Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी - Page 4 - SexBaba
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Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी

देवी पहले तो कुछ सोचने लगी. उसका मन करता था राज से कह दे की कोमल की तबियत खराब है लेकिन उसने गुस्से के लहजे में राज से कहा, "देख राज तू अपने काम से काम रखा कर. तू यहाँ दूध लेने आता है इसलिए चुपचाप दूध लेकर चला जाया कर. कौन आया और कौन नही आया इससे तुझे क्या मतलब?


और हाँ आज के बाद अगर तू रास्ते में मुझे मिला तो तेरी शिकायत में अपने पापा से कर दूंगी. समझा. साथ ही मेरी बहन से तू जितनी दूर रह सके उतना तेरे लिए भी अच्छा है और मेरी बहन के लिए भी. मुझे पता है तूने उसे पागल बनाकर अपने जाल में फंसा लिया है इसलिए आज कान खोल कर सुन ले. मुझे अगर तू उसके आसपास भी नजर आया तो तेरी खैर नही."


देवी की बातें राज को अंदर तक झकझोर गयीं थीं. उसे लग रहा था जैसे देवी उसके सीने पर तलवार से वार करती जा रही है. उसे नहीं पता था कि देवी को उन दोनों के बारे में कैसे पता चला? लेकिन आज उसके लिए देवी को ये बताने का सबसे अच्छा मौका था कि वो कोमल को सच्चा प्यार करता है.


इतना सोच वह देवी के पैरों में गिर गया और गिडगिडाता हुआ आज गिडगिडा रहा था. ____ परन्तु राज की इसमें कोई गलती नहीं थी. जब से कोमल उसके मन को भायी तब से सबकुछ डांवाडोल हो गया था. लोग राज के बेपरवाही का फायदा उठा दूध में अनाप सनाप पानी मिलाने लगे थे. और धीरे धीरे उसकी नौकरी पर मुसीबत आखड़ी हुई. लोगों को राज की चिन्ता, उदासी और मोहब्बत से क्या मतलब? उन्हें क्या करना था राज की परेशानी से. उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना था. उन्हें तो दूध में पानी मिला बेईमानी से पैसा कमाना था.


राज अपने घर लौट आया लेकिन आज वो उस रास्ते पर कोमल का इन्तजार करने नही गया जहाँ वह काफी दिनों से अपनी पलकें बिछाए उस दिल की मुराद कोमल का इन्तजार करता था. आज देवी ने उसे जो चेतावनी दी थी उसका असर राज के दिल पर पत्थर की लकीर जैसा हो गया था. किन्तु उसका दिल नही मानता था. वो तो चाहता था कि कोमल हरएक पल उसके पास रहे.

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इधर कोमल घर से स्कूल के लिए अपनी बहन देवी के साथ उसी रास्ते पर आ पहुंची लेकिन आज राज नाम का वो सुहाना लड़का इस रास्ते पर नही था. कोमल को लग रहा था कि वो कोई सपना देख रही है. क्योंकि इस रास्ते पर राज का न होना सिर्फ सपने में ही हो सकता था.


कोमल को लगता था कि ऐसा कोई दिन नही होगा जिस दिन राज इस रास्ते पर उसे देखने नही आएगा. क्योंकि राज जब से कोमल पर फ़िदा हुआ था तब से आज तक एक भी दिन ऐसा न गया था जब राज यहाँ न आया हो. चाहे वो बरसात का दिन हो और आंधी का या कडकती धूप और सर्दी का. या फिर कोमल के न आ पाने.

राज बोला, "देवी बहन में अपनी सौगंध खाकर कहता हूँ कि में कोमल से अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ. भगवान कसम अगर वो मुझे नही मिली तो में जी नही पाऊंगा. आप कोमल की बहन हो. आप को अच्छी तरह पता होगा कि वो भी मुझे किस कदर चाहती है? मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि आप हम दोनों से हमारा हक न छिनिये. में आपके पैर पड़ता हूँ. मेरी जिन्दगी अब आप के हाथों में है. आप चाहो तो..."


राज आगे कुछ कहता उससे पहले ही देवी वहां से चली गयी. राज मायूस हो वहां से चल दिया. पूरे गाँव का दूध इकठ्ठा कर गाँव से चला गया. आज राज जब डेयरी पर पहुंचा तो डेयरी मालिक ने उसे तलब कर कहा, “क्यों रे मोहना. आजकल दूध ला रहा है कि पानी? कल परसों के दूध में आधे से ज्यादा पानी आया है. अब तू देख ले आज के दूध में भी पानी निकला तो यहाँ से तेरी छुट्टी पक्की समझ."


राज को अपनी नौकरी जाने का इतना डर नहीं था जितना कि कोमल के गाँव न जा पाने का. अगर इस नौकरी से छुट्टी हो गयी तो कोमल के गाँव कैसे जा पाया करेगा और जाएगा भी तो किसी के पूछने पर क्या काम बतायेगा? राज इतना सोच डेयरी मालिक से गिडगिडाता हुआ बोला, "ऐसा न करना मालिक. मुझे इस नौकरी की सख्त जरूरत है. में और अच्छे से काम करूँगा. आगे से ध्यान रखूगा कि कोई भैंस वाला दूध में पानी न मिलाने पाए."


डेयरी मालिक को भी लग रहा था कि राज में बहुत बदलाव आ गया है. पहले राज बड़े अच्छे तरीके से काम करता था. उसके लाये हुए दूध में सबसे कम पानी होता था या होता ही नहीं था. लेकिन अभी कई दिनों से पानी का प्रतिशत एकदम से बढ़ गया था. पहले राज नौकरी को लेकर कोई निवेदन नहीं करता था लेकिन आज तो दिन भी सही था. मौसम भी सही था.

कोमल भी आई थी तो फिर राज क्यों नहीं आया? कोमल का दिल किसी अनजानी आशंका से ग्रस्त हो उठा. वो सोच रही थी कि कहीं राज के साथ कोई बात तो नही हो गयी या राज उससे नाराज तो नही हो गया. कोमल का दिल, मन और दिमाग इस राज विहीन रास्ते पर चलते घबरा रहा था.


कोमल को लगता था कि ये वो रास्ता नही है जिसपर वो रोज आती है. जिस पर उसका स्कूल पड़ता है और जिस पर रोज राज उसके इन्तजार में पलकें बिछाए मिलता है. दिल रोया और खूब रोया. मन इस दिल पर मर मिटा. दिमाग ने दिल की तरह सोचना बंद कर राज को याद करना शुरू कर दिया.

हे भगवान! रास्ता कितना वीराना सा लग रहा था. रास्ता कितना वेगाना सा लग रहा था. लगता था बर्षों से इस रास्ते पर कोई इंसान नहीं आया है या ये रास्ता इतना भयानक है कि कोई इस पर आना ही नहीं चाहता. एक राज के न आने से कोमल को ये रास्ता इतना मनहूस लग रहा था. और कोमल ही नही उसकी बड़ी बहन देवी भी इस बुनियादी फर्क को महसूस कर रही थी. उसे आज लग रहा था कि राज के रास्ते पर होने से यहाँ कितनी रौनक होती थी.

देवी को अपने द्वारा सुबह राज से किया वर्ताव याद आ गया था. अब देवी उस घटना को याद कर अपने आप को धिक्कार रही थी. लेकिन देवी भी क्या करती? उसकी आँखों ने गाँव में पहले भी मोहब्बत करने वालों को मिटते देखा था और इसी कारण वो नहीं चाहती थी कि आज कोमल और राज के साथ ऐसा कुछ हो.
 
ये खाली रास्ता कोमल के लिए वैसा ही था जैसा इंसानों के विना दुनियां. जैसे किसी मछली को पानी में कोई और मछली नजर न आती हो. जैसे किसी के बेहिसाब दौलत हो लेकिन उससे खरीदी जाने वाली चीज खत्म हो जाय, जैसे किसी के पास चूल्हा हो और आटा खत्म हो जाय. जैसे किसी के पास नल हो लेकिन पानी खत्म हो जाय और जैसे किसी का शरीर हो लेकिन आत्मा खत्म हो जाए. आज यह रास्ता कोमल के लिए ऐसा ही कुछ था.


दोनों बहने घिसटते कदमों से कॉलेज जा पहुंची. पढाई में तो मन ही कहा लगना था क्योंकि कोमल का मन राज मय था और देवी का इन दोनों की समस्या के समाधान में. लेकिन राज आज कुछ और ही करने के मूड में था. उसे पता था कि कोमल स्कूल पहुंच गयी होगी और उसने रास्ते में जाते समय उसकी की कमी भी महसूस की होगी. उसे को याद किया होगा.

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राज ने फैसला किया कि आज वो पहली बार कोमल के स्कूल जाएगा. लेकिन कोमल से बात न हो पाई तो. तो क्यों न एक पत्र लिखा जाय जिससे कोमल को वो सब बातें बताई जा सकें जो अकेले में ही बताई जा सकती हैं.


राज ने झट से एक पत्र लिखा. पत्र को ठीक से तह किया और जेब में रख साईकिल से उस तरफ चल दिया जिधर उसके मन की मीत कोमल इस बक्त मौजूद थी. राज की साईकिल रेल की तरह भागी जाती थी क्योंकि जेब में रखा अंगार रूपी खत उसे जलाये जा रहा था. कोमल को खत कैसे और कहाँ देना है ये सब राज ने अभी तक नहीं सोचा था. सोचे भी कैसे प्यार करने वाले लोग परिणाम की चिंता ही कब करते हैं?


राज कोमल के स्कूल पहुंचा. जब से राज कोमल के इश्क में खोया था तब से पहली बार इस स्कूल पर आया था. लेकिन स्कूल में और उसके आसपास तो कोई दिखाई ही नहीं दे रहा था. बस एकाध बच्चा इधर उधर घूम रहा था जो शायद इसी गाँव का था.


राज ने उन बच्चों से पूंछा कि आज स्कूल में कोई दिखाई क्यों नही दे रहा क्या स्कूल की छुट्टी है आज. तब उन बच्चों ने बताया कि स्कूल तो खुला है लेकिन अभी इंटरवल होने वाला है तभी बच्चे बाहर निकलेंगे.


राज ने एक लड़के को अपने साथ बैठा लिया. उससे मीठी मीठी बातें की और उससे कहा, “देखो तुम मेरा एक काम करोगे तो में तुम्हें एक रुपया दूंगा." बच्चा एक रुपया मिलने की बात सुन खुश हो गया और बोला, “ठीक है लेकिन रुपया देना जरुर पागल मत बना देना."


राज बच्चे का डर समझ गया उसने जेब से एक रुपया निकाल बच्चे के हाथ पर रख दिया और बोला, "ले पहले ही ले ले लेकिन काम बहुत होशियारी से करना पडेगा."

लड़का रुपया हाथ में ले खुश हो गया और बोला, "उसकी तुम चिंता मत करो. में तुम्हारा खत उस लडकी तक पहुंचा दूंगा."

राज की आँखे और मुंह फटा का फटा रह गया. फिर लडके से बोला, "तुझे किसने कहा कि में तुझे किसी लडकी को खत देने भेजूंगा?"

लड़का झट से बोला, "और क्या काम होगा तुम्हारा इस स्कूल के पास? अकेले तुम ही नही बहुत लोग ऐसे ही मुझे रुपया देकर अंदर स्कूल में पढ़ने वाली लडकियों को खत भिजवाते है. इसलिए मुझे लगा तुम भी वही करवाओगे.*


राज शरम से अपना सर खुजलाते हुए बोला, “यार काम तो मेरा भी ऐसा ही कुछ है लेकिन तू सावधानी से करना क्योंकि उस लड़की के साथ उसकी बहन भी होगी. तू ऐसा करना खत ले जाकर किसी भी तरह चलते में उस लडकी के हाथ में दे देना लेकिन कोई
और न देख पाए. अगर तूने ये काम ठीक से किया तो में तुझे एक रुपया और दूंगा."


लड़का वेफिक्र हो बोला, "मेरा रोज का यही काम है. तुम इसकी चिंता मत करो,” फिर दोनों आपस में बातें करते रहे. कुछ ही देर बाद स्कूल के इंटरवल की घंटी बज उठी. लड़का राज से बोला, "लाओ खत निकालो इंटरवल हो गया. राज का दिल इस बात को सुन धकधका गया. वो आज पहली बार किसी को ऐसे खत भेज रहा था. खत उस लडके को देते वक्त उसके हाथ काँप रहे थे. अब राज और वो लड़का इस इन्तजार में बैठे थे कि कब कोमल क्लास से बाहर आये और कब उसे खत दिया जाए?


तभी कोमल और देवी दो तीन लडकियों के साथ स्कूल के मैदान में दिखाई दी. राज हडबडा कर उस लड़के से बोला, “देख भाई वो लड़की है जो सबसे सुंदर दिखाई देती है."

लड़का बोला, "सुंदर तो सभी है पहचानूंगा कैसे?"
 
राज की नजरों में कोमल सुंदर हो सकती थी लेकिन हर आदमी की नजर में तो नहीं. राज खीझ कर बोला, "जो चार पांच लडकियाँ जा रहीं हैं उनमे वो धीरे धीरे चलने वाली उदास लडकी है न उसी को देना है." लड़का कोमल को पहचान गया और राज के पास से कोमल की ओर चल दिया. उसे जाते देख राज उससे बोला, "जरा सम्हाल कर.” लडके ने राज की तरफ बिना कुछ बोले गर्दन हिलाई और कोमल की तरफ बढ़ चला.


___ राज का दिल धडाधड धडके जा रहा था. उसे डर था कि कहीं लडके को खत देते देवी न देख ले या लड़का किसी और लडकी को खत न दे दे. लेकिन बाह रे लडके! कोमल के बराबर से गुजरते हुए लडके ने कब उसके हाथ में खत रख दिया किसी को भी न पता चला.


कोमल ने जब देखा कि कोई लड़का उसके हाथ में कोई कागज रख कर गया है तो उसने उस भागते हुए लडके को आवाज देनी चाही लेकिन अचानक उसकी नजर दूर छिपे खड़े राज पर पड़ी जिसे बो भरी भीड़ से भी पहचान सकती थी. कोमल की आवाज वहीं के वहीं मिस गयी. एक शब्द भी मुंह से न निकला क्योंकि राज ने इशारे में उसे बताया कि ये मैंने भिजवाया है.कोमल ने झट से वो कागज का खत छिपा लिया कि कहीं कोई देख न ले.


देवी को अभी इस बारे में कुछ भी खबर नही थी. वो अभी भी साथ खड़ी लडकियों से बात किये जा रही थी. राज ने देखा कि कोमल का चेहरा सूजा हुआ सा था लग रहा था. उसे लगा कोमल बहुत रोई है.कोमल ने भी राज को नजर भर देखा. वो भी उसके कुम्हले हुए चेहरे को देख खुद कुम्हला गयी. दोनों एकदूसरे को देख ऐसे हुए जा रहे थे मानो बरसों बाद मिले हों. जैसे चंदा से चकोर और जैसे आग से पतिंगा.


मोहब्बत करने वालों को कोई कितनी भी बारीकी से देखे लेकिन उनके दिलोदिमाग को समझना किसी अनसुलझी पहेली को सुलझाने से कई गुना कठिन होता है. और ऐसा नहीं कि आशिक सिर्फ नियमों पर ही चलते हैं. वे तो बिना डोर की पतंग होते हैं जो न जाने कहाँ उड़ जाए. किससे भिड जाए? मोहब्बत का गणित की तरह कोई सूत्र नही होता जिसके द्वारा इसे सुलझाया जा सके लेकिन ये अपने आप में एक सुलझी हुई चीज है. जो आज तक सभी को कठिन और अनसुलझी लगती है.


राज को एकटक देख रही कोमल को देवी का ध्यान आया. सोचा अगर कहीं देवी ने देख लिया तो आफत खड़ी कर देगी. कोमल राज को इशारे से बोली, "ठीक है तुम जाओ में इस खत को पढ़ लूँगी."

राज थोड़ी देर कोमल को देखने के बाद अपनी साईकिल उठा चल दिया. कोमल चोर नजरों से कभी कभी राज को जाते देख लेती थी. राज भी जाते समय कोमल को देखे जा रहा था. फिर दोनों एक दूसरे की नजरों से ओझल हो गये.


अब कोमल को सबसे बड़ी चिंता ये थी कि देवी से वादा करने के बाद वो अब राज के खत को कैसे पढ़ सकती है. लेकिन फिर कोमल को ध्यान आया कि देवी ने राज से बात न करने का वादा लिया था और ये तो राज का खत है. वाह रे इश्कीले मन! कितने रास्ते निकाल लेता है अपने महबूब से मिलने के लिए. और यही तो करने जा रही थी वावली कोमल. जो राज की मोहब्बत में इतनी दीवानी थी कि देवी से किये वादे में वकीलों की तरह तर्क दे राज का खत पढने जा रही थी.


कोमल देवी के पास जाकर बोली, "देवी में टॉयलेट करने जा रही हूँ." देवी ने हां में सर हिला दिया और फिर से साथ खड़ी लडकियों से बात करने लगी. कोमल अकेले में जा राज का वो खत पढने लगी, “मेरी सबकुछ प्यारी सी चंचल कोमल. मेरी समझ में नही आता कि कहाँ से शुरू करूं और कहाँ पर खत्म? लेकिन मुझे इतना पता है कि में तुमसे प्यार करता हूँ और तुम भी मुझसे. लेकिन कल किये गये व्यवहार से में बहुत परेशान हूँ. में सोचता था शायद मुझसे कोई गलती हो गयी है लेकिन आज सुबह में जब तुम्हारे घर दूध लेने गया था तब देवी बहन ने मुझे तुम से दूर रहने की सख्त हिदायत दे दी. मैंने उनके हाथ पैर जोड़े लेकिन वो नही मानी. तब जाकर मुझको पता चला कि तुम मेरी वजह से नहीं बल्कि किसी और कारण से ऐसा व्यवहार कर रही हो.
 
मेरा दिल वो बात जानने के लिए बेताब है जिसने तुम जैसी कोमल दिल वाली लडकी को इतना कठोर बना दिया कि तुम कल मेरे दिल को कुचल कर चली गयी. मेरी मृगनयनी मुझे अपनी नही तुम्हारी चिंता है. तुम मुझे जल्द से जल्द खत लिखकर या मिलकर बताओ कि ऐसी क्या बात है जो तुमको ऐसा बना गयी?
मुझे उस पहले वाली कोमल को देखने का इन्तजार रहेगा. में कसम खाकर कहता हूँ तुम्हारे लिए में जान की बाज़ी लगा जाऊँगा, लेकिन मुझे तुमसे सिर्फ मोहब्बत की उम्मीद है जो मुझे तुम्हारे पर मर मिटने की शक्ति देती है. खत का जबाब जितनी जल्दी हो सके दे देना. अब में तुम्हे उस रास्ते पर नहीं मिला करूँगा. कल फिर से तुम्हारे कॉलेज में आऊंगा. खत का जबाब लेने, तुम्हारे उत्तर का अभिलाषी राज."


राज का खत पढ़ कोमल थोड़ी चिंता में पड़ गयी उसे समझ न आ रहा था कि उसकी बहन देवी उसकी मदद कर रही है या सिर्फ दिखावा. क्योंकि उसने कोमल को राज से मिलाने का जो वादा किया था उसके हिसाब से देवी को राज के साथ ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए था. यह सब हो जाने के बावजूद देवी ने कोमल को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया था. कोमल को आज देवी के इस व्यवहार से दाल में कुछ काला नजर आ रहा था. ___


इस बात को सोच कोमल के दिमाग में एक बिचार आया कि क्यों न वो राज के साथ खतों के जरिये बात करे? और इसमें बुरा क्या है? देवी ने जो वादा उससे लिया था उसमे राज से न मिलने और बात न करने की बात थी. कोमल तो सिर्फ चिट्ठियों से राज को मिल रही थी.


कोमल सोच रही थी कि हो सकता है देवी ने जो व्यवहार राज से किया है उसमे मेरी भलाई ही सोची हो. हो सकता है वो राज से मेरी तरह वादा नहीं ले सक पाने की वजह से ऐसा कर गयी हो. तो देवी का वादा भी न टूटे और कोमल राज से भी बात करती रहे. ऐसा उपाय तो सिर्फ चिट्ठियां ही हो सकती थी.


फिर क्या था कोमल ने मन बनाया कि आज घर पहुंचकर वो राज के नाम एक चिट्ठी लिखेगी और कल जब राज कॉलेज आएगा तब उसे दे देगी. कोमल का मन करता था कि राज का ये आया हुआ खत सीने से लगाकर रखे लेकिन अगर देवी या किसी अन्य घर वाले के हाथ पड़ने का डर उसे यह खत फेंकने के लिए बाध्य कर रहा था. कोमल ने बेमन हो राज के खत के दो टूक कर कूड़े में फेंक दिए और फिर उसी जगह जा पहुंची जहाँ देवी लडकियों के साथ खड़ी थी,


स्कूल की छुट्टी होने के बाद कोमल अपनी बहन देवी के साथ घर पहुंची. अब कोमल को शाम का इन्तजार होने लगा जब वो राज के नाम एक प्रेमपत्र लिखेगी. देखते देखते शाम हो गयी. कोमल ने पढ़ने वाली किताब के अंदर कागज छिपा राज के लिए खत लिखना शुरू किया.


घर के सब लोग और देवी सोच रहे थे कि कोमल पढ़ाई कर रही है. और सच में कोमल पढाई ही तो कर रही थी .ये उस तरह की पढाई थी जो बहुतों ने पढ़ी और बहुत लोग आज भी पढ़ रहे हैं. आगे भी यह पढाई की जाती रहेगी. जाने कितने पास हुए और कितने फेल. कितनों ने परीक्षा ही छोड़ दी और कितनों को परीक्षा ने खुद ही छोड़ दिया. न इसका कोई स्कूल होता है और न कोई शिक्षक. ये पढाई इन्सान को इन्सान बनाती है और यही इन्सान को इन्सान से मिलाती है.
 
ये इन्सान को इन्सान से उस हद तक मिलाती है जैसे पानी में पानी. जैसे हवा में हवा. जैसे साँसों में सांसे और जैसे नींद से सपना. इस पढाई की कोई अंतिम सीमा नहीं होती तो इसकी कोई शुरुआत भी नही होती. इसको किसी ने होते न जान पाया तो किसी ने खत्म होते भी न जान पाया. ये मोहब्बत की पढाई है. ये तो दिल की दिल से इबादत है. और सच कहा जाय तो ये इन्सान से ऊपर उठकर है. ये धर्म और जाति से उठकर है. ये भगवान की असली इबादत है. तभी तो ये मोहब्बत है.


कोमल ने खत पूरा कर लिया था. आँखों में थोड़ी नमी थी जो दर्शा रही थी कि कोमल खत लिखते समय भावुक हुई थी. अपने राज को ये खत लिख कोमल के खिलते यौवन को फिर से नई स्फूर्ति मिल गयी थी. कई दिनों से मुरझाया कोमल वदन फिर से हरा भरा हो उठा था. चेहरे की लौटती लाली ने फिर से कोमल को कोमल बना दिया था.


आज फिर लग रहा था कि ये वाकई में वही कोमल है जो अक्सर इमली के पेड़ के नीचे खड़ी आलसी अंगड़ाईयां लिया करती थी. आँखों में फिर से वो समुंदरी गहराई दिखाई देना शुरू हो गयी थी जिसको देखने के लिए कोमल के दिल का मालिक राज पागल हुआ घूम रहा था. रात होने वाली थी लेकिन कोमल का सम्पूर्ण शरीर सुबह की रौशनी से भरने लगा था.


कोमल इस वक्त रात के साथ जवान होती जा रही थी. अगर राज के मन से कहा जाय तो चांदनी रात में कोमल के इस मोहक अलसाये रूप को कोई अप्सरा भी देख शरमा जाती. राज तो भगवान से दुनिया को ठुकरा कोमल को मांग डालता और इसी रूप को देख तो राज उसके मोह में पानी से पानी की तरह मिल गया था.


ये सब एक राज के खत ने कर दिया था. उपजाऊ धरती से वंजर हुई धरती में हरियाली इस राज के खत ने कर दी थी. ये तो मोहब्बत के उस टॉनिक का असर था जो कोमल को राज के खत से मिला था. जिसे पी कोमल फिर से जी उठी थी.
 
भाग-7
आज की रात कोमल के लिए बहुत अच्छी रात हो गयी थी. रात भर लेटे लेटे बस राज के बारे में सोचती रही. चांदनी रात का सही अर्थ सिर्फ एक मोहब्बत भरा दिल ही जान सकता है जैसे कोमल जान रही थी.चाँद को देख एक दिल को दूसरे दिल की याद आती है. वो चाँद को देख अपने महबूब की सूरत उसमे देखने लगते हैं. अगर राज और कोमल के दिल से कहा जाय तो दुनिया का कोई भी दीवाना चांदनी रात में अपने महबूब से दूर रह उसकी याद किये बिना नही रह सकता.


और सच में यह कहा जाय कि दीवानों के लिए चाँद(चन्द्रमा) उनके महबूब के बाद सबसे बड़ी चीज होती है तो यह गलत न होगा. क्योंकि जब दोनों एक दूसरे से बिछड़ते या दूर होते हैं तो वे चन्द्रमा को देख उसमे अपने दिलवर का अक्श देखते हैं. उन्हें लगता है कि इस रात में एक चन्द्रमा ही है जो हम दोनों को एक जैसा दिखाई देता है या हमे भी एक जैसा ही देखता है.


कोमल के साथ ही राज भी एक अलग स्थान पर चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे लेटा कोमल की ही तरह चमकते चाँद को देख अपनी हमदम कोमल को याद किये जा रहा था. उसकी भी स्थिति वैसी ही थी जैसी कोमल की थी. कोमल को आज लिखा हुआ खत राज को देने की जल्दी थी और राज को कोमल के द्वारा खत में लिखे गये मजमून की.


दोनों की मोहब्ब्ती रातें कभी गीली कभी सूखी होती रहती थी. दोनों के लिए मोहब्बत कभी दिन थी तो कभी रात. कभी सर्दी थी तो कभी गर्मी. और कभी बारिश थी तो कभी सूखा. यही सोचते सोचते दोनों को कब नींद ने अपनी गोद में ले लिया पता ही न चला.


सुबह हुई. पर सब पहले के जैसा ही था. राज दूध लेने आया. आज भी देवी ही भैंस का दूध निकालने आई. राज की नजरें कोमल को ढूंढती रही लेकिन कोमल का कोई भी निशान उनको न मिल पाया. यहाँ से दूध लेने के बाद राज चल दिया. कोमल राज को एक झरोंके से ताके जा रही थी. जिसकी खबर न राज को थी और न देवी को. कोमल ने देखा था कि कैसे राज की आँखे उसे ढूढ़ रहीं थी.


फिर कोमल के स्कूल जाने का समय हुआ. राज को दिए जाने वाला खत कोमल ने अपनी कुर्ती में सीने के पास छुपा रखा था. जो पल पल उसे याद दिला रहा था कि उसे राज को दिया जाना है. कोमल फिर उसी रास्ते से कॉलेज जा पहुंची जिस पर कभी उसे राज मिला करता था. राज विहीन रास्ता और सीने से चिपका रखा खत कोमल में एक ऐसी तडप पैदा कर रहा था जो राज के मिलने से ही शांत हो सकती थी

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कोमल कॉलेज पहुंची. राज के आने का वक्त हो रहा था. शायद इसी कारण कोमल का मन पढने में नही लग रहा था. यदि सच कहा जाय तो जिसे ये इश्क का रोग लग जाता है उसे पढ़ने में किसी भी तरह की रूचि नहीं रहती और ये इश्क सिर्फ इन्सान का ही नही वरन किसी खेल, किसी कला या किसी बस्तु से भी हो सकता है. इश्क के मायने सिर्फ लडके लडकियों का प्यार नहीं होता. इश्क तो एक पवित्र भावना है जो किसी में भी किसी के प्रति पैदा हो जाती
कोमल टॉयलेट जाने के बहाने क्लास से निकल आई. गाँव के स्कूलों में पढ़ने वाली लडकियाँ जब भी ऐसे किसी काम से क्लास से बाहर आती है तो उनके साथ दो चार लड़कियों का झुण्ड जरुर होता है लेकिन आज वह पहली बार किसी क्लास की लडकी को अपने साथ नही लायी थी क्योंकि उसे राज को खत पहुंचाना था.
स्कूल के मैदान में आते ही स्कूल के बाहर खड़े नीम के पेड़ के नीचे खड़े राज पर कोमल की आँखे चस्पा हो गयी. राज के साथ वो छोटा नाटा लड़का भी खड़ा था जो कल कोमल के हाथ में बड़ी होशियारी से खत रखकर चला गया था.


कोमल राज को देख रही थी और राज कोमल को. वो छोटा नाटा लड़का इन दोनों को. कोमल की यौवन से लदी फूली हुई छाती उसकी तेज चलती साँसों के साथ गति कर बता रही थी कि राज के साथ उसका गहरा नाता है. राज के सीने की धडकने और तेज साँसें भी कोमल के प्रति उसकी मोहब्बत को दर्शा रहीं थी

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राज ने कोमल की आँखों में देखते हुए बाहर आने का इशारा किया लेकिन कोमल ने इशारे में बताया कि देवी कभी भी बाहर आई तो वे दोनों पकड़े जायेगे. परन्तु कोमल ने राज को उस नाटे लडके को भेजने का इशारा किया. राज कुछ कहता उससे पहले ही वो लड़का कोमल की तरफ चल चुका था.


लडके को ऐसा करते देख कोमल और राज के चेहरों पर हंसी छलक उठी. राज समझ गया कोमल आज खत का जबाब खत से देना चाहती है जैसे कोई ईंट का जबाब ईंट से देता है. राज ने सोचा चलो ऐसे ही सही मोहब्बत तो फल फूल ही रही है.
 
लड़का कोमल के पास पहुंच बोला, “लवलेटर जमीन पर फेंक चली जाओ में उसे उठा लूँगा."

कोमल उस लड़के की बात से हैरान हुई. उसके चेहरे पर लवलेटर बाली बात से थोड़ी लालामी भी आ गयी.

कोमल ने हैरत से उस नाटे लडके को पूछा, “तुझे किसने बताया में लवलेटर दूंगी?"

लड़का फटाक से बोला, “ये बात तो कोई भी अँधा बता देगा कि एक लडकी एक लड़के को चुपचुप कर जो चिट्ठी देती है वो क्या होता है?"

कोमल की मुस्कान उस कम उम्र होशियार लडके की बात सुनकर दोगुनी हो गयी. उसने पूंछा, "नाम क्या है तेरा."

नाटा लड़का मजाक करता हुआ बोला, “क्यों मुझे भी लवलेटर लिखोगी क्या?"

कोमल सिटपिटाते हुए बोली, “बताऊँ तुझे अभी. अपनी उम्र देखी है तूने. अभी से लडकियों से लवलेटर लिखवाएगा. ले चिट्ठी और भाग यहाँ से."

लडके ने खीसे निपोरते हुए चिट्ठी कोमल के हाथ से ले ली. फिर वहां से भागते हुए कोमल से मजाक करता हुआ बोला, “वैसे नाम तो कुछ और है मेरा लेकिन यहाँ सब नटू कहकर बुलाते है तुम चाहो तो इसी नाम से मुझे लवलेटर लिख सकती हो."


कोमल की हंसी छूट पड़ी लेकिन फिर भी दिखावटी गुस्सा करते हुए बोली, “अबकी बार आना तब बताउंगी तुझे कि कैसे लवलेटर दूंगी."

लड़का हसकर भागता हुआ राज के पास पहुंचा. राज भी खड़ा खड़ा हँस रहा था. उसे ये तो पता नहीं लडके ने कोमल से क्या कहा लेकिन कोमल और उस लडके को हंसता देख समझ गया था कि जरुर लडके ने कोई मस्ती की होगी.


जैसे ही लडके ने आकर राज के हाथ में खत दिया. राज ने कोमल की तरफ देखा जो अभी तक वहीं खड़ी मुस्कराते हुए उसे देख रही थी. राज के देखते ही इशारों में बोली, “जा रही हूँ. काफी देर हो गयी है. कल फिर इसी वक्त आना." यह इशारा कर कोमल चली गयी.
राज ने उसे जाते ही पास खड़े लडके को एक रुपया देते हुए कहा, “तूने क्या बोला था उस लड़की से?"

लड़का डरते हुए बोला, "मारोगे तो नही अगर सच सच बता दूँ तो?"

राज ने हंसते हुए कहा, "अरे नही पगले तू तो मेरा दोस्त है."

लडके ने कोमल से कहीं बात राज को बता दी. राज की भी उसी तरह हंसी छूट पड़ी. जैसे कोमल की छूटी थी. हंसते हुए उस नाटे लडके से बोला, “तू तो बड़ा शरारती है रे. कहीं तेरे पेट में बाबा जी की दाढ़ी तो नही?"

लड़का शरमा सा गया. फिर राज उससे कल मिलने की कह अपने रास्ते की तरफ चल दिया.

राज को खत मिलने पर वह बैसा ही प्रसन्न था जैसे कोई भिखारी किसी से कुछ मांगे और सामने वाला उसे वही चीज ख़ुशी खुशी दे दे. भिखारी उस मुंह मांगी चीज को पा जितना खुश होगा उससे कहीं ज्यादा राज को इस वक्त खुशी हो रही थी. क्योंकि कोमल ने राज को पत्र लिख उसकी मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी थी.


राज के शर्ट की जेब में कोमल का वो प्यारा सा खत रखा था जिसे राज कहीं सूनसान में जाकर कई बार पढना चाहता था. रास्ते में उसे एक ऐसी जगह मिल गयी जहाँ वो इस खत को पढ़ सकता था. उसने फटाफट उस तह बने कागज को खोल पढना शुरू कर दिया, “प्राण प्यारे राज. तुमने अपने खत में मुझे अपना सबकुछ लिखा. ये पढ़ के मेरे दिल को बहुत अच्छा लगा. तुम्हारे साथ जो व्यवहार देवी ने किया उसके लिए में तुमसे माफ़ी मागती हूँ. मुझे पता है कि तुम मुझसे बात न कर पाने की वजह से कितने परेशान हो.शायद तुम्हें ठीक से नींद भी नही आती होगी और न ठीक से खा पाते होगे. तुम सोच रहे होगे कि में ये सब कैसे कह रहीं हूँ तो सुन लो कि मुझे भी तुमसे बात न होने की वजह से ऐसा ही सबकुछ हो रहा है. और रही बात तुमसे बात न करने की तो इसमें हम दोनों की भलाई का कुछ काम था इसलिए मैंने तुमसे बात नही की. देवी हमारे लिए कुछ ऐसा करने जा रही है जिससे हम दोनों विना किसी परेशानी के मिल सकते हैं और इसी के कारण देवी ने मुझसे वादा लिया था कि जब तक उस तरकीब को वो सोच नही लेती तब तक हम दोनों बात नहीं कर सकते.
इसके लिए मुझे खेद है लेकिन चिट्ठियों से हम रोज़ बात करते रहेंगे. ये चिट्ठी वाली बात देवी को भी पता नही है इसलिए जरा सम्हल कर काम करना. और मेरे राज तुम अपने हाल के बारे में क्यों कुछ नहीं लिखते कि तुम्हारे दिन कैसे गुजरते हैं रातें कैसे गुजरती है? बैसे मुझे पता है कि तुम कितने कष्ट में हो लेकिन फिर भी मन नही मानता. वो तो तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता है. तुम्हारे खत का इन्तजार करुंगी. कल आना जरुर, तुम्हारे दिल धडकन कोमल."


कोमल का खत पढ़ राज का दिल झूम उठा. लेकिन देवी की तरकीब निकालने वाली बात उसे समझ न आई.सोचता था कि अगर देवी कोई तरकीब निकालने वाली थी तो बात करना क्यों बंद करवा दिया और खुद राज को भी तो फटकार दिया था? उसे देवी के दिमाग में कुछ और ही होने का अंदाज़ा लग रहा था. राज ने कोमल को अपने मन की बात लिखने का फैसला किया.
 
दूसरे दिन उसने सारी बात कोमल को लिख दी और यह भी लिखा कि वह देवी से यह भी पूंछे कि अब तक उसने क्या सोचा. अगर देवी ना नुकुर करती है तो समझो वो सिर्फ पागल बनाने का काम कर रही है. राज के इस खत को पढ़ कोमल ने अपनी बड़ी बहन देवी से बात करने का मन बनाया. सबसे अच्छा मौका रात को सोते समय था. कोमल रात के सोने का इन्तजार करने लगी.


आखिरकार वो घड़ी भी आ गयी जिसका कोमल इन्तजार कर रही थी. कोमल की बड़ी बहन देवी आकर उसके बगल में सो गयी. थोड़ी देर चुप रहने के बाद कोमल का सकुचाता गम्भीर स्वर उभरा, "देवी तुमने कुछ सोचा उस बारे में?"

देवी जैसे नींद से जागकर बोली, "किस बारे में?"

कोमल कुछ नहीं बोली लेकिन देवी को अब समझ आ गया कि कोमल किस बात के बारे में पूँछ रही है. वो उस समस्या के हल के बारे में पूंछ रही थी जो देवी ने सुलझाने का वादा किया था.

फिर देवी लापरवाह अंदाज में कोमल को समझाते हुए बोली, "देखो कोमल तुम मेरी बहन हो इसलिए तुम्हे मेरी पहली सलाह तो ये रहेगी कि तुम ये सब भूल जाओ. ये तो तुम भी जानती हो कि घर वालों को पता पड जाने पर इसका परिणाम क्या होगा? लेकिन...."

देवी की बात पूरी होने से पहले ही कोमल बोल पड़ी, "फिर वो वादा जो तुमने मुझसे किया था कि तुम मेरे लिए कोई न कोई रास्ता निकलोगी?"

देवी अपनी छोटी बहन की अधीरता को समझ रही थी लेकिन ऐसा तो कोई रास्ता था ही नहीं जिससे कोमल राज के साथ भी रहे और घरवालों को कभी पता ही न पड़ पाए. देवी तो अपनी बहन को किसी मुसीबत में फंसने से बचाने के लिए ये झूट बोल रही थी कि कोमल अगर राज से बात न करने का वादा करे तो वो कोई अच्छा रास्ता निकाल सकती है.

जिससे घर वालों को कोमल की इस बात का पता नहीं चल पायेगा. देवी ने सोचा था कि कुछ दिन कोमल राज से बात न करेगी तो उसके मन से राज की याद कम होती चली जायेगी लेकिन ऐसा करने से कोमल और ज्यादा राज की तरफ खिंचती चली जा रही थी.


कोमल के सवाल का उत्तर तो देवी को देना ही था. बोली, "देखो कोमल बहन. मुझे तुम्हारी बहुत फिकर है इसलिए में कोई ऐसा रास्ता नही बताना चाहती जो तुम्हे किसी आफत में डाल दे. एक बार घरवालों को पता पड़ गया तो तुम्हारी पढाई तो बंद होगी ही साथ में तुम्हारा और राज का जो हाल होगा उसकी कल्पना भी तुम नही कर सकती हो. तुम को पता है कि राज तेली जाति का है और हम ठाकुर, तुम्हारा उसके साथ रिश्ता होना कोई भी मंजूर नही करेगा. पापा और मम्मी तो तुम्हे जीते जी मार डालेंगे. इसलिए मेरी बहन तुम मेरी बात मान उस लडके को भूल अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो."


कोमल आज देवी की बात को सुन समझ गयी कि राज ने खत में ठीक ही लिखा था. देवी तब से उसे धोखा दे रही थी लेकिन कोमल यह भी जानती थी कि देवी को उस की चिंता भी है. कोमल यह भी जानती थी कि देवी जो चेतावनी उसे दे रही है वो भी सही है.


अगर घरवालों को ये सब पता चल जाय तो उसे जान से हाथ धोना पड़ सकता है. लेकिन मोहब्बत पर किसका जोर चलता है? मरने से कौन सा प्रेमी डरा है? और इस गाँव का इतिहास तो प्रेमियों की मौतों की स्याही से से रंगा पड़ा था. जिस के हर पन्ने पर कमली, चुनी, दीनू और बादल जैसे कई नाम सोने के अक्षरों में लिखे रखे थे.
 
कोमल को अगर राज से मिलना है तो उसे दिमाग से काम लेना होगा. उसे देवी को यह दिखाना होगा कि की वो राज से कभी नही मिलेगी क्योंकि देवी यह नही चाहती थी. इसलिए देवी की नजर से बचकर यह काम करना होगा. कोमल का दिमाग मोहब्बत की प्यास में सक्रिय हो उठा. ____ वो देवी को भरोसे में लेती हुई बोली, "मुझे लगता है देवी कि तुम सच बोल रही हो. मुझे राज को भूल जाना चाहिए लेकिन इस काम में मुझे थोडा वक्त चाहिए. तुम्हे जो परेशानी दी उसके लिए मुझे माफ़ करना. अगर तुम जैसी बहन मेरा साथ न देती तो न जाने में क्या गलती कर बैठती?"


देवी को लगा कि कोमल के दिमाग में उसकी समझाई बात आ गयी है. वह खुश होते हुए बोली, “बहन भी कहती हो और माफ़ी भी मांगती हो. अपने लोगो का तो काम ही दूसरे का भला करना होता है. मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम कुछ भी गलत होने से पहले हीसमझ गयी." यह कह देवी ने कोमल का माथा अपने होठों से चूम लिया और बोली, “अब सो जाओ. सुबह फिर तुम्हारे लिए एक नई सुबह होगी."


यह कहने के बाद दोनों सो गयी. देवी अपने मन में खुश थी कि उसने देवी के मन को परवर्तित कर दिया और बगल में पड़ी कोमल अपने मन में खुश थी कि उसने देवी को यह भरोसा दे दिया कि अब वो राज को भूल जाएगी. कोमल के दिमाग में जो योजना थी वो ये थी कि देवी की शादी जल्द होने वाली है उसके बाद वो अकेले पढने जाया करेगी. फिर जो दिन होंगे वो सिर्फ और सिर्फ राज और कोमल के नाम के होंगे.


कोमल रात भर उन दिनों के बारे में सोचती रही. जब देवी ब्याह कर अपने ससुराल चली जायेगी. फिर वो और राज पूरे के पूरे दिन एक दूसरे की बांहों में लिपटे प्यार भरी बातें किया करेंगे. फिर कोई उन्हें रोकने टोकने वाला नही होगा. सारी खुशियां, सारा प्यार उनकी झोली में आ गिरेगा. यह सोचते सोचते कोमल नींद के वश में हो गयी. जिससे आज तक धरती पर रहने वाला कोई भी प्राणी न बच पाया था.


अब रोज़ कोमल अपनी तरफ से ऐसी कोई गलती नहीं होने देती थी जिससे देवी को लगे कि ये राज को भूल नही पाई है लेकिन कोमल से राज का और राज से कोमल का प्रेमपत्र लिखना जारी था. दोनों किसी समाचार पत्र की तरह रोजाना की खबरें एक दूसरे को सुनाते.
कोमल ने राज को सब बातें बता दी थीं इसलिए राज भी कोई गलती नहीं करता था.


लेकिन प्रेमियों की मुसीबत कभी रुकी है जो आज इन दोनों के लिए रुक जाती. कोमल को एक स्त्री होने के कारण उन चीजों का सामना भी करना पड़ता था जो सभी स्त्रियों को होती है. इस बार उसे महीना(मासिकधर्म) नहीं हुआ था. कोमल ने मोहल्ले की भाभियों से सुन रखा था कि जब वो गर्भवती होती हैं तो उन्हें महीना नहीं होता.


आज जब कोमल को ऐसा हुआ तो उसके होश उड़ गये. उसे पता था कि अगर वो गर्भवती हो गयी तो कितना बडा संकट आ खड़ा हो जाएगा? जिस दिन राज और कोमल उस आम के पेड़ के नीचे मिले थे उसी दिन दोनों के कदम वहक गये थे. ये दोनों नादान प्रेमी नही जानते थे कि वो जो कर चुके हैं उसका यह परिणाम भी हो सकता है?


उस समय न तो गाँव में मोबाइल होते थे और न ही अन्य फोन. केवल चिट्ठी ही ऐसा माध्यम थी जो एकदूसरे से बात करवा सकती थी. कोमल ने भी चिट्ठी का सहारा लिया और राज को एक चिट्ठी लिख डाली. दूसरे दिन सुबह कॉलेज जा वो चिट्ठी राज को दी और कहा कि जितनी जल्दी हो सके इसका जबाब दे. राज चिट्ठी ले कॉलेज के पास से चल दिया. आज उसे कोमल के मुख पर चिंता के बादल साफ झलक रहे थे.


राज ने अकेले में जा वो चिट्ठी खोली और पढना शुरू कर दिया, “मेरे राज. आज कुछ और नही कहूँगी क्योंकि आज में बहुत मुश्किल की घड़ी में हूँ. अगर मुझे इस परेशानी से मुक्ति न मिली तो में कुढ़ कुढ़ कर मर जाउंगी और अगर ऐसे न मर पायी तो घर वाले मुझे जिन्दा जला देंगे. तुम्हे पता है मुझे इस बार महीना नही आया है. मुझे आशा है कि तुम इसका मतलब समझते होगे लेकिन फिर भी बताये देती हूँ कि में तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ.

जो आम के पेड़ के नीचे तुमने मुझे दिया ये उसी का परिणाम है. अगर तुम और में एक हो गये होते तो ये बहुत खुशी की बात होती लेकिन समाज के बनाये पैमाने पर ये घटना सही नहीं बैठती इसलिए हम ऐसा नहीं कर सकते. तुम जल्दी से जल्दी इस समस्या का हल खोजो. मेरी जान अब इस समस्या के हल में अटकी पड़ी है और इस वक्त तुम्हारे आलावा कोई मेरी मदद नहीं कर सकता. इसलिए तुम जल्दी से जल्दी किसी डॉक्टर से बात कर इस बच्चे को गिराने की कोई दवाई ले कर आओ. मैंने सुना है ऐसी दवाइयां आती हैं जिनसे बच्चा नही होता है. मुझे तुम्हारे जबाब का बेसब्री से इन्तजार रहेगा, तुम्हारी, संकट में पड़ी कोमल."


राज खत को पूरा पढ़ चुका था. उसे नहीं पता था कि उसके ऐसा करने से ये सब हो जाएगा. अब उसकी समझ में नही आ रहा था कि वो खुश होवे या दुखी. एक बाप बनने की भावना उसे दिल में खुश किये दे रही थी लेकिन कोमल की चिंता उसे दुखी किये जा रही थी. अब उसे जल्द से जल्द कोमल को इस संकट से निकालना था. वो नही चाहता था कि कोमल के साथ कुछ भी गलत हो.

उसे ध्यान आया कि एक डॉक्टर के यहाँ वो रोज़ दूध देकर आता है. क्यों न उसी से इस समस्या पर बात की जाय? विना रुके राज साईकिल पर चढ़ सीधा उस डॉक्टर के पास पहुंचा. गाँव में पढ़े लिखे डॉक्टर तो देखने को ही नहीं मिलते. एक पंचायत में एक डॉक्टर होता है वो भी थैला छाप. राज डॉक्टर के पास पहुंचा तो डॉक्टर ने पूंछा, "भाई आज इस समय कैसे?"

राज हिचकते हुए बोला, "डॉक्टर साहब एक बात पूछनी थी इसलिए आया था."


डॉक्टर गाँव का था रोज़ ऐसे ही शर्मीले लोगों से उसका पाला पड़ता था. वह राज को समझाने वाले अंदाज़ में बोला, "अरे मुझसे इतना क्यों झिझकते हो आराम से कहो बात क्या है?"

राज बोला, "अगर किसी औरत को बच्चा गिराना हो तो आपके पास कोई ऐसी दवाई है जो ऐसा कर दे?"

डॉक्टर बोला, “बिल्कुल ऐसी बहुत दवाइयां आती है लेकिन वो एक तय सीमा तक ही दी जा सकती है उसके बाद नहीं. अब तुम मुझे ये बताओ कि कितना समय हुआ है."


राज सोचते हुए बोला, “यही कोई एक महीना सा हुआ है."

डॉक्टर बोला, "फिर तो कोई दवाई असर नहीं कर सकती और खिलाना भी नही क्योंकि परेशानी कम होने की जगह बढ़ सकती है. अब तो एक ही चारा है कि शहर के अस्पताल में जाकर सफाई(गर्भपात) करवा दिया जाय. इसके आलावा कोई चारा नही
 
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