hotaks444
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तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
"मैने कभी आपसे ये तो नही चाहा था आपने ऐसा क्यू किया , मैने जो भी किया सिर्फ़ आप की ख़ुसी के लिए किया . मैं जानती हूँ मेरे रवैये से आपको काफ़ी तकलीफ़ पहुचि है लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नही था
.प्लीज़ मुझे कोई भी सज़ा दीजिए पर इस तरह मूह ना मोडिये .मुझे अपनी सफाई देने का एक मौका तो दीजिए या कोई सज़ा देना चाहे तो दीजिए पर इतनी बड़ी सज़ा मत दीजिए की मैं ज़िंदा होकर भी जी ना सकूँ,, प्लीज़"
आरती साहिल के सिरहाने बैठी रोए जा रही थी जो ज़िंदगी और मौत के बीच लड़ रहा था .उसके मासूम से चेहरे पर आँसुओ की लड़ी लग गयी थी. पिच्छले तीन घंटे से रोए जा रही थी वो .आज उस आरती को दुनिया जहाँ , घर-परिवार किसी का कोई डर नही था , डर तो बस इस बात का था कि उसकी ज़िंदगी मे ख़ुसीयों के रंग भरने वाला ,मायूसी मे ज़िंदगी का साथ ना छोड़ दे.आरती की मम्मी पुष्पा,भाई रोहन और पापा शंकर दयाल भी इस वक़्त उसी हॉस्पिटल मे थे .सबके चेहरे पर उदासी थी
"आपको याद है आपने मुझसे वादा किया था एक बार कि मैं आपसे ज़िंदगी मे कोई भी एक चीज़ माँग सकती हूँ,,आज मुझे मेरा वो गिफ्ट चाहिए ,,आपको अपना वादा निभाना होगा, मुझे मेरे सबसे अच्छे दोस्त का साथ चाहिए , मुझे मेरी सबसे बड़ी ख़ुसी चाहिए ,मुझे मेरी ज़िंदगी को वो खूबसूरत सितारा चाहिए.प्लीज़ कम बॅक, आइ कॅन'ट लिव विदाउट यू ..प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज"
और इन्ही शब्दों के साथ दूसरी बार बेहोश हो गई थी आरती.
,हॉस्पिटल मे मौजूद उसके मम्मी पापा दुखी भी थे और हैरान भी. दुखी इसलिए थे कि साहिल की हालत बहुत नाज़ुक थी और हैरान इसलिए क्यूकी आरती की बातों ने उन्हे बहुत कुच्छ सोचने पर मजबूर कर दिया था . शाहिल आरती का मामा था और उमर मे उस से तकरीबन 5 साल बड़ा. मामा के लिए दुखी होना जायज़ था लेकिन दोस्त और वो भी इतना गहरा रिश्ता ये शायद किसी को समझ मे नही आया था.
लेकिन आरती को आज इन सब बातों से कोई फ़र्क नही पड़ने वाला था , आज उसे अपना अस्तित्व ही बुरा लगने लगा था ,साहिल की इस हालत का ज़िम्मेदार वो खुद को समझ रही थी.पिच्छले 4 सालो से साहिल से उसकी बात चीत बंद थी और इसमे ज़्यादा बड़ा हाथ उसकी अपनी बेरूख़ी का ही था .लेकिन आरती का दिल ही जानता था उस बेरूख़ी की वजह .
डॉक्टर.तपस्वी को लेकर राहुल कमरे मे पहुचा जहाँ साहिल मौत से लड़ने की जी तोड़ कोसिस कर रहा था.
साहिल एक होनहार आइएएस ऑफीसर था जिसकी ट्रैनिंग के बाद पहली पोस्टिंग लखनऊ मे ऐज ए एस.डी.एम. हुई थी और राहुल उसका सबसे क्लोज़ फ्रेंड था लेकिन शायद बेस्ट-फ्रेंड नही.राहुल और साहिल साथ साथ सिविल सर्वीसज़ की प्रेपरेशन कर रहे थे और साथ साथ ही सेलेक्ट भी हो गये थे.राहुल ऐज एन आइपीएस ऑफीसर आंड साहिल ऐज आन आइएएस.
डॉक्टर तपस्वी साहिल को चेक कर रहे थे और उन्होने सिस्टर को बुलाकर उसे कोई इंजेक्षन लगाने को कहा.
"मम्मी आप आ आ गई"पुष्पा दौड़ते हुए अपनी माँ सरिता देवी के गले लग गयी जो अभी बेटे के बीमार होने का सुनकर अपने पति रामनारायण के साथ गाओं से आए थे. " क्या हुआ मेरे लाल को , किसी ने मुझे पहले क्यू नही बताया , कैसा है वो , मुझे अभी मिलना है."
"नानी, मामा बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,आप चुप हो जाए , डॉक्टर पूरी कोशिस कर र्हे है.आप अभी उनसे नही मिल सकती अभी वो बेहोश है " राहुल बोला.
साहिल पिच्छले तीन दिनो से बेहोश था और हॉस्पिटल मे था.
रात के1 बजे ऱाहुल को फोन आता है कि एसडीएम सहब की कार का आक्सिडेंट हो गया है और वो रोड के किनारे पड़े हुए हैं ,राहुल जो कि मिर्ज़ापुर मे ऐज ए एसीपी पोस्टेड था उस दिन शाहिल के घर ही आया था लेकिन उसने ये बात साहिल को नही बताई थी क्यूकि वो उसे सर्प्राइज़ देना चाहता था.
राहुल साहिल के बगलो पर पहुच कर उसका वेट कर रहा था जब उसे फोन आता है.शायद कॉलर ने साहिल की कॉल लिस्ट मे राहुल का नंबर देख कर उसे कॉल किया था . राहुल जब तक स्पॉट पर पहुचता है वहाँ काफ़ी भीड़ लग चुकी थी और लोग एसडीएम सहब को हॉस्पिटल ले जा रहे थे . राहुल जल्दी से आंबुलेन्स मे बैठकर साहिल का सर अपनी गोद मे रख कर उसे बुलाने लगता है.साहिल को सर पर काफ़ी छोटे आई थी,,और वो बेहोश हो गया था. राहुल का गला भर आता है उसकी हालत देखकर.
साहिल उसका दोस्त तो था ही लेकिन एक बहुत अच्च्छा इंसान भी था जिस ने ज़िंदगी मे सिर्फ़ देना सीखा था. आंब्युलेन्स अपनी स्पीड से बढ़ी जा रही थी और राहुल रोए जा रहा था और साहिल को उठाने की कोसिस भी कर रहा था .
अचानक साहिल को होश आता है. वो बड़ी मुस्किल से अपनी आँखे खोलता है ,,राहुल को देखकर उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ..आह... कितना दर्द था उस मुस्कुराहट मे..
साहिल के होंठ फड़ फडाने लगते हैं,,,राहुल झुकर अपना कान उसके पास कर देता है."राहुल, मैं जीना नही चाहता यार" बस इतना ही बोल पता है साहिल और उसकी आँखे बंद होने लगती है.
"साहिल प्लीज़ आँखे खोल यार. ऐसा मत कर मेरे साथ मेरे भाई . साले तूने तो कहा था हम अपनी दोस्ती को एक मिसाल बनाएँगे ...अच्छी दोस्ती निभा रहा है, पहले पापा- मम्मी छोड़ कर चले गये अब तू भी साथ छोड़ रहा है ...प्लीज़ ऐसा ना करना मेरे यार " फुट फूटकर रोने लगता है वो साढ़े 6 फीट का बांका नौजवान. और तब से लेकर अभी तक साहिल बेहोश था .तीन दिन बीट गये थे .साहिल के दीदी जीजा तो अगले दिन ही आ गये थे लेकिन उसकी मम्मी और पापा को बाद मे खबर दी गयी थी.
साहिल की साँसे थमने लगी थी..और उसकी ये हालत देखकर हर कोई सकते मे आ गया था.साहिल की दीदी और मम्मी तेज तेज रोने लगी.
"प्लीज़ डॉक्टर साहब मेरे बेटे को बचा लीजिए" .
आरती रोने की आवाज़ से वापस होश मे आने लगी और कुच्छ ही पलों बाद पूरे होश मे आ गई ."नानी, प्लीज़ मामा को बचा लो "अपनी नानी के सीने से लगकर तड़प उठी थी वो.साहिल की हालत देखाकर आरती का दिल तड़प उठा. वो साहिल से लिपटकर रोने लगी ...
डॉक्टर ने नर्स को एलेक्ट्रिक शॉक देने को कहा .आरती को राहुल ने साहिल से जबदस्ती अलग किया...दो तेज झटके दिए गये और साहिल की साँसे तेज चलने लगी
.वो अपने सीने को ज़ोर से दबाए था.उसने धीरे धीरे आँखे खोली-सामने आरती खड़ी थी.वो आरती जो जिसे वो अपनी सबसे बड़ी ताक़त समझता था और जिसके आँसू आज भी उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी थी. आरती का पूरा चेहरा आँसुओ से भीगा था और आँखे सूज कर लाल हो गई थी...कितनी तड़प और चाहत थी उन आँखो मे ..साहिल की आँखो से भी आँसू बहने लगे और वो सर हिलाकर आरती को चुप होने को बोलने लगा .
राहुल दौड़कर साहिल के पास पहुचा ...साहिल की आँखे भर आई थी अपने दोस्त को देखकर."
डॉक्टर तपस्वी जानते थे कि अभी वो ठीक नही है और ये बस एलेक्ट्रिक शॉक के झटके की वजह से कुच्छ क्षणों के लिए सामान्य लग रहा है .साहिल की साँसे फिर तेज चलने लगती है .
" मुझे बचा ले यार. .."इतना ही कह पाता है राहुल से और उसकी साँसे उखाड़ने लगती है."
इसे फ़ौरन आइसी यू मे ले चलो"राहुल उनके पीछे भागता है , आरती बौखलाई सी उसके पीछे जाती है,किंतु दोनो को गेट पर ही रोक देते है .
"डॉक्टर प्लीज़ उन्हे बचा लीजिए नही तो मैं जी नही पाउन्गी" आरती आइसीयू के सीशे को पकड़कर सिसकने लगती है ..उस समय उसके इतने करीब सिर्फ़ राहुल था जो उसे सुन पाया था.साहिल की माँ दौड़ती हुई वहाँ आ जाती है
.पुष्पा "मम्मी चुप हो जाओ, उसे कुच्छ नही होगा उपर वाला हमसे हमारा हीरा नही चीन सकता , उसे कुच्छ नही होगा मम्मी "
" .दोनो माँ- बेटी गले लगकर रोने लगती है
राहुल के दिमाग़ मे बहुत सारे सवाल उठ रहे थे . यूँ तो वो साहिल के बहुत करीब था प्रार फिर साहिल की ज़िंदगी का एक कोना ऐसा था जिसे उसने किसी खास के लिए बचा के रखा था .
"तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा, बेवफा " अक्सर राहुल ये सेंटेन्स देखता था लिखा हुआ , कभी साहिल की नोटबुक के किसी पेज पर , कभी किसी बुक के कवर पर या फिर किसी न्यूज़ पेपर के एडिटोरियल पर . आज तक साहिल ने उस से कभी इसके बारे मे बात नही की थी .एक बार उसने पूछा था साहिल से , बस इतना कहता" कुच्छ नही यार बस किसी की बेवफ़ाई याद आ गयी..एक बार उस से ज़रूर पूछूँगा ..उसने क्यू किया मेरे साथ ऐसा...आख़िर क्यू"
उसके बाद साहिल ने राहुल से प्रॉमिस लिया कि अब वो कभी इसके बारे मे नही पुछेगा . राहुल को ना चाहते हुए भी उसकी बात मान नी पड़ी.
पर इन तीन दिनो मे बहुत कुच्छ ऐसा हुआ था जिसने उसे बहुत कुच्छ सोचने पर मजबूर कर दिया था . पहले साहिल का वो कहना कि मैं जीना नही चाहता फिर , वो कि मुझे बचा ले यार और आरती की तड़प ...अब कुच्छ कुच्छ उसे समझ मे आने लगा था लेकिन वो नही जानता था कि ज़िंदगी के खेल कैसे अजीबो ग़रीब होते है...अभी इन सब सवालो से उपर था साहिल की ज़िंदगी का सवाल.
आरती " अगर तुम्हे कुच्छ होगया तो मैं जी नही पाउन्गी साहिल,मुझे अपने आप से नफ़रत हो रही है साहिल ,,एक बार मुझे सीने से लगाकर बोल दो मैने तुम्हे माफ़ किया..मैं तुम्हारी गनाहगार हूँ, लेकिन मैं मजबूर थी .अब मैं तुम्हारा साथ कभी नही छोड़ूँगी ..प्लीज़ कम बॅक जान प्लीज़ कम बॅक.."
आरती की आँखो से झार झार आँसू बह रहे थे और अतीत के पन्ने उसकी आँखो के सामने खुलते चले जाते है..
"मैने कभी आपसे ये तो नही चाहा था आपने ऐसा क्यू किया , मैने जो भी किया सिर्फ़ आप की ख़ुसी के लिए किया . मैं जानती हूँ मेरे रवैये से आपको काफ़ी तकलीफ़ पहुचि है लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नही था
.प्लीज़ मुझे कोई भी सज़ा दीजिए पर इस तरह मूह ना मोडिये .मुझे अपनी सफाई देने का एक मौका तो दीजिए या कोई सज़ा देना चाहे तो दीजिए पर इतनी बड़ी सज़ा मत दीजिए की मैं ज़िंदा होकर भी जी ना सकूँ,, प्लीज़"
आरती साहिल के सिरहाने बैठी रोए जा रही थी जो ज़िंदगी और मौत के बीच लड़ रहा था .उसके मासूम से चेहरे पर आँसुओ की लड़ी लग गयी थी. पिच्छले तीन घंटे से रोए जा रही थी वो .आज उस आरती को दुनिया जहाँ , घर-परिवार किसी का कोई डर नही था , डर तो बस इस बात का था कि उसकी ज़िंदगी मे ख़ुसीयों के रंग भरने वाला ,मायूसी मे ज़िंदगी का साथ ना छोड़ दे.आरती की मम्मी पुष्पा,भाई रोहन और पापा शंकर दयाल भी इस वक़्त उसी हॉस्पिटल मे थे .सबके चेहरे पर उदासी थी
"आपको याद है आपने मुझसे वादा किया था एक बार कि मैं आपसे ज़िंदगी मे कोई भी एक चीज़ माँग सकती हूँ,,आज मुझे मेरा वो गिफ्ट चाहिए ,,आपको अपना वादा निभाना होगा, मुझे मेरे सबसे अच्छे दोस्त का साथ चाहिए , मुझे मेरी सबसे बड़ी ख़ुसी चाहिए ,मुझे मेरी ज़िंदगी को वो खूबसूरत सितारा चाहिए.प्लीज़ कम बॅक, आइ कॅन'ट लिव विदाउट यू ..प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज"
और इन्ही शब्दों के साथ दूसरी बार बेहोश हो गई थी आरती.
,हॉस्पिटल मे मौजूद उसके मम्मी पापा दुखी भी थे और हैरान भी. दुखी इसलिए थे कि साहिल की हालत बहुत नाज़ुक थी और हैरान इसलिए क्यूकी आरती की बातों ने उन्हे बहुत कुच्छ सोचने पर मजबूर कर दिया था . शाहिल आरती का मामा था और उमर मे उस से तकरीबन 5 साल बड़ा. मामा के लिए दुखी होना जायज़ था लेकिन दोस्त और वो भी इतना गहरा रिश्ता ये शायद किसी को समझ मे नही आया था.
लेकिन आरती को आज इन सब बातों से कोई फ़र्क नही पड़ने वाला था , आज उसे अपना अस्तित्व ही बुरा लगने लगा था ,साहिल की इस हालत का ज़िम्मेदार वो खुद को समझ रही थी.पिच्छले 4 सालो से साहिल से उसकी बात चीत बंद थी और इसमे ज़्यादा बड़ा हाथ उसकी अपनी बेरूख़ी का ही था .लेकिन आरती का दिल ही जानता था उस बेरूख़ी की वजह .
डॉक्टर.तपस्वी को लेकर राहुल कमरे मे पहुचा जहाँ साहिल मौत से लड़ने की जी तोड़ कोसिस कर रहा था.
साहिल एक होनहार आइएएस ऑफीसर था जिसकी ट्रैनिंग के बाद पहली पोस्टिंग लखनऊ मे ऐज ए एस.डी.एम. हुई थी और राहुल उसका सबसे क्लोज़ फ्रेंड था लेकिन शायद बेस्ट-फ्रेंड नही.राहुल और साहिल साथ साथ सिविल सर्वीसज़ की प्रेपरेशन कर रहे थे और साथ साथ ही सेलेक्ट भी हो गये थे.राहुल ऐज एन आइपीएस ऑफीसर आंड साहिल ऐज आन आइएएस.
डॉक्टर तपस्वी साहिल को चेक कर रहे थे और उन्होने सिस्टर को बुलाकर उसे कोई इंजेक्षन लगाने को कहा.
"मम्मी आप आ आ गई"पुष्पा दौड़ते हुए अपनी माँ सरिता देवी के गले लग गयी जो अभी बेटे के बीमार होने का सुनकर अपने पति रामनारायण के साथ गाओं से आए थे. " क्या हुआ मेरे लाल को , किसी ने मुझे पहले क्यू नही बताया , कैसा है वो , मुझे अभी मिलना है."
"नानी, मामा बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,आप चुप हो जाए , डॉक्टर पूरी कोशिस कर र्हे है.आप अभी उनसे नही मिल सकती अभी वो बेहोश है " राहुल बोला.
साहिल पिच्छले तीन दिनो से बेहोश था और हॉस्पिटल मे था.
रात के1 बजे ऱाहुल को फोन आता है कि एसडीएम सहब की कार का आक्सिडेंट हो गया है और वो रोड के किनारे पड़े हुए हैं ,राहुल जो कि मिर्ज़ापुर मे ऐज ए एसीपी पोस्टेड था उस दिन शाहिल के घर ही आया था लेकिन उसने ये बात साहिल को नही बताई थी क्यूकि वो उसे सर्प्राइज़ देना चाहता था.
राहुल साहिल के बगलो पर पहुच कर उसका वेट कर रहा था जब उसे फोन आता है.शायद कॉलर ने साहिल की कॉल लिस्ट मे राहुल का नंबर देख कर उसे कॉल किया था . राहुल जब तक स्पॉट पर पहुचता है वहाँ काफ़ी भीड़ लग चुकी थी और लोग एसडीएम सहब को हॉस्पिटल ले जा रहे थे . राहुल जल्दी से आंबुलेन्स मे बैठकर साहिल का सर अपनी गोद मे रख कर उसे बुलाने लगता है.साहिल को सर पर काफ़ी छोटे आई थी,,और वो बेहोश हो गया था. राहुल का गला भर आता है उसकी हालत देखकर.
साहिल उसका दोस्त तो था ही लेकिन एक बहुत अच्च्छा इंसान भी था जिस ने ज़िंदगी मे सिर्फ़ देना सीखा था. आंब्युलेन्स अपनी स्पीड से बढ़ी जा रही थी और राहुल रोए जा रहा था और साहिल को उठाने की कोसिस भी कर रहा था .
अचानक साहिल को होश आता है. वो बड़ी मुस्किल से अपनी आँखे खोलता है ,,राहुल को देखकर उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ..आह... कितना दर्द था उस मुस्कुराहट मे..
साहिल के होंठ फड़ फडाने लगते हैं,,,राहुल झुकर अपना कान उसके पास कर देता है."राहुल, मैं जीना नही चाहता यार" बस इतना ही बोल पता है साहिल और उसकी आँखे बंद होने लगती है.
"साहिल प्लीज़ आँखे खोल यार. ऐसा मत कर मेरे साथ मेरे भाई . साले तूने तो कहा था हम अपनी दोस्ती को एक मिसाल बनाएँगे ...अच्छी दोस्ती निभा रहा है, पहले पापा- मम्मी छोड़ कर चले गये अब तू भी साथ छोड़ रहा है ...प्लीज़ ऐसा ना करना मेरे यार " फुट फूटकर रोने लगता है वो साढ़े 6 फीट का बांका नौजवान. और तब से लेकर अभी तक साहिल बेहोश था .तीन दिन बीट गये थे .साहिल के दीदी जीजा तो अगले दिन ही आ गये थे लेकिन उसकी मम्मी और पापा को बाद मे खबर दी गयी थी.
साहिल की साँसे थमने लगी थी..और उसकी ये हालत देखकर हर कोई सकते मे आ गया था.साहिल की दीदी और मम्मी तेज तेज रोने लगी.
"प्लीज़ डॉक्टर साहब मेरे बेटे को बचा लीजिए" .
आरती रोने की आवाज़ से वापस होश मे आने लगी और कुच्छ ही पलों बाद पूरे होश मे आ गई ."नानी, प्लीज़ मामा को बचा लो "अपनी नानी के सीने से लगकर तड़प उठी थी वो.साहिल की हालत देखाकर आरती का दिल तड़प उठा. वो साहिल से लिपटकर रोने लगी ...
डॉक्टर ने नर्स को एलेक्ट्रिक शॉक देने को कहा .आरती को राहुल ने साहिल से जबदस्ती अलग किया...दो तेज झटके दिए गये और साहिल की साँसे तेज चलने लगी
.वो अपने सीने को ज़ोर से दबाए था.उसने धीरे धीरे आँखे खोली-सामने आरती खड़ी थी.वो आरती जो जिसे वो अपनी सबसे बड़ी ताक़त समझता था और जिसके आँसू आज भी उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी थी. आरती का पूरा चेहरा आँसुओ से भीगा था और आँखे सूज कर लाल हो गई थी...कितनी तड़प और चाहत थी उन आँखो मे ..साहिल की आँखो से भी आँसू बहने लगे और वो सर हिलाकर आरती को चुप होने को बोलने लगा .
राहुल दौड़कर साहिल के पास पहुचा ...साहिल की आँखे भर आई थी अपने दोस्त को देखकर."
डॉक्टर तपस्वी जानते थे कि अभी वो ठीक नही है और ये बस एलेक्ट्रिक शॉक के झटके की वजह से कुच्छ क्षणों के लिए सामान्य लग रहा है .साहिल की साँसे फिर तेज चलने लगती है .
" मुझे बचा ले यार. .."इतना ही कह पाता है राहुल से और उसकी साँसे उखाड़ने लगती है."
इसे फ़ौरन आइसी यू मे ले चलो"राहुल उनके पीछे भागता है , आरती बौखलाई सी उसके पीछे जाती है,किंतु दोनो को गेट पर ही रोक देते है .
"डॉक्टर प्लीज़ उन्हे बचा लीजिए नही तो मैं जी नही पाउन्गी" आरती आइसीयू के सीशे को पकड़कर सिसकने लगती है ..उस समय उसके इतने करीब सिर्फ़ राहुल था जो उसे सुन पाया था.साहिल की माँ दौड़ती हुई वहाँ आ जाती है
.पुष्पा "मम्मी चुप हो जाओ, उसे कुच्छ नही होगा उपर वाला हमसे हमारा हीरा नही चीन सकता , उसे कुच्छ नही होगा मम्मी "
" .दोनो माँ- बेटी गले लगकर रोने लगती है
राहुल के दिमाग़ मे बहुत सारे सवाल उठ रहे थे . यूँ तो वो साहिल के बहुत करीब था प्रार फिर साहिल की ज़िंदगी का एक कोना ऐसा था जिसे उसने किसी खास के लिए बचा के रखा था .
"तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा, बेवफा " अक्सर राहुल ये सेंटेन्स देखता था लिखा हुआ , कभी साहिल की नोटबुक के किसी पेज पर , कभी किसी बुक के कवर पर या फिर किसी न्यूज़ पेपर के एडिटोरियल पर . आज तक साहिल ने उस से कभी इसके बारे मे बात नही की थी .एक बार उसने पूछा था साहिल से , बस इतना कहता" कुच्छ नही यार बस किसी की बेवफ़ाई याद आ गयी..एक बार उस से ज़रूर पूछूँगा ..उसने क्यू किया मेरे साथ ऐसा...आख़िर क्यू"
उसके बाद साहिल ने राहुल से प्रॉमिस लिया कि अब वो कभी इसके बारे मे नही पुछेगा . राहुल को ना चाहते हुए भी उसकी बात मान नी पड़ी.
पर इन तीन दिनो मे बहुत कुच्छ ऐसा हुआ था जिसने उसे बहुत कुच्छ सोचने पर मजबूर कर दिया था . पहले साहिल का वो कहना कि मैं जीना नही चाहता फिर , वो कि मुझे बचा ले यार और आरती की तड़प ...अब कुच्छ कुच्छ उसे समझ मे आने लगा था लेकिन वो नही जानता था कि ज़िंदगी के खेल कैसे अजीबो ग़रीब होते है...अभी इन सब सवालो से उपर था साहिल की ज़िंदगी का सवाल.
आरती " अगर तुम्हे कुच्छ होगया तो मैं जी नही पाउन्गी साहिल,मुझे अपने आप से नफ़रत हो रही है साहिल ,,एक बार मुझे सीने से लगाकर बोल दो मैने तुम्हे माफ़ किया..मैं तुम्हारी गनाहगार हूँ, लेकिन मैं मजबूर थी .अब मैं तुम्हारा साथ कभी नही छोड़ूँगी ..प्लीज़ कम बॅक जान प्लीज़ कम बॅक.."
आरती की आँखो से झार झार आँसू बह रहे थे और अतीत के पन्ने उसकी आँखो के सामने खुलते चले जाते है..