Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो - Page 5 - SexBaba
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Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो

(UPDATE-43)

आख़िर वो ऐसा क्यों की? चाहती तो मरर्ने के लिए मुझे चोर देती तो क्या वो आहेसन के बदले आहेसन जाता रही थी नहीं पता?…रात का एडमीशन सुबह जब ठीक हो गया तो हवलदारो ने ही मुझे किसी तरह जीप तक लाया मैनब चल सकता था खुद को सवास्त महसूस कर रहा था..कल रात के वाक़ये ने मुझे हिला सा दिया था वो मुझे मारने आई और हालत कहाँ से कहाँ पहुंच गई?

अचानक जीप पे अभी सवार ही हुआ था…की एक खत मिला..ऊसमें कुछ लिखा था…यक़ीनन ये खत ऊस लौंडिया ने ही मेरे जेब में छोडा था मैं उसे सबकी नजारे से बचाए पढ़ने लगा

“तुमने मेरी जान बचाई उसी का ये इंसानियत के नाते एक वास्ता रहा…तुमचहते तो मुझे गेरफ़्तार कर देते…कल रात को तुम अगर मुझे ना बचाते तो शायद मैं कभी नहीं उठती..और अगर ना उठती तो मेरे जिम्मेदारी अधूरे रही जाते…मैं कौन हूँ क्या हूँ? ये मैं तुम्हें नहीं बता सकती पर मैं जो कुछ कर रही हूँ? वो मेरी जरूरत है? मैंने कभी भी इतना कुछ एक पुलिसवाले को बयान नहीं किया यक़ीनन मैं पुलिस वालो को अपना दुश्मन मानी हूँ दो बार गोली भी कहा चुकी हूँ पर तुम जैसा पुलिसवाला जिसके अंदर इतनी इंसानियत थी पहली बार देखा मेरा दो ही सवाल है तुमने मुझे मरने के लिए क्यों नहीं छोडा? अगर बचना चाहते तो मुझे अरेस्ट क्यों नहीं किया? मैं एक मुज़रिम हूँ तुम्हारी निगाहों में? प्रमोशन मिल जाता बंगाल की आधे से ज्यादा पुलिस मुझे मोस्ट वांटेड क्रिमिनल मानती थी फिर भी तुमने मुझे अरेस्ट क्यों नहीं किया? ये आहेसन हमेशा याद रखूँगी लेकिन इस बार अगर तुम मेरे रास्ते में आए तो गोली मर दूंगीइ सोच लेना”………….उसके खत को पढ़ते पढ़ते मैं कब गुम सा हो गया मुझे पता नहीं

क्या क्या लव्ज़ थे उसके मन के? उसके मन के सवालों का जवाब सच में मैं दे नहीं पा रहा था…काश उसका कोई ई-मैल आइडी होता काश कोई फेसबुक होती तो चाट में बताता काश वो मुझसे फिर मुलाकात करती तो उसे बयान करता की ना जाने क्यों? उसे देखकर मेरा मन बदल गया…साली ने अच्छा खत चोद दिया मेरे लिए…लेकिन मिलेगी तो जरूर और मैं ऊस मिलन के लिए ही बेचैन उठा…चाहे वो मुझे सामने गोली क्यों ना मर दे जैसे ऊसने कहा? लेकिन इस बार उसके बारे में बिना जाने उसे जाने नहीं दूँगा

मैंने ऊस खत को पॉकेट में भर लिया…तब्टलाक़ दिव्या का फोन आ चुका था देखा 4 मिस्ड कॉल है…फटाफट उससे बात करके उसे शांताना देने लगा की मैं कहीं फ़ासस गया था इसलिए कल रात आ नहीं पाया…लेकिन सच पूछो तो दिल-ओ-दिमाग में बस वही लड़की बसी हुई ऊस्की बातें घूम रही थी

काश मैं उसका नाम जान पाता…क्या कहती है वो खुद को क्या नाम है उसका? मैंने खुद ही उसका एक नाम रख दिया काली साया अब काली साया से मिलने का प्रोग्राम बनाना बेहद ही जरूरी था..और ये प्रोग्राम किसी के घर में रातों रात चोरी की वारदात से शुरू होगी मुझे पता था लेकिन वो किस मज़बूरी का नाम ले रही थी…ये मेरी समझ नहीं आया शायद वो कोई गरीब हो हाला तो की मज़बूर अक्सर चोर तो ऐसे ही होते है…क्या पता उसका बच्चा हो? या फिर कोई परिवार मेरी कशमकश तब खत्म हुई जब ब्रांडे में खड़ी दिव्या को देखा मेरी जीप देखते हुए

“आहह हाहह सस्स आहह प्लीज़ आहह आअहह ओह टेररीि की”……..अचानक से देवश की नींद खुली तो एक झटके में शीतल ने उसे धकेल दिया

शीतल उठके अपने होठों पे लगे थूक को पोंछते हुए होंठ सहलाने लगी उंगलियों से “पागल हो गये क्या भैया चबा ही जाते इतना कोई क़ास्सके चुम्मा लेता है”…….देवश अंगड़ाई लेकर अपने बेवकूफी पे हस्सता है

शीतल : आप तो मुझपर टूट ही परे…नींद में भी पता नहीं काली साया काली साया कर रहे थे मैं क्या आपको बाला लगती हूँ (शीतल नाराज़ होकर अपने नंगी छातियो पे चढ़र धक्के मुँह फहर लेती है)

डीओॉश को लगा की वो शीतल के नहीं बल्कि काली साया को किस रहा था उसके साथ सेक्स कर रहा था दिलों दिमाग पे तो चाय थी अब साला नींद में भी उसी को तस्सावार करने लगा था डीओॉश उसे बेहद गुस्सा आया और साथ में शीतल के कटे होंठ को देखकर अफ़सोस भी हुआ

देवश : अच्छा मेरी सफेद रसगुल्ला चल भाई को मांफ कर दे

शीतल : नहीं करूँगी पता है आपको आपने कितने ज़ोर से मेरे साथ सेक्स किया

देवश : अच्छा मेरी मां ई आम सोररय्ी कान पकड़ लिए ठीक (शीतल तभी मायूस थी..देवश ने मुस्कुराकर फ्रीज से एक बड़ा सा कितकट का चॉकलेट शीतल के हाथों में थमा दिया)

शीतल खुशी से पागल हो गयी चॉकलेट की दीवानी थी वो….और देवश मिया को औरत को खुश करने के छोटे छोटे चीज़ें पता है..शीतल का घुसा पलभर में प्यार में बदल गया…”श भैया आप कितने अच्छे हो”…..शीतल फिर देवश के गले लग गयी

देवश ने प्यार उसके गाल पे हल्का चुम्मा लिया और फिर उसके होंठ को प्यार से सहलाया..दोनों कुछ देर तक प्यार भारी बातें करते रहे और फिर देवश अपनी वर्दी पहनें तैयार होने लगा…शीतल भी उठके बर्तन ढोने चली गयी नंगी ही…देवश की नियत फिर नहीं बिगड़ी क्योंकि उसे इसकी आदत थी अब तो एक और सुररूर सा चढ़ चुका था काली साया के नाम की

देवश जल्दी से थाने पहुंचा…अचानक टेलीफोन बज उठा…”हेलो इंस्पेक्टर डीओॉश चटर्जी स्पीकिंग”……..पास ही एक सेठ की मरियल रोई आवाज़ सुनाई दी…पता चला की उनके घर में कोई लड़की घुस गयी है नक़ाब पहनें डकैती कर रही है…और अभी ही फरार हुई है…जगह का नाम सुनकर फौरन मैंने मुस्कुराकर दिल ही दिल में खुश हुआ

पुलिस की जीप भी तीन चार ऊस चोर को पकड़ने के लिए मेरे साथ निकल गयी…साइरन से पूरा रास्ता गूंज उठा…”हवलदार रामू तुम उतार जाओ मैं अकेले ही ऊस लौंडिया को देख ल्टा हूँ तुम बाकी जीप में बैठ जाओ ताकि मैं जब फोन करूं तब पहुंच जाना”……..हवलदार ठीक है साहेब बोलकर उतार गया उसे लगा शायद काला साया की तरह इसे भी मैं मर सकता हूँ

पर वो बंदर क्या जनता था की आद्रक का स्वाद क्या है?….मैंने जीप दूसरी रास्ते मोड़ दी….जल्द ही बाकी पुलिसवाले सेठ के घर पहुंचे…गुण से लेंस पुलिसवालो ने जगह को घैर लिया एक एक कमरा सबकुछ चेक किया चोर तो फरार थी ही साथ में तिजोरी का सामान भी गायब था

जैसे ही हवलदार ने मुझे बताया फौरन मैं दूसरी लोकेशन की ओर मुड़ा…दिमाग कह ही रहा था की वो ज्यादा दूर नहीं गयी है और तभी मैं हाइवे पे ही लौंडिया दिख गयी कैसे मस्तानी अपनी गान्ड बाइक सीट पे रखकर पूरी बढ़ता में बाइक चला रही थी….मैंने उसके पीछे हुआ…..वो काफी दूर थी मेरी जीप भी ठीक उसके पीछे थी…लड़की ने फौरन गाड़ी को फुरती से दूसरे रास्ते मोड़ दिया….वहां नाकाबंदी लगी थी…अब यहां मुझे फीरसे चाल खेलनी थी…”ये लड़की तो गयी अगर पकड़ी गयी तो फिर मेरा क्या होगा?”…..मैं बड़बड़ाते हुए फौरन ऊस रास्ते की ओर मुड़ा
 
(UPDATE-44)

तभी नाकाबंदी चौंक पे लगे पुलिसवालो ने फाइरिंग स्टार्ट कर दी…वो लड़की पूरी तरह से घबरा गयी पर हार नहीं मानी…और ऊसने पूरी रफ्तार से अपनी प्रोफेशनल हुनर के बदौलत सामने बाइक के पोज़िशन को हवा मैंने उठाकर दूसरे हाथ से गोली चलानी शुरू कर दी…कुछ पुलिसवाले घायल हुए और ऊसने फौरन स्किट कहा ली…बाइक तिरछी होकर ऐसे फिसलते हुए चेक पोस्ट के नीचे घिस्सती हुई बढ़ता में दूसरी ओर निकल गयी की बचे कुचे पुलिस ऑफिसर्स बस गोलीचलते रहे…लेकिन तभी ऊस्की बाइक गाड़ी के सामने टकरा गयी…और वो सीधे गुलाटी खाते हुए सड़क पे गिरी…ऊस्की आहह सुनते ही मैंने फौरन जीप सामने रोक दी…जिस गाड़ी से टकराई थी ऊसमें बैठा शॅक्स उसे पकड़ने को हुआ पर बेचारा अपनी हड्डिया तुड़वाने के चक्कर में ही निकाला था घायल लड़की ने उसके मुँह पे एक बक्ककीकक ही इसे जागी की वो बेचारा वही गर्दन पकड़े गिर पड़ा…पुलिस आई नहीं तक इस रास्ते…वो आदमी बेहोश हो गया था मुआना करते ही मैंने जीप उसके सामने रोक दी वो मुझे देखकर चौक गयी

इससे पहले हुममें से कोई कुछ समझ पता..मैंने उसका हाथ पकड़ा और सीधे उसे अंदर खींच लिया..और उसके ऊपर मोटा गंदा सा कंबल उड़ा दिया प्लान के मुताबिक…तब्टलाक़ पुलिसवाले आ गये और मेरी जीप को देखकर बोल उठे “साहेब ऊस्की बाइक गिरी हुई है आपने उसे देखा”……मैंने ऊन बेवकुफो को बोला की वो जंगल के रास्ते भागी है पुलिस की एक टुकड़ी जंगल के रास्ते भागी किसी को शक नहीं था की मेरी ही जीप में वो चुप्पी हुई थी…जो शॅक्स गिरा था वो कुछ देख नहीं पाया वो बेहोश पड़ा था मर खाके

“तुम लोग इसी रास्ते पे चेक करो वो ज्यादा दूर नहीं गयी होंगी मैं दूसरे रास्ते जाकर पता करता हूँ”……..”ठीक है साहेब”……पुलिसवालो को समझाके मैं उल्टे रास्ते ऊस रास्ते से बेहद दूर निकल गया…..कुछ देर बाद ऊसने मुँह से कंबल हटा कर ख़ास्ते हुए पीछे की ओर देखा चारों ओर बेहद सन्नाटा भरा रास्ता था वो एकदम से उठ बैठी

देवश : में साहेब आप ठीक तो होआप?

लड़की : तुम पूरे पागल हो मेरी वजह से तुम भी साज़िश के नाम पे फ़ासस जाते क्यों बच्चा रहे हो मुझे? एक पुलिसवाले होकर मेरी मदद क्यों कर रहे हो?

देवश : अब ये मत कहना मैंने फिर आहेसां किया…तुम्हारे पास वो बैग है जो तुमने अभी चोरी की

लड़की : हे..हाँ ये रही

देवश : फौरन मुझे दो अब ये मैं ज़ब्त कर रहा हूँ

लड़की : दीखू मेरे के..आम में आड़.छान मत डालू मुझे पैसों की जरूरत है यही तो मेरा काम हाीइ प्लीज़ मुझे वो पैसे दे दो वरना मैं

देवश : वरना क्या? आप हुम्हें भी बाकियो की तरह हाड़िया तोड़के बेहाल चोद देंगी ऊस रात का वाक्य अब भी याद है साँप का ज़हेर तो मैंने निकाला जान भी आपकी बचाई पर शायद आपने हमें अकेला नहीं छोडा अपने तब सोचा नहीं आप एक पुलिसवाले की मदद

लड़की : गलती हो गयी मुझसे मांफ कर दो प्लीज़ (ऊसने हाथ जोधते हुए रोई सूरत बनाई) मैं नहीं जानती थी तुम इतने चिपकू निकलोगे पुलिसवाले होकर छिछोरे भी हो तुम

देवश : श मिस काली साया मैं सिर्फ़ आपकी मदद करना चाहता हूँ ताकि आप को इस दलदल से निकल सुकून इसमें मेरा कोई लाभ नहीं बस मैं आपकी मदद चाहता हूँ…

लड़की : पता नहीं तुम मुझसे क्या चाहते हो? देखो अगर मेरी मज़बूरी का फायदा उठा रहे हो तो अच्छा नहीं होगा तुम मुझे नहीं जानते

देवश : और अगर मैं कहूँ की आप मुझे नहीं जानती तब क्या करेंगी आप?

लड़की : क्या मतलब?

देवश ने फौरन और कुछ नहीं बोला बस ऊस लड़की को वापिस लाइत्न्े को कहा और उसके ऊपर कंबल ओढ़ दी दो चेक पोस्ट से गुजारा फिर अलर्ट किया की ऐसी लड़की को ऊसने देखा तक नहीं…पुलिस भी दूसरी रास्ते की ओर जा चुकी थी अब लड़की पूरी तरह से सेफ है…देवश ने मुस्कराए गाड़ी रोक दी…और फिर मैं दरवाजा को खोल के जीप को फिर अंदर लाया

ये काला साया वाला ख़ुफ़िया घर था जहाँ वो दिव्या को लेकर आया था….लड़की एकदम से उठ बैठी और फिर चारों ओर देखने लगी…दोनों अंदर आए…और फिर अंदर आकर…ऊसने फौरन मैं स्विच ऑन किया…घर के अंदर आकर एक रूम का दरवाजा खुल गया…लड़की चारों ओर हैरत से देख रही थी इतने जल्दी एक पुलिसवाले पे भरोसा करके वो खुद के लिए खतरा भी पैदा कर रही थी पर शायद उसे कहीं ना कहीं यकीन था

जल्द ही रूम के खुलते ही वर्दी के दो स्तनों खोल के देवश ने मुस्कुराकर एक तरफ के कपड़े को हटाया दराज़ में दो मुखहोते परे हुए थे और हॅंगर में काला साया के कपड़े…और उसके कुछ हत्यार एक तरफ..ये सब देखकर लड़की कभी हैरत से डीओॉश को तो कभी ऊन दराज़ में रखकर चीज़ों को देख रही थी

लड़की : त…आस क्या त..तूमम्म्म ही वो हो?? जो बहुत मशहूर हाीइ जो जुर्म के खिलाफ लधता है

डीओॉश : जी हाँ में साहेब हम ही वो नाचेज़ है मैं ही हूँ काला साया

लड़की : टीटी…अब तो तुम मुझे भी पकड़ने आए हो है ना पुलिस के हाथों दे दोगे

डीओॉश : जो इंसान सिर्फ़ अपने ईमान और अपने कानून से दुनिया की भलाई कर रहा था उसे इन्हीं पुलिसवालो ने मर डाला तो फिर तुम क्यों फिक्र कर रही हो? मैं तुम्हें क्यों उनके सुपुत्र कर दूँगा

लड़की : मुझे यकीन नहीं हो रहा की तुम काला साया थे…पर तुम मर कुछ समझी नहीं

फिर देवश बताता चला गया उसे अपनी जिंदगी का कड़वा सच कैसा बना वो एक काला साया? कैसे जिंदगी ने उसे ऐसे कटघरे में लाके खड़ा कर दिया जहाँ एक तरफ कानून की मदद तो दूसरी ओर कानून तोड़के वॉ इंसाफ करता आया था…अपनी नयी जिंदगी के चलते ऊसने काला साया को खत्म कर दिया था….सबकुछ जानके लड़की एकदम ठिठक गयी

डीओॉश : मैं नहीं चाहता तुम मुझसे भी बड़ा गुनाह करो…ना ही मैं तुम्हारी जिंदगी खतरे में डालना चाहता हूँ तुम्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे अपने अक्स को देख रहा हूँ

लड़की : तुम मुझसे क्या चाहते हो?
 
(UPDATE-45)

डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी

लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ

डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी

लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ…

डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ

फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं…ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी…पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था…यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया….बाद में उसका बाप शराबी बन गया…मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी….ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था

और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे…घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था…और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी…सदमें घिरर सी गयी…और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था…कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी…इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला

पुलिस उसके पीछे लग गयी…और वो कलकत्ता भाग गयी…वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था…और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था…पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी

मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था…हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी…लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा

देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी

लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है

देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया…अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ

लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी

देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)

लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा

देवश : चोरी करके

लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा “ये लो पैसे”….उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे…”इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं”….मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई “बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो”….चुपचाप वो बस गुमसूँ रही

“ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?”…….मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा

“जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो”……..ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ “कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा”…….इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी

अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था…जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था…हूबहू मेरे मुखहोते जैसा…और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था “काली साया”………मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था

उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..

वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए…काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी…मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ…अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा

इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी…ताकि इससे शक कम हो….लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया

लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे…शातिरो की रानी थी…ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक…और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ…तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी….हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये…खैर ऐसे दो दिन बीत गये

उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था…लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?…इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता

दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी…मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था…और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया…”क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को”…….ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया…उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी

देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग

दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी…मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा…क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?…जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई

मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की…दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी…और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया…मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी…जंपर भी उतार फ़ैक्हा….और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया

उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे….लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा….और फिर लगाने लगा धक्के…दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया

कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया…एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा…बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में…

त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला…”हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग”….फोन रिसीवर उठाते के साथ

“हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ”…..खबरी की आवाज़ थी
 
(UPDATE-46)

डीओॉश : पहले तो ये बताओ ये सब क्यों करती हो? हालत मज़बूरी या फिर गरीबी

लड़की : अगर वादा करोगे की तुम कभी ये बात किसी को ना कहो तो यक़ीनन कहूँगीइ एक एक चीज़ बतौँगिइइ कितना दर्द है मेरी जिंदगी में सबकुछ

डीओॉश : मैं सुनाने को बेताब हूँ पर क्या ऊन सब के बावजूद अपना मास्क उतारके मुझे अपना चेहरा दिखावगी

लड़की : यहां आई जरूर हूँ पर भरोसा अभी पूरा नहीं हुआ…

डीओॉश : तुमने मेरे दोनों चेहरे को देख लिया है इसलिए मैं तुमसे कुछ छुआपाया नहीं हूँ अब चुप्पने को बाकी क्या है? मैं तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ

फिर ऊस नक़ाबपोश लड़की के आंखों में आँसू घुल गये और इसकी आवाज़ भारी हो गयी वो रो रही थी दिल ही दिल में कहीं…ऊसने बताया की वो आंजेला नाम की नूं की बेटी है..जिसकी मां आंग्लो इंडियन थी…पर उसके बाप ने उसे इंडिया लाया था…यहां आकर उसका बाप का सारा पैसा कारोबार सब बंद हो गया….बाद में उसका बाप शराबी बन गया…मां इधर उधर फूल बैचके पैसे इकहट्टे करके घर का गुजारा करती थी….ऊस्की खूबसूरती और बढ़ती उमर से ऊस्की जवानी पे हर किसी की हवस भारी निगाहें थी कोई भी भेड़िया उसका शिकार करने को बेताब था बस मौका ढूंढता था

और एक दिन कोहराम सा आ गया उसका बाप शराब की लत्त से मारा गया ऊस्की टड़िया और लंग्ज़ जल गये थे…घर का गुजारा बहुत गरीबी से चल रहा था…और फिर अचानक आंजेला जिसने अपनी प्यार के लिए नूं को भी चोद दिया था इतनी बड़ी क़ुर्बानी दी थी…सदमें घिरर सी गयी…और ठीक एक दिन ऊस्की भी मौत हो गयी ऊसने ज़हेर कहा लिया था…कर्ज वाले दरवाजे पे दस्तक देते थे ये भी एक वजह थी…इधर उधर की फूल बैचते बैचते एक दिन ऊसपे कुछ लोगों की निया खराब हो गयी वो भागी भागती रही और इसी भागा दौड़ी और चुप्पा छुपी में उसके पास रखकर पत्थर से ऊसने एक बदमाश को जान से मर डाला

पुलिस उसके पीछे लग गयी…और वो कलकत्ता भाग गयी…वहां जाकर पहले तो ऊसने किसी तरह इधर अपना वक्त काँटा और फिर गरीबी से झुंझते झूंते किसी बारे पठान के हाथों में बिक गयी पठान का खून करने के बाद कोई चारा नहीं था…और फिर वही से वो क़ातिल बन गयी और ऊसने अपने चेहरे को गुप्त रूप से छिपाते छिपाते खुद को एक नक़ाबपोश चोर बना लिए जिसका पेशा चोरी और क़ातिलाना हमला था…पुलिस उसका कोई सुराग आजतक नहीं लगा पाई थी

मेरे निगाहों में उसके प्रति बहुत दुख था…हालाँकि ऊस्की कहानी भी मेरी कहानी से मिलती जुलती थी…लेकिन जितना दर्द ऊस लड़की के जिंदगी में था वो मुझमें कहा मैंने धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखा

देवश : हालत तो मैं बदल नहीं सकता तुम कहीं भी जा नहीं सकती पुलिस मौके पे ही तुमको गोली से उड़ा देगी

लड़की : मेरे पास कोई भी चारा नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती इन कमीने सेठ लोगों के चलते ही आज मेरी जिंदगी नरक बनी जिन जिन को मैंने लूटा वो लोग पेशेवर सेठ है या फिर इनकम टॅक्स ऑफिसर जो लोगों को लूटते है और फिर खुद के जेब को भरते है ऐसे लोगों से मुझे चिढ़ है

देवश : मैंने भी कई खून किए है लेकिन कभी इसे अपनी मज़बूरी नहीं समझी कभी हावी नहीं होने दिया…अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें सपोर्ट करूँगा वही काम तुम अच्छे के लिए करो तो शायद मैं तुम्हें इंसाफ दिला पौ

लड़की : यहां का लॉ इतना अँधा है ये मेरी काहं सुनेगा? जल्दी ही पकड़ी गयी तो उमर कैद होगी

देवश : और अगर मैं कहूँ की चैन से लड़ने की आज़ादी तो (लड़की बारे ही गौर से मेरी बातों को गौर करके चुप हो गयी)

लड़की : मुझे वक्त चाहिए मेरी बाइक भी ऊन लोगों के हाथ लग गयी दूसरी का इंतजाम करना होगा

देवश : चोरी करके

लड़की ने मेरी ओर तीखी नज़रो से देखा “ये लो पैसे”….उसे गिनाते ही उसके होश उड़ गये करीब 20000 थे…”इन चाँद रुपयों के लिए जो गुनाह तुम अपने सर ले रही हो वो कानून कभी ना कभी नजरअंदाज कर देगा पर ऊपरवाला कभी नहीं”….मेरी बात को सुनकर चुप सी हो गई “बस मुझे सोचने का कुछ वक्त दो”….चुपचाप वो बस गुमसूँ रही

“ओह हेलो जा रही हो शायद फिर ना मियालने की बात कहो क्या नाम से पुकार उतूम्हें?”…….मैंने मुस्कराए उसके जाते कदमों को रोकते हुए कहा

“जो तुम कहते हो मुझे काली साया ब्लैक शॅडो”……..ऊसने मुझे आँख मारी और मुस्कुराईइ “कलेजे को ठंडक पहुँची तुम जैसे शॅक्स से मिलकर जो लोगों के लिए इतना कुछ करता है खुद को मुरज़रीम आज महसूस कर रही हूँ चाहती तो मैं भी कर सकती थी लेकिन ये मुलाकात हमेशा याद रखूँगी अलविदा”…….इतना कहकर वो मुस्कराए बाहर भाग गयी

अब किस तरफ गयी पता नहीं अंधेरा हो गया था…जब बाहर निकाला तो पाया की उसका मुकोता गिरा हुआ था…हूबहू मेरे मुखहोते जैसा…और उसके पीछे लिपस्टिक से लिखा हुआ था “काली साया”………मैं मुस्कुराकर ऊस मुकोते को चूम के चार और देखने लगा यक़ीनन किसी के नज़रो में वो नक़ाबपोश सहित ना आ जाए इसलिए ऊसने खुद के कपड़े और नक़ाब को उतार डाला था

उसका असल चेहरा बेहद खूबसूरत होगा या मैं अंदाज़ा लगाने लगा..

वो रात काफी यादगार थी मेरे लिए…काली साया से मिलने के बाद तो जैसे दिल पे ऊसने एक लकीर चोद दी थी…मैंने आजतक कभी किसी को अपना सच नहीं बताया लेकिन ना जाने क्यों उसके दुख और गम ने मुझे ऐसा मज़बूर किया की मैं बिना अपना पर्दाफाश करे रही नहीं पाया उसे यह कह डाला की मैं ही काला साया हूँ…अगर बयचाँसे वो ये बात मेरे दुश्मनों को कह दे या फिर ये एक चाल हो महेज़ दो पल की कशिश ने मुझे ऊस्की तरफ यूँ खींच डाला और मैं सबकुछ भूलके उसे एकदम अपना मानने लगा

इन सब कशमकशो के बीच फौरन काली साया को बचाने का इंतजाम करना था..पहले तो चोरी किए गये सेठ के घर से चुराए पैसों की गठरी को पुलिस स्टेशन में सुपुर्द किया और ऐसा जताया की छानबीन में चोर ने गठरी भागते वक्त फैक दी जो जंगल में पाई गयी…ताकि इससे शक कम हो….लेकिन साला ऊस्की बाइक पुलिस ऑफिसर्स के हाथ लग चुकी थी और ऊस्की जाँच पर्ताल हो रही थी किससे ली गयी या चोरी की है? सारा दाता पुलिस ऑफिसर्स ने छानबीन करना शुरू किया

लेकिन काली साया भी कोई कम नहीं थी मुझसे…शातिरो की रानी थी…ऊसने बेहद सरल तरीके से चोरी की थी वो बाइक…और जब इन्वेस्टिगेशन हुआ…तो किसी अमीर सेठ अंबानी के बेटे की चोरी हुई बाइक थी जो अबतक नहीं मिली थी….हां हां हां पुलिस फिर खाक छानते रही गयी और काली साया का कोई सबूत नहीं मिला सब हाथ मलते रही गये…खैर ऐसे दो दिन बीत गये

उसके ऊपर का खतरा तो जैसे तैसे टाल गया था…लेकिन क्या मेरा राज़ जानके? वो चोरी का लाइन छोढ़के मेरे संग जुर्म के खिलाफ लारेगी?…इस बात की मुझे कम ही उम्मीद लग रही थी भला चोरी का काम छोढ़के वो मेरा साथ क्यों देगी? उसे पुलिस की गोली खाने का तो शौक नहीं होगा..खैर मैंने भी उसके संग बिताए लम्हो को भुलाया नहीं..लेकिन मैं इन दो दीनों में ही उसे मिस करने लगा ना जाने क्यों उसके हाँ का इंतजार था बस उसके मुकोते को लिए सहलाता रहता

दिव्या भी आजकल मेरे नये बर्ताव से थोड़ी अचरज थी…मैं बिस्तर पे आंखें मुंडें लेटा हुआ था…और फिर ऊसने मेरे सीने पे हाथ फिराया…”क्या हुआ बारे ही गौर से देख रहे हो इस मुखहोते को”…….ऊसने धीमे लव्ज़ में कान में फुसफुसाया…उसे पता नहीं था की मेरी मुलाकात किससे हुई थी

देवश : बस ऐसे ही
दिव्या : आजकल तुम पहले जैसे रहे नहीं बहुत सोच में डूबे रहते हो अब तो सब नॉर्मल हो चुका फिर किस बात का तुम्हें गम?
देवश : देखो दिव्या कुछ बातें बताई नहीं जाती
दिव्या : अच्छा ग

दिव्या ने जब देखा की मैं एकदम उसे इग्नोर कर रहा हूँ..तो वो खुद करवट बदलके सोने लगी…मैं भी अपनी सोच से जागा और मुखहोते को दराज़ के अंदर रखकर वापिस बिस्तर पे आया..पहले दिव्या को जगाना चाहा लेकिन मन नहीं ताना..मेरे दिलों दिमाग में ऐसी वो हावी हुई थी की मैं दिव्या को ही इग्नोर करने लगा…क्यों? क्या सिर्फ़ मेरे अंदर बाकियो तरह वासना है?…जबकि दिव्या ने मेरे लिए इतना कुछ किया है..मैंने फौरन दिव्या के बगल में लायतके उसके ज़ुल्फो को सहलाया..दिव्या फौरन ही मुझसे लिपट गई

मैंने दिव्या की प्यज़ामे के अंदर ही हाथ डाले पैंटी के भीतर झांतों पे उंगली फहीराई और फिर दो उंगली किसी तरह चुत में करनी शुरू की…दिव्या कसमसा उठी..मैं उसके टांगों पे टाँग रखकर खूब ज़ोर से अंगुल करने लगा दिव्या कसमसाए जा रही थी…और फिर ऊसने बेतहाशा मेरे मुँह पे चूमना शुरू कर दिया…मैंने उसे सीधा लिटाया और चुत में उंगली करता रहा..फिर उसके सलवार को भी खोल डाला पैंटी भी उतार फैक्ी…जंपर भी उतार फ़ैक्हा….और उसके चुत के मुआने में ही मुँह डाल दिया

उम्म्म आहह आअहह..वो खुद ही मेरे सर को अपने चुत पे रगड़ने लगी..हालाँकि उसके सपोर्ट के लिए ही मैं उसे प्यार कर रहा था ताकि वो खुद को अकेला ना महसूस करे….लेकिन दिल-ओ-दिमाग पे तो कोई और ही चाय थी..कुछ देर तक ऊस्की चुत को चाटने के बाद मैं ऊसपे चढ़ बैठा….और फिर लगाने लगा धक्के…दिव्या भी पूरा साथ दे रही थी कुछ ही देर में ही मेरे धक्के तेज हुए दिव्या के टाँगें मेरे कमर में खिस्स गयी ऊसने क़ास्सके अपने गान्ड को मेरे लंड से दबा लिया और फिर मेरे अंदर का सारा तूफान पानी बनकर उसके चुत में ही झड़ गया

कुछ देर में ही मैंने अपना लंड ऊस्की गीली लबालब चुत से बाहर खींचा और पष्ट परे ही बगल में लाइट गया…एक हल्की चादर ओढ़ दी दिव्या को और वो सोने लगी..मैं भी उठके वॉशबेसिन पे ब्रश करने लगा…बार बार काली साया का ख्याल आ रहा था दिमाग में कब आएगी वो कब मिलेगी? कही फिर किसी मुसीबत में…

त्रृिंगगग त्रिंगगग..करीब 3 दिन बाद थाने में एक सीरीयस केस मिला…”हेलो इंस्पेक्टर देवश चटरर्ज़ी स्पीकिंग”….फोन रिसीवर उठाते के साथ

“हे..हेल्लू सर मैं आप..काक हब्बरी बोल रहा हूँ”…..खबरी की आवाज़ थी
 
(UPDATE-47)

देवश : क्या अरे वाहह ये तो बहुत खुशी की बात है?

शीतल : भैया क्या बात कर रहे हो आप? जानते भी हो की मैं किसी को पसंद नहीं करती सिवाय आपके और मैं किसी से शादी नहीं करना चाहती

देवश : देखो शीतल तुम अभी पूरी तरीके से समझदार नहीं हुई हो…सील टूटने से पूरी तरह से औरत नहीं बनी हो जब तुम शादी कर लाओगी ज़िम्मेदारिया संभालॉगी तब तुम एक संपपोर्ना औरत बनोगी देखो मानता हूँ तुम मुझसे प्यार करती हो पर मैं तुम्हारा भैईई हूँ तुम्हारी मां की नजारे में तुम्हें पता है अगर तुम्हारी मां को पता चला की ऊन्ही का बेटा अपनी ही बहन के साथ सोता है तो ऊन्हें हेअरटत्टकक हो जाएगा तुम चाहती हो ऐसा? की ऊन्हें हमारे रीलेशन ?

शीतल : नहीं भैया पार मैं आपसे ही शादी करना चाहती थी

देवश : ये मुमकिन तो नहीं है ना अब तुम मेरी मुँह बोली बहन हो दुनिया की नजारे में पर हमारा प्यार दुनिया नहीं मानेगी समझा करो जो हो गया वो सिर्फ़ तुम्हारा मेरे प्रति प्यार और मेरा तुम्हारे प्रति प्यार था

शीतल : लेकिन भैया फिर भी आप समझाओ ना मां को की आप मुझसे शादी!

ये तो गले पढ़ने वाली बात हो गयी साला एक तो इतना टेन्शन सबको शादी की ही पड़ी है…किस किस से शादी करूं? दिव्या से? इससे? लेकिन गलती मेरी भी थी शीतल को बहन भी मना और उससे चुदा भी कर ली ये भी तो पाप ही था लेकिन अब जो हो गया सो हो गया अगर अपर्णा क्काई की पता लगा तो हमारे संबंध में बवाल खड़ा हो जाएगा…और मुझे ना अपरा काकी को खोना था ना शीतल को और ना ऊन्हें बदनामी के डर में फसाना था मैंने फौरन शीतल को खूब समझना शुरू किया…और उससे कहा की मैं उसे ऐसा संपूर्ण मर्द दूँगा जो वो पसंद कर लेंगी मुझसे भी अच्छा होगा और उसे खूब खुश रखेगा पर शीतल नहीं मानी…और ऊसने उदास होकर फोन कांट दिया

अब यहां मुझे अपर्णा काकी से बात करनी थी पर आज नहीं कल ही हो पाएगा?…पूरा दिन मैं सोचता रहा…फीरसे दिव्या का कॉल आया…दिव्या को भी समझा भुजाके कहा की काम में फ़सा हुआ हूँ…फिर शाम के ढलते ही मैं अपने वीरान ख़ुफ़िया घर पहुंचा….वहां का सारा काम निपटना शुरू किया

जल्द ही..कोई दीवार से तदपके आए..जैसे मैंने दरवाजा खोला सामने मुकोता पहनी रोज़ खड़ी थी..अफ आज उसके बदन से खुशबू आ रही थी ऊसने मुस्कुर्या उसे लाल होठों की लाली ने मेरे पूरे दिन के दुख को जैसे गायब कर डाला

देवश : अर्र..ए वाह तुम आ गयी आओ अंदर?

रोज़ : हम आती कैसे नहीं? जब एक दोस्त से हाथ मिलाया है

देवश : अच्छा ग तो हब मैं आपका दोस्त बन गया मुझे तो लगा मैं आपका

रोज़ : थोड़ी काम की बात बताओ कहाँ से शुरू करना है ? क्या सेट-उप किया?

मैंने रोज़ को मुस्कुराकर देखा और फौरन हॉल की लाइट्स ऑन की धढ़ धढ़ करके पूरे हॉल में उजाला छा गया चारों ओर काफी अच्छे से मैंने अपने ख़ुफ़िया एजेन्सी को बनाया था…एक तरफ पीसी जिसमें सारे क्रिमिनल्स देता ट्रेसिंग डिवाइस रोज़ के लिए हर बचाव का इंतेज़मत था ऊसमें लोकेशन जीपीयेस सिस्टम सबकुछ दूसरी ओर स्कॅनिंग डिवाइसस थे जिसमें फिंगरप्रिंट्स प्रिनटाउट्स दी इन ए डिवाइसस भी परे हुए थे इन सब चीज़ों को मैंने बारे ही मुस्किलो से खरीदा था…हालाकी काला साया में मुझे इन चीज़ों की जरूरत नहीं पड़ी पर मैं काफी बरेक़्क़ी से जाँच पढ़ताल करके किसी सूपरहीरो की तरह ही दिमाग चला रहा था

दूसरी ओर दो बाइक्स खड़ी थी…जिससे मॉडिफाइ करवाया था मैंने ये भी इल्लेगली तीसरी तरफ काला साया का सारा मेरा काप्रा मौज़ूद था साथ ही साथ रोज़ के मुखहोते और उसके कपड़े मज़ूउद थे..इतने इंतेज़मत को देखें के बाद रोज़ के मुँह से वाहह निकली

रोज़ : वेरयय वेल्ल्ल डन

देवश : थॅंक्स सोचा आजसे हम जब पार्ट्नर्स है तो काम शुरू किया जाए सारें इंतेज़ांत है (मैं रोज़ को सब चेज़ों के बारे में बताने लगा वो कंप्यूटर एक्सपर्ट थी ऊसने सारे रेकॉर्ड्स चेक करने हसुरू किए…हर डिवाइस को चेक किया एक प्रोफेशनल चोर थी वॉ और मैं नपोलिसेवला तेहरा इसलिए मेरी भी छानबीन और डेवीसेस्क ए आड़हर् में मैं भी प्रोफेशनल था)

रोज़ : जब तुम्हारे पास इतना इंतेज़मत है तो फिर तुम काला साया क्यों बन गये?

देवश : कुछ चीज़ें आईस होती है जो बताई नहीं जाती…पुलिस वालो के लिए मैं डेड ओर अलाइव वाला पर्सन बन गया था मैंने कई खून किए इसलिए उनकी नजारे में मर गया पर तुम अब मेरी पोज़िशन को सम्भालो तो बेहतर रहेगा

रोज़ : तुमने मेरे लिए इतना कुछ किया है मैं कैसे भूल जाओ (कोमिससिओनेर वाली सायर बात उसे बता डाली वो बस चुप रही)

देवश : अच्छा तो फिर तुम तैयार हो

रोज़ : मुझे तैयार नहीं करोगे (ऊस्की आंखों में चमक सी थी मैंने मुस्कुराकर उसे जॅकेट दी ऊसने मेरे सामने ही अपनी हुक खोल के एक मोटा बुलेटप्रूफ जॅकेट के ऊपर लेदर जॅकेट पहना उसके क्लीवेज दिख रहे थे)

मैंने रोज़ के बदन पे हाथ रख रखकर उसे तैयार कर रहा था बीच बीच में ऊस्किसांसें मेरी साँसों से टकराए…बार बार रोज़ मेरी नजारे में झांटकी जब मैं उसे बेल्ट पहना रहा था क्योंकि मैं काला साया हूँ और उससे ज्यादा प्रोफेशनल…तैयार करने के बाद ऊसने अपने मुखहोते को ठीक करते हुए पास ही के टेबल पे अनगिनत वेपन्स में से नानचाकू के बजाय हॉकी का डंडा ले लिया….मैंने उसे ट्रेनिंग सेशन में पनचिंग बॅग्स और हेंड तो हेंड कंबेट्स के साथ साथ वर्काउट के लिए दुम्ब्ेल्लस और कुछेक्शेरसीसे एक्विपमेंट्स दिखाए…पर ऊसने मुझे आँख मरते हुए कहा की वो पहले से तैयार है

फिर ऊओसने बाइक स्टार्ट की और तीवर्ता से हॉल के ख़ुफ़िया दरवाजे से निकल गयी…मैं उसके लिए बेहद डर भी रहा था पर जनता था वो कौन सी काला साया से कम है?…मैंने फौरन हेडफोन लगाया और पीसी पे बैठकर उसी लोकेशन ट्रेस की…वो पूरे शहर का गश्त लगा रही थी बिना पुलिस के नजारे में आए
जैसे जैसे रात के साए में रोज़ निकलती…सन्नाटे को चीरती जुर्म पे ऊस्की दस्तक होती….अबतक तो टाउन के हिस्से लेकर पूरे डिस्ट्रिक्ट तक ये बात फैल चुकी थी…की हूबहू काला साया की तरह एक शॅक्स बाइक पे आता है हेलमेट और अंधेरे के वजह से उसके मुखहोते पहने चेहरे को देख नहीं पाता है…और फिर कहीं पे हो रहे अपराध पे रोक पे अपनी ही मोहर लगा देता है

सबकी नजारे में बस ऊस शॅक्स का नाम था….”रोज़”….वो अंधेरे साए में आती है…और गुंडे मवालीयो से अकेले ही भीढ़ जाती है उससे तरकने की तो दूर उससे भागने की भी ताक़त किसी के हाथों में नहीं होती…अपराधियों को मर के ऊन्हें पुलिस के आने से पहले उनके हाथों में सुपुर्द करके निकल जाती है और साथ ही साथ अपने हर दुश्मन के पॉकेट में एक लाल गुलाब चोद देती है

रोज़ के साथ ऐसा टीमवर्क भरा काम करते हुए 2 महीने बीत गये..इन 2 महीनों में शहर में ऐसी रोज़ के नाम की आग लगी…की सबके जुबान पे काला साया के बॅया दब रोज़ का नाम था…कोई कहता काला साया ही है..और कोई कहता नहीं ये कोई और है? पुलिस जानती थी की ये लड़की वही चोर है जिसने पूरे बंगाल स्टेट को हिला डाला था…पुलिस आजतक उसका पीछा ना कर पाई हूँ कौन थी ? कहाँ से आती थी?…इधर मेरा मूवमेंट और ऑपरेशन दोनों बखूबी रोज़ के संग चल रहा था उसके गुलाबी महक नेट ओह मुझे उसका दीवाना बना दिया साथ ही साथ उसके काबिल-ए-तारीफ हौसले और हिम्मत की दास्तान को रोज़ थाने में सुनकर दिल बैग बैग हो जाता गुलाब के फूलो से

पुलिस कभी कभी ट्रॅप बिछाके रोज़ को पकड़ने की कोशिश करती थी..लेकिन मैं अपने वर्दी के फायदे से कभी पुलिस को रॉंग वे में भेज देता या फिर कभी पुलिस के सामने अड़चन बनकर सामने आ जाता…जैसे रोज़ अगर बाइक लेकर जिस रास्ते से गुजरती और हूँ रास्ता दो रहा…तो उसके निकलते ही मैं भी उसी के भैईस में दूसरे रास्ते निकल जाता…पुलिस इससे चकमा कहा जाती…कभी रास्ते में पुलिस के पत्थरे बिछा देता…तो कभी रोज़ को झूते मूओते नाम पे पकड़ने के साथ साथ अपने हेडफोन से उसे डाइरेक्षन और लोकेशन दोनों बताते रहता…रोज़ के हर हरकत और उसके हर सिचुयेशन पे मेरी निगाह होती अनॅलिसिस ऑफिस से…रोज़ जल्द ही अपने पाप की दुनिया से निकलकर अक्चाई की लड़ाई में खुद को काफी तृप्त महसूस करती थी
 
(UPDATE-48)

और धीरे धीरे मेरे अंदर भी रोज़ के प्रति कुछ कुछ होने लगा था…कमिशनर की मुझे कभी कभी बेहद दाँत सुन्नी पढ़ती…लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था रोज़ के खिलाफ इसी लिए उसे कभी गेरफ़्तार करने की नौबत ही नहीं आई…मैं कमिशनर की दाँत को खाके बस मुस्कराए केबिन से निकल जाता…और फिर रोज़ के साथ काम शुरू करता…जल्द ही रोज़ अपने नये नाम से प्रचलित हो गई सबको हैरानी थी आख़िर काला साया कहाँ गायब हो गया? और ऊस्की जगह रोज़ कहाँ से आ गयी? पुलिस का भांडा फहूट जाए इस बात का मैं पूरा ख्याल रखता था पुलिस निकाला साया को जान से मर डाला ये बात अगर पब्लिक को पता चली तो शायद बवाल हो जाए…सबकुछ सही जा रहा था…और मेरे दिल ही दिल में रोज़ को लेकर प्यार उमाधने लगा था

ऊस रात रोज़ गश्त लगाकर वापिस आयआई…ऊसने गॅंग्स्टर्स को आज पुलिस के हाथों अरेस्ट करवाया था..ऊसको थोड़ी चोटें आई थी….बाइक से उतरके मैंने फौरन उसे लाइट जाने को बोला….उसके पीठ में बहुत दर्द था…

देवश : के..क्या हुआ? रोज़ तुम ठीक हो?

रोज़ : पीठ पे गुंडों ने चाबुक बरसा दिया था..वो तो गनीमत थी की आहह मैंने तुम्हारे सिखाए रस्सी को काटने का हुनर सिख रखा था

देवश : श में गोद ई आम सॉरी मैं तुम्हारी ऊस वक्त मदद नहीं कर सका..ठीक है तुम एक काम करो पेंट के बाल लाइट जाओ मुझे एक इलाज आता है ला कर..इन तुम्हें अपना काप्रा उतारना पड़ेगा तुम्हारी पीठ के ज़ख़्मो को देखते ही मैंन्न

रोज़ : टीटी..हीक हे दर्द बहुत ज्यादा लग रहा है जो कुछ करना है कर दो…(मैंने मौके को समझते हुएफओुरन पास रखिी काली पट्टी अपने आंखों में बाँध ली)

रोज़ : ईए क्या कर रहे हो?

देवश : हाहाहा तुम्हारी झिझक दूर कर रहा हूँ मैं एक मर्द हूँ और तुम एक औरत इसलिए समझ रही हो ना (रोज़ ने मुस्कुराकर अपने लंबो पे लगी लाली दिखाई)

और फिर मेरे सामने पीठ कर ली….भैईलॉग आँख में पट्टी बँधी थी पर साली ट्रॅन्स्परेंट थी ..धीरे धीरे मेरे तरफ पीठ करके रोज़ ने अपना जॅकेट उटा फैका..और उसके बाद अंदर एक और बुलेटप्रूफ जॅकेट अफ उसके बड़ना के पीठ पे कितने लाल लाल निशान परे हुए थे…काश मैं ऊस वक्त मौज़ूद होता तो हूँ कुत्तों को जान से मर देता…रोज़ ने एक बार मुदके मेरी ओर देखा

और अपनी ब्रा जैसी पहनी डोरी को खोलने लगी बीच बीच में ओर देखती..मैं अंधेपण का नाटक करने लगा…दिख तो सब रहा था…फिर रोज़ ने मुस्कुराकर अपनी डोरी खोल डाली अब हूँ ब्रा में थी काली ब्रा में…हूँ वैसे ही छलके सोफे पे लाइट गयी…मैंने आवाज़ दी “हो गया क्या मैं लगौन?”….ऊसने भी जवाब दिया और अपने पास आने कहा मैं उसके पास आया

रोज़ : अब पट्टी खोल दो तुम वरना पीठ के बजाय बालों पे लगा दोगे क्रीम

देवश : त..एक है जैसी आपकी इच्छा मेमसाहेब

मैंने जैसे ही पट्टी उतारी साला संगमरमर जैसी पतली कमरिया क्या चिकना बदन था?…मैंने थूक घोंटते हुए फौरन इलाज शुरू किया…पहले छोटे बाल्टी में गुगुला पानी लाया और फिर उसे बारे ही आहिस्त आहिस्ते निसान पे लगाकर साफ करने लगा…गरम भीगे तौलिए के अहसास से रोज़ आंखें मुंडें सिहर जाती है…सिसक उठती

मैं भी सोफे पे पालती मारें बैठा उसके पीठ को तौलिए से पोंछ रहा था उसके बाद…उसके निशानो पे हाथ पाहिरा…और क्रीम लगाने लगा….एक आहह भी रोज़ के मुँह से ना निकली…हूँ बस अनके मुंडें पड़ी रही..बार बार उसका ब्रा बीच में लग जाता वहाँ पे एक निशान था जिसपे क्रीम लगाना मुश्किल था…मैंने रोज़ से कहा की हूँ अपनी ब्रा की हुक खोल दे ताकि मैं पूरे पीठ पे क्रीम लगा सुकून…रोज़ ने आंखें मुंडें ही अपना हाथ बढ़के हुक को खोल डाला..ब्रा 2 पीस में जैसे दोनों ओर गिर पड़ी उसका एकदम नंगा पीठ मेरे सामने था

मैंने बारे अच्छे से क्रीम लगाकर उसके दर्द में राहत दी….रोज़ को काफी सुकून मिला…”अगर तुम कहो तो मसाज भी कर दम”………मैंने मौके को समझके बोला “ऐसी वैसी हरकत तो नहीं करोगे ना”………रोज़ ने मुस्कुराकर बोला….”ईमान का पक्का हूँ”…….मैंने भी जवाब दिया…”ऑलराइट देन दो इट”…..ऊसने फिर आँख मूंद के लिए सोफे पे ही सर रख दिया

मैंने थोड़ा सा तेल लाया और उसके गर्दन और हाथ सब जगह की मालिश करने लगा पीठ पे बचे कुचे निशानो से दूर के हिस्सों में मालिश करते हुए उसके कमर में बार बार हाथ चला जाता फिसल के….रोज़ कोई हरकत नहीं कर रही थी…और ना कसमसा रही थी…मुझे नहीं लगता उसे कुछ फील होने वाला था…मैंने धीरे से ऊस्की निचले पीठ के हिस्सों पे तेल मलके वहाँ माँस को मुट्ठी में भरके मालिश किया…इस पे रोज़ थोड़ी कसमसा जाती…धीरे धीरे उसके हाथ को फिर मलते हुए ऊस्की नाज़ुक उंगलियों की भी मालिश की शायद हूँ सो गयी थी…मैंने सोचा क्यों ना टांगों की भी कर दम..साला तेल की कटोरी लिए उसके ताअंगो से थोड़ा थोड़ा करके एलास्टिक पेंट हटाया और वहां तेल मलने लगा…उसके पाओ पे भी…रोज़ ने कोई हरकत ही नहीं की…हूँ शायद सो चुकी थी…मैंने उसके घुटने तक फिर जाँघ तक तेल को माला…इस बीच में बार बार मेरा हाथ उसके गांड पे लग जाता..लेकिन ज्यादा आगे बढ़ना रीलेशन को खराब करने वाली बात थी…

अचानक मुझे अहसास हुआ की मालिश के चक्कर में साला अपना पेंट के अंदर में कबका खड़ा वज्र गोरी में के पीठ और टांगों पे भी दबा हुआ था…मुझे बहुत शर्मिंदा महसूस हुआ..और साथ में खुद पे गुस्सा भी आया मैं अभी उठने वाला ही था की रोज़ ने मेरे हाथ को पकड़ लिया
 
(UPDATE-51)

मैं ब्रश कर ही राह था…इतने में सोई रोज़ का चेहरा देखा…बदल गाराज़ रहे थे….एक बार मैंने ब्रश रोकते हुए सोचा क्यों ना रोज़ा का मुखहोटा उतारके देखा जाए आख़िर वो है कौन? लेकिन मेरे ज़मीर ने मुझे इस बात की गवाह नहीं किया…और मैं फिर अपने काम में मलिन हो गया

सुबह 6 बजते बजते ही…जेल से जावेद हूसेन को निकाला गया उसे आज कलकत्ता के सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया जा रहा था…साथ में पुलिस की दो जीप थी…जेल के पास वाले जंगलों के पादो के सबसे बारे लत्टड पे निशानेबाज़ मुस्कराए चड़ा हुआ था…ऊसने बाइनाक्युलर से जावेद हूसेन और बाकी पुलिस कर्मियो को देखा की उसे वन पे सवार किया जा रहा है निशानेबाज़ ने फौरन खलनायक को कॉल किया

खलनायक सिगरेट सुलगता हुआ फोन उठता है

निशानेबाज़ : वो निकल रहा है

खलनायक : काम तमाम कर दो उसका

निशानेबाज़ : इसे सर (इतना कहते हुए निशानेबाज़ अपनी तीर को आईं पे लेता है ऊस्की एक ही निगाह से वो जावेद हूसेन को घूर्रते हुए मुस्कुराकर देखता है और फिर अपना तीर चोद देता )

स्ररर स्ररर करता हुआ तीर सीधे हवा में उड़ते हुए सीधे जावेद हूसेन के सीने के आर पार घुस जाती है……”उग्घ”……साँस खींचने तक का वक्त मिलता जावेद हूसेन को और वही धायर हो जाता है पुलिस में हड़कंप मच जाती है…पुलिस इधर उधर देखने लगती है लेकिन हमला करीब 50 में दूरी से हुआ था..इसका अंदाज़ा तक पुलिस नहीं लगा पति

जल्द ही पेड़ की टहनियो से कूदते हुए निशानेबाज़ फौरन अपनी बाइक पे बैठ जाता है….लेकिन तभी पुलिस की कर्मियो की निगाहों में वो आ जाता है पुलिस का एक झुंड उसके पीछे लग जाता है…निशानेबाज़ अभी बाइक को फुरती से निकल ही पता इतनें आइन काला लंड वहां पहुंच जाता है और अपनी ट्रक से पुलिस की जीप को ढलान के ऊपर से टक्कर मर के गिरा देता है जीप धमाके के साथ उड़ जाती है और पुलिस का झुंड मौके पे ही मारा जाता है

रात का तूफान कब का थाम चुका था? और सुबह का सूरज भी निकल चुका था…सुबह 10 बज चुके थे…त्रिंग्ग त्रिंग्ग करके मेरा फोन बज उठा…फिर एक बार रिंग हुई नींद इतनी गहरी थी की उठ ही नहीं पा रहा था…एक बार उठके अपने से लिपटी रोज़ को देखा जिसके बाल बिखरे हुए थे सूरज के चाव में कैसी चमक रही थ्िवो उसके आंखें बंद…ऊस्की गहरी सांसों की आवाज़…उसका एक हाथ मेरे पेंट पे….मैंने उसे हल्के से हटाया और हमारे ऊपर की सफेद चादर हटाई…मैं नंगा ही उठ बैठा…वक्त 10 बज चुका था…जल्दी से पास रखी बजती फोन को उठाया

कमिशनर : इंस्पेक्टर देवश कहाँ हो तुम?

देवश : सो..र्रयी सर वो कल रात की गश्त ज्यादा लगा ली जिसे वजह से नींद नहीं आई बस अभी उठा हूँ सर कहिए

कमिशनर : मैं तुम्हारे शहर आया हूँ तुम्हारी गैर मौज़ूदगी देखकर मुझे बहुत बुरा लगा जल्द से जल्द पे.से पहुंचे…फौरन जावेद हूसेन को किसी ने मर डाला है

मेरी मीठी नींद और यादें एक पल में टूट गयी जब मैं एकदम से जागा सर की बात सुनकर…मैंने फौरन हामी भरते हुए फोन रखा…अफ रोज़ अब भी गहरी नींद की आगोश में थी उसे उठना संभव नहीं था मैंने फौरन जैसे तैसे तैयार होकर अपनी वर्दी पहनी और रोज़ के लिए एक खत लिख दिया…और उसके माथे को छू के बिस्तर पे ही खत रखते हुए जल्दी से ख़ुफ़िया घर से बाहर निकाला….जीप स्टार्ट की और फौरन थाने की ओर रवाना हुआ

थाने में पहुंचते ही…पता चला कमिशनर साहेब सर्क्यूट हाउस में तहरे है…वही मुझे बुलाया है दोपहर में…तो साले ने अभी क्यों हड़बड़ा दिया? थोड़ा सा नाश्ता किया और फिर उसी वक्त ही सर्क्यूट हाउस पहुंचा…बागान में कमिशनर एक आदमी के साथ बैठा हुआ था जो ब्ड के वर्दी में दिख रहा था…दोनों चाय की चुस्किया ले रहे थे मुझे आवाज़ दी और अपने पास बुलाया…बगीचे के दूसरी गुलबो में माली पानी डाल रहा था…ऊसने मेरी ओर एक बार नज़र फहीराई

देवश : सर (मैंने सल्यूट मारी और फिर उनके इजाज़त से बैठा)

कमिशनर : आओ आओ इनसे मिलो ये है बांग्लादेश के सुपेरटीएँडेंट ऑफ पुलिस उस्मान ख़ान…ये हमारे शहर आए हुए है एक बहुत ही जरूरी खबर देने इंटररपोल से पता लगाया गया की आज ही जावेद हुस्सियान को मर दिया किसी ने

देवश : ओह नो सर मैंने तो उसे अभी हाल ही में अरेस्ट !

कमिशनर : जी हाँ उसी आदमी का कत्ल हुआ

इससे पहले कमिशनर कुछ और बोलता…वो सुपेरिटेंडेंट उस्मान बोलने लगा…

उस्मान : जी सही फरमाया आपने जावेद हूसेन ब्ड का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल था जिसे आप लोगों ने गेरफ़्तार किया उसे सेंट्रल जेल से हमारे देश में ले जा रहा था…और उसे मारने वाला कोई और नहीं खलनायक है

देवश : ख..अल्नायककक ये कौन्ण है?

कमिशनर : दरअसल बांग्लादेश दुबई पाकिस्तान में ड्रग्स की अगर कोई सबसे ज्यादा तस्करी करता है तो वॉ ये खलनायक है इसकी आजतक कोई पिक्चर पुलिस के पास नहीं है बारे से बारे ख़ुफ़िया एजेन्सी इसके पीछे लगे हुए है जो भी इसके टे तक पहुंचा उसे मर गिराया…आज सुबह करीब 6:20 के लगभग जावेद हूसेन को इसी के आदमी ने जान से मर गिराया..हमने उसका पीछा किया तो हमारी पूरी एक पुलिस फौज जीप के साथ खाई से नीचे गिरके धमाके के साथ उड़ गयी

देवश : ओह माइ गॉड ये केस तो बहुत सीरीयस है पर ये खलनायक यहां?

कमिशनर : जाहिर है इसने जावेद हुस्सियान के लिए यहां पाओ रखा है..लेकिन खबरियो से पता चला की इनकी बारे बारे माफिया से दो दिन पहले रात को मीटिंग हुई थी…वहां से भी हुम्हें जावेद हूसेन के लोगों की तीन लाशें मिली…उसका माल पकड़ा गया है और वो काफी गुस्से में नहीं
 
(UPDATE-52)

उस्मान : इट’से बिग ऑपर्चुनिटी आप इंडियन्स के लिए अगर आप लोगों ने उसे गेरफ़्तार कर लिया तो सोच लीजिए की आपने ब्ड के सबसे खतरनाक साँप को पकड़ लिया है…वैसे हमसे जितना होगा हम आपकी मदद करेंगे ये खलनायक नक़ाबपोश है इसके काम में इसके दो आदमी इसके साथ कॉपेरते और ऑपरेट दोनों करते है इन ल्गू के नाम भी अज़ीब है एक सनकी की पूरी गान्ड है इसमें काला लंड और निशानेबाज़ जिसने जावेद हूसेन को मारा शामिल है इनसे उलझना मौत को दावत देने के बराबर है

देवश : थॅंक्स फॉर थे इन्फार्मेशन सर अब आप फिक्र ना करे मैं उसे अरेस्ट करने की पूरी कोशिश करूँगा

कमिशनर : ओके देन (कॉँमससिओनेर उठके उस्मान से हाथ मिलता है और उस्मान फिर अपनी मॅटॅडोर में बैठ जाता है इधर कमिशनर मुझे फिर ज़ोर देने लगते है की जल्द से जल्द रोज़ वाला केस निपताओ और इन तीनों को अरेस्ट करो)

मादरचोद एक के बाद एक केस हाथ में दे देता है…अभी रोज़ से प्यार भी नहीं हुआ और फर्ज की लरआई में कूदना पारह रहा है…रोज़ के वजह से ही तो जावेद हूसेन को पकड़ा गया…लेकिन कमिशनर है की रोज़ को ही गलत तेहरा रहा है…जो भी रहे इस खलनायक से मिलना बेहद जरूरी था

जल्द ही काम धाम निपटाके दोपहर को वापिस ख़ुफ़िया घर में पहुंचा…रोज़ का नाम पुकारा…लेकिन वो जा चुकी थी…बिस्तर पे मेरा खत नहीं था…अचानक एक खत मिला टेबल पे उसे पढ़ा….रोज़ ने छोडा था मेरे लिए “तुम्हारे साथ एक एक पल जैसे लगा मानो की एक ख्वाब हो इट’से जस्ट लाइक हेयर ओन ड्रीम ई विल मीट यू टुनाइट आस अभी”……मैंने मुस्कुराकर दिल-ए-हाल रोज़ का जाना..खैर उसे ज्यादा खतरे में डालूँगा नहीं कहीं वो इस खलनायक के पीछे ना लग जाए…क्योंकि मैं अब रोज़ को खोना नहीं चाहता था…इस केस को खुद मुझे कवर करना था…

जल्दी से हाथ मुँह धोया और फिर अपने घर आया..कल रात करीब तीन घाटे ही सोया हुआ था बाकी घंटे तो सेक्स करने में ही उलझा हुआ था…इस वजह से नींद अब भी गहरी लग रही थी…इतने में फोन किया…दिव्या ने झल्लाके कहा मिल गयी फुर्सत काम से उसे मानने में भी दस घंटे लगे कह दिया साफ साफ की मेरे घर आकर मुझसे मिल ले मेरे हाथ में एक केस है जिसके लिए मैं उलझा हुआ हूँ..ऊसने कुछ नहीं कहा बस फोन रख दिया आना तो था ही साली को

जल्दी से पेशाब करने टॉयलेट में घुस्सके निकाला था…की फिर घंटी बाजी इतने जल्दी कौन आ गया?…शायद काकी होगी…मैंने दरवाजा खोला लेकिन शॅक्स अंजना था पर कहीं ना कहीं जाना पहचाना सा लगा…जैसे दरवाजा खोला सामने खड़े 25 साल के चश्मा लगाए लड़के ने अपना चश्मा उतरा और मेरे गले लग गया

“आस हूओ मेर्रेर्र भी मेररीए यार कैस्सा हाीइ तू?”…..ये कोई और नहीं मेरा कज़िन मेरे दूर का भाई मामुन था…असल में मामुन मेरे दादी के घर से तालूक़ रखता है…लेकिन मैं उससे बचपन में ही मिला था..आज ऐसे मिलना हो जाएगा सोचा नहीं था

देवश : अरे भैईई तू तो काफी बड़ा हो गया यार

मामुन : तेरे से कुछ ही साल तो बड़ा हूँ यार तू एकदम नौजवान हो गया

देवश : अरे आना बैठ…(उसे बैठते हुए मैंने कोल्ड्रींक्स निकाली हम दोनों कोल्ड ड्रिंक्स पीने लगे)

देवश : और बता आज इतने सालों बाद इतर में कैसे? तू तो लग रहा है बड़ा आदमी बन गया सुना था तू कलकत्ता में कोई बड़ा बूससिनएस्स्मन बन गया

मामुन : हां हां हां हां सब दुर्गा मां की कृपा है…दरअसल मैं यहां तुझे तो पता ही है सोचा एक बार परिवार के पास जौउ तो वहां देखा की वो जगह किसी ने खरीद ली है…

देवश : तू चाचा चाची वाले घर गया था…दादी वाले घर

मामुन : हाँ हाँ वही खैर तू बुरा मत मान मुझे लाग तू शायद वही होगा पर तुझे इस हालत में देखकर सच पूछ तो इन 22 सालों में इतना कुछ बदल गया और मैं वापिस आ भी नहीं पाया अगर मैं होता तो तेरे साथ हुए दगाबाजी का बदला जरूर लेता मैंने सब सुना गावंवालो से

देवश : भाई जाने दे जो बीत गया सो बीत गया ऊन कामीनो को उनकी मौत मीलगई किसी ने ऊँका कत्ल किया

मामुन : हाँ यार खैर तो मैं जब वहां पहुंचा ना तो ! (मामुन अभय ईकेः ही रहा था इतने में दिव्या घर में दाखिल हुई)

दिव्या मुझे और मामुन को देखकर हड़बड़ा गयी…उसी पल मामुन भी उसे हैरानी भाव से देखने लगा “आ..रही हाँ भैईई यहीी यहीी लड़की बोल रही थी इसी का घर है जाओ यहां से”……..दिव्या भी मामुन को देखते हुए मेरे पास आकर बोली

दिव्या : हाँ ये आज मेरे यहां आए थे ये आपके क्या लगते है?

देवश : उम्म मेरे भैईई है तुम एक काम करो तुम हमारे लिए खाना बनाओ अरे भाई ये दिव्या है मेरी असिस्टेंट
 
(UPDATE-53)

दिव्या को बुरा तो लगा पर मेरे पास हमारे रीलेशन को छुपाने का कोई रास्ता नहीं था….दिव्या सदा हुआ मुँह लेकर किचन में चली गयी…मामुन मुझे अनख् मारने लगा “क्या भैईई कोई सेट्टींज्ग??”……मामुन को मैंने हल्का सा तापी मारा “चलो भाई क्या मज़ाक कर रहे हो नहीं बस ऐसे ही कमिशनर ने रखवाई है”…….मामुन मुझसे मजे लेने लगा..फिर उसके बाद वो फ्रेश होने बाथरूम चला गया…मैं दिव्या के पास आया वो चावल बना रही थी

देवश : दिव्या मांफ कर दो…मुझे

दिव्या : क्यों मांफ कर दम तुम्हें ? एक तो बिना बताए तुम आए नहीं दो दिन से कहाँ थे? और अब कह रहे हो काम का इतना भोज अब ये कौन है? (दिव्या सही में चिड़चिड़ा गयी थी एक तो उसे बात करना था मुझसे खुलके और एकदम से मेहमान को देख उसका मुँह बंद गया)

देवश : देखो मामुन यहां ज्यादा दिन नहीं रुकेगा चला जाएगा समझा करो आज्वो इतने सालों बाद आया है

दिव्या : कालतक तो तुम्हारा कोई परिवार नहीं था

देवश : आजएक्द्ूम से खोजते हुए आया है ये कलकत्ता में रहता है इसको मेरा अड्रेस नहीं पता था…आज खोज बिन करके आया है चला जाएगा तुम प्ल्स माहौल को शांत रखो उसे अंजान रखना जरूरी हाीइ ठीक हे

दिव्या : ओकायी

देवश : मैं तुमसे बात करूँगा अभी मैं बहुत तक भी गया और हूँ केस को लेकर उलझा हूँ सब शांत हो जाएगा फिर बताता हूँ

दिव्या : ठीक हे तुम जाओ मैं खाना लगती हूँ

इतना कहकर दिव्या पतीले के पानी को छानने लगी….बाहर आते ही मामुन मुस्करा रहा था ऊसने बैग से मेरे लिए एक सोने की घारी निकाली “अरे ये क्या? बाप रे तू कहाँ से ले आया ये सब?”…….”कैसी है इंपोर्टेड है? तुम्हारे फ्रॅन्स से है”…….मैंने घारी को देखते हुए मामुन की बात सुनी

देवश : भाई लेकिन इट’से वेरी कॉस्ट्ली

मामुन : अरे चढ़ ना ये सब तो चलता है तू तो भैईई है

देवश : तो यहां कबतक का दौड़ है?

मामुन : बस 2 दिन

देवश : क्यूउ? आजकल क्या कर रहा हे तू ? और घर में सब कैसे है? काकी काका

मामुन : काकी अच्छी है और काका एक्सपाइर हो गये 8 साल पहले ही

देवश : ओह माइ गॉड ई आम सॉरी वैसे भी हम तो लास्ट टाइम बच्चे थे जब एक दूसरे से मिले थे उसके बाद तो

मामुन : जाने दे यार जो बीत गया सो बीत गया मुझे देख मैं अब कितने पैसों में जी रहा हूँ एंजाय कर लड़कियां पता यही जिंदगी है वैसे अभी तक शादी!

देवश : नहीं भैईई मिली नहीं

मामुन : अच्छा ग इतनी सेक्सी सेक्सी लड़कियों के साथ घूमता होगा इंस्पेक्टर मिया (तब्टलाक़ दिव्या खाने लेकर आ गयी और बिना कुछ बोले सैंडल पहनने लगी)

मामुन : कहाँ जा रही हो मैडम आइये आप भी खाना कहा लीजिए?

दिव्या : नहीं मैं कहा लौंगी बाद में उम्म देवश जी मैं जा रही हूँ (ऊस्की इशारो को समझा मामुन के प्रेसेंसें आइन वो कुछ कह नहीं पा रही थी..उसके बाद वो वापिस मेरे नये घर चली गई)

मामुन मजे लेटराहा…मुझे दिव्या के नाम से फ़्लर्ट करता रहा…फिर हमारे बीच के हँसी मज़ाक के बाद ऊसने बताया की उसका चंदे का बिज़्नेस है…और वो काम के सिसीले में यहां आया है…फिर कलकत्ता चला जाएगा…मैंने उसे घर में ही स्टे करने को कहा…फिर थाने के लिए रवाना हो गया…मैंने सोचा वही से दिव्या से मिल लूँगा

सूरज की दोपहरी शाम में ढाल गयी….खलनायक सिगर्रेते को सुलगाए…चेयर पे बैठा…टीवी पे चल रही ब्लूएफील्म को देख रहा था…तभी निशानेबाज़ ने खबर सुनाई की पुलिस से भारी जीप खाई में गिरके ब्लास्ट हो गयी पर ब्ड का सुपेरिटेंडेंट उस्मान यहां आया था..ऊसने हमारे पीछे पुलिस फौज लगवाई है इंडिया की…ज़िंदा या मुर्दा की घोषणा की है

खलनायक : हां हां हां आजतक कोई पकड़ सका जो पकड़ लेगा हुम्हें

निशानेबाज़ : कहे तो उनके दिल पे ही सीधे निशाना लगा दम

खलनायक : जो भी अपनी मौत के लिए हमारे पास आ रहे है आने दो फिर लगा लेना..वैसे पता चला माल किस पुलिस ऑफिसर ने पकड़वाया था

निशानेबाज़ : आदमियों ने बताया की यही का इंस्पेक्टर है…और एक हेरोईएन बनी फिर रही है इस शहर की रोज़ उसी ने हमारे माल को पकड़वाया ये रही ऊस्की तस्वीर इसे बड़ी मुश्किल से खबरियो से लिया गया ऊन्होने ही उसके पीछा करके तस्वीर ली

खलनायक ऊस खूबसूरत मुखहोते पहनी लड़की रोज़ की तरफ देखकर मुस्कराया “रोज़ उफ़फ्फ़ क्या ये गुलाब की तरह महेकत्ि भी है”……..खलनायक के मुखहोते अंदर मुस्कुराहट साफ झलक रही थी…”ये तो इसके पंखुड़ी को तोधने के बाद ही पता चलेगा”…..निशानेबाज़ ने मुस्कराया

जल्द ही खलनायक ऊस काले कमरे में आया खूब ज़ोर ज़ोर से काला लंड कसरत करते रहा था उसके हाथों में उठी रिंग ऊपर नीचे हो रही थी…जिसका वज़न 40 किलो था…”20 22 26″…..इतने में खलनायक की आहट सुन ऊसने धढ़ से वज़न से लगी बारबेल रिंग को एक तरफ फैक दिया फिर मुदके खलनायक की तरफ देखा

काला लंड के सामने खलनायक ने ऊस तस्वीर को पेश किया…काला लंड ऊस लड़की को देखते हुए तस्वीर पे उंगली फहीराने लगा “है बहुत कमसिन खिलती किसी गुलाब की काली की तरह इसी ने माल पकड़ाया था नाम है इसका रोज़”…….खलनायक ने काला लंड के मन में उबलते शैतानी सोच को महसूस करते हुए बोला

काला लंड : हां हां हां हां काफी दीनों बाद कोई कमसिन पर रफ लड़की मिली है वरना आजतक तो सिर्फ़ एक ही सांस में दम तोड़ी है

खलनायक : जनता हूँ टेढ़ी है यह और तुम टेढ़ी चीज़ कितना पसंद करते हो इसलिए ये काम तुमपे छोडा…

काला लंड : ये मिलेगी कहाँ?

खलनायक : शहर का गश्त लगती है रोज़ रात..इसके रात के आजके हुंसफर बन जाना

काला लंड : आखिरी रात का हुंसफर हाहाहा

इसके बाद काला लंड अपनी जबान रोज़ के तस्वीर पे फहीराता है और उसे घूर्रने लगता है…खलनायक बस शैतानी हँसी निकाले कमरे से बाहर निकल जाता है..

“दिव्या मेररी बात तो सुनू”………दिव्या कुछ सुनाने की मूंड़ में नहीं थी एक तरफ मुँह फहीराए बैठी थी

मैंने उसके सामने जब हुआ तो वो दूसरी ओर हो गयी…”प्ल्स दिव्या मेरी बात तो सुन लो”….मैंने मिन्नत करते हुए कहा उसे समझाना बेहद जरूरी था…”मैं कुछ सुनना नहीं चाहती”…….दिव्या गुस्से से मेरी ओर नहीं देखते हुए कह रही थी

देवश : मैंने अकाहिर ऐसा क्या कह दिया? जिससे तुम मुझसे इतना नाराज़ हो मेरी इस छोटे से गलती की इतनी बड़ी सजा मत दो

दिव्या : मैंने कोई सजा नहीं दे रही लेकिन देख रही हूँ तुम्हें तुम आजकल मुझसे दूर रही रहे हो…घर से लेट से आते हो और मुझसे बात नहीं करते ढंग से बस जब प्यार करना होता है कर लेते हो

देवश : बस करो दिव्या मैं तुम्हें कोई इग्नोर नहीं कर रहा ये तुम्हारी सोच है..देखो मैं अभी एक बहुत बारे केस में फ़सा हुआ हूँ

दिव्या : किस केस में फंसे हो तुम? तुमने काला साया से खुद को क्यों अलग किया इसी लिए ना की हम एक खुशाल जिंदगी जी सके..लेकिन तुम अब भी अपने फर्ज के चक्कर में मुझसे दूर हो रहे हो

देवश : देखो दिव्या फर्ज अपनी जगह है और प्यार अपनी जगह मेरी जिंदगी में मेरा फर्ज यक़ीनन इंपॉर्टेंट है पर तुम भी हो क्या काला साया का कोई राज़ जनता था तुम ही थी तुमने मुझे ऊस वक्त इतना सपोर्ट किया और अब तुम मुझसे कफा हो रही हो महेज़ मैं तुम्हारे सात हनःी रहता इसलिए
 
(UPDATE-54)

दिव्या का गुस्सा कहीं हड़त्ाक शायद जायेज़ था..पर शायद कहीं ना कहीं गलती मैं भी कर रहा था…एक तरफ देवश की दिव्या और दूसरी तरफ उसी के दूसरे रूप काला साया की अक्स जैसी रोज़….जिसकी तरफ मैं कुछ ज्यादा झुकाव देने लगा उसके आक्राशण में ऐसा खोया की दिव्या को भूल गया लेकिन यक़ीनन मज़बूरी मैं दिव्या को सहारा दिया था पर क्या मैं उससे प्यार भी करने लगा था नहीं बस उसके साथ दुश्मनों तालूक़ रखे थे एक दूसरे की प्यास भुज़ाई यक़ीनन रोज़ अगर जिंदगी में ना आती तो मैं दिव्या से ही शादी करता लेकिन अब सिचुयेशन बदल चुकी थी…

दिव्या को समझाने में मुझे बहुत वक्त लग गया…केस को भी भूल उसी को मानने में लग गया…आख़िरकार दिव्या सुबकते हुए मेरी ओर देखकर मुझसे उक्चि आवाज़ में बात करने के लिए माँफी मागने लगी…मैंने उसे अपने गले लगा लिया…मैं जनता था दिव्या शायद ऊन चिपकू औरतों में से नहीं बस वो प्यार चाहती है…शायद अपने औकवाद के चलते वो ये सोचती है की मैं उससे शादी नहीं करूँगा..लेकिन उसे समझाना बेहद जरूरी था की मैं उससे क्यों नहीं शादी कर सकता? फिलहाल वो वजह मैं बोल ना सका क्योंकि दिव्या मेरे जिस्म पे हाथ फेरने लगी और उसके मन में क्या चल रहा था ? ये मैं जनता था..दिव्या भी गरम लड़की थी इसमें कोई शक नहीं और ऊस वक्त बिना ऊस्की चुदाई के दिल नहीं मना

मैंने दिव्या को बाहों में भरा और उसके होठों को चूमने लगा..दिव्या भी मेरे बालों पे हाथ फिराती मुझे चूमने लगी….ऊस वक्त अगर रोज़ होती तो जाहिर है मुझे जान से मर देती…पर इन लड़कियों को इनके ही जगह रखना ठीक है…मैंने दिव्या को बहुत ज़ोर से किस किया…और ऊसने भी मुझे पागलों की तरह चुम्मना शुरू कर दिया…मेरे हाथ उसके छातियो पे चलने लगे और कपड़े को ऊपर से ही ऊस्की छातियो को दबाने लगा….दिव्या ने फौरन मुझे धकेला और अपना पजामा नीचे खिसका लिया…मैंने भी अपने कपड़े उतार फ़ैक्हे

दिव्या मेरे सीने पे चढ़के मेरे छाती को चूमते हुए मेरे निपल्स पे ज़बानफहिराने लगी मैंने उसके चेहरे को उठाया हाथों में लिया और उसे अपनी बाहों में खींच लिया…दिव्या की चुत में लंड अंदर बाहर हो रहा था…ऊस्की टाँगें मेरे कंधों पे थी और मैं कभी ऊपर तो कभी नीचे होता…ऊस्की चुत के मुआने पे उंगली करता हुआ लंड को बहुत फुरती से उसके चुत में रगड़ रगदके घुसाता…धक्के पेलता….दिव्या आंखें मुंडें मीठी मीठी सिसकियां ले रही थी

दिव्या ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया…और मैंने भी धक्के ज़ोर से देने शुरू कर दिए..लंड चुत से अंदर बाहर होने लगा..और मेरे हाथ उसके बिखरी ज़ुल्फो को समिटाने लगे वो मेरे होठों को चुस्सने लगी….हम दोनों पसीने पसीने होकर भीगने लगे…दिव्या की चुत से मैंने लंड बाहर खींचा….और उसके पेंट पे ही झधने लगा…धायर सारा रस उसके पेंट और नाभी पे भरने लगा….

दिव्या निढल पड़ी मुझे अपनी ऊपर खींच लेती है…मैं उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लेता हूँ….कब शाम का ढलता सूरज ढाल गया पता ही नहीं चला…

रोज़ जल्द ही बाइक से उतरके ख़ुफ़िया घर में प्रवेश करती है फिर चारों तरफ देखते हुए अनॅलिसिस रूम की लाइट्स ऑन करती है…”अरे देवश अभीतक नहीं है यहां”……वो चारों ओर देखते हुए मेरा नाम पुकारती है पर मैं उसे किसी जगह नहीं मिलता…”यक़ीनन पे.से में होगा”..अचानक ऊस्की निगाह मेरी इंतजार में ही ठहरी थी इतने में…उसका ध्यान ऑन परे पीसी पे परता है

उसे ऑन करते ही उसका दिमाग तनकता है…स्क्रीन पे खलनायक और उसके शागीर्दो का चेहरा दिखता है उनकी डीटेल्स जो मैंने पुलिस स्टेशन से लेकर रखी थी और ऊस केस पे मैं काम कर रहा था वो सब पढ़ लेती है…उसके चेहरे पे मुस्कान उमाध उठती है..और वो फिर अपने ग्लव्स और हेलमेट को पहने वापिस बाइक पे सवार होकर ख़ुफ़िया दरवाजे से बाहर निकल जाती है…

“इस लौंडिया को देखा है?”……काला लंड वन के अंदर ही ऊस खबरी को पूछता है…पहले तो वो खबरी रोज़ के तस्वीर को देखकर मुस्कुराता है और फिर बताता है की वो इस रास्ते से गश्त लगते हुए जंगल के रास्ते की ओर निकल जाती है….काला लंड खुश होता है…और उसके आंखों में शैतनपान दिखता है

बाइक को फुरती से चलते हुए रोज़ देखती है की उसके सामने दो वन खड़ी है…वो वन से फौरन उठ खड़ी होती है..वन से निकलते हॉकी का डंडा और चैन लिए खलनायक के गुंडे उसी को देखकर तहाका लगाकर हस्सने लगते है…और फिर धीरे धीरे रोज़ को घैर लेते है…”श तो ऊस कुत्ते के पलुए हो तुम लोग”………..रोज़ चारों ओर ऐसे निगाहों से देखती है मानो उसके लिए ये कोई छोटी बात हो

फौरन कुत्ता शब्द सुनकर ऊसपे हमला बोल देते है गुंडे…रोज़ फुरती से अपनी बेक किक सामने से आते गुंडे पे मारते हुए दूसरे गुंडे पे बाअई किक मारती है…इस बार उसके मुक्के ऊन गुंडों पे बरसते है..ऊस्की फुरतिदार..पार्कौुर करते हुए करतब लगते हुए…लातों घुसो की बरसात करते हुए हरक़तो को देख..काला लंड अपनी वन से बाहर आता है…वो लोग रोज़ को जकड़ लेते है…पर काला साया के दिए ट्रेनिंग और अपने हुनर से वो दोनों टाँग सामने के गुंडों पे मारते हुए चैन को पकड़कर सीधे ऊस गुंडे को ही जकड़ लेती है जो उसे पकड़ा हुआ होता है….

वो गुंडा वही दम तोड़ देता है…दूसरा गुंडा जैसे ऊसपे हावी होता रोज़ ने उसके मुँह को पकड़कर अपने घुटने से दे मारा उसके मुँह से खून निकल गया वो अपना चेहरा पकड़ा गिर गया…रोज़ ने अपना हॉकी का डंडा पकड़ा..और ऊन गुंडे पे बरसाना शुरू कर दिया…ऊनमें से कोई भी ऊसपे हावी नहीं हो पा रहा था….काला लंड मुस्कुराकर बस देखें जा रहा था

रोज़ आख़िर ऊन आखिरी बचे गुंडों को भी दरशाही कर देती है…इतने में उसके सर पर प्रहार होता है…रोज़ अपना सर पकड़े दूसरी ओर देखती है जिसके हाथ में पीपे होता है काला लंड उसके सामने खड़ा है…अपने सामने इतने भयनकर ख़ूँख़ार हिंसक काले नक़ाबपोश शॅक्स को देख रोज़ थोड़ी ठिठक जाती है पर वो लरआई नहीं छोढ़ती….रोज़ ऊसपे बरस पार्टी है…और उसके भाई डाई बेक मंकी सारी किक्स उसके चेहरे पे उतार देती है…काला लंड जितना उसे कक्चा समझ रहा था वो उतनी थी नहीं

ऊसने फौरन पीपे उसके मुँह पे दे मारा..रोज़ भौक्लाके गिर पड़ी उसके होठों से खून निकल गया..पर रोज़ झुकी नहीं और सीधे ही काला लंड से भीढ़ गयी…काला लंड उसे उठा उठाकर पटकने की कोशिश करने लगा पर हर पटकी से पहले ही रोज़ करतब करके उछाल फहानाद के ज़मीन पे स्त्री होकर कूद पड़ती…रोज़ को ये लरआई भारी लग रही थी पर हार मना उससे स्वीकार नहीं

अचानक से देवश की घंटी बज उठी…देवश ने टाइम देखा..”श में गोद रात हो गयी शितत्त”……उसे याद आया की रोज़ के गश्त लगाने का वक्त है यह…वो जैसे तैसे अपनी बेवकूफी भरे दिमाग को कोसता हुआ ख़ुफ़िया घर पहुंचा “र्रोस्से रोस्से”….रोज़ वहां नहीं थी…अचानक से देवश ने फौरन नॅविगेशन सिस्टम ऑन किया जिसमें ट्रेसिंग डिवाइस था रोज़ की बाइक पे हरपल होता है वो…ताकि देवश उसे बॅकप दे सके…अचानक से रोज़ की ट्रेस में उसे अपना ख़ुफ़िया कमरा दिखता है….रोज़ लर्र रही है एक काले नक़बपसो के साथ और चारों ओर गुंडे गिरे परे है…..”शितत्त”…….देवश फौरन भाग निकलता है

उधर चक्कर महसूस होते ही गश खाके घायल रोज़ फौरन ज़मीन पे गिर पार्टी है..काला साया उसके गले से उसे उठाकर फौरन उसके सर को वन के दीवार पे पटकता है…रोज़ दर्द से सिसकते हुए वापिस ज़मीन पे देह जाती है…अब उससे ये लरआई लरना संभव नहीं था…अपने कटे होंठ से खून को पोंछते हुए काला लंड उसके बालों से उसे उठता है और अपने बाए पॉकेट से खैची निकालता है..वो पागलों की तरह उसके लहू लुहन चेहरे पे हाथ फेरते हुए उसका खून चखता है..और फिर कैची उसके बालों में जैसे ही फंसाने को होता है

इतने में जीप पे बैठा देवश फुरती से ऊस जीप को काला लंड के पास ले आता है काला लंड रोज़ को चोद जीप को घूर्रता है और हिंसक की तरह उसके सामने दौधता है…देवश भी गुस्से में जीप को तेजी से काला लंड के ऊपर चढ़ाने वाला ही होता है की इतनें आइन काला लंड खुद ही बैलेन्स बिगड़ते ही जीप के ऊपर से टकराते हुए दूसरी ओर जा गिरता है…देवश जल्दी से निकलकर गोली ऊसपे डाँगता है

गोली दो बार काला लंड के बाज़ूयो में लगती है और वो वही गिर परता है….”ओह नो रोस्से रोस्से”…….देवश बाए साइड में गिरी रोज़ को उठाते हुए कहता है…”आहह ससस्स बहुत मारा कमीने ने”…….रोज़ के होठों पे गाली को सुन देवश को चैन आया की वो ज़िंदा है…ऊसने गुस्से भारी निगाहों से काला लंड की ओर देखा और उसे उठते देख हैरान हो गया….काला लंड उठके एकदम से गुस्से में जीप को उठाने लगता है उसके ऐसी असीम ताक़त कोदेख देवश घबरा जाता है

“ओह माइ गॉड ये इंसाना है की मॉन्स्टर”…..इतने देर में काला लंड जीप ऊन दोनों के ऊपर लुड़का देता है…देवश फौरन रोज़ को खींच लेता है..और दोनों दूसरी ओर गिर पारट है और ऊस ओर जीप गिर पार्टी है…काला लंड उसके करीब आता है “ओह माइ गॉड इस पे तो गोली का कोई असर नहीं हुआ”……..डीओॉश हड़बाहात में गोली सड़क पे चोद देता है और फौरन अपने काला साया पैट्रो से ऊसपे हमला करता है पर वो डीओॉश को दूर उछाल फैक्टा है…डीओॉश बैलेन्स बनकर उठ खड़ा होता है और फिर जीप पे देखते हुए ऊस ओर खड़ा हो जाता है “आबे ओह मादरचोद”…….काला लंड का गुस्सा दहेक उठता है रोज़ के पास जाने के बजाय देवश की ओर भागता है…देवश मुस्कुराकर अपनी जेब से निकलते लाइटर को जीप पे फ़ेक देता है जिसका पेट्रोल लीक कर रहा था

और ऊस ओर से जैसे कूड़ता है…काला लंड जीप से दौड़ते हुए टकराता है और तभी बूओं एक धमाका होता है…जीप के चीटड़े उड़ जाते है…और आग की लपतो में काला लंड चिल्लाते हुए जंगल में कूद जाता है…डीओॉश हालत को समझते हुए रोज़ को कंधे से उठता है और किसी तरह रोज़ की बाइक पे सवार होकर उसके सामने निढल रोज़ को बिता देता है और जितनी हो सके उतनी रफ्तार से बाइक दौड़ा देता है
 
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