hotaks444
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गहरी चाल पार्ट--27
कामिनी मुकुल के साथ अपने ऑफीस मे बैठी थी.षत्रुजीत सिंग को ज़मानत मिलने से वो उसकी तरफ से तो थोड़ी बेफ़िक्र हो गयी थी मगर करण की चिंता उसे लगातार खाए जा रही थी...आख़िर उसने ऐसी ग़लती कैसे कर दी?!
उसके लॅपटॉप पे पोलीस से ली हुई बॉर्नीयो के सीक्ट्व कमेरे की फुटेज चल रही थी.बार के सामने की दीवार पे लगे कमेरे की ब्लॅक & वाइट तस्वीर मे सॉफ नज़र आ रहा था कि करण 1 आदमी से उलझा हुआ था & जयंत पुराणिक दोनो को अलग करने की कोशिश कर रहे थे.उसी बीच शीना ने उसकी जॅकेट उसे थमाते हुए पीछे खींचना चाहा तो करण का हाथ जेब पे लगा & उसने अपनी पिस्टल निकाल के तान दी & फिर गोली चली जो सीधा पुराणिक के सीने मे लगी & वो वही ढेर हो गये.
कामिनी का दिमाग़ लगातार चल रहा था...गन...जब करण ने कहा की उसे अच्छी तरह से याद था की उसने गन वापस सेफ मे रखी थी तो फिर वो उसकी जॅकेट मे कैसे आ गयी?..कही शीना का तो इसमे कोई हाथ नही?..मगर वो बेचारी तो लगातार करण के साथ बनी हुई है..कल कोर्ट मे भी उसका काला चश्मा बड़ी मुश्किल से उसके आँसुओ को छुपा पा रहा था..लेकिन फिर गन जॅकेट मे आई कैसे?..या फिर करण को ही कुच्छ याद नही..
कामिनी ने सर झटक के नंदिता के केस की तरफ ध्यान लगाया.ये भी कम पेचीदा मामला नही था.1 किले जैसे घर मे दरवाज़ा खोल कर कोई किसी को गोली मार देता है,जिसकी आवाज़ भी किसी को सुनाई नही देती.ये तो ज़रूर किसी अंदर के आदमी का काम है!...मगर कौन?पाशा & जीत तो 1 साथ थे..फिर और कौन?
उसने मुकुल को शत्रुजीत के घर मे मौजूद सभी लोगो की लिस्ट बनाने को कहा,"मुकुल,सबके नाम के साथ ये भी पता करो की वो कब से वाहा काम कर रहे हैं?"
"ओके,मॅ'म."
कोई 2 घंटे बाद मुकुल लिस्ट लेकर उसके सामने हाज़िर था,"वाह,मुकुल बड़ी जल्दी कर लिया."
कामिनी गौर से लिस्ट पढ़ रही थी की उसकी नज़र आंतनी डाइयास के नाम पे अटक गयी...सिर्फ़ 2 महीने हुए इसे काम करते हुए...आख़िर ये जीत को मिला कैसे..उसने घड़ी देखी 11 बज रहे थे,इस वक़्त बॉर्नीयो खाली होगा..वाहा तो रात को रौनक होती है..उसने वाहा जाके 1 नज़र वारदात की जगह पे डालने की सोची.
अपनी कार मे बैठते हुए उसने शत्रुजीत को फोन मिलाया,"हाई!जीत."
"..हां..मैं अभी बॉर्नीयो जा रही हू.शाम को मिलते हैं.",थोड़ी देर की बात चीत के बाद उसने फोन रख दिया.आज उसका ड्राइवर नही आया था तो वो अकेली ही ड्राइवर कर पब पहुँची.वाहा पहुँच कर उसने 1 बार बार का जायज़ा लिया.इस वक़्त वाहा सॉफ-सफाई का काम चल रहा था.कामिनी ने 1 बार उस सीक्ट्व कमेरे की पोज़िशन देखी & फिर उस जगह खड़ी हो गयी जहा हाथापाई हुई थी,सिर उसने सामने बार के पीछे की दीवार पे देखा.उसे लगा की वाहा पे भी 1 कॅमरा है.
थोड़ी देर बाद कामिनी पब के मॅनेजर के ऑफीस मे बैठी थी,"..क्या बार के पीछे की दीवार पे भी कॅमरा लगा है?"
"जी..ना-..मेरा मतलब है हां,मगर वो तो खराब पड़ा है."
"तो आपने उसे ठीक क्यू नही करवाया?"
"दूसरे कमेरे से काम चल ही रहा था..आपने भी तो फुटेज देखी होगी..वो कॅमरा पूरा बार कवर कर लेता है."
"ह्म्म...एनीवे थॅंक्स,अगर ज़रूरत पड़ी तो फिर आऊँगी."
"यू'आर ऑल्वेज़ वेलकम."
कामिनी सोच मे डूबी पब से बाहर आ अपनी कार का दरवाज़ा खोल ही रही थी की तभी उसे आँखो के कोने से बड़ी तेज़ी से 1 टाटा सफ़ारी आती दिखी.कामिनी ने फ़ौरन गर्दन घुमाई तो देखा की कार सीधा उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही है.कामिनी ने अपनी कार का दरवाज़ा बंद किया & उच्छल कर अपनी कार की बॉनेट पे कूदी,पर संतुलन बिगड़ने से बॉनेट के उपर से फिसलते हुए अपनी कार के सामने गिरी.सफ़ारी के ब्रेक्स ने बहुत तेज़ आवाज़ की & वो थोड़ा आगे जा के रुकी.
कामिनी अपनी पॅंट & कमीज़ से धूल झाड़ती उठ रही थी की उसने देखा की सफ़ारी का ड्राइवर उसे रिवर्स करके बड़ी तेज़ी से उसे फिर से उसकी तरफ ला रहा था.कामिनी कार के दूसरे तरफ सड़क के किनारे बने पार्क की बाउंड्री वॉल की तरफ बिजली की तेज़ी से कूदी & 1 छलान्ग मे ही दीवार फाँद कर पार्क मे दाखिल हो गयी.
उसने धड़कते दिल से सफ़ारी को देखा,लग रहा था जैसे उसका ड्राइवर सोच रहा हो की उतर कर उसके पीछे आए या नही.थोड़ी देर तक वो कार वैसे ही खड़ी रही फिर तेज़ी के साथ वाहा से निकल गयी.कामिनी ने कार का नंबर देखने की कोशिश की मगर नंबर प्लेट पे कीचड़ जमा था...यानी की ये उसे कुचलने की सोची-समझी साज़िश थी मगर किसकी?
इस वक़्त इस इलाक़े मे भी चहल-पहल नही रहती थी.बस 1 माली था पार्क मे जिसने सब देखा था वोही भाग कर उसके पास आ गया था.कामिनी ने उस से पीने का पानी माँगा..इतने दीनो के करियर मे पहली बार उसपे जानलेवेआ हमला हुआ था..उसने काँपते हाथो से फोन निकाल कर शत्रुजीत को मिलाया,"हे-..हेलो..जीत.."
"हां,कामिनी?"
"ज-जीत.."
"बोलो कामिनी क्या हुआ?"
"त-तुम..बस..यहा..आ जाओ."
रात को कामिनी बाथटब मे बैठी दोनो केसस के बारे मे सोच रही थी.दिन मे हुए हमले से जो घबराहट उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छा गयी थी वो अब हट गयी थी..आख़िर कौन हो सकता है उस हमले के पीछे?..कोई था जो नही चाहता था की वो बॉर्नीयो मे पुचहताच्छ करे?...तो क्या इसका मतलब ये है की करण वाला केस इतना सीधा नही जितना दिखता है?....या फिर कोई है जो चाहता है कि वो करण को ना बचाए..मगर कौन?
षत्रुजीत सिंग तो नही?....सब जानते हैं की जयंत पुराणिक उसका कितना अज़ीज़ था...मगर जीत & ऐसी हरकत?..नही..वो तो सच्चाई & साफ़गोई की मिसाल है...ख़यालो का सिलसिला नंदिता के क़त्ल की ओर मूड गया...फिर नंदिता का क़त्ल किसने किया वो भी इस किले जैसे महफूज़ बंगल मे?
सवेरे हमले के कोई 10 मिनिट के अंदर ही टोनी & पाशा उसके पास पहुँच गये थे & उसे षत्रुजीत के घर ले आए थे जहा सबने ये फ़ैसला किया की उसकी हिफ़ाज़त के लिए वो अभी कुच्छ दिन अगर षत्रुजीत के घर मे ही रहे तो ठीक होगा.कामिनी को भला इस से क्या ऐतराज़ हो सकता था..1 तो अपने प्रेमी का साथ दूसरे उसे उम्मीद थी की नंदिता के केस के लिए भी उसे कोई सुराग यहा से शायद मिल जाए.
...मगर क्या शत्रुजीत केवल इसलिए उसे डराने के लिए हमला करवा सकता था क्यूकी वो पुराणिक के क़ातिल को बचा रही थी?..उसका दिल इस बात को मानने से इनकार कर रहा था मगर उसका वकील का दिमाग़ कुच्छ और ही कह रहा था...ज़रूरी नही की गुनाह की वजह बहुत ठोस हो..ठोस तो सिर्फ़ सबूत होते हैं..उसने अपने करियर मे कितने ही ऐसे केस देखे थे जिसमे मामूली सी बात के लिए क़त्ल हुए थे...जो भी हो वो पीछे नही हटेगी & दोनो केसस की गुत्थी सुलझा के रहेगी...मगर करण के केस मे क्या गुत्थी हो सकती है?...ये तो 1 सीधा-सादा नशे की झोंक मे हुए झगड़े मे हुआ हादसे का केस था....लेकिन फिर करण को याद क्यू नही था की उसने गन अपनी जेब मे रखी थी...चाहे कुच्छ भी हो कल करण से इस बारे मे बहुत तफ़सील से बात करनी ही होगी.
तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला,"..ओह्ह!आइ'एम सॉरी!",शत्रुजीत बाहर जाने लगा तो कामिनी बातटब से निकल आई,"जीत,रूको.",वो उसके करीब आ गयी,"क्यू जा रहे हो?",शत्रुजीत ने उसे देखा तो उसकी निगाहे कामिनी के बदन को सर से पैर तक निहारने लगी & निहारती भी क्यू ना..उसका मदमस्त बदन पानी मे भीगा हुआ & भी हसीन & मदहोशी भरा लग रहा था.
बीवी की मौत के बाद से शत्रुजीत काफ़ी परेशान था & उसका हमेशा मुस्कुराता चेहरा अब बहुत तनाव भरा लगता था.कामिनी जानती थी की अभी भी उसकी बेरूख़ी इसी वजह से थी.10 दिन से उपर हो गये थे नंदिता की मौत को,अब वक़्त आ गया था कि शत्रुजीत वापस पहले की तरह हो जाए.
"सॉरी तो मुझे कहना चाहिए,बिना तुम्हारी इजाज़त के तुम्हारा बाथरूम इस्तेमाल कर रही थी.",उसने बेदिंग गाउन पहने शत्रुजीत की बाँह सहलाई,"..नहाने आए थे?",& बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए उसका बेदिंग गाउन खोल दिया,"चलो..आओ.",शत्रुजीत ने गाउन के नीचे कुच्छ नही पहना था.
कामिनी का दिल तो करा रहा था की उसके सोए लंड को पकड़ के अपने मुँह मे भर ले मगर उसने अपनी हसरत पे काबू रखा & शत्रुजीत को बाथटब मे बिठा दिया,"मैं जानती हू,शत्रु तुम कितना परेशान हो..उपर से मैं भी करण का केस लड़ के तुम्हे कोई सुकून तो पहुँचा नही रही.",कामिनी टब मे उसके पीछे बैठ गयी & उसकी पीठ हल्के-2 रगड़ने लगी.उसने जान बूझ कर ऐसी बात कही थी,उसे अपने दिल का शक़ जो दूर करना था.
"कैसी बाते करती हो?",शत्रु ने थोड़ी देर के लिए उसका 1 हाथ पकड़ा,"..मैं समझता हू तुम्हारी स्थिति...क्या करे?उपरवाला कभी-2 हमारा ऐसे ही इम्तहान लेता है.",कामिनी के गुलाबी निपल्स ठंडे पानी की वजह से बिल्कुल कड़े हो चुके थे & शत्रुजीत की पीठ मे भले जैसे चुभ रहे थे.बीवी के क़त्ल के बाद आज पहली बार उसे थोडा सुकून महसूस हो रहा था & उसके बदन मे फिर से पुरानी उमंगे जाग रही थी.
कामिनी मुकुल के साथ अपने ऑफीस मे बैठी थी.षत्रुजीत सिंग को ज़मानत मिलने से वो उसकी तरफ से तो थोड़ी बेफ़िक्र हो गयी थी मगर करण की चिंता उसे लगातार खाए जा रही थी...आख़िर उसने ऐसी ग़लती कैसे कर दी?!
उसके लॅपटॉप पे पोलीस से ली हुई बॉर्नीयो के सीक्ट्व कमेरे की फुटेज चल रही थी.बार के सामने की दीवार पे लगे कमेरे की ब्लॅक & वाइट तस्वीर मे सॉफ नज़र आ रहा था कि करण 1 आदमी से उलझा हुआ था & जयंत पुराणिक दोनो को अलग करने की कोशिश कर रहे थे.उसी बीच शीना ने उसकी जॅकेट उसे थमाते हुए पीछे खींचना चाहा तो करण का हाथ जेब पे लगा & उसने अपनी पिस्टल निकाल के तान दी & फिर गोली चली जो सीधा पुराणिक के सीने मे लगी & वो वही ढेर हो गये.
कामिनी का दिमाग़ लगातार चल रहा था...गन...जब करण ने कहा की उसे अच्छी तरह से याद था की उसने गन वापस सेफ मे रखी थी तो फिर वो उसकी जॅकेट मे कैसे आ गयी?..कही शीना का तो इसमे कोई हाथ नही?..मगर वो बेचारी तो लगातार करण के साथ बनी हुई है..कल कोर्ट मे भी उसका काला चश्मा बड़ी मुश्किल से उसके आँसुओ को छुपा पा रहा था..लेकिन फिर गन जॅकेट मे आई कैसे?..या फिर करण को ही कुच्छ याद नही..
कामिनी ने सर झटक के नंदिता के केस की तरफ ध्यान लगाया.ये भी कम पेचीदा मामला नही था.1 किले जैसे घर मे दरवाज़ा खोल कर कोई किसी को गोली मार देता है,जिसकी आवाज़ भी किसी को सुनाई नही देती.ये तो ज़रूर किसी अंदर के आदमी का काम है!...मगर कौन?पाशा & जीत तो 1 साथ थे..फिर और कौन?
उसने मुकुल को शत्रुजीत के घर मे मौजूद सभी लोगो की लिस्ट बनाने को कहा,"मुकुल,सबके नाम के साथ ये भी पता करो की वो कब से वाहा काम कर रहे हैं?"
"ओके,मॅ'म."
कोई 2 घंटे बाद मुकुल लिस्ट लेकर उसके सामने हाज़िर था,"वाह,मुकुल बड़ी जल्दी कर लिया."
कामिनी गौर से लिस्ट पढ़ रही थी की उसकी नज़र आंतनी डाइयास के नाम पे अटक गयी...सिर्फ़ 2 महीने हुए इसे काम करते हुए...आख़िर ये जीत को मिला कैसे..उसने घड़ी देखी 11 बज रहे थे,इस वक़्त बॉर्नीयो खाली होगा..वाहा तो रात को रौनक होती है..उसने वाहा जाके 1 नज़र वारदात की जगह पे डालने की सोची.
अपनी कार मे बैठते हुए उसने शत्रुजीत को फोन मिलाया,"हाई!जीत."
"..हां..मैं अभी बॉर्नीयो जा रही हू.शाम को मिलते हैं.",थोड़ी देर की बात चीत के बाद उसने फोन रख दिया.आज उसका ड्राइवर नही आया था तो वो अकेली ही ड्राइवर कर पब पहुँची.वाहा पहुँच कर उसने 1 बार बार का जायज़ा लिया.इस वक़्त वाहा सॉफ-सफाई का काम चल रहा था.कामिनी ने 1 बार उस सीक्ट्व कमेरे की पोज़िशन देखी & फिर उस जगह खड़ी हो गयी जहा हाथापाई हुई थी,सिर उसने सामने बार के पीछे की दीवार पे देखा.उसे लगा की वाहा पे भी 1 कॅमरा है.
थोड़ी देर बाद कामिनी पब के मॅनेजर के ऑफीस मे बैठी थी,"..क्या बार के पीछे की दीवार पे भी कॅमरा लगा है?"
"जी..ना-..मेरा मतलब है हां,मगर वो तो खराब पड़ा है."
"तो आपने उसे ठीक क्यू नही करवाया?"
"दूसरे कमेरे से काम चल ही रहा था..आपने भी तो फुटेज देखी होगी..वो कॅमरा पूरा बार कवर कर लेता है."
"ह्म्म...एनीवे थॅंक्स,अगर ज़रूरत पड़ी तो फिर आऊँगी."
"यू'आर ऑल्वेज़ वेलकम."
कामिनी सोच मे डूबी पब से बाहर आ अपनी कार का दरवाज़ा खोल ही रही थी की तभी उसे आँखो के कोने से बड़ी तेज़ी से 1 टाटा सफ़ारी आती दिखी.कामिनी ने फ़ौरन गर्दन घुमाई तो देखा की कार सीधा उसी की तरफ बढ़ी चली आ रही है.कामिनी ने अपनी कार का दरवाज़ा बंद किया & उच्छल कर अपनी कार की बॉनेट पे कूदी,पर संतुलन बिगड़ने से बॉनेट के उपर से फिसलते हुए अपनी कार के सामने गिरी.सफ़ारी के ब्रेक्स ने बहुत तेज़ आवाज़ की & वो थोड़ा आगे जा के रुकी.
कामिनी अपनी पॅंट & कमीज़ से धूल झाड़ती उठ रही थी की उसने देखा की सफ़ारी का ड्राइवर उसे रिवर्स करके बड़ी तेज़ी से उसे फिर से उसकी तरफ ला रहा था.कामिनी कार के दूसरे तरफ सड़क के किनारे बने पार्क की बाउंड्री वॉल की तरफ बिजली की तेज़ी से कूदी & 1 छलान्ग मे ही दीवार फाँद कर पार्क मे दाखिल हो गयी.
उसने धड़कते दिल से सफ़ारी को देखा,लग रहा था जैसे उसका ड्राइवर सोच रहा हो की उतर कर उसके पीछे आए या नही.थोड़ी देर तक वो कार वैसे ही खड़ी रही फिर तेज़ी के साथ वाहा से निकल गयी.कामिनी ने कार का नंबर देखने की कोशिश की मगर नंबर प्लेट पे कीचड़ जमा था...यानी की ये उसे कुचलने की सोची-समझी साज़िश थी मगर किसकी?
इस वक़्त इस इलाक़े मे भी चहल-पहल नही रहती थी.बस 1 माली था पार्क मे जिसने सब देखा था वोही भाग कर उसके पास आ गया था.कामिनी ने उस से पीने का पानी माँगा..इतने दीनो के करियर मे पहली बार उसपे जानलेवेआ हमला हुआ था..उसने काँपते हाथो से फोन निकाल कर शत्रुजीत को मिलाया,"हे-..हेलो..जीत.."
"हां,कामिनी?"
"ज-जीत.."
"बोलो कामिनी क्या हुआ?"
"त-तुम..बस..यहा..आ जाओ."
रात को कामिनी बाथटब मे बैठी दोनो केसस के बारे मे सोच रही थी.दिन मे हुए हमले से जो घबराहट उसके दिलो-दिमाग़ पे च्छा गयी थी वो अब हट गयी थी..आख़िर कौन हो सकता है उस हमले के पीछे?..कोई था जो नही चाहता था की वो बॉर्नीयो मे पुचहताच्छ करे?...तो क्या इसका मतलब ये है की करण वाला केस इतना सीधा नही जितना दिखता है?....या फिर कोई है जो चाहता है कि वो करण को ना बचाए..मगर कौन?
षत्रुजीत सिंग तो नही?....सब जानते हैं की जयंत पुराणिक उसका कितना अज़ीज़ था...मगर जीत & ऐसी हरकत?..नही..वो तो सच्चाई & साफ़गोई की मिसाल है...ख़यालो का सिलसिला नंदिता के क़त्ल की ओर मूड गया...फिर नंदिता का क़त्ल किसने किया वो भी इस किले जैसे महफूज़ बंगल मे?
सवेरे हमले के कोई 10 मिनिट के अंदर ही टोनी & पाशा उसके पास पहुँच गये थे & उसे षत्रुजीत के घर ले आए थे जहा सबने ये फ़ैसला किया की उसकी हिफ़ाज़त के लिए वो अभी कुच्छ दिन अगर षत्रुजीत के घर मे ही रहे तो ठीक होगा.कामिनी को भला इस से क्या ऐतराज़ हो सकता था..1 तो अपने प्रेमी का साथ दूसरे उसे उम्मीद थी की नंदिता के केस के लिए भी उसे कोई सुराग यहा से शायद मिल जाए.
...मगर क्या शत्रुजीत केवल इसलिए उसे डराने के लिए हमला करवा सकता था क्यूकी वो पुराणिक के क़ातिल को बचा रही थी?..उसका दिल इस बात को मानने से इनकार कर रहा था मगर उसका वकील का दिमाग़ कुच्छ और ही कह रहा था...ज़रूरी नही की गुनाह की वजह बहुत ठोस हो..ठोस तो सिर्फ़ सबूत होते हैं..उसने अपने करियर मे कितने ही ऐसे केस देखे थे जिसमे मामूली सी बात के लिए क़त्ल हुए थे...जो भी हो वो पीछे नही हटेगी & दोनो केसस की गुत्थी सुलझा के रहेगी...मगर करण के केस मे क्या गुत्थी हो सकती है?...ये तो 1 सीधा-सादा नशे की झोंक मे हुए झगड़े मे हुआ हादसे का केस था....लेकिन फिर करण को याद क्यू नही था की उसने गन अपनी जेब मे रखी थी...चाहे कुच्छ भी हो कल करण से इस बारे मे बहुत तफ़सील से बात करनी ही होगी.
तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला,"..ओह्ह!आइ'एम सॉरी!",शत्रुजीत बाहर जाने लगा तो कामिनी बातटब से निकल आई,"जीत,रूको.",वो उसके करीब आ गयी,"क्यू जा रहे हो?",शत्रुजीत ने उसे देखा तो उसकी निगाहे कामिनी के बदन को सर से पैर तक निहारने लगी & निहारती भी क्यू ना..उसका मदमस्त बदन पानी मे भीगा हुआ & भी हसीन & मदहोशी भरा लग रहा था.
बीवी की मौत के बाद से शत्रुजीत काफ़ी परेशान था & उसका हमेशा मुस्कुराता चेहरा अब बहुत तनाव भरा लगता था.कामिनी जानती थी की अभी भी उसकी बेरूख़ी इसी वजह से थी.10 दिन से उपर हो गये थे नंदिता की मौत को,अब वक़्त आ गया था कि शत्रुजीत वापस पहले की तरह हो जाए.
"सॉरी तो मुझे कहना चाहिए,बिना तुम्हारी इजाज़त के तुम्हारा बाथरूम इस्तेमाल कर रही थी.",उसने बेदिंग गाउन पहने शत्रुजीत की बाँह सहलाई,"..नहाने आए थे?",& बिना उसके जवाब का इंतेज़ार किए उसका बेदिंग गाउन खोल दिया,"चलो..आओ.",शत्रुजीत ने गाउन के नीचे कुच्छ नही पहना था.
कामिनी का दिल तो करा रहा था की उसके सोए लंड को पकड़ के अपने मुँह मे भर ले मगर उसने अपनी हसरत पे काबू रखा & शत्रुजीत को बाथटब मे बिठा दिया,"मैं जानती हू,शत्रु तुम कितना परेशान हो..उपर से मैं भी करण का केस लड़ के तुम्हे कोई सुकून तो पहुँचा नही रही.",कामिनी टब मे उसके पीछे बैठ गयी & उसकी पीठ हल्के-2 रगड़ने लगी.उसने जान बूझ कर ऐसी बात कही थी,उसे अपने दिल का शक़ जो दूर करना था.
"कैसी बाते करती हो?",शत्रु ने थोड़ी देर के लिए उसका 1 हाथ पकड़ा,"..मैं समझता हू तुम्हारी स्थिति...क्या करे?उपरवाला कभी-2 हमारा ऐसे ही इम्तहान लेता है.",कामिनी के गुलाबी निपल्स ठंडे पानी की वजह से बिल्कुल कड़े हो चुके थे & शत्रुजीत की पीठ मे भले जैसे चुभ रहे थे.बीवी के क़त्ल के बाद आज पहली बार उसे थोडा सुकून महसूस हो रहा था & उसके बदन मे फिर से पुरानी उमंगे जाग रही थी.