vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान) - Page 5 - SexBaba
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vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)

सुनील ने रशीदा की गाँड को दोनों तरफ़ से पकड़ कर फैला दिया। जैसे ही रशीदा की गाँड का छेद नफ़ीसा की हवस ज़दा आँखों के सामने आया तो नफ़ीसा ने झुक कर अपनी ज़ुबान रशीदा की गाँड के छेद पर लगा दी। “ऊँऊँहहहह याल्लाहऽऽऽ... आहहहह ओहहह नफ़ीऽऽसाऽऽऽ मेरीईईई जान क्या कर रही है.... ओहहहह सक मीईईई ओहहह येस्स्स्स.!” सुनील के लौड़े पर ऊपर-नीचे कूदती हुई रशीदा अपनी गाँड के छेद पर नफ़ीसा की ज़ुबान महसूस करती हुई मचल कर जोर से सिसक उठी। नीचे लेटा सुनील रशीदा की मस्ती भरी सिसकारियाँ सुन कर और ज्यादा जोश में आ गया और अपनी कमर को तेजी से ऊपर की ओर उछालने लगा। सुनील का लंड रेल-इंजन के पिस्टन की तरह रशीदा की चूत के अंदर बाहर होने लगा। “ओहहहह सुनीईईल आहहहह ऐसे ही... और तेज़ तेज़ ऊऊऊँऊँहहह ऊऊऊहहहह ओहहहह सुनील मेरी जान...!” रशीदा अब एक दम मस्त हो चुकी थी। उसने झुक कर सुनील के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया। उधर नफ़ीसा पीछे से रशीदा की गाँड में अपनी ज़ुबान घुसेड़-घुसेड़ कर चूसती हुई रशीदा की मस्ती में इज़ाफ़ा कर रही थी। लेस्बियन चुदाई के वक़्त दोनों औरतें अक्सर एक दूसरी की गाँड ज़ुबान से चाटने के साथ-साथ गाँड में अंदर तक उंगलियाँ घुसेड़-घुसेड़ कर गंदगी से सनी हुई उंगलियाँ खूब मज़े से चाट जाती थीं और एक-दूसरे के पाद सूँघने में भी उन्हें बेहद मज़ा आता था।

रशीदा के मुँह से “ऊँहहह ऊँहहह” जैसी सिसकारियों के आवाज़ें आने लगी और फिर उसका जिस्म एक दम ऐंठने लगा। जिस्म का सारा लहू उसे अपनी चूत की तरफ़ दौड़ता हुआ महसूस हुआ और अगले ही पल रशीदा की चूत से गाढ़े लेसदार पानी की धार बह निकाली। रशीदा बुरी तरह काँपते हुए झड़ने लगी और फिर सुनील के ऊपर निढाल होकर गिर पढ़ी। रूम में एक दम से सन्नाटा सा छा गया। थोड़ी देर बाद साँसें बहाल होने पर रशीदा सुनील के ऊपर से उतर कर बेड पे लेट गयी सुनील ने नफ़ीसा के कहने पर रशीदा की गाँड के नीचे एक तकिया लगा कर उसकी गाँड ऊपर उठा दी। नफ़ीसा ने पहले ही उसकी गाँड के छेद को अपनी जीभ और उंगलियों से चोद कर नरम कर दिया था। सुनील ने जैसे ही अपने लंड का सुपाड़ा रशीदा की गाँड के छेद पर रख कर दबाया तो सुनील के लंड का सुपाड़ा रशीदा की गाँड के छेद को फैलाता हुआ अंदर की ओर फिसल गया। सुनील के लंड का सुपाड़ा जैसे ही रशीदा की गाँड के छेद में घुसा तो रशीदा की आँखें फैल गयी और साँसें जैसे अटक गयी हों। “सुनील... फ़िक्र करने के जरूरत नहीं है... शाबाश मेरे शेर... फाड़ दे इस राँड की गाँड भी...!” नफ़ीसा ने नीचे झुक कर सुनील के टट्टों को सहलाते हुए कहा। रशीदा पत्थरायी हुई आँखों से सुनील को देख रही थी और अगले ही पल सुनील ने एक ज़ोरदार झटका मारा। “हाआआआयल्लाआआआआह.. फाआआड़ दी ना मेरी गाँड ओहहहहह... ऊँऊँहहह.!”

“अभी तो शुरुआत है मेरी जान... आगे-आगे देख कितना मज़ा आता है... देख तेरी गाँड के आज कैसे चिथड़े उड़ते हैं..!” नफ़ीसा ने कहा और फिर सुनील से बोली, “सुनील कोई रहम मत करना इस राँड पे... खूब गाँड मरवायी हुई है इसने... कुछ नहीं होगा इसे!” ये सुनते ही सुनील ने एक बार और करारा झटका मार कर अपना पूरा का पूरा लंड रशीदा की गाँड के छेद में चाँप दिया। रशीदा के चेहरे पर दर्द के आसार देख कर नफ़ीसा का दिल उसके लिये पिघल गया। उसने झुक कर पहले रशीदा की चूत की फ़ाँकों को फैलाया और उसकी चूत के मोटे अंगूर जैसे दाने को बाहर निकला कर अपने मुँह में भर लिया। जैसे ही रशीदा के चूत का दाना नफ़ीसा के मुँह में गया तो रशीदा एक बार फिर से सिसक उठी, “आआहहहह चूस साआलीईईई... मेरीईईई चूत ओहहह नफ़ीसाआआआ... चाट ले मेरे चूत ओहहहह देख तेरे सहेली की चूत ने आज कितना रस बहाया है..!”

नफ़ीसा ने भी रशीदा की बात सुनते हुए उसकी चूत के छेद पर अपना मुँह लगा दिया और उसकी चूत की फ़ाँकों और छेद को चाटते हुए उसकी चूत से निकल रहे गाढ़े लेसदार पानी को चाटने लगी। उसने रशीदा की चूत चाटते हुए सुनील की जाँघ पे चपत लगा कर धक्के लगाने का इशारा किया और सुनील ने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाल कर अंदर पेलना शुरू कर दिया। सुनील का लंड पुरी तरह फंसता हुआ रशीदा की गाँड के छेद के अंदर-बाहर हो रहा था। रशीदा की चूत चाटते हुए नफ़ीसा की नाक सुनील के लंड की जड़ में टकरा रही थी। कुछ ही पलों में रशीदा भी अपने रंग में आ गयी। सुनील का लंड जब उसकी गाँड के छेद में अंदर-बाहर होता तो उसके जिस्म में मस्ती की लहरें दौड़ जातीं। “ओहहहह सुनीईऽऽऽईल येस्स्स फक मॉय ऐस ओहहहहहह फाड़ दे मेरी गाँड... ओहह आहहहह ऊँहहहह आहहहहह.!”

सुनील ने भी ऐसे कस-कस के शॉट्स लगाये कि रशीदा की गाँड में सुरसुरी दौड़ने लगी। अब सुनील अपना पूरा लंड बाहर निकाल-निकाल कर रशीदा की गाँड में पेल रहा था और रशीदा की चूत का पानी और नफ़ीसा का थूक बह कर सुनील के लंड गीला कर रहा था। एक बार फिर से वही पुर्रर्र-पुर्रर्र की आवाज़ें रशीदा की सिसकारियों के साथ मिलकर पूरे कमरे में गूँजने लगी। रशीदा और नफ़िसा दोनों की चूत की धुनकी बज उठी... खासतौर पर रशीदा की चूत बुरी तरह कुलबुलाने लगी और वो “आहहहह ओहहहह सुनीईईऽऽल... आहहहहह ऊँहहह आआईईई” करते हुए झड़ने लगी। सुनील ने भी अपनी रफ़्तार को चरम तक पहुँचा दिया जिससे बेड भी चरमराने लगा। “ओहहहह सुनीईईईईल इसकी गाँड के अंदर नहीं झड़ना... हमें तेरे लंड के पानी का ज़ायक़ा चखना है...!” नफ़ीसा बोली तो सुनील ने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाल लिया। नफ़ीसा ने जल्दी से घुटनों के बल बैठते हुए सुनील के लंड को अपने हाथ में ली लिया और उसके लंड के सुपाड़ा पर अपनी जीभ फेरते हुए उसपे अपनी सहेली की गाँड की गंदगी चाटने लगी। रशीदा भी रंडी की तरह सुनील के टट्टों को अपने मुँह मैं भर कर चूसने लगी और अपनी ही गाँड का ज़ायक़ा लेने लगी। कुछ ही पलों में सुनील के लंड की नसें फूलने लगी और फिर जैसे ही दोनों रंडियों को अंदाज़ा हुआ कि सुनील के लंड से अब मनी इखराज़ होने वाली है... दोनों ने अपने मुँह खोल लिये और फिर सुनील के लंड से वीर्य की लंबी-लंबी पिचकारियाँ निकलने लगी जो सीधा जाकर दोनों के मुँह और मम्मों पर गिरने लगी। सुनील के लंड इतना पानी निकला कि दोनों के चेहरे और मम्मे पूरी तरह से सन गये। फिर सुनील झड़ने के बाद बेड पर लेट गया और दोनों औरतें एक दूसरे का चेहरे और मम्मे चाटते हुए सुनील की मनी का ज़ायका लेने लगीं। तीनों सुबह तीन बजे तक चुदाई का खेल खेलते रहे और सुबह तीन बजे सोये।

फिर सुबह नफ़ीसा ने सुनील और रशीदा को आठ बजे उठाया। सुनील ने अपने कपड़े पहने और घर की तरफ़ चला गया। जैसे ही उसने घर पहुँच कर डोर-बेल बजायी तो रुखसाना ने दरवाजा खोला और सुनील दुआ-सलाम के बाद ऊपर चला गया। ऊपर जाने के बाद सुनील फ्रेश हुआ और नाश्ता करके फिर से स्टेशन पर पहुँच गया। जब सुनील वहाँ पहुँचा तो नफ़ीसा और रशीदा भी आ चुकी थी। तीनों ने एक दूसरे के तरफ़ देखा और मुस्कुरा पड़े।
 
उस दिन जब सुनील रात को घर आया तो रुख़साना घर पे अकेली थी सानिया को नज़ीला अपने साथ अपने घर ले गयी थी क्योंकि उसका शौहर और बेटा नज़ीला के ससुर के पास गये हुए थे। इसलिये वो सानिया को अपने साथ ले गयी थी और सानिया को आज रात वहीं सोना था। इधर फ़ारूक़ भी दो-तीन दिनों के लिये अपने डिपार्टमेंट के काम से हाजीपुर हेडक्वार्टर ऑफ़िस गया हुआ था। इसलिये रूख़साना बेहद खुश थी कि आज तो पूरी रात वो सुनील के साथ खुल कर मज़े कर सकेगी। सानिया और नज़ीला के जाने के बाद रुखसाना बहुत अच्छे से तैयार हुई थी। उसने दो दिन पहले ही खरीदा नया जोड़ा पहना था... बेहद गहरे सब्ज़ रंग की सिल्क की स्लीवलेस कमीज़ जिसपे सुनहरे धागे और क्रिस्टल की कढ़ाई थी और झीनी जारजेट की प्रिंटिड काली सलवार जिसमें नीचे लाइनिंग लगी थी... सिर्फ़ एक हाथ में हरी चूड़ियाँ और पैरों में मेल खाते गोल्डन रंग के बेहद ऊँची पेंसिल हील वाले खूबसूरत प्लेटफॉर्म सैंडल। सुनील ने घर में दाखिल होते ही हर रोज़ की तरह रुक्खसाना की खूबसूरती और उसके लिबास की तारीफ़ की और घर में कोई और नज़र नहीं आया तो रुखसाना को आगोश में लेकर उसके होंठों पे एक चुम्मी देकर फ्रेश होने ऊपर चला गया।

फ्रेश होकर थोड़ी देर के बाद नीचे खाने के लिये आया तो रुख्साना ने मानी-खेज़ मुस्कुराहट के साथ उसे बताया कि आज सानिया नज़ीला भाभी के घर पर है और रात को भी वहीं सोयेगी... और फ़ारूक भी टूर पे गया है... तो ये सुन कर सुनील का कोई खास रीऐक्शन ना देख कर रुखसाना को बेहद हैरानी हुई। जब से सानिया नज़ीला के घर गयी थी तब से ये सोच-सोच कर कि आज वो और सुनील फिर से घर में बिल्कुल अकेले हैं और सुनील जरूर उसे शराब पिलाकर फ़ुर्सत से उसकी फुद्दी और गाँड मारेगा और जन्नत की सैर करवायेगा... रुखसाना का बुरा हाल था। चूत शाम से चुलचुला रही थी पर सुनील आज जैसे किसी और ही दुनिया में था। सुनील ने चुपचाप खाना खाया और रुखसाना को बस आगोश में लेकर चूमते हुए गुड-नाईट कह कर ऊपर चला गया। दर असल सुनील थका हुआ था क्योंकि पिछली रात मुश्किल से चार-पाँच घंटे ही सोया था और नफ़ीसा और रशिदा ने उसे पूरी रात बिल्कुल निचोड़ कर रख दिया था। लेकिन रुखसाना तो इस बात से अंजान थी। उसने सोचा था कि जब सुनील को पता चलेगा कि आज वो दोनों अकेले हैं तो वो खुद को रोक नहीं पायेगा और उसे अपनी बाहों में कसके पूरी रात खूब प्यार करेगा... खूब चोदेगा... पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

सुनील के ऊपर जाने के बाद रुखसाना ने मायूस होकर किचन संभाली और अपने बेडरूम में चली गयी। पर रुख्साना का बुरा हाल था... उसका पूरा जिस्म सुलग रहा था... दिल चाह रहा था कि सुनील अभी आकर उसे बाहों में जकड़ कर उसके जिस्म को पीस दे... और चूत तो कब से बिलबिला रही थी। रुखसाना को बड़ी मुश्किल से आज मौका मिला था जो उसे ज़ाया होता नज़र आ रहा था। वो सोच रही थी सुनील तो खुद हमेशा ज़रा सा भी मौका देखते ही उसे अपने आगोश में भर कर चूमने और दबोचने लगता था... उसकी चूत या गाँड मारने के लिये बेकरार रहता था तो आज इतने दिन बाद अच्छा मौका मिलने पर भी उसे क्या हो गया.... शायद कल सारी रात स्टेशन पे नाइट-ड्यूटी के बाद आज फिर सारा दिन काम करने की वजह से थका होगा। रुखसाना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो उसने खुद ऊपर जाने का फैसला किया... प्यासे को ही कुंए के पास जाना पड़ता है... और इस वक़्त उसके जिस्म की प्यास सिर्फ़ सुनील और उसका लंड ही बुझा सकता था। उसने सोचा कि अगर सुनील थका भी है तो वो उसे अपने हुस्न और प्यार की बारिश में नहला कर उसकी थकान दूर कर देगी।

ये सब सोच कर वो खड़ी हुई एक बार आइने के सामने अपना मेक-अप दुरुस्त किया और खुद अपनी फुद्दी चुदवाने ऊपर की तरफ़ चल दी। वो ऊपर पहुँची, तो उसे छत के दूसरी तरफ़ बने हुए बाथरूम में कुछ आवाज़ सुनायी दी। सुनील बाथरूम में नहा रहा था। रुखसाना सुनील के कमरे में चली गयी। कमरे में सिर्फ़ टेबल लैम्प जल रहा था। उसे मालूम था कि सुनील की अलमारी में व्हिस्की की बोतल होगी तो उसने अलमारी खोल कर बोतल निकाल ली और दो गिलासों में पैग तैयार लिये। फिर अपना गिलास लेकर वो सुनील के बेड पर पैर नीचे लटका कर बैठ गयी और सुनील के आने का इंतज़ार करते हुए सिप करने लगी। वो आज मदहोश होकर बेफ़िक्र होकर चुदवाने के मूड में थी। थोड़ी देर बाद सुनील के कदमों की आहट कमरे की तरफ़ बढ़ती हुई सुनायी दी तो रुखसाना का दिल धड़कने लगा। थोड़ी देर बाद सुनील अंदर आया तो रुखसाना ने नशीली नज़रों से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा। सुनील सिर्फ़ अंडरवियर पहने हुए था। सुनील भी रुखसाना को अपने बेड पर बैठ कर व्हिस्की पीते हुए देख कर समझ गया था कि रुखसाना उसके कमरे में क्यों आयी है। सुनील कुछ बोला नहीं और उसने कमरे की ट्यूब लाइट भी ऑन कर दी। फिर टेबल पर से अपना गिलास और साथ ही व्हिस्की की बोतल भी लेकर रुखसाना के सामने आकर खड़ा हो गया। रुखसाना का गिलास तकरीबन खाली हो चुका था तो सुनील ने उसका गिलास आधे से ज्यादा व्हिस्की से भर दिया और फिर उसके गिलास से अपना गिलास टकरा कर मुस्कुराते हुए बोला, “चियर्स भाभी... अब फटाफट खींच दो..!” य़े कहकर सुनील अपना पैग एक साँस में गटक गया और रुखसाना ने भी तीन-चार घूँट में ही तीन-चौथाई भरा गिलास खाली कर दिया जो कि तीन-चार पैग के बराबर था।

सुनील ने अपना और रुखसाना का गिलास टेबल पर रख दिया फिर उसके सामने आकर खड़ा हो गया और अंडरवियर के ऊपर से अपना लंद मसलते हुए बोला, “कसम से भाभी... कुछ ज्यादा ही गज़ब लग रही हो आज तो... कि इतनी थकान के बाद भी आपका दिल तो रखना ही पड़ेगा... ये लो आपका दिलबर!” और ये कहते हुए उसने एक झटके में अपना अंडरवियर उतार फेंका। उसका आधा खड़ा लंड रुखसाना के चेहरे के सामने लहराने लगा। सुनील के अनकटे लंड को रुखसाना प्यार से अपना दिलबर बुलाती थी। अपनी आँखों के सामने सुनील का लौड़ा लहराते देख उसकी आँखें हवस से चमक उठीं और उसने फ़ौरन उसे अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए प्यार से उसकी चमड़ी ज़रा सी पीछे सरकायी और उसके सुपाड़े पर अपने होंठ रख दिये और फिर चुप्पे लगाने लगी। शराब के नशे की खुमारी धीरे-धीरे रुखसाना पे छाने लगी थी। सुनील का लौड़ा जल्दी ही फूल कर बिल्कुल सख्त हो गया। रुखसाना की राल से उसका लंड बेहद सन गया था। सुनील ने सिसकते हुए रुख़्साना का सिर पीछे से कस कर पकड़ लिया और अपना लौड़ा उसके मुँह में ठेलने लगा। जैसे ही सुनील का लौड़ा उसके हलक में पहुँचा तो रुखसाना का दम घुटने लगा और उसने पीछे हटने की कोशिश की लेकिन सुनील ने उसका सिर कस के पकड़े रखा और जितना मुमकिन हो सकता था अपना लंड उसके हलक में ठूँस दिया। रुखसाना की आँखों में पानी भर आया और वो बाहर को निकल आयीं। वो नाक से लंबी-लंबी साँसें लेने लगी।
 
सुनील ने इसी तरह वहशियाना ढंग से रुखसाना का मुँह अपने लौड़े से चोदना शुरू कर दिया। वो बीच-बीच में धक्के ज़रा धीमे कर देता ताकि रुखसाना साँस ले सके और फिर ज़ोर-ज़ोर से रुखसाना के हलक तक धक्के मारने लगता। रुख़्साना के मुँह से ठुड्डी तक लार बह कर नीचे टपकने लगी। रुखसाना को सुनील का लंड अपने हलक के नीचे उतरता हुआ महसूस हो रहा था और बार-बार साँस घुटने से उसके मुँह से गों-गों की आवाज़ें आ रही थीं लेकिन फिर भी सुनील का वहशियानापन कहीं ना कहीं रुखसाना की हवस भड़का रहा था। फिर सुनील अचानक अपना लौड़ा रुखसाना के होंठों से हटाते हुए बोला, “उतारो... भाभी!” रुखसाना ने राहत की साँस लेते हुए चौंक कर सवालिया नज़रों से उसकी तरफ़ देखा तो सुनील ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ फिर से कहा, “अपनी सलवार उतारो..!” रुखसाना तो शराब के नशे की खुमारी और चुदासी मस्ती के आलम में थी... उसकी भीगी चूत सुनील का बिला-कटा लंड लेने के लिये मचमचा रही थी। रुखसाना ने वैसे ही बैठे-बैठे अपनी कमीज़ के नीचे हाथ डाल कर अपनी सलवार का नाड़ा खोलना शुरू कर दिया। रुखसाना ने सलवार का नाड़ा खोलते हुए एक बार नज़र उठा कर सुनील की आँखों में देखा और फिर अपनी सलवार उतार कर बेड के एक तरफ़ रख दी। उसने जानबूझ कर पैंटी नहीं पहनी हुई थी। सुनील ने नीचे झुक कर उसकी टाँगों को पकड़ कर ऊपर उठा दिया जिसकी वजह से रुखसाना बेड पर पीछे की तरफ़ लुढ़क गयी। सुनील ने फिर उसे टाँगों से घसीट कर बेड पर सीधा लिटा दिया और उसकी टाँगों को खोल कर जाँघों के बीच में आ गया। उसने अपने लंड को एक हाथ से पकड़ा और रुखसाना की चूत की फ़ाँकों पर रगड़ते हुए अपनी एक उंगली को उसकी चूत के छेद के बीच में घुसा कर बोला, “भाभी आपकी चूत तो पहले से ही लार टपका रही है!”

सुनील की बात सुन कर रुखसाना ने मुस्कुराते हुए उसकी चौड़ी छाती में मुक्का झड़ दिया, “इसका तो शाम से ही ये हाल है... पर तुझे क्या फ़र्क पड़ता है... हरजाई कहीं का!” रुखसाना के जवाब में सुनील बोला, “तो ये लो भाभी मेरी जान!” और अपना लंड रुखसाना की चूत में एक धक्के के साथ पेल दिया। “आआआऊऊऊहहहह याल्लाआआहहहह ऊऊहहहह आहहहहह” रुखसाना जोर से सिसकते हुए सुनील से चिपक गयी। सुनील ने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और तेजी से अपने लंड को अंदर-बाहर करते हुए रुखसाना के होंठों को चूसने लगा। रुखसाना मस्ती के समंदर में गोते खाते हुए सुनील के नीचे मचल रही थी और वो लगातार अपना मूसल उसकी चूत में चला रहा था। रुखसना को अपनी चूत की दीवारों पे सुनील के लंड की रगड़ इंतेहाई लज़्ज़त दे रही थी। रुखसाना के हाथ खुद-ब-खुद सुनील की पीठ पर कसते चले गये। उसने अपनी टाँगें उठा कर सुनील की गाँड के नीचे लपेट कर कैंची की तरह कस दीं और उसकी खुद की गाँड बेकाबू होकर अपने आप ऊपर की और उछलने लगी। करीब दस मिनट की धुंआधार चुदाई में ही रुखसाना मस्ती के सातवें आसमान पे उड़ने लगी और फिर उसकी चूत में तेज सिकुड़न होने लगी और उसकी चूत ने सुनील के लंड के टोपे को चूमते हुए उस पर अपना प्यार भरा रस लुटाना शुरू कर दिया। सुनील भी चंद और झटकों के बाद रुखसाना की चूत में ही झड़ने लगा। झड़ने के बाद रुखसाना को बेहद सकुन मिल रहा था। शाम से जिसके लिये वो तड़प रही थी... उस लौड़े ने दस मिनट में रुकसाना को दुनिया भर की जन्नत की सैर करवा दी थी।

उसके बाद देर रात तक दोनों चुदाई के मज़े लूटते रहे। सुनील ने रुखसाना की गाँड भी मारी और फिर पहली दफ़ा सुनील ने रुखसाना की गाँड में से निकला गंदा लंड उससे चुसवाया। दरसल सुनील ने उसकी गाँड मारने के फ़ौरन बाद अपना गंदा लंड अचानक ही रुखसाना के मुँह में दे दिया। नशे और मस्ती के आलम में पहले तो रुखसाना को एहसास नहीं हुआ और जब उसे एहसास हुआ तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी और वो अपने मुँह में चूसते हुए उसपे ज़ुबान फिरा कर चुप्पे लगाते उसका गंदा लंड पुरी तरह चाट चुकी थी। आखिर में दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के आगोश में लेट कर सो गये। रात के तीन बजे के करीब रुखसाना की आँख खुली तो उसने देखा कि सुनील गहरी नींद में सोया हुआ था। कमेरे में ट्यूब लाइट अभी भी चालू थी। रुखसाना को पेशाब भी लगी थी तो उसने बिस्तर से उतर कर सिर्फ़ अपनी कमीज़ पहन ली। फिर सुनील के नंगे जिस्म और मुर्झाये हुए लंड को उसने एक बार प्यार भरी नज़र से देखा और फिर लाईट बंद करके कमरे से बाहर निकल गयी। शराब के नशे की खुमारी अभी भी छायी हुई थी तो रुखसाना झूमती हुई हाई पेन्सिल हील के सैंडलों में आहिस्ता-आहिस्ता सीढ़ियाँ उतर कर अपने कमरे में आयी और बाथरूम में जा कर पेशाब करने के बाद उसी हालत में अपने बेड पर आकर लेट गयी। भले ही वो हवस के नशे में और जिस्मानी सुकून के लिये ये सब कुछ कर रही थी पर दिल के एक कोने में उसे ये ख्याल आ रहा था कि यही उसका वजूद है... वो जिस्मानी रिश्ते के साथ-साथ कहीं ना कहीं सुनील में अपनी मोहब्बत भी ढूँढ रही थी पर उसे एहसास हो गया था कि सुनील के लिये शायद वो सिर्फ़ सैक्स और मौज मस्ती करने की जरूरत है। वो सोच रही थी कि क्या सुनील उसे सिर्फ़ उसके हसीन जिस्म के लिये चाहता है... और वो खुद भी क्या से क्या बन गयी है.... वो खुद भी तो सुनील के ज़रिये अपनी हवस की आग बुझा रही है... एक शादीशुदा औरत होकर भी वो आधी रात को अपने से आधी उम्र से भी कम जवान हिंदू लड़के के कमरे में जाकर खुद अपने कपड़े उतार के नंगी होके अपनी टाँगें और चूत खोल कर शराब के नशे में उससे चुदवाती है... उससे गाँड मरवाती है... अपनी गाँड में से निकला उसका गंदा लंड चाट कर चुप्पे लगाती है... बेहयाई से खुल कर गंदी- गंदी अश्लील बातें और गालियाँ बोलती है...! लेकिन इसमें गलत भी क्या है... उसका शौहर तो उसे छोड़ कर अपनी भाभी का गुलाम बना हुआ है... इतने सालों से वो अपनी हसरतों का गला घोंटती रही थी पर जब से सुनील से रिश्ता बना है उसकी ज़िंदगी कितनी खुशगवार हो गयी है... यही सब उधेड़बुन उसके दिमाग में चल रही थी कि पता नहीं कब उसे नींद आ गयी।

सुबह सात बजे रुखसाना उठी और खुद तैयार होकर नाश्ता तैयार करने लगी। इतने में सानिया भी आ गयी और वो भी कॉलेज जाने के लिये जल्दी से तैयार हुई। फिर तीनों ने एक साथ नाश्ता किया। जैसे ही सुनील नाश्ता करके उठा तो उसने सानिया से पूछा, “तुम्हें कॉलेज जाना हो तो छोड़ दूँ..?” सानिया ने सुनील की बात सुनते ही रुखसाना की तरफ़ देखा तो रुखसाना ने रज़ामंदी में सिर हिला दिया। सानिया ने अपना बैक-पैक कंधे पे लटकाया और फिर वो सुनील की बाइक के पीछे बैठ कर चली गयी। दर असल अब सुनील सानिया को अपने नीचे लिटाने की फ़िराक़ में था जिसका रुखसाना को अंदाज़ा नहीं था।

उस दिन जब दोनों बाइक पर निकले तो सानिया के दिमाग में उस शाम की बातें घूम रही थी जब सुनील ने उसे कहा था कि उसके कॉलेज के लड़के उसे देख कर गंदे-गंदे कमेंट्स कर रहे थे। सानिया जवान थी और उसकी चूत में खूब चुलचुलाहट होती थी। सान्या ने सुनील के बाइक पीछे बैठे हुए पूछा, “उस दिन तुमने ये क्यों कहा था कि वो लड़के जो भी मेरे बारे में गंदे कमेंट्स कर रहे थे... वो सही है... क्या मैं तुम्हें ऐसी लड़की लगती हूँ...?”

सुनील बोला, “नहीं-नहीं... मेरा मतलब वो नहीं था...!”

“तो फिर तुम्हारा मतलब क्या था... अगर कोई बोले कि मैं चालू लड़की हूँ तो तुम सच मान लोगे..?” सानिया ने नाराज़गी ज़ाहिर की तो सुनील बोला, “नहीं बिल्कुल नहीं... मैं किसी की कही हुई बातों पर यकीन नहीं करता..!”

“फिर तुमने क्यों कहा कि वो लड़के जो भी कह रहे थे सच कह रहे थे...?” सनिया बोली। “हाँ सच कह रहे थे... वो तुम्हारे जिस्म के बारे में कुछ गलत शब्द इस्तेमाल कर रहे थे... पर उन्होंने जो भी तुम्हारे फ़िगर के बारे में कहा... एक दम सच कहा था..!” सुनिल ने कहा तो सानिया उसकी बात सुन कर थोड़ा शरमा गयी। दोनों में से कुछ देर कोई भी कुछ ना बोला। सान्या का दिल जोरों से धड़क रहा था। उसका दिल बार-बार गुदगुदा रहा था। “वैसे क्या बोल रहे थे वो कमीने मेरे बारे में...?” सानिया का दिल अब सुनील से अपने बारे में सुनने को बेचैन होता जा रहा था। “वो कमीने जो भी बोल रहे थे उसे छोड़ो... मैं नहीं बता सकता!” सुनील बोला। “क्यों..?” सानिया ने पूछा तो सुनील बोला, “क्योंकि इस तरह तो मैं भी कमीना हुआ ना?”
 
“तुम क्यों? मैंने तुम्हें थोड़ा ना कहा है!” सानिया ने कहा। “कहा तो नहीं पर मुझे उनकी बातें सही लगी... अगर तुम सुनोगी तो तुम्हें लगेगा कि मैं भी उनकी तरह ही कमीना हूँ क्योंकि मैं भी उनके बातों से सहमत हूँ..!” सुनील की ये बात सुन कर सानिया बोली, “अरे तौबा मैं तुम्हें ऐसा नहीं कह सकती..!”

“चलो छोड़ो सब... तुम बेकार ही परेशान हो गयी!” सुनील ने कहा लेकिन सानिया बोली, “नहीं एक बार पता तो चले वो हरामजादे कह क्या रहे थे..!” सानिया बेझिझक कमीने और हरामजादे जैसे अल्फ़ाज़ बोल रही थी। सुनील ने कहा, “अभी नहीं... अभी तुम्हारा कॉलेज आने वाला है!” थोड़ी देर बाद सानिया का कॉलेज आ गया। सानिया सुनीळ की तरफ़ देख कर एक बार मुस्कुरायी और फिर कॉलेज की तरफ़ जाने लगी। “सानिया तुम्हारा कॉलेज कितने बजे खतम होता है..?” सानिया ने सुनील की तरफ़ मुड़ कर देखा और बोली, “साढ़े तीन बजे... क्यों?” सुनील ने एक बार गहरी साँस ली और फिर हिम्मत करते हुए बोला, “मेरे साथ घूमने चलोगी..?” जैसे ही सुनील ने सानिया से ये बात कही तो सानिया के दिल धड़कन बढ़ गयी। आज तक सानिया किसी लड़के के साथ डेट पर नहीं गयी थी। “बोलो ना... चलोगी..?” सुनील ने फिर पूछा तो सान्या बोली, “अगर अम्मी को पता चला तो..!” सुनील बोला, “नहीं पता चलेगा... तुम बारह बजे छुट्टी लेकर आ सकती हो?” सानिया ने हाँ में सर हिला दिया और बोली, “पक्का ना... घर पर तो किसी को पता नहीं चलेगा..?” सानिया तो खुद ही सुनील के साथ वक़्त बिताने को बेताब थी पर थोड़ी शरम-हया और घर वालों का डर अभी तक उसे बाँधे हुए थे। अब जब कि उसके ख्वाबों का शहज़ादा उसे खुद साथ में चलने को कह रहा था तो वो भला कैसे इंकार कर सकती थी! “ठीक है मैं बारह बजे आ जाऊँगी!” सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा।

उसके बाद सुनील स्टेशन पर आ गया। सुनील ने ग्यारह बजे तक वहाँ काम किया और फिर वो उठ कर रशीदा के कैबिन में चला गया। “आओ सुनील... बैठो... कैसे हो?” रशीदा ने कहा तो सुनील बैठते हुए बोला, “मैं ठीक हूँ मैडम... मेरा एक काम करेंगी..?” ये सुनकर रशीदा कमीनगी से मुस्कुराते हुए बोली, “हाय मैं तो हमेशा तैयार हूँ... चल आजा टॉयलेट में?”

“नहीं-नहीं... वो काम नहीं... दर असल एक और जरूरी काम है... मुझे थोड़ी देर बाद निकलना है और आज अज़मल साहब भी नहीं हैं पर्मिशन लेने के लिये... अगर कोई और पूछे या अज़मल साहब कॉल करें तो क्या आप संभाल लोगी?” सुनील ने कहा तो रशीदा बोली, “हाँ-हाँ क्यों नहीं... ये भी कोई बात है... अरे तुम जान माँग लो तो वो भी हम हंसते हुए दे देंगे..!”

उसके बाद सुनील साढ़े ग्यारह सानिया के कॉलेज के लिये निकल गया। सुनील ठीक बारह बजे सानिया के कॉलेज के बाहर पहुँच गया। थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद उसे सानिया कॉलेज के गेट से बाहर आती हुई नज़र आयी। सानीया बेहद खूबसूरत और सैक्सी लग रही थी। उसने बेबी पिंक कुर्ती-टॉप के साथ सफ़ेद कैप्री और बेबी पिंक रंग की ही ऊँची वेज हील वाली सैंडल पहनी हुई थी। अपने बाल उसने पीछे पोनी टेल में बाँधे हुए थे और होंठों पे हल्की गुलाबी लिपस्टिक थी। कॉलेज के गेट से बाहर आकर सानिया बिना कुछ बोले सुनील के पीछे बाइक पर दोनों तरफ़ पैर करके बैठ गयी। सुनील बाइक चलाने लगा पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो सानिया को लेकर कहाँ जाये। “कहाँ चलें...?” सुनील ने आगे रास्ते पर देखते हुए पूछा तो सानिया उसके दोनों कंधों पे अपने हाथ रखते हुए बोली, “कहीं भी... जहाँ तुम्हारा दिल करे वहाँ ले चलो!”

“तुम्हें कोई ऐसी जगह पता है जहाँ पर हम दोनों अकेले कुछ देर तक बातें कर सकें?” सुनील ने पूछा। सानिया का दिल सुनील की बातें सुन कर मचलने लगा। सानिया की कईं सहेलियाँ अपने बॉय फ्रेंड्स के किस्से उसे सुनाया करती थीं कि कैसे उनके बॉय फ़्रेंड ने उन्हें बाँहों में भरा... कैसे किस किया… कहाँ-कहाँ हाथ लगाया... एक दो सहेलियों ने तो अपने बॉय फ्रेंड के लौड़े चूसने और चुदने के किस्से भी बयान किये थे। ये सब बातें सुन-सुन कर सानिया का दिल भी मचलने लगता था पर सानिया अपने खूंसठ बाप फ़ारूक से डरती थी और खासतौर पर बदनामी के डर से भी उसने खुद पे काबू रखा हुआ था और रोज़ाना खुद-लज़्ज़ती करके अपनी हवस की आग बुझानी पड़ती थी। सानिया बोली, “मालूम नहीं पर मेरी एक सहेली ने बताया था कि शहर के बाहर हाईवे पर एक बहोत बड़ा नेश्नल पार्क है... जंगल सा है... पर काफ़ी लोग वहाँ घूमने जाते हैं!”

उन्होंने वहीं जाने का फ़ैसला किया। दोनों थोड़ी देर में ही शहर से बाहर आ चुके थे। रास्ता एक दम विराना था और कुछ अगे जाने पर वो उस जंगल में पहुँच गये। जैसे ही वो उस जंगल में पहुँचे, तो वहाँ सुनील को एक बाइक स्टैंड नज़र आया। उसने सानिया को नीचे उतरने के लिये कहा और उसे उतार कर वो बाइक पार्क करने के लिये स्टैंड में चला गया। जैसे ही वो बाइक स्टैंड पर पहुँचा तो उसे वहाँ उसका कॉलेज का एक पुराना दोस्त मिल गया। उसने सुनील को देखते ही पहचान लिया। उसका नाम रवि था। रवि ने सुनील को पीछे से आवाज़ लगायी, “अरे सुनील तुम यहाँ?” तो सुनील ने घूम कर रवि को देखते हुए कहा, “अरे रवि तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?”

“कुछ नहीं यार... मुझे यहाँ पर पार्किंग का ठेका मिला है... बस यही अपनी रोजी रोटी है... और तू सुना... तू यहाँ क्या कर रहा है...?” रवि ने कहा। सुनील ने कहा, “यार मुझे रेलवे में जॉब मिल गयी है... और मेरी पोस्टिंग यहीं हुई है...!”
 
रवि ने कहा, “यार ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुझे गवर्न्मम्ट जॉब मिल गयी है... और फिर पार्क में घूमने आये हो... अकेले हो या कोई और भी साथ मैं है?” सुनील मुस्कुराते हुए बोला, “हाँ यार मेरी फ्रेंड है साथ में..!” रवि बोला, “ओह हो... नौकरी और छोकरी... यार तुझे ये दोनों बड़ी जल्दी मिल गयी... भाई यहाँ पर घूमने तक तो ठीक है... पर ध्यान रखना यार... “पार्क में हर समय गार्ड गश्त करते रहते हैं.. यहाँ पर फैमिलीज़ आती हैं... इसलिये यहाँ पर वो बहुत सख्ती बरतते हैं!” ये सुनकर सुनील बोला, “ओह अच्छा... यार फिर तू किस दिन काम आयेगा!”

रवि हंसते हुए बोला, “हुम्म बेटा... मैं तेरा इरादा समझ गया... चल तू भी क्या याद करेगा... तू इस पार्किंग के पीछे वाले रास्ते से चले जाना... यहाँ से और कोई नहीं जाता... आगे जाकर काफ़ी घना जंगल है... वहाँ पर कोई नहीं होता...!” सुनील ने उसे धन्यवाद किया और उसके बाद बाइक पार्क की और सानिया को इशारे से आने के लिये कहा। फिर वो सानिया को लेकर रवि के बताये हुए रास्ते पर जाने लगा। उसके पीछे चलते हुए सानिया का दिल ज़ोर से धड़क रहा था वो इस तरह पहली बार किसी लड़के के साथ अकेली थी... वो भी कॉलेज बंक करके आयी थी। एक तरफ़ उसके दिल में सुनील के साथ वक़्त बिताने की लालसा भरी हुई थी और दूसरी तरफ़ उसे थोड़ा डर भी लग रहा था।

दोनों दस मिनट तक बिना कुछ बोले चलते रहे। अंदर की तरफ़ जंगल घना होता जा रहा था। थोड़ी दूर और चलने पर दोनों को एक बेंच दिखायी दी। दोनों उस पर जाकर बैठ गये। थोड़ी देर दोनों खमोश बैठे रहे... दोनों में से कोई बात नहीं कर रहा था। सानिया इधर-उधर देख रही थी जैसे अपना ज़हन किसी बात से हटाने की कोशिश कर रही हो पर एक जवान लड़की जब किसी जवान लड़के के साथ ऐसे सुनसान माहौल में हो तो उसके दिल में कुछ-कुछ होने लगता है! सानिया चुप्पी तोड़ते हुए बोली, “अब तो तुम बता ही सकते हो.!”

“क्या..?” सुनील ने पूछा तो बोली, “कि वो लड़के मेरे बारे में क्या कह रहे थे?” सुनील ने कहा, “छोड़ो तुम्हें बुरा लगेगा..!” सानिया बोली, “नहीं मैं बुरा नहीं मानती”! सुनील ने फिर एक बार उसे आगाह किया, “देख लो मुझसे बाद में नाराज़ मत होना...!” सानिया बोली, “नहीं होती नाराज़... अब बताओ भी!”

“वो कह रहे थे कि तुम्हारे वहाँ पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!” सुनील बताने लगा तो सानिया ने बीच में पूछा, “मेरे चर्बी... कहाँ?” सुनील ने कहा, “अब मैं तुम्हें कैसे कहूँ... तुम बुरा मान जाओगी..!” सानिया बोली, “मैं क्यों तुम्हारा बुरा मानुँगी... तुमने थोड़े ना कुछ कहा...!” सुनील की बात सुन कर सानिया को कुछ अंदाज़ा तो हो ही गया था और उसका दिल धधक -धधक करने लगा था। “वो तुम्हारी गाँड पर!” सुनील ने जानबूझ कर झेंपने का नाटक करते हुए कहा। “क्या..?” सानिया एक दम से चौंक उठी... उसे नहीं मलूम था कि सुनील ऐसे अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल करेगा। “हाँ वो कह रहे थे कि तुम्हारी गाँड पर बहुत चर्बी चढ़ गयी है!” ये बात सुनते ही सानिया का चेहरा सुर्ख लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें झुकाते हुए सुनील को कहा, “तुम्हें तो ऐसे बोलने में शरम आनी चाहिये... वो तो है ही कमीने!”

सुनील बोला, “देखा मैंने कहा था ना कि तुम बुरा मान जाओगी... मैं इसी लिये तुम्हें नहीं बता रहा था... ठीक है अब मैं ऐसी बात नहीं करता!” सानिया थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली, “मैंने ये नहीं कहा कि तुम गलत बोल रहे हो... पर तुम ऐसे अल्फ़ाज़ तो इस्तेमाल ना करो..!” सुनील बोला, “अब मुझे जैसी वर्डिंग आती है वैसे ही बोलुँगा ना... अगर तुम नहीं सुनना चाहती तो मैं नहीं बोलता..!” सानिया सुनील की बात सुन कर चुप हो गयी। अपनी गाँड पर चर्बी चढ़ने की बात सुनकर उसका दिल गुदगुदा उठा था... दिल बार-बार सुनील के मुँह से अपने बारे में सुनने के लिये मचल रहा था। “अच्छा सॉरी.. मैं ही गलत हूँ..!” सानिया ने सुनील के गुस्से से भरे चेहरे को देखते हुए कहा। “अच्छा क्या तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है...?” सानिया ने सुनीळ की ओर देखते हुए बड़ी बेकरारी से पूछा और धड़कते हुए दिल के साथ उसके जवाब का इंतज़ार करने लगी। सुनील भी अपने दिमाग के घोड़ों को तेजी से दौड़ा रहा था कि वो सानिया को क्या जवाब दे... ऐसा जवाब जिससे वो मुर्गी खुद ही कटने को तैयार हो जाये।

“क्या हुआ मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या?” सानिया बोली तो सुनील ने कहा, “नहीं ऐसी बात नहीं है... अब तुम्हें क्या बताऊँ... अगर मानो तो है भी और ना मानो तो नहीं है..!” सानिया बोली, “मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...!” सुनील ने कहा, “हाँ मेरी गर्ल-फ्रेंड है पर वो सिर्फ़ मेरी नहीं है..!” सानिया हैरान होते हुए बोली, “तो क्या तुम्हारी गर्ल-फ्रेंड किसी और की भी गर्ल-फ्रेंड है?” सुनील बोला, “गर्ल-फ्रेंड नहीं... वो किसी की बीवी है..!”

सानिया ने पूछा, “क्या तुम्हारा चक्कर एक शादी शुदा औरत के साथ है..?” सुनील ने जवाब दिया, “हम दोनों के बीच में कोई कमिट्मेंट नहीं थी... और वैसे भी मैं अब उसे नहीं मिलता... अपने-अपने जिस्म की जरूरत पूरा करने का हम एक दूसरे के लिये ज़रिया भर थे... इससे से ज्यादा कुछ नहीं... तब मैं नादान था... इसलिये मैं बिना कुछ सोचे समझे इतना आगे बढ़ गया!” सानिया को तो जैसे अपनी ख्वाबों की दुनिया आग में जल कर खाक़ होती हुई नज़र आने लगी पर सुनील का जादू सानिया के सिर पर इस क़दर चढ़ा हुआ था कि वो सुनील को खोना नहीं चाहती थी। इसलिये उसने आखिर कोशिश करते हुए पूछा, “और अब उसे नहीं मिलते..?” “नहीं!” सुनील ने कहा तो सानिया ने पूछा, “और कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं बनायी?” सुनील ने फिर कहा, “नहीं..!”

सानिया के दिल को सुनील की ये बात सुन कर थोड़ी तसल्ली हुई। इसका मतलब सुनील ने नादानी में सैक्स किया था... उसे उस औरत के साथ इश्क़-विश्क़ नहीं था। सानिया बोली, “अच्छा छोड़ो ये सब बातें... आब तुम ये बताओ कि वो कमीने मेरे बारे में और क्या कह रहे थे..!” सुनील ने सानिया की तरफ़ देखा और बोला, “अरे नहीं बाबा... अब नहीं बोलता मैं कुछ... तुम फिर भड़क जाओगी!” सानिया अब सुनील की चटपटी बातों का मज़ा लेना चाहती थी। “अरे नहीं तुम बोलो... मैं बिल्कुल नहीं भड़कुँगी!”
 
सुनील बोला, “अब मैं कैसे कहूँ... वो कह रहे थे कि तुम्हारे ये दोनों पहले से ज्यादा बड़े हो गये हैं!” सुनील ने अपनी आँखों से सानिया की टॉप में कैद... कसे हुए मम्मों की तरफ़ इशारा किया तो सानिया का चेहरा शरम से लाल हो गया। उसने अपनी नज़रें नीचे झुका ली। सुनील थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला, “और बताऊँ वो और क्या कह रहे थे...?” सानिया का दिल धक-धक करने लगा कि ना जाने अब सुनील उसे क्या बोल दे.... साथ ही चूत की धुनकी भी बजने लगी। “हाँ बताओ!” सानिया ने शर्माते हुए हाँ में सिर हिला दिया। सुनील को समझते देर ना लगी कि मुर्गी कटने के लिये बेताब हो रही है। सुनील खिसक कर सानिया के और करीब बैठ गया। उसकी जाँघें सानिया की जाँघों से सटने लगी तो सानिया के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी। सुनील बोला, “पता है वो तुम्हारे बारे में और क्या कह रहे थे..!” फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वो बोला, “वो कह रहे थे कि जरूर तुम्हारी झाँटें भी आ गयी होंगी!”

ये सुनते ही सानिया का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया हो... साँसें जैसे हलक में ही अटक गयी हो... शरम और हया की जैसे कोई इंतेहा नहीं थी... पर अब वो क्या बोलती। सुनील के मुँह से ऐसे अल्फ़ाज़ सुन कर उसका पूरा जिस्म काँप गया था। उसने खुद को नादान दिखने का नाटक करते हुए पूछा, “ये क्या होती है...?” सुनील ने जब पूछा कि “तुम्हें नहीं पता झाँटें क्या होती है..?” तो सानिया ने इंकार में सिर हिला दिया। सुनील बोला, “अब मैं तुम्हें कैसे बताऊँ... देखोगी?”

सानिया का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। सुनील भी जान चुका था कि ये लड़की भी मस्ती करने के मूड में आ चुकी है और नादान बनने का सिर्फ़ नाटक कर रही है। सानिया के जवाब का इंतज़ार किये बिना सुनील खड़ा हुआ और इधर-उधर देखते हुए अपनी पैंट की ज़िप खोल दी। सान्या का दिल तो पहले ही जोर-जोर से धक-धक कर रहा था और अब हाथ-पैर काँपने लगे थे। सुनील ने ज़िप खोल कर अपने अंडरवियर के छेद को खोल कर अपने लंड को बाहर निकल लिया। सानिया ने सिर झुका रखा था इसलिये वो सुनील का लंड नहीं देख पा रही थी। फिर सुनील ने अपनी कुछ झाँटों को बाहर निकाला और सानिया के पास आकर उसके ठीक सामने खड़ा हो गया और अपनी काली झाँटों को हाथ से पकड़ कर दिखाते हुए बोला, “ये देखो... इसे कहते हैं झाँट!” सानिया को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि उसके ये कहने पर कि वो नहीं जानती कि झाँट क्या होती है... सुनील अपना लंड ही निकाल कर उसे दिखा देगा। जैसे ही सानिया ने सुनील की तरफ़ नज़र उठायी तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। उसकी आँखों के सामने सुनील का साढ़े-आठ इंच लंबा और बेहद मोटा लंड था। सुनील अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर हिलाते हुए बोला, “ये देखो... इसे कहते है लौड़ा... और ये बाल देख रही हो... इसे कहते झाँट!”

सानिया बोली, “हाय तौबा ये तुम क्या कर रहे हो..!” सानिया ने फिर से नज़रें झुका ली पर आठ इंच के तने हुए अनकटे लौड़े को देख कर उसकी पैंटी के अंदर जवान चूत में धुनकी बजने लगी थी और चूत की फ़ाँकें फड़फड़ाने लगी थी। सुनील एक बार मुस्कराया और उसने अपने लंड को अंदर कर लिया। “क्यों अच्छा नहीं लगा?” सुनील ने फिर से सानिया के पास बैठते हुए पूछा। “तुम बहोत बेशर्म हो...” सानिया ने नज़रें झुकाये हुए शर्माते हुए कहा। सुनील ने पूछा, “क्यों क्या हुआ?” तो सानिया बोली, “ऐसे भी कोई करता है क्या..?” सुनील बोला, “तुमने ही तो कहा था कि तुम्हें नहीं पता झाँट किसे कहते हैं... वैसे एक बात कहूँ... बुरा तो नहीं मानोगी..?” सानिया का दिल अब और गुदगुदा देने वाली जवानी के रस से भरपूर बातें सुनने का कर रहा था। “अभी तक मैंने तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है क्या?” सानिया का जवाब सुन कर सुनील मुस्कुरा उठा, “वैसे तुम्हारी गाँड पर सच में बहुत माँस चढ़ा है... बहुत मस्त और मोटी है!” सानिया सुनील के मुँह से ऐसी बात सुन कर एक दम से चौंक गयी, “हाय तुम ऐसी बात ना करो मुझे शरम आती है... मैं ऐसी बातें नहीं करती..!”

सुनील बोला, “अच्छा वैसे तुम्हारी मस्त गाँड देख कर मुझे सुहाना की याद आ जाती है!” “ये सुहाना कौन?” सानिया ने पूछा। “वही जिसके बारे में थोड़ी देर पहले तुम्हें बताया था... क्या मस्त गाँड थी उसकी... बिल्कुल तुम्हारी तरह... बाहर को निकाली हुई... हाइ हील की सैंडल पहन कर जब वो गाँड निकाल कर चलती थी तो दिल करता था कि उसकी गाँड को पकड़ कर मसल दूँ... जब मैं उसकी मारता था तो साली की गाँड से पादने जैसी आवाज़ आने लगती थी..!” हालाँकि सानिआ को सुनील की बातों में बेहद मज़ा आ रहा था लेकिन फिर भी शराफ़त का नाटक करती हुई बोली, “हाय अल्लआह ये तुम क्या बोल रहे हो... तुम्हें तो किसी लड़की से बात करना ही नहीं आता... बहोत गंदा बोलते हो तुम..!” सुनील ने कहा, “अब ये क्या बात हुई... मैंने कहा तो था कि मुझे ऐसे ही बोलना आता है... और मैंने सच में आज तक किसी लड़की से बात नहीं की जो मुझे पता चलता कि किसी लड़की से कैसे बात करते हैं!” सानिया बोली, “पर ऐसे भी नहीं बोलना चाहिये तुम्हें!” उसकी बात पर ध्यान ना देते हुए सुनील बोला, “अच्छा एक बात कहूँ तो मानोगी?”

“क्या..?” सनिया ने पूछा तो सुनील बोला, “पहले बताओ कि मानोगी?” सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील का आठ इंच का तन्नाया हुआ मोटा अनकटा लौड़ा देख कर उसकी चूत की तो पहले से धुनकी बज रही थी। “तुम भी मुझे अपनी झाँटें दिखाओ ना!” सुनील की ये बात सुनते ही सानिया के एक दम होश उड़ गये... वो बुत सी बनी उसको देखने लगी। “क्या हुआ सानिया... प्लीज़ दिखाओ ना... देखो अगर तुम मुझे अपना दोस्त मानती हो तो प्लीज़ दिखा दो ना... तुमने भी तो मेरी देख ली है... बोलो तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानती... मानती हो ना?” सानिया ने हाँ मैं सिर हिला दिया। सुनील बोला, “तो फिर दिखाओ ना..!” सानिया बोली, “अगर किसी को पता चल गया तो..?”

“नहीं चलता किसी को पता... तुमने मेरी देखी... किसी को पता चला... तुमने तो मेरा लौड़ा भी देख लिया है!” सानिया को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे और क्या ना करे। सुनील के लिये तो वो कितने दिनों से तड़प रही थी लेकिन उसे उम्मीद नहीं थी कि पहली ही डेट पे बात यहाँ तक पहुँच जायेगी। “अगर तुमने ने किसी को बता दिया तो..?” सानिया ने अपना शक ज़ाहिर करते हुए कहा तो सुनील बोला, “अब भला मैं क्यों बताने लगा... प्लीज़ दिखा दो ना... अपने दोस्त की इतनी सी भी बात नहीं मान सकती चलो मत दिखाओ... मैं आगे से तुम्हें कुछ नहीं कहुँगा...!” सुनील ने फिर से उसे जज़्बाती तौर पे ब्लैकमेल किया। “पक्का किसी को पता तो नहीं चलेगा ना?” सानिया बोली तो सुनील बेंच से खड़ा हो गया और इधर-उधर देखते हुए बोला, “मुझ पर भरोसा रखो... किसी को नहीं पता चलेगा..!”
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"अगर इधर कोई आ गया तो?" सानिया ने पूछा तो इधर-उधर देखते हुए सुनील की नज़र थोड़ी आगे घनी झाड़ियों पर पड़ी। वो झाड़ियाँ कोई दस फीट ऊँची जंगली घास की थी। "तुम उन झाड़ियों के बीच में चली जाओ... वहाँ ऐसे बैठना जैसे पेशाब करते हुए बैठते हैं... मैं तुम्हारे पीछे आता हूँ..!" सुनील ने उसे समझाया। सानिया बिना कुछ बोले खड़ी हुई और झाड़ियों के तरफ़ जाने लगी। सुनील वहीं खड़ा इधर-उधर देख कर जायज़ा लेटा रहा। तभी उसकी नज़र दूसरी तरफ़ की झाड़ियों पर लटक रहे तिरपाल के टुकड़े पर पढ़ी। शायद किसी ट्रक के ऊपर रखे सामान को ढकने वाली तिरपाल का फटा हुआ टुकड़ा था। सुनील ने आगे बढ़ कर उस तिरपाल को उठाया और उसे लपेट कर इधर उधर देखने लगा। उसके दोस्त रवि ने बताया था कि इधर कोई नहीं आता। थोड़ी देर बाद वो भी झाड़ियों की तरफ़ बढ़ने लगा। झाड़ियाँ बहुत घनी और ऊँची थीं। सुनील जगह बनाता हुआ आगे बढ़ा। तभी उसे सानिया उकड़ू बैठी नज़र आयी। सुनील को देखते ही उसके चेहरे का रंग लाल सेब जैसा हो गया। सुनील उसके पास जाकर खड़ा हुआ और उसने वहाँ की झाड़ियों को जल्दी से हटा कर थोड़ी जगह बनायी और उस तिरपाल को बिछा दिया। सानिया अब खड़ी होकर ये सब देख रही थी।

आगे क्या होने वाला है ये सोच-सोच कर उसकी चूत में तेज सरसराहट होने लगी थी। सुनील तिरपाल पर घुटनों के बल बैठ गया और सानिया को पास आने का इशारा किया। सानिया धड़कते हुए दिल के साथ सुनील के करीब आ गयी। "पक्का सिर्फ़ देखोगे ना..? प्लीज़ कुछ और मत करना..!" उसने सुनील की तरफ देखते हुआ कहा। "हाँ-हाँ... कुछ नहीं करुँगा... सिर्फ़ देखुँगा... जल्दी करो उतारो अपनी कैप्री..!" सानिया फिर से बुरी तरह शरमा गयी। सानिया वैसे तो काफ़ी तेज तर्रार लड़की थी लेकिन इस तरह पब्लिक प्लेस में कपड़े उतारने में उसे घबराहट और शर्म महसूस हो रही थी। उसने अपनी कैप्री के आगे का बटन खोल कर धीरे से नीचे अपनी गोरी रानों तक कैप्री सरका दी और अपनी सफ़ेद रंग की लेस वाली पैंटी के इलास्टिक में उंगलियाँ फंसा कर धीरे-धीरे नीचे सरकाना शुरू कर दिया। सुनील ने उसे कैप्री और पैंटी बिल्कुल उतार देने को कहा तो सानिया ने झिझकते हुए दोनों निकाल दीं। सानिया की गोरी चिकनी टाँगें और जाँघें देख कर सुनील का लंड उसकी पैंट में कुलांचे भरने लगा। सानिया की चूत और चूतड़ उसके कुर्ती-टॉप से ढंके हुए थे। सुनील ने सानिया के हाथ से कैप्री और पैंटी को लेकर तिरपाल पर रख दिया और सनिया को कमर से पकड़ कर बैठने को कहा। सानिया थोड़ा डरी हुई सी नीचे अपने चूतड़ों के बल बैठ गयी। अब वो सिर्फ़ अपने गुलाबी कुर्ती-टॉप और ऊँची वेज हील वाली सैंडल पहने हुई थी। सुनील ने उसकी टाँगों को उसकी पिंडलियों से पकड़ कर फैला दिया और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोला, "अब दिखाओ भी!" सानिया ने अपने काँपते हुए हाथ से अपनी कुर्ती को नीचे से पकड़ा और धीरे-धीरे ऊपर करने लगी और अगले ही पल सुनील का मुँह खुला का खुला रह गया। सानिया की गुलाबी चूत देखते ही सुनील का लंड झटके पे झटके खाना लगा। झाँट तो दूर... बाल का एक रोआँ भी नहीं था। एक दम चिकनी और गुलाबी चूत... बिल्कुल अपनी अम्मी रुखसाना की तरह। चूत की दोनों फाँकें आपस में कसी हुई थी। सुनील से रहा नहीं गया और उसने अपनी उंगली को उसकी चूत की फ़ाँकों के बीच रख कर फिरा दिया। "श्श्शहहह ऊँहहह... ये क्या कर रहे हो सुनील तुम..!" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा और सुनील का हाथ पकड़ कर उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन सुनील ने धीरे-धीरे उसकी चूत की फ़ाँकों के दर्मियान अपनी उंगली रगड़ते हुए पूछा, "इस पर तो एक भी बाल नहीं है... कैसे साफ़ किया इसे?" सानिया को जवानी का ऐसा मज़ा पहली बार मिल रहा था। उसका पूरा जिस्म काँप रहा था और उसके हाथ में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो सुनील का हाथ हटा पाये। "आआहहह स्स्सीईई उईईईई... ऐसे ना करो आआहहह..." सुनील ने जैसे ही अपनी उंगली को उसकी चूत की फ़ाँकों के बीच में दबाया तो उसकी उंगली उसकी चूत के रस टपका रहे छेद पर जा लगी। सानिया का पूरा जिस्म थर्रा उठा। "बोलो ना कैसे साफ़ की तुमने अपनी झाँटें..." इस बार सुनील ने अपनी उंगली को सख्ती से रगड़ा तो सानिया की चूत पिघल उठी। "उईईईईई.... याल्लाहहह.... ऊँऊँहहह क्रीम से..!"

"क्यों?" सुनील ने पूछा तो सानिया मस्ती में आँखें बंद करके सिसकते हुए बोली, "हाइजीन के लिये... मुझे साफ़-सफ़ाई पसंद है इसलिये...! तभी सानिया को कुछ सरसराहट सुनायी दी तो उसने अपनी आँखें खोल कर देखा तो सुनील अपनी पैंट और अंडरवियर उतार रहा था। सानिया ये देख कर एक दम से घबरा गयी। "ये... ये तुम क्या कर रहे हो ऊँहहह!" वैसे तो कितने दिनों से वो सुनील से चुदने के ख्वाब देख रही थी लेकिन आज जब असल में उसका ख्वाब पूरा होने जा रहा था तो पता नहीं वो क्यों घबरा रही थी। "कुछ नहीं मेरी जान... तुम्हारी चूत का उदघाटन करने की तैयारी कर रहा हूँ!" सुनील ने कहा तो सानिया उसे रोकते हुए बोली, "नहीं ये ठीक नहीं है.... प्लीज़ मुझे जाने दो..!" लेकिन सानिया ने कोई मुज़ाहिमत नहीं की और उसकी आवाज़ में भी ज़रा सी भी मज़बूती नहीं थी।

"प्लीज़ सानिया एक बार!" सुनील ने कहा और घुटनों के बल नीचे झुक कर उसने सानिया की तमतमा रही सुर्ख चूत की फ़ाँकों पर अपने होंठ रख दिये। जवान सानिया को जैसे ही जवानी का मज़ा मिला वो एक दम से पिघल गयी। वो पीछे के तरफ़ लुड़क गयी और उसकी कुर्ती उसकी कमर पर इकट्ठी हो गयी। "नहीं ओहहहह येऐऐऐ तुम हायऽऽऽ आँहहह ऊँहहफ़्फ़्फ़..." सानिया जैसी जवान गरम लड़की के लिये ये सब बर्दाश्त से बाहर था। आज तक उसे किसी लड़के ने छुआ तक नहीं था और कहाँ आज वो अपनी जवानी के बेशकीमती खज़ाने को सुनील के सामने खोल कर बैठे थी। सानिया की आँखें मस्ती में बंद हो चुकी थी। उसने सिसकते हुए दोनों हाथों से सुनील के सिर को पकड़ लिया और उसके चेहरे को पीछे हटाने की हल्की सी कोशिश करने लगी। सानिया की चूत मैं तेज मचमचाहट और मस्ती की लहरें दौड़ने लगीं... चूत फक-फक करने लगी। आखिरकार उसने चूत की आग के आगे हथियार डाल दिये और बुरी तरह काँपते सिसकते हुए पीछे के तरफ़ लेट गयी। सानिया की कमर अब उसके काबू में नहीं थी। रह-रह कर उसकी कमर झटके खाती और उसकी गाँड ऊपर की ओर उछल जाती। चूत से चिपचिपा रसीला रस बह-बह कर बाहर आने लगा।

सुनील ने सानिया की चूत को चूसते हुए उसकी कुर्ती में कैद दोनों कबूतरों को पकड़ लिया और धीरे-धीरे मसलने लगा। सानिया ने एक दम से अपने हाथ सुनील के हाथों के ऊपर रख दिये पर सुनील नहीं रुका। उसने सानिया की कमर में हाथ डाल कर उसकी कुर्ती के हुक एक-एक करके खोलने शुरू कर दिये। "स्स्सीईईई ऊँऊँहहह स्स्सीईईई ना करो... नाआआ... मुझे कुछ हो रहा है...!" सानिया सिसकते हुए बोली और फिर सानिया की कुर्ती के हुक खोल कर उसे निकालते ही सुनील ने उसकी ब्रा के कपों को पकड़ कर ऊपर खिसका दिया और सानिया की मोटी और कसी हुई चूचियाँ उछल कर बाहर आ गयीं। एक दम सख्त और तनी हुई चूंचीयों पर हाथ लगते ही सानिया फिर से सिसकारियाँ भरने लगी। सुनील ने अपना मुँह सानिया की चूत से हटाया और ऊपर की ओर आते हुए सानिया के एक मम्मे को मुँह में भर लिया और उसके निप्पल को होंठों और जीभ से चुलबुलाने लगा। सानिया का बुरा हाल हो रहा था। सानिया का पूरा जिस्म आग की तरह तपने लगा था। सुनील अपने नीचे जवान लड़की के एक दम तने हुए मम्मों को देख कर पागल सा हो गया था। वो जितना अपने मुँह में उसकी चूचियों को भर सकता था उतना भर कर जोर-जोर से उसके मम्मों को चूसने लगा।

सुनील ने देखा कि अब सानिया पूरी तरह से गरम हो चुकी है तो उसने उसकी चूत से मुँह हटाया और सानिया की जाँघों के बीच में घुटनों के बल बैठ गया। उसने सानिया की चिकनी टाँगों को उठा कर हल्के गुलाबी सैंडलों में उसके गोरे-गोरे पैरों को एक-एक बार चूमा और फिर उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रख के अपने लंड का मोटा सुपाड़ा उसकी चूत की फ़ाँकों के बीच में दो-तीन बार रगड़ा। जैसे ही सानिया को अपनी चूत के छेद पर सुनील के लंड के गरम सुपाड़े के छूने का एहसास हुआ तो सानिया बुरी तरह से मचल उठी। इससे पहले कि सानिया कुछ कर पाती सुनील ने अपने लंड को जोर से सानिया की चूत पर दबा दिया। गच की आवाज़ से सुनील के लंड का मोटा सुपाड़ा सानिया की जवान अनचुदी चूत को फाड़ता हुआ अंदर जा घुसा।
 
इससे पहले आज तक उसकी चूत में मोमबत्ती, हेयर-ब्रश का हैंडल, खीरा-बैंगन-केला वगैरह जैसी बेजान चीज़ें ही घुसी थीं लेकिन सुनील के इतने मोटे लंड का मोटा सुपाड़ा जैसे ही सानिया की चूत के अंदर घुसा तो दर्द के मारे सानिया एक दम से तड़प उठी। उसकी साँसें अटक गयीं और मुँह ऐसे खुल गया जैसे उसकी साँस बंद हो गयी हों... आँखें एक दम से पत्थरा गयीं। 'गच-गच' फिर से दो बार और ये आवाज़ आयी और साथ ही सुनील का पूरा का पूरा लंड सानिया की चूत की गहराइयों में उतर गया। "आअहहहह याआआलाहहहह ओहहहह..." सानिया एक दम से चिल्ला उठी। लेकिन अगले ही पल सुनील ने उसकी टाँगें अपने कंधों से उतार दीं और आगे झुक कर सानिया के रसीले गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नाजुक होंठों को अपने होंठों में भर लिया और उसके होंठों को अपने दाँतों से हल्का सा चबाते हुए चूसना शुरू कर दिया। गरम जवान लड़की के होंठ और चूत दोनों पा कर सुनील एक दम मस्त हो चुका था। "बस मेरी जान बस हो गया..!" सुनील ने ये कहते हुए फिर से सानिया के होंठों को चूसना शुरू कर दिया... ताकि वो चींख भी ना सके और फिर अपने मोटे मूसल जैसे लंड को अंदर-बाहर करने लगा। सानिया ने दर्द के मारे सुनील के कंधों पर अपने नाखून गड़ा दिये पर सुनील को कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ा। वो अपना मूसल जैसा लंड उस जवान लड़की की चूत में पागलों की तरह पेलने लगा। सुनील नहीं रुका पर सानिया का दर्द अब धीरे-धीरे कमतर होने लगा था। उसकी चूत अब फिर से पानी छोड़ने लगी थी। लंड के सुपाड़े की तंग चूत की दीवारों पर हर रगड़ सानिया को जन्नत की ओर ले जने लगी। पाँच मिनट बाद ही सानिया ने मस्ती में आकर सिसकना शुरू कर दिया और वो भी धीरे-धीरे अपनी गाँड को ऊपर की ओर उछालने लगी। ये देख कर सुनील ने अपना लंड बाहर निकल कर एक झटके में उसे कुत्तिया की तरह घुटनों पर कर दिया और फिर पीछे से अपना मूसल लंड उसकी चूत में पेल दिया। फिर क्या था सुनील के जबरदस्त झटकों से उसका लंड सानिया की चूत के अंदर-बाहर होने लगा।

सुनील की माँसल जाँघें सानिया के चूतड़ों से टकरा कर 'थप-थप' की आवाज़ करने लगी। सुनील ने अपना लंड अंदर-बाहर करते हुए सानिया के दोनों चूतड़ों को फैला दिया और उसकी चूत के पानी से भीगे उसकी गाँड के छेद को अपनी उंगली से कुरेदने लगा। सानिया का पूरा जिस्म एक दम से काँप गया। बेजान चीज़ों से खुद-लज़्ज़ती के मुकाबले असल लंड से चुदवाने में इतना मज़ा आता है... ये आज सानिया को एहसास हो रहा था और वो भी सिसकते हुए सुनील के लंड को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस कर रही थी। सानिया का पूरा जिस्म ऐंठने लगा था। उसे अपने जिस्म का सारा लहू चूत में इकट्ठा होता हुआ महसूस होने लगा। "ओहहहह सुनील येऽऽऽ मुझेऽऽऽ क्याआआ कर दियाआआ तुमनेऽऽऽ ऊउहहह हाआआय मैं पागल.... ओहहहह सुनील!"

"क्यों क्या हुआ मेरी जान... मज़ा नहीं आ रहा क्या?" सुनील ने पूछा तो सानिया सिसकते हुए बोली, "आआआहहह ऊँऊँहहह बहोत आ रहा है..!" सुनील ने पूछा, "और मारूँ क्या?" "हुम्म्म्म्म!" सानिया सिसकी। सुनील ने अपने झटकों की रफ़्तार और बढ़ा दी। अब सुनील का लंड सानिया की तंग चूत में पूरी रफ़्तार से अंदर-बाहर हो रहा था और फिर सानिया का जिस्म एक दम अकड़ने लगा। चूत का सैलाब बाहर जलजला बन कर बह निकला और उसका पूरा जिस्म झटके खाते हुए झड़ने लगा। सुनील भी उसकी गरम तंग चूत में ज्यादा देर नहीं टिक पाया और उसके चूत के अंदर ही उसके लंड ने वीर्य के बौंछार कर दी।

सानिया झड़ने के बाद बुरी तरह हाँफ रही थी। सुनील ने जैसे ही अपना लंड सानिया की चूत से बाहर निकाला तो सानिया आगे के तरफ़ लुढ़क कर उस तिरपाल पर लेट गयी और गहरी साँसें लेने लगी। सुनील कुछ देर वैसे ही घुटनों के बल बैठा रहा और सानिया के नरम और माँसल चूतड़ों को सहलाता रहा। अपनी साँसें कुछ दुरुस्त होने के बाद जैसे ही उसे अपने चूतड़ों पर सुनील का हाथ फिरता हुआ महसूस हुआ तो वो उठ कर बैठ गयी। उसने शर्माते हुए एक बार सुनील के तरफ़ देखा और फिर नीचे अपनी रानों में देखा तो उसकी चूत की फ़ाँकें उसकी चूत के गाढ़े पानी और सुनील की मनी से सनी हुई थी। सानिया शर्माते हुए बोली, "ये तुमने ठीक नहीं किया सुनील... मैं भी तुम्हारी बातों से बहक गयी!"

सुनील बोला, "अरे क्यों घबरा रही हो मेरी जान... यही तो जवानी के मज़े लूटने के दिन हैं... मैं तुम्हारा ख्याल रखुँगा ना... चलो इसे साफ़ कर लो!" "किससे साफ़ करूँ...?" सानिया ने पूछा तो सुनील ने सानिया की पैंटी उठायी और उसी से अपना लंड साफ़ करने लगा। ये देखकर सानिया एक दम से बोल पढ़ी, "अब मैं क्या पहनुँगी..?" सुनील ने हंसते हुए अपने लंड को साफ़ किया और फिर वो पैंटी सानिया की तरफ़ बढ़ाते हुए बोला, "क्यों कैप्री तो है ना... किसी को नहीं पता चलता... मैं तुम्हें घर वाली गली के बाहर छोड़ दुँगा... वहाँ से तुम पैदल चली जाना!" सानिया ने सिर झुकाये हुए सुनील के हाथ से पैंटी ली और अपनी चूत और रानों को ठीक से साफ़ किया। सानिया उसके सामने बेहद शरमा रही थी। सानिया की गोरी चिकनी जाँघें और चूत देख कर एक बार फिर से सुनील का लंड झटके खाने लगा था। उसने अभी तक अंडरवियर और पैंट नहीं पहनी थी। सुनील का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। तभी अचानक सानिया की नज़र सुनील के झटके खा रहे लंड पर गयी जिसे देखते ही उसके दिल की धड़कने फिर से बढ़ने लगी। सानिया एक दम से खड़ी हो गयी और थोड़ा आगे खड़ी हो कर अपनी कैप्री पहनने के बाद अपनी कुर्ती पहन कर उसके हुक बंद करने लगी। सुनील सानिया की कैप्री में मटकते हुई उसके गोलमटोल चूतड़ों को देख कर पगल हो उठा। उसने जल्दी से अपनी अंडरवियर और पैंट पहनी पर उसे जाँघों तक चढ़ा कर छोड़ दिया और फिर अपनी पैंट को पकड़ कर सानिया के ठीक पीछे आकर खड़ा हो गया। सुनील ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया और उसकी लंबी सुराहीदार गर्दन पर अपने होंठों को लगा दिया। सानिया एक दम से चौंक गयी और सुनील की बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी पर सुनील के होंठों की तपिश अपनी गर्दन पर महसूस करके वो एक दम से बेजान से हो गयी। "ऊँऊँहहह क्या क्या कर रहे हो तुम्म्म!"

"कुछ नहीं अपनी जान को प्यार कर रहा हूँ!" सुनील ने अपने होंठों को सानिया की गर्दन पर रगड़ते हुए कहा। "ऊँऊँहहह बस करो.. कोई देख लेगा आहहह...!" सानिया सिसकी तो उसकी कुर्ती के ऊपर से उसकी चूचियों को मसलते हुए सुनील बोला, "हुम्म्म यहाँ कोई नहीं देखेगा... प्लीज़ मेरी जान मुझसे रहा नहीं जा रहा आज... तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो... प्लीज़ एक बार और दे दो ना..?" सुनील लगातार सानिया की चूचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन और गाल पर अपने होंठों को रगड़ रहा था और सानिया भी मस्त होती जा रही थी। "प्लीज़ जान एक बार और दे दो ना..!"

"क...क...क्या...?" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा। "ऊम्म्म फुद्दी... तुम्हारी फुद्दी चाहिये!" सुनील बोला तो सानिया मस्ती में भर कर बोली, "हाय अल्लाहहहह... कैसी बातें करते हो तुम!" सुनील बोला, "प्लीज़ जान मेरे लिये इतना भी नहीं कर सकती... प्लीज़ एक बार... तुम्हें मज़ा नहीं आया क्या!" ये कहते हुए सुनील ने आगे की तरफ़ नीचे हाथ ले जाकर कैप्री का बटन खोल कर सानिया की कैप्री नीचे सरकानी शुरू कर दी। सानिया की कैप्री को उठा कर उसके घुटनों के नीचे सरका दिया और फिर अपनी टाँगों को फैला कर अपने घुटनों को मोड़ते हुए नीचे झुका और सानिया के कान में धीरे से बोला, "सानिया खोलो ना...!" सानिया ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में पूछा, "क्या?"

सुनील बोला, "अपनी टाँगें खोलो ना!" सानिया सिसकते हुए फुसफुसा कर धीरे से बोली, "ऊँम्म... कुछ हो गया तो..!" सुनील फिर उसकी गर्दन पे अपने होंठ रगड़ते हुए बोला, "मैं भला अपनी जान को कुछ होने दुँगा... प्लीज़ सानिया एक बार और कर लेना दो ना... तुम्हें मेरी कसम..!" सानिया सुनील की प्यार भरी चिकनी चुपड़ी बातें सुन कर एक दम से पिघल गयी। उसने लरजते हुए टाँगों में फंसी अपनी कैप्री को अपने पैरों मे गिरा दिया और फिर उसमें से एक पैर निकाल कर खड़े-खड़े अपनी टाँगें फैला दी। सुनील ने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर सानिया की गाँड से नीचे ले जाते हुए उसकी चूत की फ़ाँकों पर रख कर अपने लंड के सुपाड़ा को सानिया के चूत के छेद पर टिकाने की कोशिश करने लगा पर खड़े-खड़े उसे सानिया की चूत के छेद तक अपना लंड पहुँचाने में परेशानी हो रही थी।

"सानिया तुम्हारी फुद्दी के छेद पर लंड लगा क्या?" सुनील ने पूछा। "ऊँम्म्म मुझे नहीं मालूम..!" सानिया बोली। "बताओ ना..!" सुनील ने फिर पूछा तो सानिया ने कसमसाते हुए कहा, "नहीं..!" सानिया की चूत की फ़ाँकों में अपने लंड को रगाड़ कर छेद को तलाशते हुए सुनील ने फिर पूछा, "अब..?" सानिया ने फिर से ना में गर्दन हिला दी और सुनील ने फिर से अपने लंड को एडजस्ट किया और जैसे ही सुनील के लंड का दहकता हुआ सुपाड़ा सानिया की चूत के छेद से टकराया तो सानिया के पूरे जिस्म ने एक तेज झटका खाया। उसके होंठों पर शर्मीली मुस्कान फैल गयी और उसने अपने सिर को झुका लिया। सुनील ने पुछा, "अब?" सानिया ने हाँ में सिर हिलाते हुआ कहा, "हुँम्म्म्म!"
 
सुनील ने धीरे-धीरे अपने मूसल लंड को ऊपर की ओर चूत के छेद पर दबाना शुरू कर दिया। सुनील का लंड सानिया की तंग चूत में धीरे-धीरे अंदर जाने लगा। लंड के सुपाड़े की रगड़ सानिया को अपनी चूत की दीवारों पर मदहोश करती जा रही थी। उसके पैर खड़े-खड़े काँपने लगे और आँखें मस्ती में बंद होने लगी थी। सुनील ने सानिया को थोड़ा सा धक्का देकर ठीक एक पेड़ के नीचे कर दिया और उसकी पीठ को दबाते हुए उसे झुकाना शुरू कर दिया। सानिया ने अपने हाथों को पेड़ के तने पर टिका दिया और झुक कर खड़ी हो गयी। सानिया की बाहर की तरफ़ निकाली गाँड देख कर सुनील एक दम से पागल हो गया। उसने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिये। सुनील की जाँघें सानिया के चूतड़ों से टकरा कर थप-थप कर रही थी और सानिया बहुत कम आवाज़ में सिसकारियाँ भरते हुए चुदाई का मज़ा ले रही थी। उसके पैर मस्ती के कारण काँपने लगे थे। सुनील ने सानिया की चूत से लंड बाहर निकाला और फिर से एक झटके के साथ सानिया की चूत में पेल दिया। सानिया एक दम से सिसक उठी। सुनील ने फिर से अपने लंड को रफ़्तार से सानिया की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। पाँच मिनट बाद सानिया और सुनील फिर से झड़ गये। सुनील ने अपना लंड सानिया की चूत से बाहर निकाला और तिरपाल पर पड़ी हुई पैंटी को फिर से उठा कर अपना लंड साफ़ करने लगा।

सानिया पेड़ के तने से अपना कंधा टिकाये हुए मदहोशी से भरी आँखों से ये सब देख रही थी। उसकी कैप्री अभी भी उसके एक पैर में फंसी हुई ज़मीन पे पड़ी हुई थी। सुनील ने अपना लंड साफ़ करने के बाद अपना अंडरवियर और पैंट पहनी और सानिया के पास आकर झुक कर बैठ गया और उसकी जाँघों को फैलाते हुए उसकी चूत को पैंटी से साफ़ करने लगा। सानिया बेहाल सी ये सब देख रही थी। फिर सानिया ने अपने कपड़े ठीक किये और दोनों घर वापस चल दिये।

सानिया की ताई अज़रा और उसकी सौतेली अम्मी रुखसाना ने जिस तरह सुनील को लड़के से मर्द बनाया था वैसे ही सुनील ने आज रुखसाना को कली से फूल बना दिया था। सुनील ने उसे घर से थोड़ा पहले ही उतार दिया। सफ़ेद कैप्री के नीचे बगैर पैंटी पहने सानिया धीरे-धीरे चलती हुई घर पहुँची। उसके मन में अजीब सा डर था। जब रुखसाना ने दरवाज़ा खोला तो सानिया को बाहर खड़ा देखा। सानिया की हालत कुछ बदतर सी नज़र आ रही थी। "क्या हुआ सानिया... तुम ठीक तो हो ना?" रुखसाना ने सानिया की ओर देखते हुए पूछा। "हाँ अम्मी... ठीक हूँ बस थोड़ा सिर में दर्द है..!" ये कहकर सानिया सीधे अपने कमरे में जाने लगी। "ठीक है... तुम फ्रेश होकर कपड़े चेंज कर लो.. मैं चाय बना देती हूँ!" रुखसाना ने कहा और उसके बाद सानिया अपने कमरे में चली गयी। वहाँ से अपने कपड़े लेकर वो बाथरूम में घुस गयी और नहाने के बाद सलवार कमीज़ पहन कर बाहर आ गयी।

रुखसाना को बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि उसकी जवान बेटी सानिया आज कली से फूल बन चुकी थी। सुनील घर नहीं आया था तो उन दोनों ने खाना खाया और सानिया अपने कमरे में जाकर सो गयी। वो कहते है ना कि सैक्स का नशा जो भी इंसान एक बार कर ले तो फिर तो जैसे उसे उसकी लत्त सी लग जाती है... सानिया भी जवान लड़की थी... घी में लिपटी हुई उस रुआनी की तरह जिसे आग दिखाओ तो जल उठे... सानिया भी अपनी उम्र के ऐसे ही मकाम पर खड़ी थी। दूसरी तरफ़ सुनील भी उम्र के उसी मोड़ पर था और अपने से दुगुनी उम्र की चार-चार चुदैल औरतों के साथ नाजायज़ संबंध बना के जवानी के नशे में इतनी बुरी तरह बिगड़ चुका था कि उसे कुछ होश नहीं था कि वो किस राह पर चल निकला है।

रुखसाना को खबर नहीं थी कि सानिया और सुनील के बीच इतना कुछ हो चुका है। सानिया ने भी कुछ ज़ाहिर नहीं होने दिया था और रुखसाना को पता चलता भी कैसे... वो तो खुद हर वक़्त सुनील के लंड से अपनी चूत की आग को मिटाने के लिये बेकरार रहती थी और उससे चुदवाने के मौकों की फ़िराक़ में रहती थी। पर सानिया की मौजूदगी और फिर फ़ारूक के भी वापस आ जाने के बाद मौका मिलना दुश्वार हो गया था... दरसल इसकी सबसे बड़ी वजह खुद सुनील था क्योंकि अब नफ़ीसा और रशीदा सुनील से बाकायदा तौर पे चुदवाती थीं। सुनील हफ़्ते में कम से कम तीन रातें नफ़ीसा और रशीदा के घर पे बिताता था। इसके अलावा दिन में स्टेशन पर भी कभी टॉयलेट में तो कभी किसी दूसरी मुनासिब जगहों पर और कभी-कभी तो अपनी कारों की पिछली सीट पे भी दोनों चुदक्कड़ औरतें सुनील से अपनी चूत और गाँड मरवाने से बाज़ नहीं आती थीं। रुखसाना को तो इस बात की बिल्कुल भी खबर नहीं थी और वो समझ रही थी कि सुनील की जॉब में मसरूफ़ियत बढ़ गयी है। अब तो सुनील ने पहले की तरह रुखसाना को चोदने के लिये दोपहर में भी घर आना बंद कर दिया था। अब तो तीन-तीन चार-चार दिन निकल जाते थे और रुखसाना को सुनील के साथ चुदवाना तो दूर उसके साथ लिपटने-चिपटने और चूमने-चाटने तक के लिये तरस जाती थी। रुखसाना का तो बुरा हाल था ही पर सानिया जैसी जवान लड़की जो एक बार लंड का मज़ा चख ले और वो भी सुनील जैसे जवान लड़के के लंड का मज़ा जो किसी भी औरत की चूत का पानी छुड़ा सकता हो... उसकी बुरी हालत थी। सानिया भी अक्सर सुनील को खा जाने वाली नज़रों से घुरती रहती और सुनील के करीब होने का मौका तलाशती रहती पर ना तो सानिया को मौका मिल पा रहा था और ना ही उसकी अम्मी को।

ढाई-तीन हफ़्ते बाद की बात है... एक दिन फ़ारूक और सुनील अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे लेकिन सानिया की छुट्टी थी। उस दिन सानिया दोपहर में पड़ोस में नज़ीला के घर गयी हुई थी। उस दिन नज़ीला और उसके बीच में एक अजीब सा रिश्ता बनने वाला था। सानिया नज़ीला के कमरे में बैठी उसके साथ चाय पी रही थी और नज़ीला का बेटा सलील बाहर हाल में टीवी देख रहा था। नज़ीला ने चाय की चुसकी लेते हुए सानिया से कहा, "सानिया देख ना... क्या ज़माना आ गया है... आज कल किसी पर कोई ऐतबार नहीं क्या जा सकता..!"

सानिया: "क्यों क्या हुआ आँटी?"

नज़ीला: "अब देखो ना... ये जो हमारी पड़ोसन शहला है ना...?"

सानिया: "हाँ क्या हुआ उन्हें..?"

नज़ीला: "अरे होना क्या है उसे... दो दिन से घर से लापता है..!"

सानिया: "क्या?"

नज़ीला: "हाँ और नहीं तो क्या... मुझे तो पहले से ही मालूम था कि यही होने वाला है एक दिन!"

सानिया: "पर हुआ क्या शहला आँटी को? और आप को क्या मालूम था?"

नज़ीला: "अरे कुछ नहीं अपने आशिक़ के साथ भाग गयी है... अपने शौहर को छोड़ कर..!"

सानिया: "आप को कैसे पता..?"

नज़ीला: "सानिया बताना नहीं किसी को... मैंने एक बार पहले भी उसके शौहर आसिफ़ और उनकी सास ज़ोहरा को ये बात बतायी थी कि शहला का चाल-चलन ठीक नहीं है पर वो दोनों उल्टा मुझ पर ही बरस पड़े... बोले कि मुझे दूसरों के घरों में ताँक-झाँक करने की आदत है और मैं अपने काम से काम रखा करूँ... उनके घर में मुझे दखल देने की जरूरत नहीं है... अगर मेरी बात पहले मान लेते तो आज मोहल्ले वालों के सामने यूँ जलील तो ना होना पड़ता!"

सानिया: "पर आप को पहले कैसे पता चल गया आँटी?"

नज़ीला: "अरे क्या बताऊँ तुझे सानिया... एक दिन मैं दोपहर को अपनी छत पर सुखे कपड़े उतारने के लिये गयी थी... तब मैंने पहली बार उस लड़के को छत पर देखा था... जब मैंने शहला की सास से पूछा तो उसने कहा कि ऊपर के रूम में किराये पर रह रहा है... मैंने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया पर फिर एक दिन मैंने शहला को छुपते हुए उसके रूम में जाते हुए देखा तो मेरा दिमाग ठनक गया... मैंने उन दोनों पर नज़र रखनी शुरू कर दी... एक दिन मुझे याद है तब शायद आसिफ़ टूर पर गया हुआ था... और शहला की सास बाहर गयी हुई थी किसी काम से... तो मैंने उन दोनों को उस लड़के के कमरे के बाहर छत पे पानी की टंकी की पीछे रंग-रलियाँ मनाते हुए देख लिया था... अब तुझे क्या बताऊँ सानिया मैंने जो देखा... मुझे तो देखते ही शरम आ गयी...!"

सानिया के दिल के धड़कनें भी नज़ीला की बातें सुन कर बढ़ने लगी थी। उसने पूछा, "क्या... क्या देखा आप ने...?"

नज़ीला: "जाने दे तेरी उम्र नहीं है इन सब बातों को जानने की... कहीं गल्ती से तूने कहीं मुँह खोल दिया तो सारा मोहल्ला मेरा ही कसूर निकालने लग जायेगा...!"

सानिया: "नहीं आँटी मैं नहीं बताती किसी को.... मैं कोई बच्ची थोड़े ही हूँ... आप बताओ ना क्या देखा आप ने..!"

नज़ीला: "पक्का ना... नहीं बतायेगी ना...?"

सानिया: "हाँ नहीं बताऊँगी प्रॉमिस!"

नज़ीला: "तो उस दिन जब मैं ऊपर छत पर गयी तो मैंने देखा कि दोनों उस लड़के के रूम के बाहर पानी की टंकी के पीछे खड़े हुए थे... दोनों ने एक दूसरे को बाहों में कस रखा था... शहला ने उस वक़्त सिर्फ़ कमीज़ पहनी हुई थी और उसने अपनी सलवार उतार कर एक तर्फ फेंक रखी थी... उस लड़के ने शहला को अपनी बाहों में उठा रखा था.... और वो भी किसी रंडी की तरह उसकी कमर में अपनी दोनों नंगी टाँगें लपेटे हुए थी... हाय-हाय सानिया... मैंने आज तक किसी को ऐसे करते नहीं देखा... वो तो उसकी खड़े-खड़े ही ले रहा था... और वो कमीनी भी उसकी गोद में चढ़ी हुई अपनी कमर हिला-हिला कर उसे दे रही थी!

नज़ीला की बातें सुन कर सानिया का दिल जोरों से धड़कने लगा... चूत कुलबुलाने लगी और ऐसे धुनकने लगी जैसे उसकी चूत में ही उसका दिल धड़क रहा हो। "हाय आँटी क्या खड़े-खड़े ही... वो भी गोद में उठा कर..?" सानिया ने धड़कते हुए दिल के साथ कहा। "हाँ और नहीं तो क्या... आज कल ये सब नये पैशन हैं..." नज़ीला उठ कर सानिया के करीब आकर बेड पर बैठ गयी।

सानिया: "पर आँटी ऐसे खड़े होकर कैसे कर सकते हैं...?"

नज़ीला: "अरे तूने अभी तो कुछ देखा ही नहीं है... आज कल के लोग तो पता नहीं क्या-क्या करते हैं.. तुम देख लोगी तो तौबा कर उठोगी!"

सानिया: "क्या... पर आप ने ये सब कहाँ देखा... क्या अंकल भी आपके साथ..?"

नज़ीला: "चुप कर बदमाश एक मारुँगी हाँ...!"

सानिया: "फिर बताओ ना... अगर अंकल ऐसे नहीं करते तो आपको कैसे पता कि क्या-क्या करते हैं?"

नज़ीला: "हमारे नसीब में कहाँ ये सब... ये तो आज कल के लड़के-लड़कियाँ करते हैं... तेरे अंकल की तो कईं सालों से दिलचस्पी ही नहीं रही इन सब में... वैसे भी उनको देखा है ना कितने सुस्त से रहते हैं... जब से उन्हें ब्लड-प्रेशर और डॉयबटीज़ हुई है... थोड़ा सा काम करते ही थक जाते हैं... वो चाहें तो भी उनसे कुछ होने वाला नहीं!"

सानिया: "तो फिर आप ने किया नहीं तो कहाँ देखा...!"

नज़ीला: "अरे वो आती है ना ब्लू फ़िल्में... उनमें देखा है...!"

सानिया ने अंजान बनते हुए पूछा, "ब्लू फ़िल्म! वो क्या होता है..?"

नज़ीला: "अरे वही जिसमें औरतों और मर्दों को सैक्स करते दिखाते हैं... कमाल है तुझे नहीं मालूम... वर्ना आज कल के लड़के-लड़कियाँ तो तौबा... पैदा बाद में होते हैं और ये सब उनको पहले से ही मालूम होता है..!"

सानिया: "आपका मतलब पोर्न मूवीज़ आँटी?"

नज़ीला: "हाँ वही... तूने देखी है..?"
 
सानिया: "नहीं बस सुना है... कॉलेज में मेरी कईं फ्रेंड्स के घर पर कंप्यूटर और इंटरनेट लगा हुआ है... उनसे सुना है...!"

नज़ीला: "सिर्फ़ सहेलियाँ ही हैं... या अभी तक कोई बॉय फ्रेंड भी बनाया है...?"

सानिया शर्मते हुए बोली, "नहीं आँटी...!"

नज़ीला: "अरे तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे सच में तेरा कोई बॉय फ्रेंड हो... सच- सच बता ना... है क्या कोई..? देख मुझसे क्या छुपाना मैं भी तेरी सहेली जैसी हूँ...!"

सानिया: "नहीं आँटी सच में कोई नहीं है!"

नज़ीला: "अच्छा चल ठीक है... मैं तेरी बात मान लेटी हूँ... पर अगर कभी तेरा कोई बॉय फ्रेंड बने तो मुझे बताना... देख ज़माना बहोत खराब है... बाहर कुछ गलत मत कर देना... मुझे बताना... मैं तेरी मदद करुँगी..!"

सानिया: "रियली आँटी?"

नज़ीला को खटक गया कि सानिया उससे झूठ बोल रही है क्योंकि सानिया मुँह से कुछ और बोल रही थी पर उसका चेहरा कुछ और बोल रहा था। नज़ीला ने कहा, "हाँ और नहीं तो क्या... देख हम दोनों हमेशा सहेलियों की तरह रहे हैं और आगे भी ऐसे ही रहेंगे..!"

सानिया: "ठीक है आँटी... अगर मेरी लाइफ में कोई आया तो मैं आपको जरूर बताउँगी!"

नज़ीला: "वैसे सानिया जो तुम्हारे घर में किरायेदार आया है... क्या नाम है उसका?"

सानिया: "सुनील...!"

नज़ीला: "हाँ सुनील.... बहुत हैंडसम है तेरा क्या ख्याल है?"

.

सानिया: "होगा मुझे उससे क्या...?"

नज़ीला: "नहीं मैं तो वैसे ही पूछ रही थी... वैसे तू तो इतनी खूबसूरत है... तेरा जिस्म तो क़यामत है... उसने तेरे साथ कभी ट्राई नहीं किया फ्रेंडशिप करने को?"

सानिया: "नहीं आँटी... मैंने उसकी तरफ़ कभी तवज्जो नहीं दी...!"

नज़ीला: "फिर तो तू बड़ी बेवकूफ़ है... घर में इतना जवान और हैंडसम लड़का है... और तू कह रही है कि तुझे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है... काश तेरे जगह मैं होती...!" नज़ीला ने एक ठंडी साँस लेते हुए कहा।

सानिया: "अच्छा आँटी एक बात पूछूँ...?"

नज़ीला: "हाँ पूछ ना...!"

सानिया: "अगर वो लड़का आपसे सैटिंग करना चाहता हो तो क्या आप कर लेंगी...?"

सानिया की बात सुन कर नज़ीला थोड़ा हैरान होकर बोली, "चुप कर... मैं तो वैसे ही बोल रही थी!"

सानिया: "नहीं आँटी प्लीज़ सच बताओ!"

नज़ीला: "पहली बात तो ये कि मेरी ऐसी किस्मत कहाँ कि वो मुझे लाइन मारे... और दूसरी बात ये कि जब वो तेरी जैसी लड़की पर नहीं लाइन मार रहा तो मुझे क्या खाक मरेगा...!"

सानिया: "ओहहो आँटी... क्यों आप में क्या कमी है.. आप तो हमारे मोहल्ले में सबसे खूबसूरत औरत हो!"

नज़ीला: "अरे खूबसूरती के मामले में तो तेरी अम्मी का इस मोहल्ले में तो क्या पूरे शहर में कोई मुकाबला नहीं कर सकती... मुझ पर क्यों लाइन मरने लगा वो लड़का... और अगर ऐसे हुआ तो सच कहती हूँ कि मैं तेरी जैसी बेवकूफ़ नहीं हूँ... मौका हाथ से नहीं जाने दुँगी हाहाहाहा!"

सानिया: "पर अभी तो आप कह रही थी कि मुझे उसके साथ फ्रेंडशिप कर लेनी चाहिये... बहोत चलाक हो आप आँटी... अब खुद की सैटिंग करने की जानिब सोचने लगी..!"

नज़ीला: "देख सानिया यार... ये ज़िंदगी है ना... बार-बार नहीं मिलती तो क्यों ना इसका ज्यादा से ज्यादा मज़ा लिया जाये... और वैसे भी क्या फ़र्क़ पड़ता है... अगर वो मेरे साथ भी कर लेगा...!"

सानिया ने काँपती हुई आवाज़ में पूछा, "क्या कर लेगा?"

नज़ीला: "सैक्स और क्या... उसका क्या बिगड़ जायेगा और तेरा भी क्या बिगड़ जायेगा... अरे मैंने ऐसी-ऐसी ब्लू फ़िल्में देखी हैं... जिसमें एक औरत अपनी सहेलियों के साथ अपने बॉय फ़्रेंड या शौहर को शेयर करती हैं... और अपनी आशिक़ से ही अपनी सहेलियों को चुदवाती हैं... फिर मैं भी तो तेरी सहेली ही हूँ और वैसे भी वो कौन सा तेरा शौहर है..!"

सानिया: "क्या सच में होता है ऐसे!"

नज़ीला: "चल तुझे मैं एक मूवी दिखाती हूँ!" ये कह कर नज़ीला ने अपनी अलमारी खोली और उसमें से एक डी-वी-डी निकाल कर सानिया की तरफ़ बढ़ायी।

सानिया: "ये... ये क्या है आँटी?"

नज़ीला: "वही जिसे तू पोर्न कहती है... देखनी है तो देख ले... मैं बाहर सलील का होमवर्क करवा कर आती हूँ..!" ये कह कर नज़ीला सानिया के हाथ में डी-वी-डी थमा कर बाहर चली गयी और हाल में सलील को उसके स्कूल का होमवर्क कराने लगी। सानिया ने काँपते हुए हाथों से उस डिस्क को डी-वी-डी प्लेयर में डाल कर ऑन कर दिया। सानिया ने पोर्न कहानियाँ-किस्से तो खूब पढ़े थे लेकिन पोर्न मूवी कभी नहीं देखी थी। उस डीवीडी में बहुत सारे थ्रीसम और फ़ोरसम सीन थे जिनमें दर्मियानी उम्र की दो या तीन औरतें मिलकर किसी जवान लड़के के साथ चुदाई के मज़े ले रही थीं। एक सीन में तो माँ और बेटी मिलकर एक लड़के से चुदवा रही थीं। सानिया की हालत ये सब देख कर खराब हो गयी। सानिया का अब सैक्स के जानिब नज़रिया बदल गया था। ना जाने क्यों उसके दिमाग में अजीब -अजीब तरह के ख्याल आने लगे... वो वहाँ से उठ कर अपने घर आ गयी और आते ही अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद करके नंगी हो गयी और बहोत देर तक मोमबत्ती अपनी चूत में डाल कर काफ़ी देर तक अपनी हवस की आग बुझाने की कोशिश करती रही।

उसके बाद ऐसे ही करीब एक महीना और गुज़र गया। सुनील तो अपना मन रशीदा और नफ़ीसा के साथ बाहर बहला रहा था लेकिन रुखसाना और सानिया का बुरा हाल था। दोनों के ज़हन में अब हर वक़्त चुदाई का नशा सवार रहता था। सुनील से चुदवाने के बाद अब सानिया को हर वक़्त अपनी चूत में खालीपन महसूस होता था और रुखसाना को तो पहले से ही सुनील के लंड का ऐसा चस्का लग चुका था कि उसके दिन और रात बड़ी मुश्किल से कट रहे थे। रुखसाना तो फिर भी कभी-कभार सुनील के साथ जल्दबज़ी वाली थोड़ी-बहुत चुदाई में कामयाब हो जाती थी लेकिन सानिया को तो सुनील के साथ थोडी छेड़छाड़ या चूमने-चाटने से ज्यादा मौका नहीं मिल पाता था। रुखसाना भले ही सानिया की हालत से अंजान थी पर अब उसे सानिया के चेहरे पर किसी चीज़ की कमी होने का एहसास होने लगा था।

इसी दौरान एक वाक़िया हुआ जिससे रुखसाना की ज़िंदगी में वापस बहारें लौटने लगीं। रशीदा की ट्राँसफ़र की अर्ज़ी रेलवे में मंज़ूर हो गयी और उसकी पोस्टिंग कोलकत्ता में हो गयी। रशीदा के जाने के बाद भी सुनील का नफ़ीसा के साथ रिश्ता पहले जैसा ही बना रहा। रुखसाना ने इन दिनों नोटिस किया कि सुनील अब पहले की तरह उसमें फिर से काफी दिलचस्पी लेने लगा था... अब वो खुद से कोई ऐसा मौका नहीं छोड़ता था। जब रुखसाना उसे दो-तीन मिनट के लिये भी अकेली दिख जाती तो वो मौका देख कर कभी उसे बाहों में जकड़ के चूम लेता तो कभी उसकी सलवार के ऊपर से उसकी फुद्दी को मसल देता।

तभी एक और वाक़िया हुआ जिसने रुखसाना के सोचने का नज़रिया ही बदल दिया। एक दिन रुखसाना नज़ीला के घर गयी। सुबह के ग्यारह बजे का वक़्त था। फ़ारूक और सुनील दोनों जॉब के लिये जा चुके थे और सानिया भी कॉलेज गयी हुई थी। रुखसाना को आइब्राउ बनवानी थी तो उसने सोचा कि नज़ीला भाभी से थ्रेडिंग के साथ-साथ फ़ेशियल भी करवा लेती हूँ। वैसे तो वो खुद ये सब करने में माहिर थी लेकिन आइब्राउ क्योंकि खासतौर पे खुद बनाना आसान नहीं होता इसलिये वो अक्सर नज़ीला से थ्रेडिंग करवाती थी। नज़ीला तो वैसे भी अपने घर में ही ब्यूटी पार्लर चलाती थी। रुखसाना ने घर का काम निपटाया और अपने घर को बाहर से लॉक करके नज़ीला के घर की तरफ़ गयी। जैसे ही वो नज़ीला के घर का गेट खोल कर अंदर गयी तो सामने गैराज का दरवाजा खुला हुआ था जिसमें नज़ीला का ब्यूटी-पार्लर था। रुखसाना ब्यूटी-पार्लर में घुसी तो वहाँ कोई नहीं था। रुखसाना ने देखा कि पार्लर में से घर के अंदर जाने वाला दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था। रुखसाना और नज़ीला अच्छी सहेलियाँ थीं और वैसे भी नज़ीला इस वक़्त घर में अकेली होती थी तो रुखसाना बिना कुछ बोले अंदर चली गयी। अंदर एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था लेकिन नज़ीला के बेडरूम से कुछ आवाज़ आ रही थी। नज़ीला की खुशनुमा आवाज़ सुन कर रुखसाना उसके बेडरूम के ओर बढ़ी... और जैसे ही वो बेडरूम के डोर के पास पहुँची तो रुखसाना की आँखें फटी की फटी रह गयीं।

नज़ीला ड्रेसिंग टेबल पर झुकी हुई थी और उसने ने अपनी कमीज़ को अपनी कमर तक उठा रखा था... उसकी सलवार उसकी टाँगों से निकली हुई उसके पैरों में ज़मीन पर थी और सफ़ेद रंग की पैंटी उसकी रानों तक उतारी हुई थी और एक लड़का जो मुश्किल से पंद्रह-सोलह साल का था... उसके पीछे खड़ा हुआ था। उस लड़के का लंड नज़ीला की गोरी फुद्दी के लबों के दर्मियान फुद्दी में अंदर-बाहर हो रहा था और उस लड़के ने नज़ीला के चूतड़ों को दोनों तरफ़ से पकड़ा हुआ था जिन्हें वो बुरी तरह से मसल रहा था। तभी नज़ीला की मस्ती से भरी आवाज़ पूरे कमरे में गूँज उठी।

नज़ीला: "आआहहहह आफ़्ताब ओहहह आहहह बाहर ब्यूटी-पार्लर खुला हुआ है... मेरी कस्टमर्स आकर लौट जायेंगी... एक बजे पार्लर बंद करने के बाद दोपहर में फिर आराम से कर लेना जो करना है!"
 
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