vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान) - Page 4 - SexBaba
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vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)

शाम को सुनील घर वापस आया तो सानिया भी कॉलेज से वापस आ चुकी थी। सुनील ऊपर चला गया। शाम के साढ़े पाँच बज रहे थे और लाइट एक बार फिर से गुल थी। सानिया पढ़ने के बहाने ऊपर छत पर आकर कुर्सी पर बैठ गयी। रुखसाना नीचे काम में मसरूफ़ थी। जब सुनील ने सानिया को बाहर छत पर देखा तो वो भी रूम से निकल कर बाहर आ गया और हवा खाने के लिये इधर उधर टहलने लगा। सानिया चोर नज़रों से बार-बार सुनील की ओर देख रही थी।

“कैसा रहा आज कॉलेज में?” सुनील ने सानिया के पास से गुज़रते हुए पूछा तो सानिया उसकी के आवाज़ सुन कर एक दम चौंकी और फिर मुस्कुराते हुए बोली, “अच्छा रहा...!”

सुनील फिर से सानिया के पास से गुज़रते हुए बोला, “एक बात पूछूँ?” सानिया ने अपनी नज़रें किताब में गड़ाये हुए कहा, “पूछो!”

“क्या कॉलेज में ऐसे टाइट कपड़े पहन कर जाना जरूरी है... सलवार कमीज़ पहन कर नहीं जा सकते?” सानिया को सुनील के ये सवाल अजीब सा लगा तो वो बोली, “क्यों... सभी लड़कियाँ ऐसे ही कपड़े पहनती हैं इसमें क्या गलत है?”

“नहीं गलत तो नहीं है पर वो बस जब तुम कॉलेज के अंदर जा रही थी तो सामने से दो लड़के आ रहे थे बाहर की तरफ़ और तुम्हारे बारे में कुछ गलत कह रहे थे!” सुनील बोला।

“क्या बोल रहे थे वो?” सानिया ने पूछा तो सुनील बोला, “छोड़ो तुम... मैं तुम्हे नहीं बता सकता कि कैसे-कैसे गंदे कमेंट कर रहे थे तुम्हारे बारे में!” ये सुनकर सानिया बीच में ही बोली, “वो लड़के हैं ही ऐसे आवारा... उनके तो कोई मुँह भी नहीं लगता!”

सुनील ने आगे कहा, “वैसे वो जो भी बोल रहे थे तुम्हारे बारे में... है तो वो सच!” सुनील की बात सुन कर सानिया हैरान-परेशान रह गयी और उसके मुँह से निकला, “क्या?”

“हाँ सच कह रहा हूँ अगर समय आया तो तुम्हें जरूर बताऊँगा कभी!” ये कह कर सुनील अपने कमरे में चला गया। सानिया ऐसी बातों से अंजान नहीं थी। बीस साल की कॉलेज में पढ़ने वाली आज़ाद ख्यालों वाली काफ़ी तेज तर्रार लड़की थी। पंद्रह-सोलह साल की उम्र में ही उसने खुद-लज़्ज़ती करनी शुरू कर दी थी। कॉलेज में अपनी सहेलियों से उनके बॉय-फ्रेंड्स के साथ चुडाई के किस्से भी सुनती थी तो दिल तो उसका भी बेहद मचलता था लेकिन खुद को अभी तक उसने किसी लड़के को छूने नहीं दिया था। उसे रोमांटिक और सैक्सी कहानियाँ-किस्से पढ़ने का बेहद शौक था और हर रोज़ रात को केले ये मोमबत्ती से खुद-लज़्ज़ती करके अपनी चूत का पानी निकालने के बाद ही सोती थी। भले ही उसकी चूत में आज तक कोई लंड नहीं घुसा था लेकिन वो मोमबत्ती या बैंगन जैसी बेज़ान चीज़ों से अपनी सील पता नहीं कब की तोड़ चुकी थी॥

खैर उस रात कुछ खास नहीं हुआ। सानिया की मौजूदगी में सुनील और रुखसाना दूर-दूर ही रहे। रुखसाना की गाँड में वैसे अभी तक दर्द की मीठी-मीठी लहरें रह-रह कर उठ जाती थीं और वो अपनी गाँड सहलाते हुए उस रात खूब सोयी। अगले दिन फ़ारूक भी वापस आ गया। फ़ारूक के आने से वैसे ज्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ा क्योंकि वो तो अपनी बीवी पे ज़रा भी ध्यान देता नहीं था और रात को शराब के नशे में इतनी गहरी नींद सोता था कि अगर रुकसाना उसकी बगल में भी सुनील से चुदवा लेती तो फ़रूक को पता नहीं चलता। सबसे बड़ा खतरा सानिया से था क्योंकि वो शाम को कॉलेज से घर आने के बाद ज्यादातर घर पे ही रहती थी और उसकी खुद की भी नज़र सुनील पे थी। अब तो सुनील और रुखसाना को कभी चार-पाँच मिनट के लिये भी मौका मिलता तो दोनों आपस में लिपट कर चूमते हुए एक दूसरे के जिस्म सहला लेते या कभी रुखसाना खाना देने के बहाने ऊपर जाकर सुनील के कमरे में कभी उससे लिपट कर उसके साथ खूब चूमा-चाटी करती और कभी उसका लंड चूस लेती या कभी मुमकिन होता तो दोनों जल्दबाजी में चुदाई भी कर लेते लेकिन पहले की तरह इससे ज्यादा मौका उन्हें नहीं मिल रहा था। रुखसाना तो सुनील के लंड की बेहद दीवानी हो चुकी थी। अगले दो-तीन हफ़्तों में एक-दो बार तो फ़ारूक को बेडरूम में गहरी नींद सोता छोड़कर रात के दो बजे रुखसाना ने सुनील के कमरे में जाकर उससे चुदवाया लेकिन खौफ़ की वजह से रुखसाना बार-बार ऐसी हिम्मत नहीं कर सकती थी। चुदाई का सबसे अच्छा मौका दोनों को तब मिलता जब हफ़्ते में एक-दो बार सुनील मौका देखकर दोपहर को स्टेशन पे कोई बहाना बना कर थोड़ी के लिये घर आ जाता और फिर दोनों अकेले में मज़े से चुदाई कर लेते। सुनील का मन होता तो रुखसाना खुशी-खुशी उससे अपनी गाँड भी मरवा लेती। अब तो रुखसाना के जिस्म में हवस ऐसे जाग गयी थी की सुनील का तसव्वुर करते हुए उसे रोज़ाना कमज़ कम एक-दो दफ़ा किसी बेजान चीज़ के ज़रिये खुद-लज़्ज़ती करनी पड़ती थी।

एक दिन ऐसे ही रुखसाना को दोपहर में चोदने के बाद सुनील वापस स्टेशान पहुँचा और अपनी टेबल पे जा कर काम में मसरूफ़ हो गया। जिस कमरे में सुनील का टेबल था उस कमरे में तीन बड़े कैबिन भी बने हुए थे जो ऊपर से खुले थे। एक तरफ़ स्टेशन मास्टर अज़मल का कैबिन था और सुनील के पीछे की तरफ़ दो और कैबिन थे जिनमें रशीदा और नफ़ीसा नाम की औरतें बैठती थीं। सुनील का अपना कैबिन नहीं था और उस कमरे में एक खिड़की के पास थोड़ी सी जगह में सुनील की टेबल थी। जब भी कोई उन तीन कैबिन में आता-जाता तो सुनील के पीछे से गुज़र कर जाता था।

रशीदा और नफ़ीसा दोनों ही रेलवे में काफ़ी सीनियर ऑफ़िसर थीं और दोनों सीधे डिविज़नल ऑफिस में रिपोर्ट करती थीं। रशीदा की उम्र चवालीस-पैंतालीस के करीब थी और उसके बच्चे अमरीका में पढ़ाई कर रहे थे और उसके शौहर कोलकाता में एक बड़ी मल्टीनेश्नल कंपनी में काफ़ी ऊँची पोस्ट पे काम करते थे। रशीदा अपनी बुजुर्ग सास के साथ तीन बेडरूम के बड़े फ्लैट में रहती थी उसके शौहर महीने में एक-दो बार आते थे। रशीदा ने कोलकाता के लिये अपने ट्राँसफ़र की अर्ज़ी भी रेलवे में लगा रखी थी। रशीदा अपने शौहर के साथ कईं दूसरे मुल्कों की सैर भी कर चुकी थी। रशीदा काफ़ी पढ़ी लिखी और आज़ाद खयालों वाली औरत थी... और बेहद रंगीन मिजाज़ थी। शादीशुदा ज़िंदगी के बीस-इक्कीस सालों में वो करीब डेढ़-दो दर्जन लंड तो ले ही चुकी थी पर वो हर किसी ऐरे-गैरे के साथ ऐसे ही रिश्ता नहीं बना लेती थी।

नफ़ीसा भी रशीदा की हम-उम्र थी और उसी की तरह काफ़ी पढ़ी लिखी और आज़ाद खयालों वाली रंगीन औरत थी। नफ़ीसा का एक ही बेटा था जो अलीगढ़ युनीवर्सिटी में पढ़ रहा था। उसके शौहर का तीन साल पहले बहुत बुरा हादसा हो गया था जिसकी वजह से उसके शौहर को लक़वा मार गया था और वो बिस्तर पर ही पड़े रहते थे। उनकी देखभाल के लिये उन्होंने एक कामवाली को रखा हुआ था जो उनके सरे काम करती थी। नफ़ीसा के शौहर हादसे से पहले इंकम टैक्स कमीश्नर थे और अब उन्हें अच्छी पेंशन मिलती थी और पहले भी नम्बर-दो का खूब पैसा कमाया हुआ था। उनकी माली हालत बेहद अच्छी थी। नफ़ीसा शहर से थोड़ा सा बाहर अपने खुद के बड़े बंगले में रहती थी जो उसके शौहर का पुश्तैनी घर था। घर काफ़ी बड़ा था जिसमें छः बेडरूम थे... तीन नीचे और तीन पहली मंजिल पर और इसके अलवा बड़ा लॉन और स्विमिंग पूल भी था। नफ़ीसा कद-काठी और शक़्ल-सूरत में बिल्कुल बॉलीवुड की हिरोइन ज़रीन खान की तरह दिखती थी। जहाँ तक उसकी रंगीन मिजाज़ी का सवाल है तो नफ़ीसा अपनी सहेली रशीदा से भी बहुत आगे थी। शादी से पहले भी और शादी के बाद अब तक नफ़ीसा अनगिनत लंड ले चुकी थी और वो अमीर-गरीब... जान-अंजान... कमिस्न लड़कों से बूढ़ों तक हर तरह के लोगों से चुदवा चुकी थी। चुदाई के मामले में नफ़ीसा किसी तरह का कोई गुरेज़ नहीं करती थी। हकीकत में चाहे कभी अमल न किया हो लेकिन तसव्वुर में तो अक्सर जानवरों से भी चुदवा लेती थी।
 
तो दोनों औरतें में काफ़ी बातें एक जैसी थीं। दोनों ही खूभ पढ़ी-लीखी और अच्छे पैसे वाले घरों से होने के साथ-साथ खुद भी ऊँची पोस्ट पे काम करती थीं। दोनों ही काफी खूबसूरत और सैक्सी फिगर वाली चुदैल औरतें थीं और दोनों खूब बन-ठन कर अपनी-अपनी कारों से काम पे आती थीं। इसके अलावा दोनों सिर्फ़ गहरी सहेलियाँ ही नहीं थी बल्कि उनका आपस में जिस्मानी लेस्बियन रिश्ता भी था।

शाम के वक़्त अपना काम निपता कर सुनील अपनी कुर्सी पर आँखें मूँद कर बैठ गया और स्टेशन मास्टर अज़मल भी बाहर निकल गया था। अज़मल बाहर गया तो उधर दोनों औरतें शुरू हो गयी। नफ़ीसा अपने कैबिन में से निकल कर सुनील के सामने रशीदा के कैबिन में जा कर बैठ गयी। “और रशीदा कल तो तेरे हस्बैंड आये हुए थे... खूब चुदाई की होगी तुम लोगों ने...!” नफ़ीसा चहकते हुए बोली तो रशीदा ने उसे खबरदार करते हुए कहा, “शशशऽऽऽ अरे धीरे बोल... वो नया लड़का सुनील भी है... अगर उसने सुन लिया तो..!”

नफ़ीसा बोली, “अरे सुन लेगा तो क्या होगा... उसके पास भी तो लंड है... और सारी दुनिया करती है ये काम हम क्यों किसी से डरें..!”

“अरे नहीं यार अच्छा नहीं लगता... अगर सुन लेगा तो क्या सोचेगा बेचारा..!” रशीदा ने कहा तो नफ़ीसा उसे टालते हुए बोली, “तू वो छोड़.. बता ना... कल तो जरूर तेरी गाँड का बैंड बजाया होगा खुर्शीद साहब ने..!”

रशीदा मायूस से लहज़े में बोली, “अब उनमें वो बात नहीं रही यार... ऊपर से इतनी तोंद बाहर निकल लायी है.. दो तीन धक्कों में ही उनकी साँस फूलने लगती है..!”

“तो मतल्ब कुछ नहीं हुआ हाऽऽ...?” नफ़ीसा ने पूछा तो रशीदा बोली, “अरे नहीं वो बात नहीं है... पर अब वो मज़ा नहीं रहा... एक तो उनका मोटापा और अब उम्र का असर भी होने लगा है... कितनी बार कह चुकी हूँ कि जिम जाया करें... कसरत वसरत करने... पर मेरी सुनते ही कहाँ है वो..!”

“मतलब तेरी गाँड का बैंड नहीं बजा इस बार हेहेहे!” नफ़ीसा हंसते हुए बोली। “अरे कहाँ यार... चूत और गाँड दोनों मारी... पर बड़ी मुश्किल से चार पाँच धक्के में उनका पानी निकल जाता है... अब तो काफ़ी वक़्त से लंड भी ढीला पड़ने लगा है... तुझे तो मालूम ही है... जब तक लौड़ा इंजन के पिस्टन की तरह चूत को चोद-चोद कर पानी नहीं निकाले और गाँड मराते हुए से पुर्रर्र- पुर्रर्र की आवाज़ ना आये तो मज़ा कहाँ आता है और उसके लिये मोटा सख्त लंड चाहिये.... तू सुना तेरी कैसी चल रही है... तेरा भतीजा तो तेरी गाँड की बैंड तो बजा ही रहा होगा..!”

नफ़ीसा मायूस होकर बोली, “हम्म्म क्या यार... क्यों दुखती रग़ पर हाथ रखती हो यार... उसकी अम्मी ने एक दिन देख लिया था तब से वो घर नहीं आया...!”
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“चल पहले तो काफी ऐश कर ली तूने उसके साथ... देख कितनी मोटी गाँड हो गयी है तेरी...” रशिदा बोली।

“यार चूत तक तो ठीक था लड़का पर साले का पाँच इंच का लंड क्या खाक मेरी गाँड की बैंड बजाता... सिर्फ़ दो इंच ही अंदर जाता था... बाकी दो-तीन इंच तो चूतड़ों में ही फँस कर रह जाता था...!” नफ़ीसा की ये बात सुनकर रशीदा खिलखिला कर जोर से हंसने लगी। “रशीदा तुझे वो आदमी याद है... जो उस दिन इस स्टेशन पर गल्ती से उतर गया था...” नफ़ीसा की बात सुनते ही रशीदा की चूत से पानी बाहर बह कर उसकी पैंटी को भिगोने लगा और वो आह भरते हुए बोली, “यार मत याद दिला उसकी... साले का क्या लंड था... एक दम मूसल था मूसल..!”

“हाँ यार... मर्द हो तो वैसा... साले ने हम दोनों की गाँड रात भर बजायी थी... गाँड और चूत दोनों का ढोल बजा दिया था... कैसे गाँड से पुर्रर्र-पुर्रर्र की आवाज़ें निकल रही थी तेरी...” नफ़ीसा बोली तो रशीदा ने भी पलट कर हंसते हुए कहा, “और तेरी गाँड ने क्या कम पाद मारे थे... साले के धक्के थे ही इतने जबरदस्त कि साली गाँड हवा छोड़ ही देती थी पर हम दोनों ने भी मिलकर सुबह तक उसे गन्ने की तरह चूस डाला था।”

“हाँ रशीदा यार! मेरी तो अभी से गाँड और चूत में खुजली होने लगी है... कुछ कर ना यार... कहीं से लंड का इंतज़ाम कर!” नफ़ीसा ने आह भरते हुए कहा तो रशीदा बोली, “यार वैसे लौंडे तो बहोत पीछे है पर साला काम का कौन सा है... पता नहीं चलता!”

ये सुनकर नफ़ीसा भी बोली, “यार मेरा भी यही हाल है... कितनों के साथ कोशिश करके देख चुकी हूँ लेकिन वो मज़ा नहीं आया! पर मैं नज़रें जमाये हुए हूँ... तू भी देख शायद कोई काम का लौंडा मिल जाये... वैसे हम दोनों तो हैं ही एक-दूसरे के लिये..... आजा मेरे घर आज रात को...!”

उधर कैबिन के बाहर अपनी कुर्सी पे बैठा सुनील उनकी बातों को सुन कर एक दम हैरान था। उनकी बातें सुन कर उसका लंड एक दम तन चुका था और अब दर्द भी करने लगा था। सुनील इतना तो जान ही गया था कि ये साली दोनों हाई-क्लॉस और शरीफ़ दिखाने वाली औरतें कितनी चुदैल हैं और उसे अब उनकी दुखती रग का भी पता था। नफ़ीसा और रशीदा दोनों बेहद सैक्सी जिस्म वाली खूबसूरत औरतें थीं। दोनों करीब साढ़े पाँच फुट लंबी थीं। दोनों ज्यादातर सलवार-कमीज़ ही पहनती थीं और ऊँची पेन्सिल हील वाली सेन्डल पहनने से उनकी बड़ी-बड़ी गाँड बाहर की ओर निकली हुई होती थी। सुनील पहले भी अक्सर चोर नज़रों से इन दोनों औरतों को देखा करता था... खासतौर पर इसलिये कि उसे ऊँची हील के सैंडल पहनने वाली औरतें खास पसंद आती थीं। लेकिन ये दोनों औरतें काफी रोबदार और सीनियर ऑफ़िसर थीं और वो महज़ नया-नया कलर्क लगा था... इसलिये रोज़ सुबह की औपचारिक सलाम-नमस्ते के अलावा कभी उनसे कोई बात तक करने की हिम्मत नहीं हुई थी। डिपार्टमेंट भी अलग होने की वजह से सुनील का उनसे कोई काम भी नहीं पड़ता था कि कोई काम को लेकर ही बात हो पाती। लेकिन अब वो उन दोनों की असलियत जान गया था।

अगले दिन सुनील सिर्फ़ ट्रैक सूट का लोअर और टी-शर्ट पहन कर ही स्टेशन पर गया। ये सुनील ने पहले से प्लैन कर रखा था। जब सुनील स्टेशन पर पहुँचा तो अज़मल ने सुनील से पूछा, “अरे यार क्या बात है... आज नाइट सूट में ही चले आये हो... खैरियत तो है..?”

“हाँ सर सब ठीक है.. बस थोड़ी सी तबियत खराब थी... इसलिये नहाने और तैयार होने का मन नहीं किया... ऐसे ही चला आया..!” सुनील ने सफ़ाई पेश की तो अज़मल बोला, “यार अगर तबियत खराब थी तो फ़ोन कर देते... और आज घर पर आराम कर लेते..!”

सुनील बोला, “सर घर में पड़ा-पड़ा भी बोर हो जाता.. और वैसे भी यहाँ काम होता ही कितना है..!”

अज़मल ने कहा कि “हाँ वो तो है... वैसे दवाई तो ली है ना?”

“जी सर ले ली है..!” ये कहकर सुनील जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया और फाइल खोलकर अपने काम में लग गया। थोड़ी देर बाद नफ़ीसा और रशीदा भी आ गयीं और सुनील से ‘गुड मोर्निंग’ के बाद वो भी अपने-अपने कैबिन में जा कर अपने कामों में मसरूफ़ हो गयीं।
 
थोड़ी देर बाद अज़मल प्लैटफ़ोर्म पर राउँड पे चला गया और उसके थोड़ी देर बाद रशीदा अपने कैबिन से बाहर निकली कर टॉयलेट की तरफ़ गयी तो मार्बल चिप वाले सिमेंट के पर्श पे सैंडल खटखटाती हुई वो सुनील के पीछे से गुजरी। दो छोटे-छोटे टॉयलेट उसी रूम में पीछे की तरफ़ थे जिनमें एक लेडीज़ था और एक जेंट्स का। सुनील की नज़र जैसे ही तंग कमीज़ और चुड़ीदार सलवार में कैद रशीदा की गाँड पर पड़ी तो उसका लंड तुनक उठा और उसका लंड ट्रैक-सूट के पजामे में कुलांचें मारने लगा। सुनील ने जो प्लैन सोचा था अब उसको काम में लाने का समय आ गया था। “आहह कैसी दिखती होगी रशीदा की गाँड... कितनी मोटी गाँड है साली की... एक बार मिल जाये तो आहहह.!” ये सोचते हुए सुनील का लंड पूरी औकात में आ गया। सुनील का लंड उसके ट्रैक-सूट के पजामे में तन कर तम्बू सा बन गया जो बाहर से देखने से साफ़ पता चल रहा था। थोड़ी देर बाद जब रशीदा के ऊँची हील के सैंडलों की फर्श पे खटखटा कर चलने की आवाज़ आयी तो सुनील अपनी पीठ पीछे टिका कर कुर्सी पर लेट सा गया और अपने पायजामे के ऊपर से अपने लंड को जड़ से पकड़ लिया ताकि वो ज्यादा से ज्यादा बड़ा दिख सके। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और वही हुआ जो सुनील चाहता था। जब रशीदा वापस आयी और सुनील के पीछे से गुज़रने लगी तो उसकी नज़र सुनील पर पड़ी जो अपने हाथ से अपने लंड को पायजामे के ऊपर से पकड़े हुए था। रशीदा एक दम धीरे-धीरे चलने लगी और सुनील के लंड का मुआयना करने लगी पर वो रुक नहीं सकती थी और वो वापस अपने कैबिन में गयी और कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगी। थोड़ी देर सोचने के बाद उसने नफ़ीसा को धीरे से बुलाया और अपने कैबिन में आने को कहा। नफ़ीसा अपने कैबिन से निकल कर रशीदा के कैबिन में गयी और एक कुर्सी रशीदा के करीब सरका कर बैठ गयी।

रशीदा धीरे से बोली, “अरे यार नफ़ीसा! लगता है आज सुनील का लंड उसे तंग कर रहा है... देख साला बाहर कैसे अपने लंड को पकड़ कर बैठा है!”
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नफ़ीसा ने पूछा, “तूने देखा क्या उसे अपना पकड़े हुए...?”

रशीदा बोली, “हाँ अभी देखा है... जब मैं टॉयलेट से वापस आ रही थी... यार देख तो सही!”
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नफ़ीसा उठी और रशीदा के कैबिन से निकल कर बाथरूम की तरफ़ जाने लगी। जब वो सुनील के पीछे से गुजरी तो उसने तिरछी नज़रों से सुनील की तरफ़ देखा जो अभी भी अपने आँखें बंद किये हुए कुर्सी पे आधा लेटा हुआ था। सुनील ने अभी भी अपना लंड हाथ में पायजामे के ऊपर से थाम रखा था। नफ़ीसा अच्छे से तो नहीं देख पायी और वो टॉयलेट में चली गयी। नफ़ीसा के जाने के बाद सुनील उठा और टॉयलेट की तरफ़ चला गया। वो जेंट्स टॉयलेट में घुसा और जानबूझ कर कुछ “आहह आहहह” की आवाज़ की और अपने पजामे को नीचे सरका दिया।

सुनील को पता था कि अज़मल जल्दी वापस नहीं आने वाला था। सुनील ने अपने टॉयलेट का दरवाजा थोड़ा सा खोल रखा था और दीवार की तरफ़ देखते हुए अपने लंड को हाथ से सहलाने लगा। नफ़ीसा बगल वाले टॉयलेट में बैठी हुई सुनील की आवाज़ सुन कर चौंक गयी। वो टॉयलेट से बाहर आयी तो उसने देखा कि साथ वाले जेंट्स टॉयलेट का दरवाजा ज़रा सा खुला हुआ था। अंदर लाइट जल रही थी जिससे अंदर का नज़ारा साफ़ दिखायी दे रहा था। नफ़ीसा धीरे से थोड़ा आगे बढ़ी और दीवार से सटते हुए उसने अंदर झाँका। उसके ऊँची हील वाले सैंडल की आवाज़ ने सुनील को उसकी मौजूदगी से आगाह करवा दिया। सुनील ने अपने लंड को जड़ से पकड़ कर दबाया और उसका लंड और लंबा हो गया। जैसे ही नफ़ीसा ने अंदर देखा तो उसका केलजा मुँह को आ गया।

अंदर सुनील अपने मूसल जैसे लंड को हिला रहा था। सुनील के अनकटे लंड की लंबाई और मोटाई देख कर नफ़ीसा की चूत कुलबुलाने लगी और गाँड का छेद फुदकने लगा। सुनील ने थोड़ी देर अपने लंड का दीदार नफ़ीसा को करवाया और ट्रैक सूट का पायजामा ऊपर करने लगा। नफ़ीसा जल्दी से वापस रशीदा के कैबिन में गयी और रशीदा के पास आकर बैठ गयी। उसकी साँसें उखड़ी हुई थी और आँखों में जैसे हवस का नशा भरा हो। “क्या हुआ नफ़ीसा... तेरी साँस क्यों फूली है...?” रशीदा ने नफ़ीसा के सुर्ख चेहरे और उखड़ी हुई साँसों को देख कर पूछा। “पूछ मत यार... क्या लौड़ा है साले अपने नये हीरो का... माशाल्लह... इतना बड़ा और मूसल जैसा लंड... साला जैसे गाधे का लंड हो...!”

रशीदा: “क्या बोल रही है यार तू...?”

नफ़ीसा: “सच कह रही हूँ यार... तू भी अगर एक दफ़ा देख लेती तो तेरी चूत में भी बिजलियाँ कड़कने लगती... साले का ये लंबा लंड है... और इतना मोटा...!” नफ़ीसा ने हाथ से इशारा करते हुए दिखाया।

रशीदा: “सच कह रही है तू?”

नफ़ीसा: “हाँ सच में तेरी इस मोटी गाँड की कसम...!”

रशीदा: “चुप कर रंडी... साली जब देखो मेरी गाँड के पीछे ही पड़ी रहती है...!”

नफ़ीसा: “तो क्या बोलती है... साले चिकने को फंसाया जाये...?”

रशीदा: “पता नहीं यार... हमारे साथ जॉब करता है और बहोत जुनियर भी है... और जवान खून है... अगर साले ने बाहर किसी के सामने कुछ बक दिया तो खामाखाँ मसला हो जायेगा!”

नफ़ीसा: “अरे यार कुछ नहीं होता... तू तो हमेशा ऐसे ही ऐसे ही बेकार में घबराती है... साले को साफ़-साफ़ बोल देंगे कि मज़ा लो और अपना-अपना रास्ता नापो... बोल तू बात करेगी या मैं करूँ उससे बात!”

रशीदा: “अच्छा-अच्छा मैं देखती हूँ... पहले ये तो मालूम हो कि साले का लौड़ा चूत और गाँड मारने के लिये बेकरार है भी या नहीं...!”

नफ़ीसा: “यार कुछ भी कर पर जल्दी कर... मेरी चूत और गाँड दोनों छेदों में खुजली हो रही है... जब से उसका लंड देखा है..!”

रशीदा: “हाँ-हाँ पता है... इसी लिये तुझे बात करने नहीं भेज रही... तू तो वहीं सलवार खोल के खड़ी हो जायेगी उसके सामने... अब तू अपने कैबिन में जा कर बैठ... मैं देखती हूँ कि अपना चिकना हाथ आने वाला है कि नहीं...!”

नफ़ीसा अपने कैबिन में वापस चली गयी और रशीदा उठ कर सुनील के पास गयी और सुनील के पास जाकर कुर्सी पर बैठते हुए हंस कर बोली, “और सुनील कैसे हो... क्या बात है आज बड़े फ़ॉर्मल कपड़ों में जोब पर चले आये..!”

नफ़ीसा के इस तरह अचानक अपनी टेबल पे बैठ कर उससे बात करने से सुनील पहले तो थोड़ा घबरा गया लेकिन जल्दी ही संभल गया। उसे उम्मीद तो थी ही कि दोनों औरतों में कोई तो पहल करेगी। सुनील संभलते हुए बोला, “वो मैडम बस ऐसे ही... आज तबियत थोड़ी खराब थी... नहाने और तैयार होने का मन नहीं किया तो ऐसे ही चला आया..!”

रशीदा थोड़ा सा झुक कर अपना दुपट्टा गर्दन में ऊपर खींच कर सुनील को अपनी कमीज़ के गहरे गले से अंदर कैद दोनों खरबूजों के बीच की घाटी का दीदार करवाती हुई बोली, “उफ़्फ़ ये गरमी भी ना... और कहाँ पर रह रहे हो!”

सुनील: “ये वो जो ट्रेफ़िक डिपार्ट्मेंट में ऑफ़िसर हैं ना फ़ारूक साहब... उन्ही के घर पर पेईंग गेस्ट रह रहा हूँ!”

रशीदा: “अच्छा वो फ़ारूक... कितना किराया ले रहा है वो तुमसे?”

सुनील: “ये खाने का मिला कर साढ़े-तीन हज़ार रुपये दे रहा हूँ..!”

रशीदा: “ये तो बहोत ज्यादा है... पहले बताया होता तो तुम्हें नफ़ीसा के घर में रूम दिलवा देती... उसका इतना बड़ा बंगला है... और रहने वाले सिर्फ़ दो जने हैं... बेटा उनका बाहर अलीगढ़ में पढ़ रहा है...!”
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सुनील: “कोई बात नहीं मैडम मैं ठीक हूँ... कोई दिक्कत नहीं है वहाँ!”
 
रशीदा: “और कभी हमारे साथ भी बैठ कर बातें वातें कर लिया करो... यूँ अकेले बैठे-बैठे बोर नहीं हो जाते?”

सुनील: “जी मैडम जरूर... वो बस मैं सोचता था कि आप दोनों इतनी सीनियर हैं तो शायद आप दोनों को बुरा ना लगे कि मैं आपको परेशान कर रहा हूँ!”

रशीदा: “अरे सीनियर्स के साथ क्या बातें करने की कोई पाबंदी है.. हम क्या खा जायेंगी तुम्हें!”

सुनील: “ओहह सॉरी मैडम मेरा मतलब वो नहीं था... वैसे मैं भी बोर हो जाता हूँ... घर जाकर भी अकेले रूम में बैठा-बैठा उकता जाता हूँ..!”

रशीदा: “तुम्हारे कोई दोस्त या कोई गर्ल-फ़्रेंड नहीं है क्या..!”

सुनील: “जी नहीं मैडम वैसे भी नया हूँ यहाँ पे...!”

रशीदा: “इसी लिये तो कह रही हूँ... ज़रा मिलोजुलो लोगों से... बातचीत करो... तुम हैंडसम हो... अच्छी शक़्ल सूरत है... बॉडी भी अच्छी बनायी हुई है... क्या प्रॉब्लम हो सकती है!”

सुनील: “पर मैडम आप तो जानती है ना... आज कल की लड़कियों को बस महंगे-महंगे गिफ़्ट चाहिये और बदले में क्या... बस पैसे बर्बाद..!”

रशीदा: “अच्छा शाम को क्या कर रहे हो..?”

सुनील: “जी मैडम... कुछ खास नहीं!”

रशीदा: “तो चलो आज नफ़ीसा के घर में पार्टी करते हैं... ड्रिंक तो कर ही लेते हो ना?”

सुनील: “जी कभी-कभी!”

रशीदा: “और कोई शौक भी है तो बता दो... उसका अरेंजमेंट भी कर लेंगे..!”

सुनील: “जी शौक तो बहुत हैं... जैसे-जैसे जान पहचान बढ़ेगी... आपको पता चल जायेगा...!”

रशीदा: “अच्छा ऐसी बात है... चलो देखते हैं..!”

इस दौरान सुनील बार-बार रशीदा की बड़ी- बड़ी चूचियों को उसकी कमीज़ के गहरे गले में से देख रहा था और रशीदा टाँग पर टाँग चढ़ा कर बैठी हुई अपनी टाँग हिला रही थी तो सुनीळ की नज़रें उसके ऊँची हील वाले कातिलाना सैंडल से भी नहीं हट रही थी। रशीदा भी सुनील के लंड को ट्रैक-पैंट में झटके खाता हुआ साफ़ देख रही थी। फिर रशीदा उठी और अपनी मोटी गाँड मटकाते हुए जाने लगी। “भूलना नहीं आज शाम नफ़ीसा के घर पर... नफ़ीसा से घर का अड्रेस समझ लेना...” रशीदा ने जाते हुए कहा।

थोड़ी देर बाद नफ़ीसा उसके पास आयी, “तो क्या इरादा है सुनील!” सुनील ने चौंक कर नफ़ीसा की तरफ़ देखा... “जी मैडम इरादा तो नेक है बस आपके हुक्म का इंतज़ार है...!” नफ़ीसा अपने होंठों को दाँतों में दबाते हुए बोली, “अच्छा ये लो इसमें मेरा अड्रेस लिखा है और मोबाइल नम्बर भी... अगर रास्ता ढूँढने में तकलीफ़ हो तो फ़ोन कर देना!”

सुनील: “जी मैडम ठीक है... वैसे आपके घर वाले मतलब आपके हस्बैंड को कोई ऐतराज़ तो नहीं होगा?”

नफ़ीसा: “अरे नहीं... वो तो बिल्कुल पेरलाइज़्ड हैं... बिस्तर से उठ तक नहीं सकते हैं!” ये कह कर नफ़ीसा भी चली गयी।
 
दोनों औरतें शाम को एक घंटा पहले ही निकल गयीं। दोनों पहले रशीदा के फ़्लैट में गयी और वहाँ पर रशीदा ने अपनी एक सलवार-कमीज़... नाइटी... सैंडल वगैरह और कुछ समान लिया। रशीदा ने अपनी सास को भी बताया कि वो आज रात को नफ़ीसा के घर पर ही रहेगी। ये कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि वो अक्सर नफ़ीसा के घर रात बिताया करती थी। रशिदा ने अपनी कार नहीं ली और दोनों नफ़ीसा की कार में ही उसके घर की तरफ़ रवाना हो गयीं। नफ़ीसा ने रस्ते में से खाने पीने की कुछ चीज़ें खरीदीं और फिर घर पहुँची।

घर आकर उसने अपनी नौकरानी ज़ोहरा को बुलाया। उसने ज़ोहरा को रात का खाना तैयार करने के लिये कहा और उसे कहा कि वो गोल्ड-फ्लेक सिगरेट के दो पैकेट और ऑफिसर चाइस व्हिस्की की दो बोतलें अपने शौहर से मंगवा दे। ये भी कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि नफ़ीसा अक्सर ज़ोहरा के शौहर के ज़रिये शराब और सिगरेट खरीदवाया करती थी। नफ़ीसा ने उसे पैसे दिये और ज़ोहरा पास ही अपने घर चली गयी। उसका शौहर जाकर सिगरेट के पैकेट और व्हिस्की की बोतलें ले आया और ज़ोहरा ने वो नफ़ीसा को लाकर दे दी। रात के चुदाई की पार्टी का इंतज़ाम हो चुका था और दोनों चुदैल औरतें नया बकरा हलाल करने के लिये बेकरार थीं।

दूसरी तरफ़ सुनील ने भी अपना काम खतम किया और स्टेशन से बाहर आकर अपना मोबाइल निकाल कर घर पर फ़ोन किया। फ़ोन सानिया ने उठाया तो सुनील ने उसे कहा कि आज रात कुछ जरूरी काम से उसे स्टेशन पर ही रुकना पड़ेगा। सुनील कुछ देर बज़ार में घूमता रहा। जब अंधेरा होने लगा तो उसका फ़ोन बजने लगा। फ़ोन रशीदा का था, “हैलो सुनील... कहाँ रह गये?”

“जी अभी आ रहा हूँ... थोड़ी ही देर में पहुँच जाऊँगा!” सुनील ने कहा तो रशीदा ने “ठीक है... जल्दी आओ...” कह कर फ़ोन काट दिया। सुनील ने बाइक नफ़ीसा के घर की तरफ़ घुमा दी। सुनील जानता था कि आज रात बहुत लंबी होने वाली है और दोनों औरतें बेहद चुदैल हैं... इसलिये वो एक दवाई की दुकान पर रुका और एक दो गोली वायग्रा की ले ली। वैसे तो सुनील के जिस्म और लंड में इतनी जान थी कि वो एक साथ नफ़ीसा और रशीदा की चुदाई तसल्ली से कर सकता था पर सुनील आज उन दोनों की गाँड और चूत पर अपने लंड की ऐसी छाप छोड़ना चाहता था कि वो दोनों उसके लंड की गुलाम हो जाये। सुनील ये भी जानता था कि नफ़ीसा और रशीदा दोनों मालदार औरतें है और दोनों के पास बहुत पैसा है। वो वक़्त आने पर सुनील की कोई भी जरूरत पूरी कर सकती थीं। लेकिन उसके लिये सुनील को पहले उन दोनों को अपने लंड का आदी बनाना था जैसे उसने रुखसाना को अपने लंड की लत्त लगा दी थी। यही सोच कर उसने वायग्रा खरीद ली और नफ़ीसा के घर के तरफ़ चल पड़ा। थोड़ी ही देर में वो नफ़ीसा के घर के पास पहुँच गया और उसने रशीदा को फ़ोन किया।

“हाँ बोलो सुनील... कहा पहुँचे?” रशीदा ने फोन उठाते ही पूछा। “मैडम मैं उस गली में पहुँच गया हूँ पर यहाँ सभी इतने बड़े-बड़े बंगले हैं कि समझ में नहीं आ रहा कि नफ़ीसा मैडम का घर कौन सा है!” सुनील ने पूछा तो रशीदा ने उसे समझाया, “देखो तुम सीधे गली के एंड में आ जाओ... राइट साइड पर सबसे आखिरी घर है... उसके सामने खाली प्लॉट है..!”

“ठीक है समझ गया मैडम!” सुनील ने फ़ोन काटा। “रशीदा क्या हुआ... पहुँचा कि नहीं अभी तक...” नफ़ीसा ने पूछा तो रशीदा अपने होंठों पे बेहद कमीनी मुस्कान के साथ बोली, “हाँ पहुँच गया है... तू जाकर गेट खोल और उसकी बाइक अंदर करवा ले... बहोत दिनों बाद साला आज तगड़ा बकरा हाथ में आया है... खूब मजे से उसे हलाल करके अपनी हसरतें पूरी करेंगी दोनों मिलकर!”

नफ़ीसा ने बाहर जाकर गेट खोला और इतने में सुनील की बाइक उसके घर के सामने थी। सुनील ने अपनी बाइक अंदर कर ली और नफ़ीसा ने अंदर से गेट बंद करते हुए पूछा, “ज्यादा तकलीफ़ तो नहीं हुई तुम्हें घर ढूँढने में...?”

“जी नहीं!” नफ़ीसा ने कॉटन का पतला सा हल्के सब्ज़ रंग का स्लीवलेस और तंग कमीज़ और नीचे सफ़ेद चुड़ीदार सलवार पहनी हुई थी। उसने दुपट्टा भी नहीं लिया हुआ था और उसकी कमीज़ का गला कुछ ज्यादा ही लो-कट था जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ करीब-करीब आधी नंगी थीं और बाहर आने को उतावली हो रही थी। इसके अलावा नफिसा ने पाँच इंच ऊँची पेंसिल हील के बेहद सैक्सी सैंडल पहन रखे थे। ये सब देखते ही सुनील के लंड में सरसराहट होने लगी।

तजुर्बेकार नफ़ीसा भी सुनील की नज़र को फ़ौरन ताड़ गयी और मुस्कुराते हुए बोली, “चलो अंदर चलो... यहीं खड़े- खड़े देखते रहोगे क्या?” नफ़ीसा पहचान गयी थी कि उन दोनों को सुनील को अपने हुस्न ओर अदाओं से पटाने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा। नफ़ीसा उसे साथ लेकर हाल में पहुँची। नफ़ीसा का घर सच में बहुत बड़ा था। घर के सामने एक बड़ा लॉन था और पीछे की तरफ़ स्विमिंग पूल था... नफ़ीसा के ससुर बहुत बड़े जागीरदार हुआ करते थे और अपनी ढेर सारी दौलत और जायदाद वो नफ़ीसा के शौहर के नाम छोड़ गये थे।

नफ़ीसा ने उसे सोफ़े पर बिठाया और बोली कि वो आराम से बैठे और वो अभी आती है! सुनील ने ऐसा शानदार सजा हुआ ड्राइंग रूम और फ़र्निचर सिर्फ़ फ़िल्मों में ही देखा था। “जी वो रशीदा मैडम कहाँ हैं?” सुनील ने नफ़ीसा से पूछा। “रशीदा चेंज करने गयी है... अभी आती है..!” ये कह कर नफ़ीसा किचन में चली गयी और फिर एक गिलास में कोल्ड ड्रिंक ले आयी और सुनील को देने के बाद बोली, “तुम बैठो मैं भी चेंज करके आती हूँ..!”

जैसे ही नफ़ीसा गयी तो सुनील ने वायग्रा की एक गोली निकाली और कोल्ड-ड्रिंक के साथ निगल ली। थोड़ी देर बाद नफ़ीसा बाहर आयी तो सुनील के मुँह से सीटी निकल गयी और धड़कनें तेज़ हो गयीं। नफ़ीसा ने सिर्फ़ मैरून रंग का छोटा सा मखमली बाथरोब पहना हुआ था और पैरों में मेल खाते मैरून रंग के ही पहले जैसे पाँच-छः इंच ऊँची पेंसिल हील के बारीक स्ट्रैप वाले सैंडल। नसीफ़ा की लंबी-लंबी और सुडौल टाँगें और गोरी माँसल जाँघें बिल्कुल नंगी सुनील की नज़रों के सामने थीं। उसका लंड तो उसी वक़्त टनटना गया। उसे ये तो पता था कि आज रात दोनों औरतों ने उसे चुदाई के मक़सद से ही बुलाया है लेकिन ये नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी बेधड़क नंगी हो जायेगी। ये औरतें उसकी उम्मीद से काफ़ी ज्यादा ही फ़ॉर्वर्ड और बोल्ड थीं।

नफ़ीसा ने ज़रा इतराते हुए पूछा, “ऐसे क्या देख रहे हो...?”

सुनील खुद को संभालते हुए बोला, “वो... वो कुछ नहीं.. वो आप आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं!”

“अच्छा! वैसे तुम्हे मुझ में क्या खूबसूरत लगता है...?” नफ़ीसा ने पूछा तो सुनील बोला, “जी सब कुछ...!” नफ़ीसा मुस्कुराते हुए बोली, “फिर तो सब कुछ देखना भी चाहते होगे...!”

सुनील: “जी अगर आप मौका दें तो!”

नफ़ीसा ने सुनील के पास आकर अपना एक पैर उठा कर सोफ़े पे सुनील की जाँघों के बीच मे रखा दिया और बोली, “मौके तो आज तुम्हें ऐसे-ऐसे मिलेंगे कि तुमने सोचा भी नहीं होगा... ज़रा मेरी सैंडल का बकल तो कस दो... थोड़ा लूज़ लग रहा है!”
 
सुनील को ऐसी आशा नहीं थी... ये तो खुला-खुला आमंत्रण था। सुनील थोड़ा नरवस हो गया। उसने काँपते हुए हाथों से नफ़ीसा के सैंडल की बकल खोल कर उसकी सुईं अगले छेद में डाल कर बकल फिर बंद कर दिया। नफ़ीसा ने फिर दूसरा पैर वैसे ही सुनील की जाँघों के बीच में रख दिया... इस बार उसके सैंडल का पंजा और पैर की उंगलियाँ सीधे उसके टट्टों और लंड को छू रहे थे। सुनील का लंड उसके ट्रैक-पैंट में कुलांचे मारने लगा। सुनील ने उस सैंडल की बकल भी काँपते हुए हाथों से कस दी। नफ़ीसा के सैंडल इतने सैक्सी थे कि सुनील का मन हुआ कि झुक कर उसके सैंडल और नरम-नरम गोरे पैर चूम ले। नफ़ीसा के पैरों के उंगलियों में नेल-पॉलिश भी मैरूण ही थी।

“घबरा नहीं सुनील आज की रात तुम्हारे लिये यादगार होने वाली है... अभी तो कईं सर्प्राइज़ मिलने हैं... चल आजा!” ये कह कर नफ़ीसा आगे चलने लगी। सुनील खड़ा होकर नफ़ीसा के पीछे जाने लगा। नफ़ीसा उसे घर के पीछे स्विमिंग पूल की तरफ़ ले गयी। अंधेरा हो चुका था लेकिन स्विमिंग पूल के चारों तरफ़ बहुत खूबसूरत रंगबिरंगी रोशनी की हुई थी। वहाँ एक लंबी सी कुर्सी पर रशीदा आधी लेटी हुई थी। उसने भी नफ़ीसा की तरह मैरून रंग का मखमली बाथरोब पहना हुआ था और पैरों में काले रंग के ऊँची पेंसिल हील वाले बेहद कातिलाना सैंडल मौजूद थे। रशीदा ने अपनी एक टाँग लंबी कर बिछायी हुई थी और दूसरी को घुटने से मोड़ा हुआ था। उसके एक हाथ में शराब का गिलास और सिगरेट थी। “ओहह सुनील आओ... कब से हम तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे... यहाँ बैठो...” रशीदा ने उसे अपने पास बिठा लिया और उसकी जाँघ को सहलाते हुए बोली “सुनील क्या लोगे..!”

“जी आप जो भी प्यार से पिला दें वो मैं पी लुँगा!” सुनील ने जवाब दिया। सुनील को एहसास हो गया था कि वो शिकार करने आया था लेकिन यहाँ तो उसका ही शिकार होने वाला था।

“माशाल्लह... यार तुम तो बहोत चंट हो बातें बनाने में!” रशीदा बोली तो सुनील फिर तपाक से बोला, “जी बनाने में ही नहीं... करने में भी चंट हूँ..!” ये सुनकर रशिदा सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए बोली, “क्यों नफ़ीसा.... लगता है आज की रात यादगार होने वाली है..!”

नफ़ीसा ने पास में टेबल पर रखी व्हिस्की की बोतल से एक गिलास में व्हिस्की और सोडा डाल कर सुनील को दी और फिर रशीदा के गिलास में भी एक और नया पैग बना कर दिया और अपने लिये भी एक पैग बनाया। फिर उसने अपने लिये सिगरेट सुलगायी और सुनील को भी सिगरेट पेश की तो सुनील ने मना कर दिया। तीनों साथ में बैठ कर व्हिस्की पीने लगे। सुनील खुद तो सिगरेट नहीं पीता था लेकिन ये दोनों औरतें सिगरेट पीती हुई बेहद सैक्सी और कातिल लग रही थीं उसे। रशीदा ने अपनी सिगरेट और पैग खतम किया और अपने गिलास को टेबल पर रख कर खड़ी हो गयी, “चलो पूल में चलते हैं... उफ्फ बहोत गरमी है यहाँ पर..!” ये कहते हुए उसने अपने बाथरोब की बेल्ट को खोला और बाथरोब उतार दिया। सुनील की आँखें एक दम से चौंधिया गयी। रशीदा का फिगर देखते ही सुनील को सन्नी लियॉन की याद आ गयी।

रत्ति भर भी कम नहीं था रशीदा का जिस्म... वैसे ही अढ़तीस साइज़ के बड़े-बड़े तने हुए मम्मे और वैसे ही बाहर की तरफ़ निकली हुई गाँड... लाल रंग की छोटी सी लेस की ब्रा के साथ जी-स्ट्रिंग की चिंदी सी लाल पैंटी और ऊँची हील के सैंडल में क़हर ढा रहा था। अब रशीदा अगर सन्नी लियॉन थी तो नफ़ीसा तो कहाँ कम थी... फिगर के साथ-साथ शक़्ल-सूरत में भी हुबहु बॉलीवुड हिरोइन ज़रीन खान लगती थी। नफ़ीसा ने भी अपना पैग खतम किया और सिगरेट का आखिरी कश लगा कर ऐशट्रे में बुझा दी और अपना बाथरोब उतार दिया। उसने नीचे काले रंग की ब्रा और काले रंग की ही जी-स्ट्रिंग पैंटी पहनी हुई थी। अपने आप को इन दोनों गज़ब की सैक्सी औरतों के बीच पाकर सुनील का लंड उसके ट्रैक सूट के पायजामे में कुलांचे मारने लगा। वैसे तो रुखसाना भी रशीदा और नफ़ीसा से फिगर और खूबसूरती में कम नहीं थी लेकिन ये दोनों बेहद तेजतर्रार... डॉमिनेटिंग और बेतकल्लुफ़ थीं और रुखसाना थोड़ी शर्मिली और नरम थी।

“अब तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो... चलो कपड़े उतारो..!” नफ़ीसा ने कहा तो सुनील ने एक दम चौंकते हुए खड़े होकर अपनी टी-शर्ट उतार दी। फिर उसे याद आया कि आज तो उसने जानबूझ कर सुबह ट्रैक-पैंट के नीचे अंडरवियर पहना ही नहीं था तो वो एक दम से रुक गया। “क्या हुआ सुनील... कोई प्रोब्लेम है..?” कहते हुए रशीदा अपने सैंडल पहने हुए ही पूल में उतर गयी।

“जी मैडम वो मैंने नीचे अंडरवियर नहीं पहना!” सुनील झेंपते हुए बोला तो रशीदा हंसते हुए बोली, “तो यहाँ कौन सा कोई तुम्हें देख रहा है.... सिर्फ़ हमारे अलावा... यार कोई बात नहीं... आजा..!” नफ़ीसा ने अपने और रशीदा के लिये एक-एक पैग और बनाया और दोनों गिलास लेकर वो भी सैंडल पहने हुए ही स्विमिंग पूल मैं उतर गयी। स्विमिंग पूल ज्यादा गहरा नहीं था और सिर्फ़ कमर तक ही पानी था। सुनील ने सोचा कि साला ये तो सीधे चुदाई का आमंत्रण है... ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिये। सुनील ने अपना ट्रैक-सूट वाला पायजामा भी उतार दिया। नर्वस होने के कारण उसका लंड लटक सा गया था। सुनील का पहला पैग अभी खतम नहीं हुआ था। उसने अपना गिलास पूल के किनारे पे रखा और अपने झूलते हुए लंड को लेकर स्विमिंग पूल में उतर गया। जैसे ही सुनील पूल के अंदर आया तो नफ़ीसा उसके करीब आ गयी और उसके होंठों पर अपना गिलास लगाते हुए बोली, “एक जाम इस नयी दोस्ती के नाम!” सुनील ने एक सिप लिया और मुस्कुरा कर नफ़ीसा की तरफ़ देखा। रशीदा भी सुनील के करीब आयी और उसने भी अपने गिलास को सुनील के होंठों की तरफ़ बढ़ा दिया। नफ़ीसा सुनील की चौड़ी छाती को अपने एक हाथ से सहला रही थी। सुनील ने रशीदा के गिलास से भी एक सिप लिया।

सुनील ने पूल के किनारे रखा हुआ अपना गिलास उठा लिया और फिर तीनों धीरे-धीरे सिप करने लगे। रशीदा और नफ़ीसा दोनों अपने एक-एक हाथ से सुनील के चौड़े सीने को सहला रही थी। सुनील का लंड अब फिर खड़ा होने लगा था। आखिर वो बिल्कुल नंगा दो-दो इतनी सैक्सी और करीब-करीब नंगी हसीनाओं से घिरा हुआ स्विमिंग पूल में मौजूद था और ऊपर से दोनों हुस्न की मल्लिकाओं ने पूल के अंदर भी हाई हील वाले सैंडल पहने हुए थे। सुनील को तो अपनी किस्मत पे विश्वास ही नहीं हो रहा था। रशीदा बीच-बीच में अपना हाथ नीचे सुनील के पेट की ओर ले जाती तो कभी नफ़ीसा उसकी जाँघों को अपने हाथ से सहलाने लग जाती। सुनील का लंड अब धीरे-धीरे फिर से अपनी औकात में आने लगा था। सुनील भी उन दोनों के जिस्म छुना उनके मम्मे और गाँड दबाना चाहता था लेकिन उन दोनों का दबदबा ही ऐसा था कि सुनील की खुद से हिम्मत नहीं हुई। रशीदा ने जब सुनील के लंड को खड़ा होते देखा तो उसकी आँखों में चमक आ गयी और टाँगें थरथराने लगी। सुनील के खड़े होते हुए लंड का साइज़ देख कर रशीदा को समझ आया कि क्यों नफ़ीसा सुबह सुनील का लंड देख कर इतनी बेकरार हो रही थी। उसने इशारे से नफ़ीसा को नीचे की और देखने को कहा तो नफ़ीसा की चूत भी सुनील के अकड़ते हुए लंड को देख कर फुदफुदाने लगी।
 
रशीदा ने गटक कर अपना पैग खतम करते हुए कहा, “नफ़ीसा चलो ना अब खाना खाते हैं... बहुत हो गया..!” ये सुनकर सुनील के तो खड़े लंड पे जैसे धोखा हो गया। उसे लग रहा था कि अभी बात शायद आगे बढ़ेगी। दोनों औरतें उसे इस तरह क्यों तड़पा रही थीं। दो-दो रसगुल्ले उसके सामने थे... उसे तरसा रहे थे लेकिन वो खा नहीं पा रहा था।

तीनों पूल से बाहर आये और नफ़ीसा ने सुनील को एक तौलिया दिया। सुनील ने अपनी कमर पर तौलिया लपेटा और फिर अपने कपड़े उठा लिये। नफ़ीसा और रश़ीदा ने वहाँ पर बने हुए बाथरूम में जाकर अपनी गीली पैंटी और ब्रा उतार दीं लेकिन सैंडल अभी भी नहीं उतारे। फिर तौलिये से अपने जिस्म और सैंडल वाले पैर सुखा कर दोनों ने अपने-अपने बाथरोब पहने और तीनों घर के अंदर आ गये। अंदर आकर तीनों ने वैसे ही खाना खाया और फिर शराब पीने लगे। शराब और शबाब का नशा अब तीनों पर हावी होने लगा था। दोनों औरतें खुल कर बाथरोब में छुपे हुए अपने हुस्न का दीदार सुनील को कराने लगी थीं। सुनील जानबूझ कर सावधानी से थोड़ी-थोड़ी ही शराब पी रहा था लेकिन दोनों औरतें बे-रोक पैग लगा रही थीं और एक के बाद एक सिगरेट फूँक रही थीं और नशे में झूमने लगी थीं। सुनील का तो बुरा हाल हो चुका था। तौलिये के अंदर उसका लंड धड़क-धड़क कर फुफकारें मार रहा था। “तो सुनील तू कह रहा था कि तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है..!” रशीदा ने नफ़ीसा की ओर देखते हुए कहा। दोनों औरतें अब तुम से तू पे आ गयी थीं।

“जी नहीं है!” सुनील ने भी नफ़ीसा के ओर देखते हुए कहा तो नफ़ीसा बोली, “तो इश्क़ के खेल में अभी अनाड़ी हो..?”

“जी हाँ! इश्क़ के खेल में शायद अनाड़ी हूँ पर मस्ती के खेल में नहीं..!” सुनील ने जवाब दिया। रशीदा बोली, “ओहो... तू तो फिर बड़ा छुपा रुस्तम निकला... यार नफ़ीसा मैंने कहा था ना अपना सुनिल जितना मासूम दिखता है... उतना है नहीं..!”

नफ़ीसा सिगरेट का कश लगाते हुए आँखें नचाते हुए बोली, “तो तू मस्ती करने में अनाड़ी नहीं है... हमें भी तो पता चले कि तूने कहाँ और किसके साथ और कितनी मस्ती की है..!”

सुनील का सब्र टूटा जा रहा था। “छोड़िये ना मैडम... वो सब पुराने किस्से हैं...!” सुनील बोला तो नफ़ीसा अपनी कुर्सी से उठी और बड़ी ही अदा के साथ चलते हुए सुनील के करीब आयी और अपनी एक बाँह सुनील की गर्दन में डाल कर सुनील के गोद में बैठ गयी और रशीदा की तरफ़ देख कर मुस्कुराते हुए बोली, “अच्छा... चाहे तो आज मस्ती के नये किस्से बना ले... क्या ख्याल है..?”

“ख्याल तो बहुत बढ़िया है...!” सुनील बोला। सुनील के कुलांचे मार रहे लंड की नफ़ीसा चुभन अपनी गाँड के नीचे महसूस कर रही थी। वो हंसते हुए बोली, “हाँ खूब पता चल रहा है कि तू क्या चाहता है!” “वो कैसे...?” सुनील ने पूछा तो नफ़ीसा बोली, “वो ऐसे कि तेरा हथियार जो बार-बार मेरे चूतड़ों पर जोर-जोर से ठोकरें मार रहा है..!”

सुनील बोला, “लेकिन मेरे अकेले के चाहने से क्या होगा..?”

“ओह हो... अब तू इतना नादान तो नहीं है... तू भी समझ तो गया ही होगा कि हम दोनों भी यही चाहती हैं!” ये कहते हुए नफ़ीसा सुनील की गोद से खड़ी हुई और सुनील का हाथ पकड़ कर झूमती हुई चलती हुई उसे बेडरूम की तरफ़ ले जाने लगी। रशीदा भी नशे में झूमती हुई उनके पीछे चल पड़ी। नफ़ीसा के मुकाबले रशीदा कुछ ज्यादा नशे में थी जबकि शराब दोनों ने तकरीबन बराबार ही पी थी... शायद इसलिये कि नफ़ीसा अक्सर शराब पीने की आदी थी जबकि रशिदा को कभी-कभार ही मौका मिलता था। नफ़ीसा की सोहबत में ही उसने शराब और सिगरेट पीना शुरू की थी।

बेडरूम में पहुँच कर नफ़ीसा ने सुनील को धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया और रशीदा ने भी अंदर आकर पीछे से कमरे के दरवाज़े को लॉक कर दिया। नफ़ीसा बेड पर चढ़ी और सुनील के ऊपर झुकते हुए बोली तो “बर्खुरदार... ज़रा हमें भी तो बता कि तू क्या-क्या जानता है!” दूसरी तरफ़ रश़ीदा भी बेड पर सुनील के दूसरी तरफ़ करवट के बल लेट गयी और सुनील के चौड़े सीने को एक हाथ से सहलाते हुए अपनी एक टाँग उठा कर सुनील के टाँगों पर रख दी। “जी बहुत कुछ जानता हूँ..!” सुनील ने अपने दोनों तरफ़ लेटी हुई मस्त चुदैल मुसल्ली औरतों को देख कर कहा जो उम्र में उससे दुगुनी से ज्यादा बड़ी थीं। “रशीदा तुझे स्ट्राबेरी फ्लेवर बहोत पसंद है ना..?” नफ़ीसा की ये बात सुन कर सुनील चौंक गया कि अब साला स्ट्राबेरी फ्लेवर बीच में कहाँ से आ गया। “हाँ यार बेहद पसंद है..!” रशीदा बोली तो नफ़ीसा ने उसे कहा कि “तो उस मिनी-फ्रिज में तेरे लिये कुछ है... जा निकाल कर ले आ!”

रशीदा उठी और बेडरूम के एक कोने में मेज के नीचे रखे छोटे से फ़्रिज को खोला। उसमें एक काँच के बड़े से गिलास में स्ट्राबेरी फ़्लेवर की क्रीम मौजूद थी। उसे देख कर रशीदा की आँखों में चमक आ गयी। रशीदा वो क्रीम भरा गिलास लेकर बेड पर आकर बैठ गयी। उसने एक बार नफिस़ा की तरफ मुस्कुराते हुए देखा तो नफ़ीसा ने सुनील के तौलिये को पकड़ कर खींचा पर तौलिया सूनील के वजन से दबा हुआ था। स़ुनील ने खुद ही अपने चूतड़ उचका कर तौलिया अपने जिस्म से अलग करके फेंक दिया। सुनील का आठ इंच से लंबा और खूब मोटा मूसल जैसा लंड झटके खाते हुए फुफकारने लगा जिसे देख कर दोनों चुदैल राँडों के मुँह से सिसकरी निकल गयी!। “याल्लाहा ऊँऊँहह नफ़ीसा... ये तो बहोत तगड़ा... घोड़े जैसा है..!” रशीदा ने सुनील के लंड को खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए कहा। “मैंने तो सुबह ही तुझे बता दिया था... साले ऐसे घोड़े की ही तो सवारी करने में मज़ा है.. आज तो हमारी किस्मत खुल गयी... यार सुनील पहले मालूम होता कि तू अपनी टाँगों के दर्मियान इस कदर लंबा और मोटा लौड़ा छुपाये हुए है तो आल्लाह कसम पहले दिन ही तेरे से चुदवा लेती..!” ये कहते हुए नफ़ीसा ने हाथ बढ़ा कर सुनील के अन्कटे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसके लंड के आगे की चमड़ी पीछे की तरफ़ सरकायी तो सुनील के लंड का सुपाड़ा लाल टमाटर की तरह चमकने लगा जिसे देख कर दोनों की चूत कुलबुलाने लगी। रशीदा जल्दी से स्ट्राबेरी क्रीम का गिलास सुनील के लंड के ठीक ऊपर ले जाकर उस पर ठंडी क्रीम टपकाने लगी। ठंडी क्रीम को अपने लंड पर गिरता महसूस करके सुनील एक दम से सिसक उठा। “क्या हुआ बर्खुरदार?” नफ़ीसा ने सुनील को सिसकते हुए देख कर पूछा। “आहहह बहुत ठंडा है मैडम!” सुनील ने सिसकते हुए कहा।
 
“थोड़ा सा इंतज़ार कर... अभी देखना तेरे इस लंड को कितनी गरमी मिलने वाली है!” नसीफ़ा बोली। सुनिळ का लंड पूरी तरह से क्रीम से भीग गया। रशीदा ने गिलास नीचे रखा और सुनील की जाँघों के पास मुँह करके पेट के बल लेट गयी। दूसरी तरफ़ ठीक वैसे ही नफ़ीसा भी लेट गयी। रशीदा लंड पर झुकी और अपने होंठों को सुनील के लंड के मोटे सुपाड़े पर लगा दिया। सुनील मस्ती से सिसक उठा और उसने रशीदा के खुले हुए बालों को कसके पकड़ लिया। रश़ीदा ने इस बात का बुरा नहीं माना और अपने होंठों को सुनील के लंड के सुपाड़ा के चारों तरफ़ कसती चली गयी। थोड़ी ही देर में सुनील के लंड का सुपाड़ा राशीदा के मुँह में था और वो उसे अपने होंठों से दबा-दबा कर चूसने लगी। दूसरी तरफ़ से नफ़िसा ने भी देर ना की और अपनी ज़ुबान और होंठों से सुनील के लंड के निचले हिस्सों और टट्टों को चाटने लगी। सुनील के लंड को अब दोहरी मार पड़ रही थी और ऊपर से वायग्रा का भी असर था। सुनील का लंड एक दम अकड़ गया था। सूनिल ने अपने दूसरे हाथ से नफिस़ा के खुले हुए बालों को पकड़ लिया। दोनों औरतें सुनील के लंड पर कुत्तियों की तरह टूट पड़ी। रशीदा तो सुनील के लंड को चूसने में मश्गूल थी और नफ़ीसा कभी सुऩील के लंड की लंबाई पर अपनी ज़ुबान फिराती तो कभी सुनील की गोटियों को पकड़ कर मुँह में भर कर चूसने लगती।

सुनील आँखें बंद किये हुए जन्नत सा मज़ा ले रहा था। नफ़ीसा और रशीदा जिस जोशीले अंदाज़ में स़ुनील के लंड को चूस और चाट रही थीं... देखने से लग रहा था कि जैसे सामने किसी पोर्न मूवी का मंज़र चल रहा हो। थोड़ी ही देर में सुनील के लंड से क्रीम बिल्कुल सफ़ाचट हो चुकी थी और लंड उन दोनों के थूक से पुरी तरह सन गया। जैसे ही राश़िदा ने सुनील के लंड को अपने मुँह से बाहर निकला तो नफ़ीसा ने लपक कर उसे अपने मुँह में भर लिया। ‘पक-पक’ ‘गलप –गलप’ जैसी आवाज़ें पूरे कमरे में गूँजने लगीं। “नफ़ीसा यार बे-इंतेहा मज़ा आ रहा है... एक मुद्दत से ऐसे जवान लंड का ज़ायका नहीं चखा था...” रशीदा बोली। नफ़ीसा ने सुनील के लंड को मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथ से हिलाते हुए कहा, “हाँ सच रशिदा... मैंने कईं जवान लौड़े चूसे हैं लेकिन ऐसा कमाल का लंड कभी नहीं चूसा... अलाह कसम मज़ा आ गया यार.. दिल करता है रोज़ इस लंड के चुप्पे लगाऊँ!” ये कहते हुए उसने फिर से सुनील के लंड को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।

नफ़ीसा का बेडरूम चुसाई की आवाज़ों से भर गया था। रशीदा बोल “यार... पहले तू इस लौड़े की सवारी करेगी क्या?” नफ़ीसा ने सुनील का लंड मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथ से मुठियाते हुए पूछा तो रशीदा बिना कुछ बोले उठ कर बैठ गयी उसने अपना बाथरोब निकाल कर फेंक दिया। दूसरी तरफ़ नफ़ीसा ने भी अपना बाथरोब उतार कर फेंक दिया और अब दोनों ऊँची हील के सैंडलों के अलावा सुनील की तरह मादरजात नंगी हो गयीं। दोनों सुऩील के अगल-बगल में लेट कर उसके ऊपर झुक गयीं। दोनों की बड़ी-बड़ी गुदाज़ चूचियाँ सुनील के चेहरे के ऊपर झूलने लगीं जिसे देख सुनील की आँखों में चमक आ गयी। नफ़ीसा के निप्पल कुछ ज्यादा ही लंबे और मोटे थे जिन्हें देख कर ऐसा लग रहा था जैसे चींख-चींख कर कह रहे हों कि आओ हमें मुँह में भर कर निचोड़ लो! सुनील ने भी एक पल की देर नहीं की और अपने सिर को थोड़ा सा ऊपर उठा कर नफ़ीसा की चूंची के निप्पल को मुँह में भर लिया। नफ़ीसा सुनील के ऊपर झुक गयी और अपनी चूंची को सुनील के मुँह में और ज्यादा ठेल दिया। सुनील ने भी उसकी चूंची और निप्पल को अपने होंठों में दबा-दबा कर चूसना शुरू कर दिया। “आहहहह हाँआँऽऽ चूऊऊस सूऊऊऊऊनीईईईईलऽऽ.... आहहहह बहोत अच्छा लग रहा है..!” और नाफीसा ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर सुनील के लंड को पकड़ कर मुठियाना शुरू कर दिया। दूसरी तरफ़ लेटी रशीदा सुनील के टट्टों के साथ खेलने लगी। सुनील ने कभी सोचा नहीं था कि ये दोनों औरतें उसे इतना मज़ा देंगी। नफ़ीसा की चूंची को थोड़ी देर चूसने के बाद उसने चूंची को मुँह से बाहर निकला और रशीदा के तरफ़ देखा।

रशीदा ने अपनी एक चूंची को हाथ में पकड़ कर अपने निप्पल की ओर नोकदार बनते हुए उसे सुनील के मुँह से सटा दिया। सुनील ने भी फौरन मुँह खोल कर रशीदा की चूंची को मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। रशीदा की मस्ती में आँखें बंद होने लगी। उसका हाथ सुनील के चौड़े सीने पर तेजी से घूमने लगा। दूसरी तरफ़ लेटी नफिस़ा उठ कर सुनील के ऊपर आ गयी और अपने घुटनों को सुनील की कमर के दोनों तरफ़ रख कर बैठते हुए सुनील के लंड को हाथ से पकड़ लिया। अपनी चूत की फ़ाँकों पर जैसे ही उसने सुनील के लंड का सुपाड़ा रगड़ा तो वो एक दम से सिसक उठी, “आहहहह सूऊऊनीइइइल... तेरा अनकटा लंड तो बेहद गरम है साले... ऐसे गरम और खूबसूरत बिला खतना लौड़ों की तो मैं बेहद दीवानी हूँ...!” नफ़ीसा की आवाज़ सुन कर रशीदा ने भी अपने मम्मे को सुनील के मुँह से बाहर निकला और नसीफ़ा को फटकारते हुए बोली, “साली नसीफ़ा चूतमरानी... तूने ही तो मुझे पहले सवारी करने को कहा था और अब खुद मौका मिलते ही इसके लंड पे सवार हो गयी तू!”

“अरे यार नाराज़ क्यों होती है गुदमरानी... तू भी सवार हो जा... हम दोनों एक साथ बारी-बारी से जगह बदल- बदल कर पूरी रात सवारी करेंगी इस घोड़े की!” नफ़ीसा बोली तो रशीदा ने सुनील के सिर के दोनों तरफ़ अपने घुटनों को बेड पर रखा जिससे रशीदा की गंजी चिकनी चूत ठीक सुनील के चेहरे के ऊपर आ गयी। रशीदा और नफ़ीसा दोनों एक दूसरे के तरफ़ मुँह करके सूनील के ऊपर बैठी हुई थीं और उनके घूटने एक दूसरे के घुटनों से सटे हुए थे। रशीदा ने अपनी चूत के होंठों को फैलाते हुए अपनी चूत के दाने (क्लिट) को दिखाते हुए कहा, “देख सुनील ये है औरतों का ट्रिगर... मालूम है ये औरतों का सबसे सेन्सिटिव हिस्सा होता है!” सुनील आँखें फ़ाड़े रशीदा की गुलाबी चूत के छेद और दाने को अपने आँखों के तीन-चार इंच के फ़ासले पर देख रहा था। “चल अब तेरी बारी है हमें मज़ा देने की... इसे चूस..!” नफ़ीसा भी मस्ती में बोली, “हाँ सुनील चाट ले... इस रस का ज़ायका हासिल करने के लिये तो मर्द तरसते रह जाते है..!”

रशीदा ने अपने चूतड़ हिलाते हुए अपनी चूत के दाने को दो उंगलियों के दर्मियान दबाते हुए रगड़ा तो वो छोटे से बच्चे के लंड की तरह फूल गया। रशीदा सिसकते हुए बोली, “ये वो चीज़ है सुनील जिससे हर लड़की और औरत पिघल जाती है... एक बार अगर तूने किसी की चूत या दाने को चूस लिया... तो वो खुद ब-खुद तेरे लंड के नीचे आ जायेगी... मेरी बात याद रखना!” और ये कहते हुए रशीदा ने अपनी चूत सुनील के होंठों के और करीब कर दी। सुनील ने फ़ौरन रशीदा की चूत के छेद पर अपने होंठों को लगा दिया कुछ पलों के लिये सुनील की नाक और साँसों में चूत की तेज़ महक समा गयी। जैसे ही उसने रशीदा के चूत के छेद पर अपने होंठों लगाया तो रशीदा का पूरा जिस्म काँप उठा... उसकी कमर झटके खाने लगी। “आआहहह सूऊऊनीईईल ओहहहह आँहहहह सीईईऽऽऽ आँहहह ऊऊईईईईं आआहहहल्लाआआह सुनीईईल येस्सऽऽऽ सक मीईईई... आआहहह!” सुनील को समझते देर नहीं लगी कि रशीदा जो कह रही है... वो एक दम सच है अपने ऊपर रशीदा को यूँ तड़पते देख कर उसने रशीदा की चूत के दाने को अपने होंठों में भर कर और जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया। रशीदा एक दम से मचल उठी, “ओहहहह सूऊअ‍अ‍नीईईल आहहहह आँहहह रियली में बेहद अच्छा आआआह लग रहा है..हाय अल्लाआआहाआआ मेरी फुद्दी आहहह ओहहहह सीईईईई!”
 
दूसरी तरफ़ सुनील को अपना लंड किसी गीली और गरम चीज़ में घुसता हुआ महसूस हुआ। “आहहह सुऊऊनीईईल... तेरा बिला-कटा लंड तो सच में बहोत मोटाआआ है... आहहहह मेरी फुद्दी ओहहहह आहहहहह..!” नफ़ीसा धीरे-धीरे सुनील के लंड पर अपनी चूत को दबाती जा रही थी और सुनील के लंड का मोटा सुपाड़ा नफ़ीसा की चूत के अंदर उसकी दीवारों से रगड़ खाता हुआ अंदर जाने लगा। नफ़ीसा के जिस्म अपनी चूत की दीवारों पर स़ुनील के लंड के रगड़ को महसूस करके थरथराने लगा। उसने अपने आप को किसी तरह से संभालते हुए अपने सामने रशीदा के कंधों पर हाथ रख दिये जो उस वक़्त सुनील के मुँह के ऊपर बैठी उससे अपनी चूत चुसवाते हुई बेहद मस्त हो चुकी थी। “हाय रशीदा ये लौड़ा तो नाफ़ तक अंदर जा रहा है!”

रशीदा भी मस्ती में सिसकते हुए बोली, “आहहहह तो साली ले ले ना पूरा का पूरा अंदर... मज़ा आ जायेगा... आहहह मेरी चूत तो बुरी तरह से फ़ुदक रही है... आहहहह सुनीईईल चूस्स्स्स नाआआ ज़ोर-ज़ोर से!” नफ़ीसा ने अब धीरे-धीरे अपनी गाँड को ऊपर-नीचे करते हुए सुनील के लंड पर अपनी चूत को चोदना शुरू कर दिया था। स़ुनील का लंड कुछ ही पलों में नफ़ीसा की चूत के चिकने पानी से भीग कर चिकना हो गया और तेजी से अंदर-बाहर होने लगा। “आहहह साआआलीईई मज़ाआआ आ गयाआआ.... ऐसा लौड़ा रोज़-रोज़ नहीं मिलता चुदवाने के लिये... इसी लिये तोऽऽ... ऐसे अनकटऽऽऽ... हिंदूऊऊऊ लौडों पे जान छिड़कती है मेरीईई चूऊऊऊतऽऽऽ... आआआहहहहह ओहहह ऊहहहह रश्श्शीईईदाआआ मेरी चूत... आहहह कब से घोड़ों और गधों के लौड़ों से चुदने के ख्वाब देखती थी.... आहहह आआआज आआआल्लाआआहह ने मेरी दुआआआ कुबूल कर ली..!” सुनील भी अब तेजी से अपने लंड को ऊपर के तरफ़ उछालने लगा। नफ़ीसा की चूत में सुनील का लंड ‘फच्च-फच्च’ की आवाज़ करते हुए अंदर-बाहर होने लगा।

नफ़ीसा ने अपने सामने सुनील के चेहरे के ऊपर बैठी रशीदा को अपनी बांहों में जकड़ लिया और रशीदा के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। रशीदा भी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए एक दूसरे के मुँह में अपनी ज़ुबाने घुसेड़ने लगीं। सुनील ये देख तो नहीं सकता था क्योंकि उसकी आँखें रशीदा के चूतड़ों के पीछे थी लेकिन उसे समझ आ गया था कि दोनों औरतें एक दूसरे से चिपकी हुई चूमा-चाटी में शरीक हैं। सुनील ने रशीदा की चूत के दाने को अपने होंठों में और जोर-जोर से दबा कर चूसना शुरू कर दिया और रशीदा एक दम से मचल उठी। उसका जिस्म अचानक अकड़ कर जोर-जोर से झटके खने लगा। उसने नफ़ीसा को कस के जकड़ लिया और अपने होंठों को उसके होंठों से अलग करके जोर-जोर से सिसकते हुए चींखने लगी, “ओहहहह सुनीईईईल आहहहह सुनील मेरी फुद्दी आहहहह हायऽऽऽऽ ओहहहह सीईईईईईई ऊँहहहह सुनीईईईल लेऽऽऽऽ मेरीईईईई फुद्दी के पानी का ज़ायक़ा चख आहहहह ओहहहह!”

रशीदा की चूत से पानी बह निकला और वो काँपते हुए झड़ने लगी और थोड़ी देर बाद निढाल होकर सुनील के बगल में लुढ़क गयी। सुनील का पूरा चेहरा रशीदा की चूत के पानी से भीग गया था। नफ़ीसा ने भी अपनी गाँड को सुनील के लंड पर तेजी से ऊपर-नीचे उछालना शुरू कर दिया और सुनील भी पूरे जोश में अपने चूतड़ उठा-उठा कर नीचे से नफ़ीसा की चूत में अपना लौड़ा ठोकने लगा। थोड़ी देर बाद ही नफ़ीसा की चूत ने भी सुनील के लंड पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया और नफ़ीसा भी सुनील के ऊपर लुढ़क गयी। तीनों आपस में लिपटे हुए थोड़ी देर तक अपनी साँसें दुरस्त करते रहे। इस दौरान दोनों औरतों ने सुनील के चेहरे को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया जो कि रसीदा की चूत के पानी से सना हुआ था। “ओहहह सुऩील तूने तो कमल ही कर दिया..!” रशीदा उसके लंड को हवस ज़दा नज़रों से घूरते हुए बोली। रशीदा को नसीफ़ा आँखों से कुछ इशारा करते हुए बोली, “अरे यार सुनील़ के लौड़े की सवारी करने से पहले अपनी स्पेशल शेंपेन तो पिला दे!” ये सुनकर रशीदा के होंठों पे कुटिल मुस्कान फैल गयी। सुनील फिर चकरा गया कि अब ये कौनसा नया ट्विस्ट है। “जरूर मेरी जान मुझे वैसे भी लगी हुई थी... बाथरूम में चलेगी मेरे साथ या यहीं ले आऊँ... सुनील भी लेगा क्या?” रशीदा बेड से उठते हुए बोली। “तू यहीं ले आ यार... क्यों सुनील तू भी लेगा ना रशीदा की बनायी हुई स्पेशल शेम्पेन!” सुनील ने पहले कभी शेम्पेन नहीं पी थी और इन दोनों चुदैल औरतों की बातों से उसे शक सा हो रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है। इसलिये जब उसने पूछा कि वो दोनों कैसी शेम्पेन की बात कर रही हैं तो दोनों जोर-जोर से हंसने लगी। फिर नफ़ीसा ने हंसी रोकते हुए बताया कि वो दर असल रशीदा के पेशाब की बात कर रही हैं तो ना चाहते हुए भी सुनील को बेहद अजीब लगा और वो फ़ौरन अजीब सा मुँह बनाते हुए बोला, “नहीं नहीं... मुझे नहीं चाहिये!” रशिदा हंसते हुए बोली, “कोई बात नहीं यार... कोई जबर्दस्ती नहीं है!” ये कह कर रशीदा ने मेज पर से दो बड़े-बड़े गिलास उठाये और नशे में झूमती हुई बाथरूम में चली गयी।

रशीदा बाथरूम में कमोड पर बैठ कर गिलासों में मूतने लगी। तू भी लेगा ना रशीदा की बनायी हुई स्पेशल शेम्पेन!” सुनील ने पहले कभी शेम्पेन नहीं पी थी और इन दोनों चुदैल औरतों की बातों से उसे शक सा हो रहा था कि कुछ तो गड़बड़ है। इसलिये जब उसने पूछा कि वो दोनों कैसी शेम्पेन की बात कर रही हैं तो दोनों जोर-जोर से हंसने लगी। फिर नफ़ीसा ने हंसी रोकते हुए बताया कि वो दर असल रशीदा के पेशाब की बात कर रही हैं तो ना चाहते हुए भी सुनील को बेहद अजीब लगा और वो फ़ौरन अजीब सा मुँह बनाते हुए बोला, “नहीं नहीं... मुझे नहीं चाहिये!” रशिदा हंसते हुए बोली, “कोई बात नहीं यार... कोई जबर्दस्ती नहीं है!” ये कह कर रशीदा ने मेज पर से दो बड़े-बड़े गिलास उठाये और नशे में झूमती हुई बाथरूम में चली गयी।

रशीदा बाथरूम में कमोड पर बैठ कर गिलासों में मूतने लगी। उसने अभी एक गिलास अपने मूत से भर कर नीचे रखने के बाद दूसरे गिलास में मूतना शुरू ही किया था कि उसे बाहर से नफ़ीसा के तेज सिसकने और कराहने की आवाज़ आयी। “साली राँड चूतमरनी कहीं की... लगता है फिर से उसका लंड चूत में ले कर चुदवाना शुरू कर दिया.... भोंसड़ी की... मुझे भी चुदवाने देगी कि नहीं!” रशीदा बड़बड़ायी। दोनों गिलास अपने मूत से भरने के बाद बाकी उसने कमोड में मूत दिया। जब वो मूत से भरे गिलास लेकर बाहर आयी तो उसने देखा कि नफ़ीसा बेड पर कुत्तिया की तरह अपनी गाँड पीछे की और निकाल कर अपनी कोहनियाँ बिस्तर पर टिकाये हुए झुकी हुई थी। सुनील बिस्तर पर अपने घुटनों को मोड़ कर कुत्तिया बनी नफ़ीसा के ऊपर चढ़ा हुआ था और सुनील का लंड नफ़ीसा की गाँड के छेद में बुरी तरह फंसा हुआ था। “आहहह सुनील आराम सेऽऽऽ ओहहहह तेरा लौड़ा तो मेरी गाँड ही फाड़ देगा.. हाय अल्लाहऽऽ.. मर गयी मैं...!” पीछे खड़ी रशीदा ने एक गिलास बेड की साइड टेबल पे रखा और अपनी सहेली को इस तरह चींखते देख कर मुस्कुरायी और एक गिलास अपने हाथ में पकड़े हुए बेड पर चढ़ गयी। फिर गिलास में से अपने ही मूत के दो तीन घूँट पी कर सुनील के पीठ को सहलाते हुए बोली, “बहोत खूब सुनील... सुभानल्लाह... बजा दे इस गाँडमरी की गाँड का ढोल... पूरे घर में इसकी गाँड का ढोल बजता हुआ सुनायी देना चाहिये..!”उसने अभी एक गिलास अपने मूत से भर कर नीचे रखने के बाद दूसरे गिलास में मूतना शुरू ही किया था कि उसे बाहर से नफ़ीसा के तेज सिसकने और कराहने की आवाज़ आयी। “साली राँड चूतमरनी कहीं की... लगता है फिर से उसका लंड चूत में ले कर चुदवाना शुरू कर दिया.... भोंसड़ी की... मुझे भी चुदवाने देगी कि नहीं!” रशीदा बड़बड़ायी। दोनों गिलास अपने मूत से भरने के बाद बाकी उसने कमोड में मूत दिया। जब वो मूत से भरे गिलास लेकर बाहर आयी तो उसने देखा कि नफ़ीसा बेड पर कुत्तिया की तरह अपनी गाँड पीछे की और निकाल कर अपनी कोहनियाँ बिस्तर पर टिकाये हुए झुकी हुई थी। सुनील बिस्तर पर अपने घुटनों को मोड़ कर कुत्तिया बनी नफ़ीसा के ऊपर चढ़ा हुआ था और सुनील का लंड नफ़ीसा की गाँड के छेद में बुरी तरह फंसा हुआ था। “आहहह सुनील आराम सेऽऽऽ ओहहहह तेरा लौड़ा तो मेरी गाँड ही फाड़ देगा.. हाय अल्लाहऽऽ.. मर गयी मैं...!” पीछे खड़ी रशीदा ने एक गिलास बेड की साइड टेबल पे रखा और अपनी सहेली को इस तरह चींखते देख कर मुस्कुरायी और एक गिलास अपने हाथ में पकड़े हुए बेड पर चढ़ गयी। फिर गिलास में से अपने ही मूत के दो तीन घूँट पी कर सुनील के पीठ को सहलाते हुए बोली, “बहोत खूब सुनील... सुभानल्लाह... बजा दे इस गाँडमरी की गाँड का ढोल... पूरे घर में इसकी गाँड का ढोल बजता हुआ सुनायी देना चाहिये..!”
 
नफ़ीसा सिसकते हुए बोली, “आअहहह चुप कर साली ओहहह हाय अल्लाह आँहहह गाँड मरवाने का असली मज़ा तो ऐसे मूसल जैसे अनकटे लंड से ही आता है... इस दर्द में भी लज़्ज़त है मेरी जान... अभी थोड़ी देर में मेरी गाँड का ढोल नहीं... पियानो बजता सुनायी देगा तुझे कुत्तिया!” सुनील का अभी आधा लंड ही नफ़ीसा की गाँड में उतरा था और नफ़ीसा को मस्ती और दर्द की तेज लहर अपनी गाँड में महसूस होने लगी थी। सुनील धीरे-धीरे अपना आधा लंड ही नफ़ीसा की गाँड के अंदर बाहर करने लगा। “सुनील यार... ऐसे मज़ा नहीं आयेगा हमारी नफ़ीसा को.. एक नंबर की गाँडमरी है ये... जोर से चाँप साली की गाँड को... फिर देख कैसे इसकी गाँड से पादने की आवाज़ें आती हैं!” रशिदा गिलास में से अपना खुद का मूत सिप करते हुए बोली। नफ़ीसा रशीदा की तरफ़ देखते हुए थोड़ा चिढ़ कर बोली, “तू क्यों फ़िक्र कर रही है कुत्तिया... तेरी गाँड का ढोल भी आज फटेगा सुनील के लंड से..!”

“ओहहह भोंसड़ी की... तू इसका लौड़ा छोड़े तब ना... तू ही मरवा ले पहले अपनी गाँड!” रशीदा बोली और गिलास में बचा अपना मूत गतक-गटक पी कर खाली गिलास साइड में रख दिया। सुनील अब नॉर्मल स्पीड से नफ़ीसा की गाँड के छेद में अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था। नफ़ीसा की गाँड अब सुनील के मोटे लंड के मुताबिक एडजस्ट हो गयी थी और उसका दर्द का एहसास बिल्कुल खतम हो चुका था। नफ़ीसा ने भी अपनी गाँड को पीछे की तरफ़ ढकेलना शुरू कर दिया। “आहहहहह ओहहहह येस्स्सऽऽऽ सुनीऽऽऽऽल... और तेज़ मार मेरी गाँड... पूरा का पूरा घुसा दे अपना लौड़ा.... ओहहहह... मैं भी देखूँ कि कितनी अकड़ है तेरे लौड़े में... आहहह सुउउऽऽनीऽऽऽऽल आँआहहहहहह...!” सुनील अब पूरी ताकत के साथ अपना मोटा मूसल जैसा लंड नफ़ीसा की गाँड के छेद में अंदर तक पेलने लगा और नफ़ीसा भी किसी मंझी हुई रंडी की तरह अपनी गाँड को पीछे की तरफ़ सुनील के लंड पर ढकेलने लगी।

सुनील ने नफ़ीसा की गाँड को चोदते हुए एक दम से अपने लंड को पूरा बाहर निकला तो उसने देखा कि नफ़ीसा की गाँड का छेद और आसपास का हिस्सा एक दम सुर्ख हो चुका था और अगले ही पल उसने फिर से अपने लंड को एक ही बार में नफ़ीसा की गाँड के छेद में पेल दिया। जैसे ही सुनील के लंड का मोटा सुपाड़ा नफ़ीसा की गाँड के छेद के अंदर की तरफ़ हवा को दबाते हुए बढ़ा और जड़ तक अंदर घुसा तो हवा गाँड के छेद से पुर्रर्र की आवाज़ करते हुए बाहर निकली जिसे सुनते ही नफ़ीसा की गाँड और फुद्दी में सरसराहट दौड़ गयी। “ऊऊऊहहह आआओहहह सुनीईईल तूने तो कमाल ही कर दिया... आहहह मार मेरी गाँड और जोर-जोर से... आँआँहहह ओंओंओंहहहह हाँआआआ ऐसे ही... शाबाश मेरे शेर ओअहहह और तेज... पाद निकाल दे... सुनील... फक मॉय ऐस ओहहहह ओंओंहहह!”

सुनील अब बिना किसी परवाह के नफ़ीसा की गाँड में अपना लंड तेजी से अंदर-बाहर कर रहा था और बीच-बीच में नफ़ीसा की गाँड में से हवा बाहर निकल कर पुर्रर्र-पुर्रर्र की आवाज़ करती और सुनील की जाँघें नफ़ीसा के मोटे चूतड़ों के साथ टकराते हुए ठप-ठप की आवाज़ करती जो कमरे के अंदर नफ़ीसा की मस्ती भरी सिसकियों के साथ गूँजने लगी। थोड़ी ही देर में नफ़ीसा को अपनी गाँड और चूत के छेद में सरसराहट बढ़ती हुई महसूस हुई और फिर नफ़ीसा की चूत ने अपना लावा उगलना शुरू कर दिया। नफ़ीसा आगे की तरफ़ लुढ़क गयी और सुनील का गंदा सना हुआ लंड नफ़ीसा की गाँड से बाहर आकर हवा में झटके खाने लगा।

इस दौरान रशीदा ये सब देखते हुए अपनी चूत को रगड़ रही थी और जैसे ही उसने नफ़ीसा का काम होते देखा तो उसने नफ़ीसा की गाँड में से निकला और गंदगी से सना हुआ लंड लपक कर अपने मुँह में भर लिया और बड़े मज़े से उसे चूस कर साफ़ करने लगी। रशीदा की ये हरकत देखकर सुनील भौंचक्का रह गया लेकिन सुनील ने सोचा कि ये चुदैल मुसल्ली औरतें जब पेशाब पी सकती हैं तो फिर ये हर्कत भी उनसे अप्रत्याशित तो नहीं है। चार-पाँच मिनट में ही रशीदा ने उसका लंड चूस-चूस कर और चाटते हुए बिल्कुल साफ़ कर दिया। जितने मज़े और बेसाख्तगी से रशिदा ने नफ़ीसा की गाँड में से निकला गंदा लंड चूस कर साफ़ किया था उससे साफ़ ज़हिर था कि ये उसके लिये कोई नयी बात नहीं थी। सुनील का लंड वायग्रा के असर के कारण अभी भी अकड़ा हुआ था। सुनील पीठ के बल लेटा हुआ था और रशीदा भूखी कुत्तिया की तरह सुनील के ऊपर चढ़ गयी और जोशीले अंदाज़ में सुनील के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया और गप्प से सुनील के लंड पर अपनी चूत को दबाते हुए बैठ गयी। एक ही पल में सुनील का लंड नफ़ीसा के चूत की गहराइयों में समा चुका था।

“ओहहहह हाऽऽय अलाहऽऽ तेरा लौड़ा तो सच में बहोत बड़ा है सुनील... कमीना नाफ़ तक पहुँच गया महसूस हो रहा है!” रशीदा जोर से सिसकते हुए बोली। “क्यों आपको अच्छा नहीं लगा...” सुनील ने पूछा तो रशीदा उसकी आँखों में झाँकती हुई बोली, “ओहहहह सुनीईईल... ऐसा लौड़ा हासिल करने के लिये ना जाने कितनी मुद्दत से तरस रही थी... काश कि तू दस साल पहले ही मेरी जवानी में मिला होता... ओहहह सुनील... तेरे जैसे अनकटे लंड वाले लड़के से चुदने का मज़ा ही कुछ और है...!”

“तो अब आप कौन सा बुड्ढी हो गयी हो... एक दम सैक्सी और हॉट हो आप!” सुनील बोला तो रशीदा ने कहा, “अरे मेरी जान... तेरी उम्र का मेरा बेटा है...!” रशीदा ने अपने हाथों को सुनील की चौड़ी छाती पर रखा और अपनी गाँड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। सुनील का लंड रशीदा की पनियाई हुई चूत में रगड़ खाता हुआ अंदर-बाहर होने लगा। अपनी चूत और गाँड दोनों चुदवा चुकी नफ़ीसा अपनी सहेली रशीदा के पेशाब से भरा गिलास होंठों से लगा कर सिप करती हुई अपनी नशीली आँखों से उन दोनों को देख कर फिर से सुरूर और मस्ती में आने लगी थी। सुनील रशीदा की चूत में अपना लंड पेलते हुए उसकी गाँड को अपने हाथों से दबा-दबा कर मसलने लगा। नफ़ीसा ने गिलास में भरा रशीदा का सारा मूत पीने के बाद खाली गिलास साइड-टेबल पे रखा और अपने होंठों पे ज़ुबान फिराती हुई वो रशीदा के पीछे आ गयी और बोली, “सुनील चल इस साली राँड की गाँड को खोल दे तो मैं इसकी गाँड को नरम कर दूँ... फिर इसकी गाँड का ढोल भी तो बजाना है..!”
 
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