hotaks444
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11-
आरती का दिल आज बहुत खुस भी था और थोड़ा उदास भी..ख़ुसी इस बात की थी कि वो साहिल के साथ थी दुख इस बात का कि साहिल साथ होकर भी उसके साथ नही था ..वो खुस नही लग रहा था जब भी आरती उसके सामने होती जाने क्यू उसका चेहरा उदास सा हो जाता .
आरती इन्ही सोचो मे डूबी होती है और उसका ध्यान तब टूट ता है जब फ्लाइट मे अटेंडेंट सबको सीट बेल्ट बाँधने को बोलती है और फ्लाइट टेक ऑफ करने लगता है..
साहिल के हॉस्पिटल से वापस आने से लेकर अभी तक उसने आरती से ज़्यादा बाते नही की थी और ना ही आरती ने कोसिस की.एक अनचाही दीवार सी बन गयी थी दोनो के दरमियाँ..आरती को पता था ये दीवार उसी की वजह से बनी और उसे ही इसे गिराना होगा.
"सर, आप कुच्छ लेंगे , कुच्छ ठंडा _गरम ?" काफ़ी खूबसूरत एर होस्टेस्स की खूबसूरत सी आवाज़ पर साहिल उसकी ओर देखने लगता है, और कुच्छ देर उसपे नज़रे टिकाए रखता है,,जाने क्यू??
"जी नही, थॅंक यू "
"युवर वेलकम "
" मॅम आप कुच्छ लेंगी"
" नही " आम तौर पर सब से प्यार से पेश आने वाली आरती का लहज़ा काफ़ी चुभता सा और गुस्से वाला था . बेचारी एर होस्टेस्स चुप चाप आगे बढ़ जाती है.
अनायास ही साहिल की नज़रे आरती के चेहरे पर चली जाती हैं..गुस्से मे नाराज़ नाराज़ सी आरती उसे बेहद प्यारी लगती है .जलन के भाव साफ उसके चेहरे पर दिख रहे थे .
साहिल दूसरी ओर मूह करके बिना मुस्कुराए नही रह पाता इस बार.
सच्चा प्रेम ऐसा ही होता , दिल जिसे चाहता है फिर उसका किसी और की ओर देखना भी गवारा नही करता . हर आशिक़ का यही सपना होता है कि उसकी महबूबा उसे इसी तरह चाहे .
दोस्तो अगर आपको लेकर आपका प्यार बहुत पोज़ेसिव होता है तो इसका सिर्फ़ एक रीज़न होता है __ उसे आपको खोने का डर होता है कि आप उसकी ज़िंदगी की सबसे कीमती चीज़ होते हैं. प्रेमियो की जलन प्यार का ही दूसरा रूप होता है.
कुच्छ घंटो के सफ़र के बाद दोनो शिमला पहुच चुके थे . आरती चाहती तो किसी को भी फोन करके बुला सकती थी किंतु वो अब उन दोनो के साथ किसी को भी नही रखना चाहती थी ..वो चाहती थी यहाँ बस वो हो और उसका साहिल .
आरती 10 मिनट तक किसी से कुच्छ बात करती है जैसे उसे कुच्छ समझा रही हो..और फिर उसे थॅंक्स बोल कर फोन रख देती है.
साहिल इस बीच मूक दर्शक बना रहता है..और आरती उस से थोड़ी दूरी पर खड़ी बात कर रही थी .बात पूरी करके वो साहिल के पास आती है " चलिए "
एक टॅक्सी वाले को आवाज़ देकर बुलाती है वो ..ड्राइवर सारा समान गाड़ी मे रखता है .
" कहाँ चलना है मेडम जी.. मेरा नाम चंदर है .मैं यहा 10 साल से टॅक्सी चला रहा हूँ ,,एक से एक होटेल पता है , पर आप लोग न्यूली मॅरीड लगते हो..होटेल ठीक नही रहेगा ,आप कहें तो किसी अच्छे रिज़ॉर्ट पर ले चलूं ...यहाँ तो एक से एक हनिमून रिज़ॉर्ट हैं. आप दोनो अपने हनिमून को जिंदगी भर नही भूलेगे और ना ही ये चंदर ..बोलो ले चलो साहब..बस आप ऑर्डर करो जी"' टॅक्सी वाला काफ़ी बातूनी था .
"आए, अपने काम से काम रख और ज़ुबान बंद रख अपनी " साहिल डाँट देता है.
और आरती उसे अड्रेस्स बता देती है_" जीवन-वाटिका"
ड्राइवर बेचारा चुप चाप गाड़ी आगे बढ़ा देता है..आरती साहिल के साथ बैठी अंजानी सी ख़ुसी मे डूब जाती है..साहिल की आँखे भारी होने लगती हैं..थोड़ी देर बाद साहिल को अपने कंधे पर आरती का सर महसूस होता है .आरती साहिल के कंधे से सर टिकाए ,उसके एक बाजू मे अपना हाथ फसाए सारी दुनिया की परेशानियों से दूर सुकून से सो रही थी. साहिल अपना हाथ उसके सर पर रखना चाहता है फिर कुच्छ सोचकर वापस हटा लेता है .फिर वही चिर परिचित उदासी उसके होठों पर आ जाती है.
कोई 40 मिनट के सफ़र के बाद दोनो 'जीवन -वाटिका" पहुच चुके थे ..इस बीच आरती और साहिल मे कोई बात नही हो रही थी
" लो सहाब आ गये " ड्राइवर की आवाज़ पर आरती हॅड बड़ा कर साहिल से अलग हो जाती है..शरम की लाली उसके गालो के डिंपल को और खूबसूरत बना देती है.
जीवन वाटिका वास्तव मे ही जीवन से परिपूर्ण था ..हरे भरे फूल, लह लहाते पौधे और बेले...क्यारियो मे लगे रंग बिरंगे फूल और बीच बीच मे आम , अमरूद .लीची ,अनार के पोधे..साहिल को वास्तव मे बेहद अच्छा लगता है वहाँ आकर.
तब तक एक 18-19 साल का लड़का दौड़ता हुआ आता है..
'
"कैसे हो किशोर"
"अच्छा हूँ दीदी , आप कैसी है."
" हम भी ठीक है ,अच्छा जैसा कहा था सारी व्यवस्था हो गई ?"
"जी दीदी आप के लिए किनारे वाली वाटिका का पूरा गार्डेन और रूम साफ करवा दिया है ..लाइए मैं समान ले चलता हूँ"
ड्राइवर और किशोर समान लेकर अंदर जाने लगते है..आरती की नज़र साहिल पर जाती है जो वही थोड़ी दूर पर गुलाब के फूलो को बड़े प्यार से छु रहा था ...आरती उसे देखकर मुस्कुरा देती है ..
ड्राइवर समान रखकर वापस आ चुका था ..काफ़ी शर्मिंदा लग रहा था.उसे पता था जीवन वाटिका में कौन लोग आते हैं..आरती उसे किराया देती है ..
"थॅंक यू भैया "
"यू आर वलकम मेडम जी" ड्राइवर बड़े अदब से कहता है..
"मेडम जी हमें माफ़ कर दीजिएगा हमे नही मालूम था कि साहब की तबीयत ठीक नही है "
"
कोई बात नही " इतने मे साहिल भी उनके करीब आ चुका था .
" साहब, आइ म सॉरी "
साहिल भी उसकी बाते सुन चुका था और उस से थोड़ा प्रभावित भी लग रहा था .
"इट'स ओके"
"साहब, ये हमारा नंबर है ..आपको कही भी जाना हो तो हमको फोन कर दीजिएगा मैं इस एरिया मे गाड़ी चलाता हूँ"
"चलो ठीक है," साहिल उसके हाथ से पर्ची लेते हुआ बोलता है.
"थॅंक यू साहब भगवान करे आप बहुत जल्दी ठीक हो जाओ और आप दोनो की जोड़ी सलामत रहे "
साहिल कुच्छ नही बोलता पर ..आरती मुस्कुराहट होठों पर लाते हुए " थॅंक यू भैया .
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आरती का दिल आज बहुत खुस भी था और थोड़ा उदास भी..ख़ुसी इस बात की थी कि वो साहिल के साथ थी दुख इस बात का कि साहिल साथ होकर भी उसके साथ नही था ..वो खुस नही लग रहा था जब भी आरती उसके सामने होती जाने क्यू उसका चेहरा उदास सा हो जाता .
आरती इन्ही सोचो मे डूबी होती है और उसका ध्यान तब टूट ता है जब फ्लाइट मे अटेंडेंट सबको सीट बेल्ट बाँधने को बोलती है और फ्लाइट टेक ऑफ करने लगता है..
साहिल के हॉस्पिटल से वापस आने से लेकर अभी तक उसने आरती से ज़्यादा बाते नही की थी और ना ही आरती ने कोसिस की.एक अनचाही दीवार सी बन गयी थी दोनो के दरमियाँ..आरती को पता था ये दीवार उसी की वजह से बनी और उसे ही इसे गिराना होगा.
"सर, आप कुच्छ लेंगे , कुच्छ ठंडा _गरम ?" काफ़ी खूबसूरत एर होस्टेस्स की खूबसूरत सी आवाज़ पर साहिल उसकी ओर देखने लगता है, और कुच्छ देर उसपे नज़रे टिकाए रखता है,,जाने क्यू??
"जी नही, थॅंक यू "
"युवर वेलकम "
" मॅम आप कुच्छ लेंगी"
" नही " आम तौर पर सब से प्यार से पेश आने वाली आरती का लहज़ा काफ़ी चुभता सा और गुस्से वाला था . बेचारी एर होस्टेस्स चुप चाप आगे बढ़ जाती है.
अनायास ही साहिल की नज़रे आरती के चेहरे पर चली जाती हैं..गुस्से मे नाराज़ नाराज़ सी आरती उसे बेहद प्यारी लगती है .जलन के भाव साफ उसके चेहरे पर दिख रहे थे .
साहिल दूसरी ओर मूह करके बिना मुस्कुराए नही रह पाता इस बार.
सच्चा प्रेम ऐसा ही होता , दिल जिसे चाहता है फिर उसका किसी और की ओर देखना भी गवारा नही करता . हर आशिक़ का यही सपना होता है कि उसकी महबूबा उसे इसी तरह चाहे .
दोस्तो अगर आपको लेकर आपका प्यार बहुत पोज़ेसिव होता है तो इसका सिर्फ़ एक रीज़न होता है __ उसे आपको खोने का डर होता है कि आप उसकी ज़िंदगी की सबसे कीमती चीज़ होते हैं. प्रेमियो की जलन प्यार का ही दूसरा रूप होता है.
कुच्छ घंटो के सफ़र के बाद दोनो शिमला पहुच चुके थे . आरती चाहती तो किसी को भी फोन करके बुला सकती थी किंतु वो अब उन दोनो के साथ किसी को भी नही रखना चाहती थी ..वो चाहती थी यहाँ बस वो हो और उसका साहिल .
आरती 10 मिनट तक किसी से कुच्छ बात करती है जैसे उसे कुच्छ समझा रही हो..और फिर उसे थॅंक्स बोल कर फोन रख देती है.
साहिल इस बीच मूक दर्शक बना रहता है..और आरती उस से थोड़ी दूरी पर खड़ी बात कर रही थी .बात पूरी करके वो साहिल के पास आती है " चलिए "
एक टॅक्सी वाले को आवाज़ देकर बुलाती है वो ..ड्राइवर सारा समान गाड़ी मे रखता है .
" कहाँ चलना है मेडम जी.. मेरा नाम चंदर है .मैं यहा 10 साल से टॅक्सी चला रहा हूँ ,,एक से एक होटेल पता है , पर आप लोग न्यूली मॅरीड लगते हो..होटेल ठीक नही रहेगा ,आप कहें तो किसी अच्छे रिज़ॉर्ट पर ले चलूं ...यहाँ तो एक से एक हनिमून रिज़ॉर्ट हैं. आप दोनो अपने हनिमून को जिंदगी भर नही भूलेगे और ना ही ये चंदर ..बोलो ले चलो साहब..बस आप ऑर्डर करो जी"' टॅक्सी वाला काफ़ी बातूनी था .
"आए, अपने काम से काम रख और ज़ुबान बंद रख अपनी " साहिल डाँट देता है.
और आरती उसे अड्रेस्स बता देती है_" जीवन-वाटिका"
ड्राइवर बेचारा चुप चाप गाड़ी आगे बढ़ा देता है..आरती साहिल के साथ बैठी अंजानी सी ख़ुसी मे डूब जाती है..साहिल की आँखे भारी होने लगती हैं..थोड़ी देर बाद साहिल को अपने कंधे पर आरती का सर महसूस होता है .आरती साहिल के कंधे से सर टिकाए ,उसके एक बाजू मे अपना हाथ फसाए सारी दुनिया की परेशानियों से दूर सुकून से सो रही थी. साहिल अपना हाथ उसके सर पर रखना चाहता है फिर कुच्छ सोचकर वापस हटा लेता है .फिर वही चिर परिचित उदासी उसके होठों पर आ जाती है.
कोई 40 मिनट के सफ़र के बाद दोनो 'जीवन -वाटिका" पहुच चुके थे ..इस बीच आरती और साहिल मे कोई बात नही हो रही थी
" लो सहाब आ गये " ड्राइवर की आवाज़ पर आरती हॅड बड़ा कर साहिल से अलग हो जाती है..शरम की लाली उसके गालो के डिंपल को और खूबसूरत बना देती है.
जीवन वाटिका वास्तव मे ही जीवन से परिपूर्ण था ..हरे भरे फूल, लह लहाते पौधे और बेले...क्यारियो मे लगे रंग बिरंगे फूल और बीच बीच मे आम , अमरूद .लीची ,अनार के पोधे..साहिल को वास्तव मे बेहद अच्छा लगता है वहाँ आकर.
तब तक एक 18-19 साल का लड़का दौड़ता हुआ आता है..
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"कैसे हो किशोर"
"अच्छा हूँ दीदी , आप कैसी है."
" हम भी ठीक है ,अच्छा जैसा कहा था सारी व्यवस्था हो गई ?"
"जी दीदी आप के लिए किनारे वाली वाटिका का पूरा गार्डेन और रूम साफ करवा दिया है ..लाइए मैं समान ले चलता हूँ"
ड्राइवर और किशोर समान लेकर अंदर जाने लगते है..आरती की नज़र साहिल पर जाती है जो वही थोड़ी दूर पर गुलाब के फूलो को बड़े प्यार से छु रहा था ...आरती उसे देखकर मुस्कुरा देती है ..
ड्राइवर समान रखकर वापस आ चुका था ..काफ़ी शर्मिंदा लग रहा था.उसे पता था जीवन वाटिका में कौन लोग आते हैं..आरती उसे किराया देती है ..
"थॅंक यू भैया "
"यू आर वलकम मेडम जी" ड्राइवर बड़े अदब से कहता है..
"मेडम जी हमें माफ़ कर दीजिएगा हमे नही मालूम था कि साहब की तबीयत ठीक नही है "
"
कोई बात नही " इतने मे साहिल भी उनके करीब आ चुका था .
" साहब, आइ म सॉरी "
साहिल भी उसकी बाते सुन चुका था और उस से थोड़ा प्रभावित भी लग रहा था .
"इट'स ओके"
"साहब, ये हमारा नंबर है ..आपको कही भी जाना हो तो हमको फोन कर दीजिएगा मैं इस एरिया मे गाड़ी चलाता हूँ"
"चलो ठीक है," साहिल उसके हाथ से पर्ची लेते हुआ बोलता है.
"थॅंक यू साहब भगवान करे आप बहुत जल्दी ठीक हो जाओ और आप दोनो की जोड़ी सलामत रहे "
साहिल कुच्छ नही बोलता पर ..आरती मुस्कुराहट होठों पर लाते हुए " थॅंक यू भैया .
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