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"पहले बच्चे का किडनेप करेला है पीछं उसे खुश करने का तरकीब काय कु...।" "जय ने राज की ओर देखते हुए पूछा।
"दुःख पहुचाने का काम जोगलेकर के लिए है ना कि उसके बेटे के लिए। वो नन्हा-मुन्ना बच्च है। उसे इन सब बातों से कुछ लेना-देना नहीं। इसलिए वह किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होना चाहिए...समझा।"
___"पन उसका किडनेप काय कू करेला तुम...।"
"अभी तू बच्चा है।"
"अक्खीं मुम्बई को तुम बच्चा बोलेला है...क्या बात है बाप...।"
राज मुस्कराया।
उसने जेब से मोबाइल निकाला और नम्बर पुश करता हुआ बाहरू कॉरीडोर में आ गया।
थोड़ी देर बाद दूसरी ओर से सम्पर्क स्थापित हो गया।
"जोगलेकर से बात करनी है।" सम्पर्क स्थापित होते ही वह बोला-"क्या य मुमकिन है कि मैं जोगलेकर से बात कर सकू।"
"तू है कौन।" दूसरी ओर से कठोर स्वर में पूछा गया।"
"जोगलेकर का दोस्त।"
"नाम।"
"भीम सिंह।"
"ठीक है वेट कर...लेकिन भीम सिंह मुझे तेरी आवाज सुनी हुई लग रही है।"
.
..
.
"सिंगर हूं जी...कहीं स्टेज पर गाणा सांणा गाते सुणा होगा जी।"
"नहीं गाने शाने में नहीं मैंने तेरी आवाज..."
"फिर..."
"कुछ याद नहीं आ रहा।"
"तो जब याद आ जाए तब बात कर लेना, फिलहाल जोगलेकर को बुलवा दो जी।"
"हां-हा...बुलवाता हुं। अभी बुलवाता हूं।"
राज फोन कान से लगाकर खड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद नया स्वर उभरा "हैलो...कौन?"
"जोगलेकर...?"
"हां...मैं जोगलेकर बोल रहा हूं। तुम कौन...
।.
.
"सुनो जोगलेकर...मैं तुमसे जो भी सवाल करूं उन सवालों के छोटे से छोटे उत्तर ही देना। अधिकतर हां या ना में।"
"तुम हो कौन....?"
"आवाज ऊंची करने की जरूरत नहीं है। ये बताओ तुम्हारे बेटे का नाम देबू है?"
"हां।"
"वह...आदर्श कान्वेंट में पढ़ता है?"
"हां।"
"अभी तुम्हारी घड़ी में क्या टाइम है?"
"तीन।"
"सुनो जोगलेकर, चाहो तो पहले घर जाकर मालूम कर आओ। अभी तुम्हारा देबू बोरीवली वाले तुम्हारे पुराने मकान पर नहीं पहुंचा है। वह अपने घर पहुंचा इसलिए नहीं है क्योंकि वह मरे पास है।"
"तुम्हारे पास...?" तुम...तुम...?"
"दुःख पहुचाने का काम जोगलेकर के लिए है ना कि उसके बेटे के लिए। वो नन्हा-मुन्ना बच्च है। उसे इन सब बातों से कुछ लेना-देना नहीं। इसलिए वह किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होना चाहिए...समझा।"
___"पन उसका किडनेप काय कू करेला तुम...।"
"अभी तू बच्चा है।"
"अक्खीं मुम्बई को तुम बच्चा बोलेला है...क्या बात है बाप...।"
राज मुस्कराया।
उसने जेब से मोबाइल निकाला और नम्बर पुश करता हुआ बाहरू कॉरीडोर में आ गया।
थोड़ी देर बाद दूसरी ओर से सम्पर्क स्थापित हो गया।
"जोगलेकर से बात करनी है।" सम्पर्क स्थापित होते ही वह बोला-"क्या य मुमकिन है कि मैं जोगलेकर से बात कर सकू।"
"तू है कौन।" दूसरी ओर से कठोर स्वर में पूछा गया।"
"जोगलेकर का दोस्त।"
"नाम।"
"भीम सिंह।"
"ठीक है वेट कर...लेकिन भीम सिंह मुझे तेरी आवाज सुनी हुई लग रही है।"
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"सिंगर हूं जी...कहीं स्टेज पर गाणा सांणा गाते सुणा होगा जी।"
"नहीं गाने शाने में नहीं मैंने तेरी आवाज..."
"फिर..."
"कुछ याद नहीं आ रहा।"
"तो जब याद आ जाए तब बात कर लेना, फिलहाल जोगलेकर को बुलवा दो जी।"
"हां-हा...बुलवाता हुं। अभी बुलवाता हूं।"
राज फोन कान से लगाकर खड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद नया स्वर उभरा "हैलो...कौन?"
"जोगलेकर...?"
"हां...मैं जोगलेकर बोल रहा हूं। तुम कौन...
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"सुनो जोगलेकर...मैं तुमसे जो भी सवाल करूं उन सवालों के छोटे से छोटे उत्तर ही देना। अधिकतर हां या ना में।"
"तुम हो कौन....?"
"आवाज ऊंची करने की जरूरत नहीं है। ये बताओ तुम्हारे बेटे का नाम देबू है?"
"हां।"
"वह...आदर्श कान्वेंट में पढ़ता है?"
"हां।"
"अभी तुम्हारी घड़ी में क्या टाइम है?"
"तीन।"
"सुनो जोगलेकर, चाहो तो पहले घर जाकर मालूम कर आओ। अभी तुम्हारा देबू बोरीवली वाले तुम्हारे पुराने मकान पर नहीं पहुंचा है। वह अपने घर पहुंचा इसलिए नहीं है क्योंकि वह मरे पास है।"
"तुम्हारे पास...?" तुम...तुम...?"