Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त - Page 3 - SexBaba
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Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त

मॅम ने गुस्से होते हुए कहा.
मॅम-शरम नही आती तुम्हे. इन दोनो का तो माना मगर तुम से मुझे ये उम्मीद नही थी. तुम एक ब्रिलियेंट स्टूडेंट हो और ऐसे लड़को के साथ और वो भी 2-2 लड़को के साथ छि-छि.
मे-प्लीज़ मॅम मुझसे ग़लती हो गई मुझे माफ़ करदो.
मॅम ने मेरी बात को अनसुना करते हुए आकाश और तुषार को भी अपने पास बुलाया और कहा.
मेम-रीत सच बताओ तुम यहाँ मर्ज़ी से आई थी या इन्होने ज़बरदस्ती की तुम्हारे साथ.
मेरे पास अब कोई जवाब नही था. मैं बस रोती जा रही थी.
मॅम-ये रोना धोना बंद करो और मेरी बात का जवाब दो.
मे-वो मॅम.....मैं अपनी मर्ज़ी से आई थी मगर तुषार के साथ. मुझे माफ़ करदो मॅम.
मॅम-तो आकाश कब आया.
मे-पता नही मॅम इसने मुझे पीछे से पकड़ लिया आकर.
मॅम-मैने तो देखा है तुम इसके साथ भी मज़े कर रही थी.
मे-वो मॅम मैं बहक गई थी. प्लीज़ मैं आगे से कभी ऐसी ग़लती नही करूँगी.
मॅम-देख रीत बच्ची तेरी उमर अभी इन सब चीज़ों की नही है. तुम एक अच्छी स्टूडेंट हो इसलिए तुम्हारी पहली और आख़िरी ग़लती समझ कर माफ़ कर रही हूँ. मैं नही चाहती हमारे स्कूल की रिपोटेशन खराब हो इस लिए ये बात मैं किसी को नही बताउन्गी मगर रीत संभाल जाओ बच्ची और अगर तुम नही रुकी तो एक दिन बहुज पछताओगी. चल अब अपने कपड़े पहन ले.
मैं पीछे हट कर अपने कपड़े पहन ने लगी. मॅम ने तुषार और आकाश से कहा.
मॅम-तुम दोनो कभी अच्छा काम भी करोगे लाइफ में या नही.
तुषार ने कुछ कहने के लिए मूह खोला ही था कि माँ का जोरदार थप्पड़ पहले उसके और फिर आकाश के गाल पे पड़ा.
मॅम ने उन्दोनो को मुर्गा बना दिया. और अपना पिछवाड़ा उपर उठाने को कहा.
मॅम ने वहाँ पड़ी एक स्टिक उठाई और फिर उसके साथ उन्दोनो के पिछवाड़े के उपर ताबड-तोड़ बरसात कर दी. वो दोनो रोते हुए बोल रहे थे.
'मॅम प्लीज़ हमे माफ़ करदो हमसे ग़लती हो गई प्लीज़ मॅम'
काफ़ी पिटाई करने के बाद मॅम मेरी तरफ मूडी और मुझे कहा.
मॅम-चलो रीत तुम जाकर एग्ज़ॅम दो अपना.
मैं फटाफट वहाँ से निकली और सीधा वॉशरूम में चली गई और जाकर मूह धोया और फिर अपने एग्ज़ॅमिनेशन रूम में चली गई. महक और मेरा रोल नंबर. साथ में ही था. जब मैं अपनी सीट पे बैठी तो महक ने पूछा.
महक-कैसा रहा तुषार के साथ मिलन.
मे-अच्छा था.
अब उस बेचारी को क्या बताती.
महक-तुषार और आकाश कहाँ हैं.
मे-बस आते ही होंगे.
कुछ देर बाद वो दोनो भी आ गये और अपनी सीट पे जाकर बैठ गये. एग्ज़ॅम शुरू हुआ मैं सब कुछ भूल कर एग्ज़ॅम देने लगी. मैने और महक ने एक दूसरे की काफ़ी हेल्प की. हमारा एग्ज़ॅम काफ़ी अच्छा गया और हम पेपर-शीट रूम इंचार्ज को पकड़ा कर बाहर आ गई. आकाश और तुषार भी बाहर आ गये. मगर अब उनकी हिम्मत हमारे पास आने की नही हो रही थी. मैं और महक ने दूर से ही उन्हे बाइ किया और ऑटो पकड़ कर घर की तरफ चल पड़े. मेरा स्टॉप आया मैने महक को गले लगाया क्योंकि अब काफ़ी दिन तक हम मिलने वाले नही थे. मैने महक को कहा.
मे-मिक्कुे जल्दी ही आउन्गी तेरे घर भैया की शादी का इन्विटेशन कार्ड लेकर.
महक-ओके रीतू मैं वेट करूँगी.
फिर मैने उसे स्माइल पास की और मैं अपने घर की तरफ चल पड़ी. आकाश भी तभी किसी लड़के की बाइक के उपर से वहाँ उतरा और मेरे आगे-2 अपने घर की ओर चल पड़ा. मैने देखा आकाश बड़ी मुश्क़िल से चल रहा था. ये सब मॅम की स्टिक का कमाल था. हालाँकि मेरे साथ भी मॅम ने कुछ कम नही किया था मगर आकाश को ऐसे चलते देख मुझे बहुत हसी आ रही थी.
आकाश अपने घर में चला गया मगर आज उसने मेरी तरफ देखा तक नही. मैं भी अपने घर गई और सीधा जाकर मम्मी से खाना लिया और खाने लगी. खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में चली गई और आज हुई घटना के बारे में सोचने लगी. मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि आख़िर क्यूँ मैं ऐसे बहक जाती हूँ उनके साथ. सोचते-2 मेरी आँखें बंद हो गई और मैं सो गई.

अब घर में चारो तरफ चहल-पहल शुरू हो गई थी. क्योंकि भैया की शादी का दिन नज़दीक आता जा रहा था. सारा दिन बस इधर-उधर घूमते ही गुज़र जाता था. आप तो जानते ही है कि शादी में कितने काम होते हैं. बाकी तो छोड़ो हम लड़कियों की तो शॉपिंग ही पूरी नही होती. मैं और गुलनाज़ दीदी रोज़ ही शॉपिंग के लिए निकल जाती थी. इतनी शॉपिंग तो जिसकी शादी थी उसने नही की थी जितनी हम दोनो ने कर ली थी. जैसे-2 शादी का दिन नज़दीक आ रहा था काम बढ़ता ही जा रहा था. रोज़ सुबह से निकलकर शाम को घर लौट ते थे हम लोग. इस बीच बड़ी मुश्क़िल से टाइम निकाल कर मैं एक दिन मिक्कुर के घर भी गई थी और उसे इन्विटेशन कार्ड देकर आई थी. आख़िर सभी तैयारियाँ हो चुकी थी और वो दिन भी आ गया जिसका हम सबको बेसब्री से इंतेज़ार था.
.................
आज शादी का पहला दिन था. पूरा घर खुशियों से भरा पड़ा था. बहुत से मेहमान आए हुए थे. बीच में बहुत से ऐसे भी थे जिन्हे मैं तो जानती ही नही थी. मैने आज वाइट चुरिदार पहना हुया था और घर में भागती हुई काम करती फिर रही थी. शादी में जितने भी लड़के आए थे जिनमे ज़्यादा तर भैया के कॉलेज फ्रेंड्स थे सब की नज़र मेरे उपर ही थी. कोई मेरे थिरकते नितंबों पे नज़र गढ़ाए बैठा था तो कोई मेरे गोरे गुदाज़ उरोजो का रस अपनी नज़रों से चूस रहा था. मैं भी सब की नज़रों की चुभन का मज़ा अपने जिस्म के उपर ले रही थी. चलते वक़्त जान बुझ कर अपने कूल्हे मतकाती हुई फिर रही थी जिसे देखकर सब लड़के आहें भर रहे थे. बैठते वक़्त भी मैं अपनी एक टाँग को उठाकर दूसरी टाँग के उपर रख लेती थी ताकि मेरी वाइट चुरिदार में क़ैद मेरी मांसल जंघें उन सब को दिख सके और तो और मेरा चुरिदार इतना पतला था कि उसमे से आसानी से मेरी रेड पैंटी को देखा जा सकता था. आकाश भी हॅरी भैया के साथ घर में था और छोटे मोटे काम करवा रहा था. उसकी नज़र भी बार-2 मेरे उपर आकर ही अटक जाती थी.
मैं बैठी कुछ काम कर रही थी तभी भैया ने मुझे बुलाया और कहा.
हॅरी-रीतू मिठाइयाँ रखने के लिए कुछ कपड़े चाहिए. अंदर रूम से निकाल दो. आकाश तुम इसके साथ जाओ कपड़े पकड़ कर लाना.
मे-जी भैया.
आकाश की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई. मैं अंदर रूम की तरफ जाने लगी और आकाश मेरे पीछे-2 आने लगा. मैं मम्मी के रूम में जाकर बेड में से चद्दर निकालने लगी. जैसे ही चद्दर निकाल कर मैं पीछे घूमी तो मैं आकाश की छाती के साथ टकरा गई. वो बिल्कुल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया था. हम दोनो की छातियों के बीच मेरे हाथ में पकड़ी हुई चद्दर थी. मैने मुस्कुराते हुए आकाश से कहा.
मे-पकडो और जाओ बाहर.
आकाश ने चद्दर पकड़ी और उसे साइड पे रख दिया और अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पे लेज़ा कर मुझे एक ही झटके के साथ खीचते हुए अपने साथ सटा लिया. मैं सीधा उसकी विशाल छाती के साथ जाकर चिपक गई. मेरे दोनो हाथ उसकी छाती के उपर थे और मेरे उरोज भी उसकी छाती से दब रहे थे. मैं उसकी बाहों में कसमसा रही थी. मैने उसकी तरफ देखते हुए कहा.
मे-आकाश प्लीज़ कोई आ जाएगा. छोड़ो मुझे.
आकाश ने अपने हाथ मेरी पाजामी में क़ैद मेरे नितंबों को मसल्ते हुए कहा.
आकाश-ऐसे कैसे छोड़ दूं डार्लिंग. सुबह से मेरी आँखों के सामने अपनी गान्ड मटका मटका कर चल रही हो और जान बुझ कर अपनी लाल पैंटी दिखा रही हो. मेरा पप्पू तो सुबह से तुम्हे देखकर खड़ा है. अब तो ये शांत होकर रहेगा.
मे-प्लीज़ आकाश समझने की कोशिश करो...
इसके आगे मैं कुछ नही कह पाई क्योंकि आकाश के होंठों ने मेरे गुलाबी होंठों अपनी गिरफ़्त में ले लिया. वो किसी मझे हुए खिलाड़ी की तरह मेरे होंठों का रस्पान करने लगा. मैं उसके चुंबन में खोती चली गई. उसके एक हाथ मेरे नितंबों को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा तो दूसरा मेरे उरोजो की कमीज़ के उपर से जाँच करने लगा. आकाश के होंठों ने जब मेरे होंठों को आज़ाद किया तो मुझे अपनी सतिति का आभास हुया. मैने फिरसे उसकी मिन्नत करते हुए कहा.
मे-आकाश प्लीज़ जाने दो मुझे.
मगर आकाश ने उल्टा मुझे धक्का देकर बेड के उपर गिरा दिया और खुद मेरे उपर चढ़ गया. उसकी विशाल बॉडी के नीचे मैं दबने लगी थी. मैं मिन्नत भरे स्वर में उसे कह रही थी.
मे-आकाश मेरे उपर से उतरो प्लीज़.
मगर आकाश के उपर इसका कोई असर नही था उसने मेरे कमीज़ को उपर उठा दिया था और जैसे ही मेरा गोरा चिकना पेट उसकी आँखों के सामने आया तो वो बुरी तरह से अपने होंठ मेरे नंगे पेट पे फिराने लगा था. अब सब कुछ बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था. मैने उसका सर पकड़ कर उसे रोका और कहा.
मे-आकाश प्लीज़ मेरी बात ध्यान से सुनो.
उसने अपना चेहरा उठाया और मेरी बात का इंतेज़ार करने लगा है.
मे-प्लीज़ आकाश यहाँ पे ख़तरा है तुम ये कपड़ा भैया को पकड़ा कर छत पे बने स्टोर रूम में आ जाओ. वहाँ कोई नही आएगा.
मेरी बात सुनकर वो खुश होता हुआ बोला.
मे-ये हुई ना बात मुझे पता था तुम मुझसे चुदने के लिए मरी जा रही हो. है ना.
मे-मुझे नही पता.
आकाश-प्लीज़ बताओ ना.
मे-हां बाबा मैं मरी जा रही हूँ बस. अब उतरो मेरे उपर से.
उसने मेरे होंठों पे किस की और मुझे छत पे आने को बोल कर बाहर चला गया.
मैने अपने कपड़े ठीक किए और मन में कहा 'कमीना कहीं का छत पे आएगी मेरी जुत्ति'
 
मॅम ने गुस्से होते हुए कहा.
मॅम-शरम नही आती तुम्हे. इन दोनो का तो माना मगर तुम से मुझे ये उम्मीद नही थी. तुम एक ब्रिलियेंट स्टूडेंट हो और ऐसे लड़को के साथ और वो भी 2-2 लड़को के साथ छि-छि.
मे-प्लीज़ मॅम मुझसे ग़लती हो गई मुझे माफ़ करदो.
मॅम ने मेरी बात को अनसुना करते हुए आकाश और तुषार को भी अपने पास बुलाया और कहा.
मेम-रीत सच बताओ तुम यहाँ मर्ज़ी से आई थी या इन्होने ज़बरदस्ती की तुम्हारे साथ.
मेरे पास अब कोई जवाब नही था. मैं बस रोती जा रही थी.
मॅम-ये रोना धोना बंद करो और मेरी बात का जवाब दो.
मे-वो मॅम.....मैं अपनी मर्ज़ी से आई थी मगर तुषार के साथ. मुझे माफ़ करदो मॅम.
मॅम-तो आकाश कब आया.
मे-पता नही मॅम इसने मुझे पीछे से पकड़ लिया आकर.
मॅम-मैने तो देखा है तुम इसके साथ भी मज़े कर रही थी.
मे-वो मॅम मैं बहक गई थी. प्लीज़ मैं आगे से कभी ऐसी ग़लती नही करूँगी.
मॅम-देख रीत बच्ची तेरी उमर अभी इन सब चीज़ों की नही है. तुम एक अच्छी स्टूडेंट हो इसलिए तुम्हारी पहली और आख़िरी ग़लती समझ कर माफ़ कर रही हूँ. मैं नही चाहती हमारे स्कूल की रिपोटेशन खराब हो इस लिए ये बात मैं किसी को नही बताउन्गी मगर रीत संभाल जाओ बच्ची और अगर तुम नही रुकी तो एक दिन बहुज पछताओगी. चल अब अपने कपड़े पहन ले.
मैं पीछे हट कर अपने कपड़े पहन ने लगी. मॅम ने तुषार और आकाश से कहा.
मॅम-तुम दोनो कभी अच्छा काम भी करोगे लाइफ में या नही.
तुषार ने कुछ कहने के लिए मूह खोला ही था कि माँ का जोरदार थप्पड़ पहले उसके और फिर आकाश के गाल पे पड़ा.
मॅम ने उन्दोनो को मुर्गा बना दिया. और अपना पिछवाड़ा उपर उठाने को कहा.
मॅम ने वहाँ पड़ी एक स्टिक उठाई और फिर उसके साथ उन्दोनो के पिछवाड़े के उपर ताबड-तोड़ बरसात कर दी. वो दोनो रोते हुए बोल रहे थे.
'मॅम प्लीज़ हमे माफ़ करदो हमसे ग़लती हो गई प्लीज़ मॅम'
काफ़ी पिटाई करने के बाद मॅम मेरी तरफ मूडी और मुझे कहा.
मॅम-चलो रीत तुम जाकर एग्ज़ॅम दो अपना.
मैं फटाफट वहाँ से निकली और सीधा वॉशरूम में चली गई और जाकर मूह धोया और फिर अपने एग्ज़ॅमिनेशन रूम में चली गई. महक और मेरा रोल नंबर. साथ में ही था. जब मैं अपनी सीट पे बैठी तो महक ने पूछा.
महक-कैसा रहा तुषार के साथ मिलन.
मे-अच्छा था.
अब उस बेचारी को क्या बताती.
महक-तुषार और आकाश कहाँ हैं.
मे-बस आते ही होंगे.
कुछ देर बाद वो दोनो भी आ गये और अपनी सीट पे जाकर बैठ गये. एग्ज़ॅम शुरू हुआ मैं सब कुछ भूल कर एग्ज़ॅम देने लगी. मैने और महक ने एक दूसरे की काफ़ी हेल्प की. हमारा एग्ज़ॅम काफ़ी अच्छा गया और हम पेपर-शीट रूम इंचार्ज को पकड़ा कर बाहर आ गई. आकाश और तुषार भी बाहर आ गये. मगर अब उनकी हिम्मत हमारे पास आने की नही हो रही थी. मैं और महक ने दूर से ही उन्हे बाइ किया और ऑटो पकड़ कर घर की तरफ चल पड़े. मेरा स्टॉप आया मैने महक को गले लगाया क्योंकि अब काफ़ी दिन तक हम मिलने वाले नही थे. मैने महक को कहा.
मे-मिक्कुे जल्दी ही आउन्गी तेरे घर भैया की शादी का इन्विटेशन कार्ड लेकर.
महक-ओके रीतू मैं वेट करूँगी.
फिर मैने उसे स्माइल पास की और मैं अपने घर की तरफ चल पड़ी. आकाश भी तभी किसी लड़के की बाइक के उपर से वहाँ उतरा और मेरे आगे-2 अपने घर की ओर चल पड़ा. मैने देखा आकाश बड़ी मुश्क़िल से चल रहा था. ये सब मॅम की स्टिक का कमाल था. हालाँकि मेरे साथ भी मॅम ने कुछ कम नही किया था मगर आकाश को ऐसे चलते देख मुझे बहुत हसी आ रही थी.
आकाश अपने घर में चला गया मगर आज उसने मेरी तरफ देखा तक नही. मैं भी अपने घर गई और सीधा जाकर मम्मी से खाना लिया और खाने लगी. खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में चली गई और आज हुई घटना के बारे में सोचने लगी. मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि आख़िर क्यूँ मैं ऐसे बहक जाती हूँ उनके साथ. सोचते-2 मेरी आँखें बंद हो गई और मैं सो गई.

अब घर में चारो तरफ चहल-पहल शुरू हो गई थी. क्योंकि भैया की शादी का दिन नज़दीक आता जा रहा था. सारा दिन बस इधर-उधर घूमते ही गुज़र जाता था. आप तो जानते ही है कि शादी में कितने काम होते हैं. बाकी तो छोड़ो हम लड़कियों की तो शॉपिंग ही पूरी नही होती. मैं और गुलनाज़ दीदी रोज़ ही शॉपिंग के लिए निकल जाती थी. इतनी शॉपिंग तो जिसकी शादी थी उसने नही की थी जितनी हम दोनो ने कर ली थी. जैसे-2 शादी का दिन नज़दीक आ रहा था काम बढ़ता ही जा रहा था. रोज़ सुबह से निकलकर शाम को घर लौट ते थे हम लोग. इस बीच बड़ी मुश्क़िल से टाइम निकाल कर मैं एक दिन मिक्कुर के घर भी गई थी और उसे इन्विटेशन कार्ड देकर आई थी. आख़िर सभी तैयारियाँ हो चुकी थी और वो दिन भी आ गया जिसका हम सबको बेसब्री से इंतेज़ार था.
.................
आज शादी का पहला दिन था. पूरा घर खुशियों से भरा पड़ा था. बहुत से मेहमान आए हुए थे. बीच में बहुत से ऐसे भी थे जिन्हे मैं तो जानती ही नही थी. मैने आज वाइट चुरिदार पहना हुया था और घर में भागती हुई काम करती फिर रही थी. शादी में जितने भी लड़के आए थे जिनमे ज़्यादा तर भैया के कॉलेज फ्रेंड्स थे सब की नज़र मेरे उपर ही थी. कोई मेरे थिरकते नितंबों पे नज़र गढ़ाए बैठा था तो कोई मेरे गोरे गुदाज़ उरोजो का रस अपनी नज़रों से चूस रहा था. मैं भी सब की नज़रों की चुभन का मज़ा अपने जिस्म के उपर ले रही थी. चलते वक़्त जान बुझ कर अपने कूल्हे मतकाती हुई फिर रही थी जिसे देखकर सब लड़के आहें भर रहे थे. बैठते वक़्त भी मैं अपनी एक टाँग को उठाकर दूसरी टाँग के उपर रख लेती थी ताकि मेरी वाइट चुरिदार में क़ैद मेरी मांसल जंघें उन सब को दिख सके और तो और मेरा चुरिदार इतना पतला था कि उसमे से आसानी से मेरी रेड पैंटी को देखा जा सकता था. आकाश भी हॅरी भैया के साथ घर में था और छोटे मोटे काम करवा रहा था. उसकी नज़र भी बार-2 मेरे उपर आकर ही अटक जाती थी.
मैं बैठी कुछ काम कर रही थी तभी भैया ने मुझे बुलाया और कहा.
हॅरी-रीतू मिठाइयाँ रखने के लिए कुछ कपड़े चाहिए. अंदर रूम से निकाल दो. आकाश तुम इसके साथ जाओ कपड़े पकड़ कर लाना.
मे-जी भैया.
आकाश की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई. मैं अंदर रूम की तरफ जाने लगी और आकाश मेरे पीछे-2 आने लगा. मैं मम्मी के रूम में जाकर बेड में से चद्दर निकालने लगी. जैसे ही चद्दर निकाल कर मैं पीछे घूमी तो मैं आकाश की छाती के साथ टकरा गई. वो बिल्कुल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया था. हम दोनो की छातियों के बीच मेरे हाथ में पकड़ी हुई चद्दर थी. मैने मुस्कुराते हुए आकाश से कहा.
मे-पकडो और जाओ बाहर.
आकाश ने चद्दर पकड़ी और उसे साइड पे रख दिया और अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पे लेज़ा कर मुझे एक ही झटके के साथ खीचते हुए अपने साथ सटा लिया. मैं सीधा उसकी विशाल छाती के साथ जाकर चिपक गई. मेरे दोनो हाथ उसकी छाती के उपर थे और मेरे उरोज भी उसकी छाती से दब रहे थे. मैं उसकी बाहों में कसमसा रही थी. मैने उसकी तरफ देखते हुए कहा.
मे-आकाश प्लीज़ कोई आ जाएगा. छोड़ो मुझे.
आकाश ने अपने हाथ मेरी पाजामी में क़ैद मेरे नितंबों को मसल्ते हुए कहा.
आकाश-ऐसे कैसे छोड़ दूं डार्लिंग. सुबह से मेरी आँखों के सामने अपनी गान्ड मटका मटका कर चल रही हो और जान बुझ कर अपनी लाल पैंटी दिखा रही हो. मेरा पप्पू तो सुबह से तुम्हे देखकर खड़ा है. अब तो ये शांत होकर रहेगा.
मे-प्लीज़ आकाश समझने की कोशिश करो...
इसके आगे मैं कुछ नही कह पाई क्योंकि आकाश के होंठों ने मेरे गुलाबी होंठों अपनी गिरफ़्त में ले लिया. वो किसी मझे हुए खिलाड़ी की तरह मेरे होंठों का रस्पान करने लगा. मैं उसके चुंबन में खोती चली गई. उसके एक हाथ मेरे नितंबों को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा तो दूसरा मेरे उरोजो की कमीज़ के उपर से जाँच करने लगा. आकाश के होंठों ने जब मेरे होंठों को आज़ाद किया तो मुझे अपनी सतिति का आभास हुया. मैने फिरसे उसकी मिन्नत करते हुए कहा.
मे-आकाश प्लीज़ जाने दो मुझे.
मगर आकाश ने उल्टा मुझे धक्का देकर बेड के उपर गिरा दिया और खुद मेरे उपर चढ़ गया. उसकी विशाल बॉडी के नीचे मैं दबने लगी थी. मैं मिन्नत भरे स्वर में उसे कह रही थी.
मे-आकाश मेरे उपर से उतरो प्लीज़.
मगर आकाश के उपर इसका कोई असर नही था उसने मेरे कमीज़ को उपर उठा दिया था और जैसे ही मेरा गोरा चिकना पेट उसकी आँखों के सामने आया तो वो बुरी तरह से अपने होंठ मेरे नंगे पेट पे फिराने लगा था. अब सब कुछ बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था. मैने उसका सर पकड़ कर उसे रोका और कहा.
मे-आकाश प्लीज़ मेरी बात ध्यान से सुनो.
उसने अपना चेहरा उठाया और मेरी बात का इंतेज़ार करने लगा है.
मे-प्लीज़ आकाश यहाँ पे ख़तरा है तुम ये कपड़ा भैया को पकड़ा कर छत पे बने स्टोर रूम में आ जाओ. वहाँ कोई नही आएगा.
मेरी बात सुनकर वो खुश होता हुआ बोला.
मे-ये हुई ना बात मुझे पता था तुम मुझसे चुदने के लिए मरी जा रही हो. है ना.
मे-मुझे नही पता.
आकाश-प्लीज़ बताओ ना.
मे-हां बाबा मैं मरी जा रही हूँ बस. अब उतरो मेरे उपर से.
उसने मेरे होंठों पे किस की और मुझे छत पे आने को बोल कर बाहर चला गया.
मैने अपने कपड़े ठीक किए और मन में कहा 'कमीना कहीं का छत पे आएगी मेरी जुत्ति'
 
तभी आचनक किसी ने मुझे पीछे से बाहों में भर लिया और अपने हाथों से मेरे उरोज पकड़ कर मसल्ने लगा. मैने गर्दन घुमा के पीछे देखा तो आकाश था. मैने हड़बड़ाते हुए उसे कहा.
मे-आकाश छोड़ो मुझे महक देख लेगी.
आकाश-नही देखेगी वो तो कब की बाहर जा चुकी है.
मे-अरे तो कोई और भी तो देख सकता है. छोड़ो डोर भी खुला है.
आकाश-डोर तो बंद कर दिया है मैने अब तो सिर्फ़ मैं और तुम हो इस रूम में.
मे-तुम समझ क्यूँ नही रहे हो प्लीज़ छोड़ो अच्छा चलो छत पे चलते हैं.
आकाश-एक दफ़ा छोड़ कर देख लिया अब नही छोड़ूँगा.
मे-आकाश प्लीज़ मैं तुम्हारे साथ सब कुछ करूँगी पर यहाँ नही प्लीज़.
आकाश-और कहाँ.
मे-छत पे चलो प्लीज़.
आकाश-ओके तो छत पे चलते हैं मगर अब मैं तुम्हारी चाल में नही आने वाला. तुम्हे साथ लेकर जाउन्गा उपर.
कहते हुए आकाश ने मुझे गोद में उठा लिया. अब उसका एक हाथ मेरी पीठ के पीछे था और दूसरा मेरे घुटनो के नीचे और मैं उसकी गोद में छटपटा रही थी.
मे-आकाश प्लीज़ उतारो मुझे मैं वादा करती हूँ ज़रूर आउन्गि उपर.
आकाश-मेरी धोखे बाज़ हसीना आज तुम्हारी चाल नही चलने वाली.
उसने अलमारी को लॉक किया और मुझे गोद में लेकर डोर की तरफ बढ़ा और डोर के पास जाकर उसने मुझे उतारा और फिर डोर खोल कर गर्दन बाहर निकाली. ड्रॉयिंग रूम में कोई नही था. सभी लोग बाहर डॅन्स कर रहे थे. ड्रॉयिंग रूम में से ही सीडीया उपर की ओर जाती थी. आकाश ने मुझे फिरसे गोद में उठाया और जल्दी-2 सीडीया चढ़ने लगा. मेरा दिल बहुत घबरा रहा था और मैं मन ही मन सोच रही थी कि आज तो गई काम से.

आकाश मुझे छत पे बने स्टोर रूम में ले गया. वहाँ पे टूटा-फूटा फर्निचर पड़ा हुआ था और एक चारपाई पड़ी थी. आकाश ने मुझे चारपाई पे लिटा दिया और फिर डोर बंद करते हुए स्टोर की लाइट ऑन कर दी. मेरा बचना अब ना-मुमकिन था सो मैने सोच लिया था कि अब एंजाय करना चाहिए. मैने मुस्कुराते हुए आकाश की तरफ देखा और कहा.
मे-प्लीज़ आकाश लाइट तो ऑफ कर दो.
आकाश-डार्लिंग लाइट ऑफ हो जाएगी तो आपके खूबसूरत जिस्म के दीदार कैसे होंगे.
कहते हुए आकाश ने अपनी टी-शर्ट उतार दी. मैं उसकी बॉडी देखकर घबरा गई. क्या चौड़ा सीना था उसका वो भी एकदम गोरा दिल कर रहा था कि जाकर उसके सीने से लिपट जाउ. लेकिन मैं इतनी जल्दबाजी नही दिखाना चाहती थी. आकाश ने अपनी पॅंट भी उतार दी थी. और उसकी अंडरवेर में क़ैद उसका विशाल लिंग देखकर मेरा पूरा शरीर काँपने लगा था. कुछ ही देर बाद उसका विशाल लिंग मेरी योनि में जाने वाला था. यही सोच-2 कर मेरी योनि पानी छोड़ने लगी थी. आकाश मेरी तरफ बढ़ा और मेरी दिल की धड़कने भी बढ़ती चली गई. वो आकर मेरे उपर लेट गया. मैने उसका चेहरा अपने हाथों में थाम लिया और कहा.
मे-आकाश मेरा दिल कर रहा है तुम्हे एक किस करू.
आकाश-तो जल्दी करो ना.
मे-पूछोगे नही क्यूँ दिल कर रहा है मेरा.
आकाश-बताओ.
मे-आकाश मैं खुश हूँ कि तुमने मेरी बात मानकर महक को उसका बनता हक दिया है अब वो बहुत खुश है.
आकाश-अरे डार्लिंग तुम जो भी कहोगी वोही आकाश करेगा. अब टाइम वेस्ट मत करो जल्दी से किस करो.
उसने अपनी आँखें बंद की और मैने धीरे-2 अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ा दिया और हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपक गये. होंठ ऐसे चिपके कि जुदा होने का नाम ही नही लिया. उसका लिंग मुझे अपनी जांघों के बीच महसूस हो रहा था. आकाश ने अब मेरे होंठों को आज़ाद किया और नीचे की तरफ जाने लगा. उसके हाथ मेरे उरोज मसल्ने लगे और वो मेरे उरोजो को हाथों में भरकर अपने होंठों से चूसने लगा. अब वो थोड़ा और नीचे हुआ और उसने मेरी दोनो टाँगों को इकट्ठा किया और उन्हे उपर हवा में उठा दिया. अब मेरी दोनो टाँगें छत की तरफ थी. अब मेरे नितंब उसकी आँखों के सामने थे जो कि टाँगो को उठाने की वजह से उपर उठ गये थे. ग्रीन कलर की पाजामी मेरे नितंब और जांघों पे एकदम कसी हुई थी. जिस शेप में मेरे नितंब और जंघें अब आकाश को दिख रही थी वो बेहद उत्तेजक था. आकाश ने अपना चेहरा मेरे नितंबों के पास किया और जैसे ही उसकी जीभ मुझे अपने नितंबों की दरार में महसूस हुई तो मेरे शरीर में एक झटका सा लगा और योनि से पानी बहने लगा. अब वो अपनी जीभ पाजामी के उपर से ही मेरे नितंबों और जांघों पे फिराने लगा. अब में आउट ऑफ कंट्रोल हो चुकी थी और कामुकता से भरी सिसकियाँ पूरे स्टोर रूम में गूँज़ रही थी. उसकी इस हरकत को मैं ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई और मेरी योनि ने अपना काम रस उडेल दिया. योनि रस का गीलापन मेरी पैंटी के साथ-2 अब मेरी पाजामी के उपर भी आ गया था और पाजामी के उपर भी गीलेपन का दाग बन गया था. आकाश अब उसी गीलेपन को अपनी जीभ से चाट रहा था. उसकी हरकतें मुझे एक दफ़ा फिरसे गरम होने पे मज़बूर कर रही थी. अब उसने मेरी टाँगों को नीचे उतार दिया और मेरी पाजामी का नाडा पकड़ कर झटके के साथ खोल दिया. नाडा खुलते ही मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा. आकाश ने मेरी पाजामी को किनारों से पकड़ा और उतरने लगा. पाजामी मेरे नितंबों और जांघों पे कसी हुई थी. इसलिए वो बड़ी मुश्क़िल से नीचे जा रही थी. आख़िरकार काफ़ी मेहनत के बाद आकाश ने मेरी पाजामी को मेरी टाँगों से निकाल कर मेरे नीचे वाले बदन को नंगा कर ही दिया. 

आकाश ने अब अपनी अंडरवेर भी उतार दी थी उसका लिंग हवा में झूलता देख मेरा दिल घबराने लगा. बहुत बड़ा था उसका लिंग. तुषार के लिंग से ज़्यादा लंबा था और मोटा भी अधिक था. आकाश ने अपना लिंग मेरे चेहरे के पास किया और मुझे कहा.
आकाश-अपने होंठो खोलो ना डार्लिंग.
मगर मैने अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया.
आकाश अपने लिंग को मेरे गोरी गालों पे फिरने लगा और बोला.
आकाश-अच्छा मूह में मत लो मगर एक किस तो कर दो बेचारे को बहुत तडपा है ये तुम्हारे लिए.
मैने अपना चेहरा घुमाया तो देखा उसका विशाल लिंग बिल्कुल मेरी आँखों के सामने झूल रहा था. मैने अपने होंठों को थोड़ा सा खोला और उसके लिंग के सुपाडे पे अपने होंठ लगाकर अपने होंठों को भींच लिया और अपने होंठ पीछे हटा लिए. मेरे होंठों के पीछे हट ते ही उसके लिंग ने एक झटका खाया जैसे मुझे सलामी दे रहा हो. फिर वो मेरी टाँगों के बीच आ गया और मेरी दोनो टाँगों को पकड़ कर उपर उठाने लगा और अब उसने मेरी टाँगों को इस कदर मोड़ दिया था कि मेरे कंधों को मेरे घुटने टच हो रहे थे. अब मेरी योनि खुल कर उसके सामने आ गई थी. आकाश ने टाइम ना गँवाते हुए अपना लिंग मेरी योनि के मुख पे टीकाया और फिर मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा मैने भी मुस्कुरा कर जबाब दिया. आकाश ने अपने लिंग को पकड़ा और हल्का सा दवाब उसके उपर डालने लगा. उसका लिंग मेरी योनि में उतरने लगा. उसका लिंग थोड़ा मोटा था इसलिए मुझे थोड़ा दर्द भी हो रहा था. आकाश के लिंग का सुपाडा अब मेरी योनि में घुस चुका था अब उसने अपने लिंग के उपर दवाब डालना बंद कर दिया था. अभी उसका आधे से ज़्यादा लिंग मेरी योनि के बाहर था. आकाश ने अब फिरसे अपना लिंग बाहर की ओर खिचा और फिरसे उतना ही लिंग मेरे अंदर कर दिया और वो ऐसे ही करने लगा. मुझे अब बेचैनी हो रही थी मैं चाहती थी कि आकाश अब जल्दी से अपना पूरा लिंग मेरी योनि में उतार दे. लेकिन वो कमीना खेल रहा था मेरे साथ. मैने उसे कहा.
मे-आकाश जल्दी करो जो करना है. सब ढूंड रहे होंगे मुझे.
आकाश-तुम बताओ ना मैं क्या करू.
मे-ज़्यादा बनो मत तुम्हे अच्छी तरह से पता है.
आकाश-मुझे कहाँ पता है कुछ.
मैने सोचा इस बेवकूफ़ से बात करना बेकार है. वो कमीना बस उसी तरह थोड़ा सा लिंग अंदर बाहर कर रहा था. अब मुझसे रहा ना गया और मेरे मूह से निकल ही गया.
मे-आकाश पूरा डालो ना अंदर.
आकाश-यस ये हुई ना बात.
और आकाश ने एक ज़ोर से धक्का दिया और पूरा लिंग मेरी योनि में उतार दिया धक्का इतना जबरदस्त था कि मेरे मूह से जोरदार चीख निकल गई. मैने चारपाई को हाथों में जाकड़ लिया. अब आकाश बहुत तेज़-2 मुझे चोदने लगा. वो लिंग को बाहर खीचता और फिर पूरे ज़ोर के साथ अपना लिंग मेरी योनि के अंदर पहुँचा देता. उसके धक्के इतने जबरदस्त थे की उसका लिंग मुझे अपनी बच्चेदानी पे महसूस हो रहा था. उसने चारपाई की दोनो साइड पे हाथ टिकाए हुए थे और पूरी ताक़त के साथ मुझे चोद रहा था. चारपाई भी आवाज़ करने लगी थी. मुझे डर था कि कहीं वो टूट ही ना जाए. आकाश की वाइल्डनेस को मैं बर्दाश्त नही कर पाई और मेरी योनि ने दूसरी बार पानी छोड़ दिया. आकाश का लिंग मेरे योनि रस से भीग गया था और अब चुदाई करते वक़्त 'पच-पुच' की आवाज़ आ रही थी. मेरी आँखों के किनारों से भी पानी निकल आया था. लेकिन आकाश था कि झड़ने का नाम ही नही ले रहा था. मेरी टाँगें अब थक चुकी थी और मैने उन्हे अब आकाश की कमर के इर्द-गिर्द लपेट लिया था. आकाश के धक्के बदस्तूर जारी थे. उसने मुझे ऐसे ही उठा लिया था. अब वो चारपाई से नीचे उतार कर खड़ा हो गया था और मैं उसकी कमर के इर्द-गिर्द टाँगें लपेटे उसकी गोद में थी और उसका लिंग मेरी योनि में था. वो बहुत ताक़त वर था इसलिए मुझे ऐसे उठा कर रखने में उसे ज़्यादा दिक्कत नही हो रही थी. वो नीचे से जोरदार धक्के लगा रहा था और मैं उसकी गोद में उच्छल रही थी. मेरी सिसकियों से पूरा स्टोर रूम गूँज़ रहा था. लगभग 30मिनट हो चुके थे आकाश को मुझे चोद ते हुए मगर वो अभी तक नही झडा था. कुछ देर पहले ही उसने महक के साथ सेक्स किया था शायद यही कारण था कि अब उसे ज़्यादा टाइम लग रहा था. उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में ले लिया था और वाइल्ड तरीके से मेरे होंठ चूसने लगा था. मेरा तो बुरा हाल हो चुका था और धक्के के बाद मेरी योनि में से पानी रिसने लगा था. अब आकाश ने भी मुझे कस कर पकड़ लिया था और उसके धक्के और तेज़ हो गये थे. उसने आख़िरी धक्का लगाया और अपना लिंग मेरी योनि में जड़ तक उतार दिया और फिर उसके लिंग से कामरस निकलकर मेरी योनि को भरने लगा. मेरी योनि ने भी फिरसे पानी छोड़ दिया. उसने मुझे उसी पोज़िशन में चारपाई पे लिटा दिया और जब तक उसका लिंग मेरी योनि में खाली नही हुआ तब तक उसे बाहर नही निकाला. उसका लिंग बाहर निकलते ही मुझे थोड़ी राहत मिली. फिर उसने मेरे होंठों पे एक किस की और मैं उठ कर कपड़े पहन ने लगी. मैने कपड़े पहन ने के बाद उसे कहा.
मे-पैंटी नही चाहिए थी क्या मेरी.
आकाश-डार्लिंग ये पैंटी नही जो पैंटी तुम्हारे पीछे वाले छेद में से निकलने वाले खून से सनी होगी वो लूँगा मैं.
मैने उसे उंगूठा दिखाते हुए कहा.
मे-वो कभी नही मिलेगी तुम्हे.
और मैं जल्दी से नीचे आ गई और अपने रूम में चली गई.
 
मैं रूम में आई और वॉशरूम में जाकर पैंटी चेंज की. आकाश के बच्चे ने बुरा हाल कर दिया था मेरा. मेरी परी थोड़ी-2 दुखने लगी थी. कुछ भी था लेकिन आकाश के साथ मुझे बहुत मज़ा आया था. महक किस्मत वाली थी क्योंकि पता नही कितनी दफ़ा आकाश उसे चोद चुका था.
मैने अपना मोबाइल. उठाया जो कि मेरी अलमारी के पास टेबल पे पड़ा था. मैने देखा उसमे महक की 5 मिस कॉल थी. मैं बाहर आई और महक को ढूँडने लगी. महक ने खुद ही मेरे पास आकर कहा.
महक-रीतू कहाँ थी तू. फोन भी नही उठाया.
मे-मिक्‍कु वो..में छत पे थी और मोबाइल नीचे रूम में था.
महक ने चुटकी लेते हुए कहा.
महक-छत पे किसके साथ थी.
मे-बदमाश मेरा सर दर्द कर रहा था इसलिए गई थी ठंडी हवा लेने.
अब क्या बताती उसे कि छत पे मैं उसके आशिक़ के साथ ही थी.
महक-चल अब डॅन्स नही करना क्या.
मे-हां-2 क्यूँ नही.
फिरसे हम दोनो डॅन्स करने लगी. देर रात तक हमारा नाच गाना चलता रहा. थक हार कर आख़िरकार हम सो गये. महक मेरे साथ मेरे ही रूम में सो गई.
सुबह महक ने मुझे उठाया.
महक-ओये कुंबकरण उठ भी जा अब.
मे-मिक्‍कु तुम तो बड़ी जल्दी उठ गई.
महक-मैं तो रोज़ जल्दी ही उठ जाती हूँ.
फिर हम लोग तयार हुए सभी मेहमान इधर उधर भाग रहे थे. किसी को टवल चाहिए था तो किसी को साबुन. मैं अपने रूम में किसी को घुसने नही देती थी इसलिए मैं और मिक्‍कु तो आसानी से फ्रेश हो गई और नहा कर तयार हो गई. महक ने पिंक कलर का सलवार कमीज़ पहना था और मैने वाइट कलर का प्रिंटेड कमीज़ और उसके साथ रेड कलर की प्लॅन पटियाला शाही सलवार पहनी थी.
भैया भी रेडी हो चुके थे. और सभी मेहमान भी. बस बारात जाने का टाइम हो चुका था.
हम सभी बारात लेकर करू भाभी के यहाँ पहुँचे तो वहाँ काफ़ी अच्छा अरेंज्मेंट था. बस खाने की डिश कम तैयार की थी उन्होने. मुझे पता चल गया था कि एकदम कंजूस है मेरी भाभी का परिवार और वो. ओये नही-2 बहुत अच्छा अरेंज्मेंट था. सब कुछ था वहाँ पे मैं तो मज़ाक कर रही थी.
आख़िरकार मैने भाभी को देखा रेड कलर के लहंगे में ऐसी लग रही थी जैसे कोई चुड़ैल नही-2 परी नीचे उतर आई हो. बहुत सुंदर लग रही थी वो. भैया और भाभी की जोड़ी नंबर. 1 जोड़ी थी. मैं भाभी के पास गई तो भाभी ने मुझे प्यार से गले लगा लिया और मुझे देखते हुए कहा.
करू-रीतू तुम तो खूब जवान हो गई हो.
मे-अब भाभी जवानी अपना रंग तो दिखाती ही है.
करू-लगता है जवानी के सभी रंगों से खेल चुकी है मेरी स्वीतू. बता ना कॉन है वो.
मे-अरे भाभी ये सब बाद में पता कर लेना फिलहाल अपनी शादी पे ध्यान दो. कहीं ऐसा ना हो कि मैं अपने भैया को वापिस ले जाउ.
करू-ऐसे कैसे ले जाएगी तू तेरे कान खीचने पड़ेंगे.
भाभी की बात पर हम दोनो हँसने लगी.
फिर भैया और भाभी की शादी की सभी रस्में शुरू हो गई और आख़िर कर सभी रस्मो और रिवाज़ों के साथ भाभी हमारे घर की बहू बन गई.
हम भाभी को साथ लेकर बारात वापिस ले आए और फिर घर में भी मैने ने भी कुछ रस्मे अदा की और आख़िर में भाभी को भैया के रूम में भेज दिया गया. महक भी अब जा चुकी थी और काफ़ी मेहमान भी वापिस चले गये थे.
भैया अभी बाहर थे तो मैं भाभी के पास गई और कहा.
मे-हां तो भाभी कैसा लगा हमारा घर.
करू-बहुत अच्छा स्वीतू और घर के लोग उस से भी अच्छा और खास कर तुम सबसे क्यूट.
मे-भाभी इतना मक्खन भी मत लगाओ.
करू-तुझे ये मक्खन लग रहा है अच्छा जा मैं नही बात करती तुम्हारे साथ.
मे-ओह भाभी आप नाराज़ मत हो प्लीज़ और एक बात और मैने अपना वादा पूरा कर दिया अब मुझे धोखे बाज़ कहा तो देख लेना.
करू-थॅंक यू सो मच रीतू. मेरा दिल कर रहा है तेरी पप्पी ले लू वो भी होंठों पे.
मे-दूर रहो मुझसे आप. गाल पे पप्पी लेनी है तो लो होंठों पे तो 'वो' लेगा.
करू-वो कौन.
मे-है कोई आपको इस से मतलब.
करू-बच्चू तू तो खुद बताएगी मुझे एक दिन देख लेना.
मे-देखेंगे.
करू-देख लेना.
मे-भाभी एक बात कहूँ.
करू-हां.
मे-ये कपड़े उतार दो अब.
करू-क्यूँ.
मे-भैया भी तो उतार ही देंगे आ कर.
भाभी ने मुझे मारना चाहा मगर मैं भागती हुई रूम से बाहर आ गई. थोड़ी देर बाद भैया भी रूम में घुस गये और बेड के उपर घमासान शुरू हो गया.
मैं बहुत थक चुकी थी इसलिए सीधा अपने रूम में गई और बेड के उपर लेट गई.
तभी मेरा मोबाइल. बज उठा. नो. देखा तो आकाश का था. मैने फोन उठाया.
मे-हंजी बताओ.
आकाश-जी अब क्या बताएँ जब से आपकी ली है बस आपकी चूत ही आँखों के सामने घूम रही है.
मे-बकवास मत करो तुम कोई और बात नही कर सकते.
आकाश-ज़रूर कर सकते हैं जी.
मे-तो करो.
आकाश-तुम करवाओगी.
मे-आआकश प्लीज़.
आकाश-ओके तो बताओ कल मज़ा आया.
मे-मुझे नही पता.
आकाश-बताओ ना यार.
मे-ह्म्‍म्म्म.
आकाश-आज फिर मज़ा लोगि.
मे-कहाँ.
आकाश-छत पे ही.
मे-ना बाबा ना मुझे नही आना.
आकाश-तो मैं आ जाता हूँ तुम्हारे रूम में छत के रास्ते. साथ वाले रूम में तुम्हारा भाई सुहागरात मनाएगा और तुम्हारे रूम में हम दोनो.
मे-तो आ जाओ ना देर किस बात की.
आकाश-वाउ मैं जानता था रीत डार्लिंग तुम बहुत गरम हो.
मे-ओये डार्लिंग के बच्चे मैं मज़ाक कर रही थी इतनी जल्दी दुबारा हाथ नही आउन्गी समझे. कमीना कही का.
और मैने कॉल कट की और सो गई.
 
भैया की शादी को हुए काफ़ी दिन हो चुके थे. भाभी अब हमारे साथ पूरी तरह से घुल मिल गई थी. बहुत अच्छा नेचर था उनका घर में सबका ख़याल रखती थी वो खास तौर पे मुझे बहुत प्यार करती थी भाभी. मेरी और भाभी की नोक-झोक हमेशा चलती रहती थी. बहुत ही खुशी-2 दिन बीत रहे थे इसी बीच गुलनाज़ दीदी के रिश्ते की बात घर में होने लगी थी लेकिन गुलनाज़ दीदी अभी शादी करना नही चाहती थी क्योंकि वो पहले अपनी स्टडी कंप्लीट करना चाहती थी. लेकिन ताया जी और ताई जी चाहते थे कि वो जल्द से जल्द शादी करले. आख़िरकार उन्हे गुलनाज़ दीदी की ज़िद्द के आगे झुकना पड़ा.

दीदी को अब अपनी नेक्स्ट स्टडी के लिए देल्ही जाना था. वहाँ पे दीदी की मौसी रहती थी और दीदी उन्ही के पास रहने वाली थी. दीदी के देल्ही जाने की बात से अगर कोई सबसे ज़्यादा दुखी था तो वो मैं थी क्योंकि दीदी मुझे बहुत प्यार करती थी. हालाँकि भाभी भी मुझे कम प्यार नही करती थी मगर दीदी की एक अलग अहमियत थी मेरी लाइफ में.

इसी बीच मेरा रिज़ल्ट भी आ चुका था. मैं 75% मार्क्स के साथ पास हो गई थी और महक के 70% मार्क्स आए थे जबकि आकाश और तुषार के 55% मार्क्स थे. आकाश, महक और तुषार ने मुझे फोन कर के मुबारकबाद दी थी. महक ने मुझसे पूछा था कि अब आगे की स्टडी के लिए कॉन्सा कॉलेज चूज़ कर रही हो तो मैने उसे बता दिया कि मैं तो डीएवी कॉलेज जाय्न करूँगी. महक भी उसी कॉलेज में अड्मिशन ले रही थी और अपना आकाश कमीना तो हमारे पीछे आने ही वाला था. मैने तुषार को कॉल की तो पता चला कि वो अपनी आगे की स्टडी के लिए अपने मामा के यहाँ जा रहा था. मैने उसे बहुत रोकने की कोशिश की मगर उसकी भी शायद कोई मज़बूरी थी. मुझे बहुत दुख हुआ तुषार के इस तरह चले जाने से लेकिन मैं खुश थी क्योंकि मैं पास हो गई थी और उसका सारा क्रेडिट अगर किसी को जाता था तो वो थी गुलनाज़ दीदी. मैने मिठाई का डिब्बा लिया और सीधा दीदी के पास गई और जाते ही बर्फी निकाल कर दीदी के मूह में ठूंस दी. बड़ी मुश्क़िल से दीदी ने बर्फी गले के अंदर की और गुस्से से मुझे कहा.
गुलनाज़-रीतू आप आराम से नही खिला सकती थी बर्फी.
मे-दीदी बात ही इतनी खुशी की है.
गुलनाज़-तो बता ना क्या बात है.
मे-दीदी मेरे 75% मार्क्स आए हैं.
दीदी ने ये बात सुनते ही मुझे अपने सीने से लगा लिया और मेरा माथा चूमते हुए कहा.
गुलनाज़-आइ एम प्राउड ऑफ यू माइ स्वीतू. मैं बहुत खुश हूँ आज.
मे-थॅंक यू दीदी आपकी हेल्प के बिना ये कभी नही हो पाता.
गुलनाज़-ये सब आपकी मेहनत और लगन का रिज़ल्ट है मैने कुछ नही किया. अब हर क्लास में ऐसे ही अच्छे मार्क्स लेने हैं आपको समझी.
मे-जी दीदी.
................
आख़िरकार वो दिन भी आ गया जब दीदी को देल्ही जाना था. मैं दीदी से लिपट कर बहुत रोई और दीदी की आँखों में भी आँसू थे लेकिन मैं ये बात समझती थी कि उनका जाना ज़रूरी था. वो कुछ देर के लिए देल्ही चली गई थी. वक़्त उसी रफ़्तार से निकलता जा रहा था और हमारी अड्मिशन का टाइम आ गया था. इस बीच आकाश का मुझे फोन आता ही रहता था मगर शादी की उस रात के बाद मैं उसके हाथ नही लगी थी. क्योंकि अब मैं सारा दिन घर में ही रहती थी इसलिए वो बेचारा बस दूर-2 से मुझे देखकर आहें भरता रहता था. तुषार से तो बात होना बिल्कुल बंद ही हो गया था शायद उसे कोई और मिल गई थी मैं भी उसे फोन नही करती थी और ज़्यादातर टाइम भाभी के संग ही गुज़ारती थी. आकाश के साथ भी हाई-हेलो तक ही बात होती थी. कहा जा सकता है कि इन्दिनो मेरे जिस्म की भूक काफ़ी कम हो गई थी जिसे अब जगाने जी ज़रूरत थी और शायद मुझे भी उसका ही इंतेज़ार था और मेरा ये इंतेज़ार तो कॉलेज में जाकर ही ख़तम होने वाला था.
वो दिन आ ही गया जिस दिन मैने और महक ने कॉलेज में अड्मिशन लेनी थी.

मैं और महक जैसे ही कॉलेज में पहुँची तो देखा कि बहुत ही बड़ा कॉलेज था और बहुत से कोर्स थे वहाँ और बहुत सारे स्टूडेंट थे कॉलेज में. मैं और महक जैसे-2 आगे बढ़ रही थी तो सभी लड़कों की नज़र हम पर ही टिकती जा रही थी. हम दोनो धीरे-2 आगे बढ़ रही थी. लड़के एकदुसरे के कान में कह रहे थे 'कॉलेज में नया माल क्या जिस्म है सालियों का हे भगवान 1 बार दिला दे इनकी'

मुझे तो लड़को की बात सुनकर हसी आ रही थी. मगर महक थोड़ा परेशान थी. जैसे तैसे हमने अपने अड्मिशन फॉर्म भरे और फी पे की और क्लासस का पता किया तो उन्होने बताया कि 3 दिन बाद क्लासस शुरू होंगी. हम दोनो वहाँ से निकली और ग्राउंड में आ गई और गेट की तरफ चलने लगी.

मैने देखा 3-4 लड़कों ने एक लड़के को कॉलर से पकड़ रखा था. वो लड़का भी दिखने में अच्छा था लेकिन फिर भी 4 के सामने उसकी पेश नही चलने वाली थी. वो उसे मारने लगे थे. मैं उनकी तरफ बढ़ी तो महक ने मुझे रोकते हुए चलने को कहा. मगर मैं अपना हाथ छुड़ा कर उन लड़को के पास गई. मुझे देखते ही उन्होने लड़के को पीटना बंद कर दिया. मैने कहा.
मे-छोड़ दो इसे.

उनमे से एक बोला 'क्यूँ आशिक़ है क्या तेरा जो इतना तड़प रही है'
मे-यस. अब अच्छे बच्चे बन कर उसे छोड़ दो नही तो मैं प्रिन्सिपल सर के पास चली जाउन्गी.
प्रिन्सिपल का नाम सुनकर वो डर गये और वहाँ से खिसक गये. मैने उस लड़के को देखा काफ़ी हॅंडसम था.
मैने कहा.
मे-जाओ आपको बचा दिया मैने.
वो हैरानी से मुझे देखता हुआ चला गया.
 
मैं और महक वहाँ से चल पड़ी. महक ने मुझे कहा.
महक-क्या ज़रूरत थी बीच में जाने की.
मे-अरे यार उस बिचारे को पीट रहे तो वो मश्टंडे.
महक-तो तुम्हारा क्या लगता है वो.
मे-पता नही मगर उसका चेहरा मुझे अच्छा लगा उसे देखते ही मुझे बहुत ही अच्छा सा फील हुया बस वोही फीलिंग मुझे वहाँ पे खींच कर ले गई.
महक-मदर इंडिया जी अब हम इसी कॉलेज में पढ़ने वाले है और अगर कभी उन लोगो ने हमे तंग करने की कोशिश की तो.
मे-तो क्या यार. हमारा आकाश फाइटर है ना हमारे पास वो इन सब की धुनाई कर देगा.
महक-ओह हो मेडम मगर आकाश सिर्फ़ मुझे बचाएगा आप क्या नानी लगती हो उसकी.
मे-ओये मिक्‍कु शैतान साली हूँ मैं आकाश की और साली आधी घरवाली होती है मेरे एक इशारे पे भागा चला आएगा वो.
महक-अच्छा अच्छा ओके मेरी माँ मगर पूरी घरवाली मत बन बैठना.
मे-अरे नही पूरी घरवाली का हक तो सिर्फ़ आपका ही है.
महक-अच्छा अब बस आ रही है चलो.
फिर हम बस में बैठे और घर वापिस आ गये.
अब टाइम आ चुका था मेरे गिफ्ट का. मैने पापा को याद दिलाया तो उन्होने कहा कि वो कल मेरे लिए स्कूटी खरीदने चलेंगे. दूसरे दिन चम-चमाति हुई अक्तिवा हमारे घर में आ गयी. मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नही था. मैने भाभी को पीछे बिठाया और 3-4 चक्कर लगाए स्कूटी के. करू भाभी को तो मैने हाथ तक नही लगाने दिया हॅंडल को वो बस पीछे बैठ कर ही ड्राइविंग का मज़ा लेती रही. मैं बहुत खुश थी अब बस इंतेज़ार था कॉलेज के 1स्ट डे का जिस दिन मैं फर्स्ट टाइम स्कूटी कॉलेज ले जाने वाली थी.
................
आख़िर वो दिन भी आ गया. महक को मैने अपने घर ही बुला लिया. वो कॉलेज के लिए रेडी होकर मेरे घर आ गई. मैं भी तैयार हुई आज मैने रेड टॉप के साथ ब्लू टाइट जीन्स पहनी थी और पैरों में हाइ हील के संदेल. जीन्स में कसे हुए मेरे नितंब पता नही कितनो को घायल करने वाले थे आज. मैं और महक कॉलेज के लिए निकल गयी. रास्ते में हमे आकाश भी मिल गया. उस कमिने ने भी न्यू क्रीज़्मा बाइक ली थी. उसने हमे रोका और महक को अपने साथ बिठा लिया. महक भी भाग कर उसके पीछे बैठ गई. मैने सोचा मिक्‍कु की बच्ची कल से अब इसी के साथ आना. हम कॉलेज में पहुँच गये और मैने स्कूटी पार्क की और महक और आकाश को साथ लेकर अपनी क्लास ढूँडने लगी. आकाश की नज़र बार-2 मेरे उपर आ रही थी. उसने आज पहली दफ़ा मुझे जीन्स में देखा था शायद इसी लिए उस से एग्ज़ाइट्मेंट कंट्रोल नही हो रही थी. बड़ी मुश्क़िल से हमने क्लास ढूंढी और जाकर एक डेस्क पे बैठ गये. हम एक ही बेंच पे बैठे थे और महक हम दोनो के बीच बैठी थी. थोड़ी देर बाद ही टीचर आई और बोलने लगी.
मॅम-हेलो स्टूडेंट्स.
'हाई मॅम'
मॅम-ओक तो आप सब का मैं वेलकम करती हुई आपके न्यू कॉलेज में.
'थॅंक्स मॅम'
फिर मॅम सब का इंट्रो लेने लगी. तभी एक स्टूडेंट बड़ी तेज़ी से अंदर आया. ये तो वोही हॅंडसम था जिसे मैने उस्दिन बचाया था.
मॅम-हेलो मिस्टर. कॉन हो आप.
लड़का-मॅम मैं इंसान हूँ.
मॅम-वो तो मुझे भी दिख रहा है. मगर यहाँ क्यूँ आए हो.
लड़का-मॅम पढ़ने आया हूँ.
सारी क्लास हँसने लगी.
मॅम-ओह शट अप एडियट. ये कैसा तरीका है बात करने का.
लड़का-मॅम मैं तो जस्ट आपके सवाल का आन्सर दे रहा था.
मॅम-इतना आटिट्यूड दिखाने की ज़रूरत नही है. आज तुम्हारा 1स्ट डे है और आज ही लेट.
लड़का-अकटुल्ली मॅम मैं तो पैदा होते वक़्त भी 5मिनट लेट हो गया था. इसलिए ये लेट वाला चक्कर तो जिंदगी के पहले पल से ही मेरा साथ जुड़ गया था.
अब उसकी बात पे मॅम भी हँसने लगी और सारी क्लास भी.
मॅम-पहले दिन ही शरारातें शुरू अच्छी जमेगी हमारी. गो टू युवर सीट.
लड़का-मगर मॅम मेरी कोई सीट तो है ही नही आज फर्स्ट डे है हमारा.
मॅम-अरे देख लो क्लास में जिस किसी के पास बैठना चाहो बैठ जाओ.
वो लड़का पूरी क्लास में नज़र घुमाने लगा और जैसे ही उसकी नज़र मेरे उपर पड़ी तो वो एकदम चौंक उठा और फिर मुस्कुराता हुआ मेरे पास आया और मेरे बराबर वाली सीट पे बैठ गया और मुझे देखता हुआ मुस्कुराने लगा. मैने भी उसे स्माइल पास की और फिर अपना चेहरा मॅम की तरफ घुमा लिया.
मॅम फिरसे इंट्रो लेने लगी. मैने, आकाश ने और महक ने भी अपना इंट्रो दिया और फिर उस लड़के की बारी आई तो वो उठा और बोलने लगा.
लड़का-आइ एम करण. आइ हॅव डन 10थ क्लास फ्रॉम सी.बी.एस.ई बोर्ड.
मॅम-बस इतनी सी इंट्रो बोलते तो बहुत हो आप.
उसने मेरी तरफ देखा और कहा.
करण-वो मॅम बात ऐसी है कि वैसे तो मैं बहुत बक-2 करता हूँ लेकिन जब कोई हसीन चेहरा आचनक सामने आ जाता है तो मेरी बोलती बंद हो जाती है.
मॅम उसकी बात सुनकर अपनी लट संवारने लगी उन्हे लगा था कि करण ने ये बात उनके हसीन चेहरे को देख कर कही थी मगर मुझे अच्छी तरह से पता था कि ये बात उसने मुझे देखकर कही थी.
1स्ट लेक्चर ख़तम हुआ और हम तीनो बाहर आ गये और कॅंटीन मे बैठ गये. मैने देखा करण इधर-उधर देखता हुआ वहाँ आ रहा था और हमे देखते ही वो हमारे पास आया और बोला.
करण-क्या मैं आपके साथ बैठ सकता हूँ.
मे-स्योर.
करण-थॅंक्स. बाइ दा वे आइएम करण.
उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया. मैने भी उसके हाथ में अपना हाथ थमा दिया फिर महक और आकाश ने भी उसके साथ हॅंड-शक किया.
फिर वो बोला.
कारण-मिस. नवरीत मुझे आपको 2 बातें कहनी थी. पहली थॅंक्स न्ड दूसरी सॉरी.
 
करण ने कहा मुझे आपको 2 बातें बोलनी थी थॅंक्स और सॉरी.
मे-बट व्हाई?
करण-भूल गयी आप उस दिन आपने मेरी हेल्प की थी उसके लिए आपका थॅंक्स.
मे-न्ड सॉरी.
करण-मैं उस दिन थोड़ा डर गया था इसलिए आपको थॅंक्स नही बोल पाया उसके लिए सॉरी.
मे-ओह इट'स ओके कारण. वैसे आपको क्यूँ मार रहे थे वो लड़के.
करण-यार उन्हे कोई ग़लतफहमी हुई थी मैं तो खुद हैरान था कि ये मेरे साथ क्या हो रहा है. बस उसी टाइम पता नही आप कहाँ से आई और सब कुछ ठीक कर दिया.
मे-अच्छा . वो सब बातें आप बताओ कहाँ से आते हो.
करण-जी मैं इसी शहर से.
मे-ओके गुड.
करण-मैं यहाँ पे अभी तक अकेला ही हूँ क्या हम दोस्त बन सकते हैं.
आकाश-या बडी. बिल्कुल बन सकते हैं.
करण-ओके थॅंक्स यार. आप लोगो का साथ पाकर मुझे भी खुशी होगी.
महक-ओक तो चलो नेक्स्ट लेक्चर स्टार्ट होने वाला है.
हम सब वहाँ से उठ कर क्लास की तरफ चल पड़े. करण मुझे बहुत अच्छा लगा था. उसका बात करने का स्टाइल भी बड़ा अच्छा था. पहली नज़र में ही वो मुझे भा गया था. हम क्लास की ओर जा रहे थे तो मैने महक को कहा.
मे-मिक्कुर मैं वॉशरूम होकर आती हूँ आप लोग चलो.
महक-ओके.
मैं वॉशरूम की तरफ आ गयी. हमारी क्लास 2न्ड फ्लोर पे लगती थी और फ्लोर के ही एक कोने में वॉशरूम बना हुआ था. 2न्ड फ्लोर पे सिर्फ़ 2 क्लासस ही होती थी इसलिए वहाँ काफ़ी कम स्टूडेंट्स दिखाई देते थे. मैं वॉशरूम में घुस गयी और थोड़ी देर बाद बाहर निकली तो देखा वॉशरूम के बाहर आकाश खड़ा था. मैने उसे देखते हुए कहा.
मे-आकाश बाय्स वॉशरूम दूसरे कोने में है यहाँ नही.
आकाश-पता है मुझे.
मे-तो फिर यहाँ क्या कर रहे हो.
आकाश ने आगे कुछ नही बोला और मुझे गोद में उठा लिया.
मैने उसकी गोद में छटपटाते हुए कहा.
मे-आकाश उतारो मुझे ये क्या बदतमीज़ी है.
आकाश मुझे पास में ही बने एक रूम में ले गया. हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमे इस हालत में किसी ने नही देखा था. आकाश ने डोर लॉक कर दिया. मैने देखा वो शायद केमिस्ट्री लॅब थी. मैने गुस्से से आकाश को देखते हुए कहा.
मे-क्या बदतमीज़ी है ये.
आकाश-रीत ज़्यादा नखरा मत करो अब जल्दी से अपनी पॅंट उतारो.
मे-ये मेरी बात का जवाब नही है.
आकाश-अरे क्या जवाब नही है. मेरा मन कर रहा है तुम्हारी लेने का इस लिए मैं तुम्हे यहाँ लेकर आया हूँ.
मे-मगर ये तरीका सही नही है.
आकाश-तो और कोन्से तरीके से चुदना चाहती हो तुम.
मैने गुस्से से कहा.
मे-शट अप अपनी बकवास बंद करो. मैं कोई खिलोना नही हूँ जिसके साथ तुम जेसे चाहो खेलते रहो.
आकाश-अरे यार नाराज़ क्यूँ होती हो. चलो अब आ ही गये हैं यहाँ तो करते है ना.
मे-मैं कुछ नही करवाउन्गी.
मैने गुस्से से कहा और अपनी पीठ उसकी तरफ करके खड़ी हो गई.
वो चलता हुआ मेरे पास आया और मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और कहा.
आकाश-नाराज़ हो क्या.
मैने कोई जवाब नही दिया उसने फिरसे कहा.
आकाश-कमोन रीत यार सॉरी. मुझसे ग़लती हो गई प्लीज़ बात करो ना.
मे-पहले वादा करो ऐसी बेहूदा हरकत दुबारा नही होगी.
आकाश-वादा रहा बस.
मैं उसकी तरफ घूम गई और मुस्कुराते हुए कहा.
मे-ह्म्म्म गुड बॉय. जो तुम करने चले थे ना उसे ज़बरदस्ती कहा जाता है और ज़बरदस्ती किसी लड़की को अच्छी नही लगती.
आकाश-यस मैं समझ गया डार्लिंग.
और वो मेरे होंठों पे अपने होंठ रख कर मुझे चूसने लगा. मैने अपने होंठ उसके होंठों के उपर से हटाते हुए कहा.
मे-अब कोई चालाकी नही मुझे जाने दो यहाँ से.
आकाश-रीत प्लीज़ यार अब तो मान जाओ.
मे-मैने कहा ना मुझे जाने दो.
आकाश-अच्छा रीत बाकी कुछ नही करूँगा बस तुम अपने होंठों का रस मेरे पप्पू को पिला दो आज.
मे-हट बदमाश. मैं नही करूँगी ये सब.
आकाश-प्लीज़ यार मेरे लिए इतना तो कर ही सकती हो.
आकाश ने अपना लिंग ज़िप खोल कर बाहर निकाल लिया.
मे-अंदर करो इसे प्लीज़.
आकाश ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लिंग के उपर रख दिया. मैने फॉरन अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई.
आकाश-ओके अगर मूह में नही लेना चाहती तो नीचे तो लेना ही पड़ेगा और उसने पीछे से अपने हाथ मेरी पॅंट के बटन पे रखे और उसे खोल दिया. मैने उसे रोकने की थोड़ी बहुत कोशिश की मगर वो नही रुका और उसने मेरी पॅंट को पैंटी के साथ खीच कर मेरी जांघों तक कर दिया और मेरे नितंब बिल्कुल नंगे हो गये. आकाश ने मुझे आगे को झुका दिया और अपना लिंग मेरी योनि के उपर रखा और एक ही धक्के में उसे मेरी पूरी योनि के अंदर कर दिया. मेरे मूह से एक आह निकल गई. आकाश ने धड़ा धड़ धक्के मारने शुरू कर दिए और मेरी सिसकारियाँ पूरी लॅब में गूंजने लगी. 
मे-आआहह आकाअश धीरे करो प्लस्ससस्स....दर्द हो रहा है......आहह आउच बहुत बड़ा है तुम्हारा ये....आहह.
आकाश ने मेरी कमर को थाम रखा था और तेज़-2 धक्के मार रहा था. फिर वो खुद चेर पे बैठ गया और मैं उसकी तरफ पीठ करके उसकी गोद में उसके लिंग के उपर बैठ गई. आकाश ने मेरी कमर को पकड़ा और अपनी गोद में मुझे उपर नीचे करने लगा. उसका लिंग मुझे अपने पेट तक जाता महसूस होने लगा. अब मैं खुद ही उसकी गोद में उसके लिंग के पर उठने बैठने लगी. इसी बीच पहले मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया और फिर कुछ ही देर बाद आकाश के लिंग ने भी अपना गरम लावा मेरी योनि में भरना शुरू कर दिया.

कॉलेज के दिन गुज़रते गये. हम लोग कॉलेज में फुल मस्ती करते थे. करण अब हमारे साथ घुल मिल गया था. उसके आने से हमारे ग्रूप में तुषार की जो कमी थी वो पूरी हो गई थी. भले ही वो थोड़ा ज़्यादा बोलता था लेकिन वो दिल का बहुत ही अच्छा इंसान था. वो हर वक़्त हर सिचुयेशन में हमे खुश रखता था. मैं धीरे-2 उसके करीब होने लगी थी. मुझे लगने लगा था कि तुषार के जाने से जो कमी मेरी ज़िंदगी में आई है वो कमी करण ज़रूर पूरी कर सकता है. यही रीज़न था कि मैं उसके करीब होती जा रही थी. मुझे ये भी पता था कि वो भी मुझे चाहता है मगर कभी ऐसा उसने मुझे महसूस नही होने दिया था. मैं चाहती थी कि वो जल्द से जल्द मुझे प्रपोज करे लेकिन वो बुढ़ू था कि कभी कुछ कहता ही नही था.


मैने आकाश को करण के बारे में बता दिया था वो भी बहुत खुश हुआ. वो भी करण को अच्छी तरह से जानता था. आकाश का मेरे साथ बिहेवियर वेसा ही था वो बस मौके की तलाश में रहता था कि कब मुझे पकड़ कर चोद सके. ऐसे ही एक दिन मैं सुबह कॉलेज के लिए रेडी हुई तो भाभी ने कहा कि आज बस से चली जाना क्योंकि भाभी को आज स्कूटी चाहिए थी. मैने आज रेड चुरिदार पहना था और बिल्कुल दुल्हन की तरह लग रही थी. महक आज नही आ रही थी. इसलिए मुझे अकेले ही जाना था. मैं बस स्टॉप पे पहुँच गई और बस का वेट करने लगी. तभी आकाश अपनी बाइक लेकर वहाँ से निकला. पहले वो आगे निकल गया लेकिन फिर वापिस आया और मेरे पास रुका और कहा.
आकाश-रीत आज स्कूटी कहाँ गयी.
मे-वो भाभी को चाहिए थी आज स्कूटी तो मैने सोचा बस से चली जाती हूँ.
आकाश-अरे बस से क्यों आओ बैठो ना.
मे-नही मैं चली जाउन्गी.
आकाश-मैने कहाँ ना जल्दी बैठो.
आख़िर मैं उसके साथ बैठ गई. मैं दोनो टाँगें एक साइड को करके बैठी थी. आकाश ने बाइक कॉलेज की तरफ दौड़ा दी. रास्ते में आकाश ने कहा.
आकाश-रीत क्यूँ ना किसी रेस्टौरेंट पे एक एक कप कॉफी हो जाए.
मे-ओके जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.
फिर उसने बाइक एक रेस्टौरेंट पे रोक दी और हम दोनो रेस्टौरेंट के अंदर चले गये. आकाश ने 2 कप कॉफी ऑर्डर की और फिर मुझसे कहा.
आकाश-रीत आज तो तुम दुल्हन ही लग रही हो.
मे-अच्छा जी.
आकाश-रीत आज मौका अच्छा है. कहो तो सुहागरात हो जाए.
मे-चुप करो तुम कहीं भी शुरू हो जाते हो.
फिर हमारी कॉफी आ गई और हम दोनो कॉफी पीने लगे.
आकाश-सोच लो रीत ऐसा मौका रोज़-2 नही मिलता.
मे-तुम प्लीज़ चुप रहोगे.
आकाश-अरे यार एक तो तुम्हारी ये जवानी है जो जीने नही देती उपर से तुम हो कि कुछ करने नही देती.
मैने सीरीयस होते हुए आकाश को कहा.
मे-देखो आकाश मेरी बात ध्यान से सुनो. मैं नही चाहती कि अब हमारे बीच ऐसा कुछ हो जिसकी वजह से मैं खुद को करण की नज़रों में गिरा हुआ महसूस करू.
आकाश-ओह तो माज़रा यहाँ तक पहुँच चुका है.
मे-हां आकाश प्लीज़ समझने की कोशिश करो मैं करण को चाहने लगी हूँ.
आकाश-देखो रीत मैं मानता हूँ कि तुम करण को प्यार करने लगी हो. लेकिन यार प्यार तो तुम तुषार को भी करती थी तब भी तो मैने तुम्हारे साथ सब कुछ किया ही था.
मे-तब बात और थी आकाश. उस टाइम मुझे प्यार का मतलब नही पता था. लेकिन अब हम बच्चे नही रहे मैं चाहती हूँ हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वो सब तुम भूल जाओ प्लीज़.
आकाश काफ़ी देर बिना कुछ बोले बैठा रहा और फिर बोला.
आकाश-ओके रीत जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा. लेकिन उसके लिए तुम्हे भी मेरी एक बात मान नी होगी.
मे-वो क्या.
आकाश-देखो रीत प्लीज़ ना मत करना. मैं आख़िरी बार तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ.
मे-उस से क्या होगा आकाश.
आकाश-प्लीज़ रीत आख़िरी बार वो भी आज ही. आज के बाद मैं कभी तुम्हे परेशान नही करूँगा.
मैने काफ़ी देर तक इस बात के उपर सोचा और आख़िरकार मैने उसे कहा.
मे-वादा करो कि आज के बाद तुम मुझे इस बात के लिए परेशान नही करोगे.
आकाश-यस प्रॉमिस डार्लिंग.
मे-ओके तो चलो. मगर हम लोग जाएँगे कहाँ.
आकाश-थॅंक्स रीत. तुम जगह की टेन्षन मत लो मैं करता हूँ इंतज़ाम.
आकाश ने अपना मोबाइल निकाला और अपने दोस्त को कॉल की और बात करने के बाद मुझे कहा.
आकाश-चलो जल्दी जगह का इंतज़ाम हो गया.
मे-मगर कहाँ.
आकाश-यार मेरा एक दोस्त है सुमित उसका फार्महाउस है वहाँ पे चलेंगे हम.
मे-वहाँ कोई और तो नही होगा ना.
आकाश-अरे नही यार हम दोनो के अलावा कोई नही होगा.
मे-ह्म्म्म .
फिर मैं और आकाश उसकी बाइक पे फार्महाउस की तरफ चल पड़े. शहर से बाहर करीब 10किमी की दूरी पे था सुमित का फार्महाउस. हम दोनो वहाँ पहुँचे तो वॉचमन को आकाश ने कहा.
आकाश-वो सुमित का फोन आया होगा.
वॉचमन-जी साहब. ये पाकड़ो चाबी. कोई और ज़रूरत हो तो बताना.
आकाश-नही बस थॅंक्स.
आकाश ने मुझे अंदर चलने का इशारा किया और मैं उसके साथ चल पड़ी. हम दोनो बेडरूम में आ गये और आकाश ने डोर लॉक किया और मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा. फिर वो मुझसे अलग हुआ और बोला.
आकाश-रीत मैं 2मिनट में आया.
और वो वॉशरूम में घुस गया. ये बाथरूम 2 रूम्स के साथ सेप्रेट था. शायद आकाश दूसरे रूम में गया था. 2मिनट बाद वो वापिस आया और मुझे गोद में उठाकर बेड के उपर लिटा दिया और खुद भी मेरे उपर लेट गया.
 
आकाश मेरे उपर लेटा हुआ था और उसके होंठ मेरे होंठों को चूस रहे थे. उसने बड़े ही प्यार से मेरे होंठों को चूमा और फिर अपने होंठ मेरे होंठों से उठाते हुए कहा.
आकाश-रीत तुम सच में बहुत मस्त चीज़ हो. बहुत मस्ती से चुदवाती हो तुम.
मे-लेकिन आज के बाद ये मस्त चीज़ आपके पास दुबारा कभी नही आएगी.
आकाश-इसी बात का तो गम है डार्लिंग. क्या ऐसा नही हो सकता कि तुम मुझसे भी चुदवाती रहो और करण के साथ भी अपना रीलेशन रखो.
मे-आकाश प्लीज़ तुमने वादा किया था. अब जल्दी करो जो करना है.
आकाश-आज जल्दबाजी नही दिखाउन्गा मैं आज तो जी भर के चोदुन्गा तुम्हे.
कहते हुए आकाश ने फिरसे अपने होंठ मेरे होंठों पे टिका दिए.
वो मेरे नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. कभी-2 वो होंठ पे बाइट भी कर देता. वो अब वाइल्ड तरीके से मेरे होंठ चूस रहा था. शायद आज सारा रस निकाल लेना चाहता था. फिर वो खुद नीचे आ गया और मुझे अपने उपर कर लिया और फिरसे मेरे होंठ चूसने लगा. मैं उसकी छाती पे उसकी तरफ चेहरा किए लेटी हुई थी. मेरे उरोज उसके सीने में धन्से हुए थे. उसके हाथ मेरे नितंबों को पाजामी के उपर से ही मसल रहे थे. मेरा पूरा शरीर उसकी हरकतों से गरम होता जा रहा था. आकाश ने मेरा कमीज़ पकड़ा और उसे उपर उठाने लगा. मैं थोड़ा उपर उठी और उसने मेरा कमीज़ मेरे शरीर से अलग कर दिया. अब उसने मेरी ब्रा के हुक्स भी खोल दिए और मेरी ब्रा ने मेरे उरोजो को उसकी आँखों के सामने खुला छोड़ दिया. आकाश ने अपने हाथों से मेरे दोनो उरोजो को पकड़ा और बुरी तरह से भींच दिया.
मे-आअहह क्या कर रहे हो दर्द हो रहा है.
आकाश-आज तो बहुत दर्द होगा डार्लिंग.
आकाश ने मुझे अब बेड के उपर लिटा दिया और फिर खुद बेड से उतर कर अपने कपड़े उतारने लगा. मेरे देखते ही देखते उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया. मैने देखा उसका शैतान पप्पू पूरा तना हुआ था और मुझे ही घूर रहा था. वो बेड के उपर आया मेरे चेहरे के पास बैठ गया और अपना लिंग मेरे होंठों पे घिसने लगा. उसका विशाल लिंग अपनी आँखों के इतना नज़दीक देख कर मेरा दिल घबराने लगा. मैने उसका लिंग हाथ में पकड़ा और अपने चेहरे से उसे दूर करते हुए कहा.
मे-प्लीज़ आकाश मूह में मत डालो. मैं मूह में नही लूँगी.
आकाश-क्यूँ डार्लिंग.
मे-देखो आकाश मैने तुम्हे और तुषार को अपना सब कुछ दे दिया सिर्फ़ ब्लोवजोब बची है जो कि मैं सिर्फ़ करण को देना चाहती हूँ.
आकाश ने मेरी बात सुनकर अपना लिंग मेरे होंठों से हटा लिया और वो मेरे पेट के उपर आ गया और अपना लिंग मेरे दोनो उरोजो के बीच घिसने लगा. मैं अपने दोनो उरोजो को उसके लिंग के उपर कसने लगी. अब उसका लिंग मेने दोनो उरोजो के बीच भींच रखा था. आकाश धीरे अपना लिंग आगे पीछे करने लगा. वो मेरे उरोजो को ही चोदने लगा था. मेरे उरोजो के बीच उसका लिंग घिस रहा था मेरे उरोज भी गरम हो गये थे उसके लिंग की रगड़ के कारण. फिर उसने अपना लिंग मेरे उरोजो से हटाया और नीचे जाकर मेरी टाँगों के उपर बैठ गया और एक ही झटके में मेरी पाजामी का नाडा खोल दिया और फिर उसे नीचे सरकने लगा. उसने मेरी रेड पाजामी सरका कर मेरी जांघों तक कर दी ये बहुत ही उतेजक दृश्य था मेरी लाल रंग की पाजामी जैसे-2 मेरी टाँगों से बाहर होती जा रही थी. वैसे ही मेरी गोरी जांघे बे-परदा होकर आकाश की आँखों के सामने आती जा रही थी. आकाश का लिंग मेरी गोरी जांघों को देखकर झटके खा रहा था. आकाश ने मेरी टाँगों को छत की तरफ उठा दिया और खुद बेड के उपर खड़े होते हुए मेरी पाजामी को मेरी टाँगों से बाहर कर दिया. अब मेरे जिस्म के उपर सिर्फ़ वाइट पैंटी थी. आकाश ने पैंटी को भी किनारों से पकड़ा और एक ही झटके में पैंटी को मेरे जिस्म से अलग कर दिया और उसे अपने नाक के पास लेजा कर सूंघने लगा. उसकी इस हरकत को देखकर मैं शरमा गई. फिर आकाश ने 2 पिल्लो उठाए और उन्हे मेरे नितंबों के नीचे रख दिया. मेरी दोनो टाँगों को खोल कर उसने अपने होंठ मेरी योनि के उपर रख दिए. उसके होंठ योनि पे महसूस होते ही मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया. वो अपनी जीभ को मेरी योनि के अंदर घुसाने लगा और उसे मेरे होंठों की तरह चूसने लगा. उसकी जीभ की हरकतों के आगे मेरी योनि ने हथियार डाल दिए और मेरी योनि ने अपना कामरस छोड़ दिया. आकाश मेरी योनि का सारा रस पी गया और फिर उसने पिल्लो'स को मेरे नितंबों के नीचे से निकाला और अपना लिंग मेरी योनि पे टिका दिया और फिर एक धक्के के साथ लिंग को अंदर घुसा दिया. उसका आधा लिंग अंदर घुस गया फिर उसने एक और धक्का लगाया और पूरा लिंग मेरी योनि में घुसा दिया. मेरे मूह से हल्की आहह निकली. आकाश ने मेरी टाँगों को अपने कंधों के उपर रखा और तेज़-2 मुझे चोदने लगा. उसका विशाल लिंग मेरी आँखों के सामने मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था. आकाश ने अपना लिंग बाहर निकाला और मुझे घुटनो के बल कर दिया और खुद मेरे पीछे जाकर अपना लिंग मेरी योनि में पेल दिया. मस्ती भरी आहें पूरे रूम में सुनाई दे रही थी. अब आकाश की पकड़ मेरे उपर मज़बूत हो गई और वो तेज़-2 मुझे चोदने लगा. उसके लिंग ने पानी छोड़ दिया और उसके साथ ही साथ मेरी योनि भी पानी छोड़ने लगी. वो निढाल होकर मेरी साइड में लेट गया. मैं भी उसकी तरफ चेहरा करे उसके साथ लिपट कर लेट गई.
कंटिन्यू..........
 
मैं आकाश के साथ लिपट कर लेट गई. आकाश ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने मुरझाए हुए लिंग के उपर रखते हुए कहा.
आकाश-इसे फिर से तयार करो डार्लिंग.
मे-अब चलो ना घर बहुत टाइम हो चुका है.
आकाश ने मेरे होंठ चूस्ते हुए कहा.
आकाश-इतनी जल्दी नही डार्लिंग आज तो तुम्हारे पीछे वाले छेद की ओपनिंग भी करनी है. याद है ना मेरा चॅलेंज.
मे-ना बाबा ना पीछे नही प्लीज़ आकाश फिर कभी.
आकाश-अरे फिर कभी तो हम मिलेंगे ही नही जो होगा आज ही होगा.
मे-प्लीज़ आकाश रहने दो ना बहुत दर्द होगा.
आकाश-डार्लिंग तुम डरो मत मैं आराम से करूँगा. अब जल्दी से मेरे पप्पू को रेडी करो.
मैने देखा उसके लिंग में तनाव आने लगा था. मैं अब उसकी छाती के उपर आ गई और अपने होंठ उसके होंठों के उपर रख दिए और चूसने लगी. उसके लिंग में अब तनाव आ रहा था जो कि मेरी जांघों के बीच मुझे महसूस हो रहा था. मैं थोड़ा नीचे आई और अपने होंठ आकाश की विशाल छाती के उपर रख दिए और उसकी छाती पे अपने होंठ घुमाने लगी. अब उसका लिंग पूरा तन चुका था और मेरी योनि के साथ बार-2 टकरा रहा था. आकाश ने मुझे कंधो से पकड़ा और अपने उपर खींच लिया. और अपने होंठ मेरे होंठों पे टिका दिए और नीचे हाथ लेजा कर अपना लिंग फिरसे मेरी योनि के उपर सेट कर दिया और नीचे से एक जोरदार धक्का दिया और पूरा लिंग फिरसे मेरी योनि में पहुँचा दिया. वो नीचे से धक्के लगाने लगा और उसका लिंग मेरी योनि में फिरसे अंदर बाहर होने लगा. उसके हाथ मेरे नितंबों के उपर थे और वो ज़ोर ज़ोर से मेरे नितंब मसल रहा था. उसकी एक उंगली मुझे अपने गुदा द्वार पे महसूस हो रही थी. वो धीरे-2 मेरे पीछे वाले छेद को रगड़ रहा था. उसने अचानक एक उंगली मेरे छेद में घुसा दी. मेरे मूह से एक चीख निकल गई और मैं उचक कर उसके उपर से उठ गई.

मे-प्लीज़ आकाश मान भी जाओ बहुत दर्द होगा.

आकाश अब बेड के उपर लेटा हुआ था और मैं उसके लिंग के उपर बैठी थी. आकाश ने मुझे बैठे-2 उपर नीचे होने को कहा. मैं उसके लिंग के उपर उछलने लगी. मैं जब उपर को उठती तो उसका लिंग मेरी योनि से बाहर आ जाता है और जब नीचे जाती तो फिरसे उसका लिंग मेरी योनि में समा जाता. मैं अब तक कर फिरसे आकाश के सीने के उपर लेट गयी और उसके लिंग के उपर उछलना बंद कर दिया. उसका लिंग अभी भी मेरे अंदर ही था. आकाश ने मुझे अपने उपर से नीचे उतार दिया और मुझे घुटनो के बल कर दिया. वो मेरे पीछे आया और अपना लिंग मेरे पीछे वाले छेद पे घिसने लगा.
मेरा दिल उसका लिंग पिछले छेद पे महसूस करके घबरा गया. मैने एक दफ़ा फिरसे उसे रिक्वेस्ट की.
मे-आकाश प्लीज़ रहने दो ना.

आकाश ने मेरी बात पे ध्यान ही नही दिया और वो अपने लिंग का दवाब मेरे छेद के उपर बढ़ाने लगा. मगर इतना बड़ा लिंग छोटे से छेद में जाए तो जाए कैसे. आकाश को काफ़ी मुश्क़िल हो रही थी मगर वो कहाँ पीछे हटने वाला था. उसने मेरी कमर को मज़बूती से थाम लिया. मुझे अहसास हो गया था कि अब कुछ होने वाला है. फिर उसने एक जोरदार धक्का दिया और उसके लिंग का सुपाडा मेरे च्छेद में घुस गया. जैसे ही उसका सुपाडा मेरे छेद में घुसा तो मेरी दर्दनाक चीख पूरे फार्म-हाउस में गूँज़ उठी. मेरी आँखें बाहर निकल आई और आँखों से आँसू भी निकल आए. मैं पूरे ज़ोर के साथ आगे को हुई और आकाश की गिरफ़्त से बाहर निकल गई और उसका लिंग भी मेरे छेद से बाहर निकल गया और मैं बेड के उपर सीधी होकर बैठ गई और रोते हुए कहने लगी.

मे-आकाश प्लीज़ मुझे जाने दो. तुम्हारा ये बहुत बड़ा है ये नही जाएगा अंदर.

मगर आकाश मुझे छोड़ने के मूड में नही था. वो मेरे पास आया और मुझे बाहों में भरता हुआ बोला.
आकाश-डार्लिंग प्लीज़ पहले-2 दर्द होगा बाद में तुम्हे भी मज़ा आएगा.

और उसने फिरसे मुझे उसी पोज़िशन में झुका दिया. आकाश ने फिरसे अपना औज़ार सेट किया और हल्के दवाब के साथ फिरसे अपना सुपाडा मेरे छेद में घुसा दिया. अब वो हल्के-2 धक्के देने लगा जिसकी वजह से उसका लिंग धीरे-2 मेरे छेद में घुसने लगा. उसका आधा लिंग मेरे छेद में घुस चुका था. मेरी तो साँसें अटक गई थी और गला सूख रहा था. मेरा पूरा चेहरा मेरे आँसुओं से भीग गया था और पूरा कमरे में मेरे रोने की आवाज़ सुनाई दे रही थी. अब आकाश ने एक और जोरदार धक्का दिया और उसका लिंग मेरे गुदा द्वार को चीरता हुआ अंदर चला गया और मेरी चीखें पूरे कमरे में गूँज़ उठी. मैं छटपटा रही थी मगर आकाश ने मज़बूती से मुझे थाम रखा था. मैं रोती हुई उसे कह रही थी.

मे-आकाश भगवान के लिए इसे बाहर निकाल लो प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है. प्लीज़ आकाश मैं मर जाउन्गी दर्द से.

मगर आकाश जानता था की अगर अब उसने मुझे छोड़ दिया तो कभी उसे मौका नही मिलेगा. अब वो धीरे-2 वो अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा था. धीरे-2 उसके धक्के तेज़ होते जा रहे थे. मैने मज़बूती से चद्दर को पकड़ रखा था और अपना चेहरा बेड में घुसा रखा था. मुझसे दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था. अब आकाश भी अपनी चरम सीमा पे पहुँच चुका था और उसने मुझे मज़बूती से थाम लिया और मेरे पीछे वाले छेद में ही उसने अपना सारा काम रस निकाल दिया. जैसे ही उसने अपना लिंग बाहर निकाला तो मुझे थोड़ी राहत मिली. उसका लिंग मेरे खून से सना हुआ था. उसने मेरी पैंटी उठाई और अपना लिंग सॉफ करने लगा.

आकाश ने मेरी पैंटी उठाई और अपना लिंग उसके साथ सॉफ करने लगा. फिर मेरे नितंबों के उपर लगे खून को भी उसने मेरी पैंटी के साथ सॉफ किया. मेरी वाइट पैंटी के उपर खून के निशान पड़ गये थे. आकाश ने मेरी पैंटी को चूमा और फिर मुझे बाहों में भरकर मेरे होंठ चूमने लगा. उसने अपने होंठ वापिस खींचे और कहा.
आकाश-तुम बहुत सेक्सी हो रीत. जो भी तुम से शादी करेगा बहुत लकी होगा.
मे-उम्म्म अब छोड़ो भी मुझे नहाना है.
 
मैं उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी मगर मुझे चलने में बहुत मुश्क़िल हो रही थी. आकाश मेरे पास आया और मुझे उठाकर वॉशरूम में छोड़ आया. नहाने के बाद मुझे थोड़ी राहत मिली. मैं बाहर आई और अपने कपड़े पहन ने लगी. पैंटी तो आकाश ने अपने पास रख ली थी. मैने बाकी के कपड़े पहने और आकाश को चलने के लिए कहा. शाम को 4 बजे मैं घर पहुँची. मैं धीरे-2 चलती हुई घर के अंदर गयी. भाभी सामने ही बैठी थी. वो मुझे ऐसे चलते हुए देखने लगी. मैं भाभी से नज़र चुराते हुए अपने रूम में आ गई और बेड पे लेट गयी. मेरे पीछे-2 भाभी भी रूम में आई और आकर मेरे बेड के पास खड़ी हो गयी और कमर पे हाथ रखकर गुस्से से बोली.
करू-रीतू कहाँ से आ रही है.
मे-भाभी कॉलेज से.
करू-तुम्हारी चाल देखकर लग नही रहा.
मे-क्यूँ मेरी चाल को क्या हुया.
भाभी मेरे पास बैठ गई और मेरे गले में बाहें डालकर बोली.
करू-सच-2 बता कहाँ मूह काला करवा के आई है.
मुझे भाभी की इस बात पे गुस्सा आया और मैने अपना मूह फेर लिया.
करू-ओह हो मेरी स्वीतू नाराज़ हो गई. अरे मैं तो मज़ाक कर रही हूँ. अच्छा मेरे सर पर हाथ रख कर बोल कि तू आज कॉलेज ही गयी थी.
अब तो मैं फस चुकी थी.
मे-वो भाभी....मैं...वो...
करू-तू बताती है या लगाऊ एक.
मे-भाभी मैं आपके नंदोई के साथ गई थी.
करू-क्या...मुझे तो आज तक बताया नही तूने.
मे-आपने पूछा ही नही.
करू-अच्छा छोड़. मुझे लगता है आज तो कुछ करवा के आई है तू.
मैने बस जवाब में अपना सर हिला दिया.
करू-कलमूहि. बहुत आगे निकल गयी है तू. चिलकोज़ू को बोलकर तेरी शादी करवानी पड़ेगी.
मे-भाभी अब जाओ आप मैं थक गयी हूँ.
करू-हां-2 जाती हूँ तू ज़रूर बदनाम करेगी हम सब को.
भाभी वहाँ से चली गयी लेकिन भाभी की कही हुई बात मेरे दिल पे लगी जाकर.
क्या सचमुच मैं ग़लत जा रही हूँ. भाभी ने तो वो बात मज़ाक में कही थी मगर जाने-अंजाने में कही भाभी की ये बात बहुत बड़ी बात थी. आज आकाश के साथ सेक्स करने के बाद मुझे महसूस हो रहा था कि आकाश के साथ जाकर मैने करन को धोखा दिया है. शायद ये प्यार था जो कि मुझे शर्मिंदा होने पर मजबूर कर रहा था. मैने अब सोच लिया था कि आज के बाद किसी के साथ ऐसा कुछ नही करूँगी जिसकी वजह से मुझे शर्मिंदा होना पड़े.


अब मुश्क़िल एक ही थी कि मैं कारण के साथ अपना रिश्ता आगे कैसे बढ़ाऊ. उसका भी एक प्लान आख़िरकार मैने तयार कर ही लिया था. कॉलेज में तो हमे मौका नही मिलता था कभी एक दूसरे के साथ इस लेवेल की बात करने का तो मैने सोचा था कि क्यूँ ना करण के साथ कही बाहर जाया जाए. यहाँ सिर्फ़ मैं और करण हो और मैं आसानी से उसे अपनी दिल की बात कर सकूँ. एक दिन मुझे ये मौका भी मिल ही गया. आज कॉलेज में ज़्यादातर लेक्चर फ्री थे तो करण ने कहा की क्यूँ ना कही घूमने चले. आकाश और महक तो पहले से ही कही जाने के लिए रेडी थे. शायद आकाश महक को सुमित के फार्म-हाउस पे लेजाने वाला था तो मैं और करण ही बाकी बचे थे. आकाश और महक के जाने के बाद मैने करण को कहा.

मे-करण क्यूँ ना तुम्हारे घर चलें. इसी बहाने मैं तुम्हारा घर भी देख लूँगी और टाइम भी पास हो जाएगा.
करण-क्यूँ नही मोहतार्मा ज़रूर.
करण के घर दिन में कोई नही होता था. उसके मम्मी पापा गँवरमेंट. जॉब करते थे न्ड उसका एक भाई था जो कि स्कूल में होता था.

मैं कारण के साथ उसकी बाइक पे बैठ गई और हम उसके घर की तरफ चल पड़े. 20मिनट के सफ़र के बाद हम उसके घर पहुँच गये. कारण ने मुझे पानी दिया और फिर मुझे अपना सारा घर घुमाया. बहुत ही शानदार घर था उसका. आख़िर में वो मुझे अपने रूम में ले गया और मैने देखा बहुत ही अच्छे तरीके से उसने अपना रूम सजाया था. हर एक चीज़ यहाँ होनी चाहिए थी वही थी. मैं उसके बेड के उपर बैठ गई और करण भी मेरे साथ बैठ गया. काफ़ी देर हमारे बीच खामोशी छाई रही और आख़िरकार हम दोनो एक साथ बोल उठे.

'मैं तुमसे कुछ कहना चाहता/चाहती हूँ'
हम दोनो मुस्कुराए और मैने कहा.
मे-अच्छा तो पहले तुम कहो.
करण-नही-2 पहले तुम.
मे-मैने कहा ना पहले तुम.
करण-देखो लॅडीस ऑल्वेज़ फर्स्ट.
मे-अच्छा तो मैं अब तुम्हे लेडी दिखने लगी.
करण-अरे सॉरी बाबा चलो गर्ल्स ऑल्वेज़ फर्स्ट. ये ठीक है.
मे-अच्छा ठीक है ऐसा करते हैं हम दोनो एक साथ बोलते हैं.
करण-ओके.
मे-चलो 1, 2, 3,
'आइ लव यू'
हम दोनो के होंठों में से यही वर्ड निकले. मुझे करण की बात का यकीन नही हो रहा था और करण को मेरी. उसने मेरे हाथ पकड़े और मेरी बाहें अपने गले में डाल दी और फिर अपनी बाहें मेरे गले में डालकर बोला.
करण-एक दफ़ा फिर से कहो रीत.
मे-आइ लव यू करण.
करण-आइ लव यू टू रीत.
फिर उसके होंठ मेरे होंठों के नज़दीक आते गये और पता ही नही चला कब हमारे होंठ एक हो गये.
 
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