Antarvasna कामूकता की इंतेहा - Page 4 - SexBaba
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Antarvasna कामूकता की इंतेहा

दोस्तो, उस सर्दी की शाम में भी हम दोनों इस तूफानी चुदाई से पसीने से तरबतर थे। उसका मुझे पता नहीं, लेकिन मुझे चुदते वक़्त किसी और चीज़ की होश नहीं थी, शायद इसे ही जन्नत कहते हैं।
खैर मुझे चोदते चोदते एकदम ढिल्लों रुका और चलता हुआ वाइब्रेटर एकदम मेरी गांड से बाहर खींच लिया। जब उसने ऐसा किया तो मेरी गांड का मुंह हैरानी से खुला का खुला ही रह गया और लगभग 15-20 सेकंड तक खुला रहा।मैंने फौरन ही बिलबिला कर ढिल्लों से कहा- डाले रखो इसे प्लीज, अच्छा लग रहा था बहुत!लेकिन ढिल्लों ने कोई जवाब न दिया और झट से अपना लौड़ा मेरी फुद्दी में डाल कर फिर उसी गति से चुदाई करने लगा।
मुझे मज़ा तो अब भी आ रहा था लेकिन कुछ कुछ कमी सी लग रही थी। मैं ढिल्लों की इस चाल को समझ गई थी। उसने पिछले दो घंटों ने लगातार वाइब्रेटर मेरी गांड में रख कर और उसी तरह उसे बगैर बाहर निकाले मुझे चोद कर मुझे एक और हवस भरी आदत लगा दी थी। क्योंकि मुझे अब पहले जैसा ही स्वाद चाहिए था, इसीलिए मैंने ढिल्लों से उसकी मन की बात कह ही दी जो वो मेरे मुंह से सुनना चाहता था- ढिल्लों, किसी तरह काले को भी तैयार कर।
ढिल्लों यह सुनकर बहुत खुश हुआ और धीरे धीरे मुझे चोदते हुए कहने लगा- बस यही मुराद थी मेरी कि तेरे जैसी घोड़ी पर दो-दो सांड चढ़ें, मैंने ये तजुर्बा और औरतों पर भी किया है लेकिन तू पहली और जो मानी है, देखना रूपिन्द्र … अब तुझे वो जन्नतें दिखाऊंगा कि याद रखेगी। लेकिन इसी तरह मोर्चे पे डटी रहना, चीखें तो निकलेंगी तेरी, साले का मेरे से भी बड़ा है।
यह सुनकर मेरे होश उड़ गए। मैं सोच रही थी कि मैंने हवस और दारू के नशे में ये बात कहकर कहीं गलती तो नहीं कर ली थी। लेकिन अब तीर कमान से निकल चुका था। ये सोचकर मैंने दूर की न सोचते हुए ढिल्लों के नीचे से पूरा जोर लगा कर हिली और वाइब्रेटर जो पास ही पड़ा हुआ था, उठाकर जलदी से जैसे तैसे अपनी गांड में ठूंस लिया।
ढिल्लों ने यह देखकर उसका स्विच फिर चालू कर दिया और उसी तरह तेज़ी से चोदने लगा मुझे। अगली 15-20 मिनट की जबरदस्त चुदाई में मैं दो बार झड़ गयी थी और दोस्तो … झड़ती तो आपको पता ही है कि मैं कैसे हूँ। दोनों बार जबरदस्त पानी निकला था और मैं बुरी तरह काँपी भी। कोई और आवाज़ें नहीं, अब मेरे मुंह से बहुत ऊंची ‘हूम्म… हूँ … हम्म … हूँ …’ ही निकल रहा था।
अगले पांच मिनट के बाद एक बार फिर मुझे झड़ने के लिए तैयार होते देख ढिल्लों ने बहुत तेज़ चुदाई शुरू कर दी और इस बार हम दोनों ऊंची ऊंची ‘हो … हह … हो …’ करते हुए झड़े। सारा माल एक बार ढिल्लों ने मेरी गहरी फुद्दी में इतना अंदर तक भर दिया कि एक बून्द भी बाहर नहीं निकली।यह कमाल की बात थी क्योंकि अब तक मैं जितने भी 13-14 मर्दों से चुदी हूँ, सभी का लगभग सारा वीरज बाहर आ जाता था लेकिन ढिल्लों के बारे में मजाल कि एक तुपका^^ भी बाहर आ जाए।खैर एक और लबालब चुदाई के बाद अब मुझमें ऊपर चढ़ने की हिम्मत नहीं थी और दूसरा वाइब्रेटर भी ढिल्लों ने बाहर नहीं निकालने दिया था। ढिल्लों ने मेरी हालत देख कर मुझे एक लोई में लपेटा और और अपने कन्धे पर उठा कर मुझे गाड़ी में लाकर बैठा दिया। अपने लहँगा चोली मैंने चलती गाड़ी में ही पहने और अपना बैग उठा कर अपना मेकअप भी कर लिया।
जंगल में सेक्स की कहानी आपको कैसी लगी?

कहानी जारी रहेगी
 
दोस्तो, अब मैं आपको काले के बारे में बता दूं जिससे चुदने की बात मैंने ढिल्लों से कह डाली थी। काले का कद लगभग ढिल्लों जितना ही था, यही कोई साढ़े छह फुट के करीब। रंग उसका ढिल्लों से भी काला था, आंखें बड़ी बड़ी गहरी लाल, ढिल्लों से भी सुडौल और बड़े शरीर का मालिक, देखने में सिरे का बदमाश लगता था और शायद कोई नशा भी करता था, जिसके कारण उसकी आंखें हमेशा चढ़ी रहती थीं।एक और बात कि ऊपर कमरे में जब मैं हवा में लहराती हुई ढिल्लों से ढिल्लों के डंडे पर अपनी फुद्दी पटक रही थी तो सिर्फ वो अकेला था जो मुझे चुदते हुए देखने नहीं आया था।दरअसल उसे पहली नज़र देखते ही मेरा दिल उस पर आ गया था और उससे हाथ मिलाते वक़्त मैंने दिल ही दिल में ये कहा था- क्या तकड़ा मर्द है, साला ऊपर चढ़ जाए तो मज़ा आ जाये।आपको मैं पहले ही बता चुकी हूं कि मुझे भारी और बदमाश किस्म के मर्द पसंद हैं, क्योंकि ये लोग हार्डकोर होते हैं।
खैर गाड़ी में ढिल्लों ने मुझसे हंस कर सवाल किया- साला काला ही क्यों, उसे तो कभी किसी औरत ने पसंद नही किया?मैंनें जवाब दिया- यही तो उन्हें पता नहीं है! और हां, मुझे सिर्फ काला और तुम चाहिए हो, और लल्ली छल्ली नहीं आना चाहिए।
ढिल्लों ने कोई जवाब नहीं दिया और हंस पड़ा, आते आते उसने एक बड़ी गोली अफीम की निकाली और मुझे थमाते हुए कहा- खा ले इसे, पंगा तूने बहुत बड़ा ले लिया है, हम तो अकेले अकेले ही काफी होते हैं, जब दो हो जाएंगे तो सिर्फ हम ही हम और हमारे लौड़े होगें, न तो तू दिखेगी, और न तेरी फुद्दी और गांड।मैंने भी गोली खाकर कहा- पता नहीं मुझे हो क्या गया है ढिल्लों! लेकिन देख लेना टांग नहीं उठाऊँगी, नुक़री घोड़ी हूँ, शायद दो सांडों को भी संभाल लूं, बाकी मैदान में आकर पता लगेगा।
ढिल्लों मेरी बात सुनकर हैरानी से मेरा मुंह ताकने लगा, उसको इतना हैरान मैंने पहले कभी नहीं देखा था। खैर इसके बाद कुछ और हल्की फुल्की बातें करते करते हम पैलेस में आ गए जहाँ शादी का समागम जारी था।और हां, 2-3 घण्टों के बाद ढिल्लों ने मेरी गांड से वो वाइब्रेटर निकाल लिया था।
आते ही मेरी नज़रें काले को ढूंढने लगीं लेकिन काफी देर तक वो मुझे नज़र नहीं आया. ढिल्लों के बाकी दोस्त तो आ गए थे हमारे पास लेकिन वो नहीं आया था।मैंने बेचैन होकर ढिल्लों के दोस्तों से उसके बारे में पूछ ही लिया कि आखिर वो है कहाँ।ढिल्लों के पांचों दोस्त हैरानी से मेरा मुँह ताकने लगे और एक ने मुझे पूछ ही लिया- क्यों जनाब, दिल आ गया क्या उस पर आपका?मैंने थोड़ा शर्मा कर गर्दन झुका ली।इसका जवाब ढिल्लों ने दिया- हाँ यार, सॉरी, तुम सब लोगों में से उसी पर इसका दिल आया है।
इसके बाद उसके दोस्त मुझे बातों बातों में छेड़ते रहे और मैं बेशर्म रंडियों की तरह हंसती रही. यह पहली बार था कि कोई मुझपर इतनी गंदी टिप्पणियाँ कर रहे हों और मैं उनका मज़ा लेने लग गयी।अब मैं एक नए और बेहद ज़बरदस्त सफर पर निकल पड़ी थी लेकिन मैं यह किसी मजबूरी में नहीं आ रही थी, मुझे तो चुदाई के नए किले फतेह करने थे।
खैर अगला एक घंटा मैं ढिल्लों और उसके दोस्तों के साथ दारू पे दारू पीती गयी। बुरी तरह नशे में चूर मैंने उसके दोस्तों के साथ सिगरेटें भी पी लीं। नशा अब इतना हो चुका था कि ऊंची एड़ी के सैंडलों के साथ खड़ा होना मुश्किल हो रहा था इसीलिए मैंने ढिल्लों के दोस्त से कार में मेरे बैग में पड़ी अपनी पंजाबी जूती मंगवा कर पहन ली।
अब आधे मेहमानों की नजरें मुझ पर थीं। छोटी सी चोली और बहुत नीचे बंधा हुआ मेरा लहँगा मेरा हल्का सा उभरा हुआ गोरा पेट और मेरी गहरी धुन्नी को नुमायाँ कर रहा था। पीठ पर ऊपर से नीचे तक महज़ एक डोरी थी।
जब मैं कुछ ज़्यादा ही झूमने लगी तो आखिर ढिल्लों ने काले को फोन लगाया और साइड में हटकर उसे सारी बता बताई और फौरन आने को कहा। दस मिनट के बाद मैं काले की फौलादी बांहों में झूम रही थी। कुछ देर के बाद मैं एक नए मर्द का स्पर्श पाकर गर्म होने लगी और किसी की परवाह न करते हुए अपना जिस्म खड़े खड़े ही धीरे धीरे काले के साथ मसलने लगी, और तो मैं क्या कर सकती थी।
मेरी ये हरकतें देख कर ढिल्लों के दोस्त ने कहा- जनाब जी अपना कंट्रोल खो रहे हैं, जा ले जा इन्हें, और हां, काले तू पहले चैक करके लेता है ना, जा चेक तो कर ले।काला उनकी बात सुनकर मुस्कुराया और मुझे अपनी बाँह में लेकर चलाने लगा। जाते जाते मैंने उसे चेक करने का मतलब पूछा तो उसने बताया कि वो पहले माल अच्छी तरह चेक करता है और फिर पसंद आये तो लेता है वरना नहीं।

 
मैं उसकी बात सुनकर हैरान परेशान हो गयी। परेशान इसलिए कि अगर मैं पसंद न आई तो मेरे अरमान मिट्टी में मिल जाएंगे। रात के 10 बज चुके थे। काला मुझे चलाते हुए बाहर ले गया और सामने वाली सड़क पार करते ही उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और सामने खेतों में ले गया। एक अंधेरी सी जगह देखी, मुझे नीचे उतारा और इससे पहले कि मैं कुछ सोचती समझती, लहँगा और चोली मेरे जिस्म से अलग हो चुके थे और पता नहीं उसने कहाँ फेंक दिए थे, ब्रा और चड्डी तो मैंने पहनी ही नहीं थी, इसलिए सब मैं अल्फ नंगी उसकी बांहों में थी।
उसने खुद अपने कपड़े नहीं उतारे और ऐसे ही मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मुझे ज़ोर से चपर चपर करते हुए पीने लगा, उसके हाथों में मेरा पिछवाड़ा था। 5-7 मिनट के अंदर ही मैं बुरी तरह कामवासना में तपने लगी।
अचानक काले ने अपना हाथ मेरे पिछवाड़े पर फेरते फेरते मुझे ऊपर उठा लिया और मेरी गांड में दो सुखी उंगलियां जड़ तक पिरो दीं। इससे पहले कि मुझे कुछ समझ आता उसके हाथ दूसरी दो उंगलियां मेरी फुद्दी में थीं। जब उसने गांड में उंगलियां डाली थीं तो मुझे ऐसा लगा जैसे गांड में से खून निकल आएगा। और जब उसने अगले ही पल मेरी फुद्दी में भी उंगलियां पिरो दीं तो मुझे दर्द और मज़े के अजीब अहसास एक साथ हुए जिसे मैं बयान नहीं कर सकती।
अगले पर ही वो बुरी तरह से इंजन की रफ्तार से उंगलियां बाहर निकाल निकाल कर अंदर पेलने लगा। पोज़िशन ये थी कि ऊपर से मैं उसकी गर्दन के साथ लिपटी हुई और नीचे से मैं उसके पंजे के भार पर थी जिसकी उंगलियां तेज़ी से मेरे दोनों छेदों में अंदर बाहर हो रहीं थी ‘फच … फच … फच … फच … फच और फचचच!मैं झड़ने वाली थी तो एकदम उसने मुझे मेरी टांगों पर खड़ा कर दिया।
दोस्तो, मैं इतने ज़ोर से झड़ने लगी कि कांपती हुईं टांगों के साथ ‘हूँ … हूँ …’ करते हुए मेरी दो आधी बैठकें लग गईं और मेरी टाँगें गीली हो गईं।यह देखकर उसे पता नहीं क्या तसल्ली मिली और ‘ठीक है.’ कहते हुए उसने मुझे अपनी लोई पे लपेट दिया और मुझे उठा कर वापस चलने लगा।
ढिल्लों अपनी गाड़ी समेत बाहर ही खड़ा था और अगले ही पल मैं मादरजात नंगी सिर्फ एक लोई में ढिल्लों के साथ फ्रंट सीट पर बैठी थी और काला हब्शी (मैं उसे इसी नाम से पुकारती हूँ) पीछे बैठा था। गाड़ी हवा को चीरती हुई बढ़ने लगी।
कुछ देर के बाद गाने बंद करा कर अचानक काला बोला- ढिल्लों यार, बड़ा करारा माल लाया है इस बार, इसमें तो आग ही बड़ी है.इस बात पर ढिल्लों ने काले को पूछा- तूने साले इसे भी झड़वाया है ना, क्यों अब पता लग गया न कि मैं झूठ नहीं बोल रहा था।काले ने कहा- झड़ने के वक़्त साली की सारी जान फुद्दी में आ गयी थी, कमाल की बात है, लेकिन तूने तो अच्छी सर्विस कर रखी है इसकी! दो उंगलियां घप्प से चढ़ गयीं थी, फिर इसे मेरी क्या ज़रूरत है?
ऐसा नहीं हो सकता था कि ढिल्लों ने उसे मेरी ख़ाहिश बताई न हो, लेकिन काला अब बातों बातों में मज़े ले रहा था. मुझे भी उन दोनों की बातचीत सुनकर बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं चुपचाप सुनती रही।
काले की बात के जवाब में ढिल्लों ने कहा- यार, ये पूरा मज़ा लेना चाहती है, मैंने 2-3 बार वाइब्रेटर गांड में घुसा कर फुद्दी मार दी। अब इसे असल लौड़े की ज़रूरत है।
इसके बाद काले ने मुझे मुखातिब होकर कहा- क्यों जानेमन, खुद भी कुछ बोलो?मैंने थोड़ा शर्मा कर कहा- यार, तुम दोनों को पता तो है सब कुछ, अब मैं क्या बोलूं? और यार तुम तो मेरे कपड़े भी वहीं खेतों में फेंक आये, अब मैं पहनूँगी क्या?काले ने जवाब दिया- पहली बात तो तुझे ज़रूरत ही नहीं पड़ने वाली कपड़ों की, फिर भी मैं तेरे लिए कपड़े लेने ही गया था।मैंने काले से कहा- लाओ दिखाओ तो सही क्या लाये हो?
काले ने पीछे से बैग उठा कर मुझे पकड़ा दिया, खोल कर देखा तो उसमें एक जीन्स, टीशर्ट, एक बड़े बड़े जूतों का जोड़ा और एक बहुत-बहुत छोटी काले रंग की ब्रा पैंटी थी। इसके इलावा एक गर्म जैकेट थी।सारे कपडे बेहद महंगे यानि कि ब्रांडेड थे। दोस्तो, ब्रा-पैंटी के बारे में बता दूं कि ब्रा झीने काले कपड़े की थी, जिसे अगर मेरे जैसी औरत पहन ले तो सिर्फ 25% मम्मे ही ढके जाएं, ऊपर से उसके कंधे भी नहीं थे यानि कि बस पीछे बांधने के लिए एक डोरी थी। पैंटी का तो नाम ही क्या लेना, सिर्फ 2 डोरियां और गांड और फुद्दी ढकने के लिए बड़ी मुश्किल से लगा काला झीना कपड़ा। वैसे मुझे यकीन नहीं था कि वो मेरे दोनों छेदों को ढक पायेगा।
तभी काले ने मुझसे पूछा- क्यों ठीक है ना?मैंने थोड़ा झेंप कर कहा- हां बाबा, ठीक है।

 
इसके बाद काले ने पीछे बैठे बैठे तीनों के लिए एक पेग बनाते हुए मुझे पीछे की सीट पर बुलाया। क्योंकि मैं पहले ही काफी पी चुकी थी इसलिए मैंने पीने में न नुकर की तो काले ने कहा- साली पी ले, पहला राउंड पूरे नशे में ही पार कर सकती है, तुझे पता नहीं है तेरी मां चुदने वाली है कुछ देर में।मुझे इस बात पे थोड़ा गुस्सा आया लेकिन आने वाले वक्त से अनजान मैंने भी एक डायलॉग चेप दिया- मां तो तुम दोनों की चोदूंगी आज मैं … वो भी अकेली।
काला और ढिल्लों इस बात पे ज़ोर ज़ोर से हंसे।
तभी मैं अचानक उठकर उकड़ूं पकड़ूँ होते हुए पीछे जाकर काले से सट कर बैठ गयी।
“हीटर तेज़ कर दे ढिल्लों!” ये कहकर उसने मुझे झफ्फी में लेते हुए मेरी लोई उतार दी और घुटनों के नीचे और कमर के पीछे बाहें डाल कर उठा कर अपनी मुझ अल्फनंगी को गोदी में बैठा लिया। बड़ी गाड़ी होने के कारण मैं आसानी से काले की गोद मे फिट हो गयी।
क्योंकि रात को काले शीशों में भी बाहर की रोशनी अंदर आ सकती है इसलिए ढिल्लों ने सभी शीशों को ढक दिया था सिवाए बस ड्राइवर साइड के आधे शीशे को छोड़कर। तो जनाब ढिल्लों ने गानों की आवाज़ तेज़ कर दी और पीछे होंठों से होंठ और जीभ से जीभ मिल गई।यार किस करने का तरीका तो काले का भी जबरदस्त था, 2 मिनट के अंदर ही मैं पूरी तैयार हो गयी। उसे किस करते करते मैं खुद उसके कपड़े उतारने लगी क्योंकि मुझे अब जल्दी से जल्दी उसके लौड़े के दर्शन करने थे।
तो जनाब सबसे पहले मैंने उसका सफ़ेद कुर्ता उतारा, वाह, क्या भरा हुआ मर्द था, बार बार उसकी छाती, पीठ और डौलों पर हाथ फेरने का दिल कर रहा था और मैंने फेरे भी, यहां तक कि उसके बलशाली, हट्टेकट्टे जिस्म को देख कर मैंने उसका पजामा उतारने में भी जल्दी न की।
खैर 4-5 मिनट मैं इसी तरह मैं उससे लिपटती चिमटती रही। मेरा जिस्म अब काम और हीटर की वजह से तपने लगा था। अब मुझे मुंह में लण्ड चाहिए था। इसलिए मैंने जल्दी जल्दी हड़बड़ाहट में उसका उसके पजामे का नाड़ा उतारा और उसका अंडरवियर नीचे खींच दिया।अगला नज़ारा देख कर मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- हाय मेरी माँ!
दोस्तो, इतना सुंदर लौड़ा तो ढिल्लों का भी नहीं था। हां उसके लौड़े से लंबाई में एक-आध इंच था लेकिन मोटा उससे भी ज़्यादा था। बड़ा सारा सुपाड़ा, जिसके आसपास ऊपरी मांस नाम की कोई चीज़ नहीं थी। अच्छी तरह साफ सुथरा, बाँह जितना मोटा खूबसूरत लौड़ा।उसको निहारने के लिए मैं एकदम रुक गयी तो मेरे पिछवाड़े पर आज़ादी से धीरे धीरे हाथ फेरते हुए काले ने मुझसे पूछा- क्यों, कैसा लगा हथियार?मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और न ही उसके पूर्ण तौर पर खिले हुए लौड़े को हाथ में पकड़ा।
मैंने अपना मुंह पूरी तरह खोला और उसके लौड़े को मुंह में 3-4 इंच तक लिया और इसी तरह उसे चूसने की कोशिश करने लगी। बेहद गर्म, मुलायम और तगड़ा लौड़ा था। मोटाई ज़्यादा होने के कारण उसे मुँह में लेकर चूसना मुमकिन नहीं था फिर भी मैंने 1-2 मिनट उसे मुंह में ही रखा। जब जबड़ा दर्द करने लगा तो बाहर निकाला और फिर आराम से जीभ और होंठों से चपर चपर चूसने लगी।
मुझे उसका लौड़ा इतना पसंद आ गया था कि 8-10 मिनट अपनी सुधबुध खोकर उसे चूसने चाटने में मस्त रही।
अचानक से क्या हुआ कि काले ने मुझे उठाकर नीचे ले लिया और मेरा मुँह सीट पर सट गया। पीछे मेरा पिछवाड़ा गाड़ी के दरवाज़े के साथ मिल गया और टाँगें ऊपर छत की तरफ हो गईं। हिलने की कोई गुंजाइश नहीं बची थी।
काले ने इसी तरह अपना आधा गीला लौड़ा मेरे मुंह में डाला और दे दना दन घस्से मारने लगा। वाक़ई ही मेरी माँ चुद रही थी। मज़ा अब दर्द में तब्दील हो गया, आंखें बाहर को आने लगीं। मेरा मुँह ज़िन्दगी में पहली बार इतना खुला था। अगला वार असहनीय था, उसने पूरी बेदर्दी से एक तेज़ घस्सा मारा और लौड़ा सारी हदें तोड़ता हुआ गले तक घुस गया। आधा मिनट रुका और फिर एक तेज़ घस्सा मार दिया।

 
मेरी क्या हालत थी ये आप समझ सकते हैं, मैं कुछ नहीं कर सकती थी कुछ भी नहीं, मेरी बांहों तक को उस वहशी ने जकड़ रखा था। ऊपर से मुंह बंद भी नहीं कर सकती थी कि कहीं मेरे दांत लौड़े पर न गड़ जाएं। मेरी आंखों से पानी की धार बह निकली और मैं अपने होश गंवाने लगी थी।तभी ढिल्लों की एक ऊंची आवाज़ आई- ओये काले, आराम से साले, मार डालेगा क्या, साले बहुत काम लेना है इससे अभी!
एकदम काले को मेरी हालत पर ध्यान आया तो उसने झटसे अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया। मैंने चीखने की कोशिश की लेकिन मेरे मुंह से आवाज़ नहीं निकली। अभी मुझे कुछ सांस आयी ही थी लौड़ा फच से मेरे गले तक पहुँच गया। काले ने 2-3 खूँखार घस्से मारे उसका वीर्य सहजे सहजे गले से नीचे उतरने लगा।
इसी तरह वो वहशी 2-3 मिनट मेरे गले में झड़ता रहा। जब उसे महसूस हुआ कि अब कोई बूंद भी वीरज की बाकी नहीं बची है तो लौड़ा बाहर निकाल लिया।मैं हैरान-परेशान उसी तरह लेटी रही, उठने की हिम्मत नहीं थी। मैंने खांसने की कोशिश की कि शायद वीर्य बाहर आये लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उसका बहुत सारा वीरज तो पेट में चला गया था और दोस्तो ऐसा भी पहली बार हुआ था।
गनीमत ये रही कि काला मेरे मुंह में नहीं झड़ा नहीं तो शायद मुझे उल्टी आ जाती। मेरे मुंह में तो वीरज का महज़ हल्का सा स्वाद था जिसे मैंने कुछ देर बाद पानी पीकर दूर कर लिया। अब तक मेरी गुस्सा हवा हो गया और मैंने काले से शिकायत की- यार, चूस तो रही थी, ये करने की क्या ज़रूरत थी?उसने कहा- तेरा जिस्म और भर जाएगा, ऐसे ही पीया कर माल।
दोस्तो, उसकी इस एक लाइन ने मेरी अगली सारी जिंदगी बदल दी थी क्योंकि इसके बाद मुझे वीरज गले में उतारने की आदत बन गयी। उसे चाट कर पीना मेरे लिए तो मुमकिन नहीं था इसलिए मैं अब लौड़े को पूरा गले तक उतार तक झड़ाती हूँ या अपने यारों से कह देती हूं कि वो झड़ते वक़्त लौड़ा गले तक पेल दें।
खैर ज़िन्दगी का ये तजुर्बा भी मुझे नया और सुहावना लगा था।
रात के 12 बज चुके थे, मैं अपने 2 शानदार और जानदार यारों के साथ गाड़ी में नंगी बैठी थी। अब तो मैं 2-2 लौडों से चुदने के बेताब हो चुकी थी लेकिन वो दोनों जल्दी नहीं कर रहे थे, पता नहीं क्यों?

आपकी अपनी रूपिंदर कौर की
हॉट चुदाई कहानी जारी रहेगी.

 
रात के 12 बज चुके थे, मैं अपने 2 शानदार और जानदार यारों के साथ गाड़ी में नंगी बैठी थी। अब तो मैं 2-2 लौड़ों से चुदने के बेताब हो चुकी थी लेकिन वो दोनों जल्दी नहीं कर रहे थे, पता नहीं क्यों?
क्योंकि रात को काले शीशों में भी बाहर की रोशनी अंदर आ सकती है इसलिए ढिल्लों ने सभी शीशों को ढक दिया था सिवाये ड्राइवर साइड के आधे शीशे को छोड़कर।

मैं गाड़ी की पिछली सीट पर पूरी नंगी बैठी काले का लौड़ा लगातार सहलाती रही लेकिन वो खड़ा ही नहीं हो रहा था। 15-20 मिनट की कोशिश करने के बाद मैं थक हार कर बेशर्मी की सारे हदें पार करती हुई काले के ऊपर चढ़ गई और उसे बेतहाशा चूमने चाटने लगी। काला भी मेरा भरपूर साथ देने लगा और मेरे बड़े और गोरे मम्मों को जितना हो सके, मुंह में भरकर चूसने लगा।
मैं पागल हुई जा रही थी, मुझे लौड़ा लिए हुए अब 2 घण्टे से ऊपर हो चुके थे, हालांकि इस दौरान मैं एक बार काले की उंगलियों के वार से झड़ी थी।

मेरी हरकतें रंग लायीं और काले का खूबसूरत मूसल तन के खड़ा हो गया। अब मैं इस पोजीशन में थी कि उसका लौड़ा आराम से ले सकती थी। तो जनाब … मैंने आव देखा न ताव … लौड़ा पकड़ा, फुद्दी के ऊपर जल्दी से रखा और ‘फच’ से एक तेज़ घस्सा मारा और उसके ऊपर बैठ गयी। लौड़ा जड़ तक फुद्दी के अंदर समा गया। उम्म्ह… अहह… हय… याह… क्योंकि उसका लौड़ा ढिल्लों से भी मोटा था इसीलिए अब मेरी फुद्दी और ज़्यादा खिंच गयी थी और हल्का सा दर्द भी हुआ।

और एक बात … कि मोटाई ज़्यादा होने के कारण मुझे पता था कि मैं उसके तीन या हद चार तेज़ घस्सों के मेहमान हूँ, और मैं झड़ भी जाऊंगी। पिछली बार ढिल्लों से एक घस्सा मारा था कि मेरा काम हो गया था लेकिन मुझे ये पसंद नहीं था क्योंकि कई छोटे लौडों वाले मुझे चोद चुके थे और अपने पति के साथ मैं 8-10 मिनट तो मैदान में रहती थी लेकिन ये लौड़े तो पहला पड़ाव शुरू होने से पहले ही खत्म कर देते थे, अब मेरी पाठिकाओं को पता ही है कि पहली बार का क्या आनन्द होता है।

खैर मैं उसका लौड़े अंदर लिए हुए आधा एक मिनट बैठी रही और मैंने काले से कहा- जानू, मैं खुद करूँगी. ओके?
उसने हां कह दी और वो बेपरवाही से मेरी बड़ी गांड पर हाथ फेर रहा था। अगली बार मैंने फिर पूरा लौड़ा बाहर निकाला और फिर उसके ऊपर जड़ तक बैठ गयी और अपनी फुद्दी को गोल गोल घुमाने लगी। कुछ देर उल्टी सीधी इसी तरह की हरकतें करती रही। मैं आनन्द में गोते खा रही थी।

अब मैं धीरे धीरे अपने चरम पर पहुंचने वाली थी। जब मुझे यह महसूस हुआ तो अचानक से अपनी गांड उठायी, पूरा लौड़ा बाहर निकाला और बेहद तेज़ी से अपनी फुद्दी उसके लण्ड पर दे मारी। तूफानी तेज़ी से मैंने एक बार फिर ऐसा किया। दो बार एक तेज़ ‘फड़ाचचचचच’ और मैं बुरी तरह ‘हम्म हुम्म हूम्म हम्म’ की आवाज़ में हुंकारते हुए झड़ी और काले के गले लग गयी और हांफने लगी।
मैं इतना ज़ोर लगा कर झड़ी थी कि काले से झट से ढिल्लों को कहा- बहनचोद, इसमें तो आग ही बड़ी है यार, सारी जान इकठ्ठी करके झड़ती है साली! मैंने तो ऐसी कामुक औरत आज तक नहीं देखी, बड़ा कीड़ा है इसमें।

कुछ देर काला वैसे ही मेरी फुद्दी में लंड फंसा कर बैठा रहा। जब मेरी सांसें कुछ ठीक हुईं तो उसने पीठ पर अपनी एक बाँह लपेट ली और धीरे धीरे लंबे घस्से मार कर नीचे से चोदने लगा। मैंने भी थोड़ी सी कमर ऊपर उठा ली ताकि उसकी जांघों पर मेरे भारी भरकम पिछवाड़े का भार कम पड़े।

वो लगातार मेरे मुम्मे चूसता रहा और मेरे पिछवाड़े पर हाथ फेरता मुझे आराम से चोदता रहा। नए लौड़े का तो अहसास ही शानदार होता है और फिर यह तो एक जबरदस्त मोटा लौड़ा था। मैं मस्त होकर चुदाई करवाने लगी। मेरी फुद्दी पूरी तरह उसके मूसल पर कसी गयी थी क्योंकि उसका लौड़ा ढिल्लों के लौड़े से भी ज़रा मोटा था।

10-15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के जिस्मों में लिपटे इसी तरह चलती गाड़ी में यह कामक्रीड़ा करते रहे। हम दोनों की आंखें बंद थीं और हम दोनों चुदाई के पूरे चरम पर थे कि मेरे मुंह से अनायास ही निकला- ज़ोर से काले!
काला जो कि मुझमें पूरी तरह खोया हुआ था, थोड़ा होश में आया और उसने पिछली सीट पर हौले से मेरी पटखनी लगा दी अगले पल ही मेरी टाँगें उसकी पीठ पर लिपटी हुई थी। अब मेरे घुटनों के पिछले हिस्से उसकी बांहों में थे और मेरी गांड गाड़ी की छत की तरफ बेपरवाही से उठ गई थी।

इस पटखनी के दौरान लंड बाहर निकल गया था इसीलिए मेरी छत की तरफ देखती फुद्दी में काले ने अपना लंड घुसाया और एक वहशियाना तेज़ घस्सा मारा, मेरे मुंह से ‘ऊई…’ निकल गया। क्योंकि घस्सा इतना तेज था कि उसने मेरी चूत की दीवारें हिला के रख दी थीं।

 
अब मुझे वो तूफानी रफ्तार में चोदने लगा और एक बार फिर मेरे पिछवाड़े और फुद्दी के तबले बजने लगे। पहली बार थी कोई इतना भारी मर्द मुझ पर चढ़ा था। मेरे जैसी हैवी गाड़ी भी उसका और उसके मोटे लौड़े का वज़न महसूस कर रही थी।
दोस्तो, उस काले सांड में इतनी पावर थी कि 15-20 तूफानी गति से लयबद्ध मेरी फुद्दी मारता रहा और 2 बार फिर मुझे निहाल कर दिया. लेकिन इस बार मेरी हुँकारों और हांफने के बाद भी वो रुका नहीं और ना ही धीरे हुआ।

तीसरी बार जब मैं झड़ने वाली थी तो मैंने उसका भार महसूस करते हुए उससे कह ही दिया- जट्टी फिर आ रही है।
ऊपर से मैंने नीचे से भी तेजी से हिलना शुरू कर दिया।

यह सुनकर काला जोश से भर गया और उसने गति और तेज़ करने की कोशिश की। अगले 5-7 घस्सों में हम दोनों पसीनो पसीनी होकर ‘हो … हो … हो …’ की आवाज़ें निकालते हुए झड़े। काले ने भी अपना सारा वीरज अंदर ही निकाला।

इस ज़बरदस्त चुदाई से लबालब भरे हम दोनों की अगले 15-20 मिनट कोई आवाज़ न निकली। काला भी मुझसे पूरा संतुष्ट लग रहा था और ज़रा हैरान भी लग रहा था।
कुछ देर और शांति रहने के बाद आखिर ढिल्लों बोला- क्यों साले? कुछ बोल भी … देती है न हिल हिल के?
इस पर काला बोला- यार गर्मी तो वाकई बड़ी है इसमें, पसीने से भर गया मैं तो! आज जैसा मज़ा कभी नहीं आया.

और फिर मुझे जफ्फी में लेकर कहने लगा- जल्दी होटल ढूंढ अब, देखते हैं हम दोनों का मुकाबला कर पाती है कि नहीं।
ढिल्लों बोला- मुकाबला तो करेगी, मेरे पास दवाई ही ऐसी है।
उसकी बात सुनकर मैं हैरान हो गयी कि अब मुझे जो पहले ही दारू की टल्ली थी, उसे ये क्या खिलाएंगे?

खैर कुछ देर शहर आ गया और ढिल्लों ने एक 4 स्टार होटल में एक कमरा बुक कर लिया। मैं गाड़ी में कपड़े पहनने लगी तो काले ने मना कर दिया और मुझे कमरे तक अपने जिस्म पर सिर्फ एक लोई लेकर ही जाना पड़ा। वैसे भी किसी को क्या पता था कि मैं अंदर से मादरजात नंगी घूम रही हूँ।

कमरे के अंदर आते ही मैंने पहले अपना मुँह अंदर और बाहर से साफ किया और फिर टूथब्रश किया। इसके फौरन बाद ही ढिल्लों ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और अगले ही पल लोई मेरे जिस्म से अलग हो गई और हम दोनों के होठों में होंठ पड़ गए।

बस इतना ही काम था उसका, जट्टी फिर गर्म हो गई। मैंने ढिल्लों पर अपना काबू जमाने के लिए उसे बेड पर गिरा दिया और उस पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी और उसके कपड़े उतारने लगी। काला कुर्सी पर बैठा सब देख रहा था।

तभी एकदम ढिल्लों रुका और बोला- काले, मेरे बैग से इंजेक्शन निकाल!
उसकी बात सुनकर मैं डर गई, मैं बुरी तरह से चीखी- नहीं ढिल्लों, कोई इंजेक्शन नहीं, ऐसे ही कर लो जो भी करना है, मैं इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी।

मुझे इस तरह गुस्से में देख कर ढिल्लों को पता चल गया कि मैं इस तरह इंजेक्शन नहीं लगवाऊंगी तो उसने मुझे फिर पकड़ लिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा और अपने सारे कपड़े उतार दिए।
15-20 मिनट बेड पर गुत्थम-गुत्था होते हुए मैं बेहद गर्म हो गई और मैंने ज़ोर से कहा- ढिल्लों, मार हथौड़ा … लोहा गर्म है।
ढिल्लों मेरी बात सुनकर मेरे नीचे से उठा और मुझे घोड़ी बना लिया। अगले वार से बेखबर मैंने बेपरवाही से अपना बड़ा पिछवाड़ा उसके हवाले कर दिया.

लेकिन ढिल्लों ने वो हरकत कर दी कि मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं चीख भी न सकी।
उसने लौड़ा मेरी फुद्दी पर घिसाते घिसाते अचानक मेरी गांड पर रखा और एक तगड़ा, तीक्ष्ण झटका मारा और अपना पौना लौड़ा मेरी गांड में उतार दिया। मेरा सारा काम काफूर हो गया और मैं बिलबिलाने लगी। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन उसकी पकड़ से आज़ाद न हो पाई। चादर मेरी मुठियों में भर गई थी।

दोस्तो … इसे ही गांड फटना कहते हैं!
दरअसल मेरी गांड का छेद बुरी तरह छिल गया था और थोड़ा खून भी निकला था। अब मुझे पता चला कि मैंने वाक़ई ही गलती कर ली थी उनको अपनी गांड का न्योता देकर। इनके लौड़े सिर्फ फुद्दी के लिए ही ठीक हैं। अपनी सारी ताकत इकठ्ठी करके मैं सिर्फ इतना कह पाई- ढिल्लों … निका…ल, हाथ … जोड़ती हूँ … फाड़ दी साले!
इस पर ढिल्लों बोला- साली पता चला, ये फुद्दी नहीं गांड है जानेमन, अब तो इन्जेक्शन लगवा ले, गांड तो तेरी मारेंगे ही अब, वो भी फुद्दी के साथ।

लेकिन मैं भी ज़िद को पक्की थी, हार नहीं मानी और कराहती हुई बोली- ऐसे ही कर लो जो करना है, मगर प्लीज तेल तो लगा लो थोड़ा।

 
इस पर ढिल्लों ने एकदम से अपना जंगली लौड़ा बाहर निकाला और एक बार फिर एक तेज़ झटका मारा। उसका इरादा तो सारा लौड़ा जड़ तक पेलने का था लेकिन मेरी गांड की कसावट के कारण वो 7-8″ तक ही गया। मुझे एक बार फिर बहुत तेज़ दर्द हुआ और मैं मुठ्ठियाँ भर के रह गई लेकिन इस बार एक तेज़ चीख मेरे मुंह से निकली। अब मैंने सोचा कि अभी तो ढिल्लों ने मुझे चोदना भी शुरू नहीं किया था, तब ही इतना दर्द हो रहा है, और जब तेज़ी से चोदेगा तो मुझे मार ही डालेगा।

यह सोच कर मैंने ढिल्लों से कहा- ढिल्लों, ज़्यादा नशे का मत लगा देना, और दर्द तो नहीं होगा फिर?
मेरी बात सुनकर ढिल्लों जिसका पौना लौड़ा मेरी गांड में फिट था, हंसा और बोला- जानेमन … और सब कुछ होगा मगर दर्द नहीं होगा।
और फिर काले से बोला- वो मेरे बैग में इंजेक्शन है, भरा हुआ है, ला मुझे दे।

यह कह कर उसने मेरी गांड से फच से लौड़ा निकाल लिया और उसके निकालते ही मेरा हाथ सीधा अपनी जलती हुई गांड पर गया। जब मैंने हाथ लगा कर देखा तो मेरी उंगलियों पर खून लगा हुआ था। बड़ी बेरहमी से ढिल्लों ने मेरी गांड को फाड़ दिया था।

अगले ही पल ढिल्लों ने मेरी नाड़ी में सारा इंजेक्शन भर दिया था, इंजेक्शन लगने के चंद पलों के बाद ही मेरी गांड का जलना एकदम बंद हो गया। मेरी आँखें चढ़ गयीं और मेरी ज़बान से शब्द ठीक तरह निकलने बन्द हो गए।

जब मैं नशे के कारण पूरी सेट हो गई तो ढिल्लों ने काले को कहा- साली सेट हो गई है, इसमें तो वैसे ही बड़ी आग है अब पता नहीं क्या करेगी। इसको अब नींद भी नहीं आएगी, सारी रात इसे लौड़ों पर ही रखना है, ठीक है?
काले ने जवाब दिया- यार, इसे एक बार चोद चुका हूँ, हमसे शायद कंट्रोल न हो पाए ये, हम भी एक एक लगा लेते हैं।
ढिल्लों ने कहा- रुक जा अभी, ये ले अफीम की डली, पहला राउंड 2-2 पैग मार के लगाते हैं, उसके बाद इंजेक्शन लगाएंगे। मगर हाँ, कुश्ती ज़बरदस्त होनी चाहिए, ढीला मत पड़ना, बड़ी मुश्किल से ऐसा करारा माल मिला है, मैं तो लौंडों की गांड मार मार के ही थक गया था, साली की गांड इतनी टाइट है कि लौड़े को न बाहर जाने देती है ना अंदर।

काले ने कहा- चल पहले राउंड में तू गांड मार और मैं फुद्दी।
उनकी बातों से बोर होकर मैं बोली- सालो, कौन सा इंजेक्शन लगा दिया है, सारा कमरा घूम रहा है, पानी दो मुझे।

मेरी बात सुनकर ढिल्लों ने मुझे पानी दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। पता नहीं कौन सा नशा था वो, मैं एकदम मस्त हो गई और काम से कांपने लगी। मैं ढिल्लों से लिपट कर इतने जोश में उसे चूम चाट रही थी कि ढिल्लों के मुंह से अनायास ही निकला- बड़ा मज़ा दे रही है साली, क्या खाकर पैदा किया था तुझे, बहनचोद इतनी गर्मी? जल्दी आ मेरे लौड़े के ऊपर, गांड में लेना है जड़ तक।

मैं उसके नीचे से निकली, ढिल्लों सीधा लेट गया। मैं उठी और अपनी खून से सनी हुई गांड उसके लौड़े पर रखी और झटका मार कर नीचे बैठ गई, आधा लौड़ा मेरी गांड के अंदर के था कि ढिल्लों बोला- पूरा ले।
मैं ऊपर उठी और पूरा जोर लगा कर एक बार फिर नीचे को घस्सा मारा, सारा लौड़ा गांड में जाकर इस तरह फिट हो गया कि अब यह निकल नहीं पायेगा। दर्द मुझे इस बार भी महसूस हुआ, लेकिन पहले से काफी कम।

तभी ढिल्लों बोला- बैठी रह, हिलना मत!
यह कहकर उसने तेज़ी से 5-7 घस्से नीचे से मारे जिसके कारण मेरे जिस्म का पोर पोर हिल गया। मुझे इस बार फिर दर्द का एहसास हुआ और मेरे मुंह से निकला- साले तेल लगा ले, इस तरह नहीं हो पायेगा, दर्द होता है।

क्योंकि यह फुद्दी नहीं थी जिसके कारण चिकनाई नहीं पैदा हो सकती थी इसीलिए ढिल्लों को मेरी बात ठीक लगी और उसने मुझसे कहा- जा बैग में सरसों का तेल पड़ा है, उठा कर खुद लौड़े पे मल दे।
मैं उठी और लड़खड़ाते हुए उसके बैग की तरफ बढ़ी और उसके बैग में से सरसों का तेल निकाल कर ले आयी और बड़ी जल्दी से उसके हब्शी लौड़े को तेल से भर दिया। पूरी तरह तसल्ली करने के बाद मैं फिर उठी, लौड़ा अपनी गांड पर रखा और दांत कचोट कर नीचे तेज़ी से बैठ गयी। लौड़ा जड़ तक फुद्दी में पिल गया और मुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ। दर्द न होने के कारण मैं ऊपर बैठ कर 10-15 मिनट अपने आप घस्से मारती रही और जब भी मेरा हाथ अपने आप फुद्दी पर जाता तो ढिल्लों उसे हटा देता था, जिसके कारण मेरा काम नहीं हुआ।
तभी ढिल्लों बोला- करती रह इसी तरह 15 मिनट और … फुद्दी में लौड़ा फिर ही मिलेगा. और हां … अगर तेज़ी से करेगी तो जल्दी मिल जाएगा।
फुद्दी में लौड़ा लेने के लिए मैं पागल हुई जा रही थी इसलिए उसकी बात सुनकर मैं तेज़ी से उसके लौड़े पर कूदने लगी। कुछ ही पलों बाद मुझे पता नहीं क्यों गुस्सा सा चढ़ गया और मैं बेलगाम हो गयी। मैं उसका पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर अपनी गांड उसके लौड़े पर ज़ोर ज़ोर से मारने लगी। हालत यह थी कि नशे की वजह से मेरे मुंह से हुंकारें निकलने लगीं और लार टपकने लग पड़ी। मैं इतने ज़ोर से करने लगी थी जिसे ढिल्लों से किसी बात का बदला ले रही होऊं।

जब मैंने इसी तरह 15-20 घस्से मारे तो ढिल्लों ने मुझे धीरे होने को कहा लेकिन उसकी बात सुनकर मुझे और जोश चढ़ गया मैं कंट्रोल से बाहर हो गई। ‘हूं हूँ हूँ …’ करती हुई जब मैं उसके लौड़े पर बुरी तरह उछल रही थी तो ढिल्लों ने काले को कहा- साले, मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाएगी, ज़्यादा डोज़ दे दी है इसे हमने, जल्दी आ और फुद्दी में डाल इसके, बहनचोद बेड तोड़ देगी अगर इसी तरह लगी रही तो, लौड़े में भी दर्द होने लगा है, जल्दी आ यार।

काला अभी बेड के ऊपर चढ़ने ही वाला था कि मैंने गुस्से में आकर धक्का देकर उसे पीछे धकेल दिया और अपने दोनों हाथ ढिल्लों की छाती पर रखकर इतनी तेजी और ज़ोर से उछलने लगी कि ढिल्लों की कमर दर्द करने लगी।
इस पर ढिल्लों से चिल्लाकर काले से कहा- मादरचोद जल्दी आ, साले नशा ज़्यादा हो गया इसका, जल्दी डाल इसकी फुद्दी में लौड़ा।

कहानी जारी रहेगी.

 
मेरी पंजाबी चूत की चुदाई की इस कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपने चोदू यार के दोस्त से चुद रही थी.
मैंने इसी तरह 15-20 घस्से मारे तो ढिल्लों ने मुझे धीरे होने को कहा लेकिन उसकी बात सुनकर मुझे और जोश चढ़ गया मैं कंट्रोल से बाहर हो गई। ‘हूं हूँ हूँ …’ करती हुई जब मैं उसके लौड़े पर बुरी तरह उछल रही थी तो ढिल्लों ने काले को कहा- साले, मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाएगी, ज़्यादा डोज़ दे दी है इसे हमने, जल्दी आ और फुद्दी में डाल इसके, बहनचोद बेड तोड़ देगी अगर इसी तरह लगी रही तो, लौड़े में भी दर्द होने लगा है, जल्दी आ यार।

काला अभी बेड के ऊपर चढ़ने ही वाला था कि मैंने गुस्से में आकर धक्का देकर उसे पीछे धकेल दिया और अपने दोनों हाथ ढिल्लों की छाती पर रखकर इतनी तेजी और ज़ोर से उछलने लगी कि ढिल्लों की कमर दर्द करने लगी।
इस पर ढिल्लों से चिल्लाकर काले से कहा- मादरचोद जल्दी आ, साले नशा ज़्यादा हो गया इसका, जल्दी डाल इसकी फुद्दी में लौड़ा।
जब ढिल्लों ने उसे इस तरह कहा तो काला जोश में आ गया। इधर मैं दीन दुनिया से बेखबर अपनी पहली बार चोदी जा रही गांड का बाजा खुद बजा रही थी। क्योंकि मेरा मुंह ढिल्लों की तरफ था और गांड में लौड़ा था इसलिए काले ने मुझ उछलती उछलती को ही उसकी कमर से उठा लिया।
काले के ऐसा करने से मुझे और गुस्सा चढ़ गया और मैं ढिल्लों को बहुत ऊंची आवाज़ में गालियां निकालने लग गई- बहन चोद, दम नहीं क्या अब, अब किया नहीं मुकाबला कुत्ते, साला, हरामी, शेरनी हूँ शेरनी, तुझे तो कच्चा खा जाऊंगी। आ साले अब अकेला!

ये सब सुनकर ढिल्लों हंस पड़ा- साले शाम से दारू और अफीम और अब ये इंजेक्शन दे दिया है, जल्दी ला इसे यहां।
काले ने मुझ बुरी तरह से हुंकारती हुई को बेड पर दे पटका और मुझे कहा- उधर मुंह करके लौड़े पर बैठ, पीछे लेना है गांड में!

मैं अपने पूरे होशोहवास में नहीं थी, मेरा मुंह ऐसे बन गया था कि मेरा पति भी मुझे पहचान न सके। आंखों के नीचे ज़्यादा नशा होने के कारण काले घेरे से उभर आए थे, बाल बुरी तरह बिखर चुके थे, लिपस्टिक मुंह पर जगह जगह लगी हुई थी। मैंने चुपचाप उसका कहा माना और दूसरी तरफ मुंह किया, गांड पर लौड़ा सेट किया और आराम से बैठ गई। ढिल्लों के लौड़े से मोटाई ज़्यादा होने के कारण मुझे दर्द तो हुआ लेकिन नशा इतना ज्यादा किया हुआ था कि इसका बस एक हल्का सा अहसास ही था।

मैंने लौड़ा पूरा जड़ तक ले लिया और फिर घस्से मारने लगी लेकिन अब मेरा वो जोश थोड़ी देर के लिए ठंडा पड़ गया था। ढिल्लों मेरे सामने खड़ा दारू पी रहा था और मुझे देख रहा था।
जब मैं इसी तरह 5-7 मिनट के लिए करती रही तो मुझे सामने नंगे खड़े ढिल्लों को देख कर जोश चढ़ गया और मैंने उसकी आँखों में आंखें डाल कर अपनी गति तेज कर दी। सारे कमरे में मेरे भारी भरकम चूतड़ों की ‘धप्प … घप्प …’ की आवाज़ एक बार गूंजने लगी।

मैं और तेज़ होने लगी तो ढिल्लों ने समझा के मामला बिगड़ न जाये तो उसने दारू का गिलास मेज़ पर रखा और मेरी ज़िंदगी की पहली दमदार चुदाई शुरू होने वाली थी। मैं अकेली और दो दमदार काले सांड।
ढिल्लों को आते देख काले ने पीछे से मुझे अपने खींच लिया और मेरी पीठ अपने सीने से सटा ली। मुझे रुकना पड़ा।

ढिल्लों आया और उसने मेरी टाँगें उठायी और अपनी बांहों में भर लीं।
1-2 मिनट वो मेरी और अपनी पोज़िशन ठीक करता रहा। काले को भी उसने दो-तीन निर्देश दिए। मेरी गांड में उसका पूरा तो नहीं लेकिन 7-8 इंच लौड़ा फिट था। अब ढिल्लों से मेरी फुद्दी पर अपना मूसल रखा और काले के ऊपर से ही मेरी तह लगाते हुए एक तेज़ करारा तीक्ष्ण शॉट मारा और रुक गया। मेरे द्वारा एक और किला फतेह किया जा चुका था।

जब मुझे महसूस हो गया कि दोनों छेदों में लौड़े घुस चुके हैं तो मुझे एक अजीब सी तसल्ली का अहसास हुआ। लेकिन मुझे इस बार भी बहुत दर्द हुआ, एक बार फिर गांड में। मेरी पंजाबी फुद्दी में भी लौड़ा जाने की वजह से मेरी गांड में काले का लौड़ा और कस गया था। इसके अलावा फुद्दी भी ढिल्लों के लौड़े को आसानी से नहीं ले पा रही थी।

दोस्तो, अगर मैं नशे में नहीं होती तो मैं भागने की कोशिश जरूर करती क्योंकि मुझे इतना दर्द होता कि मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं रहता। खैर नशे के कारण मैं ये भी सह गयी।
मेरे मुंह से निकला- ओ मेरी माँ, दो चढ़ गये। हाय!

अगर अब कोई कमरे का नज़ारा देखता तो उसकी आंखें खुली की खुली रह जातीं। वो दोनों भी तकड़े, भारी भारी शरीरों वाले मर्द थे और मैं भी औरतों के मुकाबले कुछ ज़्यादा ही भरी भरी थी। तो तांगा जुड़ चुका था और इसका मुकाबला बेड से था।

 
“काले बारी बारी … हो जा शुरू!” ढिल्लों की आवाज़ आयी और काले ने नीचे मेरी गांड में एक धीमा मगर लंबा घस्सा मारा और रुक गया। इसके बाद ढिल्लों ने ऐसे ही एक घस्सा मारा और रुका।
दोस्तो, एक औरत की दो मर्दों द्वारा चुदाई आसान नहीं है, इसके लिए भी आपको तजुर्बा होना चाहिए वरना इसमें बार बार लौड़े बाहर निकलते रह सकते हैं। लेकिन ये दोनों मंझे हुए खिलाड़ी थे। लौड़े अंदर भी थे और जड़ तक भी जा रहे थे।
मेरे खुले मुंह से तरह तरह की आवाज़ें निकल रही थीं। 15-20 मिनट तक मुझे लगातार इसी तरह चोदने के बाद ढिल्लों अचानक रुका और काले से बोला- एक साथ जाने दे अंदर! और स्पीड तेज़ कर दे।

काला उसकी बात सुनकर जोश में आ गया और उसने ढिल्लों से कहा- साली इस बार तो झड़ी ही नहीं, चल करते हैं इसकी मां बहन एक।
यह कह कर दोनों ने मेरी वो तूफानी चुदाई शुरू कर दी कि मेरी चूत और गांड में छक्के छूट गए। बेड ज़ोरों से हिलने लगा और ‘चूं … चूं …’ की आवाज़ करने लगा। अब मेरे मुंह से बस ‘हूँ … हूँ … हूँ …’ की आवाज़ निकल रही थी। तेज़ गति में उन दोनों ने 10-12 घस्से ही मारे कि मेरी फुद्दी ने घुटने टेक दिए और मैं ज़ोरों से झड़ने लगी। मेरे मुंह से बहुत ऊंची आवाज में ‘हाय मेरी माँ …’ निकला और मैं ढिल्लों के सीने पर बदहवासी से सांस लेते हुए पसर गई।

मेरे झड़ने के बाद भी उनकी गति में कोई फर्क नहीं आया और वो मुझे ‘ताड़ … ताड़ …’ करके 15-20 मिनट तक चोदते रहे। इस समय मुझे अपने आप पर इतना गर्व हो रहा था कि पूछो मत। दर्द नाम की कोई चीज़ मेरे जिस्म में नहीं थी और मैं पूरे जोश में मोर्चे पर डटी हुई थी।

एक और तूफानी चुदाई के बाद मैं एक बार फिर ज़ोरों से झड़ गयी। दोस्तो, अब मेरे जिस्म का जोश कुछ ठंडा पड़ गया था। मगर वो थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। ये देख कर मैंने हांफते हुए उन दोनों से कहा- बस करो यार … दो बार हो गया मेरा, कितनी लोगे मेरी? थोड़ा टाइम दो मुझे।

यह सुनकर काला हंसा और बोला- अभी तो जानेमन, हमने काम शुरू किया है अपना, अगर सुबह तक तेरी चाल ही ना बदली तो हम किस काम के, और अभी तो हमने तेरी तरह इंजेक्शन भी नहीं लिए हैं, बस समझ ले तुझे चुदना है जब तक हम नहीं थक जाते, थोड़ा जोश में आ जा अब।

उसकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए। अभी तो उन्होंने मुझे 30-40 मिनट ही चोदा था और सुबह तक चुदने की बात सुनकर मैं घबरा सी गयी। मुझे अब पता चल चुका था कि जोश जोश में मैंने इन पंजाबी सांडों के साथ गलत पंगा ले लिया था। मुझे यह भी पता था कि मेरी फुद्दी और गांड दोनों के छेद सुबह तक इतने खोल दिए जाएंगे कि किसी छोटे लण्ड से मैं शायद कभी न झड़ सकूँ।

जब मैंने यह सोचा तो मैंने काले से एक पैग की मांग की क्योंकि मुझे पता था कि बिना नशे के मैं सुबह तक इन दोनों का सामना नहीं कर पाऊंगी और फिर मेरे पास यही एक विकल्प बाकी था। मेरी इस मांग को काले ने स्वीकार कर लिया और वो दोनों रुक गए.

इसी बीच काले ने मुझे एक मोटा देसी दारू का पेग बना कर पिला दिया। इस दौरान मैं बेड से उतर कर नीचे खड़ी हो गयी थी। 2 मिनट के अंदर ही मेरी आँखों के सामने पूरा कमरा घूमने लग गया। उन दोनों ने भी एक एक पेग चढ़ा लिया।

मैं नीचे हाथ लगाकर अपनी गांड को चेक करने लगी तो दोस्तो सीधी 3 उंगलियां मेरी गांड में घप्प से घुस गयीं। मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- सालो, ये क्या कर दिया, इतनी खुल गयी है मेरी।
मेरी बात सुनकर वो दोनों ऊंची ऊंची हँसने लगे।

मेरी नज़र उनके पूरी तरह तने हुए काले लौडों पर पड़ी तो मुझे एहसास हुआ कि अब मैं आम जनता और अपने पति के काम से तो गयी। यही कुछ मेरे दिमाग में चल रहा था कि ढिल्लों मेरे आगे आया और उसने मुझे ऊपर उठा लिया और घप्प से मेरी फुद्दी में डाल दिया। मेरा दोनों बड़े बड़े और दूध से सफेद चूतड़ उसके फौलादी हाथों में थरथरा रहे। उन दोनों को पकड़ कर ढिल्लों से 8-10 अपने लौड़े पर तेज़ी से ‘फच … फच …’ की आवाज़ के साथ मारा।

 
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