hotaks444
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मैंने मन ही मन सोचा की ठीक है अनिल के जाने के बाद मैं इन्हें कैसे ना कैसे कर के मना लूँगी| पर अभी की समस्या ये थी की मुझे राजी वाले कमरे में रात गुजारनी थी| अब जाहिर सी बात है की वो कुछ ना कुछ तो बात अवश्य करेगी और अगर मैंने जवाब ना दिया तो उसे बुरा लगेगा और फिर ये नाराज हो जायेंगे... और अगर अकड़ के जवाब दिया तो भी उसे बुरा लगेगा और ये नाराज हो जायेंगे| तो मैंने सोचा की बात बिगड़ने से अच्छा है की थोड़ा बहुत ड्रामा ही कर लिया जाए| वैसे भी थकावट इतनी है की मुझे जल्दी नींद आ जाएगी ....... इस बीच अगर उसने कोई बात की तो हंस के जवाब दे दूंगी और क्या!"
मैंने नेहा को बैठक में भेजा और मैं खुद उसकी जगह लेट गई| कुछ देर बाद बैठक से आने वाली आवाजें बंद हुईं मतलब की ये, नेहा और अनिल तीनों कमरे में जा चुके थे| राजी की शायद आँख लग चुकी थी इसलिए हमारी कोई बात नहीं हुई और मुझे भी बहुत नींद आ रही थी सो मैं भी सो गई|
अब आगे .....
अगली सुबह जब मैं उठी तो देखा की 'राजी' मुझसे पहले जाग चुकी थी और उसी ने सब के लिए चाय बनाई थी| माँ-पिताजी dining table पर बैठे चाय पी रहे थे और 'ये' बच्चों को स्कूल के लिए ready कर रही थे| मैंने घडी पर नजर डाली तो सात बज रहे थे! ये देख कर मैं फ़ौरन बाथरूम में घुस गई और जब बाहर आई तो 'राजी' किचन से निकल रही थी और उसके हाथ में चाय थी| अब मुझे मजबूरन उससे बात करनी पड़ी; "अरे आपने क्यों तकलीफ की? ......मुझे जगा दिया होता?"
"no problem ... मिट्ठू ने आपको .....जग....जगाने से..... मना किया ता!" उस ने हँसते हुए जवाब दिया| अब ये सुनते ही मेरी नस-नस में आग लग गई| पर 'इनके' दर से चुप हो गई की कहीं 'इन्हें' बुरा ना लग जाए... already कल रात मैंने इनका mood ख़राब कर दिया था| मैं जल्दी से नाश्ते की तैयारी करने लगी की तभी मदद करनी की इच्छा जताई .... पर मैंने झूठ में मुस्कुरा कर कह दिया; "अरे नहीं...आप बातें करो... मैं कर लूँगी|" इतने में 'ये' भी बाहर आ गए और बैठक में राजी के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गए| (वैसे वो उनकी पसंदीदा कुर्सी है|) अनिल और राजी बात कर रहे थे पर as usual उसे हिंदी थोड़ा समझने में दिक्कत हो रही थी| तो मेरे 'ये' translator का काम करने लगे और उसे शब्दों का मतलब example दे कर समझने लगे| तीनों बड़ा हँस-हँस के बातें कर रहे थे और इधर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था| तो मैंने अपना गुस्सा आँटा गूंदने पर निकालना शुरू कर दिया| किसी punching bag की तरह उसे मारने लगी! नाश्ते में मैंने आलो के परांठे बनाये.... बच्चों का टिफ़िन पैक किया और उन्हें स्कूल भेजा| स्कूल जाते-जाते बच्चे 'इनके' पास आये इन्हें kiss किया और फिर दादा-दादी के पैर हाथ लगाये और चले गए| बाकी सब dining table पर बैठ गए और नाश्ता करने लगे| आलू के परांठे सबसे ज्यादा अगर किसी को पसंद आये तो वो थी 'राजी'| वो तो मुझसे उनकी recipe पूछने लगी! .....खेर मैंने उसे recipe बता दी|
नाश्ते के बाद पिताजी इन्हें बोल गए की; "बेटा राजी को तुम दोनों घर छोड़ आना|" और जवाब में इन्होने "जी पिताजी" कहा| पिताजी तो निकल गए पर राजी मना करने लगी.... तब माँ ने उसे समझाया की ऐसे ठीक नहीं होता.... बहु और मानु तुम्हें खुद घर छोड़ आएंगे| मैं जा कर तैयार होने लगी तो देखा की मेरी नई नाइटी गायब है? मैंने उसे एक बार भी नहीं पहना था!!!! मुझे पक्का यक़ीन था की वो नाइटी 'राजी' ने ही पहनी होगी| पर 'इनके' डर की वजह से मैं चुप रही और तैयार होकर बाहर आई| तब देखा की 'राजी' बाथरूम से वही नाइटी ले कर निकल रही है.... वो भी धुली-धुलाई| इससे पहले मैं उससे कुछ कह पाती 'ये' आ गए और बोले; "रात में इनके पास सोने के लिए कुछ कपडे नहीं थे इसलिए मैंने तुम्हारी नई वाली नाइटी दी थी पहनने के लिए|" अब डर के मारे मुझे तो समझ नहीं आया की क्या कहूँ; "अरे पर आपने इसे धोया क्यों? मैं धो देती|" मैंने मुस्कुराते हुए कहा.... जबकि मेरा दुःख सिर्फ मैं ही जानती थी|
"नहीं...मैं पहना न ये...तो आपसे कैसे wash करने को कहते?" उसने फिर से अपनी टूटी-फूटी हिंदी में जवाब दिया| उसे wash की हिंदी नहीं आती थी! ही..ही..ही..ही.... खेर हम उसे छोड़ने कार से निकले और रास्ते भर दोनों बातें करते रहे और मैं साथ में हाँ-हुनकर करती रही| मैंने दोनों को जरा भी भनक नहीं लगने दी की मुझे इन दोनों की इस नजदीक से कितनी तकलीफ है| जब हम राजी के घर पहुंचे तो मुझे लगा की उसे सिर्फ नीचे छोड़ कर हम चले जायेंगे.. पर ये तो ऊपर चलने के लिए आतुर हो गए थे और ये मुझे भी जबरदस्ती ले गए| इन्होने डिक्की में कुछ गिफ्ट्स रखे थे जिन्हें देख कर मैं भी हैरान थी की ये कब आये? आज पहलीबार मैं एक "christian" घर में कदम रखने जा रही थी| थोड़ा अजीब लग रहा था... पर क्या करूँ? 'राजी' के घर में उसकी बड़ी बहन और उसका जीजा और एक छोटी बच्ची ही थे| हैरानी की बात तो ये थी की वो सब 'इन्हें' जानते थे| हमारा बहुत अच्छा स्वागत हुआ... सबसे ज्यादा हैरानी तो मुझे तब हुई जब वो छोटी बच्ची अंदर से आई और भागती हुई इनकी गोद में आ गई| और ये भी उस बच्ची को गोद में ले कर दुलार करने लगे| "मेरा childhood फ्रेंड कैसा है?" ये सुनकर तो मैं हैरान पढ़ गई और मेरी ये हैरानी मेरे चेहरे पर झलकने लगी|
"मिट्ठू कहते...की ये बच्ची है means child और मिट्ठू का friend है... इसलिए childhood friend .... ही..ही...ही...ही..." राजी की ये बात सुनकर तो मुझे भी हँसी आ गई|
मैंने नेहा को बैठक में भेजा और मैं खुद उसकी जगह लेट गई| कुछ देर बाद बैठक से आने वाली आवाजें बंद हुईं मतलब की ये, नेहा और अनिल तीनों कमरे में जा चुके थे| राजी की शायद आँख लग चुकी थी इसलिए हमारी कोई बात नहीं हुई और मुझे भी बहुत नींद आ रही थी सो मैं भी सो गई|
अब आगे .....
अगली सुबह जब मैं उठी तो देखा की 'राजी' मुझसे पहले जाग चुकी थी और उसी ने सब के लिए चाय बनाई थी| माँ-पिताजी dining table पर बैठे चाय पी रहे थे और 'ये' बच्चों को स्कूल के लिए ready कर रही थे| मैंने घडी पर नजर डाली तो सात बज रहे थे! ये देख कर मैं फ़ौरन बाथरूम में घुस गई और जब बाहर आई तो 'राजी' किचन से निकल रही थी और उसके हाथ में चाय थी| अब मुझे मजबूरन उससे बात करनी पड़ी; "अरे आपने क्यों तकलीफ की? ......मुझे जगा दिया होता?"
"no problem ... मिट्ठू ने आपको .....जग....जगाने से..... मना किया ता!" उस ने हँसते हुए जवाब दिया| अब ये सुनते ही मेरी नस-नस में आग लग गई| पर 'इनके' दर से चुप हो गई की कहीं 'इन्हें' बुरा ना लग जाए... already कल रात मैंने इनका mood ख़राब कर दिया था| मैं जल्दी से नाश्ते की तैयारी करने लगी की तभी मदद करनी की इच्छा जताई .... पर मैंने झूठ में मुस्कुरा कर कह दिया; "अरे नहीं...आप बातें करो... मैं कर लूँगी|" इतने में 'ये' भी बाहर आ गए और बैठक में राजी के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गए| (वैसे वो उनकी पसंदीदा कुर्सी है|) अनिल और राजी बात कर रहे थे पर as usual उसे हिंदी थोड़ा समझने में दिक्कत हो रही थी| तो मेरे 'ये' translator का काम करने लगे और उसे शब्दों का मतलब example दे कर समझने लगे| तीनों बड़ा हँस-हँस के बातें कर रहे थे और इधर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था| तो मैंने अपना गुस्सा आँटा गूंदने पर निकालना शुरू कर दिया| किसी punching bag की तरह उसे मारने लगी! नाश्ते में मैंने आलो के परांठे बनाये.... बच्चों का टिफ़िन पैक किया और उन्हें स्कूल भेजा| स्कूल जाते-जाते बच्चे 'इनके' पास आये इन्हें kiss किया और फिर दादा-दादी के पैर हाथ लगाये और चले गए| बाकी सब dining table पर बैठ गए और नाश्ता करने लगे| आलू के परांठे सबसे ज्यादा अगर किसी को पसंद आये तो वो थी 'राजी'| वो तो मुझसे उनकी recipe पूछने लगी! .....खेर मैंने उसे recipe बता दी|
नाश्ते के बाद पिताजी इन्हें बोल गए की; "बेटा राजी को तुम दोनों घर छोड़ आना|" और जवाब में इन्होने "जी पिताजी" कहा| पिताजी तो निकल गए पर राजी मना करने लगी.... तब माँ ने उसे समझाया की ऐसे ठीक नहीं होता.... बहु और मानु तुम्हें खुद घर छोड़ आएंगे| मैं जा कर तैयार होने लगी तो देखा की मेरी नई नाइटी गायब है? मैंने उसे एक बार भी नहीं पहना था!!!! मुझे पक्का यक़ीन था की वो नाइटी 'राजी' ने ही पहनी होगी| पर 'इनके' डर की वजह से मैं चुप रही और तैयार होकर बाहर आई| तब देखा की 'राजी' बाथरूम से वही नाइटी ले कर निकल रही है.... वो भी धुली-धुलाई| इससे पहले मैं उससे कुछ कह पाती 'ये' आ गए और बोले; "रात में इनके पास सोने के लिए कुछ कपडे नहीं थे इसलिए मैंने तुम्हारी नई वाली नाइटी दी थी पहनने के लिए|" अब डर के मारे मुझे तो समझ नहीं आया की क्या कहूँ; "अरे पर आपने इसे धोया क्यों? मैं धो देती|" मैंने मुस्कुराते हुए कहा.... जबकि मेरा दुःख सिर्फ मैं ही जानती थी|
"नहीं...मैं पहना न ये...तो आपसे कैसे wash करने को कहते?" उसने फिर से अपनी टूटी-फूटी हिंदी में जवाब दिया| उसे wash की हिंदी नहीं आती थी! ही..ही..ही..ही.... खेर हम उसे छोड़ने कार से निकले और रास्ते भर दोनों बातें करते रहे और मैं साथ में हाँ-हुनकर करती रही| मैंने दोनों को जरा भी भनक नहीं लगने दी की मुझे इन दोनों की इस नजदीक से कितनी तकलीफ है| जब हम राजी के घर पहुंचे तो मुझे लगा की उसे सिर्फ नीचे छोड़ कर हम चले जायेंगे.. पर ये तो ऊपर चलने के लिए आतुर हो गए थे और ये मुझे भी जबरदस्ती ले गए| इन्होने डिक्की में कुछ गिफ्ट्स रखे थे जिन्हें देख कर मैं भी हैरान थी की ये कब आये? आज पहलीबार मैं एक "christian" घर में कदम रखने जा रही थी| थोड़ा अजीब लग रहा था... पर क्या करूँ? 'राजी' के घर में उसकी बड़ी बहन और उसका जीजा और एक छोटी बच्ची ही थे| हैरानी की बात तो ये थी की वो सब 'इन्हें' जानते थे| हमारा बहुत अच्छा स्वागत हुआ... सबसे ज्यादा हैरानी तो मुझे तब हुई जब वो छोटी बच्ची अंदर से आई और भागती हुई इनकी गोद में आ गई| और ये भी उस बच्ची को गोद में ले कर दुलार करने लगे| "मेरा childhood फ्रेंड कैसा है?" ये सुनकर तो मैं हैरान पढ़ गई और मेरी ये हैरानी मेरे चेहरे पर झलकने लगी|
"मिट्ठू कहते...की ये बच्ची है means child और मिट्ठू का friend है... इसलिए childhood friend .... ही..ही...ही...ही..." राजी की ये बात सुनकर तो मुझे भी हँसी आ गई|