vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान) - Page 3 - SexBaba
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vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)

सुनील बोला, “यहाँ और कौन है जो देख लेगा..!”

रुखसाना: “नीचे सलील है वो...”

सुनील: “अरे वो तो अभी छोटा है... उसे क्या समझ..!”

रुखसाना: “और अगर कुछ ठहर गया तो..?”

सुनील: “क्या...?” सुनील को शायद समझ में नहीं आया था। रुखसाना एक दम से शरमा गयी। वो थोड़ी देर रुक कर बोली, “अगर मैं पेट से हो गयी तो?” सुनील के ज़रिये प्रेग्नेन्ट होने की बात से रुखसाना के जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी। सुनील उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला, “ऐसा कुछ नहीं होगा..!” रुखसाना ने उसकी आँखों में सवालिया नज़रों से देखा तो वो मुस्कुराते हुए बोला, “मैं कल बज़ार से आपके लिये बच्चा ना ठहरने वाली दवाई ला दुँगा... वैसे मुझे लगता है कि अब आपको रोज़ाना ये गोलियाँ लेने की जरूरत पड़ने वाली है..!” रुखसाना उसकी बात सुन कर सिर झुका कर मुस्कुराने लगी। सुनील ने उसे अपनी बाहों में और जोर से भींच लिया। रुखसाना की चूचियाँ उसके सीने में दब गयीं। सुनील ने उसके चूतड़ों को जैसे ही हाथ लगाया तो रुखसाना एक दम से मचल उठी और बोली, “सुनील यहाँ नहीं..!”

सुनील उसका इशारा समझ गया और उसका हाथ पकड़ कर खींचते हुए अपने कमरे में ले गया। जैसे ही रुखसाना उसके कमरे में दाखिल हुई तो उसकी धड़कनें बढ़ गयी। शाम को तो सब इतनी जल्दी हुआ था कि उसे कुछ समझ में ही नहीं आया था।

कमरे में आते ही सुनील ने लाइट जला दी और रुखसाना को पीछे से बाहों में भर लिया। रुखसाना ने धीरे से अपनी पीठ उसके सीने से सटा ली। सुनील के हाथ में शराब का आधा भरा गिलास अभी भी मौजूद था। उसने अपने होंठों को रुखसाना की गर्दन पर रखा तो रुखसाना का तो रोम-रोम काँप गया। “रुखसाना भाभी आज तो आपका हुस्न कुछ ज्यादा ही कहर ढा रहा है.. !” सुनील बुदबुदाते हुए बोला। सुनील ने आज दूसरी बार उसे नाम से पुकारा था। सुनील के होंठ रुखसाना की गर्दन पे और उसका एक हाथ रुखसाना के स्लिम पेट और नाभि के आसपास थिरक रहा था। सुनील के हाथ के सहलाने और अपनी गर्दन पे सुनील के होंठों और गर्म साँसों का एहसास रुखसाना को बहुत अच्छा लग रहा था... वो मदहोश हुई जा रही थी। दो दफ़ा शादीशुदा होने के बावजूद पहली बार उसे ऐसा मज़ा और इशरत नसीब हो रही थी।

“घायल करके रख दिया भाभी आपके हुस्न ने मुझे!” रुख्साना की गर्दन को चूमते हुए सुनील बोला और फिर अपना शराब का गिलास रुखसाना के होंठों से लगा दिया। रुख्सना उसकी गिरफ़्त में कसमसाते हुए शराब का गिलास अपने होंठों से ज़रा दूर करते हुए बोली, “नहीं सुनील... मैं नहीं... पी नहीं कभी!”

“थोड़ी सी तो पी कर देखो भाभी आपके इन सुर्ख होंठों में जब ये शराब थिरकेगी तो शराब और आपके हुस्न का नशा मिलने से ऐसा नशा तैयार होगा कि कयामत आ जायेगी..!” सुनील रुखसाना की गर्दन पे अपने होंठ फिराते हुए बोला। रुखसाना तो पहले ही सुनील के आगोश में मदहोश हुई जा रही थी और सुनील की शायराना बातों से वो बिल्कुल बहक गयी और उसकी तमाम ज़हनी हिचकिचाहट काफ़ूर हो गयी। सुनील ने जैसे ही गिलास फिर से उसके होंठों से लगाया तो रुखसाना फ़ौरन अपने सुर्ख होंठ खोलकर शराब पीने लगी। शुरू-शुरू में तो रुखसाना को ज़ायका ज़रा सा कड़वा जरूर लगा लेकिन फिर दो-तीन घूँट पीने के बाद उसे ज़ायका भाने लगा। इसी तरह एक हाथ से रुखसाना के जिस्म को सहलाते हुए और उसकी गर्दन पे अपनी नाक रगड़ते और उसे चूमते हुए सुनील ने गिलास में मौजूद सारी शराब रुखसाना को पिलाने के बाद ही उसके होंठों से गिलास हटाया।

उसके बाद सुनील ने रुखसाना को अपनी तरफ़ घुमाया और उसे ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोला, “रुखसाना भाभी इतनी हॉट लग रही हो आज कि बस ज्या कहूँ... और इन हाई हील सैंडलों में आपके ये खूबसूरत पैर तो मुझे पागल कर रहे हैं... दिल कर रहा है कि चूम लूँ इन्हें!” रुखसाना पे शराब की हल्की-हल्की खुमारी छाने लगी थी। अपनी तारीफें सुनकर पहले तो वो थोड़ी शर्मा गयी लेकिन फिर शरारत भरी नज़रों से उसे देखते हुए बोली, “तो कर ले ना अपनी हसरत पूरी... रोका किस ने है!”

इतना सुनते ही सुनील फ़ौरन रुखसाना के कदमों पे झुक गया और उसके गोरे-गोरे नर्म पैरों और सैंडलों कि तनियों को कुत्ते की तरह चूमने-चाटने लगा। रुखसाना को यकीन ही नहीं हो रहा थी कि कोई उसे इस कदर भी चाहता है कि इस तरह उसके पैरों को उसके सैंडलों को चूम रहा है। उसके जिस्म में मस्ती भरी सनसनी सी दौड़ गयी। उसके दोनों पैर चूमने के बाद सुनील ने उठ कर फिर रुखसाना को अपने आगोश में ले कर उसके जिस्म पे हाथ फिराता हुआ उसकी गर्दन पे चूमने लगा।

रुखसाना भी सुनील के मर्दाना आगोश में मस्ती में कसमसा रही थी। शराब की खुमारी उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ा रही थी। उसने भी अपनी बाँहें सुनील की कमर में डाल राखी थी। जब उसे लगा कि सुनील शायद अब उसके कपड़े उतारने शुरू करेगा तो रुखसाना ने धीरे से सुनील को कमरे का दरावाजा बंद करने को कहा तो सुनिल बोला, “यहाँ कौन आ जायेगा इस वक़्त?”

लेकिन रुखसाना इसरार करते हुए बोली, “हुम्म्म तू दरवाजा लॉक कर दे ना प्लीज़?”

सुनील ने उसे छोड़ा और दरवाजा लॉक कर दिया और फिर से रुखसाना को पीछे से जकड़ लिया तो वो उसकी बाहों में कसमसाते हुए फिर फुसफुसाते हुए बोली, “सुनील लाइट भी..!”
 
सुनील बोला, “रहने दो ना भाभी.. मैं आज आपके हुस्न का दीदार करना चाहता हूँ..!” और रुखसाना के पेट से होते हुए उसके हाथ रुखसाना की चूचियों के तरफ़ बढ़ने लगे।

“मुझे शरम आती है सुनील... लाईट ऑफ कर दे ना... नाईट लैम्प की रोशनी काफ़ी होगी!” अपनी चूचियों पे सुनील के हाथों का दबाव महसूस होने से रुखसाना सिसकते हुए बोली। सुनील ने एक बार फिर से उसे छोड़ा और थोड़े बेमन से लाइट ऑफ़ कर दी। लेकिन सुनील ने देखा कि वाकय में नाईट लैम्प की काफी रोशनी थी और खुली खिड़कियों से कमरे में चाँद की भी काफी रोशनी आ रही थी। इतनी रोशनी रुखसाना के हुस्न का दीदार करने के लिये काफ़ी थी। अब उससे और सब्र नहीं हो रहा था और वो रुखसाना को लेकर बेड पर आ गया।

एक बार फिर से रुखसाना की चुदने की घड़ी आ गयी थी। बेड पर आते ही सुनील उसके साथ गुथमगुथा हो गया। उसके हाथ कभी रुखस्ना की पीठ पर तो कभी उसके चूतड़ों पर घूम रहे थे। रुखसाना उससे और वो रुखसाना से चिपकने लगा। रुखसाना की चूचियाँ बार-बार सुनील के सीने से दबी जा रही थी। रुखसाना का इतने सालों में और सुनील के साथ भी चुदाई का दूसरा ही मौका था इसलिये रुखसाना ज़रा शरम रही थी... शराब की खुमारी के बावजूद वो बहोत ज्यादा खुल कर साथ नहीं दे रही थी।

सुनील ने पहले उसकी कमीज़ उतारी और फिर सलवार और फिर उसकी पैंटी भी खींच कर निकाल दी। रुखसाना के जिस्म पे अब सिर्फ़ काली ब्रा बची थी और पैरों में ऊँची हील वाले लाल सैन्डल। सुनील उसकी बड़ी-बड़ी गुदाज़ चूचियाँ ब्रा के ऊपर से ही दबाने और मसलने लगा जो रुखसाना को बहुत अच्छा लग रहा था। दस सालों में पहली बार उसकी चूचियों को मर्दाना हाथों का मसलना नसीब हुआ था। रुखसाना की हालत खराब हो गयी थी और उसके होंठों से बे-इख़्तियार सिसकियाँ निकल रही थीं। जब सुनील ने उसकी ब्रा को खोला तो रुखसाना की साँस बहोत तेज चल रही थी और दिल ज़ोर-ज़ोर से धक-धक कर रहा था। जिस्म का सारा खून उसे अपनी चूत की तरफ़ सिमटता हुआ महसूस हो रहा था। अब रुखसाना उस बिस्तर पर सिर्फ़ सैंडल पहने एक दम नंगी पड़ी थी... वो भी अपने किरायेदार के साथ। सोच कर ही रुखसाना की चूत मचलने लगी कि वो अपने से पंद्रह साल छोटे जवान लड़के के साथ उसके ही बिस्तर पे एक दम नंगी लेटी हुई थी।

इतने में सुनील ने भी अपने कपड़े उतार दिये और अगले ही पल वो रुखसाना के ऊपर आ चुका था। उसने रुखसाना की टाँगों को उठा कर उसके पैर अपने कंधों पे रखे और अपना मूसल जैसा सख्त अनकटा लंड रुखसाना की चूत के छेद पर लगा दिया और फिर धीरे-धीरे दबाते हुए लंड को अंदर घुसेड़ने लगा। वो घुसेड़ता गया और रुखसाना उसके लंड को अंदर समेटती गयी। जैसे ही उसका लंड रुखसाना की चूत के गहराइयों में पहुँचा, तो वो एक दम मस्त हो गयी। सुनील एक पल भी ना रुका, और अपने लंड को रुखसाना की चूत के अंदर बाहर करने लगा। रुखसाना को लग जैसे कि वो जन्नत की हसीन वादियों में उड़ रही हो। ऐसा सुकून और लुत्फ़ उसे आज तक नहीं मिला था। जैसे ही वो अगला शॉट लगाने के लिये अपना लौड़ा रुखसान की फुद्दी से बाहर निकालता तो रुखसाना की कमर उसके लौड़े को अपनी फुद्दी मैं लेने के लिये बे-इख़्तियार ऊपर की तरफ़ उठ जाती और सुनील का लंड फिर से चूत की गहराइयों में उतर जाता।

सुनील एक स्पीड से बिना रुके अपने लौड़े को अंदर-बाहर करता रहा। इस तरह चोदते हुए ना ही वो रुखसाना के मम्मों से खेला और ना ही कोई चूमा चाटी की चुदाई का आखिर था तो वो भी नया खिलाड़ी। दो बार अज़रा को चोदा था और आज रुखसाना को दूसरी बार चोद रहा था। करीब दस मिनट बाद रुखसाना को ऐसा लगा जैसे उसकी चूत के नसें ऐंठने लगी हों। रुखसाना को अपनी चूत की दीवारें सुनील के लंड के इर्द गिर्द कसती हुई महसूस होने लगी और फिर उसकी चूत से पानी का दरिया बह निकला। रुखसाना झड़ कर बेहाल हो गयी। “ओहहह सुनीईईल मेरीईईई जाआआआन आँहहहह...!” रुखसाना ने जोर से चींखते हुए सुनील को अपनी बाहों में कस लिया। सुनील ने उसकी चूत में अपना लंड पेलते हुए पूछा, “क्या कहा भाभी आपने?” रुखसाना अभी भी झड़ रही थी और चूत में अभी भी जकड़ाव हो रहा था। रुखसाना मस्ती की बुलंदी पर थी। रुखसाना ने मस्ती में आकर सुनील होंठों को चूम लिया। “मेरी जान... मेरे दिलबर...” कहते हुए रुखसाना सुनील के सीने में सिमटती चली गयी। सुनील ने फिर तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिये और रुखसाना की चूत के अंदर अपने वीर्य की बौछार करने लगा। झड़ते हुए उसने झुक कर रुखसाना के एक मम्मे को मुँह में भर लिया। सुनील के मुँह और जीभ का लम्स अपने मम्मे और अंगूर के दाने जितने बड़े निप्पल पर महसूस हुआ तो एक बार फिर से रुखसाना की चूत ने झड़ना शुरू कर दिया। उसकी चूत ने पता नहीं सुनील के लंड पर कितना पानी बहाया।

वो दोनों उसी तरह ना जाने कितनी देर लेटे रहे। सुनील रुखसाना के नंगे मुलायम जिस्म को सहलाता रहा और रुखसाना भी इसका लुत्फ़ उठाती रही। रुखसाना को लग रहा था कि ये हसीन पल कभी खत्म ना हों लेकिन फिर वो बिस्तर से उठी और अपने कपड़े ढूँढे और सिर्फ़ कमीज़ पहनने के बाद लाइट ऑन की। सुनील बेड से उठा और रुखसाना का हाथ पकड़ कर बोला, “क्या हुआ?” रुखसाना ने उसकी तरफ़ देखा और फिर शरमा कर नज़रें झुका ली, “सलील अकेला है मुझे जाने दे!”

सुनील बोला, “थोड़ी देर और रुको ना!” तो रुखसाना एक सुनील के नंगे लंड पे एक नज़र डालते हुए बोली, “जाना तो मैं भी नहीं चाहती... लेकिन अभी मुझे जाने दे... अगर वो उठ गया तो मसला हो जायेगा!”

सुनील कुछ नहीं बोला और मुस्कुरा कर उसे जाने दिया। रुखसाना ने अपने बाकी कपड़े उठाये और सिर्फ़ कमीज़ पहने हुए सुनील के कमरे से बहार निकली और सीढ़ियाँ उतर कर नीचे चली गयी। शराब और ज़ोरदार चुदाई के लुत्फ़ की खुमारी से वो खुद को हवा में उड़ता हुआ महसूस कर रही थी। अपने बेडरूम का दरवाजा खोल कर अंदर झाँका तो सलील अभी भी सो रहा था। बेडरूम में आकर उसने दरवाजा बंद किया और रात के कपड़े पहन कर लेट गयी। रात कब नींद आयी उसे पता नहीं चला। सुबह उठ कर नहा-धो कर तैयार होने के बाद उसने नाश्ता तैयार किया । सुनील नाश्ता करने नीचे आया तो रुखसाना के चेहरे पर अभी भी लाली थी... वो अभी भी उसके साथ नज़रें नहीं मिला पा रही थी। सलील की मौजूदगी में दोनों कुछ बोले नहीं। नाश्ता करते हुए सुनील ने टेबल के नीचे रुखसाना का हाथ पकड़ा तो वो अचानक से हड़बड़ा गयी लेकिन सुनील ने उसका हाथ छोड़ा नहीं बल्कि रुखसाना का हाथ अपनी गोद में खींच कर पैंट के ऊपर से लंड पे रख के दबाने लगा। इस सबसे बेखबर सलील सामने बैठा चुपचाप नाश्ता कर रहा था लेकिन रुखसाना की तो धड़कनें तेज़ हो गयीं और चेहरा शर्म से सुर्ख हो गया। फिर नाश्ता करके सुनील तो चला गया लेकिन रुखसाना के जज़बातों को भड़का गया।
 
सारा दिन रूकसाना का दिल खिला-खिला रहा। सलील की बचकानी बातें सुन कर हंसते-खेलते दिन निकला। आज रुखसाना के खुश होने की वजह और भी थी। उसे नहीं पता था कि उसका ये उठाया हुआ कदम उसे किस मुक़ाम की ओर ले जायेगा या आने वाले वक़्त में उसकी तक़दीर में क्या लिखा हुआ था। पर अभी तो वो सातवें आसमान पे थी और ज़िंदगी में पहली बार इतनी खुशी मीली थी उसे।

शाम को किसी ने गेट के सामने हॉर्न बजाया तो रुखसाना ने सोचा कि ये कौन है जो उनके घर गाड़ी ले कर आया। जब उसने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा कि बाहर सुनील बाइक पर बैठा था। वो रुखसाना की तरफ़ देख कर मुस्कुराया और उसने बाइक गेट के अंदर ला कर स्टैंड पर लगा दी। फिर दोनों घर के अंदर दाखिल हुए और रुखसाना अभी कुंडी लगा ही रही थी कि सुनील ने उसे पीछे से बाहों में दबोच लिया। “आहहह हाय अल्लाह क्या करते हो कोई देख लेगा....!” रुखसाना कसमसाते हुए बोली।

“कौन देखेगा भाभी हमें यहाँ..?” सुनील ने उससे अलग होते हुए कहा।

“सलील है ना घर पर...!” रुखसाना ने कहा तो सुनील बोला, “उसे क्या समझ वो तो बच्चा है...!”

“नहीं मुझे डर लगता है... कुछ गड़बड़ ना हो जाये!” रुखसाना बोली।

“अच्छा रात को तो आओगी ना... ऊपर मेरे कमरे में..!” सुनील ने पूछा तो रुखसाना ने मुस्कुराते हुए गर्दन हिला कर आँखों के इशारे से रज़ामंदी बता दी। फिर उसने सुनील से पूछा कि “ये बाइक किसकी है?” तो सुनील ने कहा, “मेरी है... आज ही खरीदी है... नयी है!”

“हाँ वो तो देख ही रही हूँ!” रुखसाना बोली। उसने देखा कि सुनील ने हाथ में खाने का पैकेट पकड़ा हुआ था जो वो ढाब्बे से लेकर आया था। “अब मैं ठीक हूँ सुनील... घर पर बना लेती... इसकी क्या जरूरत थी!” रुखसाना ने सुनील के हाथों से खाने के पैकेट लेते हुए कहा तो सुनील शरारत भरे अंदाज़ में बोला, “आप बना तो लेती... पर मैं आपको काम करके थकाना नहीं चाहता था... रात को आपको काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी..!” ये सुनते ही रुखसाना के गाल शरम से लाल होकर दहकने लगे। सुनील ने दूसरे हाथ में एक और बैग पकड़ा हुआ था। उसने रुखसाना को दिखाया कि उसमें एक पैकेट में खूब सारी गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ और चमेली के फूल थे। उसी बैग में रॉयल स्टैग व्हिस्की की एक बोतल भी थी। रुखसाना ने सवालिया नज़रों से देखते हुए पूछा तो सुनील बड़े प्यारे अंदाज़ में बोला, “भाभी ये सब तो आज की रात आपके लिये खास बनाने के लिये है... आओगी ना आप?” अब तो रुखसाना ऐसे शर्मा गयी जैसे नयी नवेली दुल्हन हो। वो अपने होंठ दाँतों मे दबा कर दौड़ती हुई किचन में चली गयी। सलील टीवी पर कॉर्टून देख रहा था। सुनील सीधा ऊपर अपने कमरे में चला गया। वो तीन-चार घंटे ऊपर ही रहा और रात के करीब नौ बजे वो नीचे आया तो रुखसाना ने खाना गरम करके टेबल पर लगाया। सुनील सलील के साथ वाली कुर्सी पर बैठा था। “आज बड़ी देर कर दी नीचे आने में...!” रुखसाना सुनील की ओर देखते हुए मुस्कुरायी तो सुनील आँख मारते हुए बोला, “वो रात को जागना है तो सोचा कि कुछ देर सो लेता हूँ!”

फिर कुछ खास बात नहीं हुई। सुनील खाना खा कर ऊपर चला गया। रुखसाना सलील के साथ अपने बेडरूम में आकर सलील के साथ लेट गयी। सलील थोड़ी देर मैं ही सो गहरी नींद सो गया। उसके बाद रुखसाना उठ कर बाथरूम में गयी और उस दिन वो ये तीसरी बार नहा रही थी। सुनील ने रात के लिये काफ़ी तैयारी की थी तो रुखसाना भी अपनी तरफ़ से कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वो भी आज रात को होने वाली चुदाई को लेकर काफ़ी इक्साइटिड थी। नहाने के बाद उसने पूरे जिस्म पे पर्फ्यूम छिड़का। उसकी चूत और जिस्म तो पहले ही बिल्कुल मुलायम और चिकने थे... एक रोंआँ तक भी मौजूद नहीं था। उसके बाद उसने अलमारी में सालों से रखा शरारा सूट निकाला जो उसने फ़ारूख़ के साथ निकाह के वक़्त पहना था। रुखसाना को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे आज उसकी सुनील के साथ सुहाग रात थी। ज़री वाला हरे रंग का शरारा-सूट पहनने के बाद उसने अच्छे से मेक-अप किया। फिर अलमारी की सेफ़ में से ज़ेवर निकाल कर पहने जैसे कि गले का हार... कंगन कानों के बूंदे और बालों में झुमर भी पहना। फिर आखिर में उसने सुनहरी गोल्डन रंग के बेहद ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने। उसने खड़े होकर सिर पे दुपट्टा ओढ़ कर जब आइने में देखा तो खुद का हुस्नो-शबाब देख कर शर्मा गयी... बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन की तरह बेहद खूबसूरत लग रही थी वो।

रुखसाना ने एक बार तस्ल्ली की कि सलील गहरी नींद सो रहा है और फिर लाइट बंद करके आहिस्ता से कमरे से निकली और दरवाजा बंद करके धड़कते दिल के साथ आहिस्ता-आहिस्ता सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। जब वो ऊपर पहुँची तो सुनील के कमरे में लाईट जल रही थी। तभी उसे एहसास हुआ की सीढ़ियों से सुनील के कमरे तक रास्ते में फूलों की पंखुड़ियाँ बिछी हुई थीं। सुनील का ये अमल रुखसाना के दिल को छू गया। उसने कभी तसाव्वुर भी नहीं किया था कि कोई उसके कदमों में फूल तक बिछा सकता है। रुखसाना उन फूलों पे बड़ी नफ़ासत से ऊँची पेंसिल हील वाले सैडल पहने पैरों से आहिस्ता-आहिस्ता कदम रखती हुई सुनील के कमरे में दाखिल हुई तो अचानक उसके ऊपर ढेर सारे फूलों की बारिश हो गयी। इतने में अचानक सुनील ने रुखसाना को बाहों में भर लिया। रुखसाना की तनी हुई चूचियाँ सुनील के सीने में दबने लगीं।

“हाय भाभी आप तो मेरी जान निकाल कर ही रहोगी... कल तो इतनी बुरी तरह घायल किया था और आज तो लगता है मेरा कत्ल ही करोगी आप... वाओ!” रुखसाना को दुल्हन के लिबास में देख कर सुनील उत्तेजित होते हुए बोला। रुखसाना ने देखा कि बिस्तर पे भी गुलाब और चमेली के फूलों की चादर मौजूद थी।

“वेलकम भाभी... मेरे कमरे में और मेरी ज़िंदगी में... मैं कितना खुशनसीब हूँ बता नहीं सकता!” सुनील चहकते हुए बोला और उसने टेबल पे पहले से रखे हुए शराब के दो गिलास उठाये और एक गिलास रूकसाना को पक्ड़ाते हुए बोला, “ये लीजिये भाभी... आज का पहला जाम आपके बेमिसाल हुस्न के नाम!” रुखसाना के दिल में थोड़ी हिचकिचाहट तो हुई लेकिन उसने ज़ाहिर नहीं होने दी। जैसे ही वो अपना गिलास होंठों से लगाने लगी तो सुनील ने उसके गिलास से अपन गिलास टकराते हुए ‘चियर्स’ कहा और फिर रुख्साना की बाँह में अपनी बाँह लपेट कर बोला, “अब पियो भाभी एक ही घूँट में!”
 
सुनील की तरह रुखसाना ने भी एक ही घूँट में गिलास खाली कर दिया। आज उसे शराब पिछली रात से थोड़ी ज्यादा स्ट्रॉंग और तीखी लगी क्योंकि आज सुनील ने दोनों गिलासों में नीट व्हिस्की डाल राखी थी। फिर सुनील ने कामरे की लाइट ऑफ करके नाइट लैम्प ऑन कर दिया और अपने फोन पे कम वल्यूम पे पुराना गाना चला दिया, “आओ मानायें जश्न-ए-मोहब्बत... जाम उठायें जाम के बाद...!” और रुखसाना को बाहों में भर कर धीरे-धीरे थिरकने लगा। नाइट लैम्प की मद्दिम सी नीली रोशनी के साथ-साथ कमरे में खुली खिड़कियों से चाँद की चाँदनी भी बिखरी हुई थी । गर्मी का मौसम था लेकिन बाहर से हल्की-हल्की ठंडी पूर्वा हवा बह रही थी। रुखसाना को सुनील का तैयार किया हुआ ये रंगीन और रुमानी समाँ बेहद दिलकश लग रहा था और वो भी सुनील के सीने में चेहरा छुपाये और उसकी कमर में बांहें डाल कर उससे चिपक कर गाने की धुन पे धीरे-धीरे थिरकने लगी। सुनील के हाथ में व्हिस्की की बोतल थी और दोनों एक दूसरे के आगोश में थिरकते-थिरकते बीच-बीच में उस बोतल से व्हिस्की के छोटे-छोटे घूँट पी रहे थे। वही गाना बार-बार लूप में चल रहा था।

थिरकते हुए सुनील के हाथ रुखसाना की कमर से चूतड़ों तक हर हिस्से को सहला रहे थे। एक पराये मर्द... वो भी उम्र में उससे पंद्रह साल छोटा... उससे इतनी तवज्जो... इतनी मोहब्बत.... इतना सुकून उसे मिलेगा... रुखसाना ने ज़िंदगी में कभी सोचा नहीं था। जल्दी ही रुखसाना पे शराब का नशा भी सवार होने लगा था और इतने रोमांटिक माहौल में वो सुरूर में मस्त हो चुकी थी और उसे इस वक़्त दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं थी। वो आज इस सुरूर-ओ-मस्ती के समंदर में डूब जाना चाहती थी। इसी बीच कब व्हिस्की की बोतल उसने सुनील के हाथ से अपने हाथ में ले ली उसे पता हा नहीं चला। नशे की खुमारी में सुनील के कंधे पे सिर टिकाये उससे लिपट कर थिरकती हुई वो बीच-बीच में व्हिस्की के छोटे-छोटे सिप ले रही थी।

सुनील ने अब रुखसाना के कपड़े उतारने शुरू कर दिये... वहीं थिरकते-थिरकते खड़े-खड़े ही। मदहोशी में रुखसाना ने ज़रा भी मुखालिफ़त नहीं की बल्कि वो तो नंगी होने में सुनील का साथ दे रही थी जब वो धीरे-धीरे उसके कपड़े खोल रहा था। थोड़ी ही देर में उसका शरारा सूट उसके जिस्म से अलग हो चुका था! नाइट लैंप और चाँदनी रात की मद्दिम सी रोशनी में अब वो बिल्कुल नंगी आँखें बंद किये सुनील के कंधे पे सिर रख कर उससे लिपटी हुई नाच रही थी। फिर सुनील उससे थोड़ा अलग हुआ और रुखसाना को कुछ सरसराहट सुनायी दी। उसका दिल ये सोच कर धोंकनी की तरह बजने लगा कि सुनील भी अपने कपड़े उतर रहा है। फिर एक सख्त सी गरम चीज़ रुखसाना को अपनी रानों पर चुभती हुई महसूस हुई तो उसका जिस्म एक दम से थरथरा गया ये सोच कर कि सुनील का तना हुआ लंड उसकी रानों से रगड़ खा रहा था।

फिर अचानक से पता नहीं क्या हुआ… सुनील उससे बिल्कुल अलग हो गया। रुखसाना को नशे की खुमारी में समझ में नहीं आया कि आखिर हुआ क्या... लेकिन तभी अचानक कमरे की ट्यूब- लाइट ऑन हो गयी और कमरा पुरी तरह रोशन हो गया। अचानक तेज़ रोशनी से रुखसाना की आँखें चौंधिया गयीं। रुखसाना कमरे के ठीक बीचोबीच शराब की बोतल हाथ में पकड़े और सिर्फ़ ज़ेवर और सुनहरे रंग के हाई पेन्सिल हील के सैंडल पहने एक दम मादरजात नंगी खड़ी थी। सुनील लाइट के स्विच के पास खड़ा रुखसाना के तराशे हुए संगमरमर जैसे गोरे नंगे जिस्म को निहारते हुए अपने मूसल जैसे लंड को हाथ में लेकर सहला रहा था। नशे की हालत में भी रुखसाना शरमा गयी लेकिन उसने अपना नंगापन छुपाने की कोशिश नहीं की। “सुनील! ये क्या... प्लीज़ बंद कर दे ना मुझे शर्म आती है... कितना शैतान है तू!” रुखसाना कुनमुनाते हुए नशे में लरज़ती आवाज़ में बोली। वो हाई हील के सैंडल पहने नशे में ठीक से एक जगह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। “ऑफ़ कर दे और मेरे करीब आ ना... जानू!” वो कुनमुनाते हुए सुनील के लौड़े की तरफ़ देखते हुए बोली और नशे में झूमती हुई अचानक धम्म से फ़र्श पे टाँगें फ़ैला कर बैठ गयी। उसने अपनी पीठ पीछे बेड से टिका रखी थी। सुनील लाइट बंद किये बगैर रुखसाना की तरफ़ बढ़ा। सुनील का तना हुआ लौड़ा हवा में लहरा रहा था जिसे देख कर रुखसाना की चूत फड़फड़ाने लगी। सुनील उसके पास आया और उसके चेहरे के बिल्कुल सामने अपना लौड़ा लहराते हुए खड़ा हो गया।

“वॉव भाभी इस वक़्त आप जन्नत की हूरों से भी ज्यादा हसीन लग रही हो... आपको इस तरह देख कर तो मुर्दों के लंड भी खड़े हो जायें!” सुनील अपना लौड़ा उसके चेहरे को छुआते हुए बोला तो रुखसाना ने मुस्कुराते हुए नज़रें झुका लीं। रुखसाना की तारीफ़ सुनील ज़रा भी बढ़ा चढ़ा कर नहीं कर रहा था बल्कि हकीकत बयान कर रहा था। ट्यूब-लाइट की रोशनी में घुटने मोड़ कर टाँगें फैलाये बैठी रूखसाना का दमकता हुआ चिकना नंगा जिस्म... बालों में झूमर... गले में सोने का नेकलेस... कानों में लटकते हुए सोने के बूँदे... दोनों हाथों में एक-एक चौड़ा कंगन और पैरों में बेहद ऊँची और पतली हील वाले कातिलाना सुनहरी सैंडल... होंठों पे लाल लिपस्टिक.... गालों पे लाली... बेशक रुखसाना क़यामत ढा रही थी। उसकी नशीली आँखों में शरम भी थी और शरारत भी थी... थोड़ी घबराहट के साथ-साथ बेकरारी और प्यास भी मौजूद थी। सुनील का लंड तो बिल्कुल लोहे के रॉड जैसा सख्त हो गया था। फिर अपने लौड़े का सुपाड़ा रुखसाना के लरज़ते लबों पे लगाते हुए सुनील बोला, “लो भाभी इसे अपने नर्म होंठों से प्यार कर दो ना!” इससे पहले सुनील को लंड चुसवाने का एक ही बार तजुर्बा था... जब अज़रा ने उसका लंड चूस-चूस कर उसका पानी निकाल कर पिया था। सुनील को बेहद मज़ा आया था। रुखसाना को भी खास तजुर्बा नहीं था लंड चूसने का। दास साल पहले शादी के बाद शुरू-शुरू में फ़ारूक़ उससे लंड चुसवाता था। उसके बाद तो उसने सिर्फ़ अज़रा को ही फ़ारूक लंड चूसते और उसकी मनी पीते हुए देखा था।

सुनील का जवान बिला-कटा लंबा-मोटा लंड रुखसाना को अपने चेहरे के सामने सख्त हो कर लहराता हुआ बेहद हसीन लग रहा था और उसने धीरे से अपने होंठ सुनील के लंड के चिकने सुपाड़े पे रख दिये और चूमने लगी और फिर एक हाथ से उसे पकड़ कर एक बार उसे आगे से पीछे तक सहलाने के बाद अपने होंठ खोल कर सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और अपनी ज़ुबान उसके इर्द-गिर्द फिराने लगी। सुनील की मस्ती में आँखें मूँद गयी और होठों से सिसकरी निकल पड़ी, “ऊउहहह भाआआआभी...! रुखसाना को भी अपनी मुट्ठी और होंठों और ज़ुबान पे सुनील के सख्त गरम लौड़े का एहसास दीवाना बना रहा था। सुनील के लंड की गर्मी रुखसाना की मुट्ठी और होंठों से उसके जिस्म में समाती हुई सीधी उसकी चूत तक जा रही थी। फिर रुखसाना ने मज़े से चुप्पे लगाने शुरू कर दिये। जल्दी ही रुखसाना उसका आधे से ज्यादा लंड मूँह में अंदर-बाहर लेते हुए चूस रही थी। सुनील इतना उत्तेजित हो गया कि उसने रुखसाना का सिर पकड़ के अचानक जोर से धक्का मारते हुए अपना पूरा लौड़ा रुखसाना के हलक तक ठेल दिया। रुखसाना की तो साँस ही घुट गयी और वो तड़प उठी। सुनील ने अपना लौड़ा फ़ौरन बाहर खींच लिया तो रुखसाना खाँसते हुए जोर-जोर से साँसें लेने लगीं। “सॉरी भाभी... मैं रोक नहीं पाया खुद को!” सुनील बोला। रुखसाना की साँसें बहाल हुई तो उसने मुस्कुराते हुए सुनील को तसल्ली दी कि कोई बात नहीं। रुखसाना ने फिर अपने थूक से सना हुआ लौड़ा मुट्ठी में ले लिया और सहलाते हुए दूसरे हाथ में अपनी बगल में फर्श पे ही रखी व्हिस्की की बोतल लेकर एक छोटा सा घूँट पी लिया। उसके बाद उसने फिर सुनील के लंड के सुपाड़े को मुँह में ले कर चुप्पा लगाया तो सुनील को अलग ही मज़ा आया।
 
सुनील के दिमाग में कुछ विचार आया और उसने रुखसाना को ज़रा सा रुकने को कहा और फिर टेबल से काँच का एक छोटा सा गिलास ले कर उसे आधे तक व्हिस्की से भर दिया। फिर रुखसाना के चेहरे के सामने खड़े होकर अपना लौड़ा उस गिलास में डाल कर व्हिस्की में डुबो कर रुखसाना के होंठों पे रख दिया। रुखसाना फ़ौरन अपने लब खोल कर शराब में भीगा सुपाड़ा मुँह में ले कर फिर चुप्पे लगाने लगी। ऐसे ही सुनील बार-बार अपना लौड़ा शराब में भिगो-भिगो कर रुखसाना से चुसवा रहा था और रुखसाना को भी इस तरह शराब में भीगा लंड चूसने में बेहद मज़ा आ रहा था। इतने में सुनील का सब्र जवाब दे गया और उसकी टाँगें काँपने लगीं वो जोर से सिसकते हुए रुखसाना के मुँह में ही झड़ने लगा। रुखसाना बेझिझक उसकी मनी का ज़ायका ले रही थी। इतने मोटा लंड मुँह में भरे होने की वजह से सुनील का वीर्य रुखसाना के होंठों के किनारों से बाहर बहाने लगा तो सुनील ने अपना झड़ता हुआ लंड उसके मुँह से बाहर निकाल लिया और वीर्य की बाकी पिचकारियाँ शराब के गिलास में निकाल दीं। रूकसाना तो मस्ती में अपने होंठों के किनारों से बाहर निकली हुई मनी भी उंगलियों से पोंछ कर चाट गयी और होंठों पे ज़ुबान फिराने लगी।

जैसे ही सुनील ने शराब का गिलास जिसमें उसका वीर्य मलाई की तरह व्हिस्की में तैर रहा था... उसे टेबल पे रखने के इरादे से हाथ आगे बढ़ाया तो रुखसाना ने उसका हाथ पकड़ के रोक दिया और गिलास अपने हाथ में लेकर और उसे हिलाते हुए हिर्सना नज़रों से शराब में तैरती मनी देखने लगी। सुनील तो झड़ने के बाद के लम्हों की मस्ती में था और इससे पहले वो कुछ समझ पाता रुखसाना ने अपने थरथराते होंठ गिलास पे लगा दिये और गिलास को बिना होंठों से हटाये हुए धीरे-धीरे व्हिस्की और उसमें तैरती हुई मनी बड़े मज़े से पी गयी। सुनील आँखें फाड़े देखता रहा गया। वो सपने में भी सोच नहीं सकता था किरुखसाना जैसी शर्मिली औरत ऐसी अश्लील हर्कत भी कर सकती। लेकिन हवस का तुफ़ान सारी शर्म और हया खतम कर देता है।

ये देखकर सुनील में नया जोश आ गया और उसने रुखसाना को गोद में उठा कर बिस्तर पे लिटा दिया। रुखसाना ने जो मज़ा और खुशी उसे दी थी तो अब सुनील की बारी थी बदला चुकाने की। सुनील रुखसाना के ऊपर छा गया और उसके होंठों को अपने होंठों में ले कर चूसने लगा। फिर धीरे-धीरे रुखसाना के गालों और गर्दन को चूमते और अपनी जीभ फिराते हुए नीचे सरका। रुखसाना के दोनों मम्मों को मसलते हुए उसके निप्पलों को मुँह में ले कर चुभलाया तो रुखसाने की सिसकारियाँ शुरू हो गयीं। इसके बाद सुनील अचानक बेड से उतरा और व्हिस्की की बोतल ले कर वापस आ गया। रुखसाना के पैरों के नज़दीक बैठ कर उसने रुखसाना का एक पैर उठा के सैंडल के स्ट्रैप के बीच में उसके पैर को चूम लिया। फिर रुखसाना को उस पैर पे कुछ ठंडा बहता हुआ महसूस हुआ तो उसने देखा सुनील उसके पैर और सैंडल पे शराब डाल-डाल के चाट रहा था। सुनील ने एक-एक करके दोनों पैरों और सुनहरी सैंडलों के हर हिस्से को शराब में भिगो-भिगो कर चाटा। सैंडलों के तलवे और हील तक उसने शराब में भिगो कर अपनी जीभ से चाट कर साफ़ किये। सुनील की इस हरकत से रुखसाना के जिस्म में हवस की बिजलियाँ कड़कने लगीं। ऐसे ही धीरे-धीरे उसकी दोनों सुडौल चिकनी टाँगों और जाँघों पे थोड़ी-थोड़ी शराब डाल कर चाटते हुए ऊपर बढ़ा। रुखसाना मस्ती में छटपटाने लगी थी और उसकी सिसकारियाँ लगातार निकल रही थीं, “ओहहह मेरी जान ऊँऊँहह सुनीईईल जानू.... आँआआहहह!” उसके सिर के नीचे तकिया था तो वो नशीली आँखों से सुनील को ये सब करते देख भी रही थी। जब सुनील का चेहरा उसकी चूत के करीब आया तो पहले ही मचल उठी लेकिन सुनील उसकी चूत को नज़र-अंदाज़ करता हुआ ऊपर उसके पेट और नाभि की तरफ़ गया और उसके पेट पर शराब उड़ेल कर चाटने लगा। रुखसाना को अपने जिस्म पे जहाँ-जहाँ सुनील के चाटने का एहसास होता उन-उन हिस्सों में उसे हवस की चिंगरियाँ भड़कती महसूस होने लगती। जब उसकी नाफ़ में सुनील ने जाम की तरह शराब भर के उसे अपने होंठों से सुड़का तो रुखसाना सिसकते हुए मस्ती में जोर से किलकारी मार उठी। इसके बाद सुनील ने उसकी चूचियों और चूचियों के बीच की घाटी में भी शराब डाल कर फिर से उन्हें मसलते हुए चूमा-चाटा। फिर सुनील ने शराब का एक घूँट अपने मुँह में भरा और झुक कर रुखसाना के होंठों पे होंठ रख दिये और अपने मुँह में भरी शराब रुखसाना के मुँह में उतार दी।

रुखसाना को सुनील की इन हरकतों में बेहद मज़ा आ रहा था और उसकी हवस परवान चढ़ती जा रही थी। आखिर में जब सुनील उसकी चूत को शराब में नहला कर चूत के ऊपर और अंदर अपनी जीभ डाल-डाल कर चाटने लगा तो रुखसाना मस्ती में छटपटाते हुए अपनी टाँगें बिस्तर पे पटकने लगी और जोर-जोर से मस्ती में कराहते हुए अपना सिर दांये-बांये पटकने लगी और कुछ ही देर में उसकी चूत ने सुनील के मुँह में और चेहरे पे पानी छोड़ दिया। ज़िंदगी में अपनी चूत चटवाने का रुखसाना का ये पहला मौका था और उसे बेपनाह मज़ा आया था। दो ही दिन में सुनील ने रुखसाना की बरसों से बियाबान ज़िंदगी को ऐश-ओ-इशरत की बहारों से खिला दिया था। आज तक रुखसाना को इतना मज़ा कभी नहीं आया था। सैक्स सिर्फ़ लंड के चूत में अंदर-बाहर चोदने तक महदूद नहीं होता ये बात रुखसाना को अब पता चल रही थी।

अब तक सुनील का लंड फिर से खड़ा होकर सख्त हो चुका था। वो एक बार फिर रुखसाना के ऊपर छाता चला गया और कुछ ही पलों में वो रुखसाना की टाँगों के बीच में था और रुखसाना की टाँगें सुनील की जाँघों के ऊपर थी। सुनील ने अपनी हथेली रुखसाना की हसास चूत पर रखी तो उसके मुँह से आह निकल गयी। उसकी हथेली का एहसास इतना भड़कीला था कि रुखसाना ने बिस्तर की चादर को दोनों हाथों में थाम लिया। नीचे से उसकी चूत फिर से मचलते हुए पानी-पानी हो रही थी। सुनील का लंड उसकी चूत की फ़ाँकों पर रगड़ खा रहा था। “रुखसाना भाभी आपकी चूत बहुत खूबसूरत है..!” सुनील ने रुखसाना की चूत की फ़ाँकों को हाथों से फैलाया तो रुखसाना की मस्ती सातवें आसमान पर पहुँच गयी। हालाँकि रुखसाना ने ‘चूत-चुदाई’ जैसे अल्फ़ाज़ अकसर अज़रा और फ़ारुख के मुँह से सुने थे और वो इस तरह के लफ़ज़ों और गालियों से अंजान नहीं थी लेकिन रुखसाना के साथ कभी किसी ने ऐसे अल्फ़ाज़ों में बात नहीं की थी और ना ही कभी रुख्सआना ने ऐसे अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल किया था। रुखसाना को बिल्कुल भी बुरा या अजीब नहीं लगा बल्कि सुनील के मुँह से अपनी चूत की इस तरह तारीफ़ सुनकर वो गुदगुदा गयी थी। “ऊँम्म... खुदा के लिये ऐसी बातें ना कर सुनील!” रुखसाना मस्ती में बंद आँखें किये हुए लड़खड़ाती ज़ुबान में बोली।
 
“क्यों ना करूँ भाभी... ऐसी बातें सुन कर ही तो चुदाई का मज़ा आता है..!” सुनील ने अपने लंड के सुपाड़ा से रुखसाना की चूत की फ़ाँकों के बीच में रगड़ा तो रुखसाना को ऐसा लगा जैसे उसका दिल अभी धड़कना बंद कर देगा। “उफ़्फ़्फ़...!” सुनील के मुँह से निकला और उसने अपने लंड के सुपाड़े को ठीक रुखसाना की चूत के ऊपर रखा और उसके ऊपर झुकते हुए उसके गालों को चूमा। “सीईईई....” रुखसाना के तो रोम-रोम में मस्ती की लहर दौड़ गयी। फिर सुनील उसके गालों को चूमते हुए रुखसाना के होंठों पर आ गया। सुनील उसके होंठों को एक बार फिर से अपने होंठों में लेकर चूमने वाला था... ये सोचते ही रुखसाना की चूत फुदकने लगी... लंड को जैसे अंदर लेने के लिये मचल रही हो। फिर तो जैसे सुनील उसके होंठों पर टूट पड़ा और उसके होंठों को चूसने लगा। सुनील से अपने होंठ चुसवाने में और उसकी ज़ुबान के अपनी ज़ुबान के साथ गुथमगुथा होने से रुखसाना को इस कदर लुत्फ़ मिल रहा था कि वो बेहाल होकर सुनील से लिपटती चली गयी। इसी दौरान सुनील का लंड भी धीरे-धीरे रुख़साना की चूत की गहराइयों में उतरता चला गया। जैसे ही सुनील का लंड रुखसाना की चूत के गहराइयों में उतरा तो उसने रुखसाना के होंठों को छोड़ दिया और झुक कर उसके दांये मम्मे के निप्पल को मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। रुखसाना एक दम मस्त हो गयी और उसकी बाँहें सुनील की पीठ पर थिरकने लगी। सुनील पिछली रात की तरह जल्दबाज़ी में नहीं था। वो कभी रुखसाना के होंठों को चूसता तो कभी उसके मम्मों को! उसने रुखसाना के निप्पलों को निचोड़-निचोड़ कर लाल कर दिया।

रुखसाना के होंठों में भी सरसराहट होने लगी थी और जब सुनील उसके होंठों को चूसना छोड़ता तो खून का दौरा उसके होंठों में तेज हो जाता और तेज सरसराहट होने लगती। रुखसाना का दिल करता कि सुनील उसके होंठों को चूमता ही रहे... उसकी ज़ुबान को अपने मुँह में ले कर सुनील चूसता ही रहे..! रुक़साना की दोनों चूचियों और निप्पलों का भी यही हाल था लेकिन सुनील के लिये उसके होंठों और दोनों चूचियों और निप्पलों को एक वक़्त में एक साथ चूसना तो मुमकिन नहीं था। नीचे रुखसाना की फुद्दी भी फुदफुदा रही थी। रुखसाना इतनी मस्त हो गयी थी कि उसकी फुद्दी सुनील के लंड पे ऐंठने लगी जबकि अभी तक सुनील ने एक भी बार अपने मूसल लंड से उसकी चूत में वार नहीं किया था। वो रुखसाना की चूत में लंड घुसाये हुए उसके मम्मों और होंठों को बारी-बारी चूस रहा था और रुखसाना मस्ती में आँखें बंद किये हुए सिसकती रही और फिर उसकी चूत के सब्र का बाँध टूट गया। रुखसाना काँपते हुए झड़ने लगी पर सुनील तो अभी भी उसके मम्मों और होंठों का स्वाद लेने में ही मगन था। सुनील को भी एहसास हो गया था कि रुखसाना फिर झड़ चुकी है।

फिर सुनील उठा और घुटनों के बल बैठ गया और अपने लंड को सुपाड़े तक रुखसाना की चूत से बाहर निकाल-निकाल कर अंदर बाहर करने लगा। लंड चूत के पानी से चिकना होकर ऐसे अंदर जाने लगा जैसे मक्खन में गरम छुरी। “भाभी देखो ना आपकी चूत मेरे लंड को कैसे चूस रही है..... आहहह देखो ना..!” रुकसाना उसके मुँह से फिर ऐसे अल्फ़ाज़ सुनकर फिर मस्ती में भर गयी। वो पूरी रोशनी में सुनील के सामने अपनी टाँगें फैलाये हुए एक दम नंगी होकर उसका लंड अपनी चूत में ले रही थी और सुनील उसकी चूत में अपने लंड को अंदर-बाहर कर रहा था। “आहहह देखो ना भाभी... आपकी चूत कैसे मेरे लंड को चूम रही है... देखो आहहह सच भाभी आपकी चूत बहुत गरम है!” सुनील झटके मारते हुए बोले जा रहा था।

रुखसाना की पहाड़ की चोटियों की तरह तनी हुई गुदाज़ चूचियाँ सुनील के धक्कों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। “ऊँऊँहह सुनील... मेरे दिलबर ऐसी बातें ना कर... मुझे शर्म आती है!” रुखसाना की बात सुनकर सुनील ने दो तीन जोरदार झटके मारे और अपना लंड चूत से बाहर निकाल लिया। “देखो ना भाभी... आपकी चूत की गरमी ने मेरे लंड के टोपे को लाल कर दिया है!” सुनील की ये बात सुनकर रुखसाना मस्ती में और मचल गयी। रुखसाना ने अपनी मस्ती और नशे से भरी हुई आँखों से नीचे सुनील की रानों की तरफ़ नज़र डाली तो उसे सुनील के लंड का सुपाड़ा नज़र आया जो किसी टमाटर की तरह फूला हुआ एक दम लाल हो रखा था। रुखसाना मन ही मन सोचने लगी कि सच में चूत के गरमी से उसके लंड का टोपा लाल हो सकता है..!

“आप भी कुछ कहो ना भाभी प्लीज़ एक बार... आपको भी ज्यादा मज़ा आयेगा!” सुनील ने ज़ोर दिया तो रुखसाना फुसफुसा कर बोली, “हाय अल्लाहा मुझे शरम आती है..!”

“ये शरम छोड़ कर करो ना चुदाई की बातें... भाभी आपको मेरी कसम!” सुनील की बात ने तो जैसे रुखसाना के दिल पर ही छुरी चला दी हो। “मुझसे नहीं होगा सुनील... अपनी कसम तो ना दे... प्लीज़ अब ऐसे तड़पा नहीं और जल्दी अंदर कर... मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा!”

रुखसाना की चूत की फ़ाँकों पर अपने लंड को रगड़ते सुनील फिर बोला, “लेकिन ये तो बताओ कि क्या अंदर करूँ?” रुखसाना अपनी नशे और चुदास में बोझल आँखों से सुनील के लंड के सुपाड़ा को देखते हुए बेकरार होके बड़ी मुश्किल से बोली, “ये... अपना ल...लंड... कर ना प्लीज़!” सुनील अभी भी उसकी चूत के बाहर अपने लंड का सुपाड़ा रगड़ रहा था। सुनील ने फिर रुखसाना को तड़पाते हुए पूछा, “कहाँ डालूँ अपना लंड भाभी... और क्या करूँ खुल के बताओ ना।” अब रुकसाना का सब्र जवाब दे गया और वो तमाम शर्म और हया छोड़ कर नशे में लरजती आवाज़ में गुस्से से कड़ाक्ते बोली, “अरे मादरचोद क्यों तड़पा रहा है मुझे... ले अब तो डाल अपना लंड... मेरी चूत में और चोद मुझे..!”

“ये हुई ना बात भाभी... अब आपको रंडी बना के चोदने में मज़ा आयेगा!” कहते हुए सुनील ने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर रुखसाना की आँखों में झाँका और फिर लंड को उसकी चूत के छेद पर टिकाते हुए ज़ोरदार झटका मारा। “हाआआआय अल्लाआहहह!” रुखसाना की फुद्दी की दीवारें जैसे मस्ती में झूम उठी हों.., मर्द क्या होता है... ये आज उसे एहसास हो रहा था। रुखसाना ने सुनील को कसकर अपने आगोश में लेते हुए अपने ऊपर खींचा और उसके आँखों में आँखें डाल कर बोली, “सुनील मेरी जान! चोद मुझे... इतना चोद मुझे कि मेरा जिस्म पिघल जाये... बना ले मुझे अपनी रंडी...!” ये कहते हुए उसके होंठ थरथराये और चूत ऐंठी... जैसे कि आज उसकी चूत ने अपने अंदर समाये लंड को अपना दिलबर मान लिया हो..!
 
रुखसाना की आरज़ू थी कि सुनील उसके होंठों को फिर बुरी तरह से चूमे... उसकी ज़ुबान को अपने मुँह में लेकर चूसे... और ये सोच कर ही रुखसाना के होंठ काँप रहे थे...! शायद सुनील भी उसके दिल के बात समझ गया था। वो रुखसाना के होंठों पर टूट पड़ा और अपने दाँतों से चबाने लगा... हल्के-हल्के धीरे से कभी उसके होंठ चूसता तो कभी होंठों को काटता... मीठा सा दर्द होंठों पर होता और मज़े के लहर उसकी चूत में दौड़ जाती। रुखसाना उससे चिपकी हुई उसके जिस्म में घुसती जा रही थी। रुखसाना का दिल कर रहा था कि दोनों जिस्म एक हो जायें... एक होकर फिर कभी दो ना हों....! सुनील का लंड फिर उसकी चूत की गहराइयों को नापने लगा था और अनकटे मोटे लंड के घस्से चूत में कितने मज़ेदार होते हैं... ये रुखसाना ने पहले कभी महसूस नहीं किया था। उसकी मस्ती भरी सिस्कारियाँ और बढ़ने लगीं और पूरे कमरे में गूँजने लगीं।

रुखसाना अब खुद अपनी टाँगों को उठाये हुए सुनील से चुदवा रही थी। मस्ती के पल एक के बाद एक आते जा रहे थे। सुनील के धक्कों से उसका पूरा जिस्म हिल रहा था और फिर से वही मुक़ाम... चूत ने लंड को चारों ओर से कस लिया... और अपना प्यार भरा रस सुनील के लंड की नज़र करने लगी। सुनील के वीर्य ने भी मानो उसकी प्यासी बियाबान चूत की जमीन पर बारिश कर दी हो । रुखसाणा का पूरा जिस्म झटके खाने लगा। उसे सुनील की मनी अपनी चूत की गहराइयों में बहती हुई महसूस होने लगी। बेइंतेहा लुत्फ़-अंदोज़ तजुर्बा था... रुखसाना सोचने लगी कि क्यों उसने अब तक अपनी जवानी ज़ाया की।

रुखसाना कमज़ कम तीन बार झड़ चुकी थी। सुनील अब उसकी बगल में लेटा हुआ रुखसाना के जिस्म को सहला रहा था। रुखसाना अचानक बिस्तर से उठने लगी तो सुनील ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया। “कहाँ जा रही हो भाभी... एक बार और करने दो ना?” उसने रुखसाना को अपनी तरफ़ खींचते हुए कहा।

“उफ़्फ़्फ़ मुझे पेशाब लगी है... पेशाब तो करके आने दे ना... फिर कर लेना... वैसे खुल कर बोल कि क्या करना है!” रुखसाना हंसते हुए बोली तो सुनील भी उसके साथ हंस पड़ा। रुखसाना पे अभी भी शराब का नशा हावी था। जब वो झूमती हुई बिस्तर से उठ के नंगी ही टॉयलेट जाने लगी तो हाई हील के सैंडल में चलते हुए उसके कदम नशे में लड़खड़ा रहे थे। नशे में लड़खड़ाती हुई मादरजात नंगी रुखसाना के बलखाते हुस्न को सुनील ने पीछे से देखा तो उसके लंड में सनसनी लहर दौड़ गयी लेकिन फिर वो रुखसाना को सहारा देने के लिये उठा कि कहीं वो गिर ना पड़े... क्योंकि बाथरूम और टॉयलेट कमरे से थोड़ा हट के छत के दूसरी तरफ़ थे। जब सुनील लड़खड़ाती रुखसाना को सहारा दे कर कमरे से बाहर निकल कर छत पर आया तो पास ही छत की परनाली देख कर रुख्सना से बोला, “भाभी इस नाली पे ही मूत लो ना!”

“हाय अल्लाह... यहाँ तेरे सामने मैं... कैसे?” रुखसाना लरजती आवाज़ में नखरा करते हुए बोली तो सुनील मुस्कुराते हुए बोला, “अब मुझसे शर्माने के लिये बचा ही क्या है... यहीं कर लो ना?” रुखसाना को बहुत तेज पेशाब आया था और नशे की हालत में उसने और ना-नुक्कर नहीं की। सुनील ने सहारा दे कर रुखसाना को परनाली के पास मूतने के लिये बिठा दिया। जैसे ही उसकी चूत से मूत की धार निकली तो बहुत तेज आवाज़ हुई। नशे में भी रुखसाना के चेहरे पे शर्म की लाली आ गयी। सुनील बड़े गौर से रुखसाणा को मूतते देख रहा था। चाँदनी रात में रुखसाना का नंगा जिस्म दमक रहा था। उसके बाल थोड़े बिखर गये थे लेकिन बालों में झुमर अभी भी मौजूद था। सोने के झूमर... गले का हार... कंगन और सुनहरी सैंडल भी चाँदनी में चमक रहे थे। करीब एक मिनट तक रुखसाना की चूत से मूत की धार बाहती रही और वो होंठों पे शर्मीली सी मुस्कान लिये सुनील की नज़रों के सामने मूतती रही। ये नज़ारा देख कर सुनील का लंड फिर टनटनाने लगा। रुखसाना का मूतना बंद होने के बाद सुनील उसका हाथ पकड़ के उसे खड़ा करते हुए बोला, “भाभी मुझे भी मूतना है... अब आप मेरी भी तो मदद कर दो ना!”

“तो मूत ले ना... मैं क्या मदद करूँगी इसमें!” रुखसाना बोली तो सुनील उसे छत की मुंडेर के सहारे खड़ा करके उसकी आँखों में झाँकते हुए शरारत से बोला, “मेरा लंड पकड़ कर करवा दो ना भाभी!” फिर सुनील के लंड को अपनी काँपती उंगलियों में पकड़ कर रुखसाना ने उसे मोरी की तरफ़ करते हुए झटका दिया और मुस्कुराते हुए बोली, “हाय अल्लाह बड़ा बेशर्म और शरारती है तू... ले कर अब....!” सुनील के लंड से पेशाब की धार निकली तो रुखसाना का पूरा जिस्म काँप गया और उसकी नज़रें सुनील के लंड और उसमें से निकलती पेशाब की धार पे जम गयीं और साँसें भी फिर से तेज हो गयी।

मूतने के बाद दोनों वापस कमरे में आये और बिस्तर पे लेटते ही सुनील ने रुखसाना का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच लिया। उस रात उसने रुखसाना को फिर से चोदा। इस बार रुखसाना के कहने पे सुनील ने उसे घोड़ी बना कर पीछे से चोदा क्योंकि रुखसाना भी वैसे ही चुदना चाहती थी जैसे उसने अज़रा को सुनील से चुदते देखा था। करीब एक बजे दोनों थक कर एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गये। सुबह सढ़े चार बजे रुखसाना की आँख खुली तो उसने सुनील को जगा कर कहा कि वो उसे नीचे उसके बेडरूम तक छोड़ आये। सुनील नंगी रुखसाना को ही सहारा दे कर नीचे ले गया क्योंकि इस वक़्त इस हालत में शरारा पहनने की तो रुखसाना की सलाहियत थी नहीं। अपने बेडरूम में आकर उसने एक नाइटी पहनी और सलील की बगल में लेट कर सो गयी। सुबह वो देर से उठी। उसके जिस्म में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था। गनिमत थी कि सलील अभी भी सोया हुआ था।

सुनील हर रोज़ आठ बजे तक नाश्ता करके स्टेशन चला जाता था। वो भी आज नौ बजे नीचे आया और तीनों नाश्ता करने लगे। आज रुखसाना बिल्कुल नहीं शर्मा रही थी बल्कि सलील की मौजूदगी में नाश्ता करते हुए उसने सुनील के साथ आँखों-आँखों में इशारों से ही काफ़ी बातें की। नाश्ते के बाद किचन में बर्तन रखते वक़्त जब दोनों अकेले थे तो सुनील ने रुखसाना को अपने आगोश में भर कर उसके होंठों को चूम लिया। रुक़साना भी उससे लिपटते हुए बोली, “सुनील... आज छुट्टी ले ले ना प्लीज़... नज़ीला भाभी तो बारह बजे तक आकर सलील को ले जायेंगी... उसके बाद तू और मैं...!”

“हाय भाभी... चाहता तो मैं भी हूँ लेकिन आज छुट्टी नहीं ले सकुँगा... लेकिन इतना वादा करता हूँ कि शाम को जल्दी आ जाऊँगा और फिर तो पूरी शाम और पूरी रात जब तक आप कहोगी आपकी सेवा करुँगा!” सुनील उसका गाल सहलाते हुए बोला। “ठीक है... मुझे अपने दिलबर का इंतज़ार रहेगा... इसका ख्याल रखना!” रुखसाना पैंट के ऊपर से ही सुनील का लंड दबाते हुए बोली। एक रात में वो बेशर्म होकर बिल्कुल खुल गयी थी। उसके बाद सुनील ये कह कर चला गया कि वो आज शाम का खाना ना बनाये। उसके बाद नज़ीला भी आकर सलील को ले गयी। रुखसाना ने घर का काम निपटाया और ऊपर जा कर सुनील का कमरा भी ठीकठाक किया और फिर बेसब्री से शाम का इंतज़ार करने लगी। रुखसाना को एक-एक पल बरसों जैसा लग रहा था। फ़ारूक पाँच दिन बाद आने वाला था और सानिया भी अपने मामा के घर से जल्दी ही वापिस आने वाली थी।
 
सुनील ने जल्दी आने का वादा किया था लेकिन फिर भी उसे आते-आते पाँच बज गये। रुखसाना तब तक सज-संवर कर तैयार हो चुकी थी और थोड़ी-थोड़ी देर में बाहर गेट तक जा-जा कर देख रही थी। सुनील के घर में दाखिल होते ही दोनों एक दूसरे से लिपट गये। फिर सुनील फ्रेश होने के लिये ऊपर जाने लगा तो खाने के पैकेट टेबल से उठाते हुए रुखसाना ने ज़रा मायूस से लहज़े में पूछा, “सुनील आज तू वो बोतल... मतलब व्हिस्की नहीं लाया?” रुखसाना की बात सुनकर सुनील को यकीन नहीं हुआ। आज रुखसाना का खुलापन और ये बदला हुआ अंदाज़ देख कर सुनील को बेहद खुशी हुई। “क्या बात है भाभी जान.... कल तो आप नखरे कर रही थीं और आज खुद ही?” सुनील उसे छेडते हुए बोला। “कल से पहले कभी पी नहीं थी ना... मुझे अंदाज़ा नहीं था कि शराब के नशे की खुमारी इतनी मस्ती और सुकून अमेज़ होती है!” रुकसाना ने कहा तो सुनील ने अपने बैग में से रॉयल- स्टैग व्हिस्की की बोतल निकाल कर रुखसाना के सामने टेबल पे रख दी।

फिर अगले तीन दिनों तक हर रोज़ शाम को सुनील के घर आते ही दोनों शराब के नशे में चूर नंगे होकर रंगरलियों में डुब जाते। देर रात तक रुखसाना के बेडरूम में खूब चुदाई और ऐश करते। रुखसाना तो जैसे इतने सालों का चुदाई की कमी पूरा कर लेना चाहती थी और पुरजोश खुल-कर उसने सुनील के जवान लंड से चुदाई का खूब मज़ा लिया।

फिर चार दिन बाद सुनील के स्टेशान जाने के बाद डोर-बेल बजी। रुखसाना ने जाकर दरवाजा खोला तो बाहर सानिया और उसके मामा खड़े थे। रुखसाणा ने सलाम किया और उनको अंदर आने को कहा। सानिया के मामा और उनके घर का हालचाल पूछने के बाद रुखसाना ने उनके लिये चाय नाश्ते के इंतज़ाम किया। चाय नाश्ते के बाद सानिया के मामा ने वापस जाने का कहा तो रुखसाना ने फ़ॉर्मैलिटी के तौर पे उन्हें थोड़ा और रुकने को कहा पर वो नहीं माने। उन्होंने कहा कि वो सिर्फ़ सानिया को छोड़ने की खातिर ही आये थे क्योंकि सानिया के कॉलेज की छुट्टीयाँ खतम हो रही थीं और कल से उसकी क्लासें भी शुरू होने वाली थी।

सानिया के आने से घर में रौनक जरूर आ गयी थी पर रुकसाना को एक गम ये था कि अब उसे और सुनील को मौका आसानी से नहीं मिलेगा। पिछले पाँच दिनों में हर रोज़ शाम से देर रातों तक बार-बार चुदने के बाद रुखसाना को तो जैसे सुनील के लंड की आदत सी लग गयी थी। उस दिन शाम को जब बाहर डोर-बेल बजी तो सानिया ने जाकर दरवाजा खोला। सानिया ने सुनील को सलाम कहा और सुनील अंदर आकर चुपचाप ऊपर चला गया। उस दिन कुछ खास नहीं हुआ।

सानिया का कॉलेज घर से काफ़ी दूर था और उसे बस से जाना पड़ता था। कईं बार उसे देर भी हो जाती थी। अगले दिन सुनील सुबह जब नाश्ता करने नीचे आया तो रुखसाना ने गौर किया कि सानिया बार-बार चोर नज़रों से सुनील को देख रही थी। सानिया उस वक़्त कॉलेज जाने के लिये तैयार हो चुकी थी। उसने सफ़ेद रंग की कुर्ती के साथ नीले रंग की बेहद टाइट स्किनी-जींस पहनी हुई थी जिसमें उसका सैक्सी फिगर साफ़ नुमाया हो रहा था। उसने सफ़ेद रंग के करीब तीन इंच ऊँची हील वाले सैंडल भी पहने हुए थे जिससे टाइट जींस में उसके चूतड़ और ज्यादा बाहर उभड़ रहे थे।

उस दिन सानिया कुछ ज्यादा ही सुनील की तरफ़ देख रही थी। इस दौरान कभी जब सुनील सानिया की तरफ़ देखता तो वो नज़रें झुका कर मुस्कुराने लग जाती। सुनील ने पहले अज़रा की चुदी चुदाई फुद्दी मारी थी और फिर बाद में रुखसाना की बरसों से बिना चुदी चूत। सुनील ने उससे पहले कभी चुदाई नहीं करी थी लेकिन उसे जानकारी तो पूरी थी। इस बात का तो उसे पता चल गया था कि औरत जिसके बच्चे ना हो और जो कम चुदी हो उसकी चूत ज्यादा टाइट होती है। और फिर जब एक जवान लड़के को चुदाई की लत्त लग जाती है तो वो कहीं नहीं रुकती... खासतौर पर उन लड़कों के लिये जिन्होंने ऐसी औरतों से जिस्मानी रिश्ते बनाये हों... जो उम्र में उनसे बड़ी हों और जो उन्हें किसी तरह के बंधन में ना बाँध सकती हों... जैसे की रुखसाना। वो जानता था कि रुखसाना उसे किसी तरह अपने साथ बाँध कर नहीं रख सकती। अब वो उस आवारा साँड कि तरह हो गया था जिसे सिफ़ चूत चाहिये थी... हर बार नयी और बिना किसी बंधन की!

रुखसाना ने उस दिन सानिया के बर्ताव पे ज्यादा तवज्जो नहीं दी क्योंकि वो तो खुद सानिया की नज़र बचा कर सुनील के साथ नज़रें मिला रही थी। सुनील ने नाश्ता किया और बाइक बाहर निकालने लगा तो सानिया दौड़ी हुई किचन में आयी और रुखसाना से बोली, “अम्मी सुनील से कहो ना कि वो मुझे कॉलेज छोड़ आये!” रुखसाना ने बाहर आकर सुनील से पूछा कि क्या वो सानिया को कॉलेज छोड़ सकता है तो सुनील ने भी हाँ कर दी। सुनील ने बाइक स्टार्ट की और सानिया उसके पीछे बैठ गयी। सुनील के पीछे बैठी सानिया बेहद खुश थी। भले ही दोनों में अभी कुछ नहीं था पर सानिया सुनील की पर्सनैलिटी से उसकी तरफ़ बेहद आकर्षित थी। दोनों में कोई भी बातचीत नहीं हो रही थी। सानिया का कॉलेज घर से काफ़ी दूर था और कॉलेज से घर तक के रास्ते में बहुत सी ऐसी जगह भी आती थी जहाँ पर एक दम विराना सा होता था। थोड़ी देर बाद कॉलेज पहुँचे तो सानिया बाइक से नीचे उतरी और अपने बैक-पैक को अपने कपड़े पर लटकाते हुए सुनील को थैंक्स कहा। सुनील ने सानिया की तरफ़ नज़र डाली। उसकी सुडौल लम्बी टाँगें और माँसल जाँघें स्कीनी जींस में कसी हुई नज़र आ रही थी... उसके मम्मे उसकी कुर्ती के अंदर ब्रा में एक दम कसे हुए पहाड़ की चोटियों की तरह तने हुए थे। सुनील की हम-उम्र सानिया अपनी ज़िंदगी के बेहद नज़ुक मोड़ पर थी।

जब उसने सुनील को अपनी तरफ़ यूँ घूरते देखा तो वो सिर झुका कर मुस्कुराने लगी और फिर पलट कर कॉलेज की तरफ़ जाने लगी। सुनील वहाँ खड़ा सानिया को अंदर जाते हुए देख रहा था... दर असल वो पीछे सानिया के चूतड़ों को घूर रहा था। सानिया ने अंदर जाते हुए तीन-चार बार पलट कर सुनील को देखा और हर बार वो शर्मा कर मुस्कुरा देती। तभी सानिया के सामने से दो लड़के गुजरे और कॉलेज से बाहर आये। दोनों आपस में बात कर रहे थे। उन्हें नहीं पता था कि सुनील सानिया के साथ आया है। वो दोनों सुनील के करीब ही खड़े थे जब उनमें से एक लड़का बोला, “यार ये सानिया तो एक दम पटाखा होती जा रही है... साली के मम्मे देख कैसे गोल-गोल और बड़े हो गये हैं..!” तो दूसरा लड़का बोला, “हाँ यार साली की गाँड पर भी अब बहुत चर्बी चढ़ने लगी है... देखा नहीं साली जब हाई हील वाली सैंडल पहन के चलती है तो कैसे इसकी गाँड मटकती है... बस एक बार बात बन जाये तो इसकी गाँड ही सबसे पहले मारुँगा!”
 
सुनील खड़ा उन दोनों की बातें सुन रहा था पर सुनील कुछ बोला नहीं। उसने बाइक स्टार्ट की और काम पर चला गया। सुनील के दिमाग में उन लड़कों की बातें घूम रही थी और उनकी बातें याद करते हुए उसका लंड उसकी पैंट में अकड़ने लगा था। सुनील ने करीब एक बजे तक काम किया और फिर लंच किया। सुबह से उसका लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। सुनील ने एक बार घड़ी की तरफ़ नज़र डाली और फिर अज़मल से किसी जरूरी काम का बहाना बना कर दो घंटे की छुट्टी लेकर बाहर आ गया। उसने अपनी बाइक स्टार्ट की और घर के तरफ़ चल पढ़ा। उन लड़कों की बातों ने सुनील का दिमाग सुबह से खराब कर रखा था... वो जानता था कि रुखसाना इस समय घर पे अकेली होगी। सुनील की बाइक हवा से बातें कर रही थी और पंद्रह मिनट में वो घर के बाहर था। उसने घर के गेट के बाहर सड़क पे ही बाइक लगायी और अंदर जाकर डोर-बेल बजायी। सुनील ने रुखसाना को निकलने से पहले ही फोन कर दिया था इसलिये वो भी तैयार होकर बेकरारी से सुनील के आने का इंतज़ार कर रही थी। घंटी की आवाज सुनते ही उसने फ़ौरन दरवाजा खोल दिया।

अंदर दाखिल होते ही सुनील ने रुखसाना को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। “आहहह दरवाजा तो बंद कर लेने दे!” रुखसाना मचलते हुए बोली। फिर सुनील ने रुखसाना को अपनी बाहों में उठा लिया और उसे उठा कर ड्राइंग रूम में ले आया। फिर उसे सोफ़े के सामने खड़ी करते हुए रुखसाना को पीछे से बाहों में भर लिया और मेरे उसकी गर्दन पर अपने होंठों को रगड़ने लगा। रुकसाना ने मस्ती में आकर अपनी आँखें बंद कर लीं। “हाय सुनील मेरी जान... अच्छा है तू आ गया... मैं तो कल पूरी रात अपने इस दिलबर की याद में तड़पती रही!” रुखसाना उसके लंड को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली। सुनील कुछ नहीं बोला। वो शायद किसी और ही धुन में था। उसने रुखसाना की गर्दन पर अपने होंठों को रगड़ना ज़ारी रखा और फिर एक हाथ से रुखसाना की गाँड को पकड़ कर मसलने लगा।

जैसे ही सुनील ने अपने हाथों से रुखसाना के चूतड़ों को दबोच कर मसला तो रुखसाना की तो साँसें ही उखड़ गयी। आज वो बड़ी बेदर्दी से रुखसाना के दोनों चूतड़ों को अलग करके फैला रहा था और मसल रहा था। उसके कड़क मर्दाना हाथों से अपनी गाँड को यूँ मसलवाते हुए रुखसाना एक दम हवस ज़दा हो गयी उसकी आँखें बंद होने लगी... दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। फिर अचानक ही सुनील के दोनों हाथ रुखसाना की सलवार के आगे जबरदन तक पहुँच गये। रुकसाना ने आज इलास्टिक वाली सलवार पहनी हुई थी। जैसे ही सुनील को एहसास हुआ कि रुखसाना ने इलास्टिक वाली सलवार पहनी हुई है तो उसने दोनों तरफ़ सलवार में अपनी उंगलियों को फंसा कर रुखसाना की सलवार नीचे सरका दी। रुखसाना ने नीचे पैंटी भी नहीं पहनी थी और जैसे ही सलवार नीचे हुई तो सुनील ने उसे सोफ़े की ओर ढकेला। रुखसाना ने हमेशा की तरह ऊँची पेंसिल हील की सैंडल पहनी हुई थी तो सुनील के धकेलने से उसका बैलेंस बिगड़ गया और सोफ़े की और लुढ़क गयी। रुखसाना ने सोफ़े की बैक पर अपने दोनों हाथ जमाते हुए दोनों घुटनों को सोफ़े पर रख लिया।

रुखसाना सोचने लगी कि, “हाय आज क्या सुनील यहाँ ड्राइंग रूम में ही मुझे नंगी करके इस तरह मुझे चोदेगा!” ये सोच कर रुखसाना के चेहरे पर शर्म से सुर्खी छा गयी। “ओहहहह सुनील यहाँ मत करो ना... बेडरूम में चलते हैं...!” रुकसाना ने सिसकते हुए मस्ती में लड़खड़ाती हुई ज़ुबान में सुनील को कहा। पर सुनील नहीं माना और उसने पीछे से रुखसाना की कमीज़ का पल्ला उठा कर उसकी कमर पर चढ़ा दिया। रुखसाना की सलवार पहले से ही उसकी रानों में अटकी हुई थी। फिर रुखसाना को कुछ सरसराहट की आवाज़ आयी तो उसने गर्दन घुमा कर पीछे देखा कि सुनील अपनी पैंट की जेब में से कोई ट्यूब सी निकाल रहा है जिसपे “ड्यूरेक्स के-वॉय जैली” लिखा था। सुनील ने ये अभी घर आते हुए रास्ते में केमिस्ट की दुकान से खरीदी थी। फिर सुनील ने अपनी पैंट और अंडरवियर नीचे किया और धीरे से काफ़ी सारी के-वॉय जैली अपने लंड पर गिरा कर उसे मलने लगा। रुखसाना अपने चेहरे को पीछे घुमा कर अपनी नशीली आँखों से उसे ये सब करता हुआ देख रही थी। फिर सुनील ने जैली की उस ट्यूब को वहीं सोफ़े पर एक तरफ़ उछाल दिया फिर वो रुखसाना के पीछे आकर खड़ा हुआ और अपने घुटनों को थोड़ा सा मोड़ कर झुका और अगले ही पल उसके लंड का मोटा गरम सुपाड़ा रुकसाना की चूत की फ़ाँकों को फ़ैलाता हुआ उसकी चूत के छेद पर आ लगा।

रुखसाना को ऐसा लगा मानो चूत पर किसी ने सुलगती हुई सलाख रख दी हो। उसने सोफ़े की बैक को कसके पकड़ लिया। सुनील ने रुखसाना के दोनों चूतड़ों को पकड़ कर जोर से फैलाते हुए एक जोरदार धक्का मारा और सुनील का लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया। रुखसाना एक दम से सिसक उठी, “हाआआआय अल्लाआआआहहह .. मैं मरीईईईई!” सुनील ने अपना लंड जड़ तक उसकी चूत में घुसेड़ा हुआ था। सुनील ने वैसे ही झुक कर फिर से सोफ़े पे पड़ी के-वॉय जैली की वो ट्यूब उठायी और रुखसाना की गाँड के ऊपर करते हुए के-वॉय जैली को गिराने लगा। जैसे ही जैली की पिचकारी रुखसाना की गाँड के छेद पर पड़ी तो वो बुरी तरह से मचल उठी। सुनील ने ट्यूब को नीचे रखा और फिर अपना लंड धीरे-धीरे रुखसाना की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

गाँड से बहती हुई जैली नीचे सुनील के लंड और रुखसाना की चूत पर आने लगी। तभी सुनील ने वो किया जिससे रुखसाना एक दम से उचक सी गयी पर सुनील ने उसे उसकी कमर से कसके पकड़ लिया। दर असल सुनील ने अपनी उंगली को रुखसाना की गाँड के छेद पर रगड़ना शुरू कर दिया। रुखसाना की कमर को पकड़ते ही सुनील ने तीन चार जबरदस्त वार उसकी चूत पर किये तो चूत बेहाल हो उठी और मस्ती आलम में रुखसाना में मुज़ाहिमत करने की ताकत नहीं बची थी। सुनील ने फिर से रुखसाना की गाँड को दोनों हाथों से दबोच कर फैलाया और फिर अपने दांये हाथ के अंगूठे से रुखसाना की गाँड के छेद को कुरेदने लगा।

रुखसाना की कमर उसके अंगूठे की हर्कत के साथ एक के बाद एक झटके खाने लगी। सुनील का लंड एक रफ़्तार से रुखसाना की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और उसका अंगूठा अब रुखसाना की गाँड के छेद को और जोर से कुरेदने लगा था। रुखसाना इतनी गरम हो चुकी थी कि अब वो सुनील की मुखालिफ़त करने की हालत में नहीं थी। वो जो भी कर रहा था रुखसाना मज़े से सिसकते हुए उसका लंड अपनी चूत में लेते हुए करवा रही थी। सुनील ने उसकी गाँड के छेद को अब उंगली से दबाना शुरू कर दिया। के-वॉय जैली की वजह से और सुनील की उंगली की रगड़ की वजह से रुखसाना की गाँड का कुंवारा छेद नरम होने लगा और उसे अपनी गाँड के छेद पर लज़्ज़त-अमेज़ गुदगुदी होने लगी थी जिसे महसूस करके उसकी चूत और ज्यादा पानी बहा रही थी। बेहद मस्ती के आलम में रुखसाना को इस वक़्त कहीं ना कहीं शराब की तलब हो रही थी क्योंकि चार-पाँच दिन उसने शराब के नशे की खुमारी में ही सुनील के साथ चुदाई का खूब मज़ा लूटा था और चुदाई के लुत्फ़ और मस्ती में शराब के नशे की मस्ती की अमेज़िश से रुखसाना को जन्नत का मज़ा मिलता था। फिर सुनील ने अपनी उंगली को धीरे-धीरे से रुखसाना की गाँड के छेद पर दबाया और उंगली का अगला हिस्सा रुखसाना की गाँड के छेद में उतरता चला गया। पहले तो रुखसाना को कुछ खास महसूस नहीं हुआ पर जैसे ही सुनील की आधे से थोड़ी कम उंगली उसकी गाँड के छेद में घुसी तो रुखसाना को तेज दर्द महसूस हुआ। “आआहहह सुनीईईल मत कर.... दर्द हो रहा है!” रुखसाना चींखी तो सुनील शायद समझ गया कि रुखसाना की गाँड का छेद एक दम कोरा है। वो कुछ पलों के लिये रुका और फिर उतनी ही उंगली रुखसाना की गाँड के छेद के अंदर बाहर करने लगा।
 
सुनील ने रुखसाना की चूत से अपने लंड को बाहर निकाला और फिर गाँड के छेद से उंगली को निकाल कर चूत में पेल दिया और चूत में अंदर-बाहर करते हुए घुमाने लगा। “हाआआय मेरे जानू ये क्या कर रहे हो तुम ओहहह... अपना लंड... मेरा प्यारा दिलबर... उसे मेरी चूत में वापस डाल ना...!” अपनी चूत में अचानक से मोटे लंड की जगह पतली सी उंगली महसूस हुई तो रुखसाना तड़पते हुए बोली। सुनील ने फिर से उसकी चूत में से उंगली बाहर निकाली और चूत में अपना मूसल लंड घुसेड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिये। उसकी उंगली रुखसाना की चूत के पानी से एक दम तरबतर हो चुकी थी। उसने फिर उसी उंगली को रुखसाना की गाँड के छेद पर लगाया और रुखसाना की चूत के पानी को गाँड के छेद पर लगाते हुए तर करने लगा। रुखसाना को ये सब थोड़ा अजीब सा तो लग रहा था लेकिन मस्ती में उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सुनील ने फिर से अपनी उंगली रुखसाना की गाँड के छेद में घुसेड़ दी लेकिन इस बार सुनील ने कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी दिखायी और अगले ही पल उसकी पूरी उंगली रुखसाना की गाँड के छेद में थी।

रुखसाना दर्द से एक दम कराह उठी। भले ही दर्द बहोत ज्यादा नहीं था पर रुखसाना को अब तक सुनील के इरादे का अंदाज़ा हो चुका था और वो सुनील के इरादे से घबरा कर वो कराहते हुए बोली, “हाय सुनील... ये... ये क्या कर रहा है जानू... वहाँ से उंगली निकाल ले... बहोत दर्द हो रहा है!” पर सुनील ने उसकी कहाँ सुननी थी। सुनील अब उस उंगली को रुखसाना की गाँड के छेद में अंदर बाहर करने लगा। रुखसाना को थोड़ा दर्द हो रहा था पर कुछ ही पलों में उसकी गाँड का छेद नरम और फिर और ज्यादा नरम पड़ता गया। उसकी चूत के पानी और के-वॉय जैली ने गाँड के छेद के छाले की सख्ती बेहद कम कर दी थी। अब तो सुनील बिना किसी दुश्वारी के रुखसाना की गाँड को अपनी उंगली से चोद रहा था। रुखसाना भी अब फिर से एक दम मस्त हो गयी। हवस और मस्ती के आलम में रुखसाना को ये भी एहसास नहीं हुआ कि कब सुनील की दो उंगलियाँ उसकी गाँड के छेद के अंदर-बाहर होने लगी। कभी दर्द तो कभी मज़ा... कैसा अजीब था ये चुदाई का मज़ा। फिर सुनील ने अपना लंड रुखसाना की चूत से बाहर निकला और उसकी गाँड के छेद पर टिका दिया। उसकी इस हर्कत से रुखसाना एक दम दहल गयी, “नहीं सुनील.... खुदा के लिये... ऐसा ना कर... मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकुँगी..!”

लेकिन सुनील तो जैसे रुखसाना की बात सुनने को तैयार ही नहीं था। उसने दो तीन बार अपने लंड का सुपाड़ा रुखसाना की गाँड के छेद पर रगड़ा और फिर धीरे-धीरे उसकी गाँड के छेद पर दबाता चला गया। जैसे ही उसके सुपाड़े का अगला हिस्सा उसकी गाँड के छेद में उतरा तो रुखसाना बिदक कर आगे हो गयी... दर्द बहद तेज था।“ नहीं सुनील नहीं... मेरे जानू मुझसे नहीं होगा... प्लीज़ तुझे हो क्या गया है...?” रुख्साना अपने चूतड़ों को एक हाथ से सहलाते हुए रिरिया कर बोली। रुखसाना ने अज़रा को कईं दफ़ा फ़ारूक से अपनी गाँड मरवाते हुए देखा था लेकिन रुखसाना को इस बात का डर था कि एक तो उसकी गाँड बिल्कुल कुंवारी थी और फिर फ़ारूक और सुनील के लंड का कोई मुकाबला नहीं था। सुनील का तगड़ा-मोटा आठ इंच लंबा मूसल जैसा लंड वो कैसे बर्दाश्त करेगी अपनी कोरी गाँड में!

“भाभी जान कुछ भी हो... मुझे आज आपकी गाँड मारनी ही है...!” ये कह कर उसने रुखसाना को सोफ़े से खड़ा किया और उसकी रानों में फंसी सलवार खींच कर उतार दी। फिर उसने रुखसाना को खींचते हुए सामने बेडरूम में ले जाकर बेड पर पटक दिया। फिर रुखसाना की टाँगों को पकड़ कर उसने उठाया और अपने कंधों पर रख लिया और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसकी गाँड के छेद पर टिका दिया। रुखसाना समझ चुकी थी कि अब सुनील उसकी एक नहीं सुनने वाला। “आहिस्ता से करना जानू!” रुखसाना ने अपने हाथों में बिस्तर की चादर को दबोचते हुए कहा और अगले ही पल गच्च की एक तेज आवाज़ के साथ सुनील का लौड़ा रुखसाना की गाँड के छेद को चीरता हुआ आधे से ज्यादा अंदर घुस गया। दर्द के मारे रुखसाना का पूरा जिस्म ऐंठ गया... आँखें जैसे पत्थरा गयीं... मुँह खुल गया... और वो साँस लेने के लिये तड़पने लगी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुनील उसके साथ इतनी वहशियत से पेश आयेगा।

“बस भाभी हो गया.. बसऽऽऽ हो गया..!” और सुनील ने उतने ही आधे लंड को रुखसाना की गाँड के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। उसके हर धक्के के साथ रुखसाना को अपनी गाँड के छेद का छल्ला भी अंदर-बाहर खिंचता हुआ महसूस हो रहा था पर सुनील का लंड के-वॉय जैली और रुखसाना की चूत के पानी से एक दम भीगा हुआ था। इसलिये गाँड का छेद थोड़ा नरम हो गया था और फिर एक मिनट बीता... दो मिनट बीते... फिर तीन मिनट किसी तरह बीते और रुखसाना की गाँड में उठा दर्द अब ना के बराबर रह गया था। अब सुनील के लंड के सुपाड़े की रगड़ से रुखसाना को अपनी गाँड के अंदर की दीवारों पर मज़ेदार एहसास होने लगा था। रुखसाना ज़ोर-ज़ोर से “आआहह ओहह” करती हुई दर्द और मस्ती में सिसकने लगी।

“अभी भी दर्द हो रहा है क्या भाभी!” सुनील ने अपने लंड को और अंदर की ओर ढकेलते हुए पूछा। “आँआँहहह हाँ थोड़ा सा हो रहा है... ऊँऊँहहह लेकिन अब मज़ाआआ भी आआआँ रहा है आआआहहह...!” रुखसाना सिसकते हुए बोली। धीरे-धीरे अब सुनील का पूरा का पूरा लंड रुखसाना की गाँड के अंदर-बाहर होने लगा और दर्द और मस्ती की तेज़-तेज़ लहरें अब रुखसाना के जिस्म में दौड़ रही थी। काले रंग के ऊँची हील वाले सैंडल में रुखसाना के गोरे-गोरे पैर जो सुनील के कंधों पर थे उन्हें रूकसाना ने मस्ती में सुनील की गर्दन के पीछे कैंची बना कर कस लिया। रुखसाना का एक हाथ उसकी खुद की चूत के अंगूर को रगड़ रहा था। धीरे-धीरे सुनील के धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी और फिर वो रुखसाना की गाँड के अंदर झड़ने लगा। उसके साथ ही रुखसाना की चूत ने भी धड़धड़ाते हुए पानी छोड़ दिया। सुनील ने अपना लंड बाहर निकाला और रुखसाना की कमीज़ के पल्ले से उसे पोंछ कर उसने आगे झुक कर रुखसाना के होंठों पे चूमा और फिर ये बोल कर कमरे से बाहर चला गया कि उसे जल्दी से वापस स्टेशन पहुँचना है। रुखसाना थोड़ी देर लेटी रही और सुनील भी वापस चला गया। थोड़ी देर बाद रुखसाना उठी और बाथरूम में जाकर अपनी चूत और गाँड को अच्छे से साफ़ किया और बाहर आकर अपनी सलवार पहन कर फिर लेट गयी। उसकी गाँड में मीठी-मीठी सी कसक अभी भी उठ रही थी।
 
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