Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त - Page 8 - SexBaba
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Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

कोमल आँखे चुराते हुए बोली.
कोमल-व.व.वो भाभी मैं तो सिर्फ़ म.मिलने गई थी.

मे-लेकिन मैने तो कुछ और ही देखा अंदर.

कोमल-वो अब भाभी जॉन शुरू हो गया तो मैं भी बहक गई.

मैने फिरसे उसके कान को खीचते हुए कहा.
मे-ये जो तुम हर किसी के साथ बहक जाती हो ना एक दिन मरवाएगा तुझे.

कोमल मेरा हाथ अपने कान के उपर से छुड़ाते हुए कहा.
कोमल-भाभी छोड़ा ना मेरा कान दर्द करने लगा है.

मैने उसका कान छोड़ा और उसके पास बैठते हुए सीरीयस होकर बोली.
मे-देखो कोमल मैं तुम्हारी भाभी हूँ और तुम्हारे लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा ये बताना मेरा फ़र्ज़ है. देखो तुम्हारी एज मस्ती करने की है और मैं तुम्हे मस्ती करने से रोकूंगी भी नही लेकिन स्वीतू ये एज ऐसी होती है जिसमे की गई ग़लतियाँ इंसान को सारी उमर सज़ा देती हैं.

कोमल-भाभी आप कहना क्या चाहती हो सीधा बताओ ना.

मेने कोमल के गालो को प्यार से सहलाते हुए कहा.
मे-तो सुन मेरी स्वीतू देख मैं तुझे ये नही कहती कि तुम मज़े मत करो लेकिन स्वीतू जिस तरह के मज़े तुम कर रही हो अगर उनके बारे में किसी को भी पता चला तो लोग तुम्हारे कॅरक्टर के उपर उंगली उठाएँगे. देखो मैं चाहती हूँ तुम ये जवानी के मज़े लूटो मगर किसी एक के साथ जिसे तुम प्यार करती हो.

कोमल थोड़ा नाराज़ होते हुए .
कोमल-भाभी आपके कहने का मतलब क्या है. मैं कोई रंडी नही हूँ जो लोग मेरे कॅरक्टर पे उंगली उठाएँगे.

मे-कोमल मेरा ये मतलब नही था. मेरा मतलब था तुम किसी एक को चुनो अपने लिए.

कोमल-आपको क्या लगता है मैं हर किसी का बिस्तर गरम करती फिरती हूँ.

कोमल की बातों में थोड़ा गुस्सा झलक रहा था.
मे-देखो कोमल मैं सब जानती हूँ.

कोमल-क्या जानती हो आप. आप ही मुझ पर उंगली उठा रही हो.
कोमल का गुस्सा और बढ़ गया था.

मे-कोमल मेरे कहने का मतलब ये था कि तुम जॉन, पवन और आर्यन इनमे से किसी एक को चुनो यही तुम्हारे लिए ठीक रहेगा.

कोमल बिस्तेर से खड़ी होकर मेरी तरफ उंगली दिखाते हुए गुस्से से बोली.
कोमल-देखो भाभी आप मेरी भाभी हो तो भाभी ही रहो मेरी मम्मी मत बनो मैं कोई बच्ची नही हूँ मुझे सब पता है क्या मेरे लिए ठीक है और क्या ग़लत आप अपनी फिलोसफी अपने पास ही रखो समझी ना आप..
कहते हुए कोमल गुस्से से मेरे रूम में से निकल गई.

मैं गुम्सुम सी उसकी तरफ देखती ही रह गई. मैने बिल्कुल एक्सेप्ट नही किया था कि कोमल मेरे साथ इस तरह बात करेगी. उसकी कही बातों को सोचते-2 मेरी आँखों की किनारों से आँसू निकल आए और मेरी गालो के उपर बहने लगे. मैं काफ़ी देर तक वही बैठो कर कोमल की कही बातों को सोचती रही. फिर मैने खुद को संभाला और वॉशरूम जाकर मूह धोया और आकर बिस्तेर के उपर लेट गई. सोचते-2 कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नही चला.
 
सुबह मेरी आँख खुली और मैं फ्रेश होकर बाहर निकली चाय पी और ब्रेकफास्ट तैयार करने लगी. कोमल एकदफ़ा किचन में आई मगर ना तो मैने उस से बात करने की कोशिश की और नही उसने मुझ से कोई बात की. मैने ब्रेकफास्ट रेडी करके डाइनिंग टेबल पे रखा और सभी ने ब्रेकफास्ट किया और फिर सभी अपने-2 रास्ते निकल गये.

मैं आकर अपने रूम में आराम करने लगी. मैं आकर अभी बैठी ही थी कि मेरे मोबाइल बज उठा. मैने नंबर देखा तो करू भाभी का था. मैने झट से कॉल पिक की और हेलो कहा फिर उधर से आवाज़ आई.
करू-ओये स्वीतू कैसी है तू.

मे-मैं ठीक हूँ भाभी आप बताओ आप कैसी हो और मम्मी-पापा और भैया कैसे हैं.

करू-अरे स्वीतू हम सब ठीक हैं. मुझे तो लगता है तू हमे भूल ही गई.

मे-भाभी कैसी बात करती हो आप.

करू-जब से ससुराल गई है ना कोई मुलाक़ात ना कोई फोन करण के साथ ही चिपकी रहती है क्या.

मे-भाभी ऐसा कभी हो सकता है की मैं आप सब को भूल जाऊं.

करू-तो फिर बता कब आ रही है हमसे मिलने.

मे-कहो तो आज ही आ जाऊं.

करू-सच बोल रही है तू.

मे-अरे भाभी आप बस खाने पीने का इंतज़ाम करो रेहान के आते ही मैं आ जाउन्गी.

करू-अरे उस लफंदर के साथ क्यूँ. करण कहाँ है.

मे-वो सब मैं आकर बताउन्गी और हां मम्मी पापा और भैया को मत बताना कि मैं आ रही हूँ.

करू-ओके स्वीतू.

मैने फोन रखा और रूम से बाहर आई तो देखा मम्मी जी किचन से निकल रही थी. मैने मम्मी से जाने का पूछा तो उन्होने हां कर दी और रेहान के साथ जाने को कहा.

मैं वापिस अपने रूम में आई और रेडी होने के लिए अपने सारे कपड़े उतार दिए. मैने मोबाइल उठाया और रेहान का नंबर मिला दिया.

रेहान-हां भाभी बोलो क्या बात है.

मे-कहाँ हो.

रेहान-कॉलेज. कोई काम था क्या.

मे-मुझे आज मम्मी पापा से मिलने जाना है और तुम मुझे वहाँ छोड़ आओगे ना प्लीज़.

रेहान-अरे भाभी ये प्लीज़, सॉरी, थॅंक यू जैसे वर्ड करण भैया के लिए बचा कर रखो हम तो आपकी फ्री में सेवा करने वाले है अब सेवा चाहे कैसी भी हो.

मे-ओके तो जल्दी आओ.

रेहान-बस 10मिनट में आया भाभी जान.

मोबाइल साइड पे रखकर मैं नहाने चली गई और नहा कर बाहर आई और मैने पिंक ब्रा न्ड पैंटी पहन ली. मैं शीशे में खुद को देख रही थी कि एकदम से मेरे रूम का डोर ओपन हुआ मुझे याद आया मैने डोर लॉक नही किया था.

मेरी पीठ दरवाज़े की और ही थी इसलिए पक्का था जो भी दरवाज़ा खोलकर अंदर आया होगा उसने पिंक पैंटी में क़ैद मेरे गुदाज़ नितंबों के दीदार ज़रूर किए होंगे. मैने झट से पीछे घूम कर देखा तो हड़बड़ा गई क्यूंकी रेहान मेरे सामने खड़ा था और आँखें फाड़ कर मुझे पैंटी और ब्रा में देख रहा था. पहले उसकी तरफ पीठ होने की वजह से यहाँ मेरे नितंबों के दर्शन उसने किए थे वहाँ अभी मेरा चेहरा उसकी तरफ हो जाने की वजह से मेरी ब्रा में क़ैद मेरे गोरे-2 उरोज उसके सामने थे. जैसे ही मुझे एहसास हुआ की मैं रेहान के सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी हूँ तो एकदम मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई और मैं इधर उधर कुछ ढूँडने लगी ताकि अपना जिस्म उसकी निगाहों से छुपा सकूँ जब मुझे कुछ दिखाई नही दिया तो मैं भाग कर फिरसे वॉशरूम में घुस गई और अंदर से कहा.
मे-तुम यहाँ क्या कर रहे हो.

रेहान-व.वो भाभी अपने बुलाया था.

मैं वॉशरूम के दरवाज़े के साथ पीठ सटाये खड़ी थी और अपनी छाती पे हाथ रखकर अपनी उखड़ी सांसो को कंट्रोल करने में लगी थी. मैं अपने आप को संभाला और कहा.
मे-तुम बाहर वेट करो मैं रेडी होकर आती हूँ.

रेहान-ओके भाभी.
थोड़ी देर बाद मैं बाहर निकली तो झट से फिर अंदर घुस गई क्यूंकी रेहान अभी भी रूम में ही खड़ा था.

मैं गुस्से से कहा.
मे-तुम गये क्यूँ नही.

रेहान-वो भाभी आपको सॉरी बोलने के लिए रुका हुआ था.

मे-ओक जल्दी बाहर जाओ.
 
मैने अपना चेहरा बाहर निकल कर देखा अब रेहान जा चुका था. मैं बाहर आई और सबसे पहले डोर लॉक किया और फिर अलमारी से कपड़े निकाले और रेडी हो गई. मैने ग्रीन कलर का एक बहुत ही सुंदर पाजामी सूट पहन लिया और फिर बाहर आ गई. रेहान बाहर मेरा ही वेट कर रहा था. मैने मम्मी जी को बाइ बोला और फिर रेहान के साथ बाइक पे बैठ गई. गाड़ी आज पापा लेकर गये थे इसलिए हमे बाइक पे ही जाना पड़ा. रेहान ने बाइक रोड पे दौड़ा दी कुछ देर तक हम दोनो चुप चाप बैठे रहे फिर रेहान बोला.
रेहान-भाभी सॉरी.

मे-इट'स ओके रेहान बट तुम्हे नॉक करके आना चाहिए था.

रेहान-आइ एम सॉरी भाभी.

मे-छोड़ो इस बात को तुम ड्राइविंग पे ध्यान दो.

थोड़ी देर तक हमारे बीच खामोशी छाई रही फिरसे रेहान ने बात शुरू की.
रेहान-भाभी आप बिना कपड़ों के कमाल की दिखती हो.

मैने उसकी पीठ पे मुक्का मारते हुए कहा.
मे-बेशरम तुम कभी नही सुधर सकते.

रेहान-अब आपके जैसी हसीना नंगी होकर सामने खड़ी हो तो कैसे कोई सुधर सकता है.

मे-शट अप. बकवास बंद करो समझे.

रेहान-भाभी आप तो नाराज़ हो जाती हो.

मे-इस टॉपिक पे बात मत करो बस.

रेहान-ओके आपकी मर्ज़ी.

फिर हम दोनो चुप छाप बैठे रहे और हम घर पहुँच गये. मैं और रेहान बाइक से उतर कर अंदर चले गये. मम्मी मुझे देखते ही शॉक्ड हो गई और मुझे बाहों में भरते हुए कहने लगी.
मम्मी-मेरी बच्ची कैसी है तू.

मे-एकदम बढ़िया मम्मी आप बताओ.

मम्मी-बस ठीक हूँ बच्ची.

फिर रेहान ने मम्मी के पैर छुए और हम दोनो वही सोफे पे बैठ गये. मम्मी और रेहान बातें कर रहे थे मैं भाभी से मिलने के लिए उनके रूम की ओर चल पड़ी. अंदर गई तो देखा भाभी बिस्तर पे आँखें बंद करके सो रही थी. मैं धडाम से उनके उपर गिर गई वो झट से उठी और मुझे अपने उपर से गिराते हुए कहा.
करू-रीतू तेरी ये आदत कब जाएगी.

मे-कभी नही.

फिर भाभी ने मेरे चेहरे की तरफ देखा और ज़ोर से मेरे गले मिल गई और मेरा माथा चूमते हुए कहा.
करू-कैसी है तू.

मे-आपके सामने ही तो हूँ.

करू-देख रही हूँ कुछ भारी हो गई है तू.

मैने अपने पेट पे हाथ रखकर कहा.
मे-कहाँ भाभी एकदम स्लिम हूँ मैं तो.

भाभी ने मेरे उरोजो और नितंबों के उपर हाथ रखकर कहा.
करू-में पेट की नही इनकी बात कर रही हूँ लगदा है रोज़ाना मालिश होती है इनकी.

मेने शरमाते हुए कहा.
मे-कहाँ भाभी आपके नंदोई जी तो 20दिन से देल्ही गये है ट्रैनिंग के लिए.

करू-मतलब पिछले 20दिन तुमने खुद को संभाल लिया.

मे-बिल्कुल अब सुधर गई है आपकी रीतू.

करू-बहुत बढ़िया स्वीतू अब ऐसे ही रहना.

मे-सुधर तो गई हूँ पर ये मेरा देवर है ना रेहान लगता है फिर से बिगाड़ देगा मुझे.

करू-अरे कोई बात नही देवर भाभी के बीच तो छेड़ खानी चलती रहती है.

मैने आँखें नचाते हुए कहा.
मे-लगता है आप भी अपने देवर के साथ...हैं हैं ना..
करू-अब क्या बताऊं तुझे जादू का बच्चा पीछे ही पड़ गया बस फिर मुझे भी थोड़ा तरस आ गया और....

मे-और..?

करू-तू छोड़ इस बात को मैं कुछ खाने पीने का इंतज़ाम करती हूँ और बाहर जाकर तेरे उस नटखट देवर की भी खबर लेती हूँ.

मे-बचकर रहना उस से आप उसे हाथ पकड़ाओगी तो वो आपके उपर ही चढ़ जाएगा.

करू-कोई बात नही यहाँ अपना देवर चढ़ा लिया तो तेरे देवर को भी चढ़ा लूँगी.

मे-भाभी आप तो बिल्कुल बदल गई.

करू-अब क्या करूँ तेरे भैया तो सारा दिन काम-2 करते रहते हैं अब तुम बताओ अगर तेरे भैया काम करेंगे तो मेरा काम कॉन करेगा.

मे-हहहे भैया को समझाना पड़ेगा.

करू-कोई फ़ायदा नही मैने बहुत समझा कर देख लिया. तू छोड़ चल बाहर चलते हैं.

हम दोनो बाहर आ गई यहाँ रेहान न्ड मम्मी बैठे थे.
 
मैं और करू भाभी बाहर आ गये जहाँ रेहान न्ड मम्मी बैठे थे. रेहान ने भाभी को नमस्ते किया और मैं और भाभी उनके साथ बैठ गये. मैं रेहान के सामने वाले सोफे पे मम्मी के साथ बैठ गई और भाभी रेहान के साथ उसी के सोफे पे बैठ गई. हमारे बैठते ही मम्मी उठते हुए बोली.
मम्मी-आप लोग बातें करो मैं चाय लेकर आती हूँ.

मम्मी के जाते ही भाभी रेहान को छेड़ते हुए बोली.
करू-तो आज देवर को मौका मिल गया भाभी को साथ लेकर आने का.

रेहान-जी वो भैया नही थे इसलिए आना ही पड़ा.

भाभी फिर रेहान के साथ इधर उधर की बातें करने लगी. मैं देख रही थी भाभी कुछ ज़्यादा ही चिपक-2 कर बातें कर रही थी रेहान के साथ और उन्होने रेहान की तरफ जो टाँग थी उसे उठाकर दूसरी टाँग पे रखा हुआ था और जीन्स पहने होने की वजह से भाभी की जाँघ जीन्स में कसी हुई रेहान की आँखों के सामने थी. भाभी बातें करते-2 अपना हाथ जाँघ पे उपर से नीचे तक फिरा रही थी. रेहान जैसे कमीने इंसान को तो बस इतना इशारा काफ़ी था. वो भी अब मुझे आँख बचाकर कभी-2 भाभी की जाँघ पे हाथ फिराने लगा था. वैसे तो वो ये काम बहुत चालाकी से कर रहा था बट अपनी इस कमीनी भाभी की नज़रों से वो कहाँ बच सकता था. उस बेचारे को क्या पता था कि उसकी भाभी ने तो ऐसे कामो में पीएचडी की है. मैने सोचा क्यूँ ना इन दोनो कबूतर और कबूतरी को थोड़ी देर के लिए खुला छोड़ कर देखु ये क्या करते हैं.
मैने उठते हुए कहा.
मे-भाभी आप बातें करो मैं मम्मी के पास किचन में जा रही हूँ.

मैं किचन में चली गई और वहाँ पे थोड़ी देर तक मम्मी से इधर उधर की बातें करती रही. मेरे पूछने पे मम्मी ने बताया कि तेरे पापा और भैया तो ऑफीस गये है शाम को ही वापिस आएँगे. मैने भाभी के बारे में पूछा तो उन्होने बताया कि करू बहुत ख़याल रखती है सब का उस से किसी को भी शिकायत नही है.

मैने सोचा अब बाहर जाकर देखना चाहिए उन्दोनो को. मैं बाहर आई तो हैरान रह गई क्यूंकी वो दोनो वहाँ नही थे. मैने मन में सोचा की ये दोनो कहाँ गये. मैं भाभी के रूम की तरफ आई तो मैने अंदर जो देखा वो चौंकाने लायक था. रेहान ने करू भाभी को अपनी बाहों में भरा हुआ था और उसके हाथ भाभी की जीन्स में क़ैद गोल-2 नितंबों को सहला रहे थे और उन्दोनो को होंठ एकदुसरे से चिपके हुए थे. मैं थोड़ा सा दरवाज़ा खोल कर अंदर देख रही थी. भाभी ने अपने होंठ छुड़ाते हुए कहा.
करू-रेहान छोड़ो रीत आती होगी.

रेहान-बस 2 मीं डार्लिंग तुम्हारे उपर तो मेरी आँख शादी के दिन से ही थी.

करू-मुझे सब पता है.

रेहान ने भाभी के उरोज टी-शर्ट के उपर से ही दबाते हुए कहा.
रेहान-मुझे बिल्कुल उम्मीद नही थी कि तुझ जैसी तीखी मिर्ची इतनी जल्दी मेरी गोद में आ जाएगी.

करू-अभी गोद में आई कहाँ हूँ बहुत सफ़र बाकी है अभी तो तुम्हारा.

रेहान ने झट से भाभी को गोद में उठाते हुए कहा.
रेहान-अजी हम तो बहोत से शॉर्टकट जानते हैं पूरा सफ़र जल्दी ही कंप्लीट कर लेंगे.

भाभी ने रेहान की गालों पे उंगली फिराते हुए कहा.
करू-मगर मुझे तो लोंग ड्राइव में मज़ा आता है.

रेहान ने भाभी को गोद में से उतारा और दीवार के साथ सटाते हुए कहा.
रेहान-कोई बात नही डार्लिंग इतनी लंबी ड्राइव करवाउँगा कि कभी भूल नही पाओगी.

मैने सोचा अगर अभी इन्हे रोका नही गया तो ये ज़रूर लोंग ड्राइव पे निकल जाएँगे और इस बीच किसी ने देख लिए तो ऐसा आक्सिडेंट होगा कि संभालना मुश्क़िल हो जाएगा.

मैं थोड़ा पीछे हटी और ज़ोर से आवाज़ देते हुए कहा.
मे-भाभी. भाभी जी कहाँ हो आप.

भाभी के रूम से आवाज़ आई.
करू-अरे मैं यहाँ हूँ अपने रूम में.
 
मैं रूम में घुसी तो देखा दोनो शरीफो की तरह दूर-2 खड़े थे. मैने भी जले पे नमक छिडकते हुए कहा.
मे-भाभी आप दोनो यहाँ क्या कर रहे थे.

करू-वो मैं तो रेहान को अपना घर दिखा रही थी.

मैने मन में मुस्कुराते हुए सोचा कि बहाना अच्छा था.
मे-ओके चलो बाहर चाय रेडी है.

फिर हमने चाय पी और ऐसे ही बातें करते रहे फिर लंच भी हो गया और मैने लंच के बाद भाभी को कहा.
मे-भाभी चलो जादू भैया और ताई जी से मिलकर आते हैं.

हम दोनो उधर गई तो ताई जी मुझे देखते ही बोली.
ताई जी-अरे रीतू तू कब आई.

मे-बस आज ही ताई जी.

ताई जी से कुछ देर बातें करने के बाद मैं जादू भैया के रूम में गई तो मुझसे मिलकर वो बहुत खुश हुए .
मैने उनसे पढ़ाई के बारे में थोड़ी बात की और फिर भाभी की तरफ देखते हुए कहा.
मे-भैया आप भाभी का ख़याल रखा करो अब.

भैया ने भाभी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा.
जादू-बिल्कुल रीतू मैं तो बहुत अच्छे से केर करता हूँ भाभी की. क्यूँ भाभी.

करू हड़बड़ाते हुए .
करू-हां-2 क्यूँ नही.

शाम तक हम वही बैठे बातें करते रहे और फिर अपने घर आए तो भैया और पापा आ चुके थे. मैं उनसे मिली तो वो दोनो मुझे देखकर बहुत खुश हुए . आख़िरकार हमे शाम के 6 बज गये वही और फिर मैने और रेहान ने सब को बाइ बोला और घर की तरफ चल पड़े. हम शहर से निकले ही थे कि बहुत जोरो से बारिश होने लगी. मैने रेहान को कहीं सेफ जगह पे बाइक रोकने को कहा. रेहान ने बाइक एक छोटे से पुराने घर में बाइक रोक दी. जब तक रेहान ने बाइक रोकी तो हम दोनो पूरी तरह से भीग चुके थे.

जब तक रेहान ने बाइक को रोका तब तक हम दोनो भीग चुके थे. हम शहर से बाहर निकल आए थे. रेहान ने बाइक एक पुराने से घर में रोकी थी. घर की हालत काफ़ी ख़स्ता थी देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि वहाँ कोई नही रहता होगा. एक छोटा सा बरामदा था और उसके पीछे एक कमरा और उसके पीछे थोड़ी सी जगह और थी यहाँ पे घास उगी हुई थी. घास वाली जगह के उपर छत नही थी मगर उसके एक तरफ तो कमरा ही था और बाकी तीनो तरफ दीवार की गयी थी. जिसकी वजह से बाहर से अंदर नही देखा जा सकता था. मैं और रेहान बरामदे में जाकर खड़े हो गये मेरा सूट पूरी तरह से भीग चुका था.
मैने परेशान होते हुए कहा.
मे-इस बारिश को भी अभी आना था.

रेहान ने मुस्कुराते हुए कहा.
रेहान-हां भाभी इस बारिश को भी अभी ही आना था.

मे-हम बीच रास्ते फँसे हैं और उपर से तुम हंस-2 कर बात कर रहे हो.

रेहान-अरे भाभी मेरे रोने से क्या बारिश बंद हो जाएगी.

मे-तुम तो चुप ही रहो.

रेहान-वैसे भाभी आपकी करू भाभी बहुत अच्छी हैं.

मे-पता है आज ही पता चला मुझे भी.

रेहान-आज ही वो कैसे.

मे-मैने सब देखा जब अपने रूम में अपनी अच्छाई दिखा रही थी वो.

रेहान-अरे तो आप भी आ जाती ना आपकी अच्छाई भी देख लेता मैं.

मैने उसकी तरफ चेहरा करते हुए कहा.
मे-बकवास मत करो और तुम में सबर नाम की चीज़ है या नही कोई देख लेता तो.
 
जैसे ही मैं उसकी तरफ घूमी तो मैने देखा उसकी नज़र मेरे उरोजो को घूर रही थी. मेरी कमीज़ गीली होकर मेरे शरीर से चिपक गई थी और मेरी ब्रा की लाइन उसमे से सॉफ दिखाई दे रही थी. मेरी पिंक ब्रा मेरे गोरे-2 उरोजो के उपर कसी हुई थी. रेहान को वहाँ देखता पाकर मैं शरमा गई और मैने अपना दुपट्टा गले से नीचे करते हुए अपने उरोजो को ढक लिया और घूम कर अपना चेहरा बाहर की ओर कर लिया. रेहान भी मेरी हालत को समझ रहा था. मैने तिरछी निगाह से उसकी तरफ देखा तो वो मेरे नितंबों और साइड से दिख रही मेरी मांसल जाँघ की ओर देख रहा था. मेरी पाजामी मेरी जाँघ के साथ चिपकी हुई थी और नीचे से मेरी पैंटी दिखाई दे रही थी. मैने अपना ध्यान बाँटने के लिए अपना मोबाइल निकाला और मम्मी जी का नंबर मिला दिया.
मम्मी-हेलो रीत बेटी.

मे-जी मम्मी वो हम बारिश में फँसे है मम्मी जी.

मम्मी-कोई बात नही बेटा बारिश के रुकते ही आ जाना.

मे-ओके मम्मी.

मैने मोबाइल अपने पर्स में डाल दिया और घूम कर रेहान की तरफ देखा वो मेरी ओर ही देख रहा था. जैसे ही हमारी नज़र मिली तो उसने मुझे आँख मार दी. मैने भी मुस्कुराते हुए अपना चेहरा दूसरी ओर घूमाते हुए नीचे कर लिया. मैं बाहर की ओर देख रही थी कि मुझे महसूस हुआ की रेहान मेरी तरफ आ रहा है. जैसे ही उसके हाथ मुझे अपने पेट के उपर महसूस हुए तो मैं झट से उसकी तरफ घूम गई और मैं उसे रोकने के लिए कुछ बोलती उस से पहले ही रेहान ने मेरे होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया. उसने मुझे दीवार के साथ सटा दिया और मेरे होंठों के बीच अपनी जीभ घुसा दी. मैं उसे रोकना चाहती थी मगर उसके हाथों की मज़बूती मुझे उसकी गिरफ़्त से छूटने नही दे रही थी. आख़िर काफ़ी कोशिश के बाद मैने उसे अपने से दूर हटाया और अपनी सांसो को कंट्रोल करते हुए कहा.
मे-रेहान ये तुम क्या कर रहे हो.

मैं वहाँ से खिसकने लगी तो रेहान ने अपनी दोनो बाहें मेरे इर्द-गिर्द दीवार पे रख दी.
मे-देखो रेहान मैं ये सब नही करना चाहती.

रेहान-तो और क्या करना चाहती हो आप.

मे-रेहान मैं मज़ाक नही कर रही.

रेहान-क्यूँ नाटक करती हो भाभी.

कहते हुए रेहान ने फिरसे अपना चेहरा मेरे होंठों की तरफ बढ़ा दिया. मैं अपने होंठों को उसके होंठों से बचाने के लिए उसकी बाहों में ही घूम गई. अब मेरा चेहरा दीवार की तरफ हो गया तो. रेहान ने अपने हाथों से मेरे दोनो नितंबों को पकड़ा और ज़ोर-2 से उन्हे मसल्ने लगा. उसके हाथ नितंबों पे महसूस करते ही मेरा पूरा शरीर मस्ती में झूम उठा मेरी आँखें बंद हो गई थी. मैने एक आख़िरी प्रयास करते हुए कहा.
मे-रेहान प्लीज़ रहने दो ना.
 
रेहान ने अपने हाथों का दबाव मेरे नितुंबों पे बढ़ाते हुए कहा.

रेहान-भाभी तुम चुप चाप मज़ा लो. आज स्वर्ग दिखाउन्गा आपको. 

रेहान के होंठ मेरी गर्दन और गालों के उपर घूम रहे थे. रेहान अब मेरे पीछे घुटनो के बल बैठ गया था वो अभी भी अपने हाथों से मेरे नितंब मसल रहा था. फिर उसने मेरे कमीज़ को पीछे से उपर उठाया और गीली पाजामी में क़ैद मेरे गोरे-2 नितंबों की गोलाइयाँ देखने लगा. फिर अचानक उसने अपना चेहरा मेरे नितंबों के बीच डाल दिया और जीभ निकाल कर मेरे नितंबों को चाटने लगा. वो दोनो हाथो से मेरे नितंबों को मसल भी रहा था और अपनी जीभ मेरे नितंबों की दरार में डाल कर वहाँ चाट रहा था. बाहर जोरो की बारिश हो रही थी और अंदर दो गीले बदन आपस में रगड़ते हुए आग पैदा कर रहे थे. रेहान मेरे नितंबों को अपने दांतो से काटने भी लगा था. मेरे मूह से दर्द और मज़े की मिलीजुली आवाज़ें निकल रही थी. मैं बार-2 उसे रुकने को कह रही थी मगर अब ये शब्द हम दोनो के लिए बेकार थे. मेरे मन में आया कि मैं और रेहान बरामदे में ही सब कुछ कर रहे हैं. मैने कुछ झीजकते हुए रेहान से कहा.

मे-रेहान अंदर चलो यहाँ कोई देख लगा.

रेहान ने मेरी तरफ देखा और हम दोनो मुस्कुराने लगे.

मैने झिझकते हुए रेहान से कहा.

मे-रेहान अंदर चलो यहाँ कोई देख लेगा.

रेहान मेरी बात सुनकर मुस्कुराने लगा और उससे नज़र मिलते मैं भी मुस्कुराने लगी.

रेहान मेरे नितंबों के उपर काट ते हुए मेरे पीछे खड़ा हो गया. मेरे मूह से एक दर्द भरी आह निकली और मैने गुस्से से उसे कहा.

मे-रेहान दर्द होता है.

रेहान ने मुझे गोद में उठाते हुए कहा.

रेहान-दर्द तो अभी और होगा डार्लिंग.

मैने उसकी गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए कहा.

मे-भाभी से सीधे डार्लिंग.

रेहान ने मुझे कमरे में लेजा कर वहाँ पड़े एक पुराने से बेड पे लिटा दिया और खुद भी मेरे उपर लेट गया. हम दोनो के होंठ फिरसे जुड़ गये. रेहान ज़ोर-2 से मेरे होंठों को चूसने लगा. मैं भी उसका भरपूर साथ दे रही थी. रेहान की जीभ मेरे होंठों में घुसी हुई थी और मैं उसकी जीभ को अपने होंठों में लेकर चूस रही थी. रेहान के हाथ अब मेरे उरोजो पे पहुँच चुके थे और कमीज़ के उपर से ही उन्हे ज़ोर-2 से मसल रहे थे. रेहान ने मेरे होंठों को छोड़ा और मेरे उपर से उठते हुए मेरी जांघों के उपर बैठ गया और मुझे भी बाहों से पकड़ा और खीच कर अपने सीने से लगा लिया. उसने दोनो हाथों में मेरी कमीज़ को पकड़ा और उपर उठाने लगा. मैने उसे रोकते हुए कहा.

मे-रेहान यहाँ कोई आएगा तो नही ना.

रेहान ने मेरी कमीज़ को मेरी बाहों और गले से निकालते हुए कहा.

रेहान-डॉन'ट वरी भाभी आप बस मज़े करो.

मेरी पिंक ब्रा में क़ैद गोरे-2 उरोज देखकर रेहान होश गँवा बैठा और अपने हाथों में पकड़ कर उन्हे ज़ोर- से मसल्ने लगा. मैने दर्द से कराहते हुए कहा.

मे-रेहान आराम से करो ना दर्द होता है.

रेहान-दर्द में ही तो मज़ा है भाभी.

कहते हुए उसने मेरी ब्रा की हुक्स खोल दी.
उसने फिरसे मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरे दोनो उरोजो को हाथों से मसल्ने लगा और अपना मूह लगाकर चूसने लगा. वो पहले मेरे उरोजो को ज़ोर से मसलता और फिर निपल को अपने होंठों में लेकर चूस्ता मैं मस्त होकर चर्म सीमा पर पहुँच चुकी थी और मेरी योनि काम रस बहाने लगी थी. रेहान ने करवट बदली और अब मैं उसके उपर आ गई और रेहान की पीठ बेड के साथ सट गई. उसने अपने दोनो हाथ मेरे नितंबों पे रख दिए और मसल्ने लगा. रेहान ने फिरसे मुझे बेड पे लिटा दिया और खुद उठाकर मेरी टाँगो के पास आ गया और झट से मेरी पाजामी का नाडा खोल दिया और फिर किनारों से पकड़ कर पाजामी को खोलने लगा. पाजामी एक तो पहले से ही टाइट थी दूसरा गीली होने की वजह से मेरी जांघों से चिपक गई थी. मैने अपनी टाँगो को हवा में उठा दिया ताकि रेहान को पाजामी खोलने में आसानी हो. पाजामी के खुलते ही मेरा जानलेवा हुस्न बेपर्दा हो गया और रेहान झट से मेरे उपर टूट पड़ा. अचानक वो एक साइड होकर लेट गया और बोला.
रेहान-भाभी मैने तुम्हे नंगी किया अब तुम मुझे नंगा करो.

मैने रेहान की तरफ करवट लेकर अपना एक टाँग उसके उपर रखते हुए कहा.

मे-रेहान मुझसे नही होगा बस तुम खुद ही करो जो करना है.

रेहान-अगर ऐसी बात है तो मैं कुछ नही करूँगा मैं जा रहा हूँ.

और वो उठकर दरवाज़े की ओर जाने लगा.

मुझे उसके उपर बहुत गुस्सा आया क्यूंकी वो कमीना मेरे अंदर आग लगाकर उसे सुलगता ही छोड़ कर जा रहा था.
मैं भी उठ कर उसके पीछे गई और उसे पीछे से बाहों में भर लिया.

मे-रेहान क्या हो गया तुम्हे.

रेहान-मेरे कपड़े खोलोगि या नही.

मैने सोचा कोमल सही कह रही थी ये सचमुच कमीना है. मैने उसकी टी-शर्ट को पकड़ा और उपर उठाते हुए उसे निकाल दिया.

मैने अपने हाथ उसकी नंगी छाती पे घूमते हुए कहा.
मे-बस अब खुश.

उसने मेरे हाथ पकड़े और अपने लिंग पे रखते हुए कहा.
रेहान-अभी तो इसे भी बेपर्दा करना है आपको.

मैने उसकी जीन्स का बटन खोलते हुए कहा.
मे-तुम बहुत बड़े कामीने हो.

रेहान ने हँसते हुए कहा.
रेहान-वो तो मैं हूँ ही.

उसकी पॅंट मैने खीच कर उसके पैरों में कर दी और फिर उसके सामने आकर उसकी अंडरवेर को भी उतार दिया. अंडरवेर के नीचे होते ही उसका भारी भरकम लिंग मेरी आँखों के सामने नाचने लगा. उसका लिंग देखते ही मेरी योनि में कुछ-2 होने लगा. मैं अपना चेहरा दूसरी ओर करके खड़ी हो गई. रेहान ने अपनी जीन्स और अंडरवेर को निकाल कर साइड फेंक दिया और मेरे पीछे आकर एक ही झटके में मेरी पैंटी खीच कर मेरे पैरों में गिरा दी. मैने पैंटी को पैरों में से निकाल दिया. रेहान का लिंग अब मुझे मेरे नितंबों की दरार में घिसता महसूस हो रहा था. उसने मुझे गोद में उठा लिया और पीछे की तरफ जाने लगा. हम पीछे की ओर जाते हुए कमरे से बाहर निकल गये और जहाँ पे घास लगा हुया था वहाँ आ गये. मैने रेहान को कहा.
मे-यहाँ क्यूँ आए हो.

रेहान-भाभी इस हरी-2 घास के उपर चोदुन्गा आपको आज.

मे-तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है.

रेहान-एक तो आप नखरे बहुत करती हो.

मैं मुस्कुराते हुए घास की तरफ और पूरी तेज़ रफ़्तार में हो रही बारिश की तरफ देखने लगी. मैं तो उपर-2 से नखरे दिखा रही थी. खुले आसमान के नीचे वो भी बारिश और हरी-2 घास के उपर चुदने का सोच कर ही मेरी योनि फड़फड़ाने लगी थी. मैं सोच ही रही थी कि रेहान ने मुझे घास के उपर लिटा भी दिया और बारिश का ठंडा-2 पानी जैसे ही मेरे गर्म हो चुके जिस्म के उपर पड़ा तो मैं अमर वेल की तरह रेहान से लिपट गई.
 
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