vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी - Page 2 - SexBaba
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vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी

मैं और बहु शाम ५ ओ क्लॉक शॉपिंग के लिए अपनी मारुती स्विफ्ट में निकल गये। बहु मेरे बगल वाली सीट पे डार्क ग्रीन कलर के साड़ी पहने बैठी थी, मैंने नोटिस किया की बहु ने काफी सादगी से साड़ी पहने थी उसकी नवेल बिलकुल नज़र नहीं आ रही थी और साइड से उसके थोड़े से खुले हुए पेट् नज़र आ रहे थे। घर पे मेरी बहु एसे साड़ी को काफी नीचे पहेनती थी और उसकी नवेल साफ़ साफ़ नज़र आती थी। बहु के इस दोहरे चरित्र को देख मुझे बहुत अच्छा लगा, ऐसा लगा जैसे बहु को घर पे मुझे अपना बदन दिखाने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती या शायद उसे मुझे अपना बदन दिखाना अच्छा लगता है। वहीँ बाहर वो एक घरेलु स्त्री की तरह सादगी से रहती है।

बहु सीट पे बैठे हुए सामान के लिस्ट निकाल दोहराने लगी और मैंने अपनी कार एक मॉल के तरफ मोड़ लिया। मैं गाडी पार्किंग में लगा के बहु को फॉलो करने लगा। बहु ने अपने बदन को साड़ी में तो ढक लिया था लेकिन वो अपने सेक्सी फिगर ३४-३०-३८ को नहीं छुपा पा रही थी और साड़ी में उसके बड़ा-बड़े हिप्स किस्सी को भी पागल बना सकते थे।

मॉल में हर उम्र के लोग एक बार मुड के मेरी बहु के मटकती गांड को जरूर देखते। लगभग सभी सामान लेने के बाद एन्ड में हमदोनो लेडीज सेक्शन में ब्रा और पैंटी लेने पहुचे। मेरी चारो तरफ लेडीज के अंडरर्गारमेंट लटके थे मेरे अलावा वहां सभी लड़कियां शॉपिंग कर रही थी। 

बहु ने कुछ कलरफुल ब्रा और पेंटी सर्च करने लगी मैंने भी हेल्प करना चाहा तो बहु ने अपना साइज बताते हुये मुझे ३४ साइज ढूंढने के लिए बोला। मैं २-३ ब्रा उठा कर बहु के तरफ बढाया। 

सरोज - ओह पापा ये ब्रा तो अछि लग रही है लेकिन ये ३४ब है

मै - ३४ब, बहु तुमने ३४ ही तो बोला था।

सरोज - हाँ लेकिन मुझे कप साइज डी चहिये।

मै - तो क्या ३४ब छोटा साइज है?

सरोज - (अपने हाथो को अपने बूब्स के तरफ दीखते हुए।) साइज सेम है बाबूजी लेकिन ३४डी का कप बड़ा होता है ।

मै - बहु के बूब्स को घूरते हुये। ओके मैं लाता हूं

कुछ ब्रा पैंटी लेने के बाद मैं और बहु घर आ गये।।

थोड़ी देर बाद।।। बहु कमरे से मुझे आवाज़ लगाने लगी।।।

सरोज - बाबूजी।। बाबूजी

मै - क्या हुआ बहु?

बहु अपने कमरे में अपनी ग्रीन साड़ी उतार रही थी और नए कपडे ट्राई करना चाहती थी।। 



(थोड़ी देर में मैंने देखा बहु ग्रीन कलर ब्लाउज और डार्क ब्राउन कलर का ट्रैक पेंट पहने मेरे सामने खड़ी है।। सिर्फ ब्लाउज और ट्रैक पेंट में बहु बहुत ही ज्यादा हॉट लग रही थी। उसके डीप नवेल पूरे खुले हुवे थे।।)

सरोज - बाबूजी।।। ये ट्रैक पेंट तो बहुत टाइट है, मैंने कमर के साइज ३० देख के लिया था। लेकिन यहाँ मेरी जाँघो पे पैंट बहुत टाइट है।।

मै - (टाइट ट्रैक पैंट में बहु की जांघें कसी-कसी थी और उसकी चूत के उभार भी साफ़ नज़र आ रहे थे।। ) हाँ बहु ये तो टाइट है।। लेकिन इसमे तुम्हारी जांघे अच्छी दिख रही है (मैंने मुस्कराते हुए कहा।)

सरोज - बाबूजी, मैंने ये ट्रैक पैंट बिना पैन्टी के पहनी है फिर भी ये इतनी टाइट है।। तो पैन्टी पहनने के बाद और टाइट हो जाएगी।

मै - (बिना पैन्टी के??? बहु के बात सुनते हे मैंने अपनी नज़र उसकी चूत पे गडा ली। ओह बहु के चूत के बीच की लाइन साफ नज़र आ रही थी।। मेरा लंड खड़ा होने लगा।)

सरोज - (उदास होते हुये।।) मुझे सारे कपडे ट्राई कर के लेने चाहिए थे।

मै - कोई बात नहीं बहु दूसरा ले लेंगे तुम बाकी के कपडे भी ट्राई कर के देख लो ब्रा और पैन्टी भी कहीं वो तो छोटी नहीं है?

सरोज - ठीक है बाबू जी आप यहीं बेड पे बैठिये मैं बाकी के कपडे ट्राई करती हूँ।
 
मै बेड पे बैठ गया, और बहु पीछे मुड कर अपनी ब्लाउज उतारने लगी।। और अब ब्रा भी खोल दिया। उसकी नंगी पीठ मेरे सामने थी 

सरोज - बाबू जी।। वो रेड वाली ब्रा दिजिये न पहले।

मै बैग से उसकी रेड ब्रा निकाल के बहु के तरफ बढाया।। सरोज मेरे सामने ब्रा पहन रही थी। मैं सोचने लगा की बहु के सामने से बूब्स अभी कैसे दिख रहे होंगे। मैं दिवार के तरफ पिलो लगा कर बैठा था बहु को ऐसे अधनंगा देख मेरा लंड रगडने का मन करने लगा।

मैं बेड पे रखी ब्लैंकेट को खीच उसके अंदर घुस गया और अपना लोअर नीचे कर लंड को मसलने लगा।। 

बहु बिना मेरी तरफ मुड़े अपनी पैन्टी भी मांगा, मैंने एक हाथ से पैन्टी उठा के उसकी तरफ बढ़ाया मेरा एक हाथ अभी भी लंड को मसल रहा था। बहु एक टॉवल लपेट अपनी ट्रैक पेंट उतार बेड पे फेंक दी और पैर उठा के पेंटी पहनने लगी। मैं तेजी से मुठ मार रहा था। बहु पेंटी और ब्रा पहनने के बाद टॉवल को नीचे गिरा दिया और मेरी तरफ मुड गई।

मेरी तो जैसे साँस ही अटक गई।। मेरी जवान बहु अपने भरे-भरे बदन को सिर्फ एक रेड कलर के ब्रा और पैन्टी में ढके मेरे सामने खड़ी थी।। 



मैने अपना हाथ स्लो कर दिया ताकि बहु को पता न चले के मैं ब्लैंकेट के अंदर मुठ मर रहा हू।।

सरोज - कैसी लग रही हूँ बाबूजी।।

मै - (मेरी साँसे तेज़ थी।।) बहुत अच्छी लग रही हो बहु।। लाल कलर के ब्रा पैन्टी में बहुत गोरी लग रही हो । और तुम्हारी जांघे कितनी मोटी, चिकनी और मांसल हैं बहु।। (ऐसा कहते हुए मैं आँख बंद कर अपने लंड का स्किन पूरा खोल ३-४ बार जोर से स्ट्रोक दिया।)

सरोज - (हँसते हुवे।। ) सच्ची बाबूजी।। मुझे भी इसकी कलर बहुत पसंद है।। आपको ठण्ड लग रही है क्या? आपने ब्लैंकेट क्यों ले लिया? 

मै - हाँ बहु थोड़ी ठण्ड लग रही थी। (मैं बहु की सेक्सी स्ट्रक्चर देख तेज़ी से मस्टरबैट करने लगा।।) 

सरोज - क्या हुवा बाबू जी? आपके हाथों को ? इतना क्यों हिल रहे हैं?


मै - कुछ नहीं बहु तुम्हारे कमरे में मच्छर (मॉस्क्वीटो) ज्यादा है, पैर पे कोई मच्छर ने काट लिया शायद।। (मैंने खुजलाने के बहाने और तेज़ी से लंड हिलाने लगा और बस थोड़ी देर में ब्लैंकेट के अंदर मेरे लंड से गाढ़ा पानी निकल गया।। )

सरोज - हाँ बाबूजी मच्छर तो ज्यादा है यहाँ। मैं गुड नाईट लगा देति हूं।। (बहु मेरे सामने ब्रा पैन्टी में अपनी गांड मटकाते हुए स्विच के तरफ गई और गुड नाईट लगाने लगी।।)

मै मौका देख तुरंत अपना लंड अंडरवियर के अंदर वापस डाल लिया।
सरोज बेड के ऊपर आ गई और घुटने पे मेरे सामने बैठ अपने ब्रा को छूते हुये बोली। 

सरोज - बाबूजी।। इस ब्रा की क्वालिटी कितनी अच्छी है न?
 
मै- (मैं बहु के पास आया और अपने हाथ बहु के काँधे के पास ब्रा को छूते हुए ।बोला) हाँ बहु ये तो बहुत अच्छा है।
मैन धीरे से अपना हाथ नीचे ले आया और।। साइड से बहु के ब्रा के अंदर हाथ ड़ालते हुये ब्रा के कपडे को छूने लगा।।मेरी उंगलियाँ बहु की नंगी बूब्स को महसूस कर रही थी।

सरोज - बाबूजी ब्रा तो मुझे बहुत पसंद आयी है लेकिन पेंटी उतनी सॉफ्ट नहीं है और स्टीचिंग भी अच्छी नहीं है देखिये न साइड से धागे (थ्रेड) निकल रहे है। (बहु ने एक छोटी सी थ्रेड पकड़ के कहा)

मै - बहु सब थ्रेड को काट दो नहीं तो स्टीचिंग खुल जाएगी।। कुछ काटने के लिए है बहु?

सरोज - नहीं बाबू जी।। यहाँ तो कुछ नहीं है।।

मै - बहु तुम थोड़ा पास आओ तो मैं अपने दांतो से काट देता हू।

सरोज - ठीक है बाबूजी।। (बहु ने थोड़ा ऊपर होते हुये अपनी पेंटी मेरे चेहरे के पास लायी।

मैने अपने हाथ बहु के ब्रा से निकल।। बहु के नंगी कमर और गांड पे रख दिया और झुक कर अपनी तरफ पुल्ल किया। बहु अपनी लेफ्ट हाथ बेड पे रख अपनी कमर को मेरे मुह के पास ले आयी। मैंने धीरे से अपने होठ बहु के इनर थाइस के पास ले गया और थ्रेड काटने की कोशिश करने लगा। 

मै- बहु और पास आओ।।(मैं अपना राइट हैंड बहु के गांड से हटा के बहु के पेंटी के साइड में ऊँगली ड़ालते हुये अपनी तरफ पुल्ल किया।। मुझे बहु के चूत की साइड के हलकी-हलकी बाल महसूस हुई।।।)
सरोज अब अपनी चूत को मेरे नाक के पास ले आयी।। पैंटी की साइड से चुत नज़र आ रही थी मैं अपने नोज को बहु के चूत के काफी क़रीब ले गया।। बहु के चूत की स्मेल मुझे पागल कर रही थी।।

मैने बहु के पेंटी साइड से हटा कर थ्रेड काटने लगा, मेरी उंगलिया बहु के गरम चूत से रगड खा रही थी। एक-दो बार मैंने थ्रेड काटने के बहाने अपने होठ बहु के चूत पे रगड दिए।। धीरे-धीरे बहु बेड पे लेट गई और मैं उसके थाइस के बीचे में उसकी चूत के स्मेल का मजा ले रहा था। बहु के आँखें बंद थी। 

सरोज - (अपनी टाँगे फैला दी और मेरे बाल पकड़ते हुए अपनी चूत के पास खीचा।।और बोली) आह।। बाबूजी।। संभल के सारे थ्रेड काट दिजिये बाबूजी।।
 
बहु के आवज़ में कुछ नशा सा था। मैं पैंटी को साइड से खीच के बहु के चूत को नंगा कर दिया।। अबतक बहु की चूत गिली हो गई थी।। मैंने अपनी एक ऊँगली बहु के चूत के बीच रखा।। ये क्या बहु के चूत एकदम गरम और मक्ख़न की तरह मुलायम थी।।

बहु के बुर(चूत) से पानी निकल रहा था। जिससे मेरी ऊँगली गिली हो गई। उसके चूत की महक ने मुझे पागल बना दिया, मैं ऊँगली से छुइ को खोल अपने जीभ से बहु के बुर(चूत) २-३ बार चाट लिया। 

सरोज - (अपनी चूत को पीछे करते हुए।।) बाबूजी।।।। ये आपने थ्रेड काट दी सारी?

मै - (अपना चेहरा ऊपर करते हुए।) हाँ बहु।। वो नीचे थोड़ा गिला होने के वजह से थ्रेड चिपक गया था। इसलिए मैंने जीभ से निकाल के काट दिया।

मेरे होठ और मुह पे बहु के चूत का पानी लगा था।। मैं उसे पोंछते हुए मुस्कराते हुये बोला।

तभी बेड के किनारे रखे बहु का मोबाइल बजा।। बहु ने हाथ बढा के सेल फ़ोन उठाया।। और अपनी पेंटी ठीक कर बिस्तर पे बैठ गई। 

सरोज - (सेल फ़ोन देखते हुए।।) बाबूजी मनीष का फ़ोन है।।

अपने मन में मैं अपने बेटे को गाली दे रहा था। कैसे गलत टाइम पे फ़ोन किया मेरी बहु के पास। शायद मैं कुछ देर और बहु की बुर(चूत) चाट पाता।
 
बहु मनीष से फ़ोन पे बात करते हुए।।

सरोज - हेलो मनीष कैसे हो आप?

सरोज - ठीक हूं।। नहीं ।अभी शॉपिंग कर के आयी हूँ।। अपने कमरे में हूँ।

सरोज - बाबूजी ठीक है।। यहीं है। 

सरोज - कुछ नहि।। यूँ ही मैं और बाबूजी बातें कर रहे थे 



मै बहु के बेड पे बैठा बहु और मनीष की बातें सुन रहा था। बहु ने मनीष से बस ये बोली की मैं और बहु बातें कर रहे थे।। लेकिन सच्चाई तो कुछ और है।

बहु को झूठ बोलता देख मैंने राहत की साँस ली, इसका मतलब मेरे और बहु के बीच अभी जो भी हो रहा था मनीष को इस बात का कभी पता नहीं चलेगा।

सरोज - ओके।।मनीष में शाम को कॉल करती हूँ अभी कुकिंग करनी है

बहु ने फ़ोन काट दिया और बेड पे रखे पेंट टीशर्ट पहनते हुये मुझसे बोली।।

सरोज - बाबूजी मैं कुछ डिनर बना देती हूं।। आज रात आप अपने कमरे में सोयेंगे या मेरे कमरे में।।? एक्चुअली रात को मैं मनीष से बात करुँगी।।



मै - ठीक है बहु मैं अपने कमरे में सोउंगा। 

बहु कमरे से बाहर चलि गई, मैंने बेड पे गिरि अपने मुट्ठ को बहु के साड़ी से पोंछ दिया लेकिन निशान नहीं मिटा। मैं वेसे छोड़ के कमरे के बाहर आ गया।

रात में डिनर के बाद मैं अपने कमरे में लेटा था।आज जो भी हुआ उसके लिए मैं अपने लक पे बहुत खुश था। आज़ मुझे अपनी ही जवान बहु के बुर(चूत ) चाटने का मौका मिला था। मैं बहु के बारे में सोच मुठ मार कर सो गया।

सूबह क़रीब ६ बजे शमशेर ने डोर पे नॉक किया।। मैंने दरवाजा खोला और शमशेर मेरे पीछे कमरे तक आ गया।।

मै - समशेर तुम ५ मिनट वेट करो मैं अभी आता हू।
शमशेर -(बेड पे बैठा हुआ।। ) हाँ मैं वेट करता हूँ जल्दी आओ। बहु चलेगी?

मै - हाँ 

थोड़ि देर बाद मैं जब कमरे में आया तो देखा। शमशेर बेड पे आँखे गड़ाए हुए था। मुझे कमरे में आता देख।।।

शमशेर- देसाईजी। ये क्या है बेड के बीच में?

मै - (अनजान बनते हुए।। ) पता नही

शमशेर - देसाई।।। झूठ मत बोल।। सच बता ये तेरी रात की करतूत है न?

मै - क्या बोल रहे हो?

शमशेर - मैं अच्छी तरह जानता हूँ ये क्या है? बोल सच सच?

मै - हा।।मेरी मूठ है 

शमशेर - देसाई।। ऐसा क्या हुआ कल जो तूने बेड पे मास्टरबैट कर लिया।। सच बोल

मै- कुछ नहीं बस ऐसे ही मन किया

शमशेर - किसके बारे में सोच के किया? बोल?

मै - तू जानता है यार। (मैंने टॉवल से मुह पोछते हुए बोला।।)

शमशेर - क्या तूने सरोज।। मतलब अपनी बहु के बारे में सोच मास्टरबैट किया? 

मै - (गर्दन झुकाते हुवे।।) हाँ

शमशेर - वो।।। देसाई 

शमशेर - तेरी बहु है ही ऐसी । देखा आखिर तूने भी उसके नाम की मूठ मार ही डाली। साली है हे ऐसे चीज़।। उसके बारे में सोच तो मैं रोज़ मूठ मारता हूँ 

ओ भी २-३ बार एक दिन में।।
 
मै - सच कह रहा है तु।। मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं होता उसकी भरी जवानी देख कर।

शमशेर - तो कितनी बार मास्टरबैट करता है।। ? कभी उस के सामने रह कर किया?

मै - सच कहूं तो मैं ६ से ७ बार एक दिन में मुट्ठ मारता हूं।। और कई बार बहु के बेड पे भी गिराया है।।

शमशेर - देसाई क्या बोल रहा है।।। बहु के बेड पर???? ( मैंने देखा शमशेर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था। ) 

हा - बहु की बड़ी बड़ी चूचियां, उसकी मांसल जाँघें और मोटी गांड मेरे दिमाग में रात दिन घूमति हैं और मैं मुठ मारने पे मजबूर हो जाता हूँ।। 

(मैं अपने लंड को एडजस्ट करते हुए बोला)

शमशेर - न जाने कितने लोग तेरी बहु को देख मुट्ठ मारते होंगे।। तू किस्मत वाला है जो वो तेरे सामने है कभी मुझे भी उसके अधखुले जिस्म का मजा उठाने दे। 
कभि मैं भी उसको सामने देख मुठ मारूँगा।। (ये कहते हुए शमशेर लोअर के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा)

शमशेर - साली तेरी बहु का नाम लेते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है।। आज तो उसकी गांड देख के मूठ मारने का मन है।। देसाई कुछ करो प्लिज। 

मै न जाने क्यों चाहता था की शमशेर भी मेरी बहु के साथ मजे ले और मैं बहु और शमशेर को मस्ती करते देखुं। मैं बहु को रंडी बनते देखना चाहता था। 

मैने शमशेर को बोला के वो चाहे तो २-३ दिन मेरे घर रुक सकता है और मैं बहु से कह दूंगा के तुम्हारे गाओं से कुछ मेहमान आये हैं और तुम मेरे घर पे रहोगे। शमशेर खुश हो गया।

शमशेर - बहु अपने कमरे में सो रही है क्या?

मै - हाँ अभी सो रही होगी, मैं उठाता हू।

शमशेर - रुक मैं भी आता हूं।। मैं देखूँ बहु सोती कैसे है?

मै और शमशेर बहु के कमरे में गये। कमरे में बहु केवल एक वाइट कलर ब्रा पहने और ब्लैंकेट के अंदर सो रही थी। हमदोनों को उसकी नंगी पीठ और नवेल नज़र आ रही थी। 

शमशेर की नज़र लगातार बहु के नवेल पे थी। मैंने बहु को उठाया।। थोड़ी देर बाद मैंने शमशेर के बारे में भी बहु को बता दिया।

दोपहर में बहु किचन में थी, मैं और शमशेर टीवी देख रहे थे। शमशेर बार बार किचन में बहु को देख रहा था बहु के नवेल और पेट थोड़े से खुले थे 

जीसको देख शमशेर अपने लंड मसल रहा था। 

शमशेर - देसाई।। दिल करता है लंड बाहर निकाल के तेरी बहु के गांड और नंगी कमर देखते हुए मास्टरबैट करूँ ।

मै - पागल हो गया है तू? यहाँ ?

शमशेर - हा।। तूने तो बहुत मज़े लिए हैं अब मुझे उसकी गांड का मजा लेने दे।

इससे पहले मैं कुछ कह पता शमशेर ने अपना विशाल लंड बाहर निकल लिया, और स्किन नीचे कर ऊपर नीचे रगडने लगा। मेरे सामने मेरी बहु को देख एक पडोसी मुठ मार रहा था।। मुझे सोच के इरेक्शन होने लगा। मैंने देखा शमशेर का लंड बहुत बड़ा था और उसमे से काफी स्मेल आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे उसके लंड की स्मेल पूरे कमरे में फैल जाएगी।। थोड़ी देर में शमशेर के लंड का पानी सोफ़े और टेबल पे निकल गया। शमशेर को मैंने बहु की ब्रा लाके दी तब उसने अपना मुट्ठ साफ़ किया।
 
बहु आयी और बोली 

सरोज - बाबूजी यहाँ कुछ अजीब सी स्मेल आ रही है

शमशेर - बेटा मेरे हाथ से आ रहा होगा।। (शमशेर जिस हाथ से अपना लंड मसल रहा था। उसी हाथ को बहु की नाक के पास लगा दिया) 

सरोज - हाँ अंकल आपके हाथ में से स्मेल आ रही है।। किस चीज़ की स्मेल है? अजीब सी है कुछ जानी पहचानी भी। लेकिन स्मेल अच्छी है।।

शमशेर - बेटा ये स्मेल मेरे फैक्ट्री में लगे केमिकल की है। तुम्हे अच्छा लगता है तो तुम रोज मेरा हाथ स्मेल कर सकती हो।।

सरोज - ओके अंकल
बहु को शमशेर के लंड की महक लेते देख मेरा लंड फडकने लगा।।लंच करते वक़्त मैं टेबल के नीचे एक हाथ से लंड निकाला। बहु के टाइट ब्लाउज में चूचि देख मुठ मारने लगा और फर्श पे पानी निकाल दिया। 



सूबह से बहु मेरा और शमशेर दोनों के लंड का पानी निकाल चुकी थी।।
 
शाम को बहु रेड कलर की साड़ी पहने किचन में बर्तन धुल रही थी। मैं किचन में उसके पीछे एक टीशर्ट और लोअर पहने चाय की प्यालि लिए खड़ा बहु से बातें कर रहा था।। 

सरोज - (अपनी साड़ी के पल्लू को कमर में खोसति हुई।।) बाबूजी।। आज रात शमशेर अंकल यहीं रुकेंगे?

मै - हाँ बहु।।

सरोज - ठीक।। अगर ऐसा है तो मैं आपका कमरा ठीक कर देती हूं, उनको वहीँ कमरे में सोने दिजिये और आप मेरे कमरे में सो जाइये।

मै - ठीक है बहु जैसा तुम्हे ठीक लगे।

सरोज - कमरा थोड़ा साफ़ करना पडेगा।।चीज़ें बिखरी पड़ी हैं बहुत दिन से हमलोगों ने साफ़ नहीं किया। मैंने बर्तन धूल लिए हैं आप अगर मेरी थोड़ी सी मदद कर दें तो मैं जल्दी से कमरा साफ़ कर दूँगी।

मै - (बहु के खुली चिकनी कमर को देखते हुए।) हाँ बहु क्यों नही।। 

किचेन से निकल कर मैं और बहु मेरे कमरे में जाते हैं और बिखरे पड़े सामान को ठीक करने लगते है।।

सरोज - बाबूजी।। यहाँ रखे पुराने सामान को मैं ऊपर वुडेन कवर में रख देति हूं, बहुत सारा स्पेस हो जायेगा कमरे में।

मै - हाँ बहु रुको मैं कोई चेयर लगता हूं, जिसपे तुम चढ़ के सामान रख सको।

सरोज - अच्छा बाबूजी।।

मैन डाइनिंग हॉल से एक प्लास्टिक के चेयर लाया और कमरे में बेड के पास लगा दिया। 

मैन - बहु तुम इस चेयर पे चढ़ जाओ और बॉक्स ऊपर रख दो।। और संभल के चढ़ना बेटी।।

सरोज - जी बाबूजी।

बहु ने एक बार फिर अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी कमर में बांधे और अपनी पूरी तरह से खुली नवेल को बेशरमी से दिखाती हुई चेयर पे चढ़ गई। 



सरोज - बाबूजी।। मुझे होल्ड करिये मैं गिर जॉंउगी, मैं कोशिश करती हूँ बॉक्स को ऊपर ड़ालने की।।

मै बहु के बिलकुल सामने था, उसकी नवेल मेरे फेस के पास थी। मैंने अपने दोनों हाथों से बहु के बड़ी सी हिप्स को घेर लिया, और अपनी हथेली से बहु के नर्म मुलायम गांड को साड़ी के ऊपर से दबा दिया। 

बहु - आह बाबूजी।। थोड़ा ऊपर को पुश कीजिये मेरे हाथ लगभग पहुच गया है।

मैने बहु के बड़ी गांड को कस्स के दबाते हुवे ऊपर उठा दिया और अपना फेस बहु के डीप सॉफ्ट नवेल(नाभि) में चिपका लिया।। मेरे गाल और होठ बहु के नवेल से टच हो रहे थे।। मैंने बहाने से अपने होठ बहु के नवेल पे रगड दिए।

अभि २ मिनट हे हुए थे की तभी, पावर कट हो गया।। शाम हो चुकी थे और इस वजह से कमरे में अँधेरा छा गया। 

सरोज - हो गया बाबूजी, अब मुझे धीरे से नीचे उतारिये प्लीज।। मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रह था।।

मै - ठीक है बहु।। (कहते हुए मैंने हाथ के घेरे को ढीला किया और बहु को नीचे आने दिया।। )

अंधेरे में मैं अपने हाथ धीरे-धीरे बहु के गांड से होती हुये उसकी नंगी कमर को महसूस कर पा रहा था। सामने के तरफ मेरे फेस उसकी नवेल से होता हुआ अब उसके बूब्स के काफी क़रीब आ चूका था। नीचे आते वक़्त बहु के घुटने (कनी) से मेरा लोअर और अंडरवियर नीचे की तरफ खिच गया और मेरा खड़ा लंड पूरी तरह से बाहर निकल गया। 

एससे पहले की मैं संभल पाता बहु चेयर से उतारते ही अपना बैलेंस खो बैठी और जमीन पे झुकते ही उसके नर्म होठ मेरे लंड से कस के रगड खा गई। 

मैने अँधेरे में उसके गीले होठ को साफ़ अपने लंड पे महसूस किया।।। मैंने बिना कोई मौका गवाये अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुये जानबूझ कर बैलेंस खोने का नाटक किया और एक हाथ से लंड का स्किन नीचे खोल बहु के मुह में डाल दिया। बहु की गरम साँस और मुह के अंदर के लार (सैल्विया) का स्पर्श पा कर मेरे लंड से थोड़ा सा पानी निकल गया।।।
 
सरोज - बाबुजी।।। (कहते हुए अपने हाथ मेरी टाँगो पे रख दिया और लंड को अपने मुह में और अंदर जाने से रोक लिया)

मै - ओह बहु।।।सॉरी (कहते हुए अपने लंड को बहु के मुह से निकाल लिया।।) 

लेकिन इतना सब होने के बाद मेरे अंदर इतना कण्ट्रोल नहीं था की मैं रुक पाता।। लंड बहु के मुह से बाहर आते ही फच-फच के आवाज के साथ ढेर सारा पानी मेरे लंड से निकल गया। मेरे लंड का पानी बहु के चेहरे, गर्दन और शायद बूब्स पे पड़े और बाकी फर्श पर।। बहु का चेहरा मेरे लंड के पानी से भीग गया था।।

[size=large]मैने अपने लंड को अंदर अपने लोअर में छिपा लिया। 
[/size]



थोडी देर के लिए कमरे में सन्नाटा था हमदोनो में से किसी ने कुछ नहीं कहा। बहु ने अपने आँचल से अपना चेहरा साफ़ किया और उठ के खड़ी हो गई। मैं भी बहु से बिना नज़रें मिलाये बिस्तर के तरफ बढ़ गया। बहु ने अँधेरे में फर्श पे गिरी मेरे मुठ को देखने की कोशिश की और फिर बगल के कमरे से एक कपडा लाकर फर्श पोंछने लगी। मैं वहीँ खड़ा बहु को देखता रहा। बहु ने चुप्पी तोड़ने के लिए मुझसे रिक्वेस्ट की।।



सरोज - बाबूजी।। ये चेयर हॉल में रख दिजिये न प्लीज



मै - अच्छा बहु।। 


[size=large]मैने चेयर वापस हॉल में रख दिया।। (मैंने थोड़ी राहत की साँस लिया, जो कुछ भी हुआ उसके रिएक्शन से साफ़ नज़र आ रहा था की बहु को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा और अब वो नार्मल हो चुकी थी।[/size]
 
रात को मैं, बहु और शमशेर डिनर करने के बाद बिस्तर पे बैठे बातें कर रहे थे।।।

शमशेर - लगता है आज सारी रात पावर नहीं आएगी, बहु को कैंडल के रौशनी में डिनर बनाने में काफी तकलीफ हुई होगी न?

सरोज - नहीं अंकल मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई, इस मोहल्ले में शम को लाइट जाना तो आम बात है।

मै - हाँ शमशीर, हमारे घर का पावर बैकअप भी ख़राब पड़ा है कल मैं उसे बाजार में ठीक कराने की कोशिश करता हूं, देखो अब तो सारे कैंडल भी ख़तम हो जाएंगे। बहु और कैंडल हैं? 

सरोज - नहीं बाबूजी।। और कैंडल नहीं है।

शमशेर - (मुझे आँखों से इशारा करते हुए।। ) शायद बहु बहुत ज़्यादा कैंडल यूज करती है।। (शमशेर जानबूझ कर डबल मीनिंग में बातें की)

सरोज - हाँ अंकल मैं तो बहुत सारे कैंडल यूज करती हू।।। कैंडल भी पतले हैं तो ज्यादा देर तक नहीं चलते।। मोटा होता तो अच्छा होता

मैन - बहु तुम्हे मोटा कैंडल चाहिए तो मैं ला दूंगा।

शमशेर - मेरा कैंडल बहुत मोटा है बहु तुम्हे चाहिए तो मैं दे दूंगा।। मेरा मतलब मुझे घर से लाना होगा।।

शमशेर - वैसे बहु तुम कैंडल के अलावा और क्या-क्या यूज करती हो? (शमशेर फिर से गन्दी टॉक करते हुए।।) 

सरोज - अंकल जी में।। ज्यादा तो कैंडल ही यूज करती हूँ कभी कभी किचन में अपना मोबाइल भी यूज कर लेती हूं।। उसमे टोर्च है न।।
शमशेर - बहु।।। तुम बाबूजी का मोबाइल क्यों नहीं यूज करती।।? वो बड़ा भी है और उसकी रौशनी भी ज्यादा है।

शमशेर - वैसे बहु तुम्हे मोबाइल से ज्यादा मजा आता है या कैंडल से?? मेरा मतलब आसान क्या है? 

शमशेर इस बार काफी खुल के डबल मीनिंग क्वेश्चन किया, और मुझे लगा शायद बहु को भी समझ आने लगा की क्या ये डबल मीनिंग बातें हो रही है।। लेकिन फिर भी बहु शायद जानबूझ कर बोली।।

सरोज - अंकल जी।। मुझे तो कैंडल यूज करने में ज्यादा मजा आता है।। 



बहु के मुँह से ऐसी बात सुन कर मेरा लंड खड़ा हो चूका था।। मैंने भी अपनी तरह से डबल मीनिंग जोड़ने के कोशिश की।।

मै - बहु क्या तुम रात में भी कैंडल उसे करती हो।।।? 

सरोज - हाँ बाबूजी मैं रात में मोटा कैंडल यूज करती हूँ ताकि देर तक चले।। वरना मुझे अँधेरे में डर लगता है।

मै - कोई बात नहीं बहु आज तो मैं तुम्हारे साथ ही सोउंगा तो आज तुम्हे किसी मोटे कैंडल की जरुरत नहीं पडेगी।। 

कुछ देर बात करने के बाद शमशेर सोने चला गया। मैं और बहु बैडरूम में आ गये।। बैडरूम में आने के साथ ही बहु ने मेरी तरफ प्यासी नज़रों से देखते हुए एक मादक अंगडाई ली। मैंने अपनी नज़र बहु के चेहरे से हटा कर उसके बड़े बूब्स को देखने लगा, उसकी अंगडाई देख कर ऐसा लगता था मानो बहु के दोनों चूचियां ब्लाउज का बटन तोड़ के बाहर आ जाएंगी। बहु ने अपना पल्लू निचे गिरा दिया और बोली।।

सरोज - बाबूजी आज कितनी गर्मी है कमरे में।।

मै बहु के नाभि देखने लगा, पल्लू उतरने से उसकी पेट पूरी नंगी हो चुकी थी और उसके गोरे पेट् और कमर अन्धेर में भी चमक रहे थे। मैंने भी अपनी टीशर्ट उतारते हुए कहा।। 

मै - हाँ बहु बहुत गर्मी है।। ( बहु के नंगी पेट देखकर लोअर में मेरा लंड खड़ा था।।)

सरोज - पता नहीं कब लाइट आएगी।। (बहु ने अपने ब्लाउज के ३ बटन खोल दिए )

मै - (मैं बहु की क्लीवेज को देखता रहा।।उसकी चूचियां ब्रा के अंदर से बाहर निकल आयीं थी।।) बहु।। तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो।।

सरोज - सच बाबूजी।। क्या अच्छा लगता है?
 
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