Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना - Page 3 - SexBaba
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Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना

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"बैठो ना थोड़ी देर और " आरती फिर ज़िद करती है ..सहल बैठ जाता है लेकिन इस बार उस से दूर दूसरे पत्थर पर.


"मामा,आपकी कोई गिर्ल्फ्रेंड है"

"क्याआ ????" साहिल हैरत से उसकी ओर देखता है


"अर्र्रररीई..ऐसे क्यू रिएक्ट कर रहे हो..हाँ या ना बस बता दो "


"तुम ये सब बाते करती हो ..कुच्छ पढ़ने लिखने की बात नही कर सकती..वैसे मेरी को गर्लफ्रेंड नही है ..फालतू के काम है ये सब "


"क्या हमेशा पढ़ाई..अब मैं यहाँ अपनी वाकेशन स्पेंड करने आई हूँ ..फिर तो जाकर पढ़ना है"
साहिल बस मुस्कुरा देता है .


"अच्छा आपकी गर्लफ्रेंड क्यू नही है "

"'क्यू नही है मतलब ???...बहुत सारे लोगो की नही होती ...ये कोई वोटर आइडी या रॅशन कार्ड हो जो होना ही चाहिए "


आरती को हँसी आ जाती है उसके जवाब पर .


"अरे मेरा मतलब था कि कोई पसंद नही आई या...आप अकेले रहते हो जबकि आपने तो कॉलेज भी कर लिया "

"तो कॉलेज क्या गर्लफ्रेंड के लिए जाते है ????" और मैं अकेले ही अच्छा हूँ "


"अच्छा आपका कोई दोस्त नही हैं "


"है ना ...सारे क्लास के ही है ..अक्सर वो सब मुझसे क्वेस्चन पुच्छने या नोट्स लेने घर पर भी आते है.. मतलब आते थे ..अब तो कॉलेज नही जाना "


साहिल पहले बड़े गर्व से बताता है फिर थोड़ी उदास हो जाता है ..वैसे ये सच था साहिल का कोई ऐसा दोस्त नही था जो उसे सच मे दोस्त समझे ...क्योंकि साहिल पढ़ने मे काफ़ी अच्छा था तो अक्सर सब उस से अपना कम निकलवाते ..साहिल काफ़ी भोला था ..उसी को दोस्ती समझ लेता.



"तो फिर वो आपके दोस्त कहाँ हुए..वो तो बस आपसे अपना काम निकलवाते है...ऐसे दोस्तो और उनकी दोस्ती का क्या फ़ायदा. "



"चलो वो मुझे अपना दोस्त नही मानते तो ना सही ..पर मैं तो उन्हे दोस्त मानता हूँ ना ...और दोस्तो का तो काम ही होता अपने दोस्त के काम आना "


साहिल अपनी धुन मे बोलता जाता है .



"और जानती हो जब किसी को दोस्त मान लो या किसी से प्यार करो तो फिर फ़ायदा नुकसान मत सोचो ..बस अपनी दोस्ती निभाते जाओ .. रिश्ते बहुत अनमोल होते हैं..और अगर रिश्तो मे फ़ायदा नुकसान आ जाए तो फिर वो रिश्ते बेमोल हो जाते है "



आरती एक टक साहिल के चेहरे को तक जाती है ...कितनी गहरी बात कह दी थी साहिल ने .

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साहिल अपनी ही धुन मे बोलता चला जाता है...


फिर अचानक आरती की तरफ देखता है, जो अपने गालो पर हाथ रखे उसकी बातों बड़े ध्यान से सुन रही थी ..." ओह..सॉरी ..मैं ज़्यादा ही लेक्चर दे गया...मेरे दोस्त भी यही कहते है कि मैं हर बात पर लेक्चर देता हूँ जो उन्हे बुरा लगता है"


"लेकिन मुझे तो आपकी बाते बिल्कुल बुरी नही लगी..इनफॅक्ट आपने बहुत बड़ी बात कह दी "


आरती ने साहिल की आँखो मे देखते हुए कहा..


"अच्छा चलो अब चलते है "


"ठीक है चलिए "

दोनो बाते करते हुए घर की तरफ लौटने लगते है ..शाम के अंधेरा हर ओर फैलने लगा था . गाओं की शाम बहुत खूबसूरत होती है .


रास्ते मे गाओं की एक लड़की मिलती है ...


"अरे साहिल ये कौन है" नाम था उसक निधि, अच्छि शकल सूरत ,बड़ी बड़ी आँखे और सीने पर दो मतवाले पर्वत शिखर , रंग थोड़ा सांवला,लेकिन कुल मिलाकर बहुत ही आकर्षक .


"अरी तुमने पहचाना नही ..ये आरती है ..मेरी दीदी की बेटी ..और आरती ये निधि है ..मेरे कॉलेज मे पढ़ती है ..तुम मिल चुकी हो पर शायद तुम्हे याद ना हो "


"हाँ मुझे याद नही ,,हेलो निधि "


"हाई ,कैसी हो ...कब आई तुम ..और इधर कहाँ से आ रहे थे "



वो ये आज ही आई..और फिर मैं इसे अपने खेत दिखाने लाया था "


"ह्म्‍म्म..तभी तो आज तुम भी दिख गये ...नही तो तुम्हे देखने को आँखे तरस जाती हैं "



निधि मुस्कुराते हुए कहती है ..साहिल झेंप जाता है.. ."वो हमे देर हो रही है ..चल आरती "


आरती को निधि से थोड़ी जलन हो रही थी या फिर उस पर गुस्सा आ रहा था ...क्यू? शायद खुद आरती को भी नही पता था .



"क्या चक्कर है मामा"



"हे भगवान...मेरी माँ कोई चक्कर नही है ..वो बस ऐसे ही तंग करती है ..कॉलेज मे पढ़ती है तो कभी कभी मिल जाती है आते जाते और दो चार बाते हो जाती हो हैं ...


"मामा, बाते ही करना सिर्फ़ , समझे "


"अब तू मूह बंद रख नही तो पिट जाएगी मेरे से "



"आप मारोगे मुझे" आरती ने रोनी सी शकल बनाने की आक्टिंग करते हुए कहा ..".फिर मैं रो दूँगी "


साहिल बस मुस्कुरा कर रह जाता है .."चल घर, पूरी नौटंकी है तू "



आरती और साहिल घर पहुचते हैं . रोहन फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था और बाकी सारे लोग बाहर बैठे बाते कर रहे थे . रेणु रसोई मे थी.


"आ गया मेरा बच्चा ..आ जा मेरे पास बैठ "

नाना ने दुलार से आरती को अपने पास बैठा लिया . साहिल भी वी पड़ी चारपाई पर बैठ गया .


"अब जल्दी से कोई अच्छा सा लड़का देख कर मेरे जीते जी इसकी शादी कर दो " नानी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा .



"क्या नानी अभी तो मैं बच्ची हूँ " आरती ने अपना सर उनकी गोद मे रखते हुए कहा .

साहिल को ये बात काफ़ी बुरी लगी ..इसलिए सिर्फ़ कि आरती को पराया करने की बात थी वो ...पर वो कुच्छ नही बोलता और वहाँ से उठकर चला जाता है .



"'हाँ बिल्कुल,,अभी ये बहुत छोटी है और अभी इसे बहुत पढ़ना है .." नाना अपनी लाडली के बचाव मे उतर आए .



"थॅंक यू नानू"

आरती खुश हो गई .



""अरे पुष्पा तुझसे एक बात करनी थी ..वो साहिल का मन आगे की तैयारी करने का है..वो आइएएस की तैयारी करने को बोल रहा है. सुधीर की ( साहिल के बड़े भैया जो कि डिप्लोमा कर रहे थे ) पढ़ाई तो हो चुकी है और उसकी जॉब भी लग गई है ..पर अभी सॅलरी ज़्यादा नही है.. आइएएस की तैयारी गाओं से तो नही हो सकती ..अब यहाँ के हालात तो तुम्हे पता ही हैं ...क्या करे.... तुमसे पुछ्ना चाह रहा था "'



"तो मामा भी हमारे साथ दिल्ली चलेंगे ..सिंपल "


दीदी के बोलने से पहले ही आरती बोल पड़ती है


"पापा आरती बिल्कुल ठीक कह रही है ...मैं अभी उस से बात करती हूँ और एक बार सुधीर से बात करना भी ज़रूरी है "


"बेटा सुधीर से मैने बात की थी ..उसने भी दिल्ली जाने को कहा था ..लेकिन वो बोल रहा था कि वो अलग रूम लेकर रहे ..तुम्हारे यहाँ नही..महीने का खर्च वो दे देगा साहिल का ...बस इसीलिए पुच्छ रहा था कि तुम बुरा ना मानो "


"नही पापा, सुधीर ठीक कह रहा था ..फॅमिली मे रहकर पढ़ नही पाएगा ..इसमे बुरा मान ने की कोई बात नही है "


"ठीक है बेटा फिर एक बार उस से पुछ लो कब जाएगा "


मामा का साथ जाने का सुन कर आरती खुश हो जाती है और वो दौड़कर चली जाती है साहिल को बताने.
बातों ही बातों मे काफ़ी रात हो गई थी ...
रेणु ने आकर सबको खाने के लिए अंदर चलने को कहा ..


सब लोग खाना खाए अंदर चले जाते हैं ..


"क्या लाजवाब खाना बनाया है साली साहिबा आपने "' आरती के पापा ने रेणु की तारीफ की .".जी चाहता है आपकी उंगलिया चूम लूँ"


इस समय सारे लोग रसोई मे थे बस साहिल के मम्मी पापा को खाना बरामदे मे ही दे दिया गया था .


"क्या जीजा आप भी ना " रेणु शर्मा जाती है .


"अरे भाई इतना तो हक़ है ..आधी घरवाली हो "


"चुप रहिए आप बच्चो का भी ख्याल नही होता कि बड़े हो रहे है ..मत तंग करो मेरी भोली भाली बेहन को "

साहिल की दीदी ने उन्हे घुड़की लगाई .



"हुह जालिम जमाना" आरती के पापा बोले और सब हँस दिए ..


सब खाना खा रहे थे और रेणु सबको पुच्छ पुच्छ कर कुच्छ कुच्छ दे रही थी ...


"जीजा और कुच्छ दूं आपको "



"नही बस पेट भर गया "



"अरे मुझे तो पुछा ही नही " रोहन ने फिर अपना मिशन शुरू किया ..



"ओह सॉरी , कुच्छ चाहिए तुम्हे ."


"हाँ "रोहन जो बगल वाले रूम मे .टी.वी के सामने बैठा खा रहा था ...


आरती उसके पास चली जाती है .."क्या चाहिए रोहन "




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रेणु का दिल जोरो से धड़क रहा था ..उसे सुबह की बाते याद आ रही थी ..

"मौसी बता दूं ..पर दोगि ना "

रेणु कुच्छ नही बोलती बस हां मे सर हिला देती है .....


"प्यास लगी है " रेणु का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है ...

"और पानी आपने दिया नही " रोहन हँसता हुआ बोलता है ..

" अभी लाई ..रेणु भाग जाती है वहाँ से...



रेणु काफ़ी सीधी शर्मीली सी लड़की है किंतु रोहन की बाते उसे अच्छि लगने लगी थी .जवानी की दहलीज़ पर खड़ी हर लड़की को ऐसी बात अच्छि लगती हैं ये और बात है की दुनिया समाज के डर से और रिश्तो के बंधन मे बधे होने से वो इस बात को कभी स्वीकार नही करती... ..रेणु का भी यही हाल था ..उसे कुच्छ पल को अच्छा लगता फिर खुद से ग्लानि होती कि वो उसका अपना भांजा है.



सभी लोगो को तीन दिन बात दिल्ली के लिए निकलना था ..रोहन के पापा तो दूसरे दिन ही चले गये थे लेकिन बाकी लोगो को आए 6 दिन हो चुके थे .इन 6 दिनो मे आरती और साहिल एक दूसरे के और करीब आते जा रहे थे ..उनकी नोक झोक अब प्यार का रंग ले रही थी लेकिन दोनो ही इस बात से अंजान थे . वहीं रोहन पूरी कोसिस करने के बावजूद रेणु के साथ अपने मन की कुच्छ नही कर पाया था ..हाँ अब रेणु उसे देखकर थोड़ा शर्मा ज़रूर जाती और रोहन उसके साथ हसी मज़ाक खुल कर करने लगा था ..लेकिन रेणु को अपनी सीमाए पता थी और वो रोहन को आगे नही बढ़ने देती .



आज का दिन भी रोज की तरह गुज़रा ..रात का खाना खाकर सब लोग टी,वी देख रहे थे ...सब लोगो के खाने के बाद रेणु अपना खाना लेकर छत पर बने रूम मे चली जाती है ..वो यही सोती भी थी साथ मे अटॅच्ड बाथरूम और एक और रूम था जिसमे एक टी.वी और उसके पढ़ने की बुक्स रखी थी. ...साहिल और आरती की नोक झोक भी चल रही थी.



थोड़ी देर बाद .. 

रोहन बोलता है " मौसी सबको खाना खिलाती है और मौसी को कोई नही पुछ्ता ,,दिस ईज़ नोट फेयर.."


"अच्छा इतनी फिकर है तो जा तू पुच्छ ले अपनी मौसी को " उसकी मम्मी बोलती है ..


"हाँ.. हाअ..पूछूँगा ही जब आप लोग नही पूछते " 


और सब मुस्कुरा देते हैं ..रोहन उठकर छत पर चला जाता है .



"मौसी अरे आपने खाना खा लिया .. मैं तो आपको पुच्छने आया था कि और कुच्छ चाहिए " रोहन उपर पहुचा तो रेणु खा कर लेटी ही थी .



"अरे रोहन आओ बैठो ..नही मैं अपना खाना सही लेकर आती हूँ . तो कम ज़्यादा नही होता " रेणु उठाकर बैठ जाती है ..


"आप लेटी रहो ...मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था..आप थक जाती हो ना मौसी ..कितना काम करती हो आप 

"
रोहन उसके बेड पर उस से सट कर बैठ जाता है .. ..


"रेणु थोड़ा पिछे खिसक जाती है ..अरे नही ऐसी कोई बात नही है .काम ही क्या होता है ..बस बनाना खाना."


"रोहन, आप बहुत अच्छी हो मौसी .".


"अच्च्छा ,,क्यू अच्छि हूँ मैं??? "



"आप पढ़ने मे भी अच्छि हो, घर के सारे काम भी करती हो ,सबका ख्याल रखती हो ...और आप इतनी खूबसूरत भी हो ..शाहर की लड़किया तो ज़रा सी बात पर नखरे दिखाती हैं ..लेकिन आपके अंदर कितनी सादगी है "



रेणु को रोहन की मूह से अपनी तारीफ अच्छि लगी थी .".अच्छा तो तुम्हे शहर की लड़किया नही पसंद हैं " रेणु ने मज़ाक किया .



"मुझे तो आप पसंद हो " रोहन बोल ही दिया आज .



"रोहन ये क्या बोल रहे हो ,,,मौसी हूँ मैं तुम्हारी "


"मेरा ..मत..लब.. था कि आप जैसी गाओं की लड़किया पसंद हैं ..."


रेणु कुच्छ नही बोलती .


रोहन जल्दी से उसके पैर पकड़ लेता है ..."मौसी प्लीज़ मम्मी को मत बोलना ..आप सच मे बहुत अच्छि हो "


रोहन रेणु के पैर पकड़ गिडगिडाने लगता है ..



"अच्छा बाबा नही बोलूँगी ..अब मेरा पैर छोड़ो " रेणु ने उसे पैर पकड़े देखा तो मुस्कुराते हुए बोली.


इन्ही सब बातों मे रेणु रोहन के शरीर अंजाने मे ही काफ़ी पास आ गये थे ...रोहन ने उसके पैर पर हाथ रखे रखे ही अपना चेरा उपर उठाया ...रेणु के होठ उसके होंठों के एकदम करीब थे .

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रेणु के लरजते गुलाबी रसीले होठ रोहन के होंठो से बस कुच्छ सेंटीमीटर की दूरी पर थे ...रेणु रोहन को इतना पास देखकर हड़बड़ा जाती है ...उसे कुच्छ समझ मे नही आ रहा था जैसे,,,रोहन को तो मानो मन की मुराद मिल गई..उसने अपने गर्म सूखे होठ रेणु के मधुर होंठो पर रख दिए...रेणु की आँखे बंद हो गयी ..किसी के भी होंठो का यह पहला चुंबन था उन कमसिन गुलाबी पंखुड़ियो पर...रेणु को मानो होश ही ना हो ...रोहन की सासो की गर्मी उसे पिघला रही थी ..सालो से बचाई यौवन की दौलत आज छलक पड़ी थी ..



रोहन रेणु के मधुर होंठो पर अपने होठ और जीभ फेरने लगा और उसकी जीभ रेणु के मुख मे घुसने की कोसिस करने लगी ...रोहन अब थोड़ा कॉन्फिडेंट हो गया था और रेणु के सर को पकड़ कर उसे अच्छी तरह से किस करने ल्गा ...


रेणु के होठ फडफडा रहे थे ..रोहन के होंठो का मानो विरोध कर रहे हो..और रोहन उन्हे अब धीरे धीरे चूसने लगा था उपर से ही .. रोहन ने एक हाथ से रेणु के सीने को छुपाये दुपट्टे को हटा दिया ..रेणु के सूट के गले से झाँकती उसकी सफेद चुचिया और उनके बीच की गहरी घाटी रोहन को पागल बनाए जा रही थी ...



रोहन को लगा कि रेणु अपने होठ नही खोलेगी और उसने अपना हाथ रेणु के उन्नत उभारों पर रख दिया और उन्हे नीचे से हाथ लगाकर सहलाने लगा मानो उन भारी संतरो को तौलने की कोसिस कर रहा हो ...रेणु ने अभी तक रोहन का कोई साथ नही दिया था लेकिन विरोध भी नही किया था ..वो मानो बेहोशी के आलम मे थी ...जवानी की दहलीज़ पर खड़ी उस सुकुमारी को मर्द के अंगो की पहली छुअन ने मदहोश कर दिया था .



रोहन उसकी दोनो चुचियो को बारी बारी सहला रहा था और साथ ही उसके कोमल नाज़ुक लबों के शहद को चाटने की कोसिस कर रहा था..



रोहन से अब बर्दाश्त नही हो रहा था उसने रेणु की चुचियो को हल्का सा दबा दिया और रेणु के मूह से आह की सिसकी निकल गई ..रोहेन ने मौका देखा और अपनी जीभ उसके मूह मे डाल दी और उसके होंठो को दबा कर चूसने लगा और हाथो से उसकी चुचियो को रगड़ना भी जारी रखा .


रेणु को अब ये सब अच्छा लग रहा था और उसने भी रोहन के सर को पकड़ कर उसके होठ चूसने सुरू कर दिए ..दोनो के मूह एकदम एक दूसरे से लॉक्ड थे मानो एकदुसरे के होंठो को खा जाना चाह रहे हो .


रोहन रेणु के निपल को अब हल्का हल्का पिंच कर रहा था और उसकी उरोजो को बुरी तरह से मसल रहा था ..रेणु शायद अब विरोध करने की स्थिति मे नही थी ...एक संस्कारी लड़की जिसने कभी ऐसा सोचना भी पाप समझा आज अपने ही भान्जे के हाथो अपना जवानी लुटवा रही थी .



रोहन का हाथ अब धीर धीरे अब रेणु के पेट को सहला रहा था किंतु रेणु रोहन के बालो मे हाथ डाले अभी भी उसकी जीभ चूस रही थी .

रोहन रेणु के पेट को सहलाता हुआ अपना हाथ रेणु के गोल गोल सलवार मे क़ैद भरे हुए नितंबो पर रख देता है और उन्हे सहलाने लगता है..

रोहन से अब बर्दाश्त करना मुस्किल हो रहा था ..उसने अपना हाथ आगे की ओर बढ़ाया और सलवर् के उपर से हाथो को रेणु की " कुवारि-कली "के उपर रखकर मुठ्ठी मे दबोच लिया.


"न्हीईीई" रेणु रोहन से छिटक कर दूर हट जाती है


रेणु के लिए शायद ये बहोत ज़्यादा था ,,उसे मानो होश आ गया था कि ये क्या कर रही है वो और किस के साथ.

रोहन को देखकर उसे अपनी ग़लती का मानो अहसास हो गया हो ..रेणु फूट फूट कर रोने लगती है ...


"मैने पाप किया है ...मैं पापीन हूँ ..हे भगवान मुझे मौत दे दो..मैं जीने लायक नही हूँ 


रोहन के तो होश उड़ गये थे ..अगर कोई उपर आ गया तो क्या जवाब दूँगा .



"मौसी प्लीज़ चुप हो जाओ ..कोई आ जाएगा " रोहन रेणु के कंधो को पकड़कर समझाने की कोसिस करता है.


"दूर रहो मुझसे ..सब तुमने किया है...सब तुम्हारी वजह से हुआ है "


"मौसी आइ एम सॉरी ...प्ल्ज़्ज़.."

" जाओ यहाँ से "

रोहन सर लटका कर वही खड़ा रहता है ...


रेणु को लगता है कि सचमुच कोई आ गया तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा ..
वो सिसकने लगती ह ..आँसू लगातार बहे जा रहे थे.




"रोहन तुम जाओ यहाँ से " वो रोहन से गुस्से मे बोलती है .


रोहन वहाँ से सर झुकाए चला जाता है


रेणु रोते हुए बिस्तर पर लेट जाती है ..और अभी भी सूबक रही थी ...इसके जेहन मे सारी घटना किसी फिल्म की तरह चल रही थी और साथ ही साथ एक सवाल -- "क्या सचमुच सब रोहन की ही ग़लती थी "
 
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रेणु के मन मे द्वंद चल रहा था ...एक तरफ उसे लगता कि नही जो कुच्छ हुआ उसमे मेरी कोई ग़लती नही है और दूसरी तरफ ये भी कि वो ये सब बर्दास्त क्यू करती रही ...रोहन के हाथो का स्पर्श उसे बुरा लगा तो उसने रोहन को इतना आगे क्यू बढ़ने दिया ..इन्ही ख्यालो मे उसकी आँख लग गई.


सुबह रेणु उठी और फिर से अपने डेली के कामो मे लग गई...साहिल उठकर खेतो पर अपने पापा के साथ चला गया था ..जबकि आरती और रोहन अभी भी सो रहे थे..


सुबह 9.00 बजे के आस पास साहिल खेतो से वापस आता है..रेणु सब लोगो को चाइ और ब्रेकफास्ट दे चुकी थी और रोहन को उसने उसकी माँ के हाथो भिजवा दिया था ...वो रोहन का सामना नही करना चाह रही थी और उसके मन मे अभी भी वही द्वन्द चल रहा था .


साहिल ब्रेकफास्ट करके ,नहाता है और फिर रेडी होने लगता है ...


साहिल की दीदी : अरे साहिल तू कहीं जा रहा है ?"



"हाँ दीदी वो मुझे यूनिवर्सिटी जाना है अपना सर्टिफिकेट निकलवाने"



"मामा, मैं भी आपके साथ चलूंगी ,,,सब लोग तो अपने काम में लग जाते है और मैं बोर हो जाती हूँ ..प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़"



आरती ने इतने प्यार से कहा था कि साहिल को मना करते नही बनता...पर वो खुद से हाँ भी नही कर सकता था ..वो चुप चाप होकर दीदी की ओर देखने लगता है...



'ले जा उसे भी , अब वो कौन सा मान जाएगी मना करने पर भी ...तेरी लाडली है ..हर बात उसकी मानता है तू तभी इतनी फरमाइश करती है मेडम"



दीदी थोड़ा मुस्कुराते हुए आरती को गुस्सा करती है...



"हाँ लाडली तो है ये मेरी और हमेशा रहेगी" साहिल भी मुस्कुरा देता है ...आरती खुशी से उच्छल पड़ती है ..थॅंक यू मामा, यू आर दा बेस्ट मामा इन दा वर्ल्ड"



साहिल मुस्कुरा कर रह जाता है ..


रोहन आरती और साहिल को जाता देख मन ही मन खुश होता है.
 
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"आरती अभी कितनी देर लगेगी तुम्हे ..." साहिल ने घड़ी पर नज़र डालते हुए तीसरी बार आवाज़ लगाई .


"आ रही हूँ ना,, आपने क्या इतनी जल्दी मचा रखी है "

''एक घंटे लगेगा वहाँ पहुचने मे ..ज़्यादा लेट होने पर भीड़ भी बढ़ जाती है काउंटर पर ...जल्दी करो " साहिल ने काफ़ी धैर्य रखते हुए जबाब दिया ..


आरती कमरे मे तैयार हो रही थी और सहिल बाहर उसका वेट कर रहा था ...


आरती लगभग 15 मिनट बाद बाहर निकलती है ...साहिल उस पर एक निगाह डालता है और आगे बढ़ जाता है ...

"एक तो तुम लड़कियो को पता नही तैयार होने मे इतना टाइम क्यू लगता है "


"अच्छा तो क्या हमें लड़को जैसे बस शर्ट पॅंट पहनकर निकल जाना होता है " आरती ने फ़ौरन जवाब दिया लेकिन फिर अपनी बात पर ही शर्म से नज़रो को झुका लिया ...



साहिल उसकी बात को सुनकर चुप हो जाता है..उसे पता था उसकी आरती के कहने को वो मतलब नही था .. ..और बाइक लेकर गेट पर आ जाता है ..


"दीदी हम जा रहे है " साहिल गेट पर से ही आवाज़ देता हैं .



"ठीक है जाओ आराम से जाना और किसी से लड़ाई झगड़ा मत करना , बाइक धीरे चलाना"


मम्मी हम कोई बच्चे हैं ..आप भी ना "आरती साहिल से पहले ही बोल देती है ...


"हाँ,हाँ तू तो बड़ी सयानी है मेरी माँ..जा अब" दीदी आरती की बात पर हार मानकर बोलती है ..


आरती ने जीन्स और टॉप पहना हुआ था ..बालो को खुला ही छोड़ा था ..जवानी की चंचलता और अल्हधपन से उसका खूबसूरत मुखड़ा जगमगा रहा था ..बेहद खूबसूरत लग रही थी ..लेकिन आरती ने ये नोट किया था कि साहिल कुच्छ उखड़ा उखड़ा सा लग रहा था ...


आरती बाइक पर बैठ जाती है ..दोनो तरफ पैर करके ..साहिल काफ़ी आगे खिसक कर बैठा था .



आरती कुच्छ कुच्छ बोले जा रही थी लेकिन साहिल हू हाँ मे ही जवाब दे रहा था ...

आरती को काफ़ी गुस्सा आ जाता है 



"नही साथ लाना था तो पहले ही बोल देते " आरती गुस्से मे बोली .
"
मैने कब बोला कि मैं नही लाना चाहता था "



"तो फिर गुस्सा क्यू हो "

"मैं क्यू गुस्सा होने लगा तुमसे "


"हाँ.... हाँ..मुझसे क्यू गुस्सा होगे... मैं हूँ ही क्या तुम्हारी ..मुझे नही जाना चलो वापस मुझे छोड़कर जाओ फिर "



"हे भगवान ...तू चाहती क्या है ..अच्छा सॉरी "

"नही फिर आप बताओ कि क्या बात है "

"आरती वो...वो...वो..""

"
क्या ..बोलो भी ."



"मुझे तुम्हारा गाओं मे जीन्स पहन ना पसंद नही है..तुम नही जानती यहाँ यूनिवर्सिटी का महॉल ठीक नही होता ...अगर किसी ने कुच्छ बोल दिया तुम्हे तो मैं बर्दाश्त नही कर पाउन्गा "



आरती को कुच्छ पल समझ मे नही आता की वो खुश हो या उदास ..



"सिर्फ़ इसलिए कि लोग कॉमेंट्स करते है या फिर आपको जीन्स पहन ना ही नही पसंद "


" आरती मैं कोई दकियानूसी ख्याल का नही हूँ ..लेकिन मुझे सच मे तुम पर सूट ज़्यादा अच्छा लगता है ...लेकिन मेरे अच्छा लगने से कुच्छ नही होता ...बस जब तुम गाओं मे आया करो तो जीन्स घर मे ही पहना करो "



"तो ये घर पर ही बोल देते ..अब मैं जीन्स नही पहनूँगी...और आपसे किस ने बोल दिया कि आपके अच्छा लगने से कोई फ़र्क नही पड़ता ...हूउ..बताओ तो ज़रा "



"सच मे तो तुम्हे फ़र्क पड़ता है " साहिल को बहुत अंजानी सी ख़ुसी का अहसास होता है ..पहले बार किसी को उसकी पसंद नापसंद की फिकर थी 



"और नही तो क्या ..." आरती बिना झिझक के बोल देती है ."



ऐसे ही हल्की फुल्की बाते करते वो यूनिवर्सिटी पहुच जाते हैं.



साहिल ने उस साल अपना कॉलेज टॉप किया था ..सो उसको जान ने वाले काफ़ी थे..लेकिन साहिल काफ़ी रिज़र्व रहने वाला बंदा था ज़्यादा किसी को लिफ्ट नही देता ...और कुच्छ उसे दोस्त भी ऐसे ही मिले जो सिर्फ़ उसका फ़ायदा उठाते ..



आरती को लेकर साहिल यूनिवर्सिटी के अंदर चला जाता है ..फॉर्म भर कर काउंटर पर जमा करने के बाद उसे 2 घंटे बाद आने को कहा जाता है .. 



साहिल आरती को लेकर कॅंटीन की तरफ चल देता है ...काफ़ी सारे लड़को की निगाहें आरती की तरफ उठ रही थी..कुछ उसे घूर कर देखते और कुच्छ साहिल की किस्मत पर रस्क करते ..



साहिल का बस नही चल रहा था कि एक एक की आँखे नोच ले ...वो आरती को कहीं छुपा लेना चाहता था कि कोई उसे देख भी ना पाए ..



आरती और साहिल कॅंटीन के अंदर आकर बैठ जाते है साहिल आरती की पसंद की कुच्छ चीज़े ऑर्डर कर देता है



साहिल आरती के साथ कॅंटीन मे बैठा था लेकिन उसे अच्छा बिल्कुल नही लग रहा था क्योंकि कुच्छ लड़को की निगाहें उसे चुभती हुई सी आरती के जिस्म पर पड़ती दिख रही थी और अनायास ही उसका सर आरती के चेहरे की तरफ़ उठ जाता है जो चाउमीन खाने मे मस्त थी ...आरती कितनी खूबसूरत है ..उसके दिल के तारों को छेड़ जाती है उसकी ये सोच ..



आरती उसे अपनी ओर देखता देखकर " क्या हुआ ,,खाओ ना ,,क्या देख रहे हो ? "



"आअँ..कुच्छ नही " और साहिल भी इसी प्लेट मे से खाने मे लग जाता है ..
वो साहिल को जल्दी से जल्दी वहाँ से ले जाना चाह रहा था.



" क्या मस्त माल है भाई" उनके टेबल के बगल वाले टेबल पर बैठे एक लड़के के कॉमेंट्स साहिल के कानो मे पड़ते हैं..उसका हाथ रुक जाता है ..



"हाए क्या हॉट है लाल लाल...क्या किस्मत है स्पून की जो साला अंदर बाहर जा रहा है ..ओह होये "



"अबे साले तू अभी होंठो तक ही पहुचा ...उसकी नीचे की हिमालय की पहाड़िया तो देख..जान ही ले लेंगी आज तो ये "



साहिल का खून खौल उठ ता है उनकी बाते सुन कर ...आरती समझ चुकी थी कि अब यहाँ बहुत ज़्यादा बात बिगड़ जाएगी ..वो साहिल का हाथ पकड़ लेती है जो गुस्से से खड़ा हो चुका था 



"प्लीज़....तुम्हे मेरी कसम "



आरती साहिल को ज़बरदस्ती खिच कर वहाँ से ले जाती है ...साहिल का मूड बहुत खराब हो चुका था ...



अब आरती उसे नॉर्मल करने की कोशिश मे लग जाती है ..



"जाने दो मामा ...उनका यही काम ही होता है ..हर लड़की को देख कर ऐसे ही बोलते होंगे ..ऐसे लोगो के मूह नही लगते.."



"साले हर लड़की को देख कर बोले चाहे ...तुम्हे कोई बोल दे ये मैं नही सहूँगा और तुम्हे क्या ये बात बात पर कसम देने की आदत पड़ गई है ..तुम्हे क्यू लगता है कि तुम कसम दोगि और मैं मान जाउन्गा .."



साहिल अपना सारा गुस्सा उस मासूम लड़की पर निकाल देता है जो उसे सबसे प्यारी थी ..आरती की आँखो से आँसू की दो बूंदे उसके गालो पर लुढ़क जाती हैं .साहिल आरती को कभी नही डाँट ता था ...आरती उसकी छेड़ छाड़ चलती और फिर रूठना मनाना...जिसमे ज़्यादातर साहिल ही आरती को मनाता ..पर उसने इतनी बुरी तरह कभी उसे नही बोला था ..



"सॉरी ..पता नही क्यू लगता है कि आप मान जाओगे मेरी कसम देने पर ...सॉरी ..अब कभी अपनी कसम नही दूँगी"


आरती को रोता और सॉरी बोल ता देख साहिल का सारा गुस्सा गायब हो जाता है ...



"मैं भी कितना गधा हूँ ,,इसे रुला दिया .भला इसकी क्या ग़लती थी ...."साहिल मन मे बहुत ज़्यादा पछताने लगता है..



"आरती प्लीज़ चुप हो जाओ सब लोग देख रहे हैं " आरती अपने आँसू पोंछती हुई साहिल के साथ आगे बढ़ जाती है . अब दोनो मे बात चीत बंद थी ...आरती नाराज़ थी और साहिल शर्मिंदा.



"अरे साहिल आप ...सर्टिफिकेट लेने आए हैं क्या ?"साहिल इस आवाज़ पर मुड़कर देखता है ..



"हेलो शशि , कैसी हो आप ,,,हाँ उसी लिए आया हूँ..सुम्मित नही आया है क्या "



"आया है ..कामन हाल मे है ..बस आता ही होगा .....ये कौन है? "
शशि नाम की उस लड़की ने पुछा ,आँखो मे काफ़ी शरारत थी.



"ये...मेरी भांजी है .आरती और आरती ये है शशि मेरी क्लासमेट ""



और मैं हूँ सुमित ..साहिल का क्लासमेट, दोस्त......और अपनी शशि का एकलौता बाय्फ्रेंड" पीछे से आते लड़के ने हँसते हुए कहा.



"हेलो,नाइस टू मीट यू ऑल " आरती ने ज़बरदस्ती की मुस्कान चेहरे पर लाते हुए कहा .


"ह्म्‍म्म तो साहिल जी...भांजी को यूनिवर्सिटी घुमा रहे हैं ...ह्म भी सोचे इतनी खूबसूरत लड़की इतने बोर बंदे के साथ ..इंपॉसिबल..हा... हा.. हा.." सुमित ने तंज़ करने के अंदाज़ मे कहा ..



"सुमीत ??" साहिल ने थोड़े सख़्त लहजे मे कहा . आरती को उसका साहिल को बोर करना बिल्कुल भी पसंद नही आया था और वो जानती थी कि साहिल को दोस्त सब सिर्फ़ मतलब के लिए बोलते हैं.



"तू भी ना सुमीत ..साहिल पर तो कितनी लड़किया अपनी क्लास की ही फिदा थी ...और याद है अपनी सोनम तो साहिल को जी जान से चाहती थी ..लेकिन साहिल ने ही कभी...."
शशि ने साहिल एक नागवारी को देखकर बात अधूरी छोड़ दी .



आरती को जाने क्यू बेहद ख़ुसी का अहसास हो रहा था अब और साहिल पर फक्र भी .



"हमें निकलना चाहिए...तुम लोगो ने तो अपने सर्टिफिकेट ले लिए हैं ...मुझे अभी लेना है ..चल आरती ..एग्ज़ूज़ मी."




साहिल सबको बाइ बोलता हुआ निकल जाता है ..काउंटर पर उसका नाम बुलाया जा रहा था ..साहिल जल्दी से जाकर अपना लीविंग सर्टिफिक्ट कलेक्ट करता है और आरती को लेकर पार्किंग की ओर चल पड़ता है .



आरती अभी भी साहिल से थोड़ा नाराज़ थी .वो जानती थी कि साहिल ने किसी और का गुस्सा उसपर निकाल दिया था लेकिन जिस साहिल ने आज तक उसकी कोई बात नही टाली थी , बचपन से जिसको वो पूरे हक से अपना समझती थी ...आज उसने उसे बुरी तरह से डाँट दिया था... इस बात का उसे दुख हो रहा था ..वो जब भी साहिल की ओर देखती साहिल नज़रे चुरा लेता ..उसे पता था साहिल काफ़ी शर्मिंदा है बस बोल नही पा रहा ..लेकिन वो एक बार साहिल के मूह से सुन ना चाह रही थी.



साहिल की शख्सियत का एक और रंग आज खुला था उसपर ..उसका मजबूत कॅरक्टर.


साहिल के पीछे बाइक पर बैठे आरती काफ़ी चुप थी .


"आरती, नाराज़ हो मुझ से "

आरती कुच्छ नही बोलती ..

वो यूनिवर्सिटी से थोड़ी दूर और आगे आ जाते हैं ..अब भीड़ भाड़ काफ़ी कम हो चुकी थी और साहिल भी काफ़ी आराम से बाइक चला रहा था .


"आरती ..प्लीज़ कुच्छ तो बोलो "


आरती फिर भी चुप रहती है ..साहिल जान चुका था कि आरती उस से सच मे नाराज़ है ..वो बाइक मोड़ लेता है और पास के एक खूबसूरत पार्क की ओर चल देता है.


"ये कहाँ चल रहे है ...मुझे घर जाना है "


बस थोड़ी देर..मेरे लिए ..प्लीज़"


आरती साहिल को मना नही कर पाती..

साहिल बाइक पार्क करता है और पार्क की ओर बढ़ जाता है ..कुच्छ कदम आगे बढ़ने के बाद वो देखता ही आरती अभी भी खड़ी है ..वो वापस जाता है और उसका हाथ पकड़ लेता है 



"..प्लीज़" साहिल ने पहली बार इस तरह से आरती का हाथ पकड़ा था ..आरती अपना हाथ छुड़ा लेती है ..


"ठीक है ..चलिए "
 
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साहिल आरती को लेकर पार्क मे पहुचता है..पार्क काफ़ी खूबस्सोरात था पर इस समय ज़्यादा लोग नही थे वहाँ .साहिल आरती को लेकर एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है.आरती उसे रूठी रूठी सी काफ़ी प्यारी लग रही थी ...एक ऐसा रूठना जिसमे ये चाहत छुपि होती है कि कोई आप को मनाए और आप जानते हैं कि वो ज़रूर मनाएगा .


साहिल आरती को एक टक देखे जा रहा था जबकि आरती सर नीचे किए हुए घास को उखाड़ रही थी .



"मेरा गुस्सा मासूम घास पर क्यू निकाल रही हो " साहिल ने उसे थोड़ा सा और छेड़ दिया .


आरती ने सर उठाकर उसे घूरा लेकिन बोली कुछ नही .



साहिल " पता है तुम जब नाराज़ हो जाती हो तो और भी खूबसूरत लगने लगती हो "



आरती ने हैरत से सर उठाकर देखा ..साहिल ने कभी उसकी तारीफ इतने खुले लफ़जो मे नही की थी ...और वो तो किसी की भी सुंदरता की तारीफ नही करता था.


आरती को अब साहिल को छेड़ने मे मजा आ रहा था .वो जानती थी कि साहिल उसे मनाने की कोसिस कर रहा है ..वो उसे सताने के लिए फिर कुच्छ नही बोलती ...


"आरती कुच्छ बोलो ना ..अच्छा आइ एम सॉरी"



"सॉरी किस बात की .ग़लती तो मेरी ही थी ..कुच्छ ज़्यादा ही हक़ समझ लिया था अपना आप पर....जाने क्यू सोचती थी अपनी कसम दूँगी और आप मान लोगे मेरा कहा ..मैं हूँ ही कौन आपकी..आपको क्या फ़र्क पड़ता है भला"



''आरती प्लीज़ ..ऐसा तो मत कहो .... तुमसे ज़्यादा मैं किसी को "मानता " हूँ क्या ...तू तो मेरी गुड़िया है ...तुम जानती हो मैं गुस्से मे था ..तुम्हे कोई गंदी नज़रो से देखे ले तो मन करता है उसकी आँखे नोच लू ..और वो कमिने ...जाने दो ..छोड़ो उन सब बातों को ..अच्छा माफ़ नही करोगी तो कोई सज़ा दे दो ..प्लीज़.."



आरती को साहिल की बातों पर बहुत प्यार आ रहा था ..नाराज़ तो वो पहले से ही नही थी क्योंकि वो जानती थी साहिल ने गुस्से मे बोल दिया था बस उसको सताना था ...जो वो हमेशा करती ..साहिल से अपने नाज़ नखरे उठवाना उसे बेहद पसंद था ...बचपन से ही वो साहिल पर अपना सबसे ज़्यादा हक़ समझती थी ...किस रिश्ते से ???? ये शायद उसे खुद नही पता था ...लेकिन मामा_ भांजी के रिश्ते से तो नही .


"मैं आपसे क्यू नाराज़ होने लगी भला "



"मुझे पता है तुम नाराज़ हो ..और तुम ये जानती हो ना कि मुझे किसी को मनाना नही आता...अब मान भी जाओ सॉरी बोल रहा हूँ ना ..देखो कान पकड़कर सॉरी "
साहिल बड़ी मासूमियत से कानो को पकड़ लेता है और याचना भरी आँखो से आरती की ओर देखने लगता है .


आरती को हँसी आ जाती है और वो मुस्कुरा देती है .."ठीक है पर आपको मुझे आइस क्रीम खिलानी पड़ेगी "



"अभी हाजिर है " साहिल खुश होता हुआ आइस्क्रीम वाले की तरफ बढ़ जाता है .



थोड़ी देर बाद दोनो आइस्क्रीम खा रहे होते है ..दोनो एक दूसरे के साथ बैठे थे लेकिन थोड़ी दूरी थी उनके बीच मे .


"मामा एक बात पुच्छू"


"हाँ पुछो "


"वो लड़की बोल रही थी किसी सोनम नाम की लड़की का आप पर कृश था ...क्या उसने आप को प्रपोज़ किया ???.फिर क्या आपने उसे मना कर दिया "



"अरे छोड़ो वो तो ऐसे ही बोल रही थी "


"नही मुझे बताओ "


"हाँ मना कर दिया था "

:क्यू"


"क्या मतलब क्यू ?? क्या लड़के किसी लड़की को मना नही कर सकते "



"हाँ बिल्कुल कर सकते है ..पर कुच्छ तो वजह रही होगी ...??"


"ह्म्‍म्म...वो मेरी टाइप की नही थी "


"ओह ऊओ...आपके टाइप की नही थी ...देखने मे तो इतने भोले लगते हो ..और लड़कियो के टाइप का पता है आपको " आरती को एक अच्छा पॉइंट मिल गया था साहिल को छेड़ने का .



"अब तू मेरी टाँग मत खीच ..तू मेरे पिछे पड़ गयी तो मैने यूँही बोल दिया था "



"अच्छा ..सॉरी...मामा वैसे आपकी की टाइप की लड़की कैसी होगी ..मतलब किस टाइप की लड़की आपको पसंद आएगी "



"तू क्या बोल रही है ...क्या मेरी शादी हो रही है जो तू मुझसे मेरी पसंद ना पसंद पुच्छ रही है " साहिल ने हैरत से आँखे चौड़ी करते हुए पुच्छा .



प्लीज़ बताओ ना ..मैं किसी को नही बोलूँगी ..प्रॉमिस ." आरती बड़ी मासूमियत से बोल देती है .



"'कोई ऐसी लड़की जो मेरा साथ कभी ना छोड़े ...मैं आज क्या हूँ कल क्या बन पाउन्गा ...क्या अचीव कर पाउन्गा या नही कर पाउन्गा ..इन सब बातों से जिसे कोई फ़र्क ना पड़े .."
--साहिल जैसे सपनो की दुनिया मे खो जाता है---



"आरती तुझे एक बात बोलूं.....पता नही कैसे लोग होते हैं जो कहते हैं कि ""ब्रेक अप"" हो गया ...फिर कभी किसी और के साथ ""पॅच अप"' हो गया ..यार प्यार क्या कोई खेल है जिसमे हार जीत हो कि एक बार हार गये तो फिर से खेलो और जीत जाओ ..मुझे तो ये लगता है कि जो सच्चा प्यार करते है वो एक दूसरे को पूरी लाइफ प्यार करते है चाहे कभी मिले चाहे ना मिले ..और उनका प्यार कभी नही हारता ..और जिसने प्यार मे धोखा दे दिया वो हार गया ...फिर चाहे कितनी बार भी प्यार का दावा कर ले उसका प्यार कभी नही जीत सकता ... प्यार तो एक बार ही हो सकत्ता है और उसी एक बार मे या तो वो हार कर हमेशा के लिए मर जाता है या फिर जीत कर अमर हो जाता है ...तो फिर लोग ऐसा क्यू बोलते हैं ?"'
 
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"क्यू कि वो आप जितने अच्छे और सच्चे नही होते "


आरती जिस पर दिन प्रतिदिन साहिल की सख्सियत अपनी छाप छोड़ती जा रही थी मानो उसके से ही लहजे मे बोल गयी .


क्याअ??"


"हाँ मामा वो आप जैसा प्यार करना नही जानते ...उन्हे नही पता होता प्यार क्या होता है ...मामा ???!"



साहिल उसकी ओर प्रश्नवाचक नज़रो से देखता है ..."हूँ??"


"आप बहुत अच्छे हो " आरती ने दिल की गहराइयो से साहिल की तारीफ की



"तू भी बहुत अच्छी है " साहिल ने भी उसे लहजे मे जवाब दिया ..\इतना बोल कर दोनो चुप हो गये थे मानो कहने को कुच्छ बचा ही ना हो .


"आरती चलते है "


"मामा आप मेरे दोस्त बनोगे...मुझसे दोस्ती करोगे ???" आरती ने साहिल की आँखो मे देखते हुए पुछा.


"क्या ?सच मे ..??... क्या तुम्हारा भी कोई दोस्त नही है ???



साहिल को मानो यकीन नही हो रहा था कि आरती क्या बोली है ..उल्टे सीधे सवाल उसकी ज़ुबान से निकल गये ..



"है तो ..पर आप जैसा कोई नही है "



"आरती एक बात बोलूं तुझसे ...मैं जैसा लगता हूँ वैसा नही हूँ ...मैं कोसिस करता हूँ बहुत मजबूत दिखने की लेकिन मैं बहुत एमोशनल हूँ ...मुझे भी एक दोस्त की कमी बहुत महसूस होती है ..लगता था कि तू ही है वो ..लेकिन कभी कह नही पाया ....कभी ये दोस्ती तोडोगी नही ना??"" साहिल काफ़ी भावुक हो गया था .



"आअपकी कसम कभी भी नही ,,चाहे कुच्छ भी हो जाए " -आरती ने साहिल का हाथ अपने हाथो मे ले लिया मानो उसे भरोसा दिला रही हो कि दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए..हर कोई आपका साथ छोड़ दे पर मैं हमेशा आपके साथ रहूंगी.



साहिल की आँखो से आँसू बहने लगे ..."" थॅंक यू आरती ..थॅंक यू सो मच "



"आप पूरे पागल हो ..इधर आओ " आरती साहिल को अपने सीने से लगा लेती है .साहिल को आज मानो दुनिया भर की दौलत मिल गई थी ...उस प्यारे से रिश्ते को जो एक मामा भांजी के रिश्ते से बहुत आगे निकल चुका था आज एक नाम मिल गया था , एक नई पहचान मिल गई थी और साहिल को "एक दोस्त " मिल गया था

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साहिल और आरती यूही थोड़ी देर तक गले लगे रहे ...


साहिल आज सबकुच्छ भूल कर आरती के सीने से चिपका हुआ था ...दिल मे एक नई खुशी ने जन्म ले लिया था ..आज उसकी लाडली उसकी दोस्त बन गई थी ..एक भरोसा सा आ गया था ज़िंदगी मे ..



"मामा घर चले " आरती जानती थी कि साहिल बहुत खुस है और खुस तो वो भी बहुत थी .उसने दूसरी बार साहिल से पुछा.



"नही" साहिल ने सन्छिप्त सा जवाब दिया..आज उसे बहुत रोना आ रहा था ..उसे बाते जो हर किसी को प्रवचन या उपदेश सी लगती थी आज लाइफ किसी को इस कदर भा गई थी ..कोई ऐसा था जिसे उन बातों की , उन जज्बातो की कद्र थी ..कोई था जिसे उसकी कद्र थी ,,,जिसे उसकी दोस्ती की कद्र थी ...हर बात उसे रुला रही थी ..लेकिन ये ख़ुसी के आँसू थे.



"आरती , तुम आजतक मेरी गुड़िया थी अब मेरी दोस्त हो ..कभी ये दोस्ती मत तोड़ना नही तो...."



"भरोसा नही है मुझपर " आरती ने साहिल के चरे को पकड़ कर अपने सामने करते हुए पुछा .



"हुउऊँ..बोलिए भरोसा नही है अपने दोस्त पर ..अपनी दोस्ती पर ?" आरती ने उसकी तसल्ली करनी चाही .



"खुद से भी ज़्यादा" ..साहिल ने कहा और फिर उसके गले लग गया.


"अच्छा उठो ,,, चलो अब घर चलते है "

आरती ने साहिल के बालों मे हाथ फेरते हुए कहा .


साहिल ने हाँ मे सर हिलाया और दोनो उठकर बाइक तक आ गये ..सही ने बाइक स्टार्ट की और आरती बैठ गयी...साहिल के कंधे पर हाथ रख कर ..साहिल को अपने दिल मे सुकून सा उतरता हुआ महसूस हुआ ..उसने बाइक आगे बढ़ा दी.

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आरती साहिल के कंधे पर हाथ रख कर बाइक पर बैठी थी ..साहिल के दिल मे बेहद इतमीनान था ..आज उसका दिल बहुत खुस था.. वो धीरे धीरे बाइक चला रा था और आरती से बाते भी कर रहा था . अब उसे इस बात की भी ख़ुसी थी कि वो आरती के साथ ही देल्ही जाएगा .



घर पर साहिल और आरती के जाने के बाद नाना-नानी मार्केट चले गये थे और आरती की मम्मी पड़ोस के किसी घर गयी थी ..रोहन कुच्छ देर तक टी.वी देखता है फिर घर पर किसी को ना देखकर उपर छत पर चल देता है ..



छत पर रेणु अपने कमरे मे किताबो मे सर घुसाए कुच्छ पढ़ रही थी ..रोहन को दरवाज़े पर देखकर वो बुरा सा मूह बना लेती है पर बोलती कुच्छ नही है .



"मौसी अभी भी नाराज़ हो ...आइ एम सॉरी " रोहन मासूम बन ने की पूरी आक्टिंग कर रहा था ..



रेणु कुच्छ नही बोलती...



"मौसी आइ एम सॉरी , आप मुझे माफ़ कर दो प्ल्ज़्ज़...बस दो दिन ही और रहना है फिर तो मैं चला ही जाउन्गा. अब आपको मुझे और नही बर्दाश्त करना पड़ेगा ..जब से आया हूँ आपके लिए सर दर्द बन गया हूँ ..अब कभी नही आउन्गा .. "
रोहन अपनी दाल ना गलता देख एमोशनल ब्लॅकमेल पर आ जाता है .


रेणु अब भी कुच्छ नही बोलती .


"ठीक है मत माफ़ करो ..चला जाता हूँ मैं"


"आ जाओ अंदर " रेणु को उसपर दया आ जाती है..आख़िर सारी ग़लती उसकी ही तो नही थी ...मानो वो मन ही मन खुद को डाँट ती है .



रोहन जाकर रेणु के पास बिस्तर पर बैठ जाता है ...और झट से उसका हाथ अपने हाथो मे ले लेता है ..



"थॅंक यू मौसी ..थॅंक यू सो मच'...आप बहुत अच्छि हो "



"अब रहने दो मस्का लगाने को "



हाए मेरी जान तेरी तो मैं बिना मस्का लगाए ही लूँगा .रोहन मन ही मन सोचता हूँ .



"नही मौसी सच मे...आप नही जानती कि मेरे दिल से कितना बड़ा बोझ उतर गया...मुझे नही पता था कि आप इतना नाराज़ हो जाओगी इतनी सी बात पर .. "



क्या मतलब इतनी सी बात पर .........वो इतनी सी बात थी ????"



रेणु फिर सुलग जाती है .



"ओह सॉरी ...मौसी आप बहुत इनोसेंट हो .. आप नही जानती ना शहर मे लड़किया कैसी होती है ..वहाँ तो ये आम बात है ..इसलिए मुझसे ग़लती हो गई .." रोहन जानता था कि भले कुच्छ देर के लिए ही सही लेकिन रेणु ने उसका साथ तो दिया ही था ..इसलिए वो फिर से कोसिस कर रहा था ..





"मुझे सब पता है शहर मे भी अच्छि लड़किया होती है ...जो जैसा होता है उसको वैसे लोग ही दिखते है " रेणु उसे कोई भाव नही दे रही थी या फिर शायद वो डर रही थी ...रोहन के हाथ लगते ही उसपर सुरूर सा छाने लगता था ये बात वो भी जानती थी ..और इसी वजह से वो रोहन को बिल्कुल भी लिफ्ट नही दे रही थी ...पर आज शायद किस्मत भी रोहन के साथ थी ..



"मौसी आप सच मे बहुत अच्छि हो ... आप कितनी खूबसूरत हो फिर भी इतनी सिंपल रहती हो ..कोई आटिट्यूड नही है आपके अंदर ...आप की उम्र की लड़किया तो अब तक क्या क्या कर लेती हैं .....और आप कितनी सीधी साधी हो ...बहुत किस्मत वाले होंगे हमारे मौसा जी...मैं भी आपकी जैसी लड़की से ही शादी करूँगा ,,अगर आप मेरी मौसी ना होती तो मैं आपसे ही शादी करता..""



रोहन अपने सारे अस्त्र सस्त्र से रेणु को पटाने की कोसिस कर रहा था ....



"जी नही ..ऐसा कुच्छ नही है ,,बहुत सारी अच्छि लड़किया हैं सिर्फ़ मैं ही नही..और क्या मतलब मेरी उमर तक ...क्या क्या कर चुकी होती हैं लड़किया ....????.जैसे तुम्हे बड़ा पता है सबकुच्छ ""



रोहन की बातें रेणु को थोड़ी अच्छि तो लग ही रही थी ..आख़िर वो भी एक जवान खूबसूरत लड़की थी ..और फिर तारीफ किसे अच्छि न्ही लगती.



"सच मे मौसी ..हमारे यहाँ तो स्कूल की लड़किया भी वो सब ...आप समझ ही गई होगी ..और सब नही अच्छि होती ...मुझे तो बस आप ही अच्छि लगती हो ..सच बोल रहा हूँ ...मम्मी कसम " इस बीच रोहन वापस रेणू का हाथ पकड़ चुका था और रेणु ने कोई विरोध नही किया .



"क्यू.?????.मैं क्यू अच्छि लगती हूँ .?????.ऐसा क्या है मुझमे ...जाओ झूठे कही के " रेणु ने पहली बार शर्म से नज़रे झुकाते हुए कहा .

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