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- Dec 5, 2013
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राजेश: नहीं यार।
रेणुका: क्यों, क्या हुआ। कर्नल तो आजकल वैसे भी दिव्या के सपने देखता रहता है, अगर दिव्या एक बार उससे फंस गई तो फिर हमें कोई नहीं रोकेगा।
राजेश: नहीं यार, तुम नहीं समझोगी, मैं उसे किसी से शेयर नहीं कर सकता। बहुत प्यार करता हूँ उससे।
रेणुका: मुझसे प्यार नहीं करते, मुझे भी तो शेयर कर रहे हो ना कर्नल के साथ।
राजेश: ये बात अलग है, तुम्हारी लाइफ में तो कर्नल अंकल पहले से थे, और उन्हें इस सब से प्रॉब्लम भी नहीं है।
रेणुका: ये तो है, पर तुम्हें ज्यादा मजा किसके साथ आता है।
राजेश: ये तो तुम खुद ही जानती हो, दिव्या तुम्हारी तरह एडवांस नहीं है। एक बात कहूँ अगर बुरा ना मानो तो।
रेणुका: हा हा बोलो ना।
राजेश: मुझे अभी एक ब्लोजॉब चाहिए तुमसे।
रेणुका: हाहा, इतने उतावले हो।
राजेश: तुम नहीं समझोगी, जब से आया हूँ यहाँ तुम्हें देख कर ही दिमाग खराब हो गया है।
रेणुका: थोड़ी भी देर यहाँ और लगाई तो तुम्हारी बीवी खुद यहाँ आ जाएगी अभी, मुझे तो दिक्कत नहीं है, बताओ हो जाऊँ शुरू।
राजेश: नहीं यार, तुम्हारे यहाँ होने से दिमाग ही काम नहीं कर रहा, लगता है आज ऐसे ही रहना पड़ेगा।
रेणुका: ऐसा भी क्या है, बेफिकर रहो, तुम्हारी एनिवर्सरी पर तुम्हें एक बार तो ब्लोजॉब मिल ही जाएगी।
राजेश: यार दिव्या ये कभी नहीं करेगी।
जिस समय राजेश और रेणुका की बात चल रही थी, उसी समय दूसरी तरफ कर्नल बस किसी सोच में डूबा हुआ था, जैसे स्कूल का कोई बच्चा अपने रिजल्ट का वेट करता है, दिव्या को भी ये बात अजीब लगी क्योंकि उसके जैसे कमीना इंसान तो कोई चांस नहीं छोड़ता पर फिर भी दिव्या कंफर्टेबल नहीं थी तो वह किचन की ओर जाने लगती है पर तभी कर्नल आवाज लगा देता है।
लाला: तुम दोनों को कुछ हेल्प चाहिए तो मैं आऊं।
रेणुका: नहीं बस आ गए।
रेणुका और राजेश हाथ में एक केक, वाइन और कुछ खाने का सामान लेकर बाहर आ जाते हैं, रेणुका आते के साथ कर्नल की आँखों में देख निराशा सा मुँह बना के इशारा करती है जिससे कर्नल भी मायूस हो जाता है, पर वह ऐसे हार कहा मानने वाला था।
रेणुका: क्यों, क्या हुआ। कर्नल तो आजकल वैसे भी दिव्या के सपने देखता रहता है, अगर दिव्या एक बार उससे फंस गई तो फिर हमें कोई नहीं रोकेगा।
राजेश: नहीं यार, तुम नहीं समझोगी, मैं उसे किसी से शेयर नहीं कर सकता। बहुत प्यार करता हूँ उससे।
रेणुका: मुझसे प्यार नहीं करते, मुझे भी तो शेयर कर रहे हो ना कर्नल के साथ।
राजेश: ये बात अलग है, तुम्हारी लाइफ में तो कर्नल अंकल पहले से थे, और उन्हें इस सब से प्रॉब्लम भी नहीं है।
रेणुका: ये तो है, पर तुम्हें ज्यादा मजा किसके साथ आता है।
राजेश: ये तो तुम खुद ही जानती हो, दिव्या तुम्हारी तरह एडवांस नहीं है। एक बात कहूँ अगर बुरा ना मानो तो।
रेणुका: हा हा बोलो ना।
राजेश: मुझे अभी एक ब्लोजॉब चाहिए तुमसे।
रेणुका: हाहा, इतने उतावले हो।
राजेश: तुम नहीं समझोगी, जब से आया हूँ यहाँ तुम्हें देख कर ही दिमाग खराब हो गया है।
रेणुका: थोड़ी भी देर यहाँ और लगाई तो तुम्हारी बीवी खुद यहाँ आ जाएगी अभी, मुझे तो दिक्कत नहीं है, बताओ हो जाऊँ शुरू।
राजेश: नहीं यार, तुम्हारे यहाँ होने से दिमाग ही काम नहीं कर रहा, लगता है आज ऐसे ही रहना पड़ेगा।
रेणुका: ऐसा भी क्या है, बेफिकर रहो, तुम्हारी एनिवर्सरी पर तुम्हें एक बार तो ब्लोजॉब मिल ही जाएगी।
राजेश: यार दिव्या ये कभी नहीं करेगी।
जिस समय राजेश और रेणुका की बात चल रही थी, उसी समय दूसरी तरफ कर्नल बस किसी सोच में डूबा हुआ था, जैसे स्कूल का कोई बच्चा अपने रिजल्ट का वेट करता है, दिव्या को भी ये बात अजीब लगी क्योंकि उसके जैसे कमीना इंसान तो कोई चांस नहीं छोड़ता पर फिर भी दिव्या कंफर्टेबल नहीं थी तो वह किचन की ओर जाने लगती है पर तभी कर्नल आवाज लगा देता है।
लाला: तुम दोनों को कुछ हेल्प चाहिए तो मैं आऊं।
रेणुका: नहीं बस आ गए।
रेणुका और राजेश हाथ में एक केक, वाइन और कुछ खाने का सामान लेकर बाहर आ जाते हैं, रेणुका आते के साथ कर्नल की आँखों में देख निराशा सा मुँह बना के इशारा करती है जिससे कर्नल भी मायूस हो जाता है, पर वह ऐसे हार कहा मानने वाला था।