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अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग-1
गाँव में घुसते ही एक इमली का पेड़ पड़ता था. उस पेड़ के पास से गुजरने वालो को अक्सर एक लड़की उस इमली के पेड़ के नीचे खड़ी, बैठी. या काम करती दिखाई पड़ती थी. नाम था कोमल. कोमल दिखने में मोहल्ले की अन्य लड़कियों से खूबसूरत थी.
लम्बाई भी औसत थी. उम्र कोई अठारह के आस पास. भरा हुआ बदन. कजरारी आँखें. कजरारी इतनी कि कभी कभी लगता था कि काजल की पूरी डिबिया आँखों में लगा डाली है.
कोमल को सजने सवरने का बहुत शौक था. कभी कभी सजने में घंटों लगा देती थी. पीछे से उसकी बड़ी बहन देवी चिल्लाती, “क्या आज ही सब सिंगार कर डालोगी राजकुमारी जी."
कोमल कुछ न बोलती बस अपना सुंगार करने में लगी रहती थी. और सच कहा जाय तो कोमल के सजने सवरने का ही परिणाम था कि वह मोहल्ले की सबसे खूबसूरत लडकी थी. नाक लम्बी और पतली थी. जिसमे गोल नथुनी सोने पे सुहागा लगती थी. पतले गोरे कान जिनमे सोने के सादा कुंडल किसी भी सुन्दरी को लजाने के लिए काफी थे.
ऐसा नही कि कोमल बहुत ज्यादा सुन्दर थी लेकिन गाँव में अपनी उम्र की लड़कियों में बह अधिक सुंदर थी. सबसे हंसकर बातें करना तो जैसे उसकी खुराक थी. जब तक सारे मोहल्ले के घरों में जाकर उनके चौका चूल्हे का हाल न जान लेती उसे चैन न पड़ता था.
ये छोटा सा गाँव था भी बहुत प्यारा, मुश्किल से पच्चीस घर थे इस प्यारे से गाँव में कोमल का मोहल्ला तो सिर्फ चंद घरों से घिरा था. सारे घरों के लोग एकदूसरे से एक परिवार की तरह जुड़े हुए थे. फिर इस गाँव की लडकी कोमल ही पीछे क्यों रहती? वो भी मोहल्ले में अपनी प्यार मोहब्बत लुटाती फिरती थी.
कोमल पास के ही एक गाँव के इंटर कॉलेज में पढने जाती थी. उसकी बड़ी बहन देवी भी उसी के साथ उसी की क्लास में पढ़ती थी. दोनों बहन होने के साथ साथ सहेलियां भी थी. वो सहेलियां जो एक दूसरे से अपने मन की बात कह सुन लेती हैं. दोनों को एक दूसरे के गुण और कमियां मालुम थीं.
होली हो, दिवाली हो या कोई आम दिन. कोमल की मौज मस्ती मोहल्ले वालो के साथ रोज चालू रहती थी.अगर कोमल एक दिन के लिए भी कहीं चली जाती तो मोहल्ले को लगता कि उनके मोहल्ले से कुछ तो गायब है.
इसी मोहल्ले में एक शांत लडका छोटू भी रहता था. उम्र कोई बारह तेरह साल के आस पास रही होगी. कोमल से उसका कोई लेना देना नही था लेकिन वो कोमल के प्रशंसकों में से एक था. वो कोमल के घर से मट्ठा ले कर आता था और कोमल उसके नल से पानी. छोटू के घर का नल मोहल्ले के लिए सरकारी नल की तरह था. कोमल भी इस बात का फायदा उठाती थी. छोटू और कोमल में जमकर बातें होती थी. पढाई से लेकर शादियों की दावतों तक.
कोमल अपनी इमली के पेड़ से छोटू के लिए इमली तोड़ कर दे दिया करती थी और बदले में उससे हरी मेहँदी के पत्ते तोड़कर लाने को कहती.
छोटू अपने स्कूल से आते वक्त कोमल के लिए मेहँदी के हरे पत्ते तोड़ कर ले आता था.
भाग-1
गाँव में घुसते ही एक इमली का पेड़ पड़ता था. उस पेड़ के पास से गुजरने वालो को अक्सर एक लड़की उस इमली के पेड़ के नीचे खड़ी, बैठी. या काम करती दिखाई पड़ती थी. नाम था कोमल. कोमल दिखने में मोहल्ले की अन्य लड़कियों से खूबसूरत थी.
लम्बाई भी औसत थी. उम्र कोई अठारह के आस पास. भरा हुआ बदन. कजरारी आँखें. कजरारी इतनी कि कभी कभी लगता था कि काजल की पूरी डिबिया आँखों में लगा डाली है.
कोमल को सजने सवरने का बहुत शौक था. कभी कभी सजने में घंटों लगा देती थी. पीछे से उसकी बड़ी बहन देवी चिल्लाती, “क्या आज ही सब सिंगार कर डालोगी राजकुमारी जी."
कोमल कुछ न बोलती बस अपना सुंगार करने में लगी रहती थी. और सच कहा जाय तो कोमल के सजने सवरने का ही परिणाम था कि वह मोहल्ले की सबसे खूबसूरत लडकी थी. नाक लम्बी और पतली थी. जिसमे गोल नथुनी सोने पे सुहागा लगती थी. पतले गोरे कान जिनमे सोने के सादा कुंडल किसी भी सुन्दरी को लजाने के लिए काफी थे.
ऐसा नही कि कोमल बहुत ज्यादा सुन्दर थी लेकिन गाँव में अपनी उम्र की लड़कियों में बह अधिक सुंदर थी. सबसे हंसकर बातें करना तो जैसे उसकी खुराक थी. जब तक सारे मोहल्ले के घरों में जाकर उनके चौका चूल्हे का हाल न जान लेती उसे चैन न पड़ता था.
ये छोटा सा गाँव था भी बहुत प्यारा, मुश्किल से पच्चीस घर थे इस प्यारे से गाँव में कोमल का मोहल्ला तो सिर्फ चंद घरों से घिरा था. सारे घरों के लोग एकदूसरे से एक परिवार की तरह जुड़े हुए थे. फिर इस गाँव की लडकी कोमल ही पीछे क्यों रहती? वो भी मोहल्ले में अपनी प्यार मोहब्बत लुटाती फिरती थी.
कोमल पास के ही एक गाँव के इंटर कॉलेज में पढने जाती थी. उसकी बड़ी बहन देवी भी उसी के साथ उसी की क्लास में पढ़ती थी. दोनों बहन होने के साथ साथ सहेलियां भी थी. वो सहेलियां जो एक दूसरे से अपने मन की बात कह सुन लेती हैं. दोनों को एक दूसरे के गुण और कमियां मालुम थीं.
होली हो, दिवाली हो या कोई आम दिन. कोमल की मौज मस्ती मोहल्ले वालो के साथ रोज चालू रहती थी.अगर कोमल एक दिन के लिए भी कहीं चली जाती तो मोहल्ले को लगता कि उनके मोहल्ले से कुछ तो गायब है.
इसी मोहल्ले में एक शांत लडका छोटू भी रहता था. उम्र कोई बारह तेरह साल के आस पास रही होगी. कोमल से उसका कोई लेना देना नही था लेकिन वो कोमल के प्रशंसकों में से एक था. वो कोमल के घर से मट्ठा ले कर आता था और कोमल उसके नल से पानी. छोटू के घर का नल मोहल्ले के लिए सरकारी नल की तरह था. कोमल भी इस बात का फायदा उठाती थी. छोटू और कोमल में जमकर बातें होती थी. पढाई से लेकर शादियों की दावतों तक.
कोमल अपनी इमली के पेड़ से छोटू के लिए इमली तोड़ कर दे दिया करती थी और बदले में उससे हरी मेहँदी के पत्ते तोड़कर लाने को कहती.
छोटू अपने स्कूल से आते वक्त कोमल के लिए मेहँदी के हरे पत्ते तोड़ कर ले आता था.