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- Dec 5, 2013
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जब आप इसके गाँव दूध लेने गये थे. पापा में जानता हूँ कि हम जाति से तेली हैं और कोमल जाति से ठाकुर. समाज में हम कोमल की जाति से छोटे हैं लेकिन पापा में आपकी कसम खाकर कहता हूँ कोमल के मन में ऐसी उंच नीच की कोई बात नही है.
पापा अब कोमल आप की बहू की तरह है. जिसे आप को स्वीकारना ही होगा. मुझे पता है कि मेरी शादी अपने हाथ से करने का आपका सपना था लेकिन क्या करूँ पापा मेरी वजह से आपका ये सपना सपना ही रह गया. मुझे आपको छोड़ कर जाने में बहुत दुःख हो रहा है.
क्या करूँ पापा मेरा दिल बड़ा बेईमान निकला जो मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर कर गया. मुझे ये भी पता था कि हो सकता है कि कोमल के घर के लोग आकर आपसे बदतमीजी करेंगे लेकिन आप आप उनसे ज्यादा कुछ न कहियेगा. क्योंकि जिसकी लडकी ऐसा करती है उसके घरवालों की ऐसी हरकत जायज है.
और अंत में, पापा मुझे पता नही में कब आपसे मिल पाउँगा? लेकिन आप हमेशा मेरे पापा ही रहोगे. मुझे जब भी पाओगे ऐसा ही पाओगे. में आज भी तुम्हारा राज हूँ कल भी तुम्हारा ही रहूँगा. मुझे मेरी गलतियों के लिए हमेशा क्षमा करने वाले पापा, मुझे उम्मीद है आज भी आप क्षमा कर दोगे? तुम्हारा क्षमायोग्य बेटा. राज."
खत खत्म होते होते राज के बाप ने मुंह पर हाथ रख लिया. बूढी आखों से आंसू वह रहे थे. फिर रुंधे गले से बोले, “तुम ये क्या कर गये बेटा? किसी की लडकी को लेकर भागना अच्छे लोगों का काम नहीं है."
राज के बाप को पता था कि अब क्या होगा? उसे पता था कि अगर उसकी लडकी होती तो वो क्या करता? वो भी वही करता जो कोमल के घरवाले अब करेंगे. गाँव बस्ती में रहने वाला हर बाप भी वही करता, चाहे वह किसी भी जाति का हो या किसी भी धर्म का. सबको अपनी इज्जत प्यारी होती है. और गाँव में तो सिर्फ इज्जत ही है जो आदमी के पास होती है. यहाँ कोई शहर थोड़े ही है जो चोरी हो जाए और पडोसी को ही पता न चल पाए.
राज के बाप को अपना जमाना याद आ रहा था जब उसको अपने ही गाँव की जमुना से प्यार हुआ था. भागना तो दूर मुंह से बोल तक नहीं पाए थे. जमुना इन्हें देख कर हंसती और ये जमुना को देखकर. काफी बार अकेले खेतों पर मिले लेकिन मजाल थी की जरा भी उंच नीच हो जाती. बल्कि अकेले में तो और ज्यादा डर लगता था. जमुना की शादी हो गयी और इधर राज के बाप की भी शादी हो गयी. परन्तु कभी भी एक दूसरे से इजहार न कर सके.
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पापा अब कोमल आप की बहू की तरह है. जिसे आप को स्वीकारना ही होगा. मुझे पता है कि मेरी शादी अपने हाथ से करने का आपका सपना था लेकिन क्या करूँ पापा मेरी वजह से आपका ये सपना सपना ही रह गया. मुझे आपको छोड़ कर जाने में बहुत दुःख हो रहा है.
क्या करूँ पापा मेरा दिल बड़ा बेईमान निकला जो मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर कर गया. मुझे ये भी पता था कि हो सकता है कि कोमल के घर के लोग आकर आपसे बदतमीजी करेंगे लेकिन आप आप उनसे ज्यादा कुछ न कहियेगा. क्योंकि जिसकी लडकी ऐसा करती है उसके घरवालों की ऐसी हरकत जायज है.
और अंत में, पापा मुझे पता नही में कब आपसे मिल पाउँगा? लेकिन आप हमेशा मेरे पापा ही रहोगे. मुझे जब भी पाओगे ऐसा ही पाओगे. में आज भी तुम्हारा राज हूँ कल भी तुम्हारा ही रहूँगा. मुझे मेरी गलतियों के लिए हमेशा क्षमा करने वाले पापा, मुझे उम्मीद है आज भी आप क्षमा कर दोगे? तुम्हारा क्षमायोग्य बेटा. राज."
खत खत्म होते होते राज के बाप ने मुंह पर हाथ रख लिया. बूढी आखों से आंसू वह रहे थे. फिर रुंधे गले से बोले, “तुम ये क्या कर गये बेटा? किसी की लडकी को लेकर भागना अच्छे लोगों का काम नहीं है."
राज के बाप को पता था कि अब क्या होगा? उसे पता था कि अगर उसकी लडकी होती तो वो क्या करता? वो भी वही करता जो कोमल के घरवाले अब करेंगे. गाँव बस्ती में रहने वाला हर बाप भी वही करता, चाहे वह किसी भी जाति का हो या किसी भी धर्म का. सबको अपनी इज्जत प्यारी होती है. और गाँव में तो सिर्फ इज्जत ही है जो आदमी के पास होती है. यहाँ कोई शहर थोड़े ही है जो चोरी हो जाए और पडोसी को ही पता न चल पाए.
राज के बाप को अपना जमाना याद आ रहा था जब उसको अपने ही गाँव की जमुना से प्यार हुआ था. भागना तो दूर मुंह से बोल तक नहीं पाए थे. जमुना इन्हें देख कर हंसती और ये जमुना को देखकर. काफी बार अकेले खेतों पर मिले लेकिन मजाल थी की जरा भी उंच नीच हो जाती. बल्कि अकेले में तो और ज्यादा डर लगता था. जमुना की शादी हो गयी और इधर राज के बाप की भी शादी हो गयी. परन्तु कभी भी एक दूसरे से इजहार न कर सके.
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