hotaks444
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लुबना और अनुम फॅक्टरी जाने के लिए तैयार खड़ी जीशान का इंतजार कर रहे थे।
लुबना-अम्मी, कहाँ हैं भाई?
अनुम-“मैं अभी उसे देखकर आती हूँ …” वो जीशान के रूम में चली जाती है।
जीशान आईने के सामने खड़ा अपने बाल सँवार रहा था। अनुम को अपने सामने खड़ा देखकर वो एक हल्की सी स्माइल उसे देता है-“थैंक्स मेरी बात मानने के लिए…”
अनुम उससे देखने लगती है। उन आँखों में कई बातें थीं, कई सवालात थे, और उनके जवाब जीशान को देने थे। कल जो उसने कसम खाया था, उस बात से अनुम काफी परेशान थी और ये उसके चेहरे से साफ बयान हो रही थी। अनुम बिना कुछ बोले जीशान के चेहरे को देखने लगती है।
जीशान-क्या हुआ अम्मी?
अनुम-कुछ नहीं , चलो।
जीशान-चलिए।
वो दोनों रज़िया के पास आते है। अनुम रज़िया से मिलकर बाहर चली जाती है। जबकि जीशान रज़िया को कुछ नहीं कहता बस उसकी आँखों में कुछ तलाश करने लगता है, और वो बात रज़िया बड़ी आसानी से छुपा लेती है।
जीशान कार फॅक्टरी की तरफ चला देता है। लुबना और अनुम दोनों बैक सीट पे बैठी बातें कर रही थी।
जीशान-“अम्मी, लंच टाइम में आप मेरे साथ शॉपिंग करने चल रही हैं, और आज आप मेरी पसंद की ड्रेस लेंगी, ठीक है ना?”
अनुम जीशान की तरफ देखकर मुश्कुरा देती है-“हाँ ठीक है…”
लुबना-“और मेरी शॉपिंग?”
इससे पहले जीशान उससे कुछ कहता, अनुम लुबना को भी साथ चलने के लिए कह देती है। और जीशान चुप हो जाता है। कुछ देर बाद कार फॅक्टरी पहुँच जाती है। वो तीनो फॅक्टरी के अंदर जाने लगते हैं तभी जीशान का सेल फोन बजता है।
जब वो सेल देखता है तो उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है, काल रूबी का था। जीशान काल रिसीव करता है। दूसरी तरफ से रूबी की घबराई हुई आवाज़ सुनाई देती है।
जीशान-“क्या बात है रूबी? बहुत परेशान लग रही हो…”
रूबी-“जीशान आप क्या मेरे घर आ सकते हैं? मुझे बहुत घबराहट सी हो रही है। अम्मी अब्बू भी शादी में गये हैं। प्लीज़्ज़… जल्दी आ जाए आप…”
जीशान-“ओके, मैं अभी पहुँचता हूँ …”
अनुम-“क्या हुआ जीशान ? चलो अंदर…”
जीशान-“अम्मी, मैं बस अभी आया। एक दोस्त की तबीयत खराब है। आप अंदर बैठिए मैं थोड़ी देर में आया…”
लुबना-“जल्दी आना, वरना पता चला हम यहाँ बैठे रह गये और आप वहाँ दोस्त के साथ पार्टी कर रहे हो…”
जीशान लुबना की तरफ देखकर दाँत पीसते हुये उससे कहता है-“तुझे तो मैं वहाँ से आकर देखता हूँ …”
अनुम और लुबना फॅक्टरी के अंदर चले जाते हैं, और जीशान कार रूबी के घर के तरफ दौड़ा देता है। जीशान ने जब से कालेज छोड़ा था, तब से वो रूबी से पर्सनल नहीं मिला था। फोन पे सिर्फ़ दोनों के बीच बात हुआ करती थी।
रूबी ने भी जीशान को ज्यादा परेशान नहीं किया था। वो भी जानती थी कि जीशान इस वक्त किस हालत से गुजर रहा है। हालाँकि डाक्टर सोनिया ने जीशान को कई बार अपने घर पे इन्वाइट किया था, मगर जीशान कोई ना कोई बहाना बनाकर बात टाल देता था।
मगर आज रूबी की घबराई हुई आवाज़ सुनकर जीशान से रहा नहीं गया और वो रूबी के घर पहुँच जाता है। जब वो रूबी के घर के अंदर पहुँचता है तो उसे रूबी बिल्कुल ठीक-ठाक हँसती हुई दरवाजा पे खड़ी मिलती है।
जीशान पूछता है-“अब कैसी तबीयत है तुम्हारी ? डाक्टर को काल करूँ? हुआ क्या था?”
रूबी-“पहले बैठो तो सही …” वो जीशान का हाथ पकड़कर उसे अपने बेडरूम में ले जाती है और बेड पर बैठाकर उसके पास आकर बैठ जाती है-“कुछ नहीं हुआ मुझे, बस तुम्हारी याद आ रही थी तो बहाना करके बुला लिया तुम्हें…”
जीशान-“व्हाट नानसेन्स रूबी? ये भी कोई तरीका हुआ बुलाने का? मैं कितना परेशान हो गया था, जब मैंने तुम्हारी वो परेशानी वाली आवाज़ सुनी। मैं जा रहा हूँ …”
लुबना-अम्मी, कहाँ हैं भाई?
अनुम-“मैं अभी उसे देखकर आती हूँ …” वो जीशान के रूम में चली जाती है।
जीशान आईने के सामने खड़ा अपने बाल सँवार रहा था। अनुम को अपने सामने खड़ा देखकर वो एक हल्की सी स्माइल उसे देता है-“थैंक्स मेरी बात मानने के लिए…”
अनुम उससे देखने लगती है। उन आँखों में कई बातें थीं, कई सवालात थे, और उनके जवाब जीशान को देने थे। कल जो उसने कसम खाया था, उस बात से अनुम काफी परेशान थी और ये उसके चेहरे से साफ बयान हो रही थी। अनुम बिना कुछ बोले जीशान के चेहरे को देखने लगती है।
जीशान-क्या हुआ अम्मी?
अनुम-कुछ नहीं , चलो।
जीशान-चलिए।
वो दोनों रज़िया के पास आते है। अनुम रज़िया से मिलकर बाहर चली जाती है। जबकि जीशान रज़िया को कुछ नहीं कहता बस उसकी आँखों में कुछ तलाश करने लगता है, और वो बात रज़िया बड़ी आसानी से छुपा लेती है।
जीशान कार फॅक्टरी की तरफ चला देता है। लुबना और अनुम दोनों बैक सीट पे बैठी बातें कर रही थी।
जीशान-“अम्मी, लंच टाइम में आप मेरे साथ शॉपिंग करने चल रही हैं, और आज आप मेरी पसंद की ड्रेस लेंगी, ठीक है ना?”
अनुम जीशान की तरफ देखकर मुश्कुरा देती है-“हाँ ठीक है…”
लुबना-“और मेरी शॉपिंग?”
इससे पहले जीशान उससे कुछ कहता, अनुम लुबना को भी साथ चलने के लिए कह देती है। और जीशान चुप हो जाता है। कुछ देर बाद कार फॅक्टरी पहुँच जाती है। वो तीनो फॅक्टरी के अंदर जाने लगते हैं तभी जीशान का सेल फोन बजता है।
जब वो सेल देखता है तो उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है, काल रूबी का था। जीशान काल रिसीव करता है। दूसरी तरफ से रूबी की घबराई हुई आवाज़ सुनाई देती है।
जीशान-“क्या बात है रूबी? बहुत परेशान लग रही हो…”
रूबी-“जीशान आप क्या मेरे घर आ सकते हैं? मुझे बहुत घबराहट सी हो रही है। अम्मी अब्बू भी शादी में गये हैं। प्लीज़्ज़… जल्दी आ जाए आप…”
जीशान-“ओके, मैं अभी पहुँचता हूँ …”
अनुम-“क्या हुआ जीशान ? चलो अंदर…”
जीशान-“अम्मी, मैं बस अभी आया। एक दोस्त की तबीयत खराब है। आप अंदर बैठिए मैं थोड़ी देर में आया…”
लुबना-“जल्दी आना, वरना पता चला हम यहाँ बैठे रह गये और आप वहाँ दोस्त के साथ पार्टी कर रहे हो…”
जीशान लुबना की तरफ देखकर दाँत पीसते हुये उससे कहता है-“तुझे तो मैं वहाँ से आकर देखता हूँ …”
अनुम और लुबना फॅक्टरी के अंदर चले जाते हैं, और जीशान कार रूबी के घर के तरफ दौड़ा देता है। जीशान ने जब से कालेज छोड़ा था, तब से वो रूबी से पर्सनल नहीं मिला था। फोन पे सिर्फ़ दोनों के बीच बात हुआ करती थी।
रूबी ने भी जीशान को ज्यादा परेशान नहीं किया था। वो भी जानती थी कि जीशान इस वक्त किस हालत से गुजर रहा है। हालाँकि डाक्टर सोनिया ने जीशान को कई बार अपने घर पे इन्वाइट किया था, मगर जीशान कोई ना कोई बहाना बनाकर बात टाल देता था।
मगर आज रूबी की घबराई हुई आवाज़ सुनकर जीशान से रहा नहीं गया और वो रूबी के घर पहुँच जाता है। जब वो रूबी के घर के अंदर पहुँचता है तो उसे रूबी बिल्कुल ठीक-ठाक हँसती हुई दरवाजा पे खड़ी मिलती है।
जीशान पूछता है-“अब कैसी तबीयत है तुम्हारी ? डाक्टर को काल करूँ? हुआ क्या था?”
रूबी-“पहले बैठो तो सही …” वो जीशान का हाथ पकड़कर उसे अपने बेडरूम में ले जाती है और बेड पर बैठाकर उसके पास आकर बैठ जाती है-“कुछ नहीं हुआ मुझे, बस तुम्हारी याद आ रही थी तो बहाना करके बुला लिया तुम्हें…”
जीशान-“व्हाट नानसेन्स रूबी? ये भी कोई तरीका हुआ बुलाने का? मैं कितना परेशान हो गया था, जब मैंने तुम्हारी वो परेशानी वाली आवाज़ सुनी। मैं जा रहा हूँ …”