hotaks444
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कोमल आँखे चुराते हुए बोली.
कोमल-व.व.वो भाभी मैं तो सिर्फ़ म.मिलने गई थी.
मे-लेकिन मैने तो कुछ और ही देखा अंदर.
कोमल-वो अब भाभी जॉन शुरू हो गया तो मैं भी बहक गई.
मैने फिरसे उसके कान को खीचते हुए कहा.
मे-ये जो तुम हर किसी के साथ बहक जाती हो ना एक दिन मरवाएगा तुझे.
कोमल मेरा हाथ अपने कान के उपर से छुड़ाते हुए कहा.
कोमल-भाभी छोड़ा ना मेरा कान दर्द करने लगा है.
मैने उसका कान छोड़ा और उसके पास बैठते हुए सीरीयस होकर बोली.
मे-देखो कोमल मैं तुम्हारी भाभी हूँ और तुम्हारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा ये बताना मेरा फ़र्ज़ है. देखो तुम्हारी एज मस्ती करने की है और मैं तुम्हे मस्ती करने से रोकूंगी भी नही लेकिन स्वीतू ये एज ऐसी होती है जिसमे की गई ग़लतियाँ इंसान को सारी उमर सज़ा देती हैं.
कोमल-भाभी आप कहना क्या चाहती हो सीधा बताओ ना.
मेने कोमल के गालो को प्यार से सहलाते हुए कहा.
मे-तो सुन मेरी स्वीतू देख मैं तुझे ये नही कहती कि तुम मज़े मत करो लेकिन स्वीतू जिस तरह के मज़े तुम कर रही हो अगर उनके बारे में किसी को भी पता चला तो लोग तुम्हारे कॅरक्टर के उपर उंगली उठाएँगे. देखो मैं चाहती हूँ तुम ये जवानी के मज़े लूटो मगर किसी एक के साथ जिसे तुम प्यार करती हो.
कोमल थोड़ा नाराज़ होते हुए .
कोमल-भाभी आपके कहने का मतलब क्या है. मैं कोई रंडी नही हूँ जो लोग मेरे कॅरक्टर पे उंगली उठाएँगे.
मे-कोमल मेरा ये मतलब नही था. मेरा मतलब था तुम किसी एक को चुनो अपने लिए.
कोमल-आपको क्या लगता है मैं हर किसी का बिस्तर गरम करती फिरती हूँ.
कोमल की बातों में थोड़ा गुस्सा झलक रहा था.
मे-देखो कोमल मैं सब जानती हूँ.
कोमल-क्या जानती हो आप. आप ही मुझ पर उंगली उठा रही हो.
कोमल का गुस्सा और बढ़ गया था.
मे-कोमल मेरे कहने का मतलब ये था कि तुम जॉन, पवन और आर्यन इनमे से किसी एक को चुनो यही तुम्हारे लिए ठीक रहेगा.
कोमल बिस्तेर से खड़ी होकर मेरी तरफ उंगली दिखाते हुए गुस्से से बोली.
कोमल-देखो भाभी आप मेरी भाभी हो तो भाभी ही रहो मेरी मम्मी मत बनो मैं कोई बच्ची नही हूँ मुझे सब पता है क्या मेरे लिए ठीक है और क्या ग़लत आप अपनी फिलोसफी अपने पास ही रखो समझी ना आप..
कहते हुए कोमल गुस्से से मेरे रूम में से निकल गई.
मैं गुम्सुम सी उसकी तरफ देखती ही रह गई. मैने बिल्कुल एक्सेप्ट नही किया था कि कोमल मेरे साथ इस तरह बात करेगी. उसकी कही बातों को सोचते-2 मेरी आँखों की किनारों से आँसू निकल आए और मेरी गालो के उपर बहने लगे. मैं काफ़ी देर तक वही बैठो कर कोमल की कही बातों को सोचती रही. फिर मैने खुद को संभाला और वॉशरूम जाकर मूह धोया और आकर बिस्तेर के उपर लेट गई. सोचते-2 कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नही चला.
कोमल-व.व.वो भाभी मैं तो सिर्फ़ म.मिलने गई थी.
मे-लेकिन मैने तो कुछ और ही देखा अंदर.
कोमल-वो अब भाभी जॉन शुरू हो गया तो मैं भी बहक गई.
मैने फिरसे उसके कान को खीचते हुए कहा.
मे-ये जो तुम हर किसी के साथ बहक जाती हो ना एक दिन मरवाएगा तुझे.
कोमल मेरा हाथ अपने कान के उपर से छुड़ाते हुए कहा.
कोमल-भाभी छोड़ा ना मेरा कान दर्द करने लगा है.
मैने उसका कान छोड़ा और उसके पास बैठते हुए सीरीयस होकर बोली.
मे-देखो कोमल मैं तुम्हारी भाभी हूँ और तुम्हारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा ये बताना मेरा फ़र्ज़ है. देखो तुम्हारी एज मस्ती करने की है और मैं तुम्हे मस्ती करने से रोकूंगी भी नही लेकिन स्वीतू ये एज ऐसी होती है जिसमे की गई ग़लतियाँ इंसान को सारी उमर सज़ा देती हैं.
कोमल-भाभी आप कहना क्या चाहती हो सीधा बताओ ना.
मेने कोमल के गालो को प्यार से सहलाते हुए कहा.
मे-तो सुन मेरी स्वीतू देख मैं तुझे ये नही कहती कि तुम मज़े मत करो लेकिन स्वीतू जिस तरह के मज़े तुम कर रही हो अगर उनके बारे में किसी को भी पता चला तो लोग तुम्हारे कॅरक्टर के उपर उंगली उठाएँगे. देखो मैं चाहती हूँ तुम ये जवानी के मज़े लूटो मगर किसी एक के साथ जिसे तुम प्यार करती हो.
कोमल थोड़ा नाराज़ होते हुए .
कोमल-भाभी आपके कहने का मतलब क्या है. मैं कोई रंडी नही हूँ जो लोग मेरे कॅरक्टर पे उंगली उठाएँगे.
मे-कोमल मेरा ये मतलब नही था. मेरा मतलब था तुम किसी एक को चुनो अपने लिए.
कोमल-आपको क्या लगता है मैं हर किसी का बिस्तर गरम करती फिरती हूँ.
कोमल की बातों में थोड़ा गुस्सा झलक रहा था.
मे-देखो कोमल मैं सब जानती हूँ.
कोमल-क्या जानती हो आप. आप ही मुझ पर उंगली उठा रही हो.
कोमल का गुस्सा और बढ़ गया था.
मे-कोमल मेरे कहने का मतलब ये था कि तुम जॉन, पवन और आर्यन इनमे से किसी एक को चुनो यही तुम्हारे लिए ठीक रहेगा.
कोमल बिस्तेर से खड़ी होकर मेरी तरफ उंगली दिखाते हुए गुस्से से बोली.
कोमल-देखो भाभी आप मेरी भाभी हो तो भाभी ही रहो मेरी मम्मी मत बनो मैं कोई बच्ची नही हूँ मुझे सब पता है क्या मेरे लिए ठीक है और क्या ग़लत आप अपनी फिलोसफी अपने पास ही रखो समझी ना आप..
कहते हुए कोमल गुस्से से मेरे रूम में से निकल गई.
मैं गुम्सुम सी उसकी तरफ देखती ही रह गई. मैने बिल्कुल एक्सेप्ट नही किया था कि कोमल मेरे साथ इस तरह बात करेगी. उसकी कही बातों को सोचते-2 मेरी आँखों की किनारों से आँसू निकल आए और मेरी गालो के उपर बहने लगे. मैं काफ़ी देर तक वही बैठो कर कोमल की कही बातों को सोचती रही. फिर मैने खुद को संभाला और वॉशरूम जाकर मूह धोया और आकर बिस्तेर के उपर लेट गई. सोचते-2 कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नही चला.