Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें - Page 9 - SexBaba
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Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें

अपने रूम में वापस जाके सब बेडशीट और कर्टन्स चेंज किए, रूम फ्रेशनेर स्प्रे करके बेड पे लेट गयी...फ्रेश फीलिंग आ रही थी..इतनी गर्मी में एसी की हवा मुझे बहुत अच्छी लग रही थी...


इतने में मेरा फोन रिंग हुआ..देखा तो शन्नो मामी का था..मैने टाइम देखा तो दोपहर के 12.30 बज रहे थे..


"हेलो...बोलिए मामी जी.."


"दरवाज़ा तो खोल मेरी प्यारी बेटी..."


मैं झट से नीचे गयी और दरवाज़ा खोल दिया... शन्नो हाइ प्रोफाइल कॉल गर्ल से कम नहीं लग रही थी... ब्लॅक साड़ी, डार्क रेड लिपस्टिक...बाल खुले हुए, गालों पे लाली.. उसके चुचे उसकी स्लीवेलेस्स ब्लॉज के अंदर दो कबूतरों की तरह लग रहे थे... कमर एक दम सटी हुई, गहरी नाभि उसकी मेरे मूह में पानी ला रही थी..


"अभी तो सिर्फ़ देखके ये हाल है..खेलेगी कैसे मेरी बच्ची तू" शन्नो ने टॉंट मारते हुए कहा..


अंदर आने के लिए मैने शन्नो को रास्ता दिया और दरवाज़ा बंद कर लिया..


"वाह.. बेनसन & हेड्जस...गुड चाय्स बेटे....ये कहके शन्नो ने सिगरेट जला ली और पफ मारने लगी


"चाय्स तो मेरी बेस्ट ही होती है मामी जी...कोई शक़?"


"अच्छा, ज़रा हमे भी तो कुछ तेरी चाय्स का दिखा...हम कैसे जानें"


ये सुनके मैं सीधे शन्नो के पास गयी और उसका मूह पकड़ के उसके होंठों को चूसने लगी...


"उम्म्म...आहमम्म, बहुत मटकती फिरती है आहमम्म.आअहह नाउ सक मी बिच..आहहमम्म्म" मैने शन्नो को ज़बरदस्ती चूस्ते हुए कहा


"उम्म...छोड़ मुझे रांड़ कहीं की...उम्म्म हट दूर आहंम..आहमम्म...लीव ओमम्म्म...यॅ" धीरे धीरे शन्नो का ज़ोर ढीला पड़ा और हम लोग किस करने में मशगूल हो गये...


"ओह्ह्ह्ह आअहह सीयी....आह मेरी रंडी पायल आहहसिईई..उम्म्म और चूस ना यअहह आहह...ओह हां, इधर चूस नाआहह"... और मेरा मूह अपने चुचों पे ले गयी...मैं ब्लोज के उपर से ही उसके चुचे चूसने लगी..


"आहह.. क्या चुचे हैं तेरे शन्नो डार्लिंग..आहमम्म इतने रस वाले आहमम्म्म, कितनो ने मसला है इनको.उहह. एअससस्स आहह"


हम खड़े खड़े किस कर रहे थे..देखते देखते शन्नो ने मेरी मिनी निकाल दी और टॉप उतारने लगी..


"आहह..रंडी तो तू है आहबुंमम्ममम....साली अंदर ओह्ह्ह्ह आहंणन्न् कुछ नहीं पहना आह "


"उम्म्म...तेरे पे ही गयी हूँ मामी आहह"....,ये कहके मैने भी शन्नो की साड़ी और ब्लोज पेटिकोट निकाल दिया...अब वो सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी...


हम पास में पड़े सोफा पे जाके लेट गये और मैने शन्नो की ब्रा पैंटी भी निकाल फेंकी.. हम दोनो नंगे एक दूसरे के उपर लेट गये... शन्नो मेरे चुचे चूस रही थी और मैं नीचे से उसके गीले भोस्डे में उंगली कर रही थी


"आहह....ह्म्‍म्म और ज़ोर से मेरी शन्नो आअहह... "


"उम्म. आहह तू भी ज़ोर से चोद ना मेरी रंडी बिटिया आहह आहम्‍म्म्म... और फक मी यअहह उःम्म्म आहह"


पूरे कमरे में हमारी यही आवाज़ें गूँज रही थी...


करीब 10 मिनट बाद शन्नो मेरे उपर से उठी और मेरा हाथ पकड़ के मुझे मेरे रूम में ले जाने लगी..


जैसे ही हम उपर पहुँचे, खुश्बू और ठंडक से हमारा पसीना कम होने लगा...
 
मैने जोश बरकरार रखते हुए, शन्नो के चुचे को लेके मूह में डाला और नीचे उसके भोस्डे में तीन उंगलियाँ घुसा दी...


"आहह साली गश्ती आहह..धीरे कर कुतिया आहह ओह्ह्ह्ह " शन्नो बोलने लगी


"गश्ती होगी तू साली.आहह, " ये कहके मैने उसे बेड पे धक्का दिया और उसे छोड़के मेरे कपबोर्ड के पास गयी


"थक गयी क्या साली मादरजात इतने में" शन्नो ने हान्फ्ते हुए कहा


मैने उसे इग्नोर किया और कपबोर्ड में से स्ट्रापान डिल्डो निकाला...


मेरी कमर के पास से बाँध के मैं शन्नो की तरफ पलटी.. अब मेरे पास प्लास्टिक का 12 इंच का लंड था जो मेरी कमर से बँधा हुआ था...


"हाए साली. मार डालेगी तू आज कुतिया कहीं की" शन्नो ने आँखें फाड़ते हुए कहा


बिना जवाब दिए मैं उसके पास गयी, उसके बाल पकड़के नीचे खींचा और घोड़ी बना डाला..


"बहुत बोलती है शन्नो मामी तू...आज तेरे भोस्डे के परखच्चे उड़ा दूँगी... ये बोल के मैने लंड सीधा उसकी गान्ड में डालके एक ही शॉट में अंदर घुसा दिया..


"आआईयईईईयाहभह.... ओव्ह भाडवी कहीं की. तेरी मा को कुत्ते चोदे साली वहाँ नहीं आहह.... रांड़ ओह आहह नास्स्स मुमययी आहह "


मैं ये सब सुने बिना उसकी गान्ड मारने लगी और तेज़ धक्के लेने लगी... शन्नो रोए जा रही थी, चिल्लाते जा रही थी... शायद उसने आज तक गान्ड बचा के रखी थी मेरे नकली लंड के लिए..


"आहह...धीरे आहह...मेरी चूत पानी छोड़ रही है आहह मैं गयी. यअहस्स ओह"


जैसे ही उसने अपना पानी छोड़ा, मैने उसकी गान्ड चोदना बंद की, उसके बाल पकड़ के अपनी चूत पे उसके होंठ रखे


"मेरा पानी निकल साली चल...आहमम्म आहह"


शन्नो में ताक़त ही नहीं बची थी...मजबूरी में मेरी चूत चाट रही थी


"साटाकक...मैने उसके मूह पे तमाचा मारा.. और उसकी आँख से आँसू बहने लगे


"जल्दी चाट भाडवी...पानी निकाल"


धीरे धीरे शन्नो ने अपनी स्पीड बढ़ाई... मैं झड़ने के करीब थी, और जैसे ही मेरा निकलने वाला था, मैने उसके मूह में अपनी चूत ज़ोर से प्रेस की और पूरा पानी उसके मूह में छोड़ दिया..


मेरे पानी को अपने मूह से निकालके शन्नो खाँसती हुई बेड पे जाके बैठ गयी और रोने लगी..


मैने अपनी साँसें काबू में करके कहा


"राज का पीछा छोड़ने का क्या लोगि तुम?"


"मुझे जनरली सेक्स विद प्लेषर पसंद है, फिर चाहे वो लड़की के साथ ही क्यूँ ना हो, मैं बाइसेक्षुयल नहीं हूँ, बट हमेशा एक कूरीोसिटी थी लेज़्बीयन आक्ट करने की बट आज जो मैने किया, वो सेक्स नहीं था, वो मेरा गुस्सा था शन्नो मामी पे, मैं उन्हे बताना चाहती थी, कि राजभहई को नुकसान पहुँचाना इतना आसान नहीं है"



मैं ये सब सोच रही थी कि अचानक मेरा ध्यान टूटा और मेरी नज़र शन्नो मामी पे पड़ी



सामने बेड पे उसके बाल एक दम बिखरे हुए, लिपस्टिक बिल्कुल उखड़ गयी थी, जो औरत कुछ देर पहले हाइ प्रोफाइल कॉल गर्ल लग रही थी, अब वो किसी फालतू से टीन के डब्बे से कम नहीं लग रही थी



"सुना नहीं आपने... मैने क्या पूछा" मैने शन्नो मामी पे चिल्ला के कहा



रो रो कर लाल हो चुकी औरत बोलती भी तो क्या बोलती.. मैने उन्हे उठाया बेड से और बाथरूम ले जाके उन्हे कहा फ्रेश होके बाहर आओ जल्दी.. समझी ना, जल्दी करो



मैं बाहर आ गयी और आज के बर्ताव के बारे में सोचने लगी.. मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा आज जो मैने शन्नो मामी के साथ किया...



ये सोचते सोचते मैं अपने कपड़े नीचे जाके पहनने लगी.. रूम को थोड़ा नॉर्मल करके वापस उपर आई और मेरे रूम को भी अच्छी तरह सॉफ करने लगी



रूम सॉफ करके में बेड पे बैठ गयी और सिगर्रेते जला ली अपने लिए.. तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला तो शन्नो मामी बाहर आ चुकी थी.. बिल्कुल नंगी थी, मैने उन्हे उनकी साड़ी पकड़ा दी और वो तैयार होने लगी फिर से..
 
जैसे ही वो ठीक हुलिए में आई.. मुझे पलट कर बोली



"पायल... मुझे घर छोड़ के आ, मैं कुछ बात नहीं करना चाहती अभी किसी भी बारे में" शन्नो मामी ने कहा



"लगता है अभी तक अकल ठिकाने नहीं आई तुम्हारी.. सीधे सीधे बोलो, नहीं तो" मैने अभी अपनी बात पूरी भी नहीं की.. उससे पहले ही



"थपाकककककक.. चटाक़"




मामी के दो झन्नाटे दार थप्पड़ो से रूम में ये आवाज़ें गूँज उठी...



मैं अभी पूरी तरह संभली भी नहीं के एक बार फिर मामी ने मुझे थप्पड़ जड दिया



"बदतमीज़ लड़की.. अपनी हद में रह, चाहे कितने भी बुरे हो, अपने बड़ों से ऐसे बात करने का तुझे कोई हक़ नहीं है.. आज जो तूने किया है उसकी मैने कभी उम्मीद भी नहीं की थी."



मेरी आँखें लाल हो चुकी थी, बट मैने फिर भी कंट्रोल किया कि आँसू ना निकले..



मैं बिना कुछ बोले नीचे चली गयी और नीचे वॉशरूम में जाके मूह धोके बाहर आई.. बाहर आके मैने अपना बॅग उठाया



"चलना है तो जल्दी चलो, मुझसे अब तुम्हारी शकल ज़्यादा देर देखी नहीं जा रही" मैने चिल्ला के शन्नो मामी से कहा



भले ही तीन थप्पड़ खाए हो, बट अकड़ तो मैं कभी नहीं छोड़ती, ये मेरा उसूल है, जितने भी ग़लत हो, लोगों को सामने अपना कॉन्फिडेन्स कम नहीं दिखना चाहिए



मैं बाहर जाके वेट करने लगी, और जैसे ही शन्नो मामी आई.. मैं घर को लॉक करके गाड़ी की तरफ चल दी



मैने जल्दी से गाड़ी स्टार्ट करके पार्किंग से निकाली.. जैसे ही मामी आगे बैठी, मैने फुल स्पीड में गाड़ी भगा दी राज भाई के घर की तरफ..



"गाड़ी धीरे चला लड़की, मरना है क्या तुझे"



"मरना नहीं मारना चाहती हूँ किसी को, फिलहाल उसका टाइम नहीं है, अगर नहीं बैठ सकती तो जाके ऑटो में आओ"



मैने बिना उन्हे देखे जवाब दिया... मेरा जवाब सुनके शन्नो मामी मुझे घूर्ने लगी और अपने दाँत पीसने लगी



30 मिनट का रास्ता हमने 15 मिनट में ही तय किया.. जैसे ही हम राज भाई के घर के नज़दीक पहुँचे, मैने गाड़ी की स्पीड फुल कर दी और 90 डिग्री टर्न फुल स्पीड में लेके हॅंड ब्रेक यूज़ करके कार को स्किड करने लगी



थप्पड़ का जवाब तो नहीं दे सकती थी बट ये करके शन्नो मामी की गान्ड तो फाड़ ही डाली मैने एक सेकेंड के लिए



जैसे ही मैने गाड़ी रोकी.. शन्नो आंटी खुद को संभाल के " पागल है क्या.. कहीं मुझे............"



मैं आगे बिना सुने गाड़ी से उतरी और अंदर की तरफ जाने लगी.. जाते जाते मैने शन्नो आंटी को एक तमाचा तो मार ही दिया.. 






मैं जैसे ही अंदर पहुँची, सीधा गेस्ट रूम में चली गयी और जाके वहाँ अपना बॅग सेट करने लगी.. मुझे ऐसे देख नेहा मामी आई



"अरे बेटे, क्या हुआ, गेस्ट रूम में क्यूँ" नेहा मामी ने पूछा



मैं:- कुछ नहीं मामी, अभी यहाँ ही रहूंगी कुछ दिन, तो शन्नो मामी को क्यूँ डिस्टर्ब करूँ



"कौन डिस्टर्ब होता है बेटी, मैं तो बिल्कुल डिस्टर्ब नहीं होती तुम्हारी मोजूदगी से" पीछे से शन्नो ने कहा



कुछ सेकेंड्स के बाद



"नहीं मामी, यहाँ ठीक है, आंड रात को अकेले मुझे ज़्यादा कंफर्ट फील होता है" प्लीज़ अब इन्सिस्ट ना करें



शन्नो तो वहाँ से चली गयी बट नेहा मामी अभी वहीं थी



"बेटे, अगर कभी भी अच्छा ना लगे यहाँ तू मेरे रूम में आ जाना ओके ना" ये कहके नेहा मामी भी वहाँ से चली गयी



मैं वहाँ अकेले अकेले बैठ गयी और सोचने लगी अब तक जो हुआ था... जवाब तो मुझे देना ही पड़ेगा शन्नो को, नहीं तो मेरा ईगो हर्ट होगा...




तभी फोन बजने लगा
 
"हां जी स्वीटी, बोलिए, क्या कर सकती है आपकी जान आपके लिए" मैने आन्सर किया


"क्या हुआ पायल, किधर हो अभी" राज भाई ने पूछा


मैं:- आपके घर ही हूँ मेरे भाई, बेड पे हूँ अकेले, आपके बारे में सोच सोच के करवटें बदल रही हूँ, कब आओगे आप मेरे पास भैया मेरे


राज:- आज लेट होगा डियर, मंथ एंड नज़दीक है, बहुत काम फिनिश करना है


मैं:- मैं आपका इंतेज़ार करूँगी.. आंड खाना साथ ही खाएँगे, ओके ना


राज:- डोंट बी मॅड पायल, मुझे आने में 2 भी बज सकते हैं, तू भूकी नहीं रहेगी ओके


मैं:- ओके, अब जल्दी काम करो और जल्दी आओ


राज:- चल बाइ... लव यू मवाहाहहहहहहा


"लव यू टू भाई" कहके मैने फोन रख दिया


अभी शाम के 4 ही बज रहे थे.. सोचा क्या करूँ इतनी देर


तब मुझे ख़याल आया के इंडोनेषिया के लिए कुछ शॉपिंग करनी है, उसकी लिस्ट तो बाकी ही है.. मैं तुरंत पेपर पेन लेके लिस्ट बनाने लगी और साथ ही उनकी प्राइस लिखने लगी साइड में


लिस्ट बनाने में 2 घंटे लगे.. फाइनल लिस्ट देखा तो 26000 का समान हो रहा था... मुझे ओके था इतना खर्चा. मैने उसे फाइनल करके उसकी इमेज लेके भाई को व्ट्सॅप कर दी


"दिस ईज़ फाइनल ना स्वीटी, कुछ भूली तो नहीं है" भाई ने तुरंत जवाब दिया..


"नो, यह ही है फाइनल, अब ज़्यादा बात मत करो, अभी काम कितना बाकी है आपका"


भाई:- बाकी है बहुत डियर, चल बाइ नाउ, सी यू 


मैं भी थोड़ा अच्छा फील कर रही थी.. भाई से बात करके हमेशा ही अच्छा लगता था.. मैने तुरंत उठके फेस वॉश करके बाहर गयी.. बाहर शन्नो को देख के फिर से मूड खराब होने लगा


मैं उसे इग्नोर करके नेहा मामी से बातें करने लगी.. बातें करते करते मैने उनकी हेल्प भी की थोड़ी किचन में और खाना बनाने लगे


"और पायल, शादी के बारे में क्या ख़याल है तुम्हारा, कब करोगी" नेहा मामी ने पूछा


मैं:- क्या मामी, अभी मेरी एज ही क्या है, अभी थोड़ा टाइम है, आंड आप मोम को नहीं बोलना प्लीज़, नहीं तो वो भी पीछे पड़ जाएगी मेरे


नेहा मामी:- उफ्फ!! तुम लोगों की यही प्राब्लम है, राज भी दूर ही भाग रहा है शादी से..


"खैर.. ठीक है, तुम लोग सेट्ल हो जाओ पहले, कुछ अचीव करो, तब तक कोई ज़ोर नहीं डालेगा..ओके अब बेटा" नेहा मामी बोलके किचन में खाना बनाने लगी.
 
देखते देखते टाइम बीत गया और सब लोग खाने बैठे. मैं डाइनिंग टेबल पे बैठी गेम खेल रही थी अपने सेल पे


"बेटी तुम कब खाओगि खाना, जल्दी करो चलो हमारे साथ ही खाओ" मामा, याने के राज के पापा ने कहा


मैं:- नहीं मामा, आप खाइए मुझे भूख नहीं है, यह कहके मैं वहाँ से निकल गयी नहीं तो फोर्स करते तो ज़्यादा मना नही कर पाती उनको


मैं उपर जाके टेरेस पे राज भाई का वेट कर रही थी.. भूख इतनी लगी थी, कि रहा नहीं जा रहा था... मैने तुरंत भाई को स्मस किया


" "


भाई ने कोई रिप्लाइ नहीं दिया.. यह पहली बार था भाई ने जवाब नहीं दिया. मुझे लगा आज सही में बहुत ज़्यादा बिज़ी हैं


मैं वेट करते करते थक गयी.. 12.30 बज रहे थे, मैं नीचे जाके रूम में सो गयी


भूके पेट नींद भी नहीं आ रही थी.. जैसे तैसे करके आँख लगी... 


रात के करीब 2.15 को मुझे अपने बालों पे किसी का हाथ महसूस हुआ.. मैं डर के मारे उठ गयी, रूम में एक दम अंधेरा था.... दो हाथों ने मेरी आँखें बंद कर ली और जैसे ही मैने चिल्लाने के लिए मूह खोला, एक हाथ मेरी आँखों से हट के मेरा मूह बंद करने लगा.. एक सेकेंड में 100 ख़याल आ रहे थे मुझे


इतने में कोई मुझे रूम से बाहर लाया और मेरे आँखों से हाथ हटा के मेरे सामने आ गया


"स्शह.. चिल्ला मत स्वीट हार्ट" सामने राज भाई थे


यह कहके उन्होने मेरे मूह से अपना हाथ हटा लिया..


मैं:- भाई ऐसा भी कोई करता है, देखो मेरा दिल कितना ज़ोर से धड़क रहा है


राज भाई:- अरे पगली, क्यूँ डरती है इतना.. यह कहके उन्होने मुझे अपने गले से लगा लिया और मैं धीरे धीरे रोने लगी


"अरे मेरी शोना पागल है, चल मुझे पता है तूने खाना नहीं खाया, हम खाना खाते हैं पहले चल अब"


यह कहके भाई मुझे डाइनिंग टेबल पे बिठा दिया और किचन में जाके खाना माइक्रोवेव किया


"आज मेरी प्रिन्सेस मेरे हाथ से खाना खाएगी" यह कहके भाई ने पहला बाइट मुझे अपने हाथ से खिलाया


थोड़ा नॉर्मल फील करके मैने भी भाई को अपने हाथ से खिलाना स्टार्ट किया और हम बातें करने लगा दिन भर के बारे में


"भाई... आप के साथ हो सोना है आज मुझे"


"पक्का.. बट कोई देख ले तो सुबह को" भाई ने पूछा





"मैं सुबह को जल्दी निकल जाउन्गि भाई.. अब चलें, जल्दी करो"


हम डाइनिंग टेबल सॉफ करके उपर चले गये. जैसे ही हम रूम में गये, मैने दरवाज़ा बंद करके भाई से गले लगते हुए बोला


"आज बहुत थक गये हो ना मेरे प्यारे सैयाँ"


राज भाई:- आहह, ऐसे पूछेगी तो थकान ही मिट जाएगी मेरी बहना
 
मैं सीधा भाई को बेड पे ले गयी और उन्हे लेटा कर उनके ऑफीस के कपड़े उतारने लगी


"उम्म्म्म.. मेरे भाई, मेरे सैयाँ बहुत थके हुए हैं ना.. आहहा, आओ ना आराम करो मेरे आ आप उम्म्म्मम"




यह कहते कहते मैने भाई की शर्ट और पंत उतार दी और उनके उपर चढ़ के उनके होंठ चूसने लगी





"उम्म्म्म.. मेरी बहना, ऐसे ही चूस्ति रह आहाहाहा" यह कहके भाई ने मेरा टॉप उतारा और नीचे से मेरी चूत सहलाने लगे


"अहहहहा भाई... उम्म्म और चूसो ना, आहहाहा मेरे चुचे भी लो ना भाई"





यह सुनके भाई किसी बच्चे की तरह मेरे चुचे चूसने लगे और मैने उनके बालों पे हाथ फिराने लगी


"आहहहहः मेरे सैयाँ आहाहहाहा, और चूसो ना मेरे भाई अहहहहा.... "


भाई एक चुचा चूस रहे थे और दूसरे के निपल को हाथ में लेके मसल रहे थे...


"अहहहहाहा मेरे भाई, आहहाहा आप थके हुए हो उम्म्म्मम"


यह कहके मैने उन्हे लेटा दिया और उनका अंडरवेर निकाल के उनके लंड को चूसने लगी


"उम्म्म्मम, अहहहाहा अल्प गल्प अहहहहहा.. मेरे भाई का लंड अहहहहहहा सिर्फ़ मेरा है अहहहहाहा" आहहहहहः और चुसाओ ना भाई आहाहहाहहहा आपका लॉलीपोप 
अहहहहहहः... अपनी रानी को दो ना मेरे भाई आहाहहहहाअ.. माउथ फक करो ना अहहहा अपनी बीवी का मेरे भाई अहहहहहः एआहहाहहहा....



मेरी यह बात सुनके भाई ने अपना पूरा लंड मेरे मूह में दे दिया और बाल पकड़ के मुझे मुँह फक करने लगे






"अहहहहः अहहहा उम्म्म.. गल्प गल्प अहाहा स उम्म्म उम्म्म गुणन्ं गुणन्ञणन्..."


भाई के लंड के रहते मेरे मूह से सिर्फ़ यही आवाज़ें निकल रही थी


कुछ देर बाद भाई ने लंड निकाल के मुझे बेड पे उल्टा लेटा दिया और मेरे मूह में लंड डाल के चोदने लगे


"आहहहहा ले ना मेरी बीवी.. अहहहः तेरा यह सैयाँ सिर्फ़ तेरा ही है मेरी रानी अहहहाहा// क्या होंठ है तेरे अहहहः" भाई बोलके मुझे स्पीड में मुँह फक करने लगे
 
मैने भाई के लंड को चूस चूस के गीला कर दिया.. जब भाई ने अपना लंड निकाला तो उनका सुपाडा एक दम लाल हो चुका था , उनके लंड की नसें दिख रही थी


मैं सीधी होके बेड पे टांगे खोल के भाई को बुलाने लगी चोदने के लिए.. भाई ने भी देर ना करते हुए सीधे बेड पे आके मेरी चूत पे लंड से करके एक ही झटके में मेरी चूत में उनका लंड उतार दिया


" अहहहहाआ भाई.. हाआँ हाना और चोदो भाई आहहाहहहहा और ज़ोर से मेरे भैया अहहहहहहा"


मैं ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी.. 


" ले ना मेरी बीवी आआहहहहहहा और ले ना अंदर मेरी रानी" अहहहहहहहहहा


यह कहके भाई मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे



अहाहाहहहाः ओह अहहहहा यस. भा.. हान्नानाना और दो ना अपना मूसल लंड मुझे अंदर अहहहहहाअ.... मैं चिल्लाने लगी.... 



शांत रात में लंड और चूत के मिलन की दास्तान हमारे कानो मे सुर की तरह पड़ रही थी



"ठप ठप चप चप अहहहहहहा ओहहहहा यॅ फक हार्डर... चूत से लंड टकराने की आवाज़ में हम भूल ही गये थे के हम घर पे हैं और रात के 3 बजने आए हैं




करीब 10 मीं मिशनरी पोज़िशन में चुदाई के बाद मैं बेड से उठ के भाई के लंड के उपर बैठ गई और उनसे चुदने लगी



" अहाहहाहहहा भाई आहाहहः और चोद ना मेरे सैयाँ आहहहहहा" मैं उछलते उछलते चिल्ला रही थी... मेरे लंबे बाल और 34 के चुचे उछल उछल के समा को मस्त कर रहे थे , उसपर से भैया का मूसल लंड मेरी चूत की दीवारों में लग रहा था




" अहहहहा हाँ बहना मेरी ले ना और मेरे लंड को अहाहाहहाहा... यह कहके भाई ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे...' 


हम दोनो अपना होश खो चुके थे.. 18 टेंपरेचर पे एसी ऑन था फिर भी हमारे बदन पसीने से लथपथ थे


कुछ सेकेंड्स में मैं चिल्लाई


"" आआहहाहा भाई, हार्डर यआहहहा यआःा एयेए म कमिंग भाई अहहहहहा,. ओह शीत यआःहहहाहा ाओहावआहहः फक अहहहहा, मैं गयी भाई अहहहहहहा"


इस चीख से मैं झाड़ गयी और भाई के नीचे गिर गयी.. नीचे गिर के मैं सब से पहले भाई के लंड को मूह में लेके ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी



" अहहहहहः मेरे सैयाँ अहाहाहः क्या है अजाहाहहहहा आज झाड़ ही नहीं रहे अहहहहा.. आ आपका पानी पीना है मुझे अहहहहा" यह कहके मैं ज़ोर ज़ोर से भाई के लंड को हिलाने लगी और उनके टट्टों को मसल्ने लगी
 
कुछ ही सेकेंड्स में जैसे मुझे लगा भाई झड़ने वाले हैं, मैने उनके लंड को मूह में ले लिया और उनका पूरा स्पर्म मैने अपने अंदर ले लिया


एक बूँद भी बाहर नहीं गिरने दी..


"उम्म्म्म अहहहहा गल्पाल्प अहहहहः गुणन्ं गुणन्ं..हाहाहा गिव मे मोरे भाई अहहहहा" यह कहके मैने उनके लंड को हिला हिला के निचोड़ दिया

भैया थक गये और बेड पे लेट गये और मैं भी उनके पास जाके उनकी बाहों में सो गयी. हमारी साँसें तेज़ चल रही थी, उखाड़ने लगी थी, मैं भाई के चेस्ट के बालों के साथ खेलने लगी... 



"आज क्या हुआ था पायल, इतनी वाइल्ड पहले तू कभी नहीं हुई" भाई ने पूछा


" कुछ नहीं भाई... कल क्या होने वाला है उसे विचार के ही मैं गरम हो गयी हूँ" मैने आँख मारते हुए कहा




भाई ने मुझे सवालिया नज़रों से देखा, और मैं शैतानी मुस्कान देने लगी उनको......

चुदाई के बाद हम थक के बेड पे लेटे हुए थे और सिगरेट स्मोक कर रहे थे


"आज क्या हुआ" भाई ने करवट मेरी तरफ करके मुझसे पूछा


मैं:- किसका क्या हुआ भाई


भाई:- झूठ मत बोल, सीधे सीधे बोल, कुछ ग़लत हुआ है ना आज


"कुछ नहीं भाई, क्या ग़लत हो सकता है मेरे साथ" मैने बात को बदलने की कोशिश की


"मत बता.. बस ये बता के आज पूरे दिन भर स्मस नहीं किया और डाइरेक्ट शाम को बात की, ऐसा क्यूँ" भाई ने मुझसे नज़रें मिलाते हुए पूछा


"कुछ नहीं भाई.. झूठ नहीं बोलना चाहती आपसे, पर सच बोलने का ये टाइम नहीं है, सही टाइम पर आपको सब बताऊँगी" मैने सीधे जवाब दिया


भाई काफ़ी देर तक मेरी आँखों में आँखें डाल के मुझे बस देखते रहे.. एक अजीब सी कसक थी उनकी नज़र में.. ना बोल के भी बहुत कुछ बोल रहे थे वो अपनी आँखों से.. काफ़ी देर तक मुझे देखने के बाद मैने अपनी नज़रें शरम से नीचे कर दी, और बोली


"ऐसे क्या देख रहे हैं भाई" मैने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा



भाई ने मेरा चेहरा अपने हाथ से उपर उठाते हुए कहा






ना नींद है आखों में, ना दिल में है करार
बस यही हाल है अपना, जबसे हुआ है प्यार



"ज़िंदगी में पहली बार मैने भाई के मूह से कुछ पोवेटिक सुना था... वो भी मेरे लिए सुनके ,मैं शरम से पानी पानी हो रही थी मैने झट से भाई को पकड़ के उनकी बाहों में छुप गयी और उन्हे जवाब दिया



"दिल लगाकर हमे ये समझ आया,
कि दिल्लगी किसे कहते है
इश्क़ जिसे कहती है दुनिया,
वो आशिक़ी किसे कहते है"




हम एक खामोशी का मज़ा ले रहे थे.. खामोश हमारी ज़बान थी.. पर हमारा दिल, हमारी आँखें बहुत बातें कर रहे थे.. शायद ये प्यार था या कुछ और मुझे पता नहीं, पर जो भी था, मुझे बहुत ही हसीन लग रहा था.. हम ऐसे ही बैठे हुए थे.. मैने एक नज़र खिड़की की तरफ घुमाई तो मुझे ऐसा लगा के कोई हमे देख के वापस चला गया हो... 


कौन होगा ?



कुछ देर बाद मैं भाई के रूम से निकल गयी और अपने रूम में जाके बैठ गयी.. सोचने लगी कौन हो सकता है.. मेरा वहाँ नहीं था, क्यूँ कि मैने एक साया देखा था... मोबाइल में देखा तो सुबह के 4.30 हो रहे थे. मैने सोचा जो होगा सुबह को देखेंगे...और मैं भी सो गयी
 
सुबह करीब 11 बजे


"उठो भी पायल बेटा" नेहा मामी मेरे पास खड़ी कह रही थी


"क्या हुआ मामी.. इतनी जल्दी क्यूँ, " मैने अंगड़ाई लेते हुए कहा


" जल्दी कहाँ बेटी अभी 11 बज चुके हैं , कल रात भी तुमने कुछ नहीं खाया, चलो उठो और फ्रेश होके नाश्ता करो पहले, जल्दी करो' मामी बोलके मुझे वहाँ से निकल गयी



मैं उठ के फ्रेश होने गयी और नाश्ता करते करते में किचन में देखा तो शन्नो और नेहा मामी खड़े थे, मैने सोचा ये दोनो किचन में रहते हैं पूरा दिन, वो दो साली हरामी लड़कियाँ क्या करती हैं फिर




" मामी.. डॉली और ललिता किधर है, कल से दिखी नहीं" मैने चिल्लाके पूछा


" वो दोनो अपने कमरे में ही हैं, ललिता की तबीयत ज़रा ठीक नहीं है, डॉली उसके पास ही बैठी है" शन्नो ने कहा



मैने कुछ देर में नाश्ता फिनिश किया, और तुरंत मेरे मोबाइल से एक स्मस भेज दिया




"ओह. अहाहहा भाई, क्या रात थी आपके साथ.. अहहहहहः उम्म्म्म"



ये स्मस भेजके मैं नहाने चली गयी क्यूँ कि जानती थी कोई रिप्लाइ नहीं आने वाला



जैसे ही मैं नहा के आई, मैने एक शॉर्ट पहनी और उपर एक लूज टॉप.. कोई पूछता तो गर्मी का बहाना निकाल सकती थी



मैने खुद को आईने में देखा तो मैं बहुत सेक्सी फील कर रही थी.. मैने तुरंत एक सेल्फी निकाला खुद का और भाई को व्हाट्स अप किया




भाई ने कुछ मिनट में जवाब दिया



"वेरी हॉट स्वीट हार्ट... काम पे ध्यान दूं, नहीं तो मैं कहीं गीला ना हो जाऊ "



मैं सिर्फ़ स्माइल कर के बाहर चली गयी..


बाहर आके मैं देखने गयी ललिता कैसी है, क्या खराब है उसकी तबीयत में




मैं उनके रूम के पास पहुँची, दरवाज़ा खुला देख सीधा अंदर चली गयी.. बेड पे ललिता लेटी हुई थी और बाजू में डॉली कोई मॅगज़ीन पढ़ रही थी



मुझे रूम में देख डॉली बोली



" गर्मी बहुत है नहीं तुझे.. आइ मीन कपड़ों से तेरे मुझे ऐसा लगा"



मैं:- जवानी होती ही गरम है डॉली.. उम्म्म उसका मज़ा ही कुछ अलग है.. मैने अंगड़ाई लेते हुए कहा


"खैर ललिता को क्या हुआ" मैने डॉली से पूछा



डॉली:- शायद फुड पाय्ज़निंग है, अभी ठीक है, थॅंक्स फॉर आस्किंग



मैं:- और तू, ठीक है ? हुलिए से तो लग नहीं रहा तेरे, कपड़े ऐसे पहने हैं जैसे काम वाली है तू यहाँ की..


डॉली:- माइंड युवर टंग पायल...



इतना सुनके मैं निकल गयी वहाँ से, और वहाँ से जाते जाते बोली.. नहा के कुछ कपड़े चाहिए तो ले लेना मुझसे, ढंग के हैं मेरे पास, 


ये कहके मैं निकल गयी और मुझे खुशी हुई जैसा मैं चाहती थी ठीक वैसे ही हुआ



मैं भाग के नीचे गयी और अपने मोबाइल में कुछ चीज़ डाउनलोड करने रख के मामी के पास गयी


"मामी, जल्दी खाना दो ना, बहुत भूख लगी है, ख़ाके सोना भी है, नींद ही पूरी नहीं हुई" मैने नेहा मामी से कहा


"हां बेटे, 5 मीं रूको.. अच्छा सुनो, खाना ख़ाके अच्छी तरह दरवाज़ा बंद कर लेना, शन्नो और मैं बाहर जा रहे हैं, घर का सामान लेना है और कुछ कपड़े भी" मामी ने कहा


"ओके मामी... आप आराम से जाइए" मैने कहके वापस अपने कमरे में गयी और देखा तो मेरी चीज़ डाउनलोड हो चुकी थी


"बेटे आ जाओ खाने" नेहा मामी ने बाहर से पुकारा



मैं दौड़ के बाहर आई और खाने बैठ गयी.. कुछ देर में डॉली भी आ गयी और आके खाने बैठी


नेहा मामी ने खाना दिया उसे और ललिता की तबीयत के बारे में भी पूछने लगी
 
बार बार डॉली को देख के मुझे काम वाली याद आ रही थी मेरे घर की.. मैं हँसने लगी मन ही मन में और खाना फिनिश करके बैठ गयी बातें सुनने



"चलें दीदी.." शन्नो ने नेहा मामी से पूछा.... दोनो जल्दी से चले गये और मैं दरवाज़ा बंद करके वापस अंदर आई.. डॉली अभी नीचे ही थी



"अच्छा सुनो, नहा के याद है ना, कपड़े चाहिए तो" मैं बोलके हँसने लगी और अपने कमरे में चली गयी.



मैं जैसे ही अपने कमरे में गयी, मैने खिड़की बंद की और दरवाज़ा खुला छोड़ा..



कुछ देर में मैने देखा डॉली नहाने गयी है.. मैने तुरंत अपना फोन उठाया और डाउनलोड की हुई पॉर्न मूवी देखने लगी



मूवी देखते देखते मैने अपने शॉर्ट्स उतार दिए और अपनी चूत को धीरे धीरे रगड़ने लगी.. मैं लेज़्बीयन मूवी देख रही थी...
 
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