Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ - Page 19 - SexBaba
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Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ

जीशान लुबना को अपनी गोद में उठ लेता है और खुद बेड पर बैठ जाता है। लुबना दोनों टाँगे जीशान के इर्द-गिर्द लपेटकर उसके लण्ड पर बैठ जाती है। 

जीशान-“वहाँ मैं तुझसे निकाह करने वाला हूँ , अम्मी की मौजूदगी में…” 

ये सुनते ही लुबना की पलकें शर्म से झुकती चली जाती हैं। जीशान दोनों हाथों में लुबना के चूत ड़ों को हल्के से दबाता है। 

लुबना-“इशह… क्या कर रहे हैं?” 

जीशान-“करेगी ना मुझसे शादी लुबु?” 

लुबना अपने मुँह में जीशान का कान लेकर चूमती हुई धीरे से कहती है-“हाँ…” 

जीशान-“मुझे तुझसे कितनी मोहब्बत है लुब , ये मैं तुझसे उस दिन के बाद बताऊँगा?” 



लुबना-मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा। 

जीशान-मुझे कुछ चाहिए अभी। 

लुबना-क्या? 

जीशान-“ईई…” और वो अपना एक हाथ लुबना की शलवार के ऊपर रख देता है, उस हिस्से पर जहाँ लुबना की चूत छुपी हुई थी। 

लुबना की आँखें बंद हो जाती हैं-“सब कुछ आपका है जीशान … मगर मैं चाहती हूँ कि शादी के बाद आह्ह…” 

जीशान-तुझे मुझ पर यकीन है?” 

लुबना-खुद से भी ज्यादा। 

जीशान-“तो उतार इसे सब कुछ। एक भी चीज तेरे जिस्म पर नहीं रहनी चाहिए…” 

लुबना खड़ी हो जाती है और अपने भाई की आँखों में देखती हुई अपने सारे कपड़े उतारने लगती है। जीशान के कहने के मुताबिक वो अपने जिस्म पर एक भी चीज नहीं रखती। सिर से लेकर पाँव तक हुश्न की मलिका अपना सितम ढाने को तैयार थी, अपनी जान के लिए जान भी दे देने वाली लुबना के दिल में रत्ती बराबर भी डर नहीं था। 

जीशान उसे लेटा देता है और उसके ऊपर चढ़कर उसके होंठों को चूमते हुये गर्दन पर जीभ फेरते हुये नीचे चूत तक चला आता है। लुबना साँसें रोक कर एक-एक लम्हा जीने लगती है। जैसे ही जीशान का मुँह लुबना की चूत पर पड़ता है लुबना तड़प जाती है। 

लुबना-“भाई जान्न…” 

जीशान-“गलपप्प-गलपप्प… लुब तेरे जैसी हसीन मैंने नहीं देखा। ये हुश्न जानलेवा है मेरी जान… गलपप्प-गलपप्प…” 

लुबना-“हुश्न भी आपका, जिस्म भी आपका आह्ह… लुबना भी आपकी जीशान …” लुबना नहीं जानती थी कि जीशान अपनी पैंट उतार चुका है, वो तो अपनी आँखें बंद करके जीशान की जीभ को अपनी चूत के ऊपर घूमता हुआ महसूस करके मदहोश सी हो गई थी। 

जब जीशान घूमकर लुबना के चेहरे की तरफ आता है तब लुबना आँखें खोलकर देखती है। उसकी आँखों के सामने जीशान का लण्ड झूल रहा था, गुलाबी सुपाड़े पर चमकती हुई शबनम की बूँदें लिए जीशान का हसीन लण्ड देखकर लुबना खुद को रोक नहीं पाती और बिना कुछ सोचे, बिना कुछ बोले उस प्यार की होने वाली निशानी को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है। 

जीशान भी अपनी लुबना की टाँगों में सिर दबाए लुबना की गाण्ड के सुराख को और चूत के दाने को चाटने और काटने लगता है गलपप्प-गलपप्प। 

लुबना की चूत पर जीशान की गरम जीभ इस कदर आगे पीछे घूम रही थी कि लुबना को ऐसा लग रहा था जैसे जीशान उसे चाट नहीं रहा, बल्की चोद रहा है। लुबना बर्दाश्त नहीं कर पाती और जीशान के सिर को अपने हाथों से कस के पकड़कर कमर को जोर-जोर से आगे पीछे करती हुई जीशान के मुँह पर झड़ने लगती है। 

लुबना-“अह्ह्ह्ह… अम्मी जी आह्ह…” 

जीशान भी अपनी बहन को शायद अपना पानी पिलाना चाहता था। हालाँकि वो कुछ देर पहले अनुम और सोफिया की चूत में ढेर सारा पानी छोड़कर आया था, मगर लुबना के मुँह का ह कमाल था कि जीशान फिर से उसके मुँह में झड़ने लगता है, और लुबना एक-एक कतरा पीती चली जाती है। 

थोड़े देर बाद जीशान लुबना को पेकिंग करने का कहकर वहाँ से अपने रूम में चला जाता है। 
 
रात के खाने के वक्त जीशान घर की सभी औरतों के सामने बताता है कि उसे 7 दिन के लिए यू ॰के॰ जाना है और अनुम और लुबना को भी साथ ले जाना है। अनुम और लुबना के नाम से ही प्रॉपर्टी खरीदा था जीशान ने। इसलिए उन दोनों का वहाँ रहना ज़रूरी था। 

सभी ये सुनकर बेहद खुश होते हैं, और रात में अनुम और लुबना पेकिंग करके सुबह होने का बेसब्री से इंतजार करने लगते हैं। अनुम के लिए तो ये हनीमून जैसा एहसास था, और लुबना अपनी शादी के ख्याल से ही खुश हो उठी थी। 

सुबह 9:00 बजे जीशान, अनुम और लुबना रज़िया और सोफिया से मिलकर इग्लेंड के लिए रवाना हो जाते हैं सफर थका देने वाला था। कई घंटों के सफर के बाद तीनों यू॰के॰ पहुँच जाते हैं। वहाँ जीशान का एक दोस्त उन्हें रिसीव करने आता है, और तीनों उसके साथ एक होटेल में चले जाते हैं। 

जीशान कल अपने नये घर और फॅक्टरी देखने जाने वाला था। वो सभी बहुत थक चुके थे। रात का खाना खाने के बाद तीनों एक बेडरूम में सो जाते हैं। किसी में भी इतने ताकत नहीं बची थी कि कपड़े भी चेंज करे। 

सुबह जब लुबना की आँख खुलती है तो उसे बेड पर जीशान और अनुम नजर नहीं आते। वो मुँह में ब्रश करती हुई बाथरूम में चली जाती है और दरवाजा खोलते ही उसकी आँखें चकाचौंध हो जाती हैं। 

सामने अनुम झुकी हुई थी और जीशान नीचे से नंगा उसकी चूत चाट रहा था। 

लुबना ये देखकर वहीं रुक जाती है। 

अनुम-“आजी बस भी करिये, चूत में आग लगी हुई है हाँ…” 


जीशान-“चुप कर साली … मीठी चूत से दिल नहीं भरता मेरा गलपप्प…” 

अनुम-“आपको मेरी कसम चोदिये ना आह्ह… आपने कल से नहीं मुझे किए आह्ह… अम्मी जी…” 

जीशान-“ए… यहाँ कहाँ तेरी अम्मी आएगी। यहाँ बस मैं तू और मेरे होने वाली बीवी लुबना है। तुम दोनों का हनीमून ट्रिप है ये। तुम दोनों को तो पूरे 7 दिन नंगा रखने वाला हूँ मैं गलपप्प-गलपप्प…” 

अनुम-“कुछ भी करिये, कैसे भी रखिए मगर आह्ह…” 

वो रुक जाते हैं क्योंकी जीशान पीछे से अपना लण्ड उसकी एक टाँग उठाकर चूत के अंदर घुसा देता है। 

अनुम-“मर गई जी…” 

जीशान-“चीख साली … बहुत चुदक्कड़ औरत है तू अनुम आह्ह…” 

अनुम-“मैं कहाँ थी? सब आपने ले लेकर मेरी , मुझे ऐसा कर दिया…” 

जीशान-“क्या ले लेकर जान्न? हाँ आह्ह…” 

अनुम-“मेरी चूत और गाण्ड लेकर आह्ह… आराम से नाअ…” 

जीशान-“देख तेरी बेटी तुझे कैसे देख रही है?” 
 
सामने खड़ी लुबना अपने होश में आ जाती है, और अनुम उसे देखते हुई रुकती नहीं बल्की और जोर से अपनी कमर आगे पीछे करने लगती है। 

अनुम-“मेरे पेट में भी आपका बच्चा है, वो भी आपको देख रहा है जान । वो चाहता है पापा उसकी ममा को और जोर से करें आह्ह…” 

जीशान दोनों हाथों में अनुम की कमर को पकड़कर दनादन लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है और 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद अपना पानी अनुम की चूत में निकाल देता है। 

अनुम चूत से लण्ड निकालने के बाद कमर हिलाती हुई टायलेट में घुस जाती है। 
लुबना अब भी वहीं खड़ी थी। जीशान उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास खींच लेता है और शावर ओन कर देता है। दोनों पानी में भीगने लगते हैं। जीशान अपने हाथ से लुबना की भीगी चूत सहलाने लगता है, और कहता है-“देखी लुब , कैसी चुदक्कड़ है तेरी अम्मी?” 

लुबना-“हाँ… मगर आपने मुझे नहीं देखा अब तक?” 

जीशान लुबना की बात पर मुश्कुरा देता है। 

नाश्ता करने के बाद जीशान, लुबना और अनुम को लण्डन दिखाने ले जाता है। वो इससे पहले भी कई बार अपने अब्बू अमन ख़ान के साथ इग्लेंड आ चुका था। 

अनुम और लुबना बहुत खुश नजर आ रही थी। मोहब्बत साथ थी, जज़्बा एक था और जीने का मकसद भी तीनों का एक ही था। जीशान अनुम और लुबना को उनकी पसंद की शॉपिंग करवाता है, और बिना दोनों से कहे लुबना और अनुम के लिए खुद भी कुछ खरीद लेता है। जब वो शॉपिंग माल से बाहर निकल रहे होते हैं तो जीशान को उसका दोस्त वहीं उनकी कार के पास खड़ा मिलता है। 

जीशान अनुम और लुबना से उसकी मुलाकात करवाता है। अनुम और लुबना बिल्कुल नहीं जानती थी कि जीशान के दिल और दिमाग़ में क्या चल रहा है? 

जीशान का दोस्त उन तीनों को अपनी कार में ले जाता है। कुछ मिनट के बाद कार जब एक हाल के सामने रुकती है तो अनुम को थोड़ा-थोड़ा शक सा होता है, मगर वो जीशान से कुछ नहीं कहती। तीनों जीशान के दोस्त के साथ उस हाल में दाखिल होते हैं, और अंदर का नजारा देखकर अनुम के साथ-साथ लुबना की आँखों में भी खुशी के आँसू छलक जाते हैं। 

जीशान और उसके दोस्त ने वहाँ एक छोटा मगर बेहद खूबसूरत निकाह का इंतज़ाम किया हुआ था। जीशान लुबना का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे कहता है-“कैसा लगा मेरा सरप्राइज लुबु?” 

लुबना-“बेहद हसीन, मेरी उम्मीदों से भी ज्यादा खूबसूरत …” 

जीशान-“अनुम लुबना को तैयार करके यहाँ ले आओ और खुद भी…” 

अनुम लुबना को लेकर एक रूम में चली जाती है। उनकी मदद करने के लिए वहाँ स्थानीय कुछ औरतें भी थीं, जिन्हें जीशान के दोस्त ने वहाँ इन्वाइट किया था। 

शादी के ड्रेस में लुबना बहुत हसीन लग रही थी। जब वो साज सँवर के जीशान के पास हाल में आती है तो सभी की नजर उसपर आकर रुक जाती है। वहाँ कोई नहीं जानता था कि जीशान और लुबना भाई-बहन हैं। काजी को भी यही बताया गया था कि वो कजिन हैं। 

काजी साहब अपनी कार्यवाही शुरू करते हैं। पहले लुबना से क़ुबूल करवाया जाता है, और उसके बाद जीशान से। एक सींपल मगर बेहद खूबसूरत अंदाज में जीशान और लुबना की शादी करवा दी जाती है। 

सभी मेहमानों के खाना खाने के बाद जीशान अनुम और लुबना अपने नये घर जिसका नाम जीशान ने ‘अनुम विला’ रखा था, वहाँ पहुँचते हैं, जो निहायत ही खूबसूरत और वेल डेकोरेटेड था। अनुम विला सारी फेसिलिटीज से लेश। 

अनुम और लुबना घर देखते ही रह जाते हैं। 
 
सभी मेहमानों के खाना खाने के बाद जीशान अनुम और लुबना अपने नये घर जिसका नाम जीशान ने ‘अनुम विला’ रखा था, वहाँ पहुँचते हैं, जो निहायत ही खूबसूरत और वेल डेकोरेटेड था। अनुम विला सारी फेसिलिटीज से लेश। 

अनुम और लुबना घर देखते ही रह जाते हैं। 

जीशान सारी फोर्मिलिटीज पूरी करने के बाद जब अनुम और लुबना के पास आकर घर की चाबियाँ अनुम के हाथों में देता है तो अनुम और लुबना दोनों माँ-बेटी जीशान के गले से लिपट कर रो पड़ती हैं। 

जीशान-“अरे बस बस अनुम लुब … अब इन खूबसूरत आँखों में मुझे आँसू नहीं , बल्की खुशी की कलियाँ खिलती हुई दिखाई देनी चाहिए…” 

अनुम-“हम सोच भी नहीं सकते थे कि हमारा जीशान इतना सब कुछ इतनी आसानी से अरेज भी कर लेगा। मुझे तुम पर फख्र है और खुशी भी कि मैंने अपने बेटे में एक सही मर्द का इंतिखाब किया। 

लुबना-“आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। आपने आज मुझे वो खुशी दी है, जिसकी तमन्ना मैं हमेशा से करती आई हूँ । दुनियाँ की नजर में ये एक नाजायज रिश्ता होगा, एक गुनाह होगा, मगर मेरी नजर में मोहब्बत से बड़ा रिश्ता कोई नहीं , और इस मोहब्बत की खातिर आज एक माँ और एक बहन अपनी जान से सिर्फ़ एक चीज माँगती हैं, क्या आप हमें वो देगे?” 

जीशान-जान भी माँगो दे दूँगा। 

लुबना अपने हाथों में अनुम और जीशान दोनों का हाथ लेकर धीरे से कहती है-“अपनी मोहब्बत कभी कम मत होने देना हम दोनों के लिए। आपसे हमें और कुछ नहीं चाहिए। अगर आप हमें एक छोटे से घर में भी रखेंगे तो हम खुशी-खुशी रह लेंगे, मगर आपके बिना जेशु सच कहती हूँ मर जाएँगे हम…” 

जीशान-“कसम खाता हूँ तेरी और अनुम के सिर की लुबना, जिस दिन भी दिल से तुम दोनों के लिए थोड़ी से भी मोहब्बत कम हुई, वो दिन मेरी जिंदगी का आख़िरी दिन हो गा…” 

अनुम अपने महबूब के होंठों पर उंगली रख कर उसके सीने से लिपट जाती है। 

रात का खाना खाने का किसी का भी मूड नहीं था, ख़ासकर लुबना का। उसके जज़्बात की कोई इंतिहा नहीं थी। हर एक गुजरता हुआ लम्हा उसके तन बदन में आग भड़का रहा था। 

जीशान अनुम और लुबना के हाथ में एक-एक पैकेट देता है। 

अनुम-क्या है इसमें? 

जीशान-“इसमें मेरी खूबसूरत बीवियों के लिए वो ड्रेस हैं, जिन्हें तुम दोनों बेडरूम में पहनोगी आज के बाद हर रात…” ये कहकर जीशान बाथरूम में नहाने चल जाता है। 

अनुम पैकेट खोलती है। उसमें कुछ भी नहीं था, बस एक चिट्ठि थी, जिस पर लिखा था-“तुम मुझे ऐसे ही अच्छी लगती हो अनुम बिना कपड़ों के…” 

अनुम बुरी तरह शरमा जाती है और जीशान को ढूँढती हुई बाथरूम की तरफ चली जाती है। 


अनुम के जाने के बाद जब लुबना पैकेट खोलकर देखती है तो हया की चादर उसे घेर लेती है। वो दिल में सोचती है कि आज मुझे ये पहनकर जीशान के पास जाना होगा। 

जीशान बाथरूम में नंगा नहा रहा था कि पीछे से दरवाजा खुलता है और जब जीशान पलटकर देखता है तो अनुम उसे पलटने नहीं देती है और उसकी पीठ से चिपक जाती है। 

अनुम-“आप ना दिन-बा-दिन और बेशर्म होते जा रहे हैं…” 

जीशान जोर से हँसता है-“मैंने तो तुझे बेडरूम में ऐसे रहने के लिए कहा था अनुम…” 

अनुम-“ मेरी जान को जब ऐसी ही मैं अच्छी लगती हूँ तो मुझे कोई ऐतराज नहीं । हमेशा आपके साथ ऐसे रहने का…” 

जीशान पलटकर अनुम की आँखों में देखते हुये उसके लबों को चूम लेता है और अनुम अपने नाजुक हाथों में जीशान का कड़क लण्ड पकड़ लेती है। धीरे-धीरे जीशान अपनी कमर को अनुम की चूत की तरफ बढ़ाने लगता है। मगर अनुम उसे रोक लेती है। 

अनुम-“रुकिये सरकार… आज इस पर सबसे पहला हक लुब का है, और मैं अपनी बेटी के साथ ना- इंसाफी नहीं होने दूँगी …” 

जीशान-“अच्छा तो चलो बाहर। मुझे भी देखना है कि मेरी लुबना मेरे दिए हुये तोहफे में दिखती कैसी है?” 

जीशान और अनुम वैसे ही नंगे बाहर चले आते हैं, और लुबना के रूम से बाहर आने का इंतजार करने लगते हैं तकरीबन 5 मिनट बाद लुबना जब बाहर आती है तो जीशान के चेहरे पर मुस्कान और अनुम के चेहरे पर खुशी झलक जाती है। 

लुबना वहीं खड़ी उन दोनों को देख रही थी। 

जीशान-इधर आओ जान… शरमाओ मत इधर आओ, 

लुबना अपने नंगे भाई और नंगी अम्मी की तरफ धीरे-धीरे चलते हुई आ जाती है। 

जीशान-“देखो अनुम कितनी खूबसूरत लग रही है मेरी लुब , अपनी सुहागरात वाले ड्रेस में?” 

लुबना का चेहरा शर्म से झुकता चला जाता है। 

मगर जीशान उसे झुकने नहीं देता है, वो उसे अपने हाथ से ऊपर उठाता है और लुबना की आँखों में झाँकते हुये कहता है-“मेरी लुब मेरी जान, आज से मेरी हो जा। मैं तुझे वो सारी खुशियाँ देना चाहता हूँ , जो तू चाहती थी। शायद तू नहीं जानती, मगर मैंने एक बार तेरे कंप्यूटर में मेरे लिए लिखा हुआ वो पेज पढ़ा था, जिसमें तूने 
अपनी होने वाली सुहागरात के बारे में कुछ ख्यालात लिखी थी कि तू कैसे अपनी सुहागरात मनाना चाहती है। देख जैसे तूने सोची थी वैसे ही अरेज किया है ना मैंने?” 

लुबना हैरत से जीशान की तरफ देखने लगती है। 

जीशान लुबना और अनुम को अपने नये घर के बेडरूम में ले आता है। बेड पर लेटाकर जीशान लुबना की पैंटी उतार देता है और उसके होंठों को चूमने लगता है। 
अनुम अपनी लुबना की चूत पर अपने होंठों को लगाकर उसकी कुँवारी चूत का पहला पानी पीने लगती है। 

देखते ही देखते लुबना का जिस्म भट्ठी की तरह गरम हो जाता है और वो जोर-जोर से आहें भरने लगती है-“आह्ह… अम्मी जी वहाँ नहीं ना उन्ह… बस भी करिए ना जी अम्मी…” 

शायद अनुम अपनी जीभ से अंदर जाने की कोशिश कर रही थी जिसकी वजह से लुबना खुद को चीखने से रोक नहीं पा रही थी।
 
इधर जीशान का लण्ड भी अपनी प्यारी बहना की चूत को खोलने के लिए बेकरार था। 

अनुम लुबना की प्यारी चूत से मुँह हटाकर जीशान के लण्ड को चूसने लगती है। उसकी देखा देखी लुबना भी जीशान के लण्ड की तरफ झुकती चली जाती है, और दोनों माँ-बेटी एक साथ बिना किसी शर्म के जीशान के लण्ड को चाटने और चूसने लगती हैं। 

ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वो तीनों एक खून से जुड़े हुए हैं, उनकी रगों में एक ही खून था। मगर उस वक्त वो खून बस यही चाहता था कि इस खून से एक और नया खून वजूद ले, जो अनुम और लुबना की चूत से निकले, जिसका बाप जीशान हो। 

अपने लण्ड को जीशान और तड़पाना नहीं चाहता था। वो लुबना को लेटा देता है और अनुम अपनी चूत लुबना के मुँह पर लगा देती है। 

जीशान-थोड़ा दर्द होगा लुबु। 

लुबना-आप फिकर ना करें। 

जीशान मुश्कुरा देता है और अनुम की आँखों में उससे भी इजाजत लेकर अपने लण्ड को लुबना की चूत के मुहाने पर लगा देता है। जैसे ही लण्ड लुबना की चूत से टकराता है, लुबना आँखें बंद कर लेती है, और कुछ ही पल बाद उसकी आँखें खुलीं की खुलीं रह जाती हैं, जब जीशान का बेरहम लण्ड अपने ख़ानदान की आख़िरी चूत के अंदर घुसते हुये उसकी पतली सी चूत की झिल्ली को छेदता हुआ अंदर तक चला जाता है। 

लुबना-“अम्म्मी आह्ह… नहीं ना प्लीज़्ज़… अम्मी…” वो पहला दर्द हर किसी को बर्दाश्त करना ही पड़ता है। 

जीशान अपने धक्के रोकता नहीं , बल्की शुरू रखते हुये और बढ़ा देता है। हर धक्का पहले लुबना को जानलेवा लग रहा था, मगर धीरे-धीरे वो एहसास एक ऐसे खुश गवार जज़्बात में तब्दील होता चला गया कि लुबना भी अपनी कमर को ऊपर जीशान के लण्ड की तरफ उठाने लगती है। 

लुबना-“रकिये मत आह्ह… बस करते रहिए नाअ… गलपप्प-गलपप्प…” 

आज पहली बार लुबना के साथ बहुत कुछ हो रहा था। पहली बार उसकी चूत में कोई लण्ड गया था, और पहली बार ही वो अपनी अम्मी की चूत भी चाट रही थी। यही वो एहसास था जो लुबना महसूस करना चाहती थी। अपनी पहली चुदाई लुबना ज्यादा देर झेल नहीं पाती और जीशान के लण्ड पर झड़ने लगती है। 

मगर जीशान उसे अपने नीचे से नहीं हटने देता है। वो दोनों टाँगे पकड़कर सटासट लुबना की चूत में लण्ड घुसाता जाता है। लुबना की हर चीख अनुम को उसकी चुदाई याद दिला रही थी, जब अमन ने पहली बार उसे इस तरह चोदा था। अनुम जीशान के होंठों को चूमती हुई अपनी चूत को लुबना के मुँह पर जोर-जोर से घिसने लगती है। 

अपने दोनों सुराखों को बंद पाकर लुबना का जिस्म थरथराने लगता है। वो चीखना चाहती थी, मगर उसके दोनों सुराख इस कदर बंद थे कि वो कुछ नहीं कर सकती थी। 

अनुम-“अब बस भी करिये, बच्ची है…” 

जीशान-“अच्छा तुझे बड़ी फिकर हो रही है साली , लगता है तुझे जम कर चाहिए…” 

अनुम-“हाँ और नहीं तो क्या? कब से देख रही हूँ और आप हैं कि एक नजर देखते भी नहीं …” 

जीशान अनुम का हाथ पकड़कर लुबना की चूत पर उल्टा लेटा देता है, और पीछे से अपना लण्ड अनुम की चूत पर लगा देता है-“बोल क्या चाहिए तुझे? अनुम बोल?” 

अनुम-“मुझे अपने शौहर का लौड़ा चाहिए, हर रात इसी तरह अपनी अम्मी को अपनी बेटियों के ऊपर लेटाकर मुझे चोदेगे ना आप? बोलिए चोदेंगे ना?” 

जीशान अपने लण्ड को चूत में सट करके घुसा देता है, और उसे अनुम के चूत की गहराईयों में पहुँचा देता है। और अनुम अपने होंठों को लुबना के होंठों से मिला देती है। दोनों माँ-बेटी एक दूसरे को अपनी बाहों में कस के भर लेती हैं।

जीशान बेहद खुश था। उसे असल मायने में अमन विला मिल गया था। जीशान लगातार अनुम को 15 मिनट चोदता रहता है। इस दौरान अनुम कई बार झड़कर निढाल हो जाती है, और जब जीशान अपने लण्ड का पानी उसकी चूत में निकालकर उन दोनों के बीच में लेटता है तो दोनों अनुम और लुबना अपना सिर जीशान की छाती पर रख देती हैं। 

जीशान ख़ान-“आज मैं बहुत खुश हूँ अनुम, लुब । मैंने जो चाहा, वो मुझे मिल गया। बस हमारे इस घर को किसी की नजर ना लगे। 

शायद ऊपर वाले ने भी जीशान के दिल की बात सुन ली थी। 15 दिन बाद जीशान रज़िया और सोफिया को भी अपने पास इग्लेंड ले आया। 

चारों औरतें खुश थीं। 

जीशान अपने अब्बू अमन ख़ान की तरह किसी के साथ भी ना इंसाफी नहीं होने देता। जहाँ वो एक तरफ अनुम और लुबना को भी उतनी ही मोहब्बत देता, वहीं रज़िया और सोफिया के साथ भी कभी कमी नहीं होने देता। चारों औरतें अपने शौहर जीशान ख़ान के साथ एक बेडरूम में रहती थीं। 

देखते ही देखते अमन विला के इस शहजादे जीशान ख़ान के घर अनुम विला में बच्चों की किल्कारियाँ गूँजने वाली थीं। 

9 महीने बाद अनुम को एक लड़का हुआ, जिसका नाम अमन ख़ान रखा गया। 

सोफिया को एक बेटी हुई जिसका नाम जीशान ने शीबा रखा। 

और अपनी सबसे खूबसूरत बीवी से जीशान इतनी मोहब्बत करता था कि लुबना ने जीशान को एक नहीं दो बेटियाँ दी । एक का नाम नीलोफर और दूसरी का नाम जन्नत रखा गया। 

अनुम विला में अक्सर ये नजारा देखने को मिलता था। जीशान के लण्ड से चिपकी 
रज़िया 
अनुम 
सोफिया और 
लुबना
दोस्तो ये कहानी भी अपने अंजाम पर पहुँच ही गई अब फिर मिलेंगे नई के साथ
समाप्त
 
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