desiaks
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16 पुत्र ने सीखा
मिसेज शर्मा ने ऊपर जय के चेहरे पर देखा तो उसकी आंखों में माँ के प्रति पुत्र का निश्छल प्यार उमड़ता पाया। फिर उन्होंने उसके काले फड़कते लन्ड के सुपाड़े को अपनी लाल चूत के होंठों को पाटे हुए देखा। पुत्र को इस घोर पाप का कृत्य करने जाते देख उनके होश उड़ गए। हालंकि उनकी माद इड़ियाँम चीख-चीख कर उन्हें उकसा रहीं थीं, पर उनके मन में कहीं तो समाज का डर था जो प्रेम की इस अभिव्यक्ति को पाप की संज्ञा देता था।
“रुको जय! हम ... हम ऐसा नहीं कर सकते !” मिसेज शर्मा ने पुत्र को दूर हटाने की एक दुर्बल सी चेष्टा की। पर पुत्र प्रेम ने उनके तन को दुर्बल कर दिया था। इससे पहले कि वो अगला लफ़्ज़ कह पायें जय ने निर्दयता से एक ही झटके में अपना पूरा लन्ड माता की योनि में घुसा डाला।
“ जय! क्या चीर डालेगा माँ को ?” पुत्र के भीमकाय लिंग को एक ही बलशाली झटके में अपनी योनि की गहराइयों में उतरता महसूस कर के टीना जी बोलीं।
आहिस्त! मादरचोद आहिस्ता से! दर्द होता है! मेरे लाल प्लीज जरा धीरे-धीरे।”
** ओह अम्मा! कितनी टाईट हो तुम! सालः . जय खुल कर बोल नहीं पाया।
बोल जय! खुल कर बोल मम्मी से !”
“म मैं कह रहा था! साली चूत तो इलास्टिक जैसी टाइट है!” अपने बेटे के मुंह से बेधड़क बेशर्मी से निकलती रंडीखाने वाली भाशा ने टीना जी को और अधिक उत्तेजित कर दिया। माता ने अपने कूल्हे उचका कर पुत्र के अधीर लिंग की पूर्ण लम्बाई को अपनी गहरी योनि में निगल लिया।
जाँघों के बीच देखा तो पाया कि पुत्र का काला मोटा लिंग उनकी योनि के फैले हुए होंठों के बीच चपा-चप्प आवाज करता हुआ कोख की गहराईयों को छू रहा है। । “हरामजादा! बाप जितना बड़ा है!” बेटे के पौरुष तथा बल पर एक आश्चर्य हो रहा था उन्हें। आश्चर्य के साथ ही आनन्द भी। उनके सत्रह बरस के पुत्र का लिंग उनकी लचीली योनि सामान्य से कुछ अधिक खींच कर एक मीठा दर्द दे रहा था।
आश्चर्य जय को भी था। माता की योनि शिशु के जनं के बाद कुच बड़ी और ढीली हो जाती है। पर अनुमान के विपरीत योनि को तंग और लचीली पा कर उसे एक सुखद आश्चर्य हुआ था। इतनी तंग थी योनि कि उसकी एक- एक माँसपेशी, एक एक धमनी को अपने लिंग की संवेदनशील त्वचा पर अनुभर कर सकता था - जैसे रबड़ के दस्ताने पर।
जय ने अब माँ को बदस्तूर चोदना चालू किया। अपने ताकतवर शरीर का भार कोहनी पर टेक कर अपने कुल्हे आगे पीछे चलाने लगा, पहले तो साधारण गति में और फिर जैसे-जैसे माता के तरल मादा-द्रवों से लिंग और योनि का संगम स्थल चिकना होता चला गया, तो अधिक गति से।
। जय अपने लिंग को दनादन बलपूर्वक अंदर अपनी माता की योनि में मारता और बाहर खिंचता।
मिसेज शर्मा ने ऊपर जय के चेहरे पर देखा तो उसकी आंखों में माँ के प्रति पुत्र का निश्छल प्यार उमड़ता पाया। फिर उन्होंने उसके काले फड़कते लन्ड के सुपाड़े को अपनी लाल चूत के होंठों को पाटे हुए देखा। पुत्र को इस घोर पाप का कृत्य करने जाते देख उनके होश उड़ गए। हालंकि उनकी माद इड़ियाँम चीख-चीख कर उन्हें उकसा रहीं थीं, पर उनके मन में कहीं तो समाज का डर था जो प्रेम की इस अभिव्यक्ति को पाप की संज्ञा देता था।
“रुको जय! हम ... हम ऐसा नहीं कर सकते !” मिसेज शर्मा ने पुत्र को दूर हटाने की एक दुर्बल सी चेष्टा की। पर पुत्र प्रेम ने उनके तन को दुर्बल कर दिया था। इससे पहले कि वो अगला लफ़्ज़ कह पायें जय ने निर्दयता से एक ही झटके में अपना पूरा लन्ड माता की योनि में घुसा डाला।
“ जय! क्या चीर डालेगा माँ को ?” पुत्र के भीमकाय लिंग को एक ही बलशाली झटके में अपनी योनि की गहराइयों में उतरता महसूस कर के टीना जी बोलीं।
आहिस्त! मादरचोद आहिस्ता से! दर्द होता है! मेरे लाल प्लीज जरा धीरे-धीरे।”
** ओह अम्मा! कितनी टाईट हो तुम! सालः . जय खुल कर बोल नहीं पाया।
बोल जय! खुल कर बोल मम्मी से !”
“म मैं कह रहा था! साली चूत तो इलास्टिक जैसी टाइट है!” अपने बेटे के मुंह से बेधड़क बेशर्मी से निकलती रंडीखाने वाली भाशा ने टीना जी को और अधिक उत्तेजित कर दिया। माता ने अपने कूल्हे उचका कर पुत्र के अधीर लिंग की पूर्ण लम्बाई को अपनी गहरी योनि में निगल लिया।
जाँघों के बीच देखा तो पाया कि पुत्र का काला मोटा लिंग उनकी योनि के फैले हुए होंठों के बीच चपा-चप्प आवाज करता हुआ कोख की गहराईयों को छू रहा है। । “हरामजादा! बाप जितना बड़ा है!” बेटे के पौरुष तथा बल पर एक आश्चर्य हो रहा था उन्हें। आश्चर्य के साथ ही आनन्द भी। उनके सत्रह बरस के पुत्र का लिंग उनकी लचीली योनि सामान्य से कुछ अधिक खींच कर एक मीठा दर्द दे रहा था।
आश्चर्य जय को भी था। माता की योनि शिशु के जनं के बाद कुच बड़ी और ढीली हो जाती है। पर अनुमान के विपरीत योनि को तंग और लचीली पा कर उसे एक सुखद आश्चर्य हुआ था। इतनी तंग थी योनि कि उसकी एक- एक माँसपेशी, एक एक धमनी को अपने लिंग की संवेदनशील त्वचा पर अनुभर कर सकता था - जैसे रबड़ के दस्ताने पर।
जय ने अब माँ को बदस्तूर चोदना चालू किया। अपने ताकतवर शरीर का भार कोहनी पर टेक कर अपने कुल्हे आगे पीछे चलाने लगा, पहले तो साधारण गति में और फिर जैसे-जैसे माता के तरल मादा-द्रवों से लिंग और योनि का संगम स्थल चिकना होता चला गया, तो अधिक गति से।
। जय अपने लिंग को दनादन बलपूर्वक अंदर अपनी माता की योनि में मारता और बाहर खिंचता।