desiaks
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रीमा जितेश की बात सुनकर मंद ही मंद मुस्कुरायी - पहले सारे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर दिया, अब ऐसा सवाल क्यों पूछ रहे हो |
जितेश को इस सवाल की उम्मीद नहीं थी - मैडम आप तो वही बात पकड़ कर बैठ गयी |
रीमा - कपड़े उतार कर तुम्ही ने तो नंगा किया है |
जितेश - मैडम वो तो जरुरी था.......बताइए न आप इस तरह से बिना कपड़ो के किसी अनजान आदमी के सामने कैसे इतनी कम्फर्ट में है | बिना कपड़ो के तो आदमी झेंप जाता है |
रीमा - तूने कभी किसी औरत को इस तरह से बिना कपड़ों के देखा है |
जितेश - नहीं मैडम मैंने कभी नहीं देखा |
रीमा - क्यों फिजा को नंगा नहीं किया था चोदने से पहले |
रीमा ने पूरी बात जितेश की तरफ घुमा दी | रीमा हाथ पाँव पोंछ चुकी थी अब चेहरा पोंछ कर रही थी |
जितेश - मैडम आप भी न कहाँ पंहुच गयी | इतना कहकर जितेश ने एक लम्बी आह भरी |
रीमा की सारी इन्द्रियां उस आह को सुनकर चौकन्नी हो गयी | उसके दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे |
कुछ देर की चुप्पी के बाद रीमा ने ही सवाल पूछ लिया - अच्छा ये बतावो कही तुम्हे फिजां से प्यार तो नहीं हो गया था |
जितेश हंसने लगा - क्या बात कर रही है मैडम | एक रंडी से प्यार |
रीमा ने फिर से सफ़ेद चादर खुद के बदन पर लपेट ली |
रीमा - तुमारी आह बता रही है फिजा तुमारी जिंदगी में खास जगह बना चुकी थी |
जितेश - प्यार का तो पता नहीं लेकिन, हम न केवल उसे चोदते थे बल्कि वो हमारे लिए खाना बना कर भी लाती थी |
रीमा - यही तो प्यार होता है जब किसी के न होने पर उसे तुम मिस करो | अब बताओ न मै गलत तो नहीं कह रही फिजा को नंगा करके ही चोदा था तुम दोनों ने, अभी अभी तुमने बताया था |
जितेश - नहीं मैडम वहां जान हथेली पर लेकर ड्यूटी करते थे उस समय तो बस बदन की आग बुझानी थी, हवस में अगर दो जिस्म नंगे भी होते है तो कोई कहाँ कुछ देखता है उस समय तो बस अपनी आग बुझाने की ललक होती है | उस समय तो बस लंड चूत में पेलने पर ही सारा ध्यान रहता है |
रीमा - मतलब तुमारी ख्वाइश थी कभी फुर्सत में उसे नंगी देखो सर से लेकर पैर तक लेकिन उन हालातों के कारन ये संभव नहीं हो पाया |
जितेश - मैडम आप तो औरत हो इसलिए आपका तो पता नहीं लेकिन औरत के जिस्म से ज्यादा उसकी गंध आदमी के अन्दर उसको चोदने की उसको पाने की लालसा जगाती है | फ़िजा के बदन की महक ही कुछ ऐसी थी | पहली बार ही उसे पूरा नंगा किया था उसके बाद इतना टाइम ही नहीं होता था की उसको सर से लेकर पैर तक पहले नंगा करू फिर चोदु | नीचे से उसका घाघरा उठा देता था और ऊपर से उसके मम्मे खोल लेता था लेकिन जब उसकी वो मदहोश करने वाली गंध नाक से घुसकर दिमाग पर चढ़ती थी लंड तभी पत्थर की तरह ठोस होता था | आज भी मन के किसी कोने में वो गंध महक रही है |
रीमा - मतलब आज भी उसको चोदने की ख्वाइश तुमारे मन में बैठी हुई है | लगता है वो तुमारी जिंदगी की पहली चूत थी |
जितेश चुप रहा |
रीमा - फिजा के बाद भी तो कुछ किया होगा या फिर हाथ से हिलाते रहे |
जितेश - आप तो सारा कच्चा चिट्ठा निकलवाने पर उतारू हो |
जितेश खाना गरम कर रहा था |
तभी रीमा ने आवाज दी - ये शर्मेट मै नहीं पहन पा रही हूँ | मेरे हाथ पीछे की तरफ नहीं पंहुच रहे, |
जितेश समझ गया | वो फिर से अपनी कमर में लगी तौलिये की गांठ को कसकर ठीक करता हुआ रीमा के पास में चला गया | सफ़ेद चादर जमींन पर पड़ी थी और रीमा का बदन उस सुनहरी पीली रौशनी में एक अलग ही छटा बिखेर रहा था | रीमा जितेश की तरफ पीठ करके खुद की हल्की रौशनी में शीशे में निहारने लगी | [/b]
मोमबत्ती की सुनहरी रौशनी में रीमा का दमकता गोरा गुलाबी बदन.....क़यामत ढा रहा था | जितेश ने रीमा को देखकर एक लम्बी साँस ली, कैसे भी खुद को काबू किया | फिर रीमा के हाथ से शर्ट लेकर उसके बांहों में फ़साने लगा | जितेश के मनोभाव उसके नियंत्रण से बाहर थे - मैडम आप बहुत कमाल की हो .........बहुत खूबसूरत हो आपको पता नहीं आपका गोरा गुलाबी बदन बहुत ही खूबसूरत है |
रीमा बस अंदर ही अंदर से खुश होकर रह गई वह कुछ बोली नहीं |
कुछ देर बाद रीमा - अच्छा ये बताओ जितेश तुमारा पहला क्रश कौन था |
जितेश - ये क्या होता है |
रीमा जितेश की अनभिज्ञता पर खिलखिला गयी - अरे बाबा मतलब जिसको देखकर पहली बार तुम्हे उसे चोदने का ख्याल आया हो या तुमारा लंड खड़ा हो गया हो |
जितेश - हमारे यहाँ ये सब नहीं होता था |
रीमा - मतलब तुमने पहली बार सीधे सीधे उस रंडी फिजा को चोदा इसलिए उसकी चूत का फितूर तुमारे दिमाग से नहीं निकल रहा है | जिदंगी की पहली चूत हो या किसी लड़की के लिए पहला लंड हो दोनों ही खास होते है | अब समझ गयी तुम्हे फिजा से इतना लगाव क्यों हो गया |
जितेश - नहीं मैडम आप गलत समझ रही है, फिजा से एक लगाव तो हो गया था लेकिन वो मेरा पहला प्यार नहीं था |
रीमा को हल्का सा आश्चर्य हुआ - अच्छा तो मतलब एक ज्यादा चूत का स्वाद ले चुके हो |
जितेश चुप रहा |
रीमा उसके कुरेदते हुए बोली - बतावो न अपने पहले अनुभव के बारे में |
जितेश - पहला एक्सपीरियंस कुछ खास ही होता है मैडम और मेरा तो कुछ ज्यादा ही खास था |
जितेश को इस सवाल की उम्मीद नहीं थी - मैडम आप तो वही बात पकड़ कर बैठ गयी |
रीमा - कपड़े उतार कर तुम्ही ने तो नंगा किया है |
जितेश - मैडम वो तो जरुरी था.......बताइए न आप इस तरह से बिना कपड़ो के किसी अनजान आदमी के सामने कैसे इतनी कम्फर्ट में है | बिना कपड़ो के तो आदमी झेंप जाता है |
रीमा - तूने कभी किसी औरत को इस तरह से बिना कपड़ों के देखा है |
जितेश - नहीं मैडम मैंने कभी नहीं देखा |
रीमा - क्यों फिजा को नंगा नहीं किया था चोदने से पहले |
रीमा ने पूरी बात जितेश की तरफ घुमा दी | रीमा हाथ पाँव पोंछ चुकी थी अब चेहरा पोंछ कर रही थी |
जितेश - मैडम आप भी न कहाँ पंहुच गयी | इतना कहकर जितेश ने एक लम्बी आह भरी |
रीमा की सारी इन्द्रियां उस आह को सुनकर चौकन्नी हो गयी | उसके दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे |
कुछ देर की चुप्पी के बाद रीमा ने ही सवाल पूछ लिया - अच्छा ये बतावो कही तुम्हे फिजां से प्यार तो नहीं हो गया था |
जितेश हंसने लगा - क्या बात कर रही है मैडम | एक रंडी से प्यार |
रीमा ने फिर से सफ़ेद चादर खुद के बदन पर लपेट ली |
रीमा - तुमारी आह बता रही है फिजा तुमारी जिंदगी में खास जगह बना चुकी थी |
जितेश - प्यार का तो पता नहीं लेकिन, हम न केवल उसे चोदते थे बल्कि वो हमारे लिए खाना बना कर भी लाती थी |
रीमा - यही तो प्यार होता है जब किसी के न होने पर उसे तुम मिस करो | अब बताओ न मै गलत तो नहीं कह रही फिजा को नंगा करके ही चोदा था तुम दोनों ने, अभी अभी तुमने बताया था |
जितेश - नहीं मैडम वहां जान हथेली पर लेकर ड्यूटी करते थे उस समय तो बस बदन की आग बुझानी थी, हवस में अगर दो जिस्म नंगे भी होते है तो कोई कहाँ कुछ देखता है उस समय तो बस अपनी आग बुझाने की ललक होती है | उस समय तो बस लंड चूत में पेलने पर ही सारा ध्यान रहता है |
रीमा - मतलब तुमारी ख्वाइश थी कभी फुर्सत में उसे नंगी देखो सर से लेकर पैर तक लेकिन उन हालातों के कारन ये संभव नहीं हो पाया |
जितेश - मैडम आप तो औरत हो इसलिए आपका तो पता नहीं लेकिन औरत के जिस्म से ज्यादा उसकी गंध आदमी के अन्दर उसको चोदने की उसको पाने की लालसा जगाती है | फ़िजा के बदन की महक ही कुछ ऐसी थी | पहली बार ही उसे पूरा नंगा किया था उसके बाद इतना टाइम ही नहीं होता था की उसको सर से लेकर पैर तक पहले नंगा करू फिर चोदु | नीचे से उसका घाघरा उठा देता था और ऊपर से उसके मम्मे खोल लेता था लेकिन जब उसकी वो मदहोश करने वाली गंध नाक से घुसकर दिमाग पर चढ़ती थी लंड तभी पत्थर की तरह ठोस होता था | आज भी मन के किसी कोने में वो गंध महक रही है |
रीमा - मतलब आज भी उसको चोदने की ख्वाइश तुमारे मन में बैठी हुई है | लगता है वो तुमारी जिंदगी की पहली चूत थी |
जितेश चुप रहा |
रीमा - फिजा के बाद भी तो कुछ किया होगा या फिर हाथ से हिलाते रहे |
जितेश - आप तो सारा कच्चा चिट्ठा निकलवाने पर उतारू हो |
जितेश खाना गरम कर रहा था |
तभी रीमा ने आवाज दी - ये शर्मेट मै नहीं पहन पा रही हूँ | मेरे हाथ पीछे की तरफ नहीं पंहुच रहे, |
जितेश समझ गया | वो फिर से अपनी कमर में लगी तौलिये की गांठ को कसकर ठीक करता हुआ रीमा के पास में चला गया | सफ़ेद चादर जमींन पर पड़ी थी और रीमा का बदन उस सुनहरी पीली रौशनी में एक अलग ही छटा बिखेर रहा था | रीमा जितेश की तरफ पीठ करके खुद की हल्की रौशनी में शीशे में निहारने लगी | [/b]
मोमबत्ती की सुनहरी रौशनी में रीमा का दमकता गोरा गुलाबी बदन.....क़यामत ढा रहा था | जितेश ने रीमा को देखकर एक लम्बी साँस ली, कैसे भी खुद को काबू किया | फिर रीमा के हाथ से शर्ट लेकर उसके बांहों में फ़साने लगा | जितेश के मनोभाव उसके नियंत्रण से बाहर थे - मैडम आप बहुत कमाल की हो .........बहुत खूबसूरत हो आपको पता नहीं आपका गोरा गुलाबी बदन बहुत ही खूबसूरत है |
रीमा बस अंदर ही अंदर से खुश होकर रह गई वह कुछ बोली नहीं |
कुछ देर बाद रीमा - अच्छा ये बताओ जितेश तुमारा पहला क्रश कौन था |
जितेश - ये क्या होता है |
रीमा जितेश की अनभिज्ञता पर खिलखिला गयी - अरे बाबा मतलब जिसको देखकर पहली बार तुम्हे उसे चोदने का ख्याल आया हो या तुमारा लंड खड़ा हो गया हो |
जितेश - हमारे यहाँ ये सब नहीं होता था |
रीमा - मतलब तुमने पहली बार सीधे सीधे उस रंडी फिजा को चोदा इसलिए उसकी चूत का फितूर तुमारे दिमाग से नहीं निकल रहा है | जिदंगी की पहली चूत हो या किसी लड़की के लिए पहला लंड हो दोनों ही खास होते है | अब समझ गयी तुम्हे फिजा से इतना लगाव क्यों हो गया |
जितेश - नहीं मैडम आप गलत समझ रही है, फिजा से एक लगाव तो हो गया था लेकिन वो मेरा पहला प्यार नहीं था |
रीमा को हल्का सा आश्चर्य हुआ - अच्छा तो मतलब एक ज्यादा चूत का स्वाद ले चुके हो |
जितेश चुप रहा |
रीमा उसके कुरेदते हुए बोली - बतावो न अपने पहले अनुभव के बारे में |
जितेश - पहला एक्सपीरियंस कुछ खास ही होता है मैडम और मेरा तो कुछ ज्यादा ही खास था |