|जो उसके बिना जिन्दगी से मन भर गया” किशन ने सुनील के लहजे को परखते हुए पूछा|

“मत पूछ किशन वो बात है उस सितमगर में के देखना,

एक दिन उसके लिए तलवारें चलेंगी|

“ठीक है भाई वो तो वक्त आने पर सब देखेंगे मगर अभी नवनीत से भी तो पूछो इसकी लव स्टोरी क्या है| ”

“मुझसे क्या पूछोगे यार—

“न अपनी पसन्द है कोइ, न अरमान हैं किसी के,

जो मिलेगी किस्मत से, हम हो जायेंगे उसी के|

मै तो यही प्रार्थन करता हूँ—

भगवान बचाये इन हसीनो की दोस्ती से,

ये दोस्त बनें तो जमाना दुश्मन बन जाये|

और ये बेवफा जो दु:ख दे जाते हंै सो अलग”

नवनीत की इस दलील का जवाब सुनील ने कुछ इस तरह से दिया—

इतनी सादगी, इतनी सुन्दरता और ऐसी अदायें,

के देखकर हमारा दिल तो बस मचल जाता है,

भले ही मोहब्बत में बेवफाइ का दु:ख मिलता हो,

मगर सुकुन ये है, एक अरमान तो निकल जाता है|

मगर यार सुनील ये तो आपको मानना ही पडेगा मोहब्बत मे शुकुन कम और दर्द ज्यादा है|

ये तो अपनी-अपनी किस्मत है, अपनी-अपनी सोच है दोस्त,

कोइ दगा करके भी प्यार पाता है, कोइ प्यार करके भी नहीं|

इधर सुनील का शेर खत्म हुआ और बिजली के आने से सारा मोहल्ला फिर से जगमगा उठा|

“सुनील भाई अब हम बाकी बातों को विराम देते हैं और जाने से पहले किशन भाई के दो­-चार तड़कते- भड़कते शेर सुनते हैं,” जल्दी से नवनीत बोल उठा|

“जरूर भाई……दोस्तो जरा गौर फरमाइये” बोलकर किशन शुरू हो गयाकभी–कभी सोचता हूंं अगर उसका भी हुआ हाल वही जो यहां मेरा है,

तो उसका बापू तो अपनी इज्जत के लिए दो बच्चों की जान ले रहा है|

“वाह… वाह… क्या बात है किशन“

“तो फिर एक और सुनो अर्ज किया है—

जब कहा हमने के हम मर जाएंगे आपके बगैर,

जब कहा हमने के हम मर जाएंगे आपके बगैर,

वो बोली जिसे भी मरना हो, बडे शौक से मरे,

मै अपना घर बसाऊं या लोगों की जान बचाऊं|

“हाहाहा हा हा… वाह क्या बात है किशन भाई खुश कर दिया… सुनाते रहो”
 
“जरूर भाई तो फिर लिजिये आपके लिए पेश है,”

मेरे खत का जवाब आया... वाह… वाह…

मेरे खत का जवाब आया... वाह… वाह…

मेरे खत का जवाब आया... अब आगे भी तो बोल यार

उसमे ऐसी-ऐसी गालियां लिखी थी के मैं बता नहीं सकता

हा…हा … खुश कर दिया यार” बोलकर नवनीत खड़ा हो गया|

“बस एक ओर सुन लो यार” किशन ने कहा

“चल अच्छा सुना …”मेरे खत का जवाब आया, उसमे एक भी सैंटेस्ं की स्पैलिंग ठीक नहीं है,

मगर मुझे बहुत खुशी हुइ, चलो कोइ तो है जो मुझसे भी ज्यादा ड़फ्फर है|

“हा…हा … वाह…वाह… क्या बात है,” सब लोग हंसते हुए अपने­-अपने घर को चले गये

दूसरे दिन सवा पांच बजे सुबह ही किशन सुनील से मिलने पहुंचा तो सुनील चौंका|

“क्या बात है भाई आज सुबह­-सुबह कैसे… | ”

“सुनील भाई एक छोटी सी परेशानी है,”

“परेशानी… कैसी परेशानी…” सुनील अचकचाया

“भाई दरअसल बात ये है कि कुछ दिन से राधिका मुझसे नाराज है और मुझे समझ नहीं आता मैं उसे कैसे मनाऊं | ”

“मगर बात क्या हुई „ सुनील ने गंभीर होकर पूछा

किशन ने उसे सारी बात बता दी| सारा मामला समझने के बाद सुनील ने उसे जो सुझाव दिये वो कुछ इस प्रकार थे— “यार किशन तुझे कितनी बार समझाना पड़ेगा‚ बस ट्रेन और लड़की के पीछे कभी नहीं भागना चाहिए| ये एक जाती है तो दूसरी आ जाती है … वगैरा- वगैरा”

सुनील को बताकर उसे अपनी परेशानी का समाधान तो मिला नहीं मगर रात को स्कूल ग्राऊंड़ में अपना मजाक बनाने के लिए उसने सुनील को एक अच्छा खासा मुद्दा जरूर दे दिया था| किशन को खुद पर बहुत गुस्सा आया… वह बो“अरे ओ मुझे समझाने वाले, कहने वाले मुझको नादान,

सुधर जा, कभी मैं भी खुद को बड़ा सयाना समझता था|

सुनील ने उसकी बात को अनसुना करते हुए… उसे सब कुछ भूल जाने के लिए कहा और साथ ही नसीहत भी दी… राधिका जैसी जिन्दगी में ओर बहुत आयेंगी|“अरे मुझे समझाने वाले, एक बार तू मिल उस कयामत से,

फिर कुछ समझाने लायक तुम रहे, तो मैं जरूर समझूंगा|

किशन ने राधिका की तस्वीर सुनील के हाथ पर रख दी|

सुनील ने राधिका की तस्वीर देखी तो बस देखता ही रह गया|

“सुनील भाई अब क्या बोलते हो…”

“मै क्या बोलूं यार… कुछ समझ नहीं आया ये तुम्हे कैसे…”

“कुछ देर पहले तक जो मुझे बहुत समझा रहा था,

एक झलक क्या देखी, अब कुछ उसे समझ नहीं आता|

“अबे कमीने मेरा मतलब था ये गुलाब परी तेरे चक्कर में कैसे आ गई…| ये मेरी समझ के बाहर है… खैर वो सब छोड़… ये बता परेशानी क्या है| ”

“क्या भाई कुछ ही देर पहले तो बताया था… ं”|

“ओहो बस इतनी सी बात है … यार सिम्पल है तुम उसे समझाओ आज नहीं तो कल… घरवालों को तो सब बताना ही था” |

“किशन ने सहमत होते हुए गंभीर अंदाज में गर्दन हिलाई और वहां से चला गया|

एक शाम सागर को साथ लेकर किशन जवाहरलाल नेहरू पार्क में राधिका का इन्तजार करने लगा| वह जानता था राधिका मौलवी साहब के पास से उर्दू सीखने के लिए इसी पार्क में से गुजरती है|
 
कुछ देर बाद राधिका आई|

उसे देखते ही किशन का चेहरा खिल उठा मगर अचानक ही जब उसने प्रदीप को राधिका के साथ देखा तो वह परेशान हो गया|

वह इस गहरी सोच में डूबने वाला ही था, कि आखिर प्रदीप राधिका से क्या बात कर रहा है एक बार फिर उसके चेहरे पर खुशी झलकने लगी… जब उसने प्रदीप को वापस जाते देखा|

अब राधिका उनकी तरफ आ रही थी| किशन तेज कदमों के साथ राधिका की तरफ बढ़ गया| मगर राधिका नजरे झुकाये हुए, उससे कोइ बात किए बिना ही आगे निकल गईशरारत भी करतें हैं वो, तो बड़ी नजाकत से करतें हैं,गौर से देखोे, झुकाकर नजरें भी वो इधर ही देखते हैं|

राधिका मुस्कुराई मगर किशन को घूरते हुए उसने अपना रास्ता बदल लिया|

किशन ने फिर उसेे छेड़ते हुए कहा­“क्या नजाकत है यारो, आज वो दूर­-दूर से जा रहे है,

न जाने कैसी खता हुई, आज वो घूर­-घूर के जा रहे है|

“क्या बात है भाई आप तो बोल रहे थे, कि ये मेरी होने वाली भाभी है, मगर ये तो आपकी बात ही नहीं सुनती और आंखांे से भी जहर उगल रही है,” सागर ने कहा

“ऐसी बात नहीं है छोटे… शायद आज इनका मूढ़ कुछ ठीक नहीं है वरना “दोनोंं जहांं की मिठाइयों से ज्यादा मिठी होती है इनकी हर एक बात”|

“मगर मैं कैसे मान लूं भाई … क्या पता आप झूठ बोल रहे हों | मेरे सामने तो ये आपकी किसी भी बात पर ध्यान नहीं दे रही”|

“छोटे तू नहीं समझेगा… ये मेरी हर बात बड़े ध्यान से सुन रही है यकीन नहीं है तो ये देख… इतना बोलकर किशन बोला अरे सुनती हो|

“सेट अप… बंद करो अपनी ये बकवास”|

“देखा मैने क्या कहा था न… ये सब सुन रही है|

“सही कहा था भाई„ सागर ने कहा और वह झूलों के पास जाकर खेलने लगा|

उसके जाते ही राधिका किशन की खबर लेने लगी “आप क्या बकवास कर रहे थे सागर के सामने”|

“अरे यार क्यों भड़कती हो इसमे कौन सी आफत आ गई… सागर तो अभी बच्चा है|

“बच्चा है इसीलिए बोल रही हंू , अगर नासमझी में उसने किसी को बता दिया, तो आफत भी आ जाएगी”|

“कोइ आफत नहीं आयेगी यार वैसे भी आज नहीं तो कल अपना प्यार जगजाहिर तो होगा ही और सागर इतना भी बच्चा नहीं है, जो काम मैं 18 साल की उम्र तक नहीं कर पाया था वो उसने 12 साल की उम्र में कर लिया है|

“क…क… क्या काम कर लिया है उसने 12 साल की उम्र मे” राधिका ने हैरानी से पूछा|

”लड़की पटाने का”

“क्या बात करते हो, क्या सागर की भी कोइ गर्लफ्रेंड है,”

“हाँ,”

“कौन है वो लड़की”

“उसके साथ ही पढ़ती है,”

“हे भगवान, ये आजकल के लड़के भी कितने तेज हो गये हैं,”

“आखिर भाई किसका है,” किशन ने मुस्कुराते हुए कहा

“आ हा हा… रहने दो तुम मत बोलो, तुम तो एकदम लल्लु हो, फिर थोड़ा रूककर वह बोली­ जब आप सब जानते हैं तो उसे समझाते क्यों नहीं “जिसने 12 साल की उम्र में गर्लफ्रेंड बना ली, वो जवानी आने तक तो बहुत बिगड़ जाएगा”|

“अरे नहीं बिगड़ेगा यार बल्कि सुधर जायेगा बचपन में मैं भी तो ऐसा ही था”|

“मगर आपने तो कहा था मुझसे पहले आपकी जिन्दगी में कोइ नहीं थी”

“सच ही कहा था मगर मैने ये तो नहीं कहा था के मैने कोशिश भी नहीं की थी”

“कोइ ज्यादा ही पसंद आ गई थी क्या” राधिका ने नजाकत से पूछा

“आई तो थी यार मगर मानी नहीं… थोड़ा रूककर वह बोला… तब इतनी समझ ही कहां थी”

“खैर अब तो आपको बहुत समझ आ गई है मगर ये नासमझी वाली बात कब की है,” |

“तब मेरी उम्र 6 साल थी| मैने पहली कक्षा में दाखिला लिया था| उसका नाम रितू था| वह हमारी कक्षा की सबसे होशियार लड़की थी इसलिए वह मुझे अच्छी लगने लगी|
 
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