Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद - Page 5 - SexBaba
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Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद

मैंने डॉली की चूत के होंठों को आहिस्ता आहिस्ता सहलाना शुरू कर दिया.. जैसे ही मेरी उंगली की नोक उसकी कुँवारी चूत के सुराख से टच हुई तो मुझे उसमें से निकलते हुए चिकने पानी का अहसास हुआ।
मैं समझ चुकी थी कि डॉली की चूत गीली हो चुकी है और वो पूरी तरह से गर्म हो रही है।
थोड़ा सा जोर लगाते हुए मैंने अपनी उंगली की नोक डॉली की चूत के सुराख के अन्दर दाखिल की, तो डॉली ने एक तेज सिसकारी के साथ अपनी दोनों जाँघों को खोल दिया।
मैंने अपनी उंगली की सिर्फ़ नोक को डॉली की चूत के अन्दर-बाहर हरकत देनी शुरू कर दी। डॉली तड़फने लगी और अपने जिस्म को मेरे साथ भींच लिया।
डॉली सिसकी- भाभिईईई.. इसस्स्स.. पूरी उंगली अन्दर डालोऊऊ.. न प्लीज़..
मैंने उसके गालों को आहिस्ता आहिस्ता चूमा और उसके गालों पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए बोली- मेरी जान तुम्हें इस उंगली की नहीं.. इस चूत में एक मोटे लंड की ज़रूरत है।
डॉली बंद आँखों के साथ- इसस्स्स.. नहींईई.. भाभीईईई.. कुछ करो..ऊऊऊ..
डॉली अपनी चूत को मेरी उंगली पर आगे-पीछे कर रही थी और मेरी उंगली को अपनी चूत में पूरा लेने के लिए तड़फ रही थी। लेकिन मैं अपनी उंगली को आगे नहीं कर रही थी।
मैं- डार्लिंग.. तेरी चूत की प्यास तो सिर्फ़ तेरे भैया का लंड ही बुझा सकता है.. म्म्म्मय… ले ले उसका लंड अपनी चूत में और बुझा ले अपनी कुँवारी चूत की प्यास..।
डॉली- नहींईईईई.. भाभिईई.. यह कैसे हो सकता हैएएए.. आह.. आअहह…
अभी हम कुछ और भी करते लेकिन बाहर टीवी बंद हुआ और फिर बेडरूम का दरवाज़ा खुल गया और चेतन अन्दर आ गया।
मैंने आहिस्ता से डॉली से कहा- बस अब मत बोलना और बस तुम सोते रहना।
डॉली ने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने उसकी चूची को उसकी शर्ट की अन्दर भी नहीं किया था और वैसे ही उसकी शर्ट से उसकी एक चूची बाहर थी.. जैसे सोते में बाहर निकल आई हो।
मैंने अपना हाथ उसकी चूत से पीछे ज़रूर कर लिया था.. लेकिन अभी भी मेरा हाथ उसके पेट पर ही था।
दरवाज़ा बंद करके चेतन अन्दर आया तो दोबारा से कमरे में अँधेरा हो गया। चेतन ने अपनी मोबाइल की छोटी सी टॉर्च ऑन की और बिस्तर की तरफ आने लगा। जैसे ही उसने बिस्तर पर अपने लिए जगह देखने के लिए हमारे जिस्मों पर टॉर्च की रोशनी डाली.. तो उसकी नज़र अपनी बहन की नंगी चूची पर पड़ी.. जो कि उसकी शर्ट से बाहर निकली हुई थी और बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी।
एक लम्हे के लिए तो चेतन के पैर अपनी जगह पर ही थम गए और फिर उसने मेरे और डॉली के चेहरे पर नज़र डाली.. ताकि वो देख सके कि हम दोनों सो रही हैं या जाग रही हैं।
चेतन की तरफ मेरी पीठ थी.. जबकि उसकी अपनी बहन का रुख़ मेरे और चेतन की तरफ था।
चेतन चलता हुआ बिस्तर के दूसरी तरफ आया और मैंने थोड़ी सी आँखें खोल कर देखा.. तो उसने अपना हाथ अपने लंड पर रखा हुआ था.. जो कि पूरी तरह से सख़्त हो रहा था।
अपनी मुट्ठी में अपने लंड को लेकर वो आहिस्ता आहिस्ता आगे-पीछे कर रहा था और उसकी नज़र अपनी बहन के ऊपर ही थी।
चेतन- डॉली.. जान.. तुम दोनों ही इतनी जल्दी सो गईं क्या?
चेतन ने हम दोनों को चैक करने के लिए आवाजें दीं और फिर आहिस्ता से बिस्तर पर डॉली के पीछे लेट गया।
अपनी सग़ी बहन को इस हालत में नंगी देखने के बाद उसे नींद कहाँ आने वाली थी। अपनी बहन के पीछे लेट कर कोहनी के बल उठा और टॉर्च की रोशनी डॉली की चूची पर डालने लगा।
कुछ मेरे चूसने से और कुछ अपने भाई के सामने खुल्ला होने के अहसास से डॉली का निप्पल पूरी तरह से अकड़ा हुआ था।
उस अँधेरे में मैं देख रही थी कि चेतन ने थोड़ा सा झुक कर अपने होंठों को अपनी बहन के नेकेड कन्धों पर रखा और आहिस्ता से उसे चूम लिया।
डॉली को चूम कर वो फ़ौरन ही पीछे हट गया। लेकिन जब कुछ देर तक डॉली की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई.. तो उसकी हिम्मत बढ़ी और उसे यक़ीन हो गया कि वो सो रही है।
 
चेतन ने दोबारा से अपनी प्यासे होंठ डॉली के नंगे मुलायम कन्धों पर रखे और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे चूमने लगा। उसकी नज़र अब भी डॉली की नंगी चूची पर ही टिकी थी। चेतन का एक हाथ उसके बाज़ू को सहला रहा था और फिर वो ही हाथ आहिस्ता आहिस्ता सरकता हुआ नीचे को आकर उसकी नंगी चूची की तरफ बढ़ने लगा।
फिर मेरी नज़रों ने वो मंज़र देख लिया जिसके लिए मैं इतना इन्तजार कर रही थी। चेतन का हाथ अपनी बहन की नंगी चूची पर पहुँच गया।
चेतन ने अपनी बहन की नंगी छाती को आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया। उसकी उंगलियां डॉली के निप्पल से टच होने लगीं।
थोड़ा सा आगे को झुक कर चेतन ने अपने होंठ डॉली के गाल पर रखे और उसे आहिस्ता आहिस्ता चूमने लगा।
डॉली के चेहरे की हालत भी मेरी आँखों की सामने थी.. उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। आख़िर जब उससे कंट्रोल ना हो सका तो उसने बंद आँखों के साथ ही करवट बदली और सीधी हो गई।
चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ उसकी चूची से हटा लिया और डॉली ने भी जैसे नींद में ही होते हुए अपने टॉप को ठीक किया और अपनी चूची को अपने टॉप के अन्दर कर लिया।
चेतन सीधा होकर लेट चुका था।
लेकिन ज़ाहिर है कि ज्यादा देर तक रुकने वाला वो भी नहीं था। चंद लम्हे ही इन्तजार करने के बाद उसने दोबारा से अपना हाथ डॉली की चूची के ऊपर रख दिया और कुछ पल बाद दोबारा से उसे सहलाने लगा। आहिस्ता आहिस्ता उसने दोबारा से अपनी बहन के टॉप को नीचे खींचा और फिर अपनी सग़ी छोटी बहन की कुँवारी चूची को बाहर निकाल लिया।
उसने डॉली की तरफ ही करवट ली हुई थी और यक़ीनन उसका लंड अपनी बहन की जाँघों से टकरा रहा था।
डॉली की चूची एक बार फिर से चेतन की नज़रों के सामने नंगी हो गई थी। चेतन वहीं पर नहीं रुका और फिर दूसरी चूची को भी बाहर निकाल लिया। वो कमरे में हो रहे अँधेरे का पूरा-पूरा फ़ायदा उठा रहा था और अपने मोबाइल की टॉर्च से डॉली के नंगे जिस्म को देख रहा था।
दूसरी तरफ डॉली भी खामोशी से पड़ी हुई थी। उसकी बाज़ू साइड में सीधा था मेरे बिल्कुल पास और उसने मेरा हाथ थाम रखा था।
जैसे-जैसे चेतन डॉली की नेकेड चूचियों पर हाथ फेर रहा था.. वैसे-वैसे ही डॉली मेरे हाथ को जोर से दबा रही थी जिससे मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता आहिस्ता दबाते हुए उसे हौसला दे रही थी कि वो चुप रहे।
चेतन थोड़ा ऊँचा होकर डॉली के सीने पर झुका और उसकी नेकेड चूची को चूम लिया। डॉली खामोश रही तो चेतन ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और डॉली की चूची के गुलाबी निप्पल को अपनी ज़ुबान की नोक से छूने लगा।
डॉली के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। चेतन आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के निप्पल को अपनी ज़ुबान से सहला रहा था और उसे छेड़ रहा था।
कुछ देर तक अपनी ज़ुबान से डॉली के निप्पल के साथ खेलने के बाद चेतन ने डॉली के गुलाबी निप्पल को अपने होंठों के दरम्यान ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूसने लगा।
उसका दूसरा हाथ डॉली के नंगे पेट से होता हुआ उसके बरमूडा के ऊपर से उसकी चूत पर आ गया और मुझे उसके हाथों की हरकत नज़र आने लगी।
इसी के साथ ही डॉली के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर भी सख़्त हो गई। मुझे चेतन का हाथ हरकत करता हुआ नज़र आ रहा था और मुझे यह भी पता था कि जब चेतन मेरी चूत पर इसी तरह से मेरी सलवार के ऊपर से सहलाता है.. तो कितना मज़ा आता है।
मुझे डॉली की हालत का अंदाज़ा भी हो रहा था कि बेचारी कुँवारी चूत.. कुँवारी लड़की.. कितनी मुश्किल से यह सब बर्दाश्त कर रही होगी।
 
चेतन ने अपनी बहन के निप्पल को चूसते हुए आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ डॉली के बरमूडा के अन्दर डालने की कोशिश की और उसका हाथ उसके बरमूडा की इलास्टिक के नीचे सरकता हुआ अन्दर दाखिल हुआ।
जैसे ही उसका हाथ डॉली की चूत से टच हुआ.. तो डॉली के बर्दाश्त की हद खत्म हो गई और फ़ौरन ही उसने अपना हाथ उठा कर चेतन के हाथ पर रख दिया और साथ ही सिसक पड़ी- नहीं.. भाई… आआआ.. प्लीज़्ज़्ज़्ज़..
डॉली ने बहुत ही धीमी आवाज़ से कहा तो चेतन तो जैसे एक लम्हे के लिए चौंक गया कि यह क्या हुआ कि उसकी बहन जाग गई है और उसने अपने भाई के हाथ को अपनी चूत पर पकड़ लिया है।
चेतन के मुँह से डॉली का निप्पल सरक़ चुका था.. लेकिन उसके होंठ अभी भी उसके निप्पलों से टच कर रहे थे।
चेतन को महसूस हुआ कि अब वापसी का रास्ता नहीं है।
चंद लम्हे के बाद चेतन ने अपना हाथ डॉली के हाथ से छुड़ाए बिना ही आहिस्ता आहिस्ता हिलाते हुए डॉली की चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
डॉली- नहीं भाई.. प्लीज़.. ऐसा नहीं करो… ऊ.. इस्स्स.. आआहह..
चेतन ने दोबारा से अपनी बहन के नंगे निप्पल को अपने होंठों के दरम्यान ले लिया और उसे चूसते हुए धीरे से बोला- श्ह.. खामोश रहो.. बसस्स्स..
चेतन के होंठ दोबारा से अपनी बहन के निप्पल को चूसने लगे और उसके हाथ की उंगली शायद उसकी चूत से खेल रही थी। शायद उसकी चूत के सुराख पर भी क़ब्ज़ा जमा चुकी थी.. क्योंकि डॉली के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर सख़्त होती जा रही थी।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाते हुए उसे हौसला दिए जा रही थी।
चेतन ने जैसे ही अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर सरकाई तो डॉली तड़फ उठी।
डॉली- उफफफ..भाई…आहह.. नहीं..ईईई..प्लीज़्ज़्ज़्ज़… भाभीईईई..।
चेतन- खामोश रहो.. तुम्हारी भाभी ना उठ जाए कहीं..
चेतन ने अपनी उंगली डॉली की चूत से बाहर निकाली और उसे डॉली के बरमूडा से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया और अपनी बहन की चूत की पानी को चाटने लगा।
डॉली ने अपनी आँखें अभी भी बंद ही की हुई थीं.. लेकिन अब चेतन को इससे कोई घबराहट नहीं थी कि उसकी बहन की आँखें खुली हैं कि बंद.. क्योंकि उसे पता था कि वो जाग रही है।
चेतन- डॉली.. यू आर सो स्वीट.. बहुत मीठा है तेरा पानी..
‘भाई प्लीज़ छोड़ दें मुझे.. यह ठीक नहीं है..उम्म्म्म स्स्स्साआहह..’
चेतन ने कुछ कहे बिना ही थोड़ा सा ऊपर होकर अपने होंठ डॉली के होंठों के ऊपर रख दिए और उसे चूमने लगा।
डॉली अपने होंठों को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और मजाहमत करते हुए अपने होंठों को पीछे हटा रही थी। लेकिन चेतन ने अपना एक हाथ डॉली की नंगी चूची पर रखा और ऊपर डॉली के होंठ को अपने होंठों में जकड़ लिया और उसे चूसने लगा।
डॉली का बुरा हाल हो रहा था.. वो यह भी नहीं चाह रही थी कि उसके भैया पर मेरी हालत खुले और उसके भाई को पता चले कि मैं भी जाग रही हूँ और इस सूरत ए हाल से वाक़िफ़ हूँ.. जो कुछ उन दोनों बहन भाई के दरम्यान हो रहा है।
डॉली ने अपने भाई का हाथ अपनी चूची से हटाया तो चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ नीचे करते हुए डॉली के बरमूडा में डाल दिया और अपनी मुठ्ठी में डॉली की चूत को पकड़ लिया.. डॉली अब मछली की तरह से चेतन के हाथों में तड़फ रही थी और अपनी हरकत को कम से कम रखना चाह रही थी.. ताकि मेरा जिस्म ने हिले।
अचानक चेतन ने डॉली का बाज़ू पकड़ कर अपनी तरफ करवट दिला दी और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसकी नंगी कमर पर अपने हाथ मज़बूती से जमा कर अपने होंठ उसकी पतले-पतले गुलाबी होंठों पर रख दिए।
अब वो अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए उसे चूसने लगा। डॉली का बुरा हाल हो रहा था। नीचे से चेतन का लंड अकड़ कर उसकी चूत पर टक्करें मार रहा था और उसके बरमूडा को फाड़ते हुए उसकी चूत के अन्दर तक घुसने की कोशिश में लग रहा था।
चेतन ने अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और अब उसका नंगा लंड अपनी बहन की नंगी मुलायम जाँघों से टकरा रहा था। वो अपने लौड़े को डॉली की दोनों जाँघों के दरम्यान में घुसा रहा था और फिर वो इसमें कामयाब भी हो गया कि उसने अपना लंड डॉली की दोनों जाँघों के दरम्यान धकेल दिया।
अब आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को उसकी जाँघों के बीच में फंसा कर चेतन रगड़ने लगा।
मैं फील कर रही थी कि डॉली की मज़ाहमत दम तोड़ती जा रही थी और उसका जिस्म ढीला पड़ता जा रहा था। उसके बदन पर चेतन के हाथों की हरकतें तेज होती जा रही थीं। कभी उसका हाथ अपनी बहन की नंगी कमर को सहलाने लगता और कभी नीचे को जाकर उसके चूतड़ों को सहलाने लगता।
चेतन ने अपना हाथ डॉली के टॉप के नीचे डाला और उसकी नंगी कमर को ऊपर तक सहलाने लगा।
उधर आगे चेतन ने अपनी ज़ुबान को डॉली के होंठों के दरम्यान में घुसेड़ दिया और उसे अपनी ज़ुबान को चूसने पर मजबूर करने लगा।
डॉली जैसी कुँवारी और अनछुई लड़की के लिए यह बहुत ज्यादा हो रहा था। उसका दिमाग बंद होता जा रहा था और साँसें तेज हो चुकी थीं।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस सबसे खुद को कैसे बचाए। नीचे उसकी चूत गीली होती जा रही थी और पानी छोड़ने वाली थी। चेतन ने पीछे से उसके बरमूडा के अन्दर अपना हाथ डाला और अपना हाथ उसकी नंगे चूतड़ों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा।
अचानक से शायद चेतन ने उसके चूतड़ों के दरम्यान उंगली डाल कर उसकी गाण्ड के सुराख को छुआ जिसकी वजह से डॉली फ़ौरन से उछल सी पड़ी और जोर से चिल्लाई- भाभईईईईईई..
मेरे लिए भी अब चुप रहना मुश्किल हो गया था। मैंने जैसे नींद से उठने की अदाकारी करते हुए कहा- हाँ.. बोल.. क्या हो गया है तुझे.. क्यूँ आधी रात को चिल्ला रही हो.. कोई बुरा सपना देख लिया है क्या?
मैंने उठ कर बैठते हुए कहा।
इतनी देर में चेतन अपनी जगह पर लेट कर नॉर्मल हो चुका था।
डॉली भी उठ कर बैठ गई और मुस्करा कर अपने भाई की तरफ देख कर बोली- हाँ भाई.. सपना ही था शायद.. इसलिए डर गई मैं..
चेतन बोला- लेट जा चुप करके.. और सो जा.. सुबह तुझे कॉलेज भी जाना है।
डॉली ने एक नज़र अपने भैया पर डाली और फिर मुस्कराते हुई बिस्तर से नीचे उतर कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर बाद वापिस आई तो उसने मुझे दरम्यान में धकेल दिया और खुद मेरी जगह पर लेट गई।
उसके चेहरे पर एक शरारती सी मुस्कराहट थी।
उसका भाई उसकी तरफ ही देख रहा था और मेरी नज़र बचा कर उसे दरम्यान में आने का इशारा भी किया.. लेकिन मैंने देखा कि डॉली ने उसे अपना अंगूठा दिखाया और मुस्कराती हुई नीचे लेट गई।
अब मैं दरम्यान में थी और मेरे दोनों तरफ दोनों बहन-भाई लेटे हुए थे।
चेतन भी अब कुछ पुरसुकून हो गया हुआ था.. लेकिन अब अपना अकड़ा हुआ लंड वो मेरी जाँघों पर घुसा रहा था।
मेरे ऊपर से अपना बाज़ू डाल कर वो डॉली की चूचियों को छूने की भी कोशिश कर रहा था। इसी तरह थोड़ी देर में हम तीनों को नींद आ गई।
सुबह जब मैं उठी तो मैंने डॉली को जगाया कि जाओ जाकर चाय बना कर लाओ। डॉली ने एक जोर की अंगड़ाई ली और फिर उठ कर कमरे से निकल गई।
फिर मैंने लेटे-लेटे ही चेतन को भी ऑफिस के लिए जगाया। वो उठा और बाथरूम में चला गया। मैं वहीं बिस्तर पर ही सुस्ती और नींद में लेटी रही।
जब काफ़ी देर हो गई कि चेतन बाथरूम से बाहर नहीं आया.. तो मैंने उठ कर बाथरूम का डोर नॉक किया.. लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं आया। मैं समझ गई कि वो दूसरे दरवाजे से निकल गया होगा। मैंने अपने बेडरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला तो सामने ही मेरी नज़र रसोई में गई। जहाँ पर दोनों बहन-भाई मौजूद थे। मैंने फ़ौरन ही दरवाज़ा बंद किया और थोड़ी सी जगह से उन दोनों को देखने लगी।
डॉली अभी भी उसी छोटे से सेक्सी टॉप में थी.. जिसे नीचे करके रात को उसका भाई उसकी चूचियों को देख रहा था और चूसा भी था।
 
मैं हैरान थी कि दोनों क्या बातें कर रहे हैं। हमारा घर तो छोटा सा ही है.. तो दोनों की रसोई में बातें करने की आवाजें भी मुझे आने लगीं।
मैंने देखा कि चेतन डॉली को बाज़ू से पकड़ कर अपनी तरफ खींच रहा है लेकिन वो शरमाते हुए खुद को छुड़ा रही है।
चेतन- अरे डॉली.. क्यों शर्मा रही हो.. इधर तो आओ एक मिनट के लिए..
डॉली- भैया यह आपको क्या होता जा रहा है.. रात को भी आपने मुझे इतना तंग किया और फिर बारिश में नहाते हुए भी आपने ऐसे ही किया था।
चेतन ने उसे खींच कर अपने सीने से लगाते हुए कहा- तुम भी तो इतने दिनों से घर में इतनी नंगी होकर फिर रही हो.. उसका नहीं पता कि मेरे ऊपर क्या गुज़र रही होगी।
डॉली ने अपने भाई की बाजुओं में कसमसाते हुए शरारत से कहा- ऐसे कपड़े पहनने का यह मतलब तो नहीं कि आप अपनी बहन पर ही बुरी नज़र रख लो।
चेतन ने ज़बदस्ती डॉली के गाल को किस करते हुए कहा- बुरी नज़र कहाँ है.. मैं तो प्यार करना चाह रहा हूँ।
यह कहते हुए चेतन ने डॉली के टॉप की डोरी को नीचे खींचा और उसकी एक चूची को नंगा कर लिया। डॉली जल्दी से अपनी चूची को छुपाते हुए तड़फ उठी।
डॉली- छोड़ दो भैया.. वरना मैं फिर से भाभी को जगा लूँगी.. जैसे रात को उठा लिया था।
चेतन- रात को भी तूने मेरा सारा काम खराब कर दिया था.. मेरे मना करने के बावजूद अपनी भाभी को जगा लिया था।
चेतन ने डॉली की एक चूची को अपनी मुठ्ठी में लेकर मसलते हुए कहा।
डॉली अपने भाई की बाँहों में मचलते हुए हंस रही थी और चहक रही थी। साफ़ लग रहा था कि एक-दूसरे के सामने ओपन होने के बाद दोनों बहन-भाई बजाए शर्मिंदा होने के.. एक-दूसरे के साथ और भी इन्वॉल्व होने लगे थे।
दोनों बहन-भाई की इस तरह की हरकतों को देखते हुए मुझे भी मज़ा आने लगा था।
मैंने अपने बरमूडा में हाथ डाल कर अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया, मुझे फील हुआ कि मेरी चूत भी गीली हो रही है।
चेतन ने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकालते हुए बोला- देख.. तेरी जवानी को देख कर क्या हालत हो गई है इसकी!
डॉली एक अदा के साथ बोली- तो मैं क्या करूँ भैया.. जाओ भाभी के पास और उन्हें इसकी यह हालत दिखाओ।
चेतन ने डॉली का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रखने की कोशिश करने लगा। चेतन की कोशिशों के वजह से डॉली का हाथ अपने भाई की अकड़े हुए लंड से छुआ भी.. और एक लम्हे के लिए उसकी मुठ्ठी में उसका लंड आ भी गया।
डॉली- भैया यह तो बहुत गरम हो रहा है और सख़्त भी..
चेतन उसका हाथ अपनी लंड पर रगड़ते हुए बोला- हाँ.. तो थोड़ा ठंडा कर दे ना इसे..
डॉली इठलाते हुए बोली- जाओ भाभी से कहो ना.. इसे ठंडा कर दें.. मैं क्यों करूँ..
चेतन- इसमें आग तूने लगाई है.. तो ठंडा भी तो तुझे ही करना होगा ना मेरी जान.. आज तू मेरे साथ कॉलेज चल, फिर रास्ते मैं तुझे बताऊँगा.. देखना तू..
डॉली जोर-जोर से हँसने लगी, डॉली की एक चूची अभी तक नंगी थी और अब वो उसे छुपाने की कोशिश भी नहीं कर रही थी। चेतन अब भी बार-बार अपनी बहन को अपने जिस्म के साथ चिपका कर चूम रहा था।
मैंने अब दोनों को ब्रेक देने का फ़ैसला किया और अन्दर से ही आवाज़ लगाई- अरे डॉली.. यार कहाँ चली गई हो.. अभी तक चाय ही नहीं बनाई यार तुमने?
डॉली और चेतन जल्दी से एक-दूजे से अलग हुए और डॉली अपने टॉप को ठीक करते हुए बोली- भाभी बस चाय लेकर आ रही हूँ.. आप जल्दी से भाई को उठा दें।
उसके इस झूठ पर मैं हैरान भी हुई और मुस्करा भी दी कि उसका भाई उसके पास खड़ा उसके साथ छेड़छाड़ कर रहा है और वो मुझसे छुपाते हुए शो कर रही है कि उसे पता ही नहीं कि उसका भाई कहाँ है।
यही सोचती हुई मैं बिस्तर पर आ गई और थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाज़ा खुला और चेतन अन्दर आ गया।
थोड़ी देर में ही डॉली भी चाय लेकर आ गई, उसके चेहरे पर एक शरारती और सेक्स से भरी हुई मुस्कान थी। मैंने देखा कि वो मेरी नज़र बचा कर बड़ी अदा के साथ अपने भाई की तरफ देख रही थी।
जब वो बिस्तर पर चाय रखने लगी.. तो काफ़ी ज्यादा ही झुक गई.. जिससे उसकी दोनों चूचियों बिल्कुल जैसे बाहर को निकलते हुए उसके भाई को नज़र आने लगीं।
डॉली ने एक नज़र उठा कर उसी हालत में ही अपने भाई को देखा और कटीली अदा से मुस्करा कर सीधी होकर बैठ गई।
मैं उन दोनों की हरकतों को नजरंदाज कर रही थी.. जैसे कि मुझे कुछ पता ही ना हो
 
चाय पीने के बाद चेतन उठा और बोला- चलो डॉली.. जल्दी कर लो.. कॉलेज को देर हो जाएगी.. तैयार हो जाओ..
डॉली ने एक शरारती मुस्कराहट से अपने भाई की तरफ देखा और बोली- नहीं भाई.. आज मैं कॉलेज नहीं जा रही हूँ।
चेतन जो कपबोर्ड के पास खड़ा था.. चौंकते हुए मुड़ कर अपनी बहन की तरफ देखने लगा और बोला- क्यों.. आज क्यों नहीं जाना तूने?
डॉली मुस्करा कर बोली- बस भाई आज घर पर ही कुछ काम कंप्लीट करना है.. इसलिए..
चेतन ने एक मायूस सी नज़र अपनी बहन पर डाली और अपनी तैयारी करने लगा।
मैं धीरे से मुस्कराई और उठ कर बाथरूम में जाते हुई बोली- चल ठीक है डॉली.. आज अपने भाई को नाश्ता भी तू ही करवा दे।
डॉली मुस्करा कर अपने भाई की तरफ देखते हुई बोली- जी भाभी.. वो तो करवा भी दिया।
मैं- क्या कहा.. करवा भी दिया.. कब??
डॉली घबरा कर बोली- नहीं.. मैंने कहा है कि वो भी करवा देती हूँ।
मैं उसकी बात सुनी अनसुनी करते हुए वॉशरूम में दाखिल हो गई। लेकिन दरवाज़ा लॉक करके भी मैं एक झिरी से बाहर का नजारा देखने लगी।
मेरे अन्दर जाते ही चेतन बिस्तर की तरफ बढ़ा और अपनी बहन पर झपटा और उसे बिस्तर पर गिराते हुए.. उस पर झुक गया और उसके गाल को चूमते हुए बोला- क्यों नहीं जा रही तू आज.. डर गई है क्या?
डॉली हँसते हुए बोली- जी भाई.. अपने भाई की बुरी नज़र से डर गई हूँ.. मेरी इज़्ज़त को आप से ख़तरा पैदा हो गया है।
चेतन अपना हाथ डॉली के बरमूडा में डाल कर उसकी चूत को अपनी मुठ्ठी में लेकर दबाते हुए बोला- घर में रह कर तेरी इस चूत को ख़तरा कम नहीं होगा.. अब तू देखना.. तेरी इस कुँवारी चूत को मैं ही अपने लंड से फाड़ूँगा।
डॉली ‘खीखी.. खीखी..’ करते हुए हँसने लगी और अपना हाथ चेतन के हाथ के ऊपर रख तो दिया.. लेकिन उसका हाथ चूत के ऊपर से बाहर नहीं खींचा।
चेतन ने अपने होंठ अपनी बहन के होंठों पर रख दिए और उसके होंठों को चूमने लगा।
उसने डॉली का हाथ पकड़ा और अपने शॉर्ट के अन्दर घुसा दिया और अपना लंड पकड़ा दिया।
डॉली ने भी अपना हाथ अपने भाई के शॉर्ट्स में से बाहर खींचने की कोशिश नहीं की।
अब चेतन अपनी बहन की चूत को सहला रहा था और डॉली अपने भाई के शॉर्ट्स में हाथ डाले हुए उसके लण्ड से खेल रही थी।
डॉली बोली- भाई अब छोड़िए.. भाभी आ जाएंगी।
चेतन ने एक नज़र बाथरूम के दरवाजे पर डाली और फिर एक बार किस करके उठ गया। फिर वहीं उसके पास खड़े होकर अपना शॉर्ट भी उतार दिया।
डॉली बोली- भाई कुछ तो शरम करो अपनी बहन की सामने ही नंगे हो गए हो.. अगर भाभी ने देख लिया तो क्या सोचेंगी।
चेतन ने अपना अकड़ा हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसे डॉली के चेहरे के पास लाते हुए बोला- अपने इन प्यारे प्यारे होंठों से.. एक किस तो कर दो प्लीज़..
डॉली सिर हिलाते हुए बोली- नहीं भाई.. मैं नहीं करूँगी।
चेतन बोला- मैं भी फिर तुम्हारे सामने ऐसे ही खड़ा रहूँगा..
डॉली हँसी और फिर चेतन का लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसकी नोक पर अपने होंठ रख कर उसने एक चुम्मी कर दी।
चेतन- थोड़ा सा मुँह के अन्दर लेकर चूस तो सही यार..
डॉली ने अपने भाई का लंड छोड़ा और उठते हुए बोली- नहीं.. बस अब और कुछ नहीं होगा भाई..
और फिर वो अपने भाई को मुस्करा कर अंगूठा दिखाते हुई कमरे से बाहर निकल गई।
चेतन अपने कपड़े पहनने लगा और मैं भी वॉशरूम से बाहर आ गई।
अब मैं दोबारा बिस्तर पर लेट गई ताकि डॉली ‘अच्छी’ तरह से चेतन को नाश्ता करवा सके।
चेतन ने तैयार होकर मेरे पास आकर मेरे होंठों पर एक किस किया और फिर कमरे से बाहर निकला.. तो मैं भी फ़ौरन ही बाहर को देखने लगी।
डॉली पहले ही चेतन के लिए नाश्ता टेबल पर लगा चुकी थी। चेतन वहीं बैठ गया और फिर रसोई से डॉली उसकी लिए चाय लेकर आ गई और उसके पास ही बैठ गई।
अब टेबल पर बैठ हुए वो दोनों मेरे सामने दिख रहे थे।
चेतन- आओ तुम भी नाश्ता कर लो..
डॉली- नहीं.. आप कर लो.. मैं भाभी के साथ कर लूँगी..
चेतन- अपना यह टॉप तो नीचे करो थोड़ा..
डॉली- शरम करो भाई.. भाई तो अपनी बहनों के जिस्म ढकने के लिए कहते हैं.. और आप हो कि मुझे अपना जिस्म एक्सपोज़ करने के लिए कह रहे हो?
चेतन मुस्कराया और खुद ही हाथ आगे बढ़ा कर उसके कन्धों से उसके टॉप की डोरी को नीचे खींचते हुए उसकी चूची को नंगा करते हुए बोला- तेरे जैसी गर्म बहन हो.. तो भाई खुद ही बहनचोद बन जाता है डार्लिंग..
डॉली हँसने लगी और बोली- भाई जल्दी से नाश्ता करो और चाय पी कर निकलो.. आपको बहुत देर हो गई है!
चेतन- लेकिन आज तो मैं चाय नहीं दूध पीऊँगा..
डॉली- तो जाओ अन्दर जाकर पी आओ.. भाभी अन्दर ही हैं..
चेतन- लेकिन मैं तो आज तेरी इन चूचियों का दूध पीऊँगा..
 
चेतन ने डॉली की चूची से खेलते हुए कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की चूची के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
डॉली ने उसके बालों में हाथ फेरा और फिर बोली- आह्ह.. बस करो.. भाई क्या आपने एक ही दिन में सारे के सारे मजे लूट लेना हैं..
चेतन मुस्कराया और उठ कर बाहर की तरफ चला गया और डॉली भी पीछे-पीछे डोर लॉक करने और उसे ‘सी ऑफ’ करने के लिए चली गई।
गेट पर भी चेतन ने डॉली को अपनी बाँहों में जकड़ा और उसे किस करने लगा, बोला- डार्लिंग थोड़ा सा मुँह में लेकर इसे नर्म तो कर दो.. देखो यह सारा दिन मुझे ऑफिस में तंग करेगा।
डॉली हँसी और अपना हाथ चेतन की पैन्ट की ऊपर से चेतन के लंड पर रख कर उसे दबाते हुए बोली- भाई तड़फने दो इसे.. इसी तड़फन में तो मज़ा है.. वापिस आओगे.. तो इसका कुछ ना कुछ करूँगी.
चेतन- प्रॉमिस है ना?
डॉली- नहीं जी.. प्रॉमिस-श्रौमिस कोई नहीं.. अगर मौका मिला तो.. समझे..
यह कहते हुए डॉली ने उसे बाहर की तरफ धकेला और फिर चेतन घर से निकल गया।
डॉली अपना ड्रेस ठीक करते हुए वापिस आई और बर्तन समेट कर रसोई में चली गई।
मैं भी दोबारा बिस्तर पर लेट गई।
थोड़ी ही देर मैं डॉली चाय के दो कप बना कर बेडरूम में आ गई और लाइट जलाते हुए बोली- क्या बात है भाभी.. आज आपने उठना नहीं है क्या?
मैं अंगड़ाई लेती हुई बोली- रात तूने मुझे नींद में डरा ही दिया था.. तो नींद ही खराब हो गई थी.. तुझे रात को क्या हो गया था?
डॉली दूसरी तरफ बिस्तर की पुश्त से टेक लगा कर बैठते हुए बोली- भाभी लगता है कि रात को सोते में भी भाई ने फिर मुझे तुम्हारी जगह ही समझ लिया था.. वो ही हरकतें कर रहे थे.. इसलिए तो मैं उठ कर दूसरी तरफ आ गई थी।
डॉली ने मासूमियत से पूरी की पूरी बात छुपाते हुए कहा।
मैं मुस्करा कर बोली- अरे यार.. तो फिर क्या हुआ.. उसे मजे करने देती और खुद भी मजे करती.. इसकी तो यही आदत है.. सारी रात सोते में भी मुझे तंग करता रहता है। अब तो मैं इस सबकी आदी हो गई हूँ..
डॉली भी हँसने लगी और फिर हम दोनों चाय पीने लगे। चाय पीते हुए मैं अपने एक हाथ से डॉली के कन्धों को सहला रही थी।
मैंने उससे पूछा- डॉली.. जब तुम्हारे भाई तुम्हें छू रहे थे.. तो तुमको कैसा लगा था?
डॉली का चेहरा सुर्ख हो गया और बोली- भाभी लग तो ठीक रहा था.. लेकिन भाई हैं ना मेरे.. इसलिए अजीब लग रहा था।
मैं डॉली के और क़रीब हो गई और अपना हाथ उसकी गर्दन पर उसके बालों में रखते हुए आहिस्ता-आहिस्ता अपने होंठ उसके होंठों के पास ले जाने लगी और धीरे से बोली- डॉली.. तुम हो ही इतनी खूबसूरत.. कि कोई भी तुम से दूर कैसे रह सकता है..
कयह कहते हुए मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
डॉली कसमसाई- भाभी.. आप फिर से शुरू होने लगी हो ना..
लेकिन उसके जुमले को पूरा होने से पहले ही.. मैंने अपने होंठों में उसके लबों को जज्ब कर लिया और उसके निचले होंठ को.. अपने होंठों में लेकर चूमने और चूसने लगी।
मेरे हाथ उसके बालों को सहला रहे थे और दूसरा हाथ उसकी कमर पर आ गया था।
अब मैं उसकी कमर को सहलाते हुए उसके होंठों को चूमने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने अपने होंठ डॉली के नंगे कन्धों पर लाकर उसके मुलायम और गोरे-गोरे कंधों को चूमना शुरू कर दिया.. डॉली की आँखें भी बंद होने लगी थीं।
मैंने आहिस्ता से डॉली को नीचे तकिए पर लिटा दिया और झुक कर उसकी गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर किस करने लगी।
फिर मैंने डॉली के टॉप की डोरियाँ नीचे को करके उसकी चूचियों को बाहर निकाला और उसके चूचों को नंगा कर दिया।
मैंने मुस्करा कर डॉली की तरफ देखा.. तो उसने एक लम्हे की लिए अपनी आंखें खोल कर मुझे निहारा.. और फिर से बंद कर लीं।
मैंने अपने होंठ डॉली के एक निप्पल पर रखे और उसे चूम लिया.. साथ ही डॉली के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ गई।
 
अब आहिस्ता आहिस्ता मैंने डॉली के निप्पल को अपनी ज़ुबान से सहलाना शुरू कर दिया और फिर अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
डॉली के गुलाबी निप्पल को चूसने का मेरा पहला मौका था कि मैं किसी दूसरी लड़की की चूचियों को छू और चूस रही थी.. लेकिन मुझे भी एक अजीब सा लुत्फ़ आ रहा था..
मेरा दूसरा हाथ डॉली की दूसरी चूची को सहलाता हुआ नीचे को जाने लगा और मैंने अपना हाथ डॉली के बरमूडा के अन्दर डाल दिया।
अब मेरा हाथ उसकी चूत को पूरी शिद्दत से सहलाने लगा। उसकी चूत गीली होना शुरू हो गई हुई थी।
मैंने सीधे होकर अपना टॉप उतारा और अपना ऊपरी बदन नंगा कर लिया। जब मैंने अपने हाथ और होंठ उसके जिस्म से हटाए.. तो डॉली ने आँखें खोल कर फ़ौरन ही मेरी तरफ देखा..
उसने जब मेरी ऊपरी गोरे बदन को नंगा देखा.. तो उसकी चेहरे पर भी एक मुस्कराहट फैल गई। इस बार उसने अपनी आँखें बंद नहीं कीं और मेरी चूचियों की तरफ देखती रही।
मैंने उसकी तरफ देखते हुए.. अपनी दोनों चूचियों पर हाथ फेरा और फिर एक चूची को अपने हाथ में पकड़ कर उसके निप्पल को आगे करते हुए डॉली के होंठों पर रख दिया।
डॉली मुस्कराई और उसने बहुत ही नजाकत से मेरे निप्पल को चूम लिया।
पहली बार किसी लड़की ने मेरे निप्पल को चूमा था। मैंने अपनी चूची को उसकी होंठों पर दबा दिया.. डॉली ने भी अपने होंठों को खोल कर मेरे निप्पल को अपने होंठों में भर लिया.. और उसे चूसने लगी।
डॉली के कुँवारे होंठों के दरम्यान अपने निप्पल को चुसवाते हुए मुझे एक अजीब सा मज़ा आ रहा था। मैंने अपना हाथ दोबार डॉली के बरमूडा में डाला और उसकी चूत से खेलने लगी।
मेरी उंगली उसकी चूत के सुराख को छू रही थी और उसके अन्दर दाखिल होना चाह रही थी। मैं उसकी चूत के दाने को रगड़ रही थी और उसकी वजह से डॉली के जिस्म में बिजली सी भर रही थी।
उसकी मेरे निप्पल को चूसने की ताक़त में इज़ाफ़ा होता जा रहा था। कभी आहिस्ता से वो मेरी निप्पल को काट भी लेती थी।
कुछ देर तक डॉली से अपना निप्पल चुसवाने के बाद.. मैं उठी और डॉली की टाँगों की तरफ आ गई।
मैंने उसके बरमूडा को पकड़ कर खींचा और उतार दिया।
अब डॉली का निचला जिस्म बिल्कुल नंगा हो गया। डॉली ने फ़ौरन ही अपने हाथ अपनी चूत पर रख लिए। मैंने झुक कर उसकी दोनों जाँघों को चूमा और आहिस्ता-आहिस्ता अपनी ज़ुबान से चाटते हुए ऊपर को उसकी चूत की तरफ आने लगी।
फिर मैंने उसकी दोनों हाथों पर किस किया.. जो कि उसकी चूत पर रखे हुए थे।
आहिस्ता से मैंने उसकी हाथों को उसकी चूत पर से हटाया.. तो उसने कोई मज़ाहमत नहीं की और अपनी चूत को मेरे सामने पेश कर दिया।
अब मेरी नज़र डॉली की जाँघों के बीच में थी.. जहाँ डॉली की कुँवारी चूत थी। जिसके ऊपर के हिस्से और इर्द-गिर्द एक भी बाल नहीं था। डॉली की चूत के मोटे-मोटे बाहर के फोल्ड्स आपस में जुड़े हुए थे.. बालों के बगैर उसकी कुँवारी चूत किसी बहुत ही छोटी सी बच्ची की चूत का मंज़र पेश कर रही थी।
दोनों बेरूनी फलकों के दरम्यान से गुलाबी रंग की अन्दर की चमड़ी का कुछ हिस्सा नज़र आ रहा था। जिससे यह अंदाज़ा हो सकता था कि दोनों फलकों के अन्दर का गोस्त किस क़दर गुलाबी और नर्म होगा।
उसकी चूत के दोनों फलकों के निचले हिस्से में जहाँ पर चूत की लकीर खत्म होती है.. वहाँ पर पानी का एक क़तरा चमक रहा था..

डॉली की कुँवारी चूत से निकल रही चूत का रस का क़तरा.. जो कि अपनी गाढ़ेपन की वजह से उस जगह पर जमा हुआ था और आगे नहीं बह रहा था।
डॉली की कुँवारी चूत के क़तरे की चमक से मेरी आँखें भी चमक उठीं और मैं वो करने पर मजबूर हो गई.. जो कि मैंने आज तक कभी नहीं किया था.. सिर्फ़ मूवी में देखा भर था।
मैंने डॉली की दोनों जाँघों को खोल कर दरम्यान में जगह बनाई और वहाँ पर बैठ कर नीचे को झुकी.. और अपनी ज़ुबान की नोक को निकाल कर डॉली की चूत की लकीर के बिल्कुल निचले हिस्से में चमक रही उसकी चूत के रस के क़तरे को अपनी ज़ुबान पर ले लिया।
मैं ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत की चूत के पानी को टेस्ट कर रही थी। डॉली की चूत के पानी के इस रस में हल्का मीठा मीठा सा.. अजीब सा ज़ायक़ा था।
जैसे ही मेरी ज़ुबान ने डॉली की चूत को छुआ.. तो डॉली का जिस्म काँप उठा। उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखना शुरू कर दिया। मैंने दोबारा से झुक कर डॉली की चूत के बाहर के मोटे होंठों पर अपनी गुलाबी होंठ रखे और उसे एक चुम्मा दिया।
डॉली के जिस्म को जैसे झटके से लग रहे थे।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने डॉली की चूत के ऊपर चुम्बन करने शुरू कर दिए।
फिर मैंने अपनी ज़ुबान की नोक बाहर निकाली और आहिस्ता आहिस्ता ऊपर से नीचे को अपनी ज़ुबान को उसकी चूत की लकीर पर फेरने लगी।
अब डॉली की चूत ने और भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
अपनी दोनों हाथों की एक-एक उंगली डॉली की चूत के बाहर के फलकों पर रख कर आहिस्ता से उसकी चूत को खोला.. तो आगे उसकी चूत की गुलाबी फलकों की अंदरूनी रंगत नज़र आने लगी।
 
बिल्कुल पतले-पतले और छोटे फलकें थीं.. जो कि साफ़ दिखा रही थीं कि यह चूत अभी तक बिल्कुल कुँवारी है और इसके अन्दर अभी तक किसी भी लंड को जाना नसीब नहीं हुआ है।
मैं दिल ही दिल में मुस्कराई कि खुशक़िस्मत है चेतन.. जो उसे अपनी बहन की कुँवारी चूत को खोलने का मौक़ा मिलेगा।
फिर मैंने नीचे झुक कर डॉली की चूत के एक गुलाबी फोल्ड को अपने दोनों होंठों के दरम्यान ले लिया और उसे आहिस्ता से चूसने लगी।
दोनों गुलाबी फलकों के बिल्कुल ऊपर.. जहाँ पर वो मिल रहे थे.. एक छोटा सा.. बिल्कुल छोटा सा.. डॉली की चूत का दाना नज़र आ रहा था।
मैंने जैसे ही उसे देखा तो अपनी उंगली से उसे मसलने लगी। आहिस्ता आहिस्ता उस पर अपनी उँगलियाँ फेरने के साथ ही डॉली की चूत से जैसे पानी निकलने की रफ़्तार और भी बढ़ गई।
धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया और फिर जैसे ही अपने दोनों होंठों को उसके ऊपर रख कर जोर से चूसा.. तो डॉली तो तड़फ ही उठी।
‘भाभीईई… ईईईईई.. ओाआहह.. आआहह.. आहह.. क्य्आआ कर दियाआ.. ऊऊहह..’
मैं मुस्करा दी और फिर अपनी ज़ुबान को नीचे को लाते हुए डॉली की कुँवारी चूत के बिल्कुल तंग और टाइट सुराख के अन्दर डालने लगी।
बड़ी मुश्किल से मेरी ज़ुबान डॉली की चूत के अन्दर दाखिल हो रही थी। मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपनी ज़ुबान को डॉली की चूत के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।
डॉली से भी अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.. उसने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए अपनी चूत को ऊपर उठा कर मेरे मुँह में घुसेड़ने की कोशिश करते हुए एकदम से झड़ने लगी।
डॉली का निचला जिस्म बुरी तरह से झटके खा रहा था और पानी उसकी चूत से निकल रहा था।
मेरी ज़ुबान डॉली की चूत के अन्दर अब भी थी.. और मुझे उसकी टाइट चूत की नसें सुकड़ती और फैलती हुई बिल्कुल वाजेह तौर पर महसूस हो रही थीं।
डॉली की जाँघों को सहलाते हुए मैं आहिस्ता आहिस्ता उसे रिलेक्स करने लगी। उसकी आँखें बंद थीं और साँस तेज चल रही थीं।
गोरे-गोरे चूचे.. बड़ी तेज़ी के साथ ऊपर-नीचे को हो रहे थे। मैंने उसके साथ लेटते हुए उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।
साथ ही डॉली ने भी अपना मुँह मेरे सीने में छुपाते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं।
अब मैं आहिस्ता आहिस्ता उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए उसे शांत कर रही थी।
पहली बार इतना ज्यादा मज़ा लेने के बाद डॉली एकदम से नींद की आगोश में चली गई। मैंने उस ‘स्लीपिंग ब्यूटी’ की पेशानी को एक बार चूमा और उठ कर रसोई में आ गई।
दोपहर को डॉली ने नहा कर एक टी-शर्ट और लाल रंग की चुस्त लैगी पहन ली थी.. जिसमें उसका जिस्म बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहा था।
जब चेतन घर आया.. गेट मैंने ही खोला। चेतन ने अन्दर आकर जब कपड़े आदि बदल लिए.. तो मैं रसोई में आ गई ताकि खाना गरम करके निकाल सकूँ।
जैसे ही चेतन ने मुझे रसोई में जाते देखा.. तो वो टीवी लाउंज से उठ कर डॉली के कमरे की तरफ चला गया।
मुझे पता था कि वो यही करेगा।
रसोई से निकल कर मैंने छुप कर डॉली के कमरे में झाँका.. तो देखा कि डॉली कमरे में चेतन के आगे-आगे भाग रही है और चेतन उसे पकड़ने की कोशिश कर रहा है।
कमरा कौन सा बहुत बड़ा था.. जो वो उसके हाथ ना आती… जल्द ही चेतन ने उसको हाथ से पकड़ा और खींच कर अपने सीने से लगा लिया।
डॉली मचलते हुई बोली- छोड़ दो भैया.. मुझे वरना मैं जोर से चीखूँगी और फिर भाभी आ जाएंगी।
चेतन- क्या है यार.. तू दो मिनट के लिए चुप नहीं रह सकती.. मैं तुझे खा तो नहीं जाऊँगा ना..
डॉली हँसते हुए बोली- आप कोशिश तो खाने की ही कर रहे हो ना..!
चेतन अपने होंठों को डॉली के गालों की तरफ ले जाते हुए उसको सहलाने लगा।
चेतन ने अपनी बहन डॉली को अपनी बाँहों में समेटा हुआ था और अब अपने होंठों को उसके होंठों पर रखने में कामयाब हो चुका था।
जैसे-जैसे चेतन डॉली के होंठों को किस कर रहा था.. वैसे-वैसे ही डॉली की दिखावटी मज़ाहमत भी ख़त्म होती जा रही थी। वो भी आहिस्ता आहिस्ता खुद के जिस्म को ढीला छोड़ते हुए खुद को अपने भाई के हवाले कर चुकी थी।
चेतन अब आहिस्ता आहिस्ता डॉली के होंठों को चूम रहा था और फिर उसके निचले होंठ को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।
डॉली की बाज़ू भी अपने भाई की कमर की गिर्द लिपट चुकी थी और वो भी आहिस्ता-आहिस्ता उसके जिस्म को सहला रही थी।
मैंने देखा कि चेतन ने अपनी ज़ुबान को डॉली के मुँह के अन्दर दाखिल करने की कोशिश करते हुए उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाना शुरू कर दिया था।

डॉली चेतन के हाथ पर अपना हाथ रखते हुई बोली- भैया.. भाभी आ जाएंगी.. कुछ भी ना करो न.. प्लीज़।
चेतन- नहीं.. वो नहीं आएगी..
डॉली- भाभी हैं कहाँ पर?
चेतन- वो रसोई में है.. तुम उसकी फिकर मत करो.. बस मैं जल्दी से चला जाऊँगा..
यह कहते हुए चेतन ने डॉली की टी-शर्ट को ऊपर किया और नीचे उसकी गुलाबी रंग की ब्रेजियर में छुपी हुई चूचियाँ उसके भाई की नज़रों के सामने आ गईं।
चेतन ने अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी एक चूची को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उसे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा।
ऊपर वो अपनी ज़ुबान को डॉली के मुँह में डाल चुका था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसे चूस रही थी।
 
चेतन का एक हाथ डॉली की लेग्गी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को सहला रहा था। एक भाई के हाथ अपनी ही सग़ी बहन की गाण्ड पर रेंगते हुए देख कर मेरी तो अपनी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
अब चेतन ने डॉली का हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर रखने लगा।
पहले तो डॉली ने अपना हाथ हटाने की कोशिश की.. लेकिन फिर उसने आख़िर अपने भाई का लंड पकड़ ही लिया।
कुछ देर तक चेतन के लंड को सहलाने के बाद डॉली बोली- बस भाई.. अब मुझे छोड़ दो प्लीज़.. फिर कर लेना..
चेतन- फिर कब?
डॉली- जब मौका मिले तब.. आप कौन सा अब मुझे बख्शने वाले हो.. जब भी मौका मिलेगा.. कुछ ना कुछ तो करोगे ही ना आप..
चेतन ने मुस्कुरा कर डॉली के होंठों को जोर से चूमा और डॉली ने भी एक बार जोर से उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में जोर से दबाया और फिर उससे अलहदा होने लगी।
चेतन ने पीछे को हट कर अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके सामने खुद को नंगा कर दिया।
डॉली अपनी मुँह पर हाथ रखते हुए बोली- ऊऊऊ.. ऊऊओफफ.. उफफफ्फ़.. भैया.. आप कितने बेशरम हो.. कुछ तो भाभी का ख्याल करो.. किसी ने देख लिया.. तो क्या सोचेगा कि आप अपनी बहन के साथ ही यह सब कर रहे हो?
चेतन अपने लंड को हिलाते हुए बोला- हाँ.. तो क्या है.. मैं अपनी बहन के साथ ही कर रहा हूँ ना.. किसी और की बहन के साथ तो नहीं ना..
डॉली चुप होकर मुस्कुराने लगी।
चेतन- यार एक किस तो कर दो इस पर..
डॉली- नहीं भैया.. अभी नहीं करूँगी।
चेतन- प्लीज़्ज़.. मेरी प्यारी सी बहना हो ना.. तो जल्दी से एक बार कर दो..
डॉली- भैया आप बहुत ही ज़िद्दी और बेसब्र हो।
यह कहते हुई वो नीचे को झुकी और अपने हाथ में अपने भैया का लंड पकड़ कर उसकी मोटी फूली हुई टोपी पर एक किस किया और फिर जल्दी से बाहर की तरफ भागने लगी।
चेतन ने फ़ौरन ही उसे पकड़ा और बोला- अब एक किस मुझे भी तो दे कर जाओ ना..
डॉली ने अपने होंठों को उसके आगे कर दिए.. लेकिन चेतन ने नीचे बैठ कर उसकी टाइट लेगिंग के संगम पर उसकी लेग्गी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपनी होंठों रखा और एक जोरदार चुम्बन करके बोला- ठीक है.. अब जाओ.. बल्कि ठहरो.. मैं पहले जाता हूँ.. तुम बाद में आना..
उनकी बात सुन कर मैं जल्दी से रसोई में आ गई और फिर चेतन बाहर आ कर बैठ गया और उसने वहीं से मुझे आवाज़ दी- डार्लिंग.. क्या बात है इतनी देर लगा दी है.. कहाँ रह गई हो?
मैं मुस्कुराई और फिर खाने की ट्रे लेकर बाहर आ गई और बाहर आते हुए डॉली को भी आवाज़ दी- आ जाओ जल्दी से खाने के लिए..
खाने के दौरान भी मेरा दिल खाने में नहीं लग रहा था.. बल्कि मैं दोनों बहन-भाई को ही देखने की कोशिश कर रही थी कि मेरे सामने बैठ कर भी वो कैसी हरकतें कर रहे हैं।
अचानक चेतन बोला- डार्लिंग.. क्या बात है.. तुम खाना ठीक से नहीं खा रही हो.. तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?
मैं- तबीयत.. हाँ हाँ.. ठीक ही है.. कुछ नहीं हुआ मुझे.. मैं ठीक हूँ।
चेतन- लेकिन तुम ठीक लग तो नहीं रही हो।
अचानक से मेरे दिमाग में एक ख्याल कौंधा- हाँ.. बस दोपहर से थोड़ी तबीयत ठीक नहीं है.. मेरा जिस्म थोड़ा गरम हो रहा है.. और मुझे तो बुखार सा महसूस हो रहा है।
चेतन- तो कोई दवा लो ना..
मैं- हाँ.. मैं खाना खाकर कोई दवा लेती हूँ।
ऐसी ही बातें करते हुए हमने खाना खत्म किया और डॉली ने ही बर्तन समेटने शुरू कर दिए।
कुछ बर्तन लेकर डॉली रसोई में गई तो बाक़ी के बर्तन उठा कर चेतन भी उसके पीछे ही चला गया.. हालांकि कभी उसने पहले ऐसे बर्तन नहीं उठाए थे।
अन्दर रसोई में बर्तन छोड़ कर उसने बाहर आने में काफ़ी देर लगाई। मुझे पता था कि अन्दर क्या हो रहा होगा.. लेकिन मैं सोफे पर लेटी रही और उठ कर देखने नहीं गई।
थोड़ी देर के बाद चेतन बुखार की दवा लाया और मुझे पानी के साथ दी। मैंने वो दवा खा ली और बोली- तुम लोग एसी वाले कमरे में सो जाओ आज.. मैं डॉली के कमरे में सो जाऊँगी.. एसी में तो ज्यादा सर्दी लगेगी ना..
चेतन के चेहरे पर फैलती हुई ख़ुशी की लहर को मैंने फ़ौरन ही महसूस कर लिया और दिल ही दिल में मुस्कुरा दी।
मैं उठ कर डॉली वाले कमरे में गई और वहीं बिस्तर पर लेट गई।
 
कुछ ही देर में डॉली मेरा हाल पूछने आई और बोली- भाभी मैं भी आपके पास ही सो जाती हूँ.. थोड़ा रेस्ट ही तो करना है ना..
मैं- नहीं नहीं.. तुम उधर एसी में सो जाओ जाकर.. ऐसे हम बातें ही करते रहेंगे.. मैं थोड़ी देर के लिए आँख लगाना चाहती हूँ.. तुम जाओ.. मैं ठीक हूँ।
डॉली मुस्कुराई और बोली- लगता है कि भाभी सुबह आपकी जिस्म की गर्मी नहीं निकल पाई ना.. इसलिए आपको बुखार हो गया है।
मैं मुस्कुराई और बोली- तुझे बड़ी बातें आने लग गईं हैं ना..
वो हँसने लगी और बोली- भाभी आप कहो तो मैं आपकी कुछ ‘मदद’ करूँ?
मैं मुस्कुराई और बोली- नहीं रहने दे तू.. और करने ही है.. तो जाके अपने भैया की ‘मदद’ कर देना..
डॉली थोड़ा घबराई और फिर बोली- नहीं भाभी.. अब मैं जाग रही हूँ ना.. तो उनको कोई ऐसा मौका नहीं दूँगी..
पता नहीं क्यों.. वो सब कुछ मुझसे छुपाना चाहती थी और मैं भी अभी इस गेम को इसी तरह से खेलते रहना चाह रही थी।
खैर.. डॉली चली गई.. तो मैं भी उसके बिस्तर पर लेट कर सोने का इन्तजार करने लगी।
क़रीब 5 मिनट की बाद मैं उठी और बाथरूम के रास्ते जाकर अन्दर झाँकने लगी.. तो अन्दर कमरे की रोशनी में मेरे ही बिस्तर पर दोनों बहन-भाई एक-दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे।
डॉली- प्लीज़ भैया.. भाभी आ जाएंगी..
चेतन- अरे यार.. नहीं आती वो अब दवा लेकर सो गई है।
चेतन ने डॉली को सीधा किया और उसकी टी-शर्ट को ऊपर करने लगा। टी-शर्ट को ऊपर तक उसकी गले तक ले जाकर उसे निकालने लगा।
तो डॉली बोली- नहीं भैया.. यहीं तक रहने दो.. फिर जल्दी में पहनने में दिक्कत होगी।
चेतन ने ‘ओके’ कहा और फिर झुक कर अपनी बहन की ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची पर किस करके बोला- बहुत खूबसूरत चूचियाँ हैं तुम्हारे. इतने दिन से देख रहा था और दिल ललचा रहा था।
डॉली- सिर्फ़ दिल ही नहीं ललचा रहा था.. बल्कि मुझे रातों में तंग भी कर रहे थे ना आप.. और आपने पहले से ही इनको छू-छू कर भी चैक कर लिया हुआ है।
चेतन चौंक कर डॉली के चेहरे की तरफ देखता हुआ बोला- तो क्या तुमको पता था कि मैं ऐसे कर रहा हूँ?
डॉली- तो भैया यह कैसे हो सकता है कि कोई किसी लड़की की चूचियों को और नीचे ‘उधर’ भी छुए और उसे पता ही ना चल सके?
चेतन मुस्कुराया और उसकी दोनों चूचियों को जोर से अपनी मुठ्ठी में दबाते हुए बोला- बहुत चालाक हो तुम..
चेतन ने अब झुक कर डॉली की खूबसूरत चूचियों के दरम्यान उसकी गोरी क्लीवेज को चूम लिया और फिर आहिस्ता आहिस्ता उसमें अपनी ज़ुबान को फेरने लगा।
डॉली की चूचियों की चमड़ी इतनी सफ़ेद और नरम थी कि जैसे ही वो जोर से वहाँ पर किस करता.. तो उसकी चूचियों पर सुर्ख निशान पर जाता।
डॉली- भैया थोड़ा धीरे करो ना.. क्यों इतने ज़ालिम बन रहे हो..
चेतन- तुम्हारी चूचियाँ भी तो इतनी ज़ालिम हैं ना.. कि खुद पर कंट्रोल ही नहीं हो रहा।
डॉली मुस्कुरा दी और अपने भाई की सिर के बालों में अपना हाथ फेरने लगी।
चेतन ने डॉली की ब्रा के कप्स को ऊपर को उठाया और उसकी दोनों चूचियों को नंगा कर लिया।
उसकी अपनी सग़ी बहन की खुबसूरत छोटी-छोटी साइज़ की गोरी-गोरी चूचियाँ और गुलाबी निप्पल उसकी नजरों के सामने खुले हुए थे।
चेतन ने झुक कर आहिस्ता से अपनी बहन की नंगी चूचियों को चूमा और फिर अपने होंठ उसके गुलाबी छोटे से निप्पल पर रख कर एक किस कर लिया।
डॉली का जिस्म तड़फ उठा।
चेतन ने अब आहिस्ता-आहिस्ता उसके निप्पलों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा।
कभी अपनी बहन के एक निप्पल को अपने मुँह में डालता और कभी दूसरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगता। चेतन का एक हाथ फिसलता हुआ नीचे को अपनी बहन की कुँवारी चूत की तरफ आने लगा और फिर अपनी बहन की चुस्त लैगी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर तक डॉली की चूत को सहलाने और उसकी चूचियों को चूसने के बाद चेतन उठ गया और नीचे उसकी टाँगों की तरफ आ गया।
चेतन ने उसकी लेग्गी को पकड़ा और नीचे खींच कर उतारने लगा। डॉली ने एक बार उसे रोका.. लेकिन फिर खुद से ही अपनी गाण्ड को ऊपर उठा दिया और चेतन ने अपनी बहन की लेग्गी को उसकी टाँगों से निकाल कर बिस्तर पर रख दिया।
 
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