Sex kahani द मैजिक मिरर (Tell Of Tilism) - Page 2 - SexBaba
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Sex kahani द मैजिक मिरर (Tell Of Tilism)

अब दर्द इतना बढ़ चुका था कि राज बहुत तेजी से चिल्लाता है।

राज: मम्मीsssssssssssssss

राज मम्मी चिल्लाते हुए घुटने मोड़ कर बैड पर लेट जाता है।

नीचे राज की मम्मी सरिता राज के पाप गिरधारी से इधर-उधर की बातें कर रही थी कि अचानक से राज की चीख सुनाई पड़ती है।

राज की ये चीख सुनकर कोई भी कह सकता था कि लड़का वाकई में भयंकर दर्द से गुजरा होगा तभी ऐसी चीख निकली है।

राज की चीख सुनकर गिरधारी और सरिता दोनो दौड़ते हुए राज के कमरे में घुसते है।

जैसे ही गिरधारी और सरिता राज के कमरे में घुसते है वो नीली रोशनी जो राज के बैग से निकल रही थी अब बन्द हो गयी थी। लेकिन राज अभी भी दर्द में तड़प रहा था।

राज को ऐसे दर्द में तड़पता देख कर राज की मम्मी सरिता राज को दुलारते हुए उसे पूछती है कि क्या हुआ। लेकिन राज आंखें बंद करके रोये जा रहा था।

गिरधारी राज की मम्मी के कंधों को पकड़ कर उसे भी संभाले जा रहा था।
तभी सरिता की नज़र राज के हाथों पर जाती है। राज के हाथ पेंट के ऊपर से अपने लन्ड को पकड़े हुए थे।

सरिता एक बार तो सकते में आ जाती है फिर कुछ सोच कर मुस्कुराने लगती है।

सरिता: ओह! तो ये बात है।

गिरधारी: क्या हुआ????

सरिता : आपके लाडले ने चैन में फसा लिया होगा तभी तो इतना....
(सरिता इतना बोलकर मुह पर हाथ लगा कर हँसने लगी)

तभी राज अपनी पेंट से हाथ हटा कर बेहोश हो जाता है।

अचानक से राज को बेहोश होते ही सरिता और गिरधारी दौनो बुरी तरह से डर जाते है।

गिरधारी: अरे यार तुम डॉक्टर हो तुम देखो ना क्या हुआ है राज को

लेकिन सरिता तो जैसे बुरी तरह से डर गई थी। आखिर माँ है ना। एक माँ के सामने जब उसका 10 वीं में पढ़ने वाला बच्चा दर्द से कराहता हुआ बेहोश हो जाये तो उस पर क्या गुजरती है ये कोई भी शब्दों में नही बात सकता।

गिरधारी सरिता के कुछ भी ना कर पाने से परेशान हो जाता है। गिरधारी तुरंत राज को गौद मैं बिठा कर गाड़ी नीचे गाड़ी में ले जाता है। पीछे पीछे सरिता भी दौड़ी दौड़ी चली जाती है।

गिरधारी राज को पास ही के एक हॉस्पिटल में ले जाता है। जहां पर शाम के समय ज्यादातर डॉक्टर चाय के लिए कैंटीन की और जा चुके थे। तभी किसी वार्ड से एक लेडी डॉक्टर निकलती है।

वो जैसे ही बाहर निकलती है बाहर सरिता को देखती है।

(डॉक्टर का नाम है प्रिया)

डॉक्टर प्रिया: हे सरिता मेम आप यहां ?
सरिता उस डॉक्टर को पहचान ने की कोशिश करती है लेकिन नही पहचान पाती

तभी बीच में गिरधारी

गिरधारी: डॉक्टर प्लीज आप मेरे बच्चे को देखिए ये अचानक से बेहोश हो गया।
डॉक्टर: हुआ क्या है इसको, कोई चोट वगैरा?

सरिता : नहीं नहीं ऐसा कुछ नही हुआ ये ऊपर कमरे से अचानक से चिल्लाया और जब हम पहुंचे तो ये थोड़ी ही देर में बेहोश हो गया।

डॉक्टर: ठीक है मैं देखती हूँ इतना बोलकर प्रिया स्टाफ से बोलकर राज को तुरंत इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट करवा देती है।
ये इमरजेंसी वार्ड एक बन्द कमरा था। डॉक्टर प्रिया तुरंत मुह पर मास्क लगा कर 2 नर्स को लेकर रूम मैं चली जाती है।

डॉक्टर: रिमूव क्लोथ्स,

नर्स आपस में मिलकर राज के कपड़े उतारने लगती है।जैसे ही राज का शर्ट उतारती है तो देखती है कि राज का खास तौर पर सीने, पेट, हाथ, की मसल बुरी तरह से खींच रही हो।
दूसरी नर्स राज का पेंट उतारती है तो राज का लन्ड एक दम खड़ा था लेकिन अंडरवियर में था।

प्रिया राज के खड़े लन्ड को देख कर मुस्कुरा पड़ती है।
 
प्रिया मन ही मन सोचती है कि " आज कल के लड़के भी ना इतनी छोटी सी बात पर बेहोश हो जाते है। और ये तो लड़कियों से भी ज्यादा कमजोर लग रहा है।

अभी प्रिया ये सोच ही रही थी को नर्स ने राज की अंडरवियर भी निकाल दी।
राज की अंडरवियर निकलते ही नर्स समेत डॉक्टर प्रिया का मुह भी खुला का खुला रह जाता है।.

नर्स: मैडम ये....

नर्स ने अभी इतना ही कहा था कि प्रिया ने उसे रुकने का एक हाथ से इशारा कर दिया।

प्रिया और नर्स राज के लन्ड को देखते है कि राज का लन्ड करीब पांच इंच लंबा और तीन साडे तीन इंच मोटा था। लेकिन इस से भी बड़ी चोंकाने की बात ये थी कि राज का लन्ड बेहोशी में भी खड़ा था ओर उसका रंग....

राज के लन्ड का रंग एक दम बैंगनी पैड गया था। राज के लन्ड की एक-एक नस साफ-साफ देखी जा सकती थी। राज के लन्ड को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे किसी बहुत ही ज़हरीले सांप ने काट लिया हो और उसका लन्ड नीला पड़ गया हो।
प्रिया जल्दी जल्दी राज को कुछ इंजेक्शन लगाती है और उसे हॉस्पिटल के कपड़े पहना कर बाहर आ। जाती है।
जैसे ही प्रिया इमरजेंसी रूम से बाहर निकलती है गिरधारी और सरिता प्रिया से राज के बारे में बैचैन होकर पूछने लगते है।

डॉक्टर प्रिया: ही इज ऑल राइट... अभी सो रहा है आप 2-3 घंटों में उस से मिल सकते है ही इस फाइन।

सरिता और गिरधारी: लेकिन डॉक्टर उसे हुआ क्या था?

डॉक्टर प्रिया: अम्म्म मैम क्या मैं आपसे अकेले में बात कर सकती हूँ प्लीज।
सरिता चोंकते हुए गिरधारी की तरफ देखती है और फिर यस श्योर बोलकर प्रिया के साथ उसके केबिन में चली जाती है।

प्रिया: मेम आपने मुझे पहचाना नहीं?

सरिता:??????? नहीं तो, क्या मैं आपको जानती हूँ?

प्रिया: मेम मैं प्रिया हूँ याद आपने मुझे मुम्बई मैं उस आ इंटर्न ट्रैन किया था और फिर आपने ही मुझे कॉलेज में स्टूडेंट ऑफ द ईयर का अवार्ड भी दिया था।

सरिता थोड़ा सा दिमाग पर जोर डालते हुए।

सरिता: प्रिया...... ओह हाँ याद आया। अब क्या बोलू तुमसे। इतने बड़े हॉस्पिटल में तुम्हे अस आ डॉक्टर देख कर ही मुझे खुशी है कि तुम ने अपनी लाइफ का गोल पा लिया।

प्रिया: थैंक यू मेम

सरिता: लेकिन प्रिय वो मेरे बेटे को हुआ क्या है?,

प्रिया: क्या? ये आपका बेटा है?

सरिता : हाँ! क्यों?

प्रिया: मेम मैं आपसे कॉलेज टाइम से फ्रैंक एंड अस आ फ्रेंड रही हूँ सो मैं आपको खुल कर सारी बात बताती हूँ।

सरिता: हाँ बिल्कुल बताओ न क्या हुआ है मेरे बेटे को?

प्रिया: पहले ये बताईये इसकी उम्र कितनी है

सरिता : अभी 16 मैं लगा है।क्यों?

प्रिया: मैडम क्या आप अपने बेटे को कोई मेडिसिन दे रही है या फिर ये खुद कुछ ले रहा हो???

सरिता: नो वे! मेरा बेटा तो सर्दी झुकाम की दवाइयां भी नही लेता। उसे तो मेडिसिन के नाम से ही नफरत है।

प्रिया: मैडम मैं गोल गोल बात नही घुमाउंगी। दर असल आपके बेटे का पेनिस अपनी उम्र के हिसाब से काफी बड़ा है और बहुत तेजी से डवलप हो रहा है। पता नही या तो उसे कोई मेडिसिन का रिएक्शन है या फिर कुछ और। आपके बेटे का पेनिस बिल्कुल पर्पल कलर का पड गया था। और उसकी मोटाई मैडम लगभग तीन साडे तीन इंच के करीब होगी।

सरिता: व्हाट???? ये क्या बकवास कर रही हो तुम! तुम्हे मालूम है ना इस तरह से पेशेंट के घर वालो को डरना एक जुर्म है।

प्रिया: सॉरी मेम बूत आप मेरे साथ चलिए।

प्रिया सरिता का हाथ पकड़ कर सरिता को राज जिस रूम मैं एडमिट था वह ले जाती है। प्रिया राज के पास बैठ कर राज का हॉस्पिटल वाला गाउन पकड़ साइड करती है। ऐसा करते हिराज का लन्ड सरिता के सामने आ जाता है। इतना करके प्रिया हः बांध कर दूर खड़ी हो जाती है।

सरिता अपने मुह पर हाथ लगाए राज के लुंड का साइज मोटाई देख रही थी। यहां तक कि अब उसे समझ आ रहा था कि प्रिया उसे कुछ गलत नही बोल रही थी। लेकिन सरिता सबसे ज्यादा परेशान जिस बात से थी वो थी राज के लन्ड का रंग। जो कि अब फिर भी नार्मल हो रहा था धीरे धीरे लेकिन अब भी उसका रंग गहरे बैंगनी रंग का सा था। जैसे कोई जहर का असर हो।

करीब 2 घंटों बाद राज नींद के असर से मुक्त होता है। राज को जब होश आता है तो राज खुद को हॉस्पिटल में पाता है। फिर राज को वो इंसिडेंट याद आता है जो उसकी बेहोशी से पहले हुआ था।

राज बिना किसी को बोले अपने कपड़े पहन लेता है और हॉस्पिटल के कमरे से बाहर निकलता है। राज जैसे ही बाहर निकलता है राज किसी से टकराता है।

राज जिस से टकराता है वो ओर कोई नही डॉक्टर प्रिया थी। जो कि इस वक़्त हॉस्पिटल की यूनिफार्म मैं नहीं थी लेकिन उनका आइडेंटी कार्ड उनके गले में लटक रहा था।

 
प्रिया: अरे तुम होश में आ गये? और ये क्या चुप-चाप कहाँ जाने का इरादा है? हम्म चलो अंदर बैठो तुम्हारे कुछ टेस्ट करने है।

राज: वो मैं वो वॉशरूम...

प्रिया: वो तो रूम में ही है छोटू लाल... तुम बाहर कहाँ जा रहे हो।

राज: देखिये...

प्रिया: हैं बोलो ना छोटू लाल। (मुस्कुराते हुए)

राज खीझ जाता है ।

राज: एक्सक्यूज मी मैडम पहली बात तो ये है की मेरा नाम राज है। दूसरी बात मैं कोई छोटू लाल नही हूँ।

प्रिया एक बार तो राज का व्यवहार देख कर चोंक जाती है। लेकिन अगले ही पल हंसते हुए राज का हाथ पकड़ कर उसे बेड पर ले जा कर बिठा देती है।

प्रिया: हाँ देखा मैंने काफी बड़ा हो गया है.... (बोलते हुए आंख मारती है)

राज झेंपते हुए जीsssss बस इतना ही बोलता है कि प्रिया को समझ आता है कि उसने क्या बोल इसलिए अपनी बात पलटते हुए प्रिया आगे बोलती है।

प्रिया: मेरा मतलब काफी बड़ा हो गया। काफी अच्छी हेल्थ बना ली है। अच्छा खासा मोटा भी हो गया है।

प्रिया बोलते हुए राज को पीठ देकर अपनी जीभ दांतों के बीच दबा लेती है। दरअसल प्रिया फिलहाल जो कुछ भी बोल रही थी सब का सब डबल मीनिंग जा रहा था। प्रिया राज के शारीरिक विकास के बारे में बोल रही थी लेकिन इनडाइरेक्टली उसकी बात राज के लन्ड के लिए जा रही थी।

राज प्रिया की बातें सुन कर बुरी तरह से झेंप जाता है और बहुत एम्बरसिंग मेहसूस करता है।

प्रिया : चलो मुझे टेस्ट करने दो...

राज एक दम से डर कर अपने दोनो हाथ अपने लन्ड पर रख लेता है और जोर-जोर से गर्दन हिला कर मना करता है।

प्रिया को भी एहसास हो जाता है कि वो फिलहाल कुछ भी बोल रही हो सीधा सीधा डबल मीनिंग ही जा रहा है। ये परिस्थिति खुद प्रिया के लिए भी एम्बरसिंग थी। अचानक से प्रिया की नज़र राज के भोले से चेहरे पर पड़ती जिसे देख कर प्रिया मुस्कुराने लगती है। प्रिया राज को टीज़ करने के मूड में आ गयी थी।

 
प्रिया को भी एहसास हो जाता है कि वो फिलहाल कुछ भी बोल रही हो सीधा सीधा डबल मीनिंग ही जा रहा है। ये परिस्थिति खुद प्रिया के लिए भी एम्बरसिंग थी। अचानक से प्रिया की नज़र राज के भोले से चेहरे पर पड़ती जिसे देख कर प्रिया मुस्कुराने लगती है। प्रिया राज को टीज़ करने के मूड में आ गयी थी।

प्रिया: चलो अपनी पेंट उतारो...

राज प्रिया के मुह से इतना सुनते ही शर्मसार हो जाता है। राज ना में गर्दन करता है कि प्रिया की नज़र घडी पर पड़ जाती है जो 6 बजने का संकेत दे रही थी।

अचानक से प्रिया खड़ी हो कर राज को घर कर देखने लगती है और राज से थोडा से गुस्सा दिखा कर पेंट उतारने को बोलती है।

प्रिया: लिसेन आई एम ए डॉक्टर ओके। और मुझे तुम्हारे टेस्ट करने ही पड़ेंगे। तो चुपचाप पेंट उतारो।

राज प्रिया के बदले व्यवहार से डर जाता है। राज बिना कुछ बोले अपनी पेंट उतार देता है। वैसे भी राज के पास इसके अलावा कोई और रास्ता भी नहीं था।

प्रिया राज का लन्ड एक इंच टेप से नापती है और जो रिजल्ट प्रिया के सामने आता है प्रिया थोड़ी सी चोंकती है फिर सोचती है शायद राज को मैंने कुछ ज्यादा ही डरा दिया इस लिए ये रिजल्ट आ रहा है।

जब प्रिया ने राज का लैंड इंच टेप से नापा तो राज का नार्मल लन्ड साइज़ 1.8 इंच के करीब आता है।

प्रिया राज के चेहरे की तरफ देखती है। राज आंखें बंद किये दूसरी और देख रहा था। प्रिया को राज की सिचुएशन समझ कर राज पर दया आ जाती है और वो राज को नार्मल बोल कर हॉस्पिटल से छुट्टी दे देती है।

हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद राज गिरधारी और सरिता के साथ गाड़ी में बैठ कर घर के लिए रवाना हो जाता है।

रास्ते भर गिरधारी सरिता से राज की प्रॉब्लम के बारे में पूछता रहता है। लेकिन सरिता गिरधारी को कोई भी जवाब नही देती सिर्फ इतना बोलती है घर चलो फिर बताती हूँ।

वही घर पर राज की दोनों बहनें रानी और सोनिया अपने माँ बाप का इंतजार कर रही थी।

दोनो घर के गेट के बाहर ही बैठी थी क्यों कि घर तो लॉक था। लगभग 10-15 मिनट में गिरधारी अपने बेटे और पत्नी के साथ घर पहुंच जाता है।

राज और उसका पूरा परिवार एक साथ घर में प्रवेश करता है।

राज बड़ी शर्मिन्दगी से चुप-चाप कमरे में चला जाता है। राज अपने बेड पर जा कर बैठ जाता है। और सोचने लगता है कि उसे आखिर हुआ क्या था। अचानक से ऐसा दर्द। अचानक से राज चोंक जाता है। उसे फिर से फ़्लैश बैक याद आता है कि जब उसे दर्द हो रहा था तब वो बक्शा, वो बक्शा चमक रहा था।

राज बहुत धीरे धीरे चलता हुआ अपने सामान के पास पहुंचता है और वो बक्शा बाहर निकालता है। तभी राज की मम्मी राज को आवाज देती है।

सरिता: राज..... राज ये दरवाजा अंदर से लॉक क्यों किया है अगर फिरसे प्रॉब्लम हुई तो।

राज अचानक से अपनी मम्मी की आवाज सुनकर वो बक्शा अपने बिस्तर के नीचे छिपा देता है। और राज अपने कमरे के दरवाजे की तरफ देखता है। वो दरवाजा तो खुला था अंदर से कोई लॉक नही किया था। और दरवाजा खुलते वक़्त आवाज तक नही करता फर से फंस कैसे गया। राज जैसे ही थोड़ा शांत होता है राज के कमरे का दरवाजा खुद ब खुद खुल जाता है।

सरिता अचानक से राज का दरवाजा खुलने से अंदर की तरफ गिरने वाली हो जाती है । दरअसल सरिता राज के कमरे के दरवाजे के सहारा लेकर खड़ी थी तो अचानक से दरवाजा खुलते ही अंदर की तरफ गिरते गिरते बचती है। लेकिन सरिता खुद को बचाने में अपनी साड़ी का पल्लू नही संभाल पाती जो कि नीचे गिर जाता है। और सरिता की दूधिया चुंचिया उभर कर सामने की तरफ राज को नज़र आने लगती है।
 
गनीमत थी कि राज ने ऐसे वैसे ख्याल कभी अपने मन में लाये ही नही इस लिए आज को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा।

सरिता भी जल्दी से खुद को संभाल कर नीचे की और जाने लगती है। लेकिन जाते जाते राज को खाने के बोलकर उसे नीचे 10 मिनट में आने का आदेश भी दे जाटी है।

राज तुरंत जल्दी जल्दी अपना लोअर और टी-शर्ट पहनता है और नीचे के लिए निकल पड़ता है।

रानी और सोनिया भी राज के लिए परेशान थी। तो दोनों ने सरिता से खूब पूछ ने की कोशिश की, की आखिर राज को हुआ क्या था। लेकिन सरिता दोनो को नार्मल सा पेट दर्द बताया जो कि गैस प्रॉब्लम से हो गया।

रानी और सोनिया राज की गैस प्रॉब्लम समझ कर राज का मजाक बनाती रही और राज भी हल्के हल्के मुस्कुराता रहा। क्यों कि राज को कम से कम अपनी बहनों के सामने शर्मिंदा नही होना पड़ रहा था।

सभी अपने अपने कमरे में चले गए लेकिन सरिता ने राज को रानी के साथ सोने के लिए रानी के कमरे में भेज दिया। क्यों कि सरिता को डर था कि कहीं फिर से दर्द हुआ तो।

रानी भी हसी खुशी राज को अपने साथ सुलाने के लिए मान जाती है।

वही दूसरी और सरिता और गिरधारी मैं बहस चक रही थी कि आखिर सरिता गिरधारी को कुछ बता क्यों नही रही कि राज को क्या हुआ है।

सरिता गिरधारी को अपने हाथ से इशारा करके बोल रही थी कि राज के लिंग का आकार अभी से इसी उम्र में इतना बड़ा हो गया है। जब डॉक्टर ने उसकी जांच की तो वो गहरे पर्पल कलर का था। जैसे किसी ज़हरीले जानवर ने काटा हो।

गिरधारी ये सुनकर चोंक जाता है। लेकिन अगले ही पल गिरधारी सरिता को गले लगाते हुए बोलता है।

गिरधारी: अरे आखिर बेटा किसका है।

सरिता: अच्छा ये बात है। लेकिन उसका तो अभी इसी उम्र में आपके बराबर हो गया। जब राज थोड़ा और बाद हो तो आप तो उसके सामने बच्चे नज़र आएंगे।

गिरधारी: अरे बड़ा हो भी जाये तो क्या। अपनी बीवी की मेरी तरह चीखें थोड़ी निकलवा सकता है। जैसे मैं आपकी निकलवाता हूँ।

इतना कह कर गिरधारी सरिता को बेड पर लेकर गिर जाता है और सरिता को बेइंतेहा चूमने लगता है।
सरिता गिरधारी के अचानक से रोमांटिक होने से मुस्कुरा पड़ती है लेकिन रह रह कर सरिता के मन में अपने बेटे राज को लेकर कई तरह के ख्याल आया रहे थे।

जैसे ही गिरधारी और सरिता एक होते है सरिता को ऐसा लगता है जैसे वो गिरधारी के साथ नही राज के साथ हो। अचानक से सरिता के मुह से आहsssss राजsssss निकल जाता है जिसे गिरधारी सुनकर अनदेखा कर देता है लेकिन सरिता अपनी मुह से निकले बोलो को अनदेखा नही का पाती।

सरिता अब बहुत ज्यादा भावुक हो रही थी। सरिता ने अचानक से गिरधारी को अपने ऊपर से उठाया और अपने कपड़े पहन लिए और गिरधारी की तरफ पीठ करके सो गई। गिरधारी ने भी सरिता को फ़ोर्स करना ठीक नही समझा। अपना हाथ जगन्नाथ समझ कर गिरधारी भी सो गया।

इसी तरह 2 साल निकल गए। इन दो सालों में राज के 4-5 बार और दर्द होता है लेकिन राज इस बार खुद को एम्बर्समेंट से बचाने के लिए किसी को नही बोलता और खुद बा खुद दर्द सहन करता गया।

वही दूसरी और सरिता और गिरधारी के रिश्ते पर भी कुछ अच्छा असर नही पैड रहा था। हर बार जब जब सरिता गिरधारी से एक होने की कोशिश कर रही थी उसे बार बार राज और राज का लन्ड याद आ जाता जिस कारण से सरिता गिरधारी का बिस्तर पर पूरी तरह से साथ नही दे पाती थी।
 
वही दूसरी ओर रानी और सानिया अपनी कॉलेज पूरी करके एस. एम. एस. कॉलेज ऑफ मेडिकल साइनस से डॉक्टरी के लिए एडमिशन के चुकी थी। और राज आज पूरे दो साल बाद एक बार फिर से अपनी नानी के गांव लौट आया।
पिछले दो साल में राज को वो बक्शा खोलने का वक़्त तो मिल गया था लेकिन वो उसकी रहस्य नही समझ पाया।

राज नानी के घर पहुंच कर नानी को प्रणाम करता है। 2-3 दिन तक राज अपने गांव के दोस्तों से नही मिलता राज केवल बक्शे से निकले नक्शे को देखता रहता है। अचानक से राज को वो नक्शा समझ आ जाता है। क्यों ई उसमे जो इंस्ट्रक्शन दिए हुए थे वो जगह राज की देखी हुई थी।

राज जब नक्शे को ध्यान से देखता है तो उस नक्शे पर बहुत ही हल्की जैसे कोई तेल जैसा पदार्थ गिराकर कोई चीज बनाई गई थी। राज बस उसी को समझने की कोशिश कर रहा था।

राज के दिमाग में बार-बार दो सवाल उमड़ रहे थे।

पहला सवाल तो ये की ये अगर कोई संकेत है तो क्या है? ऐसा क्या है जिसे मैं छोड़ रहा हूँ या भूल रहा हूँ? शायद मैं जानता हूँ या शायद नहीं। कहीं ये इस नक्शे से मोदी कोई अहम बात बागी तो हो सकती है। ऊपर से इस नक्शे में इंस्ट्रक्शन दिए हुए है कोई खजाना है या नहीं इस का कोई भी संकेत नही है।

दूसरा सवाल ये है कि कहीं के गलती से गिरा कोई पदार्थ तो नहीं जिसे मैं बेवजह ही इतनी अहमियत दिए जा रहा हूँ।

पिछले 3-4 दिन से राज रोज नक्शे को समझने के लिए दिमाग आगा रहा था। लेकिन हर बार बात उस तेल जैसे निशान पर आकर रुक जाती थी। दूरी परेशानी की बात ये भी थी कि जिस जगह पर नक्शे का अंतिम लक्ष्य था उस जगह पर हल्का हल्का काले रंग का धब्बा था।

राज ने पिछले 2 साल में नक्शे पढ़ने के निशानों पर बहुत खोज की थी। जिस तरह के ये निशान थे वो सिर्फ तीन चीजो की और इशारा करते थे।

1: कोई गहरी खाई हो।
2: कोई अंधेरी सुरंग हो।
3: खतरा

राज अपना दिमाग लगा कर देखता है। राज निर्णय बनाता है। वह पर गहरी खाई जैसी कोई चीज नही हो सकती। सुरंग..... नहीं बिल्कुक नहीं उस जमाने में क्या आज के टाइम में भी ऐसी परिस्थिति में सुरंग बनाना नामुमकिन है। खतरा..... हाँ! ये हो सकता है।

लेकिन खतरा? किस तरह का खतरा ? राज हर बार उस काल निशान और तेल के धब्बे पर आकर उलझ जाता था।
 
बहुत मशक्कत के बाद भी जब राज उस नक्शे को नही सुलझा पाया तो राज ने सोचा ये नक्शा किसी काम का नहीं है। शायद ये गलत नक्शा है इसके बारे में किसी भी किताब में कुछ भी नही है। शायद दादाजी से ये गलत बन गया होगा। इसीलिए इसे ज़मीन में गाड़ दिए। लेकिन दादाजी ने इसे गाड़ा क्यों? इस नक्शे को दादाजी जला भी तो सकते थे ।

राज उस नक्शे को देखते-देखेते अचानक से खुश हो जाता है।

राज मन ही मन सोचता है:- जलाना... ओह हाँ! जलाना.. अगर मैं नक्शे को आग के पास लेकर जाऊं टी जो इस नक्शे में अस्पष्ट कृतियाँ है वो साफ नजर आ जायेगी। ये मैंने पहले क्यों नही सोचा।

राज जल्दी से बाहर आकर नानी जी से मोमबत्ती के लिए पूछता है। राज की नानी राज को बताती है कि यहां पर मोमबत्ती तो नही है। लेकिन का केरोसिन का लैंप और एक पुरानी चिमनी है।

राज बिना नानी की पूरी बात सुन जल्दी से चिमनी लेकर कमरे में जाता है और दरवाजा बंद कर लेता है। राज चिमनी जला कर उस नक्शे को देखता है।

नक्शे को देखते ही राज की बाछें खिल जाती है। राज उस नक्शे के कुछ पॉइंट्स को शॉर्टकट मैं एक पॉकेट पेड पर लिख लेता है।

राज उस नक्शे को देखते हुए मैन ही मन बोलता है। दादाजी काल इस नक्शे के राज आपका पोता जान लेगा।

तभी नानी दरवाजा पिटती है और राज को आवाज देती है।

नानी: राजssss राजssss ये दरवाजा क्यों बैंड कर रखा है और क्या कर रहा है चिमनी से। बेटा वो केरोसिन है अगर गलती से कहीं गिर गया ना तो आग लग जायेगी। चल जल्दी से बाहर आ।

नानी ने अभी इतना कह ही था कि राज दरवाजा खोलते है और बाहर निकलता है। थोड़ी देर अपनी नानी को मुस्कुराते हुए देखता है और फिर अचानक से अपनी नानी के गले लग जाता है।

नानी भी सोचती है राज थोड़ा सा भावुक हो गया होगा। लेकिन नानी ने ये नही सोचा कि उन्होंने तो ऐसी कोई बात नहीं कहीं जिस से राज को भावुक होना चाहिए।

लेकिन नानी के सोचने से पहले ही राज ने नानी से कुछ बोल दिया।

राज: नानी काफी दिन हो गए मुझे गांव आये हुए। मैं अपने दोस्तों से भी नहीं मिला। अगर आप कहें तो कल मिलने जाऊं।

नानी राज को अपने से थोड़ा सा दूर करती है और राज की आंखों में देखती है। नानी को राज की आंखों में अपने दोस्तों से मिलने की तड़प नज़र आती है। जिसे देख कर नानी मुस्कुराते हुए राज को जाने की इजाजत दे देती है।

ऐसी ही पूरा दिन मस्ती मजाक करते हुए राज ने अपनी नानी के साथ गुजार दिया। और रात को जादू की कहानीयां सुनते हुए राज गहरी नींद में सो गया।

राज नींद में भी कल के रोमांच के बारे में सोच रहा था। लेकिन उसके मन में एक बात और चल रही थी जिसका हल ढूंढना बहुत ज़रूरी था।

खेर सुबह सूरज निकलने से पहले ही राज की आंख खुल गयी। और राज से भी पहले उसकी नानी की आंख खुल गयी थी। जो कि इस वक़्त रसोई घर में झाड़ू लगा रही थी।
 
राज ने बड़े ही अदब से अपनी नानी को प्रणाम किया और अपने दोस्तों से मिलने जाने की बोलकर वहां से निकल गया।

हालांकि नानी राज को पीछे से आवाज देती रही उसे रोकने को लेकिन राज तो राज है वो अब कहाँ किसी की सुनता।

राज की नानी राज को ये बताने की कोशिश कर रही थी कि अभी तो उसके दोस्त सो रहे होंगे इतनी जल्दी जाकर करेगा क्या? और फिर जा ही रहा है तो थोड़ी देर रुक कर चला जा। कम से कम नाश्ता तो करके जा।

लेकिन इधर नानी राज को चिल्ला-चिल्ला कर बोलती रही उधर राज बिना सुने दौड़ता हुआ उसी और दौड़ पड़ा जहां पिछली बार कालू श्याम और मंगल से मुलाकात हुई थी।

राज को अभी चलते हुए 10 मिनट भी नही हुए थे कि सुबह की पहली किरण खिलखिलाते हुए गांव की हरियाली की खूबसूरती को स्वर्ण जैसी चमकीला बना रही थी।

पूरा गांव सूरज की रोशनी में सोने की तरह चमचमा रहा था। गांव के कुछ लोग उठ कर अपने खेतों में जा रहे थे तो कुछ लोग अपने घर के कामों में लगे थे। कुछ औरतें पानी का घड़ा भर कर अपने घर की ओर लौट रही थी।

राज गांव का ऐसा माहोल देख कर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। फिर अचानक उसे याद आता है कि जल्दी-जल्दी में वो नक्शा और कंपास तो लाना ही भूल गया।

राज वापस अपनी नानी के घर की और मुड़ता है। राज कुछ 10 कदम भी नही चला होगा कि राज वही रुक कर सोचने लगा।
राज (मन मे विचार): अब अगर वापस घर लौटा तो या तो नानी वापस नही आने देंगी या फिर मुझे थिंदी देर बाद आने देंगी। लेकिन इन सबसे पहले मैं नानी को वापस लौटने का कारण क्या बताउंगा?

राज अभी ये विचार कर ही रह था कि श्याम और कालू खेतों से बाहर निकल रहे थे। दोनो अपने अपने शर्ट के बटन लगा रहे थे।

राज ने तो उन्हें नहीं देखा लेकिन कालू और श्याम ने राज को देख लिया। कालू जोर से श्याम को आवाज देकर अपने पास बुलाता है।

राज कालू की आवाज सुनकर पहले तो चोंक जाता है फिर पीछे मुड़ कर देखता है तो पहले से ज्यादा चोंक जाता है। लेकिन साथ ही खुश भी हो जाता है क्योंकि आखिर लंबे समय बाद राज अपने दोस्तों से मिला था।

राज: कालू श्याम तुम दोनो? यहां कैसे? मैं तुन्हें ही ढूंढता हुआ आ रहा था।

कालू और श्याम दौड़ते हुए राज के पास आकर राज के गले लग जाते है। राज भी अपने दोस्तों के गले लग कर बहुत खुश था।

कालू: तुम पूरे दो साल बाद आये हो राज। 2 साल में यहां बहुत कुछ बदल गया।

श्याम: हाँ राज । लेकिन ये सब छोड़ो और ये बताओ तुम कैसे हो?

राज: तुम लोगों के सामने हूँ। वैसे मंगल कहाँ है?
 
कालू और श्याम दोनो मुस्कुराते हुए एक दूसरे की तरफ देखने लगते। फिर राज को खेत की और इशारा कर देते है।

राज बहुत होल से पूछता है....

राज: क्या वो छिपा हुआ है?

कालू और श्याम दोनो ना मैं गर्दन हिलाते है।

तभी अचानक से खेत की फसल जोर जोर से हिलने लगती है जैसे कोई जानवर वह से आ रहा हो। और फिर अचानक से बाहर मंगल आता है। नीचे एक अंडर वियर पहन रखा था ऊपर कुछ भी नहीं था। बस एक शर्ट हाथ में पकड़ रखा था।

राज: मंगल????

मंगल: राज? ( मंगल भी राज के पास आकर राज को गले लगा लेता है।

तभी खेतों के पीछे से एक लड़की भागी भागी आती है और सीधे चारों दोस्तों के सामने खड़ी हो जाती है।

राज जब उस लड़की को देखता है तो देखता ही रह जाता है।

कमाल का हुस्न था उस लड़की का। उसकी थोड़ी सी अभी बड़ी हुई चुंचिया एक दम तनी हुई थी। उसके चेहरे पर हल्का सा शॉक और गुस्सा दोनो नज़र आ रहे थे।

अभी राज ने इतना ही देखा था कि फिर तुरंत ही राज उस लड़की को पीठ देकर खड़ा हो जाता है।

दरअसल वो लड़की निर्वस्त्र थी। एक दम जन्म जात अवस्था में। वो लड़की तुरंत अपनी सुंदर सुडौल चुंचियों पर हाथ रख लेती है।

लड़की वापस जिस तेजी से खेतों से बाहर निकली थी उसी तेजी से खेतों में घुस गई थी।

राज: ये सब क्या है? कौन थी वो लड़की? और यह इस हालत में? आखिर चल क्या रहा है।

कालू: अरे यार तू न उल्लू का पट्ठा ही रहेगा। एक लड़की बिल्कुल नंगी तीन तीन लड़को के साथ क्यों होगी।

राज: क्यों होगी?

श्याम: चुदवाने के लिए और क्यों?

राज: क्या??????? ( राज मुह खुला का खुला रह जाता है)

राज: तुम लोग ये सब कर रहे थे यहां पर?

तभी श्याम राज की बात बीच में काटते हुए तुम जानते हो ये लड़की कौन थी?

कालू और श्याम एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगते है साथ साथ मंगल भी मुस्कुराता हुआ अपनी शर्ट का बटन बन्द कर ने लग जाता है।

राज: कौन थी ये लड़की?

कालू: और कौन होगी वो लड़की कोई और नही बल्कि अपने मंगल की बहन थी वो भी सगी बहन।

राज: क्या??????? ( इस बार सच में राज को बहुत बड़ा झटका लगता है)

राज: अपनी सगी बहन के साथ ये सब। लेकिन क्यों? एयर कैसे? मेरा मतलब वो तैयात कैसे हुई।

कालू: वो सब एक लंबी कहानी है राज। अभी तो बताया ना इन 2 सालों मे गांव में बहुत से बदलाव आए है।

कालू: राज जब पिछली तू गांव से गया था तो तेरे जाने के 2 हफ्ते बाद ही मेरे बाबा गुजर गए। उनके पेट में हमारे ही बैल नही सिंग मार दिया। जब तक हॉस्पिटल लेकर जाते उन्होंने दम तोड़ दिया था।

फिर बाबा के देहांत के क़रीब एक हफ्ते बाद पड़ोसी गांव के साहूकार आये। उन्होंने कुछ कागज दिखाए और बोला कि मेरे बाबा ने उनसे 40000 का कर्ज़ ले रखा है।
 
उन्होंने ये भी कहा कि मैं तो कमाता हूँ नही। तो वो हमारी ज़मीन हड़पने के लिए मुझसे अंगूठे का निशान मांग रहे थे लेकिन मैंने मना कर दिया। और उनसे कहा कि मुझे छः महीने का वक़्त दे। ताकि उनके सारे पैसे चुका सकूँ।

कालू इतना बोल कर चुप हो गया। लेकिन फिर श्याम कालू के कंधे पर हाथ रख कर कालू की बात पूरी करता है।

श्याम: फिर कालू पर जब ये भारी समस्या आन पड़ी तो कालू मेरे पास आया। मैंने और कालू ने मिलकर बहुत कोशिश की, लेकिन कहीं से भी पैसों का इंतजाम नही ही रहा था।

एक दिन मैं और कालू गांव के बाहर लाला की दुकान पर चाय पी रहे थे कि वह साहूकार के कुछ गुंडे आये। उन्होंने हमारे साथ मारपीट की, हमारे कपड़े फाड़ दिए। और कालू को धमकी दे गए कि अगर 6 महीनों मेयो साहूकार का कर्जा नही चुकाया तो तेरी बहन को कोठे पर बेच आएंगे। और कर्ज़े का 40 गुना उसकी चूत से वसूल करेंगे।

कालू उनकी बात और धमकी सुनकर गुस्से से पागल हो गया था। कालू ने वही चाय की दुकान पर चाय बनाने वाले बर्तन को उठा कर उस आदमी के सर पर पूरे जोर से मार दिया।

बस फिर क्या था। उस आदमी के सर के दो टुकड़े हो गए। वो लोग उसे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाने के लिए आगे बढ़े लेकिन कालू उसके शरीर पर पैर रख कर खड़ा हो गया। ना वो लोग उसे ले जा सकते थे। ना वो ज्यादा देर तक जिंदा रह सकता था।

मैंने भी कालू को बहुत समझाने की कोशिश की , लेकिन कालू जब गुस्से में होता है तो इसे समझाना बेकार होता है।

उस आदमी का बहुत सा खून वही बह गया था। करीब एक घंटे बाद कालू उसे ले जाने के लिए बोल देता है। वो सारे गुंडे उस आदमी को हॉस्पिटल ले जाने के लिए आगे बढ़ते है लेकिन तब तक वो मर चुका था।

फिर हम लोगो ने चाय वाले को धमका कर उसका मुह बन्द करवाया और वहां से गांव आ गए।

राज: क्या?????? इतना सब कुछ हो गया कर तुम लोगो ने मुझसे बात करने की कोशिश भी नही की? क्यों? क्या तुम लोग मुझे दोस्त नहीं मानते?

मंगल: ऐसा नही है राज। लेकिन जब हम लोग शहर पहुंचे तो तू हॉस्पिटल में था। हमे लगा तुम्हे ऐसी हालात में परेशान करना ठीक नही होगा।

( पिछले 2 साल में राज को 4-5 बार और दर्द हुआ था जिन मैं कई बार राज ने दर्द बर्दाश्त कर लिया था लेकिन कई बार उसे डॉक्टर प्रिया के यहां ले जाना पड़ा था। शायद मंगल उसी समय की बात कर रहा हो।)

राज: फिर तुम लोगो ने पैसों का इंतजाम कैसे किया? कहीं ज़मीन तो नही बैचनी पड़ी? और पुलिस? उन्होंने तुम्हे गिरफ्तार कर लिया होगा। ओह नो। ये मेरे से क्या हो गया?

मंगल: ऐसा कुछ नही हुआ राज।

राज: क्या ? फिर क्या हुआ?

 
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