Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना - SexBaba
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Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना

hotaks444

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Nov 15, 2016
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तूने मेरे जाना,कभी नही जाना

"मैने कभी आपसे ये तो नही चाहा था आपने ऐसा क्यू किया , मैने जो भी किया सिर्फ़ आप की ख़ुसी के लिए किया . मैं जानती हूँ मेरे रवैये से आपको काफ़ी तकलीफ़ पहुचि है लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नही था
.प्लीज़ मुझे कोई भी सज़ा दीजिए पर इस तरह मूह ना मोडिये .मुझे अपनी सफाई देने का एक मौका तो दीजिए या कोई सज़ा देना चाहे तो दीजिए पर इतनी बड़ी सज़ा मत दीजिए की मैं ज़िंदा होकर भी जी ना सकूँ,, प्लीज़"



आरती साहिल के सिरहाने बैठी रोए जा रही थी जो ज़िंदगी और मौत के बीच लड़ रहा था .उसके मासूम से चेहरे पर आँसुओ की लड़ी लग गयी थी. पिच्छले तीन घंटे से रोए जा रही थी वो .आज उस आरती को दुनिया जहाँ , घर-परिवार किसी का कोई डर नही था , डर तो बस इस बात का था कि उसकी ज़िंदगी मे ख़ुसीयों के रंग भरने वाला ,मायूसी मे ज़िंदगी का साथ ना छोड़ दे.आरती की मम्मी पुष्पा,भाई रोहन और पापा शंकर दयाल भी इस वक़्त उसी हॉस्पिटल मे थे .सबके चेहरे पर उदासी थी

"आपको याद है आपने मुझसे वादा किया था एक बार कि मैं आपसे ज़िंदगी मे कोई भी एक चीज़ माँग सकती हूँ,,आज मुझे मेरा वो गिफ्ट चाहिए ,,आपको अपना वादा निभाना होगा, मुझे मेरे सबसे अच्छे दोस्त का साथ चाहिए , मुझे मेरी सबसे बड़ी ख़ुसी चाहिए ,मुझे मेरी ज़िंदगी को वो खूबसूरत सितारा चाहिए.प्लीज़ कम बॅक, आइ कॅन'ट लिव विदाउट यू ..प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज"

और इन्ही शब्दों के साथ दूसरी बार बेहोश हो गई थी आरती.



,हॉस्पिटल मे मौजूद उसके मम्मी पापा दुखी भी थे और हैरान भी. दुखी इसलिए थे कि साहिल की हालत बहुत नाज़ुक थी और हैरान इसलिए क्यूकी आरती की बातों ने उन्हे बहुत कुच्छ सोचने पर मजबूर कर दिया था . शाहिल आरती का मामा था और उमर मे उस से तकरीबन 5 साल बड़ा. मामा के लिए दुखी होना जायज़ था लेकिन दोस्त और वो भी इतना गहरा रिश्ता ये शायद किसी को समझ मे नही आया था.

लेकिन आरती को आज इन सब बातों से कोई फ़र्क नही पड़ने वाला था , आज उसे अपना अस्तित्व ही बुरा लगने लगा था ,साहिल की इस हालत का ज़िम्मेदार वो खुद को समझ रही थी.पिच्छले 4 सालो से साहिल से उसकी बात चीत बंद थी और इसमे ज़्यादा बड़ा हाथ उसकी अपनी बेरूख़ी का ही था .लेकिन आरती का दिल ही जानता था उस बेरूख़ी की वजह .



डॉक्टर.तपस्वी को लेकर राहुल कमरे मे पहुचा जहाँ साहिल मौत से लड़ने की जी तोड़ कोसिस कर रहा था.


साहिल एक होनहार आइएएस ऑफीसर था जिसकी ट्रैनिंग के बाद पहली पोस्टिंग लखनऊ मे ऐज ए एस.डी.एम. हुई थी और राहुल उसका सबसे क्लोज़ फ्रेंड था लेकिन शायद बेस्ट-फ्रेंड नही.राहुल और साहिल साथ साथ सिविल सर्वीसज़ की प्रेपरेशन कर रहे थे और साथ साथ ही सेलेक्ट भी हो गये थे.राहुल ऐज एन आइपीएस ऑफीसर आंड साहिल ऐज आन आइएएस.


डॉक्टर तपस्वी साहिल को चेक कर रहे थे और उन्होने सिस्टर को बुलाकर उसे कोई इंजेक्षन लगाने को कहा.



"मम्मी आप आ आ गई"पुष्पा दौड़ते हुए अपनी माँ सरिता देवी के गले लग गयी जो अभी बेटे के बीमार होने का सुनकर अपने पति रामनारायण के साथ गाओं से आए थे. " क्या हुआ मेरे लाल को , किसी ने मुझे पहले क्यू नही बताया , कैसा है वो , मुझे अभी मिलना है."



"नानी, मामा बिल्कुल ठीक हो जाएँगे ,आप चुप हो जाए , डॉक्टर पूरी कोशिस कर र्हे है.आप अभी उनसे नही मिल सकती अभी वो बेहोश है " राहुल बोला.



साहिल पिच्छले तीन दिनो से बेहोश था और हॉस्पिटल मे था.



रात के1 बजे ऱाहुल को फोन आता है कि एसडीएम सहब की कार का आक्सिडेंट हो गया है और वो रोड के किनारे पड़े हुए हैं ,राहुल जो कि मिर्ज़ापुर मे ऐज ए एसीपी पोस्टेड था उस दिन शाहिल के घर ही आया था लेकिन उसने ये बात साहिल को नही बताई थी क्यूकि वो उसे सर्प्राइज़ देना चाहता था.



राहुल साहिल के बगलो पर पहुच कर उसका वेट कर रहा था जब उसे फोन आता है.शायद कॉलर ने साहिल की कॉल लिस्ट मे राहुल का नंबर देख कर उसे कॉल किया था . राहुल जब तक स्पॉट पर पहुचता है वहाँ काफ़ी भीड़ लग चुकी थी और लोग एसडीएम सहब को हॉस्पिटल ले जा रहे थे . राहुल जल्दी से आंबुलेन्स मे बैठकर साहिल का सर अपनी गोद मे रख कर उसे बुलाने लगता है.साहिल को सर पर काफ़ी छोटे आई थी,,और वो बेहोश हो गया था. राहुल का गला भर आता है उसकी हालत देखकर.



साहिल उसका दोस्त तो था ही लेकिन एक बहुत अच्च्छा इंसान भी था जिस ने ज़िंदगी मे सिर्फ़ देना सीखा था. आंब्युलेन्स अपनी स्पीड से बढ़ी जा रही थी और राहुल रोए जा रहा था और साहिल को उठाने की कोसिस भी कर रहा था .


अचानक साहिल को होश आता है. वो बड़ी मुस्किल से अपनी आँखे खोलता है ,,राहुल को देखकर उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है ..आह... कितना दर्द था उस मुस्कुराहट मे..




साहिल के होंठ फड़ फडाने लगते हैं,,,राहुल झुकर अपना कान उसके पास कर देता है."राहुल, मैं जीना नही चाहता यार" बस इतना ही बोल पता है साहिल और उसकी आँखे बंद होने लगती है.



"साहिल प्लीज़ आँखे खोल यार. ऐसा मत कर मेरे साथ मेरे भाई . साले तूने तो कहा था हम अपनी दोस्ती को एक मिसाल बनाएँगे ...अच्छी दोस्ती निभा रहा है, पहले पापा- मम्मी छोड़ कर चले गये अब तू भी साथ छोड़ रहा है ...प्लीज़ ऐसा ना करना मेरे यार " फुट फूटकर रोने लगता है वो साढ़े 6 फीट का बांका नौजवान. और तब से लेकर अभी तक साहिल बेहोश था .तीन दिन बीट गये थे .साहिल के दीदी जीजा तो अगले दिन ही आ गये थे लेकिन उसकी मम्मी और पापा को बाद मे खबर दी गयी थी.



साहिल की साँसे थमने लगी थी..और उसकी ये हालत देखकर हर कोई सकते मे आ गया था.साहिल की दीदी और मम्मी तेज तेज रोने लगी.

"प्लीज़ डॉक्टर साहब मेरे बेटे को बचा लीजिए" .



आरती रोने की आवाज़ से वापस होश मे आने लगी और कुच्छ ही पलों बाद पूरे होश मे आ गई ."नानी, प्लीज़ मामा को बचा लो "अपनी नानी के सीने से लगकर तड़प उठी थी वो.साहिल की हालत देखाकर आरती का दिल तड़प उठा. वो साहिल से लिपटकर रोने लगी ...



डॉक्टर ने नर्स को एलेक्ट्रिक शॉक देने को कहा .आरती को राहुल ने साहिल से जबदस्ती अलग किया...दो तेज झटके दिए गये और साहिल की साँसे तेज चलने लगी



.वो अपने सीने को ज़ोर से दबाए था.उसने धीरे धीरे आँखे खोली-सामने आरती खड़ी थी.वो आरती जो जिसे वो अपनी सबसे बड़ी ताक़त समझता था और जिसके आँसू आज भी उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी थी. आरती का पूरा चेहरा आँसुओ से भीगा था और आँखे सूज कर लाल हो गई थी...कितनी तड़प और चाहत थी उन आँखो मे ..साहिल की आँखो से भी आँसू बहने लगे और वो सर हिलाकर आरती को चुप होने को बोलने लगा .


राहुल दौड़कर साहिल के पास पहुचा ...साहिल की आँखे भर आई थी अपने दोस्त को देखकर."




डॉक्टर तपस्वी जानते थे कि अभी वो ठीक नही है और ये बस एलेक्ट्रिक शॉक के झटके की वजह से कुच्छ क्षणों के लिए सामान्य लग रहा है .साहिल की साँसे फिर तेज चलने लगती है .



" मुझे बचा ले यार. .."इतना ही कह पाता है राहुल से और उसकी साँसे उखाड़ने लगती है."



इसे फ़ौरन आइसी यू मे ले चलो"राहुल उनके पीछे भागता है , आरती बौखलाई सी उसके पीछे जाती है,किंतु दोनो को गेट पर ही रोक देते है .




"डॉक्टर प्लीज़ उन्हे बचा लीजिए नही तो मैं जी नही पाउन्गी" आरती आइसीयू के सीशे को पकड़कर सिसकने लगती है ..उस समय उसके इतने करीब सिर्फ़ राहुल था जो उसे सुन पाया था.साहिल की माँ दौड़ती हुई वहाँ आ जाती है 

.पुष्पा "मम्मी चुप हो जाओ, उसे कुच्छ नही होगा उपर वाला हमसे हमारा हीरा नही चीन सकता , उसे कुच्छ नही होगा मम्मी "


" .दोनो माँ- बेटी गले लगकर रोने लगती है



राहुल के दिमाग़ मे बहुत सारे सवाल उठ रहे थे . यूँ तो वो साहिल के बहुत करीब था प्रार फिर साहिल की ज़िंदगी का एक कोना ऐसा था जिसे उसने किसी खास के लिए बचा के रखा था .



"तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा, बेवफा " अक्सर राहुल ये सेंटेन्स देखता था लिखा हुआ , कभी साहिल की नोटबुक के किसी पेज पर , कभी किसी बुक के कवर पर या फिर किसी न्यूज़ पेपर के एडिटोरियल पर . आज तक साहिल ने उस से कभी इसके बारे मे बात नही की थी .एक बार उसने पूछा था साहिल से , बस इतना कहता" कुच्छ नही यार बस किसी की बेवफ़ाई याद आ गयी..एक बार उस से ज़रूर पूछूँगा ..उसने क्यू किया मेरे साथ ऐसा...आख़िर क्यू"



उसके बाद साहिल ने राहुल से प्रॉमिस लिया कि अब वो कभी इसके बारे मे नही पुछेगा . राहुल को ना चाहते हुए भी उसकी बात मान नी पड़ी.



पर इन तीन दिनो मे बहुत कुच्छ ऐसा हुआ था जिसने उसे बहुत कुच्छ सोचने पर मजबूर कर दिया था . पहले साहिल का वो कहना कि मैं जीना नही चाहता फिर , वो कि मुझे बचा ले यार और आरती की तड़प ...अब कुच्छ कुच्छ उसे समझ मे आने लगा था लेकिन वो नही जानता था कि ज़िंदगी के खेल कैसे अजीबो ग़रीब होते है...अभी इन सब सवालो से उपर था साहिल की ज़िंदगी का सवाल.




आरती " अगर तुम्हे कुच्छ होगया तो मैं जी नही पाउन्गी साहिल,मुझे अपने आप से नफ़रत हो रही है साहिल ,,एक बार मुझे सीने से लगाकर बोल दो मैने तुम्हे माफ़ किया..मैं तुम्हारी गनाहगार हूँ, लेकिन मैं मजबूर थी .अब मैं तुम्हारा साथ कभी नही छोड़ूँगी ..प्लीज़ कम बॅक जान प्लीज़ कम बॅक.."

आरती की आँखो से झार झार आँसू बह रहे थे और अतीत के पन्ने उसकी आँखो के सामने खुलते चले जाते है..
 
आरती की आँखो के सामने अतीत के पन्ने एक एक करके खुलने लगते है .....


उनका ननिहाल एक गाओं मे था जहाँ नाना , नानी , मौसी रेणु और बड़े मामा धीरज और छोटे मामा साहिल रहा करते थे ...आरती को और रोहन को ननिहाल मे रहना बहुत अच्च्छा लगता था . पहाड़ियो की गोद मे बसा एक सुंदर से गाओं , आम के पेड़ो पर खेलना , नाना के साथ चांट खाने जाना और रात को नानी से कहानिया सुन ना ...हर गर्मी की छुट्टी मे वो वहाँ ज़रूर जाते ..

आरती की मम्मी साहिल से काफ़ी बड़ी थी और इस तरह साहिल और रोहन की एज मे केवल 3 साल का डिफरेन्स था और आरती और साहिल मे 5 साल का .



लगभग हम-उम्र होने के कारण उनमे कभी मामा -भांजी वाला रिस्ता नही रहता बल्कि दोस्तो की तरह रहते थे . आपस मे लड़ना झगड़ना , रूठना मनाना लगा रहता था . रोहन , आरती और साहिल एक साथ खेलते थे जबकि साहिल की सिस्टर रेणु जो उस से दो साल बड़ी थी ज़्यादा नही घुल मिल पाती .बड़े मामा घर से बाहर रहकर डिप्लोमा कर रहे थे ..



.बचपन से ही साहिल आरती को बहुत मानता था ..किसी भी बात पर वो आरती के लिए लड़ जाता कभी कुच्छ भी खाने को आता साहिल अपने हिस्से मे से सबसे छुपा कर आरती को देता ...कुल मिलाकर वह उसकी लड़ली थी .आरती भी उसे उतना ही मानती..रोहन से ज़्यादा लगाव था उसे अपने मामा से ... दीदी हमेशा कहती दोनो एक ही थाली के चट्टेो बट्टे़ हैं ...सब लोग हंस देते ... साहिल आरती को कभी अकेला नही छोड़ता..मानो उसे लगता उसकी आरती को कोई छीन ना ले ..बचपन ऐसा ही होता है , निस्छल , निस्पाप और अल्हड़..



हर बार गर्मी की छुट्टी ख़त्म करके जब वो आने लगते तो सारे एमोशनल हो जाते ....धीरे धीरे समय बीत ता रहा और वो बड़े होने लगे...इस बार गर्मी की छुट्टी मे जब वो गाओं आने वाले थे तो आरती ने 12थ का एग्ज़ॅम दिया था जबकी रोहन ग्रड्यूशन शुरू कर चुका था..वही साहिल का ग्रड्यूशन कंप्लीट हो गया था ..उसने बीएससी कंप्लीट किया था और अपना कॉलेज भी टॉप किया था . वह काफ़ी होनहार था और सारे टीचर्स कहते थे कि एक दिन डिस्टिक का नाम रौशन करेगा .



रेणु , साहिल, रोहन और आरती सभी जवानी की दहलीज़ पर कदम रख चुके थे . रेणु काफ़ी शांत स्वाभाव की , सुलझी हुई लड़की थी . उसका शरीर जवानी के रंग मे पूरी तरह रंग गया था .उसने भी एम.ए की पढ़ाई सुरू कर दी थी. साहिल कद काठी मे कोई खास नही था किंतु लंबाई अच्छी थी .वह भी रेणु की तरह ही शांत स्वाभाव का था . पढ़ाकू टाइप का होने की वजह से कॉलेज मे काफ़ी लड़कियाँ उस से बात करना चाहती थी किंतु वह बहुत ही रिज़र्व रहता था लेकिन घमंड उसे छुकर भी नही गया था . बस उसे लगता था कि अगर बेकार के कामो मे लग गया तो अपना लक्ष्य नही पा सकूँगा . साहिल आइएएस बन ना चाहता था.



रोहन पढ़ने मे कुच्छ खास नही था,शहर के कुच्छ बुरे लड़को की बुरी संगत का कुच्छ असर था उस पर किंतु आरती अच्छी थी . इस बार दीदी और उनकी फॅमिली 3 सालो के बाद आ रहे थे क़योंकि बीच के वर्षो मे जीजा को एक एंबसी मे फॉरिन का कम मिल जाता था और गर्मी के सीज़न मे तो दीदी भी साथ चली जाती और वो आ नही पाते..उनका खुद का बिज़्नेस था .

आज सारे लोग आ रहे थे और साहिल उन्हे लेने स्टेशन पहुच चुका था .......



ट्रेन 1 घंटे लेट थी ..साहिल वही बैठा वेट कर रहा था और फिर ट्रेन आई ... साहिल को कोच और बर्त पता था सो वो अंदर गया .ट्रेन मे ज़्यादा भीड़ नही थी ...अंदर जाकर साहिल ने दीदी जीजा के पैर छुये और तभी उपर की बर्त से आरती कूदी " अरे मामा आप तो बड़े हो गये " .साहिल थोड़ा चोंक गया इस तरह अचानक कूदने से .... फिर गौर से आरती को देखा ..बला की खूबसूरत हो गई थी .साहिल ने उसे देखा , मुस्कुराया और नज़रे झुका कर बोला "तू भी तो बड़ी हो गई है "
दीदी "अच्छा चलो सारी बाते यही करनी हैं " और फिर सब गाओं के लिए ऑटो मे बैठ जाते है ...
 
"डॉक्टर पेशेंट को होश आ गया " इस आवाज़ ने आरती को अतीत के भंवर से बाहर खीच लिया-सिस्टर ये बोलते हुए भागते हुए बाहर आई जहाँ डॉक्टर साहिल के घर वालो को दिलासा दे रहे थे.


हॉस्पिटल का हर स्टाफ साहिल के केस को लेकर काफ़ी सीरीयस था . साहिल को ऐज ए एसडीएम जाय्न किए कुच्छ ही दिन हुए थे शहर मे लेकिन हर कोई उसकी ईमानदारी , दिलेरी और बहादुरी का कायल हो गया था . कहाँ होते हैं आजकल साहिल जैसे ऑफीसर . डॉक्टर तपस्वी साहिल को पर्सनली भी जानते थे . आरती भागते हुए अंदर की ऑर गई परन्तु उसे हॉस्पिटल स्टाफ ने अंदर नही जाने दिया ..



साहिल होश मे आ गया था पर खाली खाली नज़रो से सबकी तरफ देख रहा था ..डॉक्टर उसका चेक-अप कर रहे थे ....फिर से साहिल के सीने मे ज़ोर का दर्द उठ ता है और वो चीखने लगता है .

.डॉक्टर "सिस्टर जल्दी इंजेक्षन लाओ "" साहिल को फिर से नीद का इंजेक्षन दे दिया जाता है . डॉक्टर तपस्वी आइसीयू रूम से बाहर आते हैं ..उनका चेहरा काफ़ी गंभीर लग रहा था .



रोहन "डॉक्टर साहब क्या हुआ हैं मामा को , उनका आक्सिडेंट हुआ था पर चोट तो सर पे ज़्यादा आई फिर उन्हे चेस्ट मे पेन क्यू हो रहा है , मामा ठीक तो हो जाएँगे ना " आँखे भर आई थी रोहन की .



डॉक्टर" देखिए सारे टेस्ट की रिपोर्ट आ गई है , साहिल जी को चोटे जो आई थी वो तो लगभग ठीक हैं , लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि उन्हे कोई एमोशनल प्राब्लम है . बहुत दिनो से कुच्छ ऐसा है जो उन्हे एमोशनली वीक कर रहा है . वो किसी बात को लेकर डिप्रेशन मे हैं ऐसा लगता है ...किसी बात का बुरा असर पड़ा है उनके दिल पर..या यूँ कहे कि सदमा लगा है उन्हे.. आक्सिडेंट मे उनके ब्रेन पर भी छोटे आई है. इसी वजह से वो कुच्छ पॅलो के लिए होश मे आकर फिर बेहोश हो जा रहे है ... साहिल ठीक होगा या नही , और ठीक होगा तो कब तक ये इस बात पर डिपेंड करता है कि उसे पूरी तरह से होश कब तक आता है ..अगले 12 -24 घंटे के बीच उसका होश मे आना बहुत ज़रूरी है ..नही तो फिर शायद ...."



राहुल "नही डॉक्टर साहिल को कुच्छ नही होगा ..मेरा दोस्त ज़िंदगी की हर चुनौती जीत ता आया है ..फिर ये लड़ाई कैसे हर सकता है ..आप कुच्छ कीजिए किसी भी तरह उसे होश मे ले आइए"

डॉक्टर "डीसीपी सहब हम साहिल जी के लिए पूरी कोशिस कर रहे हैं , लेकिन सबकुच्छ हमारे हाथ मे तो नही है ना "


डॉक्टर ये सारी बाते राहुल , रोहन और उसके पापा से कर रहा था , आरती दरवाजे की ओट से सारी बात सुन चुकी थी ..ऐसा कैसा होता कि उसके साहिल की ज़िंदगी दाँव पर हो और उसे पता ना हो .
आरती की आँखे फिर बरस पड ती हैं .




"क्या बिगाड़ा है मैने तुम्हारा , क्यू हर बार मुझे आजमाते हो , मैने तो कभी किसी का बुरा नही किया ..मैने जो भी किया सिर्फ़ अपने साहिल के लिए किया , तुम तो सब जानते हो .." आरती हॉस्पिटल के बाहर बने मंदिर मे भगवान के सामने रोए जा रही थी.



"मैने तो हमेशा वही किया जो तुमने चाहा ...हर कड़वा घूँट किस्मत मानकर पी लिया ..लेकिन कभी तुम्हे दोष नही दिया ...तुम्हे पूजती रही . अपने साहिल की सलामती की दुआएँ मांगती रही ..मेरी श्रधा का ये सिला दिया तूने मुझे ...मैने सब आक्सेप्ट कर लिया लेकिन ये नही करूँगी..सुन रहे हो तुम या सच मे पत्थर के हो गये हो ..""


आँसू पोछ्ते हुए -


"अगर मेरे साहिल को कुच्छ हो गया तो ज़िंदगी भर तुम्हारा मूह नहीं देखूँगी""


UPDATE 3
 
4

"बेटा क्या कहा डॉक्टर ने , कैसा है मेरा साहिल " साहिल की मम्मी राहुल से पुच्छे जा रही थी . आंटी जी साहिल बिल्कुल ठीक हो जाएगा आप सब बाहर चले "


राहुल सब को दिलासा दे रहा था लेकिन उसका दिल डूबा जा रहा था ..वो एक इंटेलिजेंट आइपीएस ऑफीसर था ..कार की हालत , आक्सिडेंट की जगह और कंडीशन और साहिल की बातों से उसे ना जाने क्यू ऐसा लग रहा था कि साहिल ने जान बुझ कर आक्सिडेंट किया है.


राहुल "दीदी जी साहिल कहाँ से आ रहा था "



पुष्पा " राहुल हमारे घर गया था , वही से आ रहा था आरती की शादी तय हो चुकी है . हमने उस से कई बार आरती की शादी की बात पहले की थी , उसे लड़का भी दिखाना चाहा किंतु वह बहुत बिज़ी था शायद इसलिए आ ना सका . फिर आरती की शादी के लिए राज़ी होने के बाद हम सब ने तैयारी सुरू कर दी ..


आरती साहिल की लाडली है तो सोचा शादी के पहले एक बार लड़के से मिलवा दे और शादी के कार्ड भी दिखाने थे .हमे पता था वो बहुत खुश होता लड़के से मिलकर ( काश उन्हे पता होता कि ये खुशी उसकी जान पर बन आएगी )" दीदी बोलती चली जा रही थी और राहुल के दिल मे टूटी कड़िया जुड़ती जा रही थी .



" आज सुबह ही हमने साहिल को बुलाया था पर उसे शादी के बारे मे कुच्छ नही बताया और ये कहा कि बहुत ज़रूरी काम है.... अब आरती उसकी लाडली रही है बचपन से तो बिना उसके देखे हम शादी तो नही कर देते ..हाँ थोड़ा लेट ज़रूर हो गया लेकिन फॅमिली भी अच्छी है और लड़का भी तो हमें लगा साहिल को भी पसंद आ जाएगा ..इसी लिए बात आगे बढ़ी ... वो सुबह घर पहुचा , आरती की शादी का कार्ड देख ही रहा था तभी बोला दीदी मुझे जाना होगा ..बहुत ज़रूरी काम याद आ गया . हमने लाख रोकना चाहा कि थोड़ी देर मे लड़के वाले पहुच रहे फिर लड़के से मिल कर चले जाना ,,पर वो नही रुका .. वही से आ रहा था बेटा , और देखो क्या हो गया " दीदी फिर से रोने लगी .



आरती के कान मे जैसे धमाके हो रहे थे ये सारी बाते सुन कर ... अपनी अस्तित्व बहुत छोटा लगने लगा था उसे ..,
 
5

आरती के दिल मे हज़ारो ख्याल आ रहे थे, साहिल के साथ बिताया एक एक पल उसे याद आ रहा था ,, उसका रोम रोम साहिल के प्यार को तरस रहा था ..."प्लीज़ साहिल माफ़ कर दो ना यार ..लौट आओ जान " और उसकी आँखो से उन कोमल कपोलो पर आँसू की चार बूंदे और लुढ़क गयी .



डॉक्टर तपस्वी का फोन बाज उठा "हेलो "

रिसेप्षनिस्ट -" सर को मेडम आई हैं जो अपना नाम डॉक्टर रेशमा बता रही हैं ..आपसे मिलने को बोल रही हैं बट कोई आपपोइंटमेंट नही है उनकी "

डॉक्टर- " उन्हे यही लेकर आओ , जल्दी "

30-32 साल की गोरी चित्ति युवती कमरे मे दाखिल होती है ...


डॉक्टर तपस्वी "हेलो डॉक्टर साहिबा कैसी हैं "

रेशमा " ए-वन डॉक्टर ,, आप कैसे हैं और मुझे अर्जेंट क्यू बुलाया "

"आइए सब बताता हूँ "



रोहन , राहुल और उसके पापा आइसीयू के बाहर चेयर पर बैठे थे ,,,साहिल की बड़ी दीदी और मम्मी दूसरे रूम में थी और आरती गुम सूम सी आइसीयू के बाहर फर्श पर बैठी थी ...बिखरी -बिखरी सी लग रही थी ,,आँसू अनायास आँखो से बहते जा रहे थे .


डॉक्टर तपस्वी को आता देखकर सब खड़े हो जाते हैं .


"इनसे मिलये , ये हैं डॉक्टर रेशमा ,मेरी यूएसए की फ्रेंड और एक लाजवाब ब्रेन सर्जरी स्पेशलिस्ट ,,,


" प्लीज़ डॉकटर मेरे साहिल को बचा लीजिए " आरती रोती हुई रेशमा के कदमो से लिपट गयी .


देखिए हम पूरी कोशिस करेगे , इसीलिए तो इतनी दूर से आई हूँ ..आप प्लीज़ अपने आप को संभाले ,,, वैसे आप साहिल की क्या लगती हैं "???



आरती के जी में आया बोल दे मैं साहिल की कुच्छ भी होऊ पर साहिल मेरा सब कुच्छ हैं ,,, पर वो ना बोल सकी .


"जी ये उनकी भांजी हैं " राहुल बोला


"सिस्टर ऑपरेशन की तैयारी करो , हमे जल्द से जल्द ये ऑपरेशन करना होगा , खून काफ़ी बह चुका है "


डॉक्टर तपस्वी सबको दिलासा देते हुए देल्ही के लिए निकल पड़े क़्कीकि उन्हे वहाँ एक बहुत ही ज़रूरी सेमिनार अटेंड करना था . वो जानते थे कोई डॉक्टर भगवान तो नही हो सकता लेकिन अगर साहिल को कोई डॉक्टर ठीक कर सकता है तो रेशमा से बेहतर कोई नही हो सकता .



साहिल का ऑपरेशन सुरू हो चुका था ..आरती रो रो कर हर पल साहिल की ज़िंदगी की दुआए माँग र्ही थी ,,,आज खुद को बहुत लाचार , बेबस और अकेला महसूस कर रही थी .

ऑपरेशन कंप्लीट करके डॉक्टर रेशमा ओटी से बाहर निकली ,,



"डॉक्टर , साहिल को होश कब तक आ जाएगा , डॉक्टर वो ठीक तो हो जाएगा ना""


हमने अपनी पूरी कॉसिश कर दी है ,, ऑपरेशन सफल रहा है ..बस अगर उन्हे 6-7 घंटे मे होश आ जाता है तो टेन्षन की कोई बात नही है , लेकिन तब तक कुच्छ कहना ठीक नही होगा , गॉड पर भरोसा रखे सब अच्छा ही होगा "


आरती को आज साहिल की हर बात याद आ रही थी ,,और उसे उसकी आज तक आरती से कही गयी सबसे खूबसूरत और हार्ट टचिंग बात याद आ गई --


"आरती "

"ह्म्म "

"तुमसे कुच्छ माँगना है "

आरती जो साहिल कंधे पर सर रखकर बैठी थी उसकी ओर देखने लगी

"सब कुच्छ तो तुम्हारा ही , बोलो क्या माँगना है "

" एक वादा "

"कैसा वादा"
 
6-

आरती ' कैसा वादा'

साहिल " आरती मैं तुमसे एक ऐसी बात कहने जा रहा हूँ जिसकी ज़रूरत भगवान करे ज़िंदगी मे तुम्हे कभी ना पड़े पर ये कहना बहुत ज़रूरी है "


" तुम बात को इतना उलझा कर क्यो बोल रहे हो, साफ साफ बोल दो जो भी कहना है" आरती बोली.


साहिल " आरती लाइफ मे सबकुच्छ वैसा नही होता होता जैसा हम चाहते है या प्लान करते है. कयि बार लाइफ मे ऐसे मोड़ आते है जिसकी हमने कभी कल्पना भी नही की होती . अगर किसी वजह से हम तुम आने वाले कल मे जुदा हो जाएँ ...." साहिल के मूह पर हाथ रख दिया आरती ने .



'मैने आज तक तुम्हे कभी कुच्छ कहा है , कुच्छ माँगा है, मुझसे पिच्छा छुड़ाना है तो ऐसे ही बोल दो ,चली जाउन्गी मैं तुम्हारी लाइफ से, लेकिन प्लीज़ ऐसी बाते मत करो ,, साहिल हमें मौत जुदा करे तो करे ज़िंदगी कभी जुदा नही कर पाएगी" आरती की आँखे बरस पड़ी .



"अर्ररीए..मेरा बाबू...सुनो तो....देखो प्लीज़ एक बार मेरी बात सुन लो ...अच्छा नही कहता पर चुप हो जाओ ..तुम जानती हो मैं तुम्हे रोता नही देख सकता ..प्लीज़ सोना चुप हो जाओ" साहिल आरती के बालो मे हाथ फेरता हुआ उसे चुप करने लगा जो उसके सीने मे सर छुपाये सूबक रही थी .


'प्लीज़ जान "

"ठीक है बोलो "

"नही जाने दो , कुच्छ नही "

'अब बोलो ना'



"अच्छा तो सुनो, मान लो लाइफ मे कभी हम जुदा हो गये ,चाहे वजह कुच्छ भी हो, ग़लती किसी की भी हो --और लाइफ मे कोई ऐसा मोड़ आ जाए जहाँ तुम्हे दूर दूर तक उम्मीद की कोई किरण नज़र ना आए, कोई अपना नज़र ना आए, कोई रास्ता नज़र ना आए,सारी खुशियाँ दामन छोड़ने लगे,जब जीतने की कोई आस बाकी ना हो , जब हर कोई तुम्हारा हाथ छोड़ दे ,...............तो हार मान ने से पहले ये ज़रूर याद करना कि इस दुनिया के किसी कोने मे अभी भी एक सख्स ऐसा है जो सिर्फ़ तुम्हारा है , सिर्फ़ तुम्हारे लिए है ...एक बार उस शख्स को ज़रूर आजमा लेना...तुम्हारी हार उस इंसान की हार के बाद होगी. चाहे तुमने कोई भी गुनाह किया हो , चाहे वजह जो भी हो ,उस शख्स को हमेशा अपने पास और अपने साथ खड़ा पाओगी.बस एक आवाज़ देना तुम्हारा साहिल तुम्हारे पास होगा.


"जान मैं दिल से दुआ करता हूँ कि हम दोनो की लाइफ मे वो दिन कभी ना आए लेकिन अगर तकदीर ने तुम्हे कभी धोखा दे भी दिया तो तुम्हारा साहिल तुम्हे धोखा नही देगा . मेरी ये बात याद रखना .बस एक बार मुझे आवाज़ देना ..चाहे सारी ग़लतिया मैने की हो ,लेकिन अपनी हार कबूल करने से पहले एक बार इस दीवाने को ज़रूर आज़माना.बस इतना ही माँगना है . कुछ ज़्यादा तो नही माँग लिया जान "


साहिल की बाते सुन कर आरती और तेज़ रोने लगी..दिल मे साहिल के लिए प्यार का सागर उमड़ रहा था ..किस जन्म के पुन्य का फल था जो साहिल जैसा प्रेमी उसके पास था ..कौन करता है आज इतना प्यार किस से.



"आप बहुत गंदे हो बस मुझे रुलाना आता है ..क्या ज़रूरत थी ये सब कहने की हाँ?? मैं तुम्हे छोड़ कर कभी नही जाउन्गी और ना तुम्हे जाने दूँगी हाँ नही तो" आरती सूबकते हुए बोली.


" जान! हम भी तुम्हे कभी छोड़ कर नही जाएँगे ..लेकिन किस्मत का क्या भरोसा .जब किस्मत अपना खेल खेलती है तो इंसान टूट ता जाता है और अपनी हार मानकर कोई ग़लत कदम उठा लेता है.तुमसे कीमती चीज़ तो हमारे पास है नही कुच्छ ..इसलिए तुम्ही से ये वादा चाह रहे हैं कि तुम हमसे कितनी भी खफा हो या हम तुमसे कितने भी नाराज़ हो,लेकिन तुम कभी ऐसी स्थिति मे हो तो एक बार हमे ज़रूर बोलॉगी ,,सारे शिकवे गिले भूलकर . तुम्हारा साहिल तुम्हे निराश नही करेगा.. इतना याद रखना तुम हर तब मान ना जब तुम्हारा साहिल इस दुनिया मे ना हो.बोलो करोगी ये वादा ,दोगि हमे ये वचन "
आरती साहिल के गले से चिपक गयी मानो कोई उस से छीन लेगा उसके साहिल को अगर वो ज़रा इस भी अलग हुई तो .



"क्या हुआ जान , बहुत ज़्यादा माँग लिया क्या हमने "



"साहिल .हमारा वादा रहा ,,लेकिन आज आप भी हमसे वादा करो कि अब कभी मरने की बात नही करोगे.तुम्हारी ऐसी बाते सुनकर हमारी जान निकलने लगती है"



"थॅंक्स जान ...और तुमहरि जान तो हमारे पास है ..हम उसे कभी नही निकलने देंगे "
आरती को आज अपने साहिल पर नाज़ हो रहा था..प्यार करने वाले ऐसे ही होते हैं ,,जितना महान उनका दिलबर होता है उतना फक्र उन्हे खुद पर होता है. साहिल की बात का एक के शब्द आरती के दिल मे उतर गया था और अभी भी वो साहिल के गले से किसी बच्चे की तरह लिपटी थी.



हॉस्पिटल मे बैठी आरती की आँखे भर आई थी. कितना सच्चा है उसका साहिल .आज सचमुच वो उसी मोड़ पर आ गई थी जिसका ज़िक्र साहिल ने किया था .



"तुमने सच कह था जान ,किस्मत ने अपना गंदा खेल हमारे साथ भी खेल दिया ..साहिल आज मेरे प्यार का इम्तिहान है ..मेरे प्यार को हारने मत देना जान "

आरती डॉक्टर रेशमा से "डॉक्टर प्लीज़ मुझे दो मिनिट के लिए साहिल से बात करनी है प्लीज़.."



"देखिए हम अभी आपको उनसे नही मिलने दे सकते ,,ये हॉस्पिटल के रूल्स के खिलाफ होगा और पेशेंट अभी इस कंडीशन में भी नही है"


" डॉक्टर प्ल्ज़्ज़ बस एक बार..मैं भी एक मेडिकल स्टूडेंट हूँ ..एमबीबीएस कर रही हूँ . मैं जानती हूँ एक डॉक्टर के लिए उसके पेशेंट की लाइफ से बढ़कर कुच्छ नही होता ..प्ल्ज़्ज़ "


"नही, हम इस हॉस्पिटल की रेप्युटेशन और अपना प्रोफेशन दाव पर नही लगा सकते..क्या जवाब देंगे हम डॉक्टर तपस्वी को '


"और मेरा तो सबकुच्छ दाव पर लगा है डॉक्टर,क्या जवाब देंगी आप मुझे अगर मैं दाव हार गयी तो "


डॉक्टर रेशमा को आरती से हमदर्दी हो गई ..उसकी आँखो के आँसू सबकुच्छ बयान कर रहे थे .." ठीक है जाइए ,लेकिन बस 5 मिनट के लिए '


"थॅंक यू डॉक्टर"


आरती साहिल के सिरहाने बैठ जाती है ..साहिल बहुत धीरे धीरे साँसे ले रहा था ..आरती उसका हाथ हाथो मे लेकर रो पड़ती है_




" साहिल .तुमने ठीक कहा था ,,आज मेरी आँखो के सामने सारे रास्ते बंद हैं , जो सबसे अपना है वो बहुत दूर जाता नज़र आ रहा है..मेरी किस्मत का सबसे बुलंद सितारा अस्त होने को है...मेरे हाथ बिल्कुल खाली हो जाएँगे साहिल .. आज मैं हारने वाली हूँ साहिल ..तुम्हारी आरती बिखरने वाली है साहिल ..तुम अपना वादा निभाओगे ना जान...अपनी आरती को बचा लो साहिल ..मुझे हारने से बचा लो ..अपनी आरती को बचा लो ..सारे गीले शिकवे छोड़ कर वापस आ जाओ साहिल ...मैं तुम्हारे बिना कुच्छ भी नही हूँ साहिल ..प्लज़्ज़्ज़ आ जाओ ना सोना "



इतना बोलते बोलते आरती बुरी तरह से बिलख पड़ी ...अपने हाथो पर उसे साहिल के हाथो का दबाव महसूस हुआ .उसने चेहरा उपर उठाया ...साहिल की बंद आँखो से आँसू की बूंदे छलक पड़ी थी .


आरती के साहिल ने अपने वादा निभा दिया था और उसकी आरती ने भी.

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साहिल ने आँखे नही खोली थी पर आँखो से आँसुओ की बरसात जारी थी..
आरती " डॉक्टर जल्दी आइए साहिल को होश आ रहा है "


साहिल की मम्मी ,दीदी , राहुल, रोहन सभी के चेहरे खुशी से चमक उठे थे ..डॉक्टर ने कहा था साहिल अब ख़तरे से बाहर है..
आरती मन ही मन "थॅंक्स जान तुमने मेरे प्यार का मान रख लिया "


लगभग एक हफ्ते बाद साहिल को हॉस्पिटल से डिसचार्ज कर दिया जाता है..इन एक हफ्ते मे सारे लोग कुच्छ देर के लिए कहीं चले भी जाते किंतु आरती साए के तरह साहिल के पास लगी रहती...साहिल जब भी उसकी तरफ देखता ,वो हल्का सा मुस्कुरा देती .लेकिन अभी भी साहिल के होंठो से मुस्कुराहट गायब थी .



डॉक्टर तपस्वी इस समय साहिल के बंग्लॉ पर बैठे थे ,ऱाहुल भी साथ मे बैठा था . साहिल की तबीयत अब काफ़ी हद तक सम्भल चुकी थी.


"थॅंक यू डॉक्टर सहाब "

"अरे सर आप कैसी बात करते हैं , ये तो हमारा फ़र्ज़ है , फिर आप जैसे ऑफिसर्स को देश की बहुत ज़रूरत है "
साहिल बस मुस्कुरा कर रह जाता है.


डॉक्टर " साहिल जी आप को आराम की सख़्त ज़रूरत है , आप कहीं घूम आइए फॅमिली के साथ"



"अरे नही , पहले ही बहुत रेस्ट कर लिया अब जल्द से जल्द ऑफीस जाय्न करना है "

" साहिल , कोई ऑफीस नही जा रहा तू , एसडीम होगा तू शहर का मेरा सिर्फ़ दोस्त है ,,और डॉक्टर साहब बिल्कील ठीक कह रहे है" राहुल की इस प्यार भरी घुड़की पर साहिल मुस्कुरा देता है.



"डॉक्टर साहब , मैं अगर साहिल को कुच्छ दिन के लिए अपने साथ ले जाउ तो कैसा रहेगा , हमारे यहाँ एक आश्रम है जहा हम रिकवर कर रहे पेशेंट को रखते हैं , बिल्कुल घर जैसा महॉल होता है" ,आरती बोल पड़ी .



आरती इस समय अपना एमबीबीएस के फाइनल एग्ज़ॅम दे चुकी थी और शिमला के फेमस हॉस्पिटल से एमडी करनी की तैयारी कर रही थी . हॉस्पिटल स्पॉंसर कॉटेज टाइप का आश्रम था जहाँ पेशेंट की आवश्यकता का पूरा ख्याल रखा जाता था और उन्हे हल्के फुल्के महॉल मे दुनिया जहाँ के सभी झंझटों से दूर ,एक शांत ,खुश और प्यार भरा वाता वरण दिया जाता.


डॉक्टर तपस्वी " एक्सलेंट , आप खुद मेडिकल प्रोफेशन से जुड़ी हैं तो आप से अच्छा इनका ख्याल कौन रख सकता है"


"ओके , सर अब मैं चलता हूँ ,किसी भी तरह की तकलीफ़ हो तो प्लीज़ कॉल मी.गुड नाइट सर"

" गुड नाइट डॉक्टर , थॅंक यू वेरी मच"

आरती ने सारी बात अपनी माँ, और नानी को बताई ...उसकी नानी इन सब से बहुत खुश थी ..उसकी मम्मी बोली " पर बेटा तुम्हारी शादी ?"

"मम्मी " प्ल्ज़ ,, मैं अभी शादी नही कर सकती , आप देख रही हैं ना साहिल किस हालत मे है ,आप उन्हे मना कर दे , आइ एम सॉरी मम्मी"


"ठीक है बेटा , तेरी ख़ुसी हमारे लिए सबसे ज़रूरी है"


साहिल आरती के साथ जाने को तैयार नही था , राहुल के समझाने और अपनी कसम देने पर वो मान जाता है.


राहुल साहिल का सच्चा दोस्त था , वो जान चुका था साहिल का दर्द क्या है और उसकी दवा क्या है.
 
सर्दियो का मौसम था . जन्वरी की ठंड अपने सबाब पर था, साहिल के बंग्लॉ पर बैठे सब लोग रज़ाई मे घुसे हीटर सेंक रहे हैं .राहुल रोहन ,साहिलके दीदी जीजा,मम्मी पापा ,सभी .बस साहिल की छोटी बेहन रेणु को नही बताया गया था,,वो बीएचयू से पीएचडी कर रही थी //इन दिनो उसकी थीसिस कंप्लीट होने वाली थी इसलिए उसे किसी ने नही बताया था.


आरती के साथ साहिल के जाने पर किसी को आपत्ति नही थी , सबको पता था आरती साहिल बचपन से एक दूसरे से बहुत क्लोज़ हैं और मामा भांजी से ज़्यादा दोनो दोस्त की तरह से हैं .


राहुल ने कल की फ्लाइट की दो टिकेट्स बुक करवा दी थी और साहिल के ऑफीस मे मेडिकल लीव अप्लिकेशन भी सब्मिट कर दिया था .


हीटर सेंकते हुए इधर उधर की बाते हो रही थी,,साहिल की दीदी राहुल से " राहुल अब तुम और साहिल भी अपने लिए लड़किया देखो ,,ऑफीसर बन गये हो दोनो अब तो मैं एक साथ दो भाइयो के लिए अपनी भाभीया लाउन्गी "


साहिल की नज़र अनायास ही आरती की ओर चली जाती है और चोर नज़रो से उसे देखता है ..जबकि राहुल मुस्कुरा कर रह जाता है. आरती पास ही बैठी मूँग फली छील कर साहिल के लिए रख रही थी ..उसने ऐसे रिएक्ट किया मानो कुच्छ सुना ही ना हो ,,


"जी दीदी जल्द ही आप को मिलता हूँ "


"अच्छा बेटा जी बात यहाँ तक पहुच गयी है" ,
साहिल की दीदी हँसते हुए बोलती है.


"और तू, देखी है कोई लड़की या फिर मैं देखूं " साहिल की दीदी ना जाने क्यू थोड़ी दबी सी आवाज़ मे पूछती है


"मुझे नही करनी कोई शादी वादी, और आप सब प्लीज़ मुझसे इस बारे मे कोई बात मत करे" साहिल ने दो टुक जवाब दिया .

दीदी और आरती दोनो ने इस बार गौर से उसकी ओर देखा,पर उसका चेहरा बिल्कुल सपाट था कोई भाव नही थे .


महॉल थोड़ा शांत हो गया था तभी राहुल का मोबाइल बज उठ ता है पर वो कॉल कट कर देता है ...


"अभी थोड़ी देर मे कॉल करता हूँ :राहुल मसेज सेंड कर देता है उसी नंबर पर.


साहिल राहुल की ओर देखता है जो थोड़ा नर्वस हो जाता है और वहाँ से उठकर चला जाता है. साहिल के चेहरे पर एक अर्थपूर्ण मुस्कान आ जाती है .

रात के 11 बज चुके हैं ..सब लोग खाना खाकर अपने कमरे मे हैं.



आरती कल जाने के लिए पकिंग कर रही है .सारे गरम कपड़े आलमरी से निकालते हुए उसका हाथ मे रेड कलर का छोटा सा लिफ़ाफ़ा आ जाता है..जिसके उपर लिखा होता है "हॅपी बर्तडे माइ लव "

आरती मुस्कुरा कर उसे खोलकर देखने लगती है ..उसके 21 बर्थ'डे पर साहिल ने भेजा था उसे. उसने अंदर खोलकर देखा..आरती की आँखो मे ख़ुसी के आँसू आ गये.
 
9-


"आरती ईश्वर तुम्हें मेरी भी उमर लगा दे , तुम हज़ार साल जियो, और हर पल ख़ुसीयो के साए मे गुज़रे.आज तुम्हारा बर्थ,डे है और आज मैं तुम्हारे पास नही हूँ ,सॉरी यार तुम्हे तो सब पता ही है ,मैं अपने मैंस के एग्ज़ॅम मे उलझा हुआ हूँ....,बस एक बार आइएएस बन जाउ फिर कभी तुम्हे अकेला नही छोड़ूँगा. तुम्हारे लिए एक छोटा सा गिफ्ट है,,मुझे पता है तुम्हे बहुत पसंद आएग. चलो खुशी खुशी अपना बर्थडे मनाओ आंड प्लीज़ डॉन,ट मिस मी मच. लव यू."


और आरती के हाथ मे आ जाता है वो छोटा सा लॉकेट. लॉकेट हार्ट की शेप का था जो दो हिस्सो मे खुल जाता ..उसके एक तरफ साहिल की तस्वीर लगी थी और दूसरी तरफ आरती की


आरती को साहिल पर बहुत प्यार आता है, : कितना प्यार करते थे तुम मुझे साहिल, शायद जितना इस दुनिया मे किसी ने किसी से ना किया होगा,,और मैने बदले मे तुम्हे क्या दिया ..सिर्फ़ दर्द ,आँसू और तन्हाई,,,4 साल ..4 साल मैने तुमसे बात नही की और तुमने कभी वजह नही पुछि,बहुत ज़्यादती की है मैने तुम्हारे साथ, लेकिन अब नही .....मैं सब ठीक कर दूँगी जान ,,अब मुझे किसी का डर नही है ..ना परिवार का ना समाज का
"


एक दृढ़ निश्चय चमक रहा था आरती की आँखो मे .


सुबह साहिल की आँखे थोड़ी देर से खुलती हैं ..वो रूम से बाहर आता है तो राहुल जॉगिंग से आता दिखाई देता है...राहुल " कैसे हैं एसडीएम साहब "


"अबे क्यू सुबह सुबह खिच रहा है ,,आ बैठ"


दोनो लॉन मे लगी चेर्स पर बैठ जाते है. इतने बड़े ऑफीसर बन जाने के बाद भी आज भी दोनो की दोस्ती मे कोई फॉरमॅलिटी नही आई थी , जान छिडकते थे दोनों एक दूसरे पर .


"अच्छा ये बता ये लड़की और शादी का क्या चक्कर है , अबे मैं ज़रा अपनी ड्यूटी मे बिज़ी हो गया और तूने इतना कुच्छ कर दिया.अच्छा कौन है जिसने हमारे यार का दिल लूटा ,कब मिलवा रहा है.."
थोड़ा गंभीर हो गया राहुल का चेहरा;


"वो सब छोड़ तू सब कुच्छ भूल कर जा और आरती के साथ अपनी ट्रिप" एंजाय" कर , वापस आने पर सब बता दूँगा"- एंजाय पर ज़्यादा ज़ोर दिया राहुल ने .साहिल ने महसूस तो किया पर इग्नोर कर गया.


"अच्छा बेटा अब हमसे भी बाते छुपाइ जा रही है ..देख ले अंजाम बुरा होगा"
साहिल ने प्यार भरी धमकी दी.


"नही यार , तेरे सिवा है ही कौन मेरा , बस तू वापस आजा एक दम फिट आंड फाइन होकर फिर ढेर सारी बाते करनी है तुझसे.. अच्छा सुन एक बात पुच्छू?"
नही पहले अपनी बता ...अच्छा चल पुच्छ "


जब तू आक्सिडेंट के बाद आंब्युलेन्स मे था तो तूने कहा यार मैं जीना नही चाहता ..और दूसरी बार जब होश मे आता है तो बोलता है मुझे बचा ले ना यार..ऐसा क्या बदलाव आ गया था उन तीन दिनो मे जबकि तू पूरे टाइम बेहोश था " राहुल उसे गहरी नज़रों से देखते हुए पुछ्ता है


"उसके आँसू" अनायास ही साहिल के होंटो से निकल जाता है


साहिल चौंक जाता है ये क्या बोल दिया उसने , पर राहुल के चेहरे पर आश्चर्य के कोई भाव नही थे , बस थी तो एक गहरी मुस्कुराहट.


"मेरा मतलब था सबके आँसू, सबका दर्द और सबका प्यार देखकर मैं एमोशनल हो गया " साहिल ने पूरी कोसिस की बात संभालने की लेकिन राहुल भी पोलीस ऑफीसर था ,सबकुच्छ जान तो वो पहले ही चुका था बस साहिल से कबूल करवाना चाह रहा था . साहिल को गोल मोल सा जवाब देते देखकर उसने अभी उसे और कुरेदना ठीक नही समझा


'चल तेरी फ्लाइट का टाइम हो रहा है,फटा फट तैयार हो जा "


"ओके,,आजा अंदर चलते है "


राहुल साहिल और आरती को छोड़ने एरपोर्ट आया होता है,घर के बाकी लोग चाहते तो थे आना पर साहिल सबको मना कर देता है ,पर राहुल आता ही है.


"हेलो साहिल मैं आपसे मिलने आ रही हूँ पर ट्रेन लेट है..प्लीज़ आप थोड़ी देर और रुक जाओ ना " साहिल की बहेंन रेणु का कॉल था

"
रेणु 15 मिनट बाद मेरी फ्लाइट है ,,तू टेन्षन मत ले मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ ,तू आराम से घर जा मैं कुच्छ दिनो मे वापस आ जाउन्गा"



"मैं सबसे बहुत नाराज़ हूँ , क्या मैं घर का हिस्सा नही हूँ,,मुझे कुच्छ क्यू नही बताया गया, जब से मुझे पता चला है ,, तुमसे मिलने को दिल तड़प गया है"



"अरे यार ऐसा कुच्छ नही है,,तू तो सबकी लड़ली है और मुझे कुच्छ नही होगा ....अच्छा अब मैं फ़ोन रखता हूँ ,,तू सबका ख्याल रखना .चल बाइ "

"ओके साहिल तू भी अपना ख्याल रखना , पहुच कर फोन करना , ओके ..बाइ "
 
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"साहिल सुन , उसे ज़्यादा तंग मत करना "

"क्य्ाआआआअ?????? '" विस्मय से साहिल की आँखे फैल गयी.

"अबे कुच्छ नही मज़ाक कर रहा था , चल ठीक ह फिर, टेक केर " दोनो गले मिलते हैं ,राहुल आरती को बाइ बोलता है.साहिल आरती के साथ अंदर की ओर चल देता है.


साहिल पिछे मूड कर देखता है तो राहुल अभी भी वही खड़ा था ..वो हँसकर हाथ हिला देता है. राहुल भी हाथ हिलाता है और तब तक देखता रहता है जब तक दोनो उसकी आँखो से ओझल नही हो जाते.


"जा मेरे दोस्त भगवान तेरे हिस्से मे दुनिया की हर ख़ुसी दे ..जितनी ख़ुसीया तूने बाटी हैं उसकी दुगनी ख़ुसी तुझे मिले. हे ईश्वर! अगर अब भी साहिल की ज़िंदगी मे तूने ख़ुसीयो के फूल ना खिलाए तो भरोसा टूट जाएगा मेरा तेरे पर से . 5 सालो का ये बनवास अकेले बिताया है उसने ..बिना कोई शिकवा किए .. . हमेशा चेहरे पर खुशी सज़ा कर दूसरो की तकलीफे दूर करने वाले इस इंसान के दिल मे कितना दर्द है ,मैं जानता हूँ..बस अब इसके आज़माशो के दिन ख़तम कर दे . इसकी फ़िज़ा के दिनो को बहार के दिनो मे बदल दे "


राहुल दिल ही दिल मे लाखों दुआए देता है उस इंसान को जिसका मकाम सबसे उँचा था उसके जीवन मे .



आरती और साहिल आज बरसो बाद साथ साथ चल रहे थे .आरती चोर नज़रो से साहिल की तरफ देखती है..कितना बदल गया था वो अब.. शरीर से कैसा गतिला और मजबूत लगने लगा था ..चौड़ा सीना , मजबूत बाहें ,और चमकता हुआ मस्तक......लेकिन चेहरे पर फैली मानो सदियो पुरानी उदासी...कैसा शोख हुआ करता था वो ,,आरती को देखते ही उसके चेहरे का रंग बदल जाता था ..लेकिन अब ..रंग तो अब भी बदल जाता था बस फ़र्क इतना था -- पहले वो चेहरा खिल जाता था उसे देखकर , अब वो चेहरा बुझ जाता था .
"


साहिल मैं फिर तुम्हे जीत लूँगी जान, "


आरती मानो खुद से ही वादा करती है.
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